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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Jaguaar

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👉इकतालीसवां अपडेट
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दो दिन बाद
विक्रम अपनी गाड़ी से उतरता है lआज बहुत दिनों बाद कॉलेज में आया है l गाड़ी से उतर कर पहले एक अंगड़ाई लेता है फिर अपने क्लास की ओर निकालता है l रास्ते में कुछ लड़कियाँ उसे देख कर आहें भर रही हैं जो विक्रम को साफ सुनाई देती है l यूहीं अपनी क्लास की जाते जाते रास्ते पर देखता है विनय और उसके चमचे एक लड़की को छेड़ रहे हैं l विक्रम सीधे उनके पास जाता है l विनय विक्रम को देख कर लड़की को छेड़ना बंद कर देता है l विक्रम आकर वहाँ खड़ा हो जाता है और विनय को घूर कर देखने लगता है l लड़की चली जाती है l लड़की के जाते ही विक्रम एक चांटा रसीद कर देता है l विनय और उसके चमचों को सांप सूँघ जाता है l

विक्रम - भोषड़ी के... अब मैं यहाँ का... प्रेसिडेंट हूँ... मेरे राज में... तुझे इन सब की इजाज़त नहीं है... अगर दुबारा ऐसी ओछी हरकत करते पाया गया.... तो तु...
विनय - समझ गया.... युवराज... मैं समझ गया... आगे से आपको यहाँ कभी... आपको दीखूँगा... भी नहीं...
विक्रम - दफा हो जा यहाँ से...

विनय और उसके चमचे वहाँ से भाग जाते हैं l विक्रम अपनी क्लास की ओर बढ़ता है और जैसे ही क्लास रूम के एंट्रेंस पहुंचता है, तभी उसकी फोन बजने लगता है l फोन के डिस्प्ले पर बेताल नाम फ्लैश हो रहा है l विक्रम बेताल नाम देख कर हँस देता है l


विक्रम - राजकुमार... आप भी ना... (फोन उठा कर) हाँ बेताल... वह वह... मेरा मतलब है... शू.. शुभ्रा जी...(बात करते करते बाहर की ओर चल देता है)
शुभ्रा - क्या बेताल.... हाँ...
विक्रम - स... सॉरी सॉरी... वह... हमारे छोटे भाई ने शरारत की है.... उन्होंने आपका नाम... बदल कर... बेताल के नाम से सेव कर दिया था.... मुझे मालुम ही नहीं हुआ... और ध्यान भी नहीं रहा... इसलिए मेरे मुहँ से गलती से... निकल गया....
शुभ्रा - (खिलखिला कर हँसती है) अरे वाह.... मतलब... आपके छोटे भाई... बड़े मजाकिया हैं... वैसे ध्यान कहाँ था... कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं...
विक्रम - हाँ... क्या... य.. यह क्या कह रहे हैं...
शुभ्रा - अरे अरे अरे... आप ऐसे हकला क्यूँ जाते हैं....
विक्रम - जी मैं... वह... खैर छोड़ीए... वैसे... इस वक्त... अचानक... आपने हमें क्यूँ फोन किया....
शुभ्रा - अरे... क्या बात कर रहे हैं.... आप तो... इंटर कॉलेज... हीरो बन गए हैं... आपने कारनामें किए नहीं के... चर्चे सारे सहर में होने लगे हैं...
विक्रम - (हैरानी से)कारनामे... चर्चे.. किस बात के... हमने किया क्या है...
शुभ्रा - अररे... शांत... शांत.... अभी अभी आपने... एक्स प्रेसीडेंट की ठुकाई की... एक लड़की को... बचाया है... बस इतने में ही.. आप तो... टॉक ऑफ द टाउन हो गए...
विक्रम - अच्छा वह... क्या... अभी तो एक मिनट भी नहीं हुआ है... और...
शुभ्रा - तभी तो कहा... आपके चर्चे... अब सहर में... होने लगे हैं...
विक्रम - ओ... तो क्या... आप हमसे... इंप्रेस्ड हैं... अगर हैं.. तो उसके लिए... थैंक्यू...
शुभ्रा - इट्स ओके... इट्स
ओके... इसका मतलब... यह हुआ कि... हमने आपको... चुन कर गलत नहीं किया है...
विक्रम - (चेहरे पर मुस्कराहट उभर जाती है) कोई शक़....
शुभ्रा कुछ कहती नहीं है
विक्रम - हैलो...... हैलो...

विक्रम मोबाइल देखता है, फोन कट चुका है l विक्रम के चेहरे पर मुस्कराहट और गहरी हो जाती है, खुशी की खुमार दिख रही है l वह उसी खुमारी में फिर क्लास तक पहुंचा ही था कि फोन फ़िर से बजने लगता है l वह खुशी से फोन निकाल कर देखता है तो उसके चेहरे से हँसी और खुशी दोनों गायब हो जाती है l

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सेंट्रल जैल
भुवनेश्वर
डाइनिंग हॉल
उस दिन के बाद विश्व की डैनी से मुलाकात नहीं हो पाया है l विश्व हैरान है हमेशा खाने के समय विश्व को डायनिंग हॉल में डैनी मिल जाता था पर दो दिन बीत चुका है डैनी उसे नहीं दिखा है l विश्व को समझ में नहीं आता डैनी के बारे में पूछे तो पूछे किससे l नाश्ता खतम कर वह सीधे ऑफिस पहुंचता है और तापस के चेंबर की ओर जाता है l चेंबर के बाहर जगन बैठा हुआ मिलता है l विश्व उसके हाथों खबर भिजवाता है l जगन बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को बोलता है l

विश्व - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ....
तापस - आओ विश्व आओ...बैठो
(विश्व बैठता है) बाय द वे.. कंग्रैचुलेशन... तुम्हारा... रेगुलर फॉर्मेट में... ग्रैजुएशन का सपना पुरा हो रहा है...
विश्व - थैंक्यू... सर...
तापस - तो भई अब यहाँ... क्यूँ आए हो... तुम्हारे काम करने के लिए तो बड़े बड़े डॉन तैयार बैठे हैं...
विश्व - सर वह मैं... असल में... डैनी जी... मुझे दो दिन से... नहीं दिख रहे हैं... मैं उनके बारे में... पूछने आया था....
तापस - ओ... तो अपने मददगार के... बारे में जानने आए हो...
विश्व - जी....
तापस - देखो विश्व... वह... यहाँ... रीकमेंडेड स्टे में है... वह यहाँ कैदी कम.... टूरिस्ट ज्यादा है... दो दिन हो गए.... वह अपनी सेल में... खाना मंगवा कर कहा रहा है...
विश्व - क्यूँ... उनकी तबीयत ठीक नहीं है... क्या....
तापस - बिलकुल ठीक है... कुछ नहीं हुआ है... अब वह दो दिन से... अपने मांद से... क्यूँ नहीं बाहर आ रहा है... वह वही जाने...
विश्व - ठीक है सर... (उठता है) चलता हूँ. है...
तापस - रुको विश्व... बैठो.... मुझे तुमसे... कुछ बात करनी है...
विश्व - (बैठ कर) मुझसे....
तापस - हाँ... तुमसे...
विश्व - जी कहिए...
तापस - पहली बात... आइ एम सॉरी... तुमने मुझसे मदत मांगी... पर मैं कर नहीं पाया...
विश्व - कोई बात नहीं.. सर..
तापस - पर अब मैं जो कहूँगा... तुम उसका बुरा मत माँगना.... प्लीज...
विश्व - जी कहिए....
तापस - देखो विश्व... डिस्टेंस एजुकेशन में... किसी भी फॉर्मेट में... डिग्री की वैल्यू वही रहती है.... फ़िर तुमने... यह रेगुलर फॉर्मेट में... डिग्री करने की जिद क्यूँ की....
विश्व - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) सर... आपको शायद नहीं मालुम.... पर एक कडवा सच यह है कि... राजगड़ में... क्षेत्रपाल परिवार को छोड़... किसी के पास... ग्रैजुएट डिग्री नहीं है....
तापस - व्हाट...
विश्व - जी सर... इसलिए यह मेरी जिद है... की मैं... रेगुलर फॉर्मेट में डिग्री हासिल करूँ...
तापस - ओ... पर... डैनी जैसे... मुजरिम के मदत से...
विश्व - हाथ तो... मैंने भी आपके तरफ.... मदत के लिए बढ़ाया ही था.... पर आपके पास... मेरे लिए सॉरी था....
तापस - ठीक है... मैं अपनी गलती मानता हूँ... पर डैनी जैसे लोग.... समाज के कोढ़ होते हैं... जिसे समाज स्वीकार नहीं करती...
विश्व - कोढ़ तो मैं भी हूँ... क्या समाज मेरी सजा खतम होने के बाद... मुझे स्वीकार करेगा...

तापस कुछ कह नहीं पाता एक ग्लानी सा मन में महसुस करता है l विश्व उसके मन की दुविधा को समझ जाता है l

विश्व - सर आप खुद को दोषी ना समझे... मैं जानता हूँ... समझ सकता हूँ... जयंत सर जी के साथ जो हादसा हुआ... मेरे लिए कोई आगे नहीं आता... तो मैंने अपना राह चुन लीआ है... आप खुद को दोषी ना समझे...

विश्व कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर जाने लगता है पर अचानक रुक जाता है

विश्व -ज़माने से यह पैगाम हमारे नाम आया
ना समाज मेरा ना मैं समाज का काम आया
सबने साथ छोड़ा,
भाग्य, भगवान और साया
राह मंजिल में हमारा ऐसा भी मुक़ाम आया
क्या हुआ जब कोई कोढ़ी काम आया

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रात को सबके सो जाने के बाद विक्रम छत पर आता है l आसमान में बादलों के ओट में चांद चमक रहा है l चांद की रौशनी में नहाया हुआ हर मंजर को निहारता हुआ विक्रम छत पर खड़ा हो जाता है l वह कुदरती नजारों में खोया हुआ है कि उसे महसूस होता है कोई उसके पास आकर खड़ा हो गया l विक्रम झट से पलट कर देखता है तो वीर खड़ा है l

विक्रम - राजकुमार... आप सोये नहीं....
वीर - नहीं.. नहीं सोये... नींद नहीं आ रही थी... पर... आप किस खुशी में जागे हुए हैं....
विक्रम - कुछ नहीं... हमे भी नींद नहीं आ रही है... इसलिए...
वीर - ह्म्म्म्म... वाकई... आपको कैसे नींद आएगी... आपको राजगड़ जो बुलाया गया है... इसलिए... खुशी के मारे आपको नींद नहीं आ रही है....
विक्रम - (चिढ़ कर) इसमें खुशी वाली... बात क्या है...
वीर - क्यूँ... इस बार... आपका रंग महल प्रवेश जो होने वाला है...
विक्रम - (चिढ़ते हुए) तो आपको... इसी खुशी में... नींद नहीं आ रही है...
वीर - खुशी नहीं... दुख है...
विक्रम - कैसा दुख...
वीर - यही... आप रंग महल में जाने के लिए... दो साल लेट हो गए.... और हमे.... अभी एक साल इंतजार करना होगा...
विक्रम - बड़ी बेताबी है... रंगमहल जाने के लिए....
वीर - क्यूँ ना हो.... रंग महल में प्रवेश के बाद... हम पूरी तरह से... क्षेत्रपाल बन जाएंगे... तब बंदिशें कम होंगी... और बहुत कुछ करने की आज़ादी होगी... हमारे पास....

विक्रम वीर से कुछ नहीं कहता है l मुहँ फ़ेर कर आसमान की ओर देखने लगता है l

वीर - वैसे... भाभी जी से... बात आपने कहाँ तक बढ़ाई है....
विक्रम - हम खुद को... रोकने की बहुत कोशिश कर रहे हैं.... राजकुमार पर...
वीर - अच्छी बात है... पर आप खुद को रोक नहीं पा रहे हैं... हमने देखा कि... फंक्शन के दिन आप उन्हें लेकर... खाने की स्टॉल की ओर ले गए थे....
विक्रम - हमने कहा ना... हम खुद को रोकने की कोशिश... कर रहे हैं...
वीर - इतनी भी क्या बेबसी है....
विक्रम - आपकी सोच... आपकी उम्र से कहीं आगे जरूर है... पर जिस दिन आपको किसीसे मुहब्बत हो जाएगा... उस दिन यह बेबसी यह तड़प समझ में आएगा....
वीर - ना... हम उस दुनिया से कोई ताल्लुक़ ही नहीं रखना चाहते.... जो इस तरह की थ्योरी पर चलती हो.... चाहे रिस्ता हो या दुनियादारी.... हम प्रैक्टिकल थे... हैं और रहेंगे...

विक्रम हँसता है और अपना मुहँ फ़ेर लेता है l

वीर - आप जिसे प्यार कहते हैं... साइंस में उसे कुछ... हॉर्मोन फ्लो कहते हैं... जिसके वजह से... इस तरह की बीमारी लग जाती है... फटाल अट्राक्सन कहते हैं.... विस्तर पर ले कर चले जाने से...... सिर्फ़ पांच मिनट में....बीमारी खतम हो जाता है....
विक्रम - (चिल्लाते हुए) राजकुमार... (हाथ उठाता है मारने के लिए पर रोक लेता है)
वीर - (यह देख कर मुस्कराता है) श् श् श् श्.... युवराज... आपके चिल्लाने से... हो सकता है... छोटे राजा जी यहाँ छत पर आ जाएं....
विक्रम - राजकुमार जी (दांत पिसते हुए धीरे धीरे) आप बहुत कड़वी बातें करते हैं... कलेजा छलनी हो जा रहा है... मेरी मज़बूरी... मेरी बेबसी आपको तब समझ में आएगा... जिस दिन आपको मुहब्बत हो जाएगा...
वीर - हाँ अभी थोड़ी देर पहले.... अपने कहा था... दोहरा क्यूँ रहा है...
विक्रम - मेरी मुहब्बत.... आपको मज़ाक लग रहा है....
वीर - हा हा हा हा (हँसने लगता है) युवराज जी... मुहब्बत और मौत में कोई फर्क़ नहीं होता.... आप कितना दम भर रहे हो.... अपनी मुहब्बत का.... क्या उस लड़की को आपसे मुहब्बत है.... (विक्रम वीर की ओर देखने लगता है) नहीं होगी.... अगर होगी भी... तो वह... कच्ची उम्र की अट्राक्शन होगी... (विक्रम वीर को घूरने लगता है) युवराज जी.... हम दावे के साथ कह सकते हैं.... अगर कुछ पल के लिए... आप उस लड़की से दूर चले जाएंगे.... तो वह किसी और को ढूंढ लेगी...
विक्रम - (वीर के गिरेबान को पकड़ कर) कुछ देर तक... आप उन्हें... भाभी कह रहे थे... अब... वह लड़की... इतनी जल्दी मर्यादा भूल गए...
वीर - भुले नहीं हैं... आपको याद दिला रहे हैं... के आप क्षेत्रपाल हैं...
विक्रम - क्षेत्रपाल हैं... तो क्या... किसीसे मुहब्बत नहीं कर सकते.... आप अभी उम्र के.. उस पड़ाव पर नहीं पहुंचे हैं...
वीर - कैसी मुहब्बत... कैसी उम्र... यह किताबी बातेँ हैं... अगर आपको लगता है.... आपको मुहब्बत हो गई है... तो आपको मुबारक... हम अब तक आपको... समझा रहे थे... बाकी आपकी तकदीर... आप इतिहास उठा कर देख लीजिए.... सच्चा प्यार कभी मुकम्मल नहीं होता.... हमेशा अधुरी रह जाती है... चाहे... लैला मजनू हो या सोहनी महीवाल... या केदार गौरी या फ़िर... राधा कृष्ण.... और
रही हमारी बात... तो
अलबत्ता हम किसी से भी... मुहब्बत नहीं करेंगे.... क्यूंकि जिसे पांच मिनट में खतम किया जा सकता है.... उसे हम... जिंदगी भर.. नहीं ढ़ो सकते.... हमने तो फैसला कर लिया है.... हमे राजा साहब जी की तरह बनना है..... उनका रेप्लीका बनना है... और खुदा ना खास्ता.... हमे कभी मुहब्बत हो भी गई... तो वादा रहा... ना हम बेबस होंगे और ना ही... मज़बूर.... शुभ रात्री...

विक्रम को वहीँ छत पर छोड़ कर वीर नीचे अपने कमरे में चला जाता है l विक्रम मन मसोस कर वहीँ खड़ा रह जाता है l कुछ सोचने के बाद विक्रम फोन लगाता है l

विक्रम - हैलो... यश
यश - (नींद में उबासी लेते हुए) हाँ कौन... अरे... युवराज बोलो इतनी रात को क्यूँ फोन किया....
विक्रम - वह मुझे... आपसे थोड़ा.... पर्सनल काम है....
यश - हाँ कहो...
विक्रम - नहीं फोन पर नहीं....
यश - अच्छा.... लगता है... कुछ सिरीयस है... अच्छा कब मिलना चाहते हो....
विक्रम - आप ही बताओ... काम हमारा है...
यश - अरे... यारों के लिए कभी भी... क्या तुम... मेरे साथ कल सुबह का नाश्ता करना... चाहोगे...
विक्रम - श्योर...
यश - तो तय रहा.... कल मैं तुम्हारा... नाश्ते पर इंतजार करूंगा... तुम युनिट थ्री में... चेट्टीस् विला में पहुंच जाओ...
विक्रम - ओके... थैंक्यू... गुड नाइट...
यश - अरे काहे का... थैंक्यू... तुमको भी गुड नाइट....

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प्रतिभा अपने बिस्तर पर करवट बदल कर हाथ बढ़ाती है तो उसकी बगल में उसे तापस नहीं मिलता है l उसकी नींद टुट जाती है l वह झट से उठ जाती है l बेड रुम में उसे तापस नहीं दिखता है l वह उठ कर इधर उधर देखने लगती है, उसे बालकनी में तापस दिख जाता है l बालकनी में तापस खड़े होकर बाहर देख रहा है l प्रतिभा उसके पास जाती है

प्रतिभा - क्या बात है... सेनापति जी... आप सोए नहीं....
तापस - आज... नींद नहीं आ रही है...
प्रतिभा - क्यूँ... क्या.. कोई टेंशन है...
तापस - हाँ... है तो...
प्रतिभा - कैसी टेंशन...

तापस प्रतिभा की तरफ मुड़ता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए

तापस - समाज को हमने... क्या.. योगदान दिया है...
प्रतिभा - क्या... आप यह कैसी बातेँ कर रहे हैं....
तापस - समाज को हमसे क्या फायदा हुआ है....
प्रतिभा - ओह ओ... आप कैसी पहेली पुछ रहे हैं....
तापस - हम भले ही.... समाज का कुछ भला ना कर पाए... पर हम से समाज का कुछ बुरा नहीं होना चाहिए... है ना...
प्रतिभा - यह आपको क्या हो गया है... पहले आप अंदर आइए...

प्रतिभा तापस की हाथ पकड़ कर खिंच कर अंदर बेड पर बिठा देती है l

प्रतिभा - अब बताइए... क्या हुआ है... आप इतना अपसेट क्यूँ हैं...
तापस - पंद्रह दिन पहले... विश्व मेरे पास आया था... अपनी ग्रैजुएशन को रेगुलर फॉर्मेट में... पूरा करना चाहता था... इसके लिए वह मुझसे... मदत भी मांगा....
प्रतिभा - हाँ तो....
तापस - मैंने उसे फॉर्मेट को बदल कर एक बार में... फाइनल एक्जाम देने को बोला... वह तैयार नहीं हुआ.... तो मैंने भी अपनी मज़बूरी बताई.... और मना कर दिया....
प्रतिभा - ओह... पर मना क्यूँ किया आपने....
तापस - तुम समझने की कोशिश करो... जयंत सर जी का... जो हादसा.... उसके बाद... कौन वकील हिम्मत करेगा... विश्व को पैरोल पर छुड़ा कर... एक्जाम के लिए ले जाए... और जैल छोड़ जाए....
प्रतिभा - अच्छा.... हाँ तो यह... जेन्युइन प्रॉब्लम है....
तापस - शायद यही... मेरी ग़लती है... मुझे किसी वकील से बात कर लेनी चाहिए थी....
प्रतिभा - क्यूँ... ऐसा क्या हो गया है.....
तापस - वह अब... डैनी के वकील की मदत से... अपना ग्रैजुएशन पुरा करेगा.....
प्रतिभा - डैनी (कुछ सोचते हुए) यह डैनी वही है ना.... पोलिटिकल गुंडा...
तापस - हाँ... वही है...
प्रतिभा - ठीक है ना... उसमें इतना सोचने की क्या बात है...
तापस - (प्रतिभा की और देखता है) मुझे डर है.... कहीं... विश्व... डैनी की राह पर... निकल ना जाए....
प्रतिभा - ओह... तो.. इस बात ने... आपको परेशान कर रखा है....
तापस - हाँ... भाग्यवान.... अगर वह भटक गया... तो... (बेड से उठ जाता है) जयंत सर की वह चिट्ठी... जानती हो... विश्व से पहले... मैंने पढ़ी थी... चोरी से.... जयंत सर अपना सब कुछ विश्व के लिए... क़ुरबान कर दिया.... पर हम जो समाज में... अच्छे लोगों में... गिने जाते हैं... विश्व ने जब मदत मांगा... तो नहीं कर पाया.... उसकी मदत वह कर रहा है... जो समाज का कोढ़ है...
प्रतिभा - (करीब आकर तापस के कंधे पर हाथ रखकर) तो इस बारे में.... आपको विश्व से बात करनी चाहिए....
तापस - आज बुलाया था... उसे मैंने...
प्रतिभा - तो... क्या हुआ...
तापस - उसने कहा... उसका अब पहला लक्ष... ग्रैजुएशन है... कौन मदत कर रहा है... उससे कोई मतलब नहीं है...
प्रतिभा - अगर वह नहीं समझ रहा... तो आप क्यूँ टेंशन ले रहे हैं...
तापस - तुम समझ क्यूँ नहीं रही हो... हम सब दिल से जानते हैं... वह निर्दोष है... फ़िर भी वह सज़ा भुगत रहा है... कल कहीं... वह मुज़रिम बन गया तो.... मुझे मेरी आत्मा... बार बार पूछेगी... एक मौका था... मैं उसे ज़ुर्म की राह चुनने से रोक सकता था.... पर मैंने रोका नहीं...
प्रतिभा - उसकी जिंदगी है... अगर वह नहीं समझ रहा है... तो आप क्या कर सकते हैं... वैसे भी जहां तक... मुझे जानकारी है... वह... डैनी... एक या डेढ़ साल तक... जैल में रहेगा... विश्व तो... और भी पांच साल रहेगा.... इन पांच सालों में... हो सकता है... विश्व... डैनी को भुल जाए...
तापस - भगवान करे ऐसा ही हो.... वरना... तुम नहीं जानती... डैनी क्या चीज़ है...
प्रतिभा - एक गुंडा ही तो है...
तापस - (फीकी हँसी हँसते हुए) एक गुंडा... जिसकी हिफाज़त और जी हजूरी... सिस्टम करती है.... जिसको कई राज्यों में.... राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है.... वह जैल में रह कर भी... अपना धंधा... बड़े आराम से चला रहा है...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ... भाग्यवान... विश्व की मदत कर रहा है... डैनी जैसे मुजरिम के लिए... यह इंसानियत तो... नहीं हो सकती.... इसके बदले... वह विश्व से... जरूर कुछ ना कुछ चाहेगा ही....
प्रतिभा - ठीक है... आपकी बात मान भी लूँ... तो सवाल है... डैनी विश्व की मदत क्यूँ कर रहा है...
तापस - कुछ लोग... डैनी को मारने जैल में आए थे.... विश्व को भनक लग गई... उसने ना सिर्फ़ डैनी को आगाह किया था.... बल्कि एक बार बचाया भी था.... बदले में डैनी.... उसकी मदत कर रहा है....
प्रतिभा - ओ... तो यह गिव एंड टेक सेटलमेंट है.... आप तो खामख्वाह परेशान हो रहे हैं....
तापस - जहां तक मैं जानता हूँ.... डैनी... उसी की ही मदत करता है... जिससे कुछ वापस पाना हो.... मुझे कुछ करना होगा...
प्रतिभा - (जम्हाई लेते हुए) जब आप कुछ कर ही नहीं सकते.... तो अपना नींद क्यूँ ख़राब कर रहे हैं... चलिए... मुझे सोना है... (तापस कुछ कहना चाहता है) नहीं.... कुछ भी नहीं.... मैं कुछ भी नहीं... सुनना चाहती हूँ.... आप सो जाइए... जब नींद पूरी हो जाए.... तब हम बात करेंगे...

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अगली सुबह
वीर तैयार हो कर नाश्ते के लिए डायनिंग रूम में आता है l डायनिंग टेबल पर सिर्फ पिनाक सिंह अकेला बैठा हुआ है l

पिनाक - गुड मॉर्निंग... राजकुमार....
वीर - गुड मॉर्निंग...

डायनिंग टेबल पर आकर बैठता है l नौकर आकर नाश्ता परोसते हैं l

वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी... आप इतनी सुबह सुबह... अपनी नींद खराब कर नाश्ते के टेबल पर... थोड़े परेशान दिख रहे हैं.... कहीं बड़े राजा... सिधार तो नहीं गए...
पिनाक - शुभ शुभ बोलिए... राजकुमार जी...लंबी उम्र है उनकी... भगवान उन्हें शतायु करें....
वीर - जब कुछ हुआ ही नहीं है... तो आप परेशान क्यूँ हैं....
पिनाक - वह हम सुबह सुबह... युवराज जी को गाड़ी लेकर यहाँ से जाते हुए देखा...
वीर - वह युवराज हैं... क्या इतना भी उनका.. हक़ नहीं....
पिनाक - नहीं ऐसी बात नहीं है... हमे लगा... शायद उन्हें... रंगमहल जाना... पसंद नहीं है...
वीर - उनका सुबह सुबह यहाँ से जाना... और रंगमहल क्या संबंध...
पिनाक - नहीं... हम कल जब... फोन पर जानकारी दी... तो कुछ नहीं कहा.... और कल शाम को भी पूछे थे... पर उनमें ना उत्साह... दिखा... ना ही कोई आग्रह....
वीर - तो पसंद नहीं होगा... इसमे आप को क्या परेशानी है...
पिनाक - हम कुछ दिनों से देख रहे हैं... वह कुछ खोए खोए से रहते हैं.... आप उनके करीब हैं... हमे लगा आपको बताया होगा....
वीर - हाँ... बताया है...
पिनाक - क्या... क्या बताया उन्होंने....
वीर - यही... के... शायद कोई कमसिन नहीं मिलेगी... रंगमहल में... इस बात का दुख है....
पिनाक - यह क्या बकवास है....
वीर - आपने वजह पूछी... हमने बता दी... अब तो रहम करें.... हमे हमारी नाश्ता पूरी करने दें....
पिनाक - ठीक है....

उधर चेट्टीस् विला में विक्रम पहुंचता है l यश पहले से ही तैयार था l वह बाहर आकर विक्रम से हाथ मिलाता है और अंदर ले जाता है l दोनों आकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं l नौकर आकर उनको प्लेट सर्व करते हैं और नाश्ता लगा देते हैं l

यश - (खाते हुए) हाँ तो युवराज जी... कहिए... अपने इस दोस्त से क्या काम पड़ गया....
विक्रम - वह... आपका... ट्रिप कैसा रहा...
यश - ओह... माइंड ब्लोइंग... फैबुलश... (आँख मारते हुए) मज़ा भी बहुत आया....

विक्रम मुस्करा देता है पर कुछ कहता नहीं है

यश - आई एम डैम श्योर.... तुम यह जानने के लिए तो नहीं... आए हो...
विक्रम - हाँ वह... आपका.... मेडिकल कॉलेज है ना...
यश - हाँ है...
विक्रम - क्या अभी एक एडमिशन हो सकता है...
यश - आर यु गॉन म्याड... अभी आधे से ज्यादा सेशन खतम हो चुका है...
विक्रम - वह आप लोगों का... मैनेजमेंट कोटा होता है ना....
यश - हाँ होता है... पर अब....
विक्रम - देखीए ... दोस्ती के नाते फ्री में करने को नहीं कह रहे हैं... दोस्ती के नाते... एक वेकेंट सीट की पुछ रहे हैं.... जिसके बदले में.... हम पेमेंट कर देंगे....
यश - लगता है... किसी खास के लिए... सीट मांग रहे हैं....
विक्रम - मांग नहीं रहे हैं... पूछ रहे हैं... हाँ खास हैं... वह... और हम कोई भी कीमत दे सकते हैं.... फ्री नहीं चाहिए....
यश - ठीक है... अपने यार को... मायूस नहीं भेजेंगे.... जुगाड़ हो जाएगा... मैनेजमेंट कोटा से ही.... एक दो दिन बाद निरोग मेडिकल इंस्टीट्यूट जाइए... और वहाँ गौतम बीषोई नाम का बंदा मिलेगा... उससे बात कीजिएगा... आपका काम हो जाएगा.... युवराज जी..
विक्रम - क्या कल नहीं हो सकता है....
यश - ओह ओ... लगता है... बहुत ही खास है... चलो कोई नहीं... कल ही चले जाइए... मैं... बीषोई को फोन कर देता हूँ....
विक्रम - थैंक्यू दोस्त...
यश - दोस्ती के लिये कुछ भी.... वैसे इतनी जल्दी क्यूँ... पुछ सकता हूँ...
विक्रम - वह... दो दिन बाद.... हम राजगड़ जा रहे हैं... उससे पहले... एक दोस्त हैं... उनको हम यह दोस्ती का तोहफा देना चाहते हैं...
यश - वाव... दोस्ती का तोहफा... वह भी एक मेडिकल सीट...
विक्रम - (मुस्करा देता है) पर रिक्वेस्ट है... यह बात आपके और हमारे बीच रहेगी...
यश - अरे... ज़रूर... दोस्ती के खातिर कुछ भी.... वैसे... अचानक राजगड़ क्यूँ... अभी अभी तो... तुम्हारा... सिक्युरिटी सर्विस शुरू हुई है....
विक्रम - याद है... हमने आपको एक बार कहा था कि... कुछ बातों के लिए... हम एलिजीबल नहीं हैं...
यश - हाँ... वह तुम्हारा... कुछ... रस्म... मतलब कुछ रिचुअल होता है... उसके बाद ना...
विक्रम - हाँ... वही... हम अपनी एलिजीबिलीटी हासिल करने..... जा रहे हैं...
यश - ओ... वाव... कंग्रैचुलेशन... अब मुझे तुम्हारा साथ मिलेगा.. इन फ्यूचर... वैसे.. इस मामले में... मैं मदत कर सकता हूँ...
विक्रम - क्या मतलब... कैसी मदत...
यश - अरे बंधु (आँख मार कर) कुछ टेबलेट्स ले लो... मजा आ जाएगा... वह कैप्शन कंप्लीट हो जाएगा... ब्यूटी एंड बिष्ट... हा हा हा हा...
विक्रम - नहीं दोस्त... नहीं... इस बारे में... बाद में बात करते हैं...


दोनों का नाश्ता खतम हो जाता है l दोनों अपना हाथ धो कर बाहर निकालते हैं l विक्रम अपने कार तक पहुंचता है और यश को थैंक्स कह कर गाड़ी बाहर की ओर बढ़ा देता है l

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व दोपहर के लंच के लिए डायनिंग हॉल पहुंचता है l इस बार भी बड़ी बेसब्री से डैनी को ढूंढता है l क्यूँकी सुबह नाश्ते के लिए भी डैनी आया नहीं था l उसे कोने वाली टेबल पर डैनी दिख जाता है l डैनी दिखते ही विश्व बहुत खुश होता है l विश्व खुशी से लाइन में खड़े होकर थाली में अपना खाना ले रहा है जैसे ही उसकी थाली भर जाती है, परोसने वाला एक कैदी उसे रोक देता है l

कैदी - सुनो... विश्व...
विश्व - (रुक कर) हाँ भाई...
कैदी - आज तुम... डैनी के पास मत जाओ...
विश्व - (हैरानी से) क्यूँ...
कैदी - उधर देखो (अपने आँखों से इशारा करता है, विश्व देखता है एक कैदी बेहोश पड़ा हुआ है) वह कल्लू... उसकी कुछ गलती भी नहीं थी... बस टकरा गया था... डैनी से... डैनी ने एक लाफा बदले में... चिपका दिया... बेचारा... एक ही लाफे में ही... बेहोश हो गया....
विश्व - क्या... वह मर गया क्या...
कैदी - अरे नहीं... लाफा इतना झन्नाटेदार था... बेचारे का मूत निकल गया... और वहीँ सो गया....
विश्व - डैनी भाई... को... किसी पर गुस्सा होते कभी देखा नहीं है.... फ़िर अचानक....
कैदी - देखो... मेरे को नहीं पता... पर इतना मालुम है... डैनी भाई का मुड़... दो दिनों से खराब है.... इसलिए सारे कैदी... यहाँ पर... उनसे... दूरी बनाए हुए हैं... तुम भी आज उनसे दूर ही रहो....
विश्व - अरे... ऐसे कैसे.... हो सकता है... वह अकेला महसुस कर रहे हों...
कैदी - अब मैंने... तुमको समझा दिया... किसीको बैल आकर सिंग मारे तो समझ में आता है... पर अपना माथा बैल की सिंग से लड़ाए... ऐसा तुमको पहली बार देख रहा हूँ....
विश्व - आ.. ह... कोई बात नहीं... अगर उनको कुछ दुख है... तो पुछ लेने से... उनका दुख हल्का हो जाएगा....
कैदी - जा भाई जा... इतनी देर से... मैं भैंस के आगे बीन बजा रहा था... जा...

विश्व अपना थाली लेकर डैनी के सामने बैठता है l डैनी विश्व को देखता भी नहीं, अपना निवाला मुहँ मे डालता है और सर नीचे कर चबाकर खाता है l विश्व थोड़ा असमंजस में है के बात करे या नहीं l कुछ सोचने के बाद

विश्व - डैनी भाई... आज आप तीन दिन बाद दिखे हो... ठीक तो हो ना आप....
डैनी - (गुस्से से विश्व को देखता है) क्यूँ बे... तुझे मैं... बीमार दिख रहा हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... बस ऐसे ही... आप को तीन दिनों से देखा नहीं था.... इसलिए...
डैनी - क्यूँ... तु... मेरा... मरद लगता है...
विश्व - ओ.. (उठने को होता है)
डैनी - अब उठ के.... जा कहाँ रहा है....
विश्व - वह आपका... शायद मुड़ ठीक नहीं है....
डैनी - यह मुड़ होता क्या है बे... जो ठीक या खराब होता है.... अब चुप चाप यहाँ बैठ... और अपना खाना खाकर निकल....

विश्व बैठ जाता है, और सोचता है अब डैनी से बात नहीं करेगा l डैनी का गुस्सा उतरने के बाद वह बाद में बात करेगा l ऐसा सोच कर विश्व अपना खाना खाने लगता है l

डैनी - तुझे कुछ दिनों से हीरो क्या बुलाया.... खुद को सच में हीरो समझने लगा है क्या...

विश्व खांसने लगता है l डैनी उसको पानी का ग्लास देता है l पानी का एक घूंट पीने के बाद विश्व की खांसी रुक जाती है l


डैनी - सच बोला तो खांसी निकल गई... तुने सोच भी कैसे किया बे... मेरे बराबर बैठ रहा है... तो मेरा ग़म हल्का करेगा... (विश्व फ़िर से उठने लगता है) अबे बैठ... उठा तो... यहीं पटक पटक कर मरूंगा... (विश्व बैठ जाता है) हा हा हा हा... देखा मार के नाम पर कैसे फट गई तेरी.... हा हा हा हा... देखो रे इसको... कैसी फटी हुई जुती की तरह शक्ल बनी हुई है.... हा हा हा (अब सारे कैदी भी हँसते हैं, विश्व अपना थाली लिए उठ जाता है) बोला ना बैठ (गुर्राते हुए) साले मेरी इंक्वायरी करता है... सुपरिटेंडेंट के पास... भोषड़ी के... तेरी मदत को उंगली क्या पकड़ाया.... तु तो मेरे कंधे पर बैठ कर... मेरे ही कान में मूतने लगा.... (विश्व की आंखे नम हो जाती है, दो बूंद आँसू टपक पड़ते हैं) लो.. यह देखो... अब यह मर्द दर्द के मारे रोने लग गया.... क्यूँ बे... सिर्फ़ रोना धोना ही आता है... या कुछ और भी.... कमीने... हराम खोर... इतनी एनर्जी खतम की... तेरे में... कोई बदलाव नहीं आया... साले रोंदुड़ु... अगर रो रहा है... तो सबके सामने नहीं.... जा किसी कोने में... अपना मुहँ छुपा कर रो... कम से कम... यहाँ लोगों में यह भरम तो रहे... के उनके बीच कोई मर्द है.... वरना... औरतों वाली सभी गुण फुट कर निकल रहे हैं....

विश्व अपने हाथों से आखों से बहते आँसू पोछता है l और डैनी के तरफ गुस्से से देखता है l

डैनी - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अबे... तुने रंगा की मारी थी.... वह भी अंधेरे में... सामने देख... डैनी... डैनी... इसलिए नजरें नीची कर... वरना हराम खोर... फ़िर किसी को आँख दिखाने के लायक भी नहीं रहेगा...

विश्व - बस... (चिल्ला कर) डैनी साहब बस... एक मदत क्या करदी आपने मेरी... मेरा सर नहीं खरीद लिया है आपने.... हाँ आँसू आए मेरे आँखों में... क्यूंकि अपना माना था आपको... हाँ थोड़ा जज्बाती हूँ... इसलिए आपका कहा... जितना हो सका... बर्दाश्त किया... पर अब नहीं... बस...अगर आपको मेरा यहाँ रहना पसंद नहीं.... ठीक है... मैं चला जाता हूँ... पर गाली नहीं.... गाली नहीं....
डैनी - वाह (ताली मारते हुए) वाह... अब गूंगे भी बोलने लगे हैं वाह... अबे चुगल खोर... सुपरिटेंडेंट के गोदी में... पाड़ने वाले.... गाली ही दी है... तुझ जैसे हरामी को... पटक पटक कर कुत्ते की तरह.... दौड़ा कर मारना चाहिए था.... यह तो मेरा बड़प्पन है... जो कुछ गालियों से... अपना गुस्सा शांत कर रहा हूँ....
विश्व - (अपना थाली नीचे फेंक कर) तो मारीए ना.... यह नाटक क्यूँ...
डैनी - अबे... मैं डैनी हूँ... डैनी... आदमी को देख कर समझ जाता हूँ... किसे मारने के लिए... कौनसा हथियार चाहिए... तुझ जैसे चूहे दिल वाले... छछूंदर को मारने के लिए.... गाली काफी है... वैसे भी मैं बहुत साफ सुतरा कैदी हूँ.... मक्खी मार कर... थोड़े ना हाथ गंदे करने हैं...
विश्व - (चिल्ला कर) बस डैनी साहब बस... कहीं मेरा सब्र... ज़वाब ना दे...
डैनी - अच्छा.... यह देखो भाइयों.... इससे सावधान रहना... क्यूँ के.. जब इसका सब्र ज़वाब दे देगा... यह झट से... अपनी दीदी से मांग कर... चूडी पहन लेगा...
हा हा हा हा...

डैनी के साथ वहाँ मौजूद सभी ठहाके लगाने लगते हैं, विश्व गुस्से से थर्रा जाता है l वह आगे बढ़ता है और डैनी को अपने तरफ घुमाता है, इससे पहले के डैनी कुछ समझ पाए विश्व पूरी ताकत से डैनी के चेहरे पर एक ज़ोरदार घुसा जड़ देता है l घुसे के प्रभाव ही ऐसा था कि डैनी जैसा आदमी पांच कदम दूर गिरता है l अचानक सबकी हँसी रुक जाती है l क्यूँकी किसी ने भी कल्पना तक नहीं की थी के कोई डैनी पर हाथ उठा सकता है l डैनी भी जवाब देने उठता है पर उसके नाक से खून की धार छूटने लगती है l वह खून अपने नाक से पोंछ कर कभी अपने हाथ में लगे खून को देखता तो कभी विश्व को
Jabardast Updatee

Yeh Danny aisa behave jarur Vishwa ko train karne ke liye hi kar raha hai. Vishwa iss waqt ek emotional fool hai. Danny jarur usko iss weakness se bahar nikalne ke liye hi aisa kar raha hai.
 

parkas

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दो दिन बाद
विक्रम अपनी गाड़ी से उतरता है lआज बहुत दिनों बाद कॉलेज में आया है l गाड़ी से उतर कर पहले एक अंगड़ाई लेता है फिर अपने क्लास की ओर निकालता है l रास्ते में कुछ लड़कियाँ उसे देख कर आहें भर रही हैं जो विक्रम को साफ सुनाई देती है l यूहीं अपनी क्लास की जाते जाते रास्ते पर देखता है विनय और उसके चमचे एक लड़की को छेड़ रहे हैं l विक्रम सीधे उनके पास जाता है l विनय विक्रम को देख कर लड़की को छेड़ना बंद कर देता है l विक्रम आकर वहाँ खड़ा हो जाता है और विनय को घूर कर देखने लगता है l लड़की चली जाती है l लड़की के जाते ही विक्रम एक चांटा रसीद कर देता है l विनय और उसके चमचों को सांप सूँघ जाता है l

विक्रम - भोषड़ी के... अब मैं यहाँ का... प्रेसिडेंट हूँ... मेरे राज में... तुझे इन सब की इजाज़त नहीं है... अगर दुबारा ऐसी ओछी हरकत करते पाया गया.... तो तु...
विनय - समझ गया.... युवराज... मैं समझ गया... आगे से आपको यहाँ कभी... आपको दीखूँगा... भी नहीं...
विक्रम - दफा हो जा यहाँ से...

विनय और उसके चमचे वहाँ से भाग जाते हैं l विक्रम अपनी क्लास की ओर बढ़ता है और जैसे ही क्लास रूम के एंट्रेंस पहुंचता है, तभी उसकी फोन बजने लगता है l फोन के डिस्प्ले पर बेताल नाम फ्लैश हो रहा है l विक्रम बेताल नाम देख कर हँस देता है l


विक्रम - राजकुमार... आप भी ना... (फोन उठा कर) हाँ बेताल... वह वह... मेरा मतलब है... शू.. शुभ्रा जी...(बात करते करते बाहर की ओर चल देता है)
शुभ्रा - क्या बेताल.... हाँ...
विक्रम - स... सॉरी सॉरी... वह... हमारे छोटे भाई ने शरारत की है.... उन्होंने आपका नाम... बदल कर... बेताल के नाम से सेव कर दिया था.... मुझे मालुम ही नहीं हुआ... और ध्यान भी नहीं रहा... इसलिए मेरे मुहँ से गलती से... निकल गया....
शुभ्रा - (खिलखिला कर हँसती है) अरे वाह.... मतलब... आपके छोटे भाई... बड़े मजाकिया हैं... वैसे ध्यान कहाँ था... कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं...
विक्रम - हाँ... क्या... य.. यह क्या कह रहे हैं...
शुभ्रा - अरे अरे अरे... आप ऐसे हकला क्यूँ जाते हैं....
विक्रम - जी मैं... वह... खैर छोड़ीए... वैसे... इस वक्त... अचानक... आपने हमें क्यूँ फोन किया....
शुभ्रा - अरे... क्या बात कर रहे हैं.... आप तो... इंटर कॉलेज... हीरो बन गए हैं... आपने कारनामें किए नहीं के... चर्चे सारे सहर में होने लगे हैं...
विक्रम - (हैरानी से)कारनामे... चर्चे.. किस बात के... हमने किया क्या है...
शुभ्रा - अररे... शांत... शांत.... अभी अभी आपने... एक्स प्रेसीडेंट की ठुकाई की... एक लड़की को... बचाया है... बस इतने में ही.. आप तो... टॉक ऑफ द टाउन हो गए...
विक्रम - अच्छा वह... क्या... अभी तो एक मिनट भी नहीं हुआ है... और...
शुभ्रा - तभी तो कहा... आपके चर्चे... अब सहर में... होने लगे हैं...
विक्रम - ओ... तो क्या... आप हमसे... इंप्रेस्ड हैं... अगर हैं.. तो उसके लिए... थैंक्यू...
शुभ्रा - इट्स ओके... इट्स
ओके... इसका मतलब... यह हुआ कि... हमने आपको... चुन कर गलत नहीं किया है...
विक्रम - (चेहरे पर मुस्कराहट उभर जाती है) कोई शक़....
शुभ्रा कुछ कहती नहीं है
विक्रम - हैलो...... हैलो...

विक्रम मोबाइल देखता है, फोन कट चुका है l विक्रम के चेहरे पर मुस्कराहट और गहरी हो जाती है, खुशी की खुमार दिख रही है l वह उसी खुमारी में फिर क्लास तक पहुंचा ही था कि फोन फ़िर से बजने लगता है l वह खुशी से फोन निकाल कर देखता है तो उसके चेहरे से हँसी और खुशी दोनों गायब हो जाती है l

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सेंट्रल जैल
भुवनेश्वर
डाइनिंग हॉल
उस दिन के बाद विश्व की डैनी से मुलाकात नहीं हो पाया है l विश्व हैरान है हमेशा खाने के समय विश्व को डायनिंग हॉल में डैनी मिल जाता था पर दो दिन बीत चुका है डैनी उसे नहीं दिखा है l विश्व को समझ में नहीं आता डैनी के बारे में पूछे तो पूछे किससे l नाश्ता खतम कर वह सीधे ऑफिस पहुंचता है और तापस के चेंबर की ओर जाता है l चेंबर के बाहर जगन बैठा हुआ मिलता है l विश्व उसके हाथों खबर भिजवाता है l जगन बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को बोलता है l

विश्व - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ....
तापस - आओ विश्व आओ...बैठो
(विश्व बैठता है) बाय द वे.. कंग्रैचुलेशन... तुम्हारा... रेगुलर फॉर्मेट में... ग्रैजुएशन का सपना पुरा हो रहा है...
विश्व - थैंक्यू... सर...
तापस - तो भई अब यहाँ... क्यूँ आए हो... तुम्हारे काम करने के लिए तो बड़े बड़े डॉन तैयार बैठे हैं...
विश्व - सर वह मैं... असल में... डैनी जी... मुझे दो दिन से... नहीं दिख रहे हैं... मैं उनके बारे में... पूछने आया था....
तापस - ओ... तो अपने मददगार के... बारे में जानने आए हो...
विश्व - जी....
तापस - देखो विश्व... वह... यहाँ... रीकमेंडेड स्टे में है... वह यहाँ कैदी कम.... टूरिस्ट ज्यादा है... दो दिन हो गए.... वह अपनी सेल में... खाना मंगवा कर कहा रहा है...
विश्व - क्यूँ... उनकी तबीयत ठीक नहीं है... क्या....
तापस - बिलकुल ठीक है... कुछ नहीं हुआ है... अब वह दो दिन से... अपने मांद से... क्यूँ नहीं बाहर आ रहा है... वह वही जाने...
विश्व - ठीक है सर... (उठता है) चलता हूँ. है...
तापस - रुको विश्व... बैठो.... मुझे तुमसे... कुछ बात करनी है...
विश्व - (बैठ कर) मुझसे....
तापस - हाँ... तुमसे...
विश्व - जी कहिए...
तापस - पहली बात... आइ एम सॉरी... तुमने मुझसे मदत मांगी... पर मैं कर नहीं पाया...
विश्व - कोई बात नहीं.. सर..
तापस - पर अब मैं जो कहूँगा... तुम उसका बुरा मत माँगना.... प्लीज...
विश्व - जी कहिए....
तापस - देखो विश्व... डिस्टेंस एजुकेशन में... किसी भी फॉर्मेट में... डिग्री की वैल्यू वही रहती है.... फ़िर तुमने... यह रेगुलर फॉर्मेट में... डिग्री करने की जिद क्यूँ की....
विश्व - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) सर... आपको शायद नहीं मालुम.... पर एक कडवा सच यह है कि... राजगड़ में... क्षेत्रपाल परिवार को छोड़... किसी के पास... ग्रैजुएट डिग्री नहीं है....
तापस - व्हाट...
विश्व - जी सर... इसलिए यह मेरी जिद है... की मैं... रेगुलर फॉर्मेट में डिग्री हासिल करूँ...
तापस - ओ... पर... डैनी जैसे... मुजरिम के मदत से...
विश्व - हाथ तो... मैंने भी आपके तरफ.... मदत के लिए बढ़ाया ही था.... पर आपके पास... मेरे लिए सॉरी था....
तापस - ठीक है... मैं अपनी गलती मानता हूँ... पर डैनी जैसे लोग.... समाज के कोढ़ होते हैं... जिसे समाज स्वीकार नहीं करती...
विश्व - कोढ़ तो मैं भी हूँ... क्या समाज मेरी सजा खतम होने के बाद... मुझे स्वीकार करेगा...

तापस कुछ कह नहीं पाता एक ग्लानी सा मन में महसुस करता है l विश्व उसके मन की दुविधा को समझ जाता है l

विश्व - सर आप खुद को दोषी ना समझे... मैं जानता हूँ... समझ सकता हूँ... जयंत सर जी के साथ जो हादसा हुआ... मेरे लिए कोई आगे नहीं आता... तो मैंने अपना राह चुन लीआ है... आप खुद को दोषी ना समझे...

विश्व कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर जाने लगता है पर अचानक रुक जाता है

विश्व -ज़माने से यह पैगाम हमारे नाम आया
ना समाज मेरा ना मैं समाज का काम आया
सबने साथ छोड़ा,
भाग्य, भगवान और साया
राह मंजिल में हमारा ऐसा भी मुक़ाम आया
क्या हुआ जब कोई कोढ़ी काम आया

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रात को सबके सो जाने के बाद विक्रम छत पर आता है l आसमान में बादलों के ओट में चांद चमक रहा है l चांद की रौशनी में नहाया हुआ हर मंजर को निहारता हुआ विक्रम छत पर खड़ा हो जाता है l वह कुदरती नजारों में खोया हुआ है कि उसे महसूस होता है कोई उसके पास आकर खड़ा हो गया l विक्रम झट से पलट कर देखता है तो वीर खड़ा है l

विक्रम - राजकुमार... आप सोये नहीं....
वीर - नहीं.. नहीं सोये... नींद नहीं आ रही थी... पर... आप किस खुशी में जागे हुए हैं....
विक्रम - कुछ नहीं... हमे भी नींद नहीं आ रही है... इसलिए...
वीर - ह्म्म्म्म... वाकई... आपको कैसे नींद आएगी... आपको राजगड़ जो बुलाया गया है... इसलिए... खुशी के मारे आपको नींद नहीं आ रही है....
विक्रम - (चिढ़ कर) इसमें खुशी वाली... बात क्या है...
वीर - क्यूँ... इस बार... आपका रंग महल प्रवेश जो होने वाला है...
विक्रम - (चिढ़ते हुए) तो आपको... इसी खुशी में... नींद नहीं आ रही है...
वीर - खुशी नहीं... दुख है...
विक्रम - कैसा दुख...
वीर - यही... आप रंग महल में जाने के लिए... दो साल लेट हो गए.... और हमे.... अभी एक साल इंतजार करना होगा...
विक्रम - बड़ी बेताबी है... रंगमहल जाने के लिए....
वीर - क्यूँ ना हो.... रंग महल में प्रवेश के बाद... हम पूरी तरह से... क्षेत्रपाल बन जाएंगे... तब बंदिशें कम होंगी... और बहुत कुछ करने की आज़ादी होगी... हमारे पास....

विक्रम वीर से कुछ नहीं कहता है l मुहँ फ़ेर कर आसमान की ओर देखने लगता है l

वीर - वैसे... भाभी जी से... बात आपने कहाँ तक बढ़ाई है....
विक्रम - हम खुद को... रोकने की बहुत कोशिश कर रहे हैं.... राजकुमार पर...
वीर - अच्छी बात है... पर आप खुद को रोक नहीं पा रहे हैं... हमने देखा कि... फंक्शन के दिन आप उन्हें लेकर... खाने की स्टॉल की ओर ले गए थे....
विक्रम - हमने कहा ना... हम खुद को रोकने की कोशिश... कर रहे हैं...
वीर - इतनी भी क्या बेबसी है....
विक्रम - आपकी सोच... आपकी उम्र से कहीं आगे जरूर है... पर जिस दिन आपको किसीसे मुहब्बत हो जाएगा... उस दिन यह बेबसी यह तड़प समझ में आएगा....
वीर - ना... हम उस दुनिया से कोई ताल्लुक़ ही नहीं रखना चाहते.... जो इस तरह की थ्योरी पर चलती हो.... चाहे रिस्ता हो या दुनियादारी.... हम प्रैक्टिकल थे... हैं और रहेंगे...

विक्रम हँसता है और अपना मुहँ फ़ेर लेता है l

वीर - आप जिसे प्यार कहते हैं... साइंस में उसे कुछ... हॉर्मोन फ्लो कहते हैं... जिसके वजह से... इस तरह की बीमारी लग जाती है... फटाल अट्राक्सन कहते हैं.... विस्तर पर ले कर चले जाने से...... सिर्फ़ पांच मिनट में....बीमारी खतम हो जाता है....
विक्रम - (चिल्लाते हुए) राजकुमार... (हाथ उठाता है मारने के लिए पर रोक लेता है)
वीर - (यह देख कर मुस्कराता है) श् श् श् श्.... युवराज... आपके चिल्लाने से... हो सकता है... छोटे राजा जी यहाँ छत पर आ जाएं....
विक्रम - राजकुमार जी (दांत पिसते हुए धीरे धीरे) आप बहुत कड़वी बातें करते हैं... कलेजा छलनी हो जा रहा है... मेरी मज़बूरी... मेरी बेबसी आपको तब समझ में आएगा... जिस दिन आपको मुहब्बत हो जाएगा...
वीर - हाँ अभी थोड़ी देर पहले.... अपने कहा था... दोहरा क्यूँ रहा है...
विक्रम - मेरी मुहब्बत.... आपको मज़ाक लग रहा है....
वीर - हा हा हा हा (हँसने लगता है) युवराज जी... मुहब्बत और मौत में कोई फर्क़ नहीं होता.... आप कितना दम भर रहे हो.... अपनी मुहब्बत का.... क्या उस लड़की को आपसे मुहब्बत है.... (विक्रम वीर की ओर देखने लगता है) नहीं होगी.... अगर होगी भी... तो वह... कच्ची उम्र की अट्राक्शन होगी... (विक्रम वीर को घूरने लगता है) युवराज जी.... हम दावे के साथ कह सकते हैं.... अगर कुछ पल के लिए... आप उस लड़की से दूर चले जाएंगे.... तो वह किसी और को ढूंढ लेगी...
विक्रम - (वीर के गिरेबान को पकड़ कर) कुछ देर तक... आप उन्हें... भाभी कह रहे थे... अब... वह लड़की... इतनी जल्दी मर्यादा भूल गए...
वीर - भुले नहीं हैं... आपको याद दिला रहे हैं... के आप क्षेत्रपाल हैं...
विक्रम - क्षेत्रपाल हैं... तो क्या... किसीसे मुहब्बत नहीं कर सकते.... आप अभी उम्र के.. उस पड़ाव पर नहीं पहुंचे हैं...
वीर - कैसी मुहब्बत... कैसी उम्र... यह किताबी बातेँ हैं... अगर आपको लगता है.... आपको मुहब्बत हो गई है... तो आपको मुबारक... हम अब तक आपको... समझा रहे थे... बाकी आपकी तकदीर... आप इतिहास उठा कर देख लीजिए.... सच्चा प्यार कभी मुकम्मल नहीं होता.... हमेशा अधुरी रह जाती है... चाहे... लैला मजनू हो या सोहनी महीवाल... या केदार गौरी या फ़िर... राधा कृष्ण.... और
रही हमारी बात... तो
अलबत्ता हम किसी से भी... मुहब्बत नहीं करेंगे.... क्यूंकि जिसे पांच मिनट में खतम किया जा सकता है.... उसे हम... जिंदगी भर.. नहीं ढ़ो सकते.... हमने तो फैसला कर लिया है.... हमे राजा साहब जी की तरह बनना है..... उनका रेप्लीका बनना है... और खुदा ना खास्ता.... हमे कभी मुहब्बत हो भी गई... तो वादा रहा... ना हम बेबस होंगे और ना ही... मज़बूर.... शुभ रात्री...

विक्रम को वहीँ छत पर छोड़ कर वीर नीचे अपने कमरे में चला जाता है l विक्रम मन मसोस कर वहीँ खड़ा रह जाता है l कुछ सोचने के बाद विक्रम फोन लगाता है l

विक्रम - हैलो... यश
यश - (नींद में उबासी लेते हुए) हाँ कौन... अरे... युवराज बोलो इतनी रात को क्यूँ फोन किया....
विक्रम - वह मुझे... आपसे थोड़ा.... पर्सनल काम है....
यश - हाँ कहो...
विक्रम - नहीं फोन पर नहीं....
यश - अच्छा.... लगता है... कुछ सिरीयस है... अच्छा कब मिलना चाहते हो....
विक्रम - आप ही बताओ... काम हमारा है...
यश - अरे... यारों के लिए कभी भी... क्या तुम... मेरे साथ कल सुबह का नाश्ता करना... चाहोगे...
विक्रम - श्योर...
यश - तो तय रहा.... कल मैं तुम्हारा... नाश्ते पर इंतजार करूंगा... तुम युनिट थ्री में... चेट्टीस् विला में पहुंच जाओ...
विक्रम - ओके... थैंक्यू... गुड नाइट...
यश - अरे काहे का... थैंक्यू... तुमको भी गुड नाइट....

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प्रतिभा अपने बिस्तर पर करवट बदल कर हाथ बढ़ाती है तो उसकी बगल में उसे तापस नहीं मिलता है l उसकी नींद टुट जाती है l वह झट से उठ जाती है l बेड रुम में उसे तापस नहीं दिखता है l वह उठ कर इधर उधर देखने लगती है, उसे बालकनी में तापस दिख जाता है l बालकनी में तापस खड़े होकर बाहर देख रहा है l प्रतिभा उसके पास जाती है

प्रतिभा - क्या बात है... सेनापति जी... आप सोए नहीं....
तापस - आज... नींद नहीं आ रही है...
प्रतिभा - क्यूँ... क्या.. कोई टेंशन है...
तापस - हाँ... है तो...
प्रतिभा - कैसी टेंशन...

तापस प्रतिभा की तरफ मुड़ता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए

तापस - समाज को हमने... क्या.. योगदान दिया है...
प्रतिभा - क्या... आप यह कैसी बातेँ कर रहे हैं....
तापस - समाज को हमसे क्या फायदा हुआ है....
प्रतिभा - ओह ओ... आप कैसी पहेली पुछ रहे हैं....
तापस - हम भले ही.... समाज का कुछ भला ना कर पाए... पर हम से समाज का कुछ बुरा नहीं होना चाहिए... है ना...
प्रतिभा - यह आपको क्या हो गया है... पहले आप अंदर आइए...

प्रतिभा तापस की हाथ पकड़ कर खिंच कर अंदर बेड पर बिठा देती है l

प्रतिभा - अब बताइए... क्या हुआ है... आप इतना अपसेट क्यूँ हैं...
तापस - पंद्रह दिन पहले... विश्व मेरे पास आया था... अपनी ग्रैजुएशन को रेगुलर फॉर्मेट में... पूरा करना चाहता था... इसके लिए वह मुझसे... मदत भी मांगा....
प्रतिभा - हाँ तो....
तापस - मैंने उसे फॉर्मेट को बदल कर एक बार में... फाइनल एक्जाम देने को बोला... वह तैयार नहीं हुआ.... तो मैंने भी अपनी मज़बूरी बताई.... और मना कर दिया....
प्रतिभा - ओह... पर मना क्यूँ किया आपने....
तापस - तुम समझने की कोशिश करो... जयंत सर जी का... जो हादसा.... उसके बाद... कौन वकील हिम्मत करेगा... विश्व को पैरोल पर छुड़ा कर... एक्जाम के लिए ले जाए... और जैल छोड़ जाए....
प्रतिभा - अच्छा.... हाँ तो यह... जेन्युइन प्रॉब्लम है....
तापस - शायद यही... मेरी ग़लती है... मुझे किसी वकील से बात कर लेनी चाहिए थी....
प्रतिभा - क्यूँ... ऐसा क्या हो गया है.....
तापस - वह अब... डैनी के वकील की मदत से... अपना ग्रैजुएशन पुरा करेगा.....
प्रतिभा - डैनी (कुछ सोचते हुए) यह डैनी वही है ना.... पोलिटिकल गुंडा...
तापस - हाँ... वही है...
प्रतिभा - ठीक है ना... उसमें इतना सोचने की क्या बात है...
तापस - (प्रतिभा की और देखता है) मुझे डर है.... कहीं... विश्व... डैनी की राह पर... निकल ना जाए....
प्रतिभा - ओह... तो.. इस बात ने... आपको परेशान कर रखा है....
तापस - हाँ... भाग्यवान.... अगर वह भटक गया... तो... (बेड से उठ जाता है) जयंत सर की वह चिट्ठी... जानती हो... विश्व से पहले... मैंने पढ़ी थी... चोरी से.... जयंत सर अपना सब कुछ विश्व के लिए... क़ुरबान कर दिया.... पर हम जो समाज में... अच्छे लोगों में... गिने जाते हैं... विश्व ने जब मदत मांगा... तो नहीं कर पाया.... उसकी मदत वह कर रहा है... जो समाज का कोढ़ है...
प्रतिभा - (करीब आकर तापस के कंधे पर हाथ रखकर) तो इस बारे में.... आपको विश्व से बात करनी चाहिए....
तापस - आज बुलाया था... उसे मैंने...
प्रतिभा - तो... क्या हुआ...
तापस - उसने कहा... उसका अब पहला लक्ष... ग्रैजुएशन है... कौन मदत कर रहा है... उससे कोई मतलब नहीं है...
प्रतिभा - अगर वह नहीं समझ रहा... तो आप क्यूँ टेंशन ले रहे हैं...
तापस - तुम समझ क्यूँ नहीं रही हो... हम सब दिल से जानते हैं... वह निर्दोष है... फ़िर भी वह सज़ा भुगत रहा है... कल कहीं... वह मुज़रिम बन गया तो.... मुझे मेरी आत्मा... बार बार पूछेगी... एक मौका था... मैं उसे ज़ुर्म की राह चुनने से रोक सकता था.... पर मैंने रोका नहीं...
प्रतिभा - उसकी जिंदगी है... अगर वह नहीं समझ रहा है... तो आप क्या कर सकते हैं... वैसे भी जहां तक... मुझे जानकारी है... वह... डैनी... एक या डेढ़ साल तक... जैल में रहेगा... विश्व तो... और भी पांच साल रहेगा.... इन पांच सालों में... हो सकता है... विश्व... डैनी को भुल जाए...
तापस - भगवान करे ऐसा ही हो.... वरना... तुम नहीं जानती... डैनी क्या चीज़ है...
प्रतिभा - एक गुंडा ही तो है...
तापस - (फीकी हँसी हँसते हुए) एक गुंडा... जिसकी हिफाज़त और जी हजूरी... सिस्टम करती है.... जिसको कई राज्यों में.... राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है.... वह जैल में रह कर भी... अपना धंधा... बड़े आराम से चला रहा है...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ... भाग्यवान... विश्व की मदत कर रहा है... डैनी जैसे मुजरिम के लिए... यह इंसानियत तो... नहीं हो सकती.... इसके बदले... वह विश्व से... जरूर कुछ ना कुछ चाहेगा ही....
प्रतिभा - ठीक है... आपकी बात मान भी लूँ... तो सवाल है... डैनी विश्व की मदत क्यूँ कर रहा है...
तापस - कुछ लोग... डैनी को मारने जैल में आए थे.... विश्व को भनक लग गई... उसने ना सिर्फ़ डैनी को आगाह किया था.... बल्कि एक बार बचाया भी था.... बदले में डैनी.... उसकी मदत कर रहा है....
प्रतिभा - ओ... तो यह गिव एंड टेक सेटलमेंट है.... आप तो खामख्वाह परेशान हो रहे हैं....
तापस - जहां तक मैं जानता हूँ.... डैनी... उसी की ही मदत करता है... जिससे कुछ वापस पाना हो.... मुझे कुछ करना होगा...
प्रतिभा - (जम्हाई लेते हुए) जब आप कुछ कर ही नहीं सकते.... तो अपना नींद क्यूँ ख़राब कर रहे हैं... चलिए... मुझे सोना है... (तापस कुछ कहना चाहता है) नहीं.... कुछ भी नहीं.... मैं कुछ भी नहीं... सुनना चाहती हूँ.... आप सो जाइए... जब नींद पूरी हो जाए.... तब हम बात करेंगे...

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अगली सुबह
वीर तैयार हो कर नाश्ते के लिए डायनिंग रूम में आता है l डायनिंग टेबल पर सिर्फ पिनाक सिंह अकेला बैठा हुआ है l

पिनाक - गुड मॉर्निंग... राजकुमार....
वीर - गुड मॉर्निंग...

डायनिंग टेबल पर आकर बैठता है l नौकर आकर नाश्ता परोसते हैं l

वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी... आप इतनी सुबह सुबह... अपनी नींद खराब कर नाश्ते के टेबल पर... थोड़े परेशान दिख रहे हैं.... कहीं बड़े राजा... सिधार तो नहीं गए...
पिनाक - शुभ शुभ बोलिए... राजकुमार जी...लंबी उम्र है उनकी... भगवान उन्हें शतायु करें....
वीर - जब कुछ हुआ ही नहीं है... तो आप परेशान क्यूँ हैं....
पिनाक - वह हम सुबह सुबह... युवराज जी को गाड़ी लेकर यहाँ से जाते हुए देखा...
वीर - वह युवराज हैं... क्या इतना भी उनका.. हक़ नहीं....
पिनाक - नहीं ऐसी बात नहीं है... हमे लगा... शायद उन्हें... रंगमहल जाना... पसंद नहीं है...
वीर - उनका सुबह सुबह यहाँ से जाना... और रंगमहल क्या संबंध...
पिनाक - नहीं... हम कल जब... फोन पर जानकारी दी... तो कुछ नहीं कहा.... और कल शाम को भी पूछे थे... पर उनमें ना उत्साह... दिखा... ना ही कोई आग्रह....
वीर - तो पसंद नहीं होगा... इसमे आप को क्या परेशानी है...
पिनाक - हम कुछ दिनों से देख रहे हैं... वह कुछ खोए खोए से रहते हैं.... आप उनके करीब हैं... हमे लगा आपको बताया होगा....
वीर - हाँ... बताया है...
पिनाक - क्या... क्या बताया उन्होंने....
वीर - यही... के... शायद कोई कमसिन नहीं मिलेगी... रंगमहल में... इस बात का दुख है....
पिनाक - यह क्या बकवास है....
वीर - आपने वजह पूछी... हमने बता दी... अब तो रहम करें.... हमे हमारी नाश्ता पूरी करने दें....
पिनाक - ठीक है....

उधर चेट्टीस् विला में विक्रम पहुंचता है l यश पहले से ही तैयार था l वह बाहर आकर विक्रम से हाथ मिलाता है और अंदर ले जाता है l दोनों आकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं l नौकर आकर उनको प्लेट सर्व करते हैं और नाश्ता लगा देते हैं l

यश - (खाते हुए) हाँ तो युवराज जी... कहिए... अपने इस दोस्त से क्या काम पड़ गया....
विक्रम - वह... आपका... ट्रिप कैसा रहा...
यश - ओह... माइंड ब्लोइंग... फैबुलश... (आँख मारते हुए) मज़ा भी बहुत आया....

विक्रम मुस्करा देता है पर कुछ कहता नहीं है

यश - आई एम डैम श्योर.... तुम यह जानने के लिए तो नहीं... आए हो...
विक्रम - हाँ वह... आपका.... मेडिकल कॉलेज है ना...
यश - हाँ है...
विक्रम - क्या अभी एक एडमिशन हो सकता है...
यश - आर यु गॉन म्याड... अभी आधे से ज्यादा सेशन खतम हो चुका है...
विक्रम - वह आप लोगों का... मैनेजमेंट कोटा होता है ना....
यश - हाँ होता है... पर अब....
विक्रम - देखीए ... दोस्ती के नाते फ्री में करने को नहीं कह रहे हैं... दोस्ती के नाते... एक वेकेंट सीट की पुछ रहे हैं.... जिसके बदले में.... हम पेमेंट कर देंगे....
यश - लगता है... किसी खास के लिए... सीट मांग रहे हैं....
विक्रम - मांग नहीं रहे हैं... पूछ रहे हैं... हाँ खास हैं... वह... और हम कोई भी कीमत दे सकते हैं.... फ्री नहीं चाहिए....
यश - ठीक है... अपने यार को... मायूस नहीं भेजेंगे.... जुगाड़ हो जाएगा... मैनेजमेंट कोटा से ही.... एक दो दिन बाद निरोग मेडिकल इंस्टीट्यूट जाइए... और वहाँ गौतम बीषोई नाम का बंदा मिलेगा... उससे बात कीजिएगा... आपका काम हो जाएगा.... युवराज जी..
विक्रम - क्या कल नहीं हो सकता है....
यश - ओह ओ... लगता है... बहुत ही खास है... चलो कोई नहीं... कल ही चले जाइए... मैं... बीषोई को फोन कर देता हूँ....
विक्रम - थैंक्यू दोस्त...
यश - दोस्ती के लिये कुछ भी.... वैसे इतनी जल्दी क्यूँ... पुछ सकता हूँ...
विक्रम - वह... दो दिन बाद.... हम राजगड़ जा रहे हैं... उससे पहले... एक दोस्त हैं... उनको हम यह दोस्ती का तोहफा देना चाहते हैं...
यश - वाव... दोस्ती का तोहफा... वह भी एक मेडिकल सीट...
विक्रम - (मुस्करा देता है) पर रिक्वेस्ट है... यह बात आपके और हमारे बीच रहेगी...
यश - अरे... ज़रूर... दोस्ती के खातिर कुछ भी.... वैसे... अचानक राजगड़ क्यूँ... अभी अभी तो... तुम्हारा... सिक्युरिटी सर्विस शुरू हुई है....
विक्रम - याद है... हमने आपको एक बार कहा था कि... कुछ बातों के लिए... हम एलिजीबल नहीं हैं...
यश - हाँ... वह तुम्हारा... कुछ... रस्म... मतलब कुछ रिचुअल होता है... उसके बाद ना...
विक्रम - हाँ... वही... हम अपनी एलिजीबिलीटी हासिल करने..... जा रहे हैं...
यश - ओ... वाव... कंग्रैचुलेशन... अब मुझे तुम्हारा साथ मिलेगा.. इन फ्यूचर... वैसे.. इस मामले में... मैं मदत कर सकता हूँ...
विक्रम - क्या मतलब... कैसी मदत...
यश - अरे बंधु (आँख मार कर) कुछ टेबलेट्स ले लो... मजा आ जाएगा... वह कैप्शन कंप्लीट हो जाएगा... ब्यूटी एंड बिष्ट... हा हा हा हा...
विक्रम - नहीं दोस्त... नहीं... इस बारे में... बाद में बात करते हैं...


दोनों का नाश्ता खतम हो जाता है l दोनों अपना हाथ धो कर बाहर निकालते हैं l विक्रम अपने कार तक पहुंचता है और यश को थैंक्स कह कर गाड़ी बाहर की ओर बढ़ा देता है l

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व दोपहर के लंच के लिए डायनिंग हॉल पहुंचता है l इस बार भी बड़ी बेसब्री से डैनी को ढूंढता है l क्यूँकी सुबह नाश्ते के लिए भी डैनी आया नहीं था l उसे कोने वाली टेबल पर डैनी दिख जाता है l डैनी दिखते ही विश्व बहुत खुश होता है l विश्व खुशी से लाइन में खड़े होकर थाली में अपना खाना ले रहा है जैसे ही उसकी थाली भर जाती है, परोसने वाला एक कैदी उसे रोक देता है l

कैदी - सुनो... विश्व...
विश्व - (रुक कर) हाँ भाई...
कैदी - आज तुम... डैनी के पास मत जाओ...
विश्व - (हैरानी से) क्यूँ...
कैदी - उधर देखो (अपने आँखों से इशारा करता है, विश्व देखता है एक कैदी बेहोश पड़ा हुआ है) वह कल्लू... उसकी कुछ गलती भी नहीं थी... बस टकरा गया था... डैनी से... डैनी ने एक लाफा बदले में... चिपका दिया... बेचारा... एक ही लाफे में ही... बेहोश हो गया....
विश्व - क्या... वह मर गया क्या...
कैदी - अरे नहीं... लाफा इतना झन्नाटेदार था... बेचारे का मूत निकल गया... और वहीँ सो गया....
विश्व - डैनी भाई... को... किसी पर गुस्सा होते कभी देखा नहीं है.... फ़िर अचानक....
कैदी - देखो... मेरे को नहीं पता... पर इतना मालुम है... डैनी भाई का मुड़... दो दिनों से खराब है.... इसलिए सारे कैदी... यहाँ पर... उनसे... दूरी बनाए हुए हैं... तुम भी आज उनसे दूर ही रहो....
विश्व - अरे... ऐसे कैसे.... हो सकता है... वह अकेला महसुस कर रहे हों...
कैदी - अब मैंने... तुमको समझा दिया... किसीको बैल आकर सिंग मारे तो समझ में आता है... पर अपना माथा बैल की सिंग से लड़ाए... ऐसा तुमको पहली बार देख रहा हूँ....
विश्व - आ.. ह... कोई बात नहीं... अगर उनको कुछ दुख है... तो पुछ लेने से... उनका दुख हल्का हो जाएगा....
कैदी - जा भाई जा... इतनी देर से... मैं भैंस के आगे बीन बजा रहा था... जा...

विश्व अपना थाली लेकर डैनी के सामने बैठता है l डैनी विश्व को देखता भी नहीं, अपना निवाला मुहँ मे डालता है और सर नीचे कर चबाकर खाता है l विश्व थोड़ा असमंजस में है के बात करे या नहीं l कुछ सोचने के बाद

विश्व - डैनी भाई... आज आप तीन दिन बाद दिखे हो... ठीक तो हो ना आप....
डैनी - (गुस्से से विश्व को देखता है) क्यूँ बे... तुझे मैं... बीमार दिख रहा हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... बस ऐसे ही... आप को तीन दिनों से देखा नहीं था.... इसलिए...
डैनी - क्यूँ... तु... मेरा... मरद लगता है...
विश्व - ओ.. (उठने को होता है)
डैनी - अब उठ के.... जा कहाँ रहा है....
विश्व - वह आपका... शायद मुड़ ठीक नहीं है....
डैनी - यह मुड़ होता क्या है बे... जो ठीक या खराब होता है.... अब चुप चाप यहाँ बैठ... और अपना खाना खाकर निकल....

विश्व बैठ जाता है, और सोचता है अब डैनी से बात नहीं करेगा l डैनी का गुस्सा उतरने के बाद वह बाद में बात करेगा l ऐसा सोच कर विश्व अपना खाना खाने लगता है l

डैनी - तुझे कुछ दिनों से हीरो क्या बुलाया.... खुद को सच में हीरो समझने लगा है क्या...

विश्व खांसने लगता है l डैनी उसको पानी का ग्लास देता है l पानी का एक घूंट पीने के बाद विश्व की खांसी रुक जाती है l


डैनी - सच बोला तो खांसी निकल गई... तुने सोच भी कैसे किया बे... मेरे बराबर बैठ रहा है... तो मेरा ग़म हल्का करेगा... (विश्व फ़िर से उठने लगता है) अबे बैठ... उठा तो... यहीं पटक पटक कर मरूंगा... (विश्व बैठ जाता है) हा हा हा हा... देखा मार के नाम पर कैसे फट गई तेरी.... हा हा हा हा... देखो रे इसको... कैसी फटी हुई जुती की तरह शक्ल बनी हुई है.... हा हा हा (अब सारे कैदी भी हँसते हैं, विश्व अपना थाली लिए उठ जाता है) बोला ना बैठ (गुर्राते हुए) साले मेरी इंक्वायरी करता है... सुपरिटेंडेंट के पास... भोषड़ी के... तेरी मदत को उंगली क्या पकड़ाया.... तु तो मेरे कंधे पर बैठ कर... मेरे ही कान में मूतने लगा.... (विश्व की आंखे नम हो जाती है, दो बूंद आँसू टपक पड़ते हैं) लो.. यह देखो... अब यह मर्द दर्द के मारे रोने लग गया.... क्यूँ बे... सिर्फ़ रोना धोना ही आता है... या कुछ और भी.... कमीने... हराम खोर... इतनी एनर्जी खतम की... तेरे में... कोई बदलाव नहीं आया... साले रोंदुड़ु... अगर रो रहा है... तो सबके सामने नहीं.... जा किसी कोने में... अपना मुहँ छुपा कर रो... कम से कम... यहाँ लोगों में यह भरम तो रहे... के उनके बीच कोई मर्द है.... वरना... औरतों वाली सभी गुण फुट कर निकल रहे हैं....

विश्व अपने हाथों से आखों से बहते आँसू पोछता है l और डैनी के तरफ गुस्से से देखता है l

डैनी - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अबे... तुने रंगा की मारी थी.... वह भी अंधेरे में... सामने देख... डैनी... डैनी... इसलिए नजरें नीची कर... वरना हराम खोर... फ़िर किसी को आँख दिखाने के लायक भी नहीं रहेगा...

विश्व - बस... (चिल्ला कर) डैनी साहब बस... एक मदत क्या करदी आपने मेरी... मेरा सर नहीं खरीद लिया है आपने.... हाँ आँसू आए मेरे आँखों में... क्यूंकि अपना माना था आपको... हाँ थोड़ा जज्बाती हूँ... इसलिए आपका कहा... जितना हो सका... बर्दाश्त किया... पर अब नहीं... बस...अगर आपको मेरा यहाँ रहना पसंद नहीं.... ठीक है... मैं चला जाता हूँ... पर गाली नहीं.... गाली नहीं....
डैनी - वाह (ताली मारते हुए) वाह... अब गूंगे भी बोलने लगे हैं वाह... अबे चुगल खोर... सुपरिटेंडेंट के गोदी में... पाड़ने वाले.... गाली ही दी है... तुझ जैसे हरामी को... पटक पटक कर कुत्ते की तरह.... दौड़ा कर मारना चाहिए था.... यह तो मेरा बड़प्पन है... जो कुछ गालियों से... अपना गुस्सा शांत कर रहा हूँ....
विश्व - (अपना थाली नीचे फेंक कर) तो मारीए ना.... यह नाटक क्यूँ...
डैनी - अबे... मैं डैनी हूँ... डैनी... आदमी को देख कर समझ जाता हूँ... किसे मारने के लिए... कौनसा हथियार चाहिए... तुझ जैसे चूहे दिल वाले... छछूंदर को मारने के लिए.... गाली काफी है... वैसे भी मैं बहुत साफ सुतरा कैदी हूँ.... मक्खी मार कर... थोड़े ना हाथ गंदे करने हैं...
विश्व - (चिल्ला कर) बस डैनी साहब बस... कहीं मेरा सब्र... ज़वाब ना दे...
डैनी - अच्छा.... यह देखो भाइयों.... इससे सावधान रहना... क्यूँ के.. जब इसका सब्र ज़वाब दे देगा... यह झट से... अपनी दीदी से मांग कर... चूडी पहन लेगा...
हा हा हा हा...

डैनी के साथ वहाँ मौजूद सभी ठहाके लगाने लगते हैं, विश्व गुस्से से थर्रा जाता है l वह आगे बढ़ता है और डैनी को अपने तरफ घुमाता है, इससे पहले के डैनी कुछ समझ पाए विश्व पूरी ताकत से डैनी के चेहरे पर एक ज़ोरदार घुसा जड़ देता है l घुसे के प्रभाव ही ऐसा था कि डैनी जैसा आदमी पांच कदम दूर गिरता है l अचानक सबकी हँसी रुक जाती है l क्यूँकी किसी ने भी कल्पना तक नहीं की थी के कोई डैनी पर हाथ उठा सकता है l डैनी भी जवाब देने उठता है पर उसके नाक से खून की धार छूटने लगती है l वह खून अपने नाक से पोंछ कर कभी अपने हाथ में लगे खून को देखता तो कभी विश्व को
Nice and beautiful update....
 

Kala Nag

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Jabardast Updatee

Yeh Danny aisa behave jarur Vishwa ko train karne ke liye hi kar raha hai. Vishwa iss waqt ek emotional fool hai. Danny jarur usko iss weakness se bahar nikalne ke liye hi aisa kar raha hai.
👌👌👌
 

Kala Nag

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