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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag

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👉बयालीसवां अपडेट
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विक्रम अपना घड़ी देखता है शाम के पांच बजे हैं l दो पहर से यहाँ पर है अब सूरज डूबने में और भी व्यक्त है l
मुंडुली की रेतीली पठार पर गाड़ी से निकल कर ढलते हुए सूरज का नज़ारा करता है l शाम बढ़ने के साथ साथ सुरज की तेज़ और रौशनी मद्धिम हो रहे हैं l सुरज की लाली से बादलों ने खुद को रंग लिया है दूर बहुत दूर पश्चिम के क्षितिज का यह यह दृश्य महानदी के बहते पानी में प्रतिबिंबित हो कर शाम को और भी खूबसूरत बना दिया है l

विक्रम के मुहँ से आख़िर निकल ही जाता है - वाह कितना खूबसूरत मंज़र है....
-हाँ सच कहा... वाकई... बहुत ही खूबसूरत नज़ारा है...

आवाज़ सुन कर विक्रम पलट कर देखता है l उसके चंद कदम दूर शुभ्रा खड़ी है l एक सफ़ेद रंग की सलवार कमीज पर काली और हरे रंग की कारीगरी में ऐसी लग रही है जैसे शिप में चमकती मोती, हाँ बिल्कुल मोती की तरह ही दिख रही है l जुल्फें खुले हुए पर बाएं कंधे से सरक कर आगे पेट तक आई हुई है l दाएं कान में सफेद इयर रिंग पर बिल्कुल उसके कपड़ों की तरह डिजाईन बनी हुई है l शुभ्रा विक्रम को एक परी के समान प्रतीत हो रही है, उसकी खूबसूरती को निहारते एकदम खो सा जाता है l

शुभ्रा - (विक्रम के पास आकर उसके आँखों के सामने चुटकी बजाकर) हैलो...
विक्रम - (अपनी सोच से बाहर निकलता है) हाँ.. हाँ...
शुभ्रा - कहाँ खो गए....
विक्रम- वह... वह... कितनी खूबसूरत.... मतलब यह शाम का वह डूबते सुरज का... नज़ारा....
शुभ्रा - पर आप... सुरज की ओर तो नहीं देख रहे हैं...
विक्रम - सुरज मुखी को देख रहा था....
शुभ्रा - क्या.... कहाँ है...
विक्रम - वह... मतलब... वैसे... बड़ी देर लगा दी आपने....
शुभ्रा - अच्छा.... पर अपने तो... सुरज डूबने से पहले... आने को कहा था.... और सुरज डुबा नहीं है.... देखा... हम वक्त के... कितने पाबंद है....
विक्रम - वह तो है...
शुभ्रा - (अचानक गुस्से में, चिल्ला कर) क्या है.... आपको पता है.... मेरे पापा... मिनिस्टर हैं... और उनकी रेपुटेशन के वजह से... मैं गार्ड्स के बीच घिरी रहती हुँ... फिर भी आपने मुझे अकेले में... बुलाया.... क्या किया आपने... मोबाइल पर... लोकेशन शेयर... कर दी... और आने के लिए कह भी दिया.... अगर मैं आज ना... पाई होती... तो.... ओह गॉड... आप जानते हैं... मेरी ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है.... फिर भी... अपनी सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ आ पहुंची हुँ.... रास्ते में पकड़ीभी जा सकती थी...

विक्रम शुभ्रा का यह रूप देख कर सकपका जाता है l शुभ्रा जिस तरह उसके ऊपर बरस रही है, विक्रम की हालत भीगी बिल्ली जैसी हो जाती है l
शुभ्रा - (गहरी और तेजी से सांस लेती हुई) ओह... ऊफ... आह... जानते हैं... कितनी स्केच बनाना पड़ा... तब जाकर... मैं यहाँ आई... मतलब... आ.. ह.. ह यहाँ आ पाई....

इसबार विक्रम हँस देता है l उसकी हँसी देख कर शुभ्रा और ज्यादा चिढ़ जाती है l

शुभ्रा - (अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपको बड़ी हँसी.... आ रही है... हाँ.. हाँ... क्यूँ नहीं आएगी... आपका क्या जाएगा... जाना तो मेरा है ना.... पकड़ी गई... तो.... पापा कुछ नहीं सुनेंगे... सीधे शादी करा देंगे....उम्....

विक्रम झट से शुभ्रा के होंठो पर अपना होंठ रख देता है l शुभ्रा अपनी आँखे बड़ी कर विक्रम को देखती है l विक्रम के होंठों के गिरफ़्त में शुभ्रा की ऊपर की होंठ है l शुभ्रा को इसका एहसास होते ही उसकी आँखें टीम टीमाने लगती हैं l फ़िर धीरे धीरे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और विक्रम के निचले होंठ को अपनी होंठों में ले लेती है l विक्रम के दोनों हाथ शुभ्रा के पीठ पर रेंगने लगती हैं l शुभ्रा भी अपने दोनों हाथ विक्रम के बालों में फंसा कर विक्रम के चुंबन में साथ देती है l धीरे धीरे चुंबन गहरा और गहरा होता जाता है l इतना गहरा के सांस उखड़ने लगते हैं दोनों के l फिर दोनों ना चाहते हुए भी एक दूसरे से अलग होते हैं गाड़ी से शट कर पहले शुभ्रा नीचे बैठ जाती है फ़िर बगल में विक्रम भी बैठ जाता है l दोनों अभी भी हांफ रहे हैं और साँसों को दुरूस्त करने की कोशिश करते हैं l विक्रम देखता है सुरज की लाली मद्धिम पड़ अंधेरे में छुपने की तैयारी में है वहीँ शुभ्रा का पुरा चेहरा शर्म व हया के मारे अभी भी लाल दिख रही है और नीचे झुकी हुई है l

शुभ्रा - (अपनी चेहरे को दोनों हाथों से छुपा कर) यह आपने क्या किया.... विक्रम जी....
विक्रम - (उसके दोनों हाथों को चेहरे से हटा कर अपनी उंगली को उसके होंठ पर रख देता है) श्श्श.. श्श्श्श्... इससे पहले कि यह सुरज डुब जाए.... आपको कुछ कहना है... प्लीज... (शुभ्रा चुप हो जाती है) आप आए.... हैं... ठहर जाइए... मेरे पास... सारी उम्र के लिए...
शुभ्रा - (अपने मुहँ से विक्रम की हाथ को हटा कर) क्या... क्या मतलब है... आ..पका....

विक्रम शुभ्रा की हाथों को अपने हाथों में लेकर अपने घुटनों पर बैठ जाता है, शुभ्रा की साँस रुक रुक कर चलने लगती है और दोनों एक दूसरे के आँखों में देखने लगते हैं l

विक्रम - हमे एहसास हो रहा है.... आप भी जानते हैं... हमने आपको यहाँ क्यूँ बुलाया है... फ़िर भी... हमे कहना है... शुभ्रा जी...

हर तरफ ग़मों का तेज़ तूफां था...
हर तरफ मुश्किलों के रेले थे...
आज आप आए तो जाना...
कल किदर हम कितने अकेले थे...

जबसे आपको हमने देखा है.... तब से एक बात का एहसास हुआ है... हम आपके बगैर अधूरे हैं... आप हमे पुरा कर दीजिए... शुभ्रा जी... आई लव यु...

शुभ्रा भी घुटनों पर आ जाती है विक्रम के समाने और विक्रम के हाथों को ज़ोर से पकड़ती है l

शुभ्रा - उस दिन मेरा... जनम दिन था... अचानक पापा ने... मुझे शॉक देते हुए.... मेरी शादी की बात... उनके दोस्त के बेटे के साथ.... करने का फैसला सुनाया... मैं ... डर कर वहाँ से भाग रही थी... के आप से मैं टकरा गई... बचपन में जब मैं रूठ जाती थी.... भाग जाया करती थी... पर पहली बार... आपसे टकराई और... उस दिन से मैं... रुक गई... हूँ... थम गई हूँ... जम गई हूँ... रम गई हूँ.... के आज तक वहीँ मैं रुकी हुई हूँ... सिर्फ़ आपके लिए.... यस... आई लव यु ठु...

कह कर शुभ्रा वैसे ही घुटनों पर बैठे बैठे विक्रम के हाथों को छोड़ विक्रम को कस कर गले लगा लेती है और उसके सीने में अपना चेहरा छुपा लेती है l विक्रम अपने दोनों दोनों हाथों से उसके चेहरे को उठाता है और शुभ्रा के माथे पर एक चुंबन देता है l फ़िर दोनों सीधे बैठते हुए गाड़ी से शट कर सुरज जो थोड़ा सा ही दिख रहा है उसे डूबते हुए देख रहे हैं l

विक्रम - शुभ्रा जी...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आई एम सॉरी....
शुभ्रा - क्यूँ...
विक्रम - हम जानते थे... आप पार्टी अध्यक्ष की बेटी हैं.... आपको ऐसे बुलाना ठीक नहीं था....
शुभ्रा - (तुनक कर) हाँ.. यह तो है... विक्रम जी... यु शुड बी सॉरी... (जोर जोर से) जानते हैं... आपसे मिलने आने के लिए... मुझे कितने पापड बेलने पड़े...
विक्रम - नहीं....
शुभ्रा - आपको मेरी बातों से क्या लगता है... मैं मज़ाक कर रही हूँ...
विक्रम - नहीं... इसलिए तो सॉरी कह रहे हैं....
शुभ्रा - आपने तो मैसेज करदिया.... लोकेशन शेयर करके... मिलने बुला लिया.... वह भी अकेले... जरा सोचिए... मैं कहीं भी जाऊँ... मेरे साथ दो... सांढ होते हैं... एक गार्ड ड्राइवर और एक गार्ड....
विक्रम - फ़िर आप आईं कैसे...
शुभ्रा - क्या करूँ...(शुभ्रा विक्रम के बाएं हाथ को पकड़ कर विक्रम के कंधे पर अपना सर रख कर) दिलबर का सन्देशा था... अकेले मिलने का इरादा था... इसलिए... मैंने अपने दोस्तों के साथ... आइनॉक्स में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया.... मैंने माँ को फोन कर परमीशन ले लिया... और सारे दोस्तों के साथ मिलकर... आइनॉक्स चली गई.... फ़िर दोनों गार्ड्स के लिए अलग मूवी का... टिकट कर उन्हें फ़िल्म भेज दिया और अपने दोस्तों को.... एक और मूवी को भेज दिया.... एक सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ पहुंच गई.... अपने महबूब के पास...
विक्रम - ओ ह... आपने तो... बड़ी... तिकड़म भीड़ाई है...
शुभ्रा - (शर्माते हुए) अब तो... सब ठीक हो गया है... मैं चलूँ...
विक्रम - सब हो गया है... मतलब....
शुभ्रा - ऊँ... ह्... (विक्रम के कंधे पर एक मुक्का मारते हुए) मैं चलूँ...
विक्रम - पर... हमने... जिसके लिए... बुलाया था... वह अभी... हुआ कहाँ है....
शुभ्रा - क्या.. (हैरानी से विक्रम की हाथ को छोड़ कर खड़ी हो जाती है और आँखे सिकुड़ते हुए अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपने किस लिए बुलाया था....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) आरे... (थोड़े शरारत भरे अंदाज में) आप जो समझ रही हैं.... उसके लिए तो नहीं है....
शुभ्रा - (शर्माते हुए) मैंने सिर्फ यह पूछा.... आपने मुझे बुलाया किस लिए....
विक्रम - (शुभ्रा के कमर को पकड़ कर गाड़ी के उपर बिठा देता है, और शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) शुभ्रा जी... क्या आप... मेडिकल पढ़ेंगी...
शुभ्रा - पढ़ना चाहती हूँ... पर...
विक्रम - क्या आप पढ़ेंगी...
शुभ्रा - ठीक है... अगले साल....
विक्रम - नहीं... इसी साल...
शुभ्रा - इस साल... विक्रम जी... साल बीतने में... और दिन ही... कितने बचे हैं...
विक्रम - वह... हम नहीं जानना चाहते... हम चाहते हैं कि... आप मेडिकल... इसी साल से शुरू करें...
शुभ्रा - आर यु गॉन म्याड... हाउ...
विक्रम - वह मैंने... एक कॉलेज में... बात कर ली है...
शुभ्रा - क्या... अभी तो फ्री सीट कहीं नहीं होगी.... अब इस टाइम में... मतलब... किसी प्राइवेट कॉलेज के... मैनेजमेंट कोटे से... वह भी अगर बचा हो तो....
विक्रम - हमने कहा ना.... हमने बात कर ली है....
शुभ्रा - (हैरानी से आँखे बड़ी हो जाती है) व.. व्हाट... मुझे... अपने कॉलेज से... टीसी निकाल कर... फिर जॉइन करनी होगी... मतलब.... पापा को... मुझे... सब समझाना होगा.... (अपना हाथ बढ़ा कर) उतारिए पहले मुझे आप... (विक्रम उसके कमर को पकड़ कर उतार देता है) आज ही... प्यार का इजहार हुआ है... आप चाहते हैं... अगर मैं... मेडिकल पढ़ुं... तो... आप हमारे बारे में.... पापा जी से बात... कर मनाएं...
विक्रम - नहीं... अभी के लिए... हम यह... नहीं... कर सकते हैं...
शुभ्रा - अभी के लिए... नहीं कर सकते... मतलब....
विक्रम - हम चाहते हैं... जब तक... आपका मेडिकल ख़त्म ना हो... तब तक... हमारा प्यार... किसीको... मालूम ना हो... सिर्फ़ इतना ही नहीं.... आपके मेडिकल खतम होने तक.... हम एक दुसरे से... मिलेंगे भी नहीं... बातेँ सिर्फ फोन पर होंगी... पर मुलाकातें... बिल्कुल भी नहीं....
शुभ्रा - क्या... एक मिनट... एक मिनट... क्या मैंने सही सुना... या मेरे कान बज रहे हैं...
विक्रम - शुभ्रा जी (उसके कंधों को पकड़ कर) अपने सही सुना है...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के हाथों को अपने कंधे से हटा कर) टर्मस् एंड कंडीशनस्.... वह भी... आज ही के दिन.... पुछ सकती हूँ... क्यूँ...
विक्रम - वह... मैंने... किसीकी चैलेंज... एसेप्ट की है...
शुभ्रा - चैलेंज... किसीने मुझसे कहा.... हमारा प्यार... एक फटाल एट्राक्शन है.... इस उम्र में... यह स्वाभाविक है... एक ब्लैंक सा जो फिल् होता है... एक के जाने से... दुसरे से भर जाता है.... अगर आप मेरे नजरों के सामने ना रही तो... मेरा दिल किसी और पे आ सकता है... और हम आपके सामने ना रहें तो.... आपका दिल किसी और पे... आ सकता है... पर हमे अपने प्यार पर भरोसा है.... इसलिए... हमने यह राह चुनी है... और इसमें हमे आपका साथ चाहिए.... शुभ्रा जी..
शुभ्रा - (कुछ देर के लिए चुप रहती है) तो... हमारी मेडिकल खतम होते होते... साढ़े चार साल से कम होगी... तब तक हम एक दूसरे से... मिलेंगे नहीं... सिर्फ़ फोन पर बातेँ करेंगे....
विक्रम - जी....
शुभ्रा - और यह बात.... किसीसे भी ना कहें...
विक्रम - जी...
शुभ्रा - पर आप भुल... रहे हैं... हमे... अपनी कॉलेज से... टीसी... निकलनी होगी... और हम पापा को और माँ को... क्या.... समझाएंगे... और कैसे... मेडिकल कॉलेज में... सीट मिली... वह भी ऐसे समय में.... यह मत भूलिए.... हमारे पापा... एक मिनिस्टर हैं... वह... पता लगा ही लेंगे....
विक्रम - देखिए.... हमने जिनके कॉलेज में... बात की है... वह भी एक मिनिस्टर हैं... हेल्थ मिनिस्टर... तो... शायद आपके पापा.... ज्यादा तहकीकात ना कर पाएं.... अगर करेंगे भी तो.... आप जो भी... जूठ बोलेंगी... हम बाहर रह कर... उस झूठ को सच्च बना कर... प्लॉट करेंगे...
शुभ्रा - ठीक है... आप हमारी गोल को... हम तक पहुंचा रहे हैं... तो हम कुछ ना कुछ.... करेंगे ज़रूर....
विक्रम - ओ... शुभ्रा जी... थैंक्यू... थैंक्यू.. वेरी मच...
शुभ्रा - रुकिए.... सब्र कीजिए.... आपका यह मंसूबा... तभी पूरा हो सकता है.... जब आप हमे हमारे घर चोरी से आयेंगे.... और चोरी से चले भी जाएंगे....
विक्रम - व्हाट...
शुभ्रा - हाँ...
विक्रम - य... यह... यह कैसा... कंडिशन है...
शुभ्रा - ओ... हैलो... यह कंडिशन नहीं है... कंडिशन तो आगे है... वह भी मेरे... इस थ्रिलर चैलेंज को पुरा करने के बाद....
विक्रम - कंडिशन से पहले... थ्रिलर चैलेंज किसलिए....
शुभ्रा - क्यूँ... क्यूँ नहीं... आपने मुझे बुलाया... हमने... कितनी रिस्क लेकर... यहाँ पहुंचे... तो हम भी देखें.... आप हमारे लिए... कितना रिस्क ले सकते हैं...

इतना कह शुभ्रा चुप हो जाती है, विक्रम उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहा है l विक्रम फिर कुछ सोचता है और

विक्रम - ठीक है... शुभ्रा जी... हम आज रात को ही.... आपके कमरे में आयेंगे.... किसीको को भनक तक नहीं लगेगी... पर आप कल ही... कॉलेज से... टीसी ले लेंगी और... निरोग मेडिकल इंस्टिट्यूट में.... जॉइन करेंगी....
शुभ्रा - क्या.... कल...
विक्रम - हाँ
शुभ्रा - पर कल ही क्यूँ...
विक्रम - वह असल में... हम कल शाम को... राजगड़ जा रहे हैं....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - वहाँ पर हम... कुछ दिन रुकेंगे.... क्यूँकी... कुछ... रिचुअलस्... पफर्म करना है...
शुभ्रा - हाँ तो...
विक्रम - हम चाहते हैं... की... हम एक दोराहे से... अलग हों... ताकि हम एक दुसरे की गोल.... हासिल कर सकें... इन साढ़े चार सालों में... हम अपने घर में आपके लिए जगह बनाएंगे... और पापा के नजर में... खुदको आपके योग्य... खुदको... प्रमाणित करेंगे...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l उसे चुप देख कर विक्रम भी खामोश हो जाता है l जब कुछ देर तक शुभ्रा से जवाब नहीं मिलता तो

विक्रम - शुभ्रा जी.... क्या कोई गलत बात कर दी हमने....
शुभ्रा - ठीक है... आप अपना चैलेंज पूरा कीजिए.... यह ना भूलें... हम एमएलए कॉलोनी में रहते हैं... हाई सिक्युरिटी जोन में... आपको... आना है और चले भी जाना है....
विक्रम - (मुस्कराता कर) जी... और टर्म एंड कंडिशन...
शुभ्रा - वह कल मैं... मेडिकल... एडमिशन के बाद....
विक्रम - ठीक है...

शुभ्रा वापस गाड़ी के पास जाती है l गाड़ी के पास पहुंच कर डोर खोलती है पर अंदर नहीं जाती, पीछे पलट कर देखती है विक्रम अपने चेहरे पर मुस्कान सजाए उसे एक टक देखे जा रहा है l शुभ्रा भाग कर विक्रम के पास आती है और उसके होठों पर टुट पड़ती है l अचानक हुए हमले से विक्रम भी भौचक्का रहा जाता है फिर चुंबन का एहसास होते ही वह भी शुभ्रा का साथ देने लगता है l धीरे धीरे किस जेंटल से वाइल्ड होती जाती है फ़िर दोनों की सांसे उखड़ने लगती है l
शुभ्रा के हलक से गुं गुं की आवाज़ आती है पर मदहोशी विक्रम को होश ही नहीं रहता वह और भी उग्र हो कर चुम्मी ले रहा है l

शुभ्रा - आ... ह्... (खुदको विक्रम से अलग करती है) जंगली कहीं के... आ... ह्..
विक्रम - ओ ह... (शुभ्रा के होठों से खून निकालता देख) सॉरी... शुभ्रा जी... एक्सट्रीमली सॉरी... हमारा... ऐसा बिल्कुल भी इरादा नहीं था.... वह...
शुभ्रा - (शर्म के मारे सर नीचे झुका कर) ठीक है... चलती हूँ... (गाड़ी के पास भाग जाती है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आ.. आइ एम... सॉरी... प्लीज...
शुभ्रा - (अपनी लाई गाड़ी की डोर खोल कर बैठ जाती है और गाड़ी घुमा कर रोक देती है, खिड़की से बाहर अपना सर निकाल कर) आई लव यू... विकी... आई लव यू...

फिर गाड़ी को तेजी से भगा देती है, और वहाँ पर विक्रम खुशी से उछालते कुदते हुए चिल्लाता है l

आई लव यु मेरी जान आई लव यु

शुभ्रा की गाड़ी विक्रम की नजरों से दूर होते ही विक्रम अपनी गाड़ी के पास आता है और वह भी उस जगह को छोड़ कर चला जाता है l


उधर ESS ऑफिस में महांती अपने कैबिन में बैठा नए रिक्रूट के लिस्ट चेक कर रहा है l तभी उसके कैबिन के दरवाजे पर दस्तक होती है l महांती दरवाजे की ओर देखता है

महांती - अरे... युवराज जी.... आप क्यूँ दरवाज़ा खटखटाने लगे.... आपका ही तो ऑफिस है.... आप ऐसे आकर हमें... शर्मिंदा कर रहे हैं....
विक्रम - (अंदर आते हुए) ऐसी बात नहीं है... महांती... हमारा आपके पास एक काम है...
महांती - तो हुकुम करें... आप हमें... अजनबियों की तरह... ट्रीट तो ना करें...
विक्रम - (महांती के समाने बैठते हुए) महांती... हमारे बीच एक... प्रोफेशनल रिस्ता है.... अगर हम एक कदम आगे बढ़ कर.... दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.... तो क्या आपको हमारी दोस्ती स्वीकार होगा...
महांती - यह तो मेरे लिए... सम्मान की बात होगी....
विक्रम - ठीक है... महांती.... (विक्रम हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है) हम तुमसे वह कहने आए हैं... जो अभी तक हमने... किसीसे नहीं कही है....
हम... वह... मतलब... हमे... किसीसे... मुहब्बत हो गई है....
महांती - ह्म्म्म्म.... (विक्रम के हाथ थाम कर) पर युवराज... यह तो कोई... समस्या नहीं है... आप युवराज हैं.... आप जिसे चाहें... मेरा मतलब है... किसीसे भी... शादी कर सकते हैं....
विक्रम - नहीं महांती.... राज परिवार में... रिश्ता... राज परिवार से आती है... और वह... हम जिनसे... प्यार करते हैं... राज परिवार से नहीं हैं...
महांती - तो क्या हुआ... उनका परिवार... और.. जात से... वह लोग छोटे तो नहीं है... और राजनीतिक क्षेत्र में... उनकी परिचय... और रुतबा.... आपके टक्कर की है....
विक्रम - (हैरानी से) आ... आप... किसकी बात कर रहे हैं...
महांती - बीरजा किंकर सामंतराय... ****पार्टी के अध्यक्ष... मैं उनकी बात कर रहा हूँ....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) व्हाट.... आप जानते हैं...

महांती - रीलाक्स... उस दिन मैंने आपको और... उनकी बेटी... को... फूड स्टॉल के पास देख लिया था.... बस गैस लगा लिया....
विक्रम - (बैठते हुए) वह... उन्होंने हमे एक... थ्रिलर चैलेंज दिया है.... पर हम कैसे पूरा करें.... समझ में नहीं आ रहा है...
महांती - ह्म्म्म्म.... आप उनसे... कुछ समय पहले... मिलकर आ रहे हैं....
विक्रम - हाँ... पर आपने यह भी... गैस किया क्या...
महांती - नहीं... कंफर्म किया...
विक्रम - मतलब...
महांती - आप बहुत ही एक्साइटमेंट में... अपने होंठों को... ठीक से साफ नहीं किया....
विक्रम - ओ... (शर्मा जाता है) सॉरी... (अपना रुमाल से होंठों को साफ करने लगता है)

विक्रम चोर नजर से महांती को देखता है l महांती उसे देखते हुए मुस्करा रहा है l विक्रम जब कुछ कह नहीं पाता तो महांती विक्रम से पूछता है

महांती - कहिए... युवराज.... क्या चैलेंज दिया है... बहु रानी ने....

विक्रम सारी बातें बताता है l तो कुछ देर के लिए महांती सोच में पड़ जाता है l अचानक की आंखों में चमक आ जाती है

महांती - ठीक है... हो जाएगा...
विक्रम - क्या.... हो जाएगा... पर कैसे...

महांती अपने टेबल ड्रॉ से एक मैप निकालता है और विक्रम को प्लान समझाता है l प्लान सुनने के बाद विक्रम की भी आँखों में चमक आ जाती है l विक्रम खुशी के मारे महांती को गले लगा लेता है l


_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ठक ठक ठक
दरवाज़े पर दस्तक हो रही है l शुभ्रा उबासी लेते हुए चिल्लाती है

शुभ्रा - क्या है... क्यूँ दरवाज़ा तोड़ रहे हो...
माँ - क्यूँ आज किस खुशी में... इतनी देर तक सोई हुई हो... सुरज सर पर आने वाली है... आज कॉलेज नहीं जाना है क्या...
शुभ्रा - क्या... (झट से उठते हुए) सुबह गई क्या माँ....
माँ - हे भगवान... क्या होगा इस लड़की का... रात भर सोई नहीं क्या... चल उठ... और जल्दी तैयार होकर नीचे आ...
शुभ्रा - ठीक है माँ.... आप चलिए... मैं फ्रेश हो कर आती हूँ...
माँ - ठीक है... जल्दी आना...
शुभ्रा - हाँ... (फ़िर अपने मन में) हूँ.. ह... बड़े युवराज बने फिरते हैं... एक चैलेंज दिया... वह भी ना हुआ उनसे... हूँ.. ह...

इतना सोच कर टेबल लैम्प के पास रखे अपनी मोबाइल फोन के तरफ हाथ बढ़ाती है l अचानक उसके आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती है l मोबाइल फोन के नीचे एक गुलाबी रंग के लिफाफा दिखता है l वह उस लिफाफे को निकालती है तो लिफाफे पर उसे दिल के शेप एक बड़ी सी स्टिकर दिखती है l शुभ्रा की दिल की धड़कन बढ़ जाती है l उसके गाल लाल हो जाती हैं l कांपते हाथों से वह स्टिकर निकालती है l अंदर उसे गुलाबी रंग की खत मिलती है गुलाब के पंखुड़ियों के साथ l
शुभ्रा की दिल की धड़कन अब सुपर फास्ट ट्रेन की तरह भागने लगती है l शुभ्रा खत खोलती है

"क्या कहें... क्या ना कहें... हम तो बस आपके हुस्न के दीदार करते रहे और उसमें खो गए... I एक चांद आसमान में चमक रहा था.... और एक चांद अपनी जुल्फों के बादलों के साये में सिमटे सो रहा था.... कितनी मासूमियत... थी चेहरे पर... कैसे जगा सकते थे... हम... यह गुस्ताखी ना हो पाया हमसे.... हम आए भी और जा भी रहे हैं... किसीको कुछ भी पता ना चला.... यही चाहती थी ना आप... तो क्या हम आपके थ्रिलर चैलेंज में खरे उतरे.... अगर हाँ तो.... आज आप अपने कॉलेज से टीसी लीजियेगा...
और बिना देरी किए निरोग हस्पताल पहुंच कर **7****420 नंबर पर कॉल कर दीजिएगा... बात हो चुकी है... वह बाकी फॉर्मालीटी पूरा कर देगा... यह सब होते ही... आप अपने टर्मस् एंड कंडीशनस् के लिए बुला लीजिएगा.... हम आपके सेवा में... हाजिर हो जाएंगे...

आपका सिर्फ़ आप ही का विकी...


शुभ्रा खत पढ़ कर खुशी के मारे विस्तर पर गिर जाती है l और अपने आप से बात करने लगती है l

- इसका मतलब... विकी आए थे.... ओह माय गॉड... छी... मैं कैसे सो गई... हूँ.. ह
पर वह आए कैसे... कैसे किसीको पता नहीं चला... (अपने बिस्तर पर सिकुड़ कर बैठ जाती है) ओह... मुझे अभी भी यकीन नहीं हो पा रहा है... वह आए... मेरे लिए... यह खत भी लिखा.... अमेजींग... वाव... वाकई... क्या थ्रिलींग एक्सपेरियंस है... युवराज जी.... हो जाइए तैयार... अब एडमिशन खतम होने के बाद मुलाकात होगी...

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सेंट्रल जैल
तापस की चैम्बर में
विश्व आता है और देखता है तापस कमरे में एक तरफ से दुसरे तरफ चहल कदम कर रहा है l

विश्व - मैं अंदर आ जाऊँ... सर..
तापस - ओह... आइए... विश्व प्रताप... आइए...(विश्व के अंदर आते ही) आपका हाथ कैसा है सर...
विश्व - (अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाकर तापस को दिखाता है, उसके हाथ में क्रैप्ट बैंडेज बंधा हुआ है)
तापस - मैंने कहा था... वह तुमको अपनी कीचड़ में.. घसीटेगा... पर तुम नहीं माने... देखो क्या हो गया है अब... (विश्व कुछ नहीं कहता) तुम्हें उसको मारने की नौबत आई ही क्यूँ...
विश्व - क... कुछ नहीं... गलती मेरी थी... वह... मुझे कुछ लोगों ने समझाया भी था वहाँ... पर मैंने ही... उन्हें अनसुना कर दिया था... और नतीज़ा... यह...

तापस - (अपनी कुर्सी में बैठते हुए) विश्व... तुम्हें... संयम से काम लेना था... देखो विश्व... यह डैनी... यहाँ पर पहली बार... नहीं आया है... जैसा कि मैंने पहले भी कहा था... वह यहाँ... टूरिस्ट है... बस इस बार थोड़े लंबे समय के लिए यहाँ है... इस जैल में... उसने एक नियम... चलाया था...
विश्व - कौनसा नियम... सर....
तापस - बता रहा हूँ... विश्व... बता रहा हूँ... पहले... जैल में... अगर कभी कैदियों में... लड़ाई या झगड़ा हो जाता था... तो दंगे हो जाते थे... पर एक दिन... डैनी ने एक नियम बनाया... जिन कैदियों में... लड़ाई या झगड़े की नौबत आ जाती थी... वह अपना गुस्सा... शनिवार रात को.... एक दुसरे से लड़ते हुए... उतारते थे... पहले पहले... जैल में यह खुब हुआ.... आगे चलकर... धीरे धीरे कम होता चला गया... इसे इस जैल में... साटरडे नाइट स्कैरी सल्युशन कहा जाता है....
विश्व - अच्छा....
तापस - व्हाट... अच्छा... क्या अच्छा... जरा तुम सोचो.... अगर तुम्हें उस इवेंट में... हिस्सा लेने के लिए बाध्य किया गया.... तुम क्या करोगे... (विश्व सोच में पड़ जाता है) देखो विश्व... तुमने उस आदमी पर हाथ उठाया है... जिसके वकील ने... तुम्हारा ग्रैजुएशन का जिम्मा उठाया है.... तुमने हाथ उठाने से पहले... कम से कम यह तो सोच लिया होता....
विश्व - अब मैं... क्या करूँ... सर... मुझे कुछ सूझ नहीं रहा है...
तापस - ठीक है... विश्व... मैं... मांडवली करने की कोशिश करता हूँ.... फ़िलहाल तुम जाओ... और जब मैं बुलाउं आ जाना....
विश्व - जी ठीक है...

कहकर विश्व बाहर चला जाता है l तापस बेल बजाता है तो जगन भागते हुए आता है l जगन को डैनी को बुलाकर लाने को कहता है l कुछ देर बाद डैनी आता है l डैनी के नाक में दो निको प्लास्टर लगा हुआ है l

तापस - आओ डैनी... बैठो....
डैनी - इतनी मेहरबानी की वजह... (बैठ जाता है)
तापस - कुछ जानना चाहता हूँ... तुमसे...
डैनी - क्या...
तापस - कल तुमने... विश्व को... प्रोवक क्यूँ किया....
डैनी - आप गलत दिशा में... केस को लिए जा रहे हैं.... विश्व ने मेरी नाक तोड़ी है... दिख नहीं रहा क्या आपको....
तापस - दिख रहा है... पर इस टूटे हुए नाक... के पीछे तुम क्या छुपा रहे हो... वह दिख नहीं रहा है...
डैनी - सेनापति सर... सबने देखा है... विश्व से... मैं सिर्फ़ बातेँ कर रहा था... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी...

तापस - हाँ... देखा है... मैंने सब कुछ.... सीसी टीवी पर.... सब तुमने किया है.... अगर तुमको उसे आगे... पढ़ाना ही नहीं था.... तो... मना कर देते... उसकी पढ़ाई रोकने के लिए... यह ड्रामा करने की... क्या जरुरत थी....
तापस - सेनापति सर.... पूरी दुनिया जानती है.... डैनी जान हार सकता है.... अपना जुबान नहीं... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की फिक्र है... तो यकीन मानिए... चाहे कुछ भी हो जाए... उसकी पढ़ाई नहीं रुकेगी... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की चिंता है... तो फिक्र ना करें... उसकी ग्रैजुएशन पूरी होगी....
तापस - इसका मतलब... तुम विश्व को कुछ नहीं करोगे...
डैनी - यह तो मैंने नहीं कहा है.... सेनापति सर... किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं थी... डैनी को हूल दे सके... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी... उसे ऐसे कैसे छोड़ दूँ....
तापस - तो फ़िर मुझे मजबूरन... विश्व को एक अलग जैल में... भेजना पड़ेगा...
डैनी - ऐसी गलती मत कीजिएगा... तब विश्व कभी भी नहीं पढ़ पाएगा... मरते दम तक भी नहीं....
तापस - तो क्या चाहते हो... मैं विश्व को.. तुम्हारे हवाले कर दूँ....
डैनी - हाँ...
तापस - (अपनी कुर्सी से उठ कर) देखो डैनी... वह बेचारा.... तकदीर का मारा है... फिर भी... समाज में... अपना मुक़ाम पाने की.. जद्दोजहद में है.... और तुम... जिसे ना समाज की फिक्र है.... और ना ही... समाज को तुम्हारी ज़रूरत है.... इसलिए कहो.... विश्व से दूर रहने के लिए.... तुम्हें क्या चाहिए...
डैनी - आप इतने पर्सनल क्यूँ हो रहे हैं.... यह दो कैदियों के बीच का मामला है... आप आँखे मूँद कर पड़े रहिए...
तापस - (चिल्ला कर) शट अप.... मैं यहाँ... विश्व के लिए... तुमसे... मांडवली कर रहा हूँ... और सुनो विश्व को कुछ भी हुआ.... तो चाहे कानून मुझे कोई भी सजा दे... मैं तुम्हें गोली मार दूँगा....
डैनी - अरे... बाप... रे... मैं तो डर गया...
तापस - (थोड़ा नरम पड़ते हुए) देखो डैनी... प्लीज... मेरे मन में... एक ग्लानि है... के मैं उसकी मदत ना कर सका... उस ग्लानि को... और मत बढ़ाओ प्लीज...
डैनी - (तापस को गौर से देखता है) पता नहीं क्यूँ... सेनापति सर आपको इस हालत में देख कर... बड़ी दया आ रही है... चलिए आप भी क्या याद रखेंगे... विश्व को ना मारने के एवज में... मेरे कुछ शर्तें होंगी... अगर विश्व वह मान गया.... तो वादा रहा... विश्व पर बिलकुल भी हाथ नहीं उठाऊंगा....
तापस - कैसी शर्तें...
डैनी - आपको नहीं.... सेनापति सर.... मैं विश्व को बताऊँगा.... आपके सामने बताऊँगा.... पर शर्तें विश्व को ही बताऊँगा.....
तापस - ठीक है.... अब तुम जाओ.... मैं जब तुमको बुलाऊं... आ जाना...
डैनी - ठीक है... सर... (कह कर डैनी बाहर चला जाता है)

थोड़ी देर के बाद तापस के चैम्बर में एक तरफ विश्व और दूसरी तरफ डैनी बैठे हुए हैं l

तापस - विश्व... मैं यहाँ... तुम दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा... और ना बढ़े... इसलिए... मध्यस्थता कर रहा हूँ.... विश्व.... तुम्हारे लिए... ग्रैजुएशन कितना महत्पूर्ण है... उसे ध्यान में रख कर... डैनी से बात कर सकते हो....
विश्व - डैनी... भाई... वह जो हुआ... मेरी गलती थी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ कर दूँ तुझे.... इतना बड़ा दिल नहीं रखता... हाँ तुझे ना मारूं... उसके लिए मेरी कुछ शर्तें हैं.... अगर मान जाता है.... तो.... तो... तो...
विश्व - जी कहिए...
डैनी - जब तक मैं इस जैल में हूँ.... तब तक... तुझे मेरे बैरक में आ कर... सुबह से लेकर शाम तक... मेरी गुलामी करनी होगी....
तापस - व्हाट... नॉनसेंस.... अगर सुबह से शाम तक... गुलामी करेगा... तो पढ़ाई कब करेगा....
डैनी - मैंने शाम तक कहा है... शाम से रात तक वह पढ़ाई करेगा.... क्यूँ बे... मंजुर है तुझे...
विश्व - ठीक है... डैनी भाई... मुझे मंजूर है...
तापस - पर... तुम... विश्व से गुलामी ही... कराना क्यूँ चाहते हो...
डैनी - ताकि... जो जैल से गए हैं.... जो जैल में हैं.... और जो आगे कभी आयेंगे.... उनको यह मालुम हो... विश्व अपनी जान बचाने के लिए... डैनी की गुलामी करी.... तुझे मंजुर तो है ना....
विश्व - जी... मुझे मंजूर है....
तापस - विश्व.. इससे... तुम्हारे पढ़ाई पर असर पड़ सकता है....
विश्व - सर... डिग्री ही हासिल करनी है.... कोई आईएएस की... तैयारी नहीं करनी है.... पास मार्क आ जाए... वही काफी है....
डैनी - लो सेनापति सर... बात खतम... कल सुबह सुरज निकलने से पहले.... मेरे बैरक में पहुंच जाना और.... सुरज डूबने के बाद चले जाना....
विश्व - ठीक है...
तापस - ठीक है... डैनी... पर मैं तुम्हें याद दिला दूँ... अगर विश्व को... कोई शारीरिक हानि तुमने पहुंचाई... तो...
डैनी - तो आप मुझे... गोली मार दीजियेगा...

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दो पहर का समय ढ़ल चुका है
विक्रम के मोबाइल फोन पर मैसेज ट्यून बजती है l विक्रम फोन खोल कर देखता है तो उसमे एक लोकेशन शेयर किया है शुभ्रा ने एक मैसेज के साथ - अकेले हैं... आपका इंतजार है... अकेले आइयेगा...
विक्रम के चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान खिल उठता है l वह गाड़ी स्टार्ट कर रोड पर दौड़ा देता है l गाड़ी भुवनेश्वर को छोड़ खुर्दा की ओर जाने लगती है फिर गाड़ी खुर्दा भी पीछे छूट जाती है l विक्रम एक पहाड़ के नीचे अपनी गाड़ी रोकता है l गाड़ी से उतर कर पहाड़ की ओर देखता है l वहाँ पर एक बोर्ड पर उग्र तारा मंदिर लिखा देखता है l विक्रम सीढ़ियां चढ़ते हुए उपर मंदिर में पहुंचता है l मंदिर में उसे सिर्फ़ शुभ्रा ही दिखती है जो माता रानी के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हुई है l विक्रम उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l शुभ्रा उसे देख कर मुस्कराते हुए देखती है और माता रानी के पांव के पास लाल चुनरी से ढके एक थाली ले कर आती है l

विक्रम - यहाँ पर क्यूँ....
शुभ्रा - यह... उग्र तारा माता हैं.... हमारे कुलदेवी...
विक्रम - ओह... पर फ़िर भी यहाँ क्यूँ...
शुभ्रा - आज आपके वजह से... मेरे... सपने को... दिशा मिली है... और हमारे बीच जो है... और जो होने वाला है... उसे अगले साढ़े चार साल तक... किसीसे कह नहीं सकते... यह आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् था....
विक्रम - हाँ...
शुभ्रा - और अब मेरी... टर्मस् एंड कंडीशनस् हमारे रिश्ते को... पूर्णता के लिए... क्या आप तैयार हैं...
विक्रम - हाँ... बिल्कुल...

शुभ्रा थाली पर से चुनरी हटा देती है l विक्रम देखता है कांस की थाली में एक जगह थोड़ी कुमकुम है और एक हल्दी और कुमकुम की धागे में बंधी एक ताबीज़ जैसी रखी हुई है l

विक्रम - यह क्या है....
शुभ्रा - आप मुझसे कितना प्यार करते हैं....
विक्रम - हम नहीं जानते.... पर इतना कह सकते हैं... हमे यह एहसास है.... हम इस दुनिया में... आपके लिए ही उतारे गए हैं... आप हैं इसलिए हम हैं... आप नहीं तो हम भी नहीं....
शुभ्रा - तो यह कुमकुम लीजिए.... और मेरी मांग भर दीजिए....
विक्रम - क्या... यह... यह आप क्या कह रही हैं...
शुभ्रा - आज मुझे यह खुशी.... दे दीजिए... जिसको लेकर... मैं यह साढ़े चार साल गुजार दूँगी...
विक्रम - क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है....
शुभ्रा - भरोसा है... तभी तो... माँ जगत जननी के सामने... यह मांग रही हूँ... इसके बाद जब तक आप नहीं चाहेंगे... तब तक मैं... दुनिया के सामने... नहीं कहूँगी...
विक्रम - पर...
शुभ्रा - देखिए... आपने जैसा कहा.. मैंने वैसा ही किया.... क्या आप मेरी बात नहीं रखेंगे...
विक्रम - अगर मांग भर गई... तो आप छुपायेंगी कैसे...
शुभ्रा - मांग मेरी ... आज और अभी भर दीजिए... मुझे सुहागन बना दीजिए.... मैं मांग छुपा लुंगी... अपनी बालों के सहारे.... मैं सुहागन हूँ... बस यह एहसास होता रहे... और कुछ नहीं चाहिए... मुझे यह मंगल सूत्र... वह एहसास दिलाता रहेगा...
विक्रम - क्या... यह मंगल सूत्र है...
शुभ्रा - जी... हल्दी और कुमकुम से नहाए हुए धागों में बंधा हल्दी का टुकड़ा... जिसे मैंने लाल कपड़ों में बाँध छुपा दिया है... इसे मेरे गले में बाँध दीजिए...
विक्रम - शुभ्रा जी... यह
शुभ्रा - देखिए... अगर कल को... आप कभी मुझे ना भी अपनाएं... तो भी मैं कोई शिकायत नहीं करूंगी.... प्लीज... (विक्रम को शुभ्रा के आवाज़ में दर्द महसुस होता है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आपने यह कह कर... हमारे प्यार का अपमान किया है.... हम आपको कैसे भुल जाएंगे... आपको कैसे नहीं अपनाएंगे....

इतना कह कर शुभ्रा की मांग में सिंदूर भर देता है और मंगलसूत्र बांध देता है l शुभ्रा झुक कर विक्रम के पैर छूती है l

विक्रम - अब बताइए... इसकी क्या जरूरत थी...
शुभ्रा - आप अगर किसी और सहर में होते... तो समझ में आता.... पर इसी सहर में रहकर... साढ़े चार साल की जुदाई... (आँखे छलक पड़ती हैं) इस दर्द को सहने के लिए ही यह सब....
विक्रम - (दोनों हाथों से शुभ्रा के चेहरे को लेकर) ओ... शुभ्रा... मेरी जान... आपके आँखों में... हम आँसू नहीं देख सकते हैं.... अब हमने आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् पूरा करदिया... फिर यह आँसू क्यूँ...
शुभ्रा - यह... यह.. खुशी के आंसू हैं...
विक्रम - ठीक है... पर.. ऐसी.. शादी की जिद क्यूँ की आपने...
शुभ्रा - तो क्या करती... कल ही... प्यार का इजहार हुआ.... और आज के बाद... साढ़े चार साल की जुदाई.... हम ने दूसरों की तरह... प्यार को जिए भी नहीं...
विक्रम - जानती हैं... किसी ने... हमसे कहा था... प्रेम कहानियाँ वही अमर हुई.... जिनमें अंत में प्रेमियों का मिलन नहीं हुई.... पर हमारी प्रेम कहानी में मिलन भी होगा.... और हमारी कहानी अमर भी होगी....
शुभ्रा - (विक्रम के गले लग जाती है) अच्छा एक बात बताइए... आप कल... एमएलए कॉलोनी की... सिक्युरिटी ब्रीच कर हमारे कमरे में... कैसे पहुँचे...
विक्रम - अरे भई... हम ना तो दिल्ली में हैं.... ना ही कश्मीर में... यहाँ कभी आतंकवादीयों गतिविधियाँ भी नहीं हुई है....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - कुछ नहीं... आपके... क्वार्टर के पीछे... हमारे यशपुर के एमएलए नकुल सिंह जी का क्वार्टर है... हमने उन्हें... उनकी वफादारी का वास्ता दिया... तो उनको... हार्ट अटैक का दौरा आया... और हमने एक एम्बुलेंस के जरिए उनके क्वार्टर में पहुंचे... बाकी... आपके क्वार्टर में घुसना... वहाँ आपके नाम चिट्ठी छोड़ना... वह सब हमारी कारीगरी था....
शुभ्रा - ओ... तो यह बात है...
विक्रम - अच्छा... इतने समय से हम यहाँ पर हैं... पर पंडित जी नहीं दिख रहे हैं....
शुभ्रा - जब आप यहाँ पर पहुंचे... तो मैंने उन्हें... मेरे मेडिकल मिलने की खुशी में... पूजा सामाग्री के लिए भेज दिया है... वह कुछ देर बाद... आ जाएंगे...
विक्रम - जब वह आयेंगे... तब तुम्हारे मांग में... उन्हें सिंदूर दिख जाएगा...

शुभ्रा - नहीं.. दिखेगा... उनके आने से पहले... चलिए.. चलते हैं....

इतना कह कर शुभ्रा अपने पर्स से एक नोटों की गड्डी निकाल कर थाली में रख देती है और एक चिट्ठी छोड़ देती है l फिर विक्रम को खिंचते हुए नीचे ले जाती है और विक्रम की गाड़ी में बैठ जाती है l विक्रम गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी वहाँ से निकाल कर भुवनेश्वर की ओर ले जाता है l

विक्रम - अभी फिर से शरारत शुरू... आपने चिट्ठी में क्या छोड़ा...
शुभ्रा - कुछ नहीं.... पुजा के लिए पैसे और... जल्दी जाने के कारण माफी.... (थोड़ा उदास होते हुए) आप आज शाम को जा रहे हैं....
विक्रम - हाँ... हमने आपको... बताया भी था... क्यूँ कुछ और भी चाहिए था क्या...
शुभ्रा - जानते हैं... कल हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई... और आज शादी भी हो गई... क्या प्यार है... क्या थ्रिलींग एक्सपेरीयंस है.... वाव... किसीके प्यार में.... ऐसा तो नहीं हुआ होगा....
विक्रम - हाँ यह आपकी जिद थी... पर वचन देते हैं... साढ़े चार साल के बाद... हमारी शादी बड़े धूमधाम से होगी...
शुभ्रा - वह तो जब होगी... तब होगी... फिर भी... हमारे इस प्रेम कहानी में... कुछ तो मीसींग है....
विक्रम - और वह क्या...
शुभ्रा - सब है... प्यार का इजहार.... फिर शादी.... यह यादें बन जाएंगी... जो आगे चलकर हमे हसाएंगी... रुलायेंगी पर... जो ना हो पाया.... वह है एक दुसरे से रूठना... मनाना...
विक्रम - (गाड़ी की ब्रेक लगाता है, शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर) शुभ्रा जी... अभी हम जिस बंधन में बंधे हैं... उसमें एक वचन और देते हैं... हम कभी भी.... किसी भी हाल में... किसी भी परिस्थिति में... आपसे नहीं रुठेंगे.... पर आपको हक होगा हमसे रूठने के लिए.... जब भी आप रूठेंगी.... हम आपको तब तक... मनाते रहेंगे... जब तक आप मान ना जाएं.... यह विकी का वादा है... अपनी शुभ्रा से...
 

Jaguaar

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विक्रम अपना घड़ी देखता है शाम के पांच बजे हैं l दो पहर से यहाँ पर है अब सूरज डूबने में और भी व्यक्त है l
मुंडुली की रेतीली पठार पर गाड़ी से निकल कर ढलते हुए सूरज का नज़ारा करता है l शाम बढ़ने के साथ साथ सुरज की तेज़ और रौशनी मद्धिम हो रहे हैं l सुरज की लाली से बादलों ने खुद को रंग लिया है दूर बहुत दूर पश्चिम के क्षितिज का यह यह दृश्य महानदी के बहते पानी में प्रतिबिंबित हो कर शाम को और भी खूबसूरत बना दिया है l

विक्रम के मुहँ से आख़िर निकल ही जाता है - वाह कितना खूबसूरत मंज़र है....
-हाँ सच कहा... वाकई... बहुत ही खूबसूरत नज़ारा है...

आवाज़ सुन कर विक्रम पलट कर देखता है l उसके चंद कदम दूर शुभ्रा खड़ी है l एक सफ़ेद रंग की सलवार कमीज पर काली और हरे रंग की कारीगरी में ऐसी लग रही है जैसे शिप में चमकती मोती, हाँ बिल्कुल मोती की तरह ही दिख रही है l जुल्फें खुले हुए पर बाएं कंधे से सरक कर आगे पेट तक आई हुई है l दाएं कान में सफेद इयर रिंग पर बिल्कुल उसके कपड़ों की तरह डिजाईन बनी हुई है l शुभ्रा विक्रम को एक परी के समान प्रतीत हो रही है, उसकी खूबसूरती को निहारते एकदम खो सा जाता है l

शुभ्रा - (विक्रम के पास आकर उसके आँखों के सामने चुटकी बजाकर) हैलो...
विक्रम - (अपनी सोच से बाहर निकलता है) हाँ.. हाँ...
शुभ्रा - कहाँ खो गए....
विक्रम- वह... वह... कितनी खूबसूरत.... मतलब यह शाम का वह डूबते सुरज का... नज़ारा....
शुभ्रा - पर आप... सुरज की ओर तो नहीं देख रहे हैं...
विक्रम - सुरज मुखी को देख रहा था....
शुभ्रा - क्या.... कहाँ है...
विक्रम - वह... मतलब... वैसे... बड़ी देर लगा दी आपने....
शुभ्रा - अच्छा.... पर अपने तो... सुरज डूबने से पहले... आने को कहा था.... और सुरज डुबा नहीं है.... देखा... हम वक्त के... कितने पाबंद है....
विक्रम - वह तो है...
शुभ्रा - (अचानक गुस्से में, चिल्ला कर) क्या है.... आपको पता है.... मेरे पापा... मिनिस्टर हैं... और उनकी रेपुटेशन के वजह से... मैं गार्ड्स के बीच घिरी रहती हुँ... फिर भी आपने मुझे अकेले में... बुलाया.... क्या किया आपने... मोबाइल पर... लोकेशन शेयर... कर दी... और आने के लिए कह भी दिया.... अगर मैं आज ना... पाई होती... तो.... ओह गॉड... आप जानते हैं... मेरी ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है.... फिर भी... अपनी सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ आ पहुंची हुँ.... रास्ते में पकड़ीभी जा सकती थी...

विक्रम शुभ्रा का यह रूप देख कर सकपका जाता है l शुभ्रा जिस तरह उसके ऊपर बरस रही है, विक्रम की हालत भीगी बिल्ली जैसी हो जाती है l
शुभ्रा - (गहरी और तेजी से सांस लेती हुई) ओह... ऊफ... आह... जानते हैं... कितनी स्केच बनाना पड़ा... तब जाकर... मैं यहाँ आई... मतलब... आ.. ह.. ह यहाँ आ पाई....

इसबार विक्रम हँस देता है l उसकी हँसी देख कर शुभ्रा और ज्यादा चिढ़ जाती है l

शुभ्रा - (अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपको बड़ी हँसी.... आ रही है... हाँ.. हाँ... क्यूँ नहीं आएगी... आपका क्या जाएगा... जाना तो मेरा है ना.... पकड़ी गई... तो.... पापा कुछ नहीं सुनेंगे... सीधे शादी करा देंगे....उम्....

विक्रम झट से शुभ्रा के होंठो पर अपना होंठ रख देता है l शुभ्रा अपनी आँखे बड़ी कर विक्रम को देखती है l विक्रम के होंठों के गिरफ़्त में शुभ्रा की ऊपर की होंठ है l शुभ्रा को इसका एहसास होते ही उसकी आँखें टीम टीमाने लगती हैं l फ़िर धीरे धीरे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और विक्रम के निचले होंठ को अपनी होंठों में ले लेती है l विक्रम के दोनों हाथ शुभ्रा के पीठ पर रेंगने लगती हैं l शुभ्रा भी अपने दोनों हाथ विक्रम के बालों में फंसा कर विक्रम के चुंबन में साथ देती है l धीरे धीरे चुंबन गहरा और गहरा होता जाता है l इतना गहरा के सांस उखड़ने लगते हैं दोनों के l फिर दोनों ना चाहते हुए भी एक दूसरे से अलग होते हैं गाड़ी से शट कर पहले शुभ्रा नीचे बैठ जाती है फ़िर बगल में विक्रम भी बैठ जाता है l दोनों अभी भी हांफ रहे हैं और साँसों को दुरूस्त करने की कोशिश करते हैं l विक्रम देखता है सुरज की लाली मद्धिम पड़ अंधेरे में छुपने की तैयारी में है वहीँ शुभ्रा का पुरा चेहरा शर्म व हया के मारे अभी भी लाल दिख रही है और नीचे झुकी हुई है l

शुभ्रा - (अपनी चेहरे को दोनों हाथों से छुपा कर) यह आपने क्या किया.... विक्रम जी....
विक्रम - (उसके दोनों हाथों को चेहरे से हटा कर अपनी उंगली को उसके होंठ पर रख देता है) श्श्श.. श्श्श्श्... इससे पहले कि यह सुरज डुब जाए.... आपको कुछ कहना है... प्लीज... (शुभ्रा चुप हो जाती है) आप आए.... हैं... ठहर जाइए... मेरे पास... सारी उम्र के लिए...
शुभ्रा - (अपने मुहँ से विक्रम की हाथ को हटा कर) क्या... क्या मतलब है... आ..पका....

विक्रम शुभ्रा की हाथों को अपने हाथों में लेकर अपने घुटनों पर बैठ जाता है, शुभ्रा की साँस रुक रुक कर चलने लगती है और दोनों एक दूसरे के आँखों में देखने लगते हैं l

विक्रम - हमे एहसास हो रहा है.... आप भी जानते हैं... हमने आपको यहाँ क्यूँ बुलाया है... फ़िर भी... हमे कहना है... शुभ्रा जी...

हर तरफ ग़मों का तेज़ तूफां था...
हर तरफ मुश्किलों के रेले थे...
आज आप आए तो जाना...
कल किदर हम कितने अकेले थे...

जबसे आपको हमने देखा है.... तब से एक बात का एहसास हुआ है... हम आपके बगैर अधूरे हैं... आप हमे पुरा कर दीजिए... शुभ्रा जी... आई लव यु...

शुभ्रा भी घुटनों पर आ जाती है विक्रम के समाने और विक्रम के हाथों को ज़ोर से पकड़ती है l

शुभ्रा - उस दिन मेरा... जनम दिन था... अचानक पापा ने... मुझे शॉक देते हुए.... मेरी शादी की बात... उनके दोस्त के बेटे के साथ.... करने का फैसला सुनाया... मैं ... डर कर वहाँ से भाग रही थी... के आप से मैं टकरा गई... बचपन में जब मैं रूठ जाती थी.... भाग जाया करती थी... पर पहली बार... आपसे टकराई और... उस दिन से मैं... रुक गई... हूँ... थम गई हूँ... जम गई हूँ... रम गई हूँ.... के आज तक वहीँ मैं रुकी हुई हूँ... सिर्फ़ आपके लिए.... यस... आई लव यु ठु...

कह कर शुभ्रा वैसे ही घुटनों पर बैठे बैठे विक्रम के हाथों को छोड़ विक्रम को कस कर गले लगा लेती है और उसके सीने में अपना चेहरा छुपा लेती है l विक्रम अपने दोनों दोनों हाथों से उसके चेहरे को उठाता है और शुभ्रा के माथे पर एक चुंबन देता है l फ़िर दोनों सीधे बैठते हुए गाड़ी से शट कर सुरज जो थोड़ा सा ही दिख रहा है उसे डूबते हुए देख रहे हैं l

विक्रम - शुभ्रा जी...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आई एम सॉरी....
शुभ्रा - क्यूँ...
विक्रम - हम जानते थे... आप पार्टी अध्यक्ष की बेटी हैं.... आपको ऐसे बुलाना ठीक नहीं था....
शुभ्रा - (तुनक कर) हाँ.. यह तो है... विक्रम जी... यु शुड बी सॉरी... (जोर जोर से) जानते हैं... आपसे मिलने आने के लिए... मुझे कितने पापड बेलने पड़े...
विक्रम - नहीं....
शुभ्रा - आपको मेरी बातों से क्या लगता है... मैं मज़ाक कर रही हूँ...
विक्रम - नहीं... इसलिए तो सॉरी कह रहे हैं....
शुभ्रा - आपने तो मैसेज करदिया.... लोकेशन शेयर करके... मिलने बुला लिया.... वह भी अकेले... जरा सोचिए... मैं कहीं भी जाऊँ... मेरे साथ दो... सांढ होते हैं... एक गार्ड ड्राइवर और एक गार्ड....
विक्रम - फ़िर आप आईं कैसे...
शुभ्रा - क्या करूँ...(शुभ्रा विक्रम के बाएं हाथ को पकड़ कर विक्रम के कंधे पर अपना सर रख कर) दिलबर का सन्देशा था... अकेले मिलने का इरादा था... इसलिए... मैंने अपने दोस्तों के साथ... आइनॉक्स में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया.... मैंने माँ को फोन कर परमीशन ले लिया... और सारे दोस्तों के साथ मिलकर... आइनॉक्स चली गई.... फ़िर दोनों गार्ड्स के लिए अलग मूवी का... टिकट कर उन्हें फ़िल्म भेज दिया और अपने दोस्तों को.... एक और मूवी को भेज दिया.... एक सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ पहुंच गई.... अपने महबूब के पास...
विक्रम - ओ ह... आपने तो... बड़ी... तिकड़म भीड़ाई है...
शुभ्रा - (शर्माते हुए) अब तो... सब ठीक हो गया है... मैं चलूँ...
विक्रम - सब हो गया है... मतलब....
शुभ्रा - ऊँ... ह्... (विक्रम के कंधे पर एक मुक्का मारते हुए) मैं चलूँ...
विक्रम - पर... हमने... जिसके लिए... बुलाया था... वह अभी... हुआ कहाँ है....
शुभ्रा - क्या.. (हैरानी से विक्रम की हाथ को छोड़ कर खड़ी हो जाती है और आँखे सिकुड़ते हुए अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपने किस लिए बुलाया था....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) आरे... (थोड़े शरारत भरे अंदाज में) आप जो समझ रही हैं.... उसके लिए तो नहीं है....
शुभ्रा - (शर्माते हुए) मैंने सिर्फ यह पूछा.... आपने मुझे बुलाया किस लिए....
विक्रम - (शुभ्रा के कमर को पकड़ कर गाड़ी के उपर बिठा देता है, और शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) शुभ्रा जी... क्या आप... मेडिकल पढ़ेंगी...
शुभ्रा - पढ़ना चाहती हूँ... पर...
विक्रम - क्या आप पढ़ेंगी...
शुभ्रा - ठीक है... अगले साल....
विक्रम - नहीं... इसी साल...
शुभ्रा - इस साल... विक्रम जी... साल बीतने में... और दिन ही... कितने बचे हैं...
विक्रम - वह... हम नहीं जानना चाहते... हम चाहते हैं कि... आप मेडिकल... इसी साल से शुरू करें...
शुभ्रा - आर यु गॉन म्याड... हाउ...
विक्रम - वह मैंने... एक कॉलेज में... बात कर ली है...
शुभ्रा - क्या... अभी तो फ्री सीट कहीं नहीं होगी.... अब इस टाइम में... मतलब... किसी प्राइवेट कॉलेज के... मैनेजमेंट कोटे से... वह भी अगर बचा हो तो....
विक्रम - हमने कहा ना.... हमने बात कर ली है....
शुभ्रा - (हैरानी से आँखे बड़ी हो जाती है) व.. व्हाट... मुझे... अपने कॉलेज से... टीसी निकाल कर... फिर जॉइन करनी होगी... मतलब.... पापा को... मुझे... सब समझाना होगा.... (अपना हाथ बढ़ा कर) उतारिए पहले मुझे आप... (विक्रम उसके कमर को पकड़ कर उतार देता है) आज ही... प्यार का इजहार हुआ है... आप चाहते हैं... अगर मैं... मेडिकल पढ़ुं... तो... आप हमारे बारे में.... पापा जी से बात... कर मनाएं...
विक्रम - नहीं... अभी के लिए... हम यह... नहीं... कर सकते हैं...
शुभ्रा - अभी के लिए... नहीं कर सकते... मतलब....
विक्रम - हम चाहते हैं... जब तक... आपका मेडिकल ख़त्म ना हो... तब तक... हमारा प्यार... किसीको... मालूम ना हो... सिर्फ़ इतना ही नहीं.... आपके मेडिकल खतम होने तक.... हम एक दुसरे से... मिलेंगे भी नहीं... बातेँ सिर्फ फोन पर होंगी... पर मुलाकातें... बिल्कुल भी नहीं....
शुभ्रा - क्या... एक मिनट... एक मिनट... क्या मैंने सही सुना... या मेरे कान बज रहे हैं...
विक्रम - शुभ्रा जी (उसके कंधों को पकड़ कर) अपने सही सुना है...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के हाथों को अपने कंधे से हटा कर) टर्मस् एंड कंडीशनस्.... वह भी... आज ही के दिन.... पुछ सकती हूँ... क्यूँ...
विक्रम - वह... मैंने... किसीकी चैलेंज... एसेप्ट की है...
शुभ्रा - चैलेंज... किसीने मुझसे कहा.... हमारा प्यार... एक फटाल एट्राक्शन है.... इस उम्र में... यह स्वाभाविक है... एक ब्लैंक सा जो फिल् होता है... एक के जाने से... दुसरे से भर जाता है.... अगर आप मेरे नजरों के सामने ना रही तो... मेरा दिल किसी और पे आ सकता है... और हम आपके सामने ना रहें तो.... आपका दिल किसी और पे... आ सकता है... पर हमे अपने प्यार पर भरोसा है.... इसलिए... हमने यह राह चुनी है... और इसमें हमे आपका साथ चाहिए.... शुभ्रा जी..
शुभ्रा - (कुछ देर के लिए चुप रहती है) तो... हमारी मेडिकल खतम होते होते... साढ़े चार साल से कम होगी... तब तक हम एक दूसरे से... मिलेंगे नहीं... सिर्फ़ फोन पर बातेँ करेंगे....
विक्रम - जी....
शुभ्रा - और यह बात.... किसीसे भी ना कहें...
विक्रम - जी...
शुभ्रा - पर आप भुल... रहे हैं... हमे... अपनी कॉलेज से... टीसी... निकलनी होगी... और हम पापा को और माँ को... क्या.... समझाएंगे... और कैसे... मेडिकल कॉलेज में... सीट मिली... वह भी ऐसे समय में.... यह मत भूलिए.... हमारे पापा... एक मिनिस्टर हैं... वह... पता लगा ही लेंगे....
विक्रम - देखिए.... हमने जिनके कॉलेज में... बात की है... वह भी एक मिनिस्टर हैं... हेल्थ मिनिस्टर... तो... शायद आपके पापा.... ज्यादा तहकीकात ना कर पाएं.... अगर करेंगे भी तो.... आप जो भी... जूठ बोलेंगी... हम बाहर रह कर... उस झूठ को सच्च बना कर... प्लॉट करेंगे...
शुभ्रा - ठीक है... आप हमारी गोल को... हम तक पहुंचा रहे हैं... तो हम कुछ ना कुछ.... करेंगे ज़रूर....
विक्रम - ओ... शुभ्रा जी... थैंक्यू... थैंक्यू.. वेरी मच...
शुभ्रा - रुकिए.... सब्र कीजिए.... आपका यह मंसूबा... तभी पूरा हो सकता है.... जब आप हमे हमारे घर चोरी से आयेंगे.... और चोरी से चले भी जाएंगे....
विक्रम - व्हाट...
शुभ्रा - हाँ...
विक्रम - य... यह... यह कैसा... कंडिशन है...
शुभ्रा - ओ... हैलो... यह कंडिशन नहीं है... कंडिशन तो आगे है... वह भी मेरे... इस थ्रिलर चैलेंज को पुरा करने के बाद....
विक्रम - कंडिशन से पहले... थ्रिलर चैलेंज किसलिए....
शुभ्रा - क्यूँ... क्यूँ नहीं... आपने मुझे बुलाया... हमने... कितनी रिस्क लेकर... यहाँ पहुंचे... तो हम भी देखें.... आप हमारे लिए... कितना रिस्क ले सकते हैं...

इतना कह शुभ्रा चुप हो जाती है, विक्रम उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहा है l विक्रम फिर कुछ सोचता है और

विक्रम - ठीक है... शुभ्रा जी... हम आज रात को ही.... आपके कमरे में आयेंगे.... किसीको को भनक तक नहीं लगेगी... पर आप कल ही... कॉलेज से... टीसी ले लेंगी और... निरोग मेडिकल इंस्टिट्यूट में.... जॉइन करेंगी....
शुभ्रा - क्या.... कल...
विक्रम - हाँ
शुभ्रा - पर कल ही क्यूँ...
विक्रम - वह असल में... हम कल शाम को... राजगड़ जा रहे हैं....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - वहाँ पर हम... कुछ दिन रुकेंगे.... क्यूँकी... कुछ... रिचुअलस्... पफर्म करना है...
शुभ्रा - हाँ तो...
विक्रम - हम चाहते हैं... की... हम एक दोराहे से... अलग हों... ताकि हम एक दुसरे की गोल.... हासिल कर सकें... इन साढ़े चार सालों में... हम अपने घर में आपके लिए जगह बनाएंगे... और पापा के नजर में... खुदको आपके योग्य... खुदको... प्रमाणित करेंगे...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l उसे चुप देख कर विक्रम भी खामोश हो जाता है l जब कुछ देर तक शुभ्रा से जवाब नहीं मिलता तो

विक्रम - शुभ्रा जी.... क्या कोई गलत बात कर दी हमने....
शुभ्रा - ठीक है... आप अपना चैलेंज पूरा कीजिए.... यह ना भूलें... हम एमएलए कॉलोनी में रहते हैं... हाई सिक्युरिटी जोन में... आपको... आना है और चले भी जाना है....
विक्रम - (मुस्कराता कर) जी... और टर्म एंड कंडिशन...
शुभ्रा - वह कल मैं... मेडिकल... एडमिशन के बाद....
विक्रम - ठीक है...

शुभ्रा वापस गाड़ी के पास जाती है l गाड़ी के पास पहुंच कर डोर खोलती है पर अंदर नहीं जाती, पीछे पलट कर देखती है विक्रम अपने चेहरे पर मुस्कान सजाए उसे एक टक देखे जा रहा है l शुभ्रा भाग कर विक्रम के पास आती है और उसके होठों पर टुट पड़ती है l अचानक हुए हमले से विक्रम भी भौचक्का रहा जाता है फिर चुंबन का एहसास होते ही वह भी शुभ्रा का साथ देने लगता है l धीरे धीरे किस जेंटल से वाइल्ड होती जाती है फ़िर दोनों की सांसे उखड़ने लगती है l
शुभ्रा के हलक से गुं गुं की आवाज़ आती है पर मदहोशी विक्रम को होश ही नहीं रहता वह और भी उग्र हो कर चुम्मी ले रहा है l

शुभ्रा - आ... ह्... (खुदको विक्रम से अलग करती है) जंगली कहीं के... आ... ह्..
विक्रम - ओ ह... (शुभ्रा के होठों से खून निकालता देख) सॉरी... शुभ्रा जी... एक्सट्रीमली सॉरी... हमारा... ऐसा बिल्कुल भी इरादा नहीं था.... वह...
शुभ्रा - (शर्म के मारे सर नीचे झुका कर) ठीक है... चलती हूँ... (गाड़ी के पास भाग जाती है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आ.. आइ एम... सॉरी... प्लीज...
शुभ्रा - (अपनी लाई गाड़ी की डोर खोल कर बैठ जाती है और गाड़ी घुमा कर रोक देती है, खिड़की से बाहर अपना सर निकाल कर) आई लव यू... विकी... आई लव यू...

फिर गाड़ी को तेजी से भगा देती है, और वहाँ पर विक्रम खुशी से उछालते कुदते हुए चिल्लाता है l

आई लव यु मेरी जान आई लव यु

शुभ्रा की गाड़ी विक्रम की नजरों से दूर होते ही विक्रम अपनी गाड़ी के पास आता है और वह भी उस जगह को छोड़ कर चला जाता है l


उधर ESS ऑफिस में महांती अपने कैबिन में बैठा नए रिक्रूट के लिस्ट चेक कर रहा है l तभी उसके कैबिन के दरवाजे पर दस्तक होती है l महांती दरवाजे की ओर देखता है

महांती - अरे... युवराज जी.... आप क्यूँ दरवाज़ा खटखटाने लगे.... आपका ही तो ऑफिस है.... आप ऐसे आकर हमें... शर्मिंदा कर रहे हैं....
विक्रम - (अंदर आते हुए) ऐसी बात नहीं है... महांती... हमारा आपके पास एक काम है...
महांती - तो हुकुम करें... आप हमें... अजनबियों की तरह... ट्रीट तो ना करें...
विक्रम - (महांती के समाने बैठते हुए) महांती... हमारे बीच एक... प्रोफेशनल रिस्ता है.... अगर हम एक कदम आगे बढ़ कर.... दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.... तो क्या आपको हमारी दोस्ती स्वीकार होगा...
महांती - यह तो मेरे लिए... सम्मान की बात होगी....
विक्रम - ठीक है... महांती.... (विक्रम हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है) हम तुमसे वह कहने आए हैं... जो अभी तक हमने... किसीसे नहीं कही है....
हम... वह... मतलब... हमे... किसीसे... मुहब्बत हो गई है....
महांती - ह्म्म्म्म.... (विक्रम के हाथ थाम कर) पर युवराज... यह तो कोई... समस्या नहीं है... आप युवराज हैं.... आप जिसे चाहें... मेरा मतलब है... किसीसे भी... शादी कर सकते हैं....
विक्रम - नहीं महांती.... राज परिवार में... रिश्ता... राज परिवार से आती है... और वह... हम जिनसे... प्यार करते हैं... राज परिवार से नहीं हैं...
महांती - तो क्या हुआ... उनका परिवार... और.. जात से... वह लोग छोटे तो नहीं है... और राजनीतिक क्षेत्र में... उनकी परिचय... और रुतबा.... आपके टक्कर की है....
विक्रम - (हैरानी से) आ... आप... किसकी बात कर रहे हैं...
महांती - बीरजा किंकर सामंतराय... ****पार्टी के अध्यक्ष... मैं उनकी बात कर रहा हूँ....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) व्हाट.... आप जानते हैं...

महांती - रीलाक्स... उस दिन मैंने आपको और... उनकी बेटी... को... फूड स्टॉल के पास देख लिया था.... बस गैस लगा लिया....
विक्रम - (बैठते हुए) वह... उन्होंने हमे एक... थ्रिलर चैलेंज दिया है.... पर हम कैसे पूरा करें.... समझ में नहीं आ रहा है...
महांती - ह्म्म्म्म.... आप उनसे... कुछ समय पहले... मिलकर आ रहे हैं....
विक्रम - हाँ... पर आपने यह भी... गैस किया क्या...
महांती - नहीं... कंफर्म किया...
विक्रम - मतलब...
महांती - आप बहुत ही एक्साइटमेंट में... अपने होंठों को... ठीक से साफ नहीं किया....
विक्रम - ओ... (शर्मा जाता है) सॉरी... (अपना रुमाल से होंठों को साफ करने लगता है)

विक्रम चोर नजर से महांती को देखता है l महांती उसे देखते हुए मुस्करा रहा है l विक्रम जब कुछ कह नहीं पाता तो महांती विक्रम से पूछता है

महांती - कहिए... युवराज.... क्या चैलेंज दिया है... बहु रानी ने....

विक्रम सारी बातें बताता है l तो कुछ देर के लिए महांती सोच में पड़ जाता है l अचानक की आंखों में चमक आ जाती है

महांती - ठीक है... हो जाएगा...
विक्रम - क्या.... हो जाएगा... पर कैसे...

महांती अपने टेबल ड्रॉ से एक मैप निकालता है और विक्रम को प्लान समझाता है l प्लान सुनने के बाद विक्रम की भी आँखों में चमक आ जाती है l विक्रम खुशी के मारे महांती को गले लगा लेता है l


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ठक ठक ठक
दरवाज़े पर दस्तक हो रही है l शुभ्रा उबासी लेते हुए चिल्लाती है

शुभ्रा - क्या है... क्यूँ दरवाज़ा तोड़ रहे हो...
माँ - क्यूँ आज किस खुशी में... इतनी देर तक सोई हुई हो... सुरज सर पर आने वाली है... आज कॉलेज नहीं जाना है क्या...
शुभ्रा - क्या... (झट से उठते हुए) सुबह गई क्या माँ....
माँ - हे भगवान... क्या होगा इस लड़की का... रात भर सोई नहीं क्या... चल उठ... और जल्दी तैयार होकर नीचे आ...
शुभ्रा - ठीक है माँ.... आप चलिए... मैं फ्रेश हो कर आती हूँ...
माँ - ठीक है... जल्दी आना...
शुभ्रा - हाँ... (फ़िर अपने मन में) हूँ.. ह... बड़े युवराज बने फिरते हैं... एक चैलेंज दिया... वह भी ना हुआ उनसे... हूँ.. ह...


इतना सोच कर टेबल लैम्प के पास रखे अपनी मोबाइल फोन के तरफ हाथ बढ़ाती है l अचानक उसके आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती है l मोबाइल फोन के नीचे एक गुलाबी रंग के लिफाफा दिखता है l वह उस लिफाफे को निकालती है तो लिफाफे पर उसे दिल के शेप एक बड़ी सी स्टिकर दिखती है l शुभ्रा की दिल की धड़कन बढ़ जाती है l उसके गाल लाल हो जाती हैं l कांपते हाथों से वह स्टिकर निकालती है l अंदर उसे गुलाबी रंग की खत मिलती है गुलाब के पंखुड़ियों के साथ l
शुभ्रा की दिल की धड़कन अब सुपर फास्ट ट्रेन की तरह भागने लगती है l शुभ्रा खत खोलती है

"क्या कहें... क्या ना कहें... हम तो बस आपके हुस्न के दीदार करते रहे और उसमें खो गए... I एक चांद आसमान में चमक रहा था.... और एक चांद अपनी जुल्फों के बादलों के साये में सिमटे सो रहा था.... कितनी मासूमियत... थी चेहरे पर... कैसे जगा सकते थे... हम... यह गुस्ताखी ना हो पाया हमसे.... हम आए भी और जा भी रहे हैं... किसीको कुछ भी पता ना चला.... यही चाहती थी ना आप... तो क्या हम आपके थ्रिलर चैलेंज में खरे उतरे.... अगर हाँ तो.... आज आप अपने कॉलेज से टीसी लीजियेगा...
और बिना देरी किए निरोग हस्पताल पहुंच कर **7****420 नंबर पर कॉल कर दीजिएगा... बात हो चुकी है... वह बाकी फॉर्मालीटी पूरा कर देगा... यह सब होते ही... आप अपने टर्मस् एंड कंडीशनस् के लिए बुला लीजिएगा.... हम आपके सेवा में... हाजिर हो जाएंगे...

आपका सिर्फ़ आप ही का विकी...


शुभ्रा खत पढ़ कर खुशी के मारे विस्तर पर गिर जाती है l और अपने आप से बात करने लगती है l

- इसका मतलब... विकी आए थे.... ओह माय गॉड... छी... मैं कैसे सो गई... हूँ.. ह
पर वह आए कैसे... कैसे किसीको पता नहीं चला... (अपने बिस्तर पर सिकुड़ कर बैठ जाती है) ओह... मुझे अभी भी यकीन नहीं हो पा रहा है... वह आए... मेरे लिए... यह खत भी लिखा.... अमेजींग... वाव... वाकई... क्या थ्रिलींग एक्सपेरियंस है... युवराज जी.... हो जाइए तैयार... अब एडमिशन खतम होने के बाद मुलाकात होगी...

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सेंट्रल जैल
तापस की चैम्बर में
विश्व आता है और देखता है तापस कमरे में एक तरफ से दुसरे तरफ चहल कदम कर रहा है l

विश्व - मैं अंदर आ जाऊँ... सर..
तापस - ओह... आइए... विश्व प्रताप... आइए...(विश्व के अंदर आते ही) आपका हाथ कैसा है सर...
विश्व - (अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाकर तापस को दिखाता है, उसके हाथ में क्रैप्ट बैंडेज बंधा हुआ है)
तापस - मैंने कहा था... वह तुमको अपनी कीचड़ में.. घसीटेगा... पर तुम नहीं माने... देखो क्या हो गया है अब... (विश्व कुछ नहीं कहता) तुम्हें उसको मारने की नौबत आई ही क्यूँ...
विश्व - क... कुछ नहीं... गलती मेरी थी... वह... मुझे कुछ लोगों ने समझाया भी था वहाँ... पर मैंने ही... उन्हें अनसुना कर दिया था... और नतीज़ा... यह...

तापस - (अपनी कुर्सी में बैठते हुए) विश्व... तुम्हें... संयम से काम लेना था... देखो विश्व... यह डैनी... यहाँ पर पहली बार... नहीं आया है... जैसा कि मैंने पहले भी कहा था... वह यहाँ... टूरिस्ट है... बस इस बार थोड़े लंबे समय के लिए यहाँ है... इस जैल में... उसने एक नियम... चलाया था...
विश्व - कौनसा नियम... सर....
तापस - बता रहा हूँ... विश्व... बता रहा हूँ... पहले... जैल में... अगर कभी कैदियों में... लड़ाई या झगड़ा हो जाता था... तो दंगे हो जाते थे... पर एक दिन... डैनी ने एक नियम बनाया... जिन कैदियों में... लड़ाई या झगड़े की नौबत आ जाती थी... वह अपना गुस्सा... शनिवार रात को.... एक दुसरे से लड़ते हुए... उतारते थे... पहले पहले... जैल में यह खुब हुआ.... आगे चलकर... धीरे धीरे कम होता चला गया... इसे इस जैल में... साटरडे नाइट स्कैरी सल्युशन कहा जाता है....
विश्व - अच्छा....
तापस - व्हाट... अच्छा... क्या अच्छा... जरा तुम सोचो.... अगर तुम्हें उस इवेंट में... हिस्सा लेने के लिए बाध्य किया गया.... तुम क्या करोगे... (विश्व सोच में पड़ जाता है) देखो विश्व... तुमने उस आदमी पर हाथ उठाया है... जिसके वकील ने... तुम्हारा ग्रैजुएशन का जिम्मा उठाया है.... तुमने हाथ उठाने से पहले... कम से कम यह तो सोच लिया होता....
विश्व - अब मैं... क्या करूँ... सर... मुझे कुछ सूझ नहीं रहा है...
तापस - ठीक है... विश्व... मैं... मांडवली करने की कोशिश करता हूँ.... फ़िलहाल तुम जाओ... और जब मैं बुलाउं आ जाना....
विश्व - जी ठीक है...

कहकर विश्व बाहर चला जाता है l तापस बेल बजाता है तो जगन भागते हुए आता है l जगन को डैनी को बुलाकर लाने को कहता है l कुछ देर बाद डैनी आता है l डैनी के नाक में दो निको प्लास्टर लगा हुआ है l

तापस - आओ डैनी... बैठो....
डैनी - इतनी मेहरबानी की वजह... (बैठ जाता है)
तापस - कुछ जानना चाहता हूँ... तुमसे...
डैनी - क्या...
तापस - कल तुमने... विश्व को... प्रोवक क्यूँ किया....
डैनी - आप गलत दिशा में... केस को लिए जा रहे हैं.... विश्व ने मेरी नाक तोड़ी है... दिख नहीं रहा क्या आपको....
तापस - दिख रहा है... पर इस टूटे हुए नाक... के पीछे तुम क्या छुपा रहे हो... वह दिख नहीं रहा है...
डैनी - सेनापति सर... सबने देखा है... विश्व से... मैं सिर्फ़ बातेँ कर रहा था... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी...

तापस - हाँ... देखा है... मैंने सब कुछ.... सीसी टीवी पर.... सब तुमने किया है.... अगर तुमको उसे आगे... पढ़ाना ही नहीं था.... तो... मना कर देते... उसकी पढ़ाई रोकने के लिए... यह ड्रामा करने की... क्या जरुरत थी....
तापस - सेनापति सर.... पूरी दुनिया जानती है.... डैनी जान हार सकता है.... अपना जुबान नहीं... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की फिक्र है... तो यकीन मानिए... चाहे कुछ भी हो जाए... उसकी पढ़ाई नहीं रुकेगी... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की चिंता है... तो फिक्र ना करें... उसकी ग्रैजुएशन पूरी होगी....
तापस - इसका मतलब... तुम विश्व को कुछ नहीं करोगे...
डैनी - यह तो मैंने नहीं कहा है.... सेनापति सर... किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं थी... डैनी को हूल दे सके... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी... उसे ऐसे कैसे छोड़ दूँ....
तापस - तो फ़िर मुझे मजबूरन... विश्व को एक अलग जैल में... भेजना पड़ेगा...
डैनी - ऐसी गलती मत कीजिएगा... तब विश्व कभी भी नहीं पढ़ पाएगा... मरते दम तक भी नहीं....
तापस - तो क्या चाहते हो... मैं विश्व को.. तुम्हारे हवाले कर दूँ....
डैनी - हाँ...
तापस - (अपनी कुर्सी से उठ कर) देखो डैनी... वह बेचारा.... तकदीर का मारा है... फिर भी... समाज में... अपना मुक़ाम पाने की.. जद्दोजहद में है.... और तुम... जिसे ना समाज की फिक्र है.... और ना ही... समाज को तुम्हारी ज़रूरत है.... इसलिए कहो.... विश्व से दूर रहने के लिए.... तुम्हें क्या चाहिए...
डैनी - आप इतने पर्सनल क्यूँ हो रहे हैं.... यह दो कैदियों के बीच का मामला है... आप आँखे मूँद कर पड़े रहिए...
तापस - (चिल्ला कर) शट अप.... मैं यहाँ... विश्व के लिए... तुमसे... मांडवली कर रहा हूँ... और सुनो विश्व को कुछ भी हुआ.... तो चाहे कानून मुझे कोई भी सजा दे... मैं तुम्हें गोली मार दूँगा....
डैनी - अरे... बाप... रे... मैं तो डर गया...
तापस - (थोड़ा नरम पड़ते हुए) देखो डैनी... प्लीज... मेरे मन में... एक ग्लानि है... के मैं उसकी मदत ना कर सका... उस ग्लानि को... और मत बढ़ाओ प्लीज...
डैनी - (तापस को गौर से देखता है) पता नहीं क्यूँ... सेनापति सर आपको इस हालत में देख कर... बड़ी दया आ रही है... चलिए आप भी क्या याद रखेंगे... विश्व को ना मारने के एवज में... मेरे कुछ शर्तें होंगी... अगर विश्व वह मान गया.... तो वादा रहा... विश्व पर बिलकुल भी हाथ नहीं उठाऊंगा....
तापस - कैसी शर्तें...
डैनी - आपको नहीं.... सेनापति सर.... मैं विश्व को बताऊँगा.... आपके सामने बताऊँगा.... पर शर्तें विश्व को ही बताऊँगा.....
तापस - ठीक है.... अब तुम जाओ.... मैं जब तुमको बुलाऊं... आ जाना...
डैनी - ठीक है... सर... (कह कर डैनी बाहर चला जाता है)

थोड़ी देर के बाद तापस के चैम्बर में एक तरफ विश्व और दूसरी तरफ डैनी बैठे हुए हैं l

तापस - विश्व... मैं यहाँ... तुम दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा... और ना बढ़े... इसलिए... मध्यस्थता कर रहा हूँ.... विश्व.... तुम्हारे लिए... ग्रैजुएशन कितना महत्पूर्ण है... उसे ध्यान में रख कर... डैनी से बात कर सकते हो....
विश्व - डैनी... भाई... वह जो हुआ... मेरी गलती थी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ कर दूँ तुझे.... इतना बड़ा दिल नहीं रखता... हाँ तुझे ना मारूं... उसके लिए मेरी कुछ शर्तें हैं.... अगर मान जाता है.... तो.... तो... तो...
विश्व - जी कहिए...
डैनी - जब तक मैं इस जैल में हूँ.... तब तक... तुझे मेरे बैरक में आ कर... सुबह से लेकर शाम तक... मेरी गुलामी करनी होगी....
तापस - व्हाट... नॉनसेंस.... अगर सुबह से शाम तक... गुलामी करेगा... तो पढ़ाई कब करेगा....
डैनी - मैंने शाम तक कहा है... शाम से रात तक वह पढ़ाई करेगा.... क्यूँ बे... मंजुर है तुझे...
विश्व - ठीक है... डैनी भाई... मुझे मंजूर है...
तापस - पर... तुम... विश्व से गुलामी ही... कराना क्यूँ चाहते हो...
डैनी - ताकि... जो जैल से गए हैं.... जो जैल में हैं.... और जो आगे कभी आयेंगे.... उनको यह मालुम हो... विश्व अपनी जान बचाने के लिए... डैनी की गुलामी करी.... तुझे मंजुर तो है ना....
विश्व - जी... मुझे मंजूर है....
तापस - विश्व.. इससे... तुम्हारे पढ़ाई पर असर पड़ सकता है....
विश्व - सर... डिग्री ही हासिल करनी है.... कोई आईएएस की... तैयारी नहीं करनी है.... पास मार्क आ जाए... वही काफी है....
डैनी - लो सेनापति सर... बात खतम... कल सुबह सुरज निकलने से पहले.... मेरे बैरक में पहुंच जाना और.... सुरज डूबने के बाद चले जाना....
विश्व - ठीक है...
तापस - ठीक है... डैनी... पर मैं तुम्हें याद दिला दूँ... अगर विश्व को... कोई शारीरिक हानि तुमने पहुंचाई... तो...
डैनी - तो आप मुझे... गोली मार दीजियेगा...

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दो पहर का समय ढ़ल चुका है
विक्रम के मोबाइल फोन पर मैसेज ट्यून बजती है l विक्रम फोन खोल कर देखता है तो उसमे एक लोकेशन शेयर किया है शुभ्रा ने एक मैसेज के साथ - अकेले हैं... आपका इंतजार है... अकेले आइयेगा...
विक्रम के चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान खिल उठता है l वह गाड़ी स्टार्ट कर रोड पर दौड़ा देता है l गाड़ी भुवनेश्वर को छोड़ खुर्दा की ओर जाने लगती है फिर गाड़ी खुर्दा भी पीछे छूट जाती है l विक्रम एक पहाड़ के नीचे अपनी गाड़ी रोकता है l गाड़ी से उतर कर पहाड़ की ओर देखता है l वहाँ पर एक बोर्ड पर उग्र तारा मंदिर लिखा देखता है l विक्रम सीढ़ियां चढ़ते हुए उपर मंदिर में पहुंचता है l मंदिर में उसे सिर्फ़ शुभ्रा ही दिखती है जो माता रानी के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हुई है l विक्रम उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l शुभ्रा उसे देख कर मुस्कराते हुए देखती है और माता रानी के पांव के पास लाल चुनरी से ढके एक थाली ले कर आती है l

विक्रम - यहाँ पर क्यूँ....
शुभ्रा - यह... उग्र तारा माता हैं.... हमारे कुलदेवी...
विक्रम - ओह... पर फ़िर भी यहाँ क्यूँ...
शुभ्रा - आज आपके वजह से... मेरे... सपने को... दिशा मिली है... और हमारे बीच जो है... और जो होने वाला है... उसे अगले साढ़े चार साल तक... किसीसे कह नहीं सकते... यह आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् था....
विक्रम - हाँ...
शुभ्रा - और अब मेरी... टर्मस् एंड कंडीशनस् हमारे रिश्ते को... पूर्णता के लिए... क्या आप तैयार हैं...
विक्रम - हाँ... बिल्कुल...

शुभ्रा थाली पर से चुनरी हटा देती है l विक्रम देखता है कांस की थाली में एक जगह थोड़ी कुमकुम है और एक हल्दी और कुमकुम की धागे में बंधी एक ताबीज़ जैसी रखी हुई है l

विक्रम - यह क्या है....
शुभ्रा - आप मुझसे कितना प्यार करते हैं....
विक्रम - हम नहीं जानते.... पर इतना कह सकते हैं... हमे यह एहसास है.... हम इस दुनिया में... आपके लिए ही उतारे गए हैं... आप हैं इसलिए हम हैं... आप नहीं तो हम भी नहीं....
शुभ्रा - तो यह कुमकुम लीजिए.... और मेरी मांग भर दीजिए....
विक्रम - क्या... यह... यह आप क्या कह रही हैं...
शुभ्रा - आज मुझे यह खुशी.... दे दीजिए... जिसको लेकर... मैं यह साढ़े चार साल गुजार दूँगी...
विक्रम - क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है....
शुभ्रा - भरोसा है... तभी तो... माँ जगत जननी के सामने... यह मांग रही हूँ... इसके बाद जब तक आप नहीं चाहेंगे... तब तक मैं... दुनिया के सामने... नहीं कहूँगी...
विक्रम - पर...
शुभ्रा - देखिए... आपने जैसा कहा.. मैंने वैसा ही किया.... क्या आप मेरी बात नहीं रखेंगे...
विक्रम - अगर मांग भर गई... तो आप छुपायेंगी कैसे...
शुभ्रा - मांग मेरी ... आज और अभी भर दीजिए... मुझे सुहागन बना दीजिए.... मैं मांग छुपा लुंगी... अपनी बालों के सहारे.... मैं सुहागन हूँ... बस यह एहसास होता रहे... और कुछ नहीं चाहिए... मुझे यह मंगल सूत्र... वह एहसास दिलाता रहेगा...
विक्रम - क्या... यह मंगल सूत्र है...
शुभ्रा - जी... हल्दी और कुमकुम से नहाए हुए धागों में बंधा हल्दी का टुकड़ा... जिसे मैंने लाल कपड़ों में बाँध छुपा दिया है... इसे मेरे गले में बाँध दीजिए...
विक्रम - शुभ्रा जी... यह
शुभ्रा - देखिए... अगर कल को... आप कभी मुझे ना भी अपनाएं... तो भी मैं कोई शिकायत नहीं करूंगी.... प्लीज... (विक्रम को शुभ्रा के आवाज़ में दर्द महसुस होता है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आपने यह कह कर... हमारे प्यार का अपमान किया है.... हम आपको कैसे भुल जाएंगे... आपको कैसे नहीं अपनाएंगे....

इतना कह कर शुभ्रा की मांग में सिंदूर भर देता है और मंगलसूत्र बांध देता है l शुभ्रा झुक कर विक्रम के पैर छूती है l

विक्रम - अब बताइए... इसकी क्या जरूरत थी...
शुभ्रा - आप अगर किसी और सहर में होते... तो समझ में आता.... पर इसी सहर में रहकर... साढ़े चार साल की जुदाई... (आँखे छलक पड़ती हैं) इस दर्द को सहने के लिए ही यह सब....
विक्रम - (दोनों हाथों से शुभ्रा के चेहरे को लेकर) ओ... शुभ्रा... मेरी जान... आपके आँखों में... हम आँसू नहीं देख सकते हैं.... अब हमने आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् पूरा करदिया... फिर यह आँसू क्यूँ...
शुभ्रा - यह... यह.. खुशी के आंसू हैं...
विक्रम - ठीक है... पर.. ऐसी.. शादी की जिद क्यूँ की आपने...
शुभ्रा - तो क्या करती... कल ही... प्यार का इजहार हुआ.... और आज के बाद... साढ़े चार साल की जुदाई.... हम ने दूसरों की तरह... प्यार को जिए भी नहीं...
विक्रम - जानती हैं... किसी ने... हमसे कहा था... प्रेम कहानियाँ वही अमर हुई.... जिनमें अंत में प्रेमियों का मिलन नहीं हुई.... पर हमारी प्रेम कहानी में मिलन भी होगा.... और हमारी कहानी अमर भी होगी....
शुभ्रा - (विक्रम के गले लग जाती है) अच्छा एक बात बताइए... आप कल... एमएलए कॉलोनी की... सिक्युरिटी ब्रीच कर हमारे कमरे में... कैसे पहुँचे...
विक्रम - अरे भई... हम ना तो दिल्ली में हैं.... ना ही कश्मीर में... यहाँ कभी आतंकवादीयों गतिविधियाँ भी नहीं हुई है....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - कुछ नहीं... आपके... क्वार्टर के पीछे... हमारे यशपुर के एमएलए नकुल सिंह जी का क्वार्टर है... हमने उन्हें... उनकी वफादारी का वास्ता दिया... तो उनको... हार्ट अटैक का दौरा आया... और हमने एक एम्बुलेंस के जरिए उनके क्वार्टर में पहुंचे... बाकी... आपके क्वार्टर में घुसना... वहाँ आपके नाम चिट्ठी छोड़ना... वह सब हमारी कारीगरी था....
शुभ्रा - ओ... तो यह बात है...
विक्रम - अच्छा... इतने समय से हम यहाँ पर हैं... पर पंडित जी नहीं दिख रहे हैं....
शुभ्रा - जब आप यहाँ पर पहुंचे... तो मैंने उन्हें... मेरे मेडिकल मिलने की खुशी में... पूजा सामाग्री के लिए भेज दिया है... वह कुछ देर बाद... आ जाएंगे...
विक्रम - जब वह आयेंगे... तब तुम्हारे मांग में... उन्हें सिंदूर दिख जाएगा...

शुभ्रा - नहीं.. दिखेगा... उनके आने से पहले... चलिए.. चलते हैं....

इतना कह कर शुभ्रा अपने पर्स से एक नोटों की गड्डी निकाल कर थाली में रख देती है और एक चिट्ठी छोड़ देती है l फिर विक्रम को खिंचते हुए नीचे ले जाती है और विक्रम की गाड़ी में बैठ जाती है l विक्रम गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी वहाँ से निकाल कर भुवनेश्वर की ओर ले जाता है l

विक्रम - अभी फिर से शरारत शुरू... आपने चिट्ठी में क्या छोड़ा...
शुभ्रा - कुछ नहीं.... पुजा के लिए पैसे और... जल्दी जाने के कारण माफी.... (थोड़ा उदास होते हुए) आप आज शाम को जा रहे हैं....
विक्रम - हाँ... हमने आपको... बताया भी था... क्यूँ कुछ और भी चाहिए था क्या...
शुभ्रा - जानते हैं... कल हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई... और आज शादी भी हो गई... क्या प्यार है... क्या थ्रिलींग एक्सपेरीयंस है.... वाव... किसीके प्यार में.... ऐसा तो नहीं हुआ होगा....
विक्रम - हाँ यह आपकी जिद थी... पर वचन देते हैं... साढ़े चार साल के बाद... हमारी शादी बड़े धूमधाम से होगी...
शुभ्रा - वह तो जब होगी... तब होगी... फिर भी... हमारे इस प्रेम कहानी में... कुछ तो मीसींग है....
विक्रम - और वह क्या...
शुभ्रा - सब है... प्यार का इजहार.... फिर शादी.... यह यादें बन जाएंगी... जो आगे चलकर हमे हसाएंगी... रुलायेंगी पर... जो ना हो पाया.... वह है एक दुसरे से रूठना... मनाना...
विक्रम - (गाड़ी की ब्रेक लगाता है, शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर) शुभ्रा जी... अभी हम जिस बंधन में बंधे हैं... उसमें एक वचन और देते हैं... हम कभी भी.... किसी भी हाल में... किसी भी परिस्थिति में... आपसे नहीं रुठेंगे.... पर आपको हक होगा हमसे रूठने के लिए.... जब भी आप रूठेंगी.... हम आपको तब तक... मनाते रहेंगे... जब तक आप मान ना जाएं.... यह विकी का वादा है... अपनी शुभ्रा से...
Awesome Updateeee
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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बहुत क्यूट प्रेम कहानी है शुभ्रा और विक्रम की।
बहुत सुंदर लिखा है। मासूमियत से भरी। 👍👍
 

Lib am

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👉बयालीसवां अपडेट
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विक्रम अपना घड़ी देखता है शाम के पांच बजे हैं l दो पहर से यहाँ पर है अब सूरज डूबने में और भी व्यक्त है l
मुंडुली की रेतीली पठार पर गाड़ी से निकल कर ढलते हुए सूरज का नज़ारा करता है l शाम बढ़ने के साथ साथ सुरज की तेज़ और रौशनी मद्धिम हो रहे हैं l सुरज की लाली से बादलों ने खुद को रंग लिया है दूर बहुत दूर पश्चिम के क्षितिज का यह यह दृश्य महानदी के बहते पानी में प्रतिबिंबित हो कर शाम को और भी खूबसूरत बना दिया है l

विक्रम के मुहँ से आख़िर निकल ही जाता है - वाह कितना खूबसूरत मंज़र है....
-हाँ सच कहा... वाकई... बहुत ही खूबसूरत नज़ारा है...

आवाज़ सुन कर विक्रम पलट कर देखता है l उसके चंद कदम दूर शुभ्रा खड़ी है l एक सफ़ेद रंग की सलवार कमीज पर काली और हरे रंग की कारीगरी में ऐसी लग रही है जैसे शिप में चमकती मोती, हाँ बिल्कुल मोती की तरह ही दिख रही है l जुल्फें खुले हुए पर बाएं कंधे से सरक कर आगे पेट तक आई हुई है l दाएं कान में सफेद इयर रिंग पर बिल्कुल उसके कपड़ों की तरह डिजाईन बनी हुई है l शुभ्रा विक्रम को एक परी के समान प्रतीत हो रही है, उसकी खूबसूरती को निहारते एकदम खो सा जाता है l

शुभ्रा - (विक्रम के पास आकर उसके आँखों के सामने चुटकी बजाकर) हैलो...
विक्रम - (अपनी सोच से बाहर निकलता है) हाँ.. हाँ...
शुभ्रा - कहाँ खो गए....
विक्रम- वह... वह... कितनी खूबसूरत.... मतलब यह शाम का वह डूबते सुरज का... नज़ारा....
शुभ्रा - पर आप... सुरज की ओर तो नहीं देख रहे हैं...
विक्रम - सुरज मुखी को देख रहा था....
शुभ्रा - क्या.... कहाँ है...
विक्रम - वह... मतलब... वैसे... बड़ी देर लगा दी आपने....
शुभ्रा - अच्छा.... पर अपने तो... सुरज डूबने से पहले... आने को कहा था.... और सुरज डुबा नहीं है.... देखा... हम वक्त के... कितने पाबंद है....
विक्रम - वह तो है...
शुभ्रा - (अचानक गुस्से में, चिल्ला कर) क्या है.... आपको पता है.... मेरे पापा... मिनिस्टर हैं... और उनकी रेपुटेशन के वजह से... मैं गार्ड्स के बीच घिरी रहती हुँ... फिर भी आपने मुझे अकेले में... बुलाया.... क्या किया आपने... मोबाइल पर... लोकेशन शेयर... कर दी... और आने के लिए कह भी दिया.... अगर मैं आज ना... पाई होती... तो.... ओह गॉड... आप जानते हैं... मेरी ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है.... फिर भी... अपनी सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ आ पहुंची हुँ.... रास्ते में पकड़ीभी जा सकती थी...

विक्रम शुभ्रा का यह रूप देख कर सकपका जाता है l शुभ्रा जिस तरह उसके ऊपर बरस रही है, विक्रम की हालत भीगी बिल्ली जैसी हो जाती है l
शुभ्रा - (गहरी और तेजी से सांस लेती हुई) ओह... ऊफ... आह... जानते हैं... कितनी स्केच बनाना पड़ा... तब जाकर... मैं यहाँ आई... मतलब... आ.. ह.. ह यहाँ आ पाई....

इसबार विक्रम हँस देता है l उसकी हँसी देख कर शुभ्रा और ज्यादा चिढ़ जाती है l

शुभ्रा - (अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपको बड़ी हँसी.... आ रही है... हाँ.. हाँ... क्यूँ नहीं आएगी... आपका क्या जाएगा... जाना तो मेरा है ना.... पकड़ी गई... तो.... पापा कुछ नहीं सुनेंगे... सीधे शादी करा देंगे....उम्....

विक्रम झट से शुभ्रा के होंठो पर अपना होंठ रख देता है l शुभ्रा अपनी आँखे बड़ी कर विक्रम को देखती है l विक्रम के होंठों के गिरफ़्त में शुभ्रा की ऊपर की होंठ है l शुभ्रा को इसका एहसास होते ही उसकी आँखें टीम टीमाने लगती हैं l फ़िर धीरे धीरे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और विक्रम के निचले होंठ को अपनी होंठों में ले लेती है l विक्रम के दोनों हाथ शुभ्रा के पीठ पर रेंगने लगती हैं l शुभ्रा भी अपने दोनों हाथ विक्रम के बालों में फंसा कर विक्रम के चुंबन में साथ देती है l धीरे धीरे चुंबन गहरा और गहरा होता जाता है l इतना गहरा के सांस उखड़ने लगते हैं दोनों के l फिर दोनों ना चाहते हुए भी एक दूसरे से अलग होते हैं गाड़ी से शट कर पहले शुभ्रा नीचे बैठ जाती है फ़िर बगल में विक्रम भी बैठ जाता है l दोनों अभी भी हांफ रहे हैं और साँसों को दुरूस्त करने की कोशिश करते हैं l विक्रम देखता है सुरज की लाली मद्धिम पड़ अंधेरे में छुपने की तैयारी में है वहीँ शुभ्रा का पुरा चेहरा शर्म व हया के मारे अभी भी लाल दिख रही है और नीचे झुकी हुई है l

शुभ्रा - (अपनी चेहरे को दोनों हाथों से छुपा कर) यह आपने क्या किया.... विक्रम जी....
विक्रम - (उसके दोनों हाथों को चेहरे से हटा कर अपनी उंगली को उसके होंठ पर रख देता है) श्श्श.. श्श्श्श्... इससे पहले कि यह सुरज डुब जाए.... आपको कुछ कहना है... प्लीज... (शुभ्रा चुप हो जाती है) आप आए.... हैं... ठहर जाइए... मेरे पास... सारी उम्र के लिए...
शुभ्रा - (अपने मुहँ से विक्रम की हाथ को हटा कर) क्या... क्या मतलब है... आ..पका....

विक्रम शुभ्रा की हाथों को अपने हाथों में लेकर अपने घुटनों पर बैठ जाता है, शुभ्रा की साँस रुक रुक कर चलने लगती है और दोनों एक दूसरे के आँखों में देखने लगते हैं l

विक्रम - हमे एहसास हो रहा है.... आप भी जानते हैं... हमने आपको यहाँ क्यूँ बुलाया है... फ़िर भी... हमे कहना है... शुभ्रा जी...

हर तरफ ग़मों का तेज़ तूफां था...
हर तरफ मुश्किलों के रेले थे...
आज आप आए तो जाना...
कल किदर हम कितने अकेले थे...

जबसे आपको हमने देखा है.... तब से एक बात का एहसास हुआ है... हम आपके बगैर अधूरे हैं... आप हमे पुरा कर दीजिए... शुभ्रा जी... आई लव यु...

शुभ्रा भी घुटनों पर आ जाती है विक्रम के समाने और विक्रम के हाथों को ज़ोर से पकड़ती है l

शुभ्रा - उस दिन मेरा... जनम दिन था... अचानक पापा ने... मुझे शॉक देते हुए.... मेरी शादी की बात... उनके दोस्त के बेटे के साथ.... करने का फैसला सुनाया... मैं ... डर कर वहाँ से भाग रही थी... के आप से मैं टकरा गई... बचपन में जब मैं रूठ जाती थी.... भाग जाया करती थी... पर पहली बार... आपसे टकराई और... उस दिन से मैं... रुक गई... हूँ... थम गई हूँ... जम गई हूँ... रम गई हूँ.... के आज तक वहीँ मैं रुकी हुई हूँ... सिर्फ़ आपके लिए.... यस... आई लव यु ठु...

कह कर शुभ्रा वैसे ही घुटनों पर बैठे बैठे विक्रम के हाथों को छोड़ विक्रम को कस कर गले लगा लेती है और उसके सीने में अपना चेहरा छुपा लेती है l विक्रम अपने दोनों दोनों हाथों से उसके चेहरे को उठाता है और शुभ्रा के माथे पर एक चुंबन देता है l फ़िर दोनों सीधे बैठते हुए गाड़ी से शट कर सुरज जो थोड़ा सा ही दिख रहा है उसे डूबते हुए देख रहे हैं l

विक्रम - शुभ्रा जी...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म...
विक्रम - आई एम सॉरी....
शुभ्रा - क्यूँ...
विक्रम - हम जानते थे... आप पार्टी अध्यक्ष की बेटी हैं.... आपको ऐसे बुलाना ठीक नहीं था....
शुभ्रा - (तुनक कर) हाँ.. यह तो है... विक्रम जी... यु शुड बी सॉरी... (जोर जोर से) जानते हैं... आपसे मिलने आने के लिए... मुझे कितने पापड बेलने पड़े...
विक्रम - नहीं....
शुभ्रा - आपको मेरी बातों से क्या लगता है... मैं मज़ाक कर रही हूँ...
विक्रम - नहीं... इसलिए तो सॉरी कह रहे हैं....
शुभ्रा - आपने तो मैसेज करदिया.... लोकेशन शेयर करके... मिलने बुला लिया.... वह भी अकेले... जरा सोचिए... मैं कहीं भी जाऊँ... मेरे साथ दो... सांढ होते हैं... एक गार्ड ड्राइवर और एक गार्ड....
विक्रम - फ़िर आप आईं कैसे...
शुभ्रा - क्या करूँ...(शुभ्रा विक्रम के बाएं हाथ को पकड़ कर विक्रम के कंधे पर अपना सर रख कर) दिलबर का सन्देशा था... अकेले मिलने का इरादा था... इसलिए... मैंने अपने दोस्तों के साथ... आइनॉक्स में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया.... मैंने माँ को फोन कर परमीशन ले लिया... और सारे दोस्तों के साथ मिलकर... आइनॉक्स चली गई.... फ़िर दोनों गार्ड्स के लिए अलग मूवी का... टिकट कर उन्हें फ़िल्म भेज दिया और अपने दोस्तों को.... एक और मूवी को भेज दिया.... एक सहेली से गाड़ी लेकर.... यहाँ पहुंच गई.... अपने महबूब के पास...
विक्रम - ओ ह... आपने तो... बड़ी... तिकड़म भीड़ाई है...
शुभ्रा - (शर्माते हुए) अब तो... सब ठीक हो गया है... मैं चलूँ...
विक्रम - सब हो गया है... मतलब....
शुभ्रा - ऊँ... ह्... (विक्रम के कंधे पर एक मुक्का मारते हुए) मैं चलूँ...
विक्रम - पर... हमने... जिसके लिए... बुलाया था... वह अभी... हुआ कहाँ है....
शुभ्रा - क्या.. (हैरानी से विक्रम की हाथ को छोड़ कर खड़ी हो जाती है और आँखे सिकुड़ते हुए अपनी कमर पर हाथ रखकर) आपने किस लिए बुलाया था....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) आरे... (थोड़े शरारत भरे अंदाज में) आप जो समझ रही हैं.... उसके लिए तो नहीं है....
शुभ्रा - (शर्माते हुए) मैंने सिर्फ यह पूछा.... आपने मुझे बुलाया किस लिए....
विक्रम - (शुभ्रा के कमर को पकड़ कर गाड़ी के उपर बिठा देता है, और शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) शुभ्रा जी... क्या आप... मेडिकल पढ़ेंगी...
शुभ्रा - पढ़ना चाहती हूँ... पर...
विक्रम - क्या आप पढ़ेंगी...
शुभ्रा - ठीक है... अगले साल....
विक्रम - नहीं... इसी साल...
शुभ्रा - इस साल... विक्रम जी... साल बीतने में... और दिन ही... कितने बचे हैं...
विक्रम - वह... हम नहीं जानना चाहते... हम चाहते हैं कि... आप मेडिकल... इसी साल से शुरू करें...
शुभ्रा - आर यु गॉन म्याड... हाउ...
विक्रम - वह मैंने... एक कॉलेज में... बात कर ली है...
शुभ्रा - क्या... अभी तो फ्री सीट कहीं नहीं होगी.... अब इस टाइम में... मतलब... किसी प्राइवेट कॉलेज के... मैनेजमेंट कोटे से... वह भी अगर बचा हो तो....
विक्रम - हमने कहा ना.... हमने बात कर ली है....
शुभ्रा - (हैरानी से आँखे बड़ी हो जाती है) व.. व्हाट... मुझे... अपने कॉलेज से... टीसी निकाल कर... फिर जॉइन करनी होगी... मतलब.... पापा को... मुझे... सब समझाना होगा.... (अपना हाथ बढ़ा कर) उतारिए पहले मुझे आप... (विक्रम उसके कमर को पकड़ कर उतार देता है) आज ही... प्यार का इजहार हुआ है... आप चाहते हैं... अगर मैं... मेडिकल पढ़ुं... तो... आप हमारे बारे में.... पापा जी से बात... कर मनाएं...
विक्रम - नहीं... अभी के लिए... हम यह... नहीं... कर सकते हैं...
शुभ्रा - अभी के लिए... नहीं कर सकते... मतलब....
विक्रम - हम चाहते हैं... जब तक... आपका मेडिकल ख़त्म ना हो... तब तक... हमारा प्यार... किसीको... मालूम ना हो... सिर्फ़ इतना ही नहीं.... आपके मेडिकल खतम होने तक.... हम एक दुसरे से... मिलेंगे भी नहीं... बातेँ सिर्फ फोन पर होंगी... पर मुलाकातें... बिल्कुल भी नहीं....
शुभ्रा - क्या... एक मिनट... एक मिनट... क्या मैंने सही सुना... या मेरे कान बज रहे हैं...
विक्रम - शुभ्रा जी (उसके कंधों को पकड़ कर) अपने सही सुना है...
शुभ्रा - ओ... (विक्रम के हाथों को अपने कंधे से हटा कर) टर्मस् एंड कंडीशनस्.... वह भी... आज ही के दिन.... पुछ सकती हूँ... क्यूँ...
विक्रम - वह... मैंने... किसीकी चैलेंज... एसेप्ट की है...
शुभ्रा - चैलेंज... किसीने मुझसे कहा.... हमारा प्यार... एक फटाल एट्राक्शन है.... इस उम्र में... यह स्वाभाविक है... एक ब्लैंक सा जो फिल् होता है... एक के जाने से... दुसरे से भर जाता है.... अगर आप मेरे नजरों के सामने ना रही तो... मेरा दिल किसी और पे आ सकता है... और हम आपके सामने ना रहें तो.... आपका दिल किसी और पे... आ सकता है... पर हमे अपने प्यार पर भरोसा है.... इसलिए... हमने यह राह चुनी है... और इसमें हमे आपका साथ चाहिए.... शुभ्रा जी..
शुभ्रा - (कुछ देर के लिए चुप रहती है) तो... हमारी मेडिकल खतम होते होते... साढ़े चार साल से कम होगी... तब तक हम एक दूसरे से... मिलेंगे नहीं... सिर्फ़ फोन पर बातेँ करेंगे....
विक्रम - जी....
शुभ्रा - और यह बात.... किसीसे भी ना कहें...
विक्रम - जी...
शुभ्रा - पर आप भुल... रहे हैं... हमे... अपनी कॉलेज से... टीसी... निकलनी होगी... और हम पापा को और माँ को... क्या.... समझाएंगे... और कैसे... मेडिकल कॉलेज में... सीट मिली... वह भी ऐसे समय में.... यह मत भूलिए.... हमारे पापा... एक मिनिस्टर हैं... वह... पता लगा ही लेंगे....
विक्रम - देखिए.... हमने जिनके कॉलेज में... बात की है... वह भी एक मिनिस्टर हैं... हेल्थ मिनिस्टर... तो... शायद आपके पापा.... ज्यादा तहकीकात ना कर पाएं.... अगर करेंगे भी तो.... आप जो भी... जूठ बोलेंगी... हम बाहर रह कर... उस झूठ को सच्च बना कर... प्लॉट करेंगे...
शुभ्रा - ठीक है... आप हमारी गोल को... हम तक पहुंचा रहे हैं... तो हम कुछ ना कुछ.... करेंगे ज़रूर....
विक्रम - ओ... शुभ्रा जी... थैंक्यू... थैंक्यू.. वेरी मच...
शुभ्रा - रुकिए.... सब्र कीजिए.... आपका यह मंसूबा... तभी पूरा हो सकता है.... जब आप हमे हमारे घर चोरी से आयेंगे.... और चोरी से चले भी जाएंगे....
विक्रम - व्हाट...
शुभ्रा - हाँ...
विक्रम - य... यह... यह कैसा... कंडिशन है...
शुभ्रा - ओ... हैलो... यह कंडिशन नहीं है... कंडिशन तो आगे है... वह भी मेरे... इस थ्रिलर चैलेंज को पुरा करने के बाद....
विक्रम - कंडिशन से पहले... थ्रिलर चैलेंज किसलिए....
शुभ्रा - क्यूँ... क्यूँ नहीं... आपने मुझे बुलाया... हमने... कितनी रिस्क लेकर... यहाँ पहुंचे... तो हम भी देखें.... आप हमारे लिए... कितना रिस्क ले सकते हैं...

इतना कह शुभ्रा चुप हो जाती है, विक्रम उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहा है l विक्रम फिर कुछ सोचता है और

विक्रम - ठीक है... शुभ्रा जी... हम आज रात को ही.... आपके कमरे में आयेंगे.... किसीको को भनक तक नहीं लगेगी... पर आप कल ही... कॉलेज से... टीसी ले लेंगी और... निरोग मेडिकल इंस्टिट्यूट में.... जॉइन करेंगी....
शुभ्रा - क्या.... कल...
विक्रम - हाँ
शुभ्रा - पर कल ही क्यूँ...
विक्रम - वह असल में... हम कल शाम को... राजगड़ जा रहे हैं....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - वहाँ पर हम... कुछ दिन रुकेंगे.... क्यूँकी... कुछ... रिचुअलस्... पफर्म करना है...
शुभ्रा - हाँ तो...
विक्रम - हम चाहते हैं... की... हम एक दोराहे से... अलग हों... ताकि हम एक दुसरे की गोल.... हासिल कर सकें... इन साढ़े चार सालों में... हम अपने घर में आपके लिए जगह बनाएंगे... और पापा के नजर में... खुदको आपके योग्य... खुदको... प्रमाणित करेंगे...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती है l उसे चुप देख कर विक्रम भी खामोश हो जाता है l जब कुछ देर तक शुभ्रा से जवाब नहीं मिलता तो

विक्रम - शुभ्रा जी.... क्या कोई गलत बात कर दी हमने....
शुभ्रा - ठीक है... आप अपना चैलेंज पूरा कीजिए.... यह ना भूलें... हम एमएलए कॉलोनी में रहते हैं... हाई सिक्युरिटी जोन में... आपको... आना है और चले भी जाना है....
विक्रम - (मुस्कराता कर) जी... और टर्म एंड कंडिशन...
शुभ्रा - वह कल मैं... मेडिकल... एडमिशन के बाद....
विक्रम - ठीक है...

शुभ्रा वापस गाड़ी के पास जाती है l गाड़ी के पास पहुंच कर डोर खोलती है पर अंदर नहीं जाती, पीछे पलट कर देखती है विक्रम अपने चेहरे पर मुस्कान सजाए उसे एक टक देखे जा रहा है l शुभ्रा भाग कर विक्रम के पास आती है और उसके होठों पर टुट पड़ती है l अचानक हुए हमले से विक्रम भी भौचक्का रहा जाता है फिर चुंबन का एहसास होते ही वह भी शुभ्रा का साथ देने लगता है l धीरे धीरे किस जेंटल से वाइल्ड होती जाती है फ़िर दोनों की सांसे उखड़ने लगती है l
शुभ्रा के हलक से गुं गुं की आवाज़ आती है पर मदहोशी विक्रम को होश ही नहीं रहता वह और भी उग्र हो कर चुम्मी ले रहा है l

शुभ्रा - आ... ह्... (खुदको विक्रम से अलग करती है) जंगली कहीं के... आ... ह्..
विक्रम - ओ ह... (शुभ्रा के होठों से खून निकालता देख) सॉरी... शुभ्रा जी... एक्सट्रीमली सॉरी... हमारा... ऐसा बिल्कुल भी इरादा नहीं था.... वह...
शुभ्रा - (शर्म के मारे सर नीचे झुका कर) ठीक है... चलती हूँ... (गाड़ी के पास भाग जाती है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आ.. आइ एम... सॉरी... प्लीज...
शुभ्रा - (अपनी लाई गाड़ी की डोर खोल कर बैठ जाती है और गाड़ी घुमा कर रोक देती है, खिड़की से बाहर अपना सर निकाल कर) आई लव यू... विकी... आई लव यू...

फिर गाड़ी को तेजी से भगा देती है, और वहाँ पर विक्रम खुशी से उछालते कुदते हुए चिल्लाता है l

आई लव यु मेरी जान आई लव यु

शुभ्रा की गाड़ी विक्रम की नजरों से दूर होते ही विक्रम अपनी गाड़ी के पास आता है और वह भी उस जगह को छोड़ कर चला जाता है l


उधर ESS ऑफिस में महांती अपने कैबिन में बैठा नए रिक्रूट के लिस्ट चेक कर रहा है l तभी उसके कैबिन के दरवाजे पर दस्तक होती है l महांती दरवाजे की ओर देखता है

महांती - अरे... युवराज जी.... आप क्यूँ दरवाज़ा खटखटाने लगे.... आपका ही तो ऑफिस है.... आप ऐसे आकर हमें... शर्मिंदा कर रहे हैं....
विक्रम - (अंदर आते हुए) ऐसी बात नहीं है... महांती... हमारा आपके पास एक काम है...
महांती - तो हुकुम करें... आप हमें... अजनबियों की तरह... ट्रीट तो ना करें...
विक्रम - (महांती के समाने बैठते हुए) महांती... हमारे बीच एक... प्रोफेशनल रिस्ता है.... अगर हम एक कदम आगे बढ़ कर.... दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.... तो क्या आपको हमारी दोस्ती स्वीकार होगा...
महांती - यह तो मेरे लिए... सम्मान की बात होगी....
विक्रम - ठीक है... महांती.... (विक्रम हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है) हम तुमसे वह कहने आए हैं... जो अभी तक हमने... किसीसे नहीं कही है....
हम... वह... मतलब... हमे... किसीसे... मुहब्बत हो गई है....
महांती - ह्म्म्म्म.... (विक्रम के हाथ थाम कर) पर युवराज... यह तो कोई... समस्या नहीं है... आप युवराज हैं.... आप जिसे चाहें... मेरा मतलब है... किसीसे भी... शादी कर सकते हैं....
विक्रम - नहीं महांती.... राज परिवार में... रिश्ता... राज परिवार से आती है... और वह... हम जिनसे... प्यार करते हैं... राज परिवार से नहीं हैं...
महांती - तो क्या हुआ... उनका परिवार... और.. जात से... वह लोग छोटे तो नहीं है... और राजनीतिक क्षेत्र में... उनकी परिचय... और रुतबा.... आपके टक्कर की है....
विक्रम - (हैरानी से) आ... आप... किसकी बात कर रहे हैं...
महांती - बीरजा किंकर सामंतराय... ****पार्टी के अध्यक्ष... मैं उनकी बात कर रहा हूँ....
विक्रम - (खड़ा हो जाता है) व्हाट.... आप जानते हैं...

महांती - रीलाक्स... उस दिन मैंने आपको और... उनकी बेटी... को... फूड स्टॉल के पास देख लिया था.... बस गैस लगा लिया....
विक्रम - (बैठते हुए) वह... उन्होंने हमे एक... थ्रिलर चैलेंज दिया है.... पर हम कैसे पूरा करें.... समझ में नहीं आ रहा है...
महांती - ह्म्म्म्म.... आप उनसे... कुछ समय पहले... मिलकर आ रहे हैं....
विक्रम - हाँ... पर आपने यह भी... गैस किया क्या...
महांती - नहीं... कंफर्म किया...
विक्रम - मतलब...
महांती - आप बहुत ही एक्साइटमेंट में... अपने होंठों को... ठीक से साफ नहीं किया....
विक्रम - ओ... (शर्मा जाता है) सॉरी... (अपना रुमाल से होंठों को साफ करने लगता है)

विक्रम चोर नजर से महांती को देखता है l महांती उसे देखते हुए मुस्करा रहा है l विक्रम जब कुछ कह नहीं पाता तो महांती विक्रम से पूछता है

महांती - कहिए... युवराज.... क्या चैलेंज दिया है... बहु रानी ने....

विक्रम सारी बातें बताता है l तो कुछ देर के लिए महांती सोच में पड़ जाता है l अचानक की आंखों में चमक आ जाती है

महांती - ठीक है... हो जाएगा...
विक्रम - क्या.... हो जाएगा... पर कैसे...

महांती अपने टेबल ड्रॉ से एक मैप निकालता है और विक्रम को प्लान समझाता है l प्लान सुनने के बाद विक्रम की भी आँखों में चमक आ जाती है l विक्रम खुशी के मारे महांती को गले लगा लेता है l


_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ठक ठक ठक
दरवाज़े पर दस्तक हो रही है l शुभ्रा उबासी लेते हुए चिल्लाती है

शुभ्रा - क्या है... क्यूँ दरवाज़ा तोड़ रहे हो...
माँ - क्यूँ आज किस खुशी में... इतनी देर तक सोई हुई हो... सुरज सर पर आने वाली है... आज कॉलेज नहीं जाना है क्या...
शुभ्रा - क्या... (झट से उठते हुए) सुबह गई क्या माँ....
माँ - हे भगवान... क्या होगा इस लड़की का... रात भर सोई नहीं क्या... चल उठ... और जल्दी तैयार होकर नीचे आ...
शुभ्रा - ठीक है माँ.... आप चलिए... मैं फ्रेश हो कर आती हूँ...
माँ - ठीक है... जल्दी आना...
शुभ्रा - हाँ... (फ़िर अपने मन में) हूँ.. ह... बड़े युवराज बने फिरते हैं... एक चैलेंज दिया... वह भी ना हुआ उनसे... हूँ.. ह...


इतना सोच कर टेबल लैम्प के पास रखे अपनी मोबाइल फोन के तरफ हाथ बढ़ाती है l अचानक उसके आँखे हैरानी से बड़ी हो जाती है l मोबाइल फोन के नीचे एक गुलाबी रंग के लिफाफा दिखता है l वह उस लिफाफे को निकालती है तो लिफाफे पर उसे दिल के शेप एक बड़ी सी स्टिकर दिखती है l शुभ्रा की दिल की धड़कन बढ़ जाती है l उसके गाल लाल हो जाती हैं l कांपते हाथों से वह स्टिकर निकालती है l अंदर उसे गुलाबी रंग की खत मिलती है गुलाब के पंखुड़ियों के साथ l
शुभ्रा की दिल की धड़कन अब सुपर फास्ट ट्रेन की तरह भागने लगती है l शुभ्रा खत खोलती है

"क्या कहें... क्या ना कहें... हम तो बस आपके हुस्न के दीदार करते रहे और उसमें खो गए... I एक चांद आसमान में चमक रहा था.... और एक चांद अपनी जुल्फों के बादलों के साये में सिमटे सो रहा था.... कितनी मासूमियत... थी चेहरे पर... कैसे जगा सकते थे... हम... यह गुस्ताखी ना हो पाया हमसे.... हम आए भी और जा भी रहे हैं... किसीको कुछ भी पता ना चला.... यही चाहती थी ना आप... तो क्या हम आपके थ्रिलर चैलेंज में खरे उतरे.... अगर हाँ तो.... आज आप अपने कॉलेज से टीसी लीजियेगा...
और बिना देरी किए निरोग हस्पताल पहुंच कर **7****420 नंबर पर कॉल कर दीजिएगा... बात हो चुकी है... वह बाकी फॉर्मालीटी पूरा कर देगा... यह सब होते ही... आप अपने टर्मस् एंड कंडीशनस् के लिए बुला लीजिएगा.... हम आपके सेवा में... हाजिर हो जाएंगे...

आपका सिर्फ़ आप ही का विकी...


शुभ्रा खत पढ़ कर खुशी के मारे विस्तर पर गिर जाती है l और अपने आप से बात करने लगती है l

- इसका मतलब... विकी आए थे.... ओह माय गॉड... छी... मैं कैसे सो गई... हूँ.. ह
पर वह आए कैसे... कैसे किसीको पता नहीं चला... (अपने बिस्तर पर सिकुड़ कर बैठ जाती है) ओह... मुझे अभी भी यकीन नहीं हो पा रहा है... वह आए... मेरे लिए... यह खत भी लिखा.... अमेजींग... वाव... वाकई... क्या थ्रिलींग एक्सपेरियंस है... युवराज जी.... हो जाइए तैयार... अब एडमिशन खतम होने के बाद मुलाकात होगी...

_____×_____×_____×_____×_____×_____*

सेंट्रल जैल
तापस की चैम्बर में
विश्व आता है और देखता है तापस कमरे में एक तरफ से दुसरे तरफ चहल कदम कर रहा है l

विश्व - मैं अंदर आ जाऊँ... सर..
तापस - ओह... आइए... विश्व प्रताप... आइए...(विश्व के अंदर आते ही) आपका हाथ कैसा है सर...
विश्व - (अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाकर तापस को दिखाता है, उसके हाथ में क्रैप्ट बैंडेज बंधा हुआ है)
तापस - मैंने कहा था... वह तुमको अपनी कीचड़ में.. घसीटेगा... पर तुम नहीं माने... देखो क्या हो गया है अब... (विश्व कुछ नहीं कहता) तुम्हें उसको मारने की नौबत आई ही क्यूँ...
विश्व - क... कुछ नहीं... गलती मेरी थी... वह... मुझे कुछ लोगों ने समझाया भी था वहाँ... पर मैंने ही... उन्हें अनसुना कर दिया था... और नतीज़ा... यह...

तापस - (अपनी कुर्सी में बैठते हुए) विश्व... तुम्हें... संयम से काम लेना था... देखो विश्व... यह डैनी... यहाँ पर पहली बार... नहीं आया है... जैसा कि मैंने पहले भी कहा था... वह यहाँ... टूरिस्ट है... बस इस बार थोड़े लंबे समय के लिए यहाँ है... इस जैल में... उसने एक नियम... चलाया था...
विश्व - कौनसा नियम... सर....
तापस - बता रहा हूँ... विश्व... बता रहा हूँ... पहले... जैल में... अगर कभी कैदियों में... लड़ाई या झगड़ा हो जाता था... तो दंगे हो जाते थे... पर एक दिन... डैनी ने एक नियम बनाया... जिन कैदियों में... लड़ाई या झगड़े की नौबत आ जाती थी... वह अपना गुस्सा... शनिवार रात को.... एक दुसरे से लड़ते हुए... उतारते थे... पहले पहले... जैल में यह खुब हुआ.... आगे चलकर... धीरे धीरे कम होता चला गया... इसे इस जैल में... साटरडे नाइट स्कैरी सल्युशन कहा जाता है....
विश्व - अच्छा....
तापस - व्हाट... अच्छा... क्या अच्छा... जरा तुम सोचो.... अगर तुम्हें उस इवेंट में... हिस्सा लेने के लिए बाध्य किया गया.... तुम क्या करोगे... (विश्व सोच में पड़ जाता है) देखो विश्व... तुमने उस आदमी पर हाथ उठाया है... जिसके वकील ने... तुम्हारा ग्रैजुएशन का जिम्मा उठाया है.... तुमने हाथ उठाने से पहले... कम से कम यह तो सोच लिया होता....
विश्व - अब मैं... क्या करूँ... सर... मुझे कुछ सूझ नहीं रहा है...
तापस - ठीक है... विश्व... मैं... मांडवली करने की कोशिश करता हूँ.... फ़िलहाल तुम जाओ... और जब मैं बुलाउं आ जाना....
विश्व - जी ठीक है...

कहकर विश्व बाहर चला जाता है l तापस बेल बजाता है तो जगन भागते हुए आता है l जगन को डैनी को बुलाकर लाने को कहता है l कुछ देर बाद डैनी आता है l डैनी के नाक में दो निको प्लास्टर लगा हुआ है l

तापस - आओ डैनी... बैठो....
डैनी - इतनी मेहरबानी की वजह... (बैठ जाता है)
तापस - कुछ जानना चाहता हूँ... तुमसे...
डैनी - क्या...
तापस - कल तुमने... विश्व को... प्रोवक क्यूँ किया....
डैनी - आप गलत दिशा में... केस को लिए जा रहे हैं.... विश्व ने मेरी नाक तोड़ी है... दिख नहीं रहा क्या आपको....
तापस - दिख रहा है... पर इस टूटे हुए नाक... के पीछे तुम क्या छुपा रहे हो... वह दिख नहीं रहा है...
डैनी - सेनापति सर... सबने देखा है... विश्व से... मैं सिर्फ़ बातेँ कर रहा था... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी...

तापस - हाँ... देखा है... मैंने सब कुछ.... सीसी टीवी पर.... सब तुमने किया है.... अगर तुमको उसे आगे... पढ़ाना ही नहीं था.... तो... मना कर देते... उसकी पढ़ाई रोकने के लिए... यह ड्रामा करने की... क्या जरुरत थी....
तापस - सेनापति सर.... पूरी दुनिया जानती है.... डैनी जान हार सकता है.... अपना जुबान नहीं... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की फिक्र है... तो यकीन मानिए... चाहे कुछ भी हो जाए... उसकी पढ़ाई नहीं रुकेगी... पर डैनी अपना हिसाब अधूरा भी नहीं रखता है... विश्व को मेरे टूटे हुए नाक का हिसाब तो देना होगा.... आपको अगर उसकी पढ़ाई की चिंता है... तो फिक्र ना करें... उसकी ग्रैजुएशन पूरी होगी....
तापस - इसका मतलब... तुम विश्व को कुछ नहीं करोगे...
डैनी - यह तो मैंने नहीं कहा है.... सेनापति सर... किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं थी... डैनी को हूल दे सके... विश्व ने मेरी नाक तोड़ दी... उसे ऐसे कैसे छोड़ दूँ....
तापस - तो फ़िर मुझे मजबूरन... विश्व को एक अलग जैल में... भेजना पड़ेगा...
डैनी - ऐसी गलती मत कीजिएगा... तब विश्व कभी भी नहीं पढ़ पाएगा... मरते दम तक भी नहीं....
तापस - तो क्या चाहते हो... मैं विश्व को.. तुम्हारे हवाले कर दूँ....
डैनी - हाँ...
तापस - (अपनी कुर्सी से उठ कर) देखो डैनी... वह बेचारा.... तकदीर का मारा है... फिर भी... समाज में... अपना मुक़ाम पाने की.. जद्दोजहद में है.... और तुम... जिसे ना समाज की फिक्र है.... और ना ही... समाज को तुम्हारी ज़रूरत है.... इसलिए कहो.... विश्व से दूर रहने के लिए.... तुम्हें क्या चाहिए...
डैनी - आप इतने पर्सनल क्यूँ हो रहे हैं.... यह दो कैदियों के बीच का मामला है... आप आँखे मूँद कर पड़े रहिए...
तापस - (चिल्ला कर) शट अप.... मैं यहाँ... विश्व के लिए... तुमसे... मांडवली कर रहा हूँ... और सुनो विश्व को कुछ भी हुआ.... तो चाहे कानून मुझे कोई भी सजा दे... मैं तुम्हें गोली मार दूँगा....
डैनी - अरे... बाप... रे... मैं तो डर गया...
तापस - (थोड़ा नरम पड़ते हुए) देखो डैनी... प्लीज... मेरे मन में... एक ग्लानि है... के मैं उसकी मदत ना कर सका... उस ग्लानि को... और मत बढ़ाओ प्लीज...
डैनी - (तापस को गौर से देखता है) पता नहीं क्यूँ... सेनापति सर आपको इस हालत में देख कर... बड़ी दया आ रही है... चलिए आप भी क्या याद रखेंगे... विश्व को ना मारने के एवज में... मेरे कुछ शर्तें होंगी... अगर विश्व वह मान गया.... तो वादा रहा... विश्व पर बिलकुल भी हाथ नहीं उठाऊंगा....
तापस - कैसी शर्तें...
डैनी - आपको नहीं.... सेनापति सर.... मैं विश्व को बताऊँगा.... आपके सामने बताऊँगा.... पर शर्तें विश्व को ही बताऊँगा.....
तापस - ठीक है.... अब तुम जाओ.... मैं जब तुमको बुलाऊं... आ जाना...
डैनी - ठीक है... सर... (कह कर डैनी बाहर चला जाता है)

थोड़ी देर के बाद तापस के चैम्बर में एक तरफ विश्व और दूसरी तरफ डैनी बैठे हुए हैं l

तापस - विश्व... मैं यहाँ... तुम दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा... और ना बढ़े... इसलिए... मध्यस्थता कर रहा हूँ.... विश्व.... तुम्हारे लिए... ग्रैजुएशन कितना महत्पूर्ण है... उसे ध्यान में रख कर... डैनी से बात कर सकते हो....
विश्व - डैनी... भाई... वह जो हुआ... मेरी गलती थी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ कर दूँ तुझे.... इतना बड़ा दिल नहीं रखता... हाँ तुझे ना मारूं... उसके लिए मेरी कुछ शर्तें हैं.... अगर मान जाता है.... तो.... तो... तो...
विश्व - जी कहिए...
डैनी - जब तक मैं इस जैल में हूँ.... तब तक... तुझे मेरे बैरक में आ कर... सुबह से लेकर शाम तक... मेरी गुलामी करनी होगी....
तापस - व्हाट... नॉनसेंस.... अगर सुबह से शाम तक... गुलामी करेगा... तो पढ़ाई कब करेगा....
डैनी - मैंने शाम तक कहा है... शाम से रात तक वह पढ़ाई करेगा.... क्यूँ बे... मंजुर है तुझे...
विश्व - ठीक है... डैनी भाई... मुझे मंजूर है...
तापस - पर... तुम... विश्व से गुलामी ही... कराना क्यूँ चाहते हो...
डैनी - ताकि... जो जैल से गए हैं.... जो जैल में हैं.... और जो आगे कभी आयेंगे.... उनको यह मालुम हो... विश्व अपनी जान बचाने के लिए... डैनी की गुलामी करी.... तुझे मंजुर तो है ना....
विश्व - जी... मुझे मंजूर है....
तापस - विश्व.. इससे... तुम्हारे पढ़ाई पर असर पड़ सकता है....
विश्व - सर... डिग्री ही हासिल करनी है.... कोई आईएएस की... तैयारी नहीं करनी है.... पास मार्क आ जाए... वही काफी है....
डैनी - लो सेनापति सर... बात खतम... कल सुबह सुरज निकलने से पहले.... मेरे बैरक में पहुंच जाना और.... सुरज डूबने के बाद चले जाना....
विश्व - ठीक है...
तापस - ठीक है... डैनी... पर मैं तुम्हें याद दिला दूँ... अगर विश्व को... कोई शारीरिक हानि तुमने पहुंचाई... तो...
डैनी - तो आप मुझे... गोली मार दीजियेगा...

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दो पहर का समय ढ़ल चुका है
विक्रम के मोबाइल फोन पर मैसेज ट्यून बजती है l विक्रम फोन खोल कर देखता है तो उसमे एक लोकेशन शेयर किया है शुभ्रा ने एक मैसेज के साथ - अकेले हैं... आपका इंतजार है... अकेले आइयेगा...
विक्रम के चेहरे पर एक खुशी भरी मुस्कान खिल उठता है l वह गाड़ी स्टार्ट कर रोड पर दौड़ा देता है l गाड़ी भुवनेश्वर को छोड़ खुर्दा की ओर जाने लगती है फिर गाड़ी खुर्दा भी पीछे छूट जाती है l विक्रम एक पहाड़ के नीचे अपनी गाड़ी रोकता है l गाड़ी से उतर कर पहाड़ की ओर देखता है l वहाँ पर एक बोर्ड पर उग्र तारा मंदिर लिखा देखता है l विक्रम सीढ़ियां चढ़ते हुए उपर मंदिर में पहुंचता है l मंदिर में उसे सिर्फ़ शुभ्रा ही दिखती है जो माता रानी के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हुई है l विक्रम उसके पास आकर खड़ा हो जाता है l शुभ्रा उसे देख कर मुस्कराते हुए देखती है और माता रानी के पांव के पास लाल चुनरी से ढके एक थाली ले कर आती है l

विक्रम - यहाँ पर क्यूँ....
शुभ्रा - यह... उग्र तारा माता हैं.... हमारे कुलदेवी...
विक्रम - ओह... पर फ़िर भी यहाँ क्यूँ...
शुभ्रा - आज आपके वजह से... मेरे... सपने को... दिशा मिली है... और हमारे बीच जो है... और जो होने वाला है... उसे अगले साढ़े चार साल तक... किसीसे कह नहीं सकते... यह आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् था....
विक्रम - हाँ...
शुभ्रा - और अब मेरी... टर्मस् एंड कंडीशनस् हमारे रिश्ते को... पूर्णता के लिए... क्या आप तैयार हैं...
विक्रम - हाँ... बिल्कुल...

शुभ्रा थाली पर से चुनरी हटा देती है l विक्रम देखता है कांस की थाली में एक जगह थोड़ी कुमकुम है और एक हल्दी और कुमकुम की धागे में बंधी एक ताबीज़ जैसी रखी हुई है l

विक्रम - यह क्या है....
शुभ्रा - आप मुझसे कितना प्यार करते हैं....
विक्रम - हम नहीं जानते.... पर इतना कह सकते हैं... हमे यह एहसास है.... हम इस दुनिया में... आपके लिए ही उतारे गए हैं... आप हैं इसलिए हम हैं... आप नहीं तो हम भी नहीं....
शुभ्रा - तो यह कुमकुम लीजिए.... और मेरी मांग भर दीजिए....
विक्रम - क्या... यह... यह आप क्या कह रही हैं...
शुभ्रा - आज मुझे यह खुशी.... दे दीजिए... जिसको लेकर... मैं यह साढ़े चार साल गुजार दूँगी...
विक्रम - क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है....
शुभ्रा - भरोसा है... तभी तो... माँ जगत जननी के सामने... यह मांग रही हूँ... इसके बाद जब तक आप नहीं चाहेंगे... तब तक मैं... दुनिया के सामने... नहीं कहूँगी...
विक्रम - पर...
शुभ्रा - देखिए... आपने जैसा कहा.. मैंने वैसा ही किया.... क्या आप मेरी बात नहीं रखेंगे...
विक्रम - अगर मांग भर गई... तो आप छुपायेंगी कैसे...
शुभ्रा - मांग मेरी ... आज और अभी भर दीजिए... मुझे सुहागन बना दीजिए.... मैं मांग छुपा लुंगी... अपनी बालों के सहारे.... मैं सुहागन हूँ... बस यह एहसास होता रहे... और कुछ नहीं चाहिए... मुझे यह मंगल सूत्र... वह एहसास दिलाता रहेगा...
विक्रम - क्या... यह मंगल सूत्र है...
शुभ्रा - जी... हल्दी और कुमकुम से नहाए हुए धागों में बंधा हल्दी का टुकड़ा... जिसे मैंने लाल कपड़ों में बाँध छुपा दिया है... इसे मेरे गले में बाँध दीजिए...
विक्रम - शुभ्रा जी... यह
शुभ्रा - देखिए... अगर कल को... आप कभी मुझे ना भी अपनाएं... तो भी मैं कोई शिकायत नहीं करूंगी.... प्लीज... (विक्रम को शुभ्रा के आवाज़ में दर्द महसुस होता है)
विक्रम - शुभ्रा जी... आपने यह कह कर... हमारे प्यार का अपमान किया है.... हम आपको कैसे भुल जाएंगे... आपको कैसे नहीं अपनाएंगे....

इतना कह कर शुभ्रा की मांग में सिंदूर भर देता है और मंगलसूत्र बांध देता है l शुभ्रा झुक कर विक्रम के पैर छूती है l

विक्रम - अब बताइए... इसकी क्या जरूरत थी...
शुभ्रा - आप अगर किसी और सहर में होते... तो समझ में आता.... पर इसी सहर में रहकर... साढ़े चार साल की जुदाई... (आँखे छलक पड़ती हैं) इस दर्द को सहने के लिए ही यह सब....
विक्रम - (दोनों हाथों से शुभ्रा के चेहरे को लेकर) ओ... शुभ्रा... मेरी जान... आपके आँखों में... हम आँसू नहीं देख सकते हैं.... अब हमने आपका टर्मस् एंड कंडीशनस् पूरा करदिया... फिर यह आँसू क्यूँ...
शुभ्रा - यह... यह.. खुशी के आंसू हैं...
विक्रम - ठीक है... पर.. ऐसी.. शादी की जिद क्यूँ की आपने...
शुभ्रा - तो क्या करती... कल ही... प्यार का इजहार हुआ.... और आज के बाद... साढ़े चार साल की जुदाई.... हम ने दूसरों की तरह... प्यार को जिए भी नहीं...
विक्रम - जानती हैं... किसी ने... हमसे कहा था... प्रेम कहानियाँ वही अमर हुई.... जिनमें अंत में प्रेमियों का मिलन नहीं हुई.... पर हमारी प्रेम कहानी में मिलन भी होगा.... और हमारी कहानी अमर भी होगी....
शुभ्रा - (विक्रम के गले लग जाती है) अच्छा एक बात बताइए... आप कल... एमएलए कॉलोनी की... सिक्युरिटी ब्रीच कर हमारे कमरे में... कैसे पहुँचे...
विक्रम - अरे भई... हम ना तो दिल्ली में हैं.... ना ही कश्मीर में... यहाँ कभी आतंकवादीयों गतिविधियाँ भी नहीं हुई है....
शुभ्रा - तो...
विक्रम - कुछ नहीं... आपके... क्वार्टर के पीछे... हमारे यशपुर के एमएलए नकुल सिंह जी का क्वार्टर है... हमने उन्हें... उनकी वफादारी का वास्ता दिया... तो उनको... हार्ट अटैक का दौरा आया... और हमने एक एम्बुलेंस के जरिए उनके क्वार्टर में पहुंचे... बाकी... आपके क्वार्टर में घुसना... वहाँ आपके नाम चिट्ठी छोड़ना... वह सब हमारी कारीगरी था....
शुभ्रा - ओ... तो यह बात है...
विक्रम - अच्छा... इतने समय से हम यहाँ पर हैं... पर पंडित जी नहीं दिख रहे हैं....
शुभ्रा - जब आप यहाँ पर पहुंचे... तो मैंने उन्हें... मेरे मेडिकल मिलने की खुशी में... पूजा सामाग्री के लिए भेज दिया है... वह कुछ देर बाद... आ जाएंगे...
विक्रम - जब वह आयेंगे... तब तुम्हारे मांग में... उन्हें सिंदूर दिख जाएगा...

शुभ्रा - नहीं.. दिखेगा... उनके आने से पहले... चलिए.. चलते हैं....

इतना कह कर शुभ्रा अपने पर्स से एक नोटों की गड्डी निकाल कर थाली में रख देती है और एक चिट्ठी छोड़ देती है l फिर विक्रम को खिंचते हुए नीचे ले जाती है और विक्रम की गाड़ी में बैठ जाती है l विक्रम गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी वहाँ से निकाल कर भुवनेश्वर की ओर ले जाता है l

विक्रम - अभी फिर से शरारत शुरू... आपने चिट्ठी में क्या छोड़ा...
शुभ्रा - कुछ नहीं.... पुजा के लिए पैसे और... जल्दी जाने के कारण माफी.... (थोड़ा उदास होते हुए) आप आज शाम को जा रहे हैं....
विक्रम - हाँ... हमने आपको... बताया भी था... क्यूँ कुछ और भी चाहिए था क्या...
शुभ्रा - जानते हैं... कल हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई... और आज शादी भी हो गई... क्या प्यार है... क्या थ्रिलींग एक्सपेरीयंस है.... वाव... किसीके प्यार में.... ऐसा तो नहीं हुआ होगा....
विक्रम - हाँ यह आपकी जिद थी... पर वचन देते हैं... साढ़े चार साल के बाद... हमारी शादी बड़े धूमधाम से होगी...
शुभ्रा - वह तो जब होगी... तब होगी... फिर भी... हमारे इस प्रेम कहानी में... कुछ तो मीसींग है....
विक्रम - और वह क्या...
शुभ्रा - सब है... प्यार का इजहार.... फिर शादी.... यह यादें बन जाएंगी... जो आगे चलकर हमे हसाएंगी... रुलायेंगी पर... जो ना हो पाया.... वह है एक दुसरे से रूठना... मनाना...
विक्रम - (गाड़ी की ब्रेक लगाता है, शुभ्रा के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर) शुभ्रा जी... अभी हम जिस बंधन में बंधे हैं... उसमें एक वचन और देते हैं... हम कभी भी.... किसी भी हाल में... किसी भी परिस्थिति में... आपसे नहीं रुठेंगे.... पर आपको हक होगा हमसे रूठने के लिए.... जब भी आप रूठेंगी.... हम आपको तब तक... मनाते रहेंगे... जब तक आप मान ना जाएं.... यह विकी का वादा है... अपनी शुभ्रा से...
वाकई विक्रम इंसान भी अच्छा और इसका प्यार भी सच्चा है। मगर दोनो को ही नहीं पता की भविष्य में इनके प्यार का क्या अंजाम लिखा है कि नदी के किनारों या रेलगाड़ी की पटरियों की तरह साथ होके भी जुदा रहने वाले है। इसी बात पर एक गाने की लाइन याद आ गई ।

इश्क सच्चा वही जिसको मिलती नहीं मंजिले

डैनी ने विश्व को गुलाम क्यों बनाया पता नही मगर कुछ तो बात है की वो दो दिन बंद रहा और फिर विश्व को उकसाया और मार भी खाई वरना डैनी तो विश्व को 1 मिनट में धूल चटा सकता था। कहीं विश्व के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं हो रही जिसकी वजह से डैनी ने ऐसा करके विश्व को सुबह से शाम तक अपने पास रख लिया है। सच्ची क्या है ये भाई Kala Nag ही बता सकते है। रोमांचक अपडेट।
 
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