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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Rajesh

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👉एक सौ चौंसठवाँ अपडेट
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कमरे में अंधेरा ज्यों का त्यों था l किसीने भी अब तक लाइट ऑन नहीं की थी l वह काला साया बल्लभ के सामने वैसे ही बैठा हुआ था l चाय का ट्रे लेकर तीसरा शख्स बल्लभ के सामने वाली टी पोय पर रख देता है l कमरे में चेहरा साफ दिखे उतना उजाला भले ना हो पर इतना अंधेरा भी नहीं था के तीनों का अक्स ना दिखे और चाय की केतली कप सब दिख रहे थे l तीसरा शख्स एक कप में चाय डाल कर बल्लभ को देता है l बल्लभ उसे अंधेरे में भी पहचानने की कोशिश करता है l

साया - अगर मुश्किल हो रहा है... तो लाइट ऑन कर दें...
बल्लभ - (चौंक कर) क्या...
साया - मुझे साफ महसूस हो रहा है... तुम परेशान लग रहे हो... और पहचानने की कोशिश भी कर रहे हो...
बल्लभ - (थोड़ा संभल कर) हाँ... मैं जानना तो चाहता हूँ... अगर तुम विश्व नहीं हो... तो मेरे सारे राज जानने वाले.. कौन हो...
साया - हाँ मैं विश्व नहीं हूँ... पर हम तीनों विश्व से ताल्लुक रखते हैं...
बल्लभ - क्या... मैं... मैं समझा नहीं....
साया - ठीक है... (चुटकी बजाता है) लाइट जला दो... अंधेरे का काम ख़तम... अब वकील साहब को मिलकर चलो उजाले की ओर ले चलते हैं...

जो शख्स रीवॉल्वर बल्लभ पर ताने खड़ा था l लाइट का स्विच ऑन करता है l अब कमरे में उजाला था बल्लभ सामने बैठे शख्स को देख कर चौंकता है l सामने सोफ़े पर डी सी पी सुभाष सतपती बैठा था l पीछे मुड़ कर देखता है उदय गन पकड़ कर स्विच बोर्ड के पास खड़ा था l और बगल वाली सोफ़े पर कांस्टेबल जगन बैठा था l

बल्लभ - ओ... तुम लोग हो...
उदय - लगता है... अंधेरे में बहुत भारी महसूस कर रहे थे... उजाले में हमें देखते ही हल्का महसूस करने लगे...
बल्लभ - शॅट अप... तुमने जो अनिकेत के साथ किया... मैं भुला नहीं हूँ...
उदय - बात तो ऐसे कर रहे हो... जैसे... उस सुअर की मौत से... किसी को कोई फर्क़ पड़ता था...
बल्लभ - (सोफ़े की आर्म रेस्ट को भिंच लेता है) यु...
उदय - येस.. इट्स मी... वह इंस्पेक्टर के भेष में... जिसके दम पर... सबका दोहन करता था... उन्हीं के हाथों उसका दहन हो गया... फ़िर तुम क्यूँ उसका दुख मना रहे हो... ना मारने वाला मैं था... ना ही जलाने वाला... वह जो कुछ भी हुआ... वह राजगड़ के भगवान राजा साहब के इच्छानुसार हुआ... हम तुम तो बस तुच्छ प्राणी थे...
बल्लभ - और अब... तुम मुझे फ़ंसाने आए हो...
सुभाष - फंसे हुए को क्या फ़ंसाना... राजा को डबल क्रॉस किया तुमने... हमने तो बस पता किया... और दोष हम पर मढ़ रहे हो...
बल्लभ - ठीक है... आई एपोलाइज... पर यह सब तुमने पता कैसे किया...
जगन - बे तु वकील है तो क्या हुआ... यह हमारे साहब हैं... और यह मत भूल... रुप फाउंडेशन के नए एसआईटी के चीफ हैं... अभी तु उनके सामने अपराधी है...
बल्लभ - (सुभाष से) अच्छी तैयारी के साथ आए हो... तुमने मुहँ खोला भी नहीं... और तुम्हारे आदमी टुट पड़ रहे हैं... (सुभाष मुस्करा देता है) मुझे मालूम था... मेरा यह राज.. एक दिन फास होगा... और इसे विश्व क्रैक करेगा... पर वह लगता है... चूक गया...
सुभाष - वह चुका नहीं है... पता असल में उसीने ही लगाया है... हम तो बस जरिया हैं...
बल्लभ - कैसे...
सुभाष - उसने जब रिट पिटीशन फाइल किया... तभी उसे तुम पर ही शक हो गया था... तुम भैरव सिंह के सभी ईलीगल को लीगल करते हो... इसलिए... उसीने हमें आईडिया दिया था.. तुम्हारे बैंक अकाउंट पर नजर रखने के लिए... तुम्हारे एक नहीं तीन तीन अलग अलग बैंक में अकाउंट है... पर एक ही बैंक के सेविंग अकाउंट में एटीएम कार्ड के जरिए.. कटक में विथड्रॉ हो रहा था... और उसी समय फोन बैंकिंग के जरिए... तुम राजगड़ और उसके आसपास पैसा विथड्रॉ कर रहे थे... आगे हमने कैसे ढूंढ निकाला कहने की जरूरत नहीं...
बल्लभ - (चुप रहता है)
सुभाष - वकालत करते हुए जब यशपुर में तुम भैरव सिंह से जुड़े... तुम्हारा काम देखने के बाद... भैरव सिंह ने तुम्हें अपना लीगल एडवाइजर रख लिया... और सालों से... तुमने उसका बखूबी साथ भी दिया... पर पेच तब आया... जब रुप फाउंडेशन करप्शन में तुम अनिल कुमार सुबुद्धी के बहन के संपर्क में आए... तुम शादी सुदा थे... फिर तुमने अपनी चाल चली... अपने बीवी बच्चों को एब्रॉड भेज दिया... यहाँ सुबुद्धी की
बहन प्रज्ञा को यकीन दिला दिया... के तुमने अपनी बीवी से तलाक ले लिया... और उसके साथ नाजायज संबंध स्थापित किया... रुप फाउंडेशन केस में...जब विश्वा.. खुल कर भैरव सिंह के खिलाफ आया... तब इस केस में.. जो भी कमजोर कड़ी थे... सबको रोणा के साथ मिल कर या तो गायब कर दिया... या फिर मरवा दिया... पर तुमने राजा साहब को... कंवींश कर सुबुद्धी भाई बहन को बचाए रखा... पर जैसे ही जयंत सर ने... जिरह के लिए... पाँच गवाहों की लिस्ट अदालत में पेश की... तुमने चालाकी से... सुबुद्धी भाई बहन को गायब कर दिया... गवाह दिलीप कुमार कर को बना दिया... उन्हें लाकर तुमने कटक में... श्रीधर परीड़ा की मदत से... नई पहचान के साथ... रखवा दिया... रोजाना गुजारा के लिए... अपना एटीएम कार्ड दे दिया... और कमाल की बात यह है कि... इस बात को तुमने... अनिकेत रोणा से छुपाए रखा... क्यूँकी वह औरतों के मामले में... नियत का फिसड्डी था... है ना...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिलाता है)

सुभाष - अब बारी श्रीधर परीड़ा की थी... वह जानता था... राजा खुद को पाक साफ रखने के लिए... किसी भी हद तक जा सकता था... इसलिए उसने तुम्हें खबर किया... और खुद को अंडरग्राउंड कर लिया... इसमें तुमने उसकी मदत भी की... क्यूँ सही कहा ना...
बल्लभ - (इस बार भी अपना सिर हाँ में हिलाता है) अगर यह आईडिया विश्व का है... तो वह सामने क्यूँ नहीं आया...
उदय - वह इसलिए... विश्व की हर हरकत पर... राजा अपनी आदमियों के जरिए नजर रख रहा है...
बल्लभ - नजर तो... नए एसआईटी ऑफिसर पर भी रखा हुआ है...
सुभाष - चिंता ना करो... मैं जिस तरह आया हूँ... राजा साहब का जासूस.. कंफ्यूज हो गया होगा...
बल्लभ - चलो... मैंने जैसा सोचा था... के विश्व ही मेरे राज खोज पाएगा... सो वही हुआ... पर विश्व ने इस बार थोड़ी देर कर दी है...
सुभाष - देर कर दी... कैसे... रुप फाउंडेशन केस को दोबारा खोलने के लिए अभी तो वक़्त मिला है...
बल्लभ - ऐसा तुमको लगता है... पर सच यह है कि... तुम लोगों के पास वक़्त कम है...
सुभाष - तुम कहना क्या चाहते हो...
बल्लभ - तुम तीनों... पुलिस वाले... मेरा अतीत व काला इतिहास लेकर आए हो... वज़ह मैं जानता हूँ... पर तुम लोग... विश्व को बुलाओ... दोनों ही केस में जो डील होगा... वह मैं विश्व से करूँगा...
सुभाष - ह्म्म्म्म... बात अगर किसी कंफेशन की है... तो विश्व इस वक़्त हमारी सारी बातेँ सुन रहा है...

इतना कह कर सुभाष अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर स्पीकर ऑन कर देता है और सामने की टी पोए पर रख देता है l

सुभाष - विश्वा...
विश्व - हाँ...
सुभाष - एडवोकेट प्रधान... तुमसे कुछ बात करना चाहता है...
विश्व - हाँ प्रधान बाबु... कहिये... क्या कहना चाहते हैं...
बल्लभ - विश्वा... मैं सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हूँ... बदले में तुमसे... मेरी और प्रज्ञा की जान की हिफाजत का वादा चाहता हूँ...
विश्व - मुझसे... यह वादा तो तुम... डीसीपी सतपती जी से भी मांग सकते थे...
बल्लभ - नहीं... जब तक भैरव सिंह... जैल नहीं चला जाता... या ख़तम नहीं हो जाता... मैं कानूनी मदत नहीं लेना चाहता...
विश्व - पर मैं इसमें... तुम्हारी क्या मदत कर सकता हूँ...
बल्लभ - वही मदत... जो इस वक़्त... तुम राजकुमारी जी की दोस्तों को दे रहे हो... मैं जानता हूँ... उनको राजगड़ से भेज कर और उन्हें भुवनेश्वर और कटक में अपनी प्रोटेक्शन में तुमने ही रखा है...
विश्व - प्रधान बाबु... आप भूल रहे हैं... मैंने राजा के डर से... अपनी माँ बाप को छुपा रखा है..
बल्लभ - जानता हूँ... पर एक बात यह भी है... राजा जिसे टार्गेट करता है... उसे हर हाल में... ख़तम कर देता है... राजा के आदमी और जासूस अभी भी... पुलिस और प्रशासन में हैं... मुझे इन सबके बाहर वाले आदमी पर भरोसा है...
विश्व - (चुप हो जाता है)
बल्लभ - देखो विश्व... यह वक़्त की नजाकत है... हम दोनों को एक दूसरे का साथ चाहिए...
विश्व - साथ... मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूँ... और क्यूँ लूँ...
बल्लभ - वह इसलिए... कुछ बातेँ मैं जानता हूँ... पर राजा साहब से बताया नहीं... बता देता... तो राजकुमारी जी की जान पर बन आती...
विश्व - अच्छा... ऐसी कौन सी बात तुम जानते हो... जो भैरव सिंह नहीं जानता...
बल्लभ - राजा साहब ने मुझे एक मोबाइल दिया है... और उसके मालिक को ढूंढने का काम दिया है... और मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ... इस मोबाइल का कोई मालिक नहीं.. मालकिन है... मैंने बताया नहीं... उनसे वक़्त लिया है...
विश्व - ह्म्म्म्म... मुझे एक बात कंफर्म करो... क्या राजकुमारी सही सलामत हैं...
बल्लभ - हाँ... हैं...
विश्व - चलो फिर... किया... वादा किया...
बल्लभ - ठीक है फिर... देखो दो दिन बाद... बड़े राजा जी की... चौथ की... पहली छोटी शुद्धि है... पर उससे पहले... भैरव सिंह के खिलाफ हमारी गवाही दिलवा दो... क्यूँकी... चौथ के दिन... और उसके बाद... भैरव सिंह को... हाथ लगाना... ना तुम्हारे बस की बात होगी... ना ही सिस्टम की... हाथ लगाना तो दूर... उन तक पहुँचना... मुश्किल हो जाएगा...

विश्व फोन पर और कमरे में मौजूद लोग एक साथ उछल पड़ते हैं - क्या....

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ब्रेकिंग न्यूज
आज सुबह तड़के श्री बीरजा किंकर सामंतराय अपने पैतृक घर पारादीप से पुरी जाते वक़्त रास्ते में उनके कार का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया l इस एक्सीडेंट में बीरजा किंकर सामंतराय गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं l सुना है कुछ दिनों से वह तनाव में थे l कुछ पहले अपनी बेटी व दामाद से मिलने राजगड़ गए हुए थे l उनके पत्नी के कहे अनुसार उनकी बेटी शुभ्रा सामंतराय गर्भवती हैं और हाल ही में उनके ससुराल के साथ उनका संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहा है l इसी वज़ह से भगवान जगन्नाथ जी के पास माथा टेकने और अपनी बेटी दामाद और गर्भ में पल रहे शिशु की सलामती के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे l सुबह चार बजे का समय था इसी वक़्त एक्सीडेंट हो गया है l उन्हें तुरंत कैपिटल हास्पिटल को ले जाया गया है l डॉक्टर उनकी हालत को स्थिर बता रहे हैं और हर एक घंटे के बाद उनकी स्वास्थ की बुलेटिन हस्पताल के द्वारा जारी किया जाएगा l

टीवी पर यह ख़बर सुनते ही वैदेही गौरी को दुकान पर बिठा कर शुभ्रा से मिलने चली जाती है l वहाँ पहुँच कर देखती है विश्व और उसके दोस्त वहाँ पर मौजूद हैं l शुभ्रा रो रही है और उसे सुषमा दिलासा दे रही है l विक्रम और पिनाक हाथ बांधे बैठे हुए थे l जब वहाँ वैदेही पहुँचती है तो शुभ्रा उसे देखते ही गले जा लगती है l वैदेही भी उसे गले लगा कर सहारा देती है l

वैदेही - रो मत... रो मत... सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - पापा हम सबसे मिलने आए थे... पर...
वैदेही - श् श् श्... कहा ना सब ठीक हो जाएगा... (विक्रम की ओर देख कर) क्या फैसला किया है...
विक्रम - जाने का फैसला किया है... मैंने प्रताप से बात की... थोड़ी देर के बाद... गाड़ी आ जाएगी...
वैदेही - अच्छा किया...
विक्रम - पर मैं एक असमंजस में हूँ...
वैदेही - कैसी असमंजस...
विक्रम - पता नहीं... लोग क्या कहेंगे... मैं अपने दादा जी के अंत्येष्टि के लिए नहीं गया... पर... अपने ससुर जी के...
वैदेही - तुम लोगों की नहीं... अपनी दिल की सुनो... तुम्हारे आँखों से जब आँसू बहेंगे... उसे पोंछने तुम्हारा या तुम्हारे अपनों का ही हाथ उठेगा... इसलिए ज़माने की मत सोचो...
विश्व - मैं भी यही बात... कब से समझा रहा था...
पिनाक - आप ठीक कह रही हैं वैदेही जी...

एक गाड़ी आती है l विश्व और वैदेही सबको बिठा देते हैं l विक्रम और विश्व गाड़ी से कुछ दूर जाते हैं कुछ बातेँ करते हैं फिर हाथ मिलाते हैं l यह सब वैदेही देख रही थी l विक्रम आकर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी फिर वहाँ से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो जाती है l गाड़ी आँखों से ओझल होने के बाद वैदेही कुछ सोचते हुए बरामदे पर बैठ जाती है l विश्व अपने दोस्तों को देखता है और आँखों से कुछ इशारा करता है l वे लोग भी अपना सिर हिला कर वैदेही को टाटा बाय बाय कर वहाँ से निकल जाते हैं l विश्व और टीलु दोनों आते हैं और वैदेही के पास बैठ जाते हैं l

वैदेही - विशु...
विश्व - हाँ दीदी...
वैदेही - यह विक्रम उतना दुखी नहीं लग रहा था... जितना होना चाहिए...
विश्व - नहीं ऐसा कुछ नहीं है दीदी... मर्द थोड़े ना अपना दर्द... यूँही सबके सामने लाते हैं..
वैदेही - अब तु मुझसे झूठ बोलेगा...
विश्व - (चुप हो जाता है)
वैदेही - तु किसी को भी... बना ले... पर मुझे बना नहीं सकता... तेरी रग रग से वाकिफ हूँ... अब तु मुझे सब सच सच बता...
विश्व - ठीक है दीदी... (विश्व सब कुछ कहने लगता है जो उसे बल्लभ से पता चला था) दीदी... उससे ही मालुम हुआ... भैरव सिंह को फोन तो मिल गया था... और उसे राजकुमारी जी पर शक भी है... पर उसका और राजकुमारी जी का रिश्ता उस मोड़ पर पहुँच चुका है कि... बिना सबूत के जलील होना नहीं चाहता... इसलिए बल्लभ प्रधान को दो दिन की मोहलत दी है उसने...
वैदेही - तो अब प्रधान कहाँ है...
टीलु - हमारे ही हिफाजत में दीदी... हमने उसे रातों रात साथ ले लिया और हमारी खास जगह पर छुपा दिया...
वैदेही - ह्म्म्म्म... पर चौथ के दिन ऐसा क्या होने वाला है...
विश्व - यह मैं नहीं जानता... पर प्रधान का कहना है कि... राजा का अपने यहाँ के गुर्गों.. और सेक्यूरिटी वालों पर भरोसा उठ गया है... वह एक प्राइवेट आर्मी हायर किया है... वह आर्मी दो दिन में आने वाली है... उससे पहले... हमें गवाहों से उन जजों के सामने गवाही दिलवाना है... उसके बाद... करप्शन.. मैनीपुलेशन... मर्डर... और टेरर जितने भी चार्जेस है लगा कर... हर हाल में गिरफतार करवाना है...
वैदेही - गवाही तो कटक में भी ली जा सकती है...
विश्व - हाँ दी जा सकती है... पर जिन केसेस के लिए... स्पेशल कोर्ट बना है... स्पेशल टास्क फोर्स बना है... वहाँ पर उनकी गवाही मायने रखती है... सीधे कटक में गवाही कराना... उसके लिए कुछ कानूनी पचड़े हैं... और दीदी... अभी भी सिस्टम में कुछ लोग हैं... जो भैरव सिंह के लिए काम कर रहे हैं... डीसीपी सतपती... होम मिनिस्ट्री के थ्रु... परमिशन ग्रांट करवायेंगे... उसके बाद... हम उन तीन गवाहों को... सोनपुर ले जाएंगे... जजों के सामने गवाही दिलवायेंगे...
वैदेही - तुझे यह सब... आसान लगता है...
विश्व - बिल्कुल नहीं... बिल्कुल भी नहीं... अगर आसान होता... तो मैं खुद उन गवाहों को लाने गया होता... मैं नहीं गया... इसलिए गवाहों को लाने विक्रम को भेजा है...
वैदेही - (चौंकती है) क्या... विक्रम... तो क्या... वह एक्सीडेंट...
विश्व - (एक पॉज लेकर) नहीं हुआ है...
वैदेही - (जैसे झटका खाती है) क्या...
विश्व - दीदी... कल रात... जब... सुभाष बाबु... सारी जानकारी फोन पर मुझे दी... तब रात को ही.. मैं विक्रम से मिलने आ गया था... उसे सारी बातें बता कर... अपने प्लान में शामिल कर लिया... वह तैयार भी हो गया... कल रात मेरी ही फोन से... विक्रम अपने ससुर से बात की... और सतपती जी... सुप्रिया से...
वैदेही - और आज... सुप्रिया के वज़ह से... सुबह सुबह पुरे स्टेट को न्यूज से मालूम हुआ... कि बीरजा किंकर सामंतराय का एक्सीडेंट हो गया...
विश्व - हाँ... भैरव सिंह के आदमी... मेरे और सतपती जी के पीछे लगे हुए हैं... और हम पर बराबर नजरें जमाए हुए हैं... इसलिए गवाहों को लाने का काम... सिर्फ विक्रम ही कर सकता था... बाकी कागजाती कामों के लिए... सुभाष बाबु अलग से भुवनेश्वर गए हैं...
वैदेही - ठीक है... मतलब तुम्हारे हिसाब से... एसटीएफ गवाहों का डिक्लेरेशन कराएगा... जिसे होम मिनिस्ट्री अप्रूव् करेगी... उसके बाद... उनकी गवाही मान्यता होगी... पर क्या तब तक... भैरव सिंह को पता नहीं चल जाएगा...
विश्व - हाँ... चल जाएगा... जैसे ही गवाहों का डिक्लेरेशन होगा... उसे खबर लगेगी... पर उसे यह लगेगा कि गवाहों को.... अगले सुनवाई के दिन बाद पेश किया जाएगा... और इस बीच... वह गवाहों को ना सिर्फ गवाही से रोकने की कोशिश करेगा... बल्कि... ख़तम भी करने की कोशिश करेगा...
वैदेही - और तु कह भी रहा है... वह कोई प्राइवेट आर्मी ला रहा है.. पर क्यूँ... किसलिए... क्या कोई जंग छेड़ने वाला है...
विश्व - हाँ शायद... अभी उसके लोगों ने हमसे सिर्फ हार देखी है... शायद इसीलिए बाहर से प्राइवेट आर्मी ला रहा है...
वैदेही - सिर्फ हमसे लड़ने के लिए...
विश्व - शायद हाँ... क्या पता... शायद सिस्टम से भी... (वैदेही के हाथ पर अपना हाथ रखकर) दीदी... हम उसे छकायेंगे... हमने पूरी प्लान कर रखा है... तुम घबराओ मत... इस बार उसकी कोई भी चाल कामयाब नहीं होगी...

तभी विश्व का फोन बजने लगता है l जेब से फोन निकाल कर देखता है इंस्पेक्टर दास डिस्प्ले हो रहा था l विश्व फोन उठा कर बात करने लगता है, पर वैदेही के कानों में कुछ घुस नहीं रहा था क्यूँकी विश्व के सारे खुलासे के बाद वैदेही थोड़ी चिंतित हो गई थी l

विश्व - (फोन बंद कर, वैदेही की ओर देखता है) दीदी... तुम अपने भाई पर भरोसा रखो.. किस्मत भैरव सिंह का जितना साथ देना था दे दिया... अब और नहीं... हाँ थोड़ा खतरा तो है... पर अगर हम उसके आर्मी के आने से पहले कामयाब हो गए... तो यह गाँव और इंसाफ़... दोनों बच जाएंगे... अच्छा मैं थोड़ा इंस्पेक्टर दास से मिलने हास्पिटल जा रहा हूँ... उन कांस्टेबलों को देख भी लूँगा... और कल परसों के लिए प्लान भी बना लूँगा... (विश्व जाने लगता है तो पीछे से वैदेही आवाज देती है)
वैदेही - विशु... (विश्व मुड़ कर देखता है) क्या गाँव वालों के ऊपर भी खतरा हो सकता है...
विश्व - दीदी... भैरव सिंह इस वक़्त... एक घायल दरिंदा है... बेशक हमारे पीछे उसके लोग आयेंगे... पर गाँव वालों की सुरक्षा भी तो.... मुझे... निश्चित करना पड़ेगा... आ रहा हूँ...

यह बात कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l वैदेही को अब खतरे का अंदेशा हो रहा था l वह थोड़ी बैचैन होने लगती है l पास बैठा टीलु वैदेही की हालत पर गौर कर रहा था l

टीलु - दीदी... तुमसे एक बात पूछूं...
वैदेही - हाँ पूछ...
टीलु - तुम... अभी... मल्लिका के बारे में सोच रही हो ना...
वैदेही - (कोई जवाब नहीं देती पर सवालिया नजर से टीलु को देखती है)
टीलु - तुम इस बारे में... विश्वा भाई से बात क्यूँ नहीं करती...
वैदेही - विशु... का लक्ष... सिर्फ एक ही है... उसे यह काम इसी दो दिन में साधना है... वैसे भी... राजा का कहर... चौथ के दिन टुटेगा... तब तक अगर विशु कामयाब हो गया... तो राजा सलाखों के पीछे होगा...
टीलु - बुरा ना मानना दीदी... अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो...
वैदेही - विशु ने अभी कहा ना... वह गाँव वालों की सुरक्षा का प्रबंध करने... इंस्पेक्टर दास से मिलने गया है... पुलिस भी हमारे साथ होगी उस दिन... (इस बार टीलु वैदेही को सवालिया नजर से देखता है) देख... कुछ भी हो जाए... विशु से इस बात का जिक्र भी मत करना... मैं नहीं चाहती... उसके लक्ष में... कुछ भी... कोई बाधा आए... उसे अर्जुन की तरह अपनी लक्ष को भेदना है... यहाँ अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो मैं और पुलिस वाले संभाल लेंगे... (वैदेही बरामदे से उतरती है और जाने लगती है फिर अचानक मुड़ती है) टीलु... जो मेरे साथ हुआ... वह किसी के साथ नहीं होगा... मैं रक्षा करुँगी... मल्लि और उसके जैसे लड़कियों की... भैरव सिंह ना विश्वा से जीत पाएगा... ना वैदेही से... उसकी हार तय है... विधाता ने लिख दिया है... यही उसकी नियति है...

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अगले दिन
गौरी तैयार होकर कमरे से निकल कर बाहर आती है, देखती है वैदेही आज दुकान नहीं खोला था l एक कोने में वैदेही अपनी कुर्सी पर अपने में खोई हुई बैठी थी l गौरी देखती है वैदेही अंदर से बहुत बैचैन दिख रही थी l गौरी वैदेही से सवाल करती है

गौरी - वैदेही...
वैदेही - (ध्यान टूटती है) हूँम्म्म...
गौरी - आज क्या हो गया है तुझे... कहाँ खोई हुई है...
वैदेही - कहीं नहीं काकी... बस ऐसे ही...
गौरी - क्यों झूठ बोल रही है... देख ग्राहक दुकान देख कर लौट रहे हैं... तूने अबतक दुकान नहीं खोला... क्यूँ... क्या चिंता तुझे खाए जा रही है...
वैदेही - कुछ नहीं काकी... बस मन थोड़ा बैचैन है...
गौरी - (उसके पास बैठ जाती है) अब बोल... तुझे आज से पहले इतना बैचैन.. इतना परेशान कभी नहीं देखा...
वैदेही - बात ही कुछ ऐसी है काकी... (वैदेही अपनी जगह से उठती है और दुकान की दरवाजे पर खड़े हो कर गाँव की तरफ देखते हुए) एक आस पर... उम्मीद डगमगा रहा है.. क्या पीढियों से गुलाम... इस गाँव का भाग्य बदलने वाला है...
गौरी - पता नहीं बेटी... पर बदलेगा जरूर... (वैदेही मुड़ कर गौरी को देखती है) हाँ बेटी... बदलेगा जरूर... अब मुझे यकीन हो चला है... यकीन तब भी नहीं हुआ था... जब गाँव वाले महल से उल्टे पाँव लौटने के बजाय... राजा की ओर पीठ कर लौटे थे... पर अब यकीन हो रहा है... महल में बड़े राजा की मौत के बाद भी... कंधा देने तो दूर... किसी ने भी... महल जाकर दुख भी नहीं जताया... उल्टा... शुकुरा और भूरा के पीछे बड़े राजा के नाम पर धूल उड़ाए हैं... यह आक्रोश... पीढ़ियों से दबी हुई थी... अब बाहर निकल रहा है...
वैदेही - पर राजा अभी कमजोर नहीं हुआ है... पता नहीं इस बात का... राजा पर क्या असर हुआ होगा... कहीं उसने पलटवार किया... तब... तब क्या होगा...
गौरी - भीमा.. उसके गुर्गे... एक नहीं कई बार... विश्व के हाथों धूल चाट चुके हैं... यह देख देख कर.. जो भी डर था लोगों के मन में... सब गायब हो गया है... और अब... अब तो गाँव की पुलिस भी राजा के साथ नहीं है...
वैदेही - हाँ पुलिस राजा के साथ नहीं है... पर क्या... हमारे साथ है... या होगा...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...

वैदेही गौरी को बताती है कि कैसे विक्रम को गायब हुए गवाहों को लाने के लिए विश्व ने सपरिवार भेज दिया है, और राजा की एक प्राइवेट आर्मी कभी कभी भी पहुँचने वाली है l

गौरी - क्या... (भय के साथ) राजा ने... बाहर से एक फौज बुलाई है...
वैदेही - हाँ काकी...
गौरी - क्या तुमने विशु से बात की...
वैदेही - विशु... आधी रात को ही... टीलु को लेकर यशपुर चला गया है...
गौरी - आधी रात को...
वैदेही - हाँ.. जाने से पहले... मुझसे इजाजत लेने आया था.. राजा की फौज आने से पहले... वह सरकारी सुरक्षा राजगड़ को मुहैया कराने की कोशिश करेगा... इसीलिए जल्दबाजी में रात को निकल गया...
गौरी - भगवान करे... वह कामयाब रहे... गनीमत है... राजा ने रस्म के नाम पर... किसी को उठाया नहीं...
वैदेही - मुझे इसी बात की चिंता है... अभी महल की पहरेदारी पुख्ता है... पुलिस को राजा औकात दिखा चुका है... इसी दौरान.. अगर कुछ... (वैदेही आगे कुछ कह नहीं पाती)
गौरी - तो तुने... विशु को जाने क्यूँ दिया...
वैदेही - विशु को मैंने इस बारे में कुछ बताया नहीं... हाँ टीलु रुकना चाहता था... मैंने ही उसे चुप करा कर विशु के साथ भेज दिया...
गौरी - (कांपती आवाज में) तेरी बातेँ सुन कर लगता है... अगर राजा किसी को उठवा कर महल ले गया... कोई भी उसे बचाने महल जा नहीं पाएगा... पुलिस भी नहीं...
वैदेही - हाँ... अगर महल ले जा सके तो...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...
वैदेही - काकी... विशु आने तक... मैं जिन लड़कियों के बारे में जानती हूँ... उन्हें राजा की आदमियों के नजर से छुपा रखूंगी... कम से कम.. महल तक तो... ले जाने नहीं दूंगी...
गौरी - विशु कब तक आ जाएगा...
वैदेही - कल रात तक... या फिर परसों सुबह तक...
गौरी - इस बीच कुछ हुआ तो...
वैदेही - जो भी होगा कल ही होगा...
गौरी - तुझे कैसे पता...
वैदेही - क्यों कि राजा ने... इंस्पेक्टर दास से वादा किया है... बड़े राजा की मौत की चौथ का मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा...

इतना कह कर वैदेही चुप हो जाती है l गौरी आने वाले पल की अंदेशा करते हुए बैचैन होने लगती है l तभी दोनों के ध्यान तोड़ते हुए वैदेही के सामने वाली चौराहे पर आठ दस गाड़ियों का काफिला गुजरती है l सभी गाडियाँ सफेद रंग के थे l जिस अनुशासन से गाडियाँ गुजरी वैदेही को समझ आ जाती है कि कोई सरकारी मंत्री राजगड़ आया हुआ है l वैदेही अपनी दुकान से निकल कर बाहर आती है और गाड़ियों की काफिलों को महल की ओर जाते हुए देखती है l यह गाडियों की काफिला राज्य की होम मिनिस्टर का था l सारी गाडियाँ लाइन से राजगड़ महल के मुख्य फाटक के सामने रुक जाती है l होम मिनिस्टर के गाड़ी से एक अधिकारी उतर कर फाटक पर तैनात एक पहरेदार से कुछ बातेँ करता है l उसके बाद पहरेदार फाटक खोल देता है, सभी गाडियाँ महल की परिसर में आजाती है l गाड़ी से होम मिनिस्टर उतरता है l तब तक भैरव सिंह को खबर हो चुकी थी वह भी बाहर आजाता है और कॅरीडर पर खड़े होकर होम मिनिस्टर का इंतजार करता है l

होमी - नमस्ते राजा साहब... (कहते हुए सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के पास पहुँचता है)
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आइए... आपके आने की अपेक्षा तो थी... पर... आज नहीं...
होमी - हाँ या तो... चौथ को... यानी कलआना चाहिए था... या फिर तेरहवीं पर... पर आया हूँ तो अकारण नहीं...
भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - मंत्री जी के साथ आए लोगों को... दिवान ए आम हॉल में आवभगत करो..
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आज आप हमारे खास अतिथि हैं...

होम मिनिस्टर और भैरव सिंह महल के अंदर जाने लगते हैं l अंदर घुसते ही भैरव सिंह सवाल करता है

भैरव सिंह - आप अकारण नहीं आए हैं... तो कारण बताइए..
होमी - राजा साहब... आपको तो अपने समधी जी की खबर मिल चुकी होगी...
भैरव सिंह - हाँ... फोन पर नहीं... न्यूज पर मिल चुकी है... हम जा नहीं सके... कारण तुम समझ सकते हो...
होमी - राजा साहब... आपके समधी जी ने ऐसा कुछ किया है कि... मुझे चौथ से पहले आना पड़ा...

दोनों ड्रॉइंग रुम में पहुँचते हैं l होम मिनिस्टर ठिठक जाता है l भैरव सिंह उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और खुद एक कुर्सी पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - मंत्री जी... बेहतर होगा... आप ज्यादा भूमिका बनाने के बजाय... सीधे मुद्दे पर आए... और मेरे समधी जी ने ऐसा क्या कर दिया है... जिसके कारण आपको यहाँ आना पड़ा...
होमी - बताता हूँ राजा साहब... आप तो जानते हैं... सामंतराय बाबु... कभी हमारी पार्टी की सर्वेसर्वा हुआ करते थे... इसलिए जब उनके एक्सीडेंट के बाद कैपिटल हास्पीटल में जॉइन होने की खबर मिली... हम मुख्यमंत्री जी के साथ उनसे मिलने... हस्पताल गए... और सामंतराय को जैसे हमारा ही इंतजार था... हमें... फंसा दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... हम सुन रहे हैं... बोलते जाइए...
होमी - उन्हें पहले से अंदाजा था... मैं और मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने जाएंगे... हम लोग हाथ में गुलदस्ता लिए... उनसे उनके कमरे में मिले... गलती यह हो गई के हम साथ में मीडिया लेकर गए थे... कमरे में मीडिया के सामने उनसे हाल चाल पूछ रहे थे... तभी डीसीपी सतपती एक फाइल लेकर पहुँचा... तब सामंतराय जी ने कहा कि उन्होंने ही डीसीपी सतपती को बुलाया है... और होम मिनिस्टर होने के नाते... डीसीपी के लाए फाइल पर दस्तखत करने के लिए कहा...
भैरव सिंह - (भौंहे तन जाती हैं) कैसी फाइल...
होमी - यह सवाल मैंने भी पूछा...
तब डीसीपी ने कहा कि... रुप फाउंडेशन के दो प्रमुख गुमशुदा गवाह मिल गए हैं... और सबसे अहम... राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुए आर्थिक घोटाले का सबसे बड़ा सबूत और गवाह डिक्लेरेशन...
भैरव सिंह - गवाह... कौन हैं वह गवाह...
होमी - (एक फाइल निकाल कर टेबल पर रख देता है) वह आपके आस्तीन में पलते थे... आप ही देख लीजिए...

भैरव सिंह फाइल को लेकर एक के बाद एक कई पन्ने पलट कर देखता है l हर एक पन्ना देखने के बाद फाइल टेबल पर रख देता है और होम मिनिस्टर से पूछता है

भैरव सिंह - जो हुआ... जो भी हुआ... उसकी कानूनी पहलु के बारे बताइए...
होमी - आप नाम देख कर चौंके नहीं...
भैरव सिंह - हम इतना चौंक चुके हैं कि अब इस तरह की झटके... हमें और चौका नहीं रहे हैं... हमें बस इसकी कानूनी वैधता और क्या कर सकते हैं कहिये...
होमी - इसमें... तीन नाम हैं... अनिल कुमार सुबुद्धी... श्रीधर परीड़ा... और बल्लभ प्रधान... अब चूँकि... अदालत स्थगित है... और यह दोनों केस... होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आते हैं... इसलिए जो भी नए गवाह जुड़ें... उनकी डिक्लेरेशन होम मिनिस्ट्री में किया जाता है और उन्हें वीटनेस प्रोटेक्शन में लेकर... सुरक्षा में रखा जाता है...
भैरव सिंह - तो.. क्या यह तीनों भुवनेश्वर में हैं...
होमी - नहीं... यहीँ पर गेम हो गया है राजा साहब... इस केस में वीटनेस प्रोटेक्शन का भी इनचार्ज डीसीपी सतपती है... उसका भी अपना स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसिजर है... प्रधान शायद यहीँ कहीं है... डीसीपी ने... सुबुद्धी और परीड़ा को भुवनेश्वर से गायब कर दिया है और वह रातों रात यशपुर लौट आया है... पर अकेला...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - जैसे ही यह सब हुआ... मुख्य मंत्री जी ने... मुझे आपको आगाह करने के लिए भेज दिया... बड़े राजा जी के मृत्यु पर सम्वेदना व्यक्त करने...
भैरव सिंह - अभी तो अदालत स्थगित है... है ना...
होमी - स्थगित तो है... पर अगर इमर्जेंसी की हालात हो... तो अदालत आधी रात को... छुट्टी के दिन भी खुल सकती है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अब हम... बात को पूरी तरह से समझ गए...
होमी - हाँ राजा साहब... हमें आपके समधी जी ने बुरी तरह से फंसा दिया... मीडिया सामने थी... और इलेक्शन भी आने वाली है... इसलिये... मजबूरी में... हमने मीडिया के सामने फाइल पर दस्तखत कर दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - हाँ राजा साहब... मुख्य मंत्री जी ने इसी कारण मुझे यहाँ भेज दिया... अब आप अपनी ताकत लगा कर कुछ किजिए... (भैरव सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है) राजा साहब... सरकारी तौर पर हमसे कोई मदत नहीं हो पाएगा... पर आप जो भी करेंगे... हम आपके साथ हैं...
भैरव सिंह - कल चौथ है... आप अपने कारवाँ के साथ... रंग महल में रुक जाइए... जो भी करना है... हम करेंगे... (आवाज देता है) भीमा...
भीमा - (भागते हुए आता है) आज मंत्री जी ने... हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है... इन्हें रंग महल ले जाओ...
होमी - (अपनी कुर्सी पर उठते हुए) आपकी आतिथेयता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राजा साहब... पर मुझे इजाजत दिजिए... मैं भले ही मुख्यमंत्री जी की वार्ता लेकर आया हूँ... पर आया तो सरकारी गश्त में...
भैरव सिंह - सरकारी गश्त में... अगर आप सरकारी गश्त में हैं... तो लोकल पुलिस कहाँ है...
होमी - जी खबर कर दी गयी थी... अचानक गश्त थी... और वह आईआईसी अपने दो साथियों के साथ...मेडिकल में है... आपको इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी था... इसलिए बिना लोकल पुलिस के हम यहाँ आ गए...
भैरव सिंह - (होम मिनिस्टर के साथ बाहर की ओर जाते हुए) अच्छा किया... आपने हमें आगाह कर दिया... इसका इनाम तो बनता है... इसलिए हम दरख्वास्त करते हैं... आप और आपके कारिंदे... आज की रात रंग महल में विश्राम करें.. कल की छोटी शुद्धि के बाद.. आप चले जाइएगा...
होमी - नहीं राजा साहब... आपसे यह सौजन्य मुलाकात थी... कल आकर औपचारिक मुलाकात करूँगा... तब तक... मैं यशपुर में... आईवी में रुकूंगा...

कहते कहते जब होम मिनिस्टर बाहर कॉरीडोर में आता है तो देखता है उसके सभी सुरक्षा कर्मि घुटनों पर बैठे हैं और राजा साहब के लोग उन पर बंदूक ताने खड़े हुए हैं l होम मिनिस्टर यह सब देख कर चौंकता है, भीमा अपना खुखरी होम मिनिस्टर के पीठ पर लगा देता है l

होमी - यह... यह क्या है राजा साहब...
भैरव सिंह - पिछली बार भी तुमने हमारी बेकद्री की थी... तब अपने ही जुते से... अपने गाल पर सीकाई की थी...
होमी - पर इस बार तो मैंने कोई बेकद्री नहीं की है... आपको सबूतों के साथ... आगाह किया है..
भैरव सिंह - बे मादरचोद... यह आज हम जिस मुकाम पर पहुँचे हैं... इसके पीछे गलीच... तु ही है... तूने हमसे बदला लेने के लिए... हमारे खिलाफ... हमारे दुश्मनों को लामबंद किया और उनकी मदत की... जब तुझे लगा तेरा पलड़ा हमारी बराबर हो गई... तब तु हमारे बराबर बैठने आ गया...
होमी - र.. राजा साहब...
भैरव सिंह - चुप... तुने हमें बेबस लाचार करने की कोशिश की... कामयाब भी रहा... जश्न तो बनता है ना... इसलिए जश्न रंग महल में मनेगी... तुझे क्या लगता है.. तु यहाँ कैसे आया... कल जब चीफ मिनिस्टर के सामने साइन किया... उसके बाद चीफ मिनिस्टर ने हमें फोन पर सारी बातें इंफॉर्म कर दी थी... उसके और हमारे बीच एक डील हुआ था... हम रुप फाउंडेशन और राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के केस को... हमारी तरीके से क्लॉज करेंगे... और तुझे... तेरी मुकम्मल अंजाम तक पहुँचाएँगे...
होमी - नहीं... नहीं राजा साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं होम मिनिस्टर हूँ... अगर मुझे कुछ हुआ... तो आप भी...

इससे पहले कि होम मिनिस्टर अपनी बात पूरी कर पाता भीमा होम मिनिस्टर के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ देता है l

भैरव सिंह - मेरे आदमी का यह चांटा... इस बात का सबूत है... के तु कभी हमारे बराबर नहीं हो सकता... बड़े राजा जी की चौथ का मातम... हम तुम्हारे साथ ही मनाएंगे मंत्री... इसलिए जाओ... पहले रंग महल में आराम करो... जाओ...

भीमा होम मिनिस्टर को धक्का देते हुए नीचे ले जाता है l वहाँ पर होम मिनिस्टर के सभी सुरक्षाकर्मियों को भैरव सिंह के आदमी रंग महल की ओर ले जाते हैं l इतने में रंगा और रॉय आते हैं और वह लोग विशेष प्रकोष्ठ में आते हैं l

रॉय - राजा साहब... लगता है आपने हमें किसी खास काम के लिए बुलाया है...

भैरव सिंह कोई जवाब नहीं देता, एक किताबों वाली अलमारी के पास आता है और उसका दरवाजा खोलता है l अलमारी के दरवाजे पर लगी एक बोर्ड पर कुछ नंबर पंच करता है l एक दीवार सरक जाती है l दीवार के पीछे नोटों का पहाड़ था l जिसे देख कर रंगा और रॉय के आँखे हैरान और शॉक से फैल जाती हैं l

भैरव सिंह - एक काम है... आखिरी.... अगर पूरा करने में कामयाब हो गए... तो आने के बाद... इस कमरे में मौजूद सारे पैसे तुम्हारे...
रॉय - (आँखों में चमक आ जाती है) तो फिर हुकुम कीजिए राजा साहब...
भैरव सिंह - अभी के अभी यशपुर... जितने आदमी हो सके लेकर जाओ.... विश्व... और उसके साथ जो भी दिखे सबको खत्म कर आओ...
रंगा - विश्व... यशपुर में...
भैरव सिंह - हाँ... वह अभी राजगड़ में नहीं है... वह यशपुर में है... उसे ढूंढो... उसे और उसके पास... उसके साथ जो भी दिखे... सबको खत्म कर दो... उसका लाश... या उसका कटा हुआ सिर लेकर आओ... और यह सारी दौलत ले जाओ...
रॉय - मतलब हमें... उसे यशपुर में ढूंढना पड़ेगा...
भैरव सिंह - हाँ... इसलिए सबसे पहले जाओ... पुरे यशपुर को अपने कब्जे में ले लो... अपने तरीके से एक सौ चौवालीस लगा दो... मगर ध्यान रखो... यशपुर में आने तो पाए... मगर... यशपुर छोड़ कर कोई जाने ना पाए... जो भी जाने की कोशिश करेगा... उसे वहीँ वहीँ के खत्म कर देना... अब सब समझ में आ गया होगा...
रंगा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तो जाओ...

रंगा और रॉय अंदर ही अंदर खुशी मनाते हुए बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह फिर से उस इलेक्ट्रॉनिक लॉक पर कुछ नंबर पंच करता है l वह दीवार जो सरक गया था फिर से बंद हो जाता है l तभी एक नौकर आकर खबर करता है

नौकर - हुकुम... आपसे मिलने कुछ लोग आए हैं...
भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) उनको.... xxxx पर ठहराओ...

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यशपुर में
एक विरान जगह पर वर्जित क्षेत्र में एक टूटा फूटा घर l बाहर से भले ही टूटा फूटा भूतीया दिख रहा था, पर अंदर से वह घर अच्छा दिख रहा था l एक कमरे में विश्व दरवाजे की तरफ मुहँ कर बाहर की ओर देखे जा रहा था, कमरे में उदय, कांस्टेबल जगन और एडवोकेट बल्लभ प्रधान भी थे l विश्व टकटकी लगाए दरवाजे पर नजर गड़ाए देखे जा रहा था l उसे इंतजार था विक्रम और सुभाष की l

उदय - विश्वा... अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें..
विश्व - आ रहे होंगे... प्रधान बाबु... उतावला पन ठीक नहीं है...
उदय - वैसे तुम्हारे दोस्त भी नहीं दिखाई दे रहे हैं...
विश्व - वह भी आ जाएंगे... अभी वक़्त ही कितना हुआ है...
बल्लभ - वक़्त... वक़्त कितना हुआ है... बात यह नहीं है... (सबकी ध्यान बल्लभ की ओर जाता है) वक़्त कब तक अच्छा चल रहा है... तब तक... जब तक.... राजा के आदमी हम तक नहीं पहुँच जाते...
उदय - ऐ... बकवास बंद कर...
बल्लभ - मैं... बकवास नहीं कर रहा हूँ... आने वाला वक़्त.. या तो अच्छा होगा... या फिर बुरा होगा... और मुझे लगता है... अब तक राजा को... हमारे बारे में पता लग चुका होगा... और वह हरकत में आ चुका होगा...
विश्व - तो आने दो... हम तक पहुँचने के लिए... भैरव सिंह को बहुत तैयारी करना पड़ेगा... और अपने तरफ से मैंने पहले से ही... तैयारी कर रखा है...
बल्लभ - एक बात पूछूं...
विश्व - हाँ पूछो...
बल्लभ - परसों डीसीपी सतपती... यह उदय और यह कांस्टेबल जगन... मेरी काउंसिलिंग किए... जब कि मुझे लगा था... जब मेरी भेद खुलेगी... तब काउंसिलिंग तुम करोगे...
विश्व - प्रधान बाबु... आपके घर में जो भी हुआ... वह एक ऑफिशियल प्रोसीजर था... आप एसटीएफ के डीसीपी के द्वारा... ट्रेस किए गए और गिरफ्तार किए गए... उसके बाद आपको गवाह बनाया गया... जिसकी अप्रूवल और डिक्लेरेशन... होम मिनिस्ट्री से लिया गया है... वह भी ऑफिशियल... इसलिए मैं आपके सामने नहीं आया... इससे आगे... आपकी गवाही के लिए मेरा होना जरूरी है... इसलिए आपके सामने आया... क्यूँकी यह भी...
बल्लभ - हाँ... ऑफिशियल है...
उदय - एडवोकेट प्रधान बाबु... क्या आप डरने लगे हैं...
बल्लभ - डर.. हाँ... डरने लगा हूँ नहीं... डरा हुआ था.. और अब भी हूँ...
जगन - डरे हुए हो... तो अपने डर के खिलाफ क्यूँ जा रहे हो..
उदय - (मजाकिया लहजे में) क्यूँकी डर के आगे जीत है... क्यूँ
बल्लभ - जीत और हार दोराहा होता है... मैं वह दोराहा लाँघ चुका हूँ.... और डरते डरते थक गया हूँ...
जगन - डरे हुए थे.... शायद इसलिए जिंदा हो... डर से थक गए हो... मतलब... मतलब समझ रहे हो ना...
बल्लभ - हाँ... इस डर को ढोते ढोते थक गया हूँ... पर मैं जिंदा रहना चाहता हूँ... इसीलिए तो... हार का वह मोड़ छोड़ कर... अब तुम लोगों के साथ हूँ...

विश्व कुछ कहना चाहता था पर तभी उसकी मोबाइल बजने लगती है l मोबाइल उठा कर कान से लगाता है l उसी वक़्त घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई देती है l सबकी बातों में विराम लग जाता है l सब बाहर की ओर देखने लगते हैं l एक गाड़ी आकर रुकती है l उस गाड़ी से सुभाष सतपती और उसकी एसटीएफ वाली टीम के बंदे उतरते हैं l पीछे पीछे और एक आर्मोर्ड वैन आती है l उससे विक्रम, सु बुद्धी, श्रीधर परीड़ा के दास भी उतर कर विश्व के सामने आते हैं l सभी कमरे में आ जाते हैं l सुबुद्धी और श्रीधर की नजरें बल्लभ से मिलती है l उन्हें देख कर सुभाष कहता है l

सुभाष - हाँ भाई... भरत मिलाप कर लो... बहुत जल्द हम निकलने वाले हैं... (विश्व से) तुम्हारा प्लान क्या है विश्व..
विश्व - अभी गाँव से सत्तू ने फोन किया था... होम मिनिस्टर महल गया था...
बल्लभ - ह्वाट... वह कब भुवनेश्वर से निकला...
दास - कल ही... मुझे उसके कॉनवोय में शामिल होने के लिए कहा गया था... पर मैंने अपने दो कांस्टेबलों का मेडिकल में होने को बात कर... मेरे थाने की सबॉर्डिनेट को चार्ज हैंड ओवर किया था... पर उन्होंने कहा कि... होम मिनिस्टर ने... लोकल पुलिस की प्रोटोकॉल एक्सेप्ट नहीं किया...
विश्व - ह्म्म्म्म... होम मिनिस्टर कल के चौथ वाली मातम के लिए आया है शायद... और (बल्लभ, सुबुद्धी और श्रीधर की ओर देख कर) लगता है... इनके बारे में जानकारी भी दे दी...

इतना सुनते ही तीनों की हालत खराब होने लगती है l सुबुद्धी विश्व से कहने लगता है

सुबुद्धी - विश्वा बाबु... अब...
विश्व - में भी यही चाहता था... के राजा तुम लोगों के बारे में जान जाए...
श्रीधर - ऐ... तु हमारा बलि चढ़ाने लाया क्या... (सुभाष से) यह... यह क्या डीसीपी साहब... यह तो हमें मरवाने की बात कर रहा है...
जगन - वह कहावत है ना... जैसी करनी... वैसी भरनी...
दास - हाँ... विश्व को फ़ंसाने वाली टीम का... तु भी तो एक हिस्सा था...
श्रीधर - ओ.. अब समझा... तुम लोग कोई गवाही दिलाने नहीं लाए हो... इस विश्वा के नाम पर... राजा भैरव सिंह के हवाले करने लाए हो...

इससे पहले कि श्रीधर और कुछ कहता, चटाक की आवाज़ आती है l श्रीधर अपना गाल सहलाते हुए बल्लभ की ओर देखता है l बल्लभ उसे उंगली दिखा कर

बल्लभ - चुप... चुप... विश्वा हमें ना सिर्फ बचाएगा... बल्कि... हमसे गवाही दिलवा कर... हर गुनाह से माफी भी दिलवाएगा... चुप... जरा सोच... कटक भुवनेश्वर में... पागलों की तरह राजा के आदमी ढूंढ रहे हैं... वहाँ से यहाँ तक बच कर आए हो... तो आगे के लिए भी भरोसा करो....

अपनी गाल सहलाते सहलाते श्रीधर विश्व की तरफ़ आस भरी नजर से देखने लगता है l

सुभाष - चलो... कोई तो हम पर भरोसा कर रहा है... (विश्व से) वैसे विश्वा तुम्हारा प्लान और तैयारी क्या है...
उदय - हाँ... तुम्हारे दोस्त अभी तक नहीं आए हैं...
विश्व - आ जाएंगे... पहले हम प्लान पर बात करें... सतपती बाबु... पहले आप बताएं... मैंने जो कहा था... उसका क्या...
सुभाष - मैं यशपुर पहुँचते ही... सबसे पहले यही किया... दास को साथ लेकर... बारह बुलेट प्रूफ जैकेट ले आया हूँ... गाड़ी में ही है... और अभी कुछ देर बाद... मेरी टीम जाकर... राजगड़ थाने को... हमारे आने तक सम्भाले रखेगी...
विश्व - मैंने कुछ और भी कहा था...
सुभाष - हाँ यार... आर्म एंड एम्युनिशन भी लाया हूँ... वह भी गाड़ी में है... पर एक बात बताओ... तुमने खान सर से... यह आर्मोर्ड वैन क्यूँ मंगवाया...
विश्व - ह्म्म्म्म सब परफेक्ट है... तो सुनिए... यह वैन... आपकी प्रोमोशन हो कर जाने के बाद... जैल में आया था... जैल में क्या हुआ था... आप जानते ही हैं... इसलिए तब... डैड... आई मीन.. सेनापति जी यह आर्मोर्ड वीइकल खरीदे थे... पर मालूम नहीं था... इस वीइकल की अब हमें ज़रूरत पड़ने वाली है...
दास - मतलब... हम पर हमला होगा...
विश्व - हाँ... वे लोग राजगड़ से निकल भी चुके हैं... उनकी टीम को अमिताभ रॉय और रंगा लीड कर रहे हैं...
विक्रम - (गुस्से से) रंगा... रॉय...
विश्व - कुल विक्रम... तो प्लान यह है कि... हम टोटल बारह लोग हैं... पर टीम दो बनेगी... एक टीम में... यह तीन गवाह... मैं... सतपती जी और दास बाबु... इस आर्मोर्ड वीइकल से... रंगा और रॉय के आँखों के सामने से राजगड़ से निकलेंगे...
विक्रम - और हम... हम लोग...
विश्व - बताता हूँ... मेरे दोस्त... तीन बाइक जुगाड़ कर चुके हैं... हमारे यहाँ से निकलते ही.. वे लोग तीन बाइक लेकर यहाँ पहुँच जाएंगे... आप दोनों... विक्रम और उदय बाबु... उनके साथ निकल जाइए...
उदय - ओ... समझा... मतलब... इन तीनों को अपने काबु में लेने के लिए... इसलिए सारे लोग तुम्हारे पीछे जाएंगे...
विक्रम - तो फिर हमारा काम क्या है...
विश्व - तुम लोग बाइक से... पीछे से... राणी पत्थर हो कर... उतम गड़ हाईवे पर हम से पहले पहुँच जाओगे... आगे जाने के बाद... पाँच किलोमीटर दूर सोनपुर हाईवे जाने के लिए... बीन्का बाईपास में उतरोगे... वहाँ... एक झाड़ी में छुपाये एक और आर्मोर्ड वीइकल... बिल्कुल ऐसी ही होगी... तुम... उदय और मेरे चारों दोस्त... वह गाड़ी ले लेना... और वहीं बाइकें उसी झाड़ी में छोड़ देना... हम किसी भी हाल में... उनसे दस मिनट का लूप लेकर... वहाँ पहुँच जायेंगे... हम जैसे ही पहुँचेंगे... तुम लोग आर्मोर्ड वीइकल लेकर चले जाना...
उदय - ओ... उसके बाद वे लोग... हमारे पीछे जाएंगे...
विश्व - हाँ... उस गाड़ी में सब बंदोबस्त होगी... बाकी उदय बाबु... मेरा दोस्त सीलु अच्छा ड्राइवर हैं...
विक्रम - ठीक है...
बल्लभ - विश्व... हम कहाँ जा रहे हैं... क्यों जा रहे हैं... मैं समझ गया... पर एक बात पूछूं...
विश्व - हूँ...
बल्लभ - तुमको इस तरह की लॉजिस्टिक सपोर्ट कौन दे रहा है...
विश्व - (मुस्कराते हुए) मेरे गुरु...
सुभाष - विश्व - तुमने हथियार कहा.. हम ले आए हैं... और लगता भी है... शायद जरूरत पड़ेगी... पर हम इमर्जेंसी कैसे क्रिएट करेंगे... जिससे जज... इनकी गवाही लेने के लिए तैयार हो जाएंगे...
विश्व - यह जो वीइकल है... इसमें मैंने... जोडार साहब से कह कर एक... सिस्टम लगवाया है... (विक्रम और सुभाष से मोबाइल मंगाता है) आप दोनों प्लीज... अपना अपना मोबाइल देंगे...

विश्व उनसे मोबाइल लेकर अपने मोबाइल से एक ऐप भेजता है और उनके मोबाइल में इंस्टाल कर देता है l फिर उनके मोबाइल उन्हें लौटा देता है l

विश्व - गाड़ी में... डैश बोर्ड पर इमर्जेंसी स्विच मार्क किया गया हुआ है.. जैसे ही हम उसे दबायेंगे... एक ड्रोन... जो गाड़ी की छत पर फिक्स है... वह गाड़ी के तीस फुट की ऊँचाई से गाड़ी की नेवीगेशन को फॉलो करते हुए उड़ेगी... तकरीबन दो घंटे तक... उस ड्रोन को कैमरा से... हर और से हो रही हमला रिकार्ड होगा... (सुभाष से) और आप उस लाइव रिकार्ड को... सुप्रिया से साझा करते रहेंगे... पूरा स्टेट... हम पर हो रहे हमले को लाइव देखेगी... यह बात अपने आप में इमर्जेंसी बनाएगी... जजों को गवाही लेने के लिए मजबूर करेगी... (विक्रम को देखते हुए) गाड़ी बदलने के बाद... तुम्हें भी ड्रोन उड़ाना है... और वीडियो कॉल से... सतपती से साझा करना है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मैं सब समझ गया... तो निकलना कब है...
विश्व - जैसे ही मुझे मेरे दोस्त कॉन्टेक्ट करेंगे...

इतने में दास से इशारा पाकर जगन सबके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट ले आता है l पहले विश्व और उसके टीम पहन लेते हैं l विक्रम और उदय भी पहन लेते हैं l उन्हें अब इंतजार था तो विश्व के किसी दोस्त के फोन की l कुछ देर बाद सीलु का फोन आता है l विश्व सब सुनने के बाद विक्रम उदय और जगन को छूपने के लिए कहता है और वह दास और सुभाष के साथ तीनों गवाहों को लेकर गाड़ी में घुस जाते हैं l दास ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी उस जगह से निकाल कर सड़क पर ले आता है l थोड़ी ही दुर जाने के बाद एक मोड़ पर कुछ गाड़ियां इनकी गाड़ी को घेरने की कोशिश करते हैं पर चूँकि यह एक आर्मोर्ड वीइकल थी l सामने आने वाली सभी गाड़ियों को धक्का मारते हुए निकल जाती है l

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"ब्रेकिंग न्यूज
दर्शकों आज यशपुर में एक पुलिस की वैन जो सोनपुर जा रही थी, तभी उस वैन पर बहुत सी गाड़ियों से कुछ अज्ञात लोगों ने धाबा बोल दिया है l आप अपनी टीवी स्क्रीन पर एक्सक्लूसिव तस्वीरें देख सकते हैं l जिस तरह से पुलिस की वैन पर तकरीबन पंद्रह सोला गाडियों से हमला किया गया स्थानीय लोग इसे पुलिस पर गुंडों का आक्रमण कह रहे हैं l हमारे सम्वाददाता को जैसे ही खबर मिली वह ड्रोन कैमरा की सहायता से हो रही झड़प को रिकार्ड कर रहे हैं और हमसे संपर्क करते हुए विजुअल्स उपलब्ध करा रहे हैं l"

हर एक टीवी के स्क्रीन पर लाइव न्यूज में एरियल व्यू से दिख रहा था l एक वैन आगे आगे सड़क पर दौड़ रही थी और उसके पीछे कई गाड़ियों से पीछा किया जा रहा था l पूरे राज्य में लोग इसी न्यूज को देख रहे थे l राजगड़ की महल में भीमा भैरव सिंह को खबर करता है तो भैरव सिंह टीवी ऑन कर देता है l वह टीवी पर यह सब दृश्य देख कर और न्यूज चैनल में चल रहे स्कोलिंग देख कर समझ जाता है कि गाड़ी में विश्व और गवाह हैं और उनका पीछा रंगा और रॉय की टीम कर रहा था l भैरव सिंह भीमा कॉर्डलेस है लाने को इशारा करता है l भीमा जैसे ही फोन लाता है उसे रॉय का नंबर डायल करने के लिए कहता है l भीमा भी बिना देर किए रॉय का नंबर लगा कर कॉल करता है l उधर रॉय फोन उठाता है l

रॉय - हैलो..
भीमा - एक मिनट लाइन में रहिए... राजा साहब बात करेंगे... (कह कर भैरव सिंह के हाथ में कॉर्डलेस दे देता है)
भैरव सिंह - क्या चल रहा है...
रॉय - राजा साहब... वह जिस गाड़ी में भाग रहे हैं... विश्वा और उन तीन गवाहों के साथ... दो लोग और भी हैं... पता नहीं चल पा रहा है...
भैरव सिंह - जो तुम और तुम्हारी टीम कर रही है... उसे पूरा स्टेट देख रहा है...
रॉय - क्या... जी मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - तुम उसकी चिंता मत करो... जो भी हो रहा है... ठीक हो रहा है... हमें यह सब डंके की चोट पर करना था... वही हो रहा है...
रॉय - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब लौटना... तो विश्व और उन हराम खोरों के कटे हुए सिरों के साथ ही लौटना...


कह कर भैरव सिंह अपना कॉल काट देता है और अपनी नजरें टीवी स्क्रीन पर गाड़ देता है l इधर फोन अपनी जेब में रख कर वॉकि टॉकी पर सबको हुकुम देता

रॉय - सब ध्यान से सुनो... तुम में से जो भी कोई इन्हें पकड़ लेगा... मैं उसे उसकी वजन बराबर नोट से तोल दूँगा... जाओ... टक्कर मारो... गाड़ी पलटाओ कुछ भी करो... इन हराम खोरों को पकड़ो...

रॉय की यह बात उसके सारे बंदे सीरियसली ले लेते हैं l पंद्रह गाड़ियों में सवार लोगों में विश्व और बाकी लोगों को पकड़ने के लिए होड़ में लग जाते हैं l जिसके वज़ह से उनके बीच तालमेल बिगड़ जाता है l कोई कोई गाड़ी टक्कर भी मार रहे थे l इधर गाड़ी के भीतर टक्कर के वज़ह से सब थोड़ी देर के लिए अस्तव्यस्त हो जाते हैं l

सुभाष - हमें लगता है... हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ेगा...
विश्व - नहीं... उन्होंने अब तक... हथियार इस्तेमाल नहीं किया है... यह ठीक नहीं रहेगा... (फिर गाड़ी पर टक्कर लगता है, जिससे सबको झटका लगता है)
सुभाष - यह लोग पागल हो गए हैं... दास... यार... यह पुलिस वैन है... तेज चलाओ...
दास - मैं अपनी कैपासिटी से भी तेज चला रहा हूँ...

तभी विश्व का फोन बजता है, विश्व फोन निकाल कर देखता है, स्क्रीन पर डैनी डिस्प्ले हो रहा था, विश्व फोन उठाता है l

डैनी - लगे रहो हीरो... पूरा स्टेट तुम लोगों को लाइव देख रहा है...
विश्व - हमें...
डैनी - आई मीन... तुम्हारी गाड़ी को...
विश्व - हाँ आखिर यह आइडिया... आपका जो था...
डैनी - तुम लोग उन्हें छका क्यूँ नहीं रहे हो... ऐसी स्पीड रही तो... तुम लोग सोनपुर नहीं पहुँच पाओगे...
विश्व - क्या करें... वह लोग हम पर गोली भी तो नहीं चला रहे हैं... अगर एक बार... हमारी तरफ़ से फायरिंग हो गई... तो दूसरी तरफ से... बम गोले बरस पड़ेंगे...
डैनी - गाड़ी में... दो फर्स्ट ऐड बॉक्स होंगे देखो...
विश्व - हाँ देखा...
डैनी - वह दूसरी बड़ी वालीं निकालो...

विश्व इशारा करता है तो सुभाष बड़ी वाली फर्स्ट ऐड बॉक्स निकालता है, उसे खोलने पर बॉक्स उपरी ढक्कन पर एलसीडी स्क्रीन थी एक रिमोट ट्रिगर था और कुछ घड़ी आकार के गैजेट्स l

विश्व - यह... यह सब क्या है...
डैनी - देखो... गाड़ी के बीचों-बीच एक शटर नुमा दरवाजा होगा... नीचे से उतरने के लिए... (विश्व देखता है)
विश्व - हाँ है...
डैनी - तो अब ध्यान से सुनो... तुमने मुझसे जब लॉजिस्टिक्स मांगा था... तब मुझे एहसास हो गया था... ऐसा ही कुछ होगा... यह गैजेट्स... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर है... किसी भी गाड़ी की... इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिक सर्किट को पूरी तरह से जाम कर सकता है... अब उन सबको रोकने के लिए... इन ट्रेंकुलाईजर्स का इस्तेमाल करो...
विश्व - समझ गया...

विश्व फोन काट देता है l गाड़ी के फर्श पर वह शटर को किनारे करता है l फिर उस बॉक्स को ऑन करता है l उपरी कवर का एलसीडी ऑन हो जाती है l रिमोट को भी ऑन करता है और फिर एक ईएमपी ट्रेंकुलाईजर ऑन करता है और गाड़ी की फर्श से उसे नीचे सड़क पर गिरा देता है l तभी एलसीडी स्क्रीन पर एक लाल रंग का डॉट दिखने लगता है l विश्व ट्रिगर रिमोट की स्विच ऑन कर देता है l एलसीडी स्क्रीन पर एक स्पाइक जम्प लेता है l सभी पीछे देखते हैं एक गाड़ी में इमर्जेंसी ब्रेक लग जाते हैं l गाड़ी की तेजी के वज़ह से गाड़ी झटके के साथ बीस पच्चीस फुट ऊंचाई पर गुलाटी मारते हुए सड़क पर गिरती है l यह देख कर रॉय और उसकी टीम हैरान हो जाते हैं l

रॉय - गाड़ी तेजी से चलाओ... और सड़क पर नजर भी रखो... गाड़ियों को जीगजाग चलाओ... अंदर से कोई... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर इस्तेमाल कर रहा है...
रंगा - अगर उन्होंने सारे गाडियों पर इस्तेमाल कर दिया... तब...
रॉय - अगर एक और गाड़ी की पलटी होती है... तो उन्हें रोकने के लिए गोली... गोला जो भी दाग दो...

अब सारी गाड़ियां पीछा तो कर रही थीं पर जीगजाग तरीके से l यह देख कर सुभाष कहता है "अब मुझे इस्तेमाल करने दो" इतना कह कर विश्व के हाथों से अपना वह रिमोट और ट्रेंकुलाईजर ले जाता है और वह नीचे सड़क पर फेंक देता है l रिमोट पर स्विच ऑन करता है पर कोई फायदा नहीं होता है l वह ईएमपी ट्रेंकुलाईजर बेकार जाता है l सुभाष और एक ट्रेंकुलाईजर डालता है थोड़ा गाड़ियों के मूवमेंट देखने के बाद रिमोट दबाता है इसबार सबसे पीछे वाली गाड़ी मुड़ कर पलट जाती है l यह देख कर रंगा रॉय की हाथ से वॉकि टॉकी लेकर सारे अपने आदमियों से कहता है l

रंगा - हम यहाँ चोर पुलिस नहीं खेल रहे हैं... उस गाड़ी में एक हारामी है.... उसे ही नहीं... उसके साथ जो भी गाड़ी में उन सबको मारना है... चलाओ गोली...

अब हर एक गाड़ी में से एक एक स्नाइपर अपनी अपनी गन लेकर अपनी अपनी गाड़ी में पोजीशन बनाते हैं और फायर करने लगते हैं l चूँकि आर्मोर्ड गाड़ी बुलेट प्रूफ था इस लिए गाड़ी को कुछ नहीं होता l पर गाड़ी पर गोलियों की बरसात होते ही सुबुद्धी चिल्लाने लगता है l उसे डांट कर सुभाष चुप कराता है l

सुभाष - दास... और कितना दूर है... बिन्का बाई पास...
दास - नेवीगेशन के हिसाब से... दस किलोमीटर और...
श्रीधर - हम क्यूँ नहीं... गोली चलाते उनपर...
विश्व - हम...
श्रीधर - ठीक है... तुम... तुम क्यूँ नहीं गोली चला रहे...
विश्व - हमारी मर्जी...

सुभाष जितनी भी ट्रेंकुलाईजर थे सभी को ऑन करता है l एलसीडी में सीरियल नंबर डालता है और सबको बारी बारी से नीचे सड़क पर डाल देता है l विश्व रिमोट लेकर लगातार ट्रिगर दबाता चला जाता है l इसके वज़ह से आगे पीछे हो कर पाँच छह गाड़ियां पलट जाते हैं l जिसके कारण कुछ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं l जिसके वज़ह से सारी गाड़ियां रुक जाती हैं l रॉय और रंगा दोनों उतरते हैं

रंगा - जिस जिसकी गाड़ी की माँ बहन हो गई है... वह यहाँ रह कर अपनी माँ चुदाए... बाकी गाडियों को सम्भल कर... जैम से निकालो... वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे... अब उनको नहीं पकड़ेंगे... उन सबको गोली मार देंगे...
रॉय - अब की बार गाड़ी नहीं... टायरों पर निशाना लगाओ... गाड़ी की दूरी कम हो... तो ग्रेनेड फेंक मारो... मगर मार डालो... हम यशपुर से बहुत दूर आ चुके हैं... वह लोग बीन्का बाईपास से सोनपुर जा रहे होंगे... जल्दी पहुँचो...

बाकी जितनी गाड़ियां थीं सब धीरे धीरे से उस जैम से निकल कर बिन्का बाईपास की ओर जाने लगते हैं l और उस तरफ बाईपास ओवर ब्रिज के नीचे पहले से ही विक्रम उदय और सीलु, मिलु टीलु और जिलु विश्व और गाड़ी की इंतजार कर रहे थे l कुछ ही देर बाद विश्व और उनकी गाड़ी इनके सामने थी l जैसे ही विश्व गाड़ी से उतरता है सीलु झाड़ियों में छुपी हुई दूसरी आर्मोर्ड वैन निकाल लेता है l उदय और विश्व के चारों दोस्त उस गाड़ी में बैठ जाते हैं l विश्व उस गाड़ी का मुआयना करता है l देखता है इस गाड़ी में भी दो दो फर्स्ट ऐड बॉक्स थीं l विश्व समझ जाता है इस गाड़ी में भी डैनी ने वही व्यवस्था करी हुई है, विश्व विक्रम को ट्रेंकुलाईजर्स के बारे में जानकारी दे देता है और सारे हथियार जो इनके गाड़ी में थे वह सब विक्रम वाली गाड़ी में रखवा देता है l विक्रम सब समझ जाता है और फिर वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाता है l पर कुछ सोच कर विश्व आवाज देता है

विश्व - विक्रम... (विक्रम गाड़ी से उतरता है)
विक्रम - हाँ...
विश्व - (आता है विक्रम के गले लग जाता है और कहता है) हमने अब तक कोई गोलियां नहीं चलाई है... पर तुम लोग गोली का जवाब गोली से देना.. और विक्रम... तुम और तुम्हारे साथ.. (कुछ कह नहीं पाता, एक पॉज लेने के बाद) जिंदा लौटना... प्लीज...

विश्व की इस भावुक बात सुन कर सभी दोस्त उतर कर विश्व के गले लग जाते हैं l

सुभाष - ओ भई... अगर मिशन सक्सेस हुआ... तो भरत मिलाप और भी होंगे... अभी हमने सिर्फ उन्हें छकाया है...
विश्व - जाओ...

सभी गाड़ी चढ़ जाते हैं l सीलु गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी को बिन्का हाईवे पर दौड़ा देता है l वहीँ सुभाष, दास विश्व और तीनों गवाहों को लेकर झाड़ियों में से हो कर सड़क के नीचे उतर जाते हैं l वहीँ पर तीन बाइक्स रखे हुए थे l पर जल्द बाजी में पुरानी वैन को छुपाना भूल जाते हैं l इधर ब्रिज के नीचे छह सात गाड़ी आकर रुकती हैं l रॉय और रंगा का चेहरा उतर जाता है, क्यूँकी जो वैन उन्हें दिखा वह खाली था l वह लोग इधर उधर झाँकने लगते हैं कि उन्हें बिलकुल इसी तरह एक और वैन को बिन्का हाईवे पर जाते हुए दिखता है l

रॉय - ओ... हमें बेवक़ूफ़ बनाने के लिए... यहाँ गाड़ी छोड़ दिए... वह देखो... और एक वैन... बिल्कुल सेम टू सेम... चलो...

सभी जो गाड़ियों से उतरे थे, जल्दी जल्दी गाड़ी चढ़ कर बिन्का हाईवे पर उस आर्मोर्ड वीइकल का पीछा करने लगते हैं l उनके जाते ही तीनों बाइकें सड़क पर आ जाती हैं l सारी गाड़ियां जब इनके आँखों से ओझल हो जाते हैं तो सुभाष सुप्रिया को फोन करता है l

सुभाष - तुम मेरी बात को ऑडियो लाइव कराना... और उसी ऐरियल रिकार्डिंग को बार बार रिपीट कराते रहना...
सुप्रिया - ठीक है...
विक्रम - और वहाँ पर क्या चल रहा है...
सुप्रिया - सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा है... पत्री सर... सुधांशु मिश्रा भी आ गए हैं...
विक्रम - ओके...
सुप्रिया - ऑल द बेस्ट...
विश्व - एक गलती तो हुई... पर वह लोग पकड़ नहीं पाए...
विक्रम - हाँ... हम इस वैन को छुपा नहीं पाए... पर किस्मत हमारे साथ है...

इस बार उत्तम गड़ के रास्ते विश्व और उसके बाइकर्स जाने लगते हैं l उधर गुस्से से तमतमाये रंगा और रॉय और उनके साथी गाड़ी के पास आते आते गोलियाँ बरसाने लगे l गाड़ी में एक राइफ़ल उदय और एक स्नाइपर गन विक्रम लिए तैयार थे l जैसे ही गाड़ी पर गोलियां लगने लगी जवाब में विक्रम और उदय काउंटर फायर करने लगे l इनकी काउंटर फायर से दो तीन आदमी उनकी चलती गाड़ी से गिर गए l काउंटर फायर होते ही जिस तेजी के साथ यह लोग गाड़ी का पीछा कर रहे थे गाड़ी थोड़ी धीमा कर कुछ दूरी बरकरार रखते हुए पीछा करने लगे l

रंगा - इनके पास गन है...
रॉय - हम ही बेवक़ूफ़ निकले... यह पुलिस की आर्मोर्ड वीइकल है... हमें पहले से ही समझ जाना चाहिए था..
एक आदमी - अगर... इनके पास गन था... तो पहले हम पर काउंटर फायर क्यूँ नहीं किया...
रॉय - अब समझा... उन्होंने दूसरी गाड़ी क्यों ली... मतलब पहली वाली गाड़ी में... हथियार नहीं थे... इसलिए इन लोगों ने... दूसरी गाड़ी का इंतजाम करवाया....
रंगा - हाँ... वह भी हथियारों के साथ...
रॉय - एक मिनट एक मिनट... (गाड़ी रुक जाती है, उसके गाड़ी रुकते ही सारी गाड़ियां वहीं रुक जाती हैं ) कहीं ऐसा तो नहीं... हम बेवक़ूफ़ बन रहे हैं... सोनपुर जाने के लिए... यह जंक्शन... एक बिन्का... और दूसरा... उत्तम गड़... ए.. ऐ... हमारे साथ खेल हो गया... विश्व और वह गवाह... उत्तम गड़ के रास्ते गए हैं... चलो चलो... गाड़ी घुमाओ...

रॉय के इतना कहते ही सभी अपनी अपनी गाड़ी घुमाने लगते हैं l आगे आगे जा रहे विक्रम और उदय यह सब देख लेते हैं l

विक्रम - गाड़ी रोको सीलु... गाड़ी रोको...
उदय - लगता है उन्हें शक हो गया है... वह लौट रहे हैं...
सीलु - क्या...
मिलु - हाँ... उन्हें शक हो गया है... जल्दी हमें उनके पीछे जाना पड़ेगा...
टीलु - हाँ... विश्वा भाई लोगों के पास हथियार भी नहीं है... जल्दी...

सीलु भी बिना देरी किए गाड़ी घुमाता है और एक्सीलेटर पर पैर दबा देता है l गाड़ी अब बिन्का रोड छोड़ कर रंगा और रॉय के पीछे जाने लगता है l बहुत दूर से ही सही मगर रंगा को अपने पीछे आती हुई आर्मोर्ड वीइकल दिख जाती है l

रंगा - रॉय बाबु... अपने सही पकड़ा... उस आर्मोर्ड गाड़ी में... विश्वा है ही नहीं... अब जो भी कोई है... वह हमारे पीछे आ रहा है..
रॉय - सबको बोलो... रेंज में आते ही... गोलीयों से भुन डाले..
रंगा - ऐ सुनो रे... हमारे चाहने वाले... हमारे पीछे आ रहे हैं... अपनी रेंज में इन्हें लो... और सब हरामीयों का तन्दूरी फ्राई कर दो...

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"जैसा कि हमें हमारी रिपोर्टर जो कि फिल्ड से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं कि जो पुलिस की गाड़ी थी उसमें एसटीएफ हेड डीसीपी सुभाष सतपती वीटनेस प्रोटेक्शन की कार्य को हाथ में लेकर अपने साथ कुछ गवाहों को बचा कर राजगड़ सीमा के बाहर जा चुके हैं l फिर भी उनके पीछे न्याय के दुश्मन बंदूक और बमों के साथ पीछे लगे हुए हैं l हम कोशिश कर रहे हैं एसटीएफ हेड श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने की l

हाँ हाँ.. हाँ तो दर्शकों हमारे टेक्निशियन श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने में सफल हो गए हैं l अभी कुछ ही देर में हम श्री सतपती जी को लाइव सुन पायेंगे, हाँ तो डीसीपी सुभाष जी क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं..
सुभाष - जी... जी..
सुप्रिया - डीसीपी सुभाष जी... ड्रोन कैमरा से... हम जो भी अब तक देखे हैं... वह बहुत ही भयाभय है... इस वक़्त आप कैसे हैं...
सुभाष - हम सुरक्षित हैं... क्यूँकी हम एक आर्मोर्ड वीइकल में हैं... इसलिए इस पर गोलियों का फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है..
सुप्रिया - हमारे सम्वाददाता कह रहे थे... यह एक वीटनेस प्रोग्राम है...
सुभाष - जी... जैसा कि आप जानती होंगी... गृह मंत्रालय ने... रुप फाउंडेशन केस में जो नया एसटीएफ बनाया था... उसमें मुझे प्रमुख बनाया गया था.. अपनी तहकीकात के दौरान... मैंने कुछ नए और छुपे हुए गवाहों को ढूंढ निकाला... मैंने उनकी डिक्लेरेशन बस किया था... और वीटनेस प्रोटेक्शन के तहत... सुरक्षा प्रदान करना चाहता था... पर रुप फाउंडेशन के शत्रुओं को खबर लग गई... इसलिए वे लोग हमारे ऊपर हमला कर मिटना चाह रहे हैं...
सुप्रिया - एक आखिरी प्रश्न... क्या आप गवाहों को... सुरक्षित कर... केस की समाधान करा पायेंगे...
सुभाष - आशा यही है... और प्रयत्न भी... बाकी जो भगवान की इच्छा...
सुप्रिया - लगता है... हमारा संपर्क कट गया है... फिर भी हमारे पास जो फुटेज उपलब्ध है... उसे देख कर... "

सारा राज्य टीवी पर प्रसारित हो रही न्यूज में पहली वाली रिकार्डिंग बार बार चल रहा था, उसे देख रहा था l उधर सीलु जितना करीब होता जा रहा था रंगा और रॉय के आदमी गोलियाँ बरसाने लगते हैं l ज़वाब में उदय और विक्रम काउंटर फायर करने लगते हैं l सामने से इतनी ज्यादा गोली बरस रही थी के आर्मोर्ड गाड़ी के विंड शील पर क्रैक्स आने लगते हैं l विंड शील बेशक बुलेट प्रूफ थी पर गोलियों के निशानों के क्रैक्स बढ़ते ही जा रहे थे l सामने से ग्रेनेड भी फेंका जा रहा था पर रेंज से बाहर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था l

उदय - उनकी अटेकिंग पोजीशन बढ़िया है... हमारा काउंटर... फ्रंट साइड... असरदार नहीं हो रहा है...
विक्रांत - हाँ... मैं भी महसूस कर रहा हूँ...
मील - अगर यह लोग इसी तरह से गए... तो एक आध घंटे में... विश्व भाई तक तो पहुँच भी जाएंगे...
सीलु - और यहाँ... विंडशील पर इतने क्रैक्स आ गए हैं कि... विजिबिलिटी कम हो रहा है...
टीलु - हम अगर आगे होते... (ट्रेंकुलाईजर्स को दिखा कर) इन सबका सही इस्तेमाल भी कर सकते थे...
विक्रम - (कुछ सोच कर) उदय बाबु... अपनी गूगल मैप के जरिए... कोई शॉर्ट कट ढूंढो... हमें हर हाल में इनके आगे रहना है...
सीलु - वैसे मैं एक शॉर्ट कट जानता हूँ... पर आप लोगों को कंफर्ट ना लगे...
विक्रम - भाड़ में जाए कंफर्ट... हमें विश्व और रंगा एंड रॉय कम्पनी के बीच में आना है...
उदय - पर अगर हमने रास्ता बदला तो... उन्हें शक नहीं हो जाएगा...
विक्रम - एक काम करो सीलु... इस बार ग्रेनेड के रेंज में चलो...
सील - समझ गया...

सीलु गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है l एक गाड़ी के पास आ जाता है l इस बीच विक्रम और उदय सीलु की गाड़ी को कवर फायर देने लगते हैं l जिसके कारण सबसे आखिर में जा रही गाड़ी के पास पहुँच जाते हैं l उस गाड़ी में से एक आदमी ग्रेनेड फ़ेंक मारता है l सीलु सावधान था, गाड़ी की स्टीयरिंग को ऐन मौके पर मोड़ देता है l जिसके वज़ह से ग्रेनेड गाड़ी से टकराने के बजाय दूसरी दिशा में सड़क पर फूटता है l जिसके शॉक वेव से गाड़ी हिल जाती है और उसी समय सीलु गाड़ी में ब्रेक लगा देता है l रंगा और रॉय को लगता है गाड़ी में कुछ डैमेज हुआ है जिसके वज़ह से गाड़ी रुक गई है l सबसे आखिरी वाले गाड़ी में जितने बंदे थे वह सब जश्न मनाने लगते हैं l उनकी गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी l पीछे आर्मोर्ड गाड़ी रुक गई थी l कुछ देर बाद सीलु गाड़ी घुमाता है और हाईवे के नीचे पगडंडी वाली रस्ते पर उतार देता है l गाड़ी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही थी गाड़ी उतनी ही ज्यादा झटके खा रही थी l पर सीलु पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ रहा था l सीलु गाड़ी भगाए जा रहा था l कुछ देर बाद हाईवे से दूर कच्ची पक्की सड़क पर पेड़ और जंगल के ओट में गाड़ी सरपट भाग रही थी l

विक्रम - तुम्हें इन सब रास्तों के बारे में कैसे पता...
सीलु - मैं दो साल यहाँ हर चप्पे-चप्पे को छान मारा हुआ है... हम उनसे पहले पहुँच जायेंगे...
विक्रम - तो हम कहाँ पहुँचेंगे...
सीलु - कुछ दूरी पर... महानदी ब्रिज आएगी... वह ब्रिज एक किलोमीटर लंबा है... उनसे पहले हम ब्रिज तक पहुँच जाएंगे...

विक्रम और कोई सवाल नहीं करता है l सीलु उन संकरी रास्तों पर गाड़ी को किसी गोली की तेजी से दौड़ा रहा था l कुछ ही मिंटो में ब्रिज तक पहुँच जाते हैं l जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर दौड़ने लगती है विक्रम टीलु को ट्रेंकुलाईजर्स को इस्तमाल करने के लिए कहता है l टीलु गाड़ी की फर्श की शटर को सरका कर सारे ट्रेंकुलाईजर्स को ऐक्टिव कर सड़क पर डालने लगता है l इस दौरान गाड़ी ब्रिज के अंतिम छोर पर पहुँच जाती है l सीलु गाड़ी को घुमा कर आढा कर गाड़ी को ब्रिज पर खड़ा कर देता है l टीलु वह ट्रेंकुलाईजर्स का एलसीडी और रिमोट लेकर उतर जाता है l गाड़ी के दोनों सिरे पर विक्रम और उदय पोजीशन ले लेते हैं l कुछ ही देर बाद रंगा और रॉय की टीम को आते हुए देखते हैं l उधर रंगा और रॉय के टीम की सभी गाड़ियां ब्रिज के दूसरे सिरे पर रुक जाती हैं l रंगा अपनी आँखे मलता है l

रॉय - लगता है... कोई शॉर्ट कट लेकर आए हैं...
रंगा - हाँ... अब क्या करें...
रॉय - (अपने साथियों की तरफ़ मुड़ता है) देखो... हमें आज... इन सबकी लाशों को... या तो लेकर जाना है... या फिर इन सबकी लाशों पर गुजर कर जाना है... दोनों ही सूरत में... पैसा है पैसा मिलेगा... बे हिसाब.. पैसा मिलेगा... तुम लोगों के लिए यह नया नहीं है... ऐसी हालात से... तुम लोग बहुत बार गुजरे हो... यह लास्ट टाइम है... सोच लो...

सभी लोग अपनी अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ने लगते हैं l टीलु तैयार था जैसे उसके एलसीडी में ट्रैक पर पॉइंट क्रॉस ओवर हुआ, टीलु रिमोट दबाता गया l चार पाँच गाड़ियां ब्रिज के ऊपर ही पलटने लगी l यह देख कर रंगा और रॉय हैरान होते हैं l जैसे ही पलटी हुई गाड़ी से लोग निकलने लगे उन्हें उदय और विक्रम उन्हें अपने निशाने पर लेकर ठोकने लगते हैं l यह देख कर रंगा चिल्लाता है

रंगा - सब अपनी अपनी गाड़ी के पास पोजीशन ले लो...

सभी गाडियों के ओट लेकर खुद को बचाने लगते हैं l रंगा काउंटर फायर करने लगता है l जिसके वज़ह से विक्रम और उदय की फायरिंग थोड़ी देर के लिए बंद हो जाती है l जिसके आड़ में रंगा और रॉय अपने लोगों को इकट्ठा कर सबसे पहले वाली गाड़ी तक पहुँच जाते हैं l अब उनके बीच तीस या चालीस मीटर की ही दूरी थी l एक दूसरे को एक दूसरे की पोजीशन के बारे में जानकारी भी थी l

विक्रम - (विश्व की दोस्तों से) एक काम करो... मैं और उदय... कवर फायर देते हैं... तुम लोग.. ब्रिज से उतर जाओ...
जिलु - नहीं विक्रम बाबु... हम आपको अकेले कैसे छोड़ दें..
विक्रम - समझा करो... यहाँ गन सिर्फ दो हैं... और हम छह... तुम लोगों को अगर कुछ हो गया... तो तुम लोगों के चक्कर में.. हम लोग भी फंस जाएंगे...
सीलु - तो एक काम कीजिए... यह गन आप मुझे दे दीजिए... और आप यहाँ से नीचे उतर जाइए...
विक्रम - शॉट अप... यहाँ तुम लोग मेरी जिम्मेदारी हो... ना कि मैं... अगर मेरी जिम्मेदारी हल्का करोगे... तो मैं... भी तुम लोगों के साथ... यहाँ से निकल सकता हूँ...
मीलु - नहीं...
उदय - देखो... यहाँ सेंटी होने से कुछ नहीं होगा... उस तरफ़ हर कोई... बंदूक से लैस है... और यहाँ हमारे पास सिर्फ दो...
विक्रम - देखो... तुम लोग जाओ... और हमें पाँच मिनट टाइम दो... फिर मिलकर... हम सब वापस जाएंगे...
सीलु - मगर...
विक्रम - देखो.. वह लोग भी कुछ प्लान बना रहे होंगे... और हम... हम सिर्फ वक़्त बर्बाद कर रहे हैं... इसलिए जाओ जल्दी से उतरो...

विक्रम फायर करता है, उसकी देखा देखी उदय भी फायर करता है l इसी एनगेजमेंट के दौरान ब्रिज से सीलु और उसके साथी उतर कर सड़क के किनारे आ जाते हैं l चारों एक दूसरे को देखते हैं और नीचे उतर कर ब्रिज के नीचे से दूसरे छोर की ओर भागने लगते हैं l नदी सुखी हुई थी l किन्हीं किन्ही जगहों पर पानी का बहाव था l जिसे अनदेखा कर चारों दोस्त ब्रिज के दूसरे छोर की जाने लगते हैं l ब्रिज के उपर फायरिंग चल रही थी l तभी किसीने एक ग्रेनेड फेंका था जो आर्मोर्ड वीइकल के पास फटता है l जिसके शॉक वेव के चलते दोनों उदय और विक्रम गाड़ी से झटका खाते हैं l यही मौका समझ कर दो तीन आदमी विक्रम का गाड़ी की ओर भागते हुए आते हैं तभी उन्हें उदय शूट कर देता है l विक्रम और सजग हो जाता है l उन्हें गिरता हुआ देख कर रंगा और दो लोगों को फायर करते हुए आगे बढ़ने के @लिए कहता है l वह दोनों वही करते हैं l इस बार विक्रम उदय को निशाना देने के लिए कहता है l उदय अपना निशाना देते हुए जब फायर करने लगता है तो उसकी मैग्ज़ीन खाली हो जाता है l तभी एक गोली आकर उसके जांघ पर लगती है पर तब तक विक्रम उन दोनों को टपका देता है l विक्रम उदय को खिंच कर गाड़ी के पीछे लाता है l विक्रम अपनी एक पोजीशन बना कर जिस गाड़ी के पीछे रंगा और रॉय छुपे हुए थे उसे ऑब्जर्व करता है l फिर छुप कर अपनी स्नाइपर गन से उस गाड़ी की फ्यूल टैंक को निशाना बना कर फायर करता है l निशाना एक दम सही लगा था l गाड़ी में धमाका होता है जिसके चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं और तितर-बितर हो कर सड़क पर बिछ जाते हैं l रंगा और रॉय की हालत भी ऐसी ही थी l धमाके के बाद विक्रम थोड़ा इंतजार करता है l कोई हल चल ना होता देख विक्रम बाहर निकलता है धीरे धीरे आगे बढ़ने लगता है कि तभी एक घायल आदमी विक्रम पर ग्रेनेड फेंकता है l विक्रम पीछे भागते हुए आर्मोर्ड गाड़ी के पीछे छलांग लगा देता है l धमाके से बाल बाल विक्रम बच जाता है पर थोड़ा घायल ज़रूर हो जाता है और उसका बंदूक भी छूट जाता है l जब तक सम्भल कर उठता है तो देखता है रंगा और रॉय तीन चार लोगों के साथ विक्रम के सिर पर खड़े थे l

रंगा - यह मैं क्या देख रहा हूँ... क्षेत्रपाल घर का चराग ही... घर को आग लगा रहा है...
रॉय - साला हम यहाँ विश्व के लिए आए थे... और यहाँ विकी बाबु हमें पोपट बना दिए...(विक्रम संभल कर पीठ टिकाए गाड़ी से टिक पर बैठ जाता है) अब इसका क्या करें...
रंगा - इसे... इसके बाप की जरूरत नहीं... इसकी बाप को... इसकी जरूरत नहीं... हमारी जरूरत के बीच आ गया... तो इसे मार ही देते हैं...
रॉय - हाँ... मार दे यार... मुक्ति दे दे... हमें थोड़ी देर के लिए सुकून मिल जाएगा... विश्वा को नहीं मार पाए... उसके बदले यही सही...

रंगा अपना पिस्टल निकालकर विक्रम पर जैसे ही निशाना लगाया ठीक उसी समय सीलु जिलु मीलु और टीलु पीछे से आकर इन पर छलांग लगा देते हैं l कुछ देर के लिए सही सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है l अब उनके बीच हाथापाई शुरू हो जाती है l इतने में विक्रम खुद को सम्भल कर रॉय पर टूट पड़ता है l थोड़ा सा ही हाथ पैर चलाने के बाद रॉय को घुटनों पर लाकर उसकी गर्दन को अपनी बाहों में कस लेता है l यह सब देख कर रंगा धीरे धीरे पोंछे खिसकने लगा था कि एक गोली उसके टांग पर लगती है l रंगा दर्द से बिलबिलाते हुए नीचे गिरता है l विक्रम को छोड़ कर सबका ध्यान वहाँ टिक जाता है, जहाँ से गोली चली थी l किसी का भी ध्यान घायल उदय की तरफ नहीं था l जब सब हाथापाई में गुत्थम गुत्था कर रहे थे तब उदय ने नीचे गिरी पड़ी गन उठा लिया था l अब रंगा नीचे पड़ा था और सभी उदय के निशाने पर थे इसलिए सब शांत हो गए पर विक्रम रॉय का गर्दन दबोच रखा था l यह देख कर सीलु अपने दोस्तों के साथ विक्रम से रॉय को बचाने की कोशिश करते हैं l पर तब तक रॉय का जिस्म ठंडा पड़ चुका था l उदय लंगड़ाते हुए विक्रम के पास आता है और उसे झिंझोडता है l जब रॉय का जिस्म कोई हरकत नहीं करता तब उसके बदन को विक्रम छोड़ता है l

सीलु - विक्की बाबु... यह क्या किया आपने...
विक्रम - यह मेरे इकलौते दोस्त... महांती का बदला था... जो इसने मृत्युंजय के साथ मिलकर मार डाला था... (गुर्राते हुए) अब रंगा...

तब तक रंगा भी सम्भल चुका था उसके हाथ में एक ग्रेनेड था l जब सब उसके तरफ़ देखते हैं तब वह ग्रेनेड से पिन निकाल चुका था l उदय अपना गन तान देता है l

रंगा - खबर दार... कोई आगे मत बढ़ना... मुझे अब... यहाँ से जाने दो... नहीं तो... मेरे साथ तुम लोग भी मरोगे...

सब वहीँ चकित खड़े हो जाते हैं l रंगा अपने लोगों को इशारे से बुलाता है l उदय किसी को भी नहीं रोकता l वह सब रंगा के पीछे खड़े हो जाते हैं l

विक्रम - अब क्या करोगे... तुम कितना दूर जा पाओगे... पीछे जाओगे तो हम तेरे रेंज से बाहर हो जायेंगे... पर तु हमारे रेंज में होगा... हम तुम सबको गोली मार देंगे...
रंगा - हाँ बात तो तुने सही कही... पर कोई बात नहीं... रॉय को क्यूँ मारा... मुझे समझ में आ गया... पर मुझे तु क्यूँ मारना चाहता है...
विक्रम - तुझे एक नहीं कई मौतें मारना चाहता हूँ... तु भूल गया... मेरी शुब्बु को... किडनैप कर छूने की कोशिश की थी... विश्व ने बचाया था... शुब्बु को...
रंगा - पर देर हो गई विक्रम... देर हो गई... विश्वा आज ना सही.. कभी भी मारा जाएगा... पर आज... तुम सब मारे जाओगे...

कह कर ग्रेनेड विक्रम की ओर उछाल देता है l विक्रम उदय सीलु मीलु सब पीछे भागते हुए वैन के ओट में जाकर नीचे कूदी लगाते हैं l ग्रेनेड फट जाता है गाड़ी को झटका लगता है जिससे गाड़ी कुछ फिट सरक जाता है l गाड़ी के पीछे जो ओट बना कर कूदी लगाए थे वह लो गाड़ी के चपेट में आ जाते हैं l विक्रम थोड़ा सावधान था इसलिए उसका स्नाईपर गन उसके हाथ लग जाता है l उधर रंगा और उसके साथी अपने गाड़ियों के पास भाग रहे थे l विक्रम गन उठता है एक एक को निशाने पर लेटे हुए फायर करने लगता है l चार बंदे गिर चुके थे l रंगा और बाकी तीन बंदे एक गाड़ी के ओट में आ जाते हैं l उन्हें वहाँ पर हथियार भी मिल जाते हैं l रंगा उन्हें विक्रम को रोकने के लिए कह कर पीछे जाने लगता है l इसलिए वे हथियार हाथ में लेकर विक्रम पर फायर करने लगते हैं l पर विक्रम निशाना ले चुका था l दो बंदे ढेर हो जाते हैं, और एक घायल हो जाता है l विक्रम जब उस कार तक पहुँचता है तीसरा बंदा ज़ख्मी हालत में छटपटा रहा था l विक्रम अपनी नजरें घुमाता है पर उसे रंगा नहीं दिखता है वह इधर उधर देखता है के तभी एक खंजर पीछे से उसके कंधे पर घुस जाता है l विक्रम पीछे मुड़ कर देखता है रंगा एक भद्दी हँसी हँस रहा था l रंगा खंजर को विक्रम के कंधे से निकलता है फिर विक्रम के कमर पर घुसा देता है l विक्रम चिल्लाता है पर अपना हाथ पीछे लेकर रंगा को पकड़ लेता है और उसे सामने खिंच कर लाता है l

रंगा - साले.. हरामी... कुत्ते... छोड़... छोड़ मुझे...

विक्रम अपनी कमर से खंजर निकाल कर रंगा के सीने में गाड़ देता है l रंगा छटपटाते हुए जमीन पर गिरता है l विक्रम भी धीरे धीरे गिरने लगता है l सीलु और उसके साथी भागते हुए विक्रम के पास पहुँचते हैं l
Bahut hi shandaar update hai bhai maza aa gaya
 

Rajesh

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👉एक सौ चौंसठवाँ अपडेट
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कमरे में अंधेरा ज्यों का त्यों था l किसीने भी अब तक लाइट ऑन नहीं की थी l वह काला साया बल्लभ के सामने वैसे ही बैठा हुआ था l चाय का ट्रे लेकर तीसरा शख्स बल्लभ के सामने वाली टी पोय पर रख देता है l कमरे में चेहरा साफ दिखे उतना उजाला भले ना हो पर इतना अंधेरा भी नहीं था के तीनों का अक्स ना दिखे और चाय की केतली कप सब दिख रहे थे l तीसरा शख्स एक कप में चाय डाल कर बल्लभ को देता है l बल्लभ उसे अंधेरे में भी पहचानने की कोशिश करता है l

साया - अगर मुश्किल हो रहा है... तो लाइट ऑन कर दें...
बल्लभ - (चौंक कर) क्या...
साया - मुझे साफ महसूस हो रहा है... तुम परेशान लग रहे हो... और पहचानने की कोशिश भी कर रहे हो...
बल्लभ - (थोड़ा संभल कर) हाँ... मैं जानना तो चाहता हूँ... अगर तुम विश्व नहीं हो... तो मेरे सारे राज जानने वाले.. कौन हो...
साया - हाँ मैं विश्व नहीं हूँ... पर हम तीनों विश्व से ताल्लुक रखते हैं...
बल्लभ - क्या... मैं... मैं समझा नहीं....
साया - ठीक है... (चुटकी बजाता है) लाइट जला दो... अंधेरे का काम ख़तम... अब वकील साहब को मिलकर चलो उजाले की ओर ले चलते हैं...

जो शख्स रीवॉल्वर बल्लभ पर ताने खड़ा था l लाइट का स्विच ऑन करता है l अब कमरे में उजाला था बल्लभ सामने बैठे शख्स को देख कर चौंकता है l सामने सोफ़े पर डी सी पी सुभाष सतपती बैठा था l पीछे मुड़ कर देखता है उदय गन पकड़ कर स्विच बोर्ड के पास खड़ा था l और बगल वाली सोफ़े पर कांस्टेबल जगन बैठा था l

बल्लभ - ओ... तुम लोग हो...
उदय - लगता है... अंधेरे में बहुत भारी महसूस कर रहे थे... उजाले में हमें देखते ही हल्का महसूस करने लगे...
बल्लभ - शॅट अप... तुमने जो अनिकेत के साथ किया... मैं भुला नहीं हूँ...
उदय - बात तो ऐसे कर रहे हो... जैसे... उस सुअर की मौत से... किसी को कोई फर्क़ पड़ता था...
बल्लभ - (सोफ़े की आर्म रेस्ट को भिंच लेता है) यु...
उदय - येस.. इट्स मी... वह इंस्पेक्टर के भेष में... जिसके दम पर... सबका दोहन करता था... उन्हीं के हाथों उसका दहन हो गया... फ़िर तुम क्यूँ उसका दुख मना रहे हो... ना मारने वाला मैं था... ना ही जलाने वाला... वह जो कुछ भी हुआ... वह राजगड़ के भगवान राजा साहब के इच्छानुसार हुआ... हम तुम तो बस तुच्छ प्राणी थे...
बल्लभ - और अब... तुम मुझे फ़ंसाने आए हो...
सुभाष - फंसे हुए को क्या फ़ंसाना... राजा को डबल क्रॉस किया तुमने... हमने तो बस पता किया... और दोष हम पर मढ़ रहे हो...
बल्लभ - ठीक है... आई एपोलाइज... पर यह सब तुमने पता कैसे किया...
जगन - बे तु वकील है तो क्या हुआ... यह हमारे साहब हैं... और यह मत भूल... रुप फाउंडेशन के नए एसआईटी के चीफ हैं... अभी तु उनके सामने अपराधी है...
बल्लभ - (सुभाष से) अच्छी तैयारी के साथ आए हो... तुमने मुहँ खोला भी नहीं... और तुम्हारे आदमी टुट पड़ रहे हैं... (सुभाष मुस्करा देता है) मुझे मालूम था... मेरा यह राज.. एक दिन फास होगा... और इसे विश्व क्रैक करेगा... पर वह लगता है... चूक गया...
सुभाष - वह चुका नहीं है... पता असल में उसीने ही लगाया है... हम तो बस जरिया हैं...
बल्लभ - कैसे...
सुभाष - उसने जब रिट पिटीशन फाइल किया... तभी उसे तुम पर ही शक हो गया था... तुम भैरव सिंह के सभी ईलीगल को लीगल करते हो... इसलिए... उसीने हमें आईडिया दिया था.. तुम्हारे बैंक अकाउंट पर नजर रखने के लिए... तुम्हारे एक नहीं तीन तीन अलग अलग बैंक में अकाउंट है... पर एक ही बैंक के सेविंग अकाउंट में एटीएम कार्ड के जरिए.. कटक में विथड्रॉ हो रहा था... और उसी समय फोन बैंकिंग के जरिए... तुम राजगड़ और उसके आसपास पैसा विथड्रॉ कर रहे थे... आगे हमने कैसे ढूंढ निकाला कहने की जरूरत नहीं...
बल्लभ - (चुप रहता है)
सुभाष - वकालत करते हुए जब यशपुर में तुम भैरव सिंह से जुड़े... तुम्हारा काम देखने के बाद... भैरव सिंह ने तुम्हें अपना लीगल एडवाइजर रख लिया... और सालों से... तुमने उसका बखूबी साथ भी दिया... पर पेच तब आया... जब रुप फाउंडेशन करप्शन में तुम अनिल कुमार सुबुद्धी के बहन के संपर्क में आए... तुम शादी सुदा थे... फिर तुमने अपनी चाल चली... अपने बीवी बच्चों को एब्रॉड भेज दिया... यहाँ सुबुद्धी की
बहन प्रज्ञा को यकीन दिला दिया... के तुमने अपनी बीवी से तलाक ले लिया... और उसके साथ नाजायज संबंध स्थापित किया... रुप फाउंडेशन केस में...जब विश्वा.. खुल कर भैरव सिंह के खिलाफ आया... तब इस केस में.. जो भी कमजोर कड़ी थे... सबको रोणा के साथ मिल कर या तो गायब कर दिया... या फिर मरवा दिया... पर तुमने राजा साहब को... कंवींश कर सुबुद्धी भाई बहन को बचाए रखा... पर जैसे ही जयंत सर ने... जिरह के लिए... पाँच गवाहों की लिस्ट अदालत में पेश की... तुमने चालाकी से... सुबुद्धी भाई बहन को गायब कर दिया... गवाह दिलीप कुमार कर को बना दिया... उन्हें लाकर तुमने कटक में... श्रीधर परीड़ा की मदत से... नई पहचान के साथ... रखवा दिया... रोजाना गुजारा के लिए... अपना एटीएम कार्ड दे दिया... और कमाल की बात यह है कि... इस बात को तुमने... अनिकेत रोणा से छुपाए रखा... क्यूँकी वह औरतों के मामले में... नियत का फिसड्डी था... है ना...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिलाता है)

सुभाष - अब बारी श्रीधर परीड़ा की थी... वह जानता था... राजा खुद को पाक साफ रखने के लिए... किसी भी हद तक जा सकता था... इसलिए उसने तुम्हें खबर किया... और खुद को अंडरग्राउंड कर लिया... इसमें तुमने उसकी मदत भी की... क्यूँ सही कहा ना...
बल्लभ - (इस बार भी अपना सिर हाँ में हिलाता है) अगर यह आईडिया विश्व का है... तो वह सामने क्यूँ नहीं आया...
उदय - वह इसलिए... विश्व की हर हरकत पर... राजा अपनी आदमियों के जरिए नजर रख रहा है...
बल्लभ - नजर तो... नए एसआईटी ऑफिसर पर भी रखा हुआ है...
सुभाष - चिंता ना करो... मैं जिस तरह आया हूँ... राजा साहब का जासूस.. कंफ्यूज हो गया होगा...
बल्लभ - चलो... मैंने जैसा सोचा था... के विश्व ही मेरे राज खोज पाएगा... सो वही हुआ... पर विश्व ने इस बार थोड़ी देर कर दी है...
सुभाष - देर कर दी... कैसे... रुप फाउंडेशन केस को दोबारा खोलने के लिए अभी तो वक़्त मिला है...
बल्लभ - ऐसा तुमको लगता है... पर सच यह है कि... तुम लोगों के पास वक़्त कम है...
सुभाष - तुम कहना क्या चाहते हो...
बल्लभ - तुम तीनों... पुलिस वाले... मेरा अतीत व काला इतिहास लेकर आए हो... वज़ह मैं जानता हूँ... पर तुम लोग... विश्व को बुलाओ... दोनों ही केस में जो डील होगा... वह मैं विश्व से करूँगा...
सुभाष - ह्म्म्म्म... बात अगर किसी कंफेशन की है... तो विश्व इस वक़्त हमारी सारी बातेँ सुन रहा है...

इतना कह कर सुभाष अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर स्पीकर ऑन कर देता है और सामने की टी पोए पर रख देता है l

सुभाष - विश्वा...
विश्व - हाँ...
सुभाष - एडवोकेट प्रधान... तुमसे कुछ बात करना चाहता है...
विश्व - हाँ प्रधान बाबु... कहिये... क्या कहना चाहते हैं...
बल्लभ - विश्वा... मैं सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हूँ... बदले में तुमसे... मेरी और प्रज्ञा की जान की हिफाजत का वादा चाहता हूँ...
विश्व - मुझसे... यह वादा तो तुम... डीसीपी सतपती जी से भी मांग सकते थे...
बल्लभ - नहीं... जब तक भैरव सिंह... जैल नहीं चला जाता... या ख़तम नहीं हो जाता... मैं कानूनी मदत नहीं लेना चाहता...
विश्व - पर मैं इसमें... तुम्हारी क्या मदत कर सकता हूँ...
बल्लभ - वही मदत... जो इस वक़्त... तुम राजकुमारी जी की दोस्तों को दे रहे हो... मैं जानता हूँ... उनको राजगड़ से भेज कर और उन्हें भुवनेश्वर और कटक में अपनी प्रोटेक्शन में तुमने ही रखा है...
विश्व - प्रधान बाबु... आप भूल रहे हैं... मैंने राजा के डर से... अपनी माँ बाप को छुपा रखा है..
बल्लभ - जानता हूँ... पर एक बात यह भी है... राजा जिसे टार्गेट करता है... उसे हर हाल में... ख़तम कर देता है... राजा के आदमी और जासूस अभी भी... पुलिस और प्रशासन में हैं... मुझे इन सबके बाहर वाले आदमी पर भरोसा है...
विश्व - (चुप हो जाता है)
बल्लभ - देखो विश्व... यह वक़्त की नजाकत है... हम दोनों को एक दूसरे का साथ चाहिए...
विश्व - साथ... मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूँ... और क्यूँ लूँ...
बल्लभ - वह इसलिए... कुछ बातेँ मैं जानता हूँ... पर राजा साहब से बताया नहीं... बता देता... तो राजकुमारी जी की जान पर बन आती...
विश्व - अच्छा... ऐसी कौन सी बात तुम जानते हो... जो भैरव सिंह नहीं जानता...
बल्लभ - राजा साहब ने मुझे एक मोबाइल दिया है... और उसके मालिक को ढूंढने का काम दिया है... और मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ... इस मोबाइल का कोई मालिक नहीं.. मालकिन है... मैंने बताया नहीं... उनसे वक़्त लिया है...
विश्व - ह्म्म्म्म... मुझे एक बात कंफर्म करो... क्या राजकुमारी सही सलामत हैं...
बल्लभ - हाँ... हैं...
विश्व - चलो फिर... किया... वादा किया...
बल्लभ - ठीक है फिर... देखो दो दिन बाद... बड़े राजा जी की... चौथ की... पहली छोटी शुद्धि है... पर उससे पहले... भैरव सिंह के खिलाफ हमारी गवाही दिलवा दो... क्यूँकी... चौथ के दिन... और उसके बाद... भैरव सिंह को... हाथ लगाना... ना तुम्हारे बस की बात होगी... ना ही सिस्टम की... हाथ लगाना तो दूर... उन तक पहुँचना... मुश्किल हो जाएगा...

विश्व फोन पर और कमरे में मौजूद लोग एक साथ उछल पड़ते हैं - क्या....

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ब्रेकिंग न्यूज
आज सुबह तड़के श्री बीरजा किंकर सामंतराय अपने पैतृक घर पारादीप से पुरी जाते वक़्त रास्ते में उनके कार का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया l इस एक्सीडेंट में बीरजा किंकर सामंतराय गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं l सुना है कुछ दिनों से वह तनाव में थे l कुछ पहले अपनी बेटी व दामाद से मिलने राजगड़ गए हुए थे l उनके पत्नी के कहे अनुसार उनकी बेटी शुभ्रा सामंतराय गर्भवती हैं और हाल ही में उनके ससुराल के साथ उनका संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहा है l इसी वज़ह से भगवान जगन्नाथ जी के पास माथा टेकने और अपनी बेटी दामाद और गर्भ में पल रहे शिशु की सलामती के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे l सुबह चार बजे का समय था इसी वक़्त एक्सीडेंट हो गया है l उन्हें तुरंत कैपिटल हास्पिटल को ले जाया गया है l डॉक्टर उनकी हालत को स्थिर बता रहे हैं और हर एक घंटे के बाद उनकी स्वास्थ की बुलेटिन हस्पताल के द्वारा जारी किया जाएगा l

टीवी पर यह ख़बर सुनते ही वैदेही गौरी को दुकान पर बिठा कर शुभ्रा से मिलने चली जाती है l वहाँ पहुँच कर देखती है विश्व और उसके दोस्त वहाँ पर मौजूद हैं l शुभ्रा रो रही है और उसे सुषमा दिलासा दे रही है l विक्रम और पिनाक हाथ बांधे बैठे हुए थे l जब वहाँ वैदेही पहुँचती है तो शुभ्रा उसे देखते ही गले जा लगती है l वैदेही भी उसे गले लगा कर सहारा देती है l

वैदेही - रो मत... रो मत... सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - पापा हम सबसे मिलने आए थे... पर...
वैदेही - श् श् श्... कहा ना सब ठीक हो जाएगा... (विक्रम की ओर देख कर) क्या फैसला किया है...
विक्रम - जाने का फैसला किया है... मैंने प्रताप से बात की... थोड़ी देर के बाद... गाड़ी आ जाएगी...
वैदेही - अच्छा किया...
विक्रम - पर मैं एक असमंजस में हूँ...
वैदेही - कैसी असमंजस...
विक्रम - पता नहीं... लोग क्या कहेंगे... मैं अपने दादा जी के अंत्येष्टि के लिए नहीं गया... पर... अपने ससुर जी के...
वैदेही - तुम लोगों की नहीं... अपनी दिल की सुनो... तुम्हारे आँखों से जब आँसू बहेंगे... उसे पोंछने तुम्हारा या तुम्हारे अपनों का ही हाथ उठेगा... इसलिए ज़माने की मत सोचो...
विश्व - मैं भी यही बात... कब से समझा रहा था...
पिनाक - आप ठीक कह रही हैं वैदेही जी...

एक गाड़ी आती है l विश्व और वैदेही सबको बिठा देते हैं l विक्रम और विश्व गाड़ी से कुछ दूर जाते हैं कुछ बातेँ करते हैं फिर हाथ मिलाते हैं l यह सब वैदेही देख रही थी l विक्रम आकर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी फिर वहाँ से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो जाती है l गाड़ी आँखों से ओझल होने के बाद वैदेही कुछ सोचते हुए बरामदे पर बैठ जाती है l विश्व अपने दोस्तों को देखता है और आँखों से कुछ इशारा करता है l वे लोग भी अपना सिर हिला कर वैदेही को टाटा बाय बाय कर वहाँ से निकल जाते हैं l विश्व और टीलु दोनों आते हैं और वैदेही के पास बैठ जाते हैं l

वैदेही - विशु...
विश्व - हाँ दीदी...
वैदेही - यह विक्रम उतना दुखी नहीं लग रहा था... जितना होना चाहिए...
विश्व - नहीं ऐसा कुछ नहीं है दीदी... मर्द थोड़े ना अपना दर्द... यूँही सबके सामने लाते हैं..
वैदेही - अब तु मुझसे झूठ बोलेगा...
विश्व - (चुप हो जाता है)
वैदेही - तु किसी को भी... बना ले... पर मुझे बना नहीं सकता... तेरी रग रग से वाकिफ हूँ... अब तु मुझे सब सच सच बता...
विश्व - ठीक है दीदी... (विश्व सब कुछ कहने लगता है जो उसे बल्लभ से पता चला था) दीदी... उससे ही मालुम हुआ... भैरव सिंह को फोन तो मिल गया था... और उसे राजकुमारी जी पर शक भी है... पर उसका और राजकुमारी जी का रिश्ता उस मोड़ पर पहुँच चुका है कि... बिना सबूत के जलील होना नहीं चाहता... इसलिए बल्लभ प्रधान को दो दिन की मोहलत दी है उसने...
वैदेही - तो अब प्रधान कहाँ है...
टीलु - हमारे ही हिफाजत में दीदी... हमने उसे रातों रात साथ ले लिया और हमारी खास जगह पर छुपा दिया...
वैदेही - ह्म्म्म्म... पर चौथ के दिन ऐसा क्या होने वाला है...
विश्व - यह मैं नहीं जानता... पर प्रधान का कहना है कि... राजा का अपने यहाँ के गुर्गों.. और सेक्यूरिटी वालों पर भरोसा उठ गया है... वह एक प्राइवेट आर्मी हायर किया है... वह आर्मी दो दिन में आने वाली है... उससे पहले... हमें गवाहों से उन जजों के सामने गवाही दिलवाना है... उसके बाद... करप्शन.. मैनीपुलेशन... मर्डर... और टेरर जितने भी चार्जेस है लगा कर... हर हाल में गिरफतार करवाना है...
वैदेही - गवाही तो कटक में भी ली जा सकती है...
विश्व - हाँ दी जा सकती है... पर जिन केसेस के लिए... स्पेशल कोर्ट बना है... स्पेशल टास्क फोर्स बना है... वहाँ पर उनकी गवाही मायने रखती है... सीधे कटक में गवाही कराना... उसके लिए कुछ कानूनी पचड़े हैं... और दीदी... अभी भी सिस्टम में कुछ लोग हैं... जो भैरव सिंह के लिए काम कर रहे हैं... डीसीपी सतपती... होम मिनिस्ट्री के थ्रु... परमिशन ग्रांट करवायेंगे... उसके बाद... हम उन तीन गवाहों को... सोनपुर ले जाएंगे... जजों के सामने गवाही दिलवायेंगे...
वैदेही - तुझे यह सब... आसान लगता है...
विश्व - बिल्कुल नहीं... बिल्कुल भी नहीं... अगर आसान होता... तो मैं खुद उन गवाहों को लाने गया होता... मैं नहीं गया... इसलिए गवाहों को लाने विक्रम को भेजा है...
वैदेही - (चौंकती है) क्या... विक्रम... तो क्या... वह एक्सीडेंट...
विश्व - (एक पॉज लेकर) नहीं हुआ है...
वैदेही - (जैसे झटका खाती है) क्या...
विश्व - दीदी... कल रात... जब... सुभाष बाबु... सारी जानकारी फोन पर मुझे दी... तब रात को ही.. मैं विक्रम से मिलने आ गया था... उसे सारी बातें बता कर... अपने प्लान में शामिल कर लिया... वह तैयार भी हो गया... कल रात मेरी ही फोन से... विक्रम अपने ससुर से बात की... और सतपती जी... सुप्रिया से...
वैदेही - और आज... सुप्रिया के वज़ह से... सुबह सुबह पुरे स्टेट को न्यूज से मालूम हुआ... कि बीरजा किंकर सामंतराय का एक्सीडेंट हो गया...
विश्व - हाँ... भैरव सिंह के आदमी... मेरे और सतपती जी के पीछे लगे हुए हैं... और हम पर बराबर नजरें जमाए हुए हैं... इसलिए गवाहों को लाने का काम... सिर्फ विक्रम ही कर सकता था... बाकी कागजाती कामों के लिए... सुभाष बाबु अलग से भुवनेश्वर गए हैं...
वैदेही - ठीक है... मतलब तुम्हारे हिसाब से... एसटीएफ गवाहों का डिक्लेरेशन कराएगा... जिसे होम मिनिस्ट्री अप्रूव् करेगी... उसके बाद... उनकी गवाही मान्यता होगी... पर क्या तब तक... भैरव सिंह को पता नहीं चल जाएगा...
विश्व - हाँ... चल जाएगा... जैसे ही गवाहों का डिक्लेरेशन होगा... उसे खबर लगेगी... पर उसे यह लगेगा कि गवाहों को.... अगले सुनवाई के दिन बाद पेश किया जाएगा... और इस बीच... वह गवाहों को ना सिर्फ गवाही से रोकने की कोशिश करेगा... बल्कि... ख़तम भी करने की कोशिश करेगा...
वैदेही - और तु कह भी रहा है... वह कोई प्राइवेट आर्मी ला रहा है.. पर क्यूँ... किसलिए... क्या कोई जंग छेड़ने वाला है...
विश्व - हाँ शायद... अभी उसके लोगों ने हमसे सिर्फ हार देखी है... शायद इसीलिए बाहर से प्राइवेट आर्मी ला रहा है...
वैदेही - सिर्फ हमसे लड़ने के लिए...
विश्व - शायद हाँ... क्या पता... शायद सिस्टम से भी... (वैदेही के हाथ पर अपना हाथ रखकर) दीदी... हम उसे छकायेंगे... हमने पूरी प्लान कर रखा है... तुम घबराओ मत... इस बार उसकी कोई भी चाल कामयाब नहीं होगी...

तभी विश्व का फोन बजने लगता है l जेब से फोन निकाल कर देखता है इंस्पेक्टर दास डिस्प्ले हो रहा था l विश्व फोन उठा कर बात करने लगता है, पर वैदेही के कानों में कुछ घुस नहीं रहा था क्यूँकी विश्व के सारे खुलासे के बाद वैदेही थोड़ी चिंतित हो गई थी l

विश्व - (फोन बंद कर, वैदेही की ओर देखता है) दीदी... तुम अपने भाई पर भरोसा रखो.. किस्मत भैरव सिंह का जितना साथ देना था दे दिया... अब और नहीं... हाँ थोड़ा खतरा तो है... पर अगर हम उसके आर्मी के आने से पहले कामयाब हो गए... तो यह गाँव और इंसाफ़... दोनों बच जाएंगे... अच्छा मैं थोड़ा इंस्पेक्टर दास से मिलने हास्पिटल जा रहा हूँ... उन कांस्टेबलों को देख भी लूँगा... और कल परसों के लिए प्लान भी बना लूँगा... (विश्व जाने लगता है तो पीछे से वैदेही आवाज देती है)
वैदेही - विशु... (विश्व मुड़ कर देखता है) क्या गाँव वालों के ऊपर भी खतरा हो सकता है...
विश्व - दीदी... भैरव सिंह इस वक़्त... एक घायल दरिंदा है... बेशक हमारे पीछे उसके लोग आयेंगे... पर गाँव वालों की सुरक्षा भी तो.... मुझे... निश्चित करना पड़ेगा... आ रहा हूँ...

यह बात कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l वैदेही को अब खतरे का अंदेशा हो रहा था l वह थोड़ी बैचैन होने लगती है l पास बैठा टीलु वैदेही की हालत पर गौर कर रहा था l

टीलु - दीदी... तुमसे एक बात पूछूं...
वैदेही - हाँ पूछ...
टीलु - तुम... अभी... मल्लिका के बारे में सोच रही हो ना...
वैदेही - (कोई जवाब नहीं देती पर सवालिया नजर से टीलु को देखती है)
टीलु - तुम इस बारे में... विश्वा भाई से बात क्यूँ नहीं करती...
वैदेही - विशु... का लक्ष... सिर्फ एक ही है... उसे यह काम इसी दो दिन में साधना है... वैसे भी... राजा का कहर... चौथ के दिन टुटेगा... तब तक अगर विशु कामयाब हो गया... तो राजा सलाखों के पीछे होगा...
टीलु - बुरा ना मानना दीदी... अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो...
वैदेही - विशु ने अभी कहा ना... वह गाँव वालों की सुरक्षा का प्रबंध करने... इंस्पेक्टर दास से मिलने गया है... पुलिस भी हमारे साथ होगी उस दिन... (इस बार टीलु वैदेही को सवालिया नजर से देखता है) देख... कुछ भी हो जाए... विशु से इस बात का जिक्र भी मत करना... मैं नहीं चाहती... उसके लक्ष में... कुछ भी... कोई बाधा आए... उसे अर्जुन की तरह अपनी लक्ष को भेदना है... यहाँ अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो मैं और पुलिस वाले संभाल लेंगे... (वैदेही बरामदे से उतरती है और जाने लगती है फिर अचानक मुड़ती है) टीलु... जो मेरे साथ हुआ... वह किसी के साथ नहीं होगा... मैं रक्षा करुँगी... मल्लि और उसके जैसे लड़कियों की... भैरव सिंह ना विश्वा से जीत पाएगा... ना वैदेही से... उसकी हार तय है... विधाता ने लिख दिया है... यही उसकी नियति है...

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अगले दिन
गौरी तैयार होकर कमरे से निकल कर बाहर आती है, देखती है वैदेही आज दुकान नहीं खोला था l एक कोने में वैदेही अपनी कुर्सी पर अपने में खोई हुई बैठी थी l गौरी देखती है वैदेही अंदर से बहुत बैचैन दिख रही थी l गौरी वैदेही से सवाल करती है

गौरी - वैदेही...
वैदेही - (ध्यान टूटती है) हूँम्म्म...
गौरी - आज क्या हो गया है तुझे... कहाँ खोई हुई है...
वैदेही - कहीं नहीं काकी... बस ऐसे ही...
गौरी - क्यों झूठ बोल रही है... देख ग्राहक दुकान देख कर लौट रहे हैं... तूने अबतक दुकान नहीं खोला... क्यूँ... क्या चिंता तुझे खाए जा रही है...
वैदेही - कुछ नहीं काकी... बस मन थोड़ा बैचैन है...
गौरी - (उसके पास बैठ जाती है) अब बोल... तुझे आज से पहले इतना बैचैन.. इतना परेशान कभी नहीं देखा...
वैदेही - बात ही कुछ ऐसी है काकी... (वैदेही अपनी जगह से उठती है और दुकान की दरवाजे पर खड़े हो कर गाँव की तरफ देखते हुए) एक आस पर... उम्मीद डगमगा रहा है.. क्या पीढियों से गुलाम... इस गाँव का भाग्य बदलने वाला है...
गौरी - पता नहीं बेटी... पर बदलेगा जरूर... (वैदेही मुड़ कर गौरी को देखती है) हाँ बेटी... बदलेगा जरूर... अब मुझे यकीन हो चला है... यकीन तब भी नहीं हुआ था... जब गाँव वाले महल से उल्टे पाँव लौटने के बजाय... राजा की ओर पीठ कर लौटे थे... पर अब यकीन हो रहा है... महल में बड़े राजा की मौत के बाद भी... कंधा देने तो दूर... किसी ने भी... महल जाकर दुख भी नहीं जताया... उल्टा... शुकुरा और भूरा के पीछे बड़े राजा के नाम पर धूल उड़ाए हैं... यह आक्रोश... पीढ़ियों से दबी हुई थी... अब बाहर निकल रहा है...
वैदेही - पर राजा अभी कमजोर नहीं हुआ है... पता नहीं इस बात का... राजा पर क्या असर हुआ होगा... कहीं उसने पलटवार किया... तब... तब क्या होगा...
गौरी - भीमा.. उसके गुर्गे... एक नहीं कई बार... विश्व के हाथों धूल चाट चुके हैं... यह देख देख कर.. जो भी डर था लोगों के मन में... सब गायब हो गया है... और अब... अब तो गाँव की पुलिस भी राजा के साथ नहीं है...
वैदेही - हाँ पुलिस राजा के साथ नहीं है... पर क्या... हमारे साथ है... या होगा...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...

वैदेही गौरी को बताती है कि कैसे विक्रम को गायब हुए गवाहों को लाने के लिए विश्व ने सपरिवार भेज दिया है, और राजा की एक प्राइवेट आर्मी कभी कभी भी पहुँचने वाली है l

गौरी - क्या... (भय के साथ) राजा ने... बाहर से एक फौज बुलाई है...
वैदेही - हाँ काकी...
गौरी - क्या तुमने विशु से बात की...
वैदेही - विशु... आधी रात को ही... टीलु को लेकर यशपुर चला गया है...
गौरी - आधी रात को...
वैदेही - हाँ.. जाने से पहले... मुझसे इजाजत लेने आया था.. राजा की फौज आने से पहले... वह सरकारी सुरक्षा राजगड़ को मुहैया कराने की कोशिश करेगा... इसीलिए जल्दबाजी में रात को निकल गया...
गौरी - भगवान करे... वह कामयाब रहे... गनीमत है... राजा ने रस्म के नाम पर... किसी को उठाया नहीं...
वैदेही - मुझे इसी बात की चिंता है... अभी महल की पहरेदारी पुख्ता है... पुलिस को राजा औकात दिखा चुका है... इसी दौरान.. अगर कुछ... (वैदेही आगे कुछ कह नहीं पाती)
गौरी - तो तुने... विशु को जाने क्यूँ दिया...
वैदेही - विशु को मैंने इस बारे में कुछ बताया नहीं... हाँ टीलु रुकना चाहता था... मैंने ही उसे चुप करा कर विशु के साथ भेज दिया...
गौरी - (कांपती आवाज में) तेरी बातेँ सुन कर लगता है... अगर राजा किसी को उठवा कर महल ले गया... कोई भी उसे बचाने महल जा नहीं पाएगा... पुलिस भी नहीं...
वैदेही - हाँ... अगर महल ले जा सके तो...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...
वैदेही - काकी... विशु आने तक... मैं जिन लड़कियों के बारे में जानती हूँ... उन्हें राजा की आदमियों के नजर से छुपा रखूंगी... कम से कम.. महल तक तो... ले जाने नहीं दूंगी...
गौरी - विशु कब तक आ जाएगा...
वैदेही - कल रात तक... या फिर परसों सुबह तक...
गौरी - इस बीच कुछ हुआ तो...
वैदेही - जो भी होगा कल ही होगा...
गौरी - तुझे कैसे पता...
वैदेही - क्यों कि राजा ने... इंस्पेक्टर दास से वादा किया है... बड़े राजा की मौत की चौथ का मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा...

इतना कह कर वैदेही चुप हो जाती है l गौरी आने वाले पल की अंदेशा करते हुए बैचैन होने लगती है l तभी दोनों के ध्यान तोड़ते हुए वैदेही के सामने वाली चौराहे पर आठ दस गाड़ियों का काफिला गुजरती है l सभी गाडियाँ सफेद रंग के थे l जिस अनुशासन से गाडियाँ गुजरी वैदेही को समझ आ जाती है कि कोई सरकारी मंत्री राजगड़ आया हुआ है l वैदेही अपनी दुकान से निकल कर बाहर आती है और गाड़ियों की काफिलों को महल की ओर जाते हुए देखती है l यह गाडियों की काफिला राज्य की होम मिनिस्टर का था l सारी गाडियाँ लाइन से राजगड़ महल के मुख्य फाटक के सामने रुक जाती है l होम मिनिस्टर के गाड़ी से एक अधिकारी उतर कर फाटक पर तैनात एक पहरेदार से कुछ बातेँ करता है l उसके बाद पहरेदार फाटक खोल देता है, सभी गाडियाँ महल की परिसर में आजाती है l गाड़ी से होम मिनिस्टर उतरता है l तब तक भैरव सिंह को खबर हो चुकी थी वह भी बाहर आजाता है और कॅरीडर पर खड़े होकर होम मिनिस्टर का इंतजार करता है l

होमी - नमस्ते राजा साहब... (कहते हुए सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के पास पहुँचता है)
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आइए... आपके आने की अपेक्षा तो थी... पर... आज नहीं...
होमी - हाँ या तो... चौथ को... यानी कलआना चाहिए था... या फिर तेरहवीं पर... पर आया हूँ तो अकारण नहीं...
भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - मंत्री जी के साथ आए लोगों को... दिवान ए आम हॉल में आवभगत करो..
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आज आप हमारे खास अतिथि हैं...

होम मिनिस्टर और भैरव सिंह महल के अंदर जाने लगते हैं l अंदर घुसते ही भैरव सिंह सवाल करता है

भैरव सिंह - आप अकारण नहीं आए हैं... तो कारण बताइए..
होमी - राजा साहब... आपको तो अपने समधी जी की खबर मिल चुकी होगी...
भैरव सिंह - हाँ... फोन पर नहीं... न्यूज पर मिल चुकी है... हम जा नहीं सके... कारण तुम समझ सकते हो...
होमी - राजा साहब... आपके समधी जी ने ऐसा कुछ किया है कि... मुझे चौथ से पहले आना पड़ा...

दोनों ड्रॉइंग रुम में पहुँचते हैं l होम मिनिस्टर ठिठक जाता है l भैरव सिंह उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और खुद एक कुर्सी पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - मंत्री जी... बेहतर होगा... आप ज्यादा भूमिका बनाने के बजाय... सीधे मुद्दे पर आए... और मेरे समधी जी ने ऐसा क्या कर दिया है... जिसके कारण आपको यहाँ आना पड़ा...
होमी - बताता हूँ राजा साहब... आप तो जानते हैं... सामंतराय बाबु... कभी हमारी पार्टी की सर्वेसर्वा हुआ करते थे... इसलिए जब उनके एक्सीडेंट के बाद कैपिटल हास्पीटल में जॉइन होने की खबर मिली... हम मुख्यमंत्री जी के साथ उनसे मिलने... हस्पताल गए... और सामंतराय को जैसे हमारा ही इंतजार था... हमें... फंसा दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... हम सुन रहे हैं... बोलते जाइए...
होमी - उन्हें पहले से अंदाजा था... मैं और मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने जाएंगे... हम लोग हाथ में गुलदस्ता लिए... उनसे उनके कमरे में मिले... गलती यह हो गई के हम साथ में मीडिया लेकर गए थे... कमरे में मीडिया के सामने उनसे हाल चाल पूछ रहे थे... तभी डीसीपी सतपती एक फाइल लेकर पहुँचा... तब सामंतराय जी ने कहा कि उन्होंने ही डीसीपी सतपती को बुलाया है... और होम मिनिस्टर होने के नाते... डीसीपी के लाए फाइल पर दस्तखत करने के लिए कहा...
भैरव सिंह - (भौंहे तन जाती हैं) कैसी फाइल...
होमी - यह सवाल मैंने भी पूछा...
तब डीसीपी ने कहा कि... रुप फाउंडेशन के दो प्रमुख गुमशुदा गवाह मिल गए हैं... और सबसे अहम... राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुए आर्थिक घोटाले का सबसे बड़ा सबूत और गवाह डिक्लेरेशन...
भैरव सिंह - गवाह... कौन हैं वह गवाह...
होमी - (एक फाइल निकाल कर टेबल पर रख देता है) वह आपके आस्तीन में पलते थे... आप ही देख लीजिए...

भैरव सिंह फाइल को लेकर एक के बाद एक कई पन्ने पलट कर देखता है l हर एक पन्ना देखने के बाद फाइल टेबल पर रख देता है और होम मिनिस्टर से पूछता है

भैरव सिंह - जो हुआ... जो भी हुआ... उसकी कानूनी पहलु के बारे बताइए...
होमी - आप नाम देख कर चौंके नहीं...
भैरव सिंह - हम इतना चौंक चुके हैं कि अब इस तरह की झटके... हमें और चौका नहीं रहे हैं... हमें बस इसकी कानूनी वैधता और क्या कर सकते हैं कहिये...
होमी - इसमें... तीन नाम हैं... अनिल कुमार सुबुद्धी... श्रीधर परीड़ा... और बल्लभ प्रधान... अब चूँकि... अदालत स्थगित है... और यह दोनों केस... होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आते हैं... इसलिए जो भी नए गवाह जुड़ें... उनकी डिक्लेरेशन होम मिनिस्ट्री में किया जाता है और उन्हें वीटनेस प्रोटेक्शन में लेकर... सुरक्षा में रखा जाता है...
भैरव सिंह - तो.. क्या यह तीनों भुवनेश्वर में हैं...
होमी - नहीं... यहीँ पर गेम हो गया है राजा साहब... इस केस में वीटनेस प्रोटेक्शन का भी इनचार्ज डीसीपी सतपती है... उसका भी अपना स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसिजर है... प्रधान शायद यहीँ कहीं है... डीसीपी ने... सुबुद्धी और परीड़ा को भुवनेश्वर से गायब कर दिया है और वह रातों रात यशपुर लौट आया है... पर अकेला...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - जैसे ही यह सब हुआ... मुख्य मंत्री जी ने... मुझे आपको आगाह करने के लिए भेज दिया... बड़े राजा जी के मृत्यु पर सम्वेदना व्यक्त करने...
भैरव सिंह - अभी तो अदालत स्थगित है... है ना...
होमी - स्थगित तो है... पर अगर इमर्जेंसी की हालात हो... तो अदालत आधी रात को... छुट्टी के दिन भी खुल सकती है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अब हम... बात को पूरी तरह से समझ गए...
होमी - हाँ राजा साहब... हमें आपके समधी जी ने बुरी तरह से फंसा दिया... मीडिया सामने थी... और इलेक्शन भी आने वाली है... इसलिये... मजबूरी में... हमने मीडिया के सामने फाइल पर दस्तखत कर दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - हाँ राजा साहब... मुख्य मंत्री जी ने इसी कारण मुझे यहाँ भेज दिया... अब आप अपनी ताकत लगा कर कुछ किजिए... (भैरव सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है) राजा साहब... सरकारी तौर पर हमसे कोई मदत नहीं हो पाएगा... पर आप जो भी करेंगे... हम आपके साथ हैं...
भैरव सिंह - कल चौथ है... आप अपने कारवाँ के साथ... रंग महल में रुक जाइए... जो भी करना है... हम करेंगे... (आवाज देता है) भीमा...
भीमा - (भागते हुए आता है) आज मंत्री जी ने... हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है... इन्हें रंग महल ले जाओ...
होमी - (अपनी कुर्सी पर उठते हुए) आपकी आतिथेयता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राजा साहब... पर मुझे इजाजत दिजिए... मैं भले ही मुख्यमंत्री जी की वार्ता लेकर आया हूँ... पर आया तो सरकारी गश्त में...
भैरव सिंह - सरकारी गश्त में... अगर आप सरकारी गश्त में हैं... तो लोकल पुलिस कहाँ है...
होमी - जी खबर कर दी गयी थी... अचानक गश्त थी... और वह आईआईसी अपने दो साथियों के साथ...मेडिकल में है... आपको इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी था... इसलिए बिना लोकल पुलिस के हम यहाँ आ गए...
भैरव सिंह - (होम मिनिस्टर के साथ बाहर की ओर जाते हुए) अच्छा किया... आपने हमें आगाह कर दिया... इसका इनाम तो बनता है... इसलिए हम दरख्वास्त करते हैं... आप और आपके कारिंदे... आज की रात रंग महल में विश्राम करें.. कल की छोटी शुद्धि के बाद.. आप चले जाइएगा...
होमी - नहीं राजा साहब... आपसे यह सौजन्य मुलाकात थी... कल आकर औपचारिक मुलाकात करूँगा... तब तक... मैं यशपुर में... आईवी में रुकूंगा...

कहते कहते जब होम मिनिस्टर बाहर कॉरीडोर में आता है तो देखता है उसके सभी सुरक्षा कर्मि घुटनों पर बैठे हैं और राजा साहब के लोग उन पर बंदूक ताने खड़े हुए हैं l होम मिनिस्टर यह सब देख कर चौंकता है, भीमा अपना खुखरी होम मिनिस्टर के पीठ पर लगा देता है l

होमी - यह... यह क्या है राजा साहब...
भैरव सिंह - पिछली बार भी तुमने हमारी बेकद्री की थी... तब अपने ही जुते से... अपने गाल पर सीकाई की थी...
होमी - पर इस बार तो मैंने कोई बेकद्री नहीं की है... आपको सबूतों के साथ... आगाह किया है..
भैरव सिंह - बे मादरचोद... यह आज हम जिस मुकाम पर पहुँचे हैं... इसके पीछे गलीच... तु ही है... तूने हमसे बदला लेने के लिए... हमारे खिलाफ... हमारे दुश्मनों को लामबंद किया और उनकी मदत की... जब तुझे लगा तेरा पलड़ा हमारी बराबर हो गई... तब तु हमारे बराबर बैठने आ गया...
होमी - र.. राजा साहब...
भैरव सिंह - चुप... तुने हमें बेबस लाचार करने की कोशिश की... कामयाब भी रहा... जश्न तो बनता है ना... इसलिए जश्न रंग महल में मनेगी... तुझे क्या लगता है.. तु यहाँ कैसे आया... कल जब चीफ मिनिस्टर के सामने साइन किया... उसके बाद चीफ मिनिस्टर ने हमें फोन पर सारी बातें इंफॉर्म कर दी थी... उसके और हमारे बीच एक डील हुआ था... हम रुप फाउंडेशन और राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के केस को... हमारी तरीके से क्लॉज करेंगे... और तुझे... तेरी मुकम्मल अंजाम तक पहुँचाएँगे...
होमी - नहीं... नहीं राजा साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं होम मिनिस्टर हूँ... अगर मुझे कुछ हुआ... तो आप भी...

इससे पहले कि होम मिनिस्टर अपनी बात पूरी कर पाता भीमा होम मिनिस्टर के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ देता है l

भैरव सिंह - मेरे आदमी का यह चांटा... इस बात का सबूत है... के तु कभी हमारे बराबर नहीं हो सकता... बड़े राजा जी की चौथ का मातम... हम तुम्हारे साथ ही मनाएंगे मंत्री... इसलिए जाओ... पहले रंग महल में आराम करो... जाओ...

भीमा होम मिनिस्टर को धक्का देते हुए नीचे ले जाता है l वहाँ पर होम मिनिस्टर के सभी सुरक्षाकर्मियों को भैरव सिंह के आदमी रंग महल की ओर ले जाते हैं l इतने में रंगा और रॉय आते हैं और वह लोग विशेष प्रकोष्ठ में आते हैं l

रॉय - राजा साहब... लगता है आपने हमें किसी खास काम के लिए बुलाया है...

भैरव सिंह कोई जवाब नहीं देता, एक किताबों वाली अलमारी के पास आता है और उसका दरवाजा खोलता है l अलमारी के दरवाजे पर लगी एक बोर्ड पर कुछ नंबर पंच करता है l एक दीवार सरक जाती है l दीवार के पीछे नोटों का पहाड़ था l जिसे देख कर रंगा और रॉय के आँखे हैरान और शॉक से फैल जाती हैं l

भैरव सिंह - एक काम है... आखिरी.... अगर पूरा करने में कामयाब हो गए... तो आने के बाद... इस कमरे में मौजूद सारे पैसे तुम्हारे...
रॉय - (आँखों में चमक आ जाती है) तो फिर हुकुम कीजिए राजा साहब...
भैरव सिंह - अभी के अभी यशपुर... जितने आदमी हो सके लेकर जाओ.... विश्व... और उसके साथ जो भी दिखे सबको खत्म कर आओ...
रंगा - विश्व... यशपुर में...
भैरव सिंह - हाँ... वह अभी राजगड़ में नहीं है... वह यशपुर में है... उसे ढूंढो... उसे और उसके पास... उसके साथ जो भी दिखे... सबको खत्म कर दो... उसका लाश... या उसका कटा हुआ सिर लेकर आओ... और यह सारी दौलत ले जाओ...
रॉय - मतलब हमें... उसे यशपुर में ढूंढना पड़ेगा...
भैरव सिंह - हाँ... इसलिए सबसे पहले जाओ... पुरे यशपुर को अपने कब्जे में ले लो... अपने तरीके से एक सौ चौवालीस लगा दो... मगर ध्यान रखो... यशपुर में आने तो पाए... मगर... यशपुर छोड़ कर कोई जाने ना पाए... जो भी जाने की कोशिश करेगा... उसे वहीँ वहीँ के खत्म कर देना... अब सब समझ में आ गया होगा...
रंगा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तो जाओ...

रंगा और रॉय अंदर ही अंदर खुशी मनाते हुए बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह फिर से उस इलेक्ट्रॉनिक लॉक पर कुछ नंबर पंच करता है l वह दीवार जो सरक गया था फिर से बंद हो जाता है l तभी एक नौकर आकर खबर करता है

नौकर - हुकुम... आपसे मिलने कुछ लोग आए हैं...
भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) उनको.... xxxx पर ठहराओ...

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यशपुर में
एक विरान जगह पर वर्जित क्षेत्र में एक टूटा फूटा घर l बाहर से भले ही टूटा फूटा भूतीया दिख रहा था, पर अंदर से वह घर अच्छा दिख रहा था l एक कमरे में विश्व दरवाजे की तरफ मुहँ कर बाहर की ओर देखे जा रहा था, कमरे में उदय, कांस्टेबल जगन और एडवोकेट बल्लभ प्रधान भी थे l विश्व टकटकी लगाए दरवाजे पर नजर गड़ाए देखे जा रहा था l उसे इंतजार था विक्रम और सुभाष की l

उदय - विश्वा... अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें..
विश्व - आ रहे होंगे... प्रधान बाबु... उतावला पन ठीक नहीं है...
उदय - वैसे तुम्हारे दोस्त भी नहीं दिखाई दे रहे हैं...
विश्व - वह भी आ जाएंगे... अभी वक़्त ही कितना हुआ है...
बल्लभ - वक़्त... वक़्त कितना हुआ है... बात यह नहीं है... (सबकी ध्यान बल्लभ की ओर जाता है) वक़्त कब तक अच्छा चल रहा है... तब तक... जब तक.... राजा के आदमी हम तक नहीं पहुँच जाते...
उदय - ऐ... बकवास बंद कर...
बल्लभ - मैं... बकवास नहीं कर रहा हूँ... आने वाला वक़्त.. या तो अच्छा होगा... या फिर बुरा होगा... और मुझे लगता है... अब तक राजा को... हमारे बारे में पता लग चुका होगा... और वह हरकत में आ चुका होगा...
विश्व - तो आने दो... हम तक पहुँचने के लिए... भैरव सिंह को बहुत तैयारी करना पड़ेगा... और अपने तरफ से मैंने पहले से ही... तैयारी कर रखा है...
बल्लभ - एक बात पूछूं...
विश्व - हाँ पूछो...
बल्लभ - परसों डीसीपी सतपती... यह उदय और यह कांस्टेबल जगन... मेरी काउंसिलिंग किए... जब कि मुझे लगा था... जब मेरी भेद खुलेगी... तब काउंसिलिंग तुम करोगे...
विश्व - प्रधान बाबु... आपके घर में जो भी हुआ... वह एक ऑफिशियल प्रोसीजर था... आप एसटीएफ के डीसीपी के द्वारा... ट्रेस किए गए और गिरफ्तार किए गए... उसके बाद आपको गवाह बनाया गया... जिसकी अप्रूवल और डिक्लेरेशन... होम मिनिस्ट्री से लिया गया है... वह भी ऑफिशियल... इसलिए मैं आपके सामने नहीं आया... इससे आगे... आपकी गवाही के लिए मेरा होना जरूरी है... इसलिए आपके सामने आया... क्यूँकी यह भी...
बल्लभ - हाँ... ऑफिशियल है...
उदय - एडवोकेट प्रधान बाबु... क्या आप डरने लगे हैं...
बल्लभ - डर.. हाँ... डरने लगा हूँ नहीं... डरा हुआ था.. और अब भी हूँ...
जगन - डरे हुए हो... तो अपने डर के खिलाफ क्यूँ जा रहे हो..
उदय - (मजाकिया लहजे में) क्यूँकी डर के आगे जीत है... क्यूँ
बल्लभ - जीत और हार दोराहा होता है... मैं वह दोराहा लाँघ चुका हूँ.... और डरते डरते थक गया हूँ...
जगन - डरे हुए थे.... शायद इसलिए जिंदा हो... डर से थक गए हो... मतलब... मतलब समझ रहे हो ना...
बल्लभ - हाँ... इस डर को ढोते ढोते थक गया हूँ... पर मैं जिंदा रहना चाहता हूँ... इसीलिए तो... हार का वह मोड़ छोड़ कर... अब तुम लोगों के साथ हूँ...

विश्व कुछ कहना चाहता था पर तभी उसकी मोबाइल बजने लगती है l मोबाइल उठा कर कान से लगाता है l उसी वक़्त घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई देती है l सबकी बातों में विराम लग जाता है l सब बाहर की ओर देखने लगते हैं l एक गाड़ी आकर रुकती है l उस गाड़ी से सुभाष सतपती और उसकी एसटीएफ वाली टीम के बंदे उतरते हैं l पीछे पीछे और एक आर्मोर्ड वैन आती है l उससे विक्रम, सु बुद्धी, श्रीधर परीड़ा के दास भी उतर कर विश्व के सामने आते हैं l सभी कमरे में आ जाते हैं l सुबुद्धी और श्रीधर की नजरें बल्लभ से मिलती है l उन्हें देख कर सुभाष कहता है l

सुभाष - हाँ भाई... भरत मिलाप कर लो... बहुत जल्द हम निकलने वाले हैं... (विश्व से) तुम्हारा प्लान क्या है विश्व..
विश्व - अभी गाँव से सत्तू ने फोन किया था... होम मिनिस्टर महल गया था...
बल्लभ - ह्वाट... वह कब भुवनेश्वर से निकला...
दास - कल ही... मुझे उसके कॉनवोय में शामिल होने के लिए कहा गया था... पर मैंने अपने दो कांस्टेबलों का मेडिकल में होने को बात कर... मेरे थाने की सबॉर्डिनेट को चार्ज हैंड ओवर किया था... पर उन्होंने कहा कि... होम मिनिस्टर ने... लोकल पुलिस की प्रोटोकॉल एक्सेप्ट नहीं किया...
विश्व - ह्म्म्म्म... होम मिनिस्टर कल के चौथ वाली मातम के लिए आया है शायद... और (बल्लभ, सुबुद्धी और श्रीधर की ओर देख कर) लगता है... इनके बारे में जानकारी भी दे दी...

इतना सुनते ही तीनों की हालत खराब होने लगती है l सुबुद्धी विश्व से कहने लगता है

सुबुद्धी - विश्वा बाबु... अब...
विश्व - में भी यही चाहता था... के राजा तुम लोगों के बारे में जान जाए...
श्रीधर - ऐ... तु हमारा बलि चढ़ाने लाया क्या... (सुभाष से) यह... यह क्या डीसीपी साहब... यह तो हमें मरवाने की बात कर रहा है...
जगन - वह कहावत है ना... जैसी करनी... वैसी भरनी...
दास - हाँ... विश्व को फ़ंसाने वाली टीम का... तु भी तो एक हिस्सा था...
श्रीधर - ओ.. अब समझा... तुम लोग कोई गवाही दिलाने नहीं लाए हो... इस विश्वा के नाम पर... राजा भैरव सिंह के हवाले करने लाए हो...

इससे पहले कि श्रीधर और कुछ कहता, चटाक की आवाज़ आती है l श्रीधर अपना गाल सहलाते हुए बल्लभ की ओर देखता है l बल्लभ उसे उंगली दिखा कर

बल्लभ - चुप... चुप... विश्वा हमें ना सिर्फ बचाएगा... बल्कि... हमसे गवाही दिलवा कर... हर गुनाह से माफी भी दिलवाएगा... चुप... जरा सोच... कटक भुवनेश्वर में... पागलों की तरह राजा के आदमी ढूंढ रहे हैं... वहाँ से यहाँ तक बच कर आए हो... तो आगे के लिए भी भरोसा करो....

अपनी गाल सहलाते सहलाते श्रीधर विश्व की तरफ़ आस भरी नजर से देखने लगता है l

सुभाष - चलो... कोई तो हम पर भरोसा कर रहा है... (विश्व से) वैसे विश्वा तुम्हारा प्लान और तैयारी क्या है...
उदय - हाँ... तुम्हारे दोस्त अभी तक नहीं आए हैं...
विश्व - आ जाएंगे... पहले हम प्लान पर बात करें... सतपती बाबु... पहले आप बताएं... मैंने जो कहा था... उसका क्या...
सुभाष - मैं यशपुर पहुँचते ही... सबसे पहले यही किया... दास को साथ लेकर... बारह बुलेट प्रूफ जैकेट ले आया हूँ... गाड़ी में ही है... और अभी कुछ देर बाद... मेरी टीम जाकर... राजगड़ थाने को... हमारे आने तक सम्भाले रखेगी...
विश्व - मैंने कुछ और भी कहा था...
सुभाष - हाँ यार... आर्म एंड एम्युनिशन भी लाया हूँ... वह भी गाड़ी में है... पर एक बात बताओ... तुमने खान सर से... यह आर्मोर्ड वैन क्यूँ मंगवाया...
विश्व - ह्म्म्म्म सब परफेक्ट है... तो सुनिए... यह वैन... आपकी प्रोमोशन हो कर जाने के बाद... जैल में आया था... जैल में क्या हुआ था... आप जानते ही हैं... इसलिए तब... डैड... आई मीन.. सेनापति जी यह आर्मोर्ड वीइकल खरीदे थे... पर मालूम नहीं था... इस वीइकल की अब हमें ज़रूरत पड़ने वाली है...
दास - मतलब... हम पर हमला होगा...
विश्व - हाँ... वे लोग राजगड़ से निकल भी चुके हैं... उनकी टीम को अमिताभ रॉय और रंगा लीड कर रहे हैं...
विक्रम - (गुस्से से) रंगा... रॉय...
विश्व - कुल विक्रम... तो प्लान यह है कि... हम टोटल बारह लोग हैं... पर टीम दो बनेगी... एक टीम में... यह तीन गवाह... मैं... सतपती जी और दास बाबु... इस आर्मोर्ड वीइकल से... रंगा और रॉय के आँखों के सामने से राजगड़ से निकलेंगे...
विक्रम - और हम... हम लोग...
विश्व - बताता हूँ... मेरे दोस्त... तीन बाइक जुगाड़ कर चुके हैं... हमारे यहाँ से निकलते ही.. वे लोग तीन बाइक लेकर यहाँ पहुँच जाएंगे... आप दोनों... विक्रम और उदय बाबु... उनके साथ निकल जाइए...
उदय - ओ... समझा... मतलब... इन तीनों को अपने काबु में लेने के लिए... इसलिए सारे लोग तुम्हारे पीछे जाएंगे...
विक्रम - तो फिर हमारा काम क्या है...
विश्व - तुम लोग बाइक से... पीछे से... राणी पत्थर हो कर... उतम गड़ हाईवे पर हम से पहले पहुँच जाओगे... आगे जाने के बाद... पाँच किलोमीटर दूर सोनपुर हाईवे जाने के लिए... बीन्का बाईपास में उतरोगे... वहाँ... एक झाड़ी में छुपाये एक और आर्मोर्ड वीइकल... बिल्कुल ऐसी ही होगी... तुम... उदय और मेरे चारों दोस्त... वह गाड़ी ले लेना... और वहीं बाइकें उसी झाड़ी में छोड़ देना... हम किसी भी हाल में... उनसे दस मिनट का लूप लेकर... वहाँ पहुँच जायेंगे... हम जैसे ही पहुँचेंगे... तुम लोग आर्मोर्ड वीइकल लेकर चले जाना...
उदय - ओ... उसके बाद वे लोग... हमारे पीछे जाएंगे...
विश्व - हाँ... उस गाड़ी में सब बंदोबस्त होगी... बाकी उदय बाबु... मेरा दोस्त सीलु अच्छा ड्राइवर हैं...
विक्रम - ठीक है...
बल्लभ - विश्व... हम कहाँ जा रहे हैं... क्यों जा रहे हैं... मैं समझ गया... पर एक बात पूछूं...
विश्व - हूँ...
बल्लभ - तुमको इस तरह की लॉजिस्टिक सपोर्ट कौन दे रहा है...
विश्व - (मुस्कराते हुए) मेरे गुरु...
सुभाष - विश्व - तुमने हथियार कहा.. हम ले आए हैं... और लगता भी है... शायद जरूरत पड़ेगी... पर हम इमर्जेंसी कैसे क्रिएट करेंगे... जिससे जज... इनकी गवाही लेने के लिए तैयार हो जाएंगे...
विश्व - यह जो वीइकल है... इसमें मैंने... जोडार साहब से कह कर एक... सिस्टम लगवाया है... (विक्रम और सुभाष से मोबाइल मंगाता है) आप दोनों प्लीज... अपना अपना मोबाइल देंगे...

विश्व उनसे मोबाइल लेकर अपने मोबाइल से एक ऐप भेजता है और उनके मोबाइल में इंस्टाल कर देता है l फिर उनके मोबाइल उन्हें लौटा देता है l

विश्व - गाड़ी में... डैश बोर्ड पर इमर्जेंसी स्विच मार्क किया गया हुआ है.. जैसे ही हम उसे दबायेंगे... एक ड्रोन... जो गाड़ी की छत पर फिक्स है... वह गाड़ी के तीस फुट की ऊँचाई से गाड़ी की नेवीगेशन को फॉलो करते हुए उड़ेगी... तकरीबन दो घंटे तक... उस ड्रोन को कैमरा से... हर और से हो रही हमला रिकार्ड होगा... (सुभाष से) और आप उस लाइव रिकार्ड को... सुप्रिया से साझा करते रहेंगे... पूरा स्टेट... हम पर हो रहे हमले को लाइव देखेगी... यह बात अपने आप में इमर्जेंसी बनाएगी... जजों को गवाही लेने के लिए मजबूर करेगी... (विक्रम को देखते हुए) गाड़ी बदलने के बाद... तुम्हें भी ड्रोन उड़ाना है... और वीडियो कॉल से... सतपती से साझा करना है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मैं सब समझ गया... तो निकलना कब है...
विश्व - जैसे ही मुझे मेरे दोस्त कॉन्टेक्ट करेंगे...

इतने में दास से इशारा पाकर जगन सबके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट ले आता है l पहले विश्व और उसके टीम पहन लेते हैं l विक्रम और उदय भी पहन लेते हैं l उन्हें अब इंतजार था तो विश्व के किसी दोस्त के फोन की l कुछ देर बाद सीलु का फोन आता है l विश्व सब सुनने के बाद विक्रम उदय और जगन को छूपने के लिए कहता है और वह दास और सुभाष के साथ तीनों गवाहों को लेकर गाड़ी में घुस जाते हैं l दास ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी उस जगह से निकाल कर सड़क पर ले आता है l थोड़ी ही दुर जाने के बाद एक मोड़ पर कुछ गाड़ियां इनकी गाड़ी को घेरने की कोशिश करते हैं पर चूँकि यह एक आर्मोर्ड वीइकल थी l सामने आने वाली सभी गाड़ियों को धक्का मारते हुए निकल जाती है l

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"ब्रेकिंग न्यूज
दर्शकों आज यशपुर में एक पुलिस की वैन जो सोनपुर जा रही थी, तभी उस वैन पर बहुत सी गाड़ियों से कुछ अज्ञात लोगों ने धाबा बोल दिया है l आप अपनी टीवी स्क्रीन पर एक्सक्लूसिव तस्वीरें देख सकते हैं l जिस तरह से पुलिस की वैन पर तकरीबन पंद्रह सोला गाडियों से हमला किया गया स्थानीय लोग इसे पुलिस पर गुंडों का आक्रमण कह रहे हैं l हमारे सम्वाददाता को जैसे ही खबर मिली वह ड्रोन कैमरा की सहायता से हो रही झड़प को रिकार्ड कर रहे हैं और हमसे संपर्क करते हुए विजुअल्स उपलब्ध करा रहे हैं l"

हर एक टीवी के स्क्रीन पर लाइव न्यूज में एरियल व्यू से दिख रहा था l एक वैन आगे आगे सड़क पर दौड़ रही थी और उसके पीछे कई गाड़ियों से पीछा किया जा रहा था l पूरे राज्य में लोग इसी न्यूज को देख रहे थे l राजगड़ की महल में भीमा भैरव सिंह को खबर करता है तो भैरव सिंह टीवी ऑन कर देता है l वह टीवी पर यह सब दृश्य देख कर और न्यूज चैनल में चल रहे स्कोलिंग देख कर समझ जाता है कि गाड़ी में विश्व और गवाह हैं और उनका पीछा रंगा और रॉय की टीम कर रहा था l भैरव सिंह भीमा कॉर्डलेस है लाने को इशारा करता है l भीमा जैसे ही फोन लाता है उसे रॉय का नंबर डायल करने के लिए कहता है l भीमा भी बिना देर किए रॉय का नंबर लगा कर कॉल करता है l उधर रॉय फोन उठाता है l

रॉय - हैलो..
भीमा - एक मिनट लाइन में रहिए... राजा साहब बात करेंगे... (कह कर भैरव सिंह के हाथ में कॉर्डलेस दे देता है)
भैरव सिंह - क्या चल रहा है...
रॉय - राजा साहब... वह जिस गाड़ी में भाग रहे हैं... विश्वा और उन तीन गवाहों के साथ... दो लोग और भी हैं... पता नहीं चल पा रहा है...
भैरव सिंह - जो तुम और तुम्हारी टीम कर रही है... उसे पूरा स्टेट देख रहा है...
रॉय - क्या... जी मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - तुम उसकी चिंता मत करो... जो भी हो रहा है... ठीक हो रहा है... हमें यह सब डंके की चोट पर करना था... वही हो रहा है...
रॉय - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब लौटना... तो विश्व और उन हराम खोरों के कटे हुए सिरों के साथ ही लौटना...


कह कर भैरव सिंह अपना कॉल काट देता है और अपनी नजरें टीवी स्क्रीन पर गाड़ देता है l इधर फोन अपनी जेब में रख कर वॉकि टॉकी पर सबको हुकुम देता

रॉय - सब ध्यान से सुनो... तुम में से जो भी कोई इन्हें पकड़ लेगा... मैं उसे उसकी वजन बराबर नोट से तोल दूँगा... जाओ... टक्कर मारो... गाड़ी पलटाओ कुछ भी करो... इन हराम खोरों को पकड़ो...

रॉय की यह बात उसके सारे बंदे सीरियसली ले लेते हैं l पंद्रह गाड़ियों में सवार लोगों में विश्व और बाकी लोगों को पकड़ने के लिए होड़ में लग जाते हैं l जिसके वज़ह से उनके बीच तालमेल बिगड़ जाता है l कोई कोई गाड़ी टक्कर भी मार रहे थे l इधर गाड़ी के भीतर टक्कर के वज़ह से सब थोड़ी देर के लिए अस्तव्यस्त हो जाते हैं l

सुभाष - हमें लगता है... हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ेगा...
विश्व - नहीं... उन्होंने अब तक... हथियार इस्तेमाल नहीं किया है... यह ठीक नहीं रहेगा... (फिर गाड़ी पर टक्कर लगता है, जिससे सबको झटका लगता है)
सुभाष - यह लोग पागल हो गए हैं... दास... यार... यह पुलिस वैन है... तेज चलाओ...
दास - मैं अपनी कैपासिटी से भी तेज चला रहा हूँ...

तभी विश्व का फोन बजता है, विश्व फोन निकाल कर देखता है, स्क्रीन पर डैनी डिस्प्ले हो रहा था, विश्व फोन उठाता है l

डैनी - लगे रहो हीरो... पूरा स्टेट तुम लोगों को लाइव देख रहा है...
विश्व - हमें...
डैनी - आई मीन... तुम्हारी गाड़ी को...
विश्व - हाँ आखिर यह आइडिया... आपका जो था...
डैनी - तुम लोग उन्हें छका क्यूँ नहीं रहे हो... ऐसी स्पीड रही तो... तुम लोग सोनपुर नहीं पहुँच पाओगे...
विश्व - क्या करें... वह लोग हम पर गोली भी तो नहीं चला रहे हैं... अगर एक बार... हमारी तरफ़ से फायरिंग हो गई... तो दूसरी तरफ से... बम गोले बरस पड़ेंगे...
डैनी - गाड़ी में... दो फर्स्ट ऐड बॉक्स होंगे देखो...
विश्व - हाँ देखा...
डैनी - वह दूसरी बड़ी वालीं निकालो...

विश्व इशारा करता है तो सुभाष बड़ी वाली फर्स्ट ऐड बॉक्स निकालता है, उसे खोलने पर बॉक्स उपरी ढक्कन पर एलसीडी स्क्रीन थी एक रिमोट ट्रिगर था और कुछ घड़ी आकार के गैजेट्स l

विश्व - यह... यह सब क्या है...
डैनी - देखो... गाड़ी के बीचों-बीच एक शटर नुमा दरवाजा होगा... नीचे से उतरने के लिए... (विश्व देखता है)
विश्व - हाँ है...
डैनी - तो अब ध्यान से सुनो... तुमने मुझसे जब लॉजिस्टिक्स मांगा था... तब मुझे एहसास हो गया था... ऐसा ही कुछ होगा... यह गैजेट्स... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर है... किसी भी गाड़ी की... इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिक सर्किट को पूरी तरह से जाम कर सकता है... अब उन सबको रोकने के लिए... इन ट्रेंकुलाईजर्स का इस्तेमाल करो...
विश्व - समझ गया...

विश्व फोन काट देता है l गाड़ी के फर्श पर वह शटर को किनारे करता है l फिर उस बॉक्स को ऑन करता है l उपरी कवर का एलसीडी ऑन हो जाती है l रिमोट को भी ऑन करता है और फिर एक ईएमपी ट्रेंकुलाईजर ऑन करता है और गाड़ी की फर्श से उसे नीचे सड़क पर गिरा देता है l तभी एलसीडी स्क्रीन पर एक लाल रंग का डॉट दिखने लगता है l विश्व ट्रिगर रिमोट की स्विच ऑन कर देता है l एलसीडी स्क्रीन पर एक स्पाइक जम्प लेता है l सभी पीछे देखते हैं एक गाड़ी में इमर्जेंसी ब्रेक लग जाते हैं l गाड़ी की तेजी के वज़ह से गाड़ी झटके के साथ बीस पच्चीस फुट ऊंचाई पर गुलाटी मारते हुए सड़क पर गिरती है l यह देख कर रॉय और उसकी टीम हैरान हो जाते हैं l

रॉय - गाड़ी तेजी से चलाओ... और सड़क पर नजर भी रखो... गाड़ियों को जीगजाग चलाओ... अंदर से कोई... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर इस्तेमाल कर रहा है...
रंगा - अगर उन्होंने सारे गाडियों पर इस्तेमाल कर दिया... तब...
रॉय - अगर एक और गाड़ी की पलटी होती है... तो उन्हें रोकने के लिए गोली... गोला जो भी दाग दो...

अब सारी गाड़ियां पीछा तो कर रही थीं पर जीगजाग तरीके से l यह देख कर सुभाष कहता है "अब मुझे इस्तेमाल करने दो" इतना कह कर विश्व के हाथों से अपना वह रिमोट और ट्रेंकुलाईजर ले जाता है और वह नीचे सड़क पर फेंक देता है l रिमोट पर स्विच ऑन करता है पर कोई फायदा नहीं होता है l वह ईएमपी ट्रेंकुलाईजर बेकार जाता है l सुभाष और एक ट्रेंकुलाईजर डालता है थोड़ा गाड़ियों के मूवमेंट देखने के बाद रिमोट दबाता है इसबार सबसे पीछे वाली गाड़ी मुड़ कर पलट जाती है l यह देख कर रंगा रॉय की हाथ से वॉकि टॉकी लेकर सारे अपने आदमियों से कहता है l

रंगा - हम यहाँ चोर पुलिस नहीं खेल रहे हैं... उस गाड़ी में एक हारामी है.... उसे ही नहीं... उसके साथ जो भी गाड़ी में उन सबको मारना है... चलाओ गोली...

अब हर एक गाड़ी में से एक एक स्नाइपर अपनी अपनी गन लेकर अपनी अपनी गाड़ी में पोजीशन बनाते हैं और फायर करने लगते हैं l चूँकि आर्मोर्ड गाड़ी बुलेट प्रूफ था इस लिए गाड़ी को कुछ नहीं होता l पर गाड़ी पर गोलियों की बरसात होते ही सुबुद्धी चिल्लाने लगता है l उसे डांट कर सुभाष चुप कराता है l

सुभाष - दास... और कितना दूर है... बिन्का बाई पास...
दास - नेवीगेशन के हिसाब से... दस किलोमीटर और...
श्रीधर - हम क्यूँ नहीं... गोली चलाते उनपर...
विश्व - हम...
श्रीधर - ठीक है... तुम... तुम क्यूँ नहीं गोली चला रहे...
विश्व - हमारी मर्जी...

सुभाष जितनी भी ट्रेंकुलाईजर थे सभी को ऑन करता है l एलसीडी में सीरियल नंबर डालता है और सबको बारी बारी से नीचे सड़क पर डाल देता है l विश्व रिमोट लेकर लगातार ट्रिगर दबाता चला जाता है l इसके वज़ह से आगे पीछे हो कर पाँच छह गाड़ियां पलट जाते हैं l जिसके कारण कुछ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं l जिसके वज़ह से सारी गाड़ियां रुक जाती हैं l रॉय और रंगा दोनों उतरते हैं

रंगा - जिस जिसकी गाड़ी की माँ बहन हो गई है... वह यहाँ रह कर अपनी माँ चुदाए... बाकी गाडियों को सम्भल कर... जैम से निकालो... वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे... अब उनको नहीं पकड़ेंगे... उन सबको गोली मार देंगे...
रॉय - अब की बार गाड़ी नहीं... टायरों पर निशाना लगाओ... गाड़ी की दूरी कम हो... तो ग्रेनेड फेंक मारो... मगर मार डालो... हम यशपुर से बहुत दूर आ चुके हैं... वह लोग बीन्का बाईपास से सोनपुर जा रहे होंगे... जल्दी पहुँचो...

बाकी जितनी गाड़ियां थीं सब धीरे धीरे से उस जैम से निकल कर बिन्का बाईपास की ओर जाने लगते हैं l और उस तरफ बाईपास ओवर ब्रिज के नीचे पहले से ही विक्रम उदय और सीलु, मिलु टीलु और जिलु विश्व और गाड़ी की इंतजार कर रहे थे l कुछ ही देर बाद विश्व और उनकी गाड़ी इनके सामने थी l जैसे ही विश्व गाड़ी से उतरता है सीलु झाड़ियों में छुपी हुई दूसरी आर्मोर्ड वैन निकाल लेता है l उदय और विश्व के चारों दोस्त उस गाड़ी में बैठ जाते हैं l विश्व उस गाड़ी का मुआयना करता है l देखता है इस गाड़ी में भी दो दो फर्स्ट ऐड बॉक्स थीं l विश्व समझ जाता है इस गाड़ी में भी डैनी ने वही व्यवस्था करी हुई है, विश्व विक्रम को ट्रेंकुलाईजर्स के बारे में जानकारी दे देता है और सारे हथियार जो इनके गाड़ी में थे वह सब विक्रम वाली गाड़ी में रखवा देता है l विक्रम सब समझ जाता है और फिर वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाता है l पर कुछ सोच कर विश्व आवाज देता है

विश्व - विक्रम... (विक्रम गाड़ी से उतरता है)
विक्रम - हाँ...
विश्व - (आता है विक्रम के गले लग जाता है और कहता है) हमने अब तक कोई गोलियां नहीं चलाई है... पर तुम लोग गोली का जवाब गोली से देना.. और विक्रम... तुम और तुम्हारे साथ.. (कुछ कह नहीं पाता, एक पॉज लेने के बाद) जिंदा लौटना... प्लीज...

विश्व की इस भावुक बात सुन कर सभी दोस्त उतर कर विश्व के गले लग जाते हैं l

सुभाष - ओ भई... अगर मिशन सक्सेस हुआ... तो भरत मिलाप और भी होंगे... अभी हमने सिर्फ उन्हें छकाया है...
विश्व - जाओ...

सभी गाड़ी चढ़ जाते हैं l सीलु गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी को बिन्का हाईवे पर दौड़ा देता है l वहीँ सुभाष, दास विश्व और तीनों गवाहों को लेकर झाड़ियों में से हो कर सड़क के नीचे उतर जाते हैं l वहीँ पर तीन बाइक्स रखे हुए थे l पर जल्द बाजी में पुरानी वैन को छुपाना भूल जाते हैं l इधर ब्रिज के नीचे छह सात गाड़ी आकर रुकती हैं l रॉय और रंगा का चेहरा उतर जाता है, क्यूँकी जो वैन उन्हें दिखा वह खाली था l वह लोग इधर उधर झाँकने लगते हैं कि उन्हें बिलकुल इसी तरह एक और वैन को बिन्का हाईवे पर जाते हुए दिखता है l

रॉय - ओ... हमें बेवक़ूफ़ बनाने के लिए... यहाँ गाड़ी छोड़ दिए... वह देखो... और एक वैन... बिल्कुल सेम टू सेम... चलो...

सभी जो गाड़ियों से उतरे थे, जल्दी जल्दी गाड़ी चढ़ कर बिन्का हाईवे पर उस आर्मोर्ड वीइकल का पीछा करने लगते हैं l उनके जाते ही तीनों बाइकें सड़क पर आ जाती हैं l सारी गाड़ियां जब इनके आँखों से ओझल हो जाते हैं तो सुभाष सुप्रिया को फोन करता है l

सुभाष - तुम मेरी बात को ऑडियो लाइव कराना... और उसी ऐरियल रिकार्डिंग को बार बार रिपीट कराते रहना...
सुप्रिया - ठीक है...
विक्रम - और वहाँ पर क्या चल रहा है...
सुप्रिया - सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा है... पत्री सर... सुधांशु मिश्रा भी आ गए हैं...
विक्रम - ओके...
सुप्रिया - ऑल द बेस्ट...
विश्व - एक गलती तो हुई... पर वह लोग पकड़ नहीं पाए...
विक्रम - हाँ... हम इस वैन को छुपा नहीं पाए... पर किस्मत हमारे साथ है...

इस बार उत्तम गड़ के रास्ते विश्व और उसके बाइकर्स जाने लगते हैं l उधर गुस्से से तमतमाये रंगा और रॉय और उनके साथी गाड़ी के पास आते आते गोलियाँ बरसाने लगे l गाड़ी में एक राइफ़ल उदय और एक स्नाइपर गन विक्रम लिए तैयार थे l जैसे ही गाड़ी पर गोलियां लगने लगी जवाब में विक्रम और उदय काउंटर फायर करने लगे l इनकी काउंटर फायर से दो तीन आदमी उनकी चलती गाड़ी से गिर गए l काउंटर फायर होते ही जिस तेजी के साथ यह लोग गाड़ी का पीछा कर रहे थे गाड़ी थोड़ी धीमा कर कुछ दूरी बरकरार रखते हुए पीछा करने लगे l

रंगा - इनके पास गन है...
रॉय - हम ही बेवक़ूफ़ निकले... यह पुलिस की आर्मोर्ड वीइकल है... हमें पहले से ही समझ जाना चाहिए था..
एक आदमी - अगर... इनके पास गन था... तो पहले हम पर काउंटर फायर क्यूँ नहीं किया...
रॉय - अब समझा... उन्होंने दूसरी गाड़ी क्यों ली... मतलब पहली वाली गाड़ी में... हथियार नहीं थे... इसलिए इन लोगों ने... दूसरी गाड़ी का इंतजाम करवाया....
रंगा - हाँ... वह भी हथियारों के साथ...
रॉय - एक मिनट एक मिनट... (गाड़ी रुक जाती है, उसके गाड़ी रुकते ही सारी गाड़ियां वहीं रुक जाती हैं ) कहीं ऐसा तो नहीं... हम बेवक़ूफ़ बन रहे हैं... सोनपुर जाने के लिए... यह जंक्शन... एक बिन्का... और दूसरा... उत्तम गड़... ए.. ऐ... हमारे साथ खेल हो गया... विश्व और वह गवाह... उत्तम गड़ के रास्ते गए हैं... चलो चलो... गाड़ी घुमाओ...

रॉय के इतना कहते ही सभी अपनी अपनी गाड़ी घुमाने लगते हैं l आगे आगे जा रहे विक्रम और उदय यह सब देख लेते हैं l

विक्रम - गाड़ी रोको सीलु... गाड़ी रोको...
उदय - लगता है उन्हें शक हो गया है... वह लौट रहे हैं...
सीलु - क्या...
मिलु - हाँ... उन्हें शक हो गया है... जल्दी हमें उनके पीछे जाना पड़ेगा...
टीलु - हाँ... विश्वा भाई लोगों के पास हथियार भी नहीं है... जल्दी...

सीलु भी बिना देरी किए गाड़ी घुमाता है और एक्सीलेटर पर पैर दबा देता है l गाड़ी अब बिन्का रोड छोड़ कर रंगा और रॉय के पीछे जाने लगता है l बहुत दूर से ही सही मगर रंगा को अपने पीछे आती हुई आर्मोर्ड वीइकल दिख जाती है l

रंगा - रॉय बाबु... अपने सही पकड़ा... उस आर्मोर्ड गाड़ी में... विश्वा है ही नहीं... अब जो भी कोई है... वह हमारे पीछे आ रहा है..
रॉय - सबको बोलो... रेंज में आते ही... गोलीयों से भुन डाले..
रंगा - ऐ सुनो रे... हमारे चाहने वाले... हमारे पीछे आ रहे हैं... अपनी रेंज में इन्हें लो... और सब हरामीयों का तन्दूरी फ्राई कर दो...

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"जैसा कि हमें हमारी रिपोर्टर जो कि फिल्ड से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं कि जो पुलिस की गाड़ी थी उसमें एसटीएफ हेड डीसीपी सुभाष सतपती वीटनेस प्रोटेक्शन की कार्य को हाथ में लेकर अपने साथ कुछ गवाहों को बचा कर राजगड़ सीमा के बाहर जा चुके हैं l फिर भी उनके पीछे न्याय के दुश्मन बंदूक और बमों के साथ पीछे लगे हुए हैं l हम कोशिश कर रहे हैं एसटीएफ हेड श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने की l

हाँ हाँ.. हाँ तो दर्शकों हमारे टेक्निशियन श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने में सफल हो गए हैं l अभी कुछ ही देर में हम श्री सतपती जी को लाइव सुन पायेंगे, हाँ तो डीसीपी सुभाष जी क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं..
सुभाष - जी... जी..
सुप्रिया - डीसीपी सुभाष जी... ड्रोन कैमरा से... हम जो भी अब तक देखे हैं... वह बहुत ही भयाभय है... इस वक़्त आप कैसे हैं...
सुभाष - हम सुरक्षित हैं... क्यूँकी हम एक आर्मोर्ड वीइकल में हैं... इसलिए इस पर गोलियों का फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है..
सुप्रिया - हमारे सम्वाददाता कह रहे थे... यह एक वीटनेस प्रोग्राम है...
सुभाष - जी... जैसा कि आप जानती होंगी... गृह मंत्रालय ने... रुप फाउंडेशन केस में जो नया एसटीएफ बनाया था... उसमें मुझे प्रमुख बनाया गया था.. अपनी तहकीकात के दौरान... मैंने कुछ नए और छुपे हुए गवाहों को ढूंढ निकाला... मैंने उनकी डिक्लेरेशन बस किया था... और वीटनेस प्रोटेक्शन के तहत... सुरक्षा प्रदान करना चाहता था... पर रुप फाउंडेशन के शत्रुओं को खबर लग गई... इसलिए वे लोग हमारे ऊपर हमला कर मिटना चाह रहे हैं...
सुप्रिया - एक आखिरी प्रश्न... क्या आप गवाहों को... सुरक्षित कर... केस की समाधान करा पायेंगे...
सुभाष - आशा यही है... और प्रयत्न भी... बाकी जो भगवान की इच्छा...
सुप्रिया - लगता है... हमारा संपर्क कट गया है... फिर भी हमारे पास जो फुटेज उपलब्ध है... उसे देख कर... "

सारा राज्य टीवी पर प्रसारित हो रही न्यूज में पहली वाली रिकार्डिंग बार बार चल रहा था, उसे देख रहा था l उधर सीलु जितना करीब होता जा रहा था रंगा और रॉय के आदमी गोलियाँ बरसाने लगते हैं l ज़वाब में उदय और विक्रम काउंटर फायर करने लगते हैं l सामने से इतनी ज्यादा गोली बरस रही थी के आर्मोर्ड गाड़ी के विंड शील पर क्रैक्स आने लगते हैं l विंड शील बेशक बुलेट प्रूफ थी पर गोलियों के निशानों के क्रैक्स बढ़ते ही जा रहे थे l सामने से ग्रेनेड भी फेंका जा रहा था पर रेंज से बाहर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था l

उदय - उनकी अटेकिंग पोजीशन बढ़िया है... हमारा काउंटर... फ्रंट साइड... असरदार नहीं हो रहा है...
विक्रांत - हाँ... मैं भी महसूस कर रहा हूँ...
मील - अगर यह लोग इसी तरह से गए... तो एक आध घंटे में... विश्व भाई तक तो पहुँच भी जाएंगे...
सीलु - और यहाँ... विंडशील पर इतने क्रैक्स आ गए हैं कि... विजिबिलिटी कम हो रहा है...
टीलु - हम अगर आगे होते... (ट्रेंकुलाईजर्स को दिखा कर) इन सबका सही इस्तेमाल भी कर सकते थे...
विक्रम - (कुछ सोच कर) उदय बाबु... अपनी गूगल मैप के जरिए... कोई शॉर्ट कट ढूंढो... हमें हर हाल में इनके आगे रहना है...
सीलु - वैसे मैं एक शॉर्ट कट जानता हूँ... पर आप लोगों को कंफर्ट ना लगे...
विक्रम - भाड़ में जाए कंफर्ट... हमें विश्व और रंगा एंड रॉय कम्पनी के बीच में आना है...
उदय - पर अगर हमने रास्ता बदला तो... उन्हें शक नहीं हो जाएगा...
विक्रम - एक काम करो सीलु... इस बार ग्रेनेड के रेंज में चलो...
सील - समझ गया...

सीलु गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है l एक गाड़ी के पास आ जाता है l इस बीच विक्रम और उदय सीलु की गाड़ी को कवर फायर देने लगते हैं l जिसके कारण सबसे आखिर में जा रही गाड़ी के पास पहुँच जाते हैं l उस गाड़ी में से एक आदमी ग्रेनेड फ़ेंक मारता है l सीलु सावधान था, गाड़ी की स्टीयरिंग को ऐन मौके पर मोड़ देता है l जिसके वज़ह से ग्रेनेड गाड़ी से टकराने के बजाय दूसरी दिशा में सड़क पर फूटता है l जिसके शॉक वेव से गाड़ी हिल जाती है और उसी समय सीलु गाड़ी में ब्रेक लगा देता है l रंगा और रॉय को लगता है गाड़ी में कुछ डैमेज हुआ है जिसके वज़ह से गाड़ी रुक गई है l सबसे आखिरी वाले गाड़ी में जितने बंदे थे वह सब जश्न मनाने लगते हैं l उनकी गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी l पीछे आर्मोर्ड गाड़ी रुक गई थी l कुछ देर बाद सीलु गाड़ी घुमाता है और हाईवे के नीचे पगडंडी वाली रस्ते पर उतार देता है l गाड़ी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही थी गाड़ी उतनी ही ज्यादा झटके खा रही थी l पर सीलु पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ रहा था l सीलु गाड़ी भगाए जा रहा था l कुछ देर बाद हाईवे से दूर कच्ची पक्की सड़क पर पेड़ और जंगल के ओट में गाड़ी सरपट भाग रही थी l

विक्रम - तुम्हें इन सब रास्तों के बारे में कैसे पता...
सीलु - मैं दो साल यहाँ हर चप्पे-चप्पे को छान मारा हुआ है... हम उनसे पहले पहुँच जायेंगे...
विक्रम - तो हम कहाँ पहुँचेंगे...
सीलु - कुछ दूरी पर... महानदी ब्रिज आएगी... वह ब्रिज एक किलोमीटर लंबा है... उनसे पहले हम ब्रिज तक पहुँच जाएंगे...

विक्रम और कोई सवाल नहीं करता है l सीलु उन संकरी रास्तों पर गाड़ी को किसी गोली की तेजी से दौड़ा रहा था l कुछ ही मिंटो में ब्रिज तक पहुँच जाते हैं l जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर दौड़ने लगती है विक्रम टीलु को ट्रेंकुलाईजर्स को इस्तमाल करने के लिए कहता है l टीलु गाड़ी की फर्श की शटर को सरका कर सारे ट्रेंकुलाईजर्स को ऐक्टिव कर सड़क पर डालने लगता है l इस दौरान गाड़ी ब्रिज के अंतिम छोर पर पहुँच जाती है l सीलु गाड़ी को घुमा कर आढा कर गाड़ी को ब्रिज पर खड़ा कर देता है l टीलु वह ट्रेंकुलाईजर्स का एलसीडी और रिमोट लेकर उतर जाता है l गाड़ी के दोनों सिरे पर विक्रम और उदय पोजीशन ले लेते हैं l कुछ ही देर बाद रंगा और रॉय की टीम को आते हुए देखते हैं l उधर रंगा और रॉय के टीम की सभी गाड़ियां ब्रिज के दूसरे सिरे पर रुक जाती हैं l रंगा अपनी आँखे मलता है l

रॉय - लगता है... कोई शॉर्ट कट लेकर आए हैं...
रंगा - हाँ... अब क्या करें...
रॉय - (अपने साथियों की तरफ़ मुड़ता है) देखो... हमें आज... इन सबकी लाशों को... या तो लेकर जाना है... या फिर इन सबकी लाशों पर गुजर कर जाना है... दोनों ही सूरत में... पैसा है पैसा मिलेगा... बे हिसाब.. पैसा मिलेगा... तुम लोगों के लिए यह नया नहीं है... ऐसी हालात से... तुम लोग बहुत बार गुजरे हो... यह लास्ट टाइम है... सोच लो...

सभी लोग अपनी अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ने लगते हैं l टीलु तैयार था जैसे उसके एलसीडी में ट्रैक पर पॉइंट क्रॉस ओवर हुआ, टीलु रिमोट दबाता गया l चार पाँच गाड़ियां ब्रिज के ऊपर ही पलटने लगी l यह देख कर रंगा और रॉय हैरान होते हैं l जैसे ही पलटी हुई गाड़ी से लोग निकलने लगे उन्हें उदय और विक्रम उन्हें अपने निशाने पर लेकर ठोकने लगते हैं l यह देख कर रंगा चिल्लाता है

रंगा - सब अपनी अपनी गाड़ी के पास पोजीशन ले लो...

सभी गाडियों के ओट लेकर खुद को बचाने लगते हैं l रंगा काउंटर फायर करने लगता है l जिसके वज़ह से विक्रम और उदय की फायरिंग थोड़ी देर के लिए बंद हो जाती है l जिसके आड़ में रंगा और रॉय अपने लोगों को इकट्ठा कर सबसे पहले वाली गाड़ी तक पहुँच जाते हैं l अब उनके बीच तीस या चालीस मीटर की ही दूरी थी l एक दूसरे को एक दूसरे की पोजीशन के बारे में जानकारी भी थी l

विक्रम - (विश्व की दोस्तों से) एक काम करो... मैं और उदय... कवर फायर देते हैं... तुम लोग.. ब्रिज से उतर जाओ...
जिलु - नहीं विक्रम बाबु... हम आपको अकेले कैसे छोड़ दें..
विक्रम - समझा करो... यहाँ गन सिर्फ दो हैं... और हम छह... तुम लोगों को अगर कुछ हो गया... तो तुम लोगों के चक्कर में.. हम लोग भी फंस जाएंगे...
सीलु - तो एक काम कीजिए... यह गन आप मुझे दे दीजिए... और आप यहाँ से नीचे उतर जाइए...
विक्रम - शॉट अप... यहाँ तुम लोग मेरी जिम्मेदारी हो... ना कि मैं... अगर मेरी जिम्मेदारी हल्का करोगे... तो मैं... भी तुम लोगों के साथ... यहाँ से निकल सकता हूँ...
मीलु - नहीं...
उदय - देखो... यहाँ सेंटी होने से कुछ नहीं होगा... उस तरफ़ हर कोई... बंदूक से लैस है... और यहाँ हमारे पास सिर्फ दो...
विक्रम - देखो... तुम लोग जाओ... और हमें पाँच मिनट टाइम दो... फिर मिलकर... हम सब वापस जाएंगे...
सीलु - मगर...
विक्रम - देखो.. वह लोग भी कुछ प्लान बना रहे होंगे... और हम... हम सिर्फ वक़्त बर्बाद कर रहे हैं... इसलिए जाओ जल्दी से उतरो...

विक्रम फायर करता है, उसकी देखा देखी उदय भी फायर करता है l इसी एनगेजमेंट के दौरान ब्रिज से सीलु और उसके साथी उतर कर सड़क के किनारे आ जाते हैं l चारों एक दूसरे को देखते हैं और नीचे उतर कर ब्रिज के नीचे से दूसरे छोर की ओर भागने लगते हैं l नदी सुखी हुई थी l किन्हीं किन्ही जगहों पर पानी का बहाव था l जिसे अनदेखा कर चारों दोस्त ब्रिज के दूसरे छोर की जाने लगते हैं l ब्रिज के उपर फायरिंग चल रही थी l तभी किसीने एक ग्रेनेड फेंका था जो आर्मोर्ड वीइकल के पास फटता है l जिसके शॉक वेव के चलते दोनों उदय और विक्रम गाड़ी से झटका खाते हैं l यही मौका समझ कर दो तीन आदमी विक्रम का गाड़ी की ओर भागते हुए आते हैं तभी उन्हें उदय शूट कर देता है l विक्रम और सजग हो जाता है l उन्हें गिरता हुआ देख कर रंगा और दो लोगों को फायर करते हुए आगे बढ़ने के @लिए कहता है l वह दोनों वही करते हैं l इस बार विक्रम उदय को निशाना देने के लिए कहता है l उदय अपना निशाना देते हुए जब फायर करने लगता है तो उसकी मैग्ज़ीन खाली हो जाता है l तभी एक गोली आकर उसके जांघ पर लगती है पर तब तक विक्रम उन दोनों को टपका देता है l विक्रम उदय को खिंच कर गाड़ी के पीछे लाता है l विक्रम अपनी एक पोजीशन बना कर जिस गाड़ी के पीछे रंगा और रॉय छुपे हुए थे उसे ऑब्जर्व करता है l फिर छुप कर अपनी स्नाइपर गन से उस गाड़ी की फ्यूल टैंक को निशाना बना कर फायर करता है l निशाना एक दम सही लगा था l गाड़ी में धमाका होता है जिसके चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं और तितर-बितर हो कर सड़क पर बिछ जाते हैं l रंगा और रॉय की हालत भी ऐसी ही थी l धमाके के बाद विक्रम थोड़ा इंतजार करता है l कोई हल चल ना होता देख विक्रम बाहर निकलता है धीरे धीरे आगे बढ़ने लगता है कि तभी एक घायल आदमी विक्रम पर ग्रेनेड फेंकता है l विक्रम पीछे भागते हुए आर्मोर्ड गाड़ी के पीछे छलांग लगा देता है l धमाके से बाल बाल विक्रम बच जाता है पर थोड़ा घायल ज़रूर हो जाता है और उसका बंदूक भी छूट जाता है l जब तक सम्भल कर उठता है तो देखता है रंगा और रॉय तीन चार लोगों के साथ विक्रम के सिर पर खड़े थे l

रंगा - यह मैं क्या देख रहा हूँ... क्षेत्रपाल घर का चराग ही... घर को आग लगा रहा है...
रॉय - साला हम यहाँ विश्व के लिए आए थे... और यहाँ विकी बाबु हमें पोपट बना दिए...(विक्रम संभल कर पीठ टिकाए गाड़ी से टिक पर बैठ जाता है) अब इसका क्या करें...
रंगा - इसे... इसके बाप की जरूरत नहीं... इसकी बाप को... इसकी जरूरत नहीं... हमारी जरूरत के बीच आ गया... तो इसे मार ही देते हैं...
रॉय - हाँ... मार दे यार... मुक्ति दे दे... हमें थोड़ी देर के लिए सुकून मिल जाएगा... विश्वा को नहीं मार पाए... उसके बदले यही सही...

रंगा अपना पिस्टल निकालकर विक्रम पर जैसे ही निशाना लगाया ठीक उसी समय सीलु जिलु मीलु और टीलु पीछे से आकर इन पर छलांग लगा देते हैं l कुछ देर के लिए सही सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है l अब उनके बीच हाथापाई शुरू हो जाती है l इतने में विक्रम खुद को सम्भल कर रॉय पर टूट पड़ता है l थोड़ा सा ही हाथ पैर चलाने के बाद रॉय को घुटनों पर लाकर उसकी गर्दन को अपनी बाहों में कस लेता है l यह सब देख कर रंगा धीरे धीरे पोंछे खिसकने लगा था कि एक गोली उसके टांग पर लगती है l रंगा दर्द से बिलबिलाते हुए नीचे गिरता है l विक्रम को छोड़ कर सबका ध्यान वहाँ टिक जाता है, जहाँ से गोली चली थी l किसी का भी ध्यान घायल उदय की तरफ नहीं था l जब सब हाथापाई में गुत्थम गुत्था कर रहे थे तब उदय ने नीचे गिरी पड़ी गन उठा लिया था l अब रंगा नीचे पड़ा था और सभी उदय के निशाने पर थे इसलिए सब शांत हो गए पर विक्रम रॉय का गर्दन दबोच रखा था l यह देख कर सीलु अपने दोस्तों के साथ विक्रम से रॉय को बचाने की कोशिश करते हैं l पर तब तक रॉय का जिस्म ठंडा पड़ चुका था l उदय लंगड़ाते हुए विक्रम के पास आता है और उसे झिंझोडता है l जब रॉय का जिस्म कोई हरकत नहीं करता तब उसके बदन को विक्रम छोड़ता है l

सीलु - विक्की बाबु... यह क्या किया आपने...
विक्रम - यह मेरे इकलौते दोस्त... महांती का बदला था... जो इसने मृत्युंजय के साथ मिलकर मार डाला था... (गुर्राते हुए) अब रंगा...

तब तक रंगा भी सम्भल चुका था उसके हाथ में एक ग्रेनेड था l जब सब उसके तरफ़ देखते हैं तब वह ग्रेनेड से पिन निकाल चुका था l उदय अपना गन तान देता है l

रंगा - खबर दार... कोई आगे मत बढ़ना... मुझे अब... यहाँ से जाने दो... नहीं तो... मेरे साथ तुम लोग भी मरोगे...

सब वहीँ चकित खड़े हो जाते हैं l रंगा अपने लोगों को इशारे से बुलाता है l उदय किसी को भी नहीं रोकता l वह सब रंगा के पीछे खड़े हो जाते हैं l

विक्रम - अब क्या करोगे... तुम कितना दूर जा पाओगे... पीछे जाओगे तो हम तेरे रेंज से बाहर हो जायेंगे... पर तु हमारे रेंज में होगा... हम तुम सबको गोली मार देंगे...
रंगा - हाँ बात तो तुने सही कही... पर कोई बात नहीं... रॉय को क्यूँ मारा... मुझे समझ में आ गया... पर मुझे तु क्यूँ मारना चाहता है...
विक्रम - तुझे एक नहीं कई मौतें मारना चाहता हूँ... तु भूल गया... मेरी शुब्बु को... किडनैप कर छूने की कोशिश की थी... विश्व ने बचाया था... शुब्बु को...
रंगा - पर देर हो गई विक्रम... देर हो गई... विश्वा आज ना सही.. कभी भी मारा जाएगा... पर आज... तुम सब मारे जाओगे...

कह कर ग्रेनेड विक्रम की ओर उछाल देता है l विक्रम उदय सीलु मीलु सब पीछे भागते हुए वैन के ओट में जाकर नीचे कूदी लगाते हैं l ग्रेनेड फट जाता है गाड़ी को झटका लगता है जिससे गाड़ी कुछ फिट सरक जाता है l गाड़ी के पीछे जो ओट बना कर कूदी लगाए थे वह लो गाड़ी के चपेट में आ जाते हैं l विक्रम थोड़ा सावधान था इसलिए उसका स्नाईपर गन उसके हाथ लग जाता है l उधर रंगा और उसके साथी अपने गाड़ियों के पास भाग रहे थे l विक्रम गन उठता है एक एक को निशाने पर लेटे हुए फायर करने लगता है l चार बंदे गिर चुके थे l रंगा और बाकी तीन बंदे एक गाड़ी के ओट में आ जाते हैं l उन्हें वहाँ पर हथियार भी मिल जाते हैं l रंगा उन्हें विक्रम को रोकने के लिए कह कर पीछे जाने लगता है l इसलिए वे हथियार हाथ में लेकर विक्रम पर फायर करने लगते हैं l पर विक्रम निशाना ले चुका था l दो बंदे ढेर हो जाते हैं, और एक घायल हो जाता है l विक्रम जब उस कार तक पहुँचता है तीसरा बंदा ज़ख्मी हालत में छटपटा रहा था l विक्रम अपनी नजरें घुमाता है पर उसे रंगा नहीं दिखता है वह इधर उधर देखता है के तभी एक खंजर पीछे से उसके कंधे पर घुस जाता है l विक्रम पीछे मुड़ कर देखता है रंगा एक भद्दी हँसी हँस रहा था l रंगा खंजर को विक्रम के कंधे से निकलता है फिर विक्रम के कमर पर घुसा देता है l विक्रम चिल्लाता है पर अपना हाथ पीछे लेकर रंगा को पकड़ लेता है और उसे सामने खिंच कर लाता है l

रंगा - साले.. हरामी... कुत्ते... छोड़... छोड़ मुझे...

विक्रम अपनी कमर से खंजर निकाल कर रंगा के सीने में गाड़ देता है l रंगा छटपटाते हुए जमीन पर गिरता है l विक्रम भी धीरे धीरे गिरने लगता है l सीलु और उसके साथी भागते हुए विक्रम के पास पहुँचते हैं l
Bahut hi shandaar update hai bhai maza aa gaya


Agle update ka intezar rahega
 

Rajesh

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👉एक सौ चौंसठवाँ अपडेट
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कमरे में अंधेरा ज्यों का त्यों था l किसीने भी अब तक लाइट ऑन नहीं की थी l वह काला साया बल्लभ के सामने वैसे ही बैठा हुआ था l चाय का ट्रे लेकर तीसरा शख्स बल्लभ के सामने वाली टी पोय पर रख देता है l कमरे में चेहरा साफ दिखे उतना उजाला भले ना हो पर इतना अंधेरा भी नहीं था के तीनों का अक्स ना दिखे और चाय की केतली कप सब दिख रहे थे l तीसरा शख्स एक कप में चाय डाल कर बल्लभ को देता है l बल्लभ उसे अंधेरे में भी पहचानने की कोशिश करता है l

साया - अगर मुश्किल हो रहा है... तो लाइट ऑन कर दें...
बल्लभ - (चौंक कर) क्या...
साया - मुझे साफ महसूस हो रहा है... तुम परेशान लग रहे हो... और पहचानने की कोशिश भी कर रहे हो...
बल्लभ - (थोड़ा संभल कर) हाँ... मैं जानना तो चाहता हूँ... अगर तुम विश्व नहीं हो... तो मेरे सारे राज जानने वाले.. कौन हो...
साया - हाँ मैं विश्व नहीं हूँ... पर हम तीनों विश्व से ताल्लुक रखते हैं...
बल्लभ - क्या... मैं... मैं समझा नहीं....
साया - ठीक है... (चुटकी बजाता है) लाइट जला दो... अंधेरे का काम ख़तम... अब वकील साहब को मिलकर चलो उजाले की ओर ले चलते हैं...

जो शख्स रीवॉल्वर बल्लभ पर ताने खड़ा था l लाइट का स्विच ऑन करता है l अब कमरे में उजाला था बल्लभ सामने बैठे शख्स को देख कर चौंकता है l सामने सोफ़े पर डी सी पी सुभाष सतपती बैठा था l पीछे मुड़ कर देखता है उदय गन पकड़ कर स्विच बोर्ड के पास खड़ा था l और बगल वाली सोफ़े पर कांस्टेबल जगन बैठा था l

बल्लभ - ओ... तुम लोग हो...
उदय - लगता है... अंधेरे में बहुत भारी महसूस कर रहे थे... उजाले में हमें देखते ही हल्का महसूस करने लगे...
बल्लभ - शॅट अप... तुमने जो अनिकेत के साथ किया... मैं भुला नहीं हूँ...
उदय - बात तो ऐसे कर रहे हो... जैसे... उस सुअर की मौत से... किसी को कोई फर्क़ पड़ता था...
बल्लभ - (सोफ़े की आर्म रेस्ट को भिंच लेता है) यु...
उदय - येस.. इट्स मी... वह इंस्पेक्टर के भेष में... जिसके दम पर... सबका दोहन करता था... उन्हीं के हाथों उसका दहन हो गया... फ़िर तुम क्यूँ उसका दुख मना रहे हो... ना मारने वाला मैं था... ना ही जलाने वाला... वह जो कुछ भी हुआ... वह राजगड़ के भगवान राजा साहब के इच्छानुसार हुआ... हम तुम तो बस तुच्छ प्राणी थे...
बल्लभ - और अब... तुम मुझे फ़ंसाने आए हो...
सुभाष - फंसे हुए को क्या फ़ंसाना... राजा को डबल क्रॉस किया तुमने... हमने तो बस पता किया... और दोष हम पर मढ़ रहे हो...
बल्लभ - ठीक है... आई एपोलाइज... पर यह सब तुमने पता कैसे किया...
जगन - बे तु वकील है तो क्या हुआ... यह हमारे साहब हैं... और यह मत भूल... रुप फाउंडेशन के नए एसआईटी के चीफ हैं... अभी तु उनके सामने अपराधी है...
बल्लभ - (सुभाष से) अच्छी तैयारी के साथ आए हो... तुमने मुहँ खोला भी नहीं... और तुम्हारे आदमी टुट पड़ रहे हैं... (सुभाष मुस्करा देता है) मुझे मालूम था... मेरा यह राज.. एक दिन फास होगा... और इसे विश्व क्रैक करेगा... पर वह लगता है... चूक गया...
सुभाष - वह चुका नहीं है... पता असल में उसीने ही लगाया है... हम तो बस जरिया हैं...
बल्लभ - कैसे...
सुभाष - उसने जब रिट पिटीशन फाइल किया... तभी उसे तुम पर ही शक हो गया था... तुम भैरव सिंह के सभी ईलीगल को लीगल करते हो... इसलिए... उसीने हमें आईडिया दिया था.. तुम्हारे बैंक अकाउंट पर नजर रखने के लिए... तुम्हारे एक नहीं तीन तीन अलग अलग बैंक में अकाउंट है... पर एक ही बैंक के सेविंग अकाउंट में एटीएम कार्ड के जरिए.. कटक में विथड्रॉ हो रहा था... और उसी समय फोन बैंकिंग के जरिए... तुम राजगड़ और उसके आसपास पैसा विथड्रॉ कर रहे थे... आगे हमने कैसे ढूंढ निकाला कहने की जरूरत नहीं...
बल्लभ - (चुप रहता है)
सुभाष - वकालत करते हुए जब यशपुर में तुम भैरव सिंह से जुड़े... तुम्हारा काम देखने के बाद... भैरव सिंह ने तुम्हें अपना लीगल एडवाइजर रख लिया... और सालों से... तुमने उसका बखूबी साथ भी दिया... पर पेच तब आया... जब रुप फाउंडेशन करप्शन में तुम अनिल कुमार सुबुद्धी के बहन के संपर्क में आए... तुम शादी सुदा थे... फिर तुमने अपनी चाल चली... अपने बीवी बच्चों को एब्रॉड भेज दिया... यहाँ सुबुद्धी की
बहन प्रज्ञा को यकीन दिला दिया... के तुमने अपनी बीवी से तलाक ले लिया... और उसके साथ नाजायज संबंध स्थापित किया... रुप फाउंडेशन केस में...जब विश्वा.. खुल कर भैरव सिंह के खिलाफ आया... तब इस केस में.. जो भी कमजोर कड़ी थे... सबको रोणा के साथ मिल कर या तो गायब कर दिया... या फिर मरवा दिया... पर तुमने राजा साहब को... कंवींश कर सुबुद्धी भाई बहन को बचाए रखा... पर जैसे ही जयंत सर ने... जिरह के लिए... पाँच गवाहों की लिस्ट अदालत में पेश की... तुमने चालाकी से... सुबुद्धी भाई बहन को गायब कर दिया... गवाह दिलीप कुमार कर को बना दिया... उन्हें लाकर तुमने कटक में... श्रीधर परीड़ा की मदत से... नई पहचान के साथ... रखवा दिया... रोजाना गुजारा के लिए... अपना एटीएम कार्ड दे दिया... और कमाल की बात यह है कि... इस बात को तुमने... अनिकेत रोणा से छुपाए रखा... क्यूँकी वह औरतों के मामले में... नियत का फिसड्डी था... है ना...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिलाता है)

सुभाष - अब बारी श्रीधर परीड़ा की थी... वह जानता था... राजा खुद को पाक साफ रखने के लिए... किसी भी हद तक जा सकता था... इसलिए उसने तुम्हें खबर किया... और खुद को अंडरग्राउंड कर लिया... इसमें तुमने उसकी मदत भी की... क्यूँ सही कहा ना...
बल्लभ - (इस बार भी अपना सिर हाँ में हिलाता है) अगर यह आईडिया विश्व का है... तो वह सामने क्यूँ नहीं आया...
उदय - वह इसलिए... विश्व की हर हरकत पर... राजा अपनी आदमियों के जरिए नजर रख रहा है...
बल्लभ - नजर तो... नए एसआईटी ऑफिसर पर भी रखा हुआ है...
सुभाष - चिंता ना करो... मैं जिस तरह आया हूँ... राजा साहब का जासूस.. कंफ्यूज हो गया होगा...
बल्लभ - चलो... मैंने जैसा सोचा था... के विश्व ही मेरे राज खोज पाएगा... सो वही हुआ... पर विश्व ने इस बार थोड़ी देर कर दी है...
सुभाष - देर कर दी... कैसे... रुप फाउंडेशन केस को दोबारा खोलने के लिए अभी तो वक़्त मिला है...
बल्लभ - ऐसा तुमको लगता है... पर सच यह है कि... तुम लोगों के पास वक़्त कम है...
सुभाष - तुम कहना क्या चाहते हो...
बल्लभ - तुम तीनों... पुलिस वाले... मेरा अतीत व काला इतिहास लेकर आए हो... वज़ह मैं जानता हूँ... पर तुम लोग... विश्व को बुलाओ... दोनों ही केस में जो डील होगा... वह मैं विश्व से करूँगा...
सुभाष - ह्म्म्म्म... बात अगर किसी कंफेशन की है... तो विश्व इस वक़्त हमारी सारी बातेँ सुन रहा है...

इतना कह कर सुभाष अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर स्पीकर ऑन कर देता है और सामने की टी पोए पर रख देता है l

सुभाष - विश्वा...
विश्व - हाँ...
सुभाष - एडवोकेट प्रधान... तुमसे कुछ बात करना चाहता है...
विश्व - हाँ प्रधान बाबु... कहिये... क्या कहना चाहते हैं...
बल्लभ - विश्वा... मैं सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हूँ... बदले में तुमसे... मेरी और प्रज्ञा की जान की हिफाजत का वादा चाहता हूँ...
विश्व - मुझसे... यह वादा तो तुम... डीसीपी सतपती जी से भी मांग सकते थे...
बल्लभ - नहीं... जब तक भैरव सिंह... जैल नहीं चला जाता... या ख़तम नहीं हो जाता... मैं कानूनी मदत नहीं लेना चाहता...
विश्व - पर मैं इसमें... तुम्हारी क्या मदत कर सकता हूँ...
बल्लभ - वही मदत... जो इस वक़्त... तुम राजकुमारी जी की दोस्तों को दे रहे हो... मैं जानता हूँ... उनको राजगड़ से भेज कर और उन्हें भुवनेश्वर और कटक में अपनी प्रोटेक्शन में तुमने ही रखा है...
विश्व - प्रधान बाबु... आप भूल रहे हैं... मैंने राजा के डर से... अपनी माँ बाप को छुपा रखा है..
बल्लभ - जानता हूँ... पर एक बात यह भी है... राजा जिसे टार्गेट करता है... उसे हर हाल में... ख़तम कर देता है... राजा के आदमी और जासूस अभी भी... पुलिस और प्रशासन में हैं... मुझे इन सबके बाहर वाले आदमी पर भरोसा है...
विश्व - (चुप हो जाता है)
बल्लभ - देखो विश्व... यह वक़्त की नजाकत है... हम दोनों को एक दूसरे का साथ चाहिए...
विश्व - साथ... मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूँ... और क्यूँ लूँ...
बल्लभ - वह इसलिए... कुछ बातेँ मैं जानता हूँ... पर राजा साहब से बताया नहीं... बता देता... तो राजकुमारी जी की जान पर बन आती...
विश्व - अच्छा... ऐसी कौन सी बात तुम जानते हो... जो भैरव सिंह नहीं जानता...
बल्लभ - राजा साहब ने मुझे एक मोबाइल दिया है... और उसके मालिक को ढूंढने का काम दिया है... और मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ... इस मोबाइल का कोई मालिक नहीं.. मालकिन है... मैंने बताया नहीं... उनसे वक़्त लिया है...
विश्व - ह्म्म्म्म... मुझे एक बात कंफर्म करो... क्या राजकुमारी सही सलामत हैं...
बल्लभ - हाँ... हैं...
विश्व - चलो फिर... किया... वादा किया...
बल्लभ - ठीक है फिर... देखो दो दिन बाद... बड़े राजा जी की... चौथ की... पहली छोटी शुद्धि है... पर उससे पहले... भैरव सिंह के खिलाफ हमारी गवाही दिलवा दो... क्यूँकी... चौथ के दिन... और उसके बाद... भैरव सिंह को... हाथ लगाना... ना तुम्हारे बस की बात होगी... ना ही सिस्टम की... हाथ लगाना तो दूर... उन तक पहुँचना... मुश्किल हो जाएगा...

विश्व फोन पर और कमरे में मौजूद लोग एक साथ उछल पड़ते हैं - क्या....

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ब्रेकिंग न्यूज
आज सुबह तड़के श्री बीरजा किंकर सामंतराय अपने पैतृक घर पारादीप से पुरी जाते वक़्त रास्ते में उनके कार का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया l इस एक्सीडेंट में बीरजा किंकर सामंतराय गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं l सुना है कुछ दिनों से वह तनाव में थे l कुछ पहले अपनी बेटी व दामाद से मिलने राजगड़ गए हुए थे l उनके पत्नी के कहे अनुसार उनकी बेटी शुभ्रा सामंतराय गर्भवती हैं और हाल ही में उनके ससुराल के साथ उनका संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहा है l इसी वज़ह से भगवान जगन्नाथ जी के पास माथा टेकने और अपनी बेटी दामाद और गर्भ में पल रहे शिशु की सलामती के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे l सुबह चार बजे का समय था इसी वक़्त एक्सीडेंट हो गया है l उन्हें तुरंत कैपिटल हास्पिटल को ले जाया गया है l डॉक्टर उनकी हालत को स्थिर बता रहे हैं और हर एक घंटे के बाद उनकी स्वास्थ की बुलेटिन हस्पताल के द्वारा जारी किया जाएगा l

टीवी पर यह ख़बर सुनते ही वैदेही गौरी को दुकान पर बिठा कर शुभ्रा से मिलने चली जाती है l वहाँ पहुँच कर देखती है विश्व और उसके दोस्त वहाँ पर मौजूद हैं l शुभ्रा रो रही है और उसे सुषमा दिलासा दे रही है l विक्रम और पिनाक हाथ बांधे बैठे हुए थे l जब वहाँ वैदेही पहुँचती है तो शुभ्रा उसे देखते ही गले जा लगती है l वैदेही भी उसे गले लगा कर सहारा देती है l

वैदेही - रो मत... रो मत... सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - पापा हम सबसे मिलने आए थे... पर...
वैदेही - श् श् श्... कहा ना सब ठीक हो जाएगा... (विक्रम की ओर देख कर) क्या फैसला किया है...
विक्रम - जाने का फैसला किया है... मैंने प्रताप से बात की... थोड़ी देर के बाद... गाड़ी आ जाएगी...
वैदेही - अच्छा किया...
विक्रम - पर मैं एक असमंजस में हूँ...
वैदेही - कैसी असमंजस...
विक्रम - पता नहीं... लोग क्या कहेंगे... मैं अपने दादा जी के अंत्येष्टि के लिए नहीं गया... पर... अपने ससुर जी के...
वैदेही - तुम लोगों की नहीं... अपनी दिल की सुनो... तुम्हारे आँखों से जब आँसू बहेंगे... उसे पोंछने तुम्हारा या तुम्हारे अपनों का ही हाथ उठेगा... इसलिए ज़माने की मत सोचो...
विश्व - मैं भी यही बात... कब से समझा रहा था...
पिनाक - आप ठीक कह रही हैं वैदेही जी...

एक गाड़ी आती है l विश्व और वैदेही सबको बिठा देते हैं l विक्रम और विश्व गाड़ी से कुछ दूर जाते हैं कुछ बातेँ करते हैं फिर हाथ मिलाते हैं l यह सब वैदेही देख रही थी l विक्रम आकर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी फिर वहाँ से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो जाती है l गाड़ी आँखों से ओझल होने के बाद वैदेही कुछ सोचते हुए बरामदे पर बैठ जाती है l विश्व अपने दोस्तों को देखता है और आँखों से कुछ इशारा करता है l वे लोग भी अपना सिर हिला कर वैदेही को टाटा बाय बाय कर वहाँ से निकल जाते हैं l विश्व और टीलु दोनों आते हैं और वैदेही के पास बैठ जाते हैं l

वैदेही - विशु...
विश्व - हाँ दीदी...
वैदेही - यह विक्रम उतना दुखी नहीं लग रहा था... जितना होना चाहिए...
विश्व - नहीं ऐसा कुछ नहीं है दीदी... मर्द थोड़े ना अपना दर्द... यूँही सबके सामने लाते हैं..
वैदेही - अब तु मुझसे झूठ बोलेगा...
विश्व - (चुप हो जाता है)
वैदेही - तु किसी को भी... बना ले... पर मुझे बना नहीं सकता... तेरी रग रग से वाकिफ हूँ... अब तु मुझे सब सच सच बता...
विश्व - ठीक है दीदी... (विश्व सब कुछ कहने लगता है जो उसे बल्लभ से पता चला था) दीदी... उससे ही मालुम हुआ... भैरव सिंह को फोन तो मिल गया था... और उसे राजकुमारी जी पर शक भी है... पर उसका और राजकुमारी जी का रिश्ता उस मोड़ पर पहुँच चुका है कि... बिना सबूत के जलील होना नहीं चाहता... इसलिए बल्लभ प्रधान को दो दिन की मोहलत दी है उसने...
वैदेही - तो अब प्रधान कहाँ है...
टीलु - हमारे ही हिफाजत में दीदी... हमने उसे रातों रात साथ ले लिया और हमारी खास जगह पर छुपा दिया...
वैदेही - ह्म्म्म्म... पर चौथ के दिन ऐसा क्या होने वाला है...
विश्व - यह मैं नहीं जानता... पर प्रधान का कहना है कि... राजा का अपने यहाँ के गुर्गों.. और सेक्यूरिटी वालों पर भरोसा उठ गया है... वह एक प्राइवेट आर्मी हायर किया है... वह आर्मी दो दिन में आने वाली है... उससे पहले... हमें गवाहों से उन जजों के सामने गवाही दिलवाना है... उसके बाद... करप्शन.. मैनीपुलेशन... मर्डर... और टेरर जितने भी चार्जेस है लगा कर... हर हाल में गिरफतार करवाना है...
वैदेही - गवाही तो कटक में भी ली जा सकती है...
विश्व - हाँ दी जा सकती है... पर जिन केसेस के लिए... स्पेशल कोर्ट बना है... स्पेशल टास्क फोर्स बना है... वहाँ पर उनकी गवाही मायने रखती है... सीधे कटक में गवाही कराना... उसके लिए कुछ कानूनी पचड़े हैं... और दीदी... अभी भी सिस्टम में कुछ लोग हैं... जो भैरव सिंह के लिए काम कर रहे हैं... डीसीपी सतपती... होम मिनिस्ट्री के थ्रु... परमिशन ग्रांट करवायेंगे... उसके बाद... हम उन तीन गवाहों को... सोनपुर ले जाएंगे... जजों के सामने गवाही दिलवायेंगे...
वैदेही - तुझे यह सब... आसान लगता है...
विश्व - बिल्कुल नहीं... बिल्कुल भी नहीं... अगर आसान होता... तो मैं खुद उन गवाहों को लाने गया होता... मैं नहीं गया... इसलिए गवाहों को लाने विक्रम को भेजा है...
वैदेही - (चौंकती है) क्या... विक्रम... तो क्या... वह एक्सीडेंट...
विश्व - (एक पॉज लेकर) नहीं हुआ है...
वैदेही - (जैसे झटका खाती है) क्या...
विश्व - दीदी... कल रात... जब... सुभाष बाबु... सारी जानकारी फोन पर मुझे दी... तब रात को ही.. मैं विक्रम से मिलने आ गया था... उसे सारी बातें बता कर... अपने प्लान में शामिल कर लिया... वह तैयार भी हो गया... कल रात मेरी ही फोन से... विक्रम अपने ससुर से बात की... और सतपती जी... सुप्रिया से...
वैदेही - और आज... सुप्रिया के वज़ह से... सुबह सुबह पुरे स्टेट को न्यूज से मालूम हुआ... कि बीरजा किंकर सामंतराय का एक्सीडेंट हो गया...
विश्व - हाँ... भैरव सिंह के आदमी... मेरे और सतपती जी के पीछे लगे हुए हैं... और हम पर बराबर नजरें जमाए हुए हैं... इसलिए गवाहों को लाने का काम... सिर्फ विक्रम ही कर सकता था... बाकी कागजाती कामों के लिए... सुभाष बाबु अलग से भुवनेश्वर गए हैं...
वैदेही - ठीक है... मतलब तुम्हारे हिसाब से... एसटीएफ गवाहों का डिक्लेरेशन कराएगा... जिसे होम मिनिस्ट्री अप्रूव् करेगी... उसके बाद... उनकी गवाही मान्यता होगी... पर क्या तब तक... भैरव सिंह को पता नहीं चल जाएगा...
विश्व - हाँ... चल जाएगा... जैसे ही गवाहों का डिक्लेरेशन होगा... उसे खबर लगेगी... पर उसे यह लगेगा कि गवाहों को.... अगले सुनवाई के दिन बाद पेश किया जाएगा... और इस बीच... वह गवाहों को ना सिर्फ गवाही से रोकने की कोशिश करेगा... बल्कि... ख़तम भी करने की कोशिश करेगा...
वैदेही - और तु कह भी रहा है... वह कोई प्राइवेट आर्मी ला रहा है.. पर क्यूँ... किसलिए... क्या कोई जंग छेड़ने वाला है...
विश्व - हाँ शायद... अभी उसके लोगों ने हमसे सिर्फ हार देखी है... शायद इसीलिए बाहर से प्राइवेट आर्मी ला रहा है...
वैदेही - सिर्फ हमसे लड़ने के लिए...
विश्व - शायद हाँ... क्या पता... शायद सिस्टम से भी... (वैदेही के हाथ पर अपना हाथ रखकर) दीदी... हम उसे छकायेंगे... हमने पूरी प्लान कर रखा है... तुम घबराओ मत... इस बार उसकी कोई भी चाल कामयाब नहीं होगी...

तभी विश्व का फोन बजने लगता है l जेब से फोन निकाल कर देखता है इंस्पेक्टर दास डिस्प्ले हो रहा था l विश्व फोन उठा कर बात करने लगता है, पर वैदेही के कानों में कुछ घुस नहीं रहा था क्यूँकी विश्व के सारे खुलासे के बाद वैदेही थोड़ी चिंतित हो गई थी l

विश्व - (फोन बंद कर, वैदेही की ओर देखता है) दीदी... तुम अपने भाई पर भरोसा रखो.. किस्मत भैरव सिंह का जितना साथ देना था दे दिया... अब और नहीं... हाँ थोड़ा खतरा तो है... पर अगर हम उसके आर्मी के आने से पहले कामयाब हो गए... तो यह गाँव और इंसाफ़... दोनों बच जाएंगे... अच्छा मैं थोड़ा इंस्पेक्टर दास से मिलने हास्पिटल जा रहा हूँ... उन कांस्टेबलों को देख भी लूँगा... और कल परसों के लिए प्लान भी बना लूँगा... (विश्व जाने लगता है तो पीछे से वैदेही आवाज देती है)
वैदेही - विशु... (विश्व मुड़ कर देखता है) क्या गाँव वालों के ऊपर भी खतरा हो सकता है...
विश्व - दीदी... भैरव सिंह इस वक़्त... एक घायल दरिंदा है... बेशक हमारे पीछे उसके लोग आयेंगे... पर गाँव वालों की सुरक्षा भी तो.... मुझे... निश्चित करना पड़ेगा... आ रहा हूँ...

यह बात कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l वैदेही को अब खतरे का अंदेशा हो रहा था l वह थोड़ी बैचैन होने लगती है l पास बैठा टीलु वैदेही की हालत पर गौर कर रहा था l

टीलु - दीदी... तुमसे एक बात पूछूं...
वैदेही - हाँ पूछ...
टीलु - तुम... अभी... मल्लिका के बारे में सोच रही हो ना...
वैदेही - (कोई जवाब नहीं देती पर सवालिया नजर से टीलु को देखती है)
टीलु - तुम इस बारे में... विश्वा भाई से बात क्यूँ नहीं करती...
वैदेही - विशु... का लक्ष... सिर्फ एक ही है... उसे यह काम इसी दो दिन में साधना है... वैसे भी... राजा का कहर... चौथ के दिन टुटेगा... तब तक अगर विशु कामयाब हो गया... तो राजा सलाखों के पीछे होगा...
टीलु - बुरा ना मानना दीदी... अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो...
वैदेही - विशु ने अभी कहा ना... वह गाँव वालों की सुरक्षा का प्रबंध करने... इंस्पेक्टर दास से मिलने गया है... पुलिस भी हमारे साथ होगी उस दिन... (इस बार टीलु वैदेही को सवालिया नजर से देखता है) देख... कुछ भी हो जाए... विशु से इस बात का जिक्र भी मत करना... मैं नहीं चाहती... उसके लक्ष में... कुछ भी... कोई बाधा आए... उसे अर्जुन की तरह अपनी लक्ष को भेदना है... यहाँ अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो मैं और पुलिस वाले संभाल लेंगे... (वैदेही बरामदे से उतरती है और जाने लगती है फिर अचानक मुड़ती है) टीलु... जो मेरे साथ हुआ... वह किसी के साथ नहीं होगा... मैं रक्षा करुँगी... मल्लि और उसके जैसे लड़कियों की... भैरव सिंह ना विश्वा से जीत पाएगा... ना वैदेही से... उसकी हार तय है... विधाता ने लिख दिया है... यही उसकी नियति है...

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अगले दिन
गौरी तैयार होकर कमरे से निकल कर बाहर आती है, देखती है वैदेही आज दुकान नहीं खोला था l एक कोने में वैदेही अपनी कुर्सी पर अपने में खोई हुई बैठी थी l गौरी देखती है वैदेही अंदर से बहुत बैचैन दिख रही थी l गौरी वैदेही से सवाल करती है

गौरी - वैदेही...
वैदेही - (ध्यान टूटती है) हूँम्म्म...
गौरी - आज क्या हो गया है तुझे... कहाँ खोई हुई है...
वैदेही - कहीं नहीं काकी... बस ऐसे ही...
गौरी - क्यों झूठ बोल रही है... देख ग्राहक दुकान देख कर लौट रहे हैं... तूने अबतक दुकान नहीं खोला... क्यूँ... क्या चिंता तुझे खाए जा रही है...
वैदेही - कुछ नहीं काकी... बस मन थोड़ा बैचैन है...
गौरी - (उसके पास बैठ जाती है) अब बोल... तुझे आज से पहले इतना बैचैन.. इतना परेशान कभी नहीं देखा...
वैदेही - बात ही कुछ ऐसी है काकी... (वैदेही अपनी जगह से उठती है और दुकान की दरवाजे पर खड़े हो कर गाँव की तरफ देखते हुए) एक आस पर... उम्मीद डगमगा रहा है.. क्या पीढियों से गुलाम... इस गाँव का भाग्य बदलने वाला है...
गौरी - पता नहीं बेटी... पर बदलेगा जरूर... (वैदेही मुड़ कर गौरी को देखती है) हाँ बेटी... बदलेगा जरूर... अब मुझे यकीन हो चला है... यकीन तब भी नहीं हुआ था... जब गाँव वाले महल से उल्टे पाँव लौटने के बजाय... राजा की ओर पीठ कर लौटे थे... पर अब यकीन हो रहा है... महल में बड़े राजा की मौत के बाद भी... कंधा देने तो दूर... किसी ने भी... महल जाकर दुख भी नहीं जताया... उल्टा... शुकुरा और भूरा के पीछे बड़े राजा के नाम पर धूल उड़ाए हैं... यह आक्रोश... पीढ़ियों से दबी हुई थी... अब बाहर निकल रहा है...
वैदेही - पर राजा अभी कमजोर नहीं हुआ है... पता नहीं इस बात का... राजा पर क्या असर हुआ होगा... कहीं उसने पलटवार किया... तब... तब क्या होगा...
गौरी - भीमा.. उसके गुर्गे... एक नहीं कई बार... विश्व के हाथों धूल चाट चुके हैं... यह देख देख कर.. जो भी डर था लोगों के मन में... सब गायब हो गया है... और अब... अब तो गाँव की पुलिस भी राजा के साथ नहीं है...
वैदेही - हाँ पुलिस राजा के साथ नहीं है... पर क्या... हमारे साथ है... या होगा...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...

वैदेही गौरी को बताती है कि कैसे विक्रम को गायब हुए गवाहों को लाने के लिए विश्व ने सपरिवार भेज दिया है, और राजा की एक प्राइवेट आर्मी कभी कभी भी पहुँचने वाली है l

गौरी - क्या... (भय के साथ) राजा ने... बाहर से एक फौज बुलाई है...
वैदेही - हाँ काकी...
गौरी - क्या तुमने विशु से बात की...
वैदेही - विशु... आधी रात को ही... टीलु को लेकर यशपुर चला गया है...
गौरी - आधी रात को...
वैदेही - हाँ.. जाने से पहले... मुझसे इजाजत लेने आया था.. राजा की फौज आने से पहले... वह सरकारी सुरक्षा राजगड़ को मुहैया कराने की कोशिश करेगा... इसीलिए जल्दबाजी में रात को निकल गया...
गौरी - भगवान करे... वह कामयाब रहे... गनीमत है... राजा ने रस्म के नाम पर... किसी को उठाया नहीं...
वैदेही - मुझे इसी बात की चिंता है... अभी महल की पहरेदारी पुख्ता है... पुलिस को राजा औकात दिखा चुका है... इसी दौरान.. अगर कुछ... (वैदेही आगे कुछ कह नहीं पाती)
गौरी - तो तुने... विशु को जाने क्यूँ दिया...
वैदेही - विशु को मैंने इस बारे में कुछ बताया नहीं... हाँ टीलु रुकना चाहता था... मैंने ही उसे चुप करा कर विशु के साथ भेज दिया...
गौरी - (कांपती आवाज में) तेरी बातेँ सुन कर लगता है... अगर राजा किसी को उठवा कर महल ले गया... कोई भी उसे बचाने महल जा नहीं पाएगा... पुलिस भी नहीं...
वैदेही - हाँ... अगर महल ले जा सके तो...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...
वैदेही - काकी... विशु आने तक... मैं जिन लड़कियों के बारे में जानती हूँ... उन्हें राजा की आदमियों के नजर से छुपा रखूंगी... कम से कम.. महल तक तो... ले जाने नहीं दूंगी...
गौरी - विशु कब तक आ जाएगा...
वैदेही - कल रात तक... या फिर परसों सुबह तक...
गौरी - इस बीच कुछ हुआ तो...
वैदेही - जो भी होगा कल ही होगा...
गौरी - तुझे कैसे पता...
वैदेही - क्यों कि राजा ने... इंस्पेक्टर दास से वादा किया है... बड़े राजा की मौत की चौथ का मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा...

इतना कह कर वैदेही चुप हो जाती है l गौरी आने वाले पल की अंदेशा करते हुए बैचैन होने लगती है l तभी दोनों के ध्यान तोड़ते हुए वैदेही के सामने वाली चौराहे पर आठ दस गाड़ियों का काफिला गुजरती है l सभी गाडियाँ सफेद रंग के थे l जिस अनुशासन से गाडियाँ गुजरी वैदेही को समझ आ जाती है कि कोई सरकारी मंत्री राजगड़ आया हुआ है l वैदेही अपनी दुकान से निकल कर बाहर आती है और गाड़ियों की काफिलों को महल की ओर जाते हुए देखती है l यह गाडियों की काफिला राज्य की होम मिनिस्टर का था l सारी गाडियाँ लाइन से राजगड़ महल के मुख्य फाटक के सामने रुक जाती है l होम मिनिस्टर के गाड़ी से एक अधिकारी उतर कर फाटक पर तैनात एक पहरेदार से कुछ बातेँ करता है l उसके बाद पहरेदार फाटक खोल देता है, सभी गाडियाँ महल की परिसर में आजाती है l गाड़ी से होम मिनिस्टर उतरता है l तब तक भैरव सिंह को खबर हो चुकी थी वह भी बाहर आजाता है और कॅरीडर पर खड़े होकर होम मिनिस्टर का इंतजार करता है l

होमी - नमस्ते राजा साहब... (कहते हुए सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के पास पहुँचता है)
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आइए... आपके आने की अपेक्षा तो थी... पर... आज नहीं...
होमी - हाँ या तो... चौथ को... यानी कलआना चाहिए था... या फिर तेरहवीं पर... पर आया हूँ तो अकारण नहीं...
भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - मंत्री जी के साथ आए लोगों को... दिवान ए आम हॉल में आवभगत करो..
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आज आप हमारे खास अतिथि हैं...

होम मिनिस्टर और भैरव सिंह महल के अंदर जाने लगते हैं l अंदर घुसते ही भैरव सिंह सवाल करता है

भैरव सिंह - आप अकारण नहीं आए हैं... तो कारण बताइए..
होमी - राजा साहब... आपको तो अपने समधी जी की खबर मिल चुकी होगी...
भैरव सिंह - हाँ... फोन पर नहीं... न्यूज पर मिल चुकी है... हम जा नहीं सके... कारण तुम समझ सकते हो...
होमी - राजा साहब... आपके समधी जी ने ऐसा कुछ किया है कि... मुझे चौथ से पहले आना पड़ा...

दोनों ड्रॉइंग रुम में पहुँचते हैं l होम मिनिस्टर ठिठक जाता है l भैरव सिंह उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और खुद एक कुर्सी पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - मंत्री जी... बेहतर होगा... आप ज्यादा भूमिका बनाने के बजाय... सीधे मुद्दे पर आए... और मेरे समधी जी ने ऐसा क्या कर दिया है... जिसके कारण आपको यहाँ आना पड़ा...
होमी - बताता हूँ राजा साहब... आप तो जानते हैं... सामंतराय बाबु... कभी हमारी पार्टी की सर्वेसर्वा हुआ करते थे... इसलिए जब उनके एक्सीडेंट के बाद कैपिटल हास्पीटल में जॉइन होने की खबर मिली... हम मुख्यमंत्री जी के साथ उनसे मिलने... हस्पताल गए... और सामंतराय को जैसे हमारा ही इंतजार था... हमें... फंसा दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... हम सुन रहे हैं... बोलते जाइए...
होमी - उन्हें पहले से अंदाजा था... मैं और मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने जाएंगे... हम लोग हाथ में गुलदस्ता लिए... उनसे उनके कमरे में मिले... गलती यह हो गई के हम साथ में मीडिया लेकर गए थे... कमरे में मीडिया के सामने उनसे हाल चाल पूछ रहे थे... तभी डीसीपी सतपती एक फाइल लेकर पहुँचा... तब सामंतराय जी ने कहा कि उन्होंने ही डीसीपी सतपती को बुलाया है... और होम मिनिस्टर होने के नाते... डीसीपी के लाए फाइल पर दस्तखत करने के लिए कहा...
भैरव सिंह - (भौंहे तन जाती हैं) कैसी फाइल...
होमी - यह सवाल मैंने भी पूछा...
तब डीसीपी ने कहा कि... रुप फाउंडेशन के दो प्रमुख गुमशुदा गवाह मिल गए हैं... और सबसे अहम... राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुए आर्थिक घोटाले का सबसे बड़ा सबूत और गवाह डिक्लेरेशन...
भैरव सिंह - गवाह... कौन हैं वह गवाह...
होमी - (एक फाइल निकाल कर टेबल पर रख देता है) वह आपके आस्तीन में पलते थे... आप ही देख लीजिए...

भैरव सिंह फाइल को लेकर एक के बाद एक कई पन्ने पलट कर देखता है l हर एक पन्ना देखने के बाद फाइल टेबल पर रख देता है और होम मिनिस्टर से पूछता है

भैरव सिंह - जो हुआ... जो भी हुआ... उसकी कानूनी पहलु के बारे बताइए...
होमी - आप नाम देख कर चौंके नहीं...
भैरव सिंह - हम इतना चौंक चुके हैं कि अब इस तरह की झटके... हमें और चौका नहीं रहे हैं... हमें बस इसकी कानूनी वैधता और क्या कर सकते हैं कहिये...
होमी - इसमें... तीन नाम हैं... अनिल कुमार सुबुद्धी... श्रीधर परीड़ा... और बल्लभ प्रधान... अब चूँकि... अदालत स्थगित है... और यह दोनों केस... होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आते हैं... इसलिए जो भी नए गवाह जुड़ें... उनकी डिक्लेरेशन होम मिनिस्ट्री में किया जाता है और उन्हें वीटनेस प्रोटेक्शन में लेकर... सुरक्षा में रखा जाता है...
भैरव सिंह - तो.. क्या यह तीनों भुवनेश्वर में हैं...
होमी - नहीं... यहीँ पर गेम हो गया है राजा साहब... इस केस में वीटनेस प्रोटेक्शन का भी इनचार्ज डीसीपी सतपती है... उसका भी अपना स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसिजर है... प्रधान शायद यहीँ कहीं है... डीसीपी ने... सुबुद्धी और परीड़ा को भुवनेश्वर से गायब कर दिया है और वह रातों रात यशपुर लौट आया है... पर अकेला...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - जैसे ही यह सब हुआ... मुख्य मंत्री जी ने... मुझे आपको आगाह करने के लिए भेज दिया... बड़े राजा जी के मृत्यु पर सम्वेदना व्यक्त करने...
भैरव सिंह - अभी तो अदालत स्थगित है... है ना...
होमी - स्थगित तो है... पर अगर इमर्जेंसी की हालात हो... तो अदालत आधी रात को... छुट्टी के दिन भी खुल सकती है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अब हम... बात को पूरी तरह से समझ गए...
होमी - हाँ राजा साहब... हमें आपके समधी जी ने बुरी तरह से फंसा दिया... मीडिया सामने थी... और इलेक्शन भी आने वाली है... इसलिये... मजबूरी में... हमने मीडिया के सामने फाइल पर दस्तखत कर दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - हाँ राजा साहब... मुख्य मंत्री जी ने इसी कारण मुझे यहाँ भेज दिया... अब आप अपनी ताकत लगा कर कुछ किजिए... (भैरव सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है) राजा साहब... सरकारी तौर पर हमसे कोई मदत नहीं हो पाएगा... पर आप जो भी करेंगे... हम आपके साथ हैं...
भैरव सिंह - कल चौथ है... आप अपने कारवाँ के साथ... रंग महल में रुक जाइए... जो भी करना है... हम करेंगे... (आवाज देता है) भीमा...
भीमा - (भागते हुए आता है) आज मंत्री जी ने... हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है... इन्हें रंग महल ले जाओ...
होमी - (अपनी कुर्सी पर उठते हुए) आपकी आतिथेयता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राजा साहब... पर मुझे इजाजत दिजिए... मैं भले ही मुख्यमंत्री जी की वार्ता लेकर आया हूँ... पर आया तो सरकारी गश्त में...
भैरव सिंह - सरकारी गश्त में... अगर आप सरकारी गश्त में हैं... तो लोकल पुलिस कहाँ है...
होमी - जी खबर कर दी गयी थी... अचानक गश्त थी... और वह आईआईसी अपने दो साथियों के साथ...मेडिकल में है... आपको इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी था... इसलिए बिना लोकल पुलिस के हम यहाँ आ गए...
भैरव सिंह - (होम मिनिस्टर के साथ बाहर की ओर जाते हुए) अच्छा किया... आपने हमें आगाह कर दिया... इसका इनाम तो बनता है... इसलिए हम दरख्वास्त करते हैं... आप और आपके कारिंदे... आज की रात रंग महल में विश्राम करें.. कल की छोटी शुद्धि के बाद.. आप चले जाइएगा...
होमी - नहीं राजा साहब... आपसे यह सौजन्य मुलाकात थी... कल आकर औपचारिक मुलाकात करूँगा... तब तक... मैं यशपुर में... आईवी में रुकूंगा...

कहते कहते जब होम मिनिस्टर बाहर कॉरीडोर में आता है तो देखता है उसके सभी सुरक्षा कर्मि घुटनों पर बैठे हैं और राजा साहब के लोग उन पर बंदूक ताने खड़े हुए हैं l होम मिनिस्टर यह सब देख कर चौंकता है, भीमा अपना खुखरी होम मिनिस्टर के पीठ पर लगा देता है l

होमी - यह... यह क्या है राजा साहब...
भैरव सिंह - पिछली बार भी तुमने हमारी बेकद्री की थी... तब अपने ही जुते से... अपने गाल पर सीकाई की थी...
होमी - पर इस बार तो मैंने कोई बेकद्री नहीं की है... आपको सबूतों के साथ... आगाह किया है..
भैरव सिंह - बे मादरचोद... यह आज हम जिस मुकाम पर पहुँचे हैं... इसके पीछे गलीच... तु ही है... तूने हमसे बदला लेने के लिए... हमारे खिलाफ... हमारे दुश्मनों को लामबंद किया और उनकी मदत की... जब तुझे लगा तेरा पलड़ा हमारी बराबर हो गई... तब तु हमारे बराबर बैठने आ गया...
होमी - र.. राजा साहब...
भैरव सिंह - चुप... तुने हमें बेबस लाचार करने की कोशिश की... कामयाब भी रहा... जश्न तो बनता है ना... इसलिए जश्न रंग महल में मनेगी... तुझे क्या लगता है.. तु यहाँ कैसे आया... कल जब चीफ मिनिस्टर के सामने साइन किया... उसके बाद चीफ मिनिस्टर ने हमें फोन पर सारी बातें इंफॉर्म कर दी थी... उसके और हमारे बीच एक डील हुआ था... हम रुप फाउंडेशन और राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के केस को... हमारी तरीके से क्लॉज करेंगे... और तुझे... तेरी मुकम्मल अंजाम तक पहुँचाएँगे...
होमी - नहीं... नहीं राजा साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं होम मिनिस्टर हूँ... अगर मुझे कुछ हुआ... तो आप भी...

इससे पहले कि होम मिनिस्टर अपनी बात पूरी कर पाता भीमा होम मिनिस्टर के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ देता है l

भैरव सिंह - मेरे आदमी का यह चांटा... इस बात का सबूत है... के तु कभी हमारे बराबर नहीं हो सकता... बड़े राजा जी की चौथ का मातम... हम तुम्हारे साथ ही मनाएंगे मंत्री... इसलिए जाओ... पहले रंग महल में आराम करो... जाओ...

भीमा होम मिनिस्टर को धक्का देते हुए नीचे ले जाता है l वहाँ पर होम मिनिस्टर के सभी सुरक्षाकर्मियों को भैरव सिंह के आदमी रंग महल की ओर ले जाते हैं l इतने में रंगा और रॉय आते हैं और वह लोग विशेष प्रकोष्ठ में आते हैं l

रॉय - राजा साहब... लगता है आपने हमें किसी खास काम के लिए बुलाया है...

भैरव सिंह कोई जवाब नहीं देता, एक किताबों वाली अलमारी के पास आता है और उसका दरवाजा खोलता है l अलमारी के दरवाजे पर लगी एक बोर्ड पर कुछ नंबर पंच करता है l एक दीवार सरक जाती है l दीवार के पीछे नोटों का पहाड़ था l जिसे देख कर रंगा और रॉय के आँखे हैरान और शॉक से फैल जाती हैं l

भैरव सिंह - एक काम है... आखिरी.... अगर पूरा करने में कामयाब हो गए... तो आने के बाद... इस कमरे में मौजूद सारे पैसे तुम्हारे...
रॉय - (आँखों में चमक आ जाती है) तो फिर हुकुम कीजिए राजा साहब...
भैरव सिंह - अभी के अभी यशपुर... जितने आदमी हो सके लेकर जाओ.... विश्व... और उसके साथ जो भी दिखे सबको खत्म कर आओ...
रंगा - विश्व... यशपुर में...
भैरव सिंह - हाँ... वह अभी राजगड़ में नहीं है... वह यशपुर में है... उसे ढूंढो... उसे और उसके पास... उसके साथ जो भी दिखे... सबको खत्म कर दो... उसका लाश... या उसका कटा हुआ सिर लेकर आओ... और यह सारी दौलत ले जाओ...
रॉय - मतलब हमें... उसे यशपुर में ढूंढना पड़ेगा...
भैरव सिंह - हाँ... इसलिए सबसे पहले जाओ... पुरे यशपुर को अपने कब्जे में ले लो... अपने तरीके से एक सौ चौवालीस लगा दो... मगर ध्यान रखो... यशपुर में आने तो पाए... मगर... यशपुर छोड़ कर कोई जाने ना पाए... जो भी जाने की कोशिश करेगा... उसे वहीँ वहीँ के खत्म कर देना... अब सब समझ में आ गया होगा...
रंगा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तो जाओ...

रंगा और रॉय अंदर ही अंदर खुशी मनाते हुए बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह फिर से उस इलेक्ट्रॉनिक लॉक पर कुछ नंबर पंच करता है l वह दीवार जो सरक गया था फिर से बंद हो जाता है l तभी एक नौकर आकर खबर करता है

नौकर - हुकुम... आपसे मिलने कुछ लोग आए हैं...
भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) उनको.... xxxx पर ठहराओ...

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यशपुर में
एक विरान जगह पर वर्जित क्षेत्र में एक टूटा फूटा घर l बाहर से भले ही टूटा फूटा भूतीया दिख रहा था, पर अंदर से वह घर अच्छा दिख रहा था l एक कमरे में विश्व दरवाजे की तरफ मुहँ कर बाहर की ओर देखे जा रहा था, कमरे में उदय, कांस्टेबल जगन और एडवोकेट बल्लभ प्रधान भी थे l विश्व टकटकी लगाए दरवाजे पर नजर गड़ाए देखे जा रहा था l उसे इंतजार था विक्रम और सुभाष की l

उदय - विश्वा... अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें..
विश्व - आ रहे होंगे... प्रधान बाबु... उतावला पन ठीक नहीं है...
उदय - वैसे तुम्हारे दोस्त भी नहीं दिखाई दे रहे हैं...
विश्व - वह भी आ जाएंगे... अभी वक़्त ही कितना हुआ है...
बल्लभ - वक़्त... वक़्त कितना हुआ है... बात यह नहीं है... (सबकी ध्यान बल्लभ की ओर जाता है) वक़्त कब तक अच्छा चल रहा है... तब तक... जब तक.... राजा के आदमी हम तक नहीं पहुँच जाते...
उदय - ऐ... बकवास बंद कर...
बल्लभ - मैं... बकवास नहीं कर रहा हूँ... आने वाला वक़्त.. या तो अच्छा होगा... या फिर बुरा होगा... और मुझे लगता है... अब तक राजा को... हमारे बारे में पता लग चुका होगा... और वह हरकत में आ चुका होगा...
विश्व - तो आने दो... हम तक पहुँचने के लिए... भैरव सिंह को बहुत तैयारी करना पड़ेगा... और अपने तरफ से मैंने पहले से ही... तैयारी कर रखा है...
बल्लभ - एक बात पूछूं...
विश्व - हाँ पूछो...
बल्लभ - परसों डीसीपी सतपती... यह उदय और यह कांस्टेबल जगन... मेरी काउंसिलिंग किए... जब कि मुझे लगा था... जब मेरी भेद खुलेगी... तब काउंसिलिंग तुम करोगे...
विश्व - प्रधान बाबु... आपके घर में जो भी हुआ... वह एक ऑफिशियल प्रोसीजर था... आप एसटीएफ के डीसीपी के द्वारा... ट्रेस किए गए और गिरफ्तार किए गए... उसके बाद आपको गवाह बनाया गया... जिसकी अप्रूवल और डिक्लेरेशन... होम मिनिस्ट्री से लिया गया है... वह भी ऑफिशियल... इसलिए मैं आपके सामने नहीं आया... इससे आगे... आपकी गवाही के लिए मेरा होना जरूरी है... इसलिए आपके सामने आया... क्यूँकी यह भी...
बल्लभ - हाँ... ऑफिशियल है...
उदय - एडवोकेट प्रधान बाबु... क्या आप डरने लगे हैं...
बल्लभ - डर.. हाँ... डरने लगा हूँ नहीं... डरा हुआ था.. और अब भी हूँ...
जगन - डरे हुए हो... तो अपने डर के खिलाफ क्यूँ जा रहे हो..
उदय - (मजाकिया लहजे में) क्यूँकी डर के आगे जीत है... क्यूँ
बल्लभ - जीत और हार दोराहा होता है... मैं वह दोराहा लाँघ चुका हूँ.... और डरते डरते थक गया हूँ...
जगन - डरे हुए थे.... शायद इसलिए जिंदा हो... डर से थक गए हो... मतलब... मतलब समझ रहे हो ना...
बल्लभ - हाँ... इस डर को ढोते ढोते थक गया हूँ... पर मैं जिंदा रहना चाहता हूँ... इसीलिए तो... हार का वह मोड़ छोड़ कर... अब तुम लोगों के साथ हूँ...

विश्व कुछ कहना चाहता था पर तभी उसकी मोबाइल बजने लगती है l मोबाइल उठा कर कान से लगाता है l उसी वक़्त घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई देती है l सबकी बातों में विराम लग जाता है l सब बाहर की ओर देखने लगते हैं l एक गाड़ी आकर रुकती है l उस गाड़ी से सुभाष सतपती और उसकी एसटीएफ वाली टीम के बंदे उतरते हैं l पीछे पीछे और एक आर्मोर्ड वैन आती है l उससे विक्रम, सु बुद्धी, श्रीधर परीड़ा के दास भी उतर कर विश्व के सामने आते हैं l सभी कमरे में आ जाते हैं l सुबुद्धी और श्रीधर की नजरें बल्लभ से मिलती है l उन्हें देख कर सुभाष कहता है l

सुभाष - हाँ भाई... भरत मिलाप कर लो... बहुत जल्द हम निकलने वाले हैं... (विश्व से) तुम्हारा प्लान क्या है विश्व..
विश्व - अभी गाँव से सत्तू ने फोन किया था... होम मिनिस्टर महल गया था...
बल्लभ - ह्वाट... वह कब भुवनेश्वर से निकला...
दास - कल ही... मुझे उसके कॉनवोय में शामिल होने के लिए कहा गया था... पर मैंने अपने दो कांस्टेबलों का मेडिकल में होने को बात कर... मेरे थाने की सबॉर्डिनेट को चार्ज हैंड ओवर किया था... पर उन्होंने कहा कि... होम मिनिस्टर ने... लोकल पुलिस की प्रोटोकॉल एक्सेप्ट नहीं किया...
विश्व - ह्म्म्म्म... होम मिनिस्टर कल के चौथ वाली मातम के लिए आया है शायद... और (बल्लभ, सुबुद्धी और श्रीधर की ओर देख कर) लगता है... इनके बारे में जानकारी भी दे दी...

इतना सुनते ही तीनों की हालत खराब होने लगती है l सुबुद्धी विश्व से कहने लगता है

सुबुद्धी - विश्वा बाबु... अब...
विश्व - में भी यही चाहता था... के राजा तुम लोगों के बारे में जान जाए...
श्रीधर - ऐ... तु हमारा बलि चढ़ाने लाया क्या... (सुभाष से) यह... यह क्या डीसीपी साहब... यह तो हमें मरवाने की बात कर रहा है...
जगन - वह कहावत है ना... जैसी करनी... वैसी भरनी...
दास - हाँ... विश्व को फ़ंसाने वाली टीम का... तु भी तो एक हिस्सा था...
श्रीधर - ओ.. अब समझा... तुम लोग कोई गवाही दिलाने नहीं लाए हो... इस विश्वा के नाम पर... राजा भैरव सिंह के हवाले करने लाए हो...

इससे पहले कि श्रीधर और कुछ कहता, चटाक की आवाज़ आती है l श्रीधर अपना गाल सहलाते हुए बल्लभ की ओर देखता है l बल्लभ उसे उंगली दिखा कर

बल्लभ - चुप... चुप... विश्वा हमें ना सिर्फ बचाएगा... बल्कि... हमसे गवाही दिलवा कर... हर गुनाह से माफी भी दिलवाएगा... चुप... जरा सोच... कटक भुवनेश्वर में... पागलों की तरह राजा के आदमी ढूंढ रहे हैं... वहाँ से यहाँ तक बच कर आए हो... तो आगे के लिए भी भरोसा करो....

अपनी गाल सहलाते सहलाते श्रीधर विश्व की तरफ़ आस भरी नजर से देखने लगता है l

सुभाष - चलो... कोई तो हम पर भरोसा कर रहा है... (विश्व से) वैसे विश्वा तुम्हारा प्लान और तैयारी क्या है...
उदय - हाँ... तुम्हारे दोस्त अभी तक नहीं आए हैं...
विश्व - आ जाएंगे... पहले हम प्लान पर बात करें... सतपती बाबु... पहले आप बताएं... मैंने जो कहा था... उसका क्या...
सुभाष - मैं यशपुर पहुँचते ही... सबसे पहले यही किया... दास को साथ लेकर... बारह बुलेट प्रूफ जैकेट ले आया हूँ... गाड़ी में ही है... और अभी कुछ देर बाद... मेरी टीम जाकर... राजगड़ थाने को... हमारे आने तक सम्भाले रखेगी...
विश्व - मैंने कुछ और भी कहा था...
सुभाष - हाँ यार... आर्म एंड एम्युनिशन भी लाया हूँ... वह भी गाड़ी में है... पर एक बात बताओ... तुमने खान सर से... यह आर्मोर्ड वैन क्यूँ मंगवाया...
विश्व - ह्म्म्म्म सब परफेक्ट है... तो सुनिए... यह वैन... आपकी प्रोमोशन हो कर जाने के बाद... जैल में आया था... जैल में क्या हुआ था... आप जानते ही हैं... इसलिए तब... डैड... आई मीन.. सेनापति जी यह आर्मोर्ड वीइकल खरीदे थे... पर मालूम नहीं था... इस वीइकल की अब हमें ज़रूरत पड़ने वाली है...
दास - मतलब... हम पर हमला होगा...
विश्व - हाँ... वे लोग राजगड़ से निकल भी चुके हैं... उनकी टीम को अमिताभ रॉय और रंगा लीड कर रहे हैं...
विक्रम - (गुस्से से) रंगा... रॉय...
विश्व - कुल विक्रम... तो प्लान यह है कि... हम टोटल बारह लोग हैं... पर टीम दो बनेगी... एक टीम में... यह तीन गवाह... मैं... सतपती जी और दास बाबु... इस आर्मोर्ड वीइकल से... रंगा और रॉय के आँखों के सामने से राजगड़ से निकलेंगे...
विक्रम - और हम... हम लोग...
विश्व - बताता हूँ... मेरे दोस्त... तीन बाइक जुगाड़ कर चुके हैं... हमारे यहाँ से निकलते ही.. वे लोग तीन बाइक लेकर यहाँ पहुँच जाएंगे... आप दोनों... विक्रम और उदय बाबु... उनके साथ निकल जाइए...
उदय - ओ... समझा... मतलब... इन तीनों को अपने काबु में लेने के लिए... इसलिए सारे लोग तुम्हारे पीछे जाएंगे...
विक्रम - तो फिर हमारा काम क्या है...
विश्व - तुम लोग बाइक से... पीछे से... राणी पत्थर हो कर... उतम गड़ हाईवे पर हम से पहले पहुँच जाओगे... आगे जाने के बाद... पाँच किलोमीटर दूर सोनपुर हाईवे जाने के लिए... बीन्का बाईपास में उतरोगे... वहाँ... एक झाड़ी में छुपाये एक और आर्मोर्ड वीइकल... बिल्कुल ऐसी ही होगी... तुम... उदय और मेरे चारों दोस्त... वह गाड़ी ले लेना... और वहीं बाइकें उसी झाड़ी में छोड़ देना... हम किसी भी हाल में... उनसे दस मिनट का लूप लेकर... वहाँ पहुँच जायेंगे... हम जैसे ही पहुँचेंगे... तुम लोग आर्मोर्ड वीइकल लेकर चले जाना...
उदय - ओ... उसके बाद वे लोग... हमारे पीछे जाएंगे...
विश्व - हाँ... उस गाड़ी में सब बंदोबस्त होगी... बाकी उदय बाबु... मेरा दोस्त सीलु अच्छा ड्राइवर हैं...
विक्रम - ठीक है...
बल्लभ - विश्व... हम कहाँ जा रहे हैं... क्यों जा रहे हैं... मैं समझ गया... पर एक बात पूछूं...
विश्व - हूँ...
बल्लभ - तुमको इस तरह की लॉजिस्टिक सपोर्ट कौन दे रहा है...
विश्व - (मुस्कराते हुए) मेरे गुरु...
सुभाष - विश्व - तुमने हथियार कहा.. हम ले आए हैं... और लगता भी है... शायद जरूरत पड़ेगी... पर हम इमर्जेंसी कैसे क्रिएट करेंगे... जिससे जज... इनकी गवाही लेने के लिए तैयार हो जाएंगे...
विश्व - यह जो वीइकल है... इसमें मैंने... जोडार साहब से कह कर एक... सिस्टम लगवाया है... (विक्रम और सुभाष से मोबाइल मंगाता है) आप दोनों प्लीज... अपना अपना मोबाइल देंगे...

विश्व उनसे मोबाइल लेकर अपने मोबाइल से एक ऐप भेजता है और उनके मोबाइल में इंस्टाल कर देता है l फिर उनके मोबाइल उन्हें लौटा देता है l

विश्व - गाड़ी में... डैश बोर्ड पर इमर्जेंसी स्विच मार्क किया गया हुआ है.. जैसे ही हम उसे दबायेंगे... एक ड्रोन... जो गाड़ी की छत पर फिक्स है... वह गाड़ी के तीस फुट की ऊँचाई से गाड़ी की नेवीगेशन को फॉलो करते हुए उड़ेगी... तकरीबन दो घंटे तक... उस ड्रोन को कैमरा से... हर और से हो रही हमला रिकार्ड होगा... (सुभाष से) और आप उस लाइव रिकार्ड को... सुप्रिया से साझा करते रहेंगे... पूरा स्टेट... हम पर हो रहे हमले को लाइव देखेगी... यह बात अपने आप में इमर्जेंसी बनाएगी... जजों को गवाही लेने के लिए मजबूर करेगी... (विक्रम को देखते हुए) गाड़ी बदलने के बाद... तुम्हें भी ड्रोन उड़ाना है... और वीडियो कॉल से... सतपती से साझा करना है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मैं सब समझ गया... तो निकलना कब है...
विश्व - जैसे ही मुझे मेरे दोस्त कॉन्टेक्ट करेंगे...

इतने में दास से इशारा पाकर जगन सबके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट ले आता है l पहले विश्व और उसके टीम पहन लेते हैं l विक्रम और उदय भी पहन लेते हैं l उन्हें अब इंतजार था तो विश्व के किसी दोस्त के फोन की l कुछ देर बाद सीलु का फोन आता है l विश्व सब सुनने के बाद विक्रम उदय और जगन को छूपने के लिए कहता है और वह दास और सुभाष के साथ तीनों गवाहों को लेकर गाड़ी में घुस जाते हैं l दास ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी उस जगह से निकाल कर सड़क पर ले आता है l थोड़ी ही दुर जाने के बाद एक मोड़ पर कुछ गाड़ियां इनकी गाड़ी को घेरने की कोशिश करते हैं पर चूँकि यह एक आर्मोर्ड वीइकल थी l सामने आने वाली सभी गाड़ियों को धक्का मारते हुए निकल जाती है l

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"ब्रेकिंग न्यूज
दर्शकों आज यशपुर में एक पुलिस की वैन जो सोनपुर जा रही थी, तभी उस वैन पर बहुत सी गाड़ियों से कुछ अज्ञात लोगों ने धाबा बोल दिया है l आप अपनी टीवी स्क्रीन पर एक्सक्लूसिव तस्वीरें देख सकते हैं l जिस तरह से पुलिस की वैन पर तकरीबन पंद्रह सोला गाडियों से हमला किया गया स्थानीय लोग इसे पुलिस पर गुंडों का आक्रमण कह रहे हैं l हमारे सम्वाददाता को जैसे ही खबर मिली वह ड्रोन कैमरा की सहायता से हो रही झड़प को रिकार्ड कर रहे हैं और हमसे संपर्क करते हुए विजुअल्स उपलब्ध करा रहे हैं l"

हर एक टीवी के स्क्रीन पर लाइव न्यूज में एरियल व्यू से दिख रहा था l एक वैन आगे आगे सड़क पर दौड़ रही थी और उसके पीछे कई गाड़ियों से पीछा किया जा रहा था l पूरे राज्य में लोग इसी न्यूज को देख रहे थे l राजगड़ की महल में भीमा भैरव सिंह को खबर करता है तो भैरव सिंह टीवी ऑन कर देता है l वह टीवी पर यह सब दृश्य देख कर और न्यूज चैनल में चल रहे स्कोलिंग देख कर समझ जाता है कि गाड़ी में विश्व और गवाह हैं और उनका पीछा रंगा और रॉय की टीम कर रहा था l भैरव सिंह भीमा कॉर्डलेस है लाने को इशारा करता है l भीमा जैसे ही फोन लाता है उसे रॉय का नंबर डायल करने के लिए कहता है l भीमा भी बिना देर किए रॉय का नंबर लगा कर कॉल करता है l उधर रॉय फोन उठाता है l

रॉय - हैलो..
भीमा - एक मिनट लाइन में रहिए... राजा साहब बात करेंगे... (कह कर भैरव सिंह के हाथ में कॉर्डलेस दे देता है)
भैरव सिंह - क्या चल रहा है...
रॉय - राजा साहब... वह जिस गाड़ी में भाग रहे हैं... विश्वा और उन तीन गवाहों के साथ... दो लोग और भी हैं... पता नहीं चल पा रहा है...
भैरव सिंह - जो तुम और तुम्हारी टीम कर रही है... उसे पूरा स्टेट देख रहा है...
रॉय - क्या... जी मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - तुम उसकी चिंता मत करो... जो भी हो रहा है... ठीक हो रहा है... हमें यह सब डंके की चोट पर करना था... वही हो रहा है...
रॉय - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब लौटना... तो विश्व और उन हराम खोरों के कटे हुए सिरों के साथ ही लौटना...


कह कर भैरव सिंह अपना कॉल काट देता है और अपनी नजरें टीवी स्क्रीन पर गाड़ देता है l इधर फोन अपनी जेब में रख कर वॉकि टॉकी पर सबको हुकुम देता

रॉय - सब ध्यान से सुनो... तुम में से जो भी कोई इन्हें पकड़ लेगा... मैं उसे उसकी वजन बराबर नोट से तोल दूँगा... जाओ... टक्कर मारो... गाड़ी पलटाओ कुछ भी करो... इन हराम खोरों को पकड़ो...

रॉय की यह बात उसके सारे बंदे सीरियसली ले लेते हैं l पंद्रह गाड़ियों में सवार लोगों में विश्व और बाकी लोगों को पकड़ने के लिए होड़ में लग जाते हैं l जिसके वज़ह से उनके बीच तालमेल बिगड़ जाता है l कोई कोई गाड़ी टक्कर भी मार रहे थे l इधर गाड़ी के भीतर टक्कर के वज़ह से सब थोड़ी देर के लिए अस्तव्यस्त हो जाते हैं l

सुभाष - हमें लगता है... हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ेगा...
विश्व - नहीं... उन्होंने अब तक... हथियार इस्तेमाल नहीं किया है... यह ठीक नहीं रहेगा... (फिर गाड़ी पर टक्कर लगता है, जिससे सबको झटका लगता है)
सुभाष - यह लोग पागल हो गए हैं... दास... यार... यह पुलिस वैन है... तेज चलाओ...
दास - मैं अपनी कैपासिटी से भी तेज चला रहा हूँ...

तभी विश्व का फोन बजता है, विश्व फोन निकाल कर देखता है, स्क्रीन पर डैनी डिस्प्ले हो रहा था, विश्व फोन उठाता है l

डैनी - लगे रहो हीरो... पूरा स्टेट तुम लोगों को लाइव देख रहा है...
विश्व - हमें...
डैनी - आई मीन... तुम्हारी गाड़ी को...
विश्व - हाँ आखिर यह आइडिया... आपका जो था...
डैनी - तुम लोग उन्हें छका क्यूँ नहीं रहे हो... ऐसी स्पीड रही तो... तुम लोग सोनपुर नहीं पहुँच पाओगे...
विश्व - क्या करें... वह लोग हम पर गोली भी तो नहीं चला रहे हैं... अगर एक बार... हमारी तरफ़ से फायरिंग हो गई... तो दूसरी तरफ से... बम गोले बरस पड़ेंगे...
डैनी - गाड़ी में... दो फर्स्ट ऐड बॉक्स होंगे देखो...
विश्व - हाँ देखा...
डैनी - वह दूसरी बड़ी वालीं निकालो...

विश्व इशारा करता है तो सुभाष बड़ी वाली फर्स्ट ऐड बॉक्स निकालता है, उसे खोलने पर बॉक्स उपरी ढक्कन पर एलसीडी स्क्रीन थी एक रिमोट ट्रिगर था और कुछ घड़ी आकार के गैजेट्स l

विश्व - यह... यह सब क्या है...
डैनी - देखो... गाड़ी के बीचों-बीच एक शटर नुमा दरवाजा होगा... नीचे से उतरने के लिए... (विश्व देखता है)
विश्व - हाँ है...
डैनी - तो अब ध्यान से सुनो... तुमने मुझसे जब लॉजिस्टिक्स मांगा था... तब मुझे एहसास हो गया था... ऐसा ही कुछ होगा... यह गैजेट्स... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर है... किसी भी गाड़ी की... इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिक सर्किट को पूरी तरह से जाम कर सकता है... अब उन सबको रोकने के लिए... इन ट्रेंकुलाईजर्स का इस्तेमाल करो...
विश्व - समझ गया...

विश्व फोन काट देता है l गाड़ी के फर्श पर वह शटर को किनारे करता है l फिर उस बॉक्स को ऑन करता है l उपरी कवर का एलसीडी ऑन हो जाती है l रिमोट को भी ऑन करता है और फिर एक ईएमपी ट्रेंकुलाईजर ऑन करता है और गाड़ी की फर्श से उसे नीचे सड़क पर गिरा देता है l तभी एलसीडी स्क्रीन पर एक लाल रंग का डॉट दिखने लगता है l विश्व ट्रिगर रिमोट की स्विच ऑन कर देता है l एलसीडी स्क्रीन पर एक स्पाइक जम्प लेता है l सभी पीछे देखते हैं एक गाड़ी में इमर्जेंसी ब्रेक लग जाते हैं l गाड़ी की तेजी के वज़ह से गाड़ी झटके के साथ बीस पच्चीस फुट ऊंचाई पर गुलाटी मारते हुए सड़क पर गिरती है l यह देख कर रॉय और उसकी टीम हैरान हो जाते हैं l

रॉय - गाड़ी तेजी से चलाओ... और सड़क पर नजर भी रखो... गाड़ियों को जीगजाग चलाओ... अंदर से कोई... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर इस्तेमाल कर रहा है...
रंगा - अगर उन्होंने सारे गाडियों पर इस्तेमाल कर दिया... तब...
रॉय - अगर एक और गाड़ी की पलटी होती है... तो उन्हें रोकने के लिए गोली... गोला जो भी दाग दो...

अब सारी गाड़ियां पीछा तो कर रही थीं पर जीगजाग तरीके से l यह देख कर सुभाष कहता है "अब मुझे इस्तेमाल करने दो" इतना कह कर विश्व के हाथों से अपना वह रिमोट और ट्रेंकुलाईजर ले जाता है और वह नीचे सड़क पर फेंक देता है l रिमोट पर स्विच ऑन करता है पर कोई फायदा नहीं होता है l वह ईएमपी ट्रेंकुलाईजर बेकार जाता है l सुभाष और एक ट्रेंकुलाईजर डालता है थोड़ा गाड़ियों के मूवमेंट देखने के बाद रिमोट दबाता है इसबार सबसे पीछे वाली गाड़ी मुड़ कर पलट जाती है l यह देख कर रंगा रॉय की हाथ से वॉकि टॉकी लेकर सारे अपने आदमियों से कहता है l

रंगा - हम यहाँ चोर पुलिस नहीं खेल रहे हैं... उस गाड़ी में एक हारामी है.... उसे ही नहीं... उसके साथ जो भी गाड़ी में उन सबको मारना है... चलाओ गोली...

अब हर एक गाड़ी में से एक एक स्नाइपर अपनी अपनी गन लेकर अपनी अपनी गाड़ी में पोजीशन बनाते हैं और फायर करने लगते हैं l चूँकि आर्मोर्ड गाड़ी बुलेट प्रूफ था इस लिए गाड़ी को कुछ नहीं होता l पर गाड़ी पर गोलियों की बरसात होते ही सुबुद्धी चिल्लाने लगता है l उसे डांट कर सुभाष चुप कराता है l

सुभाष - दास... और कितना दूर है... बिन्का बाई पास...
दास - नेवीगेशन के हिसाब से... दस किलोमीटर और...
श्रीधर - हम क्यूँ नहीं... गोली चलाते उनपर...
विश्व - हम...
श्रीधर - ठीक है... तुम... तुम क्यूँ नहीं गोली चला रहे...
विश्व - हमारी मर्जी...

सुभाष जितनी भी ट्रेंकुलाईजर थे सभी को ऑन करता है l एलसीडी में सीरियल नंबर डालता है और सबको बारी बारी से नीचे सड़क पर डाल देता है l विश्व रिमोट लेकर लगातार ट्रिगर दबाता चला जाता है l इसके वज़ह से आगे पीछे हो कर पाँच छह गाड़ियां पलट जाते हैं l जिसके कारण कुछ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं l जिसके वज़ह से सारी गाड़ियां रुक जाती हैं l रॉय और रंगा दोनों उतरते हैं

रंगा - जिस जिसकी गाड़ी की माँ बहन हो गई है... वह यहाँ रह कर अपनी माँ चुदाए... बाकी गाडियों को सम्भल कर... जैम से निकालो... वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे... अब उनको नहीं पकड़ेंगे... उन सबको गोली मार देंगे...
रॉय - अब की बार गाड़ी नहीं... टायरों पर निशाना लगाओ... गाड़ी की दूरी कम हो... तो ग्रेनेड फेंक मारो... मगर मार डालो... हम यशपुर से बहुत दूर आ चुके हैं... वह लोग बीन्का बाईपास से सोनपुर जा रहे होंगे... जल्दी पहुँचो...

बाकी जितनी गाड़ियां थीं सब धीरे धीरे से उस जैम से निकल कर बिन्का बाईपास की ओर जाने लगते हैं l और उस तरफ बाईपास ओवर ब्रिज के नीचे पहले से ही विक्रम उदय और सीलु, मिलु टीलु और जिलु विश्व और गाड़ी की इंतजार कर रहे थे l कुछ ही देर बाद विश्व और उनकी गाड़ी इनके सामने थी l जैसे ही विश्व गाड़ी से उतरता है सीलु झाड़ियों में छुपी हुई दूसरी आर्मोर्ड वैन निकाल लेता है l उदय और विश्व के चारों दोस्त उस गाड़ी में बैठ जाते हैं l विश्व उस गाड़ी का मुआयना करता है l देखता है इस गाड़ी में भी दो दो फर्स्ट ऐड बॉक्स थीं l विश्व समझ जाता है इस गाड़ी में भी डैनी ने वही व्यवस्था करी हुई है, विश्व विक्रम को ट्रेंकुलाईजर्स के बारे में जानकारी दे देता है और सारे हथियार जो इनके गाड़ी में थे वह सब विक्रम वाली गाड़ी में रखवा देता है l विक्रम सब समझ जाता है और फिर वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाता है l पर कुछ सोच कर विश्व आवाज देता है

विश्व - विक्रम... (विक्रम गाड़ी से उतरता है)
विक्रम - हाँ...
विश्व - (आता है विक्रम के गले लग जाता है और कहता है) हमने अब तक कोई गोलियां नहीं चलाई है... पर तुम लोग गोली का जवाब गोली से देना.. और विक्रम... तुम और तुम्हारे साथ.. (कुछ कह नहीं पाता, एक पॉज लेने के बाद) जिंदा लौटना... प्लीज...

विश्व की इस भावुक बात सुन कर सभी दोस्त उतर कर विश्व के गले लग जाते हैं l

सुभाष - ओ भई... अगर मिशन सक्सेस हुआ... तो भरत मिलाप और भी होंगे... अभी हमने सिर्फ उन्हें छकाया है...
विश्व - जाओ...

सभी गाड़ी चढ़ जाते हैं l सीलु गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी को बिन्का हाईवे पर दौड़ा देता है l वहीँ सुभाष, दास विश्व और तीनों गवाहों को लेकर झाड़ियों में से हो कर सड़क के नीचे उतर जाते हैं l वहीँ पर तीन बाइक्स रखे हुए थे l पर जल्द बाजी में पुरानी वैन को छुपाना भूल जाते हैं l इधर ब्रिज के नीचे छह सात गाड़ी आकर रुकती हैं l रॉय और रंगा का चेहरा उतर जाता है, क्यूँकी जो वैन उन्हें दिखा वह खाली था l वह लोग इधर उधर झाँकने लगते हैं कि उन्हें बिलकुल इसी तरह एक और वैन को बिन्का हाईवे पर जाते हुए दिखता है l

रॉय - ओ... हमें बेवक़ूफ़ बनाने के लिए... यहाँ गाड़ी छोड़ दिए... वह देखो... और एक वैन... बिल्कुल सेम टू सेम... चलो...

सभी जो गाड़ियों से उतरे थे, जल्दी जल्दी गाड़ी चढ़ कर बिन्का हाईवे पर उस आर्मोर्ड वीइकल का पीछा करने लगते हैं l उनके जाते ही तीनों बाइकें सड़क पर आ जाती हैं l सारी गाड़ियां जब इनके आँखों से ओझल हो जाते हैं तो सुभाष सुप्रिया को फोन करता है l

सुभाष - तुम मेरी बात को ऑडियो लाइव कराना... और उसी ऐरियल रिकार्डिंग को बार बार रिपीट कराते रहना...
सुप्रिया - ठीक है...
विक्रम - और वहाँ पर क्या चल रहा है...
सुप्रिया - सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा है... पत्री सर... सुधांशु मिश्रा भी आ गए हैं...
विक्रम - ओके...
सुप्रिया - ऑल द बेस्ट...
विश्व - एक गलती तो हुई... पर वह लोग पकड़ नहीं पाए...
विक्रम - हाँ... हम इस वैन को छुपा नहीं पाए... पर किस्मत हमारे साथ है...

इस बार उत्तम गड़ के रास्ते विश्व और उसके बाइकर्स जाने लगते हैं l उधर गुस्से से तमतमाये रंगा और रॉय और उनके साथी गाड़ी के पास आते आते गोलियाँ बरसाने लगे l गाड़ी में एक राइफ़ल उदय और एक स्नाइपर गन विक्रम लिए तैयार थे l जैसे ही गाड़ी पर गोलियां लगने लगी जवाब में विक्रम और उदय काउंटर फायर करने लगे l इनकी काउंटर फायर से दो तीन आदमी उनकी चलती गाड़ी से गिर गए l काउंटर फायर होते ही जिस तेजी के साथ यह लोग गाड़ी का पीछा कर रहे थे गाड़ी थोड़ी धीमा कर कुछ दूरी बरकरार रखते हुए पीछा करने लगे l

रंगा - इनके पास गन है...
रॉय - हम ही बेवक़ूफ़ निकले... यह पुलिस की आर्मोर्ड वीइकल है... हमें पहले से ही समझ जाना चाहिए था..
एक आदमी - अगर... इनके पास गन था... तो पहले हम पर काउंटर फायर क्यूँ नहीं किया...
रॉय - अब समझा... उन्होंने दूसरी गाड़ी क्यों ली... मतलब पहली वाली गाड़ी में... हथियार नहीं थे... इसलिए इन लोगों ने... दूसरी गाड़ी का इंतजाम करवाया....
रंगा - हाँ... वह भी हथियारों के साथ...
रॉय - एक मिनट एक मिनट... (गाड़ी रुक जाती है, उसके गाड़ी रुकते ही सारी गाड़ियां वहीं रुक जाती हैं ) कहीं ऐसा तो नहीं... हम बेवक़ूफ़ बन रहे हैं... सोनपुर जाने के लिए... यह जंक्शन... एक बिन्का... और दूसरा... उत्तम गड़... ए.. ऐ... हमारे साथ खेल हो गया... विश्व और वह गवाह... उत्तम गड़ के रास्ते गए हैं... चलो चलो... गाड़ी घुमाओ...

रॉय के इतना कहते ही सभी अपनी अपनी गाड़ी घुमाने लगते हैं l आगे आगे जा रहे विक्रम और उदय यह सब देख लेते हैं l

विक्रम - गाड़ी रोको सीलु... गाड़ी रोको...
उदय - लगता है उन्हें शक हो गया है... वह लौट रहे हैं...
सीलु - क्या...
मिलु - हाँ... उन्हें शक हो गया है... जल्दी हमें उनके पीछे जाना पड़ेगा...
टीलु - हाँ... विश्वा भाई लोगों के पास हथियार भी नहीं है... जल्दी...

सीलु भी बिना देरी किए गाड़ी घुमाता है और एक्सीलेटर पर पैर दबा देता है l गाड़ी अब बिन्का रोड छोड़ कर रंगा और रॉय के पीछे जाने लगता है l बहुत दूर से ही सही मगर रंगा को अपने पीछे आती हुई आर्मोर्ड वीइकल दिख जाती है l

रंगा - रॉय बाबु... अपने सही पकड़ा... उस आर्मोर्ड गाड़ी में... विश्वा है ही नहीं... अब जो भी कोई है... वह हमारे पीछे आ रहा है..
रॉय - सबको बोलो... रेंज में आते ही... गोलीयों से भुन डाले..
रंगा - ऐ सुनो रे... हमारे चाहने वाले... हमारे पीछे आ रहे हैं... अपनी रेंज में इन्हें लो... और सब हरामीयों का तन्दूरी फ्राई कर दो...

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"जैसा कि हमें हमारी रिपोर्टर जो कि फिल्ड से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं कि जो पुलिस की गाड़ी थी उसमें एसटीएफ हेड डीसीपी सुभाष सतपती वीटनेस प्रोटेक्शन की कार्य को हाथ में लेकर अपने साथ कुछ गवाहों को बचा कर राजगड़ सीमा के बाहर जा चुके हैं l फिर भी उनके पीछे न्याय के दुश्मन बंदूक और बमों के साथ पीछे लगे हुए हैं l हम कोशिश कर रहे हैं एसटीएफ हेड श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने की l

हाँ हाँ.. हाँ तो दर्शकों हमारे टेक्निशियन श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने में सफल हो गए हैं l अभी कुछ ही देर में हम श्री सतपती जी को लाइव सुन पायेंगे, हाँ तो डीसीपी सुभाष जी क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं..
सुभाष - जी... जी..
सुप्रिया - डीसीपी सुभाष जी... ड्रोन कैमरा से... हम जो भी अब तक देखे हैं... वह बहुत ही भयाभय है... इस वक़्त आप कैसे हैं...
सुभाष - हम सुरक्षित हैं... क्यूँकी हम एक आर्मोर्ड वीइकल में हैं... इसलिए इस पर गोलियों का फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है..
सुप्रिया - हमारे सम्वाददाता कह रहे थे... यह एक वीटनेस प्रोग्राम है...
सुभाष - जी... जैसा कि आप जानती होंगी... गृह मंत्रालय ने... रुप फाउंडेशन केस में जो नया एसटीएफ बनाया था... उसमें मुझे प्रमुख बनाया गया था.. अपनी तहकीकात के दौरान... मैंने कुछ नए और छुपे हुए गवाहों को ढूंढ निकाला... मैंने उनकी डिक्लेरेशन बस किया था... और वीटनेस प्रोटेक्शन के तहत... सुरक्षा प्रदान करना चाहता था... पर रुप फाउंडेशन के शत्रुओं को खबर लग गई... इसलिए वे लोग हमारे ऊपर हमला कर मिटना चाह रहे हैं...
सुप्रिया - एक आखिरी प्रश्न... क्या आप गवाहों को... सुरक्षित कर... केस की समाधान करा पायेंगे...
सुभाष - आशा यही है... और प्रयत्न भी... बाकी जो भगवान की इच्छा...
सुप्रिया - लगता है... हमारा संपर्क कट गया है... फिर भी हमारे पास जो फुटेज उपलब्ध है... उसे देख कर... "

सारा राज्य टीवी पर प्रसारित हो रही न्यूज में पहली वाली रिकार्डिंग बार बार चल रहा था, उसे देख रहा था l उधर सीलु जितना करीब होता जा रहा था रंगा और रॉय के आदमी गोलियाँ बरसाने लगते हैं l ज़वाब में उदय और विक्रम काउंटर फायर करने लगते हैं l सामने से इतनी ज्यादा गोली बरस रही थी के आर्मोर्ड गाड़ी के विंड शील पर क्रैक्स आने लगते हैं l विंड शील बेशक बुलेट प्रूफ थी पर गोलियों के निशानों के क्रैक्स बढ़ते ही जा रहे थे l सामने से ग्रेनेड भी फेंका जा रहा था पर रेंज से बाहर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था l

उदय - उनकी अटेकिंग पोजीशन बढ़िया है... हमारा काउंटर... फ्रंट साइड... असरदार नहीं हो रहा है...
विक्रांत - हाँ... मैं भी महसूस कर रहा हूँ...
मील - अगर यह लोग इसी तरह से गए... तो एक आध घंटे में... विश्व भाई तक तो पहुँच भी जाएंगे...
सीलु - और यहाँ... विंडशील पर इतने क्रैक्स आ गए हैं कि... विजिबिलिटी कम हो रहा है...
टीलु - हम अगर आगे होते... (ट्रेंकुलाईजर्स को दिखा कर) इन सबका सही इस्तेमाल भी कर सकते थे...
विक्रम - (कुछ सोच कर) उदय बाबु... अपनी गूगल मैप के जरिए... कोई शॉर्ट कट ढूंढो... हमें हर हाल में इनके आगे रहना है...
सीलु - वैसे मैं एक शॉर्ट कट जानता हूँ... पर आप लोगों को कंफर्ट ना लगे...
विक्रम - भाड़ में जाए कंफर्ट... हमें विश्व और रंगा एंड रॉय कम्पनी के बीच में आना है...
उदय - पर अगर हमने रास्ता बदला तो... उन्हें शक नहीं हो जाएगा...
विक्रम - एक काम करो सीलु... इस बार ग्रेनेड के रेंज में चलो...
सील - समझ गया...

सीलु गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है l एक गाड़ी के पास आ जाता है l इस बीच विक्रम और उदय सीलु की गाड़ी को कवर फायर देने लगते हैं l जिसके कारण सबसे आखिर में जा रही गाड़ी के पास पहुँच जाते हैं l उस गाड़ी में से एक आदमी ग्रेनेड फ़ेंक मारता है l सीलु सावधान था, गाड़ी की स्टीयरिंग को ऐन मौके पर मोड़ देता है l जिसके वज़ह से ग्रेनेड गाड़ी से टकराने के बजाय दूसरी दिशा में सड़क पर फूटता है l जिसके शॉक वेव से गाड़ी हिल जाती है और उसी समय सीलु गाड़ी में ब्रेक लगा देता है l रंगा और रॉय को लगता है गाड़ी में कुछ डैमेज हुआ है जिसके वज़ह से गाड़ी रुक गई है l सबसे आखिरी वाले गाड़ी में जितने बंदे थे वह सब जश्न मनाने लगते हैं l उनकी गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी l पीछे आर्मोर्ड गाड़ी रुक गई थी l कुछ देर बाद सीलु गाड़ी घुमाता है और हाईवे के नीचे पगडंडी वाली रस्ते पर उतार देता है l गाड़ी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही थी गाड़ी उतनी ही ज्यादा झटके खा रही थी l पर सीलु पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ रहा था l सीलु गाड़ी भगाए जा रहा था l कुछ देर बाद हाईवे से दूर कच्ची पक्की सड़क पर पेड़ और जंगल के ओट में गाड़ी सरपट भाग रही थी l

विक्रम - तुम्हें इन सब रास्तों के बारे में कैसे पता...
सीलु - मैं दो साल यहाँ हर चप्पे-चप्पे को छान मारा हुआ है... हम उनसे पहले पहुँच जायेंगे...
विक्रम - तो हम कहाँ पहुँचेंगे...
सीलु - कुछ दूरी पर... महानदी ब्रिज आएगी... वह ब्रिज एक किलोमीटर लंबा है... उनसे पहले हम ब्रिज तक पहुँच जाएंगे...

विक्रम और कोई सवाल नहीं करता है l सीलु उन संकरी रास्तों पर गाड़ी को किसी गोली की तेजी से दौड़ा रहा था l कुछ ही मिंटो में ब्रिज तक पहुँच जाते हैं l जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर दौड़ने लगती है विक्रम टीलु को ट्रेंकुलाईजर्स को इस्तमाल करने के लिए कहता है l टीलु गाड़ी की फर्श की शटर को सरका कर सारे ट्रेंकुलाईजर्स को ऐक्टिव कर सड़क पर डालने लगता है l इस दौरान गाड़ी ब्रिज के अंतिम छोर पर पहुँच जाती है l सीलु गाड़ी को घुमा कर आढा कर गाड़ी को ब्रिज पर खड़ा कर देता है l टीलु वह ट्रेंकुलाईजर्स का एलसीडी और रिमोट लेकर उतर जाता है l गाड़ी के दोनों सिरे पर विक्रम और उदय पोजीशन ले लेते हैं l कुछ ही देर बाद रंगा और रॉय की टीम को आते हुए देखते हैं l उधर रंगा और रॉय के टीम की सभी गाड़ियां ब्रिज के दूसरे सिरे पर रुक जाती हैं l रंगा अपनी आँखे मलता है l

रॉय - लगता है... कोई शॉर्ट कट लेकर आए हैं...
रंगा - हाँ... अब क्या करें...
रॉय - (अपने साथियों की तरफ़ मुड़ता है) देखो... हमें आज... इन सबकी लाशों को... या तो लेकर जाना है... या फिर इन सबकी लाशों पर गुजर कर जाना है... दोनों ही सूरत में... पैसा है पैसा मिलेगा... बे हिसाब.. पैसा मिलेगा... तुम लोगों के लिए यह नया नहीं है... ऐसी हालात से... तुम लोग बहुत बार गुजरे हो... यह लास्ट टाइम है... सोच लो...

सभी लोग अपनी अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ने लगते हैं l टीलु तैयार था जैसे उसके एलसीडी में ट्रैक पर पॉइंट क्रॉस ओवर हुआ, टीलु रिमोट दबाता गया l चार पाँच गाड़ियां ब्रिज के ऊपर ही पलटने लगी l यह देख कर रंगा और रॉय हैरान होते हैं l जैसे ही पलटी हुई गाड़ी से लोग निकलने लगे उन्हें उदय और विक्रम उन्हें अपने निशाने पर लेकर ठोकने लगते हैं l यह देख कर रंगा चिल्लाता है

रंगा - सब अपनी अपनी गाड़ी के पास पोजीशन ले लो...

सभी गाडियों के ओट लेकर खुद को बचाने लगते हैं l रंगा काउंटर फायर करने लगता है l जिसके वज़ह से विक्रम और उदय की फायरिंग थोड़ी देर के लिए बंद हो जाती है l जिसके आड़ में रंगा और रॉय अपने लोगों को इकट्ठा कर सबसे पहले वाली गाड़ी तक पहुँच जाते हैं l अब उनके बीच तीस या चालीस मीटर की ही दूरी थी l एक दूसरे को एक दूसरे की पोजीशन के बारे में जानकारी भी थी l

विक्रम - (विश्व की दोस्तों से) एक काम करो... मैं और उदय... कवर फायर देते हैं... तुम लोग.. ब्रिज से उतर जाओ...
जिलु - नहीं विक्रम बाबु... हम आपको अकेले कैसे छोड़ दें..
विक्रम - समझा करो... यहाँ गन सिर्फ दो हैं... और हम छह... तुम लोगों को अगर कुछ हो गया... तो तुम लोगों के चक्कर में.. हम लोग भी फंस जाएंगे...
सीलु - तो एक काम कीजिए... यह गन आप मुझे दे दीजिए... और आप यहाँ से नीचे उतर जाइए...
विक्रम - शॉट अप... यहाँ तुम लोग मेरी जिम्मेदारी हो... ना कि मैं... अगर मेरी जिम्मेदारी हल्का करोगे... तो मैं... भी तुम लोगों के साथ... यहाँ से निकल सकता हूँ...
मीलु - नहीं...
उदय - देखो... यहाँ सेंटी होने से कुछ नहीं होगा... उस तरफ़ हर कोई... बंदूक से लैस है... और यहाँ हमारे पास सिर्फ दो...
विक्रम - देखो... तुम लोग जाओ... और हमें पाँच मिनट टाइम दो... फिर मिलकर... हम सब वापस जाएंगे...
सीलु - मगर...
विक्रम - देखो.. वह लोग भी कुछ प्लान बना रहे होंगे... और हम... हम सिर्फ वक़्त बर्बाद कर रहे हैं... इसलिए जाओ जल्दी से उतरो...

विक्रम फायर करता है, उसकी देखा देखी उदय भी फायर करता है l इसी एनगेजमेंट के दौरान ब्रिज से सीलु और उसके साथी उतर कर सड़क के किनारे आ जाते हैं l चारों एक दूसरे को देखते हैं और नीचे उतर कर ब्रिज के नीचे से दूसरे छोर की ओर भागने लगते हैं l नदी सुखी हुई थी l किन्हीं किन्ही जगहों पर पानी का बहाव था l जिसे अनदेखा कर चारों दोस्त ब्रिज के दूसरे छोर की जाने लगते हैं l ब्रिज के उपर फायरिंग चल रही थी l तभी किसीने एक ग्रेनेड फेंका था जो आर्मोर्ड वीइकल के पास फटता है l जिसके शॉक वेव के चलते दोनों उदय और विक्रम गाड़ी से झटका खाते हैं l यही मौका समझ कर दो तीन आदमी विक्रम का गाड़ी की ओर भागते हुए आते हैं तभी उन्हें उदय शूट कर देता है l विक्रम और सजग हो जाता है l उन्हें गिरता हुआ देख कर रंगा और दो लोगों को फायर करते हुए आगे बढ़ने के @लिए कहता है l वह दोनों वही करते हैं l इस बार विक्रम उदय को निशाना देने के लिए कहता है l उदय अपना निशाना देते हुए जब फायर करने लगता है तो उसकी मैग्ज़ीन खाली हो जाता है l तभी एक गोली आकर उसके जांघ पर लगती है पर तब तक विक्रम उन दोनों को टपका देता है l विक्रम उदय को खिंच कर गाड़ी के पीछे लाता है l विक्रम अपनी एक पोजीशन बना कर जिस गाड़ी के पीछे रंगा और रॉय छुपे हुए थे उसे ऑब्जर्व करता है l फिर छुप कर अपनी स्नाइपर गन से उस गाड़ी की फ्यूल टैंक को निशाना बना कर फायर करता है l निशाना एक दम सही लगा था l गाड़ी में धमाका होता है जिसके चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं और तितर-बितर हो कर सड़क पर बिछ जाते हैं l रंगा और रॉय की हालत भी ऐसी ही थी l धमाके के बाद विक्रम थोड़ा इंतजार करता है l कोई हल चल ना होता देख विक्रम बाहर निकलता है धीरे धीरे आगे बढ़ने लगता है कि तभी एक घायल आदमी विक्रम पर ग्रेनेड फेंकता है l विक्रम पीछे भागते हुए आर्मोर्ड गाड़ी के पीछे छलांग लगा देता है l धमाके से बाल बाल विक्रम बच जाता है पर थोड़ा घायल ज़रूर हो जाता है और उसका बंदूक भी छूट जाता है l जब तक सम्भल कर उठता है तो देखता है रंगा और रॉय तीन चार लोगों के साथ विक्रम के सिर पर खड़े थे l

रंगा - यह मैं क्या देख रहा हूँ... क्षेत्रपाल घर का चराग ही... घर को आग लगा रहा है...
रॉय - साला हम यहाँ विश्व के लिए आए थे... और यहाँ विकी बाबु हमें पोपट बना दिए...(विक्रम संभल कर पीठ टिकाए गाड़ी से टिक पर बैठ जाता है) अब इसका क्या करें...
रंगा - इसे... इसके बाप की जरूरत नहीं... इसकी बाप को... इसकी जरूरत नहीं... हमारी जरूरत के बीच आ गया... तो इसे मार ही देते हैं...
रॉय - हाँ... मार दे यार... मुक्ति दे दे... हमें थोड़ी देर के लिए सुकून मिल जाएगा... विश्वा को नहीं मार पाए... उसके बदले यही सही...

रंगा अपना पिस्टल निकालकर विक्रम पर जैसे ही निशाना लगाया ठीक उसी समय सीलु जिलु मीलु और टीलु पीछे से आकर इन पर छलांग लगा देते हैं l कुछ देर के लिए सही सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है l अब उनके बीच हाथापाई शुरू हो जाती है l इतने में विक्रम खुद को सम्भल कर रॉय पर टूट पड़ता है l थोड़ा सा ही हाथ पैर चलाने के बाद रॉय को घुटनों पर लाकर उसकी गर्दन को अपनी बाहों में कस लेता है l यह सब देख कर रंगा धीरे धीरे पोंछे खिसकने लगा था कि एक गोली उसके टांग पर लगती है l रंगा दर्द से बिलबिलाते हुए नीचे गिरता है l विक्रम को छोड़ कर सबका ध्यान वहाँ टिक जाता है, जहाँ से गोली चली थी l किसी का भी ध्यान घायल उदय की तरफ नहीं था l जब सब हाथापाई में गुत्थम गुत्था कर रहे थे तब उदय ने नीचे गिरी पड़ी गन उठा लिया था l अब रंगा नीचे पड़ा था और सभी उदय के निशाने पर थे इसलिए सब शांत हो गए पर विक्रम रॉय का गर्दन दबोच रखा था l यह देख कर सीलु अपने दोस्तों के साथ विक्रम से रॉय को बचाने की कोशिश करते हैं l पर तब तक रॉय का जिस्म ठंडा पड़ चुका था l उदय लंगड़ाते हुए विक्रम के पास आता है और उसे झिंझोडता है l जब रॉय का जिस्म कोई हरकत नहीं करता तब उसके बदन को विक्रम छोड़ता है l

सीलु - विक्की बाबु... यह क्या किया आपने...
विक्रम - यह मेरे इकलौते दोस्त... महांती का बदला था... जो इसने मृत्युंजय के साथ मिलकर मार डाला था... (गुर्राते हुए) अब रंगा...

तब तक रंगा भी सम्भल चुका था उसके हाथ में एक ग्रेनेड था l जब सब उसके तरफ़ देखते हैं तब वह ग्रेनेड से पिन निकाल चुका था l उदय अपना गन तान देता है l

रंगा - खबर दार... कोई आगे मत बढ़ना... मुझे अब... यहाँ से जाने दो... नहीं तो... मेरे साथ तुम लोग भी मरोगे...

सब वहीँ चकित खड़े हो जाते हैं l रंगा अपने लोगों को इशारे से बुलाता है l उदय किसी को भी नहीं रोकता l वह सब रंगा के पीछे खड़े हो जाते हैं l

विक्रम - अब क्या करोगे... तुम कितना दूर जा पाओगे... पीछे जाओगे तो हम तेरे रेंज से बाहर हो जायेंगे... पर तु हमारे रेंज में होगा... हम तुम सबको गोली मार देंगे...
रंगा - हाँ बात तो तुने सही कही... पर कोई बात नहीं... रॉय को क्यूँ मारा... मुझे समझ में आ गया... पर मुझे तु क्यूँ मारना चाहता है...
विक्रम - तुझे एक नहीं कई मौतें मारना चाहता हूँ... तु भूल गया... मेरी शुब्बु को... किडनैप कर छूने की कोशिश की थी... विश्व ने बचाया था... शुब्बु को...
रंगा - पर देर हो गई विक्रम... देर हो गई... विश्वा आज ना सही.. कभी भी मारा जाएगा... पर आज... तुम सब मारे जाओगे...

कह कर ग्रेनेड विक्रम की ओर उछाल देता है l विक्रम उदय सीलु मीलु सब पीछे भागते हुए वैन के ओट में जाकर नीचे कूदी लगाते हैं l ग्रेनेड फट जाता है गाड़ी को झटका लगता है जिससे गाड़ी कुछ फिट सरक जाता है l गाड़ी के पीछे जो ओट बना कर कूदी लगाए थे वह लो गाड़ी के चपेट में आ जाते हैं l विक्रम थोड़ा सावधान था इसलिए उसका स्नाईपर गन उसके हाथ लग जाता है l उधर रंगा और उसके साथी अपने गाड़ियों के पास भाग रहे थे l विक्रम गन उठता है एक एक को निशाने पर लेटे हुए फायर करने लगता है l चार बंदे गिर चुके थे l रंगा और बाकी तीन बंदे एक गाड़ी के ओट में आ जाते हैं l उन्हें वहाँ पर हथियार भी मिल जाते हैं l रंगा उन्हें विक्रम को रोकने के लिए कह कर पीछे जाने लगता है l इसलिए वे हथियार हाथ में लेकर विक्रम पर फायर करने लगते हैं l पर विक्रम निशाना ले चुका था l दो बंदे ढेर हो जाते हैं, और एक घायल हो जाता है l विक्रम जब उस कार तक पहुँचता है तीसरा बंदा ज़ख्मी हालत में छटपटा रहा था l विक्रम अपनी नजरें घुमाता है पर उसे रंगा नहीं दिखता है वह इधर उधर देखता है के तभी एक खंजर पीछे से उसके कंधे पर घुस जाता है l विक्रम पीछे मुड़ कर देखता है रंगा एक भद्दी हँसी हँस रहा था l रंगा खंजर को विक्रम के कंधे से निकलता है फिर विक्रम के कमर पर घुसा देता है l विक्रम चिल्लाता है पर अपना हाथ पीछे लेकर रंगा को पकड़ लेता है और उसे सामने खिंच कर लाता है l

रंगा - साले.. हरामी... कुत्ते... छोड़... छोड़ मुझे...

विक्रम अपनी कमर से खंजर निकाल कर रंगा के सीने में गाड़ देता है l रंगा छटपटाते हुए जमीन पर गिरता है l विक्रम भी धीरे धीरे गिरने लगता है l सीलु और उसके साथी भागते हुए विक्रम के पास पहुँचते हैं l
Bahut hi shandaar update hai bhai maza aa gaya


Agle update ka intezar rahega
 

Ajju Landwalia

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👉एक सौ चौंसठवाँ अपडेट
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कमरे में अंधेरा ज्यों का त्यों था l किसीने भी अब तक लाइट ऑन नहीं की थी l वह काला साया बल्लभ के सामने वैसे ही बैठा हुआ था l चाय का ट्रे लेकर तीसरा शख्स बल्लभ के सामने वाली टी पोय पर रख देता है l कमरे में चेहरा साफ दिखे उतना उजाला भले ना हो पर इतना अंधेरा भी नहीं था के तीनों का अक्स ना दिखे और चाय की केतली कप सब दिख रहे थे l तीसरा शख्स एक कप में चाय डाल कर बल्लभ को देता है l बल्लभ उसे अंधेरे में भी पहचानने की कोशिश करता है l

साया - अगर मुश्किल हो रहा है... तो लाइट ऑन कर दें...
बल्लभ - (चौंक कर) क्या...
साया - मुझे साफ महसूस हो रहा है... तुम परेशान लग रहे हो... और पहचानने की कोशिश भी कर रहे हो...
बल्लभ - (थोड़ा संभल कर) हाँ... मैं जानना तो चाहता हूँ... अगर तुम विश्व नहीं हो... तो मेरे सारे राज जानने वाले.. कौन हो...
साया - हाँ मैं विश्व नहीं हूँ... पर हम तीनों विश्व से ताल्लुक रखते हैं...
बल्लभ - क्या... मैं... मैं समझा नहीं....
साया - ठीक है... (चुटकी बजाता है) लाइट जला दो... अंधेरे का काम ख़तम... अब वकील साहब को मिलकर चलो उजाले की ओर ले चलते हैं...

जो शख्स रीवॉल्वर बल्लभ पर ताने खड़ा था l लाइट का स्विच ऑन करता है l अब कमरे में उजाला था बल्लभ सामने बैठे शख्स को देख कर चौंकता है l सामने सोफ़े पर डी सी पी सुभाष सतपती बैठा था l पीछे मुड़ कर देखता है उदय गन पकड़ कर स्विच बोर्ड के पास खड़ा था l और बगल वाली सोफ़े पर कांस्टेबल जगन बैठा था l

बल्लभ - ओ... तुम लोग हो...
उदय - लगता है... अंधेरे में बहुत भारी महसूस कर रहे थे... उजाले में हमें देखते ही हल्का महसूस करने लगे...
बल्लभ - शॅट अप... तुमने जो अनिकेत के साथ किया... मैं भुला नहीं हूँ...
उदय - बात तो ऐसे कर रहे हो... जैसे... उस सुअर की मौत से... किसी को कोई फर्क़ पड़ता था...
बल्लभ - (सोफ़े की आर्म रेस्ट को भिंच लेता है) यु...
उदय - येस.. इट्स मी... वह इंस्पेक्टर के भेष में... जिसके दम पर... सबका दोहन करता था... उन्हीं के हाथों उसका दहन हो गया... फ़िर तुम क्यूँ उसका दुख मना रहे हो... ना मारने वाला मैं था... ना ही जलाने वाला... वह जो कुछ भी हुआ... वह राजगड़ के भगवान राजा साहब के इच्छानुसार हुआ... हम तुम तो बस तुच्छ प्राणी थे...
बल्लभ - और अब... तुम मुझे फ़ंसाने आए हो...
सुभाष - फंसे हुए को क्या फ़ंसाना... राजा को डबल क्रॉस किया तुमने... हमने तो बस पता किया... और दोष हम पर मढ़ रहे हो...
बल्लभ - ठीक है... आई एपोलाइज... पर यह सब तुमने पता कैसे किया...
जगन - बे तु वकील है तो क्या हुआ... यह हमारे साहब हैं... और यह मत भूल... रुप फाउंडेशन के नए एसआईटी के चीफ हैं... अभी तु उनके सामने अपराधी है...
बल्लभ - (सुभाष से) अच्छी तैयारी के साथ आए हो... तुमने मुहँ खोला भी नहीं... और तुम्हारे आदमी टुट पड़ रहे हैं... (सुभाष मुस्करा देता है) मुझे मालूम था... मेरा यह राज.. एक दिन फास होगा... और इसे विश्व क्रैक करेगा... पर वह लगता है... चूक गया...
सुभाष - वह चुका नहीं है... पता असल में उसीने ही लगाया है... हम तो बस जरिया हैं...
बल्लभ - कैसे...
सुभाष - उसने जब रिट पिटीशन फाइल किया... तभी उसे तुम पर ही शक हो गया था... तुम भैरव सिंह के सभी ईलीगल को लीगल करते हो... इसलिए... उसीने हमें आईडिया दिया था.. तुम्हारे बैंक अकाउंट पर नजर रखने के लिए... तुम्हारे एक नहीं तीन तीन अलग अलग बैंक में अकाउंट है... पर एक ही बैंक के सेविंग अकाउंट में एटीएम कार्ड के जरिए.. कटक में विथड्रॉ हो रहा था... और उसी समय फोन बैंकिंग के जरिए... तुम राजगड़ और उसके आसपास पैसा विथड्रॉ कर रहे थे... आगे हमने कैसे ढूंढ निकाला कहने की जरूरत नहीं...
बल्लभ - (चुप रहता है)
सुभाष - वकालत करते हुए जब यशपुर में तुम भैरव सिंह से जुड़े... तुम्हारा काम देखने के बाद... भैरव सिंह ने तुम्हें अपना लीगल एडवाइजर रख लिया... और सालों से... तुमने उसका बखूबी साथ भी दिया... पर पेच तब आया... जब रुप फाउंडेशन करप्शन में तुम अनिल कुमार सुबुद्धी के बहन के संपर्क में आए... तुम शादी सुदा थे... फिर तुमने अपनी चाल चली... अपने बीवी बच्चों को एब्रॉड भेज दिया... यहाँ सुबुद्धी की
बहन प्रज्ञा को यकीन दिला दिया... के तुमने अपनी बीवी से तलाक ले लिया... और उसके साथ नाजायज संबंध स्थापित किया... रुप फाउंडेशन केस में...जब विश्वा.. खुल कर भैरव सिंह के खिलाफ आया... तब इस केस में.. जो भी कमजोर कड़ी थे... सबको रोणा के साथ मिल कर या तो गायब कर दिया... या फिर मरवा दिया... पर तुमने राजा साहब को... कंवींश कर सुबुद्धी भाई बहन को बचाए रखा... पर जैसे ही जयंत सर ने... जिरह के लिए... पाँच गवाहों की लिस्ट अदालत में पेश की... तुमने चालाकी से... सुबुद्धी भाई बहन को गायब कर दिया... गवाह दिलीप कुमार कर को बना दिया... उन्हें लाकर तुमने कटक में... श्रीधर परीड़ा की मदत से... नई पहचान के साथ... रखवा दिया... रोजाना गुजारा के लिए... अपना एटीएम कार्ड दे दिया... और कमाल की बात यह है कि... इस बात को तुमने... अनिकेत रोणा से छुपाए रखा... क्यूँकी वह औरतों के मामले में... नियत का फिसड्डी था... है ना...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिलाता है)

सुभाष - अब बारी श्रीधर परीड़ा की थी... वह जानता था... राजा खुद को पाक साफ रखने के लिए... किसी भी हद तक जा सकता था... इसलिए उसने तुम्हें खबर किया... और खुद को अंडरग्राउंड कर लिया... इसमें तुमने उसकी मदत भी की... क्यूँ सही कहा ना...
बल्लभ - (इस बार भी अपना सिर हाँ में हिलाता है) अगर यह आईडिया विश्व का है... तो वह सामने क्यूँ नहीं आया...
उदय - वह इसलिए... विश्व की हर हरकत पर... राजा अपनी आदमियों के जरिए नजर रख रहा है...
बल्लभ - नजर तो... नए एसआईटी ऑफिसर पर भी रखा हुआ है...
सुभाष - चिंता ना करो... मैं जिस तरह आया हूँ... राजा साहब का जासूस.. कंफ्यूज हो गया होगा...
बल्लभ - चलो... मैंने जैसा सोचा था... के विश्व ही मेरे राज खोज पाएगा... सो वही हुआ... पर विश्व ने इस बार थोड़ी देर कर दी है...
सुभाष - देर कर दी... कैसे... रुप फाउंडेशन केस को दोबारा खोलने के लिए अभी तो वक़्त मिला है...
बल्लभ - ऐसा तुमको लगता है... पर सच यह है कि... तुम लोगों के पास वक़्त कम है...
सुभाष - तुम कहना क्या चाहते हो...
बल्लभ - तुम तीनों... पुलिस वाले... मेरा अतीत व काला इतिहास लेकर आए हो... वज़ह मैं जानता हूँ... पर तुम लोग... विश्व को बुलाओ... दोनों ही केस में जो डील होगा... वह मैं विश्व से करूँगा...
सुभाष - ह्म्म्म्म... बात अगर किसी कंफेशन की है... तो विश्व इस वक़्त हमारी सारी बातेँ सुन रहा है...

इतना कह कर सुभाष अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर स्पीकर ऑन कर देता है और सामने की टी पोए पर रख देता है l

सुभाष - विश्वा...
विश्व - हाँ...
सुभाष - एडवोकेट प्रधान... तुमसे कुछ बात करना चाहता है...
विश्व - हाँ प्रधान बाबु... कहिये... क्या कहना चाहते हैं...
बल्लभ - विश्वा... मैं सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हूँ... बदले में तुमसे... मेरी और प्रज्ञा की जान की हिफाजत का वादा चाहता हूँ...
विश्व - मुझसे... यह वादा तो तुम... डीसीपी सतपती जी से भी मांग सकते थे...
बल्लभ - नहीं... जब तक भैरव सिंह... जैल नहीं चला जाता... या ख़तम नहीं हो जाता... मैं कानूनी मदत नहीं लेना चाहता...
विश्व - पर मैं इसमें... तुम्हारी क्या मदत कर सकता हूँ...
बल्लभ - वही मदत... जो इस वक़्त... तुम राजकुमारी जी की दोस्तों को दे रहे हो... मैं जानता हूँ... उनको राजगड़ से भेज कर और उन्हें भुवनेश्वर और कटक में अपनी प्रोटेक्शन में तुमने ही रखा है...
विश्व - प्रधान बाबु... आप भूल रहे हैं... मैंने राजा के डर से... अपनी माँ बाप को छुपा रखा है..
बल्लभ - जानता हूँ... पर एक बात यह भी है... राजा जिसे टार्गेट करता है... उसे हर हाल में... ख़तम कर देता है... राजा के आदमी और जासूस अभी भी... पुलिस और प्रशासन में हैं... मुझे इन सबके बाहर वाले आदमी पर भरोसा है...
विश्व - (चुप हो जाता है)
बल्लभ - देखो विश्व... यह वक़्त की नजाकत है... हम दोनों को एक दूसरे का साथ चाहिए...
विश्व - साथ... मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूँ... और क्यूँ लूँ...
बल्लभ - वह इसलिए... कुछ बातेँ मैं जानता हूँ... पर राजा साहब से बताया नहीं... बता देता... तो राजकुमारी जी की जान पर बन आती...
विश्व - अच्छा... ऐसी कौन सी बात तुम जानते हो... जो भैरव सिंह नहीं जानता...
बल्लभ - राजा साहब ने मुझे एक मोबाइल दिया है... और उसके मालिक को ढूंढने का काम दिया है... और मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ... इस मोबाइल का कोई मालिक नहीं.. मालकिन है... मैंने बताया नहीं... उनसे वक़्त लिया है...
विश्व - ह्म्म्म्म... मुझे एक बात कंफर्म करो... क्या राजकुमारी सही सलामत हैं...
बल्लभ - हाँ... हैं...
विश्व - चलो फिर... किया... वादा किया...
बल्लभ - ठीक है फिर... देखो दो दिन बाद... बड़े राजा जी की... चौथ की... पहली छोटी शुद्धि है... पर उससे पहले... भैरव सिंह के खिलाफ हमारी गवाही दिलवा दो... क्यूँकी... चौथ के दिन... और उसके बाद... भैरव सिंह को... हाथ लगाना... ना तुम्हारे बस की बात होगी... ना ही सिस्टम की... हाथ लगाना तो दूर... उन तक पहुँचना... मुश्किल हो जाएगा...

विश्व फोन पर और कमरे में मौजूद लोग एक साथ उछल पड़ते हैं - क्या....

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ब्रेकिंग न्यूज
आज सुबह तड़के श्री बीरजा किंकर सामंतराय अपने पैतृक घर पारादीप से पुरी जाते वक़्त रास्ते में उनके कार का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया l इस एक्सीडेंट में बीरजा किंकर सामंतराय गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं l सुना है कुछ दिनों से वह तनाव में थे l कुछ पहले अपनी बेटी व दामाद से मिलने राजगड़ गए हुए थे l उनके पत्नी के कहे अनुसार उनकी बेटी शुभ्रा सामंतराय गर्भवती हैं और हाल ही में उनके ससुराल के साथ उनका संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहा है l इसी वज़ह से भगवान जगन्नाथ जी के पास माथा टेकने और अपनी बेटी दामाद और गर्भ में पल रहे शिशु की सलामती के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे l सुबह चार बजे का समय था इसी वक़्त एक्सीडेंट हो गया है l उन्हें तुरंत कैपिटल हास्पिटल को ले जाया गया है l डॉक्टर उनकी हालत को स्थिर बता रहे हैं और हर एक घंटे के बाद उनकी स्वास्थ की बुलेटिन हस्पताल के द्वारा जारी किया जाएगा l

टीवी पर यह ख़बर सुनते ही वैदेही गौरी को दुकान पर बिठा कर शुभ्रा से मिलने चली जाती है l वहाँ पहुँच कर देखती है विश्व और उसके दोस्त वहाँ पर मौजूद हैं l शुभ्रा रो रही है और उसे सुषमा दिलासा दे रही है l विक्रम और पिनाक हाथ बांधे बैठे हुए थे l जब वहाँ वैदेही पहुँचती है तो शुभ्रा उसे देखते ही गले जा लगती है l वैदेही भी उसे गले लगा कर सहारा देती है l

वैदेही - रो मत... रो मत... सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - पापा हम सबसे मिलने आए थे... पर...
वैदेही - श् श् श्... कहा ना सब ठीक हो जाएगा... (विक्रम की ओर देख कर) क्या फैसला किया है...
विक्रम - जाने का फैसला किया है... मैंने प्रताप से बात की... थोड़ी देर के बाद... गाड़ी आ जाएगी...
वैदेही - अच्छा किया...
विक्रम - पर मैं एक असमंजस में हूँ...
वैदेही - कैसी असमंजस...
विक्रम - पता नहीं... लोग क्या कहेंगे... मैं अपने दादा जी के अंत्येष्टि के लिए नहीं गया... पर... अपने ससुर जी के...
वैदेही - तुम लोगों की नहीं... अपनी दिल की सुनो... तुम्हारे आँखों से जब आँसू बहेंगे... उसे पोंछने तुम्हारा या तुम्हारे अपनों का ही हाथ उठेगा... इसलिए ज़माने की मत सोचो...
विश्व - मैं भी यही बात... कब से समझा रहा था...
पिनाक - आप ठीक कह रही हैं वैदेही जी...

एक गाड़ी आती है l विश्व और वैदेही सबको बिठा देते हैं l विक्रम और विश्व गाड़ी से कुछ दूर जाते हैं कुछ बातेँ करते हैं फिर हाथ मिलाते हैं l यह सब वैदेही देख रही थी l विक्रम आकर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी फिर वहाँ से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो जाती है l गाड़ी आँखों से ओझल होने के बाद वैदेही कुछ सोचते हुए बरामदे पर बैठ जाती है l विश्व अपने दोस्तों को देखता है और आँखों से कुछ इशारा करता है l वे लोग भी अपना सिर हिला कर वैदेही को टाटा बाय बाय कर वहाँ से निकल जाते हैं l विश्व और टीलु दोनों आते हैं और वैदेही के पास बैठ जाते हैं l

वैदेही - विशु...
विश्व - हाँ दीदी...
वैदेही - यह विक्रम उतना दुखी नहीं लग रहा था... जितना होना चाहिए...
विश्व - नहीं ऐसा कुछ नहीं है दीदी... मर्द थोड़े ना अपना दर्द... यूँही सबके सामने लाते हैं..
वैदेही - अब तु मुझसे झूठ बोलेगा...
विश्व - (चुप हो जाता है)
वैदेही - तु किसी को भी... बना ले... पर मुझे बना नहीं सकता... तेरी रग रग से वाकिफ हूँ... अब तु मुझे सब सच सच बता...
विश्व - ठीक है दीदी... (विश्व सब कुछ कहने लगता है जो उसे बल्लभ से पता चला था) दीदी... उससे ही मालुम हुआ... भैरव सिंह को फोन तो मिल गया था... और उसे राजकुमारी जी पर शक भी है... पर उसका और राजकुमारी जी का रिश्ता उस मोड़ पर पहुँच चुका है कि... बिना सबूत के जलील होना नहीं चाहता... इसलिए बल्लभ प्रधान को दो दिन की मोहलत दी है उसने...
वैदेही - तो अब प्रधान कहाँ है...
टीलु - हमारे ही हिफाजत में दीदी... हमने उसे रातों रात साथ ले लिया और हमारी खास जगह पर छुपा दिया...
वैदेही - ह्म्म्म्म... पर चौथ के दिन ऐसा क्या होने वाला है...
विश्व - यह मैं नहीं जानता... पर प्रधान का कहना है कि... राजा का अपने यहाँ के गुर्गों.. और सेक्यूरिटी वालों पर भरोसा उठ गया है... वह एक प्राइवेट आर्मी हायर किया है... वह आर्मी दो दिन में आने वाली है... उससे पहले... हमें गवाहों से उन जजों के सामने गवाही दिलवाना है... उसके बाद... करप्शन.. मैनीपुलेशन... मर्डर... और टेरर जितने भी चार्जेस है लगा कर... हर हाल में गिरफतार करवाना है...
वैदेही - गवाही तो कटक में भी ली जा सकती है...
विश्व - हाँ दी जा सकती है... पर जिन केसेस के लिए... स्पेशल कोर्ट बना है... स्पेशल टास्क फोर्स बना है... वहाँ पर उनकी गवाही मायने रखती है... सीधे कटक में गवाही कराना... उसके लिए कुछ कानूनी पचड़े हैं... और दीदी... अभी भी सिस्टम में कुछ लोग हैं... जो भैरव सिंह के लिए काम कर रहे हैं... डीसीपी सतपती... होम मिनिस्ट्री के थ्रु... परमिशन ग्रांट करवायेंगे... उसके बाद... हम उन तीन गवाहों को... सोनपुर ले जाएंगे... जजों के सामने गवाही दिलवायेंगे...
वैदेही - तुझे यह सब... आसान लगता है...
विश्व - बिल्कुल नहीं... बिल्कुल भी नहीं... अगर आसान होता... तो मैं खुद उन गवाहों को लाने गया होता... मैं नहीं गया... इसलिए गवाहों को लाने विक्रम को भेजा है...
वैदेही - (चौंकती है) क्या... विक्रम... तो क्या... वह एक्सीडेंट...
विश्व - (एक पॉज लेकर) नहीं हुआ है...
वैदेही - (जैसे झटका खाती है) क्या...
विश्व - दीदी... कल रात... जब... सुभाष बाबु... सारी जानकारी फोन पर मुझे दी... तब रात को ही.. मैं विक्रम से मिलने आ गया था... उसे सारी बातें बता कर... अपने प्लान में शामिल कर लिया... वह तैयार भी हो गया... कल रात मेरी ही फोन से... विक्रम अपने ससुर से बात की... और सतपती जी... सुप्रिया से...
वैदेही - और आज... सुप्रिया के वज़ह से... सुबह सुबह पुरे स्टेट को न्यूज से मालूम हुआ... कि बीरजा किंकर सामंतराय का एक्सीडेंट हो गया...
विश्व - हाँ... भैरव सिंह के आदमी... मेरे और सतपती जी के पीछे लगे हुए हैं... और हम पर बराबर नजरें जमाए हुए हैं... इसलिए गवाहों को लाने का काम... सिर्फ विक्रम ही कर सकता था... बाकी कागजाती कामों के लिए... सुभाष बाबु अलग से भुवनेश्वर गए हैं...
वैदेही - ठीक है... मतलब तुम्हारे हिसाब से... एसटीएफ गवाहों का डिक्लेरेशन कराएगा... जिसे होम मिनिस्ट्री अप्रूव् करेगी... उसके बाद... उनकी गवाही मान्यता होगी... पर क्या तब तक... भैरव सिंह को पता नहीं चल जाएगा...
विश्व - हाँ... चल जाएगा... जैसे ही गवाहों का डिक्लेरेशन होगा... उसे खबर लगेगी... पर उसे यह लगेगा कि गवाहों को.... अगले सुनवाई के दिन बाद पेश किया जाएगा... और इस बीच... वह गवाहों को ना सिर्फ गवाही से रोकने की कोशिश करेगा... बल्कि... ख़तम भी करने की कोशिश करेगा...
वैदेही - और तु कह भी रहा है... वह कोई प्राइवेट आर्मी ला रहा है.. पर क्यूँ... किसलिए... क्या कोई जंग छेड़ने वाला है...
विश्व - हाँ शायद... अभी उसके लोगों ने हमसे सिर्फ हार देखी है... शायद इसीलिए बाहर से प्राइवेट आर्मी ला रहा है...
वैदेही - सिर्फ हमसे लड़ने के लिए...
विश्व - शायद हाँ... क्या पता... शायद सिस्टम से भी... (वैदेही के हाथ पर अपना हाथ रखकर) दीदी... हम उसे छकायेंगे... हमने पूरी प्लान कर रखा है... तुम घबराओ मत... इस बार उसकी कोई भी चाल कामयाब नहीं होगी...

तभी विश्व का फोन बजने लगता है l जेब से फोन निकाल कर देखता है इंस्पेक्टर दास डिस्प्ले हो रहा था l विश्व फोन उठा कर बात करने लगता है, पर वैदेही के कानों में कुछ घुस नहीं रहा था क्यूँकी विश्व के सारे खुलासे के बाद वैदेही थोड़ी चिंतित हो गई थी l

विश्व - (फोन बंद कर, वैदेही की ओर देखता है) दीदी... तुम अपने भाई पर भरोसा रखो.. किस्मत भैरव सिंह का जितना साथ देना था दे दिया... अब और नहीं... हाँ थोड़ा खतरा तो है... पर अगर हम उसके आर्मी के आने से पहले कामयाब हो गए... तो यह गाँव और इंसाफ़... दोनों बच जाएंगे... अच्छा मैं थोड़ा इंस्पेक्टर दास से मिलने हास्पिटल जा रहा हूँ... उन कांस्टेबलों को देख भी लूँगा... और कल परसों के लिए प्लान भी बना लूँगा... (विश्व जाने लगता है तो पीछे से वैदेही आवाज देती है)
वैदेही - विशु... (विश्व मुड़ कर देखता है) क्या गाँव वालों के ऊपर भी खतरा हो सकता है...
विश्व - दीदी... भैरव सिंह इस वक़्त... एक घायल दरिंदा है... बेशक हमारे पीछे उसके लोग आयेंगे... पर गाँव वालों की सुरक्षा भी तो.... मुझे... निश्चित करना पड़ेगा... आ रहा हूँ...

यह बात कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l वैदेही को अब खतरे का अंदेशा हो रहा था l वह थोड़ी बैचैन होने लगती है l पास बैठा टीलु वैदेही की हालत पर गौर कर रहा था l

टीलु - दीदी... तुमसे एक बात पूछूं...
वैदेही - हाँ पूछ...
टीलु - तुम... अभी... मल्लिका के बारे में सोच रही हो ना...
वैदेही - (कोई जवाब नहीं देती पर सवालिया नजर से टीलु को देखती है)
टीलु - तुम इस बारे में... विश्वा भाई से बात क्यूँ नहीं करती...
वैदेही - विशु... का लक्ष... सिर्फ एक ही है... उसे यह काम इसी दो दिन में साधना है... वैसे भी... राजा का कहर... चौथ के दिन टुटेगा... तब तक अगर विशु कामयाब हो गया... तो राजा सलाखों के पीछे होगा...
टीलु - बुरा ना मानना दीदी... अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो...
वैदेही - विशु ने अभी कहा ना... वह गाँव वालों की सुरक्षा का प्रबंध करने... इंस्पेक्टर दास से मिलने गया है... पुलिस भी हमारे साथ होगी उस दिन... (इस बार टीलु वैदेही को सवालिया नजर से देखता है) देख... कुछ भी हो जाए... विशु से इस बात का जिक्र भी मत करना... मैं नहीं चाहती... उसके लक्ष में... कुछ भी... कोई बाधा आए... उसे अर्जुन की तरह अपनी लक्ष को भेदना है... यहाँ अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो मैं और पुलिस वाले संभाल लेंगे... (वैदेही बरामदे से उतरती है और जाने लगती है फिर अचानक मुड़ती है) टीलु... जो मेरे साथ हुआ... वह किसी के साथ नहीं होगा... मैं रक्षा करुँगी... मल्लि और उसके जैसे लड़कियों की... भैरव सिंह ना विश्वा से जीत पाएगा... ना वैदेही से... उसकी हार तय है... विधाता ने लिख दिया है... यही उसकी नियति है...

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अगले दिन
गौरी तैयार होकर कमरे से निकल कर बाहर आती है, देखती है वैदेही आज दुकान नहीं खोला था l एक कोने में वैदेही अपनी कुर्सी पर अपने में खोई हुई बैठी थी l गौरी देखती है वैदेही अंदर से बहुत बैचैन दिख रही थी l गौरी वैदेही से सवाल करती है

गौरी - वैदेही...
वैदेही - (ध्यान टूटती है) हूँम्म्म...
गौरी - आज क्या हो गया है तुझे... कहाँ खोई हुई है...
वैदेही - कहीं नहीं काकी... बस ऐसे ही...
गौरी - क्यों झूठ बोल रही है... देख ग्राहक दुकान देख कर लौट रहे हैं... तूने अबतक दुकान नहीं खोला... क्यूँ... क्या चिंता तुझे खाए जा रही है...
वैदेही - कुछ नहीं काकी... बस मन थोड़ा बैचैन है...
गौरी - (उसके पास बैठ जाती है) अब बोल... तुझे आज से पहले इतना बैचैन.. इतना परेशान कभी नहीं देखा...
वैदेही - बात ही कुछ ऐसी है काकी... (वैदेही अपनी जगह से उठती है और दुकान की दरवाजे पर खड़े हो कर गाँव की तरफ देखते हुए) एक आस पर... उम्मीद डगमगा रहा है.. क्या पीढियों से गुलाम... इस गाँव का भाग्य बदलने वाला है...
गौरी - पता नहीं बेटी... पर बदलेगा जरूर... (वैदेही मुड़ कर गौरी को देखती है) हाँ बेटी... बदलेगा जरूर... अब मुझे यकीन हो चला है... यकीन तब भी नहीं हुआ था... जब गाँव वाले महल से उल्टे पाँव लौटने के बजाय... राजा की ओर पीठ कर लौटे थे... पर अब यकीन हो रहा है... महल में बड़े राजा की मौत के बाद भी... कंधा देने तो दूर... किसी ने भी... महल जाकर दुख भी नहीं जताया... उल्टा... शुकुरा और भूरा के पीछे बड़े राजा के नाम पर धूल उड़ाए हैं... यह आक्रोश... पीढ़ियों से दबी हुई थी... अब बाहर निकल रहा है...
वैदेही - पर राजा अभी कमजोर नहीं हुआ है... पता नहीं इस बात का... राजा पर क्या असर हुआ होगा... कहीं उसने पलटवार किया... तब... तब क्या होगा...
गौरी - भीमा.. उसके गुर्गे... एक नहीं कई बार... विश्व के हाथों धूल चाट चुके हैं... यह देख देख कर.. जो भी डर था लोगों के मन में... सब गायब हो गया है... और अब... अब तो गाँव की पुलिस भी राजा के साथ नहीं है...
वैदेही - हाँ पुलिस राजा के साथ नहीं है... पर क्या... हमारे साथ है... या होगा...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...

वैदेही गौरी को बताती है कि कैसे विक्रम को गायब हुए गवाहों को लाने के लिए विश्व ने सपरिवार भेज दिया है, और राजा की एक प्राइवेट आर्मी कभी कभी भी पहुँचने वाली है l

गौरी - क्या... (भय के साथ) राजा ने... बाहर से एक फौज बुलाई है...
वैदेही - हाँ काकी...
गौरी - क्या तुमने विशु से बात की...
वैदेही - विशु... आधी रात को ही... टीलु को लेकर यशपुर चला गया है...
गौरी - आधी रात को...
वैदेही - हाँ.. जाने से पहले... मुझसे इजाजत लेने आया था.. राजा की फौज आने से पहले... वह सरकारी सुरक्षा राजगड़ को मुहैया कराने की कोशिश करेगा... इसीलिए जल्दबाजी में रात को निकल गया...
गौरी - भगवान करे... वह कामयाब रहे... गनीमत है... राजा ने रस्म के नाम पर... किसी को उठाया नहीं...
वैदेही - मुझे इसी बात की चिंता है... अभी महल की पहरेदारी पुख्ता है... पुलिस को राजा औकात दिखा चुका है... इसी दौरान.. अगर कुछ... (वैदेही आगे कुछ कह नहीं पाती)
गौरी - तो तुने... विशु को जाने क्यूँ दिया...
वैदेही - विशु को मैंने इस बारे में कुछ बताया नहीं... हाँ टीलु रुकना चाहता था... मैंने ही उसे चुप करा कर विशु के साथ भेज दिया...
गौरी - (कांपती आवाज में) तेरी बातेँ सुन कर लगता है... अगर राजा किसी को उठवा कर महल ले गया... कोई भी उसे बचाने महल जा नहीं पाएगा... पुलिस भी नहीं...
वैदेही - हाँ... अगर महल ले जा सके तो...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...
वैदेही - काकी... विशु आने तक... मैं जिन लड़कियों के बारे में जानती हूँ... उन्हें राजा की आदमियों के नजर से छुपा रखूंगी... कम से कम.. महल तक तो... ले जाने नहीं दूंगी...
गौरी - विशु कब तक आ जाएगा...
वैदेही - कल रात तक... या फिर परसों सुबह तक...
गौरी - इस बीच कुछ हुआ तो...
वैदेही - जो भी होगा कल ही होगा...
गौरी - तुझे कैसे पता...
वैदेही - क्यों कि राजा ने... इंस्पेक्टर दास से वादा किया है... बड़े राजा की मौत की चौथ का मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा...

इतना कह कर वैदेही चुप हो जाती है l गौरी आने वाले पल की अंदेशा करते हुए बैचैन होने लगती है l तभी दोनों के ध्यान तोड़ते हुए वैदेही के सामने वाली चौराहे पर आठ दस गाड़ियों का काफिला गुजरती है l सभी गाडियाँ सफेद रंग के थे l जिस अनुशासन से गाडियाँ गुजरी वैदेही को समझ आ जाती है कि कोई सरकारी मंत्री राजगड़ आया हुआ है l वैदेही अपनी दुकान से निकल कर बाहर आती है और गाड़ियों की काफिलों को महल की ओर जाते हुए देखती है l यह गाडियों की काफिला राज्य की होम मिनिस्टर का था l सारी गाडियाँ लाइन से राजगड़ महल के मुख्य फाटक के सामने रुक जाती है l होम मिनिस्टर के गाड़ी से एक अधिकारी उतर कर फाटक पर तैनात एक पहरेदार से कुछ बातेँ करता है l उसके बाद पहरेदार फाटक खोल देता है, सभी गाडियाँ महल की परिसर में आजाती है l गाड़ी से होम मिनिस्टर उतरता है l तब तक भैरव सिंह को खबर हो चुकी थी वह भी बाहर आजाता है और कॅरीडर पर खड़े होकर होम मिनिस्टर का इंतजार करता है l

होमी - नमस्ते राजा साहब... (कहते हुए सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के पास पहुँचता है)
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आइए... आपके आने की अपेक्षा तो थी... पर... आज नहीं...
होमी - हाँ या तो... चौथ को... यानी कलआना चाहिए था... या फिर तेरहवीं पर... पर आया हूँ तो अकारण नहीं...
भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - मंत्री जी के साथ आए लोगों को... दिवान ए आम हॉल में आवभगत करो..
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आज आप हमारे खास अतिथि हैं...

होम मिनिस्टर और भैरव सिंह महल के अंदर जाने लगते हैं l अंदर घुसते ही भैरव सिंह सवाल करता है

भैरव सिंह - आप अकारण नहीं आए हैं... तो कारण बताइए..
होमी - राजा साहब... आपको तो अपने समधी जी की खबर मिल चुकी होगी...
भैरव सिंह - हाँ... फोन पर नहीं... न्यूज पर मिल चुकी है... हम जा नहीं सके... कारण तुम समझ सकते हो...
होमी - राजा साहब... आपके समधी जी ने ऐसा कुछ किया है कि... मुझे चौथ से पहले आना पड़ा...

दोनों ड्रॉइंग रुम में पहुँचते हैं l होम मिनिस्टर ठिठक जाता है l भैरव सिंह उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और खुद एक कुर्सी पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - मंत्री जी... बेहतर होगा... आप ज्यादा भूमिका बनाने के बजाय... सीधे मुद्दे पर आए... और मेरे समधी जी ने ऐसा क्या कर दिया है... जिसके कारण आपको यहाँ आना पड़ा...
होमी - बताता हूँ राजा साहब... आप तो जानते हैं... सामंतराय बाबु... कभी हमारी पार्टी की सर्वेसर्वा हुआ करते थे... इसलिए जब उनके एक्सीडेंट के बाद कैपिटल हास्पीटल में जॉइन होने की खबर मिली... हम मुख्यमंत्री जी के साथ उनसे मिलने... हस्पताल गए... और सामंतराय को जैसे हमारा ही इंतजार था... हमें... फंसा दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... हम सुन रहे हैं... बोलते जाइए...
होमी - उन्हें पहले से अंदाजा था... मैं और मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने जाएंगे... हम लोग हाथ में गुलदस्ता लिए... उनसे उनके कमरे में मिले... गलती यह हो गई के हम साथ में मीडिया लेकर गए थे... कमरे में मीडिया के सामने उनसे हाल चाल पूछ रहे थे... तभी डीसीपी सतपती एक फाइल लेकर पहुँचा... तब सामंतराय जी ने कहा कि उन्होंने ही डीसीपी सतपती को बुलाया है... और होम मिनिस्टर होने के नाते... डीसीपी के लाए फाइल पर दस्तखत करने के लिए कहा...
भैरव सिंह - (भौंहे तन जाती हैं) कैसी फाइल...
होमी - यह सवाल मैंने भी पूछा...
तब डीसीपी ने कहा कि... रुप फाउंडेशन के दो प्रमुख गुमशुदा गवाह मिल गए हैं... और सबसे अहम... राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुए आर्थिक घोटाले का सबसे बड़ा सबूत और गवाह डिक्लेरेशन...
भैरव सिंह - गवाह... कौन हैं वह गवाह...
होमी - (एक फाइल निकाल कर टेबल पर रख देता है) वह आपके आस्तीन में पलते थे... आप ही देख लीजिए...

भैरव सिंह फाइल को लेकर एक के बाद एक कई पन्ने पलट कर देखता है l हर एक पन्ना देखने के बाद फाइल टेबल पर रख देता है और होम मिनिस्टर से पूछता है

भैरव सिंह - जो हुआ... जो भी हुआ... उसकी कानूनी पहलु के बारे बताइए...
होमी - आप नाम देख कर चौंके नहीं...
भैरव सिंह - हम इतना चौंक चुके हैं कि अब इस तरह की झटके... हमें और चौका नहीं रहे हैं... हमें बस इसकी कानूनी वैधता और क्या कर सकते हैं कहिये...
होमी - इसमें... तीन नाम हैं... अनिल कुमार सुबुद्धी... श्रीधर परीड़ा... और बल्लभ प्रधान... अब चूँकि... अदालत स्थगित है... और यह दोनों केस... होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आते हैं... इसलिए जो भी नए गवाह जुड़ें... उनकी डिक्लेरेशन होम मिनिस्ट्री में किया जाता है और उन्हें वीटनेस प्रोटेक्शन में लेकर... सुरक्षा में रखा जाता है...
भैरव सिंह - तो.. क्या यह तीनों भुवनेश्वर में हैं...
होमी - नहीं... यहीँ पर गेम हो गया है राजा साहब... इस केस में वीटनेस प्रोटेक्शन का भी इनचार्ज डीसीपी सतपती है... उसका भी अपना स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसिजर है... प्रधान शायद यहीँ कहीं है... डीसीपी ने... सुबुद्धी और परीड़ा को भुवनेश्वर से गायब कर दिया है और वह रातों रात यशपुर लौट आया है... पर अकेला...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - जैसे ही यह सब हुआ... मुख्य मंत्री जी ने... मुझे आपको आगाह करने के लिए भेज दिया... बड़े राजा जी के मृत्यु पर सम्वेदना व्यक्त करने...
भैरव सिंह - अभी तो अदालत स्थगित है... है ना...
होमी - स्थगित तो है... पर अगर इमर्जेंसी की हालात हो... तो अदालत आधी रात को... छुट्टी के दिन भी खुल सकती है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अब हम... बात को पूरी तरह से समझ गए...
होमी - हाँ राजा साहब... हमें आपके समधी जी ने बुरी तरह से फंसा दिया... मीडिया सामने थी... और इलेक्शन भी आने वाली है... इसलिये... मजबूरी में... हमने मीडिया के सामने फाइल पर दस्तखत कर दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - हाँ राजा साहब... मुख्य मंत्री जी ने इसी कारण मुझे यहाँ भेज दिया... अब आप अपनी ताकत लगा कर कुछ किजिए... (भैरव सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है) राजा साहब... सरकारी तौर पर हमसे कोई मदत नहीं हो पाएगा... पर आप जो भी करेंगे... हम आपके साथ हैं...
भैरव सिंह - कल चौथ है... आप अपने कारवाँ के साथ... रंग महल में रुक जाइए... जो भी करना है... हम करेंगे... (आवाज देता है) भीमा...
भीमा - (भागते हुए आता है) आज मंत्री जी ने... हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है... इन्हें रंग महल ले जाओ...
होमी - (अपनी कुर्सी पर उठते हुए) आपकी आतिथेयता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राजा साहब... पर मुझे इजाजत दिजिए... मैं भले ही मुख्यमंत्री जी की वार्ता लेकर आया हूँ... पर आया तो सरकारी गश्त में...
भैरव सिंह - सरकारी गश्त में... अगर आप सरकारी गश्त में हैं... तो लोकल पुलिस कहाँ है...
होमी - जी खबर कर दी गयी थी... अचानक गश्त थी... और वह आईआईसी अपने दो साथियों के साथ...मेडिकल में है... आपको इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी था... इसलिए बिना लोकल पुलिस के हम यहाँ आ गए...
भैरव सिंह - (होम मिनिस्टर के साथ बाहर की ओर जाते हुए) अच्छा किया... आपने हमें आगाह कर दिया... इसका इनाम तो बनता है... इसलिए हम दरख्वास्त करते हैं... आप और आपके कारिंदे... आज की रात रंग महल में विश्राम करें.. कल की छोटी शुद्धि के बाद.. आप चले जाइएगा...
होमी - नहीं राजा साहब... आपसे यह सौजन्य मुलाकात थी... कल आकर औपचारिक मुलाकात करूँगा... तब तक... मैं यशपुर में... आईवी में रुकूंगा...

कहते कहते जब होम मिनिस्टर बाहर कॉरीडोर में आता है तो देखता है उसके सभी सुरक्षा कर्मि घुटनों पर बैठे हैं और राजा साहब के लोग उन पर बंदूक ताने खड़े हुए हैं l होम मिनिस्टर यह सब देख कर चौंकता है, भीमा अपना खुखरी होम मिनिस्टर के पीठ पर लगा देता है l

होमी - यह... यह क्या है राजा साहब...
भैरव सिंह - पिछली बार भी तुमने हमारी बेकद्री की थी... तब अपने ही जुते से... अपने गाल पर सीकाई की थी...
होमी - पर इस बार तो मैंने कोई बेकद्री नहीं की है... आपको सबूतों के साथ... आगाह किया है..
भैरव सिंह - बे मादरचोद... यह आज हम जिस मुकाम पर पहुँचे हैं... इसके पीछे गलीच... तु ही है... तूने हमसे बदला लेने के लिए... हमारे खिलाफ... हमारे दुश्मनों को लामबंद किया और उनकी मदत की... जब तुझे लगा तेरा पलड़ा हमारी बराबर हो गई... तब तु हमारे बराबर बैठने आ गया...
होमी - र.. राजा साहब...
भैरव सिंह - चुप... तुने हमें बेबस लाचार करने की कोशिश की... कामयाब भी रहा... जश्न तो बनता है ना... इसलिए जश्न रंग महल में मनेगी... तुझे क्या लगता है.. तु यहाँ कैसे आया... कल जब चीफ मिनिस्टर के सामने साइन किया... उसके बाद चीफ मिनिस्टर ने हमें फोन पर सारी बातें इंफॉर्म कर दी थी... उसके और हमारे बीच एक डील हुआ था... हम रुप फाउंडेशन और राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के केस को... हमारी तरीके से क्लॉज करेंगे... और तुझे... तेरी मुकम्मल अंजाम तक पहुँचाएँगे...
होमी - नहीं... नहीं राजा साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं होम मिनिस्टर हूँ... अगर मुझे कुछ हुआ... तो आप भी...

इससे पहले कि होम मिनिस्टर अपनी बात पूरी कर पाता भीमा होम मिनिस्टर के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ देता है l

भैरव सिंह - मेरे आदमी का यह चांटा... इस बात का सबूत है... के तु कभी हमारे बराबर नहीं हो सकता... बड़े राजा जी की चौथ का मातम... हम तुम्हारे साथ ही मनाएंगे मंत्री... इसलिए जाओ... पहले रंग महल में आराम करो... जाओ...

भीमा होम मिनिस्टर को धक्का देते हुए नीचे ले जाता है l वहाँ पर होम मिनिस्टर के सभी सुरक्षाकर्मियों को भैरव सिंह के आदमी रंग महल की ओर ले जाते हैं l इतने में रंगा और रॉय आते हैं और वह लोग विशेष प्रकोष्ठ में आते हैं l

रॉय - राजा साहब... लगता है आपने हमें किसी खास काम के लिए बुलाया है...

भैरव सिंह कोई जवाब नहीं देता, एक किताबों वाली अलमारी के पास आता है और उसका दरवाजा खोलता है l अलमारी के दरवाजे पर लगी एक बोर्ड पर कुछ नंबर पंच करता है l एक दीवार सरक जाती है l दीवार के पीछे नोटों का पहाड़ था l जिसे देख कर रंगा और रॉय के आँखे हैरान और शॉक से फैल जाती हैं l

भैरव सिंह - एक काम है... आखिरी.... अगर पूरा करने में कामयाब हो गए... तो आने के बाद... इस कमरे में मौजूद सारे पैसे तुम्हारे...
रॉय - (आँखों में चमक आ जाती है) तो फिर हुकुम कीजिए राजा साहब...
भैरव सिंह - अभी के अभी यशपुर... जितने आदमी हो सके लेकर जाओ.... विश्व... और उसके साथ जो भी दिखे सबको खत्म कर आओ...
रंगा - विश्व... यशपुर में...
भैरव सिंह - हाँ... वह अभी राजगड़ में नहीं है... वह यशपुर में है... उसे ढूंढो... उसे और उसके पास... उसके साथ जो भी दिखे... सबको खत्म कर दो... उसका लाश... या उसका कटा हुआ सिर लेकर आओ... और यह सारी दौलत ले जाओ...
रॉय - मतलब हमें... उसे यशपुर में ढूंढना पड़ेगा...
भैरव सिंह - हाँ... इसलिए सबसे पहले जाओ... पुरे यशपुर को अपने कब्जे में ले लो... अपने तरीके से एक सौ चौवालीस लगा दो... मगर ध्यान रखो... यशपुर में आने तो पाए... मगर... यशपुर छोड़ कर कोई जाने ना पाए... जो भी जाने की कोशिश करेगा... उसे वहीँ वहीँ के खत्म कर देना... अब सब समझ में आ गया होगा...
रंगा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तो जाओ...

रंगा और रॉय अंदर ही अंदर खुशी मनाते हुए बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह फिर से उस इलेक्ट्रॉनिक लॉक पर कुछ नंबर पंच करता है l वह दीवार जो सरक गया था फिर से बंद हो जाता है l तभी एक नौकर आकर खबर करता है

नौकर - हुकुम... आपसे मिलने कुछ लोग आए हैं...
भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) उनको.... xxxx पर ठहराओ...

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यशपुर में
एक विरान जगह पर वर्जित क्षेत्र में एक टूटा फूटा घर l बाहर से भले ही टूटा फूटा भूतीया दिख रहा था, पर अंदर से वह घर अच्छा दिख रहा था l एक कमरे में विश्व दरवाजे की तरफ मुहँ कर बाहर की ओर देखे जा रहा था, कमरे में उदय, कांस्टेबल जगन और एडवोकेट बल्लभ प्रधान भी थे l विश्व टकटकी लगाए दरवाजे पर नजर गड़ाए देखे जा रहा था l उसे इंतजार था विक्रम और सुभाष की l

उदय - विश्वा... अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें..
विश्व - आ रहे होंगे... प्रधान बाबु... उतावला पन ठीक नहीं है...
उदय - वैसे तुम्हारे दोस्त भी नहीं दिखाई दे रहे हैं...
विश्व - वह भी आ जाएंगे... अभी वक़्त ही कितना हुआ है...
बल्लभ - वक़्त... वक़्त कितना हुआ है... बात यह नहीं है... (सबकी ध्यान बल्लभ की ओर जाता है) वक़्त कब तक अच्छा चल रहा है... तब तक... जब तक.... राजा के आदमी हम तक नहीं पहुँच जाते...
उदय - ऐ... बकवास बंद कर...
बल्लभ - मैं... बकवास नहीं कर रहा हूँ... आने वाला वक़्त.. या तो अच्छा होगा... या फिर बुरा होगा... और मुझे लगता है... अब तक राजा को... हमारे बारे में पता लग चुका होगा... और वह हरकत में आ चुका होगा...
विश्व - तो आने दो... हम तक पहुँचने के लिए... भैरव सिंह को बहुत तैयारी करना पड़ेगा... और अपने तरफ से मैंने पहले से ही... तैयारी कर रखा है...
बल्लभ - एक बात पूछूं...
विश्व - हाँ पूछो...
बल्लभ - परसों डीसीपी सतपती... यह उदय और यह कांस्टेबल जगन... मेरी काउंसिलिंग किए... जब कि मुझे लगा था... जब मेरी भेद खुलेगी... तब काउंसिलिंग तुम करोगे...
विश्व - प्रधान बाबु... आपके घर में जो भी हुआ... वह एक ऑफिशियल प्रोसीजर था... आप एसटीएफ के डीसीपी के द्वारा... ट्रेस किए गए और गिरफ्तार किए गए... उसके बाद आपको गवाह बनाया गया... जिसकी अप्रूवल और डिक्लेरेशन... होम मिनिस्ट्री से लिया गया है... वह भी ऑफिशियल... इसलिए मैं आपके सामने नहीं आया... इससे आगे... आपकी गवाही के लिए मेरा होना जरूरी है... इसलिए आपके सामने आया... क्यूँकी यह भी...
बल्लभ - हाँ... ऑफिशियल है...
उदय - एडवोकेट प्रधान बाबु... क्या आप डरने लगे हैं...
बल्लभ - डर.. हाँ... डरने लगा हूँ नहीं... डरा हुआ था.. और अब भी हूँ...
जगन - डरे हुए हो... तो अपने डर के खिलाफ क्यूँ जा रहे हो..
उदय - (मजाकिया लहजे में) क्यूँकी डर के आगे जीत है... क्यूँ
बल्लभ - जीत और हार दोराहा होता है... मैं वह दोराहा लाँघ चुका हूँ.... और डरते डरते थक गया हूँ...
जगन - डरे हुए थे.... शायद इसलिए जिंदा हो... डर से थक गए हो... मतलब... मतलब समझ रहे हो ना...
बल्लभ - हाँ... इस डर को ढोते ढोते थक गया हूँ... पर मैं जिंदा रहना चाहता हूँ... इसीलिए तो... हार का वह मोड़ छोड़ कर... अब तुम लोगों के साथ हूँ...

विश्व कुछ कहना चाहता था पर तभी उसकी मोबाइल बजने लगती है l मोबाइल उठा कर कान से लगाता है l उसी वक़्त घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई देती है l सबकी बातों में विराम लग जाता है l सब बाहर की ओर देखने लगते हैं l एक गाड़ी आकर रुकती है l उस गाड़ी से सुभाष सतपती और उसकी एसटीएफ वाली टीम के बंदे उतरते हैं l पीछे पीछे और एक आर्मोर्ड वैन आती है l उससे विक्रम, सु बुद्धी, श्रीधर परीड़ा के दास भी उतर कर विश्व के सामने आते हैं l सभी कमरे में आ जाते हैं l सुबुद्धी और श्रीधर की नजरें बल्लभ से मिलती है l उन्हें देख कर सुभाष कहता है l

सुभाष - हाँ भाई... भरत मिलाप कर लो... बहुत जल्द हम निकलने वाले हैं... (विश्व से) तुम्हारा प्लान क्या है विश्व..
विश्व - अभी गाँव से सत्तू ने फोन किया था... होम मिनिस्टर महल गया था...
बल्लभ - ह्वाट... वह कब भुवनेश्वर से निकला...
दास - कल ही... मुझे उसके कॉनवोय में शामिल होने के लिए कहा गया था... पर मैंने अपने दो कांस्टेबलों का मेडिकल में होने को बात कर... मेरे थाने की सबॉर्डिनेट को चार्ज हैंड ओवर किया था... पर उन्होंने कहा कि... होम मिनिस्टर ने... लोकल पुलिस की प्रोटोकॉल एक्सेप्ट नहीं किया...
विश्व - ह्म्म्म्म... होम मिनिस्टर कल के चौथ वाली मातम के लिए आया है शायद... और (बल्लभ, सुबुद्धी और श्रीधर की ओर देख कर) लगता है... इनके बारे में जानकारी भी दे दी...

इतना सुनते ही तीनों की हालत खराब होने लगती है l सुबुद्धी विश्व से कहने लगता है

सुबुद्धी - विश्वा बाबु... अब...
विश्व - में भी यही चाहता था... के राजा तुम लोगों के बारे में जान जाए...
श्रीधर - ऐ... तु हमारा बलि चढ़ाने लाया क्या... (सुभाष से) यह... यह क्या डीसीपी साहब... यह तो हमें मरवाने की बात कर रहा है...
जगन - वह कहावत है ना... जैसी करनी... वैसी भरनी...
दास - हाँ... विश्व को फ़ंसाने वाली टीम का... तु भी तो एक हिस्सा था...
श्रीधर - ओ.. अब समझा... तुम लोग कोई गवाही दिलाने नहीं लाए हो... इस विश्वा के नाम पर... राजा भैरव सिंह के हवाले करने लाए हो...

इससे पहले कि श्रीधर और कुछ कहता, चटाक की आवाज़ आती है l श्रीधर अपना गाल सहलाते हुए बल्लभ की ओर देखता है l बल्लभ उसे उंगली दिखा कर

बल्लभ - चुप... चुप... विश्वा हमें ना सिर्फ बचाएगा... बल्कि... हमसे गवाही दिलवा कर... हर गुनाह से माफी भी दिलवाएगा... चुप... जरा सोच... कटक भुवनेश्वर में... पागलों की तरह राजा के आदमी ढूंढ रहे हैं... वहाँ से यहाँ तक बच कर आए हो... तो आगे के लिए भी भरोसा करो....

अपनी गाल सहलाते सहलाते श्रीधर विश्व की तरफ़ आस भरी नजर से देखने लगता है l

सुभाष - चलो... कोई तो हम पर भरोसा कर रहा है... (विश्व से) वैसे विश्वा तुम्हारा प्लान और तैयारी क्या है...
उदय - हाँ... तुम्हारे दोस्त अभी तक नहीं आए हैं...
विश्व - आ जाएंगे... पहले हम प्लान पर बात करें... सतपती बाबु... पहले आप बताएं... मैंने जो कहा था... उसका क्या...
सुभाष - मैं यशपुर पहुँचते ही... सबसे पहले यही किया... दास को साथ लेकर... बारह बुलेट प्रूफ जैकेट ले आया हूँ... गाड़ी में ही है... और अभी कुछ देर बाद... मेरी टीम जाकर... राजगड़ थाने को... हमारे आने तक सम्भाले रखेगी...
विश्व - मैंने कुछ और भी कहा था...
सुभाष - हाँ यार... आर्म एंड एम्युनिशन भी लाया हूँ... वह भी गाड़ी में है... पर एक बात बताओ... तुमने खान सर से... यह आर्मोर्ड वैन क्यूँ मंगवाया...
विश्व - ह्म्म्म्म सब परफेक्ट है... तो सुनिए... यह वैन... आपकी प्रोमोशन हो कर जाने के बाद... जैल में आया था... जैल में क्या हुआ था... आप जानते ही हैं... इसलिए तब... डैड... आई मीन.. सेनापति जी यह आर्मोर्ड वीइकल खरीदे थे... पर मालूम नहीं था... इस वीइकल की अब हमें ज़रूरत पड़ने वाली है...
दास - मतलब... हम पर हमला होगा...
विश्व - हाँ... वे लोग राजगड़ से निकल भी चुके हैं... उनकी टीम को अमिताभ रॉय और रंगा लीड कर रहे हैं...
विक्रम - (गुस्से से) रंगा... रॉय...
विश्व - कुल विक्रम... तो प्लान यह है कि... हम टोटल बारह लोग हैं... पर टीम दो बनेगी... एक टीम में... यह तीन गवाह... मैं... सतपती जी और दास बाबु... इस आर्मोर्ड वीइकल से... रंगा और रॉय के आँखों के सामने से राजगड़ से निकलेंगे...
विक्रम - और हम... हम लोग...
विश्व - बताता हूँ... मेरे दोस्त... तीन बाइक जुगाड़ कर चुके हैं... हमारे यहाँ से निकलते ही.. वे लोग तीन बाइक लेकर यहाँ पहुँच जाएंगे... आप दोनों... विक्रम और उदय बाबु... उनके साथ निकल जाइए...
उदय - ओ... समझा... मतलब... इन तीनों को अपने काबु में लेने के लिए... इसलिए सारे लोग तुम्हारे पीछे जाएंगे...
विक्रम - तो फिर हमारा काम क्या है...
विश्व - तुम लोग बाइक से... पीछे से... राणी पत्थर हो कर... उतम गड़ हाईवे पर हम से पहले पहुँच जाओगे... आगे जाने के बाद... पाँच किलोमीटर दूर सोनपुर हाईवे जाने के लिए... बीन्का बाईपास में उतरोगे... वहाँ... एक झाड़ी में छुपाये एक और आर्मोर्ड वीइकल... बिल्कुल ऐसी ही होगी... तुम... उदय और मेरे चारों दोस्त... वह गाड़ी ले लेना... और वहीं बाइकें उसी झाड़ी में छोड़ देना... हम किसी भी हाल में... उनसे दस मिनट का लूप लेकर... वहाँ पहुँच जायेंगे... हम जैसे ही पहुँचेंगे... तुम लोग आर्मोर्ड वीइकल लेकर चले जाना...
उदय - ओ... उसके बाद वे लोग... हमारे पीछे जाएंगे...
विश्व - हाँ... उस गाड़ी में सब बंदोबस्त होगी... बाकी उदय बाबु... मेरा दोस्त सीलु अच्छा ड्राइवर हैं...
विक्रम - ठीक है...
बल्लभ - विश्व... हम कहाँ जा रहे हैं... क्यों जा रहे हैं... मैं समझ गया... पर एक बात पूछूं...
विश्व - हूँ...
बल्लभ - तुमको इस तरह की लॉजिस्टिक सपोर्ट कौन दे रहा है...
विश्व - (मुस्कराते हुए) मेरे गुरु...
सुभाष - विश्व - तुमने हथियार कहा.. हम ले आए हैं... और लगता भी है... शायद जरूरत पड़ेगी... पर हम इमर्जेंसी कैसे क्रिएट करेंगे... जिससे जज... इनकी गवाही लेने के लिए तैयार हो जाएंगे...
विश्व - यह जो वीइकल है... इसमें मैंने... जोडार साहब से कह कर एक... सिस्टम लगवाया है... (विक्रम और सुभाष से मोबाइल मंगाता है) आप दोनों प्लीज... अपना अपना मोबाइल देंगे...

विश्व उनसे मोबाइल लेकर अपने मोबाइल से एक ऐप भेजता है और उनके मोबाइल में इंस्टाल कर देता है l फिर उनके मोबाइल उन्हें लौटा देता है l

विश्व - गाड़ी में... डैश बोर्ड पर इमर्जेंसी स्विच मार्क किया गया हुआ है.. जैसे ही हम उसे दबायेंगे... एक ड्रोन... जो गाड़ी की छत पर फिक्स है... वह गाड़ी के तीस फुट की ऊँचाई से गाड़ी की नेवीगेशन को फॉलो करते हुए उड़ेगी... तकरीबन दो घंटे तक... उस ड्रोन को कैमरा से... हर और से हो रही हमला रिकार्ड होगा... (सुभाष से) और आप उस लाइव रिकार्ड को... सुप्रिया से साझा करते रहेंगे... पूरा स्टेट... हम पर हो रहे हमले को लाइव देखेगी... यह बात अपने आप में इमर्जेंसी बनाएगी... जजों को गवाही लेने के लिए मजबूर करेगी... (विक्रम को देखते हुए) गाड़ी बदलने के बाद... तुम्हें भी ड्रोन उड़ाना है... और वीडियो कॉल से... सतपती से साझा करना है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मैं सब समझ गया... तो निकलना कब है...
विश्व - जैसे ही मुझे मेरे दोस्त कॉन्टेक्ट करेंगे...

इतने में दास से इशारा पाकर जगन सबके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट ले आता है l पहले विश्व और उसके टीम पहन लेते हैं l विक्रम और उदय भी पहन लेते हैं l उन्हें अब इंतजार था तो विश्व के किसी दोस्त के फोन की l कुछ देर बाद सीलु का फोन आता है l विश्व सब सुनने के बाद विक्रम उदय और जगन को छूपने के लिए कहता है और वह दास और सुभाष के साथ तीनों गवाहों को लेकर गाड़ी में घुस जाते हैं l दास ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी उस जगह से निकाल कर सड़क पर ले आता है l थोड़ी ही दुर जाने के बाद एक मोड़ पर कुछ गाड़ियां इनकी गाड़ी को घेरने की कोशिश करते हैं पर चूँकि यह एक आर्मोर्ड वीइकल थी l सामने आने वाली सभी गाड़ियों को धक्का मारते हुए निकल जाती है l

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"ब्रेकिंग न्यूज
दर्शकों आज यशपुर में एक पुलिस की वैन जो सोनपुर जा रही थी, तभी उस वैन पर बहुत सी गाड़ियों से कुछ अज्ञात लोगों ने धाबा बोल दिया है l आप अपनी टीवी स्क्रीन पर एक्सक्लूसिव तस्वीरें देख सकते हैं l जिस तरह से पुलिस की वैन पर तकरीबन पंद्रह सोला गाडियों से हमला किया गया स्थानीय लोग इसे पुलिस पर गुंडों का आक्रमण कह रहे हैं l हमारे सम्वाददाता को जैसे ही खबर मिली वह ड्रोन कैमरा की सहायता से हो रही झड़प को रिकार्ड कर रहे हैं और हमसे संपर्क करते हुए विजुअल्स उपलब्ध करा रहे हैं l"

हर एक टीवी के स्क्रीन पर लाइव न्यूज में एरियल व्यू से दिख रहा था l एक वैन आगे आगे सड़क पर दौड़ रही थी और उसके पीछे कई गाड़ियों से पीछा किया जा रहा था l पूरे राज्य में लोग इसी न्यूज को देख रहे थे l राजगड़ की महल में भीमा भैरव सिंह को खबर करता है तो भैरव सिंह टीवी ऑन कर देता है l वह टीवी पर यह सब दृश्य देख कर और न्यूज चैनल में चल रहे स्कोलिंग देख कर समझ जाता है कि गाड़ी में विश्व और गवाह हैं और उनका पीछा रंगा और रॉय की टीम कर रहा था l भैरव सिंह भीमा कॉर्डलेस है लाने को इशारा करता है l भीमा जैसे ही फोन लाता है उसे रॉय का नंबर डायल करने के लिए कहता है l भीमा भी बिना देर किए रॉय का नंबर लगा कर कॉल करता है l उधर रॉय फोन उठाता है l

रॉय - हैलो..
भीमा - एक मिनट लाइन में रहिए... राजा साहब बात करेंगे... (कह कर भैरव सिंह के हाथ में कॉर्डलेस दे देता है)
भैरव सिंह - क्या चल रहा है...
रॉय - राजा साहब... वह जिस गाड़ी में भाग रहे हैं... विश्वा और उन तीन गवाहों के साथ... दो लोग और भी हैं... पता नहीं चल पा रहा है...
भैरव सिंह - जो तुम और तुम्हारी टीम कर रही है... उसे पूरा स्टेट देख रहा है...
रॉय - क्या... जी मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - तुम उसकी चिंता मत करो... जो भी हो रहा है... ठीक हो रहा है... हमें यह सब डंके की चोट पर करना था... वही हो रहा है...
रॉय - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब लौटना... तो विश्व और उन हराम खोरों के कटे हुए सिरों के साथ ही लौटना...


कह कर भैरव सिंह अपना कॉल काट देता है और अपनी नजरें टीवी स्क्रीन पर गाड़ देता है l इधर फोन अपनी जेब में रख कर वॉकि टॉकी पर सबको हुकुम देता

रॉय - सब ध्यान से सुनो... तुम में से जो भी कोई इन्हें पकड़ लेगा... मैं उसे उसकी वजन बराबर नोट से तोल दूँगा... जाओ... टक्कर मारो... गाड़ी पलटाओ कुछ भी करो... इन हराम खोरों को पकड़ो...

रॉय की यह बात उसके सारे बंदे सीरियसली ले लेते हैं l पंद्रह गाड़ियों में सवार लोगों में विश्व और बाकी लोगों को पकड़ने के लिए होड़ में लग जाते हैं l जिसके वज़ह से उनके बीच तालमेल बिगड़ जाता है l कोई कोई गाड़ी टक्कर भी मार रहे थे l इधर गाड़ी के भीतर टक्कर के वज़ह से सब थोड़ी देर के लिए अस्तव्यस्त हो जाते हैं l

सुभाष - हमें लगता है... हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ेगा...
विश्व - नहीं... उन्होंने अब तक... हथियार इस्तेमाल नहीं किया है... यह ठीक नहीं रहेगा... (फिर गाड़ी पर टक्कर लगता है, जिससे सबको झटका लगता है)
सुभाष - यह लोग पागल हो गए हैं... दास... यार... यह पुलिस वैन है... तेज चलाओ...
दास - मैं अपनी कैपासिटी से भी तेज चला रहा हूँ...

तभी विश्व का फोन बजता है, विश्व फोन निकाल कर देखता है, स्क्रीन पर डैनी डिस्प्ले हो रहा था, विश्व फोन उठाता है l

डैनी - लगे रहो हीरो... पूरा स्टेट तुम लोगों को लाइव देख रहा है...
विश्व - हमें...
डैनी - आई मीन... तुम्हारी गाड़ी को...
विश्व - हाँ आखिर यह आइडिया... आपका जो था...
डैनी - तुम लोग उन्हें छका क्यूँ नहीं रहे हो... ऐसी स्पीड रही तो... तुम लोग सोनपुर नहीं पहुँच पाओगे...
विश्व - क्या करें... वह लोग हम पर गोली भी तो नहीं चला रहे हैं... अगर एक बार... हमारी तरफ़ से फायरिंग हो गई... तो दूसरी तरफ से... बम गोले बरस पड़ेंगे...
डैनी - गाड़ी में... दो फर्स्ट ऐड बॉक्स होंगे देखो...
विश्व - हाँ देखा...
डैनी - वह दूसरी बड़ी वालीं निकालो...

विश्व इशारा करता है तो सुभाष बड़ी वाली फर्स्ट ऐड बॉक्स निकालता है, उसे खोलने पर बॉक्स उपरी ढक्कन पर एलसीडी स्क्रीन थी एक रिमोट ट्रिगर था और कुछ घड़ी आकार के गैजेट्स l

विश्व - यह... यह सब क्या है...
डैनी - देखो... गाड़ी के बीचों-बीच एक शटर नुमा दरवाजा होगा... नीचे से उतरने के लिए... (विश्व देखता है)
विश्व - हाँ है...
डैनी - तो अब ध्यान से सुनो... तुमने मुझसे जब लॉजिस्टिक्स मांगा था... तब मुझे एहसास हो गया था... ऐसा ही कुछ होगा... यह गैजेट्स... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर है... किसी भी गाड़ी की... इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिक सर्किट को पूरी तरह से जाम कर सकता है... अब उन सबको रोकने के लिए... इन ट्रेंकुलाईजर्स का इस्तेमाल करो...
विश्व - समझ गया...

विश्व फोन काट देता है l गाड़ी के फर्श पर वह शटर को किनारे करता है l फिर उस बॉक्स को ऑन करता है l उपरी कवर का एलसीडी ऑन हो जाती है l रिमोट को भी ऑन करता है और फिर एक ईएमपी ट्रेंकुलाईजर ऑन करता है और गाड़ी की फर्श से उसे नीचे सड़क पर गिरा देता है l तभी एलसीडी स्क्रीन पर एक लाल रंग का डॉट दिखने लगता है l विश्व ट्रिगर रिमोट की स्विच ऑन कर देता है l एलसीडी स्क्रीन पर एक स्पाइक जम्प लेता है l सभी पीछे देखते हैं एक गाड़ी में इमर्जेंसी ब्रेक लग जाते हैं l गाड़ी की तेजी के वज़ह से गाड़ी झटके के साथ बीस पच्चीस फुट ऊंचाई पर गुलाटी मारते हुए सड़क पर गिरती है l यह देख कर रॉय और उसकी टीम हैरान हो जाते हैं l

रॉय - गाड़ी तेजी से चलाओ... और सड़क पर नजर भी रखो... गाड़ियों को जीगजाग चलाओ... अंदर से कोई... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर इस्तेमाल कर रहा है...
रंगा - अगर उन्होंने सारे गाडियों पर इस्तेमाल कर दिया... तब...
रॉय - अगर एक और गाड़ी की पलटी होती है... तो उन्हें रोकने के लिए गोली... गोला जो भी दाग दो...

अब सारी गाड़ियां पीछा तो कर रही थीं पर जीगजाग तरीके से l यह देख कर सुभाष कहता है "अब मुझे इस्तेमाल करने दो" इतना कह कर विश्व के हाथों से अपना वह रिमोट और ट्रेंकुलाईजर ले जाता है और वह नीचे सड़क पर फेंक देता है l रिमोट पर स्विच ऑन करता है पर कोई फायदा नहीं होता है l वह ईएमपी ट्रेंकुलाईजर बेकार जाता है l सुभाष और एक ट्रेंकुलाईजर डालता है थोड़ा गाड़ियों के मूवमेंट देखने के बाद रिमोट दबाता है इसबार सबसे पीछे वाली गाड़ी मुड़ कर पलट जाती है l यह देख कर रंगा रॉय की हाथ से वॉकि टॉकी लेकर सारे अपने आदमियों से कहता है l

रंगा - हम यहाँ चोर पुलिस नहीं खेल रहे हैं... उस गाड़ी में एक हारामी है.... उसे ही नहीं... उसके साथ जो भी गाड़ी में उन सबको मारना है... चलाओ गोली...

अब हर एक गाड़ी में से एक एक स्नाइपर अपनी अपनी गन लेकर अपनी अपनी गाड़ी में पोजीशन बनाते हैं और फायर करने लगते हैं l चूँकि आर्मोर्ड गाड़ी बुलेट प्रूफ था इस लिए गाड़ी को कुछ नहीं होता l पर गाड़ी पर गोलियों की बरसात होते ही सुबुद्धी चिल्लाने लगता है l उसे डांट कर सुभाष चुप कराता है l

सुभाष - दास... और कितना दूर है... बिन्का बाई पास...
दास - नेवीगेशन के हिसाब से... दस किलोमीटर और...
श्रीधर - हम क्यूँ नहीं... गोली चलाते उनपर...
विश्व - हम...
श्रीधर - ठीक है... तुम... तुम क्यूँ नहीं गोली चला रहे...
विश्व - हमारी मर्जी...

सुभाष जितनी भी ट्रेंकुलाईजर थे सभी को ऑन करता है l एलसीडी में सीरियल नंबर डालता है और सबको बारी बारी से नीचे सड़क पर डाल देता है l विश्व रिमोट लेकर लगातार ट्रिगर दबाता चला जाता है l इसके वज़ह से आगे पीछे हो कर पाँच छह गाड़ियां पलट जाते हैं l जिसके कारण कुछ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं l जिसके वज़ह से सारी गाड़ियां रुक जाती हैं l रॉय और रंगा दोनों उतरते हैं

रंगा - जिस जिसकी गाड़ी की माँ बहन हो गई है... वह यहाँ रह कर अपनी माँ चुदाए... बाकी गाडियों को सम्भल कर... जैम से निकालो... वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे... अब उनको नहीं पकड़ेंगे... उन सबको गोली मार देंगे...
रॉय - अब की बार गाड़ी नहीं... टायरों पर निशाना लगाओ... गाड़ी की दूरी कम हो... तो ग्रेनेड फेंक मारो... मगर मार डालो... हम यशपुर से बहुत दूर आ चुके हैं... वह लोग बीन्का बाईपास से सोनपुर जा रहे होंगे... जल्दी पहुँचो...

बाकी जितनी गाड़ियां थीं सब धीरे धीरे से उस जैम से निकल कर बिन्का बाईपास की ओर जाने लगते हैं l और उस तरफ बाईपास ओवर ब्रिज के नीचे पहले से ही विक्रम उदय और सीलु, मिलु टीलु और जिलु विश्व और गाड़ी की इंतजार कर रहे थे l कुछ ही देर बाद विश्व और उनकी गाड़ी इनके सामने थी l जैसे ही विश्व गाड़ी से उतरता है सीलु झाड़ियों में छुपी हुई दूसरी आर्मोर्ड वैन निकाल लेता है l उदय और विश्व के चारों दोस्त उस गाड़ी में बैठ जाते हैं l विश्व उस गाड़ी का मुआयना करता है l देखता है इस गाड़ी में भी दो दो फर्स्ट ऐड बॉक्स थीं l विश्व समझ जाता है इस गाड़ी में भी डैनी ने वही व्यवस्था करी हुई है, विश्व विक्रम को ट्रेंकुलाईजर्स के बारे में जानकारी दे देता है और सारे हथियार जो इनके गाड़ी में थे वह सब विक्रम वाली गाड़ी में रखवा देता है l विक्रम सब समझ जाता है और फिर वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाता है l पर कुछ सोच कर विश्व आवाज देता है

विश्व - विक्रम... (विक्रम गाड़ी से उतरता है)
विक्रम - हाँ...
विश्व - (आता है विक्रम के गले लग जाता है और कहता है) हमने अब तक कोई गोलियां नहीं चलाई है... पर तुम लोग गोली का जवाब गोली से देना.. और विक्रम... तुम और तुम्हारे साथ.. (कुछ कह नहीं पाता, एक पॉज लेने के बाद) जिंदा लौटना... प्लीज...

विश्व की इस भावुक बात सुन कर सभी दोस्त उतर कर विश्व के गले लग जाते हैं l

सुभाष - ओ भई... अगर मिशन सक्सेस हुआ... तो भरत मिलाप और भी होंगे... अभी हमने सिर्फ उन्हें छकाया है...
विश्व - जाओ...

सभी गाड़ी चढ़ जाते हैं l सीलु गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी को बिन्का हाईवे पर दौड़ा देता है l वहीँ सुभाष, दास विश्व और तीनों गवाहों को लेकर झाड़ियों में से हो कर सड़क के नीचे उतर जाते हैं l वहीँ पर तीन बाइक्स रखे हुए थे l पर जल्द बाजी में पुरानी वैन को छुपाना भूल जाते हैं l इधर ब्रिज के नीचे छह सात गाड़ी आकर रुकती हैं l रॉय और रंगा का चेहरा उतर जाता है, क्यूँकी जो वैन उन्हें दिखा वह खाली था l वह लोग इधर उधर झाँकने लगते हैं कि उन्हें बिलकुल इसी तरह एक और वैन को बिन्का हाईवे पर जाते हुए दिखता है l

रॉय - ओ... हमें बेवक़ूफ़ बनाने के लिए... यहाँ गाड़ी छोड़ दिए... वह देखो... और एक वैन... बिल्कुल सेम टू सेम... चलो...

सभी जो गाड़ियों से उतरे थे, जल्दी जल्दी गाड़ी चढ़ कर बिन्का हाईवे पर उस आर्मोर्ड वीइकल का पीछा करने लगते हैं l उनके जाते ही तीनों बाइकें सड़क पर आ जाती हैं l सारी गाड़ियां जब इनके आँखों से ओझल हो जाते हैं तो सुभाष सुप्रिया को फोन करता है l

सुभाष - तुम मेरी बात को ऑडियो लाइव कराना... और उसी ऐरियल रिकार्डिंग को बार बार रिपीट कराते रहना...
सुप्रिया - ठीक है...
विक्रम - और वहाँ पर क्या चल रहा है...
सुप्रिया - सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा है... पत्री सर... सुधांशु मिश्रा भी आ गए हैं...
विक्रम - ओके...
सुप्रिया - ऑल द बेस्ट...
विश्व - एक गलती तो हुई... पर वह लोग पकड़ नहीं पाए...
विक्रम - हाँ... हम इस वैन को छुपा नहीं पाए... पर किस्मत हमारे साथ है...

इस बार उत्तम गड़ के रास्ते विश्व और उसके बाइकर्स जाने लगते हैं l उधर गुस्से से तमतमाये रंगा और रॉय और उनके साथी गाड़ी के पास आते आते गोलियाँ बरसाने लगे l गाड़ी में एक राइफ़ल उदय और एक स्नाइपर गन विक्रम लिए तैयार थे l जैसे ही गाड़ी पर गोलियां लगने लगी जवाब में विक्रम और उदय काउंटर फायर करने लगे l इनकी काउंटर फायर से दो तीन आदमी उनकी चलती गाड़ी से गिर गए l काउंटर फायर होते ही जिस तेजी के साथ यह लोग गाड़ी का पीछा कर रहे थे गाड़ी थोड़ी धीमा कर कुछ दूरी बरकरार रखते हुए पीछा करने लगे l

रंगा - इनके पास गन है...
रॉय - हम ही बेवक़ूफ़ निकले... यह पुलिस की आर्मोर्ड वीइकल है... हमें पहले से ही समझ जाना चाहिए था..
एक आदमी - अगर... इनके पास गन था... तो पहले हम पर काउंटर फायर क्यूँ नहीं किया...
रॉय - अब समझा... उन्होंने दूसरी गाड़ी क्यों ली... मतलब पहली वाली गाड़ी में... हथियार नहीं थे... इसलिए इन लोगों ने... दूसरी गाड़ी का इंतजाम करवाया....
रंगा - हाँ... वह भी हथियारों के साथ...
रॉय - एक मिनट एक मिनट... (गाड़ी रुक जाती है, उसके गाड़ी रुकते ही सारी गाड़ियां वहीं रुक जाती हैं ) कहीं ऐसा तो नहीं... हम बेवक़ूफ़ बन रहे हैं... सोनपुर जाने के लिए... यह जंक्शन... एक बिन्का... और दूसरा... उत्तम गड़... ए.. ऐ... हमारे साथ खेल हो गया... विश्व और वह गवाह... उत्तम गड़ के रास्ते गए हैं... चलो चलो... गाड़ी घुमाओ...

रॉय के इतना कहते ही सभी अपनी अपनी गाड़ी घुमाने लगते हैं l आगे आगे जा रहे विक्रम और उदय यह सब देख लेते हैं l

विक्रम - गाड़ी रोको सीलु... गाड़ी रोको...
उदय - लगता है उन्हें शक हो गया है... वह लौट रहे हैं...
सीलु - क्या...
मिलु - हाँ... उन्हें शक हो गया है... जल्दी हमें उनके पीछे जाना पड़ेगा...
टीलु - हाँ... विश्वा भाई लोगों के पास हथियार भी नहीं है... जल्दी...

सीलु भी बिना देरी किए गाड़ी घुमाता है और एक्सीलेटर पर पैर दबा देता है l गाड़ी अब बिन्का रोड छोड़ कर रंगा और रॉय के पीछे जाने लगता है l बहुत दूर से ही सही मगर रंगा को अपने पीछे आती हुई आर्मोर्ड वीइकल दिख जाती है l

रंगा - रॉय बाबु... अपने सही पकड़ा... उस आर्मोर्ड गाड़ी में... विश्वा है ही नहीं... अब जो भी कोई है... वह हमारे पीछे आ रहा है..
रॉय - सबको बोलो... रेंज में आते ही... गोलीयों से भुन डाले..
रंगा - ऐ सुनो रे... हमारे चाहने वाले... हमारे पीछे आ रहे हैं... अपनी रेंज में इन्हें लो... और सब हरामीयों का तन्दूरी फ्राई कर दो...

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"जैसा कि हमें हमारी रिपोर्टर जो कि फिल्ड से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं कि जो पुलिस की गाड़ी थी उसमें एसटीएफ हेड डीसीपी सुभाष सतपती वीटनेस प्रोटेक्शन की कार्य को हाथ में लेकर अपने साथ कुछ गवाहों को बचा कर राजगड़ सीमा के बाहर जा चुके हैं l फिर भी उनके पीछे न्याय के दुश्मन बंदूक और बमों के साथ पीछे लगे हुए हैं l हम कोशिश कर रहे हैं एसटीएफ हेड श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने की l

हाँ हाँ.. हाँ तो दर्शकों हमारे टेक्निशियन श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने में सफल हो गए हैं l अभी कुछ ही देर में हम श्री सतपती जी को लाइव सुन पायेंगे, हाँ तो डीसीपी सुभाष जी क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं..
सुभाष - जी... जी..
सुप्रिया - डीसीपी सुभाष जी... ड्रोन कैमरा से... हम जो भी अब तक देखे हैं... वह बहुत ही भयाभय है... इस वक़्त आप कैसे हैं...
सुभाष - हम सुरक्षित हैं... क्यूँकी हम एक आर्मोर्ड वीइकल में हैं... इसलिए इस पर गोलियों का फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है..
सुप्रिया - हमारे सम्वाददाता कह रहे थे... यह एक वीटनेस प्रोग्राम है...
सुभाष - जी... जैसा कि आप जानती होंगी... गृह मंत्रालय ने... रुप फाउंडेशन केस में जो नया एसटीएफ बनाया था... उसमें मुझे प्रमुख बनाया गया था.. अपनी तहकीकात के दौरान... मैंने कुछ नए और छुपे हुए गवाहों को ढूंढ निकाला... मैंने उनकी डिक्लेरेशन बस किया था... और वीटनेस प्रोटेक्शन के तहत... सुरक्षा प्रदान करना चाहता था... पर रुप फाउंडेशन के शत्रुओं को खबर लग गई... इसलिए वे लोग हमारे ऊपर हमला कर मिटना चाह रहे हैं...
सुप्रिया - एक आखिरी प्रश्न... क्या आप गवाहों को... सुरक्षित कर... केस की समाधान करा पायेंगे...
सुभाष - आशा यही है... और प्रयत्न भी... बाकी जो भगवान की इच्छा...
सुप्रिया - लगता है... हमारा संपर्क कट गया है... फिर भी हमारे पास जो फुटेज उपलब्ध है... उसे देख कर... "

सारा राज्य टीवी पर प्रसारित हो रही न्यूज में पहली वाली रिकार्डिंग बार बार चल रहा था, उसे देख रहा था l उधर सीलु जितना करीब होता जा रहा था रंगा और रॉय के आदमी गोलियाँ बरसाने लगते हैं l ज़वाब में उदय और विक्रम काउंटर फायर करने लगते हैं l सामने से इतनी ज्यादा गोली बरस रही थी के आर्मोर्ड गाड़ी के विंड शील पर क्रैक्स आने लगते हैं l विंड शील बेशक बुलेट प्रूफ थी पर गोलियों के निशानों के क्रैक्स बढ़ते ही जा रहे थे l सामने से ग्रेनेड भी फेंका जा रहा था पर रेंज से बाहर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था l

उदय - उनकी अटेकिंग पोजीशन बढ़िया है... हमारा काउंटर... फ्रंट साइड... असरदार नहीं हो रहा है...
विक्रांत - हाँ... मैं भी महसूस कर रहा हूँ...
मील - अगर यह लोग इसी तरह से गए... तो एक आध घंटे में... विश्व भाई तक तो पहुँच भी जाएंगे...
सीलु - और यहाँ... विंडशील पर इतने क्रैक्स आ गए हैं कि... विजिबिलिटी कम हो रहा है...
टीलु - हम अगर आगे होते... (ट्रेंकुलाईजर्स को दिखा कर) इन सबका सही इस्तेमाल भी कर सकते थे...
विक्रम - (कुछ सोच कर) उदय बाबु... अपनी गूगल मैप के जरिए... कोई शॉर्ट कट ढूंढो... हमें हर हाल में इनके आगे रहना है...
सीलु - वैसे मैं एक शॉर्ट कट जानता हूँ... पर आप लोगों को कंफर्ट ना लगे...
विक्रम - भाड़ में जाए कंफर्ट... हमें विश्व और रंगा एंड रॉय कम्पनी के बीच में आना है...
उदय - पर अगर हमने रास्ता बदला तो... उन्हें शक नहीं हो जाएगा...
विक्रम - एक काम करो सीलु... इस बार ग्रेनेड के रेंज में चलो...
सील - समझ गया...

सीलु गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है l एक गाड़ी के पास आ जाता है l इस बीच विक्रम और उदय सीलु की गाड़ी को कवर फायर देने लगते हैं l जिसके कारण सबसे आखिर में जा रही गाड़ी के पास पहुँच जाते हैं l उस गाड़ी में से एक आदमी ग्रेनेड फ़ेंक मारता है l सीलु सावधान था, गाड़ी की स्टीयरिंग को ऐन मौके पर मोड़ देता है l जिसके वज़ह से ग्रेनेड गाड़ी से टकराने के बजाय दूसरी दिशा में सड़क पर फूटता है l जिसके शॉक वेव से गाड़ी हिल जाती है और उसी समय सीलु गाड़ी में ब्रेक लगा देता है l रंगा और रॉय को लगता है गाड़ी में कुछ डैमेज हुआ है जिसके वज़ह से गाड़ी रुक गई है l सबसे आखिरी वाले गाड़ी में जितने बंदे थे वह सब जश्न मनाने लगते हैं l उनकी गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी l पीछे आर्मोर्ड गाड़ी रुक गई थी l कुछ देर बाद सीलु गाड़ी घुमाता है और हाईवे के नीचे पगडंडी वाली रस्ते पर उतार देता है l गाड़ी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही थी गाड़ी उतनी ही ज्यादा झटके खा रही थी l पर सीलु पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ रहा था l सीलु गाड़ी भगाए जा रहा था l कुछ देर बाद हाईवे से दूर कच्ची पक्की सड़क पर पेड़ और जंगल के ओट में गाड़ी सरपट भाग रही थी l

विक्रम - तुम्हें इन सब रास्तों के बारे में कैसे पता...
सीलु - मैं दो साल यहाँ हर चप्पे-चप्पे को छान मारा हुआ है... हम उनसे पहले पहुँच जायेंगे...
विक्रम - तो हम कहाँ पहुँचेंगे...
सीलु - कुछ दूरी पर... महानदी ब्रिज आएगी... वह ब्रिज एक किलोमीटर लंबा है... उनसे पहले हम ब्रिज तक पहुँच जाएंगे...

विक्रम और कोई सवाल नहीं करता है l सीलु उन संकरी रास्तों पर गाड़ी को किसी गोली की तेजी से दौड़ा रहा था l कुछ ही मिंटो में ब्रिज तक पहुँच जाते हैं l जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर दौड़ने लगती है विक्रम टीलु को ट्रेंकुलाईजर्स को इस्तमाल करने के लिए कहता है l टीलु गाड़ी की फर्श की शटर को सरका कर सारे ट्रेंकुलाईजर्स को ऐक्टिव कर सड़क पर डालने लगता है l इस दौरान गाड़ी ब्रिज के अंतिम छोर पर पहुँच जाती है l सीलु गाड़ी को घुमा कर आढा कर गाड़ी को ब्रिज पर खड़ा कर देता है l टीलु वह ट्रेंकुलाईजर्स का एलसीडी और रिमोट लेकर उतर जाता है l गाड़ी के दोनों सिरे पर विक्रम और उदय पोजीशन ले लेते हैं l कुछ ही देर बाद रंगा और रॉय की टीम को आते हुए देखते हैं l उधर रंगा और रॉय के टीम की सभी गाड़ियां ब्रिज के दूसरे सिरे पर रुक जाती हैं l रंगा अपनी आँखे मलता है l

रॉय - लगता है... कोई शॉर्ट कट लेकर आए हैं...
रंगा - हाँ... अब क्या करें...
रॉय - (अपने साथियों की तरफ़ मुड़ता है) देखो... हमें आज... इन सबकी लाशों को... या तो लेकर जाना है... या फिर इन सबकी लाशों पर गुजर कर जाना है... दोनों ही सूरत में... पैसा है पैसा मिलेगा... बे हिसाब.. पैसा मिलेगा... तुम लोगों के लिए यह नया नहीं है... ऐसी हालात से... तुम लोग बहुत बार गुजरे हो... यह लास्ट टाइम है... सोच लो...

सभी लोग अपनी अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ने लगते हैं l टीलु तैयार था जैसे उसके एलसीडी में ट्रैक पर पॉइंट क्रॉस ओवर हुआ, टीलु रिमोट दबाता गया l चार पाँच गाड़ियां ब्रिज के ऊपर ही पलटने लगी l यह देख कर रंगा और रॉय हैरान होते हैं l जैसे ही पलटी हुई गाड़ी से लोग निकलने लगे उन्हें उदय और विक्रम उन्हें अपने निशाने पर लेकर ठोकने लगते हैं l यह देख कर रंगा चिल्लाता है

रंगा - सब अपनी अपनी गाड़ी के पास पोजीशन ले लो...

सभी गाडियों के ओट लेकर खुद को बचाने लगते हैं l रंगा काउंटर फायर करने लगता है l जिसके वज़ह से विक्रम और उदय की फायरिंग थोड़ी देर के लिए बंद हो जाती है l जिसके आड़ में रंगा और रॉय अपने लोगों को इकट्ठा कर सबसे पहले वाली गाड़ी तक पहुँच जाते हैं l अब उनके बीच तीस या चालीस मीटर की ही दूरी थी l एक दूसरे को एक दूसरे की पोजीशन के बारे में जानकारी भी थी l

विक्रम - (विश्व की दोस्तों से) एक काम करो... मैं और उदय... कवर फायर देते हैं... तुम लोग.. ब्रिज से उतर जाओ...
जिलु - नहीं विक्रम बाबु... हम आपको अकेले कैसे छोड़ दें..
विक्रम - समझा करो... यहाँ गन सिर्फ दो हैं... और हम छह... तुम लोगों को अगर कुछ हो गया... तो तुम लोगों के चक्कर में.. हम लोग भी फंस जाएंगे...
सीलु - तो एक काम कीजिए... यह गन आप मुझे दे दीजिए... और आप यहाँ से नीचे उतर जाइए...
विक्रम - शॉट अप... यहाँ तुम लोग मेरी जिम्मेदारी हो... ना कि मैं... अगर मेरी जिम्मेदारी हल्का करोगे... तो मैं... भी तुम लोगों के साथ... यहाँ से निकल सकता हूँ...
मीलु - नहीं...
उदय - देखो... यहाँ सेंटी होने से कुछ नहीं होगा... उस तरफ़ हर कोई... बंदूक से लैस है... और यहाँ हमारे पास सिर्फ दो...
विक्रम - देखो... तुम लोग जाओ... और हमें पाँच मिनट टाइम दो... फिर मिलकर... हम सब वापस जाएंगे...
सीलु - मगर...
विक्रम - देखो.. वह लोग भी कुछ प्लान बना रहे होंगे... और हम... हम सिर्फ वक़्त बर्बाद कर रहे हैं... इसलिए जाओ जल्दी से उतरो...

विक्रम फायर करता है, उसकी देखा देखी उदय भी फायर करता है l इसी एनगेजमेंट के दौरान ब्रिज से सीलु और उसके साथी उतर कर सड़क के किनारे आ जाते हैं l चारों एक दूसरे को देखते हैं और नीचे उतर कर ब्रिज के नीचे से दूसरे छोर की ओर भागने लगते हैं l नदी सुखी हुई थी l किन्हीं किन्ही जगहों पर पानी का बहाव था l जिसे अनदेखा कर चारों दोस्त ब्रिज के दूसरे छोर की जाने लगते हैं l ब्रिज के उपर फायरिंग चल रही थी l तभी किसीने एक ग्रेनेड फेंका था जो आर्मोर्ड वीइकल के पास फटता है l जिसके शॉक वेव के चलते दोनों उदय और विक्रम गाड़ी से झटका खाते हैं l यही मौका समझ कर दो तीन आदमी विक्रम का गाड़ी की ओर भागते हुए आते हैं तभी उन्हें उदय शूट कर देता है l विक्रम और सजग हो जाता है l उन्हें गिरता हुआ देख कर रंगा और दो लोगों को फायर करते हुए आगे बढ़ने के @लिए कहता है l वह दोनों वही करते हैं l इस बार विक्रम उदय को निशाना देने के लिए कहता है l उदय अपना निशाना देते हुए जब फायर करने लगता है तो उसकी मैग्ज़ीन खाली हो जाता है l तभी एक गोली आकर उसके जांघ पर लगती है पर तब तक विक्रम उन दोनों को टपका देता है l विक्रम उदय को खिंच कर गाड़ी के पीछे लाता है l विक्रम अपनी एक पोजीशन बना कर जिस गाड़ी के पीछे रंगा और रॉय छुपे हुए थे उसे ऑब्जर्व करता है l फिर छुप कर अपनी स्नाइपर गन से उस गाड़ी की फ्यूल टैंक को निशाना बना कर फायर करता है l निशाना एक दम सही लगा था l गाड़ी में धमाका होता है जिसके चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं और तितर-बितर हो कर सड़क पर बिछ जाते हैं l रंगा और रॉय की हालत भी ऐसी ही थी l धमाके के बाद विक्रम थोड़ा इंतजार करता है l कोई हल चल ना होता देख विक्रम बाहर निकलता है धीरे धीरे आगे बढ़ने लगता है कि तभी एक घायल आदमी विक्रम पर ग्रेनेड फेंकता है l विक्रम पीछे भागते हुए आर्मोर्ड गाड़ी के पीछे छलांग लगा देता है l धमाके से बाल बाल विक्रम बच जाता है पर थोड़ा घायल ज़रूर हो जाता है और उसका बंदूक भी छूट जाता है l जब तक सम्भल कर उठता है तो देखता है रंगा और रॉय तीन चार लोगों के साथ विक्रम के सिर पर खड़े थे l

रंगा - यह मैं क्या देख रहा हूँ... क्षेत्रपाल घर का चराग ही... घर को आग लगा रहा है...
रॉय - साला हम यहाँ विश्व के लिए आए थे... और यहाँ विकी बाबु हमें पोपट बना दिए...(विक्रम संभल कर पीठ टिकाए गाड़ी से टिक पर बैठ जाता है) अब इसका क्या करें...
रंगा - इसे... इसके बाप की जरूरत नहीं... इसकी बाप को... इसकी जरूरत नहीं... हमारी जरूरत के बीच आ गया... तो इसे मार ही देते हैं...
रॉय - हाँ... मार दे यार... मुक्ति दे दे... हमें थोड़ी देर के लिए सुकून मिल जाएगा... विश्वा को नहीं मार पाए... उसके बदले यही सही...

रंगा अपना पिस्टल निकालकर विक्रम पर जैसे ही निशाना लगाया ठीक उसी समय सीलु जिलु मीलु और टीलु पीछे से आकर इन पर छलांग लगा देते हैं l कुछ देर के लिए सही सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है l अब उनके बीच हाथापाई शुरू हो जाती है l इतने में विक्रम खुद को सम्भल कर रॉय पर टूट पड़ता है l थोड़ा सा ही हाथ पैर चलाने के बाद रॉय को घुटनों पर लाकर उसकी गर्दन को अपनी बाहों में कस लेता है l यह सब देख कर रंगा धीरे धीरे पोंछे खिसकने लगा था कि एक गोली उसके टांग पर लगती है l रंगा दर्द से बिलबिलाते हुए नीचे गिरता है l विक्रम को छोड़ कर सबका ध्यान वहाँ टिक जाता है, जहाँ से गोली चली थी l किसी का भी ध्यान घायल उदय की तरफ नहीं था l जब सब हाथापाई में गुत्थम गुत्था कर रहे थे तब उदय ने नीचे गिरी पड़ी गन उठा लिया था l अब रंगा नीचे पड़ा था और सभी उदय के निशाने पर थे इसलिए सब शांत हो गए पर विक्रम रॉय का गर्दन दबोच रखा था l यह देख कर सीलु अपने दोस्तों के साथ विक्रम से रॉय को बचाने की कोशिश करते हैं l पर तब तक रॉय का जिस्म ठंडा पड़ चुका था l उदय लंगड़ाते हुए विक्रम के पास आता है और उसे झिंझोडता है l जब रॉय का जिस्म कोई हरकत नहीं करता तब उसके बदन को विक्रम छोड़ता है l

सीलु - विक्की बाबु... यह क्या किया आपने...
विक्रम - यह मेरे इकलौते दोस्त... महांती का बदला था... जो इसने मृत्युंजय के साथ मिलकर मार डाला था... (गुर्राते हुए) अब रंगा...

तब तक रंगा भी सम्भल चुका था उसके हाथ में एक ग्रेनेड था l जब सब उसके तरफ़ देखते हैं तब वह ग्रेनेड से पिन निकाल चुका था l उदय अपना गन तान देता है l

रंगा - खबर दार... कोई आगे मत बढ़ना... मुझे अब... यहाँ से जाने दो... नहीं तो... मेरे साथ तुम लोग भी मरोगे...

सब वहीँ चकित खड़े हो जाते हैं l रंगा अपने लोगों को इशारे से बुलाता है l उदय किसी को भी नहीं रोकता l वह सब रंगा के पीछे खड़े हो जाते हैं l

विक्रम - अब क्या करोगे... तुम कितना दूर जा पाओगे... पीछे जाओगे तो हम तेरे रेंज से बाहर हो जायेंगे... पर तु हमारे रेंज में होगा... हम तुम सबको गोली मार देंगे...
रंगा - हाँ बात तो तुने सही कही... पर कोई बात नहीं... रॉय को क्यूँ मारा... मुझे समझ में आ गया... पर मुझे तु क्यूँ मारना चाहता है...
विक्रम - तुझे एक नहीं कई मौतें मारना चाहता हूँ... तु भूल गया... मेरी शुब्बु को... किडनैप कर छूने की कोशिश की थी... विश्व ने बचाया था... शुब्बु को...
रंगा - पर देर हो गई विक्रम... देर हो गई... विश्वा आज ना सही.. कभी भी मारा जाएगा... पर आज... तुम सब मारे जाओगे...

कह कर ग्रेनेड विक्रम की ओर उछाल देता है l विक्रम उदय सीलु मीलु सब पीछे भागते हुए वैन के ओट में जाकर नीचे कूदी लगाते हैं l ग्रेनेड फट जाता है गाड़ी को झटका लगता है जिससे गाड़ी कुछ फिट सरक जाता है l गाड़ी के पीछे जो ओट बना कर कूदी लगाए थे वह लो गाड़ी के चपेट में आ जाते हैं l विक्रम थोड़ा सावधान था इसलिए उसका स्नाईपर गन उसके हाथ लग जाता है l उधर रंगा और उसके साथी अपने गाड़ियों के पास भाग रहे थे l विक्रम गन उठता है एक एक को निशाने पर लेटे हुए फायर करने लगता है l चार बंदे गिर चुके थे l रंगा और बाकी तीन बंदे एक गाड़ी के ओट में आ जाते हैं l उन्हें वहाँ पर हथियार भी मिल जाते हैं l रंगा उन्हें विक्रम को रोकने के लिए कह कर पीछे जाने लगता है l इसलिए वे हथियार हाथ में लेकर विक्रम पर फायर करने लगते हैं l पर विक्रम निशाना ले चुका था l दो बंदे ढेर हो जाते हैं, और एक घायल हो जाता है l विक्रम जब उस कार तक पहुँचता है तीसरा बंदा ज़ख्मी हालत में छटपटा रहा था l विक्रम अपनी नजरें घुमाता है पर उसे रंगा नहीं दिखता है वह इधर उधर देखता है के तभी एक खंजर पीछे से उसके कंधे पर घुस जाता है l विक्रम पीछे मुड़ कर देखता है रंगा एक भद्दी हँसी हँस रहा था l रंगा खंजर को विक्रम के कंधे से निकलता है फिर विक्रम के कमर पर घुसा देता है l विक्रम चिल्लाता है पर अपना हाथ पीछे लेकर रंगा को पकड़ लेता है और उसे सामने खिंच कर लाता है l

रंगा - साले.. हरामी... कुत्ते... छोड़... छोड़ मुझे...

विक्रम अपनी कमर से खंजर निकाल कर रंगा के सीने में गाड़ देता है l रंगा छटपटाते हुए जमीन पर गिरता है l विक्रम भी धीरे धीरे गिरने लगता है l सीलु और उसके साथी भागते हुए विक्रम के पास पहुँचते हैं l

Kya gazab ki update di he Kala Nag Bhai,

Abhi to kuch bhi kehne ke stithi me nahi hoon.......

Review jald hi dunga
 
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क्या बात ! क्या बात ! क्या बात !
एक पुरा एक्सन सीन्स दिखा दिया आपने इस अपडेट मे । ऐसा एक्सन सीन्स जो डर , फिक्र और रोमांच का पराकाष्ठा लिए हुए था । सांसे हलक पर अटक सी गई थी । रोम रोम खड़ा हो गया था ।

भैरव सिंह के घर का सबसे खास सिपहसलार , सबसे महत्वपूर्ण विभीषण वल्लभ प्रधान निकला । वैसे उसके घर के सभी सदस्य उसका साथ बहुत पहले छोड़ चुके थे , लेकिन वल्लभ की मदद के वगैर उसे अपराधी साबित नही किया जा सकता था ।

इस अपडेट मे हमने जहां विश्व की प्लानिंग देखी वहीं विक्रम का मर्दाना अवतार भी देखा । एक बार तो दिल लरज गया कि कहीं विक्रम वीरगति को प्राप्त न कर ले , पर शुक्र है प्रभु का वो सिर्फ जख्मी मात्र हुए ।

इस पुरे घटनाक्रम मे सबसे इम्पोरटेंट रोल निभाई सेना की बख्तरबंद गाड़ी और उसकी आधुनिक टेक्नोलॉजीज ने । गाड़ी की व्यवस्था शायद सेनापति जी ने किया था लेकिन वह डैनी साहब थे जिन्होने गाड़ी को पुरी तरह कर्ण का कवच बना दिया था ।
विश्व के सभी दोस्तों और सहकर्मी ने इस लड़ाई को बहुत अच्छी तरह से लड़ा ।
लेकिन यह लड़ाई रंगा , राॅय और उसके कुछ गुंडो के साथ हुई थी जिसमे विश्व और उसके साथियों के पसीने छूट गए थे । उस वक्त क्या होगा जब भैरव सिंह की विकराल सेना इनके समक्ष खड़ा होगी ?

यह सब देखकर लगता है भैरव सिंह को सजा अदालत से नही बल्कि विश्व और गांव की जनता से ही प्राप्त होगी ।

यह भी कम आश्चर्य की बात नही है कि एक बड़े शहर मे खुलेआम घंटो तक गोली और बारूद की बरसात हो रही है , साथ मे टेलीविजन पर लाइव प्रसारण भी हो रहा है और प्रदेश के मुख्य मंत्री की गद्दी सही सलामत है ।

एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट बुज्जी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।
 
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