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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag

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Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update....
शुक्रिया कश्यप भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया
अब चूँकि अगला भाग अंतिम होगा इसलिए बस थोड़ा सा इंतजार कीजिए
क्यूँकी मैं हर चरित्र के साथ न्याय करना चाहता हूँ
 
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Kala Nag

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romanchak Update.
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
bhai rula diya aapne hamari best vaidehi ko maarkar ..
वैदेही की यही नियति थी
जिवित रहते उसे वह सम्मान नहीं मिली पर मरणोपरांत उसे सम्मान मिलेगा l
aakhri tak ladhi wo ek devi maa ki tarah jisne apne logo ke santano ki raksha ki ..
वह राजगड़ की देवी बन गई
vishwa ek mard ki tarah hai jo maut par rone ki bajay apne didi ki ichcha puri karne jaa raha hai ..
हाँ उसे याद आया जब वैदेही ने कहा था अगर कुछ हो गया तो बहु के हाथों विदा करने के लिए l वैसे भी अब उस महल से रुप के निकलने का समय आ गया है
apne didi ki maut ko dekhte huye jo bhi decision lega vishwa wo bhairav ki tabahi ki ore hi jayenge ..
निसंदेह अब अगला अंक भैरव सिंह का अंत और राजगड़ का उद्धार होगा
is dard bhare update ke baad judge ka ek tarfa sochna aur vallabh ki gawahi sab bekar ho gaye 😟😟
भाई न्याय व्यवस्था अगर सटीक होती तो पच्चीस तीस सालों तक लोग न्याय के लिए अदालतों के चक्कर नहीं काटते
kaash writer ne vaidehi ko jinda rakhne ka koi rasta rakha hota ..
वैदेही अपने जिवित काल में बहुत दुख झेला हुआ है
उसे सही और वास्तविक न्याय केवल और केवल मरणोपरांत ही मिल सकता है
wo scene yaad dilata hai kisi film ka jisme hero marr jaata hai par gundo ko lagta hai vo jinda hai ..
waha thoda detail me likhna tha jaha vaidehi sabko maarke baithi rehti hai ..
हाँ लिखा था
पर कहानी की लंबाई मुझे छोटी करनी पड़ी
पर वही भावना भरी सम्वाद जरूर पढ़ने को मिलेगा
 

Kala Nag

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" शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले , वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशां होगा । "
शहीद वैदेही को हजार हजार तोपों की सलामी ।
SANJU ( V. R. ) भाई यह वैदेही के लिए निश्चित रूप से सही श्रद्धांजलि है
युद्ध के दौरान देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों को ही शहीद के दर्जे से सम्मानित किया जाता है , पर मेरी नजर मे वह लोग भी शहीद हैं जो जुर्म , अन्याय , अपराध की आवाज बुलंद करते मौत की आगोश मे समा जाते हैं ।
वैदेही की जीवन जन्म से लेकर अंत तक बहुत दुखदाई रही है l पर उसकी मृत्यु उसे वह स्थान देने वाला है जो एक देवी की होती है l
वैदेही जी ने बचपन से हजारों सितम सही , कष्ट भोगी , पीड़ा सही , इन सब के बावजूद भी विश्व को विश्वरूप बनाने मे सबसे अहम योगदान करी । शोषित , दरिद्र ग्रामीणों की निस्वार्थ भाव से आजीवन मदद करी , बच्चियों की इज्ज़त का तारणहार बनी और भैरव सिंह के खिलाफ अंतीम सांस तक सामना करी , वह उन्हे एक शहीद के श्रेणी मे ही खड़ा करता है ।
हाँ यह घटना भी वहीँ हुई है, जो ग्राम देवी की मंदिर है l जब से क्षेत्रपाल परिवार का दहशत आरंभ हुआ था l मंदिर भी तब से बंद था किसी ने भी खोला नहीं था l वैदेही से खुला एक सही कारण के साथ l
इस अपडेट ने , खासकर वैदेही जी की मृत्यु ने हमे काफी इमोशनल कर दिया है । यह दूसरा इंसीडेंट था जिसने हमारे दिल पर चोट पहुंचाया । हमारी आंखे नम हुई ।
और जब दिल बहुत अधिक भावुक हो जाता है तब कुछ लिखने की बात तो दूर , जबान भी साथ नही देती ।
क्षमा चाहूँगा, पर मेरी कहानी में यही वैदेही की नियति है l जो वैदेही को और भी महान बना गई l
इस अपडेट की अन्य घटनाओं के बारे मे हम फिर कभी बात करेंगे । फिलहाल कुछ लम्हात वैदेही की याद मे ही बिताने दिजिए ।
शुक्रिया मेरे भाई
हमेशा की तरह जगमग जगमग अपडेट बुज्जी भाई ।
एक बहुत ही भावुक और करूणार्द्र अपडेट ।
अंत में धन्यवाद
 

Kala Nag

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Bhut shandaar update bhai.... rula diya aapne vaidhi ki mout dikha kar......
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
Aise koi jata h kya bich m akele chod kar.....
नियति यही है
ऐसी नियति किसी किसी को इंसान से देवी तक बना देती है
Kam se kam raja ki दुर्दशा तो देख जाती वो......
राजा का दुर्दशा अब निश्चित है l वैदेही की आत्मा को शान्ति शान्ति अवश्य मिलेगा l विश्वास रखिए
 

OHI AMAN

Member
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Abhi tak maine update read nhi kiya but best hi hoga 💞
Vedrhi ki death ka idea tbhi lag gya tha jab usne vishwa k dosto ko b bhej diya thA unki maut vishwa or ganv walo k liye bhut bada sadma ot raja ki taboot mei aakhiri keel sabit hoga
Phle esa tha ki kahani puri ho jye aur abb jab end ki aur ja rhi mai khol k b nhi dekhta kyuki eske update bhut miss krunga jindgi ne ek bhut bada sadma de diya toh abb jab thoda achha feel hoga tbhi esko enjoy krunga dhamke dara end k liye dil se good luck
 

Kala Nag

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सच कहें -- भारत देश का जो कबाड़ा हुआ है, उसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है देश की (अ)न्याय व्यवस्था को! न राजनीतिकों, न सामंतों, और न ही पुलिस को -- केवल जजों को।
सौ फ़ीसद सहमत
भाई मेरे पिता पुलिस में थे l मेरे ससुर पुलिस में थे और आज मेरा छोटा भाई भी पुलिस में है l उनकी विवशता और लाचारी देखा है देख रहा हूँ केवल और केवल इन अदालती आलस्य के कारण l
लोग एड़ियाँ रगड़ते रह जाते हैं कि जज साहब न्याय देंगे, लेकिन उसके नाम पर उनको बस चूरन ही मिलता है। मैंने खुद देखा है कि मेरे स्वर्गीय पिता जी कैसे न्याय की गुहार करते रहे उम्र भर (कोई तीस साल लड़े वो केस), लेकिन उनको मिला नहीं। उन्होंने मुझे उम्र भर रोके रखा कि मैं “अपने” तरीक़े से उचित न्याय ले सकूं। उनको अपने आख़िरी समय तक न्याय की आशा थी। लेकिन उनको न्याय नहीं ही मिलना था, सो नहीं ही मिला -- केवल तारीख़ें और चूरन! बस!
उनके जाने के बाद मैंने बस एक बार विपक्षी का टेंटुआ दबाया (असली हिंसा नहीं - बस बल और रसूख़ की हिंसा), और पूरा केस (जो हमेशा से ही झूठ और बेईमानी पर आधारित था) तितर बितर हो गया। पिता जी जीवित होते, तो उनको मेरी इस हरक़त पर दुःख होता, लेकिन क्या करें? जानवर मनुष्य की भाषा नहीं सीख सकता न! उससे उसी भाषा में बात करनी चाहिए, जो उसको समझ में आती है। इसलिए जिस तरह से पत्री ने जज की मैया एक करी है, वो उचित है। जब तक इनके पिछवाड़ों में आग नहीं लगेगी, आम लोगों को न्याय नहीं मिल सकता।
एक दम सत्य कहा आपने l आज भी सुप्रिम कोर्ट में चालीस हजार करोड़ केसेस पेंडिंग है l ओड़िशा की एक बलात्कार कांड का जब न्याय हुआ तब तक चौबीस साल गुजर चुके थे l अपराधियों में चार अपराधी मर चुके थे और दो अपराधी इतने बुढ़े हो चुके थे कि उन्हें क्या सजा दिया जाएगा अदालत कुछ निर्णय नहीं ले पाया था l
बात अब बहुत आगे जा चुकी है। अगर भैरव सिंह को न्याय-प्रणाली की कोई भी इज़्ज़त होती, तो वो इस तरह से व्यवहार ही न करता। वो इन सब से ऊपर जा चुका है। स्वयं को भगवान समझता है। ऐसे लोगों को धरातल की व्यवस्था की कोई परवाह नहीं होती। वो बस एक ही भाषा समझ सकता है - और वो है हिंसा की... भय की। वही भय जो वो वैदेही और विश्व के कारण महसूस करता है। अंततः गाँव वालों ने भैरव सिंह का सामना कर ही लिया। मरी हुई चमड़ी भी कभी न कभी ऐंठ जाती है। इसलिए इस मृतकों की बस्ती में भी कभी न कभी विद्रोह होना ही था।
हाँ अब चूँकि विद्रोह अपना रूप ले चुका है l अब परिणाम भी अनुरुप होगा l
लेकिन वैदेही की मृत्यु का बहुत दुःख है। उनका और कोई अंजाम हो भी नहीं सकता था। दुःख इस बात का है कि वो अपने जीते जी भैरव सिंह का अंत न देख सकीं। लिखने को बहुत कुछ है, लेकिन मन खिन्न हो गया है भाई। वैसा ही जैसा मेरा हुआ था अपनी ही कहानी में पहले गैबी, और फिर देवयानी की मृत्यु पर हुआ था। इसलिए अधिक नहीं लिख सकता इस घटना पर।
स्थिति अब तय है - भैरव सिंह को केवल मृत्यु दण्ड ही मिल सकता है, और कुछ भी नहीं।
भाई क्या करें आप भी लेखक हो
किसी चरित्र से हम जुड़ तो सकते हैं पर चरित्र की नियति बदलना हमारे वश में नहीं है l आप अपनी कहानियों में देख चुके हैं l खैर अगला अपडेट निसंदेह अंतिम अंक होगा l मैं उस पर व्यस्त हूँ l चूँकि अंतिम अंक है इसलिए हर एक चरित्र के साथ न्याय करना होगा l आशा है कहानी का अंत सबको पसंद आएगा
 

Kala Nag

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Nice and superb update....
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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Superb update 👌👍
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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