अठारहवां अपडेट
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तापस डॉ. विजय से विश्व की फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के बाद सीधे विश्व जिस वार्ड में था, उसी वार्ड में आकर पहुंच जाता है l
अंदर विश्व एक कैजुअल पहनावे के साथ खड़ा हुआ था l
तापस - तो विश्व तैयार हो....
विश्व - जी सुपरिटेंडेंट साहब.... पर मुझ जैसे कैदी को लेने आप जैसे पदाधिकारी....
तापस - आई बी अलर्ट है.... तुम पर हमला हो सकता है.... जब से मीडिया मैं.... न्यूज चल रहा है... आज तुम्हारी पहली, पेशी है... तब से कटक में जमावाड़ा बढ़ गया है....
विश्व- आप फिक्र ना करें.... सुपरिटेंडेंट साहब.... वे लोग कुछ भी कर सकते हैं.... पर मेरी जान नहीं लेंगे.... या फिर यूँ कहूँ कि उन लोगों को मुझे हानि पहुंचाने की इजाजत तो है पर जान से मारने की नहीं.....
तापस - व्हाट.... यह तुम किस बिना पर कह सकते हो....
विश्व - अगर उन्हें मारना ही होता... तो मुझे राजगड़ में ही मार सकते थे....
तापस - हो सकता है... भीड़ को उकसा कर मरवाने का प्लान हो उनका....
विश्व - नहीं... सुपरिटेंडेंट साहब.... मैं अगर मर गया तो.... वह हार जाएगा....
तापस - कौन...
विश्व - वही जिसने यह खेल रचा है.... जिसकी मंसा यह थी के मेरी बाकी की जिंदगी.... राजगड़ के गालियों में लंगड़ाते हुए... भीख मांगते हुए गुजर जाएगी.... पर आपने उसकी पहली मंसूबे पर पानी फ़ेर दिया है.... मेरी टांग बचा कर....
तापस - ओह तो फिर.....
विश्व - चलिए चलते हैं.... आगे क्या होगा बस आप देखते जाइए....
तापस मन ही मन में सोचने लगा "यह इतना शांत लग रहा है, कोई डर भी नहीं है.... क्या पता इस उम्र में प्रोफेशनल की तरह बात कर रहा है.... हो सकता है... जो भी इल्ज़ाम लगे हैं.... शायद सच हो..."
तापस और विश्व एक जालीदार वैन में बैठ कर कोर्ट की ओर निकल जाते हैं l तापस देखता है बहुत सारे मीडिया चैनल वाले उनके पीछे लगे हुए हैं l आख़िर कार वैन कोर्ट में पहुंच जाते हैं l तापस गाड़ी से उतर कर विश्व की तरफ वाली दरवाजा की ओर बढ़ रहा है कि एक पेट्रोल बॉम्ब उस गाड़ी के छत पर आकर गिरता है, तो गाड़ी के छत पर आग लग जाती है l आग लगते ही आस पास खड़े लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है l अफरा-तफरी के बीच तापस विश्व को किसी तरह से कोर्ट के भीतर ले जा कर जज के सामने खड़ा कर देता है, और विश्व की मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट प्रतिभा के हाथों से जज तक पहुंचाता है, विश्व की सर्टिफिकेट देखने के बाद कोर्ट की कारवाई में,
जज - अभियोजन पक्ष की तैयारी पूरी है... पर अभियुक्त पक्ष की तैयारी अधूरी है... अभियुक्त पक्ष को एक माह का समय दिया जाता है.... ताकि वे अपनी तैयारी पूरी कर आयें.... अगली सुनवाई **** तारीख को होगी.... तब तक आरोपी श्री विश्व प्रताप महापात्र को केंद्रीय कारागृह में रखा जाए...
यह सुन कर वैदेही दुखी हो कर वहीं बैठ जाती है l विश्व को जैल ले जाने के लिए संत्री विश्व के हाथों में हथकड़ी डाल कर बाहर ले जाते हैं l वैदेही बाहर दौड़ कर आती है l विश्व के साथ साथ गाड़ी तक जाते हुए,
विश्व - दीदी... आप क्यूँ यहाँ आई हो... मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यूँ नहीं देती....
वैदेही - (रोते हुए) चुप कर... जिस उम्र में लड़कियां खिलौने से खेलती हैं... उस उम्र में मैंने तुझे माँ बन कर पाला है... बड़ा किया है... तुझे ऐसे कैसे इस हाल में छोड़ दूँ....
विश्व - दीदी... मेरी तो सिर्फ इज़्ज़त दाव पर लगी है.... जब कि उस क्षेत्रपाल की दौलत, ताकत और रुतबा दाव पर लगी हुई है....
वैदेही - हाँ जानती हूँ शायद इसलिए कोई वकील तेरा केस नहीं ले रहा है.....
विश्व - दीदी... इसलिए कह रहा हूँ.... आप गांव चली जाओ.... इस केस में मुझे फांसी नहीं होगी.... हाँ कुछ सालों के लिए... जैल होगी...
वैदेही - नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगी....
विश्व गाड़ी में चढ़ जाता है l वैदेही वहीँ नीचे खड़ी रह जाती है l गाड़ी में बैठने के बाद विश्व अपना चेहरा घुमा लेता है और कोर्ट छोड़ने तक पीछे मुड़ कर नहीं देखता है l वैदेही रो रो कर वहीं नीचे बैठ जाती है l
यह सब ख़ामोशी से देखते हुए तापस सोचने लगता है "आख़िर माजरा क्या है.... यह क्षेत्रपाल कहाँ से आ गया..... खैर मुझे क्या...."
गाड़ी जैल के मुख्य फाटक से गुजर कर भीतर पहुंचता है l विश्व गाड़ी से उतरता है l फौरन एक संत्री आकर उसे ऑफिस के भीतर ले जाता है और दास के सामने खड़ा कर देता है l
दास - विश्व अपने साथ जो भी यहाँ ले कर आए हो... वह सब यहाँ पर जमा कर दो....
विश्व - मेरे पर मेरे इन्हीं कपड़ों के सिवा कुछ और नहीं है....
दास - ठीक है उस कमरे में जाओ.... अपने कपड़े उतार कर यह कपड़े पहन कर आओ....
विश्व दास के दिए जैल के यूनीफॉर्म लेकर एक छोटे से कमरे में आता है और अपने सारे कपड़े उतार कर जैल के कपड़े पहन लेता है और अपने कपड़े लेकर दास के पास आता है l दास एक काग़ज़ पर उसके दसों उँगलियों के निशान लेता है l फ़िर उसे एक स्लेट थमा देता है और एक सफ़ेद पर्दे के सामने खड़ा कर देता हैदास उस स्लेट पर 511 लिख देता है l उसके बाद एक फोटो ग्राफर कुछ फोटो ले लेता है l फोटो उठा लेने के बाद विश्व दास के पास जाता है l दास उससे स्लेट ले लेता है और विश्व को एक बाल्टी, एक मग, एक कंबल और एक चादर देता है l उसके बाद पास खड़े संत्री को कहता है
दास - इसे बैरक नंबर 3 के ग्यारह नंबर के सेल में ले जाओ....
संत्री - (सैल्यूट दे कर) जी सर...
विश्व उस संत्री के साथ चला जाता है l रास्ते में उसे कई तरह के कैदी दिखाई देते हैं l कुछ कैदी उस पर तंज कसते हैं
एक - ऑए होय... क्या चिकना है रे...
दूसरा - अबे यह लंगड़ा क्यूँ रहा है....
एक - लगता है आपने मामू लोगों के साथ भांगडा करते करते लंगड़ा गया....
तीसरा - अबे मुझे तो कुछ और लग रहा है....
एक - क्या....
तीसरा - किसीने बिना चड्डी उतारे पीछे से लेली इसकी.... इसलिए लंगड़ा रहा है....
सारे कैदी एक साथ - हा हा हा हा हा हा....
चौथा - पर इसकी ली किसने होगी....
तीसरा - जरूर किसी हिजड़े ने ली होगी.....
सारे - हा हा हा हा....
संत्री विश्व को उसके सेल में पहुंचा देता है l विश्व सेल के अंदर जाता है, उसके अंदर जाते ही संत्री बाहर ताला लगा कर चल देता है l विश्व उस आठ बाई दस की कोठरी को देखता है l एक कोने में संढास है, और एक कोने में वश बेसिन के साथ पानी का टाप भी है और उस पर एक आईना भी लगा हुआ है l छत पर एक पंखा और दीवार एक बल्ब भी है l यह सब देखकर विश्व एक गहरी सांस लेता है और अपने साथ लाए हुए सारी चीजों को एक कोने में ले जा कर रख देता है, फिर दीवार से सट कर बैठ जाता है l फिर अचानक से रोने लगता है, रोते रोते वह फर्श पर लेट कर छत की ओर देखने लगता है l
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अपनी गाड़ी में तापस और प्रतिभा सज धज कर कहीं जा रहे हैं l
प्रतिभा - आज रात की पार्टी में हम दोनों इंवाइटेड हैं.... पर अलग अलग जरिए से... पर क्यूँ
तापस - हाँ.... मुझे शाम को अचानक कमिश्नर जी का फोन आया... और कहा कि सेनापति अटॉर्नी जनरल यहाँ आज पार्टी है और आप विशेष निमंत्रित अतिथि हो.... इसलिए आठ बजने से पहले पहुंच जाना..... मैं समझ नहीं पाया के अटॉर्नी जनरल जी को मुझसे क्या काम पड़ गया है...
प्रतिभा - मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है.... आज बार काउंसिल में हम बैठ कर कुछ विषयों पर चर्चा कर रहे थे कि तभी मुझे भी फोन आया... की मैं आज रात आठ बजे अटॉर्नी जनरल के यहाँ पहुंच जाऊँ..... जब कारण पुछा तो मुझे सिर्फ इतना बताया गया.... जो लोग न्याय व कानून व्यवस्था से जुड़े हुए हैं.... उन्हीं लोगों के साथ उनकी खास मीटिंग है....
ताप - वही तो.... ज़रूर कोई इमर्जेंसी होगी.... या तो राज्य के लिए... या फिर किसी और विषय में जो राज्य के तंत्र व प्रशासन से संबंधित हो.....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा रहे हैं.... असली बात तो वहाँ पहुँचते ही मालुम पड़ेगा....
तापस - हाँ देखते हैं....
उधर एक बड़ी सी रोल्स रॉयस कार में नागेंद्र सिंह, भैरव सिंह और पिनाक सिंह तीनों आमने सामने बैठे हुए हैं l
पिनाक - यह हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ क्यूँ जा रहे हैं.....
भैरव - हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ पार्टी रखी है... इसलिए जा रहे हैं....
पिनाक - क्या उसके यहाँ पार्टी रखने की क्या जरूरत थी..... हम होटल अशोका या और किसी बड़े रिसॉर्ट में भी रख सकते थे....
नागेंद्र - (थोड़े खांसते हुए) छोटे राजा जी.... थोड़ा धीरज रखें.... राजा जी ने बड़ी दूर की सोची है....(थोड़ी देर के लिए चुप हो गया)
नागेंद्र - यह (खरास लेते हुए) सपोला विश्व... कम्बख्त बड़ा खेल गया.... यह तो जानते ही हैं....(थोड़ी गहरी सांस लेते हुए)
भैरव - (टोकते हुए) बड़े राजा जी.... आप मुझे इजाजत दें.... मैं छोटे राजा जी को विस्तार से बताता हूँ.....
नागेंद्र - (खांसते हुए, और भैरव को हाथ दिखाते हुए) कितनी बार कहे हैं.... खुद को मैं नहीं... हम कहा कीजिए.... और अपनों को तुम नहीं आप कहा कीजिए....
भैरव - जी आगे से हम ध्यान रखेंगे....
नागेंद्र हाथ के इशारे से बात को आगे बढ़ाने के लिए कहता है l
भैरव - हाँ तो छोटे राजाजी.... वह हराम का जना... विश्व हमारे विरुद्ध सात जगहों पर शिकायत लिख कर भेजा था... यह तो आप जानते ही होंगे....
पिनाक - हाँ.... हम जानते हैं.....
भैरव - तो यूँ समझिए.... विश्व ने अब हमें अपनी मांद से निकलने के लिए मजबूर कर दिया....
पिनाक - अच्छा..... तो फ़िर उस हराम जादे को सारी रकम में क्यूँ नहीं लपेट लिए.... सिर्फ साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की मामूली रकम में ही लपेट लिए....
भैरव - आप पागल तो नहीं हो गए..... एक मामूली सा सरपंच.... के लिए साढ़े सात सौ करोड़... बहुत बड़ी रकम होता है.... पूरा का पूरा रकम अगर हम सामने लाते तो.... एजेंसीस् को हम पर भी शक़ हो जाता...
पिनाक - ठीक है... पर इसके लिए हमे भुवनेश्वर कूच करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - हाँ अब हम सिर्फ खुदको राजगड़ में सिमित नहीं रख सकते.... एक कुए की मेंढक की तरह..... अब यह पूरा राज्य हमारा जागीर होगा.... इस राज्य का सिस्टम पानी और.... हम.... हम इस पानी के मगरमच्छ....
पिनाक - ओ...
भैरव - हाँ इसके लिए अब हमें प्रत्यक्ष राजनीति में आना होगा...
पिनाक - क्या....
भैरव - हाँ छोटे राजा.... हाँ...
पिनाक - इसका मतलब... हम किसीके आगे झुकेंगे....
नागेंद्र - हम ने आपको धीरज धरने के लिए कहा था....
पिनाक - क्षमा... कीजिए...
नागेंद्र - (भैरव को रोक कर) अब आप रुकिए... हम समझाते हैं छोटे राजा जी को....(पिनाक को देखते हुए) हम जहां भी जाएंगे या रहेंगे... अपना गुरुर नहीं छोड़ेंगे.... आप अभी फ़िलहाल पार्टी जॉइन कर रहे हैं.... और अगले दो वर्ष बाद आप भुवनेश्वर में मेयर के पदवी पर आसीन होंगे.... एक मेयर अपने शहर का राजा ही होता है.... और यह यह राजधानी है... और इस राजधानी के राजा आप होंगे.... क्यूंकि यह शहर अब फैल रहा है... बढ़ रहा है.... राक्षस बन चुका है.... यह आस पास के इलाकों को संप्रसारण व विकास के नाम पर निगल रहा है.... यहाँ बेहिसाब दौलत की बारिस हो रही है... जिसे अब आपको आपने दोनों हाथों से बटोरना है...
पिनाक - फिर राजगड़....
नागेंद्र - राजगड़.... राजगड़ वैसे ही हमारे शासन में रहेगी... जहां किसीकी भी दखल नहीं होगी.... जिसकी जिम्मेदारी राजा जी की होगी.... याद रहे.... जो अपनी जमीन या जड़ से उखड़ गया.... वह कहीं भी नहीं ठहर सकता....
पिनाक - जी बेहतर...
नागेन्द्र - देखिए.... और याद रखिए..... राज या हुकूमत करने के लिए किसी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत.... यह दोनों हमारे पास है... और इसको बढ़ाते जाना है....
पिनाक - जी....
नागेंद्र - राजा जी...
भैरव - जी बड़े राजा जी...
नागेंद्र - अब समय की मांग है.... युवराज और राजकुमार.... दोनों को इस शहर में राज करने योग्य बनाएं...
भैरव - पर वे दोनों तो कलकत्ता में पढ़ रहे हैं....
नागेंद्र - तो उन दोनों को यहां पर बुलाइये और.... अपना दबदबा कायम लीजिए .... उन दोनों को हथियार बनाएं.... और समय आने पर यह राज पाठ उनके हवाले कर सकें
भैरव - जैसी आपकी इच्छा....
फिर गाड़ी में सब शांत हो जाते हैं, और गाड़ी कटक की और बड़ी जोर से भाग रही है l
इधर अटॉर्नी जनरल के घर पर पहुंचने के बाद तापस व प्रतिभा दोनों देखते हैं कि राजनीति व कानून से जुड़े बहुत से शख्सियतों का जमावड़ा है l तभी कमिश्नर उनके पास आता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति आइए....
कमिश्नर को देख कर जहां तापस सैल्यूट करता है वहीँ प्रतिभा कमिश्नर को हाथ जोड़ कर नमस्कार करती है l फिर कमिश्नर उन्हें पार्टी के एक टेबल के पास लाकर छोड़ देता है l
अटॉर्नी जनरल भी वहाँ उनके पास पहुंचता है और दोनों का अभिवादन करता है l दोनों पति पत्नी अपनी अपनी तरीके से उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रति अभिवादन करते हैं l
पार्टी के बीचों-बीच एक पंडाल में एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी लगी हुई है जिसमें सात उनसठ बजे हुए हैं l अटॉर्नी जनरल तभी पंडाल पर आकर अपने हाथ में माइक लेता है और कहता है - देवियों और सज्जनों... मेरे अचानक बुलाने पर आप सबके यहाँ पर उपस्थित होने के लिए धन्यबाद..... आज हमारे मध्य एक ऐसा परिवार उपस्थित होने जा रहे हैं जिनके बारे में उनके अपने प्रांत में कहा जाता है के वे समय के साथ नहीं चलते हैं बल्कि समय को अपने साथ लिए चलते हैं.... जिसका जीता जागता उदाहरण आप ठीक कुछ सेकंड बाद देख पाएंगे...
इतना कह कर अटॉर्नी जनरल माइक को दे देता है और पार्टी एरिया के सारे लाइट बुझा दिए जाते हैं l एक स्पॉट लाइट ठीक एंट्रेंस गेट पर पड़ती है l सबकी नजरें उस गेट पर टिक जाती है l एक बड़ी रॉल्स रॉयस गाड़ी भीतर आकर रुकती है l बड़े बड़े अधिकारी व कुछ नेता भाग कर उस गाड़ी के पास जाते हैं l गाड़ी से नागेंद्र, भैरव, और पिनाक उतरते हैं l तीनों पर फूलों की बरसात होती है, और वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली मार कर स्वागत करते हैं l अटॉर्नी जनरल तीनों को एक राजकीय साज सज्जा में सजी हुई एक टेबल के पास बिठाता है l फिर सारे लाइट जल उठती हैं, अटॉर्नी जनरल पंडाल पर आकर माइक संभालता है l
अ.ज - यहाँ पर उपस्थित सज्जन मंडली... इस पार्टी के मुख्य आकर्षण हमारे मध्य विराजमान हैं l उनके स्वागत के लिए आप सब से ज़ोरदार तालियों की उम्मीद कर रहा हूँ....
पूरा माहौल तालियों से गूंज जाती है l
अ.ज - यह सच है कि आज अपना राज्य पूरे देश में एक विशेष कारण से चर्चित है.... पर किसी गर्व या गौरव के क्षण के लिए नहीं.... महात्मा गांधी जी के नाम पर गरीब तबके और बेरोजगार लोगों को साल भर में कम से कम सौ दिन की रोज़गार ग्यारंटी मिले, उस मनरेगा योजना के पैसों की हेर-फेर के लिए चर्चित है... पर अब उचित न्याय होगा और जनता के पैसों का हिसाब होगा.....
यह घटना कितनी दुखदायी है.... के उस प्रांत के राज परिवार को बाध्य कर दिया के वे जनता को न्याय दिलाने के लिए.... राजधानी का रुख करें..... यह राज परिवार जनता को न्याय दिलाने के लिए कितना जागरूक व सजग है.... मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ....
विश्व प्रताप महापात्र के सरपंच बनने के छह महीने बाद.... गांव के एक साधारण नागरिक ने आदरणीय श्री भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी से मेरा मतलब है कि राजा साहब जी से गुहार लगाई के विश्व प्रताप पैसों का हेर-फेर कर रहा है.... तब राजा साहब ने माननीय मुख्यमंत्री जी से दरख्वास्त की इस बारे में.... संज्ञान लेने के लिए....
मुख्यमंत्री जी राजा साहब जी का मान रखते हुए.... तीन महीने पहले एक SIT (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) का गठन किया था.... उस टीम के रिपोर्ट को आधार बनाकर जब पुलिस ने विश्व व उसके टीम को गिरफ्तार करने पहुंची... तब पहले से खबर पा कर उसके दो साथी अपने परिवार समेत फरार हो गए..... सूत्र बताते हैं कि वे लोग सपरिवार विदेश भाग गए......
हाँ यह हमारी लचर कानून व्यवस्था की लापरवाही कहा जा सकता है..... पर ह्युमन एरर तो हर जगह होती है.... इंसानी गलतियां... जिसका खामियाजा आज कानून को भी चुकाना पड़ा.... लेकिन संतोष की बात यह है कि... कम से कम एक अपराधी हाथ तो लगा...
अब उसे सजा देना कानून व समाज का कर्त्तव्य है....
यहाँ आप सब लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस केस से जुडे हुए हैं.... इसलिए मैंने यहाँ आपको बुलाया है..... और उस विश्व को सजा दिलवाने की चेष्टा कर कानून व राज्य को गौरवांवित करें.... धन्यबाद.....
सब इतने बड़े भाषण सुनने के बाद सब कुछ देर खामोश रहे l सबको खामोश देख कर अटॉर्नी जनरल खुद ताली बजाता है l उसे ताली बजाता देख बाकी सब लोग भी ताली बजाते हैं l
कमिश्नर तापस और प्रतिभा के पास आता है और दोनों से मुखातिब हो कर कहता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति... आप से राजा साहब जी मिलना चाहते हैं.....
प्रतिभा - हम से..... पर क्यूँ....
कमिश्नर - अररे... आज आप दोनों ही इस पार्टी के स्पेशल गेस्ट जो हैं...
तापस और प्रतिभा एक दूसरे को देखते हैं l फिर अपने जगह से उठ कर कमिश्नर के पीछे चल देते हैं l
तापस और प्रतिभा कमिश्नर के साथ क्षेत्रपाल बाप बेटों के पास पहुंचते हैं l
प्रतिभा सबको नमस्कार करती है l तापस पहले नागेंद्र को नमस्कार करता है और भैरव सिंह के तरफ अपना हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है, पर भैरव सिंह हाथ मिलाने के वजाए अपने दोनों हाथ अपने जेब में रख कर वैसे ही खड़ा रहता है और तापस को अजीब सी नजरों से घूरता है l
कमिश्नर - अरे तापस... यह क्या कर रहे हो.... यह राजा साहब हैं.... वे सिर्फ अपने दोस्तों को छोड़ किसीसे हाथ नहीं मिलते हैं....
तापस - ओह सॉरी... राजा क्षेत्रपाल जी.... मुझे यह बात नहीं मालुम था...
कमिश्नर - राजा साहब जी.... यह हैं तापस सेनापति.... इन्हीं के जैल में वह विश्व कैद है.... और यह हैं प्रतिभा सेनापति जो विश्व को जैल के सलाखों के पीछे पहुंचाएगी..... यह हाई कोर्ट में सरकारी वकील हैं....
तापस - कमिश्नर साहब ने एक गलत बात कह दी..... विश्व मेरे जैल में नहीं है.... बल्कि सरकारी जैल में है... और उस जैल का मैं सरकारी पदाधिकारी हूँ....
भैरव - हूँ... तो मोहतरमा जी... क्या कमिश्नर ने आपका परिचय सटीक दिया है.... या आप भी कुछ कहेंगी....
प्रतिभा - जी नहीं राजा साहब.... मेरे बारे में कमिश्नर साहब ने सटीक बात कही है....
पिनाक - तो अब तक उस चोर के बारे में... क्या सोचा है...
प्रतिभा - सोचा है मतलब....
पिनाक - मेरा मतलब है.... क्या तैयारी की है आपने....
प्रतिभा - मैंने तो अपनी पूरी तैयारी कर ली है.... पर जब तक डिफेंस लॉयर केस नहीं सम्हालते तब तक कुछ कहना संभव नहीं है.....
भैरव - और जैलर... तुम बताओ... जैल में कैसा है विश्व...
भैरव सिंह जैसा अपरिचित व्यक्ति तापस को तुम कहना, तापस को बुरा लगा l
तापस - आज ही वह जैल पहुंचा है.... अब अगर सजा बढ़ी तो तब मालूम होगा उसका हाल चाल...
भैरव - ठीक है... आप दोनों दंपति से निवेदन है.... उस पर जरा भी रहम ना करें.... कानून के किताब में इस अपराध के लिए.... जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो दिलवाईये.... हम आपके साथ हैं....
और तापस जैल के भीतर इतना खयाल रखना की जब वह राजगड़ में वापस आए तो भीख के लिए भी दर दर की ठोकरे खाता रहे....
तापस - अगर वह अदालत में... निर्दोष करार दिया गया... तो
भैरव - वह कभी निर्दोष करार नहीँ दिया जा सकता.... आप बस जैल में जितनी मेहनत करवा सकें तो कीजिए....
तापस - जी... मैं याद रखूँगा....
उधर जैल में रात के खाने की घंटी बजती है l जैल की इस रूटीन से बेख़बर विश्वा अपने सेल में लेटा हुआ है l कुछ देर बाद एक संत्री आता है और कहता है - नंबर 511....
विश्वा यह सुन कर उसके तरफ देखता है,
संत्री - रात के खाने का टाइम हो गया है... चलो खा कर आ जाओ...(इतना कह कर संत्री सेल की दरवाज़ा खोल देता है)
विश्वा बाहर निकल कर देखता है उसके बैरक में से कैदी निकल कर सब एक और जा रहे हैं l विश्वा भी उनके साथ हो लेता है l
एक बड़े से डायनिंग हॉल में सारे कैदी लाइन में लगे हुए हैं l बहुत से जिंक के डायनिंग टेबल पड़े हुए हैं l हर टेबल पर आठ लोगों की बैठने की व्यवस्था है l शायद पचास या साठ कैदी होंगे l सब खाना लेकर डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहे हैं l विश्व भी लाइन में लग जाता है l अचानक उसे पीछे से धक्का लगता है तो विश्व आगे वाले कैदी से टकरा जाता है l आगे वाला कैदी पीछे मुड़ कर विश्व को घूर के देखता है l
विश्व - ज.. ज. जी म म माफ कर दीजिए... म म मुझे क क किसीने पीछे से धक्का दिया था...
वह कैदी विश्व के पीछे जितने खड़े थे उनको घूरता है l उनमें से एक कहता है - डैनी भाई... यह आज नवा नवा आया है... और झूठ बोल रहा है... इसीने आपको धक्का दिया.... और हम पर इल्ज़ाम लगा रहा है....
डैनी विश्व को गौर से देखता है और विश्व को अपने आगे खड़ा कर देता है l विश्व अपना थाली लेने के बाद एक खाली डायनिंग टेबल पर जा कर बैठ कर खाना शुरू करता है l कुछ देर बाद उसके टेबल पर डैनी अपना थाली लिए बैठता है l
विश्व - (डैनी को देखते हुए) धन्यबाद....
डैनी - वह किसलिए...
विश्व - वह आपने मेरा विश्वास किया... और उनसे तंग होने से बचाया इसलिए....
डैनी - देख बे... अखरोट... तु जिस तरह से हकलाया... मेरे को लगा ही था कि तुने जान बुझ कर मेरे को धक्का दिआ.... पर दुनिया देखी है मैंने.... मेरे को तेरे आँखों में मासूमियत और सच्चाई दिख गई... इसलिए तेरे को छोड़ दिआ.... समझा...
विश्व ने हाँ में अपना सर हिलाया l फिर दोनों खाना खतम कर अपना थाली धो कर डायनिंग हॉल में जमा कर चल दिए l विश्व अपने सेल की ओर जा रहा था कि उसे किसीने टंगड़ी मार दी l विश्व मुँह के बल गिर जाता है l तभी दो लोग उसके पीठ पर घुटना लगा कर बैठ जाते हैं और उसके दोनों हाथों को मोड़ कर कब्जा कर देते हैं l उनमें से एक विश्व के मुहँ पर हाथ रख देता है, ताकि विश्व चिल्ला ना पाए l एक और आदमी विश्व की पजामा के साथ लंगोट भी खिंच देता है और बोलता है,
- वाह क्या चिकना गांड है बे तेरी...
जो दो लोग उसे पकड़े हुए थे हंसने लगते हैं l
विश्व छटपटाने लगता है और चिल्लाने की कोशिश करता है l वे तीन लोग हंसते हैं l
- अरे घबरा मत.... आज तेरी गांड नहीं मारेंगे रे.... तु अपनी किए जुर्म के लिए बहुत लंबा जाने वाला है... मालुम है हम को... और हम पहले से ही लंबे हो कर पड़े हुए हैं...तु जब जैल से जाएगा तो तेरी रोज़गार की व्यवस्था हो जाएगा.... तुने राजा जी की मारने की सोची... और राजा साहब ने तेरी रोज मरवा ने के लिए हमें इस जैल में भिजवाया है... तु फ़िकर मत कर.... तु जब जैल से निकलेगा तो राजगड़ में गांडु महापात्र के नाम से जाना जाएगा....
फिर विश्व के गांड पर हाथ फेरते हुए - आह क्या चिकना गांड है... तेरी इतनी मारेंगे की तु जैल से निकल कर अपनी रोजी रोटी के लिए तेरे पास सिर्फ गांड मरवाना ही रह जाएगा पर कोई नहीं मारेगा... इतना चौड़ा कर देंगे....
सब मिलकर हंसते हैं फ़िर विश्व को अपने पिछवाड़े पर गरम पानी गिरता हुआ महसुस करता है l उस पानी की बदबू से विश्व समझ जाता है कि वह गरम पानी पेशाब है l फिर वह तीनों आदमी विश्व को वैसे ही हाल में छोड़ कर चले जाते हैं l विश्व अपना पजामा और लंगोट उठा कर नंगा ही अपने सेल की ओर बढ़ जाता है l सेल के बाहर संत्री उसे उस हालत में देख कर रोकता है और कहता है,
- छी... यह क्या... छी.. पेशाब कर दिए.... कितने गंदे हो तुम...
इतना कहकर संत्री विश्व को देखता है तो पाता है विश्व की आंखे व चेहरा आंसुओं से भीगे हुए हैं और अपमान से उसका चेहरा आग के मानिंद जलता हुआ लग रहा है l उसकी ऐसी हालत देख कर संत्री एक तरफ हट जाता है l विश्व अपने सेल के अंदर जा कर संढास में घुस जाता है और अपने ऊपर पानी डाल कर नहाता है l
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घर पर पहुंच कर तापस धप कर सोफ़े पर बैठता है l उसकी ऐसी हालत देख कर प्रतिभा भाग कर किचन जाती है और एक ग्लास पानी लाकर तापस को देती है l तापस पानी लेने से अपना सर हिला कर मना कर देता है l
प्रतिभा - क्या हुआ आपको....
तापस - जान... (प्रतिभा की और देखते हुए) कहीं हम अनजाने में किसी कंस्पिरेसी में मेरे मतलब है... की कहीं अनजाने में... अनचाहे किसी षड्यंत्र में शामिल तो नहीं हो रहे हैं.....
प्रतिभा - (टी पोए पर ग्लास रखते हुए) आप ऐसा क्यूँ सोच रहे हैं....
तापस - जान एक साधारण आदमी के लिए... सात सौ पचास करोड़ बहुत होते हैं... पर भारत में इससे कई गुना पैसों की हेरा फेरी हुई है.... पर इस केस को जिस तरह से उछाला जा रहा है... प्रशासन और राजनयिक गलियारों में बड़े बड़े दिग्गज जिस तरह से इस केस में इंट्रेस्ट ले रहे हैं.... और जिस तरह से घड़ी घड़ी मीडिया ट्रायल हो रहा है.... मेरे कानों में वैदेही की वह बात रह रह गूंज रही है... के कुछ सफ़ेद पोश लोगों ने मिलकर विश्व को फंसाया है... कहीं अगर विश्व को सजा हो गई और कुछ सालों बाद हमे मालूम पड़ा के विश्व निर्दोष था.... तब हम पर क्या गुजरेगा....
प्रतिभा - हो गया.... सेनापति जी.... आपने वहाँ पर सुना ना... तीन महीने पहले से ही राज्य सरकार जे तरफ से एस आई टी का गठन किया जा चुका था..... और सारे एजेंसी ने विश्व को दोषी पाया है.... हम शक़ करें तो किस पर... किसकी मंशा पर सवाल उठाएं... वैसे भी मैं विश्व के खिलाफ़ सरकारी वकील मुक़र्रर हुई हूँ... और अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ.... वह दोषी है.... और मैं कोशिश भी करूंगी उसे कठोर से कठोर सजा दी जाए....
तापस - तुम्हारी नजरिए से तुम सही हो... पर सोचो.... गिरफ्तारी हुई, सरकार ने इसे गम्भीरता लीआ है.... ऐसा मीडिया में आया.... पर एस आई टी के बारे आज अटॉर्नी जनरल ने बताया.... पर पब्लिकली नहीं....
प्रतिभा - यह उन लोगों की स्ट्रैटिजी हो..... खैर... हमे क्या... आई एम डैम श्योर... विश्व प्रताप महापात्र हंड्रेड पर्सेंट गिल्टी एंड विल बी कंविक्टेड शुन एट कोर्ट