अपडेट-31
आज शरीर में बहुत थकावट लग रही थी क्यों कि रात में दो बार जो होग्या था।
रोज का काम कर के स्कूल जल्दी चला गया।
रास्ते में सूरज को पिक किया और स्कूल के लिए निकल गया।
सूरज- क्या बात है आज बहुत मुस्कुराता है चेहरे पर,
मैं- ऐसे कुछ नहीं है तुझे लग रहा है।
सूरज- अच्छा कल कुछ बात बानी
मैं- कैसी बात,
सूरज- देख ज्यादा बान मत कर अभी कल ही मुझे फूला कर रो रहा था और आज नौटंकी कर रहा है।
मैं- अच्छा वो बात, देख कल उसका कमरे में जाके रख तो दिया था अब पता नहीं उसका क्या रिस्पॉन्स होगा। वो भगवान ही मालिक है।
बातें करते हुए हमलोग स्कूल पहुँच गये।
स्कूल में,
सूरज- वैसे देखा जाए 2 दिन का मुकाबला आज खुश तो है तू इसका मतलब काम हो गया है और मुझसे छुपा रहा है।
मैं- नहीं यार ऐसा नहीं है अब वैसे भी मैं अब तुझसे कुछ नहीं छुपाता।
सूरज- अच्छा क्यू भाई मुझसे क्यू नहीं छुपता,
मैं- यार तू एक दम परफेक्ट आइडिया देता है इसलिए, मेरा दिमाग ऐसे जगह काम करना बंद कर देता है।
सूरज- हां, आज देखते हैं क्या रिस्पॉन्स मिला है मेरे आइडिया का।
स्कूल में दिन जैसा कटा होगा में ही जान रहा हूं कि आज कितनी एक्साइटमेंट है मुझमें, बता नही सकता मै,
3 बजे में और सूरज आज हम दोनों लोग थे क्यों कि अगर कुछ लफड़ा हुआ.तो सूरज साथ था।
स्कूल के बाहर हम लोग पलक का इंतजार करने लगे।
तभी सामने बाइक रुकी आके वो लड़का कोई और नहीं रोहन था।
मैं रोहन का चहेरा देख कर एक से गुस्से में आ गया।
गुस्से में,
क्यों ओय तुही था उस दिन फोन पर हां चल आज हो जाए मैं भी अकेला और तू भी देखता किसमें कितना दम, कौन किसे औकात दिखता है।
रोहन- देख भाई, लड़ने के मूड मैं नहीं हूं और तू बंदे भी लाया है। कभी प्लान फिक्स कर फिर तुझे औकात दिखता हूं।
मैंने गुस्से में रोहन का कॉलर पकड़ लिया और क्यों मेरी औकात दिखाये गा चल आ अकेले 2-2 हाथ कर ले। (सूरज की और इशारा करते हुए कहा) कि ये उधर ही खड़ा रहेगा कुछ नहीं बोलेगा और तुझमें हिम्मत है तो आ चल।
रोहन भी अब गुस्से में,
सुनो तेरा जो भी नाम हो मुझे पलक ने माना किया लड़ें बारना तेरी औकात यहीं दिखा देता।
स्कूल ख़त्म हो चुका था। सभी लड़कियाँ सामने से आ रही थीं। पलक और उसकी सहेलियां भी थीं।
मैने गुस्से में रोहन को थप्पड़ मार दिया और बोला अगर दोबारा तूने अपनी जुबान से पलक का नाम लिया यही जुबान तेरी खीच लूंगा।
और सुन उसे दूर रहना सीख ले जाइदा उसे चिपका के मत रख कर समझा यही तेरी औकात दिखा दूंगा।
रोहन ने भी मेरा कॉलर पकड़ कर हाथ चलाना ही वाला होता है।
सूरज ने बीच में आके हम दोनों को अलग भाई यार क्या करने आया था और क्या करने लगा।
मैं- अरे भोसड़ीवाला उससे चिपक कर रहे गया है।
सूरज- अबे यार मरना था तो कहीं बाहर मारता, यहां स्कूल से बाहर लड़ाई की तो पुलिस थाना हो जाएगा।
मुझे सूरज समझ ही आ रहा है कि तब तक सामने से पलक मेरे पास आती है बिन कुछ कहे मुझे पलटती है सीधे मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारती है।
मुझे लगा शायद ये थप्पड़ रोहन ने मारा है, गुस्से में, थप्पड़ मारने ही वाला होता हूं।
लेकिन सामने पलक को देख कर आश्चर्य हो गई।
पलक का चेरा हल्का सूझा हुआ और आंखे लाल थी।
पलक- मार ले मुझे भी उसको तो मार कर तुझे सुकून नहीं मिलेगा। क्यों हर वक्त मेरे पीछे पड़ा रहता है।
जब तक मुझे तुझ से कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्या पड़ा है। क्यू हर वक्त फोन और मैसेज करता है तुझे समझ नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और आ गया है।
मैं तुझे भूल चुकी हूं अच्छा अब तेरे लिए अच्छा ये है कि तू भी मुझे भूल जा।
इतना कहे कर पलक ने अपने बैग से मेरे द्वारा उसके कमरे में रखे गए।
ग्रेटिंग और चॉकलेट निकली और मेरे मुँह पर फेंक दिए।
पलक- आइंदा से मेरा पिछा किया या फिर मेरे या रोहन के बीच आने की कोशिश या मेरे घर पे आके ग्रीटिंग या चॉकलेट रखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
इतना कहे कर पलक की रुबासी हो गई, मुड़कर मेरे पास से रोहन के पास चली गई।
मैं - यार पलक सुन तो एक मिनट मेरी बात तो सुन ले,फिर तू चली जाना।
लेकिन अनसुना कर के चली गई।
पलक- चल रोहन यहां से और बोला था ऐसे ऐरो गैरो से लड़ाई मत किया ये फालतू है इनके पास कोई काम नहीं है।
रोहन- वो मैं नहीं, इस लड़के ने पहले हाथ उठाया था।मै तो आप की इज्जत के चक्कर में कुछ बोला ही नहीं.
इतना कहे वो दोनो लोग चले गये।
मैं वहां पर भूझे हुए लंड की तरह खड़ा हुआ. जैसे किसी ने मेरा सब कुछ छीन लिया हो।
और सब लोग खड़े हुए तमसा देख रहे थे।
मेरे रुहासा होकर बाइक पर बैठ कर जाने लगा। सूरज पीछे से आवाज देते हुए।
सूरज- अबे मेरे लिए तो रुक ओए सुन तो,
लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू।
गुस्से में मैंने बाइक तेज रफ्तार से चला दी, कुछ दूर जाने के बाद मेरी बाइक फिसल गई और मैं गिर गया।
वाहा के लोगों ने मुझे उठाया एक जगह पर बैठा दिया और मेरी बाइक को किनारे खड़ा कर दिया।
एक भाई ने पानी पिलाया।
मैं होश में नहीं था कि ये क्या हो गया और दिमाग भी काम नहीं कर रहा था।
वाह एक लड़का बोला भाई क्या नशा करते हो क्या दिन हो या घर से लड़ाई कर के भाग रहे हो।
मेरी आँखो में आँसू थे।
मैं- भाई ऐसे करो मेरे मोबाइल से सूरज नाम के लड़के को फोन लगा दो. उसे बता दो कि मैं यहां पर हूं.बाइक से फिसल गया।
थोड़ी देर बाद सूरज भागते हुए।
सूरज- अवि तू ठीक तो ज्यादा चोट नहीं आई और रुक नहीं सका था 5 मिनट गुस्से में वहां से भाग कर चला आया।
सूरज ये सब कह रहा था।
मैं सूरज से लिपट कर रोने लगा।
सूरज - चल अब रो मत सब ठीक हो जायेगा।
सूरज ने बाइक उठाई, मुझे बिठाकर पहले सिटी हॉस्पिटल ले गया, वहां से दर्द की दवा और पैर पर चोट आ गई थी हल्की सी वाहा पर पट्टी कराई।
तब तक मम्मी को फ़ोन आ गया।
सूरज ने फोन रिसीव किया।
मम्मी- हेलो हा अभी कहा है।
सूरज- अरे आंटी, मैं अभिषेक को दोस्त सूरज बोल रहा हूं।
मम्मी- हा सूरज और ये अभी कहा गया।
सूरज- वो आंटी आज स्कूल से बाइक निकलते वक्त अभी ऊपर बाइक गिर तो हल्की से चोट लग गई है। बीएस अस्पताल आए थे दवा लेकर सीधे घर ही आ रहे हैं।
मम्मी- क्याआआ! सही है तो अवि ज्यादा चोट तो नहीं आई, ना बोल ज्यादा दिक्कत हो मैं इसके भाई को परेशान करता हूं।
सूरज- अरे आंटी समस्या की कोई बात नहीं है 5 मिनट में हम लोग घर आ रहे हैं।आप परेशान मत होइए। मैं हूं अवि के साथ मे।
इतना कहकर कॉल रख दिया।
मैं- अरे यार मम्मी को क्यों बता दिया।
सूरज- चल चुप बैठ और दावा खा फिर घर चले और जरा अपना मोबाइल दियो।
सूरज ने मेरा मोबाइल लिया पता नहीं कुछ करने लगा।
मैं- क्या कर रहा है और कॉन्टेक्ट लिस्ट क्यों खोल रहा है।
सूरज ने कॉन्टेक्ट लिस्ट से पलक का नंबर लगाया और अपना फोन डाला।बहार चला गया.
मैं हॉस्पिटल में बैठा हुए और सोचने लगा कि ये सब क्या होगा, मैं मरते-मरते बच्चा हुआ आज।
थोड़ी देर बाद सूरज आया और बोला भाई तुझे मेरी कसम है आज तू पूरे दिन पलक का कॉल मत उठाना।
मैं- पर क्यू भाई क्या हुआ ऐसा,
सूरज- दोस्ती की कसम जैसा बोला वही करना है।
मैं- ठीक है भाई जैसी तेरी मर्जी.पर मुहे बता तो तूने क्या कहा उससे,
सूरज- टाइम आएगा तो बता दूंगा।
थोड़ी देर बाद मैं और सूरज घर आये।