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Incest वो,जो नही होना था।

Palak aur Abhishek ka Milan

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Ek number

Well-Known Member
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अपडेट-31
आज शरीर में बहुत थकावट लग रही थी क्यों कि रात में दो बार जो होग्या था।

रोज का काम कर के स्कूल जल्दी चला गया।

रास्ते में सूरज को पिक किया और स्कूल के लिए निकल गया।
सूरज- क्या बात है आज बहुत मुस्कुराता है चेहरे पर,
मैं- ऐसे कुछ नहीं है तुझे लग रहा है।

सूरज- अच्छा कल कुछ बात बानी
मैं- कैसी बात,
सूरज- देख ज्यादा बान मत कर अभी कल ही मुझे फूला कर रो रहा था और आज नौटंकी कर रहा है।

मैं- अच्छा वो बात, देख कल उसका कमरे में जाके रख तो दिया था अब पता नहीं उसका क्या रिस्पॉन्स होगा। वो भगवान ही मालिक है।
बातें करते हुए हमलोग स्कूल पहुँच गये।

स्कूल में,

सूरज- वैसे देखा जाए 2 दिन का मुकाबला आज खुश तो है तू इसका मतलब काम हो गया है और मुझसे छुपा रहा है।
मैं- नहीं यार ऐसा नहीं है अब वैसे भी मैं अब तुझसे कुछ नहीं छुपाता।

सूरज- अच्छा क्यू भाई मुझसे क्यू नहीं छुपता,
मैं- यार तू एक दम परफेक्ट आइडिया देता है इसलिए, मेरा दिमाग ऐसे जगह काम करना बंद कर देता है।

सूरज- हां, आज देखते हैं क्या रिस्पॉन्स मिला है मेरे आइडिया का।

स्कूल में दिन जैसा कटा होगा में ही जान रहा हूं कि आज कितनी एक्साइटमेंट है मुझमें, बता नही सकता मै,

3 बजे में और सूरज आज हम दोनों लोग थे क्यों कि अगर कुछ लफड़ा हुआ.तो सूरज साथ था।

स्कूल के बाहर हम लोग पलक का इंतजार करने लगे।

तभी सामने बाइक रुकी आके वो लड़का कोई और नहीं रोहन था।
मैं रोहन का चहेरा देख कर एक से गुस्से में आ गया।

गुस्से में,

क्यों ओय तुही था उस दिन फोन पर हां चल आज हो जाए मैं भी अकेला और तू भी देखता किसमें कितना दम, कौन किसे औकात दिखता है।

रोहन- देख भाई, लड़ने के मूड मैं नहीं हूं और तू बंदे भी लाया है। कभी प्लान फिक्स कर फिर तुझे औकात दिखता हूं।

मैंने गुस्से में रोहन का कॉलर पकड़ लिया और क्यों मेरी औकात दिखाये गा चल आ अकेले 2-2 हाथ कर ले। (सूरज की और इशारा करते हुए कहा) कि ये उधर ही खड़ा रहेगा कुछ नहीं बोलेगा और तुझमें हिम्मत है तो आ चल।

रोहन भी अब गुस्से में,
सुनो तेरा जो भी नाम हो मुझे पलक ने माना किया लड़ें बारना तेरी औकात यहीं दिखा देता।

स्कूल ख़त्म हो चुका था। सभी लड़कियाँ सामने से आ रही थीं। पलक और उसकी सहेलियां भी थीं।

मैने गुस्से में रोहन को थप्पड़ मार दिया और बोला अगर दोबारा तूने अपनी जुबान से पलक का नाम लिया यही जुबान तेरी खीच लूंगा।
और सुन उसे दूर रहना सीख ले जाइदा उसे चिपका के मत रख कर समझा यही तेरी औकात दिखा दूंगा।

रोहन ने भी मेरा कॉलर पकड़ कर हाथ चलाना ही वाला होता है।

सूरज ने बीच में आके हम दोनों को अलग भाई यार क्या करने आया था और क्या करने लगा।

मैं- अरे भोसड़ीवाला उससे चिपक कर रहे गया है।

सूरज- अबे यार मरना था तो कहीं बाहर मारता, यहां स्कूल से बाहर लड़ाई की तो पुलिस थाना हो जाएगा।

मुझे सूरज समझ ही आ रहा है कि तब तक सामने से पलक मेरे पास आती है बिन कुछ कहे मुझे पलटती है सीधे मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारती है।

मुझे लगा शायद ये थप्पड़ रोहन ने मारा है, गुस्से में, थप्पड़ मारने ही वाला होता हूं।

लेकिन सामने पलक को देख कर आश्चर्य हो गई।
पलक का चेरा हल्का सूझा हुआ और आंखे लाल थी।

पलक- मार ले मुझे भी उसको तो मार कर तुझे सुकून नहीं मिलेगा। क्यों हर वक्त मेरे पीछे पड़ा रहता है।

जब तक मुझे तुझ से कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्या पड़ा है। क्यू हर वक्त फोन और मैसेज करता है तुझे समझ नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और आ गया है।
मैं तुझे भूल चुकी हूं अच्छा अब तेरे लिए अच्छा ये है कि तू भी मुझे भूल जा।

इतना कहे कर पलक ने अपने बैग से मेरे द्वारा उसके कमरे में रखे गए।
ग्रेटिंग और चॉकलेट निकली और मेरे मुँह पर फेंक दिए।

पलक- आइंदा से मेरा पिछा किया या फिर मेरे या रोहन के बीच आने की कोशिश या मेरे घर पे आके ग्रीटिंग या चॉकलेट रखी तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

इतना कहे कर पलक की रुबासी हो गई, मुड़कर मेरे पास से रोहन के पास चली गई।
मैं - यार पलक सुन तो एक मिनट मेरी बात तो सुन ले,फिर तू चली जाना।
लेकिन अनसुना कर के चली गई।

पलक- चल रोहन यहां से और बोला था ऐसे ऐरो गैरो से लड़ाई मत किया ये फालतू है इनके पास कोई काम नहीं है।

रोहन- वो मैं नहीं, इस लड़के ने पहले हाथ उठाया था।मै तो आप की इज्जत के चक्कर में कुछ बोला ही नहीं.

इतना कहे वो दोनो लोग चले गये।

मैं वहां पर भूझे हुए लंड की तरह खड़ा हुआ. जैसे किसी ने मेरा सब कुछ छीन लिया हो।

और सब लोग खड़े हुए तमसा देख रहे थे।
मेरे रुहासा होकर बाइक पर बैठ कर जाने लगा। सूरज पीछे से आवाज देते हुए।

सूरज- अबे मेरे लिए तो रुक ओए सुन तो,
लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू।

गुस्से में मैंने बाइक तेज रफ्तार से चला दी, कुछ दूर जाने के बाद मेरी बाइक फिसल गई और मैं गिर गया।

वाहा के लोगों ने मुझे उठाया एक जगह पर बैठा दिया और मेरी बाइक को किनारे खड़ा कर दिया।
एक भाई ने पानी पिलाया।

मैं होश में नहीं था कि ये क्या हो गया और दिमाग भी काम नहीं कर रहा था।

वाह एक लड़का बोला भाई क्या नशा करते हो क्या दिन हो या घर से लड़ाई कर के भाग रहे हो।

मेरी आँखो में आँसू थे।

मैं- भाई ऐसे करो मेरे मोबाइल से सूरज नाम के लड़के को फोन लगा दो. उसे बता दो कि मैं यहां पर हूं.बाइक से फिसल गया।

थोड़ी देर बाद सूरज भागते हुए।

सूरज- अवि तू ठीक तो ज्यादा चोट नहीं आई और रुक नहीं सका था 5 मिनट गुस्से में वहां से भाग कर चला आया।
सूरज ये सब कह रहा था।
मैं सूरज से लिपट कर रोने लगा।

सूरज - चल अब रो मत सब ठीक हो जायेगा।

सूरज ने बाइक उठाई, मुझे बिठाकर पहले सिटी हॉस्पिटल ले गया, वहां से दर्द की दवा और पैर पर चोट आ गई थी हल्की सी वाहा पर पट्टी कराई।

तब तक मम्मी को फ़ोन आ गया।

सूरज ने फोन रिसीव किया।
मम्मी- हेलो हा अभी कहा है।
सूरज- अरे आंटी, मैं अभिषेक को दोस्त सूरज बोल रहा हूं।

मम्मी- हा सूरज और ये अभी कहा गया।
सूरज- वो आंटी आज स्कूल से बाइक निकलते वक्त अभी ऊपर बाइक गिर तो हल्की से चोट लग गई है। बीएस अस्पताल आए थे दवा लेकर सीधे घर ही आ रहे हैं।

मम्मी- क्याआआ! सही है तो अवि ज्यादा चोट तो नहीं आई, ना बोल ज्यादा दिक्कत हो मैं इसके भाई को परेशान करता हूं।
सूरज- अरे आंटी समस्या की कोई बात नहीं है 5 मिनट में हम लोग घर आ रहे हैं।आप परेशान मत होइए। मैं हूं अवि के साथ मे।
इतना कहकर कॉल रख दिया।

मैं- अरे यार मम्मी को क्यों बता दिया।
सूरज- चल चुप बैठ और दावा खा फिर घर चले और जरा अपना मोबाइल दियो।

सूरज ने मेरा मोबाइल लिया पता नहीं कुछ करने लगा।
मैं- क्या कर रहा है और कॉन्टेक्ट लिस्ट क्यों खोल रहा है।

सूरज ने कॉन्टेक्ट लिस्ट से पलक का नंबर लगाया और अपना फोन डाला।बहार चला गया.

मैं हॉस्पिटल में बैठा हुए और सोचने लगा कि ये सब क्या होगा, मैं मरते-मरते बच्चा हुआ आज।

थोड़ी देर बाद सूरज आया और बोला भाई तुझे मेरी कसम है आज तू पूरे दिन पलक का कॉल मत उठाना।

मैं- पर क्यू भाई क्या हुआ ऐसा,
सूरज- दोस्ती की कसम जैसा बोला वही करना है।

मैं- ठीक है भाई जैसी तेरी मर्जी.पर मुहे बता तो तूने क्या कहा उससे,
सूरज- टाइम आएगा तो बता दूंगा।

थोड़ी देर बाद मैं और सूरज घर आये।
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cartoon18

लिखावट बाय दिहाती लेखक🌚
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अपडेट -32
मैं हल्का सा लंगड़ता हुआ घर के अंदर गया।

मम्मी- बिल्कुल अंधा हो गया देख कर बाइक का स्टैंड भी नही उठा सकता है।

सूरज मेरा बचाव करते हुए,

अरे वो आंटी किसी लड़के ने स्टैंड का बोल्ट ढीला कर दिया था इसलिए ये सब हुआ। कल स्कूल में कैमरा चेक कर के उसे पकड़ लेंगे।

चलो ठीक है तुम लोग कमरे में जाओ मैं भी खाना लेकर आती हूं।

हम्म लोगो ने खाना खाया।

सूरज जाने लगा और बोला भाई मैं तेरी बाइक के लिए जा रहा हूं मुझे जरा रिया को थोड़ा घूमना है वैसे भी तुझे कही जाना नहीं है,और ध्यान रखना पलक का कॉल नही उठाना है।

मैं- ठीक है भाई पर मुझे तो बताओ क्यों नहीं
सूरज - भाई टाइम आएगा तो बताऊंगा।

मैं- ठीक है ये लो फोन स्विच ऑफ कर दिया है और अभी दवा खा कर सो जाता हूं।

सूरज को बाइक की चाबी दी और मम्मी को बोल दिया कि कोई आए तो मुझे डिस्टर्ब मत करना, सोने जा रहा हूं क्योंकि मेरे पैरो में दर्द बहुत है। नींद की गोली खाई है आराम करूंगा।

मम्मी- ठीक है,

मैं गेट बंद कर के सो गया, और दावा का असर इतना जायदा था की शायद मेरी आंख दूसरे दिन सुबह 5 बजे खुली होगी।

क्योंकि मुझे कोई बुलाने भी आया होगा तो मैंने गेट अंदर से बंद कर लिया था और मोबाइल स्विच कर लिया था अब तो कोई मौका नहीं था कि कोई मुझसे मिल पाए।

अगला दिन,
पहले मोबाइल स्विच ऑन किया फिर मस्त फ्रेश हुआ आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत दिन बाद सही से सोया हूं।

रोज़ के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार हुआ। और नीचे नाश्ता करने के लिए गया।


मम्मी- गेट अंदर से बंद कर सोया था क्या?

मैं- हां मम्मी कोई दिक्कत हुई क्या.

मम्मी- वो मौसी और मौसा आए थे तुझे देखने पर तूने गेट ही नहीं खोला।
मैं- हा मम्मी, पैर में दर्द भी था और डॉक्टर ने बोला कि अगर रात भर आराम करो, सुबह तक चलने के लायक हो जाओगे।

मैं- उन लोगो को कैसे पता चला, जबकि कोई ज्यादा चोट तो लगी नही थी फिर भी,,
मम्मी - पलक की सहेली का भाई तेरे साथ ही पढ़ता है उसी ने बताया होगा।
मैं- हां, हो सकता है।

तभी गेट पर घंटी वजी,

मम्मी गेट खोलने गई ये सुबह सुबह कौन होगा।

गेट पर सूरज था और अंदर आया बोला,

सूरज - तू स्कूल जा रहा है।
मैं- क्यों तू नहीं जा रहा क्या

सूरज- वो यार घर पर थोड़ा काम तो मैं तो नहीं जाऊँगा । और तू क्यों जा रहा है जब तेरी हालत ठीक नहीं है आराम कर ना घर पे रहे कर,
मैं - अरे यार मुझे लगा तू भी जाएगा तो मैं तैयार हो गया इसलिए पहले बता देता तो मैं भी ना जाता।

सूरज- तेरा नंबर स्विच ऑफ जा रहा था.कैसे बता अगर तुझे जाना है तो बोल मैं बाइक से ड्रॉप कर दूंगा।

मैं- ठीक है मैं भी रहना देता हूं.
घर पे रहकर आराम ही कर लूंगा।

सूरज- ऐसा करना में तुझे 10 बजे तरफ रिसीव करने आऊंगा वो सर ने असिंगमेंट्स दिया है ना तो घर पे आके पूरे कर लेंगे।

मैं - सोच में की कौन से assingments दिए है।
सूरज ने आंखो से इशारा किया ।
मैं - अच्छा ठीक है तो फिर 10 बजे मिलना हम लोग साथ में चलते है।

भैया चिलते हुए,

भैया- स्कूल नहीं जाना है और क्या इतनी कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है जो स्कूल नहीं जा सकता।

मैं- अरे भैया वो सूरज आएगा नहीं, मैं अकेला होऊंगा स्कूल में, इसलिए नहीं जा रहा।

मम्मी- अरे रहने दो क्यू चिल्ला रहे हो. कल चल जायेगा ना.

मम्मी के इतना कहने पर मैं अपने कमरे में चला गया और कपड़े निकाल कर लेट गया।

सूरज को फोन करने ही बाला होता हूं।
तभी सूरज का फोन आया कि भाई जरा फन सिटी तक चलना है रिया की एक फ्रेंड के घर तक चलना है।

मैं- ठीक है भाई घर पर ही पड़ा हूं ले जाना आके।


मैं लेट- लेट सोचने लगा कि सब लोग कल आये लेकिन पलक नहीं आयी।लगता शायद उसने मुझे सही में भुला दिया।

मैंने भी कहा उसकी बात सोचने लगा क्यू उसकी वजह से इतना सब हो चुका था।अब शायद मेरा भी इंट्रेस्ट खत्म हो रहा था।

10 बज गए सूरज रूम में क्यू भाई चलना नहीं है क्या?

मैं- हां भाई बस तू 5 मिनट रुक बैग लेकर और अभी तैयार होकर आता हूं।
10 मिनट बाद हम लोग निकल गये।

रास्ते में,
सूरज- क्यों पलक का फोन आया था.

मैं- पता नहीं, मेरा फोन स्विच ऑफ था पर हां उसकी मम्मी और पापा कल मुझे देखने आये थे पर मैंने गेट बंद कर लिया था तो कोई मतलब ही नहीं निकला।

सूरज- चल सही है तूने दोस्ती की कसम तो रखी।
मैं- हां भाई अब तेरी बात नहीं रखता तो किसी को रखता हूं।
बाते करते हुए हम लोग फन सिटी पहुंच गए थे।
मैं - यह पर किससे काम है तुझे ,
सूरज - सवाल बहुत पूछता है अंदर तो चल एक मिनट,

प्रवेश टिकट ली और अंदर गए।

अंदर वाहा पर रिया और उसके दोस्त इंतजार कर रहे हैं।

मैं- भाई जब तुझे रिया से मिलाना था तो मुझे क्यों साथ लाया मुझे घर पर ही छोड़ देता था यहां पर अब बोर होऊंगा।

सूरज- अरे तू बोर नहीं होगा इसकी गारंटी मेरी,

वो अपने दोस्त के साथ आई है ना कि मेरे साथ।

मैं- अच्छा चल ठीक है अन्दर चल,

लेकिन अंदर जाते ही थोड़ी दूर पर पलक खड़ी हुई थी मेरा पारा एक दम से हाई हो गया।

मैं- सूरज अब यार यहाँ से घर चल इसकी मनहूश शकल देख ली अब मैं नहीं रुक पाऊँगा। मैं जा रहा हू।

सूरज- भाई, यहां थोड़ा काम निपटा लू, फिर चलता हूं तू बस ज्यादा नहीं, 10 मिनट रुक और वैसे भी तेरी उससे कौन से बोल चल है तू कहीं आगे निकल जा उसे इग्नोर कर के बस बात खत्म।

मैं- अरे यार तूने फंसा दिया ठीक है अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था।

इतना कहे कर सूरज वहां से निकल गया।

मैं- अबे अब तू कह जा रहा है यार,

सूरज- बस अभी आया 5 मिनट में आ गया।

अब मैं अकेला टहलते हुए पार्क में जा रहा था बिल्कुल ऐसे जैसे इस दुनिया में कोई नहीं है और अबकी इग्नोर करता हुआ है।

शायद पलक मेरे पीछे आ रही थी ये चीज़ मैंने गौर नहीं की थी।

चलते चलते काफी दूर निकल आया था बिल्कुल एकांत जगह जहां दूर दूर तक कोई नहीं था।

पलक ने ही बात चालू की मै उसे पूरी तरह से नजरंदाज कर रहा था।
पलक के पीछे से चिल्लाते हुए मेरे लिए रुक ना।

मैं बिल्कुल शॉक होते हुए कौन लड़की मेरे पीछे से आवाज दे रही है।

मैंने देखा पलक थी तो बिल्कुल अनसुना कर के फ़िर से चलने लगा।
पलक- यार रुक जा ना मैं थक गई हूं चलते चलते,

वही पास में पड़ी हुई ब्रेंच पर में बैठ गया।

मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस अपने मोबाइल पर लगा हुआ था।
पलक मेरे पास आकर बैठ गई मेरी तरफ देखने लगी।

मैं दूसरी और मुंह घूमा कर बैठ गया।

पलक- अब क्या इतनी बुरी हो गई हूं कि बिल्कुल मेरी तरफ देखना ही बंद कर देगा।
मैं अभी कुछ नहीं बोल रहा था बिल्कुल चुप था।

पलक- अरे यार अब तेरे सामने हूं अब तो बोले ले।

मुझे गुस्सा आ गया,

देख बकचोदी मत कर जा अपने उसे आशिक से साथ मुहुँ मार मैं तुझे नहीं जानता कि तू कौन है समझी अब निकल।

पलक हल्के से गुस्से में,
अच्छा अब मैं इतनी बुरी हो गई हूं कि तू मुझसे गाली देकर बात करेगा।

मैं- देख तूने जो कल कहा था बस वही फॉलो कर रही हूं “जब मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्यों पड़ी है।” यह समझ में नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और है।''

पलक- अच्छा इतना मुझसे नाराज़ है.ठीक है अब सॉरी अब से नहीं कहूंगी बस
मैं- ”सॉरी बोलने से कुछ नहीं होता मेरी जान कुछ बातें दिल पे लगती है तो बुलाई नहीं जाती है"

पलक- ओह हो! शायर साहब बहुत सुंदर लेकिन इतनी बुरी बात भी मैंने नहीं की थी.तू जो इतना बुरा मान गया है।

मैं- हां सबके सामने तूने थप्पड़ मार दिया और मेरे दिए गए गिफ्ट मुहं पर फेक कर चली आई वो सब तुझे सिर्फ मजाक लगा।

मैं वो सब नहीं भूल सकता,
पलक-
"मेरे पास लाख परेशानियाँ थीं क्योंकि मानो तुम्हारा एक संदेश मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"

मैं- हां तू मेरा कॉल रिसीव करती थी और मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं आया।

पलक चिलाते हुए,
क्योंकि में तेरे बिन पागल हुई जा रही थी मेरे समझ में नहीं आ रहा था क्या करु क्यू की तू मुझसे नहीं प्यार करता है ।लेकिन मैं तुझ पर मर मिटी जा रही हूँ। तू शायद सुकून से सोता होगा पर मुझे यहाँ कितने दिन हो गए नींद नहीं आई है। सुकून से,

कल तेरे चोट का पता चला मैं सो नहीं पाई रात बाहर मैंने खाना भी नहीं खाया कल से मैं तेरी याद में पागल हुई जा रही हूं। रात भर सोचती रही कि तू कैसी है तूने दवा ली या नहीं लेकिन नहीं तुझे तो इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि मैं बक रही हूं तो बकने दू क्या ही फर्क पड़ेगा तुझे।
इतना कहे कर पलक रोने लगी।

मैं-
"कहा था ना एक दिन मुझे फर्क पैदा करना बंद हो जाएगा गा.वो दिन आ गया है.अब आजाद हो तुम.अपना ख्याल रखना"

तू चाहे जी या मर मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता तेरे को जी मैं आये वो कर और सुन मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। वैसे भी तेरे अब तो आशिक है तो क्यू मेरे पीछे पड़ी है।

पलक अब कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप थी और रो रही थी।
मैं उठ कर जाने लगा।

अच्छा तुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ठीक है, मैं जा रही हूँ मरने झील में, अगर तुझे फर्क पड़ता हो तो तू मुझे बचा लेना नहीं तो मुझे मरने देना।

मैं- देख मुझे वैसे भी तुझसे बात है, समय बर्बाद हो रहा है। चुप यहाँ से घर जा और तुझे हो करना है वो कर जाके मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

पलक- ठीक है मैं जा रही हूं। और वैसे भी मैं तेरे साथ कौन सा आया तुझे क्या मतलब,

इतना कहे कर पलक वहां से झील की और जाने लगी मैंने एक नजर देखा और अपना मुंह घुमा लिया।

तभी पानी में कुदने की कुछ आवाज आई मेरी एक दम से सांस अटक गई। कहीं सच में तो नहीं पलक ने में भाग कर झील के पास देखा।
 

Dragon.

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मैं हल्का सा लंगड़ता हुआ घर के अंदर गया।

मम्मी- बिल्कुल अंधा हो गया देख कर बाइक का स्टैंड भी नही उठा सकता है।

सूरज मेरा बचाव करते हुए,

अरे वो आंटी किसी लड़के ने स्टैंड का बोल्ट ढीला कर दिया था इसलिए ये सब हुआ। कल स्कूल में कैमरा चेक कर के उसे पकड़ लेंगे।

चलो ठीक है तुम लोग कमरे में जाओ मैं भी खाना लेकर आती हूं।

हम्म लोगो ने खाना खाया।

सूरज जाने लगा और बोला भाई मैं तेरी बाइक के लिए जा रहा हूं मुझे जरा रिया को थोड़ा घूमना है वैसे भी तुझे कही जाना नहीं है,और ध्यान रखना पलक का कॉल नही उठाना है।

मैं- ठीक है भाई पर मुझे तो बताओ क्यों नहीं
सूरज - भाई टाइम आएगा तो बताऊंगा।

मैं- ठीक है ये लो फोन स्विच ऑफ कर दिया है और अभी दवा खा कर सो जाता हूं।

सूरज को बाइक की चाबी दी और मम्मी को बोल दिया कि कोई आए तो मुझे डिस्टर्ब मत करना, सोने जा रहा हूं क्योंकि मेरे पैरो में दर्द बहुत है। नींद की गोली खाई है आराम करूंगा।

मम्मी- ठीक है,

मैं गेट बंद कर के सो गया, और दावा का असर इतना जायदा था की शायद मेरी आंख दूसरे दिन सुबह 5 बजे खुली होगी।

क्योंकि मुझे कोई बुलाने भी आया होगा तो मैंने गेट अंदर से बंद कर लिया था और मोबाइल स्विच कर लिया था अब तो कोई मौका नहीं था कि कोई मुझसे मिल पाए।

अगला दिन,
पहले मोबाइल स्विच ऑन किया फिर मस्त फ्रेश हुआ आज ऐसा लग रहा है जैसे बहुत दिन बाद सही से सोया हूं।

रोज़ के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार हुआ। और नीचे नाश्ता करने के लिए गया।


मम्मी- गेट अंदर से बंद कर सोया था क्या?

मैं- हां मम्मी कोई दिक्कत हुई क्या.

मम्मी- वो मौसी और मौसा आए थे तुझे देखने पर तूने गेट ही नहीं खोला।
मैं- हा मम्मी, पैर में दर्द भी था और डॉक्टर ने बोला कि अगर रात भर आराम करो, सुबह तक चलने के लायक हो जाओगे।

मैं- उन लोगो को कैसे पता चला, जबकि कोई ज्यादा चोट तो लगी नही थी फिर भी,,
मम्मी - पलक की सहेली का भाई तेरे साथ ही पढ़ता है उसी ने बताया होगा।
मैं- हां, हो सकता है।

तभी गेट पर घंटी वजी,

मम्मी गेट खोलने गई ये सुबह सुबह कौन होगा।

गेट पर सूरज था और अंदर आया बोला,

सूरज - तू स्कूल जा रहा है।
मैं- क्यों तू नहीं जा रहा क्या

सूरज- वो यार घर पर थोड़ा काम तो मैं तो नहीं जाऊँगा । और तू क्यों जा रहा है जब तेरी हालत ठीक नहीं है आराम कर ना घर पे रहे कर,
मैं - अरे यार मुझे लगा तू भी जाएगा तो मैं तैयार हो गया इसलिए पहले बता देता तो मैं भी ना जाता।

सूरज- तेरा नंबर स्विच ऑफ जा रहा था.कैसे बता अगर तुझे जाना है तो बोल मैं बाइक से ड्रॉप कर दूंगा।

मैं- ठीक है मैं भी रहना देता हूं.
घर पे रहकर आराम ही कर लूंगा।

सूरज- ऐसा करना में तुझे 10 बजे तरफ रिसीव करने आऊंगा वो सर ने असिंगमेंट्स दिया है ना तो घर पे आके पूरे कर लेंगे।

मैं - सोच में की कौन से assingments दिए है।
सूरज ने आंखो से इशारा किया ।
मैं - अच्छा ठीक है तो फिर 10 बजे मिलना हम लोग साथ में चलते है।

भैया चिलते हुए,

भैया- स्कूल नहीं जाना है और क्या इतनी कोई ज्यादा चोट नहीं लगी है जो स्कूल नहीं जा सकता।

मैं- अरे भैया वो सूरज आएगा नहीं, मैं अकेला होऊंगा स्कूल में, इसलिए नहीं जा रहा।

मम्मी- अरे रहने दो क्यू चिल्ला रहे हो. कल चल जायेगा ना.

मम्मी के इतना कहने पर मैं अपने कमरे में चला गया और कपड़े निकाल कर लेट गया।

सूरज को फोन करने ही बाला होता हूं।
तभी सूरज का फोन आया कि भाई जरा फन सिटी तक चलना है रिया की एक फ्रेंड के घर तक चलना है।

मैं- ठीक है भाई घर पर ही पड़ा हूं ले जाना आके।


मैं लेट- लेट सोचने लगा कि सब लोग कल आये लेकिन पलक नहीं आयी।लगता शायद उसने मुझे सही में भुला दिया।

मैंने भी कहा उसकी बात सोचने लगा क्यू उसकी वजह से इतना सब हो चुका था।अब शायद मेरा भी इंट्रेस्ट खत्म हो रहा था।

10 बज गए सूरज रूम में क्यू भाई चलना नहीं है क्या?

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10 मिनट बाद हम लोग निकल गये।

रास्ते में,
सूरज- क्यों पलक का फोन आया था.

मैं- पता नहीं, मेरा फोन स्विच ऑफ था पर हां उसकी मम्मी और पापा कल मुझे देखने आये थे पर मैंने गेट बंद कर लिया था तो कोई मतलब ही नहीं निकला।

सूरज- चल सही है तूने दोस्ती की कसम तो रखी।
मैं- हां भाई अब तेरी बात नहीं रखता तो किसी को रखता हूं।
बाते करते हुए हम लोग फन सिटी पहुंच गए थे।
मैं - यह पर किससे काम है तुझे ,
सूरज - सवाल बहुत पूछता है अंदर तो चल एक मिनट,

प्रवेश टिकट ली और अंदर गए।

अंदर वाहा पर रिया और उसके दोस्त इंतजार कर रहे हैं।

मैं- भाई जब तुझे रिया से मिलाना था तो मुझे क्यों साथ लाया मुझे घर पर ही छोड़ देता था यहां पर अब बोर होऊंगा।

सूरज- अरे तू बोर नहीं होगा इसकी गारंटी मेरी,

वो अपने दोस्त के साथ आई है ना कि मेरे साथ।

मैं- अच्छा चल ठीक है अन्दर चल,

लेकिन अंदर जाते ही थोड़ी दूर पर पलक खड़ी हुई थी मेरा पारा एक दम से हाई हो गया।

मैं- सूरज अब यार यहाँ से घर चल इसकी मनहूश शकल देख ली अब मैं नहीं रुक पाऊँगा। मैं जा रहा हू।

सूरज- भाई, यहां थोड़ा काम निपटा लू, फिर चलता हूं तू बस ज्यादा नहीं, 10 मिनट रुक और वैसे भी तेरी उससे कौन से बोल चल है तू कहीं आगे निकल जा उसे इग्नोर कर के बस बात खत्म।

मैं- अरे यार तूने फंसा दिया ठीक है अब मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था।

इतना कहे कर सूरज वहां से निकल गया।

मैं- अबे अब तू कह जा रहा है यार,

सूरज- बस अभी आया 5 मिनट में आ गया।

अब मैं अकेला टहलते हुए पार्क में जा रहा था बिल्कुल ऐसे जैसे इस दुनिया में कोई नहीं है और अबकी इग्नोर करता हुआ है।

शायद पलक मेरे पीछे आ रही थी ये चीज़ मैंने गौर नहीं की थी।

चलते चलते काफी दूर निकल आया था बिल्कुल एकांत जगह जहां दूर दूर तक कोई नहीं था।

पलक ने ही बात चालू की मै उसे पूरी तरह से नजरंदाज कर रहा था।
पलक के पीछे से चिल्लाते हुए मेरे लिए रुक ना।

मैं बिल्कुल शॉक होते हुए कौन लड़की मेरे पीछे से आवाज दे रही है।

मैंने देखा पलक थी तो बिल्कुल अनसुना कर के फ़िर से चलने लगा।
पलक- यार रुक जा ना मैं थक गई हूं चलते चलते,

वही पास में पड़ी हुई ब्रेंच पर में बैठ गया।

मैं कुछ बोल नहीं रहा था बस अपने मोबाइल पर लगा हुआ था।
पलक मेरे पास आकर बैठ गई मेरी तरफ देखने लगी।

मैं दूसरी और मुंह घूमा कर बैठ गया।

पलक- अब क्या इतनी बुरी हो गई हूं कि बिल्कुल मेरी तरफ देखना ही बंद कर देगा।
मैं अभी कुछ नहीं बोल रहा था बिल्कुल चुप था।

पलक- अरे यार अब तेरे सामने हूं अब तो बोले ले।

मुझे गुस्सा आ गया,

देख बकचोदी मत कर जा अपने उसे आशिक से साथ मुहुँ मार मैं तुझे नहीं जानता कि तू कौन है समझी अब निकल।

पलक हल्के से गुस्से में,
अच्छा अब मैं इतनी बुरी हो गई हूं कि तू मुझसे गाली देकर बात करेगा।

मैं- देख तूने जो कल कहा था बस वही फॉलो कर रही हूं “जब मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं है, मेरे पीछे क्यों पड़ी है।” यह समझ में नहीं आता कि मेरी जिंदगी में कोई और है।''

पलक- अच्छा इतना मुझसे नाराज़ है.ठीक है अब सॉरी अब से नहीं कहूंगी बस
मैं- ”सॉरी बोलने से कुछ नहीं होता मेरी जान कुछ बातें दिल पे लगती है तो बुलाई नहीं जाती है"

पलक- ओह हो! शायर साहब बहुत सुंदर लेकिन इतनी बुरी बात भी मैंने नहीं की थी.तू जो इतना बुरा मान गया है।

मैं- हां सबके सामने तूने थप्पड़ मार दिया और मेरे दिए गए गिफ्ट मुहं पर फेक कर चली आई वो सब तुझे सिर्फ मजाक लगा।

मैं वो सब नहीं भूल सकता,
पलक-
"मेरे पास लाख परेशानियाँ थीं क्योंकि मानो तुम्हारा एक संदेश मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है।"

मैं- हां तू मेरा कॉल रिसीव करती थी और मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं आया।

पलक चिलाते हुए,
क्योंकि में तेरे बिन पागल हुई जा रही थी मेरे समझ में नहीं आ रहा था क्या करु क्यू की तू मुझसे नहीं प्यार करता है ।लेकिन मैं तुझ पर मर मिटी जा रही हूँ। तू शायद सुकून से सोता होगा पर मुझे यहाँ कितने दिन हो गए नींद नहीं आई है। सुकून से,

कल तेरे चोट का पता चला मैं सो नहीं पाई रात बाहर मैंने खाना भी नहीं खाया कल से मैं तेरी याद में पागल हुई जा रही हूं। रात भर सोचती रही कि तू कैसी है तूने दवा ली या नहीं लेकिन नहीं तुझे तो इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों कि मैं बक रही हूं तो बकने दू क्या ही फर्क पड़ेगा तुझे।
इतना कहे कर पलक रोने लगी।

मैं-
"कहा था ना एक दिन मुझे फर्क पैदा करना बंद हो जाएगा गा.वो दिन आ गया है.अब आजाद हो तुम.अपना ख्याल रखना"

तू चाहे जी या मर मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता तेरे को जी मैं आये वो कर और सुन मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे। वैसे भी तेरे अब तो आशिक है तो क्यू मेरे पीछे पड़ी है।

पलक अब कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप थी और रो रही थी।
मैं उठ कर जाने लगा।

अच्छा तुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ठीक है, मैं जा रही हूँ मरने झील में, अगर तुझे फर्क पड़ता हो तो तू मुझे बचा लेना नहीं तो मुझे मरने देना।

मैं- देख मुझे वैसे भी तुझसे बात है, समय बर्बाद हो रहा है। चुप यहाँ से घर जा और तुझे हो करना है वो कर जाके मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

पलक- ठीक है मैं जा रही हूं। और वैसे भी मैं तेरे साथ कौन सा आया तुझे क्या मतलब,

इतना कहे कर पलक वहां से झील की और जाने लगी मैंने एक नजर देखा और अपना मुंह घुमा लिया।

तभी पानी में कुदने की कुछ आवाज आई मेरी एक दम से सांस अटक गई। कहीं सच में तो नहीं पलक ने में भाग कर झील के पास देखा।
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