अपडेट - 49
सिनेमा हॉल के बाहर निकला तो देखा वहां पे कहीं सीमा नहीं थी।
नीचे बेसमेंट में गया जहां बाइक पार्क थी वही पर सीमा खड़ी थी तो थोड़ा सा रिलीफ मिला।
मैं अंजान बनता हुआ,
मैं- क्या हुआ मूवी बीच में ही छोड़ कर चली आई।
सीमा अभी भी शांत थी कुछ नहीं बोल रही थी।
मैं- क्या हुआ सांप सूंघ गया है क्या?
सीमा गुस्से में ज्यादा बन मत तूने जो बत्मीजी करी है ना,तू बेटा घर चल पहले तुझे तो माँ और मम्मी बताएगी।
इतना सुनते मेरी फट गई.
मैं- यार सॉरी हो गया जोश जोश में नहीं समझ में आया क्या करू अब इसमें मेरी क्या गलती है और इतना गरम महीना ही था तो मैं क्या करता।
सीमा चिल्लाती हुई,गलती से, गलती से क्या चुम्बन हो गया, स्तन दबाना हो गया और घर में भी ऐसे ही तू गलती कर देता हो गा।
मैं- अपनी औकात में जब किस किया तो साथ तुम भी दे रही याद रखना ताली एक हाथ की नहीं बजाती
तभी पीछे से पार्किंग गार्ड ये क्या हो रहा है वाह, चलो निकालो यहाँ शोर मत करो।
मैं- देख जो हुआ उसे एक बुरा सपना समझ के भूल जा और बाइक स्टार्ट करने लगा।
सीमा ने कहा कि सिर नीचे करके रोने लगी थी और रोते हुए बोली, लड़की की सबसे बड़ा गहना होता है उसकी इज्जत और तूने उसकी खराब कर दी।
मैं- देख यार यहां तमशा मत करो. अच्छा चल बाहर चलके कुछ खा लेते भूख भी बहुत जोर की लग रही है।तेरा मूड थोड़ा सही हों जाएगा।
सीमा- मुझे भूख नहीं है मुझे घर चलना बस,
मैं- ठीक है अच्छा तू मत खाना मुझे भूख लगी है मैं तो खा लूं।
सीमा अब कुछ नहीं बोली और बाइक पर बैठ गई।
सिनेमा हॉल के पास में ही एक बढ़िया सा रेस्टोरेंट था।
वहा अंदर जाके मैं और सीमा बैठ गई(पहले तो सीमा नखरे करती रही लेकिन बहुत अनुरोध करने के बाद अंदर चली)
मैं- क्या खाओगी?
सीमा- कुछ नहीं,
मैं- फिर यार तुम नाटक कर रही हो घर चलकर जो करना है कर लेना पर अभी के लिए तो कुछ तो खा लो।
इतना कहते ही जैसे सीमा को नई उम्मीद सी दिख गई हो।
खैर थोड़ी देर बाद खाना आया सीमा ने थोड़ा ही बहुत खाया और मैंने जम के खाया।
खाना खाने के बाद,
सीमा - चलो अब घर,
मैं - आओ फन सिटी घूमें, बढ़िया जगह है। (मैं बात को इसलिए घूम रहा था कि शायद ये मन जाए और घर पे ना कहे) सीमा - नहीं मुझे अब घर ही चलना है।
मैं- प्लीज़ यार मेरे लिए चलो.
सीमा कुछ नहीं बोलती और चुप चाप उठाकर बाइक के पास खड़ी हो गई। मैने पेमेंट करके निकल गया।
बाइक स्टार्ट की और सीमा बिना कुछ बोले बैठ गई।
मैं कुछ नहीं बोला और बाइक चलने लगा। (फन सिटी के थोड़े पहले वाले पार्क पड़ता है मे वही पर सीमा को ले जा रहा था क्यू माफ़ी मगाने के अलावा मेरे कोई चारा तो नहीं था और वो बिल्कुल खाली पार्क तो वहां कोई देखे गा भी नहीं।)मन ही मन गलियां दे रहा था की कल साली 2 कौड़ी लड़की के तेल लगना पड़ रहा है एक गलती की वजह से)
मैं- क्या हुआ अभी भी नाराज़ हो क्या?
कुछ नहीं बिल्कुल साइलेंट,
मैं- बोलो यार जो हुआ सो हुआ उसका बाद में देखना अभी एन्जॉय करना है।
सीमा- हम्म,
मैं- हम्म का क्या मतलब भैंस हो जो हम्म कर रही हो।
सीमा अब थोड़ी मुस्कुराने लगी थी लेकिन फिर से सीरियस हो गई।
मैं ही मजाक कर ता वो बस चुपचप बैठी थी.थोड़ी देर बाद हम लोग पार्क पहुंच गए।
पार्क की टिकट ली और अंदर चले गए।
सीमा थोड़ा गुस्से से तू तो मुझे फन सिटी ले जा रहा था।
मैं- हां इसी के अंदर है फनसिटी थोड़ा आगे तक चलना पड़ेगा।
शाम के 5:00 बजे बजे थे।थोड़ा चलने के बाद देखा तो पार्क बिल्कुल खाली पड़ा था, वहां बस 2-3 कपल्स और आंटी लोग थे।
मैं एक बेंच पे जाके बैठ गया।
सीमा- क्या हुआ ?
मैं- कुछ नहीं थक गया.
सीमा- हां इतना गलत काम आएगा तो थक ही जाएगा. इतना बोल कर सीमा भी मेरे से थोड़ी दूर बैठ गई।
मैंने पार्क में घूम कर इधर उधर देखने लगा कोई हम लोगों को देख तो नहीं रहा।
मौका देख कर मैं सीमा के पैरो में गिर गया यार सॉरी यार सीमा मुझसे गलती हो गई जोश जोश में बहक गया।मेरी जगह कोई और होता तो शायद उसे भी यहीं हो जाता।
सीमा- अभि यार क्या कर रहा है तू लोग देख रहे हैं हमलोग को,
मैं- देखने दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं तब तक ऐसे ही रहूंगा जब तक तू माफ नहीं कर देती। देख गलती इंसान से ही होती है और हम लोग तो यार बेस्ट फ्रेंड्स हैं।
सीमा- बेस्ट फ्रेंड वो कब बने हम लोग सिर्फ भाई बहन हैं।
मैं- मैं यार कुछ नहीं जानता जब तक तू माफ़ नहीं करेगी मैं ऐसे हरकतें करता रहूंगा। तू जो बोले गी वो मैं कर दूंगा पर प्लीज यार मान जा मत करना। मैं उसके पेयरो में नागिन की तरह बिछा हुआ था।
सीमा- अच्छा ठीक है पहले पहले पैसे छोड़ फिर मैं कुछ सोचती हूँ।
जैसे ही में किनारे हुआ तुरन्त सीमा बोली देख तूने गलती तो की है तो सजा तो मिलनी ही चाहिए।
मैं- हां अगर तू मुझे मरना चाहती है तो मार ले कोई दिक्कत नहीं.
सीमा- नहीं मुझे शिक़ायत में ही विश्वास है जब तेरी कुटाई होगी सबके सामने तब मजा आएगा।
मैंने फिर वही काम चालू कर दिया। (देखो यार मैं बात थी कि मेरी फट बहुत रही थी।)
जो हुआ तो उससे भूल जा यार,
तभी सीमा जोर जोर से हसने लगी पहले तो लगा कि रो रही हो फिर ध्यान से देखा तो हंस रहीथी। मेरे समझ से सब कुछ बाहर था।
मैं- सीमा क्या हो गया ठीक तो हो, सीमा क्या हुआ?
सीमा- अरे यार तू ऐसे कितने फट्टू हो अरे यार विश्वास ही नहीं हो रहा
मैं- क्या फट्टू, अरे भाई कहना क्या चाहती हो,
सीमा- अरे यार अभि, मैं तो तुमसे यार मजाक कर रही थी।
मैं एक दम आश्चर्य से सीमा को देख रहा था कुछ बोलने की हालत में नहीं थी।
मैं- यार सीमा मेरी ऐसा मजाक मत किया कर मेरी इतनी देर फटी पड़ी, मैं यही सोच रहा था कि घर कैसे जाउंगा और
सीमा लगातर हसे जा रही थी।
मैं गुस्से से उठा और जाके सीमा के गुदगुदी करने लगे कहीं पेट कहीं गर्दन पर सीमा लगतर हसे जा रही थी।
और जल्दबाजी में बोली सॉरी अभि, हा हा हा हा हा सॉरी यार और हंसे जा रही थी।
मैं- यार तू भी ना,