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Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bhai jab ghar me do bachche rahte hai to ek bachcha shararti hota hai aur hamesha sharart karta rahta hai par badmash nhi hota par ma baap use badmash samjhte hai

Dusro bachcha shararti nhi hota par ander se badmash hota hai to aur ma baap use sidh samjhte hai

Ma baap bhi hamesha shararti bachche ko hi saja dete hai aur uski kisi bhi baat ka yakin nhi karta aur use badmash samjhta hai

Aur jo bachcha sharart nhi karta sidh bana rahta hai usko ma baap shararti bachche ke samne jyada pyar karte hai aur sidhe bachche ki taraf karte hai taki usko jyada pyar karta dekh shararti bachche sharat karna chhod de aur

Agar koi bhi shararti bachche ki shikayat ma baap se karta hai to ma baap uski baato ko sune Bina, sachchai Jane bina sidhe marna shuru kar dete hai ya usko kuchh bhi saja de dete hai kyoki unko lagta hai ki jarur isne badmashi Kiya hoga

Iska ye matlab nhi hota ki wo shararti bachche se prem nhi karta ha itna jarur hai ki use apna prem nhi dikhate aur hamesha chhoti chhoti baat par saja dete rahte hai taki bachcha sudhar jaye

Ho sakta hai sndhya ne bhi yahi Kiya ho
भाई, मार कुटाई अलग, स्नेह अलग होता है।

कोई बच्चा कितना भी शरारती या बदमाश क्यों न हो, मां बाप स्नेह करना नहीं छोड़ते।

यहां तो मां अकेली ही है, अपना के नाम पर इकलौता लड़का है, पिटाई करने के बाद कभी स्नेह नही दिखाया?
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Is formula se kitne bachche sudharte dekhe... Ya sudhar paye aap
Mein apne pariwar me sabse bada hu... Mere sage-chachere 9 bhai bahan meine paale hain..jisme sabse chhota bhai 17 sal aur bahan 26 sal chhote hain mujhse..
Mere apne bhi 2 bachche hain, Beta graduation me aur beti high school me padh rahi hai....
Galti mujhse bhi hui hai unko samajhne me, galat faisle bhi liye.... Lekin har bar aur hamesha.. Kya aisa possible hai...???
Aisa tabhi ho sakta hai, jab apko unki koi chinta ya care hi nahi... Unke bhale bure se apko fark nahi padta... Apko sirf apna dar aur dabdaba bakar unpar havi rahna hai...
Sandhya ko bhi sabki tarah malum tha ki is sari jamin-jaydad ka iklauta waris abhay hai....
Wo use sudharne ke liye nahi apne control me rakhkar sab kuchh hamesha apne hath me rakhne ke liye us par ye atyachar kar rahi thi...
सत्य वचन, कभी सीधे मुंह बात भी नही करेंगे क्या अपने ही बच्चे से?

ऐसा कभी नही हो सकता।
 

chandu2

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suppose agar abhi bhi sandhya ne sab par nazar nahi rakhi to munim n raman mil kar usko fir se abhay se door kar sakte hain
Don't worry bro ab writer mahoday Sandhya ko Raman ya aur kisi ki baat me nhi aane dega

Ab Sandhya dhire dhire Raman ki sachchai pata karegi kyunki usko ab Raman par thoda shak ho chuka hai

Ab Sandhya sirf abhay ke baare me hi sochegi aur us jhathu Aman ki bhi ab koi farmaish pura nhi karegi

Writer mahoday ab Sandhya ko ek dumdar thakurain dikhayega
 

chandu2

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भाई, मार कुटाई अलग, स्नेह अलग होता है।

कोई बच्चा कितना भी शरारती या बदमाश क्यों न हो, मां बाप स्नेह करना नहीं छोड़ते।

यहां तो मां अकेली ही है, अपना के नाम पर इकलौता लड़का है, पिटाई करने के बाद कभी स्नेह नही दिखाया?
Yaar usne kaha kaha hai ki sab ma baap karte hai lekin duniya me kuchh yese hote hai uska kahne ka matalab kuchh ma baap se hai

Aaj kal nhi dekhte kuchh ma baap apne bachcho se dhandh, bhikh mangwana aur yaha tak apne bachcho ka rape bhi kar dete hai
 

Studxyz

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लेखक महाराज अलबेला जी कम से कम अपडेट का समय ही बता दिया करें

पेज रिफ्रेश कर कर साले ब्रॉडबैंड की तारें भी गरमा गयी है
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Yaar usne kaha kaha hai ki sab ma baap karte hai lekin duniya me kuchh yese hote hai uska kahne ka matalab kuchh ma baap se hai

Aaj kal nhi dekhte kuchh ma baap apne bachcho se dhandh, bhikh mangwana aur yaha tak apne bachcho ka rape bhi kar dete hai
मेरे पोस्ट का आखिरी पारा फिर से पढ़िए
 

Dark_Knight

New Member
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अपडेट 22



संध्या अपने कमरे में बेड पर बैठी थी, उसके हाथो में अभी भी मोबाइल फोन था। वो पूरी तरह से टूट चुकी थी। निशब्द थी, उसके पास ऐसा कोई भी शब्द नही था जिसे बोल कर वो अपने बेटे को माना पाए। अपने घुटनों में अपना सिर छुपाए शायद वो अभी भिनरो रही थी। थोड़ी देर वो यूं ही रोती रही, उसके बाद संध्या अपने बेड पर से उठते हुए अपने कमरे से बाहर आ जाति है, उसके कदम उस कमरे की तरफ बढ़े, जो कभी वो अभय का कमरा हुआ करता था।


जल्द ही संध्या अभय के कमरे में दाखिल हो चुकी थी। संध्या उस कमरे में आकर अभय के बेड पर बैठ जाती है। जब से अभय घर छोड़ कर भाग था, उसके बाद से शायद आज संध्या पहेली बार अभय के कमरे में आई थी। वो धीरे से अभय के बेड पर लेट जाती है.... और अपनी आंखे बंद कर लेती है।

आज अभय उसके पास नही था, मगर संध्या को ऐसा लग रहा था मानो उसका बेटा उसके पास लेता है। संध्या को वो रात की बात याद आती......

एक रात जब वो अभय के कमरे में आई थी। उस वक्त अभय अपने कमरे में बेड पर बैठा एक आर्ट बुक में कुछ चित्र बना रहा था...

संध्या --"कितनी देर तक जागता रहेगा, चल अब सो जा। नही तो तू कल स्कूल ना जाने का बहाना बनाने लगेगा।"

अभय --"मां देखो ना, मैने तेरी तस्वीर बनाई है।"

संध्या --"बोला ना, सो जा। बाद में देख लूंगी। मुझे भी नींद आ रही है, अभि मैं जा रही हूं।"

ये बोल कर संध्या जैसे ही जाने को हुई...अभय ने संध्या का हाथ पकड़ लिया।

अभय --"मां...आज मेरे पास ही सो जा ना।"

अभय की बात सुनकर, संध्या अभय को बेड पर लिटाते हुए उसके ऊपर चादर डालते हुए बोली...

संध्या --"अब उतना भी बच्चा नहीं है तू, जो तुझे मेरे बिना नींद नहीं आएगी। सो जा चुप चाप।"

अचानक ही संध्या की आंखे खुल जाती है, और वो उठ कर बेड पर बैठ जाती है। बेड पर अपने हाथ पीटते हुए रो कर खुद से बोली...

"कैसी मां हूं मैं, मेरा बेटा मेरे पास रहें चाहता था। और मैं उसे खुद से दूर करती चली गई। क्यूं किया ऐसा मैने, क्यूं मैं उसे बेवजह पिटती रही, मेरे इतना पीटने के बाद भी वो क्यूं पायल से झूठ बोलता रहा की मैं उसको करने के बाद उसके जख्मों पे प्यार से मलहम लगाने आती थी। मैं इतना कैसे शख्त हो गई अपने ही बेटे के लिए?? क्यूं मुझे उसकी हर एक छोटी सी छोटी गलती पर गुस्सा आ जाता था। आज उसके ना होने पर मुझे समझ आ रहा है की मैने कितनी बड़ी गलती की है, गलती नही मैने तो गुनाह किया है। मैं कितना भी चाहूं, मैं उसे मना नहीं पा रही हूं, मुझसे तो वो नफरत भी नही करता, उसकी नजर मेरी कुछ भी अहमियत ही नही है, वो मुझे अपने नफरत के काबिल भी नही समझता। वो मुझे जो चाहे वो समझे...जिंदगी भर बात भी न करे तो भी मैं उसकी यादों में और उसे छुप छुप कर देख कर भी जी लूंगी....। पर मेरे बारे में वो ना समझे जो मुझे लग रहा है। ही भगवान.....क्या बीती होगी मेरे बच्चे पर जब उसने मुझे रमन के साथ देखा होगा? छी:......धिक्कार है मुझ पर। अब तक तो मै समझाती थी की, वो मुझसे इसलिए नाराज था या घर छोड़ कर भाग था की, मैं उसे पिटती थी। मगर आज उसके आखिरी शब्द ने वो असलियत बयान कर दी की, वो मुझसे दूर क्यूं भागा ? मेरी जिस्म की आग ने मेरा सब कुछ डूबो दिया। काश मैं उसे समझा पाती की कुछ समय के लिए मैं बहक गई थी। खुद में नही थी। कैसे समझाऊंगी उसे, घिनौना काम तो घिनौना ही होता है चाहे लंबे अरसे का हो या कुछ समय का। हे भगवान.....अब तो मैं उसे अपना मुंह भी दिखाने के लायक नही रही । क्या करूं.... कहां जाऊं।"

सोचते हुए संध्या अभय के बेड पर ही...रोते रोते सो जाती है....

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सुबह जब संध्या की नींद खुलती है, तो झट से अभय के बेड पर उठ कर बैठ जाती है। उसका सिर काफी भरी लग रहा था, और हल्का हल्का दुख भी रहा था। वो अपना सिर पकड़े बैठी ही थी की तभी दरवाजे पे खटखटाहट....

संध्या --"कौन है.....?

"मैं ही भाभी...."

संध्या बेड पर से उठते हुए.....दरवाजा खोलते हुए वापस बेड पर आकर बैठ जाती है। रमन भी संध्या के पीछे पीछे कमरे में दाखिल होता है।


रमन --"क्या हुआ भाभी...? आज अभय के कमरे में ही सो गई थी क्या?"

रमन की बात सुनकर......

संध्या --"अभय कोरे और तेरे रिश्ते के बारे में कैसा पता चला?"

संध्या थोड़ा गुस्से भरी लहजे में बोली, जिसे सुनकर रमन एक पल के लिए हैरान हो गया।

रमन --"क्या बोल रही हो भाभी तुम? मुझे क्या मालूम अभय को.....अच्छा, तो वो छोकरा फिर से तुम्हे मिला था। जिसे तुम अपना बेटा समझती हो, जरूर उसी ने फिर से कोई खेल खेला है।"

संध्या --"मैने पूछा, अभय को हमारे संबंध के बारे में कैसे पता चला....।"

धीरे धीरे संध्या की आवाज तेज होने लगी थी, उसके चेहरे पे गुस्से के बदल उमड़ पड़े थे। संध्या की गुस्से से भरी बात सुनकर, इस बार रमन भी अकड़ कर बोला.....

रमन --"अरे कैसा संबंध, तुम तो ऐसी बात कर रही हो जैसे हमारा बरसो पुराना प्यार चल रहा हो,। कुत्ते की तरह तुम्हारे पीछे लगा रहता था। कर तुम्हे नही पता की हमारा कितने दिन का संबंध था? बगीचे का वो दिन याद है, क्या बोली थी तुम? निरोध नही है तो नही करेंगे, इसको तुम संबंध कहती हो। फिर उसके बाद उस रात किसी तरह मैंने तुम्हे एक बार फिर मनाया, सोचा रात भर प्यार करूंगा इसके लिए निरोध का पूरा डब्बा ले आया। पर फिर तुमने क्या बोला? हो गया तेरा...अब जा यह से, और थोड़ा बच बचा कर जाना कही अभय ना देख ले। एक पल के अहसास को तुम संबंध कहती हो, साला वो निरोध का डिब्बा आज भी वैसे ही पड़ा है। और तुम संबंध की बात करती हो।"

संध्या --"मैं यहां तुम्हारा बकवास सुनने नही बैठी हूं, और एक बात। उस रात तो अभय घर आया ही नहीं, मतलब उसने हम्बदोनो को बगीचे में ही देखा था।"

इस बार रमन की हवा खराब हुई थी, शायद गांड़ भी फटी हो, मगर उसकी आवाज नही आती इसके लिए पता नही चला...

संध्या --"अगर अभय वहा इत्तेफाक से पहुंचा होगा, तो बात की बात। पर अगर किसी ने उसे....??"

रमन --"भा...भाभी तुम मुझ पर शक कर रही हो?"

संध्या जेड2"मेरी जिंदगी जहन्नुम बन चुकी है, कुछ भी नही रहा, मैं कुछ भी कर सकती हूं।"

इतना बोल कर संध्या वहा से चली जाति है....

संध्या के जाते ही, रमन अपने जेब से मोबाइल फोन निकलते हुए एक नंबर मिलता है। उसके चेहरे के भाव से पता चला रहा था की वो काफी घबरा गया है,

रमन --"हेलो... मु...मुनीम। कुछ पता चला उस छोकरे के बारे में?"

दूसरी तरफ से मुनीम ने कुछ बोला.....

रमन --"कुछ नही पता चला तो पता करो, नही तो उसे रास्ते से हटा दो।"

बोलते हुए रमन ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया, और जैसे ही कमरे से बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाया, उसे दरवाजे पर ललिता खड़ी दिखी...

मटकाती हुई ललिता कमरे में दाखिल हुई, और रमन के गले में हाथ डालते हुई बोली...

ललिता --"जिसको रास्ते से हटाना चाहिए, उसे क्यों नही हटा रहे हो मेरी जान?"

रमन --"क्या मतलब...?"

ललीता --"अपनी प्यारी भाभी...."

ललिता बोल ही रही थी की, एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद हो गए...

रमन --"साली, ज्यादा जुबान चलाने लगी है, तुझे पता है ना, की वो मेरी जान है...उसमे जान अटकी है मेरी। उसका बदन... आह, क्या कयामत है? और तू....!!"

ये सुनकर ललिता एक जहरीली मुस्कान की चादर अपने चेहरे पर ओढ़ते हुए बोली...

ललीता --"एक बार किस्मत मेहरबान हुई थी तुम पर, पर क्या हुआ ?? तुम्हारे लंड पर चढ़े उस निरोध ने तुम्हारी भाभी की गर्म और रसभरी चूत का मजा चख लिया, और अब तो तुम्हे उस चूत का मूत भी नसीब होने रहा।"

ललिता की बात सुनकर, रमन गुस्से में बौखलाया बोला...

रमन --"वो सिर्फ मेरी है, एक दिन मैं उसे अपना जरूर बनाऊंगा, और उसके लिए मैं क्या क्या कर सकता हूं, ये बात तू अच्छी तरह से जानती है। रास्ते का कांटा वो छोरा है...उसे निकाल कर फेंकना पड़ेगा नही तो वो यूं ही भाभी की जुबान बन कर चुभता रहेगा.....!!"

कहते हुए रमन कमरे से बाहर चला जाता है......
Sandhya ka ek naya statement ki abki baar jism ki aag isse phle anjane mai aur aage kya pta koi majboori ka bol baithe ye aurat ke bahane hi khtm ni ho rhe bhai upr se akhand chutiya hai wo alag...ab ye dekhna hai ki abhay se nazar kaise milyagi...baki raman,lalita aur aman milkr isse chutiya banate the ,hai aur aage bhi sandhya ka aise kaata jayega...ab college ka update start ho to albela bhi apna khel dikhaye...kyuki ab to ACTION time hai!!!:fight3:
 

MAD. MAX

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Are yaar ab jo writer mahoday ne kah diya ki galti se ek baar hi chudi thi to bhai man lo aur stories ko aage badne do aur

Ab jab munim abhay ko marne Jaye to abhay munim dwara kiye julm ko yaad kar itna usko itna mare ki Raman ki bhi ruh kamp jaaye

Waise bhi hum incest lover ko dusro ki chudai me koi interest nhi

Ab to hume sirf, Sandhya, lalit, malti, nidhi, payal, Rekha ko abhay se chudte dekhna hai bas

Bas writer mahoday abhay aur Sandhya ko ek kharoch tak lagane na de

kahi yesa na ho ki writer mahoday abhay ko munim dwara pitwa kar hospital bhej de aur

Sandhya rote huye din raat bhookhi pyasi abhay ki hospital me sewa kare taki dono ke bich nafart kam ho

Abhay ko Raman ki puri sajish ka pata uske pita ke swal se pata chal tab abhay ko Lage ki uski ma chahe Raman se 100 baar bhi chudi ho Raman ki sajish man kar use dhire dhire sudharne ka mauka de
Tb to poori band baja barat niklegi 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
 
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