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Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अपडेट 24


लम्हा एक पल के लिए थम सा गया था, जब पायल ने अभय के गाल को चूम लिया.....

अभय भी उस पल ये भूल गया की उसके सामने अमन गुस्से में अपने हाथों डंडा लेकर खड़ा था। वही पर खड़े बाकी कॉलेज के लवंडे लापड़ी भी इस बात से हैरान थे। किसीको भी अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था, की जो उन सब ने अभि चांद लम्हे पहले देखा था क्या वो सच था या सपना?

क्योंकि पायल किस तरह की लड़की थी, ये उन सब से छुपा नहीं था। कभी न हंसने वाली वो लड़की, हमेशा खुद में उलझी सी रहने वाली वो लड़की आज कैसे एक अंजान लड़के के गालों पर अपने गुलाबी होठों का मोहर लगा सकती है? ये सवाल वाकई वहा खड़े सब के अंदर प्रश्न बन कर रह गया था।

ये तो बात थी वहा खड़े कॉलेज के सब विद्यार्थियों की, मगर अमन के दिल पर क्या गुजरी थी? ये तो अमन का चेहरा बखूबी बयां कर रहा था।

अमन गुस्से में झल्लाया अपने हाथ में वो डंडा लिए अभय की तरफ दौड़ा। मगर अभय तो उस खूबसूरत अहसास से बाहर ही नहीं निकला था अभि तक, अपनी नज़रे पायल के मासूम चेहरे पर अटकाए वो दीवाना ये भूल गया की उसके उपर वार करने अमन उसकी तरफ शताब्दी एक्सप्रेस की तरह बढ़ा आ रहा है।

पायल भी इस बात से बेखबर वो भी अभय की आंखो में खुद को भूल बैठी थी। मगर जैसे ही अमन पास पहुंचा और अपना डंडा हवा में उठाकर अभय को मरना चाहा, वहा पर खड़ा अजय किसी चीते की भाती झपट्टा मरते हुए, अभय को एक और धकेल देता है...जिसके वजह से हल्का धक्का पायल को लग जाता है और पायल अपना संतुलन खो बैठती है...और वो उस दिशा में गिराने लगती है जिस दिशा में अमन ने डंडा चलाया था...

अमन का जोरदार प्रहार पायल की हथेलियों पर पड़ा जिसकी वजह से पायल दर्द में चीखते हुए नीचे जमीन पर ढेर हो गई...

पायल अपना हाथ पकड़े दर्द में कराह रही थी, तभी जमीन पर गिरा अभय फुर्ती के साथ उठ खड़ा होता है और पायल की तरफ बढ़ा और उसे संभालते हुए उसकी हथेली को अपने हथेली में ले कर प्यार से सहलाते हुए अमन की तरफ गुस्से में देखता है...

अमन --"इसके साथ यही होना चाहिए था। साला बचपन से इसके पीछे घूम रहा हु, और तू कल का आया हराम का जना तेरे गाल पे चुम्मिया बरसा रही है..."

अब तक अमन बोल ही रहा था की, अभय गुस्से में खड़ा होते हुए...में की तरफ बढ़ा। अमन ने एक बार फिर डंडा हवा में उठाया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी, अभय थोड़ा झुकाते हुए इतनी जोरदार से घूंसा उसके अमन के पेट में मारा की अमन दर्द में जोर से चिंखा और उसके हाथ से डंडा चूत गया, और दोनो हाथ से अपने पेट को पकड़ते हुए जमीन पर गिर गया और ऐसे दर्द से तड़प रहा था मानो अब मरा की तब...

अभय काफी गुस्से में था, उसे अमांबकी हालत की जरा भी परवाह नहीं, और तड़प रहे अमन पर अपने लात बरसाने लगा...

अमन खुद को अभय से बचाने की कोशिश करता लेकिन अभय लगातार अमन के ऊपर अपने लात बरसा रहा था...

अमन की इस तरह धुलाई होते देख सब का चेहरा फक्क् पद गया था, मगर तभी वहा मुनीम ना जाने कहा से पहुंच गया...

मुनीम के साथ 2 लट्ठेहेर भी थे। अमन को जमीन पड़ा कलाथता और ऊपर से अभय का जोरदार लात का बरसाना देख मुनीम, जीप में से उतरते हुए...

मुनीम --"हे छोकरे, रुक साला...।"

कहते हुए मुनीम अपने लठहेरे को इशारा करता है, वो दोनो लठ्ठहेरे अभय की तरफ अपना लाठी लिए दौड़े, ये देख कर अभय अमन की ओर से अपना रुख मोड़ लिया, और पास में पड़ा वो डंडा उठा कर इतनी जोर से फेक कर मारा की वोदांडा जाकर एक लट्ठेरे के मुंह पर लगा और वो वही ढेर हो गया, मगर दूसरा लट्ठबाज बिना उसकी परवाह किए अभय की तरफ अभि भी बढ़ा आ रहा था। मगर शायद अभय बहुत गुस्से में था, वो भी तेजी के साथ उसकी तरफ दौड़ा, और वही खड़ी एक लड़की के दुपट्टे को पकड़ते हुए अभय हवा हो गया...

वो लट्ठबाज जब तक कुछ समझता, अभय उसके सामने खड़ा था, और जैसे ही उसने अपनी लाठी अभय के ऊपर ताना तब तक अभय ने उस दुपट्टे को उस लट्ठबाज के गले की फांसी का फंदा बना दिया। अभय ने जोर लगाकर उसके गर्दन को उस दुपट्टे से कसा तो वो लठबाज भी छटपटाते हुए खुद को उस दुपट्टे को खुद को आजाद करने की कोशिश करने लगा...

मगर तभी अभय ने एक जोर का घूंसा उसके कनपटी दे मारा और देखते ही देखते वो आदमी धड़ाम से ज़मीन गिरते हुए बेहोश हो गया...

अब अभय ने मुनीम की तरफ मुंह फेरा, अभय का अक्रोश देखकर मुनीम की हवा खिसक गई, और अपना धोती पकड़े इतनी जोर से भगा मानो उसके पीछे मौत पड़ी हो...

मगर अभय के ऊपर शायद खून सवार था, जमीन पर पड़ी लाठी को हाथ में लिए अभय मुनीम के पीछे भागा...

ये देख कर कॉलेज का हर लड़का भी उसी तरफ भागा, मगर तभी अमन के साथ आए दो लड़के अमन की तरफ बढ़े और अमन को सहारा देकर उठते हुए जीप की तरफ ले जाने लगे,

अमन की हालत एकदम खराब थी, उसके शरीर में जरा भी दम ना था, शायद बेहोश हो गया था....

इधर मुनीम की गति शायद अभय की गति से तेज ना थी, और जल्दी ही अभय मुनीम के सामने आकर खड़ा हो गया...

अभय का गुस्सा देखकर, मुनीम डरते हुए बोला...

मुनीम --"अरे छोरे, मैने तेरा क्या बिगाड़ा है? मुझे छोड़ दे, जाने दे मुझे.....आह...आ..आ..आ..

अभय ने एक जोरदार लाठी मुनीम के पैर पर मारा, मुनीम की हालत और चिल्लाहाट देख कर ही पता चल रहा था की उसका पर टूट चुका है...

मुनीम जमीन पर पड़ा चटपटा रहा था, अभय उसकी बराबर में आकर बैठते हुए बोला...

अभय --"कुछ नही किया है, इसी लिए तो एक पैर तोड़ा है। जितनी बार तू मुझे दिखेगा उतनी बार तेरे शरीर का एक एक पुर्जा इसी तरह तोडूंगा...."

कहते हुए अभय उठा, और पायल की तरफ भागा...

जब अभय पायल के पास पहुंचा तो, पायल वही बैठी अभय को देख कर मुस्कुरा रही थी...

अभय झट से पायल के पास पहुंचा, और परेशान होते हुए उसका हाथ अपने हाथ में लेकर देखते हुए...

अभय --"तू पागल हो गई है क्या, अगर हाथ की जगह कही और लग जाता तो...?"

अभय की की घबराहट देखकर, पायल ने इस बार अभय का हाथ पकड़ा और उसकी एक उंगली को पकड़ते हुए चूम लेती है...

अभय को सारा मामला समझ आ जाता है......

अभय समझ गया की, पायल ने ऐसा क्यूं किया...?

पायल की आंखे भीग चुकी थी...अभय की तरफ नाम आंखो से देखते हुए बोली...

पायल --"बहुत समय लगा दिया, मैं तो पूरी तरह से पागल हो गई थी। हर पल हर घड़ी बस तुम्हे ही याद करती थी। और जब आज तुम आए तो....?मुझसे छुपने की क्या जरूरत थी? मेरी हालत का जरा सा भी अंदाजा है क्या तुम्हे...?"

पायल की बेचैनी देख कर अभय को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो पायल को क्या सफाई दे? अभय बिना कुछ बोले पायल को अपनी बाहों में भर लेता है...। पायल भी इस तरह से अभय से सिमट जाती है मानो आज उसे कोई सुरक्षित जगह मिली हो....

अभय --"हाथ की उंगलियों पर उन 5 तिल को देखकर तुमने मुझे पहेचान लिया, और मैं यह हैरान था की तुम किसी और को कैसे....?

पायल ने अपना हाथ अभय के मुंह पे रखते हुए बोली...

पायल --"तुम्हे पहचानने के लिए मुझे किसी चिन्ह की जरूरत नहीं, पर तुम्हे यकीन दिलाने के लिए मैने वो तिल तुम्हे दिखाया। कहा चले गए थे तुम? गांव के लोग कहते थे की अब तुम कभी नहीं आओगे...?"

अभय ने अपने दोनो हाथो से पायल के कमल के समान गोरे मुखड़े को अपनी हथेलियों में भरते हुए बोला...

अभय --"कैसे नही आता, मेरा दिल तुम्हारे पास है?"

तभी वहा अजय आ जाता है....

अजय --"अरे प्रेमी प्रेमिकाओं, वो अमन कही मर मारा तो नही गया। उपर से मुनीम की टांगे भी तोड़ दी है, कसम से बता रहा हु अभय, तेरा चाचा पागल हो जायेगा ये सब देख के....

अभय --"पागल करने ही तो आया हूं.....।"

_____________________________

इधर हवेली में जीप जैसे ही प्रवेश होती है। अमन के दोनो दोस्त उसे सहारा देते हुए जीप से उतारते हुए हवेली के अंदर ले आते है, जहा हॉल में सब बैठे थे। सब से पहले नजर ललिता की पड़ती है....

"हाय री मेरा बच्चा....क्या हुआ इसे??"

कहते वो भागते हुए अमन के पास आ जाति है और रोते हुए अमन को सहारा देते हुए सोफे पर लिटा देती है, संध्या मलती, भी घबरा जाति है....

संध्या तो झपटते हुए बिना देरी के अमन के पास आकर बैठते हुए...

संध्या--"क....क्या हुआ इसे? कोई डॉक्टर को बुलाओ?"

ये सुनकर मालती भागते हुए, अपने टेलीफोन की तरफ बढ़ी।

सब के चेहरे के रंग उड़ गए थे। ललिता और संध्या अब बहुत ज्यादा घबरा गए थे, कही न कही संध्या सबसे ज्यादा अमन को प्यार करती थी बचपन से तो प्यार उमड़ने में देरी नही लगी। और जल्द ही रोने लगी...

संध्या अमन के चेहरे को सहलाते हुए गुस्से में बोली....

संध्या --"मैने पूछा क्या हुआ इसे?"

संध्या की गुस्से से भरी आवाज सुनकर वो दोनो लड़के सहम से गई....

"वो...वो ठाकुराइन, कॉलेज के एक लड़के ने बहुत मारा...."

वो लड़का सहमे से आवाज में बोला...

संध्या गुस्से में तिलमिला कर बोली.....

संध्या --"कॉलेज के लड़के ने?? इतनी हिम्मत। चल मेरे साथ, तुम लोग डॉक्टर को बुलाओ जल्दी.....मैं उस छोकरे की खबर ले कर आती हूं।"

कहते हुए संध्या बहुत ही गुस्से में उन लड़कों के साथ हवेली से चल देती है...

शायद संध्या इस बात से बेखबर थी की जिस लड़के की वो खबर लेने जा रही है, वो कोई और नहीं उसका खुद का बेटा ही है....
अभी भी संध्या अभय पर गुस्सा करेगी ही, बिना उसकी बात सुने हुए।
 

Shekhu69

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अभय भी उस पल ये भूल गया की उसके सामने अमन गुस्से में अपने हाथों डंडा लेकर खड़ा था। वही पर खड़े बाकी कॉलेज के लवंडे लापड़ी भी इस बात से हैरान थे। किसीको भी अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था, की जो उन सब ने अभि चांद लम्हे पहले देखा था क्या वो सच था या सपना?

क्योंकि पायल किस तरह की लड़की थी, ये उन सब से छुपा नहीं था। कभी न हंसने वाली वो लड़की, हमेशा खुद में उलझी सी रहने वाली वो लड़की आज कैसे एक अंजान लड़के के गालों पर अपने गुलाबी होठों का मोहर लगा सकती है? ये सवाल वाकई वहा खड़े सब के अंदर प्रश्न बन कर रह गया था।

ये तो बात थी वहा खड़े कॉलेज के सब विद्यार्थियों की, मगर अमन के दिल पर क्या गुजरी थी? ये तो अमन का चेहरा बखूबी बयां कर रहा था।

अमन गुस्से में झल्लाया अपने हाथ में वो डंडा लिए अभय की तरफ दौड़ा। मगर अभय तो उस खूबसूरत अहसास से बाहर ही नहीं निकला था अभि तक, अपनी नज़रे पायल के मासूम चेहरे पर अटकाए वो दीवाना ये भूल गया की उसके उपर वार करने अमन उसकी तरफ शताब्दी एक्सप्रेस की तरह बढ़ा आ रहा है।

पायल भी इस बात से बेखबर वो भी अभय की आंखो में खुद को भूल बैठी थी। मगर जैसे ही अमन पास पहुंचा और अपना डंडा हवा में उठाकर अभय को मरना चाहा, वहा पर खड़ा अजय किसी चीते की भाती झपट्टा मरते हुए, अभय को एक और धकेल देता है...जिसके वजह से हल्का धक्का पायल को लग जाता है और पायल अपना संतुलन खो बैठती है...और वो उस दिशा में गिराने लगती है जिस दिशा में अमन ने डंडा चलाया था...

अमन का जोरदार प्रहार पायल की हथेलियों पर पड़ा जिसकी वजह से पायल दर्द में चीखते हुए नीचे जमीन पर ढेर हो गई...

पायल अपना हाथ पकड़े दर्द में कराह रही थी, तभी जमीन पर गिरा अभय फुर्ती के साथ उठ खड़ा होता है और पायल की तरफ बढ़ा और उसे संभालते हुए उसकी हथेली को अपने हथेली में ले कर प्यार से सहलाते हुए अमन की तरफ गुस्से में देखता है...

अमन --"इसके साथ यही होना चाहिए था। साला बचपन से इसके पीछे घूम रहा हु, और तू कल का आया हराम का जना तेरे गाल पे चुम्मिया बरसा रही है..."

अब तक अमन बोल ही रहा था की, अभय गुस्से में खड़ा होते हुए...में की तरफ बढ़ा। अमन ने एक बार फिर डंडा हवा में उठाया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी, अभय थोड़ा झुकाते हुए इतनी जोरदार से घूंसा उसके अमन के पेट में मारा की अमन दर्द में जोर से चिंखा और उसके हाथ से डंडा चूत गया, और दोनो हाथ से अपने पेट को पकड़ते हुए जमीन पर गिर गया और ऐसे दर्द से तड़प रहा था मानो अब मरा की तब...

अभय काफी गुस्से में था, उसे अमांबकी हालत की जरा भी परवाह नहीं, और तड़प रहे अमन पर अपने लात बरसाने लगा...

अमन खुद को अभय से बचाने की कोशिश करता लेकिन अभय लगातार अमन के ऊपर अपने लात बरसा रहा था...

अमन की इस तरह धुलाई होते देख सब का चेहरा फक्क् पद गया था, मगर तभी वहा मुनीम ना जाने कहा से पहुंच गया...

मुनीम के साथ 2 लट्ठेहेर भी थे। अमन को जमीन पड़ा कलाथता और ऊपर से अभय का जोरदार लात का बरसाना देख मुनीम, जीप में से उतरते हुए...

मुनीम --"हे छोकरे, रुक साला...।"

कहते हुए मुनीम अपने लठहेरे को इशारा करता है, वो दोनो लठ्ठहेरे अभय की तरफ अपना लाठी लिए दौड़े, ये देख कर अभय अमन की ओर से अपना रुख मोड़ लिया, और पास में पड़ा वो डंडा उठा कर इतनी जोर से फेक कर मारा की वोदांडा जाकर एक लट्ठेरे के मुंह पर लगा और वो वही ढेर हो गया, मगर दूसरा लट्ठबाज बिना उसकी परवाह किए अभय की तरफ अभि भी बढ़ा आ रहा था। मगर शायद अभय बहुत गुस्से में था, वो भी तेजी के साथ उसकी तरफ दौड़ा, और वही खड़ी एक लड़की के दुपट्टे को पकड़ते हुए अभय हवा हो गया...

वो लट्ठबाज जब तक कुछ समझता, अभय उसके सामने खड़ा था, और जैसे ही उसने अपनी लाठी अभय के ऊपर ताना तब तक अभय ने उस दुपट्टे को उस लट्ठबाज के गले की फांसी का फंदा बना दिया। अभय ने जोर लगाकर उसके गर्दन को उस दुपट्टे से कसा तो वो लठबाज भी छटपटाते हुए खुद को उस दुपट्टे को खुद को आजाद करने की कोशिश करने लगा...

मगर तभी अभय ने एक जोर का घूंसा उसके कनपटी दे मारा और देखते ही देखते वो आदमी धड़ाम से ज़मीन गिरते हुए बेहोश हो गया...

अब अभय ने मुनीम की तरफ मुंह फेरा, अभय का अक्रोश देखकर मुनीम की हवा खिसक गई, और अपना धोती पकड़े इतनी जोर से भगा मानो उसके पीछे मौत पड़ी हो...

मगर अभय के ऊपर शायद खून सवार था, जमीन पर पड़ी लाठी को हाथ में लिए अभय मुनीम के पीछे भागा...

ये देख कर कॉलेज का हर लड़का भी उसी तरफ भागा, मगर तभी अमन के साथ आए दो लड़के अमन की तरफ बढ़े और अमन को सहारा देकर उठते हुए जीप की तरफ ले जाने लगे,

अमन की हालत एकदम खराब थी, उसके शरीर में जरा भी दम ना था, शायद बेहोश हो गया था....

इधर मुनीम की गति शायद अभय की गति से तेज ना थी, और जल्दी ही अभय मुनीम के सामने आकर खड़ा हो गया...

अभय का गुस्सा देखकर, मुनीम डरते हुए बोला...

मुनीम --"अरे छोरे, मैने तेरा क्या बिगाड़ा है? मुझे छोड़ दे, जाने दे मुझे.....आह...आ..आ..आ..

अभय ने एक जोरदार लाठी मुनीम के पैर पर मारा, मुनीम की हालत और चिल्लाहाट देख कर ही पता चल रहा था की उसका पर टूट चुका है...

मुनीम जमीन पर पड़ा चटपटा रहा था, अभय उसकी बराबर में आकर बैठते हुए बोला...

अभय --"कुछ नही किया है, इसी लिए तो एक पैर तोड़ा है। जितनी बार तू मुझे दिखेगा उतनी बार तेरे शरीर का एक एक पुर्जा इसी तरह तोडूंगा...."

कहते हुए अभय उठा, और पायल की तरफ भागा...

जब अभय पायल के पास पहुंचा तो, पायल वही बैठी अभय को देख कर मुस्कुरा रही थी...

अभय झट से पायल के पास पहुंचा, और परेशान होते हुए उसका हाथ अपने हाथ में लेकर देखते हुए...

अभय --"तू पागल हो गई है क्या, अगर हाथ की जगह कही और लग जाता तो...?"

अभय की की घबराहट देखकर, पायल ने इस बार अभय का हाथ पकड़ा और उसकी एक उंगली को पकड़ते हुए चूम लेती है...

अभय को सारा मामला समझ आ जाता है......

अभय समझ गया की, पायल ने ऐसा क्यूं किया...?

पायल की आंखे भीग चुकी थी...अभय की तरफ नाम आंखो से देखते हुए बोली...

पायल --"बहुत समय लगा दिया, मैं तो पूरी तरह से पागल हो गई थी। हर पल हर घड़ी बस तुम्हे ही याद करती थी। और जब आज तुम आए तो....?मुझसे छुपने की क्या जरूरत थी? मेरी हालत का जरा सा भी अंदाजा है क्या तुम्हे...?"

पायल की बेचैनी देख कर अभय को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो पायल को क्या सफाई दे? अभय बिना कुछ बोले पायल को अपनी बाहों में भर लेता है...। पायल भी इस तरह से अभय से सिमट जाती है मानो आज उसे कोई सुरक्षित जगह मिली हो....

अभय --"हाथ की उंगलियों पर उन 5 तिल को देखकर तुमने मुझे पहेचान लिया, और मैं यह हैरान था की तुम किसी और को कैसे....?

पायल ने अपना हाथ अभय के मुंह पे रखते हुए बोली...

पायल --"तुम्हे पहचानने के लिए मुझे किसी चिन्ह की जरूरत नहीं, पर तुम्हे यकीन दिलाने के लिए मैने वो तिल तुम्हे दिखाया। कहा चले गए थे तुम? गांव के लोग कहते थे की अब तुम कभी नहीं आओगे...?"

अभय ने अपने दोनो हाथो से पायल के कमल के समान गोरे मुखड़े को अपनी हथेलियों में भरते हुए बोला...

अभय --"कैसे नही आता, मेरा दिल तुम्हारे पास है?"

तभी वहा अजय आ जाता है....

अजय --"अरे प्रेमी प्रेमिकाओं, वो अमन कही मर मारा तो नही गया। उपर से मुनीम की टांगे भी तोड़ दी है, कसम से बता रहा हु अभय, तेरा चाचा पागल हो जायेगा ये सब देख के....

अभय --"पागल करने ही तो आया हूं.....।"

_____________________________

इधर हवेली में जीप जैसे ही प्रवेश होती है। अमन के दोनो दोस्त उसे सहारा देते हुए जीप से उतारते हुए हवेली के अंदर ले आते है, जहा हॉल में सब बैठे थे। सब से पहले नजर ललिता की पड़ती है....

"हाय री मेरा बच्चा....क्या हुआ इसे??"

कहते वो भागते हुए अमन के पास आ जाति है और रोते हुए अमन को सहारा देते हुए सोफे पर लिटा देती है, संध्या मलती, भी घबरा जाति है....

संध्या तो झपटते हुए बिना देरी के अमन के पास आकर बैठते हुए...

संध्या--"क....क्या हुआ इसे? कोई डॉक्टर को बुलाओ?"

ये सुनकर मालती भागते हुए, अपने टेलीफोन की तरफ बढ़ी।

सब के चेहरे के रंग उड़ गए थे। ललिता और संध्या अब बहुत ज्यादा घबरा गए थे, कही न कही संध्या सबसे ज्यादा अमन को प्यार करती थी बचपन से तो प्यार उमड़ने में देरी नही लगी। और जल्द ही रोने लगी...

संध्या अमन के चेहरे को सहलाते हुए गुस्से में बोली....

संध्या --"मैने पूछा क्या हुआ इसे?"

संध्या की गुस्से से भरी आवाज सुनकर वो दोनो लड़के सहम से गई....

"वो...वो ठाकुराइन, कॉलेज के एक लड़के ने बहुत मारा...."

वो लड़का सहमे से आवाज में बोला...

संध्या गुस्से में तिलमिला कर बोली.....

संध्या --"कॉलेज के लड़के ने?? इतनी हिम्मत। चल मेरे साथ, तुम लोग डॉक्टर को बुलाओ जल्दी.....मैं उस छोकरे की खबर ले कर आती हूं।"

कहते हुए संध्या बहुत ही गुस्से में उन लड़कों के साथ हवेली से चल देती है...

शायद संध्या इस बात से बेखबर थी की जिस लड़के की वो खबर लेने जा रही है, वो कोई और नहीं उसका खुद का बेटा ही है....
Bhai bahut hi mast or Lajawab hamesha ki tarah
 

Shekhu69

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Bhai aapne update suspense main hi chod diya ab agle update ki besabri se intzaar bhai next update jaldi dena please saber nahi ho raha
 

Absolute_ONE

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लम्हा एक पल के लिए थम सा गया था, जब पायल ने अभय के गाल को चूम लिया.....

अभय भी उस पल ये भूल गया की उसके सामने अमन गुस्से में अपने हाथों डंडा लेकर खड़ा था। वही पर खड़े बाकी कॉलेज के लवंडे लापड़ी भी इस बात से हैरान थे। किसीको भी अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था, की जो उन सब ने अभि चांद लम्हे पहले देखा था क्या वो सच था या सपना?

क्योंकि पायल किस तरह की लड़की थी, ये उन सब से छुपा नहीं था। कभी न हंसने वाली वो लड़की, हमेशा खुद में उलझी सी रहने वाली वो लड़की आज कैसे एक अंजान लड़के के गालों पर अपने गुलाबी होठों का मोहर लगा सकती है? ये सवाल वाकई वहा खड़े सब के अंदर प्रश्न बन कर रह गया था।

ये तो बात थी वहा खड़े कॉलेज के सब विद्यार्थियों की, मगर अमन के दिल पर क्या गुजरी थी? ये तो अमन का चेहरा बखूबी बयां कर रहा था।

अमन गुस्से में झल्लाया अपने हाथ में वो डंडा लिए अभय की तरफ दौड़ा। मगर अभय तो उस खूबसूरत अहसास से बाहर ही नहीं निकला था अभि तक, अपनी नज़रे पायल के मासूम चेहरे पर अटकाए वो दीवाना ये भूल गया की उसके उपर वार करने अमन उसकी तरफ शताब्दी एक्सप्रेस की तरह बढ़ा आ रहा है।

पायल भी इस बात से बेखबर वो भी अभय की आंखो में खुद को भूल बैठी थी। मगर जैसे ही अमन पास पहुंचा और अपना डंडा हवा में उठाकर अभय को मरना चाहा, वहा पर खड़ा अजय किसी चीते की भाती झपट्टा मरते हुए, अभय को एक और धकेल देता है...जिसके वजह से हल्का धक्का पायल को लग जाता है और पायल अपना संतुलन खो बैठती है...और वो उस दिशा में गिराने लगती है जिस दिशा में अमन ने डंडा चलाया था...

अमन का जोरदार प्रहार पायल की हथेलियों पर पड़ा जिसकी वजह से पायल दर्द में चीखते हुए नीचे जमीन पर ढेर हो गई...

पायल अपना हाथ पकड़े दर्द में कराह रही थी, तभी जमीन पर गिरा अभय फुर्ती के साथ उठ खड़ा होता है और पायल की तरफ बढ़ा और उसे संभालते हुए उसकी हथेली को अपने हथेली में ले कर प्यार से सहलाते हुए अमन की तरफ गुस्से में देखता है...

अमन --"इसके साथ यही होना चाहिए था। साला बचपन से इसके पीछे घूम रहा हु, और तू कल का आया हराम का जना तेरे गाल पे चुम्मिया बरसा रही है..."

अब तक अमन बोल ही रहा था की, अभय गुस्से में खड़ा होते हुए...में की तरफ बढ़ा। अमन ने एक बार फिर डंडा हवा में उठाया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी, अभय थोड़ा झुकाते हुए इतनी जोरदार से घूंसा उसके अमन के पेट में मारा की अमन दर्द में जोर से चिंखा और उसके हाथ से डंडा चूत गया, और दोनो हाथ से अपने पेट को पकड़ते हुए जमीन पर गिर गया और ऐसे दर्द से तड़प रहा था मानो अब मरा की तब...

अभय काफी गुस्से में था, उसे अमांबकी हालत की जरा भी परवाह नहीं, और तड़प रहे अमन पर अपने लात बरसाने लगा...

अमन खुद को अभय से बचाने की कोशिश करता लेकिन अभय लगातार अमन के ऊपर अपने लात बरसा रहा था...

अमन की इस तरह धुलाई होते देख सब का चेहरा फक्क् पद गया था, मगर तभी वहा मुनीम ना जाने कहा से पहुंच गया...

मुनीम के साथ 2 लट्ठेहेर भी थे। अमन को जमीन पड़ा कलाथता और ऊपर से अभय का जोरदार लात का बरसाना देख मुनीम, जीप में से उतरते हुए...

मुनीम --"हे छोकरे, रुक साला...।"

कहते हुए मुनीम अपने लठहेरे को इशारा करता है, वो दोनो लठ्ठहेरे अभय की तरफ अपना लाठी लिए दौड़े, ये देख कर अभय अमन की ओर से अपना रुख मोड़ लिया, और पास में पड़ा वो डंडा उठा कर इतनी जोर से फेक कर मारा की वोदांडा जाकर एक लट्ठेरे के मुंह पर लगा और वो वही ढेर हो गया, मगर दूसरा लट्ठबाज बिना उसकी परवाह किए अभय की तरफ अभि भी बढ़ा आ रहा था। मगर शायद अभय बहुत गुस्से में था, वो भी तेजी के साथ उसकी तरफ दौड़ा, और वही खड़ी एक लड़की के दुपट्टे को पकड़ते हुए अभय हवा हो गया...

वो लट्ठबाज जब तक कुछ समझता, अभय उसके सामने खड़ा था, और जैसे ही उसने अपनी लाठी अभय के ऊपर ताना तब तक अभय ने उस दुपट्टे को उस लट्ठबाज के गले की फांसी का फंदा बना दिया। अभय ने जोर लगाकर उसके गर्दन को उस दुपट्टे से कसा तो वो लठबाज भी छटपटाते हुए खुद को उस दुपट्टे को खुद को आजाद करने की कोशिश करने लगा...

मगर तभी अभय ने एक जोर का घूंसा उसके कनपटी दे मारा और देखते ही देखते वो आदमी धड़ाम से ज़मीन गिरते हुए बेहोश हो गया...

अब अभय ने मुनीम की तरफ मुंह फेरा, अभय का अक्रोश देखकर मुनीम की हवा खिसक गई, और अपना धोती पकड़े इतनी जोर से भगा मानो उसके पीछे मौत पड़ी हो...

मगर अभय के ऊपर शायद खून सवार था, जमीन पर पड़ी लाठी को हाथ में लिए अभय मुनीम के पीछे भागा...

ये देख कर कॉलेज का हर लड़का भी उसी तरफ भागा, मगर तभी अमन के साथ आए दो लड़के अमन की तरफ बढ़े और अमन को सहारा देकर उठते हुए जीप की तरफ ले जाने लगे,

अमन की हालत एकदम खराब थी, उसके शरीर में जरा भी दम ना था, शायद बेहोश हो गया था....

इधर मुनीम की गति शायद अभय की गति से तेज ना थी, और जल्दी ही अभय मुनीम के सामने आकर खड़ा हो गया...

अभय का गुस्सा देखकर, मुनीम डरते हुए बोला...

मुनीम --"अरे छोरे, मैने तेरा क्या बिगाड़ा है? मुझे छोड़ दे, जाने दे मुझे.....आह...आ..आ..आ..

अभय ने एक जोरदार लाठी मुनीम के पैर पर मारा, मुनीम की हालत और चिल्लाहाट देख कर ही पता चल रहा था की उसका पर टूट चुका है...

मुनीम जमीन पर पड़ा चटपटा रहा था, अभय उसकी बराबर में आकर बैठते हुए बोला...

अभय --"कुछ नही किया है, इसी लिए तो एक पैर तोड़ा है। जितनी बार तू मुझे दिखेगा उतनी बार तेरे शरीर का एक एक पुर्जा इसी तरह तोडूंगा...."

कहते हुए अभय उठा, और पायल की तरफ भागा...

जब अभय पायल के पास पहुंचा तो, पायल वही बैठी अभय को देख कर मुस्कुरा रही थी...

अभय झट से पायल के पास पहुंचा, और परेशान होते हुए उसका हाथ अपने हाथ में लेकर देखते हुए...

अभय --"तू पागल हो गई है क्या, अगर हाथ की जगह कही और लग जाता तो...?"

अभय की की घबराहट देखकर, पायल ने इस बार अभय का हाथ पकड़ा और उसकी एक उंगली को पकड़ते हुए चूम लेती है...

अभय को सारा मामला समझ आ जाता है......

अभय समझ गया की, पायल ने ऐसा क्यूं किया...?

पायल की आंखे भीग चुकी थी...अभय की तरफ नाम आंखो से देखते हुए बोली...

पायल --"बहुत समय लगा दिया, मैं तो पूरी तरह से पागल हो गई थी। हर पल हर घड़ी बस तुम्हे ही याद करती थी। और जब आज तुम आए तो....?मुझसे छुपने की क्या जरूरत थी? मेरी हालत का जरा सा भी अंदाजा है क्या तुम्हे...?"

पायल की बेचैनी देख कर अभय को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो पायल को क्या सफाई दे? अभय बिना कुछ बोले पायल को अपनी बाहों में भर लेता है...। पायल भी इस तरह से अभय से सिमट जाती है मानो आज उसे कोई सुरक्षित जगह मिली हो....

अभय --"हाथ की उंगलियों पर उन 5 तिल को देखकर तुमने मुझे पहेचान लिया, और मैं यह हैरान था की तुम किसी और को कैसे....?

पायल ने अपना हाथ अभय के मुंह पे रखते हुए बोली...

पायल --"तुम्हे पहचानने के लिए मुझे किसी चिन्ह की जरूरत नहीं, पर तुम्हे यकीन दिलाने के लिए मैने वो तिल तुम्हे दिखाया। कहा चले गए थे तुम? गांव के लोग कहते थे की अब तुम कभी नहीं आओगे...?"

अभय ने अपने दोनो हाथो से पायल के कमल के समान गोरे मुखड़े को अपनी हथेलियों में भरते हुए बोला...

अभय --"कैसे नही आता, मेरा दिल तुम्हारे पास है?"

तभी वहा अजय आ जाता है....

अजय --"अरे प्रेमी प्रेमिकाओं, वो अमन कही मर मारा तो नही गया। उपर से मुनीम की टांगे भी तोड़ दी है, कसम से बता रहा हु अभय, तेरा चाचा पागल हो जायेगा ये सब देख के....

अभय --"पागल करने ही तो आया हूं.....।"

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इधर हवेली में जीप जैसे ही प्रवेश होती है। अमन के दोनो दोस्त उसे सहारा देते हुए जीप से उतारते हुए हवेली के अंदर ले आते है, जहा हॉल में सब बैठे थे। सब से पहले नजर ललिता की पड़ती है....

"हाय री मेरा बच्चा....क्या हुआ इसे??"

कहते वो भागते हुए अमन के पास आ जाति है और रोते हुए अमन को सहारा देते हुए सोफे पर लिटा देती है, संध्या मलती, भी घबरा जाति है....

संध्या तो झपटते हुए बिना देरी के अमन के पास आकर बैठते हुए...

संध्या--"क....क्या हुआ इसे? कोई डॉक्टर को बुलाओ?"

ये सुनकर मालती भागते हुए, अपने टेलीफोन की तरफ बढ़ी।

सब के चेहरे के रंग उड़ गए थे। ललिता और संध्या अब बहुत ज्यादा घबरा गए थे, कही न कही संध्या सबसे ज्यादा अमन को प्यार करती थी बचपन से तो प्यार उमड़ने में देरी नही लगी। और जल्द ही रोने लगी...

संध्या अमन के चेहरे को सहलाते हुए गुस्से में बोली....

संध्या --"मैने पूछा क्या हुआ इसे?"

संध्या की गुस्से से भरी आवाज सुनकर वो दोनो लड़के सहम से गई....

"वो...वो ठाकुराइन, कॉलेज के एक लड़के ने बहुत मारा...."

वो लड़का सहमे से आवाज में बोला...

संध्या गुस्से में तिलमिला कर बोली.....

संध्या --"कॉलेज के लड़के ने?? इतनी हिम्मत। चल मेरे साथ, तुम लोग डॉक्टर को बुलाओ जल्दी.....मैं उस छोकरे की खबर ले कर आती हूं।"

कहते हुए संध्या बहुत ही गुस्से में उन लड़कों के साथ हवेली से चल देती है...

शायद संध्या इस बात से बेखबर थी की जिस लड़के की वो खबर लेने जा रही है, वो कोई और नहीं उसका खुद का बेटा ही है....
Nice update!!!
Agle update ka besabri se intazar hai dekhte hai sandhya kaise leti hai uss ladke ki khabar jo uska beta hai...
 
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