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Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


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Rudransh120

The Destroyer
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अपडेट 7

आज अभि का पहला दिन था उसके काम पर, जो काफी अच्छा गुजरा था। अब उसके साथ, पढ़ाई के साथ साथ काम भी था। वो मान ही मान काफी खुश था। जॉब मिलने पर उसे इस तरह का अहसास हो रहा थानों उसे उसकी दुनिया मिल गई हो। वो हंसी खुशी अपने स्कूल बैग को पीछे टांगे , घर की तरफ चल पड़ा। अभि अब 10वी कक्षा का छात्र था, और 15 साल का हो गया था। इस उम्र में ही अच्छी खासी लंबाई का माली बन गया था, शायद अपने दादा परम सिंह की कद - काठी मिली थी उसको।

उसके चेहरे पर हमेशा एक अजीब सी चमक रहती थी, एक आकर्षक चेहरा था उसका, जो भी देखता था उसे अभी के ऊपर ऐतबार होने में समय नहीं लगता था। अभि आज महलों से निकल कर अपने पैरो पर खड़ा हो गया था। 15 साल की उम्र में पढ़ाई के साथ साथ काम भी करने लगा था। अब तो वो सपने देखना भी शुरू कर दिया था। ना जाने क्या सोचते हुए वो मंद मंद मुस्कुराते हुए बाजार की गलियों में आगे बढ़ा चला जा रहा था की तभी एक आवाज ने उसके पैर को थमने पर मजबूर कर दिया, और वो रुक गया , और उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ से उसे वो आवाज आई थी।

उसने जब उस तरफ देखा, तो एक औरत टोकरी में चूड़ियां भर कर बेंच रही थीं। अभि इस औरत के नजदीक गया और टोकरी में झांकने लगा। उसे us टोकरी रंग बिरंगी चिड़िया दिखी।

"क्या हुआ बेटा? चूड़ियां चाहिए क्या?"

वो औरत अभि को इस तरह से चूड़ियों को देखते , देख बोल पड़ी। अभि उस औरत की बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा कर बोला --

अभि --"चाहिए तो था आंटी, पर मुझे लगता है की अभि वो समय नहीं आया है। जब समय आएगा , वादा करता हु , आप के इधर से ही ले जाऊंगा ये चूड़ियां।"

"ठीक है बेटा।"

वो औरत जवाब देते हुए , अपनी टोकरी उठाती है, अभि ने उसकी मदद की फिर वो औरत वहा से चली जाति है।

अभि काफी खुश हो जाता है, अब ये खुशी काम पाने की थी या किसी और चीज की , वो बताना थोड़ा मुश्किल था। वो जल्द ही घर पहुंच गया। वो गाना गुनगुनाते हुए घर के अंदर दाखिल हुआ और फिर अपने कमरे में चला गया। रेखा ने अभि को इस तरह , आज पहेली बार डेकिल रही थी, इस तरह से गुनगुनाते हुए उछल कर अपने रूम में जाते हुए। अभि को खुश देख, रेखा को भी काफी खुशी हुई, और वो भी मंद मंद मुस्कुराते हुए किचन की तरफ बढ़ चली।

अभि अपने कमरे में अपने कपड़े बदल रहा था। और वो अभी भी अपने होठों से गीत गुनगुना रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो अभि किसी के प्रेम में पड़ गया हो। यूं गुनगुनाते हुए मंद मंद मुस्कुराना , तो अक्सर वो ही लोग करते है , जिन्हे प्रेम के जाल ने कैद कर लिया हो। अभि अपने कपड़े बदल कर , बेड पर लेट जाता है। और ऊपर चाट की तरफ चल रहे पंखे को देखते हुए कुछ बोल पड़ा...

अभि --"जन्मदिन मुबारक हो मेरी रानी, घबराना मत, बहुत जल्दी आऊंगा, मेरा इंतजार करना। पता है नाराज़ होगी तुम, यूं बिना बताए, बिना तुमसे मिले जो चला आया। पर आकर तुम्हे अपनी सारी दास्तान सुनाऊंगा। बस थोड़े दिन और, फिर हम साथ होंगे..."

खुद से ही आशिकों की तरह बाते करते हुए , अभी ना जाने कहा खो सा गया...

_______&&&__________

एक तरफ जहां अभय हवेली के ऐसे आराम छोड़कर, दर दर की तोखरे खा रहा होगा। वही दूसरी तरफ , अब हवेली का एक ही राजकुमार था, वो था अमन जिसे काफी प्यार और दुलार मिल रहा था। और यही प्यार और दुलार के चलते वो एकदम बिगड़ गया था। गांव वालो से प्यार से तो कभी वो बात हो नही करता था, अपने ठाकुर होने का घमंड दिखाने में वो हमेशा आगे रहेता था। अमन भी 10 वी में पढ़ता था। स्कूल भी खुद की थी, इसलिए हमेशा रुवाब में रहता था। स्कूल के चपरासी से लेकर अध्यापक तक किसी का भी इज्जत नहीं करता था। आस पास के गांव से पड़ने आने वाले कुछ ठाकुरों के घर के बच्चो के साथ, वो अपनी दोस्ती बना कर रखा था, और गांव के आम लड़के , जो पढ़ने आते , उन पर वो लोग अपना शिकंजा कशते थे।

उस दिन भी अमन स्कूल के ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहा था। दो गोल बनी थीं। एक ठाकुरों की, और दूसरी गांव के आम लडको की। स्कूल का ग्राउंड खचखच दर्शको से भरा था। गांव के जवान , बुजुर्ग, महिला, और छोटे - छोटे बच्चे सब क्रिकेट का आनंद ले रहे थे।

अगर आप ये सोच रहे है की , ये स्कूल के तरफ से मैच हो रहा था, तो आप गलत सोच रहे हैं। दरअसल सिलसिला तब से शुरू हुआ था , जब ठाकुर परम सिंह अपनी जवानी के दिन में क्रिकेट खेलते थे। वो हर साल ठाकुरों और गांव के आम लोगो के बीच क्रिकेट का मैच करवाते थे , और जितने वालो को अच्छा खासा इनाम अर्जित किया जाता था। ठाकुर परम सिंह जाति - पाती में कभी भेदभाव नहीं देखते थे। और अगर कभी गांव वाले मैच जीतते थे तो दिल खोल कर दान करते थे। क्रिकेट का मैच भी उनके दान करने का एक अलग नजरिया था।

पूरा ग्राउंड शोर - शराबे में मस्त था। वही गांव के ठाकुरों के बैठने के लिए काफी अच्छी व्यवस्था बनाई गई थी। जहां, ठाकुर रमन सिंह, सन्ध्या सिंह, मालती सिंह, ललिता सिंह और उसकी बेटी खूबसूरत बेटी बैठी थीं। पास में ही गांव के सरपंच और उनका परिवार भी बैठा था।

सरपंच के परिवार में उसकी पत्नी , उर्मिला चौधरी,और बेटी पूनम चौधरी बैठी थी। पूनम और रमन की बेटी दोनों ही खूबसूरत थी। पर ये दोनो को एक लड़की टक्कर दे रही थी। और उस लड़की से इन दोनो की बहुत खुन्नस थी। वो लड़की ना ही किसी ठाकुरों के घराने से थी नही किसी चौधरी या उच्च जाति से। वो तो उसी गांव के एक मामूली किसान मंगलू की बेटी थीं। जो बचपन में अपने हीरो अभि के साथ खूब खेलती थीं।

पर आज वो 15 साल की हो गई थी। और उसी ग्राउंड में गांव की औरतों के बीच बैठी क्रिकेट के इस खेल का लुफ्त उठाने आई थीं। गहरे हरे रंग की सूट सलवार में वो किसी परी की तरह लग रही थी। उसके गुलाबी होठ किसी होठ लाली की मुस्ताद नही थी, वो अपने आप में ही प्राकृतिक लालिमा लिए चमक रही थी। उसके सुराही दार लंबी गोरी गर्दन तो उसके नीचे सुसोभित प्राकृतिक ठोस और मांसल खूबसूरत वक्ष स्थल जो लोगो और उसके कपड़े का आकर्षक केंद्र बनती थीं। परी कहो या कयामत, पर सच तो ये था की वो एक मूर्त थी मोहिनी और कामुकता की। 15 साल की उम्र में ही उसके शरीर के अंगो का विकास इस तरह से हुआ था की , लोगो का उसके प्रति देखने का नजरिया ही बदल गया था।

और ये चिंता मंगलू उसके बाप को कुछ ज्यादा ही हो रही थी। स्कूल में ठाकुरों के बच्चे अपनी किस्मत आजमाने में बाज नही आते थे, पर ठाकुर अमन सिंह से नजारे बचा कर। ठाकुर अमन सिंह उस लड़की के बहुत बड़े आशिक थे। इस लिए तो बचपन में उस लड़की को अभय के साथ खेलता देख इनकी गांड़ ताल के खेतो की मिट्टी की तरह काली हो जाया करती थी। और किसी न किसी बहाने से ये महाशय अभय को फंसा कर उसकी मां संध्या सिंह से पिटवा देते थे। और संध्या सिंह का भी अमन लाडला ही हुआ करता था तो वो बात भी आग में घी का काम कर जाता था।

पर कहते है ना, जिसके दिल मे जो बस गया फिर किसी और का आना पहाड़ को एक जगह से हटा कर दूसरी जगह करने जैसा था। उसी तरह अभय उस परी के दिल में अपना एक खूबसूरत आशियाना बना चुका था। जो आज अभय के जाने के बाद भी , ये महाशय उस लड़की के दिल में अपना आशियाना तो छोड़ो एक घास-फूस की कुटिया भी नही बना पाए। पर छोरा है बड़ा जिद्दी, अभि भी प्रयास में लगा है। चलो देखते है, अभय की गैर मौजूदगी में क्या ये महाशय कामयाब होते है ? या फिर____? आप लोग ही बताइए अपने कॉमेंट ke माध्यम से।

कहना जारी रहेगी दोस्त, और वादा करता हु पूरी भी करूंगा। क्युकी इस तरह की कहानी लिखना मुझे खुद एक्साइट करता है। पर यारों थोड़ा सा बिजी शेड्यूल चल रहा है, बस कुछ दिनों के लिए ऑफिस में।

So please try to understand,kuchh dino tak update me problems hongi. But yep once everything is good will surely update as fast as you all guys demand.
Bhai story badiya jaa rahi hai par ise thodi fast forward kare to aur maja aa jayega...
 

Papa Ranjeet

Banned
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469
63
Hemantstar111 Sabhi jaante hain ke xf pe likhne ke paise nahi milte.
Sabhi ko apni roj-marra me jindagi se jhujte hue hi nikalna hain.

Bhale update do ya na do.Busy hue to sirf ek msg to chod dena ke falana- dimka date ke aaspaas update aayegi.
Aap ki haziri yaha maine rakhti naa ke update.
 
Last edited:

A.A.G.

Well-Known Member
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आज अभि का पहला दिन था उसके काम पर, जो काफी अच्छा गुजरा था। अब उसके साथ, पढ़ाई के साथ साथ काम भी था। वो मान ही मान काफी खुश था। जॉब मिलने पर उसे इस तरह का अहसास हो रहा थानों उसे उसकी दुनिया मिल गई हो। वो हंसी खुशी अपने स्कूल बैग को पीछे टांगे , घर की तरफ चल पड़ा। अभि अब 10वी कक्षा का छात्र था, और 15 साल का हो गया था। इस उम्र में ही अच्छी खासी लंबाई का माली बन गया था, शायद अपने दादा परम सिंह की कद - काठी मिली थी उसको।

उसके चेहरे पर हमेशा एक अजीब सी चमक रहती थी, एक आकर्षक चेहरा था उसका, जो भी देखता था उसे अभी के ऊपर ऐतबार होने में समय नहीं लगता था। अभि आज महलों से निकल कर अपने पैरो पर खड़ा हो गया था। 15 साल की उम्र में पढ़ाई के साथ साथ काम भी करने लगा था। अब तो वो सपने देखना भी शुरू कर दिया था। ना जाने क्या सोचते हुए वो मंद मंद मुस्कुराते हुए बाजार की गलियों में आगे बढ़ा चला जा रहा था की तभी एक आवाज ने उसके पैर को थमने पर मजबूर कर दिया, और वो रुक गया , और उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ से उसे वो आवाज आई थी।

उसने जब उस तरफ देखा, तो एक औरत टोकरी में चूड़ियां भर कर बेंच रही थीं। अभि इस औरत के नजदीक गया और टोकरी में झांकने लगा। उसे us टोकरी रंग बिरंगी चिड़िया दिखी।

"क्या हुआ बेटा? चूड़ियां चाहिए क्या?"

वो औरत अभि को इस तरह से चूड़ियों को देखते , देख बोल पड़ी। अभि उस औरत की बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा कर बोला --

अभि --"चाहिए तो था आंटी, पर मुझे लगता है की अभि वो समय नहीं आया है। जब समय आएगा , वादा करता हु , आप के इधर से ही ले जाऊंगा ये चूड़ियां।"

"ठीक है बेटा।"

वो औरत जवाब देते हुए , अपनी टोकरी उठाती है, अभि ने उसकी मदद की फिर वो औरत वहा से चली जाति है।

अभि काफी खुश हो जाता है, अब ये खुशी काम पाने की थी या किसी और चीज की , वो बताना थोड़ा मुश्किल था। वो जल्द ही घर पहुंच गया। वो गाना गुनगुनाते हुए घर के अंदर दाखिल हुआ और फिर अपने कमरे में चला गया। रेखा ने अभि को इस तरह , आज पहेली बार डेकिल रही थी, इस तरह से गुनगुनाते हुए उछल कर अपने रूम में जाते हुए। अभि को खुश देख, रेखा को भी काफी खुशी हुई, और वो भी मंद मंद मुस्कुराते हुए किचन की तरफ बढ़ चली।

अभि अपने कमरे में अपने कपड़े बदल रहा था। और वो अभी भी अपने होठों से गीत गुनगुना रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो अभि किसी के प्रेम में पड़ गया हो। यूं गुनगुनाते हुए मंद मंद मुस्कुराना , तो अक्सर वो ही लोग करते है , जिन्हे प्रेम के जाल ने कैद कर लिया हो। अभि अपने कपड़े बदल कर , बेड पर लेट जाता है। और ऊपर चाट की तरफ चल रहे पंखे को देखते हुए कुछ बोल पड़ा...

अभि --"जन्मदिन मुबारक हो मेरी रानी, घबराना मत, बहुत जल्दी आऊंगा, मेरा इंतजार करना। पता है नाराज़ होगी तुम, यूं बिना बताए, बिना तुमसे मिले जो चला आया। पर आकर तुम्हे अपनी सारी दास्तान सुनाऊंगा। बस थोड़े दिन और, फिर हम साथ होंगे..."

खुद से ही आशिकों की तरह बाते करते हुए , अभी ना जाने कहा खो सा गया...

_______&&&__________

एक तरफ जहां अभय हवेली के ऐसे आराम छोड़कर, दर दर की तोखरे खा रहा होगा। वही दूसरी तरफ , अब हवेली का एक ही राजकुमार था, वो था अमन जिसे काफी प्यार और दुलार मिल रहा था। और यही प्यार और दुलार के चलते वो एकदम बिगड़ गया था। गांव वालो से प्यार से तो कभी वो बात हो नही करता था, अपने ठाकुर होने का घमंड दिखाने में वो हमेशा आगे रहेता था। अमन भी 10 वी में पढ़ता था। स्कूल भी खुद की थी, इसलिए हमेशा रुवाब में रहता था। स्कूल के चपरासी से लेकर अध्यापक तक किसी का भी इज्जत नहीं करता था। आस पास के गांव से पड़ने आने वाले कुछ ठाकुरों के घर के बच्चो के साथ, वो अपनी दोस्ती बना कर रखा था, और गांव के आम लड़के , जो पढ़ने आते , उन पर वो लोग अपना शिकंजा कशते थे।

उस दिन भी अमन स्कूल के ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहा था। दो गोल बनी थीं। एक ठाकुरों की, और दूसरी गांव के आम लडको की। स्कूल का ग्राउंड खचखच दर्शको से भरा था। गांव के जवान , बुजुर्ग, महिला, और छोटे - छोटे बच्चे सब क्रिकेट का आनंद ले रहे थे।

अगर आप ये सोच रहे है की , ये स्कूल के तरफ से मैच हो रहा था, तो आप गलत सोच रहे हैं। दरअसल सिलसिला तब से शुरू हुआ था , जब ठाकुर परम सिंह अपनी जवानी के दिन में क्रिकेट खेलते थे। वो हर साल ठाकुरों और गांव के आम लोगो के बीच क्रिकेट का मैच करवाते थे , और जितने वालो को अच्छा खासा इनाम अर्जित किया जाता था। ठाकुर परम सिंह जाति - पाती में कभी भेदभाव नहीं देखते थे। और अगर कभी गांव वाले मैच जीतते थे तो दिल खोल कर दान करते थे। क्रिकेट का मैच भी उनके दान करने का एक अलग नजरिया था।

पूरा ग्राउंड शोर - शराबे में मस्त था। वही गांव के ठाकुरों के बैठने के लिए काफी अच्छी व्यवस्था बनाई गई थी। जहां, ठाकुर रमन सिंह, सन्ध्या सिंह, मालती सिंह, ललिता सिंह और उसकी बेटी खूबसूरत बेटी बैठी थीं। पास में ही गांव के सरपंच और उनका परिवार भी बैठा था।

सरपंच के परिवार में उसकी पत्नी , उर्मिला चौधरी,और बेटी पूनम चौधरी बैठी थी। पूनम और रमन की बेटी दोनों ही खूबसूरत थी। पर ये दोनो को एक लड़की टक्कर दे रही थी। और उस लड़की से इन दोनो की बहुत खुन्नस थी। वो लड़की ना ही किसी ठाकुरों के घराने से थी नही किसी चौधरी या उच्च जाति से। वो तो उसी गांव के एक मामूली किसान मंगलू की बेटी थीं। जो बचपन में अपने हीरो अभि के साथ खूब खेलती थीं।

पर आज वो 15 साल की हो गई थी। और उसी ग्राउंड में गांव की औरतों के बीच बैठी क्रिकेट के इस खेल का लुफ्त उठाने आई थीं। गहरे हरे रंग की सूट सलवार में वो किसी परी की तरह लग रही थी। उसके गुलाबी होठ किसी होठ लाली की मुस्ताद नही थी, वो अपने आप में ही प्राकृतिक लालिमा लिए चमक रही थी। उसके सुराही दार लंबी गोरी गर्दन तो उसके नीचे सुसोभित प्राकृतिक ठोस और मांसल खूबसूरत वक्ष स्थल जो लोगो और उसके कपड़े का आकर्षक केंद्र बनती थीं। परी कहो या कयामत, पर सच तो ये था की वो एक मूर्त थी मोहिनी और कामुकता की। 15 साल की उम्र में ही उसके शरीर के अंगो का विकास इस तरह से हुआ था की , लोगो का उसके प्रति देखने का नजरिया ही बदल गया था।

और ये चिंता मंगलू उसके बाप को कुछ ज्यादा ही हो रही थी। स्कूल में ठाकुरों के बच्चे अपनी किस्मत आजमाने में बाज नही आते थे, पर ठाकुर अमन सिंह से नजारे बचा कर। ठाकुर अमन सिंह उस लड़की के बहुत बड़े आशिक थे। इस लिए तो बचपन में उस लड़की को अभय के साथ खेलता देख इनकी गांड़ ताल के खेतो की मिट्टी की तरह काली हो जाया करती थी। और किसी न किसी बहाने से ये महाशय अभय को फंसा कर उसकी मां संध्या सिंह से पिटवा देते थे। और संध्या सिंह का भी अमन लाडला ही हुआ करता था तो वो बात भी आग में घी का काम कर जाता था।

पर कहते है ना, जिसके दिल मे जो बस गया फिर किसी और का आना पहाड़ को एक जगह से हटा कर दूसरी जगह करने जैसा था। उसी तरह अभय उस परी के दिल में अपना एक खूबसूरत आशियाना बना चुका था। जो आज अभय के जाने के बाद भी , ये महाशय उस लड़की के दिल में अपना आशियाना तो छोड़ो एक घास-फूस की कुटिया भी नही बना पाए। पर छोरा है बड़ा जिद्दी, अभि भी प्रयास में लगा है। चलो देखते है, अभय की गैर मौजूदगी में क्या ये महाशय कामयाब होते है ? या फिर____? आप लोग ही बताइए अपने कॉमेंट ke माध्यम से।

कहना जारी रहेगी दोस्त, और वादा करता हु पूरी भी करूंगा। क्युकी इस तरह की कहानी लिखना मुझे खुद एक्साइट करता है। पर यारों थोड़ा सा बिजी शेड्यूल चल रहा है, बस कुछ दिनों के लिए ऑफिस में।

So please try to understand,kuchh dino tak update me problems hongi. But yep once everything is good will surely update as fast as you all guys demand.
nice update..!!
abhi ko ab kaam mil gaya hai..aur abhi khush bhi hai..usne jisse bachpan me pyaar kiya aaj uska birthday hai..aur abhay ko malum hai ki abhay usko bina bata ke gaya tha isliye woh naraj toh hogi hi..lekin abhay ko apne pyaar par pura bharosa hai..aur bas ab kuchh samay aur intejar karne ko bol raha hai..uske baad toh apne abhay ke hi jalwe honge..!! yeh harami aman bighad gaya hai..bhai bas ek request hai ki malti har din sandhya ko uski haqiqat se rubaru karaye ki usne kitna julm kiya tha khud ke bete par..sandhya ko har din tadapna hoga..!! jis ladki ko abhay dil de baitha hai woh ladki bhi abhay ko dil de baithi hai aur abhay ke intejar me hai..matlab abhay ke heroine ki entry ho chuki hai..aur iss ladki se raman ki beti aur sarpanch ki beti jalti hai..yeh harami aman bhi uss ladki ke pichhe hai lekin woh kabhi isko ghas bhi nahi dalegi..bhai yeh ladki bas abhay ki hi honi chahiye..bhai abhay ke sath anyay bahot huva hai, usko maa ka pyaar nahi mila kabhi..lekin ab uska sachha pyaar usse mat chhinana..woh ladki bas abhay ki hi honi chahiye..!! aur bhai ab abhay ko strong banao..matlab abhay fighting sikhe..ab woh cafe me ja raha hai toh waha pe hacking, software ke bare me study kare..aur kam umar me hi ek businessman bankar samne aaye duniya ke..aur jab abhay wapas apne gao jaye tab sandhya ko uski aukat dikhaye..aur rekha ko apni maa bol ke sabse introduce karwaye..!! bhai rekha ka bachha nahi hai..toh rekha se abhay ko maa ka pyaar mile..toh abhay bhi khush rahega aur full mehnat karega apna lakshya hasil karne me..!!
 

A.A.G.

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bhai aapko problem hai yeh samajh aata hai..lekin bas ek message daal diya karo..mesaage ki wajah se readers bhi aapse connect rahenge..!!
 

Dharmendra Kumar Patel

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बहुत ही रोमांचक अपडेट
 

MAD. MAX

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अपडेट 7

आज अभि का पहला दिन था उसके काम पर, जो काफी अच्छा गुजरा था। अब उसके साथ, पढ़ाई के साथ साथ काम भी था। वो मान ही मान काफी खुश था। जॉब मिलने पर उसे इस तरह का अहसास हो रहा थानों उसे उसकी दुनिया मिल गई हो। वो हंसी खुशी अपने स्कूल बैग को पीछे टांगे , घर की तरफ चल पड़ा। अभि अब 10वी कक्षा का छात्र था, और 15 साल का हो गया था। इस उम्र में ही अच्छी खासी लंबाई का माली बन गया था, शायद अपने दादा परम सिंह की कद - काठी मिली थी उसको।

उसके चेहरे पर हमेशा एक अजीब सी चमक रहती थी, एक आकर्षक चेहरा था उसका, जो भी देखता था उसे अभी के ऊपर ऐतबार होने में समय नहीं लगता था। अभि आज महलों से निकल कर अपने पैरो पर खड़ा हो गया था। 15 साल की उम्र में पढ़ाई के साथ साथ काम भी करने लगा था। अब तो वो सपने देखना भी शुरू कर दिया था। ना जाने क्या सोचते हुए वो मंद मंद मुस्कुराते हुए बाजार की गलियों में आगे बढ़ा चला जा रहा था की तभी एक आवाज ने उसके पैर को थमने पर मजबूर कर दिया, और वो रुक गया , और उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ से उसे वो आवाज आई थी।

उसने जब उस तरफ देखा, तो एक औरत टोकरी में चूड़ियां भर कर बेंच रही थीं। अभि इस औरत के नजदीक गया और टोकरी में झांकने लगा। उसे us टोकरी रंग बिरंगी चिड़िया दिखी।

"क्या हुआ बेटा? चूड़ियां चाहिए क्या?"

वो औरत अभि को इस तरह से चूड़ियों को देखते , देख बोल पड़ी। अभि उस औरत की बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा कर बोला --

अभि --"चाहिए तो था आंटी, पर मुझे लगता है की अभि वो समय नहीं आया है। जब समय आएगा , वादा करता हु , आप के इधर से ही ले जाऊंगा ये चूड़ियां।"

"ठीक है बेटा।"

वो औरत जवाब देते हुए , अपनी टोकरी उठाती है, अभि ने उसकी मदद की फिर वो औरत वहा से चली जाति है।

अभि काफी खुश हो जाता है, अब ये खुशी काम पाने की थी या किसी और चीज की , वो बताना थोड़ा मुश्किल था। वो जल्द ही घर पहुंच गया। वो गाना गुनगुनाते हुए घर के अंदर दाखिल हुआ और फिर अपने कमरे में चला गया। रेखा ने अभि को इस तरह , आज पहेली बार डेकिल रही थी, इस तरह से गुनगुनाते हुए उछल कर अपने रूम में जाते हुए। अभि को खुश देख, रेखा को भी काफी खुशी हुई, और वो भी मंद मंद मुस्कुराते हुए किचन की तरफ बढ़ चली।

अभि अपने कमरे में अपने कपड़े बदल रहा था। और वो अभी भी अपने होठों से गीत गुनगुना रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो अभि किसी के प्रेम में पड़ गया हो। यूं गुनगुनाते हुए मंद मंद मुस्कुराना , तो अक्सर वो ही लोग करते है , जिन्हे प्रेम के जाल ने कैद कर लिया हो। अभि अपने कपड़े बदल कर , बेड पर लेट जाता है। और ऊपर चाट की तरफ चल रहे पंखे को देखते हुए कुछ बोल पड़ा...

अभि --"जन्मदिन मुबारक हो मेरी रानी, घबराना मत, बहुत जल्दी आऊंगा, मेरा इंतजार करना। पता है नाराज़ होगी तुम, यूं बिना बताए, बिना तुमसे मिले जो चला आया। पर आकर तुम्हे अपनी सारी दास्तान सुनाऊंगा। बस थोड़े दिन और, फिर हम साथ होंगे..."

खुद से ही आशिकों की तरह बाते करते हुए , अभी ना जाने कहा खो सा गया...

_______&&&__________

एक तरफ जहां अभय हवेली के ऐसे आराम छोड़कर, दर दर की तोखरे खा रहा होगा। वही दूसरी तरफ , अब हवेली का एक ही राजकुमार था, वो था अमन जिसे काफी प्यार और दुलार मिल रहा था। और यही प्यार और दुलार के चलते वो एकदम बिगड़ गया था। गांव वालो से प्यार से तो कभी वो बात हो नही करता था, अपने ठाकुर होने का घमंड दिखाने में वो हमेशा आगे रहेता था। अमन भी 10 वी में पढ़ता था। स्कूल भी खुद की थी, इसलिए हमेशा रुवाब में रहता था। स्कूल के चपरासी से लेकर अध्यापक तक किसी का भी इज्जत नहीं करता था। आस पास के गांव से पड़ने आने वाले कुछ ठाकुरों के घर के बच्चो के साथ, वो अपनी दोस्ती बना कर रखा था, और गांव के आम लड़के , जो पढ़ने आते , उन पर वो लोग अपना शिकंजा कशते थे।

उस दिन भी अमन स्कूल के ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहा था। दो गोल बनी थीं। एक ठाकुरों की, और दूसरी गांव के आम लडको की। स्कूल का ग्राउंड खचखच दर्शको से भरा था। गांव के जवान , बुजुर्ग, महिला, और छोटे - छोटे बच्चे सब क्रिकेट का आनंद ले रहे थे।

अगर आप ये सोच रहे है की , ये स्कूल के तरफ से मैच हो रहा था, तो आप गलत सोच रहे हैं। दरअसल सिलसिला तब से शुरू हुआ था , जब ठाकुर परम सिंह अपनी जवानी के दिन में क्रिकेट खेलते थे। वो हर साल ठाकुरों और गांव के आम लोगो के बीच क्रिकेट का मैच करवाते थे , और जितने वालो को अच्छा खासा इनाम अर्जित किया जाता था। ठाकुर परम सिंह जाति - पाती में कभी भेदभाव नहीं देखते थे। और अगर कभी गांव वाले मैच जीतते थे तो दिल खोल कर दान करते थे। क्रिकेट का मैच भी उनके दान करने का एक अलग नजरिया था।

पूरा ग्राउंड शोर - शराबे में मस्त था। वही गांव के ठाकुरों के बैठने के लिए काफी अच्छी व्यवस्था बनाई गई थी। जहां, ठाकुर रमन सिंह, सन्ध्या सिंह, मालती सिंह, ललिता सिंह और उसकी बेटी खूबसूरत बेटी बैठी थीं। पास में ही गांव के सरपंच और उनका परिवार भी बैठा था।

सरपंच के परिवार में उसकी पत्नी , उर्मिला चौधरी,और बेटी पूनम चौधरी बैठी थी। पूनम और रमन की बेटी दोनों ही खूबसूरत थी। पर ये दोनो को एक लड़की टक्कर दे रही थी। और उस लड़की से इन दोनो की बहुत खुन्नस थी। वो लड़की ना ही किसी ठाकुरों के घराने से थी नही किसी चौधरी या उच्च जाति से। वो तो उसी गांव के एक मामूली किसान मंगलू की बेटी थीं। जो बचपन में अपने हीरो अभि के साथ खूब खेलती थीं।

पर आज वो 15 साल की हो गई थी। और उसी ग्राउंड में गांव की औरतों के बीच बैठी क्रिकेट के इस खेल का लुफ्त उठाने आई थीं। गहरे हरे रंग की सूट सलवार में वो किसी परी की तरह लग रही थी। उसके गुलाबी होठ किसी होठ लाली की मुस्ताद नही थी, वो अपने आप में ही प्राकृतिक लालिमा लिए चमक रही थी। उसके सुराही दार लंबी गोरी गर्दन तो उसके नीचे सुसोभित प्राकृतिक ठोस और मांसल खूबसूरत वक्ष स्थल जो लोगो और उसके कपड़े का आकर्षक केंद्र बनती थीं। परी कहो या कयामत, पर सच तो ये था की वो एक मूर्त थी मोहिनी और कामुकता की। 15 साल की उम्र में ही उसके शरीर के अंगो का विकास इस तरह से हुआ था की , लोगो का उसके प्रति देखने का नजरिया ही बदल गया था।

और ये चिंता मंगलू उसके बाप को कुछ ज्यादा ही हो रही थी। स्कूल में ठाकुरों के बच्चे अपनी किस्मत आजमाने में बाज नही आते थे, पर ठाकुर अमन सिंह से नजारे बचा कर। ठाकुर अमन सिंह उस लड़की के बहुत बड़े आशिक थे। इस लिए तो बचपन में उस लड़की को अभय के साथ खेलता देख इनकी गांड़ ताल के खेतो की मिट्टी की तरह काली हो जाया करती थी। और किसी न किसी बहाने से ये महाशय अभय को फंसा कर उसकी मां संध्या सिंह से पिटवा देते थे। और संध्या सिंह का भी अमन लाडला ही हुआ करता था तो वो बात भी आग में घी का काम कर जाता था।

पर कहते है ना, जिसके दिल मे जो बस गया फिर किसी और का आना पहाड़ को एक जगह से हटा कर दूसरी जगह करने जैसा था। उसी तरह अभय उस परी के दिल में अपना एक खूबसूरत आशियाना बना चुका था। जो आज अभय के जाने के बाद भी , ये महाशय उस लड़की के दिल में अपना आशियाना तो छोड़ो एक घास-फूस की कुटिया भी नही बना पाए। पर छोरा है बड़ा जिद्दी, अभि भी प्रयास में लगा है। चलो देखते है, अभय की गैर मौजूदगी में क्या ये महाशय कामयाब होते है ? या फिर____? आप लोग ही बताइए अपने कॉमेंट ke माध्यम से।

कहना जारी रहेगी दोस्त, और वादा करता हु पूरी भी करूंगा। क्युकी इस तरह की कहानी लिखना मुझे खुद एक्साइट करता है। पर यारों थोड़ा सा बिजी शेड्यूल चल रहा है, बस कुछ दिनों के लिए ऑफिस में।

So please try to understand,kuchh dino tak update me problems hongi. But yep once everything is good will surely update as fast as you all guys demand.
Koi na bhai intzaar hai update jb aap Kam se free hojao aaram se story write kro jldi me Mt krna bs story ko bhot he Mast chl rhe hai story aapki
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Chlo Aaj pta to chla apne hero ki heroine ka ab bs hero ki entry ka wait kr rhe hai us excitement ka wait kr rhe hai jb hero apne ghr aayga tb dekhne ko milega hero ki maa pechanpati hai ki ni apne bete ko ya sirf dikhve ke lye roti rhti thi
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Sandhya ka raasleela ka pta chle ga jb hero ko to kaise hisaab krega apni maa or chacha se jane kaise Maa hai yr pehle aulaad ki maara pitaa or chla gya ghr se to bs roti rhe itni bdi thakurien hoke itni bi power ni pta lga ske apne bete ka sala isse acha to esi maa na ho to thik tha hero bi
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or baki ka hero ke chacha chachi or unka beta ajeeb characters hai
Daulat ke khatir maa bete ke bech daraar dalne se lge rhe or isme bechara hero apn ghr chor ke chla gya.
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Update mast hai bro
Free hoke jldi se mast update Dena bro 😉😉😉
 
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