MAD. MAX
Active Member
- 573
- 2,058
- 123
Lgta hai ye AJAY apne hero ka bestfriend lgta hai tbi Abhay or uske papa ke bat ko shyad janta haiअपडेट 9
गर्मी के दिन थे, ठंडी हवाएं चल रही थी। अजय गांव के स्कूल के पुलिया पर बैठा था। उसके साथ दो और लड़के बैठे थे, सूर्य डूबने को था और अपनी ठंडी लालिमा धरती पर बिखेरे था।
अजय और वो दोनो लड़के आपस में बाते कर रहे थे।
"यार अजय अब तो छुट्टी के दिन भी बीत गए, कल से कॉलेज शुरू हो रहा है। फिर से उस हराम अमन के ताने सुनने पड़ेंगे।"
इस लड़के की बात सुनकर पास खड़ा दूसरा लड़का बोला।
"सही कहब्रहा है यार राजू तू। भाई अजय सच में , ये ठाकुर के बच्चो का कुछ न कुछ तोनकारना पड़ेगा।"
उन दोनो की बात सुनकर अजय बोला --
अजय --"क्या कर सकते है, झगड़ा करेंगे, अरे उन लोगो का चक्कर छोड़ो, और जरा पढ़ाई लिखाई में ध्यान लगाओ। हमारे पास कुछ बचा नही है, जो जमीन थी, वो भी उस हराम ठाकुर ने हड़प ली, अब तो सिर्फ पढ़ाई लिखाई का ही भरोसा है। अपना यार आज होता तो जरूर अपने लिए कुछ करता। पर वो भी हमे छोड़ कर उन तारों के बीच चला गया। मुझे तो अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है की, जंगल में मिली वो लाश अभय की थी।"
अजय की बात सुनकर, वहा खड़ा दूसरा लड़का बोला।
"भाई, मुझे एक बात समझ नही आई?"
अजय --"कैसी बात?"
"यही की अपने अभय की लाश जंगल में पड़ी मिली, पर पुलिस कुछ नही की। कोई जांच पड़ताल कुछ नही। और अभय की मां ने भी पता लगवाने की कोशिश नही की।"
अजय --"अरे लल्ला, इन ठाकुरों की बात मुझे समझ नहीं आती। पर इतना जरूर पता है की अभय की जान किसी जंगली जानवर की वजह से नहीं गई है, बल्कि किसी इंसानी जानवर किंवजः से ही गई है।"
अजय की बात सुनकर वांडोनो लड़के अपना मुंह खोले अजय को देखते हुए पूछे...
लल्ला --"ये तुम कैसे कह सकते हो?"
अजय --"क्यूंकी अभय के पापा ना अभय को...."
कहते हुए अजय रुक गया , और बात पलटते हुए बोला
अजय --" छोड़ो, अब क्या फ़ायदा? अब को रहा ही नही उसके बारे में बात करके अपने और उसके दुखी को क्यूं कुरेदें। चलो घर चलते है, कल से कॉलेज शुरू होने वाला है, आज छुट्टी का अखिरीं दिन है।"
ये कह कर सब अपने अपने घरों के रास्ते पर चल पड़े...
_______________________
अभि आज जब स्कूल से अपना मार्कशीट लेकर घर आया तो, उसका चेहरा उतरा था। वो मायूस लग रहा था। वो घर में प्रवेश करते ही अपने कमरे में चला गया। रेखा घर का काम कर रही थी, उसने अभय को कमरे में जाते हुए देख ली थी, और वो देख कर समझ गई थी की अभय जरूर कुछ उदास है। रेखा झट से किचन की तरफ जाति है, और एक ग्लास में पानी भर कर अभि के कमरे में आ जाती है।
उसने देखा अभि अपने चेहरे को हथेली में भरे नाचे सिर किए हुए बेड पर बैठा है। इस मुद्रा में अभी को बैठा देख कर कोई भी बता सकता था की, अभि कोई न कोई परेशानी में है। रेखा अब घबराने लगी थी। उसका दिल ना जाने क्यूं धड़कने लगा, और अपने आप को रोक न सकी। वो तड़प कर अभि के नजदीक पहुंच गई, और अपने हाथो को अभि के सिर पर प्यार से फेरते हुए अभी के बगल में बैठ गई, और बोली...
रेखा --"क्या हुआ मेरे लाल को? इस तरह से सिर पर हाथ रख कर बैठ कर, मेरे सीने में तूफान क्यूं मचा रहा है। बता अब क्या बात है?"
रेखा का कोमल हाथ अपने सिर पर स्पर्श पाते ही, अभि अपने चेहरा ऊपर उठता है , और रेखा की बातो का जवाब देते हुए बोला...
अभि --"किया बताऊं आंटी, सब कुछ अच्छा चल रहा था, जो जिंदगी मैं पीछे छोड़ कर आगे बढ़ा था, आज वही जिंदगी मुझे फिर से बुला रही है।"
अभि की बाते रेखा को समझ में नहीं आई, वो अभी भी अभि के सिर को प्यार से सहलाते हुए बोली,
रेखा --"पिछली जिंदगी, क्या बात कर रहा है मुझे तो कुछ समझ नहीं आबरा है।"
रेखा की बात सुनकर, अभि बोला...
अभि --"सरस्वती ज्ञान मंदिर की तरफ से मेरी आगे की पढ़ाई के लिए, मेरा एडमिशन जिस कॉलेज में हुआ है। उस कॉलेज का नाम ठाकुर परम सिंह इंटर मीडिएट कॉलेज है।"
अभि किंबाट सुनकर , रेखा थोड़ा हैरान हुई और बोली...
रेखा --" हां, तो इसके उदास होने जैसी क्या बात है?"
अभि --"ये मेरे दादा जी का कॉलेज है,। दौलतपुर शहर का सबसे जाना माना कॉलेज।"
रेखा के लिए ये बातें नई थी, क्युकी अभि ने रेखा को अपने अतीत के बारे में कभी नहीं बताया था। वो थोड़ा आश्चर्य होकर बोली...
रेखा --"दादा जी का कॉलेज??"
अभि --" इतना चौकों मत आंटी, ऐसी बहुत सी बाते है मेरे अतीत की, अगर बता दी, तो पैरो तले जमीन खिसक जाएगी। आपको क्या लगता है, इतनी छोटी सी उम्र में मैं घर छोड़ कर क्यूं भागा? जरूर कोई ना कोई वजह तो रही होगी? नही तो जिस उम्र में बच्चे को घर परिवार,, मां बाप का साया चाहिए होता है, उस उम्र में मैं वो साया छोड़ कर दुनिया के वीराने में भटक रहा था। और आज वही साया मुझे फिर से बुला रहा है। मैं समझ नही पा रहा ही आंटी, की ये सिर्फ एक इत्तेफाक है या फिर कुछ और।"
रेखा तो बस अपने कान खड़े किए हुए सुनती जा रही थी।
रेखा --"इसका मतलब , तेरा...भी घर परिवार है, तेरे भी मां बाप है?"
ये सुनकर अभि एक झूठी मुस्कान की छवि अपने चेहरे पर लेट हुए बोला...
अभि --"मां...,, मां तो कब की जा चुकी थी। आज हो कर भी वो नही है। पर मेरे पापा, मेरे पापा इस दुनिया में ना होकर भी मेरे साथ हमेशा रहते है। मां की कभी याद आई ही नहीं, याद आने जैसा हमारे बीच वो प्यार ही नही था। पापा की बहुत याद आती है, वो हमेशा मुझसे कहते थे, की बेटा दुनिया एक माया जाल है, कोइबटेरा नही है, तू खुद का दोस्त है ये समझ कर जिंदगी जिएगा तो हमेशा खुश रहेगा, किसी और की जिंदगी से अपनी जिंदगी जोड़ेगा तो कभी न कभी तकलीफों के भंवर में फस कर दम तोड देगा। क्या करता? छोटा था ना,उनकी बात कभी समझ ही नही पता था। ना जाने कैसी कैसी बाते बोलते थे, जो कई कभी समझ ही नही पता था। पर एक दिन उनके जाने से पहले, वो रात मुझे आज भी याद है। पापा मेरे कमरे में आए, और मुझे अपने गोद में लेकर बड़े ही प्यार से बोले,
"बेटा अभय, मैने तेरे लिए एक सवाल छोड़ा है। जब तू बड़ा हो जायेगा ना, तब वो सवाल तू मेरी जिंदगी के कोरे पन्नो के बीच वाले पन्नो पर लिखा पाएगा। जिस दिन तू वो सवाल ढूंढ लेगा, तुझे तेरे बाप का वो उत्तर मिलेगा की मैं अपने बेटे से क्या चाहता हूं?"
उस रात भी मुझे पापा की बात समझ नही आई, की वो क्या कहें चाहते है? वो रात वो मेरे पास ही सो रहे थे, पर जब अगली सुबह मेरी आंख खुली तो पापा अपनी आंखे बंद कर चुके थे। मैं बहुत रोया था। मुझे उतनी तकलीफ तब भी नही हुई थी जब मैं घर छोड़ कर भाग रहा था।"
रेखा का दिल भर आया, वो अभी अभी की तकलीफ सुन रही थी, वो अंदाजा तो लगा सकती थी की अभि किस तकलीफ में अपने घर से भगा था। मगर पूछ कर अभि की और तकलीफ नहीं बढ़ाना चाहती थीं, इसीलिए वो सामान्य अवस्था में होकर बोली...
रेखा --" तू...तू ये सब सोचना छोड़, हम किसी दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लेंगे। तुझे वहा जाने की जरूरत नहीं है।"
अभि --" जरूरत है, आंटी। मुझे लगता है पापा के उस सवाल को ढूंढने का वक्त आ गया है। उस रात तो मैं कुछ समझ नहीं पाया। पर आज उस रात को जब भी याद करता हूं तो मुझे पापा का वो मायूस चेहरा याद आता है। ऐसा लग रहा था जैसे वो कुछ कहें चाहते थे। पर शायद मैं बच्चा था इसलिए उनकी जुबान से वो शब्द निकल ना पाए। पर मुझे यकीन है, की वो सारी बातें मुझे उनके सवाल को ढूंढ कर जरूर मिल जायेगा।"
रेखा के दिलनमे बेचैनी बढ़ने लगी थी, वो अभी को रोकने तो चाहती थी, पर वो जानती थी की अभि अब रुकने वाला नही है, क्युकी अगर सिर्फ पढ़ाई की ही बात होती तो एक बार के लिए अभी दुबारा अपने गांव जाने का खयाल भी नही लता। पर अब उसके सामने उसके पिता का एक सवाल था, जो उसकी मंजिल बन कर खड़ी थी...
रेखा --"ठीक है, कब निकलना है? और खाना पीना अच्छे से खाना। पैसे की चिंता मत करना, जीतने जरूरत पड़ने मांग लेना, हां पता है की तू खुद्दार है, अपने दम पर जीना सिखा है पर.....
रेखा बोल ही रही थी की अभि ने ने रेखा को गले से लगा लिया। रेखा का तो दिल दिमाग सब हिल गया। वो पूरी तरह से भाउक हो कर रोने लगी।
अभि --"मैं छोड़ कर कही जा थोड़ी रहा हूं, पता है मुझे तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो आंटी। इतने सालो तक जो प्यार और दुलार मुझे तुमसे मिला उसकी तो आदत ही नही थी मुझे। मैं कभी खुद को अकेला नहीं पाया। तो फिर मैं तुमको कैसे छोड़ सकता हूं, और हां बस कुछ दिनों के लिए जा रहा ही, उसके बाद आ जाऊंगा उस गोबर का सर खाने।"
कहते हुए रेखा और अभि दोनो हंस पड़ते है, रेखा अपने आंख के बहते मोतियों को पूछते हुए बोली...
रेखा --"तुझे पता है, एक बार मैं भी मां बनी थी, बहुत खुश थी, ऐसा लग रहा था जैसे जिंदगी मिल गई । पर एक रात वो रोने लगा, 1 साल का था। उसकी रोने की आवाज मैंस नही पाई, रोता वो था पर जान मेरी निकल रही थीं। हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो उसका रोना बंद हो गया । पर क्या पता था की वो आखिरी बार रोया था। मां थी ना, पागल हो गई थी, उसकी वो रोने की आवाज आज भी मुझे चैन से सोने नहीं देती। Khokh सुनी हुई तो जैसे दुनिया ही सुनी हो गई। फिर तू आया, ऐसा लगा वही वापस आ गया मेरी जिंदगी में, हमने भी औलाद की लालच वश तुझे घर में बिना कुछ जाने सोचे विचारे रख लिया। पर ये लालच नहीं, ये तो एक मां का प्यार है जो तुझ पर बरसाने के लिए तड़प रही थी।"
अभि अपनी गहरी निगाहों से रेखा की तरफ देखते हुए बोला...
अभि --"क्या सच में मां इतनी प्यारी होती है?"
अभि की बातो को सुनते हुए, रेखा अपने हाथो को उसके सिर पर रखते हुए बोली...
रेखा --"मां ऐसी ही होती है, बस अपनी मां को एक बार समझने की कोशिश करना। हो सके तो अपनी मां को एक मौका जरूर देना।"
ये सुनकर अभि मुस्कुराते हुए बोला.....
अभि --"फिर तो तुम्हारा पत्ता कट जायेगा.।"
ये कह कर अभि और रेखा दोनो हंसने लगते है।
अभि --"अच्छा आंटी, वो जो औरत मार्केट में चूड़ियां लेकर आती थीं। कुछ महीनो से दिखाई नहीं दी, आपको पता है की वो कहा रहती है??"
अभि की बात सुनकर, रेखा अभि की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली...
रेखा --"क्या बात है? आखिर ये चूड़ियां किसके लिए? कौन है वो, जो मेरे बेटे को फंसा ली?"
ये सुनकर अभि शर्मा गया और हंसते हुए बोला...
अभि --"अरे आंटी तुम भी ना, मुझे भला कौन फसाएगी? वो तो बचपन की एक दोस्त है गांव की, उसे चूड़ियां बहुत पसंद है, कभी कभी मैं मां की चूड़ियां चुरा कर उसके लिए ले कर जाता था।"
रेखा --"अच्छा...! तो बचपन का प्यार है। तब तो चूड़ियां लेनी पड़ेगी, ठीक है मैं ले कर आ जाऊंगी । पर अभी तू चल और कुछ खा पी ले, सुबह से भूखे पेट घूम रहा है..."
उसके बाद अभि और रेखा दोनो एक साथ कमरे से बाहर निकल जाते है......
.
Ajay or uske dosto ki jo bat hue usse ek bat to shi khe jungle me mili lash ko lekr bat khe ye such hai iska to pta chla ni ky chkkar hai kiski lash thi
.
Or ek bat or Shi boli ki Sandhya jo hero ki maa hai usne bi pta ni lgvaya apne bete ka...
.
Achi bat to ye hue ki hero ke gaooo me addmission ki bat he shi but isi bahane Rekha or hero me emotional bat hue maa bete wali chlo acha hai bechare hero ko maa ka pyar ky hota hai pta to chla
But Rekha ne ek bat khe ki Maa ese hoti hai smjne ki koshish krna or apni maa ko ek mauka dena
Glt ni boli Rekha ne ye bat bilkul sahi hai
.
But mauka to use dia jata hai jo islayak ho Sandhy mujhe kisi angle se is layak ni lgti apne sgi aulaad ko maarti hai or paray se pyar lutati hai esi aurat ko mauka jo apne bacche ka bachpan apne hatho se barbaad kre use mauka ni badla lena chahey bhle kal ko hero samne aajay or Sandhya use apna pyar dikhaye lekin bdle me use wo mile jo usne hero ko deti aay hai maar km apni najro me girana bs
.
Meri thinking hai don't mind
.
Update mast hai bro
Bs hlka sa 1 ya 2 bar fast krke aaram se chlalo update