उस घटना के बाद मैने सुधीर से बिल्कुल बात करना बंद कर दिया. शायद अंजू दीदी भी समझ गयी या डर गयी थी कि अगर रेखा ने धोखे से कही पापा को उसके सुधीर वाले चक्कर के बारे में बता दिया तो वाकई खेत में लगे पीपल के पेड़ पर लटकी हुई मिलूँगी और उसने भी सुधीर को avoid करना शुरू कर दिया था।
समय अपनी रफ्तार से चल रहा था ऐसे ही दिन बीत रहे थे जून का महीना था स्कूल की छुट्टियां हो चुकी थी, और एक दिन मै और मेरी सहेली अर्चना अपनी घर में बनी हुई दुकान पर दोपहर के समय बैठी हुयी अखबार में लिखी एक संपादक की कहानी पढ़ रही थी। और दुकान में लगी छोटी वाली tv पर music चैनल पर गाने चल रहे थे।
हमारे घर के सामने खट्टर जी का मकान है जो भाईयो के आपसी विवाद के कारण टूटी फूटी हालत में खंडहर जैसा पड़ा हुआ, है, जिसमें आवारा पशु अक्सर बैठे रहते है,
और राह चलते लोग और आसपास के दुकानदार अक्सर पेशाब करने खड़े हो जाया करते थे. जिससे हमें कोई परेशानी नही होती।
लेकिन बड़ा शहर हो या छोटा शहर हरामी, ठरकी, वहशी, हवाशि इंसान के वेश वाले जानवर हमेशा मिल ही जाते है। ऐसे ही कुछ लोग अक्सर हमारी दुकान पर बैठी जवान लड़कियों मुझे, अंजू दीदी, यहाँ तक कि मेरी मम्मी को देखकर जानबूजकर टेढ़े मेढ़े खड़े होकर अपना लंड हिलाकर, खुजाकर, बिना मूते ही लंड को हवा खिला कर, तब तक दिखाने की कोशिश करते रहते जब तक हम सामने से गुस्से में मुह ही मुह में गाली नही निकालते थे।
""मुझे आज तक ये समझ नही आई ऐसी चीप हरकत करके अपनी मर्द अपनी कोनसी मर्दांगी साबित करते है"""
शुरू शुरू में हमें बुरा लगता एक दो बार तो सुनील भैया ने झगडा भी किया l फिर हमने ingnore करना शुरू कर दिया, लेकिन दिन में 2-3 चूतिये आ ही जाते और ना चाहते हुए भी नजर चली जाती। और हमें आदत भी हो गयी थी, दिन में कम से कम 2 से 3 लोगों के लंड के दर्शन हो जाते थे. मुझे।
किसी भी आदमी का लंड 2 से 3 इंच लंबा नहीं था. सभी लंड सिकुदे हुए और भद्दे से लगते थे. किसी का भी लंड देखने लायक नहीं था.
शायद इसी लंड दर्शन के कारण मेरी अंजू दीदी हमेशा बोलती है !
"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने से पहले लड़के का चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""
हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
करीब आधे घंटे बाद एक राजदूत मोटर cycle पर एक हैंडसम, स्मार्ट, decent persnalty, किसी फिल्मी हीरो की तरह आँखों में काला चश्मा, मस्त कर देने वाली हेयर style, के साथ बालों को हाथो से सवारते हुए मेरी दुकान पर आ कर खड़ा हो गया।
मै अपनी मुंडी नीचे किये हुए अपनी कहानी पढ़ने में लगी थी और अर्चना का पूरा ध्यान tv में चल रहे गाने पर था। जैसे ही मेरे कानों में एक कर्कश आवाज के साथ अपनी और खीचने वाली कर्ण प्रिय excuse me miss शब्द पड़े तो मैने नजर उठा कर उस लड़के की तरफ देखा तो मेरे होश उड़ गये, मेरी नजर उसकी नजर में एक तकटकी लगा कर देखती रही।
अर्चना का भी हाल मेरे जैसा ही था।
Tv पर गाने की timing भी मेरा साथ दे रही थी।
गाना -- ....... बरस की उमर को सलाम ओ यार तेरी पहली नजर को सलाम।
उस हैंडसम ने एक बार फिर से कहा excuse me miss.
हाय कैसे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह चमक रहे गुलाबी होठ, मन किया अभी एक lip kiss कर दू। मोती की तरह दमकते दांत, मेरी नजर तो पागलो की तरह बस उसके चेहरे को ही देख रही थी।
लड़कों के बारे में हम कहते हैं कि हैंडसम है, या स्मार्ट है पर उसके बारे में बस कोई भी होता तो यही कहता कि कितना सुंदर या खूबसूरत लड़का है!
हालाँकि ये सब कुछ सेकंड के लिए ही था पर जो था बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरा अजीब दीवानी लड़की जैसा पागलपन देखकर वो हैंडसम वापस दुकान से जाने लगा तो मुझे अंदर से ही आवाज आई अरे पगली रेखा रोक उसे और मैने अटकते हुए कहा सुनिये!!!!!
वो पलटा और मुस्कुराता हुआ वापस दुकान के काउंटर से सट कर खड़ा हो गया। मैने कहा जी क्या लेना है???
वो भी मेरे चेहरे की ओर मुस्कान देते हुए बोला एक wills सिगरेट दे दीजिये। मै सिगरेट निकालने के लिए अलमारी की ओर मुड़ी पर मेरी नजरे उस पर से हट नही रही थी। और सिगरेट निकाल कर उसे देने लगी। उसने दस का नोट काउंटर पर रख दिया, हम दोनों एक दूसरे को ही देख रहे थे।
तभी अचानक से पंखे की हवा से दस का नोट उड़ा और हम दोनों ही नोट पकड़ने के लिए झप्टे पर नोट उडकर दुकान के अंदर आ गया था और हमारे हाथ एक दूसरे के हाथो में थे।
इस बार भी क्या timing थी ठीक उसी वक़्त tv पर गाना शुरु हो गया ----
"" तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
सारी जन्नत मेरे साथ हो """"
शायद कोई विश्वास नहीं करेगा कसम खा कर कहती हूँ जब हम दोनों ने एक दूसरे के हाथो को थामा हुआ था मुझे वाकई में जो अहसास हुआ उसकाे शब्दो में बया नही किया जा सकता है।
"" लोग कहते है पहली नजर में प्यार ऐसा सिर्फ फिल्मों में होता है, हकीकत में नही, मै उनसे कहती हूँ दो जवाँ दिल, दिल से मिलते है तो पहली नजर में ही प्यार का अहसास होता;; लेकिन चूतियों के साथ ऐसा नहीं होता हैं""
हाहाहा हाहाहा हाहाहा
अभी तक मेरे लिए ये प्यार का अहसास था या सिर्फ आकृष्ण ये कह पाना अभी मुश्किल ही था "" """
तभी पीछे से कमीनी अर्चना हल्की सी आवाज में बोली ओम............
तो हम दोनों ने अपने अपने हाथ वापस खीच लिए।
वो हैंडसम एक साइड खड़ा हो गया और अपने गुलाबी होंठो के बीच सिगरेट दबा कर हाथो के इशारों से माचिस मांगने लगा। मैने अपने कपकपाते हाथो से उसके हथेली पर माचिस रख दी। उसने मेरी चेहरे और आँखों में देखते हुए ही माचिस में से तीन तीलिया एकसाथ निकाली और फिल्म के हीरो की तरह बड़ी ही style से जलाई कि माचिस एक हाथ से उछलकर दूसरे हाथ में आ गयी।
जली हुयी सिगरेट का धुँआ उसके होठो से निकलकर मेरे चेहरे को चूमते हुए उड़ रहा था, वो दुकान के काउंटर के कोने में खड़े होकर सिगरेट पीने लगा. हम दोनों ही तिरछी निगाहों से बार बार एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। अर्चना भी मेरे पीछे खड़ी खड़ी आहे भर रही थी।
सिगरेट पीते पीते अचानक से वो मुझसे बोला Excuse me यहाँ टॉयलेट किधर है, ये सुनकर मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गयी. और मुझे मेरी अंजू दीदी की बात याद आ गयी!!!!
"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने के लिए लड़कों चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""
मुझे खामोश खड़ी देखते हुए वो हैंडसम फिर से बोला Excuse me यहाँ टॉयलेट किधर है,??? मै बुत बनी खड़ी हुयी अपने एक हाथ को उठाकर उंगली से सामने टूटे फूटे पड़े खंडहर की ओर इशारा करने लगी।
वो लड़का सिगरेट पीता हुआ सीधा खंडहर के अंदर की ओर जाने लगा और एक दीवाल पर हमारी दुकान कि तरफ पीठ करके decent and संस्कारी लेडी की इज्जत करने वाले लोगो की तरह छिप कर पेशाब करने लगा।
मुझे बार बार अपनी अंजू दीदी की बात
"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने के लिए लड़कों चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""
याद आ रही थी, मै उसका लंड सच में देखने के लिए लालयित हो रही थी, क्योकि मै उसका चेहरा तो देख पहले ही फिदा हो चुकी थी पर अब लंड की बारी थी। कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू????
एक फिल्म में डाइलोग है कि ""अगर हम जिसे सच्चे दिल से चाहे तो उसे सारी कायनात हमसे मिलाने में मदद करती है""
तभी मानो चमत्कार सा हुआ और वो लड़का अपना लंड निकाले खड़ा होकर पेशाब कर रहा था, अचानक से स्लिप होकर लडखडा गया और उसका लंड हमारी आँखों के सामने झूल रहा था, झूलते लंड को देखकर मेरे मुँह से तो चीख ही निकल गयी. उस लड़के की टाँगों के बीच में मोटा, काला और बहुत ही लंबा लंड झूल रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड उसके घुटनों से तीन या चार इंच ही उँचा था. अर्चना भी पसीने पसीने हो गयी . लंड बहुत ही भयंकर लग रहा था. लड़के ने दोनो हाथों से अपना लंड पकड़ के पेशाब करना खतम किया. उस लड़के का लंड देख कर मुझे गधे के लंड की याद आ गयी. उसी जगह में केयी गधे भी घूमते थे जिनके लटकते हुए मोटे लंबे लंड को देख कर मेरी चूत गीली हो जाती थी.
वो लड़का थोड़ा शर्माता हुआ सीधा मेरी दुकान पर आ गया, उसकी आँखों में एक माफी, शर्म, संकोच साफ साफ नजर आ रहा था। शायद वो भी समझ गया था कि हमने उसका speical गिफ्ट जो हर लड़का अपनी प्रेयसी या पत्नी के लिए छिपा कर रखता है, उसे मैने देख लिया है।
वो काउंटर पर नजर झुकाए धीरे से बोला Excuse me हाथ धोने के लिए जरा सा पानी मिलेगा, मैने काउंटर पर रखे पीने के पानी से भरे जग से उसके हाथ पर पानी डालना शुरू किया, मेरी नजरे उसकी चेहरे की तरफ उसकी शर्म से झुकी निगाहों को माफी देना चाहती थी।
मेरी हालत बाबरी दीवानी छोरी की तराह थी
""मेरी लाज शर्म सब गयी मारी, ये इसक तो है बीमारी, मुझे दुनिया कहे दीवानी""
जैसे tv पर चल रहे गाने की आवाज ने माहौल को रोमांटिक बना दिया था।
पानी फैलता जा रहा था और मेरे सब्र का बांध टूटता जा रहा था, पानी की आखिरी बूंद गिरता देख मै खुद से हो बोल पड़ी बस...
वो लड़का अपने हाथ धोकर काउंटर पर रखी बुलेट की चाबी उठा कर जाने लगा मुझे लगा जैसे मेरी जान जा रही हो।
अच्छी सहेली या दोस्त की पहचान मुझे आज समझ आई जब पीछे से अर्चना बोली अरे रेखा रानी नाम तो पूछ ले उसका दीवानी!!???
वो लड़का बुलेट स्टार्ट कर चुका था, मैने उसे काँपती हुई आवाज दी Excuse me आपका नाम क्या है?????
""आज Excuse me शब्द इतना प्यारा लग रहा था, कि मेरा बस चलता तो copyrite करा देती""
वो लड़का भी बस यही सुनंने का शायद इंतजार कर रहा था।। वो बड़ी अदा से हरियाणी style मारते हुए बोला -----
अरुण राणा from हरियाणा, आयेगा दोबाणा........
और उसने एक पैर सड़क पर टिका कर बुलेट घुमाते हुए मुझसे बोला...
आपका नाम?????
मै भी हरियाणी छोरी हू सीधा सवाल का टेढ़ा जवाब देती हू,
मैं भी नेहले पर देहला मारती हुयी बोली...
रेखा राणी थारी हो गयी दीवाणी... ..
और वो चला गया।
उसके जाने के बाद मै और अर्चना बस एक दूसरे की शकल देख रहे थे, दुकान में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे वक्त ठेहर सा गया हो।
कुछ मिनट बाद ही मेरी अंजू दीदी हस्ती हुयी दुकान में आ गयी और दुकान की खामोशी तोड़ते हुई बोली “ हाई रेखा ! ऐसा लंड तो औरत की ज़िंदगी बना दे. खड़ा हो के तो बिजली के खंबे जैसा हो जायगा. काश मेरी चूत इतनी खुशनसीब होती ! ऊऊऊफ़ ! फॅट ही जाती.” “
मै अपनी अंजू दीदी की बात सुनकर डर गयी और मुझे उन पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। मै अंजू दीदी से हल्के कड़क आवाज में बोली
दीदी! ओ अंजू दीदी ! तू ये क्या बोल रही है. कंट्रोल कर. तुझे तो सिर्फ़ सुधीर के बारे में ही सोचना चाहिए.”
""मुझे अंजू दीदी पर इतना गुस्सा था कि मैने ही जिस लड़के से उन्हे बात करने से मना किया था, अब उसी लड़के का नाम बोलकर अंजू दीदी को उसके बारे में सोचने को बोल रही थी।"'
हां मेरी प्यारी बहना रेखा ! सिर्फ़ फरक इतना है कि सुधीर का खड़ा हो के 3 इंच का होता है और उस लड़के का सिक्युडा हुआ लंड भी 5 इंच का था. ज़रा सोच रेखा, आधे फुट का मूसल तेरी चूत में जाए तो तेरा क्या होगा. ऊपर वाले की माया देख, एक इतने हैंडसम लड़के का लॉडा मुझे देखने का मौका अपने घर की छत पर से देखने को मिल गया। तुझे उस में कोई दिलचस्पी नहीं.” ये अच्छी बात है।
पर मै अगली बार जब वो आयेगा उसे अपने जाल में फांसकर ही रहूँगी।
मुझे अंजू दीदी की ये बात सुनकर एक पल के लिए खून कर दू उनका, जिस लड़के के साथ थोड़ी देर पहले मैने इतने हसीन सपने संजोये थे वो उसे ही फंसाना चाह रही थी।
मुझे अपनी सगी बहन अब मुझे अपनी सौतन नजर आ रही थी????
अगर उस वक्त कोई मुझसे पूछता कि रेखा तेरा इस दुनिया में सबसे बड़ा दुश्मन कौन है तो शायद मै अपनी सगी बहन अंजू दीदी का ही नाम लेती।
मुझे समझ नही आ रहा था मै क्या करु???
मुझे नही पता जब वो लड़का फिर से दुकान पर आयेगा, तब क्या होगा????
आखिर किसका प्यार पूरा होगा???
रेखा या अंजू .... ???????
दो सगी बहनो में से किसकी किस्मत में लिखा है अरुण का प्यार ???????????