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Incest शक या अधूरा सच( incest+adultery)

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Rekha rani

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Yeh Sawaal kounse angle se tedha hain,jara spashtikaran de sakte ho?
Aur Ranjeet hain.Rajneeti nahi.
पढ़ा नही आपने कहानी 2000 के बाद शुरू हो चुकी है और आप 1996 से पहले है,
 

Rekha rani

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मैडम वकील है, इन्हे हराना आसान नही है, ऊपर से हरियाणा की सीधा सवाल का टेढ़ा जबाब देती है, और पापा राजनीति का सवाल ही टेढ़ा था।

हाहाहा हाहाहा वकील साहिबा आपकी जय हो जिंदाबाद
ज्यादा हो गया , ऐसा कुछ नही है मेरे बारे में जैसा सोच रहे हो
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bahout hi accha Update hota agar usme Teen mistakes nahi hoti.
1.Aapne yeh bataya ki Rekha ki umr 2022 main 50 saal hain.
matlab uski paidaish hui 1972 main.
2.Mtv Channel India main start hua 1996 main.Iss hisaab se Rekha ki umr hui 24 saal.
3.1996 main 'Fanaa' Movie bani hi nahi thi.Gaane ki baat bhul hi jao.
4.Om Shanti Om ki baat bhi karu Rekha rani ?
भाई, आज के जमाने के लिए स्टोरी लिखनी है तो आज के हिसाब से ही लिखी जाएगी ना।

अब ये लिख देंगी की रेडियो सिलोन पर फरमाइसी गीतोंका कार्यक्रम आ रहा था तब आपका सवाल हो जाएगा कि इतनी जल्दी उसमे गाने नही बदलते।

स्टोरी पढ़िए मजा लीजिए, इन बातों से ज्यादा और कुछ गलत लगे तो बताइएगा।
 
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manu@84

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भाई, आज के जमाने के लिए स्टोरी लिखनी है तो आज के हिसाब से ही लिखी जाएगी ना।

अब ये लिख देंगी की रेडियो सिलोन पर फरमाइसी गीतोंका कार्यक्रम आ रहा था तब आपका सवाल हो जाएगा कि इतनी जल्दी उसमे गाने नही बदलते।

स्टोरी पढ़िए मजा लीजिए, इन बातों से ज्यादा और कुछ गलत लगे तो बताइएगा।
ये सच कहा आपने, इसलिए एक फरमाशी गाना मुझे भी याद आ गया
जो वकील साहिबा के आने वाले update को समर्पित है।
दिन है इतवार का मजा लीजिये थोड़ा इंतजार का मजा लीजिये

हाहाहा हाहाहा
 

manu@84

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Yeh Sawaal kounse angle se tedha hain,jara spashtikaran de sakte ho?
Aur Ranjeet hain.Rajneeti nahi.
जो गलती मुझसे रंजीत लिखने में हुई थी बस उतनी ही गलती है भाई। आपको समझ आ गया होगा।
 

Lib am

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उस घटना के बाद मैने सुधीर से बिल्कुल बात करना बंद कर दिया. शायद अंजू दीदी भी समझ गयी या डर गयी थी कि अगर रेखा ने धोखे से कही पापा को उसके सुधीर वाले चक्कर के बारे में बता दिया तो वाकई खेत में लगे पीपल के पेड़ पर लटकी हुई मिलूँगी और उसने भी सुधीर को avoid करना शुरू कर दिया था।


समय अपनी रफ्तार से चल रहा था ऐसे ही दिन बीत रहे थे जून का महीना था स्कूल की छुट्टियां हो चुकी थी, और एक दिन मै और मेरी सहेली अर्चना अपनी घर में बनी हुई दुकान पर दोपहर के समय बैठी हुयी अखबार में लिखी एक संपादक की कहानी पढ़ रही थी। और दुकान में लगी छोटी वाली tv पर music चैनल पर गाने चल रहे थे।


हमारे घर के सामने खट्टर जी का मकान है जो भाईयो के आपसी विवाद के कारण टूटी फूटी हालत में खंडहर जैसा पड़ा हुआ, है, जिसमें आवारा पशु अक्सर बैठे रहते है,
और राह चलते लोग और आसपास के दुकानदार अक्सर पेशाब करने खड़े हो जाया करते थे. जिससे हमें कोई परेशानी नही होती।

लेकिन बड़ा शहर हो या छोटा शहर हरामी, ठरकी, वहशी, हवाशि इंसान के वेश वाले जानवर हमेशा मिल ही जाते है। ऐसे ही कुछ लोग अक्सर हमारी दुकान पर बैठी जवान लड़कियों मुझे, अंजू दीदी, यहाँ तक कि मेरी मम्मी को देखकर जानबूजकर टेढ़े मेढ़े खड़े होकर अपना लंड हिलाकर, खुजाकर, बिना मूते ही लंड को हवा खिला कर, तब तक दिखाने की कोशिश करते रहते जब तक हम सामने से गुस्से में मुह ही मुह में गाली नही निकालते थे।

""मुझे आज तक ये समझ नही आई ऐसी चीप हरकत करके अपनी मर्द अपनी कोनसी मर्दांगी साबित करते है"""


शुरू शुरू में हमें बुरा लगता एक दो बार तो सुनील भैया ने झगडा भी किया l फिर हमने ingnore करना शुरू कर दिया, लेकिन दिन में 2-3 चूतिये आ ही जाते और ना चाहते हुए भी नजर चली जाती। और हमें आदत भी हो गयी थी, दिन में कम से कम 2 से 3 लोगों के लंड के दर्शन हो जाते थे. मुझे।

किसी भी आदमी का लंड 2 से 3 इंच लंबा नहीं था. सभी लंड सिकुदे हुए और भद्दे से लगते थे. किसी का भी लंड देखने लायक नहीं था.

शायद इसी लंड दर्शन के कारण मेरी अंजू दीदी हमेशा बोलती है !
"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने से पहले लड़के का चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""

हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा

करीब आधे घंटे बाद एक राजदूत मोटर cycle पर एक हैंडसम, स्मार्ट, decent persnalty, किसी फिल्मी हीरो की तरह आँखों में काला चश्मा, मस्त कर देने वाली हेयर style, के साथ बालों को हाथो से सवारते हुए मेरी दुकान पर आ कर खड़ा हो गया।

मै अपनी मुंडी नीचे किये हुए अपनी कहानी पढ़ने में लगी थी और अर्चना का पूरा ध्यान tv में चल रहे गाने पर था। जैसे ही मेरे कानों में एक कर्कश आवाज के साथ अपनी और खीचने वाली कर्ण प्रिय excuse me miss शब्द पड़े तो मैने नजर उठा कर उस लड़के की तरफ देखा तो मेरे होश उड़ गये, मेरी नजर उसकी नजर में एक तकटकी लगा कर देखती रही।
अर्चना का भी हाल मेरे जैसा ही था।

Tv पर गाने की timing भी मेरा साथ दे रही थी।
गाना -- ....... बरस की उमर को सलाम ओ यार तेरी पहली नजर को सलाम।


उस हैंडसम ने एक बार फिर से कहा excuse me miss.

हाय कैसे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह चमक रहे गुलाबी होठ, मन किया अभी एक lip kiss कर दू। मोती की तरह दमकते दांत, मेरी नजर तो पागलो की तरह बस उसके चेहरे को ही देख रही थी।


लड़कों के बारे में हम कहते हैं कि हैंडसम है, या स्मार्ट है पर उसके बारे में बस कोई भी होता तो यही कहता कि कितना सुंदर या खूबसूरत लड़का है!

हालाँकि ये सब कुछ सेकंड के लिए ही था पर जो था बहुत अच्छा लग रहा था।


मेरा अजीब दीवानी लड़की जैसा पागलपन देखकर वो हैंडसम वापस दुकान से जाने लगा तो मुझे अंदर से ही आवाज आई अरे पगली रेखा रोक उसे और मैने अटकते हुए कहा सुनिये!!!!!

वो पलटा और मुस्कुराता हुआ वापस दुकान के काउंटर से सट कर खड़ा हो गया। मैने कहा जी क्या लेना है???

वो भी मेरे चेहरे की ओर मुस्कान देते हुए बोला एक wills सिगरेट दे दीजिये। मै सिगरेट निकालने के लिए अलमारी की ओर मुड़ी पर मेरी नजरे उस पर से हट नही रही थी। और सिगरेट निकाल कर उसे देने लगी। उसने दस का नोट काउंटर पर रख दिया, हम दोनों एक दूसरे को ही देख रहे थे।

तभी अचानक से पंखे की हवा से दस का नोट उड़ा और हम दोनों ही नोट पकड़ने के लिए झप्टे पर नोट उडकर दुकान के अंदर आ गया था और हमारे हाथ एक दूसरे के हाथो में थे।

इस बार भी क्या timing थी ठीक उसी वक़्त tv पर गाना शुरु हो गया ----

"" तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
सारी जन्नत मेरे साथ हो """"

शायद कोई विश्वास नहीं करेगा कसम खा कर कहती हूँ जब हम दोनों ने एक दूसरे के हाथो को थामा हुआ था मुझे वाकई में जो अहसास हुआ उसकाे शब्दो में बया नही किया जा सकता है।

"" लोग कहते है पहली नजर में प्यार ऐसा सिर्फ फिल्मों में होता है, हकीकत में नही, मै उनसे कहती हूँ दो जवाँ दिल, दिल से मिलते है तो पहली नजर में ही प्यार का अहसास होता;; लेकिन चूतियों के साथ ऐसा नहीं होता हैं""
हाहाहा हाहाहा हाहाहा



अभी तक मेरे लिए ये प्यार का अहसास था या सिर्फ आकृष्ण ये कह पाना अभी मुश्किल ही था "" """

तभी पीछे से कमीनी अर्चना हल्की सी आवाज में बोली ओम............
तो हम दोनों ने अपने अपने हाथ वापस खीच लिए।

वो हैंडसम एक साइड खड़ा हो गया और अपने गुलाबी होंठो के बीच सिगरेट दबा कर हाथो के इशारों से माचिस मांगने लगा। मैने अपने कपकपाते हाथो से उसके हथेली पर माचिस रख दी। उसने मेरी चेहरे और आँखों में देखते हुए ही माचिस में से तीन तीलिया एकसाथ निकाली और फिल्म के हीरो की तरह बड़ी ही style से जलाई कि माचिस एक हाथ से उछलकर दूसरे हाथ में आ गयी।

जली हुयी सिगरेट का धुँआ उसके होठो से निकलकर मेरे चेहरे को चूमते हुए उड़ रहा था, वो दुकान के काउंटर के कोने में खड़े होकर सिगरेट पीने लगा. हम दोनों ही तिरछी निगाहों से बार बार एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। अर्चना भी मेरे पीछे खड़ी खड़ी आहे भर रही थी।

सिगरेट पीते पीते अचानक से वो मुझसे बोला Excuse me यहाँ टॉयलेट किधर है, ये सुनकर मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गयी. और मुझे मेरी अंजू दीदी की बात याद आ गयी!!!!

"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने के लिए लड़कों चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""

मुझे खामोश खड़ी देखते हुए वो हैंडसम फिर से बोला Excuse me यहाँ टॉयलेट किधर है,??? मै बुत बनी खड़ी हुयी अपने एक हाथ को उठाकर उंगली से सामने टूटे फूटे पड़े खंडहर की ओर इशारा करने लगी।

वो लड़का सिगरेट पीता हुआ सीधा खंडहर के अंदर की ओर जाने लगा और एक दीवाल पर हमारी दुकान कि तरफ पीठ करके decent and संस्कारी लेडी की इज्जत करने वाले लोगो की तरह छिप कर पेशाब करने लगा।



मुझे बार बार अपनी अंजू दीदी की बात
"" हमारे यहाँ लड़किया प्यार करने के लिए लड़कों चेहरा नहीं लौड़ा पहले देखती है ""

याद आ रही थी, मै उसका लंड सच में देखने के लिए लालयित हो रही थी, क्योकि मै उसका चेहरा तो देख पहले ही फिदा हो चुकी थी पर अब लंड की बारी थी। कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू????

एक फिल्म में डाइलोग है कि ""अगर हम जिसे सच्चे दिल से चाहे तो उसे सारी कायनात हमसे मिलाने में मदद करती है""

तभी मानो चमत्कार सा हुआ और वो लड़का अपना लंड निकाले खड़ा होकर पेशाब कर रहा था, अचानक से स्लिप होकर लडखडा गया और उसका लंड हमारी आँखों के सामने झूल रहा था, झूलते लंड को देखकर मेरे मुँह से तो चीख ही निकल गयी. उस लड़के की टाँगों के बीच में मोटा, काला और बहुत ही लंबा लंड झूल रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड उसके घुटनों से तीन या चार इंच ही उँचा था. अर्चना भी पसीने पसीने हो गयी . लंड बहुत ही भयंकर लग रहा था. लड़के ने दोनो हाथों से अपना लंड पकड़ के पेशाब करना खतम किया. उस लड़के का लंड देख कर मुझे गधे के लंड की याद आ गयी. उसी जगह में केयी गधे भी घूमते थे जिनके लटकते हुए मोटे लंबे लंड को देख कर मेरी चूत गीली हो जाती थी.


वो लड़का थोड़ा शर्माता हुआ सीधा मेरी दुकान पर आ गया, उसकी आँखों में एक माफी, शर्म, संकोच साफ साफ नजर आ रहा था। शायद वो भी समझ गया था कि हमने उसका speical गिफ्ट जो हर लड़का अपनी प्रेयसी या पत्नी के लिए छिपा कर रखता है, उसे मैने देख लिया है।

वो काउंटर पर नजर झुकाए धीरे से बोला Excuse me हाथ धोने के लिए जरा सा पानी मिलेगा, मैने काउंटर पर रखे पीने के पानी से भरे जग से उसके हाथ पर पानी डालना शुरू किया, मेरी नजरे उसकी चेहरे की तरफ उसकी शर्म से झुकी निगाहों को माफी देना चाहती थी।

मेरी हालत बाबरी दीवानी छोरी की तराह थी



""मेरी लाज शर्म सब गयी मारी, ये इसक तो है बीमारी, मुझे दुनिया कहे दीवानी""
जैसे tv पर चल रहे गाने की आवाज ने माहौल को रोमांटिक बना दिया था।


पानी फैलता जा रहा था और मेरे सब्र का बांध टूटता जा रहा था, पानी की आखिरी बूंद गिरता देख मै खुद से हो बोल पड़ी बस...


वो लड़का अपने हाथ धोकर काउंटर पर रखी बुलेट की चाबी उठा कर जाने लगा मुझे लगा जैसे मेरी जान जा रही हो।


अच्छी सहेली या दोस्त की पहचान मुझे आज समझ आई जब पीछे से अर्चना बोली अरे रेखा रानी नाम तो पूछ ले उसका दीवानी!!???


वो लड़का बुलेट स्टार्ट कर चुका था, मैने उसे काँपती हुई आवाज दी Excuse me आपका नाम क्या है?????


""आज Excuse me शब्द इतना प्यारा लग रहा था, कि मेरा बस चलता तो copyrite करा देती""


वो लड़का भी बस यही सुनंने का शायद इंतजार कर रहा था।। वो बड़ी अदा से हरियाणी style मारते हुए बोला -----


अरुण राणा from हरियाणा, आयेगा दोबाणा........


और उसने एक पैर सड़क पर टिका कर बुलेट घुमाते हुए मुझसे बोला...
आपका नाम?????


मै भी हरियाणी छोरी हू सीधा सवाल का टेढ़ा जवाब देती हू,


मैं भी नेहले पर देहला मारती हुयी बोली...
रेखा राणी थारी हो गयी दीवाणी... ..


और वो चला गया।
उसके जाने के बाद मै और अर्चना बस एक दूसरे की शकल देख रहे थे, दुकान में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे वक्त ठेहर सा गया हो।


कुछ मिनट बाद ही मेरी अंजू दीदी हस्ती हुयी दुकान में आ गयी और दुकान की खामोशी तोड़ते हुई बोली “ हाई रेखा ! ऐसा लंड तो औरत की ज़िंदगी बना दे. खड़ा हो के तो बिजली के खंबे जैसा हो जायगा. काश मेरी चूत इतनी खुशनसीब होती ! ऊऊऊफ़ ! फॅट ही जाती.” “

मै अपनी अंजू दीदी की बात सुनकर डर गयी और मुझे उन पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था। मै अंजू दीदी से हल्के कड़क आवाज में बोली
दीदी! ओ अंजू दीदी ! तू ये क्या बोल रही है. कंट्रोल कर. तुझे तो सिर्फ़ सुधीर के बारे में ही सोचना चाहिए.”

""मुझे अंजू दीदी पर इतना गुस्सा था कि मैने ही जिस लड़के से उन्हे बात करने से मना किया था, अब उसी लड़के का नाम बोलकर अंजू दीदी को उसके बारे में सोचने को बोल रही थी।"'

हां मेरी प्यारी बहना रेखा ! सिर्फ़ फरक इतना है कि सुधीर का खड़ा हो के 3 इंच का होता है और उस लड़के का सिक्युडा हुआ लंड भी 5 इंच का था. ज़रा सोच रेखा, आधे फुट का मूसल तेरी चूत में जाए तो तेरा क्या होगा. ऊपर वाले की माया देख, एक इतने हैंडसम लड़के का लॉडा मुझे देखने का मौका अपने घर की छत पर से देखने को मिल गया। तुझे उस में कोई दिलचस्पी नहीं.” ये अच्छी बात है।

पर मै अगली बार जब वो आयेगा उसे अपने जाल में फांसकर ही रहूँगी।

मुझे अंजू दीदी की ये बात सुनकर एक पल के लिए खून कर दू उनका, जिस लड़के के साथ थोड़ी देर पहले मैने इतने हसीन सपने संजोये थे वो उसे ही फंसाना चाह रही थी।

मुझे अपनी सगी बहन अब मुझे अपनी सौतन नजर आ रही थी????

अगर उस वक्त कोई मुझसे पूछता कि रेखा तेरा इस दुनिया में सबसे बड़ा दुश्मन कौन है तो शायद मै अपनी सगी बहन अंजू दीदी का ही नाम लेती।

मुझे समझ नही आ रहा था मै क्या करु???

मुझे नही पता जब वो लड़का फिर से दुकान पर आयेगा, तब क्या होगा????
आखिर किसका प्यार पूरा होगा???
रेखा या अंजू .... ???????

दो सगी बहनो में से किसकी किस्मत में लिखा है अरुण का प्यार ???????????
तो कहानी शुरू हो गई अपने टैग के हिसाब से, पहले एडल्ट्री का ही सीन बनता नजर आ रहा है। रेखा तो "घणी बावड़ी हो गई" अरुण और उसका देख कर और शायद उस उम्र का आकर्षण काम भी कर गया। मगर क्या ये संयोग है या सुधीर की कोई चाल अपने किसी जानने वाले के द्वारा रेखा को फंसाने की? अंजू ने अपनी बात करके रेखा को और उकसा दिया है और रेखा अब अरुण केलिए और भी बेचैन हो गई है ऐसा लगता है। सुंदर अपडेट।
 

Rekha rani

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तो कहानी शुरू हो गई अपने टैग के हिसाब से, पहले एडल्ट्री का ही सीन बनता नजर आ रहा है। रेखा तो "घणी बावड़ी हो गई" अरुण और उसका देख कर और शायद उस उम्र का आकर्षण काम भी कर गया। मगर क्या ये संयोग है या सुधीर की कोई चाल अपने किसी जानने वाले के द्वारा रेखा को फंसाने की? अंजू ने अपनी बात करके रेखा को और उकसा दिया है और रेखा अब अरुण केलिए और भी बेचैन हो गई है ऐसा लगता है। सुंदर अपडेट।
धन्यवाद, ये एक रियल इंसिडेंट से प्रेरित है तो डायरेक्ट इन्सेस्ट तो बन नही सकता , कहि न कही adultry से ही बनेगा,
अरुण कौन है सुधीर से कनेक्ट है ये तो आगे मालूम होगा, और अंजू का क्या रोल है ये भी
 

pprsprs0

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कुछ रिश्ते जन्म के साथ ही मिलते हैं उन रिश्तो में एक अलग आत्मीयता होती है और कुछ रिश्ते सामाजिक मजबूरियों की वजह से थोप दिए जाते हैं पर कामुकता से उत्पन्न हुआ प्रेम इन थोपे गए रिश्तो को नजरअंदाज कर देता है. "शक और सच" इन्हीं थोपे गए रिश्तो के बीच पनपते प्रेम का चित्रण है.


भारतवर्ष में 80 और 90 के दशकों में लड़कियों के कौमार्य की बहुत अहमियत थी. विवाह पूर्व और विवाहेत्तर सेक्स समाज में था तो अवश्य पर आम नहीं था. पर आजकल ऐसे सम्बधो का होना एक फेशन है। ये कथा ऐसे सगे सम्बधो पर आधारित है जो आज के दौर में इस समाज को कतयी मंजूर नही है। इस प्रेम कथा के पात्रों ने इन्हीं परिस्थितियों में अपने आपसी सामंजस्य से अपनी सारी उचित या अनुचित कामुक कल्पनाओं को खूबसूरती से जीया है.


हर इंसान के जीवन में अनचाहे रिश्तों हों यह जरूरी नहीं. मेरे जीवन में इनकी प्रमुख भूमिका रही है. आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर पीछे देखने पर यह महसूस होता है कि कैसे कुछ अनचाहे रिश्ते प्यार और काम वासना के बीच झूलते रह जाते हैं.


कहानी सत्य घटनाओ पर आधारित है,
कथा के पात्र काल्पनिक नही हैं वर्तमान में जीवित है पर अब उनके बीच कोई संबंध नहीं है. कथा में वर्णित दृश्यों से यदि किसी पाठक की भावनाएं आहत हुयीं हो तो कथाकार क्षमा प्रार्थी है.

कहानी शुरू करने से पहले मै आप लोगों से एक गुजारिश करूँगी कि please अपने comments, सुझाव और शिकायत जरूर लिखे।

अध्याय --- १ --


रेखा ए,सी, की ठंडी हवा में अपने कमरे में गहरी नींद में सोई हुई थी कि अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसे उसकी बांह पकड़ कर सीधे पीठ के बल कर दीया, और तभी ऊसे ऊसकी गाउन ऊपर की तरफ सरकती हुई महसूस होने लगी। वह चाहकर भी अपनी आंखों को खोल नहीं पा रही थी। गाउन पूरी तरह से उसके कमर तक चढ़ चुकी थी कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी, केवल पेंटी ही ऊसके नंगेपन को छीपाए हुए थी की तभी एक झटके से उसकी पैंटी भी उसकी टांगों से होकर के बाहर निकल गई,, कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन कुछ भी उसके समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखें बंद थी।


वह इतनी गहरी नींद में थी की आंखें खोलने भर की ताकत उसमें नहीं थी तभी उसकी मोटी मोटी जांघो पर दो हथेलियां महसूस हुई जो कि उसकी जांघों को फैला रही थी, और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे अपनी बुर पर कड़ेपन का अहसास हुआ, जैसे ही उसने आंख खोली उसके मुंह से दर्द भरी कराहने की आवाज निकल गई,,,,, और रेखा की आँख खुल गयी।

रेखा अपनी किस्मत को कोसते हुए आंसू बहाते हुए लेटी रही,,,,


अपने पति से बीस साल से दूर रहते हुए रेखा को आज भी उसके सपने में अपने पति को संभोग करते हुए देख रेखा के रोंगटे खड़े हो जाते है। एक पल तो ऊसे ऐसा लगा कि वह सपना नही देख रही है, सब सच में हो रहा था, क्योंकि वह बहुत ही गहरी नींद में सोई हुई थी।


पर अब ऐसे सपनो से रेखा को डर लगने लगा था। डरावने सपने अक्सर एक अधूरी चाहत और चाहत को पूरा ना कर पाने के डर से आते है।

परिचय

मै पेशे से एक वकील और समाज सैवीका हू, गरीब बेटियों के साथ होने वाले अत्याचार के case मै free of cost लड़ती हू। मैने अभी तक बहुत सी बेटियों को उनके जालिम पतियों की अत्याचार से आजाद करवा कर उनका तलाक करवाया है और कानूनी तौर पर मिलने वाली सहायता से उनकी जिंदगी दोबारा से शुरु की है। पर ना जाने कब ऐसे ही भलाई का काम करते हुए मुझसे एक भूल हुयी है जिसकी सजा मै आज तक भुगत रही हूँ और अपनी उस गलती को आप लोगो के सामने लिख रही हूँ।

मै अपना जिंदगी का case file आप सभी को सौंप रही हूँ और मुझे आशा है आप सब मेरे साथ न्याय करेंगे।

मेरा रेखा रानी है ये नाम जो किसी 75 की दशक की फिल्म के कोठे पर रहने वाली वैश्या के नाम की तरह सुनने में लगता है, मेरे नाम की कहानी भी बड़ी विचित्र है मेरे पापा की मै लाडली थी और मुझे रानी कहते थे और मम्मी की सबसे पसंद की एक्ट्रेस रेखा थी तो मम्मी पापा दोनों ने मुझे रेखा रानी बना दिया।

मेरी उम्र पचास पार हो चुकी है पर जवानी ढलने के नाम नही ले रही है, मै हरियाणा के हिसार जिले में रहती हू। परिवार में पति जो ritred होकर पॉलिटिक्स में है।
बेटा, बहू, दोनों ही डॉक्टर, बेटी, दामाद, दोनों ही सरकारी नौकरी में उच्च पदों पर है और एक नाती है, काफी भरा पूरा परिवार है मेरा। मेरे पास मौज शौक का हर सामान सुविधा मौजूद है, पैसे की कोई कमी नहीं है। बस कमी है तो प्यार की जिसके लिए मै 20 साल से तरस रही हू।

वैसे तो मै soical media पर फेसबुक, whatsup, insta, super chat live वगेरा सब ही use करती हु। पर कभी कभी अपने profession की वजह से गूगल पर कुछ ऐसी कहानी या लॉजिक मिल जाये तो उसका use अपने case file में लिखकर , जिससे मै अपने क्लाइंट को न्याय दिला सकूँ अक्सर कर लेती हूँ।

बस इसी तरह search करते करते मुझे ये fourm मिला है और जब मैने इसमें कुछ कहानिया पढ़ी तो मुझे लगा कि यही फॉर्म है जिस पर मै भी अपनी जिंदगी की कुछ दास्तां लिखूँ। जिससे मेरी privacy छिपी रहेगी और मेरे सवालों के जबाब भी मिल जायेंगे।


कहते है स्त्री की जिंदगी में सबसे करीबी रिश्ता दूसरी स्त्री से ही होता है और वो उसकी माँ, बहन, दादी, सास, बेटी, बहू जैसे रिश्ते है जिससे बहुत ही प्यार विश्वास के साथ निभाती है, पर मेरी जिंदगी ऐसी नही है मुझे तो हर कदम पर एक औरत या स्त्री ने ही धोखा दिया है।

"""ठीक उसी तरह जैसे कुल्हाड़ी जिस लकड़ी से बनती है और उसी लकड़ी को काटती है ""


शायद आप सब कहानी के नायक के बारे में जानने को उत्सुक हो रहे है? धीरज रखिये. यदि आप इस कहानी को पढ़कर तुरंत निष्कर्ष पर पहुचने को लालायित हैं तो शायद आप को दूसरी कहानियों पढ़नी चाहिए. क्षमा कीजिएगा पर धीरज का फल हमेशा मीठा होता है.
इस कथा का नायक इस समय निजी हॉस्पिटल में भविष्य निर्माण के लिए पिछले कई वर्षों से अपनी practice पूरी ईमानदारी से कर रहा है.

कहानी सत्य घटनाओ पर आधारित है, wooow alag hi laga ye line pad ke , looking forward for this one ,kafi sahi shuruwat hai sach mei !!
 

kamdev99008

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Papa Ranjeet भाई की समीक्षा जबर्दस्त है... हम बेशक कहानी सिर्फ मजे के लिये पढ़ते हैं लेकिन उसे महसूस करने के लिए डूबकर समझना होगा...
Rekha rani जी लेखिका हैं तो सवालों के जवाब देकर (चाहे गोलमोल ही सही :D) पाठकों को तसल्ली तो देंगी ही
अगर जवाब बिलकुल गोल करना है तो तुरन्त नया अपडेट देकर नये सवाल ढ़ूंढने दो पाठकों को :hehe:
 
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