अध्याय - 45
उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। पापा कार्ड बाँटने आसपास के शहरों में रिश्तेदार के यहाँ गये थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी ना हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।
सुनील ने मम्मी को लिफ़ाफ़े के अंदर एक तस्वीर देते हुए कहा कि मम्मी रेखा के लिए ये जो रिश्ता सब ने मिलकर तय किया है वो लड़का मुझे पसंद नहीं है, इसलिए ये रिश्ता तोड़ दो अभी भी ज्यादा देर नही हुयी है और अपनी रेखा के लिए मैने जो लड़का चुना है उसकी तस्वीर इस लिफ़ाफ़े में है।एक बार अच्छे से देख कर जल्द फैसला कर सब घरवालो को बता दो।
मम्मी ने सुनील के हाथ से लीफाफा ले कर खोल कर देखने लगी और उसमें रखी हुयी तस्वीर देख कर मम्मी की आँखों के साथ साथ गांड फट गयी। और उस तस्वीर को एक झटके से दूर फेंक दिया। सुनील ये क्या मजाक है, बावली गांड पागल हो गया है क्या....???
मम्मी अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि काश ये सब एक भयानक मज़ाक हो और काश सुनील उसे ये कह दे कि उसने इस किस्म की कोई बात नहीं कही।
सुनील ने मम्मी की फैंकी हुई अपनी और अपनी बहन रेखा की फोटो को फर्श से उठाया और उन को हाथ में ले कर बहुत गौर से देखने लगा। मगर उस ने अपनी मम्मी की बात का कोई जवाब ना दिया। अपनी जवान बहन के मोटे और भरे मम्मो को तस्वीर में देख कर सुनील की आँखों और मुँह पर एक मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट फैलती चली गई ।
अपने बेटे के खामोशी और उस के चेहरे पर मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट को देख कर मम्मी का दिल पहले से ज़्यादा डोलने लगा और सुनील से कोई जवाब ना पा कर वह दुबारा चीखी " सुनील खामोश क्यों हो, कुछ तो बको और मुझे बताओ कि ये सब चूतियापा क्या है?"
"क्यों मम्मी आप को अपनी बेटी के लिए मेरा रिश्ता पसंद नहीं आया क्या?" सुनील अपनी शैतानी आँखों को मम्मी की आँखों में डालते हुए, इतनी बड़ी बात बड़े आराम और होसले से कह गया।
"क्या बकवास कर रहे, तुम! होश में तो हो अपने बेटे की बात सुन कर मम्मी का सर चकराने लगा और उसे यूँ महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उस के पावं तले से ज़मीन खैंच ली हो।
"हाँ मम्मी जी ये बात सच है, आप सब ही तो मुझे बार-बार शादी करने पर मजबूर कर रही थी ना" सुनील ने बड़े सकून से मम्मी को जवाब दिया।
" सुनील लगता है तुम पागल हो चुके हो, मेने तुम को किसी दूसरी लड़की से शादी करने का कहा था और तुम अपनी ही सग़ी बहन के साथ ये गंदी हरकत करने का सोचने लगे, तुम जानते हो कि ये बात ना सिर्फ़ ना मुमकिन ही नहीं बल्कि हमारे देश में सगी बहन से ब्याह करना गुनाह भी है बेटा"
मम्मी ने जब सुनील को इस तरह बेझिझक अपनी ही सग़ी बहन से शादी करने की बात करते सुना। तो उसे यकीन हो गया कि उस का बेटा जवानी की गर्मी और जिस्मानी तौर पर पागल हो चुका है। इसीलिए वह इस तरह की बहकी-बहकी बातें करने लगा है।
"क्यों ना मुमकिन है ये बात, आप ही बताएँ क्या कमी है मुझ में, जवान हूँ और मेरी कमाई से ही पूरा घर पल रहा है, तो आप को तो खुश होना चाहिए अपनी बेटी के लिए मेरे इस रिश्ते पर मम्मी" उस ने मम्मी के नज़दीक जाते हुए कहा।
अपने बेटे के मुँह से इस तरह की वाहियात बातें सुन कर मम्मी का मुँह गुस्से से लाल पीला हो गया और उस ने अपने नज़दीक पहुँचे हुए बेटे के मुँह पर ज़ोर दार किस्म के थप्पड़ो की बरसात कर दी। अपने मुँह पर पड़ते अपनी मम्मी के थप्पड़ो को नहीं रोका और चुप चाप खड़ा अपनी मम्मी से मार ख़ाता रहा। वो खुद चाहता था कि जब उस की मम्मी दिल भर कर अपने अंदर का गुस्सा उस पर निकाल लेंगी। तो फिर ही वह उन से सकून से बात चीत करेगा।
जब मम्मी अपने बेटे के मुँह पर तमाचे मारते-मारते थक गई. तो वह पास पड़े सोफे पर बैठ कर रोने लगी। सुनील भी अपनी मम्मी से मार खाने के बाद खुद भी उन के सामने पड़े सोफे पर जा बैठा और अपनी मम्मी के चुप होने का इंतिज़ार करने लगा।
कुछ देर बाद जब मम्मी रो-रो कर थक गई. तो सुनील अपने सोफे से उठ कर मम्मी के पास जा बैठा और उन के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से अपने गले से लगा लिया।
मम्मी आज अपने बेटे की बातें सुन कर उस से नफ़रत करने लगी थी। इसीलिए वह सुनील के हाथ को झटक कर तेज़ी से उठी और दूसरे सोफे पर जा बैठी। और अपनी आँखों में आते हुए आँसुओं को पोन्छते हुए कहा " सुनील ये सब क्या है और "तुम को ऐसी घटिया बात सोचते हुए भी शरम आनी चाहिए, मुझे तो शरम आ रही है तुम को अपना बेटा कहते हुए" मम्मी ने अपने बेटे को कोसते हुए कहा।
"मम्मी चाहे आप कुछ भी कहो में अब शादी करूँगा तो सिर्फ़ रेखा से वरना नही" सुनील अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा।
सुनील अब अपनी बहन की मोटी फुद्दि को हासिल करने के लिए पूरी तरह तुला हुआ था।और अपनी बहन की जवान गरम और प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डालने के लिए उसे चाहे कोई भी हद क्रॉस क्यूँ ना करनी पड़े वह उस पर अब आमादा हो चुका था।
वो अब तक ये समझ रहा था। कि वो किसी ना किसी तरह से अपनी मम्मी को ये सब काम करने पर राज़ी कर लेगा। लेकिन जब उस ने देखा कि घी सीधी उंगली से नही निकल रहा। तो उसे पहली बार अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आया।
"में आप को सोचने के लिए रात भर की मोहलत देता हूँ मम्मी,में चाहता तो ये ही हूँ कि रेखा को बीवी बनाने में आप की रज़ामंदी शामिल हो, लेकिन अगर आज रात के बाद आप ने फिर भी मेरी बात ना मानी,तो फिर में ना सिर्फ़ रेखा को इस घर से भगा कर ले जाऊंगा, बल्कि में आप से ये मकान,जायदाद और सारा रुपैया पैसा भी छीन कर आप को कोड़ी कोड़ी का मोहताज कर दूँगा, और आप कुछ भी नही कर सकेगीं" सुनील ने पहली बार अपनी ही मम्मी को धमकी देते हुए गुस्से में कहा।
ये कह कर वो गुस्से में उठ कर घर के दरवाजे की तरफ चला गया।
मम्मी अपने बेटे का ये रूप देख कर ख़ौफ़ से कांप गई अपने बेटे की सारी बातें सुन कर मम्मी को तो समझ ही नहीं आ रही थी। कि ये सब क्या हो रहा है। इसीलिए वो अपने सर पर हाथ रख कर "सुन्न" हालत में सोफे पर ही बैठी रही और अपने आँसू दुबारा बहाने लगी।
मम्मी तो अपने बेटे से छुप छुप कर अपनी चूत मरवाने के चक्कर में थी। मगर उसे क्या पता था कि उस का बेटा अपनी बहन को अपनी दुल्हन बना कर अपने हमेशा हमेशा के लिए अपने पास ही रख कर चोदना चाहता है। इसीलिए अपने बेटे का प्लान सुन कर ही ख़ौफ़ के मारे मम्मी के पसीने छूटने लगे थे।
दूसरी तरफ मै जब घर के अंदर दाखिल हुयी सुनील तो जैसे अपनी बहन के आने के इंतज़ार में ही बैठा था।
"भाई सब ख़ैरियत है ना घर में, मम्मी किधर है,क्या हुआ?" मैने घबराई हुई आवाज़ के साथ एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ डाले।
"उफफफ्फ़! मेरी लाडली सब कुशल मंगल (अमन शांति) है तुम चिंता मत करो" सुनील अपनी "माशूक" बहन की आवाज़ सुन कर चहक उठा। और बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में बोला।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था और अंदर मम्मी के पास जाकर बैठ गयी फिर मम्मी ने मुझ को अपने और सुनील के दरमियाँ होने वाली सारी बात डीटेल से बता दी।
" साला बेहनचोद भैया" मम्मी के मुँह से सारी बात सुन कर मै पहले से ज़्यादा
परेशान हो कर गाली देते हुए रोने लगी। और कुछ देर सोफे पर बैठी अपने आँसू बहाती रही। और फिर जब थक गई तो अपने कमरे में चली आई।
उधर मम्मी ने पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलते और सोचते सोचते और रोते रोते ही गुजार दी। अपने ख्यालों में मगन हो कर अपनी जिंदगी पर नज़र दौड़ाते दौड़ाते मम्मी को वो वक्त याद आने लगा। जब उस के बेटे ने दिन रात मेहनत कर अपने घर का ना सिर्फ़ बोझ उठा रहा है। साथ ही साथ मम्मी को आज सुबह की बाथरूम वाली बात भी याद आ गईं। जब मम्मी ने अपनी जिस्मानी प्यास से मजबूर हो कर अपने बेटे के लंड को याद कर अपनी गरम चूत से खेल खेलना शुरू किया था।
अपने बेटे के लंड को देख कर उसी वक्त ही मम्मी को अंदाज़ हो गया था। कि उसके जवान बेटे के जिस्म में बहुत गर्मी छुपी हुई है। जिस के लिए उसे एक ऐसी चूत की ज़रूरत है। जो उस के बेटे के प्यासे जवान बदन की गर्मी को अच्छी तरह से संभाल सके।
ये बात सोचते सोचते पहली बार मम्मी के दिल में ख्याल आया। इसमे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है । अपने बेटे से अपनी चूत की प्यास बुझाकर मै अपनी बेटी की शादी बेजिझक कर सकती हू। तो इस में कोई हैरानगी तो नही।
"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ में ये क्या सोचने लगी हूँ" मम्मी के दिमाग़ में ज्यूँ ही ये बात आई। तो उस ने फॉरन अपने आप को कोसा।
(कहते हैं कि "विपरीत काले मर्यादा त्यागते " इंसान का जब बुरा वक्त आता है तो इंसान आहिस्ता आहिस्ता बुरे भले की तमीज़ खो बैठता है।)
"ज्यूँ उम्र बढ़ती गई,
बदनामी चढ़ती गई..!!"
इसीलिए मम्मी के लिए अब बेहतर ये है कि, अपने बेटे के साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर एक दूसरे की जरूरत पूरी करे।
अपनी इस सोच को जस्टिफाइ करने की खातिर वो सोचने लगी। कि अगर मम्मी और फूफा के नाजायज़ ताल्लुक़ात के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं हुई। तो फिर मम्मी और सुनील के साथ जिस्मानी संबंध के बाद अपने ही घर में दोनों माँ बेटे का पति पत्नी की तरह से एक साथ रहने का ईलम बाहर की दुनिया को कैसे हो सकता है।
इन सब बातों पर सोचते-सोचते मम्मी ने अपने दिल को अपने बेटे के साथ बदलते रिश्ते पर राज़ी किया और फिर उस की आँख लग गई।
अगले दिन सुबह जब मम्मी की आँख खुली। टट्टी पोट्टी से फ्री होने के बाद मम्मी ने रात वाले अपने फ़ैसले पर एक बार फिर गौर किया और उस के बाद उस ने अपने कदम अपने बेटे के कमरे की तरफ बढ़ा दिया।
कमरे में मौजूद सुनील ने जब अपनी मम्मी को अपने कमरे में आते देखा। तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
बेटा " मम्मी ने ना चाहते हुए भी थोड़ा प्यार से से कहा।
सुनील तो अपनी मम्मी से गालियाँ और कड़वाहट सुनने को तैयार बैठा था। मगर मम्मी का ये धीमा लहज़ा सुन कर उस को बहुत हेरानी हुई।
" बेटा एक बात पूछूँ अपनी मम्मी के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा? तू अपनी से बहन और मम्मी में से किससे ज्यादा प्यार करता है " मम्मी ने बहुत सुकून भरे अंदाज़ में सुनील से पूछा।
"बेशक मम्मी आपसे" और वो भी बड़े ही प्यार से जबाब देते हुए बोला... अपनी मम्मी के मुँह से गुस्से भरी गालियों की बजाय प्यार की बात सुन कर सुनील समझ गया वाकई ही उसकी बातों का कोई जादू है।जो मम्मी एक रात में ही इतना बदल गई हैं।
बेटा जब तू अपनी मम्मी से इतना प्यार करता है तो फिर अपना प्यार अपनी बहन पर क्यो जाया करने की सोच रहा है.. मै तुझे वो सब कुछ दे सकती हू जो तुझे चाहिए। क्या तुझे अपनी मम्मी के साथ प्यार करने में और बीबी बनाने में कोई ऐतराज है....??
"मम्मी तो किसी भी जवान लंड के इंतज़ार में अपनी चूत का पानी बर्बाद कर रही थी।और फिर अपने ही सगे बेटे के मोटे सख़्त और बड़े लंड के दर्शन करने के बाद। तो उस की फुद्दि अपने बेटे के लंड को अपने अंदर काबू करने के लिए बेचैन होने लगी थी।"
इस हालत में जब उस की अपनी मम्मी की गरम और प्यासी चूत ही उसे अपने साथ चुदने की इजाज़त देने पर आमादा हो गई थी। तो "अंधे को क्या चाहिए दो आँखे" वाली मिसाल को ज़हन में रखते हुए सुनील को "हां" करने में भला क्या ऐतराज हो सकता था।
इसीलिए खुशी के आलम में उस ने फॉरन कहा "जैसे आप की मर्ज़ी मम्मी मुझे कोई ऐतराज नही"।
मम्मी को भी अपने मूसल लंड धारी बेटे से इसी जवाब की उम्मीद थी।
बहरहाल अपनी मम्मी के फ़ैसले को सुन कर सुनील का लंड उस की पॅंट में फुल खड़ा हो गया और उस ने एक हाथ से अपने लंड को मसल्ते हुए मम्मी से कहा "तो अब जल्दी ही प्यार की बरसात करो ना जान। अब तुम्हारे इस आशिक़ से तुम्हारी चूत की दूरी बर्दाश्त नहीं होती" ।
"में जल्द ही बरसूँगी मगर इस के लिए मेरी दो शर्ते होंगी मेरे लाडले" मम्मी ने इठलाते हुए अपने आशिक़ बेटे की बात का जवाब दिया।
"शर्तें, केसी शर्तें मेरी जान?" सुनील ने भी उसी अंदाज़ में अपनी मम्मी से पूछा।
"पहली शर्त ये कि मेरी जब तक रेखा की विदा इस घर से नही हो जाती तब तक तुम रेखा के साथ साथ मुझे हाथ नहीं लगाओगे और दूसरी शर्त ये कि मुझे अपनी बीवी बनाने के बाद अपनी बहन रेखा को कभी चोदने की नहीं सोचोगे" मम्मी ने अपने बेटे को अपनी दोनों शर्ते बता दीं।
"हाईयययययययी! कुर्बान जाऊँ में अपनी शहज़ादी के, तुम अभी मम्मी से बीवी बनी भी नहीं और बीवियों वाले हुकम पहले ही चलाने शुरू कर दिए हैं मेरी जान!" अपनी मम्मी की दूसरी शर्त सुन कर सुनील की हँसी निकल गई और वह बोला।
"में मज़ाक नहीं कर रही बेटा, अगर तुम को मेरी ये शर्ते मंजूर हैं तो बताओ।
"अच्छा जैसे मेरे दिल की रानी कहेगी में वैसे ही करूँगा बाबा, वैसे भी जिस बेटे को तुम जैसी भरी हुए मस्त बदन और जनम-जनम की प्यासी चूत वाली मम्मी चोदने को मिल जाय, तो उस का लंड किसी और की चूत में कैसे जाएगा जानू"? सुनील ने अपनी मम्मी को मक्खन लगाते हुए जवाब दिया।
"ठीक है मै कुछ दिन बाद रेखा की शादी होने के बाद तेरे लिए खास प्रोग्राम बनाती हूँ" मम्मी ने अपने बेटे को कहा और कमरे से बाहर आ गई।
हाय मेरी प्यासी मम्मी इंतजार तुम्हारा मरने तक करेंगे बस तुम किसी और से मरवा कर मत आ जाना.... सुनील मम्मी की चलते हुए उछलती हुयी गांड देख कर अपना लंड मसलते हुए बोला।
माँ बेटे तो अपनी अपनी जुगाड़ फिक्स कर अपने काम धंधे में लग गये जबकि मै बिना कुछ खाए पिए सारा दिन अपने बिस्तर पर बीमार बन कर पड़ी रही। शाम को जब सुनील घर वापिस आया। तो वो होटेल से अपने और अपनी मम्मी के लिए स्पेशल खाना ले आया।
जब मम्मी ने मेरे कमरे में आ कर मुझ को खाना दिया। तो मैने उसे खाने से इनकार कर दिया। मम्मी ने मुझ को अपनी भूक हड़ताल ख़तम करने का कहा। मगर मै भी अपनी ज़िद पर कायम रहीं।
आख़िर काफ़ी देर बाद थक हार कर मम्मी ने मुझको मेरे हाल पर छोड़ा । और खुद माँ बेटे प्यार से खाना खाने लगे। मम्मी के जाने के बाद काफ़ी देर तक मैने कमरे में रखे खाने की तरफ नज़र उठा कर भी ना देखा। मगर जो भी हो मै एक इंसान थी। जो कि कल शाम से भूकी भी थी।
इसीलिए आख़िर कार कुछ देर बाद जब भूक मेरे लिए लिए ना काबले बर्दास्त हो गई। तो मुझ को उठ कर प्लेट में पड़ा खाना खाना ही पड़ा।
एक कहावत है कि:-
"तिढ़ ना पाया रूठेआं ते सबे गुलान ख़ुतेआं।"
(कि जब तक पेट में रोटी ना जाय उस वक्त तक इंसान को कोई बात नही सूझती।)
इसीलिए दो दिन की भूकि मुझ को पेट भर कर खाना मिला। तो मेरे दिल और दिमाग़ को भी कुछ सकून मिला और मैने ठंडे दिल से कुछ सोचना शुरू कर दिया। और काफी सोच समझने के बाद मैने घर से भाग जाने का फैसला किया।
अगली सुबह मै बावली गांड सी छोरी सिर्फ पहने हुये कपड़ो में सीधा रेलवे स्टेशन पहुँच गयी और स्टेशन पर से ही संजय को फोन लगा कर कहा जल्दी से रेलवे स्टेशन आ जाओ नही तो मै ट्रेन के नीचे कूद कर अपनी जान दे दूँगी। संजय पागलो की तरह मुझे ढूँडनता हुआ दस मिनिट में स्टेशन पर आ गया और उसे सामने देखकर मै रोते हुए उसके सीने से चिपक गयी।
संजय दो मिनिट तक मुझे सीने से चिपकाए रहा और मुझे चुप कराता रहा। आँखो के सारे आँसू बह जाने के बाद मै उसके सीने से दूर हो कर कुर्सी पर बैठ गयी। उसने कहा रेखा क्या हुआ है...??? क्या प्रोबलम है कुछ बताओ तो सही...???
मेरे पास उसके सवाल का कोई जबाब नही था क्योकि मेरा सगा भाई मेरे लिए गुप्त रोग बन गया था और गुप्त रोग ना किसी को बता सकते है और ना ही छिपा सकते है। उसने दोबारा वही सवाल किया... ?? ?
संजय तुम मुझसे अभी शादी कर अपने घर ले जा सकते हो इस बार मैने उसके सवाल का जबाब दिया। वो कुछ देर सोचता रहा और बोला रेखा हमारी शादी वैसे भी तीन चार दिन बाद हो ही रही है फिर इस तरह भागकर शादी क्यो ही करना....???
नही मुझे तुमसे शादी अभी करनी है और तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जाना है.... मैने इस बार बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा।
रेखा कोई भी लाग लपेट किये बिना मै सीधा जवाब दूंगा। तुम्हारे इस तरह भाग कर शादी करने के फैसले पर तुम्हारे पापा पर क्या बीतेगी ये सोचा है...... वो अपनी बेटी की शादी समाज के बीच रीति रिवाजों से करने का सपना सजाये हुये अपने रिश्तेदारों में आसपास के शहरों में कार्ड बाटने गये है जब वो वापस आयेंगे तो लोग समाज रिश्तेदार उनसे पूछएंगे..... बेटी को भाग कर शादी क्यों करनी पड़ी?
बाप पे जो गुजरेगी उस से अधिक उस बेटी पे गुजर रही होगी जिसको अपने ही पिता से भाग कर अपना जीवनसाथी चुनना पड़ा जिसका उसे हक़ था। ये सवाल समाज, रिश्तेदार, बांकी लोग ये क्यों नही पूछते...?? मै संजय को जबाब देते हुए बोली।
रेखा घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है, आसपास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है। भारत का एक सामान्य पिता अपनी बेटी के प्रेम से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के भाग जाने से! संजय मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर समझाते हुए बोला।
संजय की कुछ कुछ बातें मेरे समझ में आ रही थी। तो मुझे अभी क्या करना चाहिए.. ???
सबसे पहले तो मुझे ये बताओ आखिर प्रोबलम क्या है तुम्हारी...?? संजय का सवाल वही अटका था। जिसका सच्चा जबाब (मेरा सगा भाई मेरी चूत पाने के चक्कर में मुझसे शादी करने की कह रहा है) सुनकर वो शायद मुझसे कभी शादी नही करता। ये सोच कर मैने उसे सच ना बताते हुए कहा कि घर पर मम्मी से झगडा हो गया था और मै गुस्से में घर से भाग कर आ गई।
बस इतनी सी बात रेखा... चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ और मम्मी से बोलता हूँ मेरी दुल्हनिया आपकी अमानत है कुछ दिन बाद ये आपको परेशान नही करेगी।
ये सुनकर मेरी हँसी छूट पड़ी..... ह्म्म
दिल के रिस्ताँ का कोए नाम ना होंदा।
हर रास्तां का कोए मुकाम ना होंदा।
अगर निभाण की चाहत हो दोनों कानी।
तो कसम त कोए रिस्तां नाकाम ना होंदा।