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Incest शक या अधूरा सच( incest+adultery)

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MAD DEVIL

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बडा मुश्किल है यारों
बेबाक स्त्री से प्यार करना
वो समझ जाती तुम्हारी चालाकियां
बहकती नहीं देख तुम्हारी शोखियां

किसी तारीफ़ की भूखी नही होती
किसी तोहफ़े से नहीं भरमाती
दरकिनार कर देती दोगलेपन को
अच्छे से समझती दिखावे भोलेपन को

बेबाक स्त्रियां पढ़ लेती मन के भाव
और ज़वाब देना बखूबी आता इन्हें
अपनी उड़ान अपने बाजूयो से भरती
किसी के कंधे पे ये नहीं चढ़ती

बेबाक स्त्री सबको बहुत चुभती है
पर दिल से रिस्पेक्ट उसी की होती है
वो बस मुस्कुरा कर नहीं रह जाती
हक की लड़ाई बेबाकी से लड़ जाती

वो नहीं चाहती की सब उसे पसंद करे
या उसकी जी हुजूरी करे
उसकी अपनी अलग ही दुनिया होती
जहां वो खुद की ही मालिक होती
Laajawab likha aapne Rekha rani ji
.
Very brilliant 👏👏👏👏👏
 

MAD DEVIL

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अध्याय - 44

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।

किचिन वाले वाकये के बाद मैने अपने भाई से सगाई और शादी तक दूरी बना कर घर में रहने का इरादा कर लिया।

इस तरह तीन चार दिन गुजर गये और इन तीन चार दिनों के दौरान घर के तीनो सदस्यों के लंड और चूत की गर्मी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी।

शनिवार के दिन यानी मेरी सगाई के एक दिन पहले सुनील तड़के सुबह सवेरे नहाने के लिए बाथरूम गया। तो नहाने के दौरान अपनी मम्मी और बहन के मोटे मोटे मम्मो और चुतड़ों को याद कर के सुनील का लंड अकड कर खड़ा होने लगा।

इधर दूसरी तरफ मम्मी भी तड़के सुबह सब से पहले उठ कर किचन में आई। और अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाने लगी।

"क्यों न में सुनील को उस के कमरे में ही चाय दे आऊ" गैस पर पड़ी चाय (टी) ज्यों ही बन कर तैयार हुई तो मम्मी ने सोचा। इस के साथ ही मम्मी ने चाय को एक कप में डाला और फिर कप अपने हाथ में थामे अपने बेटे सुनील के कमरे की तरफ चल पड़ी।

ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे सुनील के कमरे के दरवाज़े को हाथ लगाया। तो सुनील के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक ना होने की वजह से खुलता चला गया।

"लगता है सुनील रात को अपने दरवाज़े की कुण्डी लगा कर नही सोया" अपने बेटे के दरवाजे को यूँ खुला पा कर मम्मी ने सोचा।

मम्मी दरवाजा खोल कर सुनील के कमरे में दाखिल हुई। तो उसे सुनील तो अपने बिस्तर पर नज़र नही आया। मगर मम्मी को अपने कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी।

"लगता है कि सुनील बाथरूम में नहा रहा है" बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर मम्मी समझ गई।

मम्मी ने चाय का कप सुनील के बिस्तर की साइड टेबल पर रखा और मूड कर वापिस किचन में जाने लगी।

" सभी अभी सो रहे है, तो क्यों ना आज सुबह सुबह में अपने बेटे के लंड का दीदार कर लूँ" मम्मी ज्यों ही किचन में जाने के लिए सुनील के बाथरूम के दरवाज़े के सामने से गुज़री। तो उन को ख्याल आया।अपने बेटे के मोटे लंड का ख्याल आते ही मम्मी की मोटी फुद्दि गर्म होने लगी। और उस के साथ ही मम्मी ने एक दम झुक कर बाथरूम के की होल पर अपनी आँख लगा कर बाथरूम में झाँका।

मम्मी की आँख ने ज्यों ही बाथरूम के अंदर का मंज़र देखा। तो बाथरूम का का नज़ारा देख कर मम्मी की साँसें गले में अटकने लगीं। मम्मी की सांस गले में अटकने की वजह से मम्मी की भारी छातियाँ भी बिखरी सांसो के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उपर नीचे होने लगी।

मम्मी ने देखा कि बाथरूम में उस का बेटा उस वक्त अपने लंड पर साबुन लगा कर नहाते वक्त साथ ही साथ अपने लंड से भी खेल रहा था। ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे को नहाने के दौरान यूँ अपने मोटे और बड़े लंड से खेलते देखा। तो अपनी उपर नीचे होने वाली सांसो के साथ मम्मी भी दरवाज़े के बाहर खड़े हो कर अपनी शलवार के उपर से ही अपनी फुद्दि पर अपना हाथ फेरने लगी।

"काश मेरा बेटा मुझे भी एक दिन अपने लंड से यूँ खेलने का मोका दे" अपने बेटे के लंड को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए मम्मी का दिल कर रहा था। कि वो अपना हाथ बढ़ा कर अपने बेटे के तगड़े लंड को अपने काबू में कर ले।

मगर मम्मी जानती थी कि ये उस की एक ऐसी ख्वाहिश है। जो शायद कभी पूरी ना हो सकेगी।

इसीलिए अपनी तमन्नाओ को अपने दिल में ही मार कर मम्मी खामोशी से अपने बेटे को अपना लंड रगड़ता देखती रही। और साथ साथ अपनी फुद्दि को भी अपने हाथ से छेड़ती रही।

उधर सुनील को आज काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाना था। इसीलिए उस के पास सुबह सुबह अपने लंड की मूठ लगाने का भी टाइम नही था।

इसीलिए सुनील ने जल्दी से अपना शवर बंद किया। और अपने जिस्म को तोलिये से सॉफ करने लगा। अपने जिस्म को पोंछ कर के ज्यों ही सुनील ने अपने चारो ओर अपनी कमर पर टवल लपेटा। तो मम्मी समझ गई कि अब सुनील किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर निकल सकता है।

इसीलिए मम्मी जल्दी से पलटी और कमरे के बाहर निकलने लगी। मगर इस जल्दी के दौरान मम्मी कमरे का दरवाजा खुला छोड़ गई। ज्यों ही मम्मी कमरे से बाहर आई। तो उसे अपने पीछे अपने बेटे के बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी।

"कहीं सुनील ने मेरी चोरी पकड़ ना ली हो" मम्मी के ज़हन में ना जाने क्यों ये डर बैठ गया। और इसी डर के मारे उसे पता नही किया सूझा कि मम्मी कमरे के सामने बने हुए एक छोटे से कमरे नुमा स्टोर में जा घुसी।

स्टोर में जाते ही मम्मी की नज़र सामने बनी हुई कपड़ों की अलमारी पर पड़ी। इस अलमारी में कपड़े गुंजाइश से ज़्यादा होने की वजह से अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद नही हुआ था। मम्मी को जल्दी में कुछ और ना सूझा तो वो कपड़े की अलमारी के खुले हुए दरवाज़े को ज़ोर से बंद करने लगी।

इधर बाथरूम से बाहर निकलते ही सुनील ने देखा कि उस के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है।

"ये मेरे कमरे का दरवाजा किस ने खोल दिया है। "अपने कमरे के खुले दरवाज़े को देख कर सुनील ने सोचा।

इस के साथ ही सुनील की नज़र अपने बिस्तर के साइड टेबल पर पड़े हुए "चाय" के कप पर पड़ी।

"ओह्ह्ह्ह! अच्छा लगता है कि मम्मी या रेखा चाय का कप रखने के बाद दरवाजा खुला छोड़ गईं हैं" साइड टेबल पर रखे हुए कप को देखते ही सुनील ने दुबारा सोचा।

इस के साथ ही अपनी अलमारी की तरफ गया और अलमारी में से अपनी एक पॅंट निकाल कर पहन ली। अपनी पॅंट पहन कर टेबल पर पड़ा हुआ चाय का कप अपने हाथ में उठाया। तो उस की नज़र अपने कमरे के खुले दरवाज़े से सामने के कमरे में जा कर अपनी मम्मी पर पड़ी।

जो उस वक्त कपड़ों वाली अलमारी के सामने खड़ी हो कर उस अलमारी को बंद करने की कॉसिश कर रही थी। अलमारी को बंद करने के दोरान मम्मी का मुँह तो अलमारी की तरफ था। जब कि उस की पीठ अपने बेटे की तरफ थी।

स्टोर की अलमारी को बंद करने की गर्ज से मम्मी को चूँकि अलमारी के दरवाज़े पर अपना पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था। इस दौरान मम्मी आगे को झुकी हुई थी, जिस वजह से मम्मी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर की तरफ उठ गई थी।

मुझे मम्मी की मदद करनी चाहिए, "लगता है मम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं"अपनी मम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर सुनील को अंदाज़ा हुआ।

"मुझे जा कर अपनी मम्मी की मदद करने चाहिए" उस के दिल में ख्याल आया।

"रुक जा इधर और अपनी मम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार।" दूसरे ही लम्हे सुनील के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला और अपने लंड की मान कर अपनी मम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा।

" साले सुनील, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद नही सकते हो और अब अपनी ही सग़ी मम्मी को हवस भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर पापा को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे ?" सुनील के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया। लेकिन चाहने के बावजूद सुनील के ज़हन से अपनी मम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था।

इसीलिए हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी मम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा। अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी मम्मी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी मम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी।

अपनी मम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर सुनील का लंड एक बार फिर अपनी मम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था।

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खासहियत रखी है, कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है।)

इसीलिए दूसरी तरफ मम्मी बे शक अपने बेटे की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी।
मगर इस के बावजूद मम्मी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी।

मम्मी बे शक सुनील की माँ थी। मगर माँ होने के साथ साथ मम्मी आख़िर कर एक औरत भी थी। और हर औरत की तरह मम्मी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था। अपनी जवानी और शादीशुदा जिंदगी में मम्मी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था।

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने मम्मी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बाहर कर दिया। और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी। जिसे देख देख कर उस के बेटे की अपनी मम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी।

इधर जिस वक्त मम्मी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी। तो दूसरी तरफ उसी वक्त मै कमरे से निकल कर अपने भाई के कमरे की तरफ आ गई थी।

जब आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची। तो मेरी नज़र अपने भाई पर पड़ी। जो इस वक्त चाय का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी मम्मी के गरम जिस्म को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

मै कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से अपने भाई के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर स्टोर में मौजूद मम्मी को मेरी बरामदे में मौजूदगी का अहसास नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से मेरी नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

सुनील को अपनी बहन के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी मम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड, आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" मेरे दिल में ख्याल आया।

मेरी नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो मेरी नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी मम्मी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में लगी थी।

अपनी मम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे भाई का लंड अपनी सग़ी मम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है" मैने अपनी मम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

अपने भाई की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर मुझ को यकीन नही हो रहा था कि जो देख रही है। वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान सुनील अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । तो मेरी नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी मम्मी की तरफ गई।

इधर मम्मी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।
अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख मम्मी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर मम्मी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए सुनील का ध्यान मम्मी से हटा। तो स्टोर में मौजूद मम्मी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने सुनील के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ मम्मी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो मम्मी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

ये तो मम्मी की सिसकी की आवाज़ है अपनी मम्मी को यूँ अपने बेटे के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर मैने राहत की सांस ली, मेरे घर में घूम रहे हवसी सांड को अब मेरी मम्मी जैसी दुधारू गाय चढ़ने के लिए मिल गयी। और मैने ठान लिया बस अब जो भी हो कल जो लड़का मुझे देखने आ रहा है, चाहे जैसा भी हो मुझे उसके साथ शादी कर इस रण्डी खाने से बहुत दूर चले जाना है मै अपनी मम्मी की इस हरकत पर अंद्रूनी शर्मीदा हो गई। और जोर से खासते हुए आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई छत पर चली गई।

नेक्स्ट डे........सगाई के दिन घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी। आखिर वो दिन भी आ गया था जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार संजय को देखा, संजय सच में मुझसे कम सुंदर, उम्र में बड़ा और जोड़े में मैच नही खा रहा था। चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे और पैसा सभी कमियाँ छिपा देता है, अच्छी बात ये थी कि
वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी भी मेरे लिए भेजी।


बुजुर्गों की तरफ से तो रिश्ता तय हो चुका था. कुंडली मिलान, लेनदेन सब कुछ. बस, अब सब लड़का लड़की की आपसी बातचीत पर निर्भर था. बुजुर्गों ने तय किया कि लड़का लड़की आपस में बात कर एकदूसरे को समझ लें. कुछ पूछना हो तो आपस में पूछ लें. और हमें छत पर एकांत में भेज दिया गया.


संजय को शांत देख मैने कहा, ‘‘आप कुछ पूछना चाहते हैं?’’ संजय शरमीला था. संस्कारी परिवार से था. उस ने कहा, ‘‘नहीं, बुजुर्गों ने तो सब देख परख लिया है. उन्होंने तय किया है तो सब ठीक ही होगा. आप दिखने में अच्छी हैं. मुझे पसंद हैं, बस इतना पूछना था कि…’’ संजय पूछने में लड़खड़ाने लगा तो मुझ जैसी चुप छिनार, दुनियादारी की पढाई पढ़ी हुयी सभ्य, खेली खाई, हद से ज्यादा संस्कारी लड़की ने हँस कर कहा.....


‘‘पूछिए, निस्संकोच पूछिए, आखिर हमारी आप की जिंदगी का सवाल है.’’


संजय ने पूछा, ‘‘यह शादी आप की मरजी से… मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप राजी हैं, आप खुश हैं न.’’


‘‘हां, मैने बड़ी सरलता और सहजता से कहा. नहीं होती तो पहले ही मना कर देती.’’


संजय चुप रहा. अब मैने कहा, ‘‘मैं भी कुछ पूछना चाहती हूं आखिर मेरी भी जिंदगी का सवाल है. उम्मीद है कि आप बुरा नहीं मानेंगे.’’


‘‘नहीं नहीं, निस्संकोच पूछिए,’’ संजय ने कहा. वह मन ही मन सोचने लगा, ‘लड़की पढ़ी लिखी है तो तेज तो होगी ही लेकिन इतनी बिंदास और बेबाक.’


‘‘आप का शादी के पहले कोई चक्कर, मेरा मतलब कोई अफेयर था क्या?’’


‘‘क्या,’’ संजय ने मेरी तरफ देखा.


‘‘अरे, आप घबरा क्यों गए? अमीर घराने से हो. इश्क वगैरा का शौक हो जाता है. इस में आश्चर्य की क्या बात है? सच बताना. एकदूसरे से क्या छिपाना?’’


‘‘जी, वह एक लड़की से. बस, यों ही कुछ दिन तक. अब सब खत्म है,’’ संजय ने झेंपते हुए कहा.


‘‘मेरा भी था,’’ मैने बेझिझक कहा. ‘‘अब नहीं है.’’


वो मेरा मुंह ताकने लगा.


‘‘क्यों, क्या हुआ? जब आप ने कहा तब
मैंने तो ऐसा रिएक्ट नहीं किया जैसा आप कर रहे हैं. आप ने तो पूछने पर बताया, मैं ने तो ईमानदारी से बिना पूछे ही बता दिया.’’


‘‘अच्छा, यह बताओ कि फैमिली बिजनेस ही संभालते हो या कोई और भी काम धंधा करते हो????


फेमिली बिजनिस् तो पूरा पापा और बड़ा भाई ही देखते हैं, मै तो अभी अभी फैक्ट्री में जाना शुरु किया है।


महीने में कितना कमा लेते हो?’’ मैने आगे पूछा.


‘‘जी, पापा 10 हजार रुपए.’’ खर्चा के देते है।


‘‘मैंने वेतन नहीं पूछा, टोटल कमाई पूछी है.’’
‘‘जी,‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’’’ संजय ने आश्चर्य से कहा.


‘‘फिर घर कैसे चलाएंगे 10 हजार रुपए में, खासकर शादी के बाद. कम से कम 5 हजार रुपए तो मेरे ऊपर ही खर्च होंगे. क्या शादी के बाद अपनी पत्नी को घुमाने नहीं ले जाएंगे. बाजार, सिनेमा, कपड़े, जेवर वगैरावगैरा.’’ संजय बेचारे के तो होश गुम थे. अच्छाखासा इंटरव्यू हो रहा था उस का. अब उसे लड़की बड़ी बेशर्म और उजड्ड मालूम हुई.


‘‘अच्छा, पापा से पगार बढ़ाने की बात बोलनी पड़ेगी.......... मै हंस कर बोली.


‘‘जी, बिलकुल.’’


फिर मैंने कहा, ‘‘देखो, शादी के बाद मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए. अपनी मां भाभी को पहले ही समझा कर रखना. मुझे सुबह आराम से उठने की आदत है और हां, शादी के बाद अकसर लड़झगड़ कर लड़के अलग हो जाते हैं. और सारी गलती बहुओं की गिना दी जाती है. सो अच्छा है कि हम पहले ही तय कर लें कि किसी भी बहाने से बिना लड़ाईझगड़े के अलग हो जाएं. दूसरी बात रही पहनावे की तो मुझे साड़ी पहनने की आदत नहीं है. कभी शौक से, कभी मजबूरी में पहन ली तो और बात है. मैं सलवारसूट, पहनती हूं और घर में बरमूड़ा, रात में नाइटी. बाद की टैंशन नहीं चाहिए, यह मत पहनो, वह मत करो, पहले ही बता देती हूं कि पूजापाठ मैं करती नहीं.’’


मै कहे जा रही थी और संजय सुने जा रहा था. संजय को लगा कि वह भी क्या समय था कि जब लड़की लजाते, शरमाते उत्तर देती थी, हां या न में. लड़का पूछता था, खाना बनाना आता है, गाना गाना जानती हो, कोई वाद्ययंत्र गिटार, सितार वगैरा बजा लेती हो, सिलाईबुनाई आती है, मेरे मातापिता का ध्यान रखना होगा और लड़की जीजी, हांहां करती रहती थी और अब जमाना इतना बदल गया.


उसे तो यह लगा मानो वह साक्षात्कार दे रहा हो. यह भी सही है कि अधिकतर जोड़े शादी के बाद अलग हो जाते हैं. दुल्हनें अपनी मांगों पर अड़ कर परिवार के 2 टुकड़े कर देती हैं. फिर अपनी मनमरजी का ओढ़नेपहनने से ले कर खाने में नमक, मिर्च कम ज्यादा होने पर सासबहू की खिचखिच शुरू हो जाती है. यह कह तो ठीक ही रही है, लेकिन शादी से पहले ही इतनी बेखौफ और निडर हो कर बात कर रही है तो बाद में न जाने क्या करेगी? यह तो नीति और मर्यादा के विरुद्ध हो गया. अभी पत्नी बनी नहीं और पहले से ही ये रंगढंग. संजय तो फिर लड़का था.

उस ने भी कहा, ‘‘शादी से पहले का भी बता दिया और शादी के बाद का भी. तुम से शादी करने का मतलब मांबाप, भाईबहन सब छोड़ दूं, तुम्हारे शौक पूरे करता रहूं. कर्तव्य एक भी नहीं और अधिकार गिना दिए. यह क्या बात हुई?’’

मैने कहा, ‘‘जो होता ही है वह बता दिया तो क्या गुनाह किया. सच ही तो कहा है, इस में क्या जुर्म हो गया.’’

‘‘यह कोई तरीका है कहने का. यह कहती कि तुम्हारा घर संभालूंगी, बड़ेबूढ़ों का आदर करूंगी, सब का ध्यान रखूंगी तो अच्छा लगता.’’

‘‘ये सब तो आया के काम हैं. बाई है घर पर काम वाली या हमेशा मुझ से ही सब करवाने के चक्कर में हो. धोबिन भी मैं, बरतन, झाड़ूपोंछा वाली भी मैं. पत्नी चाहिए या नौकरानी,’’

संजय भी उत्तर देने लगा, ‘‘क्या जो पत्नियां अपने घर का काम करती हैं वे नौकरानी होती हैं?’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए,’’ मैने अपनी हंसी दबाते हुए कहा. अमीर फैमिली से हो, कमाई तो होगी ही. फिर मेरे पिता दहेज में वाशिंग मशीन तो देंगे ही, कपड़े धुलाई का काम आसान हो जाएगा. मैं तो कुछ बातें पहले से ही स्पष्ट कर रही हूं जैसे मुझे 3-4 सीरियल देखने का शौक है और उन्हें मैं कभी मिस नहीं करती. अब ऐसे में कोई काम बताए तो मैं तो टस से मस नहीं होने वाली, अपने दहेज के टीवी पर देखूंगी. चिंता मत करना. किसी और के मनपसंद सीरियल के बीच में नहीं घुसूंगी.

संजय के चेहरे के बदलते रंग को देख कर मैने कहा, ‘‘आप को बुरा तो लग रहा होगा, लेकिन ये सब नौर्मल बातें हैं जो हर घर में होती हैं. मेरी ईमानदारी और साफगोई पर आप को खुश होना चाहिए और आप हैं कि नाराज दिख रहे हैं.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं हूं ना मुझे कुछ कहना है,’’ संजय ने कहा.... . !

‘‘हां, मुझे गोलगप्पे, चाट, पकोड़ी खाने का बड़ा शौक है, कम से कम हफ्ते में एक बार तो ले ही जाना होगा.’’ मै बोले जा रही थी, बोले जा रही थी. बेवकूफ थी, कमअक्ल थी. समझ नहीं आ रहा था संजय को.

मैने फिर पूछा, ‘‘सुनो, तुम शराब, सिगरेट तो नहीं पीते. तंबाकू तो नहीं खाते.’’

‘‘जी…जी…’’ संजय की जबान फिर लड़खड़ाई.

‘‘जी…जी, क्या हां या नहीं,’’ मैने थोड़े तेज स्वर में पूछा.

अब आप ने इतना सच बोला है तो मैं भी क्यों झूठ बोलूं. कभीकभी दोस्तों के साथ पार्टी वगैरा में. संजय ने जबाब दिया।

‘‘देखो, मुझे शराब और सिगरेट से सख्त नफरत है. इस की बदबू से जी मिचलाने लगता है. तंबाकू खा कर बारबार थूकने वालों से तो मुझे घिन आती है. सब छोड़ना होगा. पहले सोच लो.

संजय ने एक लंबी सांस ली और कुछ शर्ते, नियम कहना बांकी रह गया हो तो वो भी बता दीजिये..... रेखा जी...??

उस समय संजय की शकल देखकर मुझे हँसी आ गयी। ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म नही और कुछ नहीं बस मेरे को जो जानना था जान लिया और आपको कुछ और पूछना हो तो आप पूछ सकते है.....???

नही जी मुझे भी नही पूछना... संजय भी मुस्कुरा कर बोला।

तो फिर चले नीचे...???? और हम दोनों नीचे आ गये। सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और भविष्य के सपनो का आनन्द लेने लगी।

हम दोनों की 15 दिन बाद शादी की बात पक्की हो चुकी थी तीन चार दिन बाद फोन पर देर तक रातों में बातों का दौर भी शुरु हो गया था, इसलिए संजय ने मुझ से मिलने की जिद की, जिसे मैने मान लिया।

मैंने संजय को फोन किया और उसे सन् सिटी माल पर बुलाया, जब मैं संजय से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि संजय को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था। मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की और घर में घूम रहे भाई रूपी सांड से गांड मराने की जरुरत नहीं होगी।

कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने संजय से विदा मांगी तो संजय बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम share ऑटो में जाओ, अच्छा नहीं लगता !

संजय ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी। मैं और संजय पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था। सबसे पहले संजय ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी संजय मुझे सॉरी बोलने लगा।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ।

इसके बाद संजय मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ। ह्म्म्म..... थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, संजय शरमा रहा था इसलिए मैने खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया। उस शाम में ही मैंने संजय को अपना दीवाना बना दिया था।

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।
Esa lgta hai jaise Sanjay shadi krne Rekha ko apne sath ni blki Rekha shadi krke Sanjay ko apne sath lee jaane ki tyarri me hai 😉😉😉😉😉😂😂😂😂
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Chahe jo bi kho lekin Rekha rani ji aapne Sanjay or Rekha ka interview bhot mast likha hai mjaa aagya such me mujhe wo bi bhot jada😂😂😂
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Jbki is trf Maa or Beta Wasnaaa ki aag me dono jll rhe hai pr himmat ni ki samnee bol de ek dosre ko (mujhe to lgta hai inka kuch ni hoskta hai kbi)
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Are Rekha rani ji update pdte time mujhe ek bat yaad aagy Rekha ka FUFFAAA wo bi to aayga Rekha ki shadi me tb ky hoga 😉😉😉😉 kuch to socha hoga aapne bi😉😉
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Ye Sunil ekdum tharki pnee me utrane ki tyarri me hai bevkoof hawas ki aag me andha hoke khe koi glt kaand na krde
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Waise bi Rekha or Sanjay shadi se pehle ek dosre ke sath time acha bita rhe hai ya shyad ek dosre ko or jada smj rhe hai
.
Very well update Rekha rani ji bhot enjoy Kia aaj ke update ko maine
 

MAD DEVIL

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लण्डबाज रे , हाअय्य लण्डबाज रे
तोरे नैना बड़े लण्डबाज रे !

संजय जी की ढलती जवानी vs रेखा की मदमस्त गर्माहट
नतिजा: संजय का BDSM :lol:

अर्ज किया है .... बस मुलायजा फरमाइयेगा ;)
संजय जी के लिए खास है :D

कि निचोडलेगी डालेगी वो तुझे चूसे आम के जैसे -
और तुम बिलबिलाये हुए रेंग भी ना पाओगे
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो
तुम क्या सोचते हो दीमक ना आयेंगे इनपर
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो , क्या सोचते हो जमाने भर के दीमक ना आयेंगे इनपर

अरे चाट कर तार तार कर जायेंगे इज्जत तुम्हारी और तुम झान्ट नही कुछ उखाड़ पाओगे :lol:
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Bhot badiya 😉😉
 

MAD DEVIL

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खुला खाना और नंगा नहाना,..,यो ही स म्हारा हरियाणा।


याद राखियों या बात रे ::::::: लुगाई ओर दारू कुछ बी करवा सके है!!!!!!😜

रेगिस्तान भी हरे हो जाया करै
जब मेरे यार गैल खड़े हो जाया करै
ईबे तो entry ए मारी थी आगे आगे देखियो
के के होवेगा।


आपकी कविता पढ़ कर आपका भ्रम दूर करने के लिए अर्ज किया है...

रांडे 2 ढ़ाल के होते हैं
1. आस राण्डा
2. ख़ास राण्डा
‪आस_राण्डा‬ : 30 साल तक के माणस जिनके ब्याह की आस है
‪ख़ास_राण्डा‬ : 30 साल पाच्छे के रांडे ख़ास रांडे होते हैं कती छँटे होड़ …..
कती पिछणे होड़

आस कती ख़त्म ना होया करे रांडे की आस पूरी उम्र रह्या करे 😜😂
Wah ji wah wah ji wah😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
.
Such me esa lgta hai JLTA BOMB bi gulaab ka phool ho😉😉😉

joker-icegif-10
 
Last edited:

MAD DEVIL

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मुझसे भूल हुयी... Sorry.... ज्यादा लंबा gafe हो जाता update में जिससे भटकाव हो गया, भूल सुधार कर अगले update में लिखने का प्रयास जारी है, इसी तरह गलतिया बताकर सिखाते रहिये।

धन्यवाद 🙏
Koi na Rekha rani ji
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WAISE BI
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GLTI KRNA HE
INSAAN KA PRAM DHRAM HAI😉😉😉
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ye bat kisi mahaan insaan ne khe thi
Bs mujhe uska name ni pta 😉😉😉😉🤪🤪🤪
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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अध्याय - 45

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। पापा कार्ड बाँटने आसपास के शहरों में रिश्तेदार के यहाँ गये थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी ना हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।

सुनील ने मम्मी को लिफ़ाफ़े के अंदर एक तस्वीर देते हुए कहा कि मम्मी रेखा के लिए ये जो रिश्ता सब ने मिलकर तय किया है वो लड़का मुझे पसंद नहीं है, इसलिए ये रिश्ता तोड़ दो अभी भी ज्यादा देर नही हुयी है और अपनी रेखा के लिए मैने जो लड़का चुना है उसकी तस्वीर इस लिफ़ाफ़े में है।एक बार अच्छे से देख कर जल्द फैसला कर सब घरवालो को बता दो।

मम्मी ने सुनील के हाथ से लीफाफा ले कर खोल कर देखने लगी और उसमें रखी हुयी तस्वीर देख कर मम्मी की आँखों के साथ साथ गांड फट गयी। और उस तस्वीर को एक झटके से दूर फेंक दिया। सुनील ये क्या मजाक है, बावली गांड पागल हो गया है क्या....???

मम्मी अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि काश ये सब एक भयानक मज़ाक हो और काश सुनील उसे ये कह दे कि उसने इस किस्म की कोई बात नहीं कही।

सुनील ने मम्मी की फैंकी हुई अपनी और अपनी बहन रेखा की फोटो को फर्श से उठाया और उन को हाथ में ले कर बहुत गौर से देखने लगा। मगर उस ने अपनी मम्मी की बात का कोई जवाब ना दिया। अपनी जवान बहन के मोटे और भरे मम्मो को तस्वीर में देख कर सुनील की आँखों और मुँह पर एक मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट फैलती चली गई ।

अपने बेटे के खामोशी और उस के चेहरे पर मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट को देख कर मम्मी का दिल पहले से ज़्यादा डोलने लगा और सुनील से कोई जवाब ना पा कर वह दुबारा चीखी " सुनील खामोश क्यों हो, कुछ तो बको और मुझे बताओ कि ये सब चूतियापा क्या है?"

"क्यों मम्मी आप को अपनी बेटी के लिए मेरा रिश्ता पसंद नहीं आया क्या?" सुनील अपनी शैतानी आँखों को मम्मी की आँखों में डालते हुए, इतनी बड़ी बात बड़े आराम और होसले से कह गया।

"क्या बकवास कर रहे, तुम! होश में तो हो अपने बेटे की बात सुन कर मम्मी का सर चकराने लगा और उसे यूँ महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उस के पावं तले से ज़मीन खैंच ली हो।

"हाँ मम्मी जी ये बात सच है, आप सब ही तो मुझे बार-बार शादी करने पर मजबूर कर रही थी ना" सुनील ने बड़े सकून से मम्मी को जवाब दिया।

" सुनील लगता है तुम पागल हो चुके हो, मेने तुम को किसी दूसरी लड़की से शादी करने का कहा था और तुम अपनी ही सग़ी बहन के साथ ये गंदी हरकत करने का सोचने लगे, तुम जानते हो कि ये बात ना सिर्फ़ ना मुमकिन ही नहीं बल्कि हमारे देश में सगी बहन से ब्याह करना गुनाह भी है बेटा"

मम्मी ने जब सुनील को इस तरह बेझिझक अपनी ही सग़ी बहन से शादी करने की बात करते सुना। तो उसे यकीन हो गया कि उस का बेटा जवानी की गर्मी और जिस्मानी तौर पर पागल हो चुका है। इसीलिए वह इस तरह की बहकी-बहकी बातें करने लगा है।

"क्यों ना मुमकिन है ये बात, आप ही बताएँ क्या कमी है मुझ में, जवान हूँ और मेरी कमाई से ही पूरा घर पल रहा है, तो आप को तो खुश होना चाहिए अपनी बेटी के लिए मेरे इस रिश्ते पर मम्मी" उस ने मम्मी के नज़दीक जाते हुए कहा।

अपने बेटे के मुँह से इस तरह की वाहियात बातें सुन कर मम्मी का मुँह गुस्से से लाल पीला हो गया और उस ने अपने नज़दीक पहुँचे हुए बेटे के मुँह पर ज़ोर दार किस्म के थप्पड़ो की बरसात कर दी। अपने मुँह पर पड़ते अपनी मम्मी के थप्पड़ो को नहीं रोका और चुप चाप खड़ा अपनी मम्मी से मार ख़ाता रहा। वो खुद चाहता था कि जब उस की मम्मी दिल भर कर अपने अंदर का गुस्सा उस पर निकाल लेंगी। तो फिर ही वह उन से सकून से बात चीत करेगा।

जब मम्मी अपने बेटे के मुँह पर तमाचे मारते-मारते थक गई. तो वह पास पड़े सोफे पर बैठ कर रोने लगी। सुनील भी अपनी मम्मी से मार खाने के बाद खुद भी उन के सामने पड़े सोफे पर जा बैठा और अपनी मम्मी के चुप होने का इंतिज़ार करने लगा।

कुछ देर बाद जब मम्मी रो-रो कर थक गई. तो सुनील अपने सोफे से उठ कर मम्मी के पास जा बैठा और उन के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से अपने गले से लगा लिया।

मम्मी आज अपने बेटे की बातें सुन कर उस से नफ़रत करने लगी थी। इसीलिए वह सुनील के हाथ को झटक कर तेज़ी से उठी और दूसरे सोफे पर जा बैठी। और अपनी आँखों में आते हुए आँसुओं को पोन्छते हुए कहा " सुनील ये सब क्या है और "तुम को ऐसी घटिया बात सोचते हुए भी शरम आनी चाहिए, मुझे तो शरम आ रही है तुम को अपना बेटा कहते हुए" मम्मी ने अपने बेटे को कोसते हुए कहा।

"मम्मी चाहे आप कुछ भी कहो में अब शादी करूँगा तो सिर्फ़ रेखा से वरना नही" सुनील अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा।

सुनील अब अपनी बहन की मोटी फुद्दि को हासिल करने के लिए पूरी तरह तुला हुआ था।और अपनी बहन की जवान गरम और प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डालने के लिए उसे चाहे कोई भी हद क्रॉस क्यूँ ना करनी पड़े वह उस पर अब आमादा हो चुका था।

वो अब तक ये समझ रहा था। कि वो किसी ना किसी तरह से अपनी मम्मी को ये सब काम करने पर राज़ी कर लेगा। लेकिन जब उस ने देखा कि घी सीधी उंगली से नही निकल रहा। तो उसे पहली बार अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आया।

"में आप को सोचने के लिए रात भर की मोहलत देता हूँ मम्मी,में चाहता तो ये ही हूँ कि रेखा को बीवी बनाने में आप की रज़ामंदी शामिल हो, लेकिन अगर आज रात के बाद आप ने फिर भी मेरी बात ना मानी,तो फिर में ना सिर्फ़ रेखा को इस घर से भगा कर ले जाऊंगा, बल्कि में आप से ये मकान,जायदाद और सारा रुपैया पैसा भी छीन कर आप को कोड़ी कोड़ी का मोहताज कर दूँगा, और आप कुछ भी नही कर सकेगीं" सुनील ने पहली बार अपनी ही मम्मी को धमकी देते हुए गुस्से में कहा।

ये कह कर वो गुस्से में उठ कर घर के दरवाजे की तरफ चला गया।

मम्मी अपने बेटे का ये रूप देख कर ख़ौफ़ से कांप गई अपने बेटे की सारी बातें सुन कर मम्मी को तो समझ ही नहीं आ रही थी। कि ये सब क्या हो रहा है। इसीलिए वो अपने सर पर हाथ रख कर "सुन्न" हालत में सोफे पर ही बैठी रही और अपने आँसू दुबारा बहाने लगी।

मम्मी तो अपने बेटे से छुप छुप कर अपनी चूत मरवाने के चक्कर में थी। मगर उसे क्या पता था कि उस का बेटा अपनी बहन को अपनी दुल्हन बना कर अपने हमेशा हमेशा के लिए अपने पास ही रख कर चोदना चाहता है। इसीलिए अपने बेटे का प्लान सुन कर ही ख़ौफ़ के मारे मम्मी के पसीने छूटने लगे थे।


दूसरी तरफ मै जब घर के अंदर दाखिल हुयी सुनील तो जैसे अपनी बहन के आने के इंतज़ार में ही बैठा था।

"भाई सब ख़ैरियत है ना घर में, मम्मी किधर है,क्या हुआ?" मैने घबराई हुई आवाज़ के साथ एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ डाले।

"उफफफ्फ़! मेरी लाडली सब कुशल मंगल (अमन शांति) है तुम चिंता मत करो" सुनील अपनी "माशूक" बहन की आवाज़ सुन कर चहक उठा। और बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में बोला।

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था और अंदर मम्मी के पास जाकर बैठ गयी फिर मम्मी ने मुझ को अपने और सुनील के दरमियाँ होने वाली सारी बात डीटेल से बता दी।

" साला बेहनचोद भैया" मम्मी के मुँह से सारी बात सुन कर मै पहले से ज़्यादा
परेशान हो कर गाली देते हुए रोने लगी। और कुछ देर सोफे पर बैठी अपने आँसू बहाती रही। और फिर जब थक गई तो अपने कमरे में चली आई।

उधर मम्मी ने पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलते और सोचते सोचते और रोते रोते ही गुजार दी। अपने ख्यालों में मगन हो कर अपनी जिंदगी पर नज़र दौड़ाते दौड़ाते मम्मी को वो वक्त याद आने लगा। जब उस के बेटे ने दिन रात मेहनत कर अपने घर का ना सिर्फ़ बोझ उठा रहा है। साथ ही साथ मम्मी को आज सुबह की बाथरूम वाली बात भी याद आ गईं। जब मम्मी ने अपनी जिस्मानी प्यास से मजबूर हो कर अपने बेटे के लंड को याद कर अपनी गरम चूत से खेल खेलना शुरू किया था।

अपने बेटे के लंड को देख कर उसी वक्त ही मम्मी को अंदाज़ हो गया था। कि उसके जवान बेटे के जिस्म में बहुत गर्मी छुपी हुई है। जिस के लिए उसे एक ऐसी चूत की ज़रूरत है। जो उस के बेटे के प्यासे जवान बदन की गर्मी को अच्छी तरह से संभाल सके।

ये बात सोचते सोचते पहली बार मम्मी के दिल में ख्याल आया। इसमे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है । अपने बेटे से अपनी चूत की प्यास बुझाकर मै अपनी बेटी की शादी बेजिझक कर सकती हू। तो इस में कोई हैरानगी तो नही।

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ में ये क्या सोचने लगी हूँ" मम्मी के दिमाग़ में ज्यूँ ही ये बात आई। तो उस ने फॉरन अपने आप को कोसा।

(कहते हैं कि "विपरीत काले मर्यादा त्यागते " इंसान का जब बुरा वक्त आता है तो इंसान आहिस्ता आहिस्ता बुरे भले की तमीज़ खो बैठता है।)

"ज्यूँ उम्र बढ़ती गई,

बदनामी चढ़ती गई..!!"

इसीलिए मम्मी के लिए अब बेहतर ये है कि, अपने बेटे के साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर एक दूसरे की जरूरत पूरी करे।

अपनी इस सोच को जस्टिफाइ करने की खातिर वो सोचने लगी। कि अगर मम्मी और फूफा के नाजायज़ ताल्लुक़ात के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं हुई। तो फिर मम्मी और सुनील के साथ जिस्मानी संबंध के बाद अपने ही घर में दोनों माँ बेटे का पति पत्नी की तरह से एक साथ रहने का ईलम बाहर की दुनिया को कैसे हो सकता है।

इन सब बातों पर सोचते-सोचते मम्मी ने अपने दिल को अपने बेटे के साथ बदलते रिश्ते पर राज़ी किया और फिर उस की आँख लग गई।

अगले दिन सुबह जब मम्मी की आँख खुली। टट्टी पोट्टी से फ्री होने के बाद मम्मी ने रात वाले अपने फ़ैसले पर एक बार फिर गौर किया और उस के बाद उस ने अपने कदम अपने बेटे के कमरे की तरफ बढ़ा दिया।

कमरे में मौजूद सुनील ने जब अपनी मम्मी को अपने कमरे में आते देखा। तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

बेटा " मम्मी ने ना चाहते हुए भी थोड़ा प्यार से से कहा।

सुनील तो अपनी मम्मी से गालियाँ और कड़वाहट सुनने को तैयार बैठा था। मगर मम्मी का ये धीमा लहज़ा सुन कर उस को बहुत हेरानी हुई।

" बेटा एक बात पूछूँ अपनी मम्मी के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा? तू अपनी से बहन और मम्मी में से किससे ज्यादा प्यार करता है " मम्मी ने बहुत सुकून भरे अंदाज़ में सुनील से पूछा।

"बेशक मम्मी आपसे" और वो भी बड़े ही प्यार से जबाब देते हुए बोला... अपनी मम्मी के मुँह से गुस्से भरी गालियों की बजाय प्यार की बात सुन कर सुनील समझ गया वाकई ही उसकी बातों का कोई जादू है।जो मम्मी एक रात में ही इतना बदल गई हैं।

बेटा जब तू अपनी मम्मी से इतना प्यार करता है तो फिर अपना प्यार अपनी बहन पर क्यो जाया करने की सोच रहा है.. मै तुझे वो सब कुछ दे सकती हू जो तुझे चाहिए। क्या तुझे अपनी मम्मी के साथ प्यार करने में और बीबी बनाने में कोई ऐतराज है....??

"मम्मी तो किसी भी जवान लंड के इंतज़ार में अपनी चूत का पानी बर्बाद कर रही थी।और फिर अपने ही सगे बेटे के मोटे सख़्त और बड़े लंड के दर्शन करने के बाद। तो उस की फुद्दि अपने बेटे के लंड को अपने अंदर काबू करने के लिए बेचैन होने लगी थी।"

इस हालत में जब उस की अपनी मम्मी की गरम और प्यासी चूत ही उसे अपने साथ चुदने की इजाज़त देने पर आमादा हो गई थी। तो "अंधे को क्या चाहिए दो आँखे" वाली मिसाल को ज़हन में रखते हुए सुनील को "हां" करने में भला क्या ऐतराज हो सकता था।

इसीलिए खुशी के आलम में उस ने फॉरन कहा "जैसे आप की मर्ज़ी मम्मी मुझे कोई ऐतराज नही"।

मम्मी को भी अपने मूसल लंड धारी बेटे से इसी जवाब की उम्मीद थी।

बहरहाल अपनी मम्मी के फ़ैसले को सुन कर सुनील का लंड उस की पॅंट में फुल खड़ा हो गया और उस ने एक हाथ से अपने लंड को मसल्ते हुए मम्मी से कहा "तो अब जल्दी ही प्यार की बरसात करो ना जान। अब तुम्हारे इस आशिक़ से तुम्हारी चूत की दूरी बर्दाश्त नहीं होती" ।


"में जल्द ही बरसूँगी मगर इस के लिए मेरी दो शर्ते होंगी मेरे लाडले" मम्मी ने इठलाते हुए अपने आशिक़ बेटे की बात का जवाब दिया।


"शर्तें, केसी शर्तें मेरी जान?" सुनील ने भी उसी अंदाज़ में अपनी मम्मी से पूछा।


"पहली शर्त ये कि मेरी जब तक रेखा की विदा इस घर से नही हो जाती तब तक तुम रेखा के साथ साथ मुझे हाथ नहीं लगाओगे और दूसरी शर्त ये कि मुझे अपनी बीवी बनाने के बाद अपनी बहन रेखा को कभी चोदने की नहीं सोचोगे" मम्मी ने अपने बेटे को अपनी दोनों शर्ते बता दीं।


"हाईयययययययी! कुर्बान जाऊँ में अपनी शहज़ादी के, तुम अभी मम्मी से बीवी बनी भी नहीं और बीवियों वाले हुकम पहले ही चलाने शुरू कर दिए हैं मेरी जान!" अपनी मम्मी की दूसरी शर्त सुन कर सुनील की हँसी निकल गई और वह बोला।


"में मज़ाक नहीं कर रही बेटा, अगर तुम को मेरी ये शर्ते मंजूर हैं तो बताओ।


"अच्छा जैसे मेरे दिल की रानी कहेगी में वैसे ही करूँगा बाबा, वैसे भी जिस बेटे को तुम जैसी भरी हुए मस्त बदन और जनम-जनम की प्यासी चूत वाली मम्मी चोदने को मिल जाय, तो उस का लंड किसी और की चूत में कैसे जाएगा जानू"? सुनील ने अपनी मम्मी को मक्खन लगाते हुए जवाब दिया।


"ठीक है मै कुछ दिन बाद रेखा की शादी होने के बाद तेरे लिए खास प्रोग्राम बनाती हूँ" मम्मी ने अपने बेटे को कहा और कमरे से बाहर आ गई।


हाय मेरी प्यासी मम्मी इंतजार तुम्हारा मरने तक करेंगे बस तुम किसी और से मरवा कर मत आ जाना.... सुनील मम्मी की चलते हुए उछलती हुयी गांड देख कर अपना लंड मसलते हुए बोला।


माँ बेटे तो अपनी अपनी जुगाड़ फिक्स कर अपने काम धंधे में लग गये जबकि मै बिना कुछ खाए पिए सारा दिन अपने बिस्तर पर बीमार बन कर पड़ी रही। शाम को जब सुनील घर वापिस आया। तो वो होटेल से अपने और अपनी मम्मी के लिए स्पेशल खाना ले आया।


जब मम्मी ने मेरे कमरे में आ कर मुझ को खाना दिया। तो मैने उसे खाने से इनकार कर दिया। मम्मी ने मुझ को अपनी भूक हड़ताल ख़तम करने का कहा। मगर मै भी अपनी ज़िद पर कायम रहीं।


आख़िर काफ़ी देर बाद थक हार कर मम्मी ने मुझको मेरे हाल पर छोड़ा । और खुद माँ बेटे प्यार से खाना खाने लगे। मम्मी के जाने के बाद काफ़ी देर तक मैने कमरे में रखे खाने की तरफ नज़र उठा कर भी ना देखा। मगर जो भी हो मै एक इंसान थी। जो कि कल शाम से भूकी भी थी।


इसीलिए आख़िर कार कुछ देर बाद जब भूक मेरे लिए लिए ना काबले बर्दास्त हो गई। तो मुझ को उठ कर प्लेट में पड़ा खाना खाना ही पड़ा।


एक कहावत है कि:-


"तिढ़ ना पाया रूठेआं ते सबे गुलान ख़ुतेआं।"


(कि जब तक पेट में रोटी ना जाय उस वक्त तक इंसान को कोई बात नही सूझती।)


इसीलिए दो दिन की भूकि मुझ को पेट भर कर खाना मिला। तो मेरे दिल और दिमाग़ को भी कुछ सकून मिला और मैने ठंडे दिल से कुछ सोचना शुरू कर दिया। और काफी सोच समझने के बाद मैने घर से भाग जाने का फैसला किया।


अगली सुबह मै बावली गांड सी छोरी सिर्फ पहने हुये कपड़ो में सीधा रेलवे स्टेशन पहुँच गयी और स्टेशन पर से ही संजय को फोन लगा कर कहा जल्दी से रेलवे स्टेशन आ जाओ नही तो मै ट्रेन के नीचे कूद कर अपनी जान दे दूँगी। संजय पागलो की तरह मुझे ढूँडनता हुआ दस मिनिट में स्टेशन पर आ गया और उसे सामने देखकर मै रोते हुए उसके सीने से चिपक गयी।


संजय दो मिनिट तक मुझे सीने से चिपकाए रहा और मुझे चुप कराता रहा। आँखो के सारे आँसू बह जाने के बाद मै उसके सीने से दूर हो कर कुर्सी पर बैठ गयी। उसने कहा रेखा क्या हुआ है...??? क्या प्रोबलम है कुछ बताओ तो सही...???


मेरे पास उसके सवाल का कोई जबाब नही था क्योकि मेरा सगा भाई मेरे लिए गुप्त रोग बन गया था और गुप्त रोग ना किसी को बता सकते है और ना ही छिपा सकते है। उसने दोबारा वही सवाल किया... ?? ?


संजय तुम मुझसे अभी शादी कर अपने घर ले जा सकते हो इस बार मैने उसके सवाल का जबाब दिया। वो कुछ देर सोचता रहा और बोला रेखा हमारी शादी वैसे भी तीन चार दिन बाद हो ही रही है फिर इस तरह भागकर शादी क्यो ही करना....???

नही मुझे तुमसे शादी अभी करनी है और तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जाना है.... मैने इस बार बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा।

रेखा कोई भी लाग लपेट किये बिना मै सीधा जवाब दूंगा। तुम्हारे इस तरह भाग कर शादी करने के फैसले पर तुम्हारे पापा पर क्या बीतेगी ये सोचा है...... वो अपनी बेटी की शादी समाज के बीच रीति रिवाजों से करने का सपना सजाये हुये अपने रिश्तेदारों में आसपास के शहरों में कार्ड बाटने गये है जब वो वापस आयेंगे तो लोग समाज रिश्तेदार उनसे पूछएंगे..... बेटी को भाग कर शादी क्यों करनी पड़ी?

बाप पे जो गुजरेगी उस से अधिक उस बेटी पे गुजर रही होगी जिसको अपने ही पिता से भाग कर अपना जीवनसाथी चुनना पड़ा जिसका उसे हक़ था। ये सवाल समाज, रिश्तेदार, बांकी लोग ये क्यों नही पूछते...?? मै संजय को जबाब देते हुए बोली।

रेखा घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है, आसपास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है। भारत का एक सामान्य पिता अपनी बेटी के प्रेम से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के भाग जाने से! संजय मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर समझाते हुए बोला।

संजय की कुछ कुछ बातें मेरे समझ में आ रही थी। तो मुझे अभी क्या करना चाहिए.. ???

सबसे पहले तो मुझे ये बताओ आखिर प्रोबलम क्या है तुम्हारी...?? संजय का सवाल वही अटका था। जिसका सच्चा जबाब (मेरा सगा भाई मेरी चूत पाने के चक्कर में मुझसे शादी करने की कह रहा है) सुनकर वो शायद मुझसे कभी शादी नही करता। ये सोच कर मैने उसे सच ना बताते हुए कहा कि घर पर मम्मी से झगडा हो गया था और मै गुस्से में घर से भाग कर आ गई।

बस इतनी सी बात रेखा... चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ और मम्मी से बोलता हूँ मेरी दुल्हनिया आपकी अमानत है कुछ दिन बाद ये आपको परेशान नही करेगी।
ये सुनकर मेरी हँसी छूट पड़ी..... ह्म्म

दिल के रिस्ताँ का कोए नाम ना होंदा।
हर रास्तां का कोए मुकाम ना होंदा।
अगर निभाण की चाहत हो दोनों कानी।
तो कसम त कोए रिस्तां नाकाम ना होंदा।
ये जो हल्का हल्का सुरुर है
सब एक चुम्मी का कसूर है
मुझे दिवानी बना दिया , हा दिवानी बना दिया :D


दिलफेक आशिक़ सुनील जी के लिए दो शब्द मचल रहे है जहन मे ...

दिल नजर जिगर क्या है , तुम तो बुढ़ीओ पर भी जान लुटा दो
कि दिल नजर और जिगर क्या है , अरे तुम तो बूढ़ीओ पर भी जान लुटा दो
और शुक्र है दरशना ने खुद को परोस दिया
वरना तुम्हारी आशिक़ी ऐसी कि तुम तकिये खोल कर भी काम चला लो :D
 

Rekha rani

Well-Known Member
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Laajawab likha aapne Rekha rani ji
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Very brilliant 👏👏👏👏👏
Esa lgta hai jaise Sanjay shadi krne Rekha ko apne sath ni blki Rekha shadi krke Sanjay ko apne sath lee jaane ki tyarri me hai 😉😉😉😉😉😂😂😂😂
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Chahe jo bi kho lekin Rekha rani ji aapne Sanjay or Rekha ka interview bhot mast likha hai mjaa aagya such me mujhe wo bi bhot jada😂😂😂
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Jbki is trf Maa or Beta Wasnaaa ki aag me dono jll rhe hai pr himmat ni ki samnee bol de ek dosre ko (mujhe to lgta hai inka kuch ni hoskta hai kbi)
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Are Rekha rani ji update pdte time mujhe ek bat yaad aagy Rekha ka FUFFAAA wo bi to aayga Rekha ki shadi me tb ky hoga 😉😉😉😉 kuch to socha hoga aapne bi😉😉
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Ye Sunil ekdum tharki pnee me utrane ki tyarri me hai bevkoof hawas ki aag me andha hoke khe koi glt kaand na krde
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Waise bi Rekha or Sanjay shadi se pehle ek dosre ke sath time acha bita rhe hai ya shyad ek dosre ko or jada smj rhe hai
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Very well update Rekha rani ji bhot enjoy Kia aaj ke update ko maine
Bahut bahut shukriya. Itne detail me vishelasn karne ke liye.

फूफा को न्यौता नही दिया जायेगा, उसकी टेंशन ना लीजिये 😂

आप तो रेखा की शादी में शरीक होकर उसको लीफाफा में शब्दों का गिफ्ट देकर आशीर्वाद दीजिये उसके आने वाले viavaahik jeevan के सफल हो।

Dhanyavaad
 
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