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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बचपन में मैं और मेरे साथी एक शब्द का इस्तेमाल करते थे "गऊ"!
ये दो शब्दों के मेल था - धा और ल्लू।

मनीष वाक़ई गऊ है। अभी भी वो नेहा के प्रपंच में फंसा हुआ है और एक दूसरे ही जंजाल में फँस गया।
ऐसे कौन निरी मूर्खता वाला काम करता है भाई? इस आदमी से बिज़नेस सम्हलेगा? वाक़ई?

अभी दिमाग सम्हला भी नहीं था कि एक और वार हो गया। ऐसे में तो कोई भी ब्लैंक हो जाएगा। इसमें उसकी गलती नहीं दूंगा मैं, वैसे भी उसे पूरी जिंदगी में कोई गलत आदमी मिला ही नहीं अभी तक, जो वो ऐसे छल प्रपंचों को समझ भी सके।
ठीक है, आप किसी और को धोखा न दें, लेकिन कम से कम स्वयं तो बार बार धोखे न खाएँ! ये कोई अच्छाई नहीं।
कम से समर उसके साथ है। एक मिनट -- समर उसके साथ है? या वो भी एक अलग ही प्रकार का छल है?
फिलहाल तो कुछ नहीं कह सकते, सिवाय उसके कि समर ने बस उसे कुछ समय खरीद दिया है।
मित्तल दादा की हत्या करने का प्रयास हो चुका। मतलब घर का भेदी है कोई।
उसकी बेटी प्रिया ही तो नहीं? उसी को नुकसान होना था सबसे बड़ा मनीष के "परिवार" में बने रहने से।
बिल्कुल, पर श्रेय भी उसी कड़ी में आता है, क्योंकि श्रेय एकमात्र उतराधिकारी है फिलहाल, और रजत मित्तल भी उसे ज्यादा मानते हैं। और उसकी दखलंदाजी ज्यादा लगती है कंपनी अफेयर्स में।

धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#अपडेट २५


अब तक आपने पढ़ा -


समर को आगे बढ़ता देख इस बार शायद खड़ा हुआ व्यक्ति भागने को तैयार हो गया। उसने अपनी पिस्तौल उस लड़की को थमा दी और पीछे की ओर जाने लगा, वो लड़की लगभग घसीटते हुए आगे को आई और समर को कवर करने लगी।


इसी समय मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी और....


अब आगे -


कुछ समय तक तो मेरी सोचने समझने की शक्ति ही चली गई, जो मैने अपने सामने देखा।


नेहा, मेरी नेहा? अपने हाथों में पिस्तौल थामे समर की ओर गोलियां चला रही थी? नहीं ये नहीं है मेरी नेहा नहीं है।


दिमाग जो देख रहा था, दिल उसे मानने को तैयार नहीं था।


मेरे मुंह से एक जोर की आवाज निकली, "नेहा ये क्या कर रही हो तुम?"


सबकी नजर मेरे ऊपर पड़ी, और मैं जहां छुपा हुआ था उससे बाहर आ चुका था। ये देख कर नेहा ने अपनी पिस्तौल मेरी ओर घुमा दी।


"समर उसे जाने दो वरना मैं मनीष को गोली मार दूंगी।"


"मनीष, तुम बाहर क्यों आए।" समर ने मुझसे गुस्से में पूछा।


"समर, मेरी बात मानो, वरना।" ये बोल कर उसने एक फायर किया, जो मुझसे कुछ दूर गया।


"नेहा रुक जाओ, मनीष को कुछ मत करना, मैं गोली नहीं चलाऊंगा।" ये बोल कर समर ने अपनी पिस्तौल को अपने सामने पेड़ पर रख दिया।


ये देख कर वो दूसरा व्यक्ति किले के दूसरी ओर भाग निकला।


"नेहा ये क्या कर रही हो तुम?" मैने फिर से नेहा से पूछा, मेरी आंखों में आंसु आ चुके थे।


"मनीष मैं जो भी कर रही हूं अपने प्यार की खातिर कर रही हूं।"


"पर तुम तो मुझसे प्यार करती थी न नेहा? और मैने कब तुमसे ऐसा करने को कहा।" मैने कतर स्वर में उससे पूछा।


"मनीष मैने कभी तुमसे प्यार नहीं किया, जो भी किया बस अपने प्यार की खातिर किया मनीष, हां तुम इसके लिए मुझे गलत मान सकते हो, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं।"


"क्या, तुमने मुझसे कभी प्यार नहीं किया? और वो सब क्या था नेहा, जो इतने दिन से हमारे बीच चल रहा था?"


"मैने कहा न जो भी किया अपने प्यार की खातिर किया, और अब भी जो कर रही हूं बस उसी प्यार के लिए कर रही हूं।"


तभी समर ने अपनी पिस्तौल उठा कर बाहर आते हुए कहा, "नेहा अब तो वो भाग गया, तुम भी ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकती। पिस्तौल फेक दो। हम तुम्हारा इलाज भी करवा देंगे और कोशिश करेंगे कि तुमको इसमें न फंसने दे।"


"समर, अपने ये पुलिस वाले पैंतरे मेरे सामने मत चलाओ, मुझे खुद को बचा कर उसे पकड़वाना ही होता तो मैं उसको क्यों भगाती?"


"पर नेहा ऐसे तो तुम खुद की जान खतरे में डाल रही हो। प्लीज अपनी पिस्तौल फेक दो, मैंने एम्बुलेंस बुला ली है, कुछ ही देर में आती होगी वो। तब तक हम कुछ फर्स्ट एड तो दे सकें तुम्हे।" समर ने कुछ बात घूमने की कोशिश की।


"समर, मेरा जो होना है, वो मुझे मालूम है। बस इस बात की खुशी है कि जिसे प्यार किया उसे बचा लिया है मैने, और उसके बचे रहने के लिए मेरा मारना ही जरूरी है।" ये बोल कर उसने पिस्तौल अपने सीने पर रख ली, और मेरी ओर देखते हुए नम आंखों से कहा, "मनीष, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना।" ये बोलते ही नेहा ने पिस्तौल का ट्रिगर दबा दिया।


मैं और समर तुरंत उसकी ओर लपके। मैने उसका सर उठा कर अपनी गोद में रखा।


"नेहा क्या तुम्हे एक बार भी मेरा ख्याल नहीं आया जो ये किया तुमने?"


"मनीष, मुझे बस अपने प्यार का ही ख्याल है। तुम.... बहुत अच्छे इंसान हो,.... मैने हर कदम तुमको... धोखा दिया है मनीष" उसने हाथ जोड़ते हुए कहा, "... बस हो सके तो मुझे माफ कर देना..." और इसी।के साथ उसका पूरा शरीर ढीला पड़ गया।


"नेहा§§" मैं चीख उठा। और उसके बाद रोने लगा।



समर ने कुछ देर मुझे रोने दिया। फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला, "मनीष, अब संभालो खुद को, नेहा ने जो किया वो तुम्हारे सामने है। लेकिन अब इसके बाद अगर जो तुम ऐसे रहोगे तो जो वाल्ट में हुआ उसे मुझे संभालने में दिक्कत आ जाएगी, और फिर तुम्हारे और मित्तल सर के सपने का क्या?"


मित्तल सर और वाल्ट का जिक्र आते ही मैं होश में आया। नेहा भले ही मेरी जिन्दगी में पहली इंसान थी जिसके दैहिक आकर्षण में मैं पड़ा था, पर मेरा दिल हमेशा मेरे आदर्श और मेरे भगवान मित्तल सर के लिए ही था, और उससे मैं कोई समझौता नहीं कर सकता था। मैने खुद को शांत किया, और वहां से उठ खड़ा हुआ।


इतने ही में एंबुलेंस और पुलिस की कुछ गाड़ियां भी वहां पहुंच गई थी। समर ने मुझे अभी शांत रहने का इशारा किया और आगे की कमान उसने खुद सम्हाली।


फॉर्महाउस में भी मुठभेड़ खत्म हो गई थी, और वहां से भी कोई जिंदा नहीं पकड़ में आया था, 3 आदमी मारे गए थे वहां। वाल्ट में भी गोली बारी हुई थी, और वहां से 5 में से 2 आदमी जिंदा पकड़े गए थे।


समर ने शाम होने से पहले ही मुझे घर भेज दिया और ऐसा दिखाया कि मैं उस जगह मौजूद ही नहीं था। शाम होते ही वाल्ट में डकैती की कोशिश का समाचार सारे न्यूज चैनल में सुर्खियों के साथ चलने लगी थी। जिसमें बताया जा रहा था कि एक दिल्ली के लुटेरों की गैंग ने, जिसका सरगना कोई माइकल नाम का इनामी गुंडा था, किसी तरह से एक पास निकलने में कामयाब हो गए थे, जिसके लिए नेहा को किडनैप किया गया था, मगर वाल्ट के सिक्योरिटी सिस्टम के चलते वो प्राइवेट वाल्ट तक ही पहुंच पाए और सरकारी वाल्ट में उन्होंने कदम भी नहीं रख पाए। और बाहर निकलते ही पुलिस से उनकी मुठभेड़ हो गई, और जहां नेहा को कैद किया गया था वहां पर भी पुलिस ने समय पर रेड किया और सबको मार गिराया, इसी गोलीबारी में नेहा को भी लुटेरों की गोली लग गई, और उसकी भी मौत हो गई।


समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।



समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....
WOW to ye Neha thi iska matlab saaf tha Neha ke dil me Manish ke leye sirf hamdardi ke siva kuch or nahi tha sirf istemaal kar rhe thi Manish ka
.
Filhal Samar ne ek police ke sath ache dost hone ki bhumika bahut he ache se nibhai or apne dost Manish ko in sab se alag kar dia
.
Ab filhal Manish apni soch me ghum hoke apne flat me baitha hai jane ab kaun aaya hai uske flat me
.
Very Excellent update Riky007 bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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पहले शतक की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको Riky007 भाई
 

DEVIL MAXIMUM

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#अपडेट २६


अब तक आपने पढ़ा -


समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।


समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....


अब आगे -


ये समर था, मैने उसे अंदर आने दिया। वो भी काफी थका दिख रहा था।


कुछ देर ऐसे ही बात करके वो चला गया। उसने बताया कि वाल्ट के अंदर ही एक हैंडबैग में हथियार रखे मिले उन लोग को। फार्म हाउस में जो मारे गए माइकल उनमें से ही एक था। और जो लोग पकड़े गए हैं उनका एकमात्र कॉन्टेक्ट प्वाइंट माइकल ही था तो अभी तो फिलहाल कोई भी तरीका नहीं दिख रहा है उस मास्टरमाइंड तक पहुंचने का।


उसके जाने के बाद भी मैं उधेड़बुन में था कि मित्तल सर को बताऊं या नहीं। यही सोचते सोचते मैं सोफे पर ही सो गया। अगली सुबह ऑफिस जाने पर दिन भर पुलिस की इन्वेस्टिगेशन और लोगों की इंक्वायरी ही चलती रही। इस घटना के बाद शेयर मार्केट में भी कंपनी के शेयर को एक तगड़ा झटका लगा था। हालांकि मित्तल सर ने अपने कॉन्टेक्ट द्वारा सरकार से प्रेस नोट निकलवा दिया कि सरकार का सोना पूरी तरह से सुरक्षित है और सरकार भी इसकी सिक्योरिटी से संतुष्ट है। इससे बाजार में मची अफरा तफरी कुछ कम हुई। शाम को मैं एक बार मित्तल सर के बारे में पता किया तो वो शायद घर को निकल गए थे। इसीलिए उनसे मिले बिना मैं अपने फ्लैट पर आ गया।


मेरे फोन पर करण का फोन आया, और उसे किसी फाइल पर साइन लेने थे, पर आज की अफरा तफरी के कारण नहीं ले पाया था, इसीलिए मैने उसे अपने फ्लैट पर ही बुला लिया था। करीब 6 बजे वो मेरे घर आया। मैने उसे बैठा कर फाइल पर साइन किए और उसे ड्रिंक का पूछा, जिसपर वो तैयार हो गया। मैं अपने कमरे में व्हिस्की की बोतल और ग्लास लेने चला गया।


जब मैं बाहर आया तो करण सोफे से उठा हुआ था और कुछ बेचैन लग रहा था। मेरे बाहर आते ही उसने कहा, "सर, आज रहने दीजिए, अभी पापा का कॉल था, वो लोग यहीं है आज कल, और मां की तबियत कुछ सही नहीं है। इसीलिए थोड़ा जल्दी घर पहुंचना है।"


मैने उसे जाने की इजाजत दे दी। और खुद अकेले ही एक पैग बना कर बैठ गया। पीते पीते भी मैं यही सोच रहा था कि क्या सर को सब बता दूं, फिर एकदम से मैं उठा कर कार की चाभी ली और मित्तल मेंशन की ओर चल दिया।


मैं कोई आधे घंटे बाद मित्तल मेंशन के बाहर था, एक मिनिट को गाड़ी रोक कर मैं गेट के बाहर फिर से विचार किया कि सर को बताना चाहिए या नहीं, पर इस बार मन पक्का कर लिया और फिर एंट्री करवा कर अंदर चल गया।


पार्किंग में बाहर की तरफ गाड़ी लगा कर मैं अंदर गया, हॉल खाली था, कोई था नहीं वहां पर, फिर मैं सीधे अंदर की ओर बढ़ गया, नीचे सबसे पहले श्रेय का कमरा पड़ता था जो इस समय अंदर से बंद था। और उसी के पास से सीढ़ी थी ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए। रजत सर का परिवार ऊपर ही रहता था और महेश अंकल का नीचे। मैं सीढ़ी से ऊपर पहुंचा और सामने ही मित्तल सर की स्टडी थी, जिसकी लाइट जल रही थी। इसका मतलब वो अभी स्टडी में ही थे।


मैंने एक बार दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं आया, तो मैने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया। अंदर मुझे कोई नहीं दिखा, मगर मुझे कुछ अजीब सा अहसास हुआ तो मैं अंदर की ओर बढ़ा। अंदर सर के की चेयर टेबल के पीछे गिरी हुई थी। ये देख मैं और आगे बढ़ा तो नीचे टेबल और गेस्ट चेयर के बीच कुछ गिरा हुआ था। मैने झुक कर उसे उठाया, और वो एक रिवॉल्वर थी। मैं उसे उठा कर जैसे ही सीधा हुआ टेबल के उस पार मित्तल सर औंधे मुंह गिरे हुए थे।


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"



उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....
Oh teri ki ye kya ho gaya kisi ne Mittal sir ko maar dia bhala esa karke kisko kya milega
Lagata hai koi bahut badi saajish rach raha hai yaha par jiska shikaar anjane me Manish ho gaya
Ab halat dekh ke esa lag raha hai mujhe
.
Bahut suspense full update raha ye wala Riky007 bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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रंगे हाथों मिला है, अब पकड़ा गया या नहीं वो तो आगे ही पता चलेगा।

और हां, अव्वल दर्जे का बेवकूफ है वो 😌
Pehla writer dekh raha hoo apne Story ke Hero ko Bevkoof sabit kar dia hai😂😂😂
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Pehla writer dekh raha hoo apne Story ke Hero ko Bevkoof sabit kar dia hai😂😂😂
भाई मनीष को मैने कभी हीरो बोला ही नहीं, आप लोगों ने बनाया उसे।

कोई जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति अपनी कहानी का हीरो ही हो।
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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भाई मनीष को मैने कभी हीरो बोला ही नहीं, आप लोगों ने बनाया उसे।

कोई जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति अपनी कहानी का हीरो ही हो।
चलो जाओ मै नहीं मानता:beee:
 

Ajju Landwalia

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#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....

Bahut hi umda update he Riky007 Bhai,

Manish kisi tarah se mittal sir ke ghar se bach nikla..........

Samar ki madad se vo shahar chhodne me bhi kamyag ho gaya................

Babuji ke dhabe par aakar hi use thoda chain milega............

Ye samar har jagah lagbhag sahi samay par pahuch jata he, kahi ye bhi to shamil nahi he is kaand me????

Keep rocking Bro
 

Chutiyadr

Well-Known Member
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बचपन में मैं और मेरे साथी एक शब्द का इस्तेमाल करते थे "गऊ"!
ये दो शब्दों के मेल था - धा और ल्लू।

मनीष वाक़ई गऊ है। अभी भी वो नेहा के प्रपंच में फंसा हुआ है और एक दूसरे ही जंजाल में फँस गया।
ऐसे कौन निरी मूर्खता वाला काम करता है भाई? इस आदमी से बिज़नेस सम्हलेगा? वाक़ई?

ठीक है, आप किसी और को धोखा न दें, लेकिन कम से कम स्वयं तो बार बार धोखे न खाएँ! ये कोई अच्छाई नहीं।
कम से समर उसके साथ है। एक मिनट -- समर उसके साथ है? या वो भी एक अलग ही प्रकार का छल है?

मित्तल दादा की हत्या करने का प्रयास हो चुका। मतलब घर का भेदी है कोई।
उसकी बेटी प्रिया ही तो नहीं? उसी को नुकसान होना था सबसे बड़ा मनीष के "परिवार" में बने रहने से।
Hamare dost log to har chij ke chutiya hi use karte hai :eekdance:
Universal word hai
Murkh ho to chutiya ho,
sidhe ho to chutiya ho
Jyada shane ban rahe lekin kaam bigad gaya to bhi chutiya ho :lol1:
 

Raj_sharma

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Hamare dost log to har chij ke chutiya hi use karte hai :eekdance:
Universal word hai
Murkh ho to chutiya ho,
sidhe ho to chutiya ho
Jyada shane ban rahe lekin kaam bigad gaya to bhi chutiya ho :lol1:
Isi liye naam ke sath chutiya jode ho, dr. Saab :approve:
 
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