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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Phir apna heroine(Shivika) ka kya haal hai
इस कहानी में कोई हीरो हीरोइन नहीं है।

सब मेरे आपकी तरह नॉर्मल कैरेक्टर है। हां विलेन जरूर एब्नार्मल निकलेंगे, ये पक्का है।
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing]
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इस कहानी में कोई हीरो हीरोइन नहीं है।

सब मेरे आपकी तरह नॉर्मल कैरेक्टर है। हां विलेन जरूर एब्नार्मल निकलेंगे, ये पक्का है।
Oh matlab ye story bhi Sharma ji ki tarah hai jisme koi hero nahi balki sab normal character hote hain.

Manish story ko narrate kar raha tha mujhe laga wahi hero hoga.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Oh matlab ye story bhi Sharma ji ki tarah hai jisme koi hero nahi balki sab normal character hote hain.

Manish story ko narrate kar raha tha mujhe laga wahi hero hoga.
आप बीती है उसकी ये बस।

बाकी पाठक गण स्वतंत्र है किसी को भी हीरो हीरोइन बनाने के लिए।
 

Napster

Well-Known Member
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#अपडेट २८


अब तक आपने पढ़ा -


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....


अब आगे -


मैं दिल्ली रात के करीब 8 बजे पहुंचा था, और मुझे ये तो पता था कि अब तक मेरी न्यूज और फोटो लगभग सब कोई देख चुका होगा, इसीलिए मैने ज्यादा रिस्क न लेते हुए, साइकिल रिक्शा से, वो भी बदल बदल कर वहां पहुंचा, इन सब में लगभग 2 घंटे लग गए और ये समय ढाबे को बढ़ाने का था। पर फिर भी मैने पूरा एहतियात रखते हुए ढाबे से कुछ दूर ही रिक्शा छोड़ कर छुपते हुए उधर बढ़ा। दुनिया में अभी मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं था, सिवाय बाबूजी के।


बाबूजी और जॉली भैया बाहर ही बैठे कुछ बातें करते दिख गए मुझे। आस पास के वातावरण को देख कर ऐसा नहीं लगा कि पुलिस मुझे यहां पर ढूंढने आई है। मैं हिम्मत करके उन दोनों के सामने पहुंचा।


"बाबूजी?" आंखों में आंसु भरे हुए मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया।


"मेरे बच्चे।" इतना बोल कर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। उनकी आंखे भी भरी हुई थी।


जॉली भैया, "बाबूजी, मनीष। मेरे पीछे आओ आप लोग।"


जॉली भैया अपनी दुकान की ओर मुझे और बाबूजी को ले कर चल दिए। उनकी दुकान के पीछे से एक सीढ़ी ऊपर के माले पर जाती थी, उससे हो कर हम ऊपर पहुंचे, यहां भी कुछ दुकानें बनी थी, पर सब बंद थी, शायद इनको गोदाम बना कर रखा गया था। एक दुकान का ताला खोल कर जॉली भैया ने हमको अंदर बुलाया। येp गोदाम ही था, जिसमें कुछ पुराने प्रिंटर, कंप्यूटर का कुछ सामान और कुछ फर्नीचर था। हमारे अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और पीछे की ओर एक और दरवाजा खोल कर हमें बुलाया। यहां पर फिर एक सीढ़ी थी, पर ये लोहे की थी, और ऊपर एक और कमरा जैसा था। देखने से ये दुछत्ती जैसा लग रहा था। ऊपर एक अच्छा कमरा था, जिसमें एक बिस्तर लगा था, और कमरे में एक आदमी की जरूरत का सारा सामान था। एक कोने में एक कंप्यूटर भी लगा था।


"आप यहीं रुको, मैं अभी आया।" हमें वहां छोड़ कर जॉली भैया नीचे चले गए।


"बाबूजी, मैने कुछ नहीं किया।"


"जनता हूं मेरे बच्चे, अब तू कुछ नहीं बोलेगा अभी। बस आराम कर।"


तभी जॉली भैया एक थाली में खाना लेकर आ गए, साथ में एक 15 16 साल का लड़का भी था, जो पानी ले कर आया था।


"चल खाना खा, और आराम कर, ये कमरा जॉली ने खुद के लिए बनाया है, कभी कभी उसे रात भर भी काम करना होता है, इसीलिए।"


मैं चुपचाप खाना खाता रहा, कोई भी किसी से कुछ नहीं बोला। मेरे खाना खाते ही वो लड़का थाली ले कर चला गया।


"अब आराम कर पुत्तर, हम सुबह आते हैं, तुम यहां फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह पर हो।"


ये बोल कर दोनों चले गए, और दरवाजा बाहर से ही लॉक कर दिया। कमरे में ही अटैच बाथरूम था तो फिलहाल सुबह तक तो यहां रुका जा सकता था।


बिस्तर पर लेट कर मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर मित्तल सर की वो हालत बार बार मुझे परेशान कर रही थी, अब तक जो भी हुआ मैं उसी के बारे में सोचता हुआ नींद के आगोश में आ गया।


सुबह बाबूजी के जगाने से मेरी नींद खुली। वो मेरे लिए कुछ कपड़े ले कर आए थे। और मुझे फ्रेश होने के लिए बोला। मैं भी नहा कर उनके लाय कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर आया, तब तक जॉली भैया भी आ चुके थे और उन्होंने नाश्ता भी मंगवा लिया था।


नाश्ते के बाद बाबूजी ने मुझसे कहा, "अब बोल बच्चे ये सब कैसे हो गया?"


मैं नेहा के आने से ले कर अब तक का सारा वाकया उन दोनों को बता दिया।


"दिमाग कहां गया था तेरा?" बाबूजी मुझे डांटते हैं।


"दार जी, कभी कभी दिमाग नहीं चलता। क्या करिएगा? आप भी नेहा से मिले हैं, वो गलत लगी क्या आपको?" जॉली भैया ने बाबूजी से कहा।


उनकी बात सुन कर बाबूजी के तेवर कुछ नर्म हुए, "चलो फिलहाल तो तुम यहीं रहो जब तक बाहर का माहौल सही नहीं हो जाता।"


"जी बाबूजी।" मैने सर झुकाए हुए कहा।


जॉली भैया मेरे पास आए और एक फोन मुझे देते हुए कहा, "इसे रख अपने पास, और देख कौन है जो वहां तेरी मदद कर सकता है। क्योंकि जो भी है वो मित्तल साहब के घर के अंदर का है या बहुत ही करीबी है वो, इसलिए उनसे तो दूर ही रहना।"


ये एक कीपैड वाला फोन था। उनके जाने के बाद मैने समर को फोन लगाया।


दो रिंग के बाद ही उसने फोन उठाया, "हेलो?"


"मैं हूं, सुरक्षित जगह पहुंच गया हूं।"


"रॉन्ग नंबर।" ये बोल कर उसने फोन काट दिया।


कुछ देर बाद मेरे फोन पर एक नए नंबर से कॉल आया। पहले तो मैं डर गया उसे उठाने में, फिर हिम्मत करके मैने उसे उठाया।


"ह.. हेलो।"


"समर बोल रहा हूं, वो फोन ड्यूटी वाला है, इसीलिए इससे बात कर रहा हूं। ठीक से पहुंच गया न भाई?" उसकी आवाज में चिंता थी।


"हां, और अभी सुरक्षित हूं। और..."


मैं कुछ आगे बोलता उससे पहले ही समर ने कहा, "जगह का नाम बताने की जरूरत नहीं है। बस जगह सुरक्षित होनी चाहिए तुम्हारे लिए।"


"हां यार, एकदम सुरक्षित जगह है फिलहाल। तुम बताओ, वहां क्या हाल है? मित्तल सर कैसे हैं?"


"यहां हाल बेहाल है भाई। अभी संजीव की लाश भी मिली है, शहर के बाहर वाले बीच पर, पत्थरों के बीच में थी, बदबू आने पर पता चला। उसको भी गोली से ही मारा गया है। और मित्तल सर और संजीव दोनों को एक ही रिवॉल्वर की गोली लगी है। और वो तुम्हारी रिवॉल्वर है। वही रिवॉल्वर मित्तल सर की study से बरामद हुई, जिस पर तुम्हारी ही उंगलियों के निशान हैं। Study में ही तुम्हारी और नेहा की कई अंतरंग फोटो, और वो पास वाला एनवेलप मोटरसाइकिल की डिक्की में रखते हुए फोटो, और संजीव पर पिस्तौल तानते हुए फोटो भी है, इन सबसे लूट में तुम्हारा और नेहा का कनेक्शन बताया जा रहा है, और मित्तल सर को ये बात पता चल गई इसीलिए तुमने उनको मारने की कोशिश की।"


ये सुन कर मेरे होश फिर से एक बार उड़ गए। जहां तक मुझे याद था, study में सर की टेबल पर या और आस पास कहीं कोई फोटो या जगह नहीं दिखा था मुझे।


"मित्तल सर अभी भी बेहोश हैं, शायद कोमा में चले गए हैं। अब तो भगवान से दुआ करो कि वो बच जाएं। गोली उनके दिल को छूती हुई निकली है। Excessive blood loss से अभी भी होश में नहीं आए हैं।"


"यार, किन चक्करों में फंस गया हूं मैं।"


"जो भी है, अब वहां बैठ कर दिमाग लगा और कोशिश कर कि कहां से इसका कोई सिरा मिलता है। चल भाई अब रखता हूं। मैं ही कॉल करूंगा अब से, तुम मत करना। क्योंकि की जरूरी नहीं इसी नंबर से ही बात करूं आगे।" ये बोल कर उसने फोन रख दिया।


मैं बेहद पसोपेश में था, पूरी घटनाओं को बार बार याद करके सोच रहा था कि कैसे कोई सिरा मिल सकता है। तभी मेरे कमरे में जॉली भैया आ जाते हैं।


"मनीष, तुझे कुछ दिखना है मुझे।" उन्होंने कहा और साइड में रखा कंप्यूटर ऑन कर दिया।


उसके चालू होने के बाद उन्होंने फेसबुक खोला और मुझसे कहा, "देख मुझे गलत मत समझना, पर मैं जब भी किसी से मिलता हूं तो मेरी आदत है कि सोशल मीडिया पर उससे कनेक्ट होने की। इसी कारण उस दिन तुम्हारे जाने के बाद मैं नेहा को फेसबुक पर ढूंढा तो मुझे ये मिला।" बोल कर उन्होंने एक प्रोफाइल मेरे सामने खोल दी।


प्रोफाइल में नेहा वर्मा का नाम था, और उसकी एक बहुत पुरानी फोटो, लगभग 7 8 साल पहले की थी। उसमें कुछ ज्यादा पोस्ट तो नहीं मिले, जो भी थे वो कुछ सस्ती शायरी टाइप थे, जो उस समय sms से भेजी जाती थी एक दूसरे को। न कोई फोटो थी ऊपर में। तो मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं आया। फिर जॉली भैया ने प्रोफाइल में एक एल्बम खोला जो my love के नाम से बना था। और उसमें भी 3 4 फोटो ही थी। एक में एक टेडी बियर था, जिसके नीचे लिखा था, first gift of my love. और एक कार्ड की फोटो थी। उसको खोलने पर एक प्रोपोज कार्ड था, और उसमें अंदर में एक दिल बना कर उसमें Neha loves Bittu लिखा था। एक दो ऐसे ही और कार्ड की फोटो थी उसमें। ये सारी फोटो लगभग 7 8 साल पहले ही अपलोड की ही थी। ये देख कर मुझे एक झटका लगा, क्योंकि अगर जो ये बिट्टू ही संजीव था, तो उससे तो वो 5 साल पहले ही मिली थी। तो फिर ये था कौन?


"मैं तुझे इस बारे में बताना चाहता था, लेकिन फिर मुझे याद आया कि नेहा की तो पहले ही शादी हो चुकी थी, इसीलिए मैने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर आज फिर से मुझे इसकी याद आ गई तो सोचा तुम्हे बता दूं, शायद कुछ काम आ जाय।"


"थैक्यू जॉली भैया, पर नेहा ने इस बिट्टू के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था। खैर देखता हूं, ये कभी न कभी तो काम आएगा ही।"


फिर कुछ इधर उधर की बात करके जॉली भैया भी चले गए। दिन ऐसे ही बीतने लगे।


देखते ही देखते लगभग एक महीना बीत गया। मैं कमरे से बाहर नहीं निकलता था। खाना पीना समय पर आ जात था, सुबह शाम बाबूजी और जॉली भैया भी मुझसे मिलने आते थे। जॉली भैया ने उसी कंप्यूटर में टीवी का कनेक्शन भी लगवा दिया जिससे मुझे कुछ खबरें भी मिलने लगी। समर से भी बीच बीच में बात होती रहती थी। उसने बताया कि उसे इस केस से हटा दिया गया है, और इसमें मित्तल परिवार का ही हाथ है, क्योंकि वो लोग जानते हैं कि समर और मैं दोस्त हैं। फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली थी पुलिस को। और अभी इस केस को दूसरे SP, अमरकांत लीड कर रहे थे। वो बहुत कड़क पुलिस वाला था। और समर ने बताया कि वो थोड़ा ख़ाऊ टाइप भी है। मतलब रिश्वत वगैरा भी लेता है। समर और उनकी बहुत ज्यादा बनती भी नहीं थी। मित्तल सर की हालत अभी भी वैसी ही थी।


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखता थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब ये बिट्टू कौन हैं और नेहा ने मनिष से उसे क्यो छिपाया और वो कहा से हैं
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब ये बिट्टू कौन हैं और नेहा ने मनिष से उसे क्यो छिपाया और वो कहा से हैं
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
सारे जवाब मिलेंगे भाई आगे। बस प्रतीक्षा करिए। धन्यवाद 🙏🏼
 

parkas

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#अपडेट २८


अब तक आपने पढ़ा -


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....


अब आगे -


मैं दिल्ली रात के करीब 8 बजे पहुंचा था, और मुझे ये तो पता था कि अब तक मेरी न्यूज और फोटो लगभग सब कोई देख चुका होगा, इसीलिए मैने ज्यादा रिस्क न लेते हुए, साइकिल रिक्शा से, वो भी बदल बदल कर वहां पहुंचा, इन सब में लगभग 2 घंटे लग गए और ये समय ढाबे को बढ़ाने का था। पर फिर भी मैने पूरा एहतियात रखते हुए ढाबे से कुछ दूर ही रिक्शा छोड़ कर छुपते हुए उधर बढ़ा। दुनिया में अभी मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं था, सिवाय बाबूजी के।


बाबूजी और जॉली भैया बाहर ही बैठे कुछ बातें करते दिख गए मुझे। आस पास के वातावरण को देख कर ऐसा नहीं लगा कि पुलिस मुझे यहां पर ढूंढने आई है। मैं हिम्मत करके उन दोनों के सामने पहुंचा।


"बाबूजी?" आंखों में आंसु भरे हुए मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया।


"मेरे बच्चे।" इतना बोल कर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। उनकी आंखे भी भरी हुई थी।


जॉली भैया, "बाबूजी, मनीष। मेरे पीछे आओ आप लोग।"


जॉली भैया अपनी दुकान की ओर मुझे और बाबूजी को ले कर चल दिए। उनकी दुकान के पीछे से एक सीढ़ी ऊपर के माले पर जाती थी, उससे हो कर हम ऊपर पहुंचे, यहां भी कुछ दुकानें बनी थी, पर सब बंद थी, शायद इनको गोदाम बना कर रखा गया था। एक दुकान का ताला खोल कर जॉली भैया ने हमको अंदर बुलाया। येp गोदाम ही था, जिसमें कुछ पुराने प्रिंटर, कंप्यूटर का कुछ सामान और कुछ फर्नीचर था। हमारे अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और पीछे की ओर एक और दरवाजा खोल कर हमें बुलाया। यहां पर फिर एक सीढ़ी थी, पर ये लोहे की थी, और ऊपर एक और कमरा जैसा था। देखने से ये दुछत्ती जैसा लग रहा था। ऊपर एक अच्छा कमरा था, जिसमें एक बिस्तर लगा था, और कमरे में एक आदमी की जरूरत का सारा सामान था। एक कोने में एक कंप्यूटर भी लगा था।


"आप यहीं रुको, मैं अभी आया।" हमें वहां छोड़ कर जॉली भैया नीचे चले गए।


"बाबूजी, मैने कुछ नहीं किया।"


"जनता हूं मेरे बच्चे, अब तू कुछ नहीं बोलेगा अभी। बस आराम कर।"


तभी जॉली भैया एक थाली में खाना लेकर आ गए, साथ में एक 15 16 साल का लड़का भी था, जो पानी ले कर आया था।


"चल खाना खा, और आराम कर, ये कमरा जॉली ने खुद के लिए बनाया है, कभी कभी उसे रात भर भी काम करना होता है, इसीलिए।"


मैं चुपचाप खाना खाता रहा, कोई भी किसी से कुछ नहीं बोला। मेरे खाना खाते ही वो लड़का थाली ले कर चला गया।


"अब आराम कर पुत्तर, हम सुबह आते हैं, तुम यहां फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह पर हो।"


ये बोल कर दोनों चले गए, और दरवाजा बाहर से ही लॉक कर दिया। कमरे में ही अटैच बाथरूम था तो फिलहाल सुबह तक तो यहां रुका जा सकता था।


बिस्तर पर लेट कर मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर मित्तल सर की वो हालत बार बार मुझे परेशान कर रही थी, अब तक जो भी हुआ मैं उसी के बारे में सोचता हुआ नींद के आगोश में आ गया।


सुबह बाबूजी के जगाने से मेरी नींद खुली। वो मेरे लिए कुछ कपड़े ले कर आए थे। और मुझे फ्रेश होने के लिए बोला। मैं भी नहा कर उनके लाय कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर आया, तब तक जॉली भैया भी आ चुके थे और उन्होंने नाश्ता भी मंगवा लिया था।


नाश्ते के बाद बाबूजी ने मुझसे कहा, "अब बोल बच्चे ये सब कैसे हो गया?"


मैं नेहा के आने से ले कर अब तक का सारा वाकया उन दोनों को बता दिया।


"दिमाग कहां गया था तेरा?" बाबूजी मुझे डांटते हैं।


"दार जी, कभी कभी दिमाग नहीं चलता। क्या करिएगा? आप भी नेहा से मिले हैं, वो गलत लगी क्या आपको?" जॉली भैया ने बाबूजी से कहा।


उनकी बात सुन कर बाबूजी के तेवर कुछ नर्म हुए, "चलो फिलहाल तो तुम यहीं रहो जब तक बाहर का माहौल सही नहीं हो जाता।"


"जी बाबूजी।" मैने सर झुकाए हुए कहा।


जॉली भैया मेरे पास आए और एक फोन मुझे देते हुए कहा, "इसे रख अपने पास, और देख कौन है जो वहां तेरी मदद कर सकता है। क्योंकि जो भी है वो मित्तल साहब के घर के अंदर का है या बहुत ही करीबी है वो, इसलिए उनसे तो दूर ही रहना।"


ये एक कीपैड वाला फोन था। उनके जाने के बाद मैने समर को फोन लगाया।


दो रिंग के बाद ही उसने फोन उठाया, "हेलो?"


"मैं हूं, सुरक्षित जगह पहुंच गया हूं।"


"रॉन्ग नंबर।" ये बोल कर उसने फोन काट दिया।


कुछ देर बाद मेरे फोन पर एक नए नंबर से कॉल आया। पहले तो मैं डर गया उसे उठाने में, फिर हिम्मत करके मैने उसे उठाया।


"ह.. हेलो।"


"समर बोल रहा हूं, वो फोन ड्यूटी वाला है, इसीलिए इससे बात कर रहा हूं। ठीक से पहुंच गया न भाई?" उसकी आवाज में चिंता थी।


"हां, और अभी सुरक्षित हूं। और..."


मैं कुछ आगे बोलता उससे पहले ही समर ने कहा, "जगह का नाम बताने की जरूरत नहीं है। बस जगह सुरक्षित होनी चाहिए तुम्हारे लिए।"


"हां यार, एकदम सुरक्षित जगह है फिलहाल। तुम बताओ, वहां क्या हाल है? मित्तल सर कैसे हैं?"


"यहां हाल बेहाल है भाई। अभी संजीव की लाश भी मिली है, शहर के बाहर वाले बीच पर, पत्थरों के बीच में थी, बदबू आने पर पता चला। उसको भी गोली से ही मारा गया है। और मित्तल सर और संजीव दोनों को एक ही रिवॉल्वर की गोली लगी है। और वो तुम्हारी रिवॉल्वर है। वही रिवॉल्वर मित्तल सर की study से बरामद हुई, जिस पर तुम्हारी ही उंगलियों के निशान हैं। Study में ही तुम्हारी और नेहा की कई अंतरंग फोटो, और वो पास वाला एनवेलप मोटरसाइकिल की डिक्की में रखते हुए फोटो, और संजीव पर पिस्तौल तानते हुए फोटो भी है, इन सबसे लूट में तुम्हारा और नेहा का कनेक्शन बताया जा रहा है, और मित्तल सर को ये बात पता चल गई इसीलिए तुमने उनको मारने की कोशिश की।"


ये सुन कर मेरे होश फिर से एक बार उड़ गए। जहां तक मुझे याद था, study में सर की टेबल पर या और आस पास कहीं कोई फोटो या जगह नहीं दिखा था मुझे।


"मित्तल सर अभी भी बेहोश हैं, शायद कोमा में चले गए हैं। अब तो भगवान से दुआ करो कि वो बच जाएं। गोली उनके दिल को छूती हुई निकली है। Excessive blood loss से अभी भी होश में नहीं आए हैं।"


"यार, किन चक्करों में फंस गया हूं मैं।"


"जो भी है, अब वहां बैठ कर दिमाग लगा और कोशिश कर कि कहां से इसका कोई सिरा मिलता है। चल भाई अब रखता हूं। मैं ही कॉल करूंगा अब से, तुम मत करना। क्योंकि की जरूरी नहीं इसी नंबर से ही बात करूं आगे।" ये बोल कर उसने फोन रख दिया।


मैं बेहद पसोपेश में था, पूरी घटनाओं को बार बार याद करके सोच रहा था कि कैसे कोई सिरा मिल सकता है। तभी मेरे कमरे में जॉली भैया आ जाते हैं।


"मनीष, तुझे कुछ दिखना है मुझे।" उन्होंने कहा और साइड में रखा कंप्यूटर ऑन कर दिया।


उसके चालू होने के बाद उन्होंने फेसबुक खोला और मुझसे कहा, "देख मुझे गलत मत समझना, पर मैं जब भी किसी से मिलता हूं तो मेरी आदत है कि सोशल मीडिया पर उससे कनेक्ट होने की। इसी कारण उस दिन तुम्हारे जाने के बाद मैं नेहा को फेसबुक पर ढूंढा तो मुझे ये मिला।" बोल कर उन्होंने एक प्रोफाइल मेरे सामने खोल दी।


प्रोफाइल में नेहा वर्मा का नाम था, और उसकी एक बहुत पुरानी फोटो, लगभग 7 8 साल पहले की थी। उसमें कुछ ज्यादा पोस्ट तो नहीं मिले, जो भी थे वो कुछ सस्ती शायरी टाइप थे, जो उस समय sms से भेजी जाती थी एक दूसरे को। न कोई फोटो थी ऊपर में। तो मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं आया। फिर जॉली भैया ने प्रोफाइल में एक एल्बम खोला जो my love के नाम से बना था। और उसमें भी 3 4 फोटो ही थी। एक में एक टेडी बियर था, जिसके नीचे लिखा था, first gift of my love. और एक कार्ड की फोटो थी। उसको खोलने पर एक प्रोपोज कार्ड था, और उसमें अंदर में एक दिल बना कर उसमें Neha loves Bittu लिखा था। एक दो ऐसे ही और कार्ड की फोटो थी उसमें। ये सारी फोटो लगभग 7 8 साल पहले ही अपलोड की ही थी। ये देख कर मुझे एक झटका लगा, क्योंकि अगर जो ये बिट्टू ही संजीव था, तो उससे तो वो 5 साल पहले ही मिली थी। तो फिर ये था कौन?


"मैं तुझे इस बारे में बताना चाहता था, लेकिन फिर मुझे याद आया कि नेहा की तो पहले ही शादी हो चुकी थी, इसीलिए मैने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर आज फिर से मुझे इसकी याद आ गई तो सोचा तुम्हे बता दूं, शायद कुछ काम आ जाय।"


"थैक्यू जॉली भैया, पर नेहा ने इस बिट्टू के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था। खैर देखता हूं, ये कभी न कभी तो काम आएगा ही।"


फिर कुछ इधर उधर की बात करके जॉली भैया भी चले गए। दिन ऐसे ही बीतने लगे।


देखते ही देखते लगभग एक महीना बीत गया। मैं कमरे से बाहर नहीं निकलता था। खाना पीना समय पर आ जात था, सुबह शाम बाबूजी और जॉली भैया भी मुझसे मिलने आते थे। जॉली भैया ने उसी कंप्यूटर में टीवी का कनेक्शन भी लगवा दिया जिससे मुझे कुछ खबरें भी मिलने लगी। समर से भी बीच बीच में बात होती रहती थी। उसने बताया कि उसे इस केस से हटा दिया गया है, और इसमें मित्तल परिवार का ही हाथ है, क्योंकि वो लोग जानते हैं कि समर और मैं दोस्त हैं। फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली थी पुलिस को। और अभी इस केस को दूसरे SP, अमरकांत लीड कर रहे थे। वो बहुत कड़क पुलिस वाला था। और समर ने बताया कि वो थोड़ा ख़ाऊ टाइप भी है। मतलब रिश्वत वगैरा भी लेता है। समर और उनकी बहुत ज्यादा बनती भी नहीं थी। मित्तल सर की हालत अभी भी वैसी ही थी।


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखता थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...
Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,752
54,197
259
#अपडेट २८


अब तक आपने पढ़ा -


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....


अब आगे -


मैं दिल्ली रात के करीब 8 बजे पहुंचा था, और मुझे ये तो पता था कि अब तक मेरी न्यूज और फोटो लगभग सब कोई देख चुका होगा, इसीलिए मैने ज्यादा रिस्क न लेते हुए, साइकिल रिक्शा से, वो भी बदल बदल कर वहां पहुंचा, इन सब में लगभग 2 घंटे लग गए और ये समय ढाबे को बढ़ाने का था। पर फिर भी मैने पूरा एहतियात रखते हुए ढाबे से कुछ दूर ही रिक्शा छोड़ कर छुपते हुए उधर बढ़ा। दुनिया में अभी मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं था, सिवाय बाबूजी के।


बाबूजी और जॉली भैया बाहर ही बैठे कुछ बातें करते दिख गए मुझे। आस पास के वातावरण को देख कर ऐसा नहीं लगा कि पुलिस मुझे यहां पर ढूंढने आई है। मैं हिम्मत करके उन दोनों के सामने पहुंचा।


"बाबूजी?" आंखों में आंसु भरे हुए मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया।


"मेरे बच्चे।" इतना बोल कर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। उनकी आंखे भी भरी हुई थी।


जॉली भैया, "बाबूजी, मनीष। मेरे पीछे आओ आप लोग।"


जॉली भैया अपनी दुकान की ओर मुझे और बाबूजी को ले कर चल दिए। उनकी दुकान के पीछे से एक सीढ़ी ऊपर के माले पर जाती थी, उससे हो कर हम ऊपर पहुंचे, यहां भी कुछ दुकानें बनी थी, पर सब बंद थी, शायद इनको गोदाम बना कर रखा गया था। एक दुकान का ताला खोल कर जॉली भैया ने हमको अंदर बुलाया। येp गोदाम ही था, जिसमें कुछ पुराने प्रिंटर, कंप्यूटर का कुछ सामान और कुछ फर्नीचर था। हमारे अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और पीछे की ओर एक और दरवाजा खोल कर हमें बुलाया। यहां पर फिर एक सीढ़ी थी, पर ये लोहे की थी, और ऊपर एक और कमरा जैसा था। देखने से ये दुछत्ती जैसा लग रहा था। ऊपर एक अच्छा कमरा था, जिसमें एक बिस्तर लगा था, और कमरे में एक आदमी की जरूरत का सारा सामान था। एक कोने में एक कंप्यूटर भी लगा था।


"आप यहीं रुको, मैं अभी आया।" हमें वहां छोड़ कर जॉली भैया नीचे चले गए।


"बाबूजी, मैने कुछ नहीं किया।"


"जनता हूं मेरे बच्चे, अब तू कुछ नहीं बोलेगा अभी। बस आराम कर।"


तभी जॉली भैया एक थाली में खाना लेकर आ गए, साथ में एक 15 16 साल का लड़का भी था, जो पानी ले कर आया था।


"चल खाना खा, और आराम कर, ये कमरा जॉली ने खुद के लिए बनाया है, कभी कभी उसे रात भर भी काम करना होता है, इसीलिए।"


मैं चुपचाप खाना खाता रहा, कोई भी किसी से कुछ नहीं बोला। मेरे खाना खाते ही वो लड़का थाली ले कर चला गया।


"अब आराम कर पुत्तर, हम सुबह आते हैं, तुम यहां फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह पर हो।"


ये बोल कर दोनों चले गए, और दरवाजा बाहर से ही लॉक कर दिया। कमरे में ही अटैच बाथरूम था तो फिलहाल सुबह तक तो यहां रुका जा सकता था।


बिस्तर पर लेट कर मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर मित्तल सर की वो हालत बार बार मुझे परेशान कर रही थी, अब तक जो भी हुआ मैं उसी के बारे में सोचता हुआ नींद के आगोश में आ गया।


सुबह बाबूजी के जगाने से मेरी नींद खुली। वो मेरे लिए कुछ कपड़े ले कर आए थे। और मुझे फ्रेश होने के लिए बोला। मैं भी नहा कर उनके लाय कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर आया, तब तक जॉली भैया भी आ चुके थे और उन्होंने नाश्ता भी मंगवा लिया था।


नाश्ते के बाद बाबूजी ने मुझसे कहा, "अब बोल बच्चे ये सब कैसे हो गया?"


मैं नेहा के आने से ले कर अब तक का सारा वाकया उन दोनों को बता दिया।


"दिमाग कहां गया था तेरा?" बाबूजी मुझे डांटते हैं।


"दार जी, कभी कभी दिमाग नहीं चलता। क्या करिएगा? आप भी नेहा से मिले हैं, वो गलत लगी क्या आपको?" जॉली भैया ने बाबूजी से कहा।


उनकी बात सुन कर बाबूजी के तेवर कुछ नर्म हुए, "चलो फिलहाल तो तुम यहीं रहो जब तक बाहर का माहौल सही नहीं हो जाता।"


"जी बाबूजी।" मैने सर झुकाए हुए कहा।


जॉली भैया मेरे पास आए और एक फोन मुझे देते हुए कहा, "इसे रख अपने पास, और देख कौन है जो वहां तेरी मदद कर सकता है। क्योंकि जो भी है वो मित्तल साहब के घर के अंदर का है या बहुत ही करीबी है वो, इसलिए उनसे तो दूर ही रहना।"


ये एक कीपैड वाला फोन था। उनके जाने के बाद मैने समर को फोन लगाया।


दो रिंग के बाद ही उसने फोन उठाया, "हेलो?"


"मैं हूं, सुरक्षित जगह पहुंच गया हूं।"


"रॉन्ग नंबर।" ये बोल कर उसने फोन काट दिया।


कुछ देर बाद मेरे फोन पर एक नए नंबर से कॉल आया। पहले तो मैं डर गया उसे उठाने में, फिर हिम्मत करके मैने उसे उठाया।


"ह.. हेलो।"


"समर बोल रहा हूं, वो फोन ड्यूटी वाला है, इसीलिए इससे बात कर रहा हूं। ठीक से पहुंच गया न भाई?" उसकी आवाज में चिंता थी।


"हां, और अभी सुरक्षित हूं। और..."


मैं कुछ आगे बोलता उससे पहले ही समर ने कहा, "जगह का नाम बताने की जरूरत नहीं है। बस जगह सुरक्षित होनी चाहिए तुम्हारे लिए।"


"हां यार, एकदम सुरक्षित जगह है फिलहाल। तुम बताओ, वहां क्या हाल है? मित्तल सर कैसे हैं?"


"यहां हाल बेहाल है भाई। अभी संजीव की लाश भी मिली है, शहर के बाहर वाले बीच पर, पत्थरों के बीच में थी, बदबू आने पर पता चला। उसको भी गोली से ही मारा गया है। और मित्तल सर और संजीव दोनों को एक ही रिवॉल्वर की गोली लगी है। और वो तुम्हारी रिवॉल्वर है। वही रिवॉल्वर मित्तल सर की study से बरामद हुई, जिस पर तुम्हारी ही उंगलियों के निशान हैं। Study में ही तुम्हारी और नेहा की कई अंतरंग फोटो, और वो पास वाला एनवेलप मोटरसाइकिल की डिक्की में रखते हुए फोटो, और संजीव पर पिस्तौल तानते हुए फोटो भी है, इन सबसे लूट में तुम्हारा और नेहा का कनेक्शन बताया जा रहा है, और मित्तल सर को ये बात पता चल गई इसीलिए तुमने उनको मारने की कोशिश की।"


ये सुन कर मेरे होश फिर से एक बार उड़ गए। जहां तक मुझे याद था, study में सर की टेबल पर या और आस पास कहीं कोई फोटो या जगह नहीं दिखा था मुझे।


"मित्तल सर अभी भी बेहोश हैं, शायद कोमा में चले गए हैं। अब तो भगवान से दुआ करो कि वो बच जाएं। गोली उनके दिल को छूती हुई निकली है। Excessive blood loss से अभी भी होश में नहीं आए हैं।"


"यार, किन चक्करों में फंस गया हूं मैं।"


"जो भी है, अब वहां बैठ कर दिमाग लगा और कोशिश कर कि कहां से इसका कोई सिरा मिलता है। चल भाई अब रखता हूं। मैं ही कॉल करूंगा अब से, तुम मत करना। क्योंकि की जरूरी नहीं इसी नंबर से ही बात करूं आगे।" ये बोल कर उसने फोन रख दिया।


मैं बेहद पसोपेश में था, पूरी घटनाओं को बार बार याद करके सोच रहा था कि कैसे कोई सिरा मिल सकता है। तभी मेरे कमरे में जॉली भैया आ जाते हैं।


"मनीष, तुझे कुछ दिखना है मुझे।" उन्होंने कहा और साइड में रखा कंप्यूटर ऑन कर दिया।


उसके चालू होने के बाद उन्होंने फेसबुक खोला और मुझसे कहा, "देख मुझे गलत मत समझना, पर मैं जब भी किसी से मिलता हूं तो मेरी आदत है कि सोशल मीडिया पर उससे कनेक्ट होने की। इसी कारण उस दिन तुम्हारे जाने के बाद मैं नेहा को फेसबुक पर ढूंढा तो मुझे ये मिला।" बोल कर उन्होंने एक प्रोफाइल मेरे सामने खोल दी।


प्रोफाइल में नेहा वर्मा का नाम था, और उसकी एक बहुत पुरानी फोटो, लगभग 7 8 साल पहले की थी। उसमें कुछ ज्यादा पोस्ट तो नहीं मिले, जो भी थे वो कुछ सस्ती शायरी टाइप थे, जो उस समय sms से भेजी जाती थी एक दूसरे को। न कोई फोटो थी ऊपर में। तो मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं आया। फिर जॉली भैया ने प्रोफाइल में एक एल्बम खोला जो my love के नाम से बना था। और उसमें भी 3 4 फोटो ही थी। एक में एक टेडी बियर था, जिसके नीचे लिखा था, first gift of my love. और एक कार्ड की फोटो थी। उसको खोलने पर एक प्रोपोज कार्ड था, और उसमें अंदर में एक दिल बना कर उसमें Neha loves Bittu लिखा था। एक दो ऐसे ही और कार्ड की फोटो थी उसमें। ये सारी फोटो लगभग 7 8 साल पहले ही अपलोड की ही थी। ये देख कर मुझे एक झटका लगा, क्योंकि अगर जो ये बिट्टू ही संजीव था, तो उससे तो वो 5 साल पहले ही मिली थी। तो फिर ये था कौन?


"मैं तुझे इस बारे में बताना चाहता था, लेकिन फिर मुझे याद आया कि नेहा की तो पहले ही शादी हो चुकी थी, इसीलिए मैने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर आज फिर से मुझे इसकी याद आ गई तो सोचा तुम्हे बता दूं, शायद कुछ काम आ जाय।"


"थैक्यू जॉली भैया, पर नेहा ने इस बिट्टू के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था। खैर देखता हूं, ये कभी न कभी तो काम आएगा ही।"


फिर कुछ इधर उधर की बात करके जॉली भैया भी चले गए। दिन ऐसे ही बीतने लगे।


देखते ही देखते लगभग एक महीना बीत गया। मैं कमरे से बाहर नहीं निकलता था। खाना पीना समय पर आ जात था, सुबह शाम बाबूजी और जॉली भैया भी मुझसे मिलने आते थे। जॉली भैया ने उसी कंप्यूटर में टीवी का कनेक्शन भी लगवा दिया जिससे मुझे कुछ खबरें भी मिलने लगी। समर से भी बीच बीच में बात होती रहती थी। उसने बताया कि उसे इस केस से हटा दिया गया है, और इसमें मित्तल परिवार का ही हाथ है, क्योंकि वो लोग जानते हैं कि समर और मैं दोस्त हैं। फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली थी पुलिस को। और अभी इस केस को दूसरे SP, अमरकांत लीड कर रहे थे। वो बहुत कड़क पुलिस वाला था। और समर ने बताया कि वो थोड़ा ख़ाऊ टाइप भी है। मतलब रिश्वत वगैरा भी लेता है। समर और उनकी बहुत ज्यादा बनती भी नहीं थी। मित्तल सर की हालत अभी भी वैसी ही थी।


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखता थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...
Neha ne to poori tarah se loye laga diye hai manish ke, ek srdaar ji se aasra to mil gaya, per aise kab tak chalega dost? Kitne din survive kar payega wo? Khair dekhte hai, aage kya likha hai manish ki kismat me?
Awesome update 👌🏻 Riky👌🏻👌🏻👌🏻👌
 
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