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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,270
39,892
259
Fantastic update

तो आखिरकार नेहा और संजीव के जाल में फंस ही गया हमारा हीरो

देखते हैं इस जाल को बुना किसने है
मेरा अंदाजा तो श्रेय या शिविका भी हो सकती है

Jaisa ki pahle bhi lag raha tha, ye neha hi Dubble cross kar rahi hai manish ko, :approve: Saali ne ghar bula kar fsaya hai use, khar dekhne wali baat ye hai ki saamne to uska x tha, per peeche se war kisne kiya?? Jisne bhi kiya hai ye sab, wo ghaagh hai pakka:declare: Awesome update again :good:👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

To aakhir kar Neha ne khud call karke Manish ko bula leya or sab bat clear ki or sath me Majedar Romantic sex dono ka
.
Lekin ye Sanjeev achnak se kaise aa gaya yaha per or isne Revolver kaise nikal Lee Manish ki car se or usse bhi sabse badi bat Sanjeev or Neha ke bich jab Manish aaya to esa kya hua hoga ki Neha ki cheekh nikal gaye or Jaise he Manish jaise he palta kisi ne uske Sir pe mara aakhir kisne mara hoga Manish ke sir per
.
Kafi Romanchkari raha update ka ye last scene Riky007 bhai BRILLIANT writing

Awesome update
Neha vapish aayi aur ek nayi kahani sunakar sex ka dose dekar lagta hai manish ko fasa liya

और ये लगे ‘भोले बलम’ के लौ*!
जैसा मैंने पहले ही कहा था -- कार में पिस्तौल रखना सबसे बड़ी मूर्खता का काम है। ऐसी लावारिस पड़ी वस्तु कोई भी उठा सकता है। लेकिन, सवाल यह है कि संजीव को कैसे पता चला कि कार में ही उसकी पिस्तौल है? मनीष ने नेहा को दिखाया था, लिहाज़ा, संजीव को नेहा से ही पता चल सकता था। है कि नहीं?
नेहा की कहानी में बहुत से झोल हैं बाबा, बहुत से! इतना कमाती है तो शहर से इतनी दूर आ कर रहने की कोई मजबूरी नहीं है। पुनः, इतना कमाती है, फ़ोन जैसी मामूली वस्तु तुरंत ले सकती है। मन्नू भाई के सारे प्रश्नों के उत्तर दूध मलाई जी उसकी दही बना कर दे देती हैं।
मैं अपने सभी दोस्तों और अब अपने आगे वाली पीढ़ी को रिलेशनशिप पर एक सलाह ज़रूर देता हूँ -- never date a woman who carries a past! नेहा तो न जाने क्या क्या रहस्य लिए घूम रही है -- बार बार मन्नू भाई को दिखा भी रही है उसके उदाहरण! लेकिन इस गधे को समझ ही नहीं आ रहा है। थोड़ी भी सतर्कता नहीं है उसमें।
संजीव और नेहा हैं शतरंज के प्यादे। लौ* लग रहे हैं मनीष के -- या फिर किसी और के? शायद रजत मित्तल के?
देखते हैं।
अपडेट के अंत में थोड़ा सा चेंज किया है, एक बार चेक कर लें।🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Fantastic update

तो आखिरकार नेहा और संजीव के जाल में फंस ही गया हमारा हीरो

देखते हैं इस जाल को बुना किसने है
मेरा अंदाजा तो श्रेय या शिविका भी हो सकती है

Jaisa ki pahle bhi lag raha tha, ye neha hi Dubble cross kar rahi hai manish ko, :approve: Saali ne ghar bula kar fsaya hai use, khar dekhne wali baat ye hai ki saamne to uska x tha, per peeche se war kisne kiya?? Jisne bhi kiya hai ye sab, wo ghaagh hai pakka:declare: Awesome update again :good:👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

To aakhir kar Neha ne khud call karke Manish ko bula leya or sab bat clear ki or sath me Majedar Romantic sex dono ka
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Lekin ye Sanjeev achnak se kaise aa gaya yaha per or isne Revolver kaise nikal Lee Manish ki car se or usse bhi sabse badi bat Sanjeev or Neha ke bich jab Manish aaya to esa kya hua hoga ki Neha ki cheekh nikal gaye or Jaise he Manish jaise he palta kisi ne uske Sir pe mara aakhir kisne mara hoga Manish ke sir per
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Kafi Romanchkari raha update ka ye last scene Riky007 bhai BRILLIANT writing

Awesome update
Neha vapish aayi aur ek nayi kahani sunakar sex ka dose dekar lagta hai manish ko fasa liya

और ये लगे ‘भोले बलम’ के लौ*!
जैसा मैंने पहले ही कहा था -- कार में पिस्तौल रखना सबसे बड़ी मूर्खता का काम है। ऐसी लावारिस पड़ी वस्तु कोई भी उठा सकता है। लेकिन, सवाल यह है कि संजीव को कैसे पता चला कि कार में ही उसकी पिस्तौल है? मनीष ने नेहा को दिखाया था, लिहाज़ा, संजीव को नेहा से ही पता चल सकता था। है कि नहीं?
नेहा की कहानी में बहुत से झोल हैं बाबा, बहुत से! इतना कमाती है तो शहर से इतनी दूर आ कर रहने की कोई मजबूरी नहीं है। पुनः, इतना कमाती है, फ़ोन जैसी मामूली वस्तु तुरंत ले सकती है। मन्नू भाई के सारे प्रश्नों के उत्तर दूध मलाई जी उसकी दही बना कर दे देती हैं।
मैं अपने सभी दोस्तों और अब अपने आगे वाली पीढ़ी को रिलेशनशिप पर एक सलाह ज़रूर देता हूँ -- never date a woman who carries a past! नेहा तो न जाने क्या क्या रहस्य लिए घूम रही है -- बार बार मन्नू भाई को दिखा भी रही है उसके उदाहरण! लेकिन इस गधे को समझ ही नहीं आ रहा है। थोड़ी भी सतर्कता नहीं है उसमें।
संजीव और नेहा हैं शतरंज के प्यादे। लौ* लग रहे हैं मनीष के -- या फिर किसी और के? शायद रजत मित्तल के?
देखते हैं।
अपडेट के अंत में थोड़ा सा चेंज किया है, एक बार चेक कर लें।🙏🏼
 

parkas

Well-Known Member
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#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।

मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"
जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर छीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी

"नहीं.. आह!!!"

और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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manu@84

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सेक्स... एक दवा की तरह होता है😁 उसे दबा कर करने से दुश्मन भी दोस्त बन जाते है😁 नेहा ने मनीष को बुला कर, उसको दबा कर.. दवा का डोज दिया है। मनीष लगोट का कच्चा शुरू से ही रहा है, इसमें कोई दो राय नही है😁 लेकिन संजीव भाई साहब को क्या अपनी खुजली इसी update मे खुजानी थी... नेक्स्ट update मे गोलीबारी कर देते।
 

manu@84

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कहानी से ज्यादा राज तो मुझे इस रिव्यू में दिख रहे हैं 😌
ये राज अगले रिव्यू मे आज खोल दिया है😁
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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भाई ये कमेंट देने के बाद कहानी में बदलाव करना गलत है। 👎🙂↔️🚫🙅‍♂️
 

Riky007

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भाई ये कमेंट देने के बाद कहानी में बदलाव करना गलत है। 👎🙂↔️🚫🙅‍♂️
गलती हो गई भाई जी, आगे से ऐसा नहीं होगा 🙏🏼

इसीलिए बता भी दिया कि चेंज किया है।
 

Ajju Landwalia

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#अपडेट १६


अब तक आपने पढ़ा -



वोटिंग के लिए चीफ अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी को कॉल किया गया, और उनके आने पर वोटिंग का प्रोसेस शुरू हुआ।


और पहले मोशन के विरोध में लोगों के वोट लिए गए, और उसके रिजल्ट देख सबसे बड़ा झटका मित्तल सर को लगा.....


अब आगे -


मोशन के खिलाफ वोट करने वालों में श्रेय और एक प्रमोटर के अलावा, प्रिया और मित्तल सर की पत्नी थीं। ये देख कर मित्तल सर का चेहरा तमतमा गया था। अब उस मोशन के पक्ष में चार लोग, महेश अंकल उनकी पत्नी, बेटी शिविका, और एक प्रमोटर था। जबकि खिलाफ में एक प्रमोटर, श्रेय, मित्तल सर की पत्नी और उनकी बेटी प्रिया।


खुद के ही परिवार को अपने खिलाफ देख कर उनका सर शर्म से झुक गया, चेहरा लाल हो गया। श्रेय के चेहरे पर एक मुस्कान थी, मित्तल सर के अपने परिवार को ही उनके खिलाफ करने की।


हालांकि अभी भी मित्तल सर का वोट उनके मोशन को अप्रूव कर सकता था। मगर वो भी उनकी ही हार होती।


वो अपना वोट करने ही वाले थे, कि मैंने खड़े हो कर कहा, "सर, आप मेरे सिर्फ पिता ही नहीं मेरे भगवान भी हैं और इतना समझ लीजिए कि चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आपका साथ कभी नहीं छोडूंगा। लेकिन आपसे मेरी विनती है कि आप अपने इस प्रोपोजल को वापस ले लीजिए, मेरे लिए आपके नीचे काम करना मेरा सौभाग्य है और हमेशा रहेगा। चाहे वो मैं बोर्ड में रह कर करूं या बस एक अदना का कर्मचारी बन कर।"


"लेकिन मनीष.."


"सर, मैने कुछ आज तक आपसे मांगा नहीं है। इसे ही मेरी इक्षा समझ कर मान लीजिए।" मैन हाथ जोड़ते हुए कहा।


वो कुछ देर सोचने के बाद, "ठीक है मनीष, तुम्हारी मर्जी के कारण मैं ये प्रोपोजल वापस ले रहा हूं।"


इसी के साथ वो अपनी कुर्सी से उठ कर बाहर चले गए। आज उनकी चाल में वो रुतबा नहीं दिख रहा था। श्रेय ने जाते जाते मुझे एक कुटिल मुस्कान दी। प्रिया ने मेरी ओर देख भी नहीं। हां शिविका ने जरूर एक बार देखा, लेकिन उसकी आंखे सूनी सी थी।


सेंटर की टीम इंस्पेक्शन के लिए कुछ ही दिन आने वाली थी, तो मैं उसके तैयारियों में लग गया।


पूरा हफ्ता इसी में निकल गया। सेंटर की टीम संतुष्ट हो कर गई थी, और हमें उम्मीद थी कि सरकार अपना सोना रखने को तैयार हो जाएगी। इसी बीच नेहा भी देहरादून चली गई थी, क्योंकि उसके डाइवोर्स वाले केस की तारीख आने वाली थी, और उसने किसी तरह से पैसों का इंतजाम भी कर लिया था। मैने कई बार उसे पैसे लेने की कहा पर हर बार वो मुझे मना कर देती थी।


अगले हफ्ते इसकी मंजूरी भी आ गई, और इसी के उपलक्ष्य में एक बड़ी पार्टी रखी गई। ये पार्टी मित्तल मेंशन में थी, मुझे भी जाना था, पर अब मेरा मन नहीं करता था सर के परिवार के सामने पड़ने का। खैर जाना तो था ही, तो मैं भी वहां गया।


बहुत सी जानी मानी हस्तियां मौजूद थी उस पार्टी में। वहां मुझे समर भी दिखा।


"क्या भाई, तुम भी invited हो क्या?" मैने उससे पूछा।


"सरकारी नौकर हूं भाई, और मित्तल साहब की इतनी बड़ी पार्टी, सुरक्षा का भी तो खयाल रखना पड़ता है हम लोग को। ड्यूटी पर हूं।" उसने कहा।


"अरे भाई, मैने सोचा आज दोनो लोग साथ बैठते हैं।"


"चल किसी और दिन सही, आज तो मौका नहीं मिलना।" ये बोल कर समर अपनी ड्यूटी करने लगा और मैं पार्टी में चला गया। पार्टी अपने शबाब पर थी। खाना और पीना दोनों जोर शोर से चल रहे थे। मैं मित्तल सर के पास गया, और उन्होंने मेरा तारूफ कई बड़े बड़े लोगों से करवाया। फिर कुछ देर बाद उनकी इजाजत ले कर मैं एक पैग ले कर किनारे बैठ गया। तभी मुझे श्रेय दिखा, और उसने भी मुझे देखा। उसके साथ कई सारे लड़के लड़कियां थे उसके ही हमउम्र के।


मुझे देखते ही वो मेरे पास आया। "हेलो मनीष। कैसे हो भाई?" आवाज से पता लग रहा थी उसने पी रखी है


"बढ़िया हूं मैं, तुम बताओ।" मैने अनमने ढंग से उससे कहा।


उसने मेरे कंधे पर हाथ रखनकर कहा, "मनीष वो बोर्ड मीटिंग वाली बात, that was just business, nothing personal. बुरा मत मानना उसका भाई।"


"मैं उस बात को कबका भूल चुका हूं।" मैने उसी सपाट लहजे में कहा।


"बढ़िया है फिर।" ये बोल कर उसने मुझे गले लगा लिया।


"ठीक है भाई, enjoy the party. और ये है भी तुम्हारे ही कारण" बोल कर श्रेय चला गया। और मेरा मूड और खराब कर दिया उसने। मैं फौरन ही पार्टी से निकल गया।


घर पहुंच कर मैने और शराब पी और सोफे पर ही लुढ़क गया। आज नेहा भी नहीं थी कि मैं किसी के साथ वक्त बीतता।


धीरे धीरे ऐसे ही समय बीतने लगा, नेहा अभी भी नहीं आई थी। ऑफिस का काम भी सही तरीके आ चल रहा था। वाल्ट वाले डिवीजन में प्राइवेट लोग भी कई वाल्ट ले चुके थे। और सरकार ने भी अभी फिलहाल 10 टन सोना रखने की मंजूरी दे दी थी, जो 4 अलग अलग समय पर 6 महीने के अंदर आना था, और उसकी पहली खेप भी आ गई थी।



नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....

Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,

Aakhirkar Manish ke kehne par mittal sir ne proposal wapis le hi liya............

Lekin unko is proposal ko wapis lene me jitni beizzati aur jillat mehsus huyi he wo sirf wo hi samajh sakte he

Party me shery ne ek fir manish ke zakhmo par namak chidak diya..............

Neha ka wapis jana aur fir uska phone lagatar band aana kisi khatre ki ghanti na ho.........

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

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#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।

मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"
जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर छीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी

"नहीं.. आह!!!"

और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....

Bahut hi shandar update he Riky007 Bhai,

Aakhirkar bechara manish chut ke chakkar me fans hi gaya.............

Mujhe to lag raha he ye sab sanjiv aur neha ka hi plan tha............

Pehle to shahar ki aabadi se dur ghar lena, fir manish ko bulana............

Sochne vali baat ye he ki sanjiv ke kaise pata ki manish ki gaadi me revolver rakhi he??????

Dekho ab kya hota he aage.......................
 
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