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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Update 17

मनीष जिसके मन में ईश है, वो परिवार के विरुद्ध कोई कार्य कर ही नही सकता.. चाहे मित्तल हो या दुग्गल मनीष तो सिर्फ एक ही बात कहता है " कोई गल नही काके "😁 प्रपोसल तो बहाना है, नेहा की भी तो बत्ती जलाना है उसकी दुनिया अलग ही बन गयी है... बहुत राज है भाई... कहानी में...!
कहानी से ज्यादा राज तो मुझे इस रिव्यू में दिख रहे हैं 😌
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,187
39,717
259
#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।

मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"
जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर छीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी

"नहीं.. आह!!!"

और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Night me padh kar review deta hu Riky abhi thoda busy hu :declare:

Kafi kuch is UPDATE me intresting raha dekhne ko jaise Manish ke ne jaise he Neha ko piche apni bahoo me leya Neha ne ek pal me Manish ko dekh call per bat kar rhe shaksh se bat palat di use papa bata dia sath he Manish se 25 lac ki bat bol di apne X husband ko Dene ki ye bol ke ki in paiso ko leke wo Neha ko divorce dede ga
.
Fir Karan ne jo bataya Manish ko ki Neha ko Shray se isharo me bat karte dekha tha Karan ne ab ye bat janne ke bad Manish aage kya karta hai ye janna intresting hoga aage
.
Filhal Neha ne Manish ke ghar aake acha romantic waqt bitaya sath me
.
Jabki Manish ne Neha ko achi shopping Kara di sath me pub me dance or Dinner kia
.
Update kafi majedar raha ye wala very well Riky007 bhai

🤔 Kya matlab SIRJI

Awesome update
Kya ye hamla sochi samjhi sajish ke tahat hua hai Kyoki lag rha hai ki neha apne ko.sahi sabit karne aur manish ki taraf se uske parti fikar mand hokar uske liye hua shak ko darkinar krvana hai,
Lekin samir ne neha ke.jel.jane.ka.bta kar phir manish ke man me shak paida kiya lekin uska bhi jald.hi.hal.ho.gya,
Kahani ek dum se do mahine aage bad gayi hai ,

Basketball Wives Agree GIF by VH1

Bhaut hi shandar update he Riky007 Bhai,

Chalo ek baat to sahi huyi ki koi jyada gambhir rup se zakhmi nahi hua................

Neha ka past abhi bhi ek dark side me he.............jiska din ba din koi naya rahasay khul raha he................

Revolver to manish ko mil gayi............lekin uska use kab karega.............aur uska kya parinam hoga ye dekhne wali baat hogi.............

Keep rocking Bro

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

नेहा की एक्टिविटी और किश्त बाई किश्त उसका पास्ट सामने आना उसे संदेह के घेरे मे ही लाता है ।
लेकिन उसने जिस तरह से मनीष को लगने वाला चाकू खुद पर ले लिया , वह उसके संदिग्ध कैरेक्टर से मेल नही खाता है ।
और जहां बात है उसके चिटफंड घोटाले मे शामिल होने की , तो पुलिस उसे पहले ही क्लिन चिट दे चुकी है ।

मनीष के शक की एक वजह थी कि उसने एक रात एक युगल प्रेमी को मित्तल निवास के टेरेस पर आपत्तिजनक स्थिति मे देखा और उसे इल्म हुआ कि लड़की नेहा हो सकती है ।
नेहा के अनुसार उस रात वो अपनी एक रिलेटिव के साथ फिल्म देख रही थी । अगर मनीष साहब चाहें तो वो उस रिलेटिव से इसका सत्यापन पता कर सकते है ।

कुल मिलाकर नेहा का किरदार अब भी मिस्ट्रीयस जैसा रहा है । उसके पास्ट शनैः शनैः सामने आ रहे है इसलिए उन पर थोड़ा-बहुत शक बनता ही है ।

लेकिन मनीष पर जानलेवा घात किसने किया ? क्या यह एक साधारण पब फाइट का तत्कालिक परिणाम था या फिर कोई अन्य कारण ?

वैसे शिविका के चेहरे के नूर का फीकापन अब दिखाई देने लगा है । लेकिन इस फीकापन का कारण वह स्वयं थी । वह मनीष को पसंद करती थी तो उन्हे मनीष को यह बात बताना चाहिए था ।

खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....

Nice update....

Nice update

तो जैसा मुझे उम्मीद थी, शिविका का मनीष को ले कर दोस्त/प्रेमिका वाला भाव ही था!

लेकिन ऐसे गुप-चुप रह कर यह आशा करना कि अगला आपके मन की बात समझ जाएगा - मूर्खता होती है। वैसे, मेरे हिसाब से शिविका सही होती मनीष के लिए। नेहा के अतीत में ढेरों बोझ दिखाई दे रहे हैं, जिनके बारे में भाई को कोई ज्ञान नहीं है। वो भी उसको कुछ बताती नहीं - बस दूध मलाई खिला खिला कर बहलाती हुई दिख रही है।

रजत मित्तल के पास 15%; महेश मित्तल के पास 10%; तीनों बच्चों (प्रिया, श्रेयन, और शिविका) और दोनों श्रीमतियों के पास 55% -- मतलब औसतन 11% प्रति व्यक्ति? और दोनों प्रमोटर्स के पास 5-5% मिला कर 10% है। ये तो 90% ही बना! बचे हुए 10% कहाँ हैं? या फिर मैंने कुछ गलत समझ लिया? कृपया फिर से समझाएँ।

वैसे, यहाँ वोटिंग राइट शेयरहोल्डिंग पर आधारित नहीं है। नौ लोग हैं - अगर पाँच ने ‘न’ कह दिया, तो वो प्रपोजल ‘न’ ही रह जाएगा। मुझे लगता है कि श्रेयन, प्रिया, श्रीमति रजत मित्तल, श्रीमति महेश मित्तल, और दोनों प्रमोटर्स ने न कहा होगा (6 No और 3 Yes)। शिविका मनीष को चाहती है, इसलिए वो उसको यूँ नहीं काटेगी।

ख़ैर, शतरंज की बिसात वॉल्ट के इर्द-गिर्द बिछाई जा रही है। और मोहरा है मनीष। क्यों? क्योंकि उसके अलावा केवल रजत और महेश मित्तल को ही उसका एक्सेस है। लेकिन इसमें चाल क्या है, वो अभी मेरी समझ से परे है। मित्तल परिवार में अगर कोई चाहे तो मनीष को हटा सकता है। ख़ून से गाढ़ा कुछ नहीं होता!

तो शतरंज की चाल क्या है, समझ नहीं आ रहा है। मिशन इम्पॉसिबल को शतरंज की चाल नहीं कहा जा सकता है -- वो चोरी होती है। अगर सरकारी ख़जाने की चोरी होती है, तो पूरे ग्रुप का नुकसान होना है... किसी एक का नहीं! क्या पता, महेश ने रजत को हटाने के लिए कोई चाल चली हो। पुनः, वॉल्ट में अगर कोई लफ़ड़ा हुआ, तो पूरे ग्रुप को नुक़सान होगा - किसी एक को नहीं।

गाड़ी में पिस्तौल ले कर चलना मूर्खता है - गाड़ी का लॉक खोलना, संसार का सबसे आसान काम है।

बहुत बढ़िया कहानी है भाई! बहुत बढ़िया!
लेकिन आशा है कि शतरंज की चाल होगी - न कि चोरी डाका!

Are do teen update aa gayle hain yaha to, matlab riky bru ne update dene ki speed badha di hai. Abhi maza aayega :yes2:

Jald hi read karta hai apan :approve:

अभी व्यस्त हूं शाम को मस्त रहूंगा तब सारी चीर फाड़ करता हूं

Phir aapne mere review padha kya miss vixen ki story par??

Update 17

मनीष जिसके मन में ईश है, वो परिवार के विरुद्ध कोई कार्य कर ही नही सकता.. चाहे मित्तल हो या दुग्गल मनीष तो सिर्फ एक ही बात कहता है " कोई गल नही काके "😁 प्रपोसल तो बहाना है, नेहा की भी तो बत्ती जलाना है उसकी दुनिया अलग ही बन गयी है... बहुत राज है भाई... कहानी में...!
New update posted 🙏🏼
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"


मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी। पर जैसे ही मेरा ध्यान रिवॉल्वर से हट कर वापस संजीव पर गया, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"



और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
तो आखिरकार नेहा और संजीव के जाल में फंस ही गया हमारा हीरो

देखते हैं इस जाल को बुना किसने है
मेरा अंदाजा तो श्रेय या शिविका भी हो सकती है
 

Raj_sharma

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#अपडेट १६


अब तक आपने पढ़ा -



वोटिंग के लिए चीफ अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी को कॉल किया गया, और उनके आने पर वोटिंग का प्रोसेस शुरू हुआ।


और पहले मोशन के विरोध में लोगों के वोट लिए गए, और उसके रिजल्ट देख सबसे बड़ा झटका मित्तल सर को लगा.....


अब आगे -


मोशन के खिलाफ वोट करने वालों में श्रेय और एक प्रमोटर के अलावा, प्रिया और मित्तल सर की पत्नी थीं। ये देख कर मित्तल सर का चेहरा तमतमा गया था। अब उस मोशन के पक्ष में चार लोग, महेश अंकल उनकी पत्नी, बेटी शिविका, और एक प्रमोटर था। जबकि खिलाफ में एक प्रमोटर, श्रेय, मित्तल सर की पत्नी और उनकी बेटी प्रिया।


खुद के ही परिवार को अपने खिलाफ देख कर उनका सर शर्म से झुक गया, चेहरा लाल हो गया। श्रेय के चेहरे पर एक मुस्कान थी, मित्तल सर के अपने परिवार को ही उनके खिलाफ करने की।


हालांकि अभी भी मित्तल सर का वोट उनके मोशन को अप्रूव कर सकता था। मगर वो भी उनकी ही हार होती।


वो अपना वोट करने ही वाले थे, कि मैंने खड़े हो कर कहा, "सर, आप मेरे सिर्फ पिता ही नहीं मेरे भगवान भी हैं और इतना समझ लीजिए कि चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आपका साथ कभी नहीं छोडूंगा। लेकिन आपसे मेरी विनती है कि आप अपने इस प्रोपोजल को वापस ले लीजिए, मेरे लिए आपके नीचे काम करना मेरा सौभाग्य है और हमेशा रहेगा। चाहे वो मैं बोर्ड में रह कर करूं या बस एक अदना का कर्मचारी बन कर।"


"लेकिन मनीष.."


"सर, मैने कुछ आज तक आपसे मांगा नहीं है। इसे ही मेरी इक्षा समझ कर मान लीजिए।" मैन हाथ जोड़ते हुए कहा।


वो कुछ देर सोचने के बाद, "ठीक है मनीष, तुम्हारी मर्जी के कारण मैं ये प्रोपोजल वापस ले रहा हूं।"


इसी के साथ वो अपनी कुर्सी से उठ कर बाहर चले गए। आज उनकी चाल में वो रुतबा नहीं दिख रहा था। श्रेय ने जाते जाते मुझे एक कुटिल मुस्कान दी। प्रिया ने मेरी ओर देख भी नहीं। हां शिविका ने जरूर एक बार देखा, लेकिन उसकी आंखे सूनी सी थी।


सेंटर की टीम इंस्पेक्शन के लिए कुछ ही दिन आने वाली थी, तो मैं उसके तैयारियों में लग गया।


पूरा हफ्ता इसी में निकल गया। सेंटर की टीम संतुष्ट हो कर गई थी, और हमें उम्मीद थी कि सरकार अपना सोना रखने को तैयार हो जाएगी। इसी बीच नेहा भी देहरादून चली गई थी, क्योंकि उसके डाइवोर्स वाले केस की तारीख आने वाली थी, और उसने किसी तरह से पैसों का इंतजाम भी कर लिया था। मैने कई बार उसे पैसे लेने की कहा पर हर बार वो मुझे मना कर देती थी।


अगले हफ्ते इसकी मंजूरी भी आ गई, और इसी के उपलक्ष्य में एक बड़ी पार्टी रखी गई। ये पार्टी मित्तल मेंशन में थी, मुझे भी जाना था, पर अब मेरा मन नहीं करता था सर के परिवार के सामने पड़ने का। खैर जाना तो था ही, तो मैं भी वहां गया।


बहुत सी जानी मानी हस्तियां मौजूद थी उस पार्टी में। वहां मुझे समर भी दिखा।


"क्या भाई, तुम भी invited हो क्या?" मैने उससे पूछा।


"सरकारी नौकर हूं भाई, और मित्तल साहब की इतनी बड़ी पार्टी, सुरक्षा का भी तो खयाल रखना पड़ता है हम लोग को। ड्यूटी पर हूं।" उसने कहा।


"अरे भाई, मैने सोचा आज दोनो लोग साथ बैठते हैं।"


"चल किसी और दिन सही, आज तो मौका नहीं मिलना।" ये बोल कर समर अपनी ड्यूटी करने लगा और मैं पार्टी में चला गया। पार्टी अपने शबाब पर थी। खाना और पीना दोनों जोर शोर से चल रहे थे। मैं मित्तल सर के पास गया, और उन्होंने मेरा तारूफ कई बड़े बड़े लोगों से करवाया। फिर कुछ देर बाद उनकी इजाजत ले कर मैं एक पैग ले कर किनारे बैठ गया। तभी मुझे श्रेय दिखा, और उसने भी मुझे देखा। उसके साथ कई सारे लड़के लड़कियां थे उसके ही हमउम्र के।


मुझे देखते ही वो मेरे पास आया। "हेलो मनीष। कैसे हो भाई?" आवाज से पता लग रहा थी उसने पी रखी है


"बढ़िया हूं मैं, तुम बताओ।" मैने अनमने ढंग से उससे कहा।


उसने मेरे कंधे पर हाथ रखनकर कहा, "मनीष वो बोर्ड मीटिंग वाली बात, that was just business, nothing personal. बुरा मत मानना उसका भाई।"


"मैं उस बात को कबका भूल चुका हूं।" मैने उसी सपाट लहजे में कहा।


"बढ़िया है फिर।" ये बोल कर उसने मुझे गले लगा लिया।


"ठीक है भाई, enjoy the party. और ये है भी तुम्हारे ही कारण" बोल कर श्रेय चला गया। और मेरा मूड और खराब कर दिया उसने। मैं फौरन ही पार्टी से निकल गया।


घर पहुंच कर मैने और शराब पी और सोफे पर ही लुढ़क गया। आज नेहा भी नहीं थी कि मैं किसी के साथ वक्त बीतता।


धीरे धीरे ऐसे ही समय बीतने लगा, नेहा अभी भी नहीं आई थी। ऑफिस का काम भी सही तरीके आ चल रहा था। वाल्ट वाले डिवीजन में प्राइवेट लोग भी कई वाल्ट ले चुके थे। और सरकार ने भी अभी फिलहाल 10 टन सोना रखने की मंजूरी दे दी थी, जो 4 अलग अलग समय पर 6 महीने के अंदर आना था, और उसकी पहली खेप भी आ गई थी।



नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....
Ye Shreya bhosdi wala chahta hi nahi ki manish bord of director me samil ho, kyu ki agar aisa hota hai to fir wo uski barabari per aajayega, saale ne party me bhi manish ki gand jala di, khsir ye neha ka kya chakkar hai? Kya wo kisi khatre me hai? Ya manish ko chhod gai? Udhar sona aana suru ho gaya hai, to manish ka kaam or rutba dono hi badh rahe hai :declare: Superb update Riky bhai :applause::applause:
 

Raj_sharma

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#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"


मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी। पर जैसे ही मेरा ध्यान रिवॉल्वर से हट कर वापस संजीव पर गया, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"



और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
Jaisa ki pahle bhi lag raha tha, ye neha hi Dubble cross kar rahi hai manish ko, :approve: Saali ne ghar bula kar fsaya hai use, khar dekhne wali baat ye hai ki saamne to uska x tha, per peeche se war kisne kiya?? Jisne bhi kiya hai ye sab, wo ghaagh hai pakka:declare: Awesome update again :good:👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"


मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी। पर जैसे ही मेरा ध्यान रिवॉल्वर से हट कर वापस संजीव पर गया, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"



और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
To aakhir kar Neha ne khud call karke Manish ko bula leya or sab bat clear ki or sath me Majedar Romantic sex dono ka
.
Lekin ye Sanjeev achnak se kaise aa gaya yaha per or isne Revolver kaise nikal Lee Manish ki car se or usse bhi sabse badi bat Sanjeev or Neha ke bich jab Manish aaya to esa kya hua hoga ki Neha ki cheekh nikal gaye or Jaise he Manish jaise he palta kisi ne uske Sir pe mara aakhir kisne mara hoga Manish ke sir per
.
Kafi Romanchkari raha update ka ye last scene Riky007 bhai BRILLIANT writing
 

DEVIL MAXIMUM

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Jaisa ki pahle bhi lag raha tha, ye neha hi Dubble cross kar rahi hai manish ko, :approve: Saali ne ghar bula kar fsaya hai use
Kya bat hai Raj_sharma bhai aapko Neha ka Character per Gussa ho ya Neha per thoda detail batao bhai😂😂😂
 

Rekha rani

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#अपडेट १७


अब तक आपने पढ़ा -


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"


मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी। पर जैसे ही मेरा ध्यान रिवॉल्वर से हट कर वापस संजीव पर गया, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
Awesome update
Neha vapish aayi aur ek nayi kahani sunakar sex ka dose dekar lagta hai manish ko fasa liya
 
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