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Thriller शतरंज की चाल

parkas

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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।



मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
 

dhparikh

Well-Known Member
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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।



मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....
Nice update....
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Riky007 भाई अब जो भी चेंज करना हो कहानी में कर लेना
आपके सारे राज मैंने खोल दिए :sorry: :D
Aise polpatti khologe to wo bechare kuch to karenge hi...Waise bhi manish ki fajeehat kar ke aap sabne achha nahi kiya hai. Itne smart kirdar ki aisi taisi kar ke baith gayle ho sab ke sab....bhakkk :beee:
मैं चेंज नहीं करता आपको पता है।

बस साथ बने रहिए, ये देखने के लिए कि कौन है मास्टरमाइंड :thumbup:
:approve: Haan! Apan ne yakeen kar liya hai, fikar not karing ju :alright3:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Aise polpatti khologe to wo bechare kuch to karenge hi...Waise bhi manish ki fajeehat kar ke aap sabne achha nahi kiya hai. Itne smart kirdar ki aisi taisi kar ke baith gayle ho sab ke sab....bhakkk :beee:

:approve: Haan! Apan ne yakeen kar liya hai, fikar not karing ju :alright3:
खोलने दो भाई, पहली कहानी में ही ऐसी पोल पट्टियों को झेल चुका हूं, इसमें भी सही।

वैसे भी थ्रिलर सस्पेंस में लोग गेस न करें तो मजा नहीं आता। 😌
 

Riky007

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Ajju Landwalia

Well-Known Member
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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।



मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....

Bahut hi shandar update he Riky007 Bhai,

Pass to issue kar diya manish ne, lekin samne wala usase kai guna tej he..........

Ab ye white scorpio me kaun aa gaya manish ke samne???

Keep rocking bro
 
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