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Thriller शतरंज की चाल

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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#अपडेट ३०


अब तक आपने पढ़ा -


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....


अब आगे -


ये एक नया बम फूटा था मेरे ऊपर, मगर मैने कोई हैरत नहीं दिखाई। समर ने मुझे पहले ही समझा दिया था कि कुछ भी सुनने को मिल सकता है, सबके लिए तैयार रहना।


"अच्छा, हमने तो बस ऐसे ही सुना था कि नेहा और संजीव का लव अफेयर था, और इस शादी से आप खुश नहीं थे।" मैने बात सम्हालने की कोशिश की।


"संजीव से उसकी शादी हमने ही करवाई थी, और नेहा के लव अफेयर से अजीज आ कर ही हमने संजीव को चुना था उसके लिए।" अंशुमान जी ने कहा।


समर, "आप अपनी और अपने परिवार के बारे में अच्छे से बताइए, इससे बहुत कुछ क्लियर होगा।"


"हां, ये सही रहेगा।" मैने भी समर की बात का समर्थन करते हुए कहा।


"हम चार लोग का परिवार है, अब तो था हो गया है।" उन्होंने उदासी भरे अंदाज में कहना शुरू किया, "मैं, मेरी पत्नी रीमा, बड़ा बेटा निशांत और बेटी नेहा। छोटी होने के कारण वो बहुत लाड़ प्यार में पली, और शायद उसी से बिगड़ भी गई।"


नेहा का बड़ा भाई, एक और झूठ या कहीं की पूरा सच नहीं बताया।


"मेरा पुश्तैनी घर उज्जैन के पास ही एक गांव सेमरी में है, मेरी नौकरी तबादले वाली है तो जब दोनों बच्चे पढ़ने के काबिल हुए तो रीमा ने उज्जैन में रह कर दोनों को पढ़ने का निर्णय लिया। अब मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में इधर उधर रहने लगा, और दोनो बच्चे रीमा के साथ रह कर पढ़ने लगे। फिर मैने दिल्ली में रह कर अपना प्रमोशन लेना बंद कर दिया, जिससे करीब 7 8 साल मैं वहीं रहा, उधर बच्चे बड़े हो रहे थे, निशांत और नेहा में 4 साल का अंतर है, जब नेहा बारवीं में आई, तब तक निशांत ग्रेजुएशन करके IIM इंदौर से MBA करना शुरू कर चुका था। उसी समय रीमा की तबियत अच्छी नहीं रहने लगी, उसे जोड़ों के दर्द की समस्या शुरू हो गई और कुछ सांस की दिक्कत भी होने लगी , जिससे वो नेहा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी, पर दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत काबिल थे, इसीलिए ज्यादा ध्यान की जरूरत भी नहीं लगी हमें। नेहा ने उसी कॉलेज में एडमिशन लिया जिसमें से निशांत ने graduation की थी। जब निशांत का MBA पूरा हुआ, तो उसकी नौकरी एक बड़ी फर्म में लग चुकी थी, और वो कुछ समय के लिए उज्जैन गया था, इस समय नेहा सेकंड ईयर में आ चुकी थी। निशांत के बहुत कॉन्टेक्ट थे उस कॉलेज में, तो एक दिन उसके किसी जानने वाले ने बताया कि नेहा कुछ गलत लोगों के संपर्क में आ गई है, और अच्छा होगा कि हम उसे उज्जैन से कहीं बाहर भेज दें। निशांत ने मुझसे बात की, और अब चूंकि बच्चे भी सैटल हो रहे थे, तो मैंने रीमा को बता कर अपना ट्रांसफर देहरादून ले किया, जिससे नेहा भी उस संगत से दूर हो, रीमा को भी अच्छी आबोहवा मिले, और मैं भी परिवार के साथ रहने लगूं।


नेहा ने पहले तो बहुत विरोध किया इस बात का, मगर निशांत के समझाने पर वो मान गई, इधर मेरी भी कई बड़े लोगों से जान पहुंच थी, बैंक में काम करने के कारण, तो मैने भी सोर्स लगवा कर नेहा का कॉलेज ट्रांसफर ले लिया। एक साल देहरादून में शांति से गुजरे, नेहा की भी कोई शिकायत नहीं आई।"


"पर कैसी गलत सोहबत में वो पड़ गई थी? निशांत ने कभी बोला नहीं आपको?" मैने टोकते हुए पूछा।


"वो कुछ आवारा दोस्त बन गए थे उसके, कुछ उसकी ही क्लास के कुछ सीनियर भी। और वो लोग शराब और पार्टी वगैरा भी करने लगे थे। कुछ तो गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड भी थे। मतलब आप समझ रहे हैं न?"


"जी, समझ गया, तो क्या नेहा का भी कोई बाय फ्रेंड था वहां?"


"पता नहीं, पर कोई खास दोस्त तो था, क्योंकि वो घर अक्सर लेट भी आती थी, और कई सारे गिफ्ट भी मिले थे उसे। लेकिन रीमा ने कभी किसी लड़के के साथ उसे आते जाते नहीं देखा था, बस एक लड़की ही हमेशा आती थी।"


"फिर क्या हुआ?"


"ग्रेजुएशन करने के बाद नेहा ने दिल्ली से MBA करने को कहा। लेकिन हमने उसका एडमिशन वहीं के एक अच्छे कॉलेज में करवा दिया। वो अक्सर प्रोजेक्ट्स और ट्रेनिंग के सिलसिले में दिल्ली आती जाती रहती थी। MBA खत्म होने से पहले निशांत भी दिल्ली आ चुका था, और वहां पर उसे फिर से नेहा की कुछ हरकतों का पता चला कि वो किसी दो तीन लोग के ग्रुप से ही मिलती है, और कोई ट्रेनिंग वगैरा नहीं होती। ये सुन कर पूरा परिवार एक बार फिर गुस्सा हो गया, और इस बार मैने उसकी शादी कराने की ही ठान ली। संजीव हमारे घर के पास ही रहता था, देखने में अच्छा और फौज की नौकरी भी थी उसकी। घर में कोई नहीं था, जब हम देहरादून गए थे तब उसकी मां थी वहां, मगर कुछ दिनों के बाद वो भी चल बसी। लेकिन हमारे संबंध अच्छे बन गए थे उनसे। बड़ा बेटा अलग हो चुका था, और संजीव ही उनके साथ था। वो भी नेहा को पसंद करता था।"


एक सांस ले कर उन्होंने आगे बोलना शुरू किया। "जब हमने उनकी शादी तय की तो नेहा ने बहुत तमाशा किया, लेकिन हम सबकी जोर जबरदस्ती से शादी हो गई। और संजीव उसे ले कर अपनी पोस्टिंग पर चला गया। अक्सर हमारी बात दोनो से होती थी और दोनों खुश ही लगे हमे। फिर करीब छह महीने बाद पता नहीं क्या हुआ कि संजीव को सेना से निकला बाहर कर दिया। और दोनो वापस देहरादून आ गए। यहां आ कर नेहा और संजीव छोटी मोटी नौकरी करने लगे। फिर कुछ दिन बाद दोनों की नौकरी उसी चिट फंड कंपनी में लग गई, और वो भी 3 4 महीने बाद फ्रॉड करके भाग गई। कंपनी का ऑफिस संजीव के ही नाम पर लिया गया था, और नेहा को मैनेजर बना दिया गया था। तो लोगों की कंप्लेन पर दोनो को पुलिस ने पकड़ लिया, नेहा एक महीने बाद ही बाहर निकल आई, कैसे वो हमको भी नहीं पता। लेकिन संजीव एक साल बाद बाहर हुआ, और उसके बाद से ही दोनों के बीच कुछ सही नहीं रहा। कुछ दिन पहले ही खुद नेहा ने मुझे मित्तल सर से बात करके यहां नौकरी के लिए बोला, तो मेरी बात पर उन्होंने उसे रख लिया। बाकी का तो आप सबको पता ही है।"। ये सब बोलते बोलते उनकी आंखे भीग चुकी थी।


मैने उनके हाथ को पकड़ लिया।


"बेटा जितना अच्छा निकला, बेटी ने मुझे उतना ही निराश किया। पता नहीं हम पति पत्नी ने कहां चूक कर दी उसके लालन पालन में। किसकी सोहबत में वो ऐसी बन गई कुछ समझ नहीं आता। संजीव भी बहुत अच्छा हुआ करता था, पर उसकी भी जिंदगी शायद मेरे ही कारण बर्बाद हुई।"


"संजीव को सेना से क्यों निकाला गया?" मैने फिर से उनसे पूछा।


"आरोप लगा कि उसने दारू पी कर अपने किसी सीनियर की बीवी के साथ बतमीजी कर दी थी, और बहुत नशे में था वो। पर जब मैने उससे पूछा, तो उसका कहना था कि उसने तो बस दो या तीन पैग ही पीए थे, जो नॉर्मल था, पर एकदम से क्या हुआ, उसे भी समझ नहीं आया। और उसे कुछ याद भी नहीं था कि क्या हुआ था उस समय।"


"और नेहा का क्या रिएक्शन था उस बात पर?" अब समर ने सवाल।किया।


"नेहा ने तो संजीव का बहुत साथ दिया। वो थी तो उस पार्टी में ही, मगर जब वो कांड हुआ, उस समय वो भी वाशरूम में थी। संजीव पर उसे भरोसा था। और उसने संजीव की ही बात मानी। उस बात से हम सबको बहुत राहत मिली कि अब दोनों के बीच सब सही रहेगा। फिर वो वापस देहरादून आ गए, वहां कुछ दिन बाद दोनों ने वो चिटफंड कंपनी ज्वाइन की, और वो जेल वाला कांड हुआ। संजीव का कहना था कि नेहा खुद तो एक महीने में ही बाहर हो गई, और उसको बाहर करने की कोई कोशिश नहीं की। इसी बात पर दोनो के बीच तनाव बढ़ा और बात तलाक तक पहुंच गई, इसी बीच नेहा ने ही मुझे एक दिन मित्तल साहब से बात करके यहां काम करने को कहा।"


" वो चिटफंड कंपनी किसकी थी?" समर ने पूछा


"पुलिस ये कभी पता ही नहीं कर पाई, संजीव का कहना था कि कोई सतनाम सिंह नाम का सरदार था, जिससे नेहा ने ही उसे मिलवाया था। और वही उसका मालिक था, मगर उसके कागजात फर्जी निकले, पैसा भी कई अकाउंट्स से घुमाया गया तो किसके पास गया वो पैसा, पता ही नहीं चल पाया।"


"उज्जैन में उसकी संगत किन लोगों के साथ थी वो नहीं पूछा आपने? और दिल्ली में किन लोग से मिलती थी, वो सब अपने नहीं पता किया?" इस बार मैने पूछा।


"बेटा मैं अपनी नौकरी में और मेरी पत्नी की बीमारी के चलते ज्यादा तो नहीं पता कर पाए, लेकिन निशांत को भी ये सारी जानकारी उसके बहुत अच्छे जानने वालों ने ही दी थी, और उसने नेहा से इस बारे में पूछा तो उसने अपनी गलती मानते हुए उससे माफी मांग ली, और दुबारा उन लोगों से न मिलने की कसम भी खाई। इसीलिए उसने भी ज्यादा जानकारी नहीं ली।"


अब हमारे पास ज्यादा कुछ पूछने को था नहीं। तो समर उनको लेकर चला गया।


नेहा ने मुझसे कितने झूठ बोले थे उसका कोई अंत नहीं था, न सिर्फ शादी, बल्कि अपने प्यार, और यहां तक की अपने भाई के बारे में भी। मैं यही सब विचार करते हुए डिनर का ऑर्डर दे दिया।



थोड़ी देर बाद समर भी वापस आया, और हम डिनर पर इस बात पर विचार करने लगे कि आगे क्या किया जाय।


समर ने कहा कि वो उज्जैन जाएगा, आगे का पता करने। उसने मुझे जाने से रोका, क्योंकि वो पुलिस वाला था, इसीलिए वो जानकारी आराम से निकलवा सकता था। दूसरा उसका घर भी इंदौर में ही था तो उसने छुट्टी भी ली हुई थी वहां जाने के लिए तो उसका भी उपयोग कर लेगा वो।





फिर यही तय हुआ, और अगले दिन शाम में उसको निकलना था। अगला दिन भी होटल में रह कर ही बिताया मैने, समर ने मुझे ज्यादा बाहर न घूमने की सलाह दी थी। शाम को जाने से पहले वो मुझसे मिलने आया, और जाते जाते उसने मुझे एक चिट्ठी पकड़ाई....
Ab ja kar kahani rang me aagai hai Riky, neha ke saare jhooth manish ke saamne aa chuke hai, main to abb bhi yahi kahunga ki neha ke sath jo bhi tha, matlab uski seel todne wala mittal pariwar ka hi koi hai, aur 90% to shrey hi hai :declare:
Nice update 👌🏻 👌🏻👌🏻
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Ab ja kar kahani rang me aagai hai Riky, neha ke saare jhooth manish ke saamne aa chuke hai, main to abb bhi yahi kahunga ki neha ke sath jo bhi tha, matlab uski seel todne wala mittal pariwar ka hi koi hai, aur 90% to shrey hi hai :declare:
Nice update 👌🏻 👌🏻👌🏻
भाई बिसात में एक तरफा चालें तो चली नहीं जाएंगी, वार पलटवार तो दोनों तरफ से ही होंगे ही।
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#अपडेट २०

अब तक आपने पढ़ा -


मैने पेनड्राइव को अपने टीवी से लगा कर चलाया और उसमें मेरी और नेहा की न्यूड फोटो थी और एक छोटा सा वीडियो, उसी रात की जिस रात वो घटना हुई थी। ये देख कर मैं सोच में पड़ गया कि आखिर नेहा उस घर में क्यों गई थी। तभी मेरा फोन बजा, उसी प्राइवेट नंबर से....

अब आगे -

"ह हैलो।"

"मनीष, जो ये कह रहे हैं वो कुछ मत करना मनीष। भले ही ये मुझे मात दें। बिल्कुल वैसा मत करना।" नेहा की रोटी हुई आवाज मेरे कानो आई।

"नेहा, नेहा कैसी हो तुम, कहां हो...." इससे पहले नेहा कुछ और बोलती एक घरघराती आवाज मेरे कानो में पड़ी।

"पेनड्राइव देख लिया मैनेजर साहब?"

"देखो तुमको जो चाहिए वो लेलो, लेकिन नेहा को छोड़ दो।"

"छोड़ तो देंगे ही, मगर वो पिक्चर वायरल करने के बाद। सोचो लोग क्या समझेंगे नेहा को, एक प्रॉस्टीट्यूट। पैसे ले कर किसी के साथ भी सोने वाली... हाहाहा।" भयानक सी हंसी मेरे कानों में गूंजी।

"क्या चाहिए तुमको, कितना पैसा चाहिए, बोलो?" मैं गुस्से से भरा बोला उसे।

"पैसा, हाहाहा। पैसे छोड़ो, हमें जो चाहिए वो तुमको अभी पता चल जाएगा।"

"क्या चाहिए?"

"पहले दरवाजा खोलो और देखो।"

मैने दरवाजा खोल कर बाहर देखा, वहां एक और एनवेलप पड़ा था।

"हेलो, यहां एक और एनवेलप है।"

"उठाओ उसे और अंदर आ कर खोलो उसको।"

मैने अंदर आ कर उसे खोला। उसमें एक और पेन ड्राइव था।

"ये एक पेन ड्राइव है।"

"हां उसमें एक आदमी की डिटेल है, उसके लिए पास चाहिए हमें वाल्ट का।"

"मगर किस काम के लिए? क्योंकि इसका तो वाल्ट है नहीं।"

"काम... इलेक्ट्रिक के काम के लिए, और साथ में 5 आदमी और जायेंगे।"

"मगर इसके फिंगर प्रिंट कहां से आएंगे?"

"तुम पेन ड्राइव तो खोलो, उसमें सब कुछ मिल जाएगा तुमको।"

मैने पेन ड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई। उसमें सारी डिटेल थी, साथ ही साथ फिंगर प्रिंट भी उस फॉर्मेट में था जिसे हमारा सिस्टम चाहता था। खैर वो फॉर्मेट तो सभी फिंगरप्रिंट वाली मशीन बनती है तो इतना भी रॉकेट साइनस नहीं था इसमें। और किसी भी वाल्ट को खोलने के लिए उसका पासवर्ड चाहिए, जो सबके पर्सनल थे या सिस्टम में स्टोर थे, जिसकी जानकारी बस ऑफिस के सर्वर में ही थी। उनका एक्सेस में लिमिटेड लोग को था। जिसमें मैं, मित्तल सर, महेश अंकल, प्रिया, करण और श्रेयन को ही था। अब इनमें से तो कोई नहीं करेगा ये काम। वरना कंपनी की बहुत बदनामी हो जाती।

"इसमें तो सब है, तुमको कैसे पता कि यही सब चाहिए पास के लिए?"

" बहुत कॉमन चीजें है मैनेजर साहब, अब इतना तो आपको समझना चाहिए।"

वाकई ये तो बेसिक और कॉमन चीजें थी। वो आवाज जो इस बार थी फोन पर कुछ अलग थी, जैसे कोई और बात कर रहा है इस समय, और वो मुझे बहुत जानी पहचानी सी लग रही थी। मगर घरघराहट की वजह से समझ नहीं आ रहा था किसकी है।

"कब देना है इसे, और लोगे कैसे?"

" एक से दो दिन में बन जाना चाहिए, और कैसे लेना है वो हम ही बताएंगे। अब परसों शाम में बात होगी।" ये बोलते ही फोन कट गया।

"हेलो , हेलो..."

अब मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था कि मैं इसे करूं या नहीं। क्योंकि एक तरफ तो ये भी था कि अगर जो ये बात खुली तो कंपनी की बदनामी होगी, मगर अगर जो नहीं किया तो नेहा की बदनामी करने की धमकी दे रहा था वो। कंपनी की बदनामी तब होगी जब ये बात खुले कि गलत लोग घुसे हैं वाल्ट में, मगर फिर भी मुझे अपने सिक्योरिटी सिस्टम पर भरोसा था कि घुस भले जाएं, मगर बाहर निकलना नामुमकिन होगा। वैसे भी अंदर हथियार ले नहीं जा सकते, हां कुछ औजार जो मरम्मत के काम में लगेगा उसकी इजाजत थी, मगर हथियार की नहीं, और वहां हर समय एक छोटी फौज 8 10 लोग की रहती ही थी सिक्योरिटी के लिए। साथ में इसीलिए उनका बच कर जाना नामुमकिन है।

में ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रि

वॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....
*Lord Shri Krishna* ka sandesh yadi kisi ek ki jaan se kisi ek ganv ke logo ko bachaya ja sakta hai toh ek aadmi ka balidan nischit hi kar dena chahiye.
Par yahan ek aurat ki izzat ka sawal hai isliye Manish kya karta hai dekhne wali baat hogi, lekin sirf Neha ki maut ki baat hoti toh uska balidan hi sahi tha, par nude, pics videos viral ye sabhi chije ek aurat ke liye kai ganv ke logo se badh kar hoti hai, isliye dekhne hain Manish, Neha ke liye kya karta hai apne company ke sath dhokha ya phir Neha ka sath jo bilkul bhi deserve nahi karti hai.
Halanki ye baat Manish ko chhod kar sabhi readers ko pata hai.
Well Manish ko jo phir se alag person ka doubt hua tha kya wo *Shrey* hoga ya phir koi aur jo is game mein involved hai???

Again the update ended with a suspense.

Nice and lovely 🌹 update brother. The story justifies the title of the story.
 
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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।



मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....
Well jo bhi *pass* ke through andar gaye hain unka irada toh achha bilkul hi na raha hoga, par yadi checking sahi se huyi hai toh phir ve sab apne kaam ko kaise anjaam de payenge??
Sayad unka maksad pura safe(tijori) hi khali karna ho.

Well mujhe Neha ki wo baat yaad aa rahi hai jab Neha ne phone par kisi se kaha tha ha ha Manish bilkul Mera Diwana ho chuka hai bas ek baar aur uske sath sex karna hai,??

Well kisse baat kar rahi thi Neha??
1. Sanjeev: Apna ex-husband ??
2. Shrey: New boyfriend??
3. Ya phir koi aur jo is game ka mastermind hai???

Again update ended with a suspense!!!

Story is nicely poised brother.... Keep writing like this thriller episodes....
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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अब तक आपने पढ़ा -


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....


अब आगे -


ये एक नया बम फूटा था मेरे ऊपर, मगर मैने कोई हैरत नहीं दिखाई। समर ने मुझे पहले ही समझा दिया था कि कुछ भी सुनने को मिल सकता है, सबके लिए तैयार रहना।


"अच्छा, हमने तो बस ऐसे ही सुना था कि नेहा और संजीव का लव अफेयर था, और इस शादी से आप खुश नहीं थे।" मैने बात सम्हालने की कोशिश की।


"संजीव से उसकी शादी हमने ही करवाई थी, और नेहा के लव अफेयर से अजीज आ कर ही हमने संजीव को चुना था उसके लिए।" अंशुमान जी ने कहा।


समर, "आप अपनी और अपने परिवार के बारे में अच्छे से बताइए, इससे बहुत कुछ क्लियर होगा।"


"हां, ये सही रहेगा।" मैने भी समर की बात का समर्थन करते हुए कहा।


"हम चार लोग का परिवार है, अब तो था हो गया है।" उन्होंने उदासी भरे अंदाज में कहना शुरू किया, "मैं, मेरी पत्नी रीमा, बड़ा बेटा निशांत और बेटी नेहा। छोटी होने के कारण वो बहुत लाड़ प्यार में पली, और शायद उसी से बिगड़ भी गई।"


नेहा का बड़ा भाई, एक और झूठ या कहीं की पूरा सच नहीं बताया।


"मेरा पुश्तैनी घर उज्जैन के पास ही एक गांव सेमरी में है, मेरी नौकरी तबादले वाली है तो जब दोनों बच्चे पढ़ने के काबिल हुए तो रीमा ने उज्जैन में रह कर दोनों को पढ़ने का निर्णय लिया। अब मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में इधर उधर रहने लगा, और दोनो बच्चे रीमा के साथ रह कर पढ़ने लगे। फिर मैने दिल्ली में रह कर अपना प्रमोशन लेना बंद कर दिया, जिससे करीब 7 8 साल मैं वहीं रहा, उधर बच्चे बड़े हो रहे थे, निशांत और नेहा में 4 साल का अंतर है, जब नेहा बारवीं में आई, तब तक निशांत ग्रेजुएशन करके IIM इंदौर से MBA करना शुरू कर चुका था। उसी समय रीमा की तबियत अच्छी नहीं रहने लगी, उसे जोड़ों के दर्द की समस्या शुरू हो गई और कुछ सांस की दिक्कत भी होने लगी , जिससे वो नेहा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी, पर दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत काबिल थे, इसीलिए ज्यादा ध्यान की जरूरत भी नहीं लगी हमें। नेहा ने उसी कॉलेज में एडमिशन लिया जिसमें से निशांत ने graduation की थी। जब निशांत का MBA पूरा हुआ, तो उसकी नौकरी एक बड़ी फर्म में लग चुकी थी, और वो कुछ समय के लिए उज्जैन गया था, इस समय नेहा सेकंड ईयर में आ चुकी थी। निशांत के बहुत कॉन्टेक्ट थे उस कॉलेज में, तो एक दिन उसके किसी जानने वाले ने बताया कि नेहा कुछ गलत लोगों के संपर्क में आ गई है, और अच्छा होगा कि हम उसे उज्जैन से कहीं बाहर भेज दें। निशांत ने मुझसे बात की, और अब चूंकि बच्चे भी सैटल हो रहे थे, तो मैंने रीमा को बता कर अपना ट्रांसफर देहरादून ले किया, जिससे नेहा भी उस संगत से दूर हो, रीमा को भी अच्छी आबोहवा मिले, और मैं भी परिवार के साथ रहने लगूं।


नेहा ने पहले तो बहुत विरोध किया इस बात का, मगर निशांत के समझाने पर वो मान गई, इधर मेरी भी कई बड़े लोगों से जान पहुंच थी, बैंक में काम करने के कारण, तो मैने भी सोर्स लगवा कर नेहा का कॉलेज ट्रांसफर ले लिया। एक साल देहरादून में शांति से गुजरे, नेहा की भी कोई शिकायत नहीं आई।"


"पर कैसी गलत सोहबत में वो पड़ गई थी? निशांत ने कभी बोला नहीं आपको?" मैने टोकते हुए पूछा।


"वो कुछ आवारा दोस्त बन गए थे उसके, कुछ उसकी ही क्लास के कुछ सीनियर भी। और वो लोग शराब और पार्टी वगैरा भी करने लगे थे। कुछ तो गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड भी थे। मतलब आप समझ रहे हैं न?"


"जी, समझ गया, तो क्या नेहा का भी कोई बाय फ्रेंड था वहां?"


"पता नहीं, पर कोई खास दोस्त तो था, क्योंकि वो घर अक्सर लेट भी आती थी, और कई सारे गिफ्ट भी मिले थे उसे। लेकिन रीमा ने कभी किसी लड़के के साथ उसे आते जाते नहीं देखा था, बस एक लड़की ही हमेशा आती थी।"


"फिर क्या हुआ?"


"ग्रेजुएशन करने के बाद नेहा ने दिल्ली से MBA करने को कहा। लेकिन हमने उसका एडमिशन वहीं के एक अच्छे कॉलेज में करवा दिया। वो अक्सर प्रोजेक्ट्स और ट्रेनिंग के सिलसिले में दिल्ली आती जाती रहती थी। MBA खत्म होने से पहले निशांत भी दिल्ली आ चुका था, और वहां पर उसे फिर से नेहा की कुछ हरकतों का पता चला कि वो किसी दो तीन लोग के ग्रुप से ही मिलती है, और कोई ट्रेनिंग वगैरा नहीं होती। ये सुन कर पूरा परिवार एक बार फिर गुस्सा हो गया, और इस बार मैने उसकी शादी कराने की ही ठान ली। संजीव हमारे घर के पास ही रहता था, देखने में अच्छा और फौज की नौकरी भी थी उसकी। घर में कोई नहीं था, जब हम देहरादून गए थे तब उसकी मां थी वहां, मगर कुछ दिनों के बाद वो भी चल बसी। लेकिन हमारे संबंध अच्छे बन गए थे उनसे। बड़ा बेटा अलग हो चुका था, और संजीव ही उनके साथ था। वो भी नेहा को पसंद करता था।"


एक सांस ले कर उन्होंने आगे बोलना शुरू किया। "जब हमने उनकी शादी तय की तो नेहा ने बहुत तमाशा किया, लेकिन हम सबकी जोर जबरदस्ती से शादी हो गई। और संजीव उसे ले कर अपनी पोस्टिंग पर चला गया। अक्सर हमारी बात दोनो से होती थी और दोनों खुश ही लगे हमे। फिर करीब छह महीने बाद पता नहीं क्या हुआ कि संजीव को सेना से निकला बाहर कर दिया। और दोनो वापस देहरादून आ गए। यहां आ कर नेहा और संजीव छोटी मोटी नौकरी करने लगे। फिर कुछ दिन बाद दोनों की नौकरी उसी चिट फंड कंपनी में लग गई, और वो भी 3 4 महीने बाद फ्रॉड करके भाग गई। कंपनी का ऑफिस संजीव के ही नाम पर लिया गया था, और नेहा को मैनेजर बना दिया गया था। तो लोगों की कंप्लेन पर दोनो को पुलिस ने पकड़ लिया, नेहा एक महीने बाद ही बाहर निकल आई, कैसे वो हमको भी नहीं पता। लेकिन संजीव एक साल बाद बाहर हुआ, और उसके बाद से ही दोनों के बीच कुछ सही नहीं रहा। कुछ दिन पहले ही खुद नेहा ने मुझे मित्तल सर से बात करके यहां नौकरी के लिए बोला, तो मेरी बात पर उन्होंने उसे रख लिया। बाकी का तो आप सबको पता ही है।"। ये सब बोलते बोलते उनकी आंखे भीग चुकी थी।


मैने उनके हाथ को पकड़ लिया।


"बेटा जितना अच्छा निकला, बेटी ने मुझे उतना ही निराश किया। पता नहीं हम पति पत्नी ने कहां चूक कर दी उसके लालन पालन में। किसकी सोहबत में वो ऐसी बन गई कुछ समझ नहीं आता। संजीव भी बहुत अच्छा हुआ करता था, पर उसकी भी जिंदगी शायद मेरे ही कारण बर्बाद हुई।"


"संजीव को सेना से क्यों निकाला गया?" मैने फिर से उनसे पूछा।


"आरोप लगा कि उसने दारू पी कर अपने किसी सीनियर की बीवी के साथ बतमीजी कर दी थी, और बहुत नशे में था वो। पर जब मैने उससे पूछा, तो उसका कहना था कि उसने तो बस दो या तीन पैग ही पीए थे, जो नॉर्मल था, पर एकदम से क्या हुआ, उसे भी समझ नहीं आया। और उसे कुछ याद भी नहीं था कि क्या हुआ था उस समय।"


"और नेहा का क्या रिएक्शन था उस बात पर?" अब समर ने सवाल।किया।


"नेहा ने तो संजीव का बहुत साथ दिया। वो थी तो उस पार्टी में ही, मगर जब वो कांड हुआ, उस समय वो भी वाशरूम में थी। संजीव पर उसे भरोसा था। और उसने संजीव की ही बात मानी। उस बात से हम सबको बहुत राहत मिली कि अब दोनों के बीच सब सही रहेगा। फिर वो वापस देहरादून आ गए, वहां कुछ दिन बाद दोनों ने वो चिटफंड कंपनी ज्वाइन की, और वो जेल वाला कांड हुआ। संजीव का कहना था कि नेहा खुद तो एक महीने में ही बाहर हो गई, और उसको बाहर करने की कोई कोशिश नहीं की। इसी बात पर दोनो के बीच तनाव बढ़ा और बात तलाक तक पहुंच गई, इसी बीच नेहा ने ही मुझे एक दिन मित्तल साहब से बात करके यहां काम करने को कहा।"


" वो चिटफंड कंपनी किसकी थी?" समर ने पूछा


"पुलिस ये कभी पता ही नहीं कर पाई, संजीव का कहना था कि कोई सतनाम सिंह नाम का सरदार था, जिससे नेहा ने ही उसे मिलवाया था। और वही उसका मालिक था, मगर उसके कागजात फर्जी निकले, पैसा भी कई अकाउंट्स से घुमाया गया तो किसके पास गया वो पैसा, पता ही नहीं चल पाया।"


"उज्जैन में उसकी संगत किन लोगों के साथ थी वो नहीं पूछा आपने? और दिल्ली में किन लोग से मिलती थी, वो सब अपने नहीं पता किया?" इस बार मैने पूछा।


"बेटा मैं अपनी नौकरी में और मेरी पत्नी की बीमारी के चलते ज्यादा तो नहीं पता कर पाए, लेकिन निशांत को भी ये सारी जानकारी उसके बहुत अच्छे जानने वालों ने ही दी थी, और उसने नेहा से इस बारे में पूछा तो उसने अपनी गलती मानते हुए उससे माफी मांग ली, और दुबारा उन लोगों से न मिलने की कसम भी खाई। इसीलिए उसने भी ज्यादा जानकारी नहीं ली।"


अब हमारे पास ज्यादा कुछ पूछने को था नहीं। तो समर उनको लेकर चला गया।


नेहा ने मुझसे कितने झूठ बोले थे उसका कोई अंत नहीं था, न सिर्फ शादी, बल्कि अपने प्यार, और यहां तक की अपने भाई के बारे में भी। मैं यही सब विचार करते हुए डिनर का ऑर्डर दे दिया।



थोड़ी देर बाद समर भी वापस आया, और हम डिनर पर इस बात पर विचार करने लगे कि आगे क्या किया जाय।


समर ने कहा कि वो उज्जैन जाएगा, आगे का पता करने। उसने मुझे जाने से रोका, क्योंकि वो पुलिस वाला था, इसीलिए वो जानकारी आराम से निकलवा सकता था। दूसरा उसका घर भी इंदौर में ही था तो उसने छुट्टी भी ली हुई थी वहां जाने के लिए तो उसका भी उपयोग कर लेगा वो।





फिर यही तय हुआ, और अगले दिन शाम में उसको निकलना था। अगला दिन भी होटल में रह कर ही बिताया मैने, समर ने मुझे ज्यादा बाहर न घूमने की सलाह दी थी। शाम को जाने से पहले वो मुझसे मिलने आया, और जाते जाते उसने मुझे एक चिट्ठी पकड़ाई....
Jitna socha usse jyada nikli Neha
.
Collage time se kand karti hue aa rhe thi bechara Sanjeev bina wajh bali ka bakra ban gaya Neha ke chkkar me mara gaya so alag
.
Kher ab dekhte hai Neha ke Pita se mili jankari se Samar aage ki or jankari kaise nikalega or is bich Manish kya krega
Ya
Shivika se mulaqat ho paygi Manish ki
.
Very well update Riky007 bhai
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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*Lord Shri Krishna* ka sandesh yadi kisi ek ki jaan se kisi ek ganv ke logo ko bachaya ja sakta hai toh ek aadmi ka balidan nischit hi kar dena chahiye.
Par yahan ek aurat ki izzat ka sawal hai isliye Manish kya karta hai dekhne wali baat hogi, lekin sirf Neha ki maut ki baat hoti toh uska balidan hi sahi tha, par nude, pics videos viral ye sabhi chije ek aurat ke liye kai ganv ke logo se badh kar hoti hai, isliye dekhne hain Manish, Neha ke liye kya karta hai apne company ke sath dhokha ya phir Neha ka sath jo bilkul bhi deserve nahi karti hai.
Halanki ye baat Manish ko chhod kar sabhi readers ko pata hai.
Well Manish ko jo phir se alag person ka doubt hua tha kya wo *Shrey* hoga ya phir koi aur jo is game mein involved hai???

Again the update ended with a suspense.

Nice and lovely 🌹 update brother. The story justifies the title of the story.
औरत की इज्जत और साथ साथ उसका प्यार, दोनो उसे कंपनी के साथ दगा करने को ही कहेंगे। पर फिलहाल तो उसे ही निर्णय लेना है।
Well jo bhi *pass* ke through andar gaye hain unka irada toh achha bilkul hi na raha hoga, par yadi checking sahi se huyi hai toh phir ve sab apne kaam ko kaise anjaam de payenge??
Sayad unka maksad pura safe(tijori) hi khali karna ho.

Well mujhe Neha ki wo baat yaad aa rahi hai jab Neha ne phone par kisi se kaha tha ha ha Manish bilkul Mera Diwana ho chuka hai bas ek baar aur uske sath sex karna hai,??

Well kisse baat kar rahi thi Neha??
1. Sanjeev: Apna ex-husband ??
2. Shrey: New boyfriend??
3. Ya phir koi aur jo is game ka mastermind hai???

Again update ended with a suspense!!!

Story is nicely poised brother.... Keep writing like this thriller episodes....
चेकिंग तो उनकी अच्छे से ही हुई है, पर फिर भी उनको हथियार मिलेंगे, कैसे ये आगे पता चलेगा।

और शक की सुई सब ओर है, क्या संजीव, क्या श्रेय।

धन्यवाद भाई कहानी पसंद करने के लिए।
 

Riky007

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Jitna socha usse jyada nikli Neha
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Collage time se kand karti hue aa rhe thi bechara Sanjeev bina wajh bali ka bakra ban gaya Neha ke chkkar me mara gaya so alag
.
Kher ab dekhte hai Neha ke Pita se mili jankari se Samar aage ki or jankari kaise nikalega or is bich Manish kya krega
Ya
Shivika se mulaqat ho paygi Manish ki
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मुश्किल है फिलहाल, आगे देखते हैं क्या होता है।
Very well update Riky007 bhai
धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

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#अपडेट ३१


अब तक आपने पढ़ा -


फिर यही तय हुआ, और अगले दिन शाम में उसको निकलना था। अगला दिन भी होटल में रह कर ही बिताया मैने, समर ने मुझे ज्यादा बाहर न घूमने की सलाह दी थी। शाम को जाने से पहले वो मुझसे मिलने आया, और जाते जाते उसने मुझे एक चिट्ठी पकड़ाई....


अब आगे -


मैने उसे सवालिया नजरों से देखा।


"ये शिविका की है।"


"तुमने बताया उससे कि मैं.."


"तुम्हारे जाने के बाद जब वो मुझसे मिलने आई थी तब ही दी थी उसने, कहा था कि मैं पक्का तुम्हारे टच में हूं तो ये चिट्ठी कभी न कभी तुमको मिल जाएगी। इसीलिए मैने दे दी तुम्हे।"


मैने उसे खोल कर पढ़ना शुरू किया।



मनीष,


कैसे कहूं ये समझ नहीं आ रहा, इसीलिए इस चिट्ठी का सहारा ले रही हूं।


मनीष हमारे घर में शादी ब्याह के मामले में बड़ों की राय ही सबसे महत्वपूर्ण है। मगर मुझे बड़े होते ही ये बताया गया कि मेरी और तुम्हारी शादी होगी, पहले तो मैं इसके खिलाफ थी, मगर जब तुम यहां आए और मैने तुमको जाना, तुम्हारे लिए मेरे मन में प्यार अंकुरित होने लगा था। याद है एक बार मैने तुमको कहा था कि सबसे पहले मुझे बताना अगर जो तुम्हे कोई पसंद आए तो। मगर शायद तुम समझे नहीं।


खैर, प्यार पर किसका जोर चलता है। तुम्हारे जीवन में नेहा आई और तुम उससे प्यार बैठे। सच कहती हूं जब मुझे ये पता चला, मेरा दिल बहुत बुरी तरह से टूट गया था। मगर तुम्हारी खुशी अगर जो नेहा में थी, तो मैं कौन होती हूं बीच में आने वाली। श्रेय ने मुझे कई बार अपनी बात बताने के लिए कहा, मगर मैने तुम्हारी खुशी को देखते हुए कभी ये बात तुमसे कहने की हिम्मत नहीं जुटाई।


ये चिट्ठी भी अभी मैने तुमको ये बताने के लिए नहीं, बल्कि ये कहने के लिए लिखी है कि भले ही दुनिया तुमको गलत समझ रही हो, मगर मैं तुमको बिल्कुल गलत नहीं मानती, और मैं हर समय तुम्हारे साथ खड़ी हूं। इस सबके पीछे जो कोई भी है, कोई हमारी कंपनी का ही है। याद है तुम्हे उस दिन चाचा ने फोन करके तुमको बुलाया था और कहा था कि तुम्हे फंसाया जा रहा है इन सब में, और उसके बाद जैसे ही तुम आए उनके ऊपर हमला हो चुका था।


उस समय मैं चाची से किसी काम से मिलने आई थी, और वो तुमसे बात कर रहे थे। मैं पूछना चाहती थी कि क्या हुआ है, मगर तब तक मां ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया, और मैं पूछ भी नहीं पाई और चाचा जी इस हालत में आ गए। इस बात का मैं खुद को गुनाहगार मानती हूं मनीष। इसीलिए तुम मुझे बताओ, जो होगा मैं करूंगी उसको बेनकाब करने के लिए।


मुझे पता है कि नेहा ने जो तुम्हारे साथ किया उससे शायद मुझ पर क्या किसी पर भी तुम्हारा विश्वास करना कठिन है, लेकिन मैं आज भी तुम्हे एक दोस्त के रूप में देखती हूं और तुम्हारी हर संभव मदद करना चाहती हूं।


तुम्हारी हमेशा


शिविका



चिट्ठी पढ़ कर मुझे एक और झटका लगा, मित्तल सर ने मुझे फोन किया था?


मैने फौरन समर से पूछा, "मित्तल सर का फोन रिकॉर्ड चेक किया था तुमने?"


"हां, मगर क्यों?"


"उनका लास्ट कॉल किसे था?"


"तुमको।"


"मगर मैने तो उनका कोई कॉल रिसीव नहीं किया?"


"क्या?" अब चौंकने की बारी समर की थी। "अच्छा रुक दो मिनिट।" ये बोल कर वो किसी को फोन लगाने लगा।


पांच मिनिट बाद उसने मुझे एक रिकॉर्डिंग सुनवाई।



"हेलो मनीष?" मित्तल सर


"ह्म्म्म"


"बेटा जल्दी घर आओ, तुमको इन सब में फंसाया जा रहा है बेटा, यहां आओ मैं सब बताता हूं तुमको।


"ह्म्म्म"



इतनी ही रिकॉर्डिंग थी।


समर, "ये ही आखिरी कॉल थी तुम्हारे फोन पर, और मित्तल सर के फोन से भी। तुम्हारा फोन जो रिकॉर्डिंग पर डाला था उसमें आखिरी रिकॉर्डिंग यही हुई थी, फिर मैने बंद करवा दिया था। वैसे भी ये अनऑफिशियल था।"


"मगर मैने ये कॉल नहीं ली।"


"अच्छा चलो अभी फिलहाल तो मुझे उज्जैन से आने दो, पहले इस बिट्टू का पता लगाना जरूरी है। फिर इस कॉल का रहस्य भी सुलझाया जाएगा। और हां अपना ख्याल रखना, और बाहर कम से कम निकलना, मैं आता हूं 2 3 दिन में।" ये बोल कर समर निकल गया। जाते जाते उसने मुझे फिलहाल शिविका से मिलने को मना किया था।


अगले दिन मैं बैठा बोर हो रहा था तो दोपहर में फिर एक बार हॉस्पिटल के लिए निकल गया। और वहीं उसी वेटिंग रूम में शाम तक बैठ कर देखता रहा। आज मित्तल सर को देखने महेश अंकल और दोनो आंटी आईं थी।


अगले दिन मैं फिर से वहां चला गया। आज फिर शिविका आई थी, और फिर वो किसी को ढूंढ रही थी। उसकी नजर एक बार फिर मुझ पर टिकी, और वो कुछ देर ध्यान से मुझे देखती रही। तभी श्रेय ने उसके कंधे पर हाथ रखा, और वो दोनों फिर मित्तल सर के कमरे में चले गए।



थोड़ी देर बाद शिविका बदहवास सी कमरे से निकल कर नर्स को अंदर बुला ले गई, और नर्स ने भी फौरन किसी को कॉल किया....
 

Riky007

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Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....

Awesome update
Neha to bahut pahunchi huyi lag rahi hai
Wo apne ma bap aur bhai se khilaf rahi, manish ki kaha se hoti,
Aur bap ne jo bataya uske anusar wo ek mohare ke rup me mittal sahab ki company me aayi thi aur manish ko fasaya apne jal me aur koi aur mastermind hai in sab ke pichhe
Koun koi Outsider or Mittal house member or both

अब उज्जैन और दिल्ली से ही पता चलेगा कि वहां नेहा किसके सम्पर्क में रहती थी

संजीव के फौज से निकलने के पीछे भी नेहा के संपर्क के वही लोग थे, जरुर नेहा ने ही संजीव के ड्रिंक में कोई ड्रग मिलाया होगा

जबरदस्त अपडेट

Bahut hi umda update he Riky007 Bhai,

Neha ne jaane kitne jhuth bole manish se...........aur na jaane kitni baate chhupayi..........

Ab samar ujjain jakar kuch aur khabar b=nikaal kar layega.........

Keep rocking Bro

बहुत ही सुंदर लाजवाब और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Nice update....

सही तरीके से देखभाल या फिर परवरिश मे कुछ कमी ने नेहा को गलत रास्ते पर ढकेल दिया । लेकिन उसके भाई निशांत के साथ ऐसा नही था , वह अपने लक्ष्य पर फोकस रहा और एक कामयाब इंसान बना ।
बहुत साल पहले एक फिल्म आई थी । देव आनंद साहब की फिल्म " हरे रामा हरे कृष्णा " । इस फिल्म मे भी बहन अच्छी परवरिश के वगैर नशेड़ी बन गई । उसका पुरा समय चरसी और नशेड़ी हिप्पीयों के साथ बितने लगा और अंत मे वह अपनी जान गंवा दी ।
नेहा स्कूल लाइफ से ही गलत संगत मे रही । गलत संगत का प्रभाव व्यक्ति पर न पड़े , हो ही नही सकता ।
लेकिन मनीष साहब को नेहा के डैड से बिट्टू के बारे मे बात करनी चाहिए थी । वैसे बिट्टू उस व्यक्ति का वास्तविक नाम नही हो सकता पर एक बार उसके बारे मे पूछताछ तो अवश्य करनी चाहिए थी ।
मनीष साहब इस बात का भी पता लगाएं कि मित्तल निवास मे किसी के पुकार का नाम बिट्टू है की नही !

मनीष साहब को इस काम या मित्तल निवास मे किसी भी छानबीन करने के लिए घर के अंदर एक अपना एक गुड फेथ का व्यक्ति भी जरूर होना चाहिए । शायद शिविका इस काम के लिए परफेक्ट लड़की होनी चाहिए ।
आखिर शिविका ने अस्पताल मे मनीष को पहचान कर भी इग्नोर कर दिया था , क्यों की अस्पताल मे पुलिस उस वक्त थी ।

खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।

Neha paki ashiq nikli apne ashiq ke bare me usne akhri tak socha sach me

Wow bro kya card khela hai *Shrey* ne jo Mittal sir ki wife aur uski beti ko uske hi khilaf kar diya, ye Shrey jarur kuchh bada plan kar raha Manish ke sath lag to aisa hi raha hai. ... Phir Neha ko Manish ko ignore kar kya mil raha hai yadi wo Manish ke sath rahegi to aur achhe se Manish ki le payegi??? Khair dekhte hain Neha kya khichdi paka rahi hai.

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

नेहा नेहा नेहा नेहा , कितने झूठ बोले,
नहीं बल्कि उसने सिर्फ झूठ ही बोला ,सच तो क्या होता है वो बेचारी तो जानती ही नहीं थी।
अब झूठों से सच की उम्मीद रखना भी तो समझदारी नहीं भाई मनीष।
अब हमारे त्रिमूर्ति नंबर1 समर साहब ही कुछ खोद के लाएंगे।
हर अपडेट के साथ हमारी पुरानी सोच की वॉट लगा देते हो भाई , कुछ नया मसाला लगाके कहानी में

निशांत और नेहा ऐसे निकले जैसे एक ही पेड़ से आम और धतूरा निकले हों! परवरिश एक हद तक ही असर देती है, उसके बाद अपना खुद का चरित्र अपने व्यवहार पर हावी होने लगता है।
बिट्टू वाला कोण थोड़ा अजीब लगा - क्योंकि पहले यह लग रहा था कि मित्तल परिवार में से ही कोई है, जो इस साज़िश के पीछे है। लेकिन जिस परिवेश में नेहा पली बढ़ी है, वहाँ मित्तल परिवार का भला कौन सा सदस्य आ सकता था?
और यह मान लेना कि बिट्टू कोई पुरुष है, गलत होता - लड़की भी हो सकती है। नेहा समलैंगिक भी हो सकती थी!
ऐसे में रजत मित्तल की बेटी वो बिट्टू हो सकती है। मैंने कहा है पहले भी कि मोनू के होने का सबसे बड़ा आर्थिक नुक़सान उसी को है।
और ये पैसा जो न करवाए वो कम !

Ab ja kar kahani rang me aagai hai Riky, neha ke saare jhooth manish ke saamne aa chuke hai, main to abb bhi yahi kahunga ki neha ke sath jo bhi tha, matlab uski seel todne wala mittal pariwar ka hi koi hai, aur 90% to shrey hi hai :declare:
Nice update 👌🏻 👌🏻👌🏻

Jitna socha usse jyada nikli Neha
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Kher ab dekhte hai Neha ke Pita se mili jankari se Samar aage ki or jankari kaise nikalega or is bich Manish kya krega
Ya
Shivika se mulaqat ho paygi Manish ki
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Very well update Riky007 bhai
अपडेट पोस्टेड 🙏🏼
 

ayush01111

Well-Known Member
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#अपडेट ३१


अब तक आपने पढ़ा -


फिर यही तय हुआ, और अगले दिन शाम में उसको निकलना था। अगला दिन भी होटल में रह कर ही बिताया मैने, समर ने मुझे ज्यादा बाहर न घूमने की सलाह दी थी। शाम को जाने से पहले वो मुझसे मिलने आया, और जाते जाते उसने मुझे एक चिट्ठी पकड़ाई....


अब आगे -


मैने उसे सवालिया नजरों से देखा।


"ये शिविका की है।"


"तुमने बताया उससे कि मैं.."


"तुम्हारे जाने के बाद जब वो मुझसे मिलने आई थी तब ही दी थी उसने, कहा था कि मैं पक्का तुम्हारे टच में हूं तो ये चिट्ठी कभी न कभी तुमको मिल जाएगी। इसीलिए मैने दे दी तुम्हे।"


मैने उसे खोल कर पढ़ना शुरू किया।



मनीष,


कैसे कहूं ये समझ नहीं आ रहा, इसीलिए इस चिट्ठी का सहारा ले रही हूं।


मनीष हमारे घर में शादी ब्याह के मामले में बड़ों की राय ही सबसे महत्वपूर्ण है। मगर मुझे बड़े होते ही ये बताया गया कि मेरी और तुम्हारी शादी होगी, पहले तो मैं इसके खिलाफ थी, मगर जब तुम यहां आए और मैने तुमको जाना, तुम्हारे लिए मेरे मन में प्यार अंकुरित होने लगा था। याद है एक बार मैने तुमको कहा था कि सबसे पहले मुझे बताना अगर जो तुम्हे कोई पसंद आए तो। मगर शायद तुम समझे नहीं।


खैर, प्यार पर किसका जोर चलता है। तुम्हारे जीवन में नेहा आई और तुम उससे प्यार बैठे। सच कहती हूं जब मुझे ये पता चला, मेरा दिल बहुत बुरी तरह से टूट गया था। मगर तुम्हारी खुशी अगर जो नेहा में थी, तो मैं कौन होती हूं बीच में आने वाली। श्रेय ने मुझे कई बार अपनी बात बताने के लिए कहा, मगर मैने तुम्हारी खुशी को देखते हुए कभी ये बात तुमसे कहने की हिम्मत नहीं जुटाई।


ये चिट्ठी भी अभी मैने तुमको ये बताने के लिए नहीं, बल्कि ये कहने के लिए लिखी है कि भले ही दुनिया तुमको गलत समझ रही हो, मगर मैं तुमको बिल्कुल गलत नहीं मानती, और मैं हर समय तुम्हारे साथ खड़ी हूं। इस सबके पीछे जो कोई भी है, कोई हमारी कंपनी का ही है। याद है तुम्हे उस दिन चाचा ने फोन करके तुमको बुलाया था और कहा था कि तुम्हे फंसाया जा रहा है इन सब में, और उसके बाद जैसे ही तुम आए उनके ऊपर हमला हो चुका था।


उस समय मैं चाची से किसी काम से मिलने आई थी, और वो तुमसे बात कर रहे थे। मैं पूछना चाहती थी कि क्या हुआ है, मगर तब तक मां ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया, और मैं पूछ भी नहीं पाई और चाचा जी इस हालत में आ गए। इस बात का मैं खुद को गुनाहगार मानती हूं मनीष। इसीलिए तुम मुझे बताओ, जो होगा मैं करूंगी उसको बेनकाब करने के लिए।


मुझे पता है कि नेहा ने जो तुम्हारे साथ किया उससे शायद मुझ पर क्या किसी पर भी तुम्हारा विश्वास करना कठिन है, लेकिन मैं आज भी तुम्हे एक दोस्त के रूप में देखती हूं और तुम्हारी हर संभव मदद करना चाहती हूं।


तुम्हारी हमेशा


शिविका



चिट्ठी पढ़ कर मुझे एक और झटका लगा, मित्तल सर ने मुझे फोन किया था?


मैने फौरन समर से पूछा, "मित्तल सर का फोन रिकॉर्ड चेक किया था तुमने?"


"हां, मगर क्यों?"


"उनका लास्ट कॉल किसे था?"


"तुमको।"


"मगर मैने तो उनका कोई कॉल रिसीव नहीं किया?"


"क्या?" अब चौंकने की बारी समर की थी। "अच्छा रुक दो मिनिट।" ये बोल कर वो किसी को फोन लगाने लगा।


पांच मिनिट बाद उसने मुझे एक रिकॉर्डिंग सुनवाई।



"हेलो मनीष?" मित्तल सर


"ह्म्म्म"


"बेटा जल्दी घर आओ, तुमको इन सब में फंसाया जा रहा है बेटा, यहां आओ मैं सब बताता हूं तुमको।


"ह्म्म्म"



इतनी ही रिकॉर्डिंग थी।


समर, "ये ही आखिरी कॉल थी तुम्हारे फोन पर, और मित्तल सर के फोन से भी। तुम्हारा फोन जो रिकॉर्डिंग पर डाला था उसमें आखिरी रिकॉर्डिंग यही हुई थी, फिर मैने बंद करवा दिया था। वैसे भी ये अनऑफिशियल था।"


"मगर मैने ये कॉल नहीं ली।"


"अच्छा चलो अभी फिलहाल तो मुझे उज्जैन से आने दो, पहले इस बिट्टू का पता लगाना जरूरी है। फिर इस कॉल का रहस्य भी सुलझाया जाएगा। और हां अपना ख्याल रखना, और बाहर कम से कम निकलना, मैं आता हूं 2 3 दिन में।" ये बोल कर समर निकल गया। जाते जाते उसने मुझे फिलहाल शिविका से मिलने को मना किया था।


अगले दिन मैं बैठा बोर हो रहा था तो दोपहर में फिर एक बार हॉस्पिटल के लिए निकल गया। और वहीं उसी वेटिंग रूम में शाम तक बैठ कर देखता रहा। आज मित्तल सर को देखने महेश अंकल और दोनो आंटी आईं थी।


अगले दिन मैं फिर से वहां चला गया। आज फिर शिविका आई थी, और फिर वो किसी को ढूंढ रही थी। उसकी नजर एक बार फिर मुझ पर टिकी, और वो कुछ देर ध्यान से मुझे देखती रही। तभी श्रेय ने उसके कंधे पर हाथ रखा, और वो दोनों फिर मित्तल सर के कमरे में चले गए।



थोड़ी देर बाद शिविका बदहवास सी कमरे से निकल कर नर्स को अंदर बुला ले गई, और नर्स ने भी फौरन किसी को कॉल किया....
Lag gey lanka jaha mital sir ya manish ke sath galat hota hai waha shraya ka hona thoda doubtful nahi hai
 
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