rajeshsurya
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Mazedaar update bhaiफिर मेरे दिमाग में एक और प्लान आ गया तो मैंने सोचा कि क्यों ना अभी गरम लोहे पर चोट की जाए तो मैंने पापा से कहा कि पापा आज छुट्टी है,
मैं स्कूटर चलाना सीखना चाहती हूँ, खाना हम बाद में खाएंगे चलिए आप मुझे अभी स्कूटर सिखाएं।
मैं चाहती थी कि जब पापा पीछे बैठे तो उनका लंड मेरी चूत को स्पर्श करे और अगर एक बार ऐसा हो गया तो शायद पापा खुद पर कंट्रोल न रखें और मुझे चोद डालें।
मैंने जल्दी से दूसरे कपड़े पहन लिए , मैंने अपने मन में तो पापा को पटाना के लिए यह सब किया था तो मैंने एक छोटी सी स्कर्ट और एक हलकी सी टी शर्ट पहनी थी।
पापा ने मुझे टालने की कोशिश करते हुए कहा कि बाइक मैं तुम्हे बाद मैं सिखा दूंगा तो मैंने कहा कि नहीं अभी चली तो वो कहने लगे कि अच्छा पेंट तो पहन लूं तो मैंने कहा कि सिर्फ कुर्ता पहन लिया पायजामा तो आपने पहचाना ही है आपका कहीं बाहर तो जाना नहीं है जो पेंट पेहननी है.
मैं नहीं चाहती थी कि पापा पेंट पहने क्यों कि पेंट में लंड उतना खुले से नहीं घूम सकता जितने की पैजामे में।
हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही एक ग्राउंड था जहां पे लोग घूमते थे लेकिन दिसंबर की वजह से वो 12 बजे से पहले वहां नहीं आते थे और अभी तो 8 बजे थे तो मैं और पापा वहां चले गए पापा के लिए।
वहां जा कर पापा पीछे बैठ गए और मुझे आगे बैठने को कहा तो मैं जान बुझ कर उनसे चिपकी हुई बैठ गई मैंने देखा कि मुझे उनके लंड ने टच नहीं किया था मतलब अभी वो शांत था।
पापा ने मेरी दोनो बाहों के साइड से स्कूटर का हेंडल पकड़ा और मुझे भी हेंडल पकड़ने को कहा और फिर मुझे स्कूटर सिखाने लगे मैं जान भूज कर अपने बाजू दबा देती थी ताकि पापा के बाजू मेरे मुम्मों को टच करने लगें ऐसा करने से मुझे अब मेहसूस हो रहा था कि पापा का लंड खड़ा है होने लगा है मुझे अपनी पीठ पर कोई चीज़ टच करती महसूस हो रही थी।
अब मैं पापा के लंड पर बैठना चाहती थी तो कोई बहाना ढूंढने लगी।
मैं थोड़ा बहुत स्कूटर चलाती थी लेकिन ये पापा को नहीं पता था।
मैंने एक स्कीम सोची और फिर मैंने अपनी चप्पल नीचे गिरा दी और स्कूटर रोक कर कहा कि पापा मैं चप्पल ले कर आई।
जब मैं चपल लेकर आई तो मैंने चोरी से देखा कि पापा का लंड फफक रहा है। मैं जान भुज कर पापा के पेट से सट कर बैठ गई
और इस बार उनका लंड मेरे चूतड़ों के नीचे दब गए तो पापा बोले सुमन कैसे बैठी हो जरा आगे हो कर बैठो तो मैंने कहा कि आगे तो बहुत ही थोड़ी सी जगह है और स्कूटर चलाने लगी।
पापा का लंड मेरे चूतड़ों के नीचे ही दबा हुआ था फनकार रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मेरी चूत गीली हो रही थी। लेकिन मैं तो अंजान बनी बैठी थी जैसे कुछ पता ही नहीं हो कि उनका लंड मैं दबा के बैठी हूँ।
मैंने पापा से कहा कि आप हेंडल छोड़ दीजिए मैं चलाती हूं तो मैं धीरे-धीरे स्कूटर चलाने लगी और पापा ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अंजाने में ही उनसे मेरे स्तन टच हो गए तो मुझे लगा कि पापा अपना कंट्रोल खो रहे हैं क्योंकि मैंने महसूस किया कि उनके हाथ मेरे मुम्मों को हल्का हल्का टच करने की कोशिश कर रहे थे.
मैं तो यही चाहती थी कि मुझे और क्या चाहिए था। पापा का लंड अभी भी मेरी चूतड़ों के नीचे फंस रहा था। मैंने पापा से कहा कि एक मिनट जरा आप हैंडल को पकड़ लीजिये ताकि मैं जरा ठीक हो कर बैठ जाऊं और मैं थोड़ा और पीछे को हो कर बैठ गई ताकि उनका लंड मेरे नीचे से निकल न पाए।
अब शायद पापा समझ गए थे कि मैं भी उनसे चुदवाना चाहती हूँ, या कम से कम मैं उनके लौड़े का मजा तो ले ही रही हूँ , इस लिए वो भी चुपचाप बैठे रहे और उनका लौड़ा मेरे चूतड़ों के नीचे ही दबा रहा. वो बोले कुछ नहीं और मजा लेते रहे.
पापा मेरे को नंगी तो देख ही चुके थे और उनकी भी भावनाएं मेरे लिए काफी हद तक बदल तो चुकी ही थी, तो उन्होंने भी शायद यही सोचा की मौका मिल रहा है तो लगे हाथ वो भी मजे ले ही लें. और शायद वो भी सोच रहे थे कि इस तरह यदि उनकी प्यारी बेटी गर्म हो जाये तो शायद उन्हें भी इसके आगे यानि मुझे चोद पाने का मौका मिल जाये.
आखिर मेरी मम्मी भी तो कई दिन से गयी हुई थी तो पापा को भी चुदाई किये कई दिन हो गए थे. वो भी तो चूत मारने का कोई मौका ढूंढ ही रहे थे.
अब मेरे दिमाग में तेजी से सोच रहा था कि क्या करें जिस से बात थोड़ी और आगे को बढ़ सके.
अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।
मैंने पापा से पूछा- पापा , यहां टॉयलेट किधर है, मुझे जाना है।
जबकि मुझे पता था कि वहां कोई टॉयलेट नहीं है।
पापा बोले- बेटा, यहां तो कोई टॉयलेट नहीं है। तुम्हें बाहर खुले में ही करना पड़ेगा।
मैंने नखरा दिखाते हुए कहा- ना बाबा ना … खुले में कैसे करूंगी।
इस पर पापा ने कहा- क्या हुआ बेटा। यहाँ कोई भी तो नहीं है. तुम थोड़ा साइड में स्कूटर ले लो और वहां झाडीओं के पास जा कर कर लो।
मैंने कहा- नहीं में वहां अकेली कैसे अकेली जाऊँगी, मुझे डर लग रहा है।
तब पापा ने कहा- कोई बात नहीं बेटा, कोई चिंता की बात नहीं है, अच्छा ऐसा करते हैं की मैं भी पेशाब कर लूँगा. ठण्ड है न तो मुझे भी पेशाब आ रहा है. चलो दोनों बाप बेटी कर लेते हैं.
(पता नहीं पापा को सच में पेशाब आया था या वो भी मेरी तरह कोई चाल चल रहे थे )
हम दोनों एक साइड में चले गए जहाँ कोई नहीं आता था और वो जगह सुनसान थी.
मैंने कहा- आप यहीं रहियेगा, मैं आ रही हूं.
और फिर मैं एक तरफ बढ़ गई और एक ऐसी जगह चुनी जहाँ से पापा मुझे देख सकते थे.
जानबूझ कर मैं ऐसी जगह में पेशाब करना चाह रही थी ताकि मैं इन्हें अपनी गांड दिखा सकूं।
एक झाडी के पास पहुंच कर मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पापा मुझे देख रहे थे।
मैंने कहा- प्लीज़ जाइयेगा मत!
पापा ने कहा- ठीक है।
फिर मैंने अपनी स्कर्ट को ऊपर कर लिया और पैंटी को नीचे तक खिसका दिया ,और जानबूझकर बैठने में थोड़ा टाइम लिया ताकि पापा मेरी गोरी-गोरी गांड देख सकें।
और फिर धीरे से बैठ कर पेशाब करने लगी, साथ में मेरी नंगी गांड की नुमाइश करने लगी।
मेरे पेशाब करने में छरछराहट की आवाज भी सन्नाटे में गूँज रही थी।
मैंने पापा को आवाज दे कर कहा "पापा आप भी पेशाब कर लीजिये ताकि फिर आप के पेशाब करने में समय खराब न हो.
पापा तो मेरी गांड देखने में मस्त थे , मेरी आवाज़ सुन कर पापा ने भी वहीँ खड़े खड़े अपना पैजामा खोला और वहीं खड़े खड़े अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और पेशाब करने लगे.
पापा मेरी नंगी गांड देखते हुए पेशाब करने की कोशिश कर रहे थे, पर पापा का लौड़ा तो पहले से ही टाइट था और अब अपनी प्यारी बेटी की गांड के दर्शन करने से और भी टाइट हो चूका था तो उनके लण्ड से पेशाब बहुत ही काम स्पीड से निकल रहा था.
पेशाब करने के बाद मैं खड़ी हो गई और एक बार फिर लेगिंग ऊपर करने में थोड़ा समय लिया ताकि एक बार और पापा मेरी गांड देख सकें।
फिर एकदम से पापा की तरफ घूम गयी जैसे मुझे पता ही न हो कि पापा वहीं खड़े हो कर पेशाब कर रहे थे.
पापा का लौड़ा मेरी ओर तना हुआ और तीर की तरह खड़ा था. मेरे अचानक उठने और उनकी तरफ घूम जाने के कारण पापा को लण्ड को पाजामे में करने और ढंकने का मौका ही नहीं मिल पाया.
वो एकदम से घबरा से गए और लंड को पजामे के अंदर करने की कोशिश करने लगे।
उनका लंड अभी पजामेके बाहर था ही और खड़ा था जिसे वे पजामे के अंदर डालने की कोशिश कर रहे थे।
पर मुझे लगा की पापा इतनी तेजी से फिर भी अपना लण्ड अंदर नहीं कर रहे थे जितना करना चाहिए था.
मैं समझ गई थी कि वे जानबूझकर अपना लंड मुझे दिखा रहे हैं।
तो मैं भी आंखें फाड़े उनका लंड देख रही थी।
पापा ने जब मुझे कुछ भी बोलते या कोई इतराज करते न देखा तो उन्होंने बड़े ही आराम से और धीरे धीरे अपना लण्ड पूरा समय ले कर पजामे में अंदर किया और इतनी देर मैंने भी पापा के लण्ड के खूब दर्शन किये.
हालाँकि मैंने पहले भी कई बार पापा का लैंड देखा था पर आज पहली बार पापा के सामने उनकी जानकारी में उनका खड़ा हुआ लौड़ा देखा. और पापा ने भी मुझे लण्ड ठीक से दिखाया था.
यह निष्चय ही हमारे आपसी संबंधों में एक अगले स्तर की कारवाही थी.
मैंने अपनी गांड दिखा कर और पापा ने अपना लण्ड दिखा कर यह तो बता ही दिया था की हम बाप बेटी असल में क्या चाहते हैं.
बस अब देर थी तो बाप बेटी के संबंधों की समाज की आपसी दिवार गिरने की.
पापा का लण्ड देख कर मैं हल्का मुस्कुरा दी।
उधर पापा को तो जैसी इसी बात का इंतज़ार था, मेरी मुस्कराहट देख कर,उनके दिल में यदि कोई छोटा मोटा डर था भी तो निकल गया.
पापा भी मुस्कुरा पड़े।
वो भी समज रहे थे कि मैं और पापा दोनों अब खुलकर मजे लेना चाह रहे हैं।
इस पेशाब करने के वाकये ने माहौल को सेक्सी बना दिया था।
मेरी चूत से भी पानी निकल कर मेरी पैंटी को हल्का-हल्का गीला कर रहा था इसलिए मैं भी शर्म लाज छोड़ कर मजे लेने का मूड आ चुकी थी।
फिर थोड़ी देर बाद हम घर आ गये। पापा सोफे पर बैठ गए और मैं उनके लिए पानी लेने चली गई लेकिन अपनी गांड को इतना हिलाते हुए गयी की मेरी हिलती हुई गांड देख कर पापा का मन डोल जाए।
फिर हम अपने अपने कमरे में चले गये।