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Nice update.... Keep it up more suspensefull...
फिर शाम को पापा सोफे पर बैठे थे और वो सोफा किचन के दरवाजे के बिल्कुल सामने ही थे। और मैं रसोई में खाना बना रही थी, मुझे पता था कि पापा सामने हैं, तो मैं जान बुज कर अपनी गांड मटका रही थी।
आज अभी फिर से मैंने एक टी शर्ट और छोटी सी स्कर्ट को पहना हुआ था. उस के नीचे मैंने हमेशा की तरह ब्रा नहीं पहनी थी. हाँ स्कर्ट के नीचे पैंटी जरूर पहन ली थी,
(आखिर पूरा नंगा होना भी ठीक नहीं था.)
आज दिन में जब पापा ने मुझे अपनी गोद में बिठा कर गुदगुदी के बहाने से चूत में लौड़ा घुसाया था तब से मुझे लग रहा था की यदि मैं इसी तरह पापा को पटाने का कार्यक्रम चालू रखूँ तो जरूर जल्दी हो पापा से चुदवाने में कामयाब हो ही जाऊंगी।
आज तो पापा ने अपना लण्ड नंगा कर लिया था और जब पापा का माल छूटा तो आखिरी धक्के में तो उन्होंने मेरी कच्छी समेत ही अपना लौड़ा मेरे अंदर कम से कम सुपाडे तक तो घुसा ही दिया था.
इस सब से मुझे पूरा यकीन हो रहा था की मुझे अपना पटाने का काम करते रहना चाहिए, जल्दी ही पापा मेरी नंगी चूत में अपना नंगा लण्ड घुसेड़ कर चोद रहे होंगे,
(हालाँकि जब से मम्मी गयी है हुए मेरा पापा को पटाने का कार्यक्रम चल रहा है , मैं ब्रा और कच्छी तो पहन ही नहीं रही थी ताकि पापा को मेरी हिलती हुई चूचीआं ठीक से दिखाई देती रहे। मैं तो आज कल टी शर्ट भी खूब खुली खुली पहन रही थी. ताकि उसके नीचे से मेरी पेंडुलम की तरह हिलती हुई छाती पापा को ठीक से दिखाई दे जाये और पापा भी मेरे ३६ इंच के मुम्मों के खूब प्यार से दर्शन कर रहे थे.)
मैं काम करते समय जान भूज कर पापा की तरफ कम ही देखती थी ताकि पापा को यह लगे की उनकी बेटी का ध्यान तो काम पर ही है और वो प्यार से और बिना किसी डर के अपनी बेटी की जवानी का चक्षु चोदन कर सकें. पापा भी मेरे द्वारा दिए गए इस मौके का भरपूर लाभ उठा रहे थे और मेरी जवानी के मजे लूट रहे थे.
तो अभी भी पापा सोफे पर बैठे थे और टीवी देखने का नाटक कर रहे थे पर असल में वो मेरी हिलती हुई चुचीऑ देख रहे थे और मैं भी जान भुज कर उन्हें जरूरत से ज्यादा हिला रही थी। ताकि पापा को पूरा मजा आये और वो मेरी चुदाई कर दें.
घर में हम दो बाप बेटी ही तो थे तो मैं और पापा दोनों बिना किसी डर से लगे हुए थे.
मैंने पहले तो सोचा की दाल चावल बना लेती हूँ पर फिर सोचा की यदि आटा की रोटी बनाऊ तो आटा गूंधने के बहाने से पापा को अपने हिलते मम्मे दिखा सकूंगी , तो मैंने आटा गूँधना शुरू कर दिया और बहाने से ज्यादा हिलना शुरु कर दिया.
अब मेरी छाती जोर जोर से इधर उधर हिल रही थी और बिना ब्रा होने के कारण खुली साइज की टी शर्ट में पापा को पूरा मजा दे रही थीं. और पापा भी मौके का भरपूर लाभ उठाते हुए अपनी बेटी की जवानी का रसास्वादन कर रहे थे.
मुझे भी इस तरह खाना बनाने में खूब मजा आ रहा था.
पापा का भी लौड़ा लोहे की तरह खड़ा हो चुका था जिसे वो अपनी लुंगी में हाथ डाल कर मसल रहे थे।
(हाँ जी आज पापा ने अपना मनपसंद पजामा न पहन कर लुंगी पहनी थी, क्योंकि लुंगी में लौड़े को चुपके से अंदर हाथ डाल कर वो सहला सकते थे और किसी को पता भी नहीं लगता। )
आज दिन में गोद में बिठाने वाले काम के बाद पापा का होंसला भी बहुत बढ़ गया था. उन्हें मालूम हो गया था की उनकी बेटी भी इस सेक्स के खेल में पूरी तरह से शामिल ही और चुदवाने को तैयार है,
पापा मुझे चोदना चाहते थे और मैं चुदवाने को तैयार थी ही, बस देर थी तो हमारे बाप बेटी के सामाजिकबंधनो के टूट जाने की, और मुझे लग रहा था की इस में भी अब ज्यादा देर नहीं है, खैर
काफी देर तक तो पापा मेरी हिलती चूचियां देखते रहे और लुंगी के अंदर हाथ डाल कर अपना लौड़ा सहलाते रहे. पर कितनी देर ऐसा कर सकते थे.
आखिर पापा के सबर का बंद टूट ही गया और वो उठ कर मेरे पीछे आ कर खड़े हो गए, और प्यार से मुझे पीछे से आलिंगन में ले लिया और मैंने मैंने महसूस किया कि उनका लंड मेरी पीठ को छू रहा है।
लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और पापा बोले कि आज मेरी सुमन क्या बना रही है।
तो मैंने कहा कि दाल चावल जो कि मेरे पापा के पसंदीदा हैं।
तो वो खुश हो गए कि वाह मेरी पसंदीदा चीज़ बन रही है।
तो मैने कहा कि हां जी.
अब अपने लंड का थोड़ा सा दबाव मेरी पीठ पर डाला लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा तो उनकी हिम्मत और बढ़ गई और उन्होंने अपने लौड़े का पूरा दबाब मेरी गांड पर डाल दिया.
पापा का लण्ड लोहे की तरह सख्त हो चूका था. और पापा ने थोड़ा हिल कर लौड़े को चूतड़ों से अब मेरी गांड की दरार में घुसा दिया और एक धक्का दे कर लौड़े को गांड की दरार में फंसा दिया.
अब घर में हम दोनों बाप बेटी ही तो थे, तो इतनी भी क्या जल्दी थी, कोई आने वाला तो था नहीं, तो मैंने सोचा की थोड़ा छेड़खानी चलने देती हूँ.
तो मैंने थोड़े गुस्से से कहा कि पापा आप क्या कर रहे हैं तो उन्होंने डर कर एक दम से अपनी कमर पीछे कर ली और लौड़ा मेरी गांड में से निकल गया.
तो मैं डर गई कि कहीं वो चले ही ना जाएं, इसके लिए मैंने अपनी गांड को थोड़ा पीछे कर दिया तन की उनको ये एहसास हो सके कि ये मेरा नकली गुस्सा है।
पापा समझ गए और उन्होंने अपने लंड का दबाव फिर से और बड़ा दिया मेरी गांड पर,
मुझे तो मजा आ रहा था और मैं तो खुद तैयार थी चुदवाने को बस नखरे दिखा रही थी।
फिर जब मैंने कुछ नहीं कहा उन्हें तो पापा मेरे से चिपक गए और अपने हाथ मेरी कमर के चारों ओर डाल कर मुझे पकड़ लिया.
और मेरी गर्दन पर चुंबन करने लगे। मुझे परम आनंद आ रहा था।
मैंने उनसे कहा कि आआह्ह्ह... पापा लगता है आपको माँ की बहुत याद आ रही है तो वो बोले कि तुम्हें कैसे पता तो मैंने कहा कि तभी आप मुझे तंग कर रहे हो तो वो बोले कि नहीं मुझे तो मेरी बेटी तुमपे प्यार आ रहा है
मैं:- हाँ मैं जानती हूँ यह आपका प्यार तभी तक है जब तक माँ नहीं आ जाती. फिर आप माँ के साथ ही चिपके रहेंगे और मेरी ओर तो देखेंगे भी नहीं.
पाप:- अरे सुमन ऐसा क्यों बोलती हो. मैं तो तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. यह ठीक है की तेरी माँ के आ जाने के बाद मुझे कुछ समय उसे भी तो देना पड़ेगा, पर तुम्हे थोड़े ही न भूल सकता हूँ. तू तो मुझे बहुत प्यारी है,
कहते हुए पापा ने मुझे कन्धों से पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगे.
मुझे बहुत आनंद आ रहा था.
पापा - हाय
मैं- पापा क्या हुआ?
(अस्ल में मैंने अपने चूतड़ थोड़ा पीछे को धकेल दिए थे तो पापा का लण्ड मेरी गांड में और अंदर घुस गया तो पापा के मुंह से आनद से आह निकल गयी थी,)
पापा - अच्छा खाना में आज क्या बना रही हो ?
मैं - रोटी दाल सब्जी दही आदि
पापा - किस चीज़ की सब्जी??
मैं - बैगन की। आप को पसंद है ??
पापा - हाँ. क्या तुम्हे बैंगन पसंद हैं?
मैं - हाँ मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं.
पापा- बैगन बहुत पसंद है और इसके इलावा और क्या क्या पसंद है?
मैं - पापा मुझे खीरा भी पसंद है,
(खीरा कहते ही पापा को मेरा वो चूत में खीरा लेना याद आ गया जब हम दोनों बाप बेटी गधे गधी की चुदाई देख कर मजे कर रहे थे)
पापा- कैसा बैगन और खीरा पसंद है? बैंगन लम्बा चाहिए या मोटे वाला गोल?
मैं - पापा खीरा तो मुझे लगभग ७-८ इंच लम्बा और लगभग ३-४ इंच मोटा पसंद है, पर मुझे गोल वाला बैंगन पसंद नहीं। बैंगन भी मुझे लम्बा ही चाहिए. ज्यादा मोटा मुझे सूट नहीं करता.
पापा- बैंगन अधिकतम कितने साइज़ तक ले लेती हो?
मैं - चुप बेशरम, आप क्या बात कर रहे हो, क्या मतलब की मैं ले लेती हूँ.
(पापा ने दो अर्थी बात करी थी, ले लेती का मतलब चूत में लेना भी हो सकता था और बाजार से ले लेना भी, पर यह बात करते हुए पापा शरारत से मुस्कुरा रहे थे तो उनका मतलब साफ़ ही था. मैं भी अब इस दो अर्थी बात में मजा ले रही थी,)
पापा- बताओ ना प्लीज
मैं - नहीं
पापा- मत बताओ जाओ
मैं - नाराज़ मत होइए।
पापा- तो बताओ
मैं - बड़ी साइज़ का बैंगन और खीरा मुझे पसंद है,
पापा- कितना
मैं - 7 इंच तक लम्बा चल जाता है,
पापा- और मोटा?
मैं-3 इंच , इस से छोटा हो तो मजा नहीं आता.
पापा :- मजा नहीं आता क्या मतलब?
मैं :- (शरारत से मुस्कुराती हुई) मतलब सब्ज़ी अच्छी नहीं बनती, आप क्या समझ रहे हैं?
पापा - (बात को घुमाते हुए) तुम्हारा पसंदीदा फल क्या है
मैं - केला और गन्ना और आपका पापा?
पापा - आम और तरबूज़
मैं:- मन कर रहा है क्या?
पापा- आम खाने का मन कर रहा है, यदि खाने को न मिले तो चूसने में भी मुझे बड़ा मजा आता है.
मैं- अभी रात को कहा आम मिलेगा पापा
पापा - आम चूसने को न सही देखने को मिल जाए तो वी चलेगा
मैं - वैसे आपको कैसा आम पसंद है
पापा- बड़े-बड़े आम पसंद है
मैं- कचे या पक्के
पापा - आं तो जितना बड़ा या उतना चूसने में मज़ा आता है ??
मैं - बड़े साइज़ के आम या तरबूज़ संभाल लोगे पापा??
पापा - मौका दो फिर पता लगेगा कि कैसे निचोड़ के रस पिता हूं आमों का.
(मैंने फिर बात थोड़ा घुमा दी )
मैं - मुझे बड़ा या मोटा केला बहुत पसंद है और बड़ा या मोटा गन्ना जिसका रस पूरा भरा हो.
पापा:- सुमन! मेरा केला खाना चाहोगी,
(मैं एकदम हैरान हो गयी कि यह तो पापा ने सीधा ही लण्ड खाने को बोल दिया. तो मैंने उनकी तरफ देखा हैरानी से )
पापा:- मेरा मतलब है मैं यदि बाजार से केला ले आऊं तो तुम खाना चाहोगी आज रात को?
मैं:- पापा आप मुझे केला दो तो सही, में तो केला खाने को बहुत उत्सुक हूँ.
इस तरह मैंने पापा को साफ़ साफ़ इशारा दे दिया की मैं उनसे चुदने को तैयार हूँ. अब मैं लड़की जात आखिर इस से ज्यादा और कितना खुल कर बोल सकती थी,
पापा का लौड़ा मेरे यह कहते ही एकदम झटका मरने लगा.
मुझे लगा की कहीं अभी पापा मुझे किचन में ही न छोड़ दें.
मैंने बात को घुमाते हुए फिर नाटक किया और पापा को बोली
"पापा मेरे पेट पर खुजली हो रही है, मेरे हाथों में आटा लगा हुआ है, मैं अपनी पेट को खुजला नहीं सकती, आप प्लीज मेरे पेट पर थोड़ा खुजला दीजिये."
पापा ने अपने हाथ मेरे कन्धों से उतार कर मेरी टी शर्ट के अंदर आगे की तरफ से डाले और मेरे नंगे पेट पर रखे.
पापा के गर्म गर्म हाथ अपने नंगे पेट पर महसूस करते ही मेरी काम अग्नि और भड़क उठी,
पापा धीरे धीरे मेरे पेट को सेहला रहे थे.
हम दोनों को अच्छा लग रहा था. मैंने पापा को शरमाते हुए से कहा
"पापा खुजली थोड़ा ऊपर हो रही है, थोड़ा ऊपर कीजिये "
पापा ने अपने हाथ थोड़ा ऊपर तक किये. अब उनके हाथ मेरी चूचियों से बस एक आध इंच ही दूर थे.
पापा भी मेरी टी शर्ट में देख सकते थे की मेरी चूचियों खूब हिल रही है और मैंने ब्रा नहीं पहनी,
तो पापा अपना हाथ और ऊपर करने में थोड़ा झिझक रहे थे.
अब बात इतनी दूर तक आ गयी थी, तो यह तो मेरे लिए सुनहरी मौका था.
मैंने पापा को फिर कहा
"अरे पापा और ऊपर खुजली है,"
पापा ने ज्यों ही अपने हाथ ऊपर को किये तो मेरी नंगी चूचियों पापा के हाथ से टकरा गयी.
चूचियों को पापा का हाथ लगते ही मैं एकदम उछाल पड़ी और मेरे उछलते ही मेरी दोनों नंगी चूचियों सीधे पापा की हथेलियों में आ गयी, और पापा ने भी एकदम अपनेआप अपने हाथ कस लिए.
अब मेरी दोनों चूचियों पापा के हाथ में थी, पापा ने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए, मेरी चूचियों को अपनी मुठी में भर लिया।
एकदम से पापा के हाथ में मेरे मम्मे आ गए तो अपने आप पापा के हाथों ने मेरी मम्मों को सेहला दिया. और खुदबखुद पापा की उंगलिया मेरे मुम्मों के निप्पल पर आ गयी, इस से तो पापा भी थोड़ा घबरा गए, क्योंकि उन्होंने जानबूझ कर तो मेरी चूचियां पकड़ी नहीं थी, वो तो मैंने ही उछल कर उनके हाथ में दे दी थी,
(वास्तव में जब से मैंने पापा को पटाने का अपना यह अभियान शुरू किया था, तो यह पहली बार था की पापा के हाथ में मेरी नंगी चूचियां थी, अभी तक हम लोग कपड़ों के ऊपर से ही मजे ले रहे थे. आज पहली बार पापा ने मेरी नंगी छतिया दिन के उजाले मैं और हम दोनों के पूरे होशोहवास में पड़की थी,)
पापा मेरे मम्मे छोड़ने ही वाले थे की मैंने एक सेक्सी सी आह भरी आवाज़ निकाली.
पापा को थोड़ा सा होंसला हुआ, की मैं नाराज़ नहीं हूँ.
तो पापा ने भी हिम्मत करते हुए अपने हाथ पीछे नहीं किये और अपने हाथों में ही मेरी छातियों को पकडे रखा.
डर के कारण पापा छातिओं को सेहला या दबा तो नहीं रहे थे पर बस उन पर हाथ रखे रहे.
मैंने बिना हिले जुले पापा को कहा
"पापा आपने मेरे पेट पर खुजली करनी थी पर आप ने तो मेरी नंगी छातियां ही पकड़ ली "
यह कहते भी मैंने अपनी छातियाँ उनके हाथों में ही रहने दी. अब तक पापा का भी होंसला पूरा बढ़ चूका था.
वो भी समझ गए थे कि चाहे यह घटना जानबूझ कर हुई हो या अनजाने में पर उनकी बेटी नाराज़ तो बिलकुल नहीं है,
तो पापा ने मेरी चूचियां धीरे धीरे सेहलनि और अपनी हथेली से दबानी शुरू कर दी,
मैंने भी कोई इतराज जैसा न किया और चुपचाप खड़ी पापा से पहली बार नंगी चूचियां दबवाने का मजा लेती रही,
पापा बातचीत को जारी रखते हुए बोले
"सुमन! मैंने तुम्हारी छाती नहीं पकड़ी यह तो तुम्हारे उछलने से मेरे हाथों में आ गयी, और यह क्या है की तुम ब्रा नहीं पहनती हो?"
पापा को सब पता था कि मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई है पर वो तो सिर्फ बातचीत का जरिया था.
मैं उसी तरह चुपचाप खड़ी रही और पापा मेरी चूचियां धीरे धीरे सहलाते और हौले हौले मसलते रहे.
मुझे अपने पापा से अपनी चूचियां मसलवाने में इतना आनंद आ रहा था की मेरी तो जैसे आनंद से आँखें ही बंद हो गयी,
अब पापा ने भी होंसला करके अपनी उँगलियाँ मेरे निप्पलों के इर्द गिर्द कस ली और अपने अंगूठों और ऊँगली की मदद से मेरे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया.
मेरे मुंह से अपने आप आह आह की आवाज़ निकल गयी पर न तो मैंने अपनी चूचियां को छुड़ाने की कोई चेष्टा की और न ही पापा ने मेरी चूचियां को छोड़ा।
कहीं पापा चूचियाँ मसलना छोड़ न दें तो मैंने बात को जारी रखते हुए कहा.
"पापा गर्मी बहुत है. इसलिए मैं ब्रा नहीं पहनती. हाँ नीचे कच्छी जरूर पहनी है,"
पापा को भी बात में मजा आ रहा था तो वो बोले
"सुमन! तुम झूट बोल रही हो. जब तूने ब्रा नहीं पहनी तो जरूर कच्छी भी नहीं पहनी होगी,"
मैंने झूठमूठ नाराज़ होने का नाटक करते हुए कहा
"पापा! आप अपनी बेटी को झूटी क्यों कह रहे हैं. मैं कह रही हूँ न कि मैंने चड्डी पहनी है तो पहनी है, आप चाहे तो चेक कर सकते हैं. "
पापा की आँखों में एक शैतानी चमक आ गयी, उनके लिए तो यह एक भगवान् का दिया हुआ सुनहरी मौका था जिसे वो किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं सकते थे.
पापा नशीली से आवाज़ में बोले
"सुमन! मुझे चैलेंज मत करो. मैं सिद्ध कर दूंगा की तुमने ब्रा तो पेहनी है ही नहीं और चड्डी भी नहीं पहनी है,"
मैं इठलाती हुई बोली
"पापा आप को में दिखा तो नहीं सकती कि मैंने पैंटी पहनी है पर आप चाहें तो नीचे हाथ से छू कर चैक कर सकते है की मैंने कच्छी पहनी है,"
पापा बोले
"ठीक है मैं अभी तुम्हारा झूठ उजागर करता हूँ."
यह कह कर पापा ने अपना एक हाथ मेरी चूची से हटा कर नीचे लाया
(दुसरे हाथ से पापा दूसरी चूची सहलाते और निप्पल को दबाते रहे. आखिर वो यह मजा क्यों छोड़ देते?)
फिर पापा ने वो नीचे वाला हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाला और मेरी नंगी जांघ पर रख दिया.
मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गयी,
पापा धीरे धीरे मेरी नंगी जांघ को सहलाते हुए अपना हाथ ऊपर लाये.
मैं तो डर गयी और मुहे लगा कि अब पापा मेरी चूत पर हाथ फेर देंगे. पर जब पापा से चुदवाने का मन में ठान ही लिया है तो आखिर एक दिन तो यह होने ही है इसीलिए मैं अपने होंठों को कस के दबाये हुए चुपचाप कड़ी रही, .
मेरा दिल धाड़ धाड़ बज रहा था.
फिर पापा ने अपना हाथ और ऊपर किया और फिर वो हो गया जिस के लिए मैं न जाने कब से सोच रही थी,
......
Thanks brokonse dimag se soch rahe ho aise shandaar plot... aur koi writer hota to ab tak chudai ho gayi hoti... par ye to chudai se bhi jyaada hai... bhut land mohak update... agle update ki ummid kab rakhe