मेनका की एक झलक
अजय का महल के पास ही एक बेहद बड़ा खूबसूरत का घर या कहिए एक शानदार छोटे महल जैसा ही घर बना हुआ था जिसकी सुंदरता दूर से ही देखते बन रही थी! अजय ने अपने घोड़े को बाहर अस्तबल में खड़ा किया और उसके बाद अंदर प्रवेश किया और उसकी मां मेनका ने उसे देखकर हमेशा की तरह एक बेहद मुस्कान दी और बोली:"
" आओ पुत्र, हम आपका ही इंतजार का रहे थे!
अजय आगे बढ़ा और मेनका के पैर छू लिए और बोला:"
" देरी के लिए क्षमा कीजिए माताश्री, कहिए मैं आपके किस काम आ सकता हूं?
मेनका ने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और बोली:" जुग जुग जियो मेरे लाल , अभी आए तो थक गए होंगे, पहले कुछ खा लो तो उसके बाद बात करते हैं!
अजय ने अपनी मां की आज्ञा का पालन किया और नहाकर धोकर केसर बादाम वाला दूध पिया और उसके बाद अपनी में कक्ष में आ गया और बोला:"
" आप मुझसे कुछ जरूरी बात करने वाली थी माताश्री!
मेनका अकसर साड़ी ही पहनती थी और आज भी साड़ी ही उसने पहनी हुई थी जिसमे वो सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी! मेनका ने एक लंबी सांस ली और बोली:" बेटा आज राजमाता ने मुझे संदेश दिया था कि जल्दी ही वो आपको सारे राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप देगी तो मुझे बेहद खुशी हुई! दरअसल ये एक प्रथा है कि सदियों से उदयगढ़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे ही पूर्वज निभाते रहे हैं और हमारे पूर्वजों ने अपने जिस्म की आखिरी बूंद बलिदान करके भी उदयगढ़ की रक्षा करी है फिर चाहे तो चंगेज खान, तैमूर लंग, दूसरे राजपूत राजा या भले ही आज की सबसे ताकतवर प्रजाति पिंडारी रहे हो सबके सामने सबसे पहले हमारी तलवार खड़ी हुई है!
आपका सौभाग्य है कि जल्दी ही ये अवसर आपको मिलेगा कि आप पीढ़ियों से चली आ रही इस प्रथा को और ज्यादा गौरवान्वित कर सके!
अजय को अपने इतिहास के बारे में जाकर बेहद खुशी हुई और बोला:" माता मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा कि आपने मुझे इस काबिल समझा!
मेनका ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली:"
" जीते रहो मेरे शेर बेटे, आज मैं आपको हमारे पूर्वजों की एक ऐसी अनमोल धरोहर दूंगी जिसे पाकर आप खुद को दुनिया में सबसे ताकतवर महसूस करोगे!
अजय उसकी बाते सुनकर थोड़ा अधीर हो उठा और जल्दी से बोला:"
" जो भी है जल्दी से दीजिए, ऐसी अनमोल धरोहर के बारे में विलम्ब करके हमारे धैर्य की परीक्षा न लीजिए माता!
मेनका ने उसका हाथ पकड़ा और अपने साथ अंदर ले गई और कमरे में जाकर एक तस्वीर को हटाया तो एक खिड़की जितना रास्ता नजर आया और अजय की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी! खिड़की से दोनो अंदर घुस गए और नीचे एक गुफा थी जिसमें वो आज पहली बार घुस रहा था ! अंदर जाकर मेनका ने एक दिया जला दिया तो गुफा में हल्की सी रोशनी हो गई और उसके बाद मेनका ने कक्ष में रखे हुए एक अंगीछे से चाबी निकाली और फिर एक बड़ी सी पेटी जो बेड के नीचे रखी हुई थी उसे खोल दिया और उसमें एक बेहद मजबूत, खूबसूरत और घातक तलवार नजर आई और मेनका ने अजय को वो तलवार उठाने का इशारा किया और अजय ने आगे बढ़कर फूल की तरह उस भारी भरकम तलवार को उठा लिया और मेनका बोली:"
" बेटा ये कोई मामूली तलवार नही हैं बल्कि हमारे पूर्वजों को एक लंबी साधना के बाद प्राप्त हुई तलवार हैं! इस तलवार की सबसे बड़ी विशेषता है कि जिसके हाथ में भी ये तलवार होती हैं उसे दुनिया की कोई ताकत नही हरा सकती! आज के बाद ये तलवार आपकी हुई और इसे भूलकर भी खुद से अलग मत करना!
अजय ने एक बार फिर से अपनी मां के पैर छुए और बोला:"
" आप चिंता न करे माता! मैं आपकी बात का पालन करूंगा!
मेनका:" एक बात और मैं तुम्हे बताना भूल गई कि इस तलवार का उपयोग सिर्फ उदयगढ़ की भलाई के लिए ही मान्य होगा, अगर आपने भूले से भी उदयगढ़ के खिलाफ या राज परिवार के खिलाफ इसका प्रयोग किया तो इसकी सारी शक्तियां काम नही करेगी!
अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं आपकी बात का हमेशा पालन करूंगा!
मेनका:" एक बात और इस तलवार को सिर्फ हमारे ही परिवार के लोग उठा पाते हैं और उसके अलावा दुनिया मे इसे कोई भी हाथ में नही ले सकता! याद रहे ये तलवार सिर्फ बुराई का नाश करने के लिए बनी हैं!
अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं भूले से भी इसका गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा!
मेनका:" ठीक हैं अब एक काम करो कि इसे वापिस रख दो! कल पूर्णिमा हैं तो कल मैं रात को जब पूरी चांदनी होगी तो एक रीति रिवाज के साथ ये तलवार आपके हवाले कर दूंगी!
अजय ने अपनी मां की बात का पालन किया और तलवार को वापिस रख दिया और मेनका ने लैंप को बंद किया और उसके बाद अजय के साथ उस गुफा से बाहर निकल कर अपने घर में आ गई और उसके बाद दोनो मा बेटे ने भोजन किया और फिर सोने के लिए चले गए!
सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! उसे विक्रम की बहुत याद आ रही थी और उसका मन कर रहा था कि उड़कर विक्रम के पास चली जाए लेकिन ये संभव नहीं था! सलमा को अब अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि विक्रम तो कल ही आने के लिए कह रहा था लेकिन मेरी ही किस्मत खराब थी जो उसे एक हफ्ते बाद आने के लिए कह दिया, काश मैंने उसे कल ही आने के लिए कह दिया होता तो कितना अच्छा होता! अब ये एक हफ्ता मेरी जान लेकर ही रहेगा, पता नहीं कैसे ये हफ्ता गुजरेगा! सलमा बार बार अपने हाथ को चूम रही थी जहां विक्रम ने चूमा था और बेहद बेचैन हो रही थी! सच में कोई तो बात थी विक्रम मे जो उसे उसकी तरफ किसी चुंबक की ताकत से खींच रही थी! सलमा बेचैनी से करवट बदलती रही और रात का दूसरा पहर शुरू हो गया और जैसे तैसे करके बेचैनी के आलम में वो सो गई!
विक्रम की हालत भी सलमा से अलग नही थी और वो तो यकीन नही कर पा रहा था कि सलमा जैसी खूबसूरत शहजादी उसे पसंद कर बैठी हैं! सच में विक्रम ने कभी सपने में भी नही सोचा कोई इतनी खूबसूरत भी हो सकती हैं जितनी सलमा हैं!
विक्रम की आंखो के आगे अभी भी सलमा का वही चांद सा खूबसूरत चमकता नूर से रोशन जगमगाता मुखड़ा हटाए नही हट रहा था और विक्रम ने बड़ी मुश्किल से अपनी आंखे बंद करी थी तो उसे उस पल का एहसास हुआ जब उसने सलमा के हाथ को चूम लिया था! उफ्फ कितने नाजुक नर्म मुलायम थे उसके हाथ बिलकुल रेशम की तरह! पता नही इतने कोमल नर्म हाथो से सलमा ने तलवार कैसे उठाई थी वो यकीन नही कर पा रहा था! विक्रम को अच्छे से याद था कि जब उसने सलमा के हाथ को चूमा था तो उसे बेहद उत्तेजना महसूस हुई थी क्योंकि सलमा का हाथ बेहद गर्म था मानो गर्मी से तप रहा हो किसी जलते रेगिस्तान की तरह बिलकुल गर्म! विक्रम ने आज तक किसी को भी ऐसे नही छुआ था लेकिन रक्षा बंधन पर उसे जरूर कुछ लड़कियों ने राखी बांधी थी तो उनके हाथ में कभी भी उसे गर्मी महसूस नही हुई और फिर वो तो अभी विदेश से पढ़कर आया था जहां पर हाथ मिलाना एक सभ्यता हैं लेकिन किसी भी लड़की के हाथ में उसे इतनी गर्मी महसूस नही हुई थी!
अगर सलमा का हाथ इतना गर्म था तो उसका जिस्म कितना तपता हुआ, उफ्फ मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए क्योंकि ऐसा सोचना भी पाप होगा क्योंकि मैं तो सलमा से दिल से प्यार करता हु! अब जब भी मिलेगी तो कसकर गले लगा लूंगा उसे तब कहीं जाकर मेरे बेचैन दिल को करार मिलेगा! हाय री मेरी किस्मत, उसने तो मुझे एक हफ्ते बाद मिलने के लिए बुलाया हैं लेकिन क्या मैंने एक हफ्ते तक खुद को रोक पाऊंगा!
मुझे तो लगता हैं कि मैं उसके बिना एक हफ्ते नही जी पाऊंगा! अगर सलमा भी मेरे लिए ऐसे ही तड़प रही होगी तो निश्चित रूप से वो मुझसे एक हफ्ते से पहले ही मिलने के लिए बेकरार होगी! ये सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई और वो अपने गले से तकिए को लगाकर सो गया!
सुल्तानपुर में जब्बार के घर पर शहजादा सलीम नंगा लेटा हुआ था और जब्बार की बीवी शमा उसका पांच इंच लम्बा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी और सलीम मजे से सिसकियां ले रहा था ! शमा एक बेहद तंदुरुस्त और हट्टी कट्टी महिला थी और सलीम जोर जोर से उसके मुंह में लंड घुसा रहा था और देखते ही देखते सलीम के मुंह से तेज तेज सिसकियां निकली और उसने शमा के मुंह को अपने वीर्य से भर दिया और बोला:"
" मेरी जान सैकड़ों के साथ सेक्स कर चुका हूं लेकिन लंड सिर्फ तुम ही चूसती हो मेरा! कमाल कर देती हो तुम शमा!
शमा ने अपने मुंह की साफ किया और बोली:" ये तो मेरी खुशकिस्मती है कि होने वाले सुलतान का लंड मेरे चूत और मुंह दोनो में घुसता है!
सलीम:" बस मेरी जान एक बार मैं राजा बन गया तो तुम्हे मालामाल कर दूंगा!
शमा:" दौलत मुझे नही चाहिए, बस आप बादशाह बन जायेंगे मेरे लिए यही खुशी की बात होगी!
सलीम ने उसकी नंगी गांड़ पर हाथ फेर दिया और बोला:"
" आज तो मुझे अपनी ये मखमली गांड़ दे दो शमा आखिर कब तक मुझे ऐसे तड़पाती रहोगी?
शमा ने शर्माने का नाटक किया और बोली:" ऐसा भी कहीं नहीं होता हैं, आपको कितनी बार समझाऊं कि पीछे वाली जगह ये सब करने के लिए नही होती हैं!
सलीम:" होती हैं मेरी दिलरुबा होती हैं, मुझे एक बेहद कीमती किताब हाथ लगी थी जिसमे मैने देखा था कि आज कल ये सब भी होता हैं बस तुम मान जाओ ना!
शमा:" आप जिद कर रहे हो तो ठीक हैं लेकिन आज नही, जिस दिन आप बादशाह बनोगे उस दिन आपको मैं अपनी तरफ से आपको ये तोहफा दूंगी!
सलीम:" इतने तक मैं कैसे बर्दाश्त कर पाऊंगा! आप मेरी थोड़ी भी फिक्र नही करती हो!
शमा:" माफ कीजिए शहजादे लेकिन इतना सब्र तो आपको करना ही पड़ेगा!
सलीम ने शमा की गांड़ पर एक चिकोटी काट ली और शमा दर्द से कराह उठी और शमा ने अपने सूट को उठाया और पहनने लगी क्योंकि वो जानती थी कि अब चाह कर भी सलीम का लंड पूरी रात खड़ा नही हो पाएगा! सलीम आराम से उसे कपड़े पहनते हुए देखता रहा और बाद में वो भी अपने कपड़े पहन कर राजमहल की तरफ चल पड़ा!
सलीम के जाने के बाद जब्बार आया और शमा ने उसे सारी बात बता दी तो जब्बार खुशी से भर उठा और बोला:"
" आप का जवाब नही शमा मेरी बेगम, आप ऐसे ही इस गधे को अपने शीशे में उतार कर रखो और फिर वो दिन दूर नही जब आप सुल्तानपुर की रानी बनोगी और मैं आपका राजा!
शमा ने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके सीने में घुसती हुई बोली:"
" हमारा ख्वाब जल्दी ही पूरा होगा बस अब आप मेरा कुछ कीजिए ना, सलीम तो ठीक से गर्म भी नही पाया मुझे अब आप ही कुछ कीजिए मेरे सरताज!
जब्बार ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और देखते ही देखते दोनो नंगे होकर गुत्थमगुत्था होने लगे और जब्बार ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी चूत में घुसा दिया तो रोज चुदने वाली शमा भी दर्द से कराह उठी और जोर जोर से दर्द भरी सिसकियां लेती हुई उससे चुदने लगी! करीब आधे तक कक्ष में उनकी सिसकियां गूंजती रही और अंत में दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए!