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Incest शहजादी सलमा

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Sex jaruri nahi he story me bhai.................ek saaf suthri prem kahani kahi jyada dil ke karib hoti he...........sex scene jarurat ke hisab se achche lagte he.....adhikta se kahani ka mool swarup bigad jata he.........

बिलकुल आपकी बात से पूर्ण रूप से सहमत हु! संभोग होता तो कहानी की जरूरत के हिसाब से ही होगा! वैसे भी इस कहानी में ज्यादा सेक्स के लिए जगह नहीं है ही नहीं
 

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आप ने जब से इस फोरम पर लिखना प्रारंभ किया तब से ही आपकी स्टोरी पढ़ रहा हूं और शायद आप की सभी स्टोरी पढ़ चुका हूं । इरोटिक लेखन मे आप माहिर है , इसमे रति भर भी किसी को शक नही । लेकिन इधर कई दिनों से आपके लेखन स्किल मे भी अभूतपूर्व बदलाव आया है । राइटिंग स्किल पहले से लाख गुना बेहतर हो गई है । हर चीज को , हर शब्द को , हर घटनाक्रम को काफी सोच समझकर और काफी बारीकी से लिख रहे है। यह वास्तव मे एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है आपने।

इस अपडेट का प्रत्येक घटनाक्रम और उस घटनाक्रम का डिटेल वर्णन बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया आपने।
सलमा और विक्रम के दरम्यान शुरुआत मे थोड़े-बहुत तनाव और अब उस तनाव का आकर्षण मे तब्दील होना एक प्रेम कहानी को जन्म दे रहा है । और यह सब फिर से कह रहा हूं कि बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है आपने।
लेकिन यह देखना रीडर्स के लिए कौतुहल का सब्जेक्ट रहेगा कि इस प्रेम स्टोरी के बीच इन्सेस्ट कैसे जन्म लेता है और उस इन्सेस्ट रिलेशनशिप के मुख्य किरदार कौन कौन होंगे ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट यूनिक स्टार भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।

इनसेस्ट की मुख्य नायिका मेनका होगी और सलमा के बाद सारी कहानी उसके हो इर्द गिर्द घूमती हुई नजर आयेगी, कहानी में काफी कुछ रहस्य है जो धीरे धीरे पता चल जायेगा!

आप जैसे मंझे हुए लोग कहानी पढ़ते हैं ये मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं! साथ बने रहिए
 

Unique star

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हमेशा की तरह बढ़िया कहानी लिख रहे हो भाई आप।

विक्रम और सलमा की प्रेम कहानी ही इस का मुख्य बिंदु है, जो राज्यों में उत्पन्न गलतफहमी के कारण झंझावातों से गुजरेगी। और शायद इस गलतफहमी कारण भी जब्बार ही है।

बाकी मुझे राजमाता का किरदार भी कुछ रहस्यमई लगा। और लगता है मेनका और अजय के बीच कुछ होने वाला है जो परंपरा के नाम पर किया जाएगा अगले अपडेट में।
जब्बार निश्चित रूप से अपराधी हैं और उसने काफी कुछ जाल बिछाया हुआ हैं लेकिन उसके साथ और कौन है ये सब भी धीरे धीरे खुलासा होगा! साथ बने रहिए आपका दिल से धन्यवाद
 
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एक और बेहतरीन अपडेट । स्टोरी धीरे धीरे अपने रंग मे आने लगी है। जब्बार इस राजपरिवार और इस सल्तनत के लिए एक और जयचंद / मिरजाफर बनने जा रहा है।
एक कपटी और देशद्रोही सेनापति ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट यूनिक स्टार भाई।
 

parkas

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मेनका की एक झलक


अजय का महल के पास ही एक बेहद बड़ा खूबसूरत का घर या कहिए एक शानदार छोटे महल जैसा ही घर बना हुआ था जिसकी सुंदरता दूर से ही देखते बन रही थी! अजय ने अपने घोड़े को बाहर अस्तबल में खड़ा किया और उसके बाद अंदर प्रवेश किया और उसकी मां मेनका ने उसे देखकर हमेशा की तरह एक बेहद मुस्कान दी और बोली:"

" आओ पुत्र, हम आपका ही इंतजार का रहे थे!

अजय आगे बढ़ा और मेनका के पैर छू लिए और बोला:"

" देरी के लिए क्षमा कीजिए माताश्री, कहिए मैं आपके किस काम आ सकता हूं?

मेनका ने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और बोली:" जुग जुग जियो मेरे लाल , अभी आए तो थक गए होंगे, पहले कुछ खा लो तो उसके बाद बात करते हैं!

अजय ने अपनी मां की आज्ञा का पालन किया और नहाकर धोकर केसर बादाम वाला दूध पिया और उसके बाद अपनी में कक्ष में आ गया और बोला:"

" आप मुझसे कुछ जरूरी बात करने वाली थी माताश्री!

मेनका अकसर साड़ी ही पहनती थी और आज भी साड़ी ही उसने पहनी हुई थी जिसमे वो सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी! मेनका ने एक लंबी सांस ली और बोली:" बेटा आज राजमाता ने मुझे संदेश दिया था कि जल्दी ही वो आपको सारे राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप देगी तो मुझे बेहद खुशी हुई! दरअसल ये एक प्रथा है कि सदियों से उदयगढ़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे ही पूर्वज निभाते रहे हैं और हमारे पूर्वजों ने अपने जिस्म की आखिरी बूंद बलिदान करके भी उदयगढ़ की रक्षा करी है फिर चाहे तो चंगेज खान, तैमूर लंग, दूसरे राजपूत राजा या भले ही आज की सबसे ताकतवर प्रजाति पिंडारी रहे हो सबके सामने सबसे पहले हमारी तलवार खड़ी हुई है!
आपका सौभाग्य है कि जल्दी ही ये अवसर आपको मिलेगा कि आप पीढ़ियों से चली आ रही इस प्रथा को और ज्यादा गौरवान्वित कर सके!

अजय को अपने इतिहास के बारे में जाकर बेहद खुशी हुई और बोला:" माता मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा कि आपने मुझे इस काबिल समझा!

मेनका ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली:"

" जीते रहो मेरे शेर बेटे, आज मैं आपको हमारे पूर्वजों की एक ऐसी अनमोल धरोहर दूंगी जिसे पाकर आप खुद को दुनिया में सबसे ताकतवर महसूस करोगे!

अजय उसकी बाते सुनकर थोड़ा अधीर हो उठा और जल्दी से बोला:"

" जो भी है जल्दी से दीजिए, ऐसी अनमोल धरोहर के बारे में विलम्ब करके हमारे धैर्य की परीक्षा न लीजिए माता!

मेनका ने उसका हाथ पकड़ा और अपने साथ अंदर ले गई और कमरे में जाकर एक तस्वीर को हटाया तो एक खिड़की जितना रास्ता नजर आया और अजय की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी! खिड़की से दोनो अंदर घुस गए और नीचे एक गुफा थी जिसमें वो आज पहली बार घुस रहा था ! अंदर जाकर मेनका ने एक दिया जला दिया तो गुफा में हल्की सी रोशनी हो गई और उसके बाद मेनका ने कक्ष में रखे हुए एक अंगीछे से चाबी निकाली और फिर एक बड़ी सी पेटी जो बेड के नीचे रखी हुई थी उसे खोल दिया और उसमें एक बेहद मजबूत, खूबसूरत और घातक तलवार नजर आई और मेनका ने अजय को वो तलवार उठाने का इशारा किया और अजय ने आगे बढ़कर फूल की तरह उस भारी भरकम तलवार को उठा लिया और मेनका बोली:"

" बेटा ये कोई मामूली तलवार नही हैं बल्कि हमारे पूर्वजों को एक लंबी साधना के बाद प्राप्त हुई तलवार हैं! इस तलवार की सबसे बड़ी विशेषता है कि जिसके हाथ में भी ये तलवार होती हैं उसे दुनिया की कोई ताकत नही हरा सकती! आज के बाद ये तलवार आपकी हुई और इसे भूलकर भी खुद से अलग मत करना!

अजय ने एक बार फिर से अपनी मां के पैर छुए और बोला:"

" आप चिंता न करे माता! मैं आपकी बात का पालन करूंगा!

मेनका:" एक बात और मैं तुम्हे बताना भूल गई कि इस तलवार का उपयोग सिर्फ उदयगढ़ की भलाई के लिए ही मान्य होगा, अगर आपने भूले से भी उदयगढ़ के खिलाफ या राज परिवार के खिलाफ इसका प्रयोग किया तो इसकी सारी शक्तियां काम नही करेगी!

अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं आपकी बात का हमेशा पालन करूंगा!

मेनका:" एक बात और इस तलवार को सिर्फ हमारे ही परिवार के लोग उठा पाते हैं और उसके अलावा दुनिया मे इसे कोई भी हाथ में नही ले सकता! याद रहे ये तलवार सिर्फ बुराई का नाश करने के लिए बनी हैं!

अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं भूले से भी इसका गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा!

मेनका:" ठीक हैं अब एक काम करो कि इसे वापिस रख दो! कल पूर्णिमा हैं तो कल मैं रात को जब पूरी चांदनी होगी तो एक रीति रिवाज के साथ ये तलवार आपके हवाले कर दूंगी!

अजय ने अपनी मां की बात का पालन किया और तलवार को वापिस रख दिया और मेनका ने लैंप को बंद किया और उसके बाद अजय के साथ उस गुफा से बाहर निकल कर अपने घर में आ गई और उसके बाद दोनो मा बेटे ने भोजन किया और फिर सोने के लिए चले गए!


सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! उसे विक्रम की बहुत याद आ रही थी और उसका मन कर रहा था कि उड़कर विक्रम के पास चली जाए लेकिन ये संभव नहीं था! सलमा को अब अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि विक्रम तो कल ही आने के लिए कह रहा था लेकिन मेरी ही किस्मत खराब थी जो उसे एक हफ्ते बाद आने के लिए कह दिया, काश मैंने उसे कल ही आने के लिए कह दिया होता तो कितना अच्छा होता! अब ये एक हफ्ता मेरी जान लेकर ही रहेगा, पता नहीं कैसे ये हफ्ता गुजरेगा! सलमा बार बार अपने हाथ को चूम रही थी जहां विक्रम ने चूमा था और बेहद बेचैन हो रही थी! सच में कोई तो बात थी विक्रम मे जो उसे उसकी तरफ किसी चुंबक की ताकत से खींच रही थी! सलमा बेचैनी से करवट बदलती रही और रात का दूसरा पहर शुरू हो गया और जैसे तैसे करके बेचैनी के आलम में वो सो गई!

विक्रम की हालत भी सलमा से अलग नही थी और वो तो यकीन नही कर पा रहा था कि सलमा जैसी खूबसूरत शहजादी उसे पसंद कर बैठी हैं! सच में विक्रम ने कभी सपने में भी नही सोचा कोई इतनी खूबसूरत भी हो सकती हैं जितनी सलमा हैं!

विक्रम की आंखो के आगे अभी भी सलमा का वही चांद सा खूबसूरत चमकता नूर से रोशन जगमगाता मुखड़ा हटाए नही हट रहा था और विक्रम ने बड़ी मुश्किल से अपनी आंखे बंद करी थी तो उसे उस पल का एहसास हुआ जब उसने सलमा के हाथ को चूम लिया था! उफ्फ कितने नाजुक नर्म मुलायम थे उसके हाथ बिलकुल रेशम की तरह! पता नही इतने कोमल नर्म हाथो से सलमा ने तलवार कैसे उठाई थी वो यकीन नही कर पा रहा था! विक्रम को अच्छे से याद था कि जब उसने सलमा के हाथ को चूमा था तो उसे बेहद उत्तेजना महसूस हुई थी क्योंकि सलमा का हाथ बेहद गर्म था मानो गर्मी से तप रहा हो किसी जलते रेगिस्तान की तरह बिलकुल गर्म! विक्रम ने आज तक किसी को भी ऐसे नही छुआ था लेकिन रक्षा बंधन पर उसे जरूर कुछ लड़कियों ने राखी बांधी थी तो उनके हाथ में कभी भी उसे गर्मी महसूस नही हुई और फिर वो तो अभी विदेश से पढ़कर आया था जहां पर हाथ मिलाना एक सभ्यता हैं लेकिन किसी भी लड़की के हाथ में उसे इतनी गर्मी महसूस नही हुई थी!

अगर सलमा का हाथ इतना गर्म था तो उसका जिस्म कितना तपता हुआ, उफ्फ मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए क्योंकि ऐसा सोचना भी पाप होगा क्योंकि मैं तो सलमा से दिल से प्यार करता हु! अब जब भी मिलेगी तो कसकर गले लगा लूंगा उसे तब कहीं जाकर मेरे बेचैन दिल को करार मिलेगा! हाय री मेरी किस्मत, उसने तो मुझे एक हफ्ते बाद मिलने के लिए बुलाया हैं लेकिन क्या मैंने एक हफ्ते तक खुद को रोक पाऊंगा!

मुझे तो लगता हैं कि मैं उसके बिना एक हफ्ते नही जी पाऊंगा! अगर सलमा भी मेरे लिए ऐसे ही तड़प रही होगी तो निश्चित रूप से वो मुझसे एक हफ्ते से पहले ही मिलने के लिए बेकरार होगी! ये सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई और वो अपने गले से तकिए को लगाकर सो गया!


सुल्तानपुर में जब्बार के घर पर शहजादा सलीम नंगा लेटा हुआ था और जब्बार की बीवी शमा उसका पांच इंच लम्बा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी और सलीम मजे से सिसकियां ले रहा था ! शमा एक बेहद तंदुरुस्त और हट्टी कट्टी महिला थी और सलीम जोर जोर से उसके मुंह में लंड घुसा रहा था और देखते ही देखते सलीम के मुंह से तेज तेज सिसकियां निकली और उसने शमा के मुंह को अपने वीर्य से भर दिया और बोला:"

" मेरी जान सैकड़ों के साथ सेक्स कर चुका हूं लेकिन लंड सिर्फ तुम ही चूसती हो मेरा! कमाल कर देती हो तुम शमा!

शमा ने अपने मुंह की साफ किया और बोली:" ये तो मेरी खुशकिस्मती है कि होने वाले सुलतान का लंड मेरे चूत और मुंह दोनो में घुसता है!

सलीम:" बस मेरी जान एक बार मैं राजा बन गया तो तुम्हे मालामाल कर दूंगा!

शमा:" दौलत मुझे नही चाहिए, बस आप बादशाह बन जायेंगे मेरे लिए यही खुशी की बात होगी!

सलीम ने उसकी नंगी गांड़ पर हाथ फेर दिया और बोला:"

" आज तो मुझे अपनी ये मखमली गांड़ दे दो शमा आखिर कब तक मुझे ऐसे तड़पाती रहोगी?

शमा ने शर्माने का नाटक किया और बोली:" ऐसा भी कहीं नहीं होता हैं, आपको कितनी बार समझाऊं कि पीछे वाली जगह ये सब करने के लिए नही होती हैं!

सलीम:" होती हैं मेरी दिलरुबा होती हैं, मुझे एक बेहद कीमती किताब हाथ लगी थी जिसमे मैने देखा था कि आज कल ये सब भी होता हैं बस तुम मान जाओ ना!

शमा:" आप जिद कर रहे हो तो ठीक हैं लेकिन आज नही, जिस दिन आप बादशाह बनोगे उस दिन आपको मैं अपनी तरफ से आपको ये तोहफा दूंगी!

सलीम:" इतने तक मैं कैसे बर्दाश्त कर पाऊंगा! आप मेरी थोड़ी भी फिक्र नही करती हो!

शमा:" माफ कीजिए शहजादे लेकिन इतना सब्र तो आपको करना ही पड़ेगा!

सलीम ने शमा की गांड़ पर एक चिकोटी काट ली और शमा दर्द से कराह उठी और शमा ने अपने सूट को उठाया और पहनने लगी क्योंकि वो जानती थी कि अब चाह कर भी सलीम का लंड पूरी रात खड़ा नही हो पाएगा! सलीम आराम से उसे कपड़े पहनते हुए देखता रहा और बाद में वो भी अपने कपड़े पहन कर राजमहल की तरफ चल पड़ा!

सलीम के जाने के बाद जब्बार आया और शमा ने उसे सारी बात बता दी तो जब्बार खुशी से भर उठा और बोला:"

" आप का जवाब नही शमा मेरी बेगम, आप ऐसे ही इस गधे को अपने शीशे में उतार कर रखो और फिर वो दिन दूर नही जब आप सुल्तानपुर की रानी बनोगी और मैं आपका राजा!

शमा ने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके सीने में घुसती हुई बोली:"

" हमारा ख्वाब जल्दी ही पूरा होगा बस अब आप मेरा कुछ कीजिए ना, सलीम तो ठीक से गर्म भी नही पाया मुझे अब आप ही कुछ कीजिए मेरे सरताज!

जब्बार ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और देखते ही देखते दोनो नंगे होकर गुत्थमगुत्था होने लगे और जब्बार ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी चूत में घुसा दिया तो रोज चुदने वाली शमा भी दर्द से कराह उठी और जोर जोर से दर्द भरी सिसकियां लेती हुई उससे चुदने लगी! करीब आधे तक कक्ष में उनकी सिसकियां गूंजती रही और अंत में दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए!
Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai....
Nice and lovely update.....
 

Unique star

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उदयगढ़ में अगले दिन राजसभा लगी हुई थी! सभी मंत्री और विशेष गण अपने स्थान पर विराजमान थे! राजमाता गायत्री देवी लोगो की समस्या सुन रही थी और उनका समाधान भी कर रही थी! करीब 11 बजे के आस पास सभा समाप्त हुई और राजमाता ने अजय से कहा:"

" अजय ये राजकुमार विक्रम आज सभा में क्यों नहीं आए हैं ? उनका स्वास्थ्य तो ठीक हैं न?

अजय:" आप निश्चित रहे राजमाता मैं पता करके आता हु!

गायत्री देवी" ठीक हैं आप जाइए तब मैं मंत्री दल के साथ एक अहम बैठक करती हू!

अजय वहां से चला गया और राजमाता गायत्री देवी राज कुर्सी पर विराजमान हो गई और बोली:"

" जैसा कि संपूर्ण राज्य जानता है कि आदिकाल से राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अजय के परिवार की रही हैं और इनकी न जाने कितनी पीढियों ने अपने प्राणों की बलि देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं और उदयगढ़ के इतिहास में इनका अभुपूर्व योगदान हैं! अजय भी अब बड़ा हो गया है और जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं! आप सब की क्या राय हैं ?

भीमा सिंह:" मैं आपकी बात से सहमत हु राजमाता! ये तो एक ऐसी प्रथा हैं जिसके बारे में सभी उदयगढ़ वासी अच्छे जानते हैं!

मानसिंह:" बिलकुल राजमाता आपकी बात सत्य हैं! अजय के पुरखो ने अपना बलिदान देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं! अजय के पिता तो महाराज को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ये मैंने खुद अपनी आंखो से देखा हैं राजमाता!

कुशल सिंह:" ये तो सम्पूर्ण उदयगढ़ के लिए गौरव का पल हैं कि राज्य के सबसे वफादार परिवार को फिर से उनकी जिम्मेदारी दी जा रही है! शुभ अवसर देखकर आप इस कार्य को पूर्ण कीजिए!

सेनापति शक्ति सिंह:" राजमाता आपका हुक्म और मंत्री गण का फैसला मेरे लिए सर्वोपरि हैं लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर मुझसे राज्य की सुरक्षा में कोई चूक हुई है या मैने अपना काम सच्चाई और बहादुरी से नही किया हैं क्या ?

थोड़ी देर के लिए राजसभा में पूरी शांति छाई रही और अंत में राजमाता गायत्री देवी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा और बोली:"

" आपने अपनी कर्तव्य को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूर्ण किया हैं और निसंदेह आप उदयगढ़ के सबसे बहादुर योद्धा में से एक हो! लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि ये प्रथा हमारे पूर्वजों के काल से चली आ रही है तो इसे निभाने के लिए हम वचनबद्ध हैं शक्ति! लेकिन आप निश्चित रहे आपकी निष्ठा को देखते हुए आपको जल्दी ही एक अहम जिम्मेदारी के साथ साथ 100 गांवों की एक जागीर दी जायेगी! फिर भी आपको कोई आपत्ति हैं तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं शक्ति सिंह क्योंकि हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते!

सभी मंत्री गण ने राजमाता के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत किया और शक्ति सिंह बिना कुछ कहे राजमाता के आगे सम्मान में सिर झुका कर अपनी जगह बैठ गया!

राजमाता:" ठीक हैं भीमा फिर आप पुरोहित जी से एक शुभ मुहूर्त निकलवा लीजिए और उसी दिन मुहूर्त पर अजय को विधिपूर्वक ये जिम्मेदारी प्रदान की जायेगी!

भीमा अपने स्थान पर खड़ा हुआ और राजमाता के आगे सम्मान में झुकते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! मै आज ही पुरोहित जी से मिलकर मुहूर्त निकलवा लूंगा!

राजमाता:" ठीक है फिर आज की सभा यहीं समाप्त होगी और आप सभी अपना काम देखिए! मैं चलती हू क्योंकि मुझे मंदिर जाना होगा!

उसके बाद राजमाता मंदिर चली गई और दूसरी तरफ विक्रम अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था और सुबह से कुछ खाया भी नही था! उसे देखकर लग रहा था कि मानो किसी गंभीर बीमारी का प्रकोप हुआ है!

अजय उसके कक्ष में पहुंचा और बोला:" क्या मुझे होने वाले महाराज के कक्ष में आने की अनुमति हैं ?

विक्रम ने एक बार उसकी तरफ देखा और बिना मुंह से कुछ भी बोले अपनी गर्दन को हिला दिया और अजय उसके पास जाकर खड़ा हो गया और बोला:"

" क्या हुआ युवराज? आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे?

विक्रम ने उदास नजरो से उसे देखा और फिर शायरी वाले अंदाज में बोला:"

" आपकी हालत का एहसास नही मुझको, मैने औरों से सुना हैं कि मैं परेशान हु!!

विक्रम की शायरी का दर्द महसूस करके अजय उसके बिलकुल पास पहुंच गया और बोला:"

" आप चिंता न कीजिए युवराज, मेरे होते आपको कोई कष्ट हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार हैं!

विक्रम ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया तो अजय अपनी जगह से नही हिला और बोला:"

" मैं इस लायक तो नही हु कि होने वाले महाराज के बेड पर बैठ सकू! आप बस हुक्म कीजिए

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और बोला:"

" अजय तुम मेरे लिए मेरे सच्चे दोस्त हो बिलकुल मेरे छोटे भाई जैसे! फिर हमारे बीच ये महाराज वाला रिश्ता तो नही होना चाहिए वो भी कम से कम मेरे कक्ष में तो किसी भी दशा पर नही!

विक्रम का अपनापन देखकर अजय का रोम रोम उसका कर्जदार हो गया और बोला:"

" हमे इतना मान और प्यार देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद युवराज! जब आपने मुझे छोटा भाई कहा हैं तो फिर मुझे बड़े भाई के कष्ट को दूर करने का एक मौका दीजिए!

विक्रम:" जरूर दिया जाएगा अजय लेकिन अभी उसके लिए सही समय नही आया हैं! जब आपकी जरूरत होगी तो हम आपको जरूर अपनी ये समस्या बताएंगे मेरे भाई!

अजय:" ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी! फिर भी आपको कष्ट में देखकर मेरा दिल तार तार हो रहा हैं युवराज! आप अगर बताएंगे तो आपके लिए जीवन भी बलिदान कर दूंगा!

विक्रम ने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और धीरे से बोला:"

" अपना ये जज्बा और जुनून बचाकर रखिए अजय क्योंकि जल्दी ही आपको राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने वाली है तो आप अपना ध्यान अभी सी तरफ ही लगाए!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा युवराज! लेकिन पहले आप नहा लीजिए तब मैं आपके लिए थोड़ा खाने का प्रबंध कर देता हू!

इतना कहकर अजय बाहर आ गया और विक्रम अनमने ढंग से नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर उसने अजय के साथ बैठकर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद अजय उससे आज्ञा लेकर बाहर निकल आया!

शाम को राजमाता गायत्री देवी विक्रम के कक्ष में आई और विक्रम का हाल देखा और बोली:"

" उदयगढ़ के होने वाले महाराज को क्या कष्ट हैं जो उनके चेहरे पर इतना दर्द दिखाई पड़ता हैं

विक्रम ने अपनी नजरो को नीचा किया और बोला:"

" कुछ नही राजमाता बस कल घोड़े से थोड़ा गिर पड़ा था तो पैर में हल्की सी चोट आई हैं बस इसलिए आराम ही कर रहा था!

राजमाता गायत्री:" आपकी बात मुझे हैरान कर रही है युवराज क्योंकि हमारे शाही खून में तो ताकत होती हैं घोड़े उसे चाहकर भी गिरा सकता!

विक्रम उसकी बात सुनकर झेंप सा गया और बोला:" दरअसल वो हमे घोड़े से ऐसी उम्मीद नहीं थी तो इसलिए बस गिर पड़े! आप मेरा विश्वास कीजिए राजमाता!

राजमाता ने एक बार गौर से उसे देखा और बोली:"

" आप कहते हैं तो विश्वास तो करना ही पड़ेगा! आज से आपके लिए वैद्य जी को बोलकर एक शाही नुस्खा तैयार करवाना पड़ेगा ताकि आप फिर से ऐसे हादसे का शिकार न होने पाएं!

विक्रम के पास कोई उपाय नहीं था तो बोला:"

" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता!

उसके बाद बिक्रम ने अपनी माता के साथ थोड़ा सा खाना खाया और फिर छत पर घूमने लगा और राजकुमारी की याद उसे भुलाए नहीं भूल रही थी!!

वही दूसरी तरफ शहजादी सलमा भी पूरे दिन उदास सी ही रही और जैसे तैसे करके दिन कटा तो रात की तनहाई ने उसे आ घेरा और बिस्तर पर पड़ी हुई सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और मखमल सा नर्म मुलायम बिस्तर भी आज उसके जिस्म को सुकून नही दे रहा था! सलमा को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या वो सच में विक्रम से इतना प्यार कर बैठी जो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं रह रहा हैं उसे! सच मे प्यार में ऐसी दीवानगी भी होती हैं उसे एहसास न था क्योंकि उसकी जान पर बन आई थी! विक्रम ने जहां उसके हाथ को चूमा था वो जगह को वो इतना चूम चुकी थी कि गिनती करने की बात हो छोड़ो उसके हाथ का वो हिस्सा चूमने की वजह से लाल पड़ गया था!

धीरे धीरे रात गहराने लगी और सलमा की बचैनी और ज्यादा बढ़ती चली गई! रात के दूसरे पहर बड़ी मुश्किल से सलमा की आंख लगी तो उसे बेहद हसीन ख्वाब दिया और उसने देखा कि वो अपने कक्ष में बेड पर लेटी थी और विक्रम उसके माथे को चूम रहा था तो सलमा ने उसे बड़े प्यार से देखा और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसके गले में बांहे डाले उससे लिपटी हुई थी! विक्रम सलमा को गोद में लिए हुए महल की छत पर आ गया और सामने चांद की दुधिया रोशनी उनके जिस्म पर पड़ रही थी और सलमा उसके चौड़े मजबूत सीने से लिपटी हुई थी और विक्रम बड़े प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को देखा रहा था और प्यार से बोला;"

" शहजादी सलमा एक बार अपनी आंखो को खोलिए न!

सलमा ने अपनी आंखो को बड़े प्यार से धीरे धीरे खोला और दोनो की आंखे एक दूसरे से मिल गई ! दोनो प्यार से एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे मानो सारी दुनिया भूल गए हो! चांदनी रात में सलमा का नूरानी चेहरा और भी ज्यादा हसीन लग रहा था और विक्रम को सलमा पर बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि काली बडी बडी गोल आंखो में लगी हुई स्याही उसकी आंखो को बेहद खूबसूरत बना रही थी और विक्रम धीरे धीरे शहजादी के चेहरे की तरफ हल्का हल्का झुकने लगा तो सलमा को अपनी सांसे उखड़ती हुई महसूस और पूरा बदन कांप उठा और सलमा ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया! विक्रम का चेहरा अब सलमा के चेहरे के ठीक सामने आ गया था और सलमा के लाल अब शर्म के मारे गुलाबी हो गए थे और होंठ उसके होंठ थरथरा रहे थे! विक्रम सलमा की आंखो में देखता हुआ उसके चेहरे पर लगभग पूरी तरह से झुक गया और सलमा ने अपनी बांहों का दबाव उसकी गर्दन पर बढ़ा दिया तो विक्रम ने झुककर उसके एक गाल को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ उसकी आंख खुल पड़ी और सलमा को यकीन हुआ कि वो तो सिर्फ सपना देख रही थी तो वो उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि उसकी सांसे बेहद तेज हो गईं थीं और पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था!

सलमा के सपने में पहली बार कोई राजकुमार आया था और वो उसका चहेता विक्रम तो सलमा को अब उदासी हो रही थी कि विक्रम सच में कोई नही आया! जब सच में आएगा तो क्या वो ऐसे ही उसका गाल चूम लेगा क्या जैसे सपने में चूमा था ये सब सोचकर सलमा शर्म से दोहरी होती चली गई क्योंकि उसकी छातियां बेहद जोर जोर से उछल उछल पड़ रही थी और सलमा ने तकिए को उठाकर अपनी छाती से चिपका लिया मानो अपनी गोलाईयों को उछलने से रोक रही हो! बड़ी मुश्किल से सलमा ने अपने जिस्म पर काबू किया और उठकर वही आकर खड़ी हो गई जहां वो सपने में विक्रम की गोद में सिमटी हुई थी और चांद को निहारने लगी! रात का तीसरा पहर शुरू हुआ और सलमा आखिरकार अपने बिस्तर आ गई और विक्रम के बारे में सोचते सोचते वो आखिरकार नींद के आगोश मे समा गई!!

जब्बार एक औरत के साथ नंगा ही पड़ा हुआ और दोनो अभी अभी चुदाई के साथ अपने सांसे संयत कर रहे थे और वो औरत जिसका नाम राधिका था बोली:"

" आपने तो मेरे जिस्म को पूरा निचोड़ कर रख दिया आज! सच में आपके जैसा मजबूत मर्द मैने आज तक नही देखा!

जब्बार ने अपनी तारीफ सुनी तो उसकी चूची को सहलाते हुए कहा:" मेरी जान तुम भी तो कुछ कम नहीं हो, जितनी खूबसूरत हो उससे ज्यादा तेज दिमाग हो!

राधिका:" अच्छा एक बात पूछूं?

जब्बार:" बोलो ना मेरी रानी?

राधिका:" क्या आप सच में मुझे सुल्तानपुर की महारानी बनाओगे ?

जब्बार ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट लिया और उसकी चूत पर अपने आधे खड़े हुए लंड को रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल बनाऊंगा मेरी जान, सिर्फ सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की महारानी बनाऊंगा!

दो बार हुई दमदार चुदाई से राधिका के बदन का रेशा रेशा टूट रहा था लेकिन अब ना चाहते हुए भी उसके बदन मे फिर से उत्तेजना दौड़ना शुरू हो गई थी और वो जब्बार के गले में अपनी बांहे डालकर उससे लिपट गई और बोली:"

" फिर आपकी बीवी शमा का क्या होगा मेरे जहांपनाह?

जब्बार ने उसकी गोल गद्देदार गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसलते हुए बोला:"

" तुम तो जानती हो कि मैं शमा को पसंद नही करता! बस उसे शहजादे सलीम को फंसाए रखने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि सलीम ही मेरे रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत बन सकता हैं आगे चलकर!

इतना कहकर उसने राधिका को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसका पूरा सख्त हो गया लंड उसकी चूत से टकरा गया तो राधिका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"

" तो फिर कर लीजिए ना सुल्तानपुर पर कब्जा आप क्योंकि सब कुछ तो अब आपके हाथ में ही है!

जब्बार एक झटके के साथ राधिका के उपर आ गया और राधिका ने अपनी टांगो को पूरा फैला दिया और लंड चूत के रसीले छेद पर जा लगा और जब्बार दोनो हाथों से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला:"

" ऐसे महाराज बना तो प्रजा विद्रोह कर देगी! तुम्हे मेरा एक काम करना होगा राधिका!

इतना कहकर जब्बार ने उसकी चूत पर एक जोरदार धक्का लगाया और आधा लंड राधिका की चूत में घुस गया तो राधिका दर्द से कराह उठी और उससे पूरी ताकत से लिपट गई और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे आका, बताए ना मुझे क्या करना होगा!!

जब्बार ने लंड को जोर से बाहर की तरफ खींचा और उसके कंधो को थाम कर पूरी ताकत से एक धक्का लगाया तो लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया और राधिका दर्द से तड़प उठी और उसकी पीठ को नाखूनों से रगड़ती हुई बोली:"

" आआह्हह्ह मार डाला मुझे! बोलो ना प्लीज मेरी जान क्या करना होगा मुझे!

जब्बार ने उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए तो राधिका मस्ती से बेहाल हो गई और जब्बार उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला:"

" मुझे शहजादी सलमा को कुछ भी करके फंसाना होगा अपने जाल में क्योंकि अगर वो फंस गई तो मुझे प्रजा खुशी खुशी महाराज स्वीकार कर लेगी!

इतना कहकर जब्बार ने एक तगड़ा धक्का लगाया और राधिका दर्द से कराह उठी औरउसकी बात सुनकर राधिका ने उसे गुस्से से घूरती हुई बोली:"

" फिर मेरा क्या होगा? शहजादी के बाद मुझे तो भूल ही जाओगे न तुम !!

जब्बार उसकी चूत में जोर जोर से चोदते हुए बोला:"

" शादी के बाद एक षडयंत्र में फंसाकर सलमा को मौत के घाट उतार देने और ऐसे पूरा राजपरिवार खत्म हो जाएगा और आप मेरी महारानी बन जाओगे!

राधिका उसकी बात सुनकर होश में आ गई और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर चुदने लगी और सिसकी:"

" अअह्ह्ह्ह जब्बार मेरे यार! चोद दे मुझे अह्ह्ह्, चोद ना अपनी महारानी राधिका को!

जब्बार ने उसको अब पूरी ताकत से चोदना शुरु कर दिया और पूरे कक्ष में राधिका की दर्द भरी सिसकियां गूंजने लगी और जब्बार बोला:"

" एक काम करना, तेरी एक बहन सीमा राजकुमारी के साथ रहती हैं तो तुम उसके साथ शहजादी के करीब जाओ और मालिश के नाम पर उसकी उत्तेजना को पूरी तरह से भड़का दो ताकि शहजादी जिस्म की आग में जल उठे और फिर मौका देखकर हम उसे अपने जाल में फंसा लेंगे और एक बार अगर वो मेरे लंड से चुद गई तो जिंदगी भर मेरी गुलाम बन जायेगी वो !!

दर्द से कराहती सिसकती हुई राधिका पूरी ताकत से अपनी चूत को लंड पर उछाल रही थी बोली:"

" आह्ह्ह्ह मेरे महराज! इस लंड की मार जिस चूत पर पड़ेगी वो जिंदगी भर आपकी गुलाम बन जायेगी! अह्ह्ह्हह मेरे राजा बजाओ मेरा बाजा!

उसके बाद चुदाई का दौर चल पड़ा और धीरे धीरे जब्बार राधिका पर भारी पड़ने लगा तो राधिका दर्द से तड़पती, कराहती हुई उसके नीचे चुदाती रही और आखिर में एक दमदार चुदाई के बाद जब्बार ने उसकी चूत को लबालब भर दिया!!

अगले दिन सुबह अजय उठा तो उसकी माता मेनका बोली:"

"पुत्र अजय ठीक दो दिन बाद पूरी चांदनी रात होगी और मैं आपको विधिपूर्वक ये अद्भुत तलवार दूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! बताए उसके लिए मुझे क्या क्या करना होगा?

मेनका:" हम दोनो पवित्र नदी के पास आज एक विधि को पूर्ण करेंगे! आप बस मेरे साथ चलना सब कुछ मैं खुद व्यवस्था कर लूंगी!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा! मैं आपके साथ चलूंगा और अपनी तरफ से पूरा योगदान दूंगा!

मेनका:" ठीक हैं पुत्र! अब आप राज सभा में जाओ और अपना कार्य देखो!

वहीं दूसरी तरफ सलमा बेहद उदास थी तो उसकी उदासी सीमा से नही देखी गई और आखिकार उसने पूछा ही लिया:"

" क्या हुआ शहजादी आप बेहद उदास क्यों जान पड़ती हो? कई दिन से देख रही हूं कि आप ना ठीक से खा पा रही हैं और पूरे दिन बुझी बुझी सी रहती है, आखिर क्या हुआ हैं आपको, पहले तो आप ऐसी बिलकुल न थी शहजादी!

सलमा:" कुछ भी तो नही हुआ हैं हमें,बस आजकल तबियत थोड़ी ठीक नही लगती!

सीमा:" ठीक हैं फिर मैं दाई मा को बुलाकर ले आती हूं ताकि वो आपको देख सके और आपका उपचार कर सके!

इतना कहकर सीमा जाने लगी तो सलमा ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" कहीं जाने की जरूरत नही हैं तुम्हे, यहीं बैठो मेरे पास!

सीमा ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" फिर आपकी तबियत कैसी ठीक होगी शहजादी?

सलमा ने उसे पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली:

" हर बीमारी का इलाज दाई मा के पास नही होता सीमा, कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं जो लाइलाज होती हैं!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:" ये आप कैसी अजीब अजीब सी बाते कर रही है, भला बीमारी का इलाज दाई मा नही करेगी तो कौन करेगा!

सलमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे वो सीमा को अपने दिल का हाल बताए क्योंकि उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने मुंह से ये बात कह सके और फिर अगर गलती से भी सीमा ने किसी के सामने कुछ कह दिया तो वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नही बचेगी इसलिए वो खामोश ही रही तो सीमा फिर से बोली:"

" बताए ना शहजादी,आपकी ये हालत हमसे देखी नही जाती, पीड़ा आपके चेहरे पर हैं और दिल मेरा टूट रहा है!

सीमा की बात का सलमा पर गहरा असर हुआ और ऐसे ही उसके कंधे पर सिर रखे हुए बोली:"

" क्या मैं तुझ पर पूरा यकीन कर सकती हूं ना सीमा?

सीमा के दिल को उसकी बात सुनकर ठेस पहुंची और बोली:"

" आपने यकीन वाली बात कहकर आपके लिए मेरी निष्ठा को ठेस पहुंचाई है शहजादी! शायद आप मुझे ठीक से समझ ही नहीं पाई है आज तक!

सलमा ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" ऐसा न कहो सीमा, तुम पर तो मुझे अपने आप से ज्यादा भरोसा है तभी तो अपनी हर बात तुम्हे बताती हूं मैं!

सलमा की बात सुनकर सीमा के मन को सुकून पहुंचा और वो शहजादी के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली:"

" फिर आपने ये बात कही है तो इसका मतलब जरूर कोई बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है!

सलमा उसका अपनापन देखकर पिघल गई और बोली:"

" बस ऐसा ही कुछ समझ लो सीमा, कुछ बाते ऐसी होती है जिन्हे इंसान अपने साए से कहते हुए डरता है!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हिम्मत देती हुई बोली:"

" आप मुझसे कहिए जो भी आपका दर्द हैं और मेरा वादा है आपसे कि मेरे और आपके सिवा ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी!

सलमा तो खुद चाह रही थी कि वो दर्द किसी से कहे और आखिरकार सीमा के रूप में उसे उसकी सच्ची सहेली और हमदर्द मिल गई तो उसने सब कुछ बताने का फैसला किया लेकिन अब दुविधा ये थी कि कैसे कहे क्योंकि चाह कर वो कुछ नहीं बोल पा रही थी तो सीमा बोली:"

" अब बोल भी दीजिए ना शहजादी

सलमा का बदन कांप उठा और सीमा उसके हाथ को प्यार से सहलाते हुए बोली:

" अरे आप तो बोलने से पहले ही कांप रही है, आखिर ऐसी क्या समस्या हो गई है जिसने हमारी शहजादी का ऐसा हाल कर दिया है आखिर?

सीमा की बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और उसके बदन मे एक तेज झुरझुरी सी दौड़ गई तो सीमा ने उसके कंधे को जोर से पकड़ लिया और बोली:"

" इतना ज्यादा शर्माएगी तो आप बोल कैसे पाएगी शहजादी? जरा हम भी जाने आखिर हमारी खूबसूरत शहजादी का ऐसा हाल क्यों हो रहा है?

सीमा की बाते सलमा की बेचैनी को और बढ़ा रही थी और सलमा हिम्मत करके बोल पड़ी:"

" हमे आजकल रातों को नींद नहीं आती, रात को चांद को निहारना अच्छा लगता हैं सीमा!

सलमा ने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके कहा और सीमा उसकी समस्या को थोड़ा थोड़ा समझ गई लेकिन वो खुद से नही बोलना चाहती थी क्योंकि अगर उसका अनुमान गलत हुआ तो वो जिंदगी भर शहजादी से नजरे नही मिला पाएगी इसलिए सीमा बोली:"

" चांदनी रातों में नींद थोड़ा कम ही आती हैं तो आप थोड़ा जल्दी सोने की कोशिश कीजिए इससे आपको आराम मिलेगा शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर झुंझला सी उठी और उसका हाथ दबाते हुए बोली:"

" आप समझती क्यों नहीं है? मेरी जान पर बनी हुई हैं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके मन ही मन मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" आप बोलेंगी तभी तो मैं कुछ जान पाऊंगी! आप कहिए ना

मचलती हुई सलमा ने अपने नाखून को उसकी हथेली में चुभा दिया और बोली:"

" हमे दिन में भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता और न ही कुछ खाने को मन करता है!

सीमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" ये तो पड़ी अजीब बीमारी है शहजादी! आखिर कब से हुई है आपको ये बीमारी?

सलमा की सांसे उखड़ सी गई और उसकी उछलती हुई चुचियों की गति इतनी बढ़ गई थी कि वे अब सीमा से टकरा रही थी! सलमा का पूरा मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया था और आंखे शर्म के मारे बंद हो गई थी और सलमा ने जोर से सीमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा लिया और हिम्मत करके धीरे से बोली:"

" जब से हम उस दिन नदी पर से वापिस आए हैं!

इतना कहकर वो उत्तेजना से कांपती हुई सीमा की गोद में गिर पड़ी और अपना चेहरा छिपा लिया तो सीमा उसके बालो में प्यार से उंगलियां चलाती हुई बोली:"

" अच्छा तो ये बात है हमारी शहजादी घोड़े वाले राजकुमार से दिल लगा बैठी है!

सीमा की बात सुनकर सलमा के मुंह से आह निकलते निकलते बची और वो उसकी गोद में पड़ी हुई कांपती रही तो सीमा ने फिर से पूछा:"

" अरे नाम क्या था उस राजकुमार का मैं तो भूल ही गई!

मचलती हुई कांपती हुई सलमा उसकी गोद में पड़े पड़े ही धीरे से
फुसफुसाई:"

" वि.. वि.. विक्रम!

इतना कहकर सलमा ने थोड़ा से सीमा का हाथ दबा दिया और सीमा उसकी पीठ प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" अच्छा तो हालत शहजादी की विक्रम की वजह से हुई हैं लगता हैं आप बेहद मोहब्बत करने लगी हैं उस विक्रम से!

इतना कहकर सीमा ने उसे पकड़ कर अपनी गोद से उठा दिया तो सीमा शर्म से लाल हो गई और आंखे नीची झुक गई तो सीमा बोली:"

" अब आप मुझे बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकूंगी? वैसे भी जहां तक मुझे पता है ये बीमारी तो दीदार ए महबूब से ही ठीक होती हैं न शहजादी!

सलमा ने नजरे नीचे किए हुए अपने गर्दन को हां में हिला दिया और धीरे से बोली:"

" मेरा एक काम करेगी क्या सीमा?

सीमा:" आप बोलकर देखिए शहजादी जान भी कुर्बान कर दूंगी आपके लिए!

सलमा नजरे नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" क्या तुम विक्रम तक मेरा एक पैगाम पहुंचा सकती हो?

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! आप अपना पैगाम मुझे दीजिए मैं खुद उन्हे देकर आऊंगी! लेकिन इतना बता दीजिए कि वो रहते कहां हैं ?

सलमा अब फिर से निराश हो गई क्योंकि उसने विक्रम से कभी पूछा ही नही था कि वो कहां पर रहता हैं और बोली:"

" ये तो बड़ी कठिन समस्या हो गई! मैने विक्रम से कभी पूछा ही नहीं कि वो कहां रहते हैं!

सीमा:" एक उपाय है मेरे पास! अगर वो आपसे प्यार करते होंगे तो जरूर नदी के पास तो आयेंगे जहां से आपकी मोहब्बत की शुरुवात हुई हैं!

सलमा:" ऐसा न बोल सीमा, वो मुझसे जरूर मोहब्बत करते होंगे! मैने उनकी आंखों में देखा हैं और मेरी आंखे धोखा नही खा सकती!

सीमा:" ठीक हैं फिर आप अपना पैगाम मुझे लिखकर दीजिए! मैं आज ही नदी के किनारे जाऊंगी!

सलमा:" लेकिन अपना ध्यान रखना और एक काम करना पवन को लेकर जाना क्योंकि इस घोड़े मे वो रफ्तार हैं कि इसे कोई छू भी नहीं सकता!

सीमा:" हान पवन कमाल का घोड़ा हैं और तेज रफ्तार से दौड़ता है बिलकुल अपने युवराज की तरह देखो ना कैसे एक ही बार में हमारी शहजादी को हमसे छीन लिया उन्होंने!

सलमा हंस पड़ी और फिर उसने अपना पैगाम लिखा और उसे एक लिफाफे में बंद कर दिया और सीमा को देते हुए बोली:"

" इसे युवराज तक पहुंचा देना सीमा! मुझे यकीन नही हैं कि इसमें लिखे मेरे दिल के हाल को तुम पढ़ोगी नही!

सीमा: आप निश्चित रहे शहजादी! आपका पैगाम युवराज के सिवा कभी कोई नही जान पाएगा!

उसके बाद सलमा ने सीमा को गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोली:"

" जाओ सीमा ! हम आपका इंतजार करेंगे


उसके बाद सीमा वहां से निकल गई और थोड़ी ही देर बाद नदी पर पहुंच गई लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नजर नही आया तो उसका दिल बैठ सा गया क्योंकि उसकी उम्मीद के मुताबिक विक्रम को वहां होना चाहिए था! धीरे धीरे शाम ढलने लगी और सीमा की उम्मीद भी डूबते हुए सूरज के साथ डूबती जा रही थी! धीरे धीरे सब तरफ अंधेरा होने लगा और सीमा ने उदास मन से वापिस जाने का फैसला किया और पवन पर सवार होकर चल पड़ी लेकिन तभी उसे पीछे से घोड़े की टापो की आवाज सुनाई पड़ी तो उत्सुकता में रुक गई और उसने देखा कि कोई नदी के किनारे अपने घोड़े पर से उतर रहा था! सीमा ने पवन को उसी दिशा में घुमा दिया और धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गई और उसने गौर से उस आदमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गई क्योंकि ये तो विक्रम ही था! हान सच में विक्रम ही था और सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसकी खुशी देखकर लग रहा था मानो सलमा का नही उसका महबूब मिलने के लिए आया था!

दबे पांव वो घोड़े से उतरकर धीरे से उसके पीछे पहुंच गई और देखा कि विक्रम भी काफी उदास लग रहा था और ऐसा लग रहा था मानो उसका कुछ खो गया हो! नदी के पास बैठकर वो उदास मन से वो पत्थर उठा उठा कर नदी में फेंक रहा था और सीमा ने उसे उसके पास जाकर बैठ गई तो विक्रम को एहसास हुआ कि कोई लड़की उसके पास आई हैं तो उसने ध्यान से देखा और बोला:"

" अगर मैं गलत नही हु तो आप शहजादी सलमा की सहेली हैं न जो उस दिन उसके साथ आई थी

सीमा मुस्कुराई और बोली:"

" आप ठीक पहचाना मुझे युवराज, मैं सलमा की सहेली ही हु और काफी देर से आपका इंतजार कर रही थी!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और बेचैन होकर बोला:"

" कैसी हैं शहजादी ? उनकी तबियत तो ठीक हैं न ? क्या कर रही थी वो? उन्हे कोई दिक्कत तो नही है न ?

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके समझ गई कि आज दोनो तरफ बराबर लगी है और बोली:"

" एकदम इतने सारे सवाल युवराज, मेरे पास आपके किसी भी सवाल का जवाब नही हैं!

सीमा उसे थोड़ा छेड़ते हुए बोली और विक्रम निराश होते हुए बोला:"ऐसा न कहो सीमा मेरा दिल ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ऐसा भी हो सकता हैं!

सीमा ने अपनी जेब से वो पैगाम निकाला और उसे युवराज को देते हुए बोली:" ये लीजिए शहजादी ने आपके लिए भेजा हैं!

विक्रम के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी और उसने धीरे से लिफाफे को चूम लिया और उसे खोलने लगा तो सीना बोली:"

" एक मिनट युवराज, ये खास आपके लिए हैं तो आप पढ़ लीजिए!

इतना कहकर वो थोड़ा पीछे हो गई और विक्रम ने खत को खोला और पढ़ने लगा

" प्रिय विक्रम पता नही आपने क्या जादू कर दिया है मुझ पर, हर समय आपके बारे में ही सोचती रहती हूं, ना खाने को मन करता है और न ही दिल किसी काम में लगता है! मैं आज रात 10 बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी!

आपके दर्शन की अभिलाषी:"

" शहजादी सलमा!!

विक्रम ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उसने बार बार खत को चूमा और उसके बस सीमा को अपने पास बुलाया और बोला:"

" आप जाकर सलमा से कहिएगा कि मैने खत पढ़ लिया हैं और शहजादी की बात मैने मान ली हैं!

इतना कहकर उसने अपने गले में पड़ी हुई एक बेशकीमती हीरे की माला को निकाला और सीमा को देते हुए बोला:"

" लीजिए सीमा मेरे तरफ से आपके लिए एक बेशकीमती तोहफा!


सीमा ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और बोली:"

" मेरी वफादारी की कीमत लगाने की भूल कभी मत करना युवराज!

विक्रम को लगा कि जल्दी बाजी मे उसने गलती कर दी है और बोला:" ऐसा मत समझिए सीमा! प्यार और वफादारी की कोई कीमत हो ही नही सकती! क्या आप मेरी छोटी बहन बनेगी? मेरी कोई भी बहन नही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" ठीक हैं युवराज! आज से आप मेरे भाई हुए!

युवराज ने फिर से माला को लिया और सीमा के गले में डालते हुए बोला:" अब आप मुझे मना नही कर सकती हैं मेरी बहन!

सीमा उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दी और बोली:"

" अच्छा अब आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए! देरी हुई तो फिर मुझे दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप फिकर ना करे मेरी बहन! आपके भाई के होते हुए आपको कोई दिक्कत हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार होगा! चलिए मैं आपको सुल्तानपुर की सीमा तक छोड़कर आता हु!

उसके बाद विक्रम सीमा के साथ चल पड़ा और उसे सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ कर अपने राज्य की तरफ खुशी खुशी चल पड़ा! वो अपने राज्य पहुंच गया तो उसने देखा कि करीब सात बजे गए थे और उसे एक घंटे बाद वापिस निकलना होगा फिर से सुल्तानपुर जाने के लिए! विक्रम बेहद खुश था क्योंकि आज उसकी महबूबा से उसकी पहली मुलाकात होने वाली थी!
 
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" भागो भागो अपनी जान बचाओ"


इतना कहकर चिल्लाते हुए भीड़ अपनी जान बचाने के लिए सड़क पर से घरों की तरफ भागी और देखते ही देखते पूरी सड़क खाली होती जा रही थी! सबको अपनी जान प्यारी थी और आखिर हो भी क्यों नही क्योंकि एक पागल वहशी घोड़े के आगे कोई भी आना नही चाहता था और भी तब जब वो अपनी पूरी रफ्तार से हवा से बाते कर रहा था! उसके पैरो की टापो से उड़ती हुई मिट्टी अपनी पीछे धूल का तूफान सा खड़ा कर रही थी!

horse-running

सुल्तानपुर राज्य में पता नहीं कहां से ये पागल घोड़ा घुस आया था जिसकी बेरहम कदमों के तले कई गरीब कुचले गए थे और हाहाकार मचा हुआ था! कुछ सैनिक उसे काबू करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन घोड़ा हवा की रफ्तार से दौड़ता हुआ पूरी तरह से उनके काबू से बाहर था! किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था कि तभी एक चार साल का मासूम बच्चा घोड़ा के सामने गिर पड़ा और उसकी मां डर के मारे जोर से चिल्ला पड़ी


" अरे कोई मेरे बेटे को बचाओ! है भगवान मेरी मदद कर!

घोड़े बिजली की गति से दौड़ता हुआ आगे बढ़ा और जैसे ही बच्चो को कुचलने वाला था कि बिजली की रफ्तार से एक लड़की आई और बच्चे को उठा लिया और उसकी मां को देते हुए घोड़े के पीछे दौड़ पड़ी! मां ने खुशी खुशी अपने बेटे को चूम लिया और उस लड़की का शुक्रिया करने लगी और बोली

" शहजादी सलमा अल्लाह तुझे खुश रखे!

औरत ने अपनी दुवाएं दी लेकिन सलमा तो पहले ही घोड़े के पीछे दौड़ पड़ी थी और अपने काले घोड़े पर सवार हुई और देखते ही देखते ही वो उस घोड़े के पास पहुंच गई जो लाल रंग का था और गलती से उसके राज्य में घुस आया था! सलमा ने घोड़े के बराबर में आकर एक छलांग मारी और दूसरे घोड़े पर सवार हो गई और घोड़े ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे नीचे फेंकना चाहा लेकिन सलमा की मजबूत पकड़ उसकी गर्दन में बनी रही और घोड़े की रफ्तार हवा से बातें करने लगी मानो वो सलमा को डराने का प्रयास कर रहा हो और सलमा बखूबी जानती थी कि ऐसे आदमखोरों को कैसे काबू किया जाता हैं और उसने घोड़े की लगाम को कसकर अपनी तरफ खीच लिया और घोड़े की रफ्तार में कुछ कमी आई और सलमा ने पूरी ताकत से उसके पीठ पर वार किया और घोड़े की रफ्तार धीमी हो गई और अब थोड़ी देर पहले तूफान बना हुआ घोड़ा अपनी औकात पर आ गया था और भीगी बिल्ली बना हुआ धीरे धीरे चल रहा था और सलमा उसकी पीठ को सहलाती हुई उसे पुचकारती हुई वापिस लौट चली और सभी लोग ये देखकर तालिया बजाकर उसका स्वागत कर रहे थे कि उनकी शहजादी सच में बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ ताकतवर भी हैं!

शहजादी इससे पहले कि महल में घुसती एक राजकुमार घोड़े पर आया और बोला:"

" माफ कीजिए शहजादी जी वो मेरा घोड़ा हैं जो गलती से आपके राज्य में आ गया है! मेरा घोड़ा मुझे वापिस कर दीजिए आप!

सलमा के मुंह पर नकाब लगा हुआ था और सलमा ने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली:"

" ये घोड़ा अब हमे पसंद आ गया है तो आप तो इसे अब भूल ही जाए तो बेहतर!

राजकुमार जिसका नाम विक्रम चौहान था उसने गुस्से से सलमा की तरफ देखा और बोला:"

" हमारा नाम विक्रम चौहान हैं और हिंदुस्तान में किसी राजा में इतनी ताकत नही कि हमे इंकार कर सके! आपके और आपके राज्य के लिए बेहतर यही होगा कि आप मेरा घोड़ा वापिस कर दीजिये वरना...

इससे पहले कि वो आगे कुछ बोलते सलमा के मयान से तलवार निकली और उसकी गर्दन के ठीक सामने रुक गई और सलमा गुस्से से दहाड़ती हुई गरजी:"

" अगर हमारे राज्य के इतिहास में एक भी घटना घर आए मेहमान को मारने की होती तो खुदा कसम अब तक तुम्हारी लाश नीचे सड़क पर पड़ी होती, अपनी जान सलामत चाहते हो तो वापिस लौट जाओ वरना मेरे एक इशारे पर टुकड़ों में बांट दिए जाओगे!

विक्रम सिंह ने हाथ से उसकी तलवार को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और सलमा की आंखो में देखते हुए बोला:"

" मरने का खौफ उन्हे होता हैं जिन्हे जिंदगी से प्यार होता हैं! जान हथेली पर रखकर आपके राज्य में आया हु तो घोड़ा लिए बिना तो नही जाऊंगा मैं! आप खुशी से देगी तो लाशों का ढेर नही लगेगा आपके राज्य में!

इतना कहकर उसने पूरी ताकत से तलवार को आगे से मोड़ दिया और सलमा को यकीन हो गया कि ये आदमी सच में बेहद शक्तिशाली है और बोली:"

" बेशक बहादुर हो लेकिन मूर्ख हो जो एक घोड़े के लिए अपनी जान दांव पर लगाना चाहते हो!

विक्रम सिंह को अब तक चारो तरफ से सैनिकों ने घेर लिया था लेकिन उसके चेहरे पर कोई डर या चिंता नही बल्कि आत्म विश्वास था और वो मंद मंद मुस्काते हुए बोला:"


" शहजादी आखिरी बार आपसे निवेदन कर रहा हूं कि मेरा घोड़ा मुझे वापिस लौटा दीजिए क्योंकि मैं बेकार का खून खराबा नही चाहता!

सलमा ने घोड़े की पीठ पर हाथ मार कर उसे थपथपाते हुए बोली:" घोड़ा तो अब आप भूल जाइए राजकुमार! आज से मैं इसकी सवारी करूंगी!

विक्रम सिंह:" तो फिर ठीक हैं मैं भी खून खराबा नही चाहता तो बेहतर यही होगा कि आप घोड़े को छोड़ दीजिए जिसके पास ये जाएगा वही इसका असली मालिक होगा!

सलमा ने उसकी बात को स्वीकार कर लिया और वो घोड़े पर से उतर गई और अब खड़ा दोनो के बीच में खड़ा हुआ था और दोनो ही उसे अपनी तरफ बुला रहे थे और विक्रम जानता था कि उसका घोड़ा आसानी से उसकी तरफ आ जाएगा लेकिन ये उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हुई और घोड़ा शहजादी सलमा के पास पहुंच गया और शहजादी सलमा मुस्कुरा कर एक बार फिर से उसकी पीठ पर सवार हो गई और विक्रम से बोली:"

" उम्मीद है अब आप अपने राज्य वापिस लौट जाओगे!

विक्रम ने उदास नजरो से अपने घोड़े की तरफ देखा और फिर शहजादी को देखा और बोला:"

" ठीक हैं शहजादी आज से ये घोड़ा आपका हुआ लेकिन आप मुझे वचन दीजिए कि महीने में एक बार मैं इससे मिलने आ सकू क्योंकि ये घोड़ा मेरी जान हैं!

सलमा ने हाथ उठा कर उसकी बात मान ली और और बोली:" सैनिकों विक्रम साहब को हमारे राज्य की सीमा से सुरक्षित बाहर पहुंचा दो!!


इसके बाद सलमा घोड़े पर बैठ कर महल की तरफ चल पड़ी!!

equestrian-horse

उसके होंठो पर विजयी मुस्कान थी और विक्रम उदास मन से सैनिकों के साए में सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल रहा था और उसकी आंखो में आंसु थे क्योंकि उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि उसका घोड़ा उसे ऐसा धोखा भी दे सकता है! उसका मन तो कर रहा था कि अपने घोड़े को मार डाले लेकिन वो इंसान था और ऐसा कभी नहीं कर सकता था!!
:congrats: start new story
 
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उदयगढ़ में अगले दिन राजसभा लगी हुई थी! सभी मंत्री और विशेष गण अपने स्थान पर विराजमान थे! राजमाता गायत्री देवी लोगो की समस्या सुन रही थी और उनका समाधान भी कर रही थी! करीब 11 बजे के आस पास सभा समाप्त हुई और राजमाता ने अजय से कहा:"

" अजय ये राजकुमार विक्रम आज सभा में क्यों नहीं आए हैं ? उनका स्वास्थ्य तो ठीक हैं न?

अजय:" आप निश्चित रहे राजमाता मैं पता करके आता हु!

गायत्री देवी" ठीक हैं आप जाइए तब मैं मंत्री दल के साथ एक अहम बैठक करती हू!

अजय वहां से चला गया और राजमाता गायत्री देवी राज कुर्सी पर विराजमान हो गई और बोली:"

" जैसा कि संपूर्ण राज्य जानता है कि आदिकाल से राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अजय के परिवार की रही हैं और इनकी न जाने कितनी पीढियों ने अपने प्राणों की बलि देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं और उदयगढ़ के इतिहास में इनका अभुपूर्व योगदान हैं! अजय भी अब बड़ा हो गया है और जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं! आप सब की क्या राय हैं ?

भीमा सिंह:" मैं आपकी बात से सहमत हु राजमाता! ये तो एक ऐसी प्रथा हैं जिसके बारे में सभी उदयगढ़ वासी अच्छे जानते हैं!

मानसिंह:" बिलकुल राजमाता आपकी बात सत्य हैं! अजय के पुरखो ने अपना बलिदान देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं! अजय के पिता तो महाराज को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ये मैंने खुद अपनी आंखो से देखा हैं राजमाता!

कुशल सिंह:" ये तो सम्पूर्ण उदयगढ़ के लिए गौरव का पल हैं कि राज्य के सबसे वफादार परिवार को फिर से उनकी जिम्मेदारी दी जा रही है! शुभ अवसर देखकर आप इस कार्य को पूर्ण कीजिए!

सेनापति शक्ति सिंह:" राजमाता आपका हुक्म और मंत्री गण का फैसला मेरे लिए सर्वोपरि हैं लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर मुझसे राज्य की सुरक्षा में कोई चूक हुई है या मैने अपना काम सच्चाई और बहादुरी से नही किया हैं क्या ?

थोड़ी देर के लिए राजसभा में पूरी शांति छाई रही और अंत में राजमाता गायत्री देवी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा और बोली:"

" आपने अपनी कर्तव्य को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूर्ण किया हैं और निसंदेह आप उदयगढ़ के सबसे बहादुर योद्धा में से एक हो! लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि ये प्रथा हमारे पूर्वजों के काल से चली आ रही है तो इसे निभाने के लिए हम वचनबद्ध हैं शक्ति! लेकिन आप निश्चित रहे आपकी निष्ठा को देखते हुए आपको जल्दी ही एक अहम जिम्मेदारी के साथ साथ 100 गांवों की एक जागीर दी जायेगी! फिर भी आपको कोई आपत्ति हैं तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं शक्ति सिंह क्योंकि हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते!

सभी मंत्री गण ने राजमाता के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत किया और शक्ति सिंह बिना कुछ कहे राजमाता के आगे सम्मान में सिर झुका कर अपनी जगह बैठ गया!

राजमाता:" ठीक हैं भीमा फिर आप पुरोहित जी से एक शुभ मुहूर्त निकलवा लीजिए और उसी दिन मुहूर्त पर अजय को विधिपूर्वक ये जिम्मेदारी प्रदान की जायेगी!

भीमा अपने स्थान पर खड़ा हुआ और राजमाता के आगे सम्मान में झुकते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! मै आज ही पुरोहित जी से मिलकर मुहूर्त निकलवा लूंगा!

राजमाता:" ठीक है फिर आज की सभा यहीं समाप्त होगी और आप सभी अपना काम देखिए! मैं चलती हू क्योंकि मुझे मंदिर जाना होगा!

उसके बाद राजमाता मंदिर चली गई और दूसरी तरफ विक्रम अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था और सुबह से कुछ खाया भी नही था! उसे देखकर लग रहा था कि मानो किसी गंभीर बीमारी का प्रकोप हुआ है!

अजय उसके कक्ष में पहुंचा और बोला:" क्या मुझे होने वाले महाराज के कक्ष में आने की अनुमति हैं ?

विक्रम ने एक बार उसकी तरफ देखा और बिना मुंह से कुछ भी बोले अपनी गर्दन को हिला दिया और अजय उसके पास जाकर खड़ा हो गया और बोला:"

" क्या हुआ युवराज? आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे?

विक्रम ने उदास नजरो से उसे देखा और फिर शायरी वाले अंदाज में बोला:"

" आपकी हालत का एहसास नही मुझको, मैने औरों से सुना हैं कि मैं परेशान हु!!

विक्रम की शायरी का दर्द महसूस करके अजय उसके बिलकुल पास पहुंच गया और बोला:"

" आप चिंता न कीजिए युवराज, मेरे होते आपको कोई कष्ट हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार हैं!

विक्रम ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया तो अजय अपनी जगह से नही हिला और बोला:"

" मैं इस लायक तो नही हु कि होने वाले महाराज के बेड पर बैठ सकू! आप बस हुक्म कीजिए

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और बोला:"

" अजय तुम मेरे लिए मेरे सच्चे दोस्त हो बिलकुल मेरे छोटे भाई जैसे! फिर हमारे बीच ये महाराज वाला रिश्ता तो नही होना चाहिए वो भी कम से कम मेरे कक्ष में तो किसी भी दशा पर नही!

विक्रम का अपनापन देखकर अजय का रोम रोम उसका कर्जदार हो गया और बोला:"

" हमे इतना मान और प्यार देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद युवराज! जब आपने मुझे छोटा भाई कहा हैं तो फिर मुझे बड़े भाई के कष्ट को दूर करने का एक मौका दीजिए!

विक्रम:" जरूर दिया जाएगा अजय लेकिन अभी उसके लिए सही समय नही आया हैं! जब आपकी जरूरत होगी तो हम आपको जरूर अपनी ये समस्या बताएंगे मेरे भाई!

अजय:" ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी! फिर भी आपको कष्ट में देखकर मेरा दिल तार तार हो रहा हैं युवराज! आप अगर बताएंगे तो आपके लिए जीवन भी बलिदान कर दूंगा!

विक्रम ने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और धीरे से बोला:"

" अपना ये जज्बा और जुनून बचाकर रखिए अजय क्योंकि जल्दी ही आपको राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने वाली है तो आप अपना ध्यान अभी सी तरफ ही लगाए!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा युवराज! लेकिन पहले आप नहा लीजिए तब मैं आपके लिए थोड़ा खाने का प्रबंध कर देता हू!

इतना कहकर अजय बाहर आ गया और विक्रम अनमने ढंग से नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर उसने अजय के साथ बैठकर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद अजय उससे आज्ञा लेकर बाहर निकल आया!

शाम को राजमाता गायत्री देवी विक्रम के कक्ष में आई और विक्रम का हाल देखा और बोली:"

" उदयगढ़ के होने वाले महाराज को क्या कष्ट हैं जो उनके चेहरे पर इतना दर्द दिखाई पड़ता हैं

विक्रम ने अपनी नजरो को नीचा किया और बोला:"

" कुछ नही राजमाता बस कल घोड़े से थोड़ा गिर पड़ा था तो पैर में हल्की सी चोट आई हैं बस इसलिए आराम ही कर रहा था!

राजमाता गायत्री:" आपकी बात मुझे हैरान कर रही है युवराज क्योंकि हमारे शाही खून में तो ताकत होती हैं घोड़े उसे चाहकर भी गिरा सकता!

विक्रम उसकी बात सुनकर झेंप सा गया और बोला:" दरअसल वो हमे घोड़े से ऐसी उम्मीद नहीं थी तो इसलिए बस गिर पड़े! आप मेरा विश्वास कीजिए राजमाता!

राजमाता ने एक बार गौर से उसे देखा और बोली:"

" आप कहते हैं तो विश्वास तो करना ही पड़ेगा! आज से आपके लिए वैद्य जी को बोलकर एक शाही नुस्खा तैयार करवाना पड़ेगा ताकि आप फिर से ऐसे हादसे का शिकार न होने पाएं!

विक्रम के पास कोई उपाय नहीं था तो बोला:"

" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता!

उसके बाद बिक्रम ने अपनी माता के साथ थोड़ा सा खाना खाया और फिर छत पर घूमने लगा और राजकुमारी की याद उसे भुलाए नहीं भूल रही थी!!

वही दूसरी तरफ शहजादी सलमा भी पूरे दिन उदास सी ही रही और जैसे तैसे करके दिन कटा तो रात की तनहाई ने उसे आ घेरा और बिस्तर पर पड़ी हुई सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और मखमल सा नर्म मुलायम बिस्तर भी आज उसके जिस्म को सुकून नही दे रहा था! सलमा को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या वो सच में विक्रम से इतना प्यार कर बैठी जो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं रह रहा हैं उसे! सच मे प्यार में ऐसी दीवानगी भी होती हैं उसे एहसास न था क्योंकि उसकी जान पर बन आई थी! विक्रम ने जहां उसके हाथ को चूमा था वो जगह को वो इतना चूम चुकी थी कि गिनती करने की बात हो छोड़ो उसके हाथ का वो हिस्सा चूमने की वजह से लाल पड़ गया था!

धीरे धीरे रात गहराने लगी और सलमा की बचैनी और ज्यादा बढ़ती चली गई! रात के दूसरे पहर बड़ी मुश्किल से सलमा की आंख लगी तो उसे बेहद हसीन ख्वाब दिया और उसने देखा कि वो अपने कक्ष में बेड पर लेटी थी और विक्रम उसके माथे को चूम रहा था तो सलमा ने उसे बड़े प्यार से देखा और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसके गले में बांहे डाले उससे लिपटी हुई थी! विक्रम सलमा को गोद में लिए हुए महल की छत पर आ गया और सामने चांद की दुधिया रोशनी उनके जिस्म पर पड़ रही थी और सलमा उसके चौड़े मजबूत सीने से लिपटी हुई थी और विक्रम बड़े प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को देखा रहा था और प्यार से बोला;"

" शहजादी सलमा एक बार अपनी आंखो को खोलिए न!

सलमा ने अपनी आंखो को बड़े प्यार से धीरे धीरे खोला और दोनो की आंखे एक दूसरे से मिल गई ! दोनो प्यार से एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे मानो सारी दुनिया भूल गए हो! चांदनी रात में सलमा का नूरानी चेहरा और भी ज्यादा हसीन लग रहा था और विक्रम को सलमा पर बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि काली बडी बडी गोल आंखो में लगी हुई स्याही उसकी आंखो को बेहद खूबसूरत बना रही थी और विक्रम धीरे धीरे शहजादी के चेहरे की तरफ हल्का हल्का झुकने लगा तो सलमा को अपनी सांसे उखड़ती हुई महसूस और पूरा बदन कांप उठा और सलमा ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया! विक्रम का चेहरा अब सलमा के चेहरे के ठीक सामने आ गया था और सलमा के लाल अब शर्म के मारे गुलाबी हो गए थे और होंठ उसके होंठ थरथरा रहे थे! विक्रम सलमा की आंखो में देखता हुआ उसके चेहरे पर लगभग पूरी तरह से झुक गया और सलमा ने अपनी बांहों का दबाव उसकी गर्दन पर बढ़ा दिया तो विक्रम ने झुककर उसके एक गाल को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ उसकी आंख खुल पड़ी और सलमा को यकीन हुआ कि वो तो सिर्फ सपना देख रही थी तो वो उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि उसकी सांसे बेहद तेज हो गईं थीं और पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था!

सलमा के सपने में पहली बार कोई राजकुमार आया था और वो उसका चहेता विक्रम तो सलमा को अब उदासी हो रही थी कि विक्रम सच में कोई नही आया! जब सच में आएगा तो क्या वो ऐसे ही उसका गाल चूम लेगा क्या जैसे सपने में चूमा था ये सब सोचकर सलमा शर्म से दोहरी होती चली गई क्योंकि उसकी छातियां बेहद जोर जोर से उछल उछल पड़ रही थी और सलमा ने तकिए को उठाकर अपनी छाती से चिपका लिया मानो अपनी गोलाईयों को उछलने से रोक रही हो! बड़ी मुश्किल से सलमा ने अपने जिस्म पर काबू किया और उठकर वही आकर खड़ी हो गई जहां वो सपने में विक्रम की गोद में सिमटी हुई थी और चांद को निहारने लगी! रात का तीसरा पहर शुरू हुआ और सलमा आखिरकार अपने बिस्तर आ गई और विक्रम के बारे में सोचते सोचते वो आखिरकार नींद के आगोश मे समा गई!!

जब्बार एक औरत के साथ नंगा ही पड़ा हुआ और दोनो अभी अभी चुदाई के साथ अपने सांसे संयत कर रहे थे और वो औरत जिसका नाम राधिका था बोली:"

" आपने तो मेरे जिस्म को पूरा निचोड़ कर रख दिया आज! सच में आपके जैसा मजबूत मर्द मैने आज तक नही देखा!

जब्बार ने अपनी तारीफ सुनी तो उसकी चूची को सहलाते हुए कहा:" मेरी जान तुम भी तो कुछ कम नहीं हो, जितनी खूबसूरत हो उससे ज्यादा तेज दिमाग हो!

राधिका:" अच्छा एक बात पूछूं?

जब्बार:" बोलो ना मेरी रानी?

राधिका:" क्या आप सच में मुझे सुल्तानपुर की महारानी बनाओगे ?

जब्बार ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट लिया और उसकी चूत पर अपने आधे खड़े हुए लंड को रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल बनाऊंगा मेरी जान, सिर्फ सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की महारानी बनाऊंगा!

दो बार हुई दमदार चुदाई से राधिका के बदन का रेशा रेशा टूट रहा था लेकिन अब ना चाहते हुए भी उसके बदन मे फिर से उत्तेजना दौड़ना शुरू हो गई थी और वो जब्बार के गले में अपनी बांहे डालकर उससे लिपट गई और बोली:"

" फिर आपकी बीवी शमा का क्या होगा मेरे जहांपनाह?

जब्बार ने उसकी गोल गद्देदार गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसलते हुए बोला:"

" तुम तो जानती हो कि मैं शमा को पसंद नही करता! बस उसे शहजादे सलीम को फंसाए रखने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि सलीम ही मेरे रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत बन सकता हैं आगे चलकर!

इतना कहकर उसने राधिका को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसका पूरा सख्त हो गया लंड उसकी चूत से टकरा गया तो राधिका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"

" तो फिर कर लीजिए ना सुल्तानपुर पर कब्जा आप क्योंकि सब कुछ तो अब आपके हाथ में ही है!

जब्बार एक झटके के साथ राधिका के उपर आ गया और राधिका ने अपनी टांगो को पूरा फैला दिया और लंड चूत के रसीले छेद पर जा लगा और जब्बार दोनो हाथों से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला:"

" ऐसे महाराज बना तो प्रजा विद्रोह कर देगी! तुम्हे मेरा एक काम करना होगा राधिका!

इतना कहकर जब्बार ने उसकी चूत पर एक जोरदार धक्का लगाया और आधा लंड राधिका की चूत में घुस गया तो राधिका दर्द से कराह उठी और उससे पूरी ताकत से लिपट गई और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे आका, बताए ना मुझे क्या करना होगा!!

जब्बार ने लंड को जोर से बाहर की तरफ खींचा और उसके कंधो को थाम कर पूरी ताकत से एक धक्का लगाया तो लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया और राधिका दर्द से तड़प उठी और उसकी पीठ को नाखूनों से रगड़ती हुई बोली:"

" आआह्हह्ह मार डाला मुझे! बोलो ना प्लीज मेरी जान क्या करना होगा मुझे!

जब्बार ने उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए तो राधिका मस्ती से बेहाल हो गई और जब्बार उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला:"

" मुझे शहजादी सलमा को कुछ भी करके फंसाना होगा अपने जाल में क्योंकि अगर वो फंस गई तो मुझे प्रजा खुशी खुशी महाराज स्वीकार कर लेगी!

इतना कहकर जब्बार ने एक तगड़ा धक्का लगाया और राधिका दर्द से कराह उठी औरउसकी बात सुनकर राधिका ने उसे गुस्से से घूरती हुई बोली:"

" फिर मेरा क्या होगा? शहजादी के बाद मुझे तो भूल ही जाओगे न तुम !!

जब्बार उसकी चूत में जोर जोर से चोदते हुए बोला:"

" शादी के बाद एक षडयंत्र में फंसाकर सलमा को मौत के घाट उतार देने और ऐसे पूरा राजपरिवार खत्म हो जाएगा और आप मेरी महारानी बन जाओगे!

राधिका उसकी बात सुनकर होश में आ गई और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर चुदने लगी और सिसकी:"

" अअह्ह्ह्ह जब्बार मेरे यार! चोद दे मुझे अह्ह्ह्, चोद ना अपनी महारानी राधिका को!

जब्बार ने उसको अब पूरी ताकत से चोदना शुरु कर दिया और पूरे कक्ष में राधिका की दर्द भरी सिसकियां गूंजने लगी और जब्बार बोला:"

" एक काम करना, तेरी एक बहन सीमा राजकुमारी के साथ रहती हैं तो तुम उसके साथ शहजादी के करीब जाओ और मालिश के नाम पर उसकी उत्तेजना को पूरी तरह से भड़का दो ताकि शहजादी जिस्म की आग में जल उठे और फिर मौका देखकर हम उसे अपने जाल में फंसा लेंगे और एक बार अगर वो मेरे लंड से चुद गई तो जिंदगी भर मेरी गुलाम बन जायेगी वो !!

दर्द से कराहती सिसकती हुई राधिका पूरी ताकत से अपनी चूत को लंड पर उछाल रही थी बोली:"

" आह्ह्ह्ह मेरे महराज! इस लंड की मार जिस चूत पर पड़ेगी वो जिंदगी भर आपकी गुलाम बन जायेगी! अह्ह्ह्हह मेरे राजा बजाओ मेरा बाजा!

उसके बाद चुदाई का दौर चल पड़ा और धीरे धीरे जब्बार राधिका पर भारी पड़ने लगा तो राधिका दर्द से तड़पती, कराहती हुई उसके नीचे चुदाती रही और आखिर में एक दमदार चुदाई के बाद जब्बार ने उसकी चूत को लबालब भर दिया!!

अगले दिन सुबह अजय उठा तो उसकी माता मेनका बोली:"

"पुत्र अजय आज पूरी चांदनी रात होगी और आज ही मैं आपको विधिपूर्वक ये अद्भुत तलवार दूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! बताए उसके लिए मुझे क्या क्या करना होगा?

मेनका:" हम दोनो पवित्र नदी के पास आज एक विधि को पूर्ण करेंगे! आप बस मेरे साथ चलना सब कुछ मैं खुद व्यवस्था कर लूंगी!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा! मैं आपके साथ चलूंगा और अपनी तरफ से पूरा योगदान दूंगा!

मेनका:" ठीक हैं पुत्र! अब आप राज सभा में जाओ और अपना कार्य देखो!

वहीं दूसरी तरफ सलमा बेहद उदास थी तो उसकी उदासी सीमा से नही देखी गई और आखिकार उसने पूछा ही लिया:"

" क्या हुआ शहजादी आप बेहद उदास क्यों जान पड़ती हो? कई दिन से देख रही हूं कि आप ना ठीक से खा पा रही हैं और पूरे दिन बुझी बुझी सी रहती है, आखिर क्या हुआ हैं आपको, पहले तो आप ऐसी बिलकुल न थी शहजादी!

सलमा:" कुछ भी तो नही हुआ हैं हमें,बस आजकल तबियत थोड़ी ठीक नही लगती!

सीमा:" ठीक हैं फिर मैं दाई मा को बुलाकर ले आती हूं ताकि वो आपको देख सके और आपका उपचार कर सके!

इतना कहकर सीमा जाने लगी तो सलमा ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" कहीं जाने की जरूरत नही हैं तुम्हे, यहीं बैठो मेरे पास!

सीमा ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" फिर आपकी तबियत कैसी ठीक होगी शहजादी?

सलमा ने उसे पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली:

" हर बीमारी का इलाज दाई मा के पास नही होता सीमा, कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं जो लाइलाज होती हैं!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:" ये आप कैसी अजीब अजीब सी बाते कर रही है, भला बीमारी का इलाज दाई मा नही करेगी तो कौन करेगा!

सलमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे वो सीमा को अपने दिल का हाल बताए क्योंकि उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने मुंह से ये बात कह सके और फिर अगर गलती से भी सीमा ने किसी के सामने कुछ कह दिया तो वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नही बचेगी इसलिए वो खामोश ही रही तो सीमा फिर से बोली:"

" बताए ना शहजादी,आपकी ये हालत हमसे देखी नही जाती, पीड़ा आपके चेहरे पर हैं और दिल मेरा टूट रहा है!

सीमा की बात का सलमा पर गहरा असर हुआ और ऐसे ही उसके कंधे पर सिर रखे हुए बोली:"

" क्या मैं तुझ पर पूरा यकीन कर सकती हूं ना सीमा?

सीमा के दिल को उसकी बात सुनकर ठेस पहुंची और बोली:"

" आपने यकीन वाली बात कहकर आपके लिए मेरी निष्ठा को ठेस पहुंचाई है शहजादी! शायद आप मुझे ठीक से समझ ही नहीं पाई है आज तक!

सलमा ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" ऐसा न कहो सीमा, तुम पर तो मुझे अपने आप से ज्यादा भरोसा है तभी तो अपनी हर बात तुम्हे बताती हूं मैं!

सलमा की बात सुनकर सीमा के मन को सुकून पहुंचा और वो शहजादी के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली:"

" फिर आपने ये बात कही है तो इसका मतलब जरूर कोई बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है!

सलमा उसका अपनापन देखकर पिघल गई और बोली:"

" बस ऐसा ही कुछ समझ लो सीमा, कुछ बाते ऐसी होती है जिन्हे इंसान अपने साए से कहते हुए डरता है!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हिम्मत देती हुई बोली:"

" आप मुझसे कहिए जो भी आपका दर्द हैं और मेरा वादा है आपसे कि मेरे और आपके सिवा ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी!

सलमा तो खुद चाह रही थी कि वो दर्द किसी से कहे और आखिरकार सीमा के रूप में उसे उसकी सच्ची सहेली और हमदर्द मिल गई तो उसने सब कुछ बताने का फैसला किया लेकिन अब दुविधा ये थी कि कैसे कहे क्योंकि चाह कर वो कुछ नहीं बोल पा रही थी तो सीमा बोली:"

" अब बोल भी दीजिए ना शहजादी

सलमा का बदन कांप उठा और सीमा उसके हाथ को प्यार से सहलाते हुए बोली:

" अरे आप तो बोलने से पहले ही कांप रही है, आखिर ऐसी क्या समस्या हो गई है जिसने हमारी शहजादी का ऐसा हाल कर दिया है आखिर?

सीमा की बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और उसके बदन मे एक तेज झुरझुरी सी दौड़ गई तो सीमा ने उसके कंधे को जोर से पकड़ लिया और बोली:"

" इतना ज्यादा शर्माएगी तो आप बोल कैसे पाएगी शहजादी? जरा हम भी जाने आखिर हमारी खूबसूरत शहजादी का ऐसा हाल क्यों हो रहा है?

सीमा की बाते सलमा की बेचैनी को और बढ़ा रही थी और सलमा हिम्मत करके बोल पड़ी:"

" हमे आजकल रातों को नींद नहीं आती, रात को चांद को निहारना अच्छा लगता हैं सीमा!

सलमा ने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके कहा और सीमा उसकी समस्या को थोड़ा थोड़ा समझ गई लेकिन वो खुद से नही बोलना चाहती थी क्योंकि अगर उसका अनुमान गलत हुआ तो वो जिंदगी भर शहजादी से नजरे नही मिला पाएगी इसलिए सीमा बोली:"

" चांदनी रातों में नींद थोड़ा कम ही आती हैं तो आप थोड़ा जल्दी सोने की कोशिश कीजिए इससे आपको आराम मिलेगा शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर झुंझला सी उठी और उसका हाथ दबाते हुए बोली:"

" आप समझती क्यों नहीं है? मेरी जान पर बनी हुई हैं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके मन ही मन मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" आप बोलेंगी तभी तो मैं कुछ जान पाऊंगी! आप कहिए ना

मचलती हुई सलमा ने अपने नाखून को उसकी हथेली में चुभा दिया और बोली:"

" हमे दिन में भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता और न ही कुछ खाने को मन करता है!

सीमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" ये तो पड़ी अजीब बीमारी है शहजादी! आखिर कब से हुई है आपको ये बीमारी?

सलमा की सांसे उखड़ सी गई और उसकी उछलती हुई चुचियों की गति इतनी बढ़ गई थी कि वे अब सीमा से टकरा रही थी! सलमा का पूरा मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया था और आंखे शर्म के मारे बंद हो गई थी और सलमा ने जोर से सीमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा लिया और हिम्मत करके धीरे से बोली:"

" जब से हम उस दिन नदी पर से वापिस आए हैं!

इतना कहकर वो उत्तेजना से कांपती हुई सीमा की गोद में गिर पड़ी और अपना चेहरा छिपा लिया तो सीमा उसके बालो में प्यार से उंगलियां चलाती हुई बोली:"

" अच्छा तो ये बात है हमारी शहजादी घोड़े वाले राजकुमार से दिल लगा बैठी है!

सीमा की बात सुनकर सलमा के मुंह से आह निकलते निकलते बची और वो उसकी गोद में पड़ी हुई कांपती रही तो सीमा ने फिर से पूछा:"

" अरे नाम क्या था उस राजकुमार का मैं तो भूल ही गई!

मचलती हुई कांपती हुई सलमा उसकी गोद में पड़े पड़े ही धीरे से
फुसफुसाई:"

" वि.. वि.. विक्रम!

इतना कहकर सलमा ने थोड़ा से सीमा का हाथ दबा दिया और सीमा उसकी पीठ प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" अच्छा तो हालत शहजादी की विक्रम की वजह से हुई हैं लगता हैं आप बेहद मोहब्बत करने लगी हैं उस विक्रम से!

इतना कहकर सीमा ने उसे पकड़ कर अपनी गोद से उठा दिया तो सीमा शर्म से लाल हो गई और आंखे नीची झुक गई तो सीमा बोली:"

" अब आप मुझे बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकूंगी? वैसे भी जहां तक मुझे पता है ये बीमारी तो दीदार ए महबूब से ही ठीक होती हैं न शहजादी!

सलमा ने नजरे नीचे किए हुए अपने गर्दन को हां में हिला दिया और धीरे से बोली:"

" मेरा एक काम करेगी क्या सीमा?

सीमा:" आप बोलकर देखिए शहजादी जान भी कुर्बान कर दूंगी आपके लिए!

सलमा नजरे नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" क्या तुम विक्रम तक मेरा एक पैगाम पहुंचा सकती हो?

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! आप अपना पैगाम मुझे दीजिए मैं खुद उन्हे देकर आऊंगी! लेकिन इतना बता दीजिए कि वो रहते कहां हैं ?

सलमा अब फिर से निराश हो गई क्योंकि उसने विक्रम से कभी पूछा ही नही था कि वो कहां पर रहता हैं और बोली:"

" ये तो बड़ी कठिन समस्या हो गई! मैने विक्रम से कभी पूछा ही नहीं कि वो कहां रहते हैं!

सीमा:" एक उपाय है मेरे पास! अगर वो आपसे प्यार करते होंगे तो जरूर नदी के पास तो आयेंगे जहां से आपकी मोहब्बत की शुरुवात हुई हैं!

सलमा:" ऐसा न बोल सीमा, वो मुझसे जरूर मोहब्बत करते होंगे! मैने उनकी आंखों में देखा हैं और मेरी आंखे धोखा नही खा सकती!

सीमा:" ठीक हैं फिर आप अपना पैगाम मुझे लिखकर दीजिए! मैं आज ही नदी के किनारे जाऊंगी!

सलमा:" लेकिन अपना ध्यान रखना और एक काम करना पवन को लेकर जाना क्योंकि इस घोड़े मे वो रफ्तार हैं कि इसे कोई छू भी नहीं सकता!

सीमा:" हान पवन कमाल का घोड़ा हैं और तेज रफ्तार से दौड़ता है बिलकुल अपने युवराज की तरह देखो ना कैसे एक ही बार में हमारी शहजादी को हमसे छीन लिया उन्होंने!

सलमा हंस पड़ी और फिर उसने अपना पैगाम लिखा और उसे एक लिफाफे में बंद कर दिया और सीमा को देते हुए बोली:"

" इसे युवराज तक पहुंचा देना सीमा! मुझे यकीन नही हैं कि इसमें लिखे मेरे दिल के हाल को तुम पढ़ोगी नही!

सीमा: आप निश्चित रहे शहजादी! आपका पैगाम युवराज के सिवा कभी कोई नही जान पाएगा!

उसके बाद सलमा ने सीमा को गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोली:"

" जाओ सीमा अल्लाह आपकी हिफाजत करे!


उसके बाद सीमा वहां से निकल गई और थोड़ी ही देर बाद नदी पर पहुंच गई लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नजर नही आया तो उसका दिल बैठ सा गया क्योंकि उसकी उम्मीद के मुताबिक विक्रम को वहां होना चाहिए था! धीरे धीरे शाम ढलने लगी और सीमा की उम्मीद भी डूबते हुए सूरज के साथ डूबती जा रही थी! धीरे धीरे सब तरफ अंधेरा होने लगा और सीमा ने उदास मन से वापिस जाने का फैसला किया और पवन पर सवार होकर चल पड़ी लेकिन तभी उसे पीछे से घोड़े की टापो की आवाज सुनाई पड़ी तो उत्सुकता में रुक गई और उसने देखा कि कोई नदी के किनारे अपने घोड़े पर से उतर रहा था! सीमा ने पवन को उसी दिशा में घुमा दिया और धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गई और उसने गौर से उस आदमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गई क्योंकि ये तो विक्रम ही था! हान सच में विक्रम ही था और सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसकी खुशी देखकर लग रहा था मानो सलमा का नही उसका महबूब मिलने के लिए आया था!

दबे पांव वो घोड़े से उतरकर धीरे से उसके पीछे पहुंच गई और देखा कि विक्रम भी काफी उदास लग रहा था और ऐसा लग रहा था मानो उसका कुछ खो गया हो! नदी के पास बैठकर वो उदास मन से वो पत्थर उठा उठा कर नदी में फेंक रहा था और सीमा ने उसे उसके पास जाकर बैठ गई तो विक्रम को एहसास हुआ कि कोई लड़की उसके पास आई हैं तो उसने ध्यान से देखा और बोला:"

" अगर मैं गलत नही हु तो आप शहजादी सलमा की सहेली हैं न जो उस दिन उसके साथ आई थी

सीमा मुस्कुराई और बोली:"

" आप ठीक पहचाना मुझे युवराज, मैं सलमा की सहेली ही हु और काफी देर से आपका इंतजार कर रही थी!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और बेचैन होकर बोला:"

" कैसी हैं शहजादी ? उनकी तबियत तो ठीक हैं न ? क्या कर रही थी वो? उन्हे कोई दिक्कत तो नही है न ?

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके समझ गई कि आज दोनो तरफ बराबर लगी है और बोली:"

" एकदम इतने सारे सवाल युवराज, मेरे पास आपके किसी भी सवाल का जवाब नही हैं!

सीमा उसे थोड़ा छेड़ते हुए बोली और विक्रम निराश होते हुए बोला:"ऐसा न कहो सीमा मेरा दिल ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ऐसा भी हो सकता हैं!

सीमा ने अपनी जेब से वो पैगाम निकाला और उसे युवराज को देते हुए बोली:" ये लीजिए शहजादी ने आपके लिए भेजा हैं!

विक्रम के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी और उसने धीरे से लिफाफे को चूम लिया और उसे खोलने लगा तो सीना बोली:"

" एक मिनट युवराज, ये खास आपके लिए हैं तो आप पढ़ लीजिए!

इतना कहकर वो थोड़ा पीछे हो गई और विक्रम ने खत को खोला और पढ़ने लगा

" प्रिय विक्रम पता नही आपने क्या जादू कर दिया है मुझ पर, हर समय आपके बारे में ही सोचती रहती हूं, ना खाने को मन करता है और न ही दिल किसी काम में लगता है! मैं आज रात 10 बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी!

आपके दर्शन की अभिलाषी:"

" शहजादी सलमा!!

विक्रम ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उसने बार बार खत को चूमा और उसके बस सीमा को अपने पास बुलाया और बोला:"

" आप जाकर सलमा से कहिएगा कि मैने खत पढ़ लिया हैं और शहजादी की बात मैने मान ली हैं!

इतना कहकर उसने अपने गले में पड़ी हुई एक बेशकीमती हीरे की माला को निकाला और सीमा को देते हुए बोला:"

" लीजिए सीमा मेरे तरफ से आपके लिए एक बेशकीमती तोहफा!


सीमा ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और बोली:"

" मेरी वफादारी की कीमत लगाने की भूल कभी मत करना युवराज!

विक्रम को लगा कि जल्दी बाजी मे उसने गलती कर दी है और बोला:" ऐसा मत समझिए सीमा! प्यार और वफादारी की कोई कीमत हो ही नही सकती! क्या आप मेरी छोटी बहन बनेगी? मेरी कोई भी बहन नही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" ठीक हैं युवराज! आज से आप मेरे भाई हुए!

युवराज ने फिर से माला को लिया और सीमा के गले में डालते हुए बोला:" अब आप मुझे मना नही कर सकती हैं मेरी बहन!

सीमा उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दी और बोली:"

" अच्छा अब आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए! देरी हुई तो फिर मुझे दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप फिकर ना करे मेरी बहन! आपके भाई के होते हुए आपको कोई दिक्कत हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार होगा! चलिए मैं आपको सुल्तानपुर की सीमा तक छोड़कर आता हु!

उसके बाद विक्रम सीमा के साथ चल पड़ा और उसे सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ कर अपने राज्य की तरफ खुशी खुशी चल पड़ा! वो अपने राज्य पहुंच गया तो उसने देखा कि करीब सात बजे गए थे और उसे एक घंटे बाद वापिस निकलना होगा फिर से सुल्तानपुर जाने के लिए! विक्रम बेहद खुश था क्योंकि आज उसकी महबूबा से उसकी पहली मुलाकात होने वाली थी!
Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai.....
Nice and excellent update....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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उदयगढ़ में अगले दिन राजसभा लगी हुई थी! सभी मंत्री और विशेष गण अपने स्थान पर विराजमान थे! राजमाता गायत्री देवी लोगो की समस्या सुन रही थी और उनका समाधान भी कर रही थी! करीब 11 बजे के आस पास सभा समाप्त हुई और राजमाता ने अजय से कहा:"

" अजय ये राजकुमार विक्रम आज सभा में क्यों नहीं आए हैं ? उनका स्वास्थ्य तो ठीक हैं न?

अजय:" आप निश्चित रहे राजमाता मैं पता करके आता हु!

गायत्री देवी" ठीक हैं आप जाइए तब मैं मंत्री दल के साथ एक अहम बैठक करती हू!

अजय वहां से चला गया और राजमाता गायत्री देवी राज कुर्सी पर विराजमान हो गई और बोली:"

" जैसा कि संपूर्ण राज्य जानता है कि आदिकाल से राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अजय के परिवार की रही हैं और इनकी न जाने कितनी पीढियों ने अपने प्राणों की बलि देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं और उदयगढ़ के इतिहास में इनका अभुपूर्व योगदान हैं! अजय भी अब बड़ा हो गया है और जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं! आप सब की क्या राय हैं ?

भीमा सिंह:" मैं आपकी बात से सहमत हु राजमाता! ये तो एक ऐसी प्रथा हैं जिसके बारे में सभी उदयगढ़ वासी अच्छे जानते हैं!

मानसिंह:" बिलकुल राजमाता आपकी बात सत्य हैं! अजय के पुरखो ने अपना बलिदान देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं! अजय के पिता तो महाराज को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ये मैंने खुद अपनी आंखो से देखा हैं राजमाता!

कुशल सिंह:" ये तो सम्पूर्ण उदयगढ़ के लिए गौरव का पल हैं कि राज्य के सबसे वफादार परिवार को फिर से उनकी जिम्मेदारी दी जा रही है! शुभ अवसर देखकर आप इस कार्य को पूर्ण कीजिए!

सेनापति शक्ति सिंह:" राजमाता आपका हुक्म और मंत्री गण का फैसला मेरे लिए सर्वोपरि हैं लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर मुझसे राज्य की सुरक्षा में कोई चूक हुई है या मैने अपना काम सच्चाई और बहादुरी से नही किया हैं क्या ?

थोड़ी देर के लिए राजसभा में पूरी शांति छाई रही और अंत में राजमाता गायत्री देवी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा और बोली:"

" आपने अपनी कर्तव्य को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूर्ण किया हैं और निसंदेह आप उदयगढ़ के सबसे बहादुर योद्धा में से एक हो! लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि ये प्रथा हमारे पूर्वजों के काल से चली आ रही है तो इसे निभाने के लिए हम वचनबद्ध हैं शक्ति! लेकिन आप निश्चित रहे आपकी निष्ठा को देखते हुए आपको जल्दी ही एक अहम जिम्मेदारी के साथ साथ 100 गांवों की एक जागीर दी जायेगी! फिर भी आपको कोई आपत्ति हैं तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं शक्ति सिंह क्योंकि हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते!

सभी मंत्री गण ने राजमाता के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत किया और शक्ति सिंह बिना कुछ कहे राजमाता के आगे सम्मान में सिर झुका कर अपनी जगह बैठ गया!

राजमाता:" ठीक हैं भीमा फिर आप पुरोहित जी से एक शुभ मुहूर्त निकलवा लीजिए और उसी दिन मुहूर्त पर अजय को विधिपूर्वक ये जिम्मेदारी प्रदान की जायेगी!

भीमा अपने स्थान पर खड़ा हुआ और राजमाता के आगे सम्मान में झुकते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! मै आज ही पुरोहित जी से मिलकर मुहूर्त निकलवा लूंगा!

राजमाता:" ठीक है फिर आज की सभा यहीं समाप्त होगी और आप सभी अपना काम देखिए! मैं चलती हू क्योंकि मुझे मंदिर जाना होगा!

उसके बाद राजमाता मंदिर चली गई और दूसरी तरफ विक्रम अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था और सुबह से कुछ खाया भी नही था! उसे देखकर लग रहा था कि मानो किसी गंभीर बीमारी का प्रकोप हुआ है!

अजय उसके कक्ष में पहुंचा और बोला:" क्या मुझे होने वाले महाराज के कक्ष में आने की अनुमति हैं ?

विक्रम ने एक बार उसकी तरफ देखा और बिना मुंह से कुछ भी बोले अपनी गर्दन को हिला दिया और अजय उसके पास जाकर खड़ा हो गया और बोला:"

" क्या हुआ युवराज? आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे?

विक्रम ने उदास नजरो से उसे देखा और फिर शायरी वाले अंदाज में बोला:"

" आपकी हालत का एहसास नही मुझको, मैने औरों से सुना हैं कि मैं परेशान हु!!

विक्रम की शायरी का दर्द महसूस करके अजय उसके बिलकुल पास पहुंच गया और बोला:"

" आप चिंता न कीजिए युवराज, मेरे होते आपको कोई कष्ट हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार हैं!

विक्रम ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया तो अजय अपनी जगह से नही हिला और बोला:"

" मैं इस लायक तो नही हु कि होने वाले महाराज के बेड पर बैठ सकू! आप बस हुक्म कीजिए

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और बोला:"

" अजय तुम मेरे लिए मेरे सच्चे दोस्त हो बिलकुल मेरे छोटे भाई जैसे! फिर हमारे बीच ये महाराज वाला रिश्ता तो नही होना चाहिए वो भी कम से कम मेरे कक्ष में तो किसी भी दशा पर नही!

विक्रम का अपनापन देखकर अजय का रोम रोम उसका कर्जदार हो गया और बोला:"

" हमे इतना मान और प्यार देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद युवराज! जब आपने मुझे छोटा भाई कहा हैं तो फिर मुझे बड़े भाई के कष्ट को दूर करने का एक मौका दीजिए!

विक्रम:" जरूर दिया जाएगा अजय लेकिन अभी उसके लिए सही समय नही आया हैं! जब आपकी जरूरत होगी तो हम आपको जरूर अपनी ये समस्या बताएंगे मेरे भाई!

अजय:" ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी! फिर भी आपको कष्ट में देखकर मेरा दिल तार तार हो रहा हैं युवराज! आप अगर बताएंगे तो आपके लिए जीवन भी बलिदान कर दूंगा!

विक्रम ने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और धीरे से बोला:"

" अपना ये जज्बा और जुनून बचाकर रखिए अजय क्योंकि जल्दी ही आपको राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने वाली है तो आप अपना ध्यान अभी सी तरफ ही लगाए!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा युवराज! लेकिन पहले आप नहा लीजिए तब मैं आपके लिए थोड़ा खाने का प्रबंध कर देता हू!

इतना कहकर अजय बाहर आ गया और विक्रम अनमने ढंग से नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर उसने अजय के साथ बैठकर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद अजय उससे आज्ञा लेकर बाहर निकल आया!

शाम को राजमाता गायत्री देवी विक्रम के कक्ष में आई और विक्रम का हाल देखा और बोली:"

" उदयगढ़ के होने वाले महाराज को क्या कष्ट हैं जो उनके चेहरे पर इतना दर्द दिखाई पड़ता हैं

विक्रम ने अपनी नजरो को नीचा किया और बोला:"

" कुछ नही राजमाता बस कल घोड़े से थोड़ा गिर पड़ा था तो पैर में हल्की सी चोट आई हैं बस इसलिए आराम ही कर रहा था!

राजमाता गायत्री:" आपकी बात मुझे हैरान कर रही है युवराज क्योंकि हमारे शाही खून में तो ताकत होती हैं घोड़े उसे चाहकर भी गिरा सकता!

विक्रम उसकी बात सुनकर झेंप सा गया और बोला:" दरअसल वो हमे घोड़े से ऐसी उम्मीद नहीं थी तो इसलिए बस गिर पड़े! आप मेरा विश्वास कीजिए राजमाता!

राजमाता ने एक बार गौर से उसे देखा और बोली:"

" आप कहते हैं तो विश्वास तो करना ही पड़ेगा! आज से आपके लिए वैद्य जी को बोलकर एक शाही नुस्खा तैयार करवाना पड़ेगा ताकि आप फिर से ऐसे हादसे का शिकार न होने पाएं!

विक्रम के पास कोई उपाय नहीं था तो बोला:"

" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता!

उसके बाद बिक्रम ने अपनी माता के साथ थोड़ा सा खाना खाया और फिर छत पर घूमने लगा और राजकुमारी की याद उसे भुलाए नहीं भूल रही थी!!

वही दूसरी तरफ शहजादी सलमा भी पूरे दिन उदास सी ही रही और जैसे तैसे करके दिन कटा तो रात की तनहाई ने उसे आ घेरा और बिस्तर पर पड़ी हुई सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और मखमल सा नर्म मुलायम बिस्तर भी आज उसके जिस्म को सुकून नही दे रहा था! सलमा को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या वो सच में विक्रम से इतना प्यार कर बैठी जो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं रह रहा हैं उसे! सच मे प्यार में ऐसी दीवानगी भी होती हैं उसे एहसास न था क्योंकि उसकी जान पर बन आई थी! विक्रम ने जहां उसके हाथ को चूमा था वो जगह को वो इतना चूम चुकी थी कि गिनती करने की बात हो छोड़ो उसके हाथ का वो हिस्सा चूमने की वजह से लाल पड़ गया था!

धीरे धीरे रात गहराने लगी और सलमा की बचैनी और ज्यादा बढ़ती चली गई! रात के दूसरे पहर बड़ी मुश्किल से सलमा की आंख लगी तो उसे बेहद हसीन ख्वाब दिया और उसने देखा कि वो अपने कक्ष में बेड पर लेटी थी और विक्रम उसके माथे को चूम रहा था तो सलमा ने उसे बड़े प्यार से देखा और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसके गले में बांहे डाले उससे लिपटी हुई थी! विक्रम सलमा को गोद में लिए हुए महल की छत पर आ गया और सामने चांद की दुधिया रोशनी उनके जिस्म पर पड़ रही थी और सलमा उसके चौड़े मजबूत सीने से लिपटी हुई थी और विक्रम बड़े प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को देखा रहा था और प्यार से बोला;"

" शहजादी सलमा एक बार अपनी आंखो को खोलिए न!

सलमा ने अपनी आंखो को बड़े प्यार से धीरे धीरे खोला और दोनो की आंखे एक दूसरे से मिल गई ! दोनो प्यार से एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे मानो सारी दुनिया भूल गए हो! चांदनी रात में सलमा का नूरानी चेहरा और भी ज्यादा हसीन लग रहा था और विक्रम को सलमा पर बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि काली बडी बडी गोल आंखो में लगी हुई स्याही उसकी आंखो को बेहद खूबसूरत बना रही थी और विक्रम धीरे धीरे शहजादी के चेहरे की तरफ हल्का हल्का झुकने लगा तो सलमा को अपनी सांसे उखड़ती हुई महसूस और पूरा बदन कांप उठा और सलमा ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया! विक्रम का चेहरा अब सलमा के चेहरे के ठीक सामने आ गया था और सलमा के लाल अब शर्म के मारे गुलाबी हो गए थे और होंठ उसके होंठ थरथरा रहे थे! विक्रम सलमा की आंखो में देखता हुआ उसके चेहरे पर लगभग पूरी तरह से झुक गया और सलमा ने अपनी बांहों का दबाव उसकी गर्दन पर बढ़ा दिया तो विक्रम ने झुककर उसके एक गाल को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ उसकी आंख खुल पड़ी और सलमा को यकीन हुआ कि वो तो सिर्फ सपना देख रही थी तो वो उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि उसकी सांसे बेहद तेज हो गईं थीं और पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था!

सलमा के सपने में पहली बार कोई राजकुमार आया था और वो उसका चहेता विक्रम तो सलमा को अब उदासी हो रही थी कि विक्रम सच में कोई नही आया! जब सच में आएगा तो क्या वो ऐसे ही उसका गाल चूम लेगा क्या जैसे सपने में चूमा था ये सब सोचकर सलमा शर्म से दोहरी होती चली गई क्योंकि उसकी छातियां बेहद जोर जोर से उछल उछल पड़ रही थी और सलमा ने तकिए को उठाकर अपनी छाती से चिपका लिया मानो अपनी गोलाईयों को उछलने से रोक रही हो! बड़ी मुश्किल से सलमा ने अपने जिस्म पर काबू किया और उठकर वही आकर खड़ी हो गई जहां वो सपने में विक्रम की गोद में सिमटी हुई थी और चांद को निहारने लगी! रात का तीसरा पहर शुरू हुआ और सलमा आखिरकार अपने बिस्तर आ गई और विक्रम के बारे में सोचते सोचते वो आखिरकार नींद के आगोश मे समा गई!!

जब्बार एक औरत के साथ नंगा ही पड़ा हुआ और दोनो अभी अभी चुदाई के साथ अपने सांसे संयत कर रहे थे और वो औरत जिसका नाम राधिका था बोली:"

" आपने तो मेरे जिस्म को पूरा निचोड़ कर रख दिया आज! सच में आपके जैसा मजबूत मर्द मैने आज तक नही देखा!

जब्बार ने अपनी तारीफ सुनी तो उसकी चूची को सहलाते हुए कहा:" मेरी जान तुम भी तो कुछ कम नहीं हो, जितनी खूबसूरत हो उससे ज्यादा तेज दिमाग हो!

राधिका:" अच्छा एक बात पूछूं?

जब्बार:" बोलो ना मेरी रानी?

राधिका:" क्या आप सच में मुझे सुल्तानपुर की महारानी बनाओगे ?

जब्बार ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट लिया और उसकी चूत पर अपने आधे खड़े हुए लंड को रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल बनाऊंगा मेरी जान, सिर्फ सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की महारानी बनाऊंगा!

दो बार हुई दमदार चुदाई से राधिका के बदन का रेशा रेशा टूट रहा था लेकिन अब ना चाहते हुए भी उसके बदन मे फिर से उत्तेजना दौड़ना शुरू हो गई थी और वो जब्बार के गले में अपनी बांहे डालकर उससे लिपट गई और बोली:"

" फिर आपकी बीवी शमा का क्या होगा मेरे जहांपनाह?

जब्बार ने उसकी गोल गद्देदार गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसलते हुए बोला:"

" तुम तो जानती हो कि मैं शमा को पसंद नही करता! बस उसे शहजादे सलीम को फंसाए रखने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि सलीम ही मेरे रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत बन सकता हैं आगे चलकर!

इतना कहकर उसने राधिका को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसका पूरा सख्त हो गया लंड उसकी चूत से टकरा गया तो राधिका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"

" तो फिर कर लीजिए ना सुल्तानपुर पर कब्जा आप क्योंकि सब कुछ तो अब आपके हाथ में ही है!

जब्बार एक झटके के साथ राधिका के उपर आ गया और राधिका ने अपनी टांगो को पूरा फैला दिया और लंड चूत के रसीले छेद पर जा लगा और जब्बार दोनो हाथों से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला:"

" ऐसे महाराज बना तो प्रजा विद्रोह कर देगी! तुम्हे मेरा एक काम करना होगा राधिका!

इतना कहकर जब्बार ने उसकी चूत पर एक जोरदार धक्का लगाया और आधा लंड राधिका की चूत में घुस गया तो राधिका दर्द से कराह उठी और उससे पूरी ताकत से लिपट गई और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे आका, बताए ना मुझे क्या करना होगा!!

जब्बार ने लंड को जोर से बाहर की तरफ खींचा और उसके कंधो को थाम कर पूरी ताकत से एक धक्का लगाया तो लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया और राधिका दर्द से तड़प उठी और उसकी पीठ को नाखूनों से रगड़ती हुई बोली:"

" आआह्हह्ह मार डाला मुझे! बोलो ना प्लीज मेरी जान क्या करना होगा मुझे!

जब्बार ने उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए तो राधिका मस्ती से बेहाल हो गई और जब्बार उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला:"

" मुझे शहजादी सलमा को कुछ भी करके फंसाना होगा अपने जाल में क्योंकि अगर वो फंस गई तो मुझे प्रजा खुशी खुशी महाराज स्वीकार कर लेगी!

इतना कहकर जब्बार ने एक तगड़ा धक्का लगाया और राधिका दर्द से कराह उठी औरउसकी बात सुनकर राधिका ने उसे गुस्से से घूरती हुई बोली:"

" फिर मेरा क्या होगा? शहजादी के बाद मुझे तो भूल ही जाओगे न तुम !!

जब्बार उसकी चूत में जोर जोर से चोदते हुए बोला:"

" शादी के बाद एक षडयंत्र में फंसाकर सलमा को मौत के घाट उतार देने और ऐसे पूरा राजपरिवार खत्म हो जाएगा और आप मेरी महारानी बन जाओगे!

राधिका उसकी बात सुनकर होश में आ गई और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर चुदने लगी और सिसकी:"

" अअह्ह्ह्ह जब्बार मेरे यार! चोद दे मुझे अह्ह्ह्, चोद ना अपनी महारानी राधिका को!

जब्बार ने उसको अब पूरी ताकत से चोदना शुरु कर दिया और पूरे कक्ष में राधिका की दर्द भरी सिसकियां गूंजने लगी और जब्बार बोला:"

" एक काम करना, तेरी एक बहन सीमा राजकुमारी के साथ रहती हैं तो तुम उसके साथ शहजादी के करीब जाओ और मालिश के नाम पर उसकी उत्तेजना को पूरी तरह से भड़का दो ताकि शहजादी जिस्म की आग में जल उठे और फिर मौका देखकर हम उसे अपने जाल में फंसा लेंगे और एक बार अगर वो मेरे लंड से चुद गई तो जिंदगी भर मेरी गुलाम बन जायेगी वो !!

दर्द से कराहती सिसकती हुई राधिका पूरी ताकत से अपनी चूत को लंड पर उछाल रही थी बोली:"

" आह्ह्ह्ह मेरे महराज! इस लंड की मार जिस चूत पर पड़ेगी वो जिंदगी भर आपकी गुलाम बन जायेगी! अह्ह्ह्हह मेरे राजा बजाओ मेरा बाजा!

उसके बाद चुदाई का दौर चल पड़ा और धीरे धीरे जब्बार राधिका पर भारी पड़ने लगा तो राधिका दर्द से तड़पती, कराहती हुई उसके नीचे चुदाती रही और आखिर में एक दमदार चुदाई के बाद जब्बार ने उसकी चूत को लबालब भर दिया!!

अगले दिन सुबह अजय उठा तो उसकी माता मेनका बोली:"

"पुत्र अजय ठीक दो दिन बाद पूरी चांदनी रात होगी और मैं आपको विधिपूर्वक ये अद्भुत तलवार दूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! बताए उसके लिए मुझे क्या क्या करना होगा?

मेनका:" हम दोनो पवित्र नदी के पास आज एक विधि को पूर्ण करेंगे! आप बस मेरे साथ चलना सब कुछ मैं खुद व्यवस्था कर लूंगी!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा! मैं आपके साथ चलूंगा और अपनी तरफ से पूरा योगदान दूंगा!

मेनका:" ठीक हैं पुत्र! अब आप राज सभा में जाओ और अपना कार्य देखो!

वहीं दूसरी तरफ सलमा बेहद उदास थी तो उसकी उदासी सीमा से नही देखी गई और आखिकार उसने पूछा ही लिया:"

" क्या हुआ शहजादी आप बेहद उदास क्यों जान पड़ती हो? कई दिन से देख रही हूं कि आप ना ठीक से खा पा रही हैं और पूरे दिन बुझी बुझी सी रहती है, आखिर क्या हुआ हैं आपको, पहले तो आप ऐसी बिलकुल न थी शहजादी!

सलमा:" कुछ भी तो नही हुआ हैं हमें,बस आजकल तबियत थोड़ी ठीक नही लगती!

सीमा:" ठीक हैं फिर मैं दाई मा को बुलाकर ले आती हूं ताकि वो आपको देख सके और आपका उपचार कर सके!

इतना कहकर सीमा जाने लगी तो सलमा ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" कहीं जाने की जरूरत नही हैं तुम्हे, यहीं बैठो मेरे पास!

सीमा ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" फिर आपकी तबियत कैसी ठीक होगी शहजादी?

सलमा ने उसे पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली:

" हर बीमारी का इलाज दाई मा के पास नही होता सीमा, कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं जो लाइलाज होती हैं!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:" ये आप कैसी अजीब अजीब सी बाते कर रही है, भला बीमारी का इलाज दाई मा नही करेगी तो कौन करेगा!

सलमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे वो सीमा को अपने दिल का हाल बताए क्योंकि उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने मुंह से ये बात कह सके और फिर अगर गलती से भी सीमा ने किसी के सामने कुछ कह दिया तो वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नही बचेगी इसलिए वो खामोश ही रही तो सीमा फिर से बोली:"

" बताए ना शहजादी,आपकी ये हालत हमसे देखी नही जाती, पीड़ा आपके चेहरे पर हैं और दिल मेरा टूट रहा है!

सीमा की बात का सलमा पर गहरा असर हुआ और ऐसे ही उसके कंधे पर सिर रखे हुए बोली:"

" क्या मैं तुझ पर पूरा यकीन कर सकती हूं ना सीमा?

सीमा के दिल को उसकी बात सुनकर ठेस पहुंची और बोली:"

" आपने यकीन वाली बात कहकर आपके लिए मेरी निष्ठा को ठेस पहुंचाई है शहजादी! शायद आप मुझे ठीक से समझ ही नहीं पाई है आज तक!

सलमा ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" ऐसा न कहो सीमा, तुम पर तो मुझे अपने आप से ज्यादा भरोसा है तभी तो अपनी हर बात तुम्हे बताती हूं मैं!

सलमा की बात सुनकर सीमा के मन को सुकून पहुंचा और वो शहजादी के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली:"

" फिर आपने ये बात कही है तो इसका मतलब जरूर कोई बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है!

सलमा उसका अपनापन देखकर पिघल गई और बोली:"

" बस ऐसा ही कुछ समझ लो सीमा, कुछ बाते ऐसी होती है जिन्हे इंसान अपने साए से कहते हुए डरता है!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हिम्मत देती हुई बोली:"

" आप मुझसे कहिए जो भी आपका दर्द हैं और मेरा वादा है आपसे कि मेरे और आपके सिवा ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी!

सलमा तो खुद चाह रही थी कि वो दर्द किसी से कहे और आखिरकार सीमा के रूप में उसे उसकी सच्ची सहेली और हमदर्द मिल गई तो उसने सब कुछ बताने का फैसला किया लेकिन अब दुविधा ये थी कि कैसे कहे क्योंकि चाह कर वो कुछ नहीं बोल पा रही थी तो सीमा बोली:"

" अब बोल भी दीजिए ना शहजादी

सलमा का बदन कांप उठा और सीमा उसके हाथ को प्यार से सहलाते हुए बोली:

" अरे आप तो बोलने से पहले ही कांप रही है, आखिर ऐसी क्या समस्या हो गई है जिसने हमारी शहजादी का ऐसा हाल कर दिया है आखिर?

सीमा की बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और उसके बदन मे एक तेज झुरझुरी सी दौड़ गई तो सीमा ने उसके कंधे को जोर से पकड़ लिया और बोली:"

" इतना ज्यादा शर्माएगी तो आप बोल कैसे पाएगी शहजादी? जरा हम भी जाने आखिर हमारी खूबसूरत शहजादी का ऐसा हाल क्यों हो रहा है?

सीमा की बाते सलमा की बेचैनी को और बढ़ा रही थी और सलमा हिम्मत करके बोल पड़ी:"

" हमे आजकल रातों को नींद नहीं आती, रात को चांद को निहारना अच्छा लगता हैं सीमा!

सलमा ने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके कहा और सीमा उसकी समस्या को थोड़ा थोड़ा समझ गई लेकिन वो खुद से नही बोलना चाहती थी क्योंकि अगर उसका अनुमान गलत हुआ तो वो जिंदगी भर शहजादी से नजरे नही मिला पाएगी इसलिए सीमा बोली:"

" चांदनी रातों में नींद थोड़ा कम ही आती हैं तो आप थोड़ा जल्दी सोने की कोशिश कीजिए इससे आपको आराम मिलेगा शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर झुंझला सी उठी और उसका हाथ दबाते हुए बोली:"

" आप समझती क्यों नहीं है? मेरी जान पर बनी हुई हैं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके मन ही मन मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" आप बोलेंगी तभी तो मैं कुछ जान पाऊंगी! आप कहिए ना

मचलती हुई सलमा ने अपने नाखून को उसकी हथेली में चुभा दिया और बोली:"

" हमे दिन में भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता और न ही कुछ खाने को मन करता है!

सीमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" ये तो पड़ी अजीब बीमारी है शहजादी! आखिर कब से हुई है आपको ये बीमारी?

सलमा की सांसे उखड़ सी गई और उसकी उछलती हुई चुचियों की गति इतनी बढ़ गई थी कि वे अब सीमा से टकरा रही थी! सलमा का पूरा मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया था और आंखे शर्म के मारे बंद हो गई थी और सलमा ने जोर से सीमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा लिया और हिम्मत करके धीरे से बोली:"

" जब से हम उस दिन नदी पर से वापिस आए हैं!

इतना कहकर वो उत्तेजना से कांपती हुई सीमा की गोद में गिर पड़ी और अपना चेहरा छिपा लिया तो सीमा उसके बालो में प्यार से उंगलियां चलाती हुई बोली:"

" अच्छा तो ये बात है हमारी शहजादी घोड़े वाले राजकुमार से दिल लगा बैठी है!

सीमा की बात सुनकर सलमा के मुंह से आह निकलते निकलते बची और वो उसकी गोद में पड़ी हुई कांपती रही तो सीमा ने फिर से पूछा:"

" अरे नाम क्या था उस राजकुमार का मैं तो भूल ही गई!

मचलती हुई कांपती हुई सलमा उसकी गोद में पड़े पड़े ही धीरे से
फुसफुसाई:"

" वि.. वि.. विक्रम!

इतना कहकर सलमा ने थोड़ा से सीमा का हाथ दबा दिया और सीमा उसकी पीठ प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" अच्छा तो हालत शहजादी की विक्रम की वजह से हुई हैं लगता हैं आप बेहद मोहब्बत करने लगी हैं उस विक्रम से!

इतना कहकर सीमा ने उसे पकड़ कर अपनी गोद से उठा दिया तो सीमा शर्म से लाल हो गई और आंखे नीची झुक गई तो सीमा बोली:"

" अब आप मुझे बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकूंगी? वैसे भी जहां तक मुझे पता है ये बीमारी तो दीदार ए महबूब से ही ठीक होती हैं न शहजादी!

सलमा ने नजरे नीचे किए हुए अपने गर्दन को हां में हिला दिया और धीरे से बोली:"

" मेरा एक काम करेगी क्या सीमा?

सीमा:" आप बोलकर देखिए शहजादी जान भी कुर्बान कर दूंगी आपके लिए!

सलमा नजरे नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" क्या तुम विक्रम तक मेरा एक पैगाम पहुंचा सकती हो?

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! आप अपना पैगाम मुझे दीजिए मैं खुद उन्हे देकर आऊंगी! लेकिन इतना बता दीजिए कि वो रहते कहां हैं ?

सलमा अब फिर से निराश हो गई क्योंकि उसने विक्रम से कभी पूछा ही नही था कि वो कहां पर रहता हैं और बोली:"

" ये तो बड़ी कठिन समस्या हो गई! मैने विक्रम से कभी पूछा ही नहीं कि वो कहां रहते हैं!

सीमा:" एक उपाय है मेरे पास! अगर वो आपसे प्यार करते होंगे तो जरूर नदी के पास तो आयेंगे जहां से आपकी मोहब्बत की शुरुवात हुई हैं!

सलमा:" ऐसा न बोल सीमा, वो मुझसे जरूर मोहब्बत करते होंगे! मैने उनकी आंखों में देखा हैं और मेरी आंखे धोखा नही खा सकती!

सीमा:" ठीक हैं फिर आप अपना पैगाम मुझे लिखकर दीजिए! मैं आज ही नदी के किनारे जाऊंगी!

सलमा:" लेकिन अपना ध्यान रखना और एक काम करना पवन को लेकर जाना क्योंकि इस घोड़े मे वो रफ्तार हैं कि इसे कोई छू भी नहीं सकता!

सीमा:" हान पवन कमाल का घोड़ा हैं और तेज रफ्तार से दौड़ता है बिलकुल अपने युवराज की तरह देखो ना कैसे एक ही बार में हमारी शहजादी को हमसे छीन लिया उन्होंने!

सलमा हंस पड़ी और फिर उसने अपना पैगाम लिखा और उसे एक लिफाफे में बंद कर दिया और सीमा को देते हुए बोली:"

" इसे युवराज तक पहुंचा देना सीमा! मुझे यकीन नही हैं कि इसमें लिखे मेरे दिल के हाल को तुम पढ़ोगी नही!

सीमा: आप निश्चित रहे शहजादी! आपका पैगाम युवराज के सिवा कभी कोई नही जान पाएगा!

उसके बाद सलमा ने सीमा को गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोली:"

" जाओ सीमा अल्लाह आपकी हिफाजत करे!


उसके बाद सीमा वहां से निकल गई और थोड़ी ही देर बाद नदी पर पहुंच गई लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नजर नही आया तो उसका दिल बैठ सा गया क्योंकि उसकी उम्मीद के मुताबिक विक्रम को वहां होना चाहिए था! धीरे धीरे शाम ढलने लगी और सीमा की उम्मीद भी डूबते हुए सूरज के साथ डूबती जा रही थी! धीरे धीरे सब तरफ अंधेरा होने लगा और सीमा ने उदास मन से वापिस जाने का फैसला किया और पवन पर सवार होकर चल पड़ी लेकिन तभी उसे पीछे से घोड़े की टापो की आवाज सुनाई पड़ी तो उत्सुकता में रुक गई और उसने देखा कि कोई नदी के किनारे अपने घोड़े पर से उतर रहा था! सीमा ने पवन को उसी दिशा में घुमा दिया और धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गई और उसने गौर से उस आदमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गई क्योंकि ये तो विक्रम ही था! हान सच में विक्रम ही था और सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसकी खुशी देखकर लग रहा था मानो सलमा का नही उसका महबूब मिलने के लिए आया था!

दबे पांव वो घोड़े से उतरकर धीरे से उसके पीछे पहुंच गई और देखा कि विक्रम भी काफी उदास लग रहा था और ऐसा लग रहा था मानो उसका कुछ खो गया हो! नदी के पास बैठकर वो उदास मन से वो पत्थर उठा उठा कर नदी में फेंक रहा था और सीमा ने उसे उसके पास जाकर बैठ गई तो विक्रम को एहसास हुआ कि कोई लड़की उसके पास आई हैं तो उसने ध्यान से देखा और बोला:"

" अगर मैं गलत नही हु तो आप शहजादी सलमा की सहेली हैं न जो उस दिन उसके साथ आई थी

सीमा मुस्कुराई और बोली:"

" आप ठीक पहचाना मुझे युवराज, मैं सलमा की सहेली ही हु और काफी देर से आपका इंतजार कर रही थी!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और बेचैन होकर बोला:"

" कैसी हैं शहजादी ? उनकी तबियत तो ठीक हैं न ? क्या कर रही थी वो? उन्हे कोई दिक्कत तो नही है न ?

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके समझ गई कि आज दोनो तरफ बराबर लगी है और बोली:"

" एकदम इतने सारे सवाल युवराज, मेरे पास आपके किसी भी सवाल का जवाब नही हैं!

सीमा उसे थोड़ा छेड़ते हुए बोली और विक्रम निराश होते हुए बोला:"ऐसा न कहो सीमा मेरा दिल ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ऐसा भी हो सकता हैं!

सीमा ने अपनी जेब से वो पैगाम निकाला और उसे युवराज को देते हुए बोली:" ये लीजिए शहजादी ने आपके लिए भेजा हैं!

विक्रम के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी और उसने धीरे से लिफाफे को चूम लिया और उसे खोलने लगा तो सीना बोली:"

" एक मिनट युवराज, ये खास आपके लिए हैं तो आप पढ़ लीजिए!

इतना कहकर वो थोड़ा पीछे हो गई और विक्रम ने खत को खोला और पढ़ने लगा

" प्रिय विक्रम पता नही आपने क्या जादू कर दिया है मुझ पर, हर समय आपके बारे में ही सोचती रहती हूं, ना खाने को मन करता है और न ही दिल किसी काम में लगता है! मैं आज रात 10 बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी!

आपके दर्शन की अभिलाषी:"

" शहजादी सलमा!!

विक्रम ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उसने बार बार खत को चूमा और उसके बस सीमा को अपने पास बुलाया और बोला:"

" आप जाकर सलमा से कहिएगा कि मैने खत पढ़ लिया हैं और शहजादी की बात मैने मान ली हैं!

इतना कहकर उसने अपने गले में पड़ी हुई एक बेशकीमती हीरे की माला को निकाला और सीमा को देते हुए बोला:"

" लीजिए सीमा मेरे तरफ से आपके लिए एक बेशकीमती तोहफा!


सीमा ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और बोली:"

" मेरी वफादारी की कीमत लगाने की भूल कभी मत करना युवराज!

विक्रम को लगा कि जल्दी बाजी मे उसने गलती कर दी है और बोला:" ऐसा मत समझिए सीमा! प्यार और वफादारी की कोई कीमत हो ही नही सकती! क्या आप मेरी छोटी बहन बनेगी? मेरी कोई भी बहन नही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" ठीक हैं युवराज! आज से आप मेरे भाई हुए!

युवराज ने फिर से माला को लिया और सीमा के गले में डालते हुए बोला:" अब आप मुझे मना नही कर सकती हैं मेरी बहन!

सीमा उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दी और बोली:"

" अच्छा अब आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए! देरी हुई तो फिर मुझे दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप फिकर ना करे मेरी बहन! आपके भाई के होते हुए आपको कोई दिक्कत हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार होगा! चलिए मैं आपको सुल्तानपुर की सीमा तक छोड़कर आता हु!

उसके बाद विक्रम सीमा के साथ चल पड़ा और उसे सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ कर अपने राज्य की तरफ खुशी खुशी चल पड़ा! वो अपने राज्य पहुंच गया तो उसने देखा कि करीब सात बजे गए थे और उसे एक घंटे बाद वापिस निकलना होगा फिर से सुल्तानपुर जाने के लिए! विक्रम बेहद खुश था क्योंकि आज उसकी महबूबा से उसकी पहली मुलाकात होने वाली थी!
जबरदस्त अपडेट भाई।

जब्बार तो न सिर्फ राज परिवार के साथ खेल रहा है, बल्कि खुद की बीवी को भी मोहरा भर ही बना रखा है।

इधर विक्रम और सलमा के दिलों में बराबर आग भड़की है, जो न सिर्फ दोनो को बल्कि दोनो राज्यों को भी जला सकती है।
 

Bittoo

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उदयगढ़ में अगले दिन राजसभा लगी हुई थी! सभी मंत्री और विशेष गण अपने स्थान पर विराजमान थे! राजमाता गायत्री देवी लोगो की समस्या सुन रही थी और उनका समाधान भी कर रही थी! करीब 11 बजे के आस पास सभा समाप्त हुई और राजमाता ने अजय से कहा:"

" अजय ये राजकुमार विक्रम आज सभा में क्यों नहीं आए हैं ? उनका स्वास्थ्य तो ठीक हैं न?

अजय:" आप निश्चित रहे राजमाता मैं पता करके आता हु!

गायत्री देवी" ठीक हैं आप जाइए तब मैं मंत्री दल के साथ एक अहम बैठक करती हू!

अजय वहां से चला गया और राजमाता गायत्री देवी राज कुर्सी पर विराजमान हो गई और बोली:"

" जैसा कि संपूर्ण राज्य जानता है कि आदिकाल से राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अजय के परिवार की रही हैं और इनकी न जाने कितनी पीढियों ने अपने प्राणों की बलि देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं और उदयगढ़ के इतिहास में इनका अभुपूर्व योगदान हैं! अजय भी अब बड़ा हो गया है और जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं! आप सब की क्या राय हैं ?

भीमा सिंह:" मैं आपकी बात से सहमत हु राजमाता! ये तो एक ऐसी प्रथा हैं जिसके बारे में सभी उदयगढ़ वासी अच्छे जानते हैं!

मानसिंह:" बिलकुल राजमाता आपकी बात सत्य हैं! अजय के पुरखो ने अपना बलिदान देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं! अजय के पिता तो महाराज को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ये मैंने खुद अपनी आंखो से देखा हैं राजमाता!

कुशल सिंह:" ये तो सम्पूर्ण उदयगढ़ के लिए गौरव का पल हैं कि राज्य के सबसे वफादार परिवार को फिर से उनकी जिम्मेदारी दी जा रही है! शुभ अवसर देखकर आप इस कार्य को पूर्ण कीजिए!

सेनापति शक्ति सिंह:" राजमाता आपका हुक्म और मंत्री गण का फैसला मेरे लिए सर्वोपरि हैं लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर मुझसे राज्य की सुरक्षा में कोई चूक हुई है या मैने अपना काम सच्चाई और बहादुरी से नही किया हैं क्या ?

थोड़ी देर के लिए राजसभा में पूरी शांति छाई रही और अंत में राजमाता गायत्री देवी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा और बोली:"

" आपने अपनी कर्तव्य को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूर्ण किया हैं और निसंदेह आप उदयगढ़ के सबसे बहादुर योद्धा में से एक हो! लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि ये प्रथा हमारे पूर्वजों के काल से चली आ रही है तो इसे निभाने के लिए हम वचनबद्ध हैं शक्ति! लेकिन आप निश्चित रहे आपकी निष्ठा को देखते हुए आपको जल्दी ही एक अहम जिम्मेदारी के साथ साथ 100 गांवों की एक जागीर दी जायेगी! फिर भी आपको कोई आपत्ति हैं तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं शक्ति सिंह क्योंकि हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते!

सभी मंत्री गण ने राजमाता के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत किया और शक्ति सिंह बिना कुछ कहे राजमाता के आगे सम्मान में सिर झुका कर अपनी जगह बैठ गया!

राजमाता:" ठीक हैं भीमा फिर आप पुरोहित जी से एक शुभ मुहूर्त निकलवा लीजिए और उसी दिन मुहूर्त पर अजय को विधिपूर्वक ये जिम्मेदारी प्रदान की जायेगी!

भीमा अपने स्थान पर खड़ा हुआ और राजमाता के आगे सम्मान में झुकते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! मै आज ही पुरोहित जी से मिलकर मुहूर्त निकलवा लूंगा!

राजमाता:" ठीक है फिर आज की सभा यहीं समाप्त होगी और आप सभी अपना काम देखिए! मैं चलती हू क्योंकि मुझे मंदिर जाना होगा!

उसके बाद राजमाता मंदिर चली गई और दूसरी तरफ विक्रम अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था और सुबह से कुछ खाया भी नही था! उसे देखकर लग रहा था कि मानो किसी गंभीर बीमारी का प्रकोप हुआ है!

अजय उसके कक्ष में पहुंचा और बोला:" क्या मुझे होने वाले महाराज के कक्ष में आने की अनुमति हैं ?

विक्रम ने एक बार उसकी तरफ देखा और बिना मुंह से कुछ भी बोले अपनी गर्दन को हिला दिया और अजय उसके पास जाकर खड़ा हो गया और बोला:"

" क्या हुआ युवराज? आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे?

विक्रम ने उदास नजरो से उसे देखा और फिर शायरी वाले अंदाज में बोला:"

" आपकी हालत का एहसास नही मुझको, मैने औरों से सुना हैं कि मैं परेशान हु!!

विक्रम की शायरी का दर्द महसूस करके अजय उसके बिलकुल पास पहुंच गया और बोला:"

" आप चिंता न कीजिए युवराज, मेरे होते आपको कोई कष्ट हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार हैं!

विक्रम ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया तो अजय अपनी जगह से नही हिला और बोला:"

" मैं इस लायक तो नही हु कि होने वाले महाराज के बेड पर बैठ सकू! आप बस हुक्म कीजिए

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और बोला:"

" अजय तुम मेरे लिए मेरे सच्चे दोस्त हो बिलकुल मेरे छोटे भाई जैसे! फिर हमारे बीच ये महाराज वाला रिश्ता तो नही होना चाहिए वो भी कम से कम मेरे कक्ष में तो किसी भी दशा पर नही!

विक्रम का अपनापन देखकर अजय का रोम रोम उसका कर्जदार हो गया और बोला:"

" हमे इतना मान और प्यार देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद युवराज! जब आपने मुझे छोटा भाई कहा हैं तो फिर मुझे बड़े भाई के कष्ट को दूर करने का एक मौका दीजिए!

विक्रम:" जरूर दिया जाएगा अजय लेकिन अभी उसके लिए सही समय नही आया हैं! जब आपकी जरूरत होगी तो हम आपको जरूर अपनी ये समस्या बताएंगे मेरे भाई!

अजय:" ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी! फिर भी आपको कष्ट में देखकर मेरा दिल तार तार हो रहा हैं युवराज! आप अगर बताएंगे तो आपके लिए जीवन भी बलिदान कर दूंगा!

विक्रम ने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और धीरे से बोला:"

" अपना ये जज्बा और जुनून बचाकर रखिए अजय क्योंकि जल्दी ही आपको राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने वाली है तो आप अपना ध्यान अभी सी तरफ ही लगाए!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा युवराज! लेकिन पहले आप नहा लीजिए तब मैं आपके लिए थोड़ा खाने का प्रबंध कर देता हू!

इतना कहकर अजय बाहर आ गया और विक्रम अनमने ढंग से नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर उसने अजय के साथ बैठकर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद अजय उससे आज्ञा लेकर बाहर निकल आया!

शाम को राजमाता गायत्री देवी विक्रम के कक्ष में आई और विक्रम का हाल देखा और बोली:"

" उदयगढ़ के होने वाले महाराज को क्या कष्ट हैं जो उनके चेहरे पर इतना दर्द दिखाई पड़ता हैं

विक्रम ने अपनी नजरो को नीचा किया और बोला:"

" कुछ नही राजमाता बस कल घोड़े से थोड़ा गिर पड़ा था तो पैर में हल्की सी चोट आई हैं बस इसलिए आराम ही कर रहा था!

राजमाता गायत्री:" आपकी बात मुझे हैरान कर रही है युवराज क्योंकि हमारे शाही खून में तो ताकत होती हैं घोड़े उसे चाहकर भी गिरा सकता!

विक्रम उसकी बात सुनकर झेंप सा गया और बोला:" दरअसल वो हमे घोड़े से ऐसी उम्मीद नहीं थी तो इसलिए बस गिर पड़े! आप मेरा विश्वास कीजिए राजमाता!

राजमाता ने एक बार गौर से उसे देखा और बोली:"

" आप कहते हैं तो विश्वास तो करना ही पड़ेगा! आज से आपके लिए वैद्य जी को बोलकर एक शाही नुस्खा तैयार करवाना पड़ेगा ताकि आप फिर से ऐसे हादसे का शिकार न होने पाएं!

विक्रम के पास कोई उपाय नहीं था तो बोला:"

" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता!

उसके बाद बिक्रम ने अपनी माता के साथ थोड़ा सा खाना खाया और फिर छत पर घूमने लगा और राजकुमारी की याद उसे भुलाए नहीं भूल रही थी!!

वही दूसरी तरफ शहजादी सलमा भी पूरे दिन उदास सी ही रही और जैसे तैसे करके दिन कटा तो रात की तनहाई ने उसे आ घेरा और बिस्तर पर पड़ी हुई सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और मखमल सा नर्म मुलायम बिस्तर भी आज उसके जिस्म को सुकून नही दे रहा था! सलमा को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या वो सच में विक्रम से इतना प्यार कर बैठी जो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं रह रहा हैं उसे! सच मे प्यार में ऐसी दीवानगी भी होती हैं उसे एहसास न था क्योंकि उसकी जान पर बन आई थी! विक्रम ने जहां उसके हाथ को चूमा था वो जगह को वो इतना चूम चुकी थी कि गिनती करने की बात हो छोड़ो उसके हाथ का वो हिस्सा चूमने की वजह से लाल पड़ गया था!

धीरे धीरे रात गहराने लगी और सलमा की बचैनी और ज्यादा बढ़ती चली गई! रात के दूसरे पहर बड़ी मुश्किल से सलमा की आंख लगी तो उसे बेहद हसीन ख्वाब दिया और उसने देखा कि वो अपने कक्ष में बेड पर लेटी थी और विक्रम उसके माथे को चूम रहा था तो सलमा ने उसे बड़े प्यार से देखा और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसके गले में बांहे डाले उससे लिपटी हुई थी! विक्रम सलमा को गोद में लिए हुए महल की छत पर आ गया और सामने चांद की दुधिया रोशनी उनके जिस्म पर पड़ रही थी और सलमा उसके चौड़े मजबूत सीने से लिपटी हुई थी और विक्रम बड़े प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को देखा रहा था और प्यार से बोला;"

" शहजादी सलमा एक बार अपनी आंखो को खोलिए न!

सलमा ने अपनी आंखो को बड़े प्यार से धीरे धीरे खोला और दोनो की आंखे एक दूसरे से मिल गई ! दोनो प्यार से एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे मानो सारी दुनिया भूल गए हो! चांदनी रात में सलमा का नूरानी चेहरा और भी ज्यादा हसीन लग रहा था और विक्रम को सलमा पर बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि काली बडी बडी गोल आंखो में लगी हुई स्याही उसकी आंखो को बेहद खूबसूरत बना रही थी और विक्रम धीरे धीरे शहजादी के चेहरे की तरफ हल्का हल्का झुकने लगा तो सलमा को अपनी सांसे उखड़ती हुई महसूस और पूरा बदन कांप उठा और सलमा ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया! विक्रम का चेहरा अब सलमा के चेहरे के ठीक सामने आ गया था और सलमा के लाल अब शर्म के मारे गुलाबी हो गए थे और होंठ उसके होंठ थरथरा रहे थे! विक्रम सलमा की आंखो में देखता हुआ उसके चेहरे पर लगभग पूरी तरह से झुक गया और सलमा ने अपनी बांहों का दबाव उसकी गर्दन पर बढ़ा दिया तो विक्रम ने झुककर उसके एक गाल को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ उसकी आंख खुल पड़ी और सलमा को यकीन हुआ कि वो तो सिर्फ सपना देख रही थी तो वो उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि उसकी सांसे बेहद तेज हो गईं थीं और पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था!

सलमा के सपने में पहली बार कोई राजकुमार आया था और वो उसका चहेता विक्रम तो सलमा को अब उदासी हो रही थी कि विक्रम सच में कोई नही आया! जब सच में आएगा तो क्या वो ऐसे ही उसका गाल चूम लेगा क्या जैसे सपने में चूमा था ये सब सोचकर सलमा शर्म से दोहरी होती चली गई क्योंकि उसकी छातियां बेहद जोर जोर से उछल उछल पड़ रही थी और सलमा ने तकिए को उठाकर अपनी छाती से चिपका लिया मानो अपनी गोलाईयों को उछलने से रोक रही हो! बड़ी मुश्किल से सलमा ने अपने जिस्म पर काबू किया और उठकर वही आकर खड़ी हो गई जहां वो सपने में विक्रम की गोद में सिमटी हुई थी और चांद को निहारने लगी! रात का तीसरा पहर शुरू हुआ और सलमा आखिरकार अपने बिस्तर आ गई और विक्रम के बारे में सोचते सोचते वो आखिरकार नींद के आगोश मे समा गई!!

जब्बार एक औरत के साथ नंगा ही पड़ा हुआ और दोनो अभी अभी चुदाई के साथ अपने सांसे संयत कर रहे थे और वो औरत जिसका नाम राधिका था बोली:"

" आपने तो मेरे जिस्म को पूरा निचोड़ कर रख दिया आज! सच में आपके जैसा मजबूत मर्द मैने आज तक नही देखा!

जब्बार ने अपनी तारीफ सुनी तो उसकी चूची को सहलाते हुए कहा:" मेरी जान तुम भी तो कुछ कम नहीं हो, जितनी खूबसूरत हो उससे ज्यादा तेज दिमाग हो!

राधिका:" अच्छा एक बात पूछूं?

जब्बार:" बोलो ना मेरी रानी?

राधिका:" क्या आप सच में मुझे सुल्तानपुर की महारानी बनाओगे ?

जब्बार ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट लिया और उसकी चूत पर अपने आधे खड़े हुए लंड को रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल बनाऊंगा मेरी जान, सिर्फ सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की महारानी बनाऊंगा!

दो बार हुई दमदार चुदाई से राधिका के बदन का रेशा रेशा टूट रहा था लेकिन अब ना चाहते हुए भी उसके बदन मे फिर से उत्तेजना दौड़ना शुरू हो गई थी और वो जब्बार के गले में अपनी बांहे डालकर उससे लिपट गई और बोली:"

" फिर आपकी बीवी शमा का क्या होगा मेरे जहांपनाह?

जब्बार ने उसकी गोल गद्देदार गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसलते हुए बोला:"

" तुम तो जानती हो कि मैं शमा को पसंद नही करता! बस उसे शहजादे सलीम को फंसाए रखने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि सलीम ही मेरे रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत बन सकता हैं आगे चलकर!

इतना कहकर उसने राधिका को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसका पूरा सख्त हो गया लंड उसकी चूत से टकरा गया तो राधिका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"

" तो फिर कर लीजिए ना सुल्तानपुर पर कब्जा आप क्योंकि सब कुछ तो अब आपके हाथ में ही है!

जब्बार एक झटके के साथ राधिका के उपर आ गया और राधिका ने अपनी टांगो को पूरा फैला दिया और लंड चूत के रसीले छेद पर जा लगा और जब्बार दोनो हाथों से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला:"

" ऐसे महाराज बना तो प्रजा विद्रोह कर देगी! तुम्हे मेरा एक काम करना होगा राधिका!

इतना कहकर जब्बार ने उसकी चूत पर एक जोरदार धक्का लगाया और आधा लंड राधिका की चूत में घुस गया तो राधिका दर्द से कराह उठी और उससे पूरी ताकत से लिपट गई और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे आका, बताए ना मुझे क्या करना होगा!!

जब्बार ने लंड को जोर से बाहर की तरफ खींचा और उसके कंधो को थाम कर पूरी ताकत से एक धक्का लगाया तो लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया और राधिका दर्द से तड़प उठी और उसकी पीठ को नाखूनों से रगड़ती हुई बोली:"

" आआह्हह्ह मार डाला मुझे! बोलो ना प्लीज मेरी जान क्या करना होगा मुझे!

जब्बार ने उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए तो राधिका मस्ती से बेहाल हो गई और जब्बार उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला:"

" मुझे शहजादी सलमा को कुछ भी करके फंसाना होगा अपने जाल में क्योंकि अगर वो फंस गई तो मुझे प्रजा खुशी खुशी महाराज स्वीकार कर लेगी!

इतना कहकर जब्बार ने एक तगड़ा धक्का लगाया और राधिका दर्द से कराह उठी औरउसकी बात सुनकर राधिका ने उसे गुस्से से घूरती हुई बोली:"

" फिर मेरा क्या होगा? शहजादी के बाद मुझे तो भूल ही जाओगे न तुम !!

जब्बार उसकी चूत में जोर जोर से चोदते हुए बोला:"

" शादी के बाद एक षडयंत्र में फंसाकर सलमा को मौत के घाट उतार देने और ऐसे पूरा राजपरिवार खत्म हो जाएगा और आप मेरी महारानी बन जाओगे!

राधिका उसकी बात सुनकर होश में आ गई और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर चुदने लगी और सिसकी:"

" अअह्ह्ह्ह जब्बार मेरे यार! चोद दे मुझे अह्ह्ह्, चोद ना अपनी महारानी राधिका को!

जब्बार ने उसको अब पूरी ताकत से चोदना शुरु कर दिया और पूरे कक्ष में राधिका की दर्द भरी सिसकियां गूंजने लगी और जब्बार बोला:"

" एक काम करना, तेरी एक बहन सीमा राजकुमारी के साथ रहती हैं तो तुम उसके साथ शहजादी के करीब जाओ और मालिश के नाम पर उसकी उत्तेजना को पूरी तरह से भड़का दो ताकि शहजादी जिस्म की आग में जल उठे और फिर मौका देखकर हम उसे अपने जाल में फंसा लेंगे और एक बार अगर वो मेरे लंड से चुद गई तो जिंदगी भर मेरी गुलाम बन जायेगी वो !!

दर्द से कराहती सिसकती हुई राधिका पूरी ताकत से अपनी चूत को लंड पर उछाल रही थी बोली:"

" आह्ह्ह्ह मेरे महराज! इस लंड की मार जिस चूत पर पड़ेगी वो जिंदगी भर आपकी गुलाम बन जायेगी! अह्ह्ह्हह मेरे राजा बजाओ मेरा बाजा!

उसके बाद चुदाई का दौर चल पड़ा और धीरे धीरे जब्बार राधिका पर भारी पड़ने लगा तो राधिका दर्द से तड़पती, कराहती हुई उसके नीचे चुदाती रही और आखिर में एक दमदार चुदाई के बाद जब्बार ने उसकी चूत को लबालब भर दिया!!

अगले दिन सुबह अजय उठा तो उसकी माता मेनका बोली:"

"पुत्र अजय ठीक दो दिन बाद पूरी चांदनी रात होगी और मैं आपको विधिपूर्वक ये अद्भुत तलवार दूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! बताए उसके लिए मुझे क्या क्या करना होगा?

मेनका:" हम दोनो पवित्र नदी के पास आज एक विधि को पूर्ण करेंगे! आप बस मेरे साथ चलना सब कुछ मैं खुद व्यवस्था कर लूंगी!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा! मैं आपके साथ चलूंगा और अपनी तरफ से पूरा योगदान दूंगा!

मेनका:" ठीक हैं पुत्र! अब आप राज सभा में जाओ और अपना कार्य देखो!

वहीं दूसरी तरफ सलमा बेहद उदास थी तो उसकी उदासी सीमा से नही देखी गई और आखिकार उसने पूछा ही लिया:"

" क्या हुआ शहजादी आप बेहद उदास क्यों जान पड़ती हो? कई दिन से देख रही हूं कि आप ना ठीक से खा पा रही हैं और पूरे दिन बुझी बुझी सी रहती है, आखिर क्या हुआ हैं आपको, पहले तो आप ऐसी बिलकुल न थी शहजादी!

सलमा:" कुछ भी तो नही हुआ हैं हमें,बस आजकल तबियत थोड़ी ठीक नही लगती!

सीमा:" ठीक हैं फिर मैं दाई मा को बुलाकर ले आती हूं ताकि वो आपको देख सके और आपका उपचार कर सके!

इतना कहकर सीमा जाने लगी तो सलमा ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" कहीं जाने की जरूरत नही हैं तुम्हे, यहीं बैठो मेरे पास!

सीमा ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" फिर आपकी तबियत कैसी ठीक होगी शहजादी?

सलमा ने उसे पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली:

" हर बीमारी का इलाज दाई मा के पास नही होता सीमा, कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं जो लाइलाज होती हैं!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:" ये आप कैसी अजीब अजीब सी बाते कर रही है, भला बीमारी का इलाज दाई मा नही करेगी तो कौन करेगा!

सलमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे वो सीमा को अपने दिल का हाल बताए क्योंकि उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने मुंह से ये बात कह सके और फिर अगर गलती से भी सीमा ने किसी के सामने कुछ कह दिया तो वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नही बचेगी इसलिए वो खामोश ही रही तो सीमा फिर से बोली:"

" बताए ना शहजादी,आपकी ये हालत हमसे देखी नही जाती, पीड़ा आपके चेहरे पर हैं और दिल मेरा टूट रहा है!

सीमा की बात का सलमा पर गहरा असर हुआ और ऐसे ही उसके कंधे पर सिर रखे हुए बोली:"

" क्या मैं तुझ पर पूरा यकीन कर सकती हूं ना सीमा?

सीमा के दिल को उसकी बात सुनकर ठेस पहुंची और बोली:"

" आपने यकीन वाली बात कहकर आपके लिए मेरी निष्ठा को ठेस पहुंचाई है शहजादी! शायद आप मुझे ठीक से समझ ही नहीं पाई है आज तक!

सलमा ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" ऐसा न कहो सीमा, तुम पर तो मुझे अपने आप से ज्यादा भरोसा है तभी तो अपनी हर बात तुम्हे बताती हूं मैं!

सलमा की बात सुनकर सीमा के मन को सुकून पहुंचा और वो शहजादी के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली:"

" फिर आपने ये बात कही है तो इसका मतलब जरूर कोई बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है!

सलमा उसका अपनापन देखकर पिघल गई और बोली:"

" बस ऐसा ही कुछ समझ लो सीमा, कुछ बाते ऐसी होती है जिन्हे इंसान अपने साए से कहते हुए डरता है!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हिम्मत देती हुई बोली:"

" आप मुझसे कहिए जो भी आपका दर्द हैं और मेरा वादा है आपसे कि मेरे और आपके सिवा ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी!

सलमा तो खुद चाह रही थी कि वो दर्द किसी से कहे और आखिरकार सीमा के रूप में उसे उसकी सच्ची सहेली और हमदर्द मिल गई तो उसने सब कुछ बताने का फैसला किया लेकिन अब दुविधा ये थी कि कैसे कहे क्योंकि चाह कर वो कुछ नहीं बोल पा रही थी तो सीमा बोली:"

" अब बोल भी दीजिए ना शहजादी

सलमा का बदन कांप उठा और सीमा उसके हाथ को प्यार से सहलाते हुए बोली:

" अरे आप तो बोलने से पहले ही कांप रही है, आखिर ऐसी क्या समस्या हो गई है जिसने हमारी शहजादी का ऐसा हाल कर दिया है आखिर?

सीमा की बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और उसके बदन मे एक तेज झुरझुरी सी दौड़ गई तो सीमा ने उसके कंधे को जोर से पकड़ लिया और बोली:"

" इतना ज्यादा शर्माएगी तो आप बोल कैसे पाएगी शहजादी? जरा हम भी जाने आखिर हमारी खूबसूरत शहजादी का ऐसा हाल क्यों हो रहा है?

सीमा की बाते सलमा की बेचैनी को और बढ़ा रही थी और सलमा हिम्मत करके बोल पड़ी:"

" हमे आजकल रातों को नींद नहीं आती, रात को चांद को निहारना अच्छा लगता हैं सीमा!

सलमा ने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके कहा और सीमा उसकी समस्या को थोड़ा थोड़ा समझ गई लेकिन वो खुद से नही बोलना चाहती थी क्योंकि अगर उसका अनुमान गलत हुआ तो वो जिंदगी भर शहजादी से नजरे नही मिला पाएगी इसलिए सीमा बोली:"

" चांदनी रातों में नींद थोड़ा कम ही आती हैं तो आप थोड़ा जल्दी सोने की कोशिश कीजिए इससे आपको आराम मिलेगा शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर झुंझला सी उठी और उसका हाथ दबाते हुए बोली:"

" आप समझती क्यों नहीं है? मेरी जान पर बनी हुई हैं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके मन ही मन मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" आप बोलेंगी तभी तो मैं कुछ जान पाऊंगी! आप कहिए ना

मचलती हुई सलमा ने अपने नाखून को उसकी हथेली में चुभा दिया और बोली:"

" हमे दिन में भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता और न ही कुछ खाने को मन करता है!

सीमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" ये तो पड़ी अजीब बीमारी है शहजादी! आखिर कब से हुई है आपको ये बीमारी?

सलमा की सांसे उखड़ सी गई और उसकी उछलती हुई चुचियों की गति इतनी बढ़ गई थी कि वे अब सीमा से टकरा रही थी! सलमा का पूरा मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया था और आंखे शर्म के मारे बंद हो गई थी और सलमा ने जोर से सीमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा लिया और हिम्मत करके धीरे से बोली:"

" जब से हम उस दिन नदी पर से वापिस आए हैं!

इतना कहकर वो उत्तेजना से कांपती हुई सीमा की गोद में गिर पड़ी और अपना चेहरा छिपा लिया तो सीमा उसके बालो में प्यार से उंगलियां चलाती हुई बोली:"

" अच्छा तो ये बात है हमारी शहजादी घोड़े वाले राजकुमार से दिल लगा बैठी है!

सीमा की बात सुनकर सलमा के मुंह से आह निकलते निकलते बची और वो उसकी गोद में पड़ी हुई कांपती रही तो सीमा ने फिर से पूछा:"

" अरे नाम क्या था उस राजकुमार का मैं तो भूल ही गई!

मचलती हुई कांपती हुई सलमा उसकी गोद में पड़े पड़े ही धीरे से
फुसफुसाई:"

" वि.. वि.. विक्रम!

इतना कहकर सलमा ने थोड़ा से सीमा का हाथ दबा दिया और सीमा उसकी पीठ प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" अच्छा तो हालत शहजादी की विक्रम की वजह से हुई हैं लगता हैं आप बेहद मोहब्बत करने लगी हैं उस विक्रम से!

इतना कहकर सीमा ने उसे पकड़ कर अपनी गोद से उठा दिया तो सीमा शर्म से लाल हो गई और आंखे नीची झुक गई तो सीमा बोली:"

" अब आप मुझे बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकूंगी? वैसे भी जहां तक मुझे पता है ये बीमारी तो दीदार ए महबूब से ही ठीक होती हैं न शहजादी!

सलमा ने नजरे नीचे किए हुए अपने गर्दन को हां में हिला दिया और धीरे से बोली:"

" मेरा एक काम करेगी क्या सीमा?

सीमा:" आप बोलकर देखिए शहजादी जान भी कुर्बान कर दूंगी आपके लिए!

सलमा नजरे नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" क्या तुम विक्रम तक मेरा एक पैगाम पहुंचा सकती हो?

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! आप अपना पैगाम मुझे दीजिए मैं खुद उन्हे देकर आऊंगी! लेकिन इतना बता दीजिए कि वो रहते कहां हैं ?

सलमा अब फिर से निराश हो गई क्योंकि उसने विक्रम से कभी पूछा ही नही था कि वो कहां पर रहता हैं और बोली:"

" ये तो बड़ी कठिन समस्या हो गई! मैने विक्रम से कभी पूछा ही नहीं कि वो कहां रहते हैं!

सीमा:" एक उपाय है मेरे पास! अगर वो आपसे प्यार करते होंगे तो जरूर नदी के पास तो आयेंगे जहां से आपकी मोहब्बत की शुरुवात हुई हैं!

सलमा:" ऐसा न बोल सीमा, वो मुझसे जरूर मोहब्बत करते होंगे! मैने उनकी आंखों में देखा हैं और मेरी आंखे धोखा नही खा सकती!

सीमा:" ठीक हैं फिर आप अपना पैगाम मुझे लिखकर दीजिए! मैं आज ही नदी के किनारे जाऊंगी!

सलमा:" लेकिन अपना ध्यान रखना और एक काम करना पवन को लेकर जाना क्योंकि इस घोड़े मे वो रफ्तार हैं कि इसे कोई छू भी नहीं सकता!

सीमा:" हान पवन कमाल का घोड़ा हैं और तेज रफ्तार से दौड़ता है बिलकुल अपने युवराज की तरह देखो ना कैसे एक ही बार में हमारी शहजादी को हमसे छीन लिया उन्होंने!

सलमा हंस पड़ी और फिर उसने अपना पैगाम लिखा और उसे एक लिफाफे में बंद कर दिया और सीमा को देते हुए बोली:"

" इसे युवराज तक पहुंचा देना सीमा! मुझे यकीन नही हैं कि इसमें लिखे मेरे दिल के हाल को तुम पढ़ोगी नही!

सीमा: आप निश्चित रहे शहजादी! आपका पैगाम युवराज के सिवा कभी कोई नही जान पाएगा!

उसके बाद सलमा ने सीमा को गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोली:"

" जाओ सीमा अल्लाह आपकी हिफाजत करे!


उसके बाद सीमा वहां से निकल गई और थोड़ी ही देर बाद नदी पर पहुंच गई लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नजर नही आया तो उसका दिल बैठ सा गया क्योंकि उसकी उम्मीद के मुताबिक विक्रम को वहां होना चाहिए था! धीरे धीरे शाम ढलने लगी और सीमा की उम्मीद भी डूबते हुए सूरज के साथ डूबती जा रही थी! धीरे धीरे सब तरफ अंधेरा होने लगा और सीमा ने उदास मन से वापिस जाने का फैसला किया और पवन पर सवार होकर चल पड़ी लेकिन तभी उसे पीछे से घोड़े की टापो की आवाज सुनाई पड़ी तो उत्सुकता में रुक गई और उसने देखा कि कोई नदी के किनारे अपने घोड़े पर से उतर रहा था! सीमा ने पवन को उसी दिशा में घुमा दिया और धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गई और उसने गौर से उस आदमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गई क्योंकि ये तो विक्रम ही था! हान सच में विक्रम ही था और सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसकी खुशी देखकर लग रहा था मानो सलमा का नही उसका महबूब मिलने के लिए आया था!

दबे पांव वो घोड़े से उतरकर धीरे से उसके पीछे पहुंच गई और देखा कि विक्रम भी काफी उदास लग रहा था और ऐसा लग रहा था मानो उसका कुछ खो गया हो! नदी के पास बैठकर वो उदास मन से वो पत्थर उठा उठा कर नदी में फेंक रहा था और सीमा ने उसे उसके पास जाकर बैठ गई तो विक्रम को एहसास हुआ कि कोई लड़की उसके पास आई हैं तो उसने ध्यान से देखा और बोला:"

" अगर मैं गलत नही हु तो आप शहजादी सलमा की सहेली हैं न जो उस दिन उसके साथ आई थी

सीमा मुस्कुराई और बोली:"

" आप ठीक पहचाना मुझे युवराज, मैं सलमा की सहेली ही हु और काफी देर से आपका इंतजार कर रही थी!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और बेचैन होकर बोला:"

" कैसी हैं शहजादी ? उनकी तबियत तो ठीक हैं न ? क्या कर रही थी वो? उन्हे कोई दिक्कत तो नही है न ?

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके समझ गई कि आज दोनो तरफ बराबर लगी है और बोली:"

" एकदम इतने सारे सवाल युवराज, मेरे पास आपके किसी भी सवाल का जवाब नही हैं!

सीमा उसे थोड़ा छेड़ते हुए बोली और विक्रम निराश होते हुए बोला:"ऐसा न कहो सीमा मेरा दिल ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ऐसा भी हो सकता हैं!

सीमा ने अपनी जेब से वो पैगाम निकाला और उसे युवराज को देते हुए बोली:" ये लीजिए शहजादी ने आपके लिए भेजा हैं!

विक्रम के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी और उसने धीरे से लिफाफे को चूम लिया और उसे खोलने लगा तो सीना बोली:"

" एक मिनट युवराज, ये खास आपके लिए हैं तो आप पढ़ लीजिए!

इतना कहकर वो थोड़ा पीछे हो गई और विक्रम ने खत को खोला और पढ़ने लगा

" प्रिय विक्रम पता नही आपने क्या जादू कर दिया है मुझ पर, हर समय आपके बारे में ही सोचती रहती हूं, ना खाने को मन करता है और न ही दिल किसी काम में लगता है! मैं आज रात 10 बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी!

आपके दर्शन की अभिलाषी:"

" शहजादी सलमा!!

विक्रम ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उसने बार बार खत को चूमा और उसके बस सीमा को अपने पास बुलाया और बोला:"

" आप जाकर सलमा से कहिएगा कि मैने खत पढ़ लिया हैं और शहजादी की बात मैने मान ली हैं!

इतना कहकर उसने अपने गले में पड़ी हुई एक बेशकीमती हीरे की माला को निकाला और सीमा को देते हुए बोला:"

" लीजिए सीमा मेरे तरफ से आपके लिए एक बेशकीमती तोहफा!


सीमा ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और बोली:"

" मेरी वफादारी की कीमत लगाने की भूल कभी मत करना युवराज!

विक्रम को लगा कि जल्दी बाजी मे उसने गलती कर दी है और बोला:" ऐसा मत समझिए सीमा! प्यार और वफादारी की कोई कीमत हो ही नही सकती! क्या आप मेरी छोटी बहन बनेगी? मेरी कोई भी बहन नही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" ठीक हैं युवराज! आज से आप मेरे भाई हुए!

युवराज ने फिर से माला को लिया और सीमा के गले में डालते हुए बोला:" अब आप मुझे मना नही कर सकती हैं मेरी बहन!

सीमा उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दी और बोली:"

" अच्छा अब आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए! देरी हुई तो फिर मुझे दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप फिकर ना करे मेरी बहन! आपके भाई के होते हुए आपको कोई दिक्कत हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार होगा! चलिए मैं आपको सुल्तानपुर की सीमा तक छोड़कर आता हु!

उसके बाद विक्रम सीमा के साथ चल पड़ा और उसे सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ कर अपने राज्य की तरफ खुशी खुशी चल पड़ा! वो अपने राज्य पहुंच गया तो उसने देखा कि करीब सात बजे गए थे और उसे एक घंटे बाद वापिस निकलना होगा फिर से सुल्तानपुर जाने के लिए! विक्रम बेहद खुश था क्योंकि आज उसकी महबूबा से उसकी पहली मुलाकात होने वाली थी!
बहुत। खूब
 
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