अगले दिन सुल्तानपुर का राजदरबार लगा हुआ था और बेगम रजिया सुनवाई कर रही थीं और मुद्दा राज्य की सुरक्षा को लेकर था क्योंकि पिछले कुछ दिनों से दो घटना घट गई थीं और उसी के बारे में बात हो रही थी
रजिया:" दो दिन पहले कोई राजमहल में सलमा के कक्ष तक पहुंच गया और शहजादी ने उसे गिरफ्तार करवा दिया लेकिन उसके बाद भी वो बच कर भाग निकला और कल से कल्लू सुनार नही मिल रहा है! आखिर ये सब चल क्या रहा है जब्बार ?
रजिया की बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि आज पूरी सभा में जब्बार की अच्छे से बेइज्जती होने वाली हैं लेकिन जब्बार अपनी सीट से खड़ा हुआ और बोला:" ये जो भी हुआ है बेहद गलत हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि ये दोनो घटनाए शहजादी सलमा से ही ही जुड़ी हुई हैं! इसका मतलब साफ हैं कि जो कोई भी साजिश कर रहा है उसके निशाने पर शहजादी हो सकती हैं इसलिए सबसे पहले तो हमे शहजादी की सुरक्षा बढ़ानी होगी ताकि उन्हें वो सुरक्षित रहे!
सलमा ने उसकी बात सुनकर घूर कर उसे देखा क्योंकि सलमा जानती थीं कि सुरक्षा बढ़ने से वो कैद सी होकर रह जायेगी और अपनी मर्जी से कहीं नही जा सकेगी! जब्बार की बात का सभी में समर्थन किया और रजिया बोली:" ठीक हैं सलमा की जान राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और उसकी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी लेकिन जो हुआ हैं उसके लिए कौन जिम्मेदार है?
जब्बार:" जो आदमी उस दिन कैद से निकलकर भागा वो जरूर राजमहल के अंदर पहले भी आया होगा या फिर ऐसा हो सकता हैं कि कोई उससे मिला हुआ हो क्योंकि एक अजनबी आदमी इस तरह से बचकर तो नही भाग सकता!
जब्बार की बात पूरी तरह से सही थी आई और रजिया बोली:"
" ठीक हैं जब्बार उसकी पहचान की जाएगी और उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी! लेकिन कल्लू सुनार कहां है?
जब्बार:" कल्लू सुनार की खोज में रात से ही सैनिक लगे हुए हैं और जल्दी ही उसकी जानकारी सामने आ जायेगी! साथ ही साथ आज से राज्य में बाहरी आदमियों का आना पूरी तरह से बंद होना चाहिए क्योंकि ऐसी भी संभावना हैं कि बाहर से कोई आया हो और उसने ही कल्लू को गायब किया हो किसी दुश्मनी के चलते!
रजिया:" बाहर से अगर कोई आता तो उसे जरूर पहरी पकड़ लेते! ये जरूरी राज्य के ही किसी आदमी का काम हैं!
जब्बार:" आप चिंता न करे जब तक मैं सच्चाई का पता नहीं कर लूंगा चैन से नहीं बैठने वाला! साथ ही साथ आज से बाहरी आदमियों का राज्य में प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा!
रजिया:" ठीक हैं जब्बार लेकिन इस बार कोई चूक नही होनी चाहिए!
जब्बार:" आप निश्चित रहे, मैं अपनी तरफ से आपको कोई मौका शिकायत का नही दूंगा!
इसके बाद राज्य की कार्यवाही खत्म हुई और सलमा को का फूल सा चेहरा उदास हो गया था क्योंकि उसकी सुरक्षा में आदमी बढ़ने से उसकी आजादी छिनने वाली थी और दूसरी बात रात में बाहरी लोगो के ना आने से विक्रम उससे मिलने कैसे आएगा ये उसकी सबसे बड़ी समस्या थी!
वही दूसरी तरफ उदयगढ़ में भी दरबार लगा हुआ था और राजमाता गायत्री देवी भी बड़ी मुश्किल में थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राज्य के दूर के एक गांव से शादी शुदा औरते और लड़कियां गायब हुई थी और उनका कुछ पता नहीं चल रहा था तो राजमाता बोली:"
" सेनापति अजय और विक्रम दोनो जाओ और पता करो कि किसकी मौत आई हैं जो उसने उदयगढ़ की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश करी हैं!
अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता जो आपने मुझे इसके लिए चुना! मैं आज ही रवाना हो जाऊंगा और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दूंगा!
विक्रम:" बिलकुल अजय और मै भी इसमें आपको पूरा सहयोग दूंगा!
राजमाता:" मुझे आप दोनो पर पूरा भरोसा हैं और आपके लिए तो ये एक तरह से इम्तिहान हैं क्योंकि सेनापति बनने के बाद आपको आपकी बहादुरी दिखाने का पहला मौका मिला हैं!
अजय:" आप फिक्र न करे राजमाता, मैं हर हाल में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दूंगा!
उसके बाद सभा समाप्त हो गई और अजय और विक्रम दोनो सफर की तैयारी करने लगी और शाम को करीब आठ बजे उन्हे निकलना था तो अजय अपनी मां मेनका से बोला:"
" मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए माता क्योंकि पहली बार मुझे राजमाता ने कोई काम दिया हैं और आपके पुत्र की ये पहली परीक्षा हैं!
मेनका :" मेरा आशिर्वाद आपके हाथ है पुत्र! जाओ और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दो!
मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देती हु!
इतना कहकर मेनका रसोई में चली गई और अजय अपनी जाने की तैयारी करने लगा! मेनका अंदर ही अंदर बेहद खुश थी क्योंकि वो जानती थी कि अजय के जाने के बाद वो पूरी तरह से आजाद होगी क्योंकि उसके अलावा दूसरा कोई भी नीचे कक्ष में कभी नहीं जा सकता और वो आराम से साड़ी और रंगीन कपड़े पहन कर खुद को जी भर कर निहारेगी ! ये सब सोच सोच कर उसके जिस्म में उत्तेजना आ रही थी और जैसे ही खाना तैयार हुआ तो उसने अजय को दिया और दोनो मां बेटे ने साथ में खाना खाया और उसके बाद अजय बोला:"
" अच्छा माता मुझे आप अब जाने की इजाजत दीजिए! युवराज मेरी राह देख रहे होंगे!
मेनका ने उसका माथा चूम लिया और अजय राजमहल की तरफ बढ़ गया और विक्रम के साथ कुछ सैनिकों को लेकर अपने गंतव्य की तरफ कूच कर गया! वहीं दूसरी तरफ मेनका आज खुशी से फूली नही समा रही थी क्योंकि आज वो बिलकुल आजाद थी और को चाहे कर सकतीं थी!
उसके बदन में अजीब सी गुदगुदी हो गई थी और वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई और थोड़ी देर बाद ही वो चांद की तरह चमक रही थी और अपनी अलमारी से रंगीन साडिया निकालने लगी तभी घर के मुख्य दरवाजे पर दस्तक हुई और मेनका के हाथ रुक गए!
दो दासिया अंदर आ गई और बोली:" आपको राजमाता गायत्री देवी ने राज महल बुलाया हैं!
मेनका का दिल टूट सा गया क्योंकि आज सुनहरा अवसर उसके हाथ से निकल रहा था लेकिन राज हुक्म के चलते मजबूर थी तो बोली:"
" ठीक हैं आप थोड़ी देर रुको मैं आपके साथ चलती हु!
इतना कहकर वो फिर से सफेद कपड़े पहन कर तैयार हो गई और राजमहल की तरफ चल पड़ी! राजमहल जाकर वो गायत्री देवी के पास पहुंच गई और बोली:"
" क्या हुआ राजमाता ? आपने इतनी रात मुझे बुलाया ?
गायत्री:" सब ठीक ही हैं! बस मेरा युवरूज के बिन मन नही लग रहा था तो सोचा तुम्हे अपने पास बुला लू क्योंकि एक मां की हालत दूसरी मां ही बेहतर समझ सकती है, मैं सही कह रही हु ना!
मेनका:" बिलकुल राजमाता! आपने एकदम सत्य कहा!
उसके बाद बातचीत का दौर शुरू हो गया और दोनो एक दूसरे से देर रात तक बात करती करती सो गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम और अजय अपनी मंजिल रघुपुर पहुंच गए थे और सरपंच से मिले तो सरपंच बोला:"
" युवराज पहले इस तरह की कोई दिक्कत न थी लेकिन पिछले एक सप्ताह से औरते अचनाक गायब हो गई है जो काफी ढूंढने के बाद भी नही मिल रही है! आप ही अब कोई मदद कर सकते है! औरतों और लड़कियों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है डर के मारे युवराज!
विक्रम:" आप फिक्र नहीं करे, सब ठीक हो जाएगा!
विक्रम और अजय दोनो ने सही से स्थिति का जायजा लिया और उसके बाद दोनो सैनिकों के साथ उन्हे ढूंढने के लिए चल पड़े और रात के दो बजे तक जंगल और आस पास के कबीले की छान बीन करते रहे लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ तो दोनो ने रात्रि विश्राम की योजना बनाई और उसके बाद एक तंबू में दोनो लेटे हुए थे और विक्रम शहजादी के बारे में सोच रहा था कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी हैं जो उसे सलमा जैसी प्रेमिका मिली हैं! तभी अचानक बाहर से कुछ आवाजे आई और देखा कि कुछ लोग हिरणों का शिकार कर रहे थे और ये देखकर अजय और विक्रम दोनो सावधान हो गए क्योंकि उन्हे देखने से साफ अंदाजा हो गया था कि ये लोग पिंडारी हैं और पिंडारी लोग अपनी क्रूरता और बहादुरी के लिए बदनाम थे!
विक्रम ने अजय की तरफ देखा और अजय ने अपनी जादुई तलवार उठाई और उसके बाद दोनो सावधानी से आगे बढ़ गए और देखा कि तीन पिंडारी थे जिन्होंने हिरण का शिकार किया था और उसे कच्चा ही अपने नुकीले दांतो से खाने लगे! विक्रम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना धनुष बाण चलाया और दो पिंडारियो को मौत के घाट उतार दिया और बचा हुआ एक तलवार लेकर पागलों की तरह इधर उधर देखने लगा और बोला:"
" हिम्मत हैं तो बाहर आओ और मुकाबला करो!
उसकी बात सुनकर अजय तलवार लेकर उसके सामने पहुंच गया और देखते ही देखते एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और पिंडारी गजब की बहादुरी से अजय का सामना कर रहा था और विक्रम आराम से युद्ध को देख रहा था और आखिरकार अजय ने उसके हाथ पर वार किया और उसकी तलवार हाथ सहित नीचे गिर पड़ी और वो दर्द के कराह उठा तो अजय ने आगे बढ़कर तलवार को उसकी गर्दन पर टिका दिया और बोला:"
" तुम्हारी उदयगढ़ में घुसने की हिम्मत कैसे हुई?
पिंडारी:" हमसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो आप!
विक्रम:" क्या औरतों और लड़कियों को तुमने उठाया हैं ?
पिंडारी चुप रहा तो अजय ने तलवार की नोक को उसकी गर्दन में चुभो दिया तो खून की बूंदे चमक उठी और वो दर्द से तड़प कर बोला:"
" आह्ह्ह्ह्ह गलती हो गई मुझे छोड़ दो! आज के बाद ऐसा नही होगा!
अजय:" औरते और लड़कियां कहां हैं ये बताओ तो हम तुम्हे छोड़ देंगे!
पिंडारी:" वो सब यहां से चार किमी दूर एक जंगली कबीले में हैं और सुबह उन्हे पिंडारगढ़ ले जाया जाएगा!
अजय:" मुझे वहां लेकर चलो तो जिंदगी ईनाम में मिलेगी तुझे!
पिंडारी मान गया क्योंकि वो जानता था कि वहां करीब 20 के पास पास पिंडारी थे जो इन दोनो को आराम से मार देंगे और उसकी जान बच जायेगी!
पिंडारी उन्हें अपने हाथ लेकर चल पड़ा और जैसे ही दोनो काबिल पहुंचे तो अजय ने पिंडारी की गर्दन एक झटके के साथ उड़ा दी और उसके बाद दोनो के सावधानी से एक एक करके पिंडरियो को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया और देखते हो करीब दस पिंडारी मारे गए और अब उन्हें औरते नजर आ रही थी और करीब 10 पिंडारी वहीं पहरा दे रहे थे! अजय और विक्रम ने बिना देर किए सीधाउन पर धावा बोल दिया और एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और तलवारे हवा में लहराने लगी! पिंडारी बेहद चुस्ती और बहादुरी से लड़ रहे थे लेकिन उनका सामना एक तरफ युवराज विक्रम से था जो बेहद जोशीला और ताकतवर होने के साथ तेज दिमाग भी था और दूसरी तरफ अजय जिससे हाथ में जादुई तलवार थी तो पिंडारियो की लाशे गिरने लगी और देखते ही देखते करीब आठ पिंडारी मौत के घाट उतार दिए गए और बाकी दोनो घायल होकर तड़प रहे थे और जान की भीख मांग रहे थे
" हमे मत मारो नही तो पूरे उदयगढ़ को तबाह कर दिया जाएगा!
उनकी बात सुनकर विक्रम की आंखो में खून उतर आया और उसने तलवार का भरपूर वार उसकी गर्दन पर किया और दूसरा पिंडारी डर से कांपता हुआ उसके पैरो में गिर पड़ा और बोला"
" मुझे माफ कर दो! मुझे मत मारो!
अजय:" तुम औरतों और लड़कियों को क्यों उठा रहे थे?
पिंडारी:" सरदार का हुक्म था क्योंकि पिंडारी बिना औरते के जिंदा नही रह सकते! मुझे जाने दीजिए!
अजय ने उसकी गर्दन को भी उड़ा दिया और उसके बाद सभी औरतों और लड़कियों को साथ में लेकर सरदार के हवाले किया और साथ आए सभी सैनिकों को गांव की सुरक्षा में छोड़कर अगले दिन शाम को वापिस राजमहल की तरफ लौट पड़े!
दूसरी तरफ पिंडारियो का सरदार पिंडाला सेक्स से व्याकुल था और उसे किसी भी कीमत पर औरत या लकड़ी चाहिए थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा दुख अपने आदमियों की मौत का था और उसने फैसला किया कि वो अपने सभी आदमियों की मौत के बदला लेगा और अपने आदमियों के साथ युद्ध की तैयारी करने लगा लेकिन जैसे ही ये खबर जब्बार तक पहुंची तो जब्बार पिंडरागढ़ पहुंच गया और पिंडाला के सामने सिर झुकाकर बोला:"
" महाराज मैने सुना है कि अजय को उसके पुरखो की जादुई तलवार मिली हुई हैं जिसकी वजह से आपके इतने आदमी मारे गए हैं! अभी युद्ध करना सही नहीं होगा!
पिंडाला:" तो क्या हम सिर्फ एक तलवार की वजह से चुप हो जाए! नही जब्बार नहीं, हम उदयगढ़ में खून की नदिया बहा देंगे आज!
जब्बार:" मुझे आपकी ताकत पर पूरा भरोसा है लेकिन आप जीतकर भी नुकसान में रहोगे क्योंकि आपके आधे से ज्यादा सैनिक मारे जायेंगे लेकिन अगर किसी तरह अजय के हाथ में तलवार न रहे तो हम आराम से जीत जायेंगे जैसे हमने उसके बाप को मारा था ठीक वैसे ही कुछ सोचना पड़ेगा,!
पिंडाला को उसकी बात सही लगी और बोला:" ठीक हैं लेकिन मुझे किसी भी कीमत एक औरत चाहिए मेरे जिस्म की आग मुझे पागल कर रही है!
जब्बार उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और बोला:"
" आप चिंता न करें शाम तक एक नही बल्कि दो खूबसूरत हसीना आपके पास पहुंच जायेगी!
उसकी बात सुनकर पिंडाला जोर से हंस पड़ा और बोला :"
" जब्बार सुना है तेरी बीवी शमा ने सलीम को अपना दीवाना बना रखा है पिछले कुछ सालों से! सुना हैं वो मुंह में लेकर चूसती भी है, हमे तो आज तक ऐसी कोई नही मिली !
शमा का नाम सुनते ही जब्बार के शरीर का खून जाम सा हो गया और डरते हुए बोला:"
" ऐसा गजब ना कीजिए महराज, वो मेरी बीवी हैं!
सरदार:" साले जब वो सलीम का लंड चूसती है तब तेरी बीवी नही होती है क्या ? मेरा चूस लेगी तो क्या उसके मुंह में कीड़े पड़ जायेंगे ? दो घंटे के अंदर मुझे शमा चाहिए! नही तो तुम जानते हो कि मैं क्या कर सकता हूं जब्बार!
जब्बार कुछ नहीं बोला और सिर झुकाकर वापिस आ गया और उदास मन से अपने राज्य की तरफ वापस लौट पड़ा! वो अच्छे से जानता था कि शमा को पिंडाला के पास भेजने का मतलब था शमा की बरबादी और उसकी दर्दनाक मौत! पिंडाला सेक्स करते हुए भूखा भेड़िया बन जाता था और उसने बहुत सारी औरतों को जोश और उत्तेजना के कारण मार दिया था!
जब्बार के पास दूसरा कोई उपाय नहीं था तो राज्य वापिस आया और शमा को बोला:"
" आप जल्दी से तैयार हो जाओ हम एक समारोह में जायेंगे!
शमा खुशी से भर गई और जल्दी जल्दी तैयार होने लगी और जब्बार उसे देखकर सोच रहा था कि काश इसे पता होता कि मैं इसे कहां ले जा रहा हूं तो कभी तैयार नहीं होती! शमा को साथ लेकर जब्बार अपनी बग्गी पर निकल गया और पिंडारगढ की तरफ बढ़ गया!