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Incest शहजादी सलमा

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शमा खुशी से चहकती हुई बग्गी में जा रही थी और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि एक लंबे अरसे के बाद जब्बार उसे बाहर घुमाने ले जा रहा था! करीब एक घंटे के बाद बग्गी जंगल से गुजर कर पिंडारियो के इलाके मे दाखिल हो गई तो शमा का माथा ठनका कि ये जब्बार आखिर जा कहां रहा हैं तो बोली:"

" आखिर हम जा कहां रहे हैं? राज्य तो हमसे बहुत पीछे छूट गया है और ये तो खूंखार पिंडारियो का इलाका लगता हैं मुझे जब्बार!

जब्बार:" बस थोड़ी ही देर में हम पहुंचने वाले हैं! डरो मत मैं हु ना तो कोई दिक्कत नही होगी!

शमा को उसकी बात सुनकर थोड़ा सुकून मिला लेकिन उसके दिल में एक डर सा बैठ गया था क्योंकि हवस के भूखे पिंडारी उसे घूरे जा रहे थे और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे जिससे शमा की हालत खराब हो गई थी और वो कांप रही थी! चलते चलते एक बड़े से महल के सामने बग्गी रुक गई और देखते ही देखते बग्गी को पिंडारियो ने चारो तरफ से घेर लिया तो शमा के मुंह से डर के मारे चींख निकल पड़ी और वो जब्बार से लिपट गई और बोली:" ये कहना बग्गी को रोक दिया जब्बार ? ये लोग हमे जिंदा खा जाएंगे!

पिंडारियो के शरीर से उठती हुई बदबू शमा से सहन नही हुई तो उसने मुंह को पकड़े से बांध लिया और जब्बार को झिंझोड़ते हुए बोली:" आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो ? आखिर ये सब क्या हो रहा है यहां?

जब्बार ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़कर बग्गी से उतरा और शमा को चारो तरफ से लोगो ने घेर लिया था और डरती हुई शमा जब्बार के साथ महल के अंदर दाखिल हो गई और बदबू से उसका सिर फटा जा रहा था लेकिन किसी तरह खुद को संभाले हुए थी! जब्बार चलते हुए एक आलीशान कक्ष की तरफ बढ़ गया और शमा बद हवास सी उसके साथ खिंची चली जा रही थी और दोनो अब पिंडाला के सामने खड़े हुए थे और शमा को देखते ही वो उसकी खूबसूरती पर झूम उठा और बोला"

" वाह जब्बार वाह, असली खज़ाना तो तूने अपने घर में छिपा रखा था! मजा आ जायेगा इसके साथ तो पूरा आज!

पिंडाला करीब आठ फीट का चौड़ी डील का राक्षस सा दिखने वाला गंदा और गलीच इंसान था जिसे देखकर शमा को चक्कर से आने लगे थे और उसकी बात सुनकर शमा समझ गई कि जब्बार ने उसे धोखा दिया है वो बेहोश होती चली गई!

करीब एक घंटे के बाद उसे होश आया तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि वो बिलकुल नंगी बेड पर बंधी पड़ी हुई थी और चाहकर हिल भी नहीं सकती थी बस सिर्फ अपनी गर्दन उठा कर इधर उधर देख सकती थी और उसने देखा कि सामने पिंडाला बिलकुल नंगा हुए अपना राक्षसी लंड हिला था जिसे देखकर शमा के मुंह से चींख निकल पड़ी और जोर जोर से चिल्लाने लगी

" जब्बार कहां हो तुम? बचाओ मुझे जब्बार ! तुम मुझे धोखा नही दे सकते!

पिंडाला खड़ा हुआ और उसका लंड उसके घुटनो तक आ गया और चलते हुए उसकी जांघो के बीच आ गया और बोला:"

" जब्बार तुम्हे मेरी रखैल बनाकर चला गया! आज के बाद तुम मरते दम तक पिंडाला के नीचे पड़ी रहोगी!

उसके बाद पिंडाला ने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और धक्का मार दिया तो शमा गला फाड़कर चींख उठी क्योंकि एक ही बार में संपूर्ण लंड घुस गया और उसके चूत के होंठ फटते चले गए और खून बाहर आने लगा! दर्द से चिल्लाती हुई शमा बेहोश होती चली गई और पिंडाला ने बिना परवाह किए उसकी चूत को फाड़ना शुरू कर दिया और बेहोशी में भी शमा चींखती रही लेकिन पिण्डाला इंसान नही जानवर था और उसकी चूत मे लगा रहा धक्के मारने! चूत से खून निकल कर उसकी जांघो को भिगो दिया था और पिण्डाला उसे चोदता रहा ! बीच बीच में वो होश में आती और फिर से बेहोश हो जाती! आखिरकार करीब एक घंटे की चूत फाड़ चुदाई के बाद पिंडाला ने उसकी चूत को भर दिया और शमा को खोल दिया तो शमा होश में आ गई और खड़ी होने की कोशिश करने लगी लेकिन गिर पड़ी क्योंकि उसकी टांगो में ताकत नही बच गई थी और पिंडाला उसकी जांघों पर फैले खून को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके बाद शमा रोने लगी तो उसने शमा को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया और खुद भी उसमे कूद गया और शमा को पकड़ लिया और शमा चाह कर खुद को नही छुड़ा सकी और पिंडाला ने उसकी टांग को उठाते हुए लंड को घुसा डाला और दर्द से तड़प कर शमा चिल्ला पड़ी लेकिन इंसान हो तो कोई दया आए वो तो शैतान था और उसे चोदता रहा! शमा रोती रही लेकिन पिण्डाला तब तक नही रुका जब तक उसकी चूत को अपने माल से नही भर दिया!

बेहोश शमा को उसने बिस्तर पर पटक दिया और खाना खाने चला गया! उसके एक बूढ़े सेवक ने शमा को थोड़ा पानी पिया और कुछ खाने को दिया तो शमा रोने लगी और बोली:"

" मुझे मार डालो, कम से कम इस दर्द को झेलने से तो बच जाऊंगी!

बूढ़ा:" पिंडाला से चुदना सौभाग्य की बात होती है! तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे उसका लंड मिला !

शमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" कितने घटिया इंसान हो तुम सब! एक दिन तुम्हे तुम्हारे किए की सजा जरूर मिलेगी!

बूढ़े ने शमा को अच्छे से साफ किया और शमा का बदन चमक उठा और अंदर आते ही पिण्डाला ने उसकी चूत को चोदना शुरु कर दिया और शमा दर्द से मरने जैसी हालत में पहुंच गई और पूरी रात में करीब पांच बार उसे पिण्डाला ने चोद कर उसकी चूत का कबाड़ा कर दिया! शमा मन ही मन मौत की दुआ मांग रही थी लेकिन इतनी आसानी से उसे मौत भी मिलने वाली नही थी!

दूसरी तरफ अजय और विक्रम चलते हुए एक बाजार से गजरे तो विक्रम ने अजय को रुकने का इशारा किया और दोनो रुक गए और विक्रम बाजार में घूमने लगा! काफी सारी दुकानें लगी हुई थी और विक्रम एक दुकान से ज्वेलरी खरीदने लगा तो अजय ने सोचा कि वो राजमाता के लिए खरीद रहा होगा तो उसने भी अपनी मां मेनका के लिए कुछ खरीदने का सोचा और फिर उसने करीब चार दर्जन सुंदर कांच की चूड़ियां खरीद ली और उसके बाद बाजार में घूमने लगा! विक्रम ने सलमा के लिए ढेर सारा सामान लिया और अजय के पास आ गया और दोनो दोस्त महल की तरफ चल पड़े! रात में करीब दस बजे दोनो महल पहुंचे और राजमाता को सारी जानकारी दी तो राजमाता खुश हुई और बोली:"

" शाबाश मेरे बेटो! आज आप दोनो ने उदयगढ़ का नाम सही में रोशन किया है!

अजय राजमाता के मुंह से अपने लिए बेटा सुनकर गदगद हो गया और मेनका भी मुस्कुरा उठी क्यूंकि ये उसके लिए फख्र की बात थी और बोली:"

" सच में आप दोनो ने जिस तरह से औरतों की इज्जत बचाई हैं वो कबीले तारीफ हैं!

अजय और विक्रम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और ग्रह मिलाकर बोले:"

" आप माताओं का प्यार और आशीर्वाद चाहिए बस! किसी भी औरत के साथ कोई अन्याय नहीं होगा!

राजमाता:" हम आपके साथ हैं बेटा, हमेशा! पिंडारियो को मारना आसान काम नहीं है लेकिन तुम दोनो ने किया हैं लेकिन सावधान रहना क्योंकि पिंडारी जरूरी बड़ा हमला करेंगे! क्यों मैं सच कह रही हु ना बहन मेनका ?

मेनका के लिए पहली बार राजमाता ने बहन शब्द का इस्तेमाल किया था और ये सब अजय की बहादुरी के कारण हो रहा था तो मेनका बेहद खुश हुई और बोली:"

" बिलकुल पिंडारी के हमले में हम दोनो भरी जवानी में विधवा हुई थी और आप दोनो को उसका बदला लेना होगा तभी जाकर हमे सुकून मिलेगा!

अजय:" मैं आपकी कसम खाता हूं माता कि आपकी मांग उजाड़ने वालो को दुनिया उजाड़ दूंगा!

विक्रम:" आपके एक आंसू के बदले 1000 आंसुओं का हिसाब होगा राजमाता!

राजमाता:" ईश्वर आप दोनो को कामयाब करे! एक काम करो खाना बन गया है तो आज सब साथ ही खाते हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर खुशी से मन ही मन झूम उठी क्योंकि आज पहली बार वो राज खाना खाने जा रही थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! हम दोनो घर ही खाना खायेंगे!

विक्रम:" नही ऐसा नही होगा आप दोनो हमारे साथ ही खाना खायेंगे बस बात खत्म!

मेनका कुछ न बोली और उसके बाद सबने साथ में खाना खाया और मेनका सच में अपने आपको बेहद खुश नसीब महसूस कर रही थी! आज अजय की इज्जत मेनका की नजरो में कई गुना बढ़ गई थीं क्योंकि उसकी बहादुरी के कारण ही उसे आज का दिन नसीब हुआ था! खाना खाने के बाद राजमाता बोली :"

" अजय आप दोनो आज यही हमारे साथ ही राजमहल में सो जाओ! रात भी काफी हो गई है!

अजय ने मेनका की तरफ देखा तो मेनका ने उसे इशारे से मना कर दिया तो अजय बोला:"

" क्षमा चाहता हूं राजमाता लेकिन मैं अपने घर पर ही सोना पसंद करूंगा!

उसके बाद दोनो मा बेटे अपने घर की तरफ लौट पड़े और घर पहुंच कर मेनका बोली:"

" पुत्र आज तो कमाल हो गया! सच में पहली बार मैने राजमाता के साथ खाना खाया!

अजय:" सच में राजमाता दिल की बहुत अच्छी हैं! ईश्वर उन्हे खुश रखे!

मेनका:" हान बेटा और पता हैं आज उन्होंने मुझे बहन कहके पुकारा है! सच में आपकी वजह से मुझे बेहद इज्जत मिली है पुत्र!


इतना कहकर उसने अजय का माथा चूम लिया और बोली:"

" अच्छा अब आप आराम करो थक गए होंगे दिन दिन से सोए नही हो ना पुत्र!

अजय को अचानक से चूड़ियों की याद आई और बोला:"

" माता मैं तो भूल ही गया कि मैं आपके कुछ लेकर आया हु!

इतना कहकर वो उठा और अलमारी से कांच की चूड़ियां निकाली जो बेहद सुर्ख लाल रंग की थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" माता देखो कितनी खूबसूरत चूड़ियां हैं, जब आप लाल रंग की साड़ी के साथ पहनोगी तो बेहद खूबसूरत लगोगी आप!

उसकी बात सुनकर मेनका शर्म से लजा गई और बोली;"

" कुछ तो शर्मा किया करो, कुछ भी बोल देते हो पुत्र आप! इतनी भी सुंदर नही हु मैं !

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और चूड़ियां उसके हाथ से लगाते हुए बोला:" देखो ना माता कितनी खूबसूरत लगेगी आपके हाथो में ये लाल रंग की बिरंगी चूड़ियां! एक बार पहन कर दिखाए न

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" अच्छा ठीक है रुको मैं पहन लेती हूं!

इतना कहकर मेनका चूड़ियां पहनने लगी और अजय भी उसकी मदद करने लगा और देखते ही देखते मेनका के दोनो हाथ चुड़ियो से भर गए और बेहद खूबसूरत लग रहे थे तो अजय उसके हाथो को पकड़कर बोला:"

" कैसी लगी आपको ये चूड़ियां माता?

मेनका ने अपनी कलाइयों को देखा जो बेहद खूबसूरत लग रही थी और बोली:"

" बेहद खूबसूरत! अब खुश हो न आप पुत्र!

अजय:" हान माता खुश हु लेकिन आप जब इनके साथ लाल रंग की साड़ी पहनेगी तब देखना कितनी खूबसूरत जचेगी ये आप पर!

मेनका उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर रोमांच से भर गई और बोली:" अच्छा जी, चलो अब आप आराम कर लो रात काफी हो गई है!

अजय अपने कक्ष में आ गया और रात धीरे धीरे गहराने लगी और दूसरी तरफ मेनका कल से ही बेचैन थी जबसे उसने लाल रंग की साड़ी को देखा था क्योंकि लाल रंग की साड़ी उसकी पसंदीदा हुआ करती थी और वो ये देखने के लिए मरी जा रही थी लाल रंग की साड़ी के साथ ये लाल रंग की चूड़ियां कैसी लगेगी! लेकिन कल राजमाता के द्वारा बुलाए जाने के कारण वो साड़ी नही पहन सकी थी लेकिन आज इसके पास अच्छा मौका था लेकिन बस एक ही दिक्कत थी कि उसे अजय का डर था!

लेकिन मेनका का दिल इसे तसल्ली दे रहा था कि अजय तो दो रात से सोया नही हैं तो आज तो बेड पर गिरते ही नींद के आगोश में चला जायेगा और ये सब सोचते ही उसके होंठ मुस्कुरा पड़े और मेनका रात पूरी तरह से गहराने का इंतजार करने लगी! करीब एक घंटे बाद वो धीरे से अपने कक्ष के परदे हटाकर बाहर आई और अजय के कक्ष में झांका तो उसे अजय के जोरदार खर्राटे सुनाई पड़े और मेनका के होंठो को मुस्कान आ गई और उसके कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ गए और कांपते हाथों से उसने धड़कते दिल के साथ साड़ी निकाली और नीचे की तरफ चल पड़ी! मेनका धीरे धीरे नीचे कक्ष में पहुंच गई और शीशे में देखते हुए साड़ी को पहन लिया और उसकी आंखो मे चमक उभर आई! लाल हो की चूड़ियों से मिलती हुई उसकी साड़ी उसके बदन पर बेहद आकर्षक लग रही थी और मेनका खुद पर ही आकर्षित हुई जा रही थी!

मेनका बार बार खुद को कभी दांए से तो कभी बांए से पलट पलट कर देख रहीं थी और उसके तन बदन के अंदर अजीब सी गुदगुदी मची हुई थी और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई और उनसे खुशी से झूमना शुरू कर दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां नजर आने लगी और अजय छुपा हुआ ये सब देख रहा था और सोच रहा था कि उसकी मां सच में बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं!

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झूमती हुई मेनका को पर्दा हिलता हुआ महसूस हुआ और वो समझ गई कि अजय उसे छुप कर देख रहा है तो उसे बेहद शर्म आई और झूमना बंद कर दिया लेकिन शीशे के सामने खड़ी रही और खुद को निहारती रही! पिछली बार के मुकाबले आज ये जानकर कि उसका बेटा उसे देख रहा है वो काफी हद तक सहज महसूस कर रही थीं और आखिर में वो उपर की तरफ जाने लगी तो अजय तेजी से उपर आया और गैलरी में खड़ा हो गया और जैसे ही मेनका उसके पास से गुजरी तो मेनका ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसका पकड़ कर धीरे से बोली:"

" थोड़ी देर पहले तो बड़ी नींद आ रही थीं और अब यहां छुपे खड़े हुए हो पुत्र आप!

अजय समझ गया कि उसकी चोरी आज फिर पकड़ी गई है तो धीरे से बोला:"

" वो आंख खुल गई तो सुसु करने के लिए आया था!

अजय का साफ झूठ मेनका समझ गई और बोली:"

" मानना पड़ेगा आपको पुत्र, ये जानते हुए भी कि मैं सच जानती हूं फिर भी आप झूठ बोलने की हिम्मत कर सकते हो! मैं जानती हूं कि आप मुझे नीचे देख रहे थे

अजय: वो गलती हो गई मुझसे, क्षमा चाहता हूं! कान छोड़ दीजिए ना आप

मेनका ने उसका कान छोड़ दिया और बोली:" लेकिन आप हमे ऐसे छिप कर क्यों देखते हो पुत्र?

अजय:" माता बात ये है कि आप रंगीन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती है और मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं!

मेनका उसकी बात सुनकर अपनी सुन्दरता पर अभिमानित हुई और बोली:" लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि हम आपकी माता हैं और आपको हमे ऐसे देखना शोभा नहीं देता हैं पुत्र!

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसकी चूड़ियों से मधुर आवाज आई और बोला:"

" माता मैं सब समझता हूं लेकिन चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं ! देखिए आपकी चूड़ियां कितना मधुर खनक रही है!

मेनका ने उसकी बात सुनकर जान बूझकर अपनी चूड़ियों को थोड़ा जोर से खनका दिया और बोली:" लेकिन फिर भी आपको समझना चाहिए कि कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

मेनका को एहसास हुआ है उसने गलत बोल दिया है लेकिन तब तक तीर कमान से निकल गया था और अजय उसके हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फांसते हुए बोला:"

" माता आप निश्चित रहे किसी को कभी पता नहीं चलेगा! जिस तरह से आपको खुद को शीशे में देखना अच्छा लगता है उसी तरह से मुझे आपको देखना अच्छा लगता है माता!

अजय की बात सुनकर मेनका बोली:" लेकिन पुत्र आपको...

अजय ने उसकी बात को बीच में ही काट दिया और बोला:"

" कल दिन में मैं आपके लिए बड़ा शीशा लगा दूंगा माता ताकि आप खुद को अच्छे से देख सके!

मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन अंधेरे के कारण अजय नही पाया और मेनका बोली:"

" और आप मुझे छिप कर देख सके इसलिए ये सब कर रहे हो ना पुत्र! चलो रात बहुत हो गई है अब सो जाओ!

इतना कहकर मेनका जाने लगी तो अजय ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय बोला:"

" ज्यादा नींद आ रही है क्या आपको माता?

मेनका का बदन कांप उठा और बोली:" हान नींद आ रही है मुझे जाने दीजिए ना पुत्र आप!

अजय ने उसके एक कंधे को पकड़ लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" सो जाना आप माता लेकिन बस एक बात बता दीजिए कि माता कल आप जब नए बड़े शीशे के सामने लाल रंग की साड़ी के साथ रंग की चूड़ियां पहनोगी तो मैं आपको देख सकता हूं क्या ?

अजय की बात सुनकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" नही मैं खुद को नही देखूंगी शीशे के सामने!

अजय ने दूसरा हाथ भी उसके कंधे पर टिका दिया और दोनो अब एक दूसरे के बिलकुल सामने खड़े हुए थे और मेनका की सांसों का शोर अजय को साफ महसूस हो रहा था और बोला:"

" मेरी कसम खाओ आप कि आप खुद को शीशे में नही देखोगी

इतना कहकर अजय ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख दिया तो मेनका ने फौरन अपना हाथ पीछे खींच लिया और धीरे से उसके कान में बोली:

" देखूंगी और आप भी देख लेना पुत्र लेकिन छुपकर नही तो मुझे बेहद शर्म आयेगी!

इतना कहकर उसने अजय के गाल को चूम लिया और अपना हाथ छुड़ा कर अपने कक्ष में घुस गई और अजय ने अपने गाल को छुआ तो उसे अपने गाल पर गीला गीला लगा और उसकी उंगलियां उसकी मां के मुंह की लार से चिकनी हो गई तो उसे एहसास हुआ कि मेनका ने उसे सिर्फ भावावेश में नही बल्कि पूर्ण उत्तेजना के साथ चूमा था और ये सोचते ही अजय खुशी से झूम उठा और और अपने कक्ष में आकर आराम करने लगा!
 
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शमा खुशी से चहकती हुई बग्गी में जा रही थी और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि एक लंबे अरसे के बाद जब्बार उसे बाहर घुमाने ले जा रहा था! करीब एक घंटे के बाद बग्गी जंगल से गुजर कर पिंडारियो के इलाके मे दाखिल हो गई तो शमा का माथा ठनका कि ये जब्बार आखिर जा कहां रहा हैं तो बोली:"

" आखिर हम जा कहां रहे हैं? राज्य तो हमसे बहुत पीछे छूट गया है और ये तो खूंखार पिंडारियो का इलाका लगता हैं मुझे जब्बार!

जब्बार:" बस थोड़ी ही देर में हम पहुंचने वाले हैं! डरो मत मैं हु ना तो कोई दिक्कत नही होगी!

शमा को उसकी बात सुनकर थोड़ा सुकून मिला लेकिन उसके दिल में एक डर सा बैठ गया था क्योंकि हवस के भूखे पिंडारी उसे घूरे जा रहे थे और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे जिससे शमा की हालत खराब हो गई थी और वो कांप रही थी! चलते चलते एक बड़े से महल के सामने बग्गी रुक गई और देखते ही देखते बग्गी को पिंडारियो ने चारो तरफ से घेर लिया तो शमा के मुंह से डर के मारे चींख निकल पड़ी और वो जब्बार से लिपट गई और बोली:" ये कहना बग्गी को रोक दिया जब्बार ? ये लोग हमे जिंदा खा जाएंगे!

पिंडारियो के शरीर से उठती हुई बदबू शमा से सहन नही हुई तो उसने मुंह को पकड़े से बांध लिया और जब्बार को झिंझोड़ते हुए बोली:" आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो ? आखिर ये सब क्या हो रहा है यहां?

जब्बार ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़कर बग्गी से उतरा और शमा को चारो तरफ से लोगो ने घेर लिया था और डरती हुई शमा जब्बार के साथ महल के अंदर दाखिल हो गई और बदबू से उसका सिर फटा जा रहा था लेकिन किसी तरह खुद को संभाले हुए थी! जब्बार चलते हुए एक आलीशान कक्ष की तरफ बढ़ गया और शमा बद हवास सी उसके साथ खिंची चली जा रही थी और दोनो अब पिंडाला के सामने खड़े हुए थे और शमा को देखते ही वो उसकी खूबसूरती पर झूम उठा और बोला"

" वाह जब्बार वाह, असली खज़ाना तो तूने अपने घर में छिपा रखा था! मजा आ जायेगा इसके साथ तो पूरा आज!

पिंडाला करीब आठ फीट का चौड़ी डील का राक्षस सा दिखने वाला गंदा और गलीच इंसान था जिसे देखकर शमा को चक्कर से आने लगे थे और उसकी बात सुनकर शमा समझ गई कि जब्बार ने उसे धोखा दिया है वो बेहोश होती चली गई!

करीब एक घंटे के बाद उसे होश आया तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि वो बिलकुल नंगी बेड पर बंधी पड़ी हुई थी और चाहकर हिल भी नहीं सकती थी बस सिर्फ अपनी गर्दन उठा कर इधर उधर देख सकती थी और उसने देखा कि सामने पिंडाला बिलकुल नंगा हुए अपना राक्षसी लंड हिला था जिसे देखकर शमा के मुंह से चींख निकल पड़ी और जोर जोर से चिल्लाने लगी

" जब्बार कहां हो तुम? बचाओ मुझे जब्बार ! तुम मुझे धोखा नही दे सकते!

पिंडाला खड़ा हुआ और उसका लंड उसके घुटनो तक आ गया और चलते हुए उसकी जांघो के बीच आ गया और बोला:"

" जब्बार तुम्हे मेरी रखैल बनाकर चला गया! आज के बाद तुम मरते दम तक पिंडाला के नीचे पड़ी रहोगी!

उसके बाद पिंडाला ने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और धक्का मार दिया तो शमा गला फाड़कर चींख उठी क्योंकि एक ही बार में संपूर्ण लंड घुस गया और उसके चूत के होंठ फटते चले गए और खून बाहर आने लगा! दर्द से चिल्लाती हुई शमा बेहोश होती चली गई और पिंडाला ने बिना परवाह किए उसकी चूत को फाड़ना शुरू कर दिया और बेहोशी में भी शमा चींखती रही लेकिन पिण्डाला इंसान नही जानवर था और उसकी चूत मे लगा रहा धक्के मारने! चूत से खून निकल कर उसकी जांघो को भिगो दिया था और पिण्डाला उसे चोदता रहा ! बीच बीच में वो होश में आती और फिर से बेहोश हो जाती! आखिरकार करीब एक घंटे की चूत फाड़ चुदाई के बाद पिंडाला ने उसकी चूत को भर दिया और शमा को खोल दिया तो शमा होश में आ गई और खड़ी होने की कोशिश करने लगी लेकिन गिर पड़ी क्योंकि उसकी टांगो में ताकत नही बच गई थी और पिंडाला उसकी जांघों पर फैले खून को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके बाद शमा रोने लगी तो उसने शमा को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया और खुद भी उसमे कूद गया और शमा को पकड़ लिया और शमा चाह कर खुद को नही छुड़ा सकी और पिंडाला ने उसकी टांग को उठाते हुए लंड को घुसा डाला और दर्द से तड़प कर शमा चिल्ला पड़ी लेकिन इंसान हो तो कोई दया आए वो तो शैतान था और उसे चोदता रहा! शमा रोती रही लेकिन पिण्डाला तब तक नही रुका जब तक उसकी चूत को अपने माल से नही भर दिया!

बेहोश शमा को उसने बिस्तर पर पटक दिया और खाना खाने चला गया! उसके एक बूढ़े सेवक ने शमा को थोड़ा पानी पिया और कुछ खाने को दिया तो शमा रोने लगी और बोली:"

" मुझे मार डालो, कम से कम इस दर्द को झेलने से तो बच जाऊंगी!

बूढ़ा:" पिंडाला से चुदना सौभाग्य की बात होती है! तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे उसका लंड मिला !

शमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" कितने घटिया इंसान हो तुम सब! एक दिन तुम्हे तुम्हारे किए की सजा जरूर मिलेगी!

बूढ़े ने शमा को अच्छे से साफ किया और शमा का बदन चमक उठा और अंदर आते ही पिण्डाला ने उसकी चूत को चोदना शुरु कर दिया और शमा दर्द से मरने जैसी हालत में पहुंच गई और पूरी रात में करीब पांच बार उसे पिण्डाला ने चोद कर उसकी चूत का कबाड़ा कर दिया! शमा मन ही मन मौत की दुआ मांग रही थी लेकिन इतनी आसानी से उसे मौत भी मिलने वाली नही थी!

दूसरी तरफ अजय और विक्रम चलते हुए एक बाजार से गजरे तो विक्रम ने अजय को रुकने का इशारा किया और दोनो रुक गए और विक्रम बाजार में घूमने लगा! काफी सारी दुकानें लगी हुई थी और विक्रम एक दुकान से ज्वेलरी खरीदने लगा तो अजय ने सोचा कि वो राजमाता के लिए खरीद रहा होगा तो उसने भी अपनी मां मेनका के लिए कुछ खरीदने का सोचा और फिर उसने करीब चार दर्जन सुंदर कांच की चूड़ियां खरीद ली और उसके बाद बाजार में घूमने लगा! विक्रम ने सलमा के लिए ढेर सारा सामान लिया और अजय के पास आ गया और दोनो दोस्त महल की तरफ चल पड़े! रात में करीब दस बजे दोनो महल पहुंचे और राजमाता को सारी जानकारी दी तो राजमाता खुश हुई और बोली:"

" शाबाश मेरे बेटो! आज आप दोनो ने उदयगढ़ का नाम सही में रोशन किया है!

अजय राजमाता के मुंह से अपने लिए बेटा सुनकर गदगद हो गया और मेनका भी मुस्कुरा उठी क्यूंकि ये उसके लिए फख्र की बात थी और बोली:"

" सच में आप दोनो ने जिस तरह से औरतों की इज्जत बचाई हैं वो कबीले तारीफ हैं!

अजय और विक्रम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और ग्रह मिलाकर बोले:"

" आप माताओं का प्यार और आशीर्वाद चाहिए बस! किसी भी औरत के साथ कोई अन्याय नहीं होगा!

राजमाता:" हम आपके साथ हैं बेटा, हमेशा! पिंडारियो को मारना आसान काम नहीं है लेकिन तुम दोनो ने किया हैं लेकिन सावधान रहना क्योंकि पिंडारी जरूरी बड़ा हमला करेंगे! क्यों मैं सच कह रही हु ना बहन मेनका ?

मेनका के लिए पहली बार राजमाता ने बहन शब्द का इस्तेमाल किया था और ये सब अजय की बहादुरी के कारण हो रहा था तो मेनका बेहद खुश हुई और बोली:"

" बिलकुल पिंडारी के हमले में हम दोनो भरी जवानी में विधवा हुई थी और आप दोनो को उसका बदला लेना होगा तभी जाकर हमे सुकून मिलेगा!

अजय:" मैं आपकी कसम खाता हूं माता कि आपकी मांग उजाड़ने वालो को दुनिया उजाड़ दूंगा!

विक्रम:" आपके एक आंसू के बदले 1000 आंसुओं का हिसाब होगा राजमाता!

राजमाता:" ईश्वर आप दोनो को कामयाब करे! एक काम करो खाना बन गया है तो आज सब साथ ही खाते हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर खुशी से मन ही मन झूम उठी क्योंकि आज पहली बार वो राज खाना खाने जा रही थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! हम दोनो घर ही खाना खायेंगे!

विक्रम:" नही ऐसा नही होगा आप दोनो हमारे साथ ही खाना खायेंगे बस बात खत्म!

मेनका कुछ न बोली और उसके बाद सबने साथ में खाना खाया और मेनका सच में अपने आपको बेहद खुश नसीब महसूस कर रही थी! आज अजय की इज्जत मेनका की नजरो में कई गुना बढ़ गई थीं क्योंकि उसकी बहादुरी के कारण ही उसे आज का दिन नसीब हुआ था! खाना खाने के बाद राजमाता बोली :"

" अजय आप दोनो आज यही हमारे साथ ही राजमहल में सो जाओ! रात भी काफी हो गई है!

अजय ने मेनका की तरफ देखा तो मेनका ने उसे इशारे से मना कर दिया तो अजय बोला:"

" क्षमा चाहता हूं राजमाता लेकिन मैं अपने घर पर ही सोना पसंद करूंगा!

उसके बाद दोनो मा बेटे अपने घर की तरफ लौट पड़े और घर पहुंच कर मेनका बोली:"

" पुत्र आज तो कमाल हो गया! सच में पहली बार मैने राजमाता के साथ खाना खाया!

अजय:" सच में राजमाता दिल की बहुत अच्छी हैं! ईश्वर उन्हे खुश रखे!

मेनका:" हान बेटा और पता हैं आज उन्होंने मुझे बहन कहके पुकारा है! सच में आपकी वजह से मुझे बेहद इज्जत मिली है पुत्र!


इतना कहकर उसने अजय का माथा चूम लिया और बोली:"

" अच्छा अब आप आराम करो थक गए होंगे दिन दिन से सोए नही हो ना पुत्र!

अजय को अचानक से चूड़ियों की याद आई और बोला:"

" माता मैं तो भूल ही गया कि मैं आपके कुछ लेकर आया हु!

इतना कहकर वो उठा और अलमारी से कांच की चूड़ियां निकाली जो बेहद सुर्ख लाल रंग की थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" माता देखो कितनी खूबसूरत चूड़ियां हैं, जब आप लाल रंग की साड़ी के साथ पहनोगी तो बेहद खूबसूरत लगोगी आप!

उसकी बात सुनकर मेनका शर्म से लजा गई और बोली;"

" कुछ तो शर्मा किया करो, कुछ भी बोल देते हो पुत्र आप! इतनी भी सुंदर नही हु मैं !

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और चूड़ियां उसके हाथ से लगाते हुए बोला:" देखो ना माता कितनी खूबसूरत लगेगी आपके हाथो में ये लाल रंग की बिरंगी चूड़ियां! एक बार पहन कर दिखाए न

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" अच्छा ठीक है रुको मैं पहन लेती हूं!

इतना कहकर मेनका चूड़ियां पहनने लगी और अजय भी उसकी मदद करने लगा और देखते ही देखते मेनका के दोनो हाथ चुड़ियो से भर गए और बेहद खूबसूरत लग रहे थे तो अजय उसके हाथो को पकड़कर बोला:"

" कैसी लगी आपको ये चूड़ियां माता?

मेनका ने अपनी कलाइयों को देखा जो बेहद खूबसूरत लग रही थी और बोली:"

" बेहद खूबसूरत! अब खुश हो न आप पुत्र!

अजय:" हान माता खुश हु लेकिन आप जब इनके साथ लाल रंग की साड़ी पहनेगी तब देखना कितनी खूबसूरत जचेगी ये आप पर!

मेनका उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर रोमांच से भर गई और बोली:" अच्छा जी, चलो अब आप आराम कर लो रात काफी हो गई है!

अजय अपने कक्ष में आ गया और रात धीरे धीरे गहराने लगी और दूसरी तरफ मेनका कल से ही बेचैन थी जबसे उसने लाल रंग की साड़ी को देखा था क्योंकि लाल रंग की साड़ी उसकी पसंदीदा हुआ करती थी और वो ये देखने के लिए मरी जा रही थी लाल रंग की साड़ी के साथ ये लाल रंग की चूड़ियां कैसी लगेगी! लेकिन कल राजमाता के द्वारा बुलाए जाने के कारण वो साड़ी नही पहन सकी थी लेकिन आज इसके पास अच्छा मौका था लेकिन बस एक ही दिक्कत थी कि उसे अजय का डर था!

लेकिन मेनका का दिल इसे तसल्ली दे रहा था कि अजय तो दो रात से सोया नही हैं तो आज तो बेड पर गिरते ही नींद के आगोश में चला जायेगा और ये सब सोचते ही उसके होंठ मुस्कुरा पड़े और मेनका रात पूरी तरह से गहराने का इंतजार करने लगी! करीब एक घंटे बाद वो धीरे से अपने कक्ष के परदे हटाकर बाहर आई और अजय के कक्ष में झांका तो उसे अजय के जोरदार खर्राटे सुनाई पड़े और मेनका के होंठो को मुस्कान आ गई और उसके कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ गए और कांपते हाथों से उसने धड़कते दिल के साथ साड़ी निकाली और नीचे की तरफ चल पड़ी! मेनका धीरे धीरे नीचे कक्ष में पहुंच गई और शीशे में देखते हुए साड़ी को पहन लिया और उसकी आंखो मे चमक उभर आई! लाल हो की चूड़ियों से मिलती हुई उसकी साड़ी उसके बदन पर बेहद आकर्षक लग रही थी और मेनका खुद पर ही आकर्षित हुई जा रही थी!

मेनका बार बार खुद को कभी दांए से तो कभी बांए से पलट पलट कर देख रहीं थी और उसके तन बदन के अंदर अजीब सी गुदगुदी मची हुई थी और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई और उनसे खुशी से झूमना शुरू कर दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां नजर आने लगी और अजय छुपा हुआ ये सब देख रहा था और सोच रहा था कि उसकी मां सच में बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं!

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झूमती हुई मेनका को पर्दा हिलता हुआ महसूस हुआ और वो समझ गई कि अजय उसे छुप कर देख रहा है तो उसे बेहद शर्म आई और झूमना बंद कर दिया लेकिन शीशे के सामने खड़ी रही और खुद को निहारती रही! पिछली बार के मुकाबले आज ये जानकर कि उसका बेटा उसे देख रहा है वो काफी हद तक सहज महसूस कर रही थीं और आखिर में वो उपर की तरफ जाने लगी तो अजय तेजी से उपर आया और गैलरी में खड़ा हो गया और जैसे ही मेनका उसके पास से गुजरी तो मेनका ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसका पकड़ कर धीरे से बोली:"

" थोड़ी देर पहले तो बड़ी नींद आ रही थीं और अब यहां छुपे खड़े हुए हो पुत्र आप!

अजय समझ गया कि उसकी चोरी आज फिर पकड़ी गई है तो धीरे से बोला:"

" वो आंख खुल गई तो सुसु करने के लिए आया था!

अजय का साफ झूठ मेनका समझ गई और बोली:"

" मानना पड़ेगा आपको पुत्र, ये जानते हुए भी कि मैं सच जानती हूं फिर भी आप झूठ बोलने की हिम्मत कर सकते हो! मैं जानती हूं कि आप मुझे नीचे देख रहे थे

अजय: वो गलती हो गई मुझसे, क्षमा चाहता हूं! कान छोड़ दीजिए ना आप

मेनका ने उसका कान छोड़ दिया और बोली:" लेकिन आप हमे ऐसे छिप कर क्यों देखते हो पुत्र?

अजय:" माता बात ये है कि आप रंगीन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती है और मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं!

मेनका उसकी बात सुनकर अपनी सुन्दरता पर अभिमानित हुई और बोली:" लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि हम आपकी माता हैं और आपको हमे ऐसे देखना शोभा नहीं देता हैं पुत्र!

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसकी चूड़ियों से मधुर आवाज आई और बोला:"

" माता मैं सब समझता हूं लेकिन चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं ! देखिए आपकी चूड़ियां कितना मधुर खनक रही है!

मेनका ने उसकी बात सुनकर जान बूझकर अपनी चूड़ियों को थोड़ा जोर से खनका दिया और बोली:" लेकिन फिर भी आपको समझना चाहिए कि कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

मेनका को एहसास हुआ है उसने गलत बोल दिया है लेकिन तब तक तीर कमान से निकल गया था और अजय उसके हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फांसते हुए बोला:"

" माता आप निश्चित रहे किसी को कभी पता नहीं चलेगा! जिस तरह से आपको खुद को शीशे में देखना अच्छा लगता है उसी तरह से मुझे आपको देखना अच्छा लगता है माता!

अजय की बात सुनकर मेनका बोली:" लेकिन पुत्र आपको...

अजय ने उसकी बात को बीच में ही काट दिया और बोला:"

" कल दिन में मैं आपके लिए बड़ा शीशा लगा दूंगा माता ताकि आप खुद को अच्छे से देख सके!

मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन अंधेरे के कारण अजय नही पाया और मेनका बोली:"

" और आप मुझे छिप कर देख सके इसलिए ये सब कर रहे हो ना पुत्र! चलो रात बहुत हो गई है अब सो जाओ!

इतना कहकर मेनका जाने लगी तो अजय ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय बोला:"

" ज्यादा नींद आ रही है क्या आपको माता?

मेनका का बदन कांप उठा और बोली:" हान नींद आ रही है मुझे जाने दीजिए ना पुत्र आप!

अजय ने उसके एक कंधे को पकड़ लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" सो जाना आप माता लेकिन बस एक बात बता दीजिए कि माता कल आप जब नए बड़े शीशे के सामने लाल रंग की साड़ी के साथ रंग की चूड़ियां पहनोगी तो मैं आपको देख सकता हूं क्या ?

अजय की बात सुनकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" नही मैं खुद को नही देखूंगी शीशे के सामने!

अजय ने दूसरा हाथ भी उसके कंधे पर टिका दिया और दोनो अब एक दूसरे के बिलकुल सामने खड़े हुए थे और मेनका की सांसों का शोर अजय को साफ महसूस हो रहा था और बोला:"

" मेरी कसम खाओ आप कि आप खुद को शीशे में नही देखोगी

इतना कहकर अजय ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख दिया तो मेनका ने फौरन अपना हाथ पीछे खींच लिया और धीरे से उसके कान में बोली:

" देखूंगी और आप भी देख लेना पुत्र लेकिन छुपकर नही तो मुझे बेहद शर्म आयेगी!

इतना कहकर उसने अजय के गाल को चूम लिया और अपना हाथ छुड़ा कर अपने कक्ष में घुस गई और अजय ने अपने गाल को छुआ तो उसे अपने गाल पर गीला गीला लगा और उसकी उंगलियां उसकी मां के मुंह की लार से चिकनी हो गई तो उसे एहसास हुआ कि मेनका ने उसे सिर्फ भावावेश में नही बल्कि पूर्ण उत्तेजना के साथ चूमा था और ये सोचते ही अजय खुशी से झूम उठा और और अपने कक्ष में आकर आराम करने लगा!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai...
Nice and excellent update.....
 
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आज शनिवार था और सलमा के मन में सुबह से ही लड्डू फूट रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि आज उसका प्रेमी विक्रम उससे मिलने के लिए जरूर आएगा और उसने शाम को करीब आठ बजे सीमा से कहा:"

" सीमा मेरे लिए एक चमेली का गजरा लेती आना!

सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:" क्यों आज फिर से युवराज विक्रम से मिलना हैं क्या शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" ऐसा कुछ नहीं है सीमा, बस ऐसे ही मन कर रहा है आज गजरा पहनने का मेरा!

सीमा उसकी तरफ कामुक अंदाज में स्माइल करते हुए बोली:"

" हान जानती हूं क्यों मन कर रहा है आपका और पिछली बार आपका गजरा मसला हुआ मिला था मुझे आपके बेड के नीचे मानो फूलो का सारा रस कोई निचोड़ कर पी गया हो!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह नीचे झुक गया तो सीमा उसका मुंह उपर उठा कर उसकी आंखो में देखते हुए बोली :

" शर्माती क्यों हो शहजादी! फूल तो मसले जाने के लिए ही होते हैं

इतना कहकर सीमा ने सलमा की चुचियों की तरफ इशारा किया तो सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"

" जा भाग जा यहां से !! बेशर्म कहीं की !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और जाते हुए बोली:

" अब सच बात भी आपको कड़वी लगती है तो इसमें मेरी क्या गलती! लेकिन देखना विक्रम ने आपके फूलो को मसल मसल कर इनका रस न निकाल दिया तो कहना आप!

इतना कहकर सीमा उसे स्माइल देती हुई बाहर निकल गई और सलमा नहाने के लिए चली गई! सीमा थोड़ी देर ही एक गजरा लेकर आ गई और बोली:"

" लो शहजादी ले आई आपके लिए गजरा! लेकिन इस बार बेचारे को बेड के नीचे मत फेंका देना जोश जोश में आप!

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" मैने नही फेंका था, मैं भला क्यों नीचे फेंकने लगी

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा जी आपने नही फेंका था तो किसने फेंका था गजरा!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और बोली:"

" किसी ने नहीं फेंका था अपने आप ही गिर गया होगा!

सीमा शहजादी के पीछे आई और उसे कसकर पकड़ कर बोली:"

" और कितना झूठ बोलोगी शहजादी! मैने विक्रम को आपके कक्ष में देखा था परदे के पीछे छिपे हुए ! समझी आप!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और धीरे से बोली:" सपने में देखा होगा सीमा!
चलो जल्दी से गजरा लगाओ!

सीमा समझ गई कि सलमा उससे शर्म के मारे बताना नही चाहती है तो सीमा ने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और गजरा उसके बालो में लगा दिया और थोड़ी देर बाद सलमा ने खाना खाया और उसके बाद करीब दस बजे सीमा चली गई तो सलमा बेचैनी से खुद को आईने में निहारती हुई देखने लगी!

वहीं दूसरी तरफ अजय ने बड़ा सा शीशा घर में लगा दिया और बोला:" मां हमे दोनो को राजमहल बुलाया हैं! हो सकता है कि कुछ जरूरी काम हो!

दोनो बेटे राजमहल गए और राजमाता बोली:"

" अजय बेटे आप विक्रम के साथ मिलकर हथियारों का मुयावना कर लो एक बार और दूसरे कुछ जरूरी हथियार भी आपको लेने होंगे आज पड़ोसी राज्य से!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता, मैं आज ही युवराज के साथ ये सब काम कर दूंगा!

इतना कहकर अजय विक्रम के साथ निकल गया! दोनो घोड़ों पर बैठे हुए जा रहे थे और विक्रम जानता था कि अगर वो पड़ोसी राज्य गया तो पूरी रात वही लग जायेगी और सलमा से मिल नही पायेगा तो उसने एक बहाना बनाया और बोला:"

" अरे अजय मैं तो भूल ही गया कि पड़ोसी राज्य तो आज रात अपनी आजादी के जश्न में डूबा होगा! हमे कल जाना पड़ेगा!

अजय:" ऐसा हैं तो फिर हमे राज्य वापिस जाना चाहिए क्योंकि जाने का कोई फायदा नहीं होगा!

उसके बाद दोनो वापिस राज्य की तरफ लौट पड़े और दूसरी तरफ मेनका थोड़ी देर बाद ही अपने घर आ गई और आज खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नही पद रहे थे क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसे आज ये सुनहरा मौका मिला था! अजय के घर पर नहीं होने से वो पूरी तरह से आजाद थी और वो अच्छे से नहाई और उसके बाद साड़ी और चूड़ियां लेकर नीचे कक्ष की और चल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ राज्य में घुसकर अजय अपने घर की तरफ चल पड़ा और मौका मिलते ही विक्रम ने अपना घोड़ा सुल्तानपुर की तरफ दौड़ा दिया और घोड़े को बाहर ही छिपाकर गेट पर पहुंचा और बोला:"

" हमे अंदर आने की इजाजत दीजिए! मुझे अपने दोस्त रहीम से मिलने जाना है!

सैनिक:" ओए भिखारी तुम फिर आ गए! जब्बार का साफ हुक्म है कि किसी को भी अंदर नही आने दिया जाएगा समझे! जाओ अपने घर वापस भाग जाओ!

विक्रम ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली और बोला:"

" आप ये रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए!

सैनिक बाद तेज था उसने विक्रम के हाथ से अंगूठी ले ली और एक झटके के साथ खिड़की को बंद करते हुए बोला:"

" भाग जाओ यहां से और कभी मत आना नही तो मार दिए जाओगे समझे!

खिड़की के बंद होते ही विक्रम निराशा में डूब गया और वापिस अपने राज्य की तरफ लौट चला क्योंकि वो जानता था कि अब उसका अंदर जाना संभव नहीं है! सलमा उसका इंतजार कर रही होगी लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था!

दूसरी तरफ अजय रात के करीब 11 बजे अपने घर पहुंच गया और धड़कते दिल के साथ उसने अपनी मां के कक्ष में धीरे से झांका तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वो उसे नही मिली और अजय की सांसे तेज हो गई और धीरे से नीचे कक्ष तक की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो जानता था कि उसकी मां नीचे शीशे में खुद को निहार रही होगी!

अजय ने घर के सब खिड़की दरवाजे अच्छे से बंद किए और सावधानी से नीचे पहुंच गया और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी मां मेनका आज साक्षात मेनका ही नजर आ रही थी और अजय को आज यकीन हो रहा था कि उसकी मां का नाम मेनका सच ही रखा है! मेनका लाल रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और सबसे बड़ी बात उसने साड़ी को विशेष अंदाज में बांधा हुआ था जिससे उसकी कमर पूरी नंगी ही थी बस ब्लाउस की पतली सी तनिया उसे नाम मात्र के लिए ढके हुए थी और मेनका पूरी तरह से मदहोश होकर

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अपने खुले बालो के साथ शीशे में देखते हुए नाचती खुद को अश्लील इशारे कर रही थी!

अजय ने पहली बार किसी औरत का ऐसा कामुक अंदाज देखा था और यकीन हो गया कि उसकी मां के अंदर तूफान मचल रहा है और ये सब सोचकर अजय के लंड में तनाव आना शुरू हो गया और वो सावधानी से अपनी मां को देखने लगा जो पूरी तरह से पागल होकर नच रही थी और अपनी गांड़ को बेहद कामुक अंदाज में मटका रही थी! जोर जोर से नाचती हुई मेनका कमर को हिलाते हुए अजय पर कहर बरपा रही थी और उसके दोनो हाथ उसके चेहरे के सामने आ गए और वो अपनी कांच की चूड़ियां एक दूसरे से टकराने लगी और खन खन खन की मधुर आवाज कमरे मे गूंज उठी! अजय चूड़ियों की खनक सुनकर मस्ती से बेहाल हो गया और मेनका मस्त होकर फिर से नाचने लगी!

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उसके बाद मेनका के पैर थक गए तो मेनका ने मदहोशी से अपनी चुचियों की तरफ देखा जो आधी ब्लाउस से झांक रही थी और मदहोश होकर शीशे के बिलकुल सामने पहुंच गई और अपने होंठो को शीशे से चिपका दिया और अपने जीभ निकालकर चूसने का प्रयास करने लगी और उसकी जीभ से रस बहकर शीशे पर फैल गया


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मेनका धीरे से बेड पर चढ़ गई और अजय ने देखा कि बेड पर गुलाब के फूल भी पड़े हुए थे जो मस्ती में आकर मेनका ने ही बिछाए थे और मेनका ने मदहोशी से अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी और उसके मुंह पर कामुक भाव उभर आए थे और अजय का बुरा हाल हो गया था और उसका लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया था!

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मेनका की सांसे बेहद तेज गति से चलने के कारण उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर गड़ी हुई थी ! मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई बिस्तर पर अपने जिस्म को पटक रही थी और उसके दोनो हाथ उसकी चूचियों पर आ गई और मेनका ने अपनी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरका दिया और उसकी गोल गोल चूचियां ब्लाउस में खिल उठी तो मेनका ने उन्हें अपने हाथो में भर लिया और सहलाने लगी! मेनका के मुंह से अब हल्की हल्की मधुर सिसकियां निकल रही थी और उसकी जांघो के बीच उसकी चूत में रस भर गया था! मेनका अपने ब्लाउस की तनियो को जोर जोर से पकड़कर खींचते हुए अपनी चुचियों को आजाद करने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थी और उसकी चुचियों के निप्पल भी पूरी तरह से तनकर बाहर आने को मचल रहे थे और मेनका की उत्तेजना अब अपने चरम पर थी!

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अजय अपनी माता की चुचियों को देखकर आपे से बाहर हो रहा था और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर अपनी मां की सारी तड़प शांत कर दे लेकिन वो आज अपनी मा का आनंद खराब नही करना चाहता था इसलिए खड़ा हुआ अपनी माता की कामुक हरकते देख रहा था और मेनका अब अपनी चुचियों को मसलती हुई अपने जिस्म को बिस्तर पर पटक रही थी और कुछ भी करके आज अपने अंदर उठते हुए इस तूफान को शांत कर देना चाहती थीं! मेनका के हाथ उसकी चूचियों को छोड़कर उसके पेट पर आ गए और सहलाते हुए नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गए मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी
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मेनका ने मदहोश होकर शीशे में खुद को देखा और उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर निकल गई और सूखे होंठो को गीला करने लगी! अजय का लंड एक झटके के साथ उछल पड़ा और अजय ने हाथ से जोर से सहला दिया और पर्दा हिल गया और तभी उसकी नज़र हिलते हुए परदे पर पड़ी और अजय को देखते जी मेनका को मानो लकवा सा मार गया और शर्म के मारे बिस्तर पर उल्टी लेटकर लंबी लंबी सांसे लेने लगी! अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तो वो दबे पांव अपने खड़े लंड के साथ उपर की तरफ चल पड़ा! मेनका ने उसके जाते ही राहत की सांस ली और अपनी साड़ी को ठीक करके उपर की तरफ बढ़ गई लेकिन उसके कदम कांप रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि जरूर अजय गैलरी में उसका इंतजार कर रहा होगा और उसने कल की तरह मेरा हाथ पकड़ लिया तो क्या होगा ये सोचकर न चाहते भी चूचियां अकड़ गई, निप्पल सख्त होकर तन गए और चूत के होंठो से मधुर रस बह चला! मेनका के नीचे वाले होंठ बिलकुल गीले रसीले हो गए थे जबकि उपर वाले सूख गए थे और मदहोशी से चूर मेनका उपर की तरफ चल पड़ी! जैसे ही वो गैलरी में पहुंची तो उसे बिलकुल अंधेरा नजर आया और मेनका जैसे ही आगे बढ़ी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो मेनका कांप उठी और पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन अजय ने कसकर उसका हाथ पकड़े रखा और एक झटके के साथ अपनी तरफ खींचा तो दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय उसके कंधो पर हाथ रखकर बोला:"

" क्षमा कीजिए माता! मेरी वजह से आप पूरा आनंद नही ले पाई!

जलती मचलती हुई मेनका उसके मर्दाने स्पर्श से पिघल सी गई और धीरे से बोली:" मेरा हाथ छोड़ दीजिए पुत्र! मुझे जाने दीजिए!

मेनका की तेज रफ्तार से चलती ही सांसों के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां अजय के सीने में घुसी जा रही थी अजय का लंड उसकी जांघो में घुसा हुआ था जिससे मेनका पूरी तरह से तड़प रही थी और अजय ने उसके चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसके कांपते होंठो पर अपनी उंगली फेरते हुए धीरे से मदहोशी से बोला:"

" माता आप बेहद आकर्षक और खुशबूदार हो!


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इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी कमर में लपेट दिया और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहलाने लगा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी बांहों में कसमसाती हुई एक झटके के साथ छूटने की कोशिश करती हुई पलट गई और अजय ने उसे जोर से कस लिया तो मेनका को उसकी मर्दाना ताकत का एहसास हुआ और अजय का लंड अब उसकी गांड़ पर आ लगा तो मेनका पिघल सी और धीरे से फुसफुसाई:

" अह्ह्हा पुत्र, जाने दीजिए मुझे! रात बहुत हो गई है!

अजय ने अपने दोनो हाथों को उसके सीने पर बांधते हुए अपने होंठो से उसके एक गाल को मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो मेनका की चूत रस बाहर टपक पड़ा और वो खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ते हुए सिसकी:"

" अअह्ह्ह्हह पुत्र, कोई देख लेगा मत करो हाय ये सब!

मेनका का जिस्म उसके शब्दो का साथ नही दे रहा था और अजय ये बखूबी समझ गया था और अजय ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी चुचियों को ब्लाउस से ही हल्की सी सहलाते हुए बोला:"

" कोई नही देखेगा मेरी सुंदर माता! उफ्फ आपकी सांसे इतनी तेज क्यों चल रही है माता!!

इतना कहकर अजय ने अपने लंड का दबाव उसकी गांड़ पर दिया तो मेनका थोड़ा सा आगे को हुई जिससे उसकी चूचियां अजय के हाथो में और ज्यादा समा गई और उसने हल्का सा मसल दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह कर बोली:"

" अह्ह्ह् मुझे नही पता पुत्र क्यों इतनी ज्यादा तेज चल रही है! अह्ह्ह्ह्ह मुझे जाने दीजिए ना प्लीज आप!

इतना कहकर मेनका आगे जाने को हुई तो उसकी टांगे खुल गई और अजय का लंड उसकी दोनो टांगो के बीच घुस गया और मेनका मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत में चिंगारी सी जल उठी और अजय ने अब उसकी दोनो चूचियों को थोड़ा जोर से सहलाना शुरू कर दिया और मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से अजय की बांहों में छोड़ दिया और उसकी बांहों में झूल सी गई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच लंड को रगड़ना शुरु कर दिया और मेनका उसके लंड की सख्ती महसूस करके l पागल सी हो गई और अपने पैरो को अजय के पैरो से रगड़ने लगी तो अजय ने जोर से उसकी गर्दन को चूम लिया और उसकी दोनो चूचियों को अब सख्ती से मसलने लगा और दोनो मां बेटे अब खुलकर एक दूसरे के मजे लूट रहे थे! मेनका की चूत पानी पानी हुई जा रही थी और लंड की रगड़ उसे बहकाए जा रही थी और मेनका झड़ने के करीब आ गई तो उसकी सांसे बुलेट ट्रेन की गति से चलने लगी और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल पड़ी और एक चूची ब्लाउस से बाहर निकल गई तो अजय ने उसे अपनी चौड़ी हथेली में कस लिया जोर से मसल दिया तो मेनका मीठे मीठे दर्द से दोहरी होती चली गई और मेनका का रहा सहा धैर्य भी जवाब दे दिया! मेनका ने अजय के हाथ को अपने ब्लाउस में घुसा दिया और अजय ने उसकी दूसरी चूची को भी पकड़कर बाहर निकाल लिया और दोनो को एक साथ मसल दिया तो मेनका जोर जोर से सिसक उठी:"

" अअह्ह्ह्ह पुत्र! मेरा वीर पुत्र!

अजय ने जिस्म में भी उत्तेजना चरम पर थी और मेनका की सिसकियां आग में घी का काम कर रही थी जिससे उसके लंड मे उबाल आना शुरू हो गया और मेनका के टांगो के बीच लंड सटासट घुसने लगा और दोनो ने अपने हाथो हाथो को अजय के हाथो पर टिका दिया और दबाने लगी तो अजय ने इशारा समझकर उसकी चुचियों को पूरी सख्ती से मसलना शुरू कर दिया और मेनका भी अब अपनी चूत को पूरी ताकत से लंड पर रगड़ रही थी और अजय उसकी गर्दन चाटते हुए उसे पूरी तरह से बेकाबू किए हुए था! अजय के लंड में उबाल आ गया और उसके धक्के पर मेनका सा जिस्म थिरक उठा और मेनका की चूत में बिजली सी दौड़ गई और एक तेज झटके के साथ मेनका लंड को अपनी जांघो में कसने और उसकी चूत से रस की धार बह चली और मुंह से मादक सिसकियां निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् पुत्र! अह्ह्हा क्या कर दिया मुझे! अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

इतना कहकर वो अपनी गर्दन उचकाकर अजय का मुंह चूमते लगी और अजय ने अपने लंड को ताकत से बाहर खींचा और पूरी ताकत से मेनका की टांगो के बीच घुसा दिया और मेनका दर्द से कराह उठी और अजय के लंड ने उसकी चूत के मुंह पर अपने वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी और जोर से उसकी चूचियां मसल डाली और सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह्ह मेनका!!!! मेरी मेनका आह्ह्ह्ह मेरी माता !

दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए रस छोड़ते रहे और जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो मेनका बेजान सी होकर गिरने लगी तो अजय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कक्ष की तरफ बढ़ गया और मेनका को उसने बेड पर लिटा दिया तो मेनका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अजय मेनका के जिस्म पर पूरी तरह से छा गया और मेनका धीरे से उसके कान में फुसफुसायी

" अह्ह्ह्हह अजय मेरे पुत्र! मैं आज बहुत खुश हूं! मुझे आप मिल गए सब मिल गया!

अजय मेनका की बाते सुन कर समझ गया कि मेनका उसे प्रेमी स्वीकार कर चुकी है तो उसके माथे को चूम कर बोला:"

" ओह्ह्ह मेनका मेरी माता!

उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया और अजय उसके उपर से उतरकर अपने कक्ष में जाने लगा तो मेनका ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और बोली:"

" आज से आप मेरे कक्ष में ही सोया करेंगे अजय पुत्र!

अजय मेनका की बांहों में लेट गया और उससे कसकर लिपट गया और दोनो एक दूसरे की बांहों में सो गए!
 
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unique star bhai dono update ek se badhkar ek hain...waqai manna padega jabbar ek dusht prani hai..shama ki khushi uski cheekhon me badal gayi..jabbar ne use vehshi darindo ke saamne fenk diya...salma aur Vikram ke beech mujhe lagta hai agle update me kuch hone ki sambhawna ho sakti hai...wahi ajay menka ka pyar prasang dheere dheere sath sone tak pahunch gaya hai....aur dono sath so bhi gaye..dekhte hain aane wali raten menka ki jindgi me kya rang laati hain..
 

parkas

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आज शनिवार था और सलमा के मन में सुबह से ही लड्डू फूट रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि आज उसका प्रेमी विक्रम उससे मिलने के लिए जरूर आएगा और उसने शाम को करीब आठ बजे सीमा से कहा:"

" सीमा मेरे लिए एक चमेली का गजरा लेती आना!

सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:" क्यों आज फिर से युवराज विक्रम से मिलना हैं क्या शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" ऐसा कुछ नहीं है सीमा, बस ऐसे ही मन कर रहा है आज गजरा पहनने का मेरा!

सीमा उसकी तरफ कामुक अंदाज में स्माइल करते हुए बोली:"

" हान जानती हूं क्यों मन कर रहा है आपका और पिछली बार आपका गजरा मसला हुआ मिला था मुझे आपके बेड के नीचे मानो फूलो का सारा रस कोई निचोड़ कर पी गया हो!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह नीचे झुक गया तो सीमा उसका मुंह उपर उठा कर उसकी आंखो में देखते हुए बोली :

" शर्माती क्यों हो शहजादी! फूल तो मसले जाने के लिए ही होते हैं

इतना कहकर सीमा ने सलमा की चुचियों की तरफ इशारा किया तो सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"

" जा भाग जा यहां से !! बेशर्म कहीं की !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और जाते हुए बोली:

" अब सच बात भी आपको कड़वी लगती है तो इसमें मेरी क्या गलती! लेकिन देखना विक्रम ने आपके फूलो को मसल मसल कर इनका रस न निकाल दिया तो कहना आप!

इतना कहकर सीमा उसे स्माइल देती हुई बाहर निकल गई और सलमा नहाने के लिए चली गई! सीमा थोड़ी देर ही एक गजरा लेकर आ गई और बोली:"

" लो शहजादी ले आई आपके लिए गजरा! लेकिन इस बार बेचारे को बेड के नीचे मत फेंका देना जोश जोश में आप!

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" मैने नही फेंका था, मैं भला क्यों नीचे फेंकने लगी

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा जी आपने नही फेंका था तो किसने फेंका था गजरा!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और बोली:"

" किसी ने नहीं फेंका था अपने आप ही गिर गया होगा!

सीमा शहजादी के पीछे आई और उसे कसकर पकड़ कर बोली:"

" और कितना झूठ बोलोगी शहजादी! मैने विक्रम को आपके कक्ष में देखा था परदे के पीछे छिपे हुए ! समझी आप!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और धीरे से बोली:" सपने में देखा होगा सीमा!
चलो जल्दी से गजरा लगाओ!

सीमा समझ गई कि सलमा उससे शर्म के मारे बताना नही चाहती है तो सीमा ने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और गजरा उसके बालो में लगा दिया और थोड़ी देर बाद सलमा ने खाना खाया और उसके बाद करीब दस बजे सीमा चली गई तो सलमा बेचैनी से खुद को आईने में निहारती हुई देखने लगी!

वहीं दूसरी तरफ अजय ने बड़ा सा शीशा घर में लगा दिया और बोला:" मां हमे दोनो को राजमहल बुलाया हैं! हो सकता है कि कुछ जरूरी काम हो!

दोनो बेटे राजमहल गए और राजमाता बोली:"

" अजय बेटे आप विक्रम के साथ मिलकर हथियारों का मुयावना कर लो एक बार और दूसरे कुछ जरूरी हथियार भी आपको लेने होंगे आज पड़ोसी राज्य से!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता, मैं आज ही युवराज के साथ ये सब काम कर दूंगा!

इतना कहकर अजय विक्रम के साथ निकल गया! दोनो घोड़ों पर बैठे हुए जा रहे थे और विक्रम जानता था कि अगर वो पड़ोसी राज्य गया तो पूरी रात वही लग जायेगी और सलमा से मिल नही पायेगा तो उसने एक बहाना बनाया और बोला:"

" अरे अजय मैं तो भूल ही गया कि पड़ोसी राज्य तो आज रात अपनी आजादी के जश्न में डूबा होगा! हमे कल जाना पड़ेगा!

अजय:" ऐसा हैं तो फिर हमे राज्य वापिस जाना चाहिए क्योंकि जाने का कोई फायदा नहीं होगा!

उसके बाद दोनो वापिस राज्य की तरफ लौट पड़े और दूसरी तरफ मेनका थोड़ी देर बाद ही अपने घर आ गई और आज खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नही पद रहे थे क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसे आज ये सुनहरा मौका मिला था! अजय के घर पर नहीं होने से वो पूरी तरह से आजाद थी और वो अच्छे से नहाई और उसके बाद साड़ी और चूड़ियां लेकर नीचे कक्ष की और चल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ राज्य में घुसकर अजय अपने घर की तरफ चल पड़ा और मौका मिलते ही विक्रम ने अपना घोड़ा सुल्तानपुर की तरफ दौड़ा दिया और घोड़े को बाहर ही छिपाकर गेट पर पहुंचा और बोला:"

" हमे अंदर आने की इजाजत दीजिए! मुझे अपने दोस्त रहीम से मिलने जाना है!

सैनिक:" ओए भिखारी तुम फिर आ गए! जब्बार का साफ हुक्म है कि किसी को भी अंदर नही आने दिया जाएगा समझे! जाओ अपने घर वापस भाग जाओ!

विक्रम ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली और बोला:"

" आप ये रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए!

सैनिक बाद तेज था उसने विक्रम के हाथ से अंगूठी ले ली और एक झटके के साथ खिड़की को बंद करते हुए बोला:"

" भाग जाओ यहां से और कभी मत आना नही तो मार दिए जाओगे समझे!

खिड़की के बंद होते ही विक्रम निराशा में डूब गया और वापिस अपने राज्य की तरफ लौट चला क्योंकि वो जानता था कि अब उसका अंदर जाना संभव नहीं है! सलमा उसका इंतजार कर रही होगी लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था!

दूसरी तरफ अजय रात के करीब 11 बजे अपने घर पहुंच गया और धड़कते दिल के साथ उसने अपनी मां के कक्ष में धीरे से झांका तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वो उसे नही मिली और अजय की सांसे तेज हो गई और धीरे से नीचे कक्ष तक की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो जानता था कि उसकी मां नीचे शीशे में खुद को निहार रही होगी!

अजय ने घर के सब खिड़की दरवाजे अच्छे से बंद किए और सावधानी से नीचे पहुंच गया और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी मां मेनका आज साक्षात मेनका ही नजर आ रही थी और अजय को आज यकीन हो रहा था कि उसकी मां का नाम मेनका सच ही रखा है! मेनका लाल रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और सबसे बड़ी बात उसने साड़ी को विशेष अंदाज में बांधा हुआ था जिससे उसकी कमर पूरी नंगी ही थी बस ब्लाउस की पतली सी तनिया उसे नाम मात्र के लिए ढके हुए थी और मेनका पूरी तरह से मदहोश होकर

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अपने खुले बालो के साथ शीशे में देखते हुए नाचती खुद को अश्लील इशारे कर रही थी!

अजय ने पहली बार किसी औरत का ऐसा कामुक अंदाज देखा था और यकीन हो गया कि उसकी मां के अंदर तूफान मचल रहा है और ये सब सोचकर अजय के लंड में तनाव आना शुरू हो गया और वो सावधानी से अपनी मां को देखने लगा जो पूरी तरह से पागल होकर नच रही थी और अपनी गांड़ को बेहद कामुक अंदाज में मटका रही थी! जोर जोर से नाचती हुई मेनका कमर को हिलाते हुए अजय पर कहर बरपा रही थी और उसके दोनो हाथ उसके चेहरे के सामने आ गए और वो अपनी कांच की चूड़ियां एक दूसरे से टकराने लगी और खन खन खन की मधुर आवाज कमरे मे गूंज उठी! अजय चूड़ियों की खनक सुनकर मस्ती से बेहाल हो गया और मेनका मस्त होकर फिर से नाचने लगी!

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उसके बाद मेनका के पैर थक गए तो मेनका ने मदहोशी से अपनी चुचियों की तरफ देखा जो आधी ब्लाउस से झांक रही थी और मदहोश होकर शीशे के बिलकुल सामने पहुंच गई और अपने होंठो को शीशे से चिपका दिया और अपने जीभ निकालकर चूसने का प्रयास करने लगी और उसकी जीभ से रस बहकर शीशे पर फैल गया


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मेनका धीरे से बेड पर चढ़ गई और अजय ने देखा कि बेड पर गुलाब के फूल भी पड़े हुए थे जो मस्ती में आकर मेनका ने ही बिछाए थे और मेनका ने मदहोशी से अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी और उसके मुंह पर कामुक भाव उभर आए थे और अजय का बुरा हाल हो गया था और उसका लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया था!

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मेनका की सांसे बेहद तेज गति से चलने के कारण उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर गड़ी हुई थी ! मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई बिस्तर पर अपने जिस्म को पटक रही थी और उसके दोनो हाथ उसकी चूचियों पर आ गई और मेनका ने अपनी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरका दिया और उसकी गोल गोल चूचियां ब्लाउस में खिल उठी तो मेनका ने उन्हें अपने हाथो में भर लिया और सहलाने लगी! मेनका के मुंह से अब हल्की हल्की मधुर सिसकियां निकल रही थी और उसकी जांघो के बीच उसकी चूत में रस भर गया था! मेनका अपने ब्लाउस की तनियो को जोर जोर से पकड़कर खींचते हुए अपनी चुचियों को आजाद करने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थी और उसकी चुचियों के निप्पल भी पूरी तरह से तनकर बाहर आने को मचल रहे थे और मेनका की उत्तेजना अब अपने चरम पर थी!

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अजय अपनी माता की चुचियों को देखकर आपे से बाहर हो रहा था और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर अपनी मां की सारी तड़प शांत कर दे लेकिन वो आज अपनी मा का आनंद खराब नही करना चाहता था इसलिए खड़ा हुआ अपनी माता की कामुक हरकते देख रहा था और मेनका अब अपनी चुचियों को मसलती हुई अपने जिस्म को बिस्तर पर पटक रही थी और कुछ भी करके आज अपने अंदर उठते हुए इस तूफान को शांत कर देना चाहती थीं! मेनका के हाथ उसकी चूचियों को छोड़कर उसके पेट पर आ गए और सहलाते हुए नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गए मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी
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मेनका ने मदहोश होकर शीशे में खुद को देखा और उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर निकल गई और सूखे होंठो को गीला करने लगी! अजय का लंड एक झटके के साथ उछल पड़ा और अजय ने हाथ से जोर से सहला दिया और पर्दा हिल गया और तभी उसकी नज़र हिलते हुए परदे पर पड़ी और अजय को देखते जी मेनका को मानो लकवा सा मार गया और शर्म के मारे बिस्तर पर उल्टी लेटकर लंबी लंबी सांसे लेने लगी! अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तो वो दबे पांव अपने खड़े लंड के साथ उपर की तरफ चल पड़ा! मेनका ने उसके जाते ही राहत की सांस ली और अपनी साड़ी को ठीक करके उपर की तरफ बढ़ गई लेकिन उसके कदम कांप रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि जरूर अजय गैलरी में उसका इंतजार कर रहा होगा और उसने कल की तरह मेरा हाथ पकड़ लिया तो क्या होगा ये सोचकर न चाहते भी चूचियां अकड़ गई, निप्पल सख्त होकर तन गए और चूत के होंठो से मधुर रस बह चला! मेनका के नीचे वाले होंठ बिलकुल गीले रसीले हो गए थे जबकि उपर वाले सूख गए थे और मदहोशी से चूर मेनका उपर की तरफ चल पड़ी! जैसे ही वो गैलरी में पहुंची तो उसे बिलकुल अंधेरा नजर आया और मेनका जैसे ही आगे बढ़ी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो मेनका कांप उठी और पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन अजय ने कसकर उसका हाथ पकड़े रखा और एक झटके के साथ अपनी तरफ खींचा तो दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय उसके कंधो पर हाथ रखकर बोला:"

" क्षमा कीजिए माता! मेरी वजह से आप पूरा आनंद नही ले पाई!

जलती मचलती हुई मेनका उसके मर्दाने स्पर्श से पिघल सी गई और धीरे से बोली:" मेरा हाथ छोड़ दीजिए पुत्र! मुझे जाने दीजिए!

मेनका की तेज रफ्तार से चलती ही सांसों के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां अजय के सीने में घुसी जा रही थी अजय का लंड उसकी जांघो में घुसा हुआ था जिससे मेनका पूरी तरह से तड़प रही थी और अजय ने उसके चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसके कांपते होंठो पर अपनी उंगली फेरते हुए धीरे से मदहोशी से बोला:"

" माता आप बेहद आकर्षक और खुशबूदार हो!


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इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी कमर में लपेट दिया और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहलाने लगा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी बांहों में कसमसाती हुई एक झटके के साथ छूटने की कोशिश करती हुई पलट गई और अजय ने उसे जोर से कस लिया तो मेनका को उसकी मर्दाना ताकत का एहसास हुआ और अजय का लंड अब उसकी गांड़ पर आ लगा तो मेनका पिघल सी और धीरे से फुसफुसाई:

" अह्ह्हा पुत्र, जाने दीजिए मुझे! रात बहुत हो गई है!

अजय ने अपने दोनो हाथों को उसके सीने पर बांधते हुए अपने होंठो से उसके एक गाल को मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो मेनका की चूत रस बाहर टपक पड़ा और वो खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ते हुए सिसकी:"

" अअह्ह्ह्हह पुत्र, कोई देख लेगा मत करो हाय ये सब!

मेनका का जिस्म उसके शब्दो का साथ नही दे रहा था और अजय ये बखूबी समझ गया था और अजय ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी चुचियों को ब्लाउस से ही हल्की सी सहलाते हुए बोला:"

" कोई नही देखेगा मेरी सुंदर माता! उफ्फ आपकी सांसे इतनी तेज क्यों चल रही है माता!!

इतना कहकर अजय ने अपने लंड का दबाव उसकी गांड़ पर दिया तो मेनका थोड़ा सा आगे को हुई जिससे उसकी चूचियां अजय के हाथो में और ज्यादा समा गई और उसने हल्का सा मसल दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह कर बोली:"

" अह्ह्ह् मुझे नही पता पुत्र क्यों इतनी ज्यादा तेज चल रही है! अह्ह्ह्ह्ह मुझे जाने दीजिए ना प्लीज आप!

इतना कहकर मेनका आगे जाने को हुई तो उसकी टांगे खुल गई और अजय का लंड उसकी दोनो टांगो के बीच घुस गया और मेनका मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत में चिंगारी सी जल उठी और अजय ने अब उसकी दोनो चूचियों को थोड़ा जोर से सहलाना शुरू कर दिया और मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से अजय की बांहों में छोड़ दिया और उसकी बांहों में झूल सी गई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच लंड को रगड़ना शुरु कर दिया और मेनका उसके लंड की सख्ती महसूस करके l पागल सी हो गई और अपने पैरो को अजय के पैरो से रगड़ने लगी तो अजय ने जोर से उसकी गर्दन को चूम लिया और उसकी दोनो चूचियों को अब सख्ती से मसलने लगा और दोनो मां बेटे अब खुलकर एक दूसरे के मजे लूट रहे थे! मेनका की चूत पानी पानी हुई जा रही थी और लंड की रगड़ उसे बहकाए जा रही थी और मेनका झड़ने के करीब आ गई तो उसकी सांसे बुलेट ट्रेन की गति से चलने लगी और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल पड़ी और एक चूची ब्लाउस से बाहर निकल गई तो अजय ने उसे अपनी चौड़ी हथेली में कस लिया जोर से मसल दिया तो मेनका मीठे मीठे दर्द से दोहरी होती चली गई और मेनका का रहा सहा धैर्य भी जवाब दे दिया! मेनका ने अजय के हाथ को अपने ब्लाउस में घुसा दिया और अजय ने उसकी दूसरी चूची को भी पकड़कर बाहर निकाल लिया और दोनो को एक साथ मसल दिया तो मेनका जोर जोर से सिसक उठी:"

" अअह्ह्ह्ह पुत्र! मेरा वीर पुत्र!

अजय ने जिस्म में भी उत्तेजना चरम पर थी और मेनका की सिसकियां आग में घी का काम कर रही थी जिससे उसके लंड मे उबाल आना शुरू हो गया और मेनका के टांगो के बीच लंड सटासट घुसने लगा और दोनो ने अपने हाथो हाथो को अजय के हाथो पर टिका दिया और दबाने लगी तो अजय ने इशारा समझकर उसकी चुचियों को पूरी सख्ती से मसलना शुरू कर दिया और मेनका भी अब अपनी चूत को पूरी ताकत से लंड पर रगड़ रही थी और अजय उसकी गर्दन चाटते हुए उसे पूरी तरह से बेकाबू किए हुए था! अजय के लंड में उबाल आ गया और उसके धक्के पर मेनका सा जिस्म थिरक उठा और मेनका की चूत में बिजली सी दौड़ गई और एक तेज झटके के साथ मेनका लंड को अपनी जांघो में कसने और उसकी चूत से रस की धार बह चली और मुंह से मादक सिसकियां निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् पुत्र! अह्ह्हा क्या कर दिया मुझे! अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

इतना कहकर वो अपनी गर्दन उचकाकर अजय का मुंह चूमते लगी और अजय ने अपने लंड को ताकत से बाहर खींचा और पूरी ताकत से मेनका की टांगो के बीच घुसा दिया और मेनका दर्द से कराह उठी और अजय के लंड ने उसकी चूत के मुंह पर अपने वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी और जोर से उसकी चूचियां मसल डाली और सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह्ह मेनका!!!! मेरी मेनका आह्ह्ह्ह मेरी माता !

दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए रस छोड़ते रहे और जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो मेनका बेजान सी होकर गिरने लगी तो अजय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कक्ष की तरफ बढ़ गया और मेनका को उसने बेड पर लिटा दिया तो मेनका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अजय मेनका के जिस्म पर पूरी तरह से छा गया और मेनका धीरे से उसके कान में फुसफुसायी

" अह्ह्ह्हह अजय मेरे पुत्र! मैं आज बहुत खुश हूं! मुझे आप मिल गए सब मिल गया!

अजय मेनका की बाते सुन कर समझ गया कि मेनका उसे प्रेमी स्वीकार कर चुकी है तो उसके माथे को चूम कर बोला:"

" ओह्ह्ह मेनका मेरी माता!

उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया और अजय उसके उपर से उतरकर अपने कक्ष में जाने लगा तो मेनका ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और बोली:"

" आज से आप मेरे कक्ष में ही सोया करेंगे अजय पुत्र!

अजय मेनका की बांहों में लेट गया और उससे कसकर लिपट गया और दोनो एक दूसरे की बांहों में सो गए!
Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai...
Nice and lovely update.....
 
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