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Incest शहजादी सलमा

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मेनका वगैर किसी कोशिश के , वगैर कुछ सिडक्सन के पके हुए फल की तरह अजय के गोद मे आ गिरी । इसका मतलब वह बहुत पहले से ही अजय को एक अलग नजरिए से देखने लगी थी । उसके अंदर शायद अपने दिवंगत पति को ढूंढने लगी थी । या शायद उसके साथ बहुत पहले से टैबो रिलेशनशिप मे जाना चाहती थी ।

इधर विक्रम के लिए यह रात अजय की तरह रोमांटिक न रहा । जब्बार ने उसके अरमानो पर पानी फेर दिया ।
पर जब्बार की पत्नी शमा के साथ बहुत बुरा हो गया । लेकिन इसके लिए वो खुद ही दोषी है । गलत लोग का साथ देने वाला गलत ही कहलाता है । वो खुद जब्बार का साथ देकर न सिर्फ अपना नुकसान करवा रही है बल्कि अपने वतन के साथ गद्दारी भी कर रही है ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट यूनिक स्टार भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट अपडेट।
 

abcturbine

The Bull.........Female Orgasm Expert
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Beraham hai dilbar mera... ae-dil shikwa naa kar..
Unki mehroomiyat se yun khud na bikhar....
Dhadke ga ek roz unke sine mein tu....
Mohabatt-e-jahan per aitbaar.... Intezzar to kar.....
 

Roy monik

I love sex
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आज शनिवार था और सलमा के मन में सुबह से ही लड्डू फूट रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि आज उसका प्रेमी विक्रम उससे मिलने के लिए जरूर आएगा और उसने शाम को करीब आठ बजे सीमा से कहा:"

" सीमा मेरे लिए एक चमेली का गजरा लेती आना!

सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:" क्यों आज फिर से युवराज विक्रम से मिलना हैं क्या शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" ऐसा कुछ नहीं है सीमा, बस ऐसे ही मन कर रहा है आज गजरा पहनने का मेरा!

सीमा उसकी तरफ कामुक अंदाज में स्माइल करते हुए बोली:"

" हान जानती हूं क्यों मन कर रहा है आपका और पिछली बार आपका गजरा मसला हुआ मिला था मुझे आपके बेड के नीचे मानो फूलो का सारा रस कोई निचोड़ कर पी गया हो!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह नीचे झुक गया तो सीमा उसका मुंह उपर उठा कर उसकी आंखो में देखते हुए बोली :

" शर्माती क्यों हो शहजादी! फूल तो मसले जाने के लिए ही होते हैं

इतना कहकर सीमा ने सलमा की चुचियों की तरफ इशारा किया तो सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"

" जा भाग जा यहां से !! बेशर्म कहीं की !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और जाते हुए बोली:

" अब सच बात भी आपको कड़वी लगती है तो इसमें मेरी क्या गलती! लेकिन देखना विक्रम ने आपके फूलो को मसल मसल कर इनका रस न निकाल दिया तो कहना आप!

इतना कहकर सीमा उसे स्माइल देती हुई बाहर निकल गई और सलमा नहाने के लिए चली गई! सीमा थोड़ी देर ही एक गजरा लेकर आ गई और बोली:"

" लो शहजादी ले आई आपके लिए गजरा! लेकिन इस बार बेचारे को बेड के नीचे मत फेंका देना जोश जोश में आप!

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" मैने नही फेंका था, मैं भला क्यों नीचे फेंकने लगी

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा जी आपने नही फेंका था तो किसने फेंका था गजरा!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और बोली:"

" किसी ने नहीं फेंका था अपने आप ही गिर गया होगा!

सीमा शहजादी के पीछे आई और उसे कसकर पकड़ कर बोली:"

" और कितना झूठ बोलोगी शहजादी! मैने विक्रम को आपके कक्ष में देखा था परदे के पीछे छिपे हुए ! समझी आप!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और धीरे से बोली:" सपने में देखा होगा सीमा!
चलो जल्दी से गजरा लगाओ!

सीमा समझ गई कि सलमा उससे शर्म के मारे बताना नही चाहती है तो सीमा ने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और गजरा उसके बालो में लगा दिया और थोड़ी देर बाद सलमा ने खाना खाया और उसके बाद करीब दस बजे सीमा चली गई तो सलमा बेचैनी से खुद को आईने में निहारती हुई देखने लगी!

वहीं दूसरी तरफ अजय ने बड़ा सा शीशा घर में लगा दिया और बोला:" मां हमे दोनो को राजमहल बुलाया हैं! हो सकता है कि कुछ जरूरी काम हो!

दोनो बेटे राजमहल गए और राजमाता बोली:"

" अजय बेटे आप विक्रम के साथ मिलकर हथियारों का मुयावना कर लो एक बार और दूसरे कुछ जरूरी हथियार भी आपको लेने होंगे आज पड़ोसी राज्य से!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता, मैं आज ही युवराज के साथ ये सब काम कर दूंगा!

इतना कहकर अजय विक्रम के साथ निकल गया! दोनो घोड़ों पर बैठे हुए जा रहे थे और विक्रम जानता था कि अगर वो पड़ोसी राज्य गया तो पूरी रात वही लग जायेगी और सलमा से मिल नही पायेगा तो उसने एक बहाना बनाया और बोला:"

" अरे अजय मैं तो भूल ही गया कि पड़ोसी राज्य तो आज रात अपनी आजादी के जश्न में डूबा होगा! हमे कल जाना पड़ेगा!

अजय:" ऐसा हैं तो फिर हमे राज्य वापिस जाना चाहिए क्योंकि जाने का कोई फायदा नहीं होगा!

उसके बाद दोनो वापिस राज्य की तरफ लौट पड़े और दूसरी तरफ मेनका थोड़ी देर बाद ही अपने घर आ गई और आज खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नही पद रहे थे क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसे आज ये सुनहरा मौका मिला था! अजय के घर पर नहीं होने से वो पूरी तरह से आजाद थी और वो अच्छे से नहाई और उसके बाद साड़ी और चूड़ियां लेकर नीचे कक्ष की और चल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ राज्य में घुसकर अजय अपने घर की तरफ चल पड़ा और मौका मिलते ही विक्रम ने अपना घोड़ा सुल्तानपुर की तरफ दौड़ा दिया और घोड़े को बाहर ही छिपाकर गेट पर पहुंचा और बोला:"

" हमे अंदर आने की इजाजत दीजिए! मुझे अपने दोस्त रहीम से मिलने जाना है!

सैनिक:" ओए भिखारी तुम फिर आ गए! जब्बार का साफ हुक्म है कि किसी को भी अंदर नही आने दिया जाएगा समझे! जाओ अपने घर वापस भाग जाओ!

विक्रम ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली और बोला:"

" आप ये रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए!

सैनिक बाद तेज था उसने विक्रम के हाथ से अंगूठी ले ली और एक झटके के साथ खिड़की को बंद करते हुए बोला:"

" भाग जाओ यहां से और कभी मत आना नही तो मार दिए जाओगे समझे!

खिड़की के बंद होते ही विक्रम निराशा में डूब गया और वापिस अपने राज्य की तरफ लौट चला क्योंकि वो जानता था कि अब उसका अंदर जाना संभव नहीं है! सलमा उसका इंतजार कर रही होगी लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था!

दूसरी तरफ अजय रात के करीब 11 बजे अपने घर पहुंच गया और धड़कते दिल के साथ उसने अपनी मां के कक्ष में धीरे से झांका तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वो उसे नही मिली और अजय की सांसे तेज हो गई और धीरे से नीचे कक्ष तक की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो जानता था कि उसकी मां नीचे शीशे में खुद को निहार रही होगी!

अजय ने घर के सब खिड़की दरवाजे अच्छे से बंद किए और सावधानी से नीचे पहुंच गया और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी मां मेनका आज साक्षात मेनका ही नजर आ रही थी और अजय को आज यकीन हो रहा था कि उसकी मां का नाम मेनका सच ही रखा है! मेनका लाल रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और सबसे बड़ी बात उसने साड़ी को विशेष अंदाज में बांधा हुआ था जिससे उसकी कमर पूरी नंगी ही थी बस ब्लाउस की पतली सी तनिया उसे नाम मात्र के लिए ढके हुए थी और मेनका पूरी तरह से मदहोश होकर

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अपने खुले बालो के साथ शीशे में देखते हुए नाचती खुद को अश्लील इशारे कर रही थी!

अजय ने पहली बार किसी औरत का ऐसा कामुक अंदाज देखा था और यकीन हो गया कि उसकी मां के अंदर तूफान मचल रहा है और ये सब सोचकर अजय के लंड में तनाव आना शुरू हो गया और वो सावधानी से अपनी मां को देखने लगा जो पूरी तरह से पागल होकर नच रही थी और अपनी गांड़ को बेहद कामुक अंदाज में मटका रही थी! जोर जोर से नाचती हुई मेनका कमर को हिलाते हुए अजय पर कहर बरपा रही थी और उसके दोनो हाथ उसके चेहरे के सामने आ गए और वो अपनी कांच की चूड़ियां एक दूसरे से टकराने लगी और खन खन खन की मधुर आवाज कमरे मे गूंज उठी! अजय चूड़ियों की खनक सुनकर मस्ती से बेहाल हो गया और मेनका मस्त होकर फिर से नाचने लगी!

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उसके बाद मेनका के पैर थक गए तो मेनका ने मदहोशी से अपनी चुचियों की तरफ देखा जो आधी ब्लाउस से झांक रही थी और मदहोश होकर शीशे के बिलकुल सामने पहुंच गई और अपने होंठो को शीशे से चिपका दिया और अपने जीभ निकालकर चूसने का प्रयास करने लगी और उसकी जीभ से रस बहकर शीशे पर फैल गया


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मेनका धीरे से बेड पर चढ़ गई और अजय ने देखा कि बेड पर गुलाब के फूल भी पड़े हुए थे जो मस्ती में आकर मेनका ने ही बिछाए थे और मेनका ने मदहोशी से अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी और उसके मुंह पर कामुक भाव उभर आए थे और अजय का बुरा हाल हो गया था और उसका लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया था!

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मेनका की सांसे बेहद तेज गति से चलने के कारण उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर गड़ी हुई थी ! मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई बिस्तर पर अपने जिस्म को पटक रही थी और उसके दोनो हाथ उसकी चूचियों पर आ गई और मेनका ने अपनी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरका दिया और उसकी गोल गोल चूचियां ब्लाउस में खिल उठी तो मेनका ने उन्हें अपने हाथो में भर लिया और सहलाने लगी! मेनका के मुंह से अब हल्की हल्की मधुर सिसकियां निकल रही थी और उसकी जांघो के बीच उसकी चूत में रस भर गया था! मेनका अपने ब्लाउस की तनियो को जोर जोर से पकड़कर खींचते हुए अपनी चुचियों को आजाद करने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थी और उसकी चुचियों के निप्पल भी पूरी तरह से तनकर बाहर आने को मचल रहे थे और मेनका की उत्तेजना अब अपने चरम पर थी!

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अजय अपनी माता की चुचियों को देखकर आपे से बाहर हो रहा था और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर अपनी मां की सारी तड़प शांत कर दे लेकिन वो आज अपनी मा का आनंद खराब नही करना चाहता था इसलिए खड़ा हुआ अपनी माता की कामुक हरकते देख रहा था और मेनका अब अपनी चुचियों को मसलती हुई अपने जिस्म को बिस्तर पर पटक रही थी और कुछ भी करके आज अपने अंदर उठते हुए इस तूफान को शांत कर देना चाहती थीं! मेनका के हाथ उसकी चूचियों को छोड़कर उसके पेट पर आ गए और सहलाते हुए नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गए मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी
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मेनका ने मदहोश होकर शीशे में खुद को देखा और उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर निकल गई और सूखे होंठो को गीला करने लगी! अजय का लंड एक झटके के साथ उछल पड़ा और अजय ने हाथ से जोर से सहला दिया और पर्दा हिल गया और तभी उसकी नज़र हिलते हुए परदे पर पड़ी और अजय को देखते जी मेनका को मानो लकवा सा मार गया और शर्म के मारे बिस्तर पर उल्टी लेटकर लंबी लंबी सांसे लेने लगी! अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तो वो दबे पांव अपने खड़े लंड के साथ उपर की तरफ चल पड़ा! मेनका ने उसके जाते ही राहत की सांस ली और अपनी साड़ी को ठीक करके उपर की तरफ बढ़ गई लेकिन उसके कदम कांप रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि जरूर अजय गैलरी में उसका इंतजार कर रहा होगा और उसने कल की तरह मेरा हाथ पकड़ लिया तो क्या होगा ये सोचकर न चाहते भी चूचियां अकड़ गई, निप्पल सख्त होकर तन गए और चूत के होंठो से मधुर रस बह चला! मेनका के नीचे वाले होंठ बिलकुल गीले रसीले हो गए थे जबकि उपर वाले सूख गए थे और मदहोशी से चूर मेनका उपर की तरफ चल पड़ी! जैसे ही वो गैलरी में पहुंची तो उसे बिलकुल अंधेरा नजर आया और मेनका जैसे ही आगे बढ़ी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो मेनका कांप उठी और पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन अजय ने कसकर उसका हाथ पकड़े रखा और एक झटके के साथ अपनी तरफ खींचा तो दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय उसके कंधो पर हाथ रखकर बोला:"

" क्षमा कीजिए माता! मेरी वजह से आप पूरा आनंद नही ले पाई!

जलती मचलती हुई मेनका उसके मर्दाने स्पर्श से पिघल सी गई और धीरे से बोली:" मेरा हाथ छोड़ दीजिए पुत्र! मुझे जाने दीजिए!

मेनका की तेज रफ्तार से चलती ही सांसों के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां अजय के सीने में घुसी जा रही थी अजय का लंड उसकी जांघो में घुसा हुआ था जिससे मेनका पूरी तरह से तड़प रही थी और अजय ने उसके चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसके कांपते होंठो पर अपनी उंगली फेरते हुए धीरे से मदहोशी से बोला:"

" माता आप बेहद आकर्षक और खुशबूदार हो!


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इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी कमर में लपेट दिया और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहलाने लगा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी बांहों में कसमसाती हुई एक झटके के साथ छूटने की कोशिश करती हुई पलट गई और अजय ने उसे जोर से कस लिया तो मेनका को उसकी मर्दाना ताकत का एहसास हुआ और अजय का लंड अब उसकी गांड़ पर आ लगा तो मेनका पिघल सी और धीरे से फुसफुसाई:

" अह्ह्हा पुत्र, जाने दीजिए मुझे! रात बहुत हो गई है!

अजय ने अपने दोनो हाथों को उसके सीने पर बांधते हुए अपने होंठो से उसके एक गाल को मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो मेनका की चूत रस बाहर टपक पड़ा और वो खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ते हुए सिसकी:"

" अअह्ह्ह्हह पुत्र, कोई देख लेगा मत करो हाय ये सब!

मेनका का जिस्म उसके शब्दो का साथ नही दे रहा था और अजय ये बखूबी समझ गया था और अजय ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी चुचियों को ब्लाउस से ही हल्की सी सहलाते हुए बोला:"

" कोई नही देखेगा मेरी सुंदर माता! उफ्फ आपकी सांसे इतनी तेज क्यों चल रही है माता!!

इतना कहकर अजय ने अपने लंड का दबाव उसकी गांड़ पर दिया तो मेनका थोड़ा सा आगे को हुई जिससे उसकी चूचियां अजय के हाथो में और ज्यादा समा गई और उसने हल्का सा मसल दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह कर बोली:"

" अह्ह्ह् मुझे नही पता पुत्र क्यों इतनी ज्यादा तेज चल रही है! अह्ह्ह्ह्ह मुझे जाने दीजिए ना प्लीज आप!

इतना कहकर मेनका आगे जाने को हुई तो उसकी टांगे खुल गई और अजय का लंड उसकी दोनो टांगो के बीच घुस गया और मेनका मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत में चिंगारी सी जल उठी और अजय ने अब उसकी दोनो चूचियों को थोड़ा जोर से सहलाना शुरू कर दिया और मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से अजय की बांहों में छोड़ दिया और उसकी बांहों में झूल सी गई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच लंड को रगड़ना शुरु कर दिया और मेनका उसके लंड की सख्ती महसूस करके l पागल सी हो गई और अपने पैरो को अजय के पैरो से रगड़ने लगी तो अजय ने जोर से उसकी गर्दन को चूम लिया और उसकी दोनो चूचियों को अब सख्ती से मसलने लगा और दोनो मां बेटे अब खुलकर एक दूसरे के मजे लूट रहे थे! मेनका की चूत पानी पानी हुई जा रही थी और लंड की रगड़ उसे बहकाए जा रही थी और मेनका झड़ने के करीब आ गई तो उसकी सांसे बुलेट ट्रेन की गति से चलने लगी और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल पड़ी और एक चूची ब्लाउस से बाहर निकल गई तो अजय ने उसे अपनी चौड़ी हथेली में कस लिया जोर से मसल दिया तो मेनका मीठे मीठे दर्द से दोहरी होती चली गई और मेनका का रहा सहा धैर्य भी जवाब दे दिया! मेनका ने अजय के हाथ को अपने ब्लाउस में घुसा दिया और अजय ने उसकी दूसरी चूची को भी पकड़कर बाहर निकाल लिया और दोनो को एक साथ मसल दिया तो मेनका जोर जोर से सिसक उठी:"

" अअह्ह्ह्ह पुत्र! मेरा वीर पुत्र!

अजय ने जिस्म में भी उत्तेजना चरम पर थी और मेनका की सिसकियां आग में घी का काम कर रही थी जिससे उसके लंड मे उबाल आना शुरू हो गया और मेनका के टांगो के बीच लंड सटासट घुसने लगा और दोनो ने अपने हाथो हाथो को अजय के हाथो पर टिका दिया और दबाने लगी तो अजय ने इशारा समझकर उसकी चुचियों को पूरी सख्ती से मसलना शुरू कर दिया और मेनका भी अब अपनी चूत को पूरी ताकत से लंड पर रगड़ रही थी और अजय उसकी गर्दन चाटते हुए उसे पूरी तरह से बेकाबू किए हुए था! अजय के लंड में उबाल आ गया और उसके धक्के पर मेनका सा जिस्म थिरक उठा और मेनका की चूत में बिजली सी दौड़ गई और एक तेज झटके के साथ मेनका लंड को अपनी जांघो में कसने और उसकी चूत से रस की धार बह चली और मुंह से मादक सिसकियां निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् पुत्र! अह्ह्हा क्या कर दिया मुझे! अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

इतना कहकर वो अपनी गर्दन उचकाकर अजय का मुंह चूमते लगी और अजय ने अपने लंड को ताकत से बाहर खींचा और पूरी ताकत से मेनका की टांगो के बीच घुसा दिया और मेनका दर्द से कराह उठी और अजय के लंड ने उसकी चूत के मुंह पर अपने वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी और जोर से उसकी चूचियां मसल डाली और सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह्ह मेनका!!!! मेरी मेनका आह्ह्ह्ह मेरी माता !

दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए रस छोड़ते रहे और जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो मेनका बेजान सी होकर गिरने लगी तो अजय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कक्ष की तरफ बढ़ गया और मेनका को उसने बेड पर लिटा दिया तो मेनका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अजय मेनका के जिस्म पर पूरी तरह से छा गया और मेनका धीरे से उसके कान में फुसफुसायी

" अह्ह्ह्हह अजय मेरे पुत्र! मैं आज बहुत खुश हूं! मुझे आप मिल गए सब मिल गया!

अजय मेनका की बाते सुन कर समझ गया कि मेनका उसे प्रेमी स्वीकार कर चुकी है तो उसके माथे को चूम कर बोला:"

" ओह्ह्ह मेनका मेरी माता!

उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया और अजय उसके उपर से उतरकर अपने कक्ष में जाने लगा तो मेनका ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और बोली:"

" आज से आप मेरे कक्ष में ही सोया करेंगे अजय पुत्र!

अजय मेनका की बांहों में लेट गया और उससे कसकर लिपट गया और दोनो एक दूसरे की बांहों में सो गए!
Mst update intzar rahega agle update ka
 

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सलमा बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थीं और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी लेकिन 11:30 तक भी विक्रम नही आया था उसका दिल टूट गया क्योंकि वो जानती थी कि आज दिन में जब्बार सुरक्षा बढ़ाने की बात कर रहा था तो इसीलिए ही विक्रम नही आ पाया और अब आयेगा भी नहीं ये सोचकर सलमा की आंखो मे आंसू आ गए और वो अपने बिस्तर से उठी और कक्ष में टहलने लगी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी क्योंकि थोड़ी देर पहले ही वो मधुर मिलन के सपने संजोए हुई थी और सीमा की छेड़छाड़ ने उसके जिस्म को महका दिया था लेकिन अब क्या ही कर सकती थी!

उदास सलमा की आंखे भर आई और आंसू छलक पड़े तो सलमा ने अपने मुंह को साफ किया और बिस्तर पर फिर से लेट गई लेकिन नींद नहीं आ रही थी तो वो विक्रम के बारे में ही सोचने लगी!

दूसरी तरफ गेट न खुलने से निराश विक्रम उदास मन से बैठ गया और सोचने लगा कि अंदर सलमा उसका इंतजार कर रही होगी और पता नहीं उसका क्या हाल होगा तो ये सोचकर विक्रम बेचैन हो गया और सोचने लगा कि मुझे कुछ न कुछ उपाय करना ही होगा और उसके दिमाग में एक विचार आया और तेजी से अपने घोड़े को दौड़ाते में महल की तरफ आया और एक मौलवी का भेष बनाकर कुछ मिठाई लेकर चल पड़ा! विक्रम जैसे ही गेट पर पहुंचा तो सैनिकों ने एक मौलवी को अपने सामने देखा तो विक्रम बोला:"

" अस्सलाम वालेकुम कैसे हो आप दोनो!

सैनिक हैरानी से उसे देखते हुए बोले:" वालेकुम अस्सलाम मौलवी साहब, माफ कीजिए आपको पहचाना नहीं!

विक्रम:" अरे कैसी बाते कर रहे हों मियां! हम तो रजिया बेगम के रिश्ते में चाचा लगते हैं उन्हे पता चला कि आपने हमे गेट पर रोक रखा है तो आपकी खाल उतरवा लेंगी!

सैनिक:" माफ कीजिए लेकिन राज्य की सुरक्षा के कारण रात को कोई भी अंदर नही आ सकता ऐसा राज आदेश मिला है!

विक्रम थोड़ा शांत होने का दिखावा करते हुए बोला:" ये तो अच्छी बात है! रात में तो दुश्मन भी अंदर घुस सकता है!

सैनिक:" बस इसलिए तो हम मजबूर हू!

विक्रम:" कोई बात नहीं मै आपकी मजबूरी समझ रहा हूं! एक काम करना आप ये मिठाई उन तक पहुंचा देना ये सलीम को बेहद पसंद है!

सैनिक ने मिठाई का डिब्बा लिया और बोला:" बड़ी अच्छी खुशबू आ रही हैं कहां से लाए हैं आप ये मिठाई ?

विक्रम:" ये ईरान की शाही मिठाई हैं जो सिर्फ राज परिवार के लोगो को ही नसीब होती है! आप दोनो चाहो तो खा लो थोड़ी थोड़ी लेकिन किसी के सामने बोलना मत नही तो मुसीबत आ जायेगी!

दोनो सैनिकों ने मिठाई खाई और बोले:" मिठाई तो बहुत अच्छी हैं सच में मज़ा आ गया!

विक्रम:" अच्छी तो होगी ही आखिर शाही मिठाई हैं!

सैनिक:" सच मे शाही मिठाई पहली बार खाई है तो बेहद अच्छी लगी! मैं कल सुबह ये मिठाई राजमहल तक पहुंचा दूंगा

विक्रम:" अल्लाह तुम दोनो को सलामत रखे! अच्छा मुझे कुछ एक बात बतानी थी आपको!

विक्रम जान बूझकर सैनिकों को कुछ देर के लिए बातो में उलझा रहा था और सैनिक उसकी चाल नही समझ पाए और बोला:"

" क्या खबर है बताओ जल्दी?

विक्रम:"लेकिन वादा करो कि किसी को बताओगे नही तुम!

सैनिक;" वादा किया अब बताओ क्या बात है जल्दी से ?

विक्रम:" ऐसे भी कौन वादा करता है, खुदा कसम खाओ तो यकीन आए आखिर इतनी बात राज की बात है!

सैनिक:" अच्छा ठीक है खुदा कसम, बस अब बताए आप!

विक्रम ने देखा कि दोनो सैनिक नशे में झूम रहे थे और खिड़की के करीब आते हुए बोला:"

" वो बात है कि सलीम...

इससे पहले कि वो आगे बोलता सैनिक बेहोश हो कर गिरने लगा और विक्रम ने खिड़की से हाथ आगे बढ़ा कर उसे थाम लिया और उसकी जेब से चाबी निकाली और सैनिक बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा! विक्रम ने हाथ आगे बढ़ा कर ताला खोल दिया और गेट को धीरे धीरे खोलने लगा और गेट खुलते ही वो अंदर घुस गया और ताले को वापिस लगाकर। चाभी को सैनिक के पास फेंक कर अंदर राज्य में घुस गया और विक्रम अब बेहद खुश था क्योंकि थोड़ी सी देर में वो अपनी प्यारी सलमा से मिलने वाला था! सावधानी से छुपाते छिपते हुए वो महल के पीछे तक पहुंच गया और इधर उधर देखते हुए वो गुफा के अंदर घुस गया और सावधानी से चलते हुए महल के अंदर घुस गया! करीब 12 बज गए थे और विक्रम धीरे धीरे चलता हुआ शहजादी के कक्ष के सामने पहुंचा तो देखा कि कक्ष खुला हुआ है अंदर घुस गया लेकिन शहजादी उसे दिखाई नही दी तो वो उदास हो गया और पूरे कक्ष में अच्छे से देखा लेकिन नही उसे शहजादी नही मिली तो विक्रम का दिल उदास हो गया और वो इधर उधर सलमा को ढूढने लगा और गैलरी से निकलकर बाहर आया तो उसे सामने ही एक शाही बगीचा नजर आया और उसके दिल में उम्मीद जगी कि सलमा शायद बगीचे मे टहल रही होगी और ये सोचते हुए वो धीरे से अंदर घुस आया और देखा कि खूबसूरत फूलो की गंध से बगीचा महक रहा था और विक्रम आगे बढ़ता जा रहा था और जैसे ही आगे मुड़ा तो उसकी आंखे खुली की खुली रह क्योंकि क्योंकि सलमा एक खूबसूरत लाल रंग की नाइटी में सजी हुई बगीचे में घूमती हुई मधुर गीत गुनगुना रही थी!


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लाल रंग की छोटी सी नाइटी में सलमा के दोनो कंधे बिलकुल नंगे हो थे बस नाम मात्र के लिए डोरिया बंधी हुई थी! उसके काले घने बाल हवा में लहरा कर उसके खूबसूरत गोल मटोल चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और ऐसा लग रहा था मानो चांद बादलों के बीच से झांक रहा हो! सलमा की मोटी मोटी गोल मटोल गुम्बद के आकार की चूचियां आधी से ज्यादा बाहर झांक रही थी और चलने के उछल उछल पड़ रही थीं! सलमा इतनी आकर्षक भी हो सकती है इसका अंदाजा विक्रम को आज हुआ और विक्रम खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था क्योंकि एक जीती जागती कयामत हुस्न की मल्लिका सलमा सिर्फ उससे प्यार करती थी! सलमा मस्ती से झूमती हुई आगे बढ़ रही थी और एक फूल उसके चेहरे से टकराया तो सलमा ने उसे प्यार से देखा और नजाकत के साथ तोड़कर अपने दोनो हाथो में लेकर मसलने लगी और उसे सीमा की बात याद आ गई कि आपके फूल भी मसले जायेंगे तो उसने कामुक नजरो से अपनी चुचियों की तरफ देखा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!


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विक्रम उसकी इस अदा पर मस्ती से झूम उठा और सलमा चलती हुई फूलो की खुशबू महसूस करती हुई इधर उधर झूम रही थी और बलखाती कमर के साथ मटकती हुई उसकी गांड़ विक्रम के दिल पर छुरियां चला रही थी और चलते चलते सलमा एक पुल पर चढ़ गई और इधर उधर देखने लगी और तभी उसकी नज़र विक्रम पर पड़ी तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन उसे मानो अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था और उसने अपने बालो को पीछे झटका और फिर से विक्रम को देखा तो उसे यकीन आ गया कि सामने उसका महबूब उसका आशिक विक्रम ही हैं तो सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम को मुस्कान देती हुई एक नजर खुद पर डाली तो शर्मा गई और पीछे की तरफ भाग गई !

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विक्रम मुस्कुराता उसे पीछे पीछे आगे बढ़ गया और सलमा अदा के साथ मटकती हुई एक एक बड़ी सी झाड़ी के पीछे छिप गई और विक्रम ने उसे देख लिया और उसके करीब जाकर झाड़ी के दूसरी तरफ खड़ा हो गया और सलमा झाड़ी के बीच से देखती हुई उसे मंद मंद मुस्कान दे रही थी और विक्रम बोला:"

" माशा अल्लाह बेहद खूबसूरत लग रही हो शहजादी इस लाल रंग की नाइटी में आप!

सलमा के होठों पर उसकी बात सुनकर मुस्कान थिरक उठी और शरमाते हुए बोली:"

" हाय मेरे रब्बा! ऐसा न कहो विक्रम हमे लाज आती है ऐसे कपड़ो में आपके सामने!

विक्रम उसकी अदाएं देखकर तड़प उठा और बोला:"

" कपड़ो का क्या हैं शहजादी कैसे भी आखिर में उतर ही जाते हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और नजरे नीचे करते हुई बोली:"

" कुछ तो शर्म कीजिए आप युवराज! पूरा बिगड़ गए हो आप!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती की नतीजा हैं शहजादी, जिसकी इतनी सुंदर महबूबा होगी तो भी वो बेचैन होगा ही न प्यार करने के लिए!

सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:" इतनी देर से क्यों आए आप ? पता हैं मैं कितनी परेशान थी आपके लिए ?

विक्रम ने उसे सारी बात बताई तो सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और बोली:" हाय अल्लाह अब कल फिर से सभा में हंगामा होगा और सुरक्षा फिर बढ़ा दी जायेगी तो हम अगली बार कैसे मिल पाएंगे युवराज!!

सलमा इतना कहकर झाड़ी से बाहर आ गई और विक्रम की बांहों में समा गई तो विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और सहलाने लगे!

विक्रम उसका माथा चूमता हुआ बोला:" ओह मेरी शहजादी, कल की छोड़ो ना बस अब ये प्यार के लम्हे हैं तो प्यार करो!

सलमा उसके गले में अपनी बांहे डालकर पूरी ताकत से लिपट गई और उसका गाल चूम लिया तो विक्रम ने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और दोनो बेताबी से एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! विक्रम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने मुंह खोल कर उसकी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और विक्रम ने दोनो हाथों को उसकी गांड़ पर रखकर उसकी गांड़ को मसलना शुरू कर दिया तो सलमा बेकाबू उसकी जीभ को चूसने लगी और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी नाइट को उपर चढ़ा कर उसकी बिलकुल कोरी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया तो सलमा को एक तेज झटका सा लगा और वो एक झटके के साथ उसकी पकड़ से निकल गई और एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई तो विक्रम तेजी से आगे बढ़ा और सलमा को फिर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा कसमसा उठी और बोली

" आआआह्हह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! हमे नीचे कुछ नही पहना हुआ है!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से कस लिया और उसकी दोनो चूचियों को हाथो में भर कर सहलाने लगा और जोर जोर से मसलते हुए बोला:" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी, क्या नही पहना है आप नीचे!!

सलमा अपनी चुचियों को दबाए जाने से मस्ती से झूम उठी और मीठा मीठा दर्द उसकी चुचियों से होता हुआ सीधे उसकी चूत पर असर कर रहा था और सलमा धीरे से उसके गाल पर अपने दांत गडा कर बोली:"

" अह्ह्ह्ह मुझे नही पता बेशर्म युवराज!! अह्ह्ह्ह् छोड़ दीजिए ना विक्रम मुझे!

विक्रम ने सलमा की दोनो चुचियों को अब नाइटी के उपर से ही जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके कान की लौ को दांतो से हल्के हल्के काटते हुए बोला

" बताओ ना मेरी जान शहजादी! क्या नही पहना ने मेरी सलमा ने नीचे आज!!

इतना कहकर विक्रम ने अपने खड़े लंड को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा मस्ती से भर उठी और उसके बांहों में मचलती हुई बोली:

" अह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई पे..पे...पेंटी नही पहनी आपकी शहजादी ने मेरे युवराज!!

इतना कहकर सलमा पलटी और कसकर विक्रम से लिपट गई! अब विक्रम ने फिर से सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर जोर से उसकी गर्दन चूसते हुए मसलने लगा तो सलमा के मुंह से सिसकियां निकलने लगी और विक्रम ने एक बार फिर से उसकी उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और सलमा के मुंह में अपनी जीभ घुसा कर उसकी जीभ से मिला दी और दोनो की जीभ एक दूसरे से टकराने लगी! विक्रम ने धीरे से उसकी नाइटी को उसकी कमर तक उठा दिया और सलमा की नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर प्यार सहलाने लगा और सलमा ने जोश में आकर उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम धीरे सलमा की मजबूत मोटी चौड़ी उभरी हुई गांड़ की गोलाईयों के बीच अपनी उंगली चलाने लगा तो सलमा के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई और विक्रम के सीने में अपनी चुचियों को घुसाने लगी और किस तोड़ते हुए सिसकी

" अह्ह्ह्ह मेरे युवराज आईईईईसी ईईईईईआई विक्रम! अह्ह्ह्ह्ह हाय मत कीजिए ना!


सलमा ने खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे गोद में उठा कर वही एक झाड़ी के पीछे लिटा लिया और सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई उसकी तरफ देखने लगी और शर्म के मारे दोनो हाथों से अपना मुंह ढक लिया और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया तो सलमा सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मेरे युवराज मेरे सरताज! कोई देख लेगा!

विक्रम उसकी बात को समझते हुए उसके ऊपर से उतर गया और सलमा खड़ी थी और धीरे धीरे अपने कक्ष की तरफ चलने लगी और फिर रुक गई और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" मैं नही जाती अंदर! आप मुझे परेशान करोगे!

विक्रम उसकी इस अदा पर मर मिटा और धीरे से बोला:"

" मेरी शहजादी को प्यार करूंगा!
ढेर सारा प्यार!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए अपना सीमा उसकी तरफ तानकर बोली:"

" मैं खूब समझती हु आपका प्यार युवराज! मेरी मसल मसलकर क्या हालत कर देते हो बस मैं ही जानती हु!

विक्रम ने एक हाथ बढ़ाकर उसकी चूची को मसल दिया और बोला:"हाय मेरी शहजादी आपको मसलने में बहुत मज़ा आता हैं!


सलमा मस्ती और दर्द से कराह उठी और नखरे दिखाती हुई बोली:"हाय मैं नही जाने वाली आज अंदर!

विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" चलती हो अपनी मर्जी से या गोद में उठा कर के जाऊ अपनी सलमा को!

सलमा उसकी बांहों में मचलती हुई कांपती हुई बोली:" हाय युवराज छोड़ दीजिए ना कोई देख लेगा तो मैं फंस जाऊंगी!

विक्रम ने उसकी गांड़ के नीचे हाथ लगाकर उसे जोर से पकड़ लिया और उसके कान में धीरे से बोला:" बहुत नखरे कर रही थी आप अंदर जाते हुए,अब देखना अंदर ले जाकर सारे नखरे उतर दूंगा आपके मेरी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और कुछ नही बोली! विक्रम गोद में लिए हुए उसके कक्ष में आ गया और सलमा उसकी गोद से उतरकर दरवाजे की तरफ दौड़ी और विक्रम हैरानी से उसे देखता रहा और सलमा ने दरवाजे को बंद कर दिया और आगे बढ़ कर विक्रम के गले लग गई और विक्रम ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठो को चूसने लगा और सलमा की नाइटी को उपर चढ़ा कर उसकी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर मसल दिया तो सलमा कराह उठी और बोली;

" आह्ह् क्या गजब करते हो युवराज!

विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और सलमा ने सिसकियां लेते हुए उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया तो विक्रम ने अपनी उंगली को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज मत कीजिए! उफ्फ नही !! मुझे शर्म आती हैं!

विक्रम:" आज आपकी शर्म दूर कर ही देता हूं शहजादी!

विक्रम ने एक पल के लिए उसे खुद से अलग किया और अगले ही पल जैसे कयामत हो गई क्योंकि विक्रम ने एक झटके के साथ सलमा की नाइटी को पकड़कर उपर किया और सलमा को मादरजात नंगी कर दिया और सलमा शर्म दोनो को से अपना मुंह छुपा कर सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह ये क्या गजब कर दिया युवराज! हम मर जायेंगे

युवराज विक्रम ने अपनी शर्ट और पैंट को भी उतार दिया सिर्फ अंडर वियर में आ गया और उसकी चुचियों को देखा और फिर उसकी जांघो के बीच नजर दौड़ाई जहां से उसकी गुलाबी चूत का हल्का सा उभार नजर आ रहा था और धीरे से उसके कान में बोला:"

" हाय मेरी शहजादी आपकी चूंचियां बड़ी खूबसूरत हैं!

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्म से मरी जा रही थी और कसकर उससे लिपट गई और बोली:" कितने गंदे हो आप जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!

विक्रम ने उसकी नंगी गांड़ को फिर से अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर से मसल दिया तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और विक्रम ने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया तो सलमा को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और सलमा मस्ती से भर गई और उसके होंठो को चूसने लगीं तो विक्रम ने उसकी चुचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और कस कर मसल दिया तो मीठे मीठे दर्द से सलमा सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम धीरे मेरे युवराज!!!

विक्रम ने उसकी चुचियों को फिर से जोर से मसल दिया और उसके कान में बोला:"

" जोर से नही मसलूंगा तो सीमा को अच्छा नहीं लगेगा! वो तो चाहती है कि मैं आपको खूब अच्छे से मसल डालू शहजादी!

विक्रम की बात सुनकर सलमा बहक गई और अपनी चुचियों को उभारती हुई सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम मसल डालो अपनी सलमा को आज जी भरकर! सीमा को पता चलना चाहिए कि युवराज ने शहजादी का हाल बेहाल कर दिया है!

विक्रम कस कस कर उसकी चुचियों को मसल रहा था और सलमा की चूत से रस बहना शुरू हो गया था और विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो सलमा सिसक उठी और अपनी टांगो को खोलते हुए विक्रम की गांड़ पर अपने हाथ रख कर मसलने लगी! सलमा की टांगे खुलते ही विक्रम का लंड अंडर वियर के अंदर से ही उसकी नंगी चूत से छू गया और सलमा जैसे पागल सी हो गई और विक्रम की गांड़ को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चूची पर अपने दांत गडा दिए तो सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी और चूची उसके मुंह से बाहर निकल गई

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज इतने जालिम न बनो मेरे प्रियतम!

विक्रम ने अपनी गर्दन उचकाकर फिर से उसकी चूची की तरफ मुंह बढ़ाया तो सलमा ने खुद ही अपनी चुचियों को उसके मुंह पर रख दिया और विक्रम फिर से बेकाबू होकर बारी बारी उसकी दोनो चूचियों को चूसने लगा और सलमा ने मस्ती से सिसक सिसक कर अपनी दोनो टांगो को पूरा खोलते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया मानो चुदने के लिए अपनी सहमति दे रही हो और विक्रम ने नीचे आते हुए उसके पेट को चूम लिया और जैसे ही उसके होंठ नीचे की तरफ बढ़े तो सलमा का समूचा वजूद कांप उठा और जैसे ही विक्रम ने उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ बढ़ाए तो सलमा सिसकी हुई एक झटके के साथ पलट गई और विक्रम के उपर आ गई और उसके होंठो को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी गांड़ पर रख दिया और सहलाने लगा और उंगली से उसकी गांड़ के छेद को मसल रहा तो सलमा को एक तेज झटका लगा और उछलकर पेट के बल बिस्तर पर लेट गई और लंबी लंबी सांसे लेती हुई विक्रम को देखने लगी! विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए आगे बढ़ा और जांघो के बीच बैठकर उसकी कमर को चूमने लगा तो सलमा का जिस्म मस्ती से उछलने लगा और विक्रम उसकी उसकी कमर चूमते हुए बोला:

" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी! आपकी कमर कितनी चिकनी और खूबसूरत हैं!

सलमा अपनी कमर पर उसकी गर्म जीभ का स्पर्श पाकर मचल उठी और अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरे युवराज, आपके लिए हैं मेरी कमर! अअह्ह्ह्हह हाय मेरे प्रियतम!

विक्रम उसकी कमर चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ गया और उसकी गांड़ के उभार पर अपनी जीभ को फिराया तो सलमा जोर से उछल पड़ी और सिसकी

" हाय अअह्ह्ह्ह युवराज उफ्फ क्या गजब करते हो! अअह्ह्ह्हह इतने गंदे मत बनो!

विक्रम ने उसके दोनो हाथो को मोड़ते हुए कसकर पकड़ लिया और उसकी जांघो पर बैठते हुए सलमा को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया और उसकी गांड़ के उभार को जीभ से सहला दिया तो चाटने लगा तो सलमा मस्ती से सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मत कीजिए विक्रम! अह्ह्ह्ह् ये जुल्म मत कीजिए मुझ पर!

विक्रम ने उसकी गांड़ के उभार को जी भर कर चाटना शुरु कर दिया और सलमा की चूत रस से भर गई थी जिससे सलमा अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए जोर जोर से सिसक रही थी और विक्रम ने उसके हाथो को अपने हाथो में भरते हुए उसकी चुचियों पर रख दिया और मसलने लगा तो सलमा बेकाबू होकर खुद ही अपनी चुचियों को मसलने लगी और विक्रम ने दोनो हाथों से उसकी गांड़ के दोनो पटो को फैला दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह युवराज! उफ्फ मत करो खुदा के लिए! हाय अम्मी बचे ले मुझे!

विक्रम ने उसकी गांड़ के बीच में झांका और उसे सलमा का गांड़ का छोटा सा बेहद कसा हुआ भूरे हल्के गुलाबी रंग का छेद नजर आया जिसे सलमा शर्म से कसमसा कर अंदर बाहर की तरफ सिकोड़ रही थी!


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विक्रम उसकी गांड़ के गुलाबी छेद को देखकर जोश में आ गया अपने अंडर वियर को नीचे करते हुए लंड को आजाद कर दिया और उंगली से उसकी गांड़ का छेद मसल दिया तो सलमा होकर जोर से सिसक उठी और अपनी गांड़ को कसने का प्रयास करने लगी लेकिन विक्रम के आगे उसकी एक न चली और विक्रम ने बेकाबू होकर अपनी होंठो को उसकी गांड़ के छेद की तरफ बढ़ाया तो सलमा उत्तेजना के मारे पूरी जोर से उछल पड़ी और विक्रम के होंठ उसकी रसीली चूत से जा लगे और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी चूत को मुंह में भर लिया और जोर से चूस लिया तो सलमा के मुंह से जोरदार मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अअह्ह्ह्हह युवराज मार डाला मुझे! यूईईईईईईई सीईईईई

सलमा ने अपनी पूरी ताकत समेत कर एक जोरदार झटका खाया और बेड पर गिर पड़ी और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया और नंगा लंड उसकी नंगी चूत से छुआ तो सलमा ने बेकाबू होकर विक्रम के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और जैसे ही उसे अपनी चूत के रस का एहसास हुआ तो शर्म के मारे वो होंठ पीछे करने लगी लेकिन विक्रम उसके सिर को पकड़े हुए उसके होंठो को चूसता रहा और लंड को उसकी गीली चूत पर रगड़ दिया तो सलमा तड़प उठी और उसके होंठ खुल गए और सारी शर्म लिहाज छोड़कर विक्रम के होंठो और जीभ को चूसने लगी! सलमा को अपनी चूत का रस बेहद पसंद आ रहा था और विक्रम के होंठो को जोर जोर से चूस रही थी और विक्रम उसकी चूत पर लंड रगड़े जा रहा था और सलमा खुद अपनी चूत लंड पर उछाल रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को पूरा खोलते हुए लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर और सलमा की आंखो मे देखा और एक धक्का लगाया तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद कर दिया और लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत के होंठो पर जोरदार ठोकर मारी और सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह मेरे युवराज! अअह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं आपकी सलमा को!

विक्रम उसकी आह सुनकर जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा और सलमा भी लंड के धक्के अपनी चूत के मुंह पर खाती रही और दोनो पसीना पसीना हो गए थे और दोनो ही एक दूसरे से ज्यादा ताकत लगा रहे थे तो विक्रम ने जोश में लंड के सुपाड़े को फिर से चूत के मुंह पर रख दिया और सलमा की आंखो में देखा तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद लिया और विक्रम ने उसकी भावना का सम्मान करते हुए उसकी चूत पर लंड को रगड़ना शुरू कर दिया तो बेकाबू होकर सलमा अपनी चूत लंड से चिपकाकर उसे धक्के मारने के लिए उकसाने लगी और दोनो ने एक साथ धक्के मारने शुरू कर दिए और सलमा की चूत के होंठ लंड की मार से लाल हो गए थे लेकिन सलमा पीछे नहीं हट रही थी और ज्यादा जोर लगा रही थी और यही हाल विक्रम का भी था! विक्रम और सलमा दोनो के ही मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल रही थी और दोनो ही एक दूसरे को चूमते हुए सहलाते हुए धक्के लगा रहे थे और सलमा की चूत में सनसनाहट होने लगी तो उसने पूरी ताकत से विक्रम को कस लिया और सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह युवराज! मुझे कुछ हो रहा है! अअह्ह्ह्हह मारो विक्रम और जोर से मारो मुझे!

विक्रम भी झड़ने के करीब आ गया तो उसके लंड मे भी गजब की तेजी आ गई और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलते हुए पूरी ताकत से धक्के मारते हुए बोला

" अह्ह्ह्ह्ह् मेरी शहजादी! मेरी जान सलमा लो और जोर से लो आह्ह्ह्ह् कितनी मीठी हो!

सलमा मस्ती से उछली जा रही रही थी और उसकी चूत की नशे फड़क उठी और उसे लगा कि उसकी जान उसकी चूत से निकलने वाली है तो वो विक्रम को पूरी ताकत से कसते हुए उसका मुंह चूम लिया और सिसकी

" अअह्ह्ह्ह्ह विक्रम! सीईईईईईईईईईई, रीईईईईईईई यूईईईईई मर गई मैं!!

विक्रम ने भी अपने लंड का आखिरी जोरदार धक्का उसकी चूत पर मारा और झड़ने के कारण सलमा की टांगे खुली होने के कारण लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत पर दबाव बनाया और सलमा को अपनी जांघो में दर्द का एहसास हुआ तो उसने अपनी जांघो को कस लिया लेकिन तब तक लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया था और तेज दर्द से कराहती हुई सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सिसक उठी

" अह्ह्ह्ह्ह! मर गई मैं तो! अअह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई रीईईईईईई यूईईईई मार डाला मुझे युवराज!

विक्रम के लंड ने वीर्य की जोरदार पिचकारी उसकी चूत में मारनी शुरू कर दी और झड़ती हुई सलमा दर्द से कराहती हुई सलमा विक्रम का मुंह चुमती रही! दोनो एक दूसरे से कसकर लिपटे हुए झड़ते रहे और लंबी लंबी सांसे लेते रहे!

आखिर में दोनो के अंगों ने आखिरी सांस ली और विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला: आप ठीक तो हो ना शहजादी! ज्यादा दर्द तो नही हुआ आपको!

सलमा उसका प्यार देखकर पिघल गई और उसके कान खींचती हुई बोली:"

" पहले जान निकाल देते हो और फिर पूछते हो कि ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ! सुधर जाओ युवराज आप समझे!


एक झटके के साथ लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत से बाहर निकल गया और सलमा के मुंह पर दर्द भरी लकीर खींच गई तो विक्रम ने उसका मुंह फिर से चूम लिया तो सलमा बोली:"

" हमे कितना दर्द हुआ है आपको कुछ एहसास भी है! हम अभी इसके लिए तैयार नहीं थे!

विक्रम ने उसके गाल को चूम लिया और बोला:" माफ कीजिए शहजादी लेकिन गलती से हुआ है आप चाहे तो हमे सजा दीजिए!

सलमा ने उसका मुंह चूम लिया और बोली:" आप मेरे युवराज हैं मेरे सरताज! सब कुछ आपके लिए हैं ही बस थोड़ा सा सब्र करो!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके कंधे को सहलाते हुए बोला:"

" मेरी शहजादी मुझे कोई जल्दी हैं बस आपकी ही टांगे खुल गई थी जिससे आपको दर्द हुआ!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और धीरे से उसके कान में बोली:" वो उस समय हम अपने काबू में नहीं थे न इसलिए खुल गई टांगे!

विक्रम उसका माथा चूम कर उसकी चूचियों को देखते हुए बोला:" वैसे आप बिना कपड़ो के ज्यादा खूबसूरत लगती हो! हमसे अब बर्दाश्त नहीं होता है!

सलमा ने उसकी बात सुन कर चादर को दोनो के जिस्म पर खींच लिया और बोली:

" सब समझती हूं आपके इरादे! मेरा क्या हाल कर दिया है बस मैं ही जानती हूं!

विक्रम उसकी चुचियों को अपनी छाती से रगड़ते हुए बोला:" सीमा देखेगी तो खुश हो जायेगी!

सलमा शर्म से दोहरी हो गई और बोली;" वैसे एक बात कहूं ये सीमा अजय को बेहद पसंद करती हैं!

विक्रम ने खुशी से उसका मुंह चूम लिया और बोला:" क्या सच मे! ये तो बेहद अच्छी बात है! दोनो को मिलवाकर इनका प्रेम शुरू करवा देते है!

सलमा:" हान लेकिन कैसे?

विक्रम:" वो सब मुझ पर छोड़ दो बस कल आप शहजादी के साथ नदी किनारे आ जाना!

सलमा:" ठीक हैं अब जल्दी से उठो सीमा आने वाली होगी! जाओगे कैसे आप?

विक्रम:" दिन होने पर आराम से निकल जाऊंगा! आप चिंता मत करिए शहजादी!

उसके बाद विक्रम सलमा के उपर से हट गया और कपड़े पहन कर सलमा का मुंह चूमकर बाहर निकल आया और सलमा बेड शीट को ठीक करके नहाने के लिए घुस गई!
 
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