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मेरी हर कहानी की तरह ये कहानी भी जरूर पूरी होगी! आप सभी का साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद! थोड़ा सा और धीरज बनाए और अपडेट दो से तीन दिन के अंदर आपको मिल जाएगा
Unique bhai aapko kehne ki jarurat hi nahi hai.ye Hume bhi pata hai.aapki koyi bhi story adhuri nhi rehti.is liye aap bilkul free mind hokar update dijiyegaमेरी हर कहानी की तरह ये कहानी भी जरूर पूरी होगी! आप सभी का साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद! थोड़ा सा और धीरज बनाए और अपडेट दो से तीन दिन के अंदर आपको मिल जाएगा
intezaar rahega Unique star bhai....मेरी हर कहानी की तरह ये कहानी भी जरूर पूरी होगी! आप सभी का साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद! थोड़ा सा और धीरज बनाए और अपडेट दो से तीन दिन के अंदर आपको मिल जाएगा
Welcome back Unique star bhai...अगले पूरे दिन अजय और विक्रम राज्य के कामों में लगे रहे और थोड़ा भी आराम नही मिला! उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि सुलतान को कैसे सुरक्षित रखा जाए क्योंकि दोनो जानते थे कि अब तो पिंडलगढ़ में हंगामा हो गया होगा और जब्बार सुलतान को ढूंढने के ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगा!
करीब दो दिन अजय अपने घर पहुंचा तो उसकी माता मेनका ने मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया और बोली:"
" कैसे हो पुत्र ?
अजय अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"
" अच्छा हु मैं! आप कैसी हो ?
मेनका:" ठीक हु मैं भी! बस थोड़ा मन नही लग रहा था लेकिन अब तुम आ गए हो तो दिक्कत नहीं होगी मुझे! वैसे आप कहां गायब थे इतने दिन से ?
अजय ने मेनका को सारी बातें बताई तो मेनका अपने बेटे की बहादुरी से बड़ी खुश हुई और बोली:" पुत्र आपने तो सच मे कमाल कर दिया, पिंडालगढ से जीवित आने वाले आप पहले इंसान हो! मुझे पूरा यकीन है कि आप पिंडाला को मारकर अपने पिता की मौत का बदला ज़रूर लोगे!
अजय के चेहरे पर बदले की भावना साफ दिखाई दी और सख्त लहजे में बोला
" मेरे जीते जी पिंडाला जिंदा नही रहेगा, मुझे आपके दूध की सौगंध हैं माता आपके सुहाग उजाड़ने वाले की मैं दुनिया उजाड़ दूंगा! बस आप मुझे आशीर्वाद दीजिए!
इतना कहकर अजय ने अपने माता के पैर छुए तो मेनका ने उसे गले लगा लिया और कसकर उससे लिपट गई! अजय के मजबूत बाजू भी अपनी माता के बदन पर कस गए और दोनो थोड़े देर बिलकुल शांत खड़े हुए एक दूसरे की धड़कने सुनते रहे! अजय धीरे से अपनी माता के कान में बोला
" आपके लिए लाल रंग की रेशमी साड़ी और चूड़ियां लेकर आया हूं! मुझे आशा हैं कि आपको पसंद आयेगी!
अजय की बात सुनकर मेनका का दिल धड़क उठा और उसके चेहरे पर लालिमा छा गई और बोली:"
" धत तेरी बेशर्म हो गए हो आप पुत्रदेव!
अजय ने उसकी कमर को अपनी हथेली से हल्का सा मसल दिया और बोला:" अपनी माता को खुश रहना बेशर्मी कब से हो गई भला!
मेनका उसकी बांहों में मचल उठी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, चलो छोड़ो मुझे घर के काम तो निपटा लू पहले!!
अजय ने अपनी बांहों की गिरफ्त को थोड़ा सा ढीला किया और धीरे से बोला:" और काम निपटाने के बाद मेरी माता??
मेनका का पूरा बदन अपने बेटे की बात सुनकर कांप उठा क्योंकि वो जानती थी कि आज रात जरूर कुछ न कुछ तो होगा इसलिए कसमसाते हुए अपने बेटे की गिरफ्त से बाहर निकली और छूटकर रसोई की तरफ भागती हुई गई!
वही दूसरी सुल्तानपुर में जब्बार वापिस आ गया था और राधिका ने जैसे ही उसे अंगूठी दिखाई तो जब्बार को हैरानी हुई और बोला
" राधिका ये अंगूठी आपके पास कहां से आई ?
राधिका:" ये मुझे सीमा के कपड़ो से मिली हैं काफी कीमती लगती हैं मुझे ये!
जब्बार:" ये उदयगढ़ के राजघराने की अंगूठी हैं! उसके पास ये कीमती अंगूठी कैसे हो सकती हैं जरूर कोई न कोई राज है! वो तो शहजादी सलमा के साथ रहती है न राधिका?
राधिका:" हान रहती तो वो शहजादी के साथ ही है!
जब्बार:" सीमा का किसी से कोई चक्कर तो नही चल रहा हैं न ऐसा कोई जो उदयगढ़ से हो जिसने अंगूठी चुराई हो और ये भी हो सकता है कि उदयगढ़ राजघराने का ही हो!
राधिका थोड़ा सा सोच मे पड़ते हुए बोली:" शहजादी और सीमा दोनो गुमसुम रहती है मानो किसी के प्यार में पड़ी हुई हो! दासियों में भी मैने कुछ कानाफूसी सुनी तो हैं लेकिन पक्का कुछ नही!
जब्बार की आंखे में चमक आई और बोला:" तो तुमने ये बात मुझे आज तक क्यों नहीं बताई राधिका ? क्या कानाफूसी सुनी हैं बताओ तो जरा हमे भी?
राधिका चुप रही तो जब्बार बोला:" क्या हुआ जल्दी बोलो? चुप क्यों हो ?
राधिका डर सी गई और कांपते हुए बोली:" राज महल के बारे में कुछ भी बोलते हुए डर लगता हैं मुझे! कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो मारी जाऊंगी!
जब्बार ने उसके दोनो कंधे पर अपने हाथो को रखा और उसे अपनापन दिखाते हुए बोला:"
" डरो मत राधिका, अब तो ये मानकर चलो कि सुल्तानपुर का सुलतान मैं ही हु! सब कुछ मेरी मर्जी से ही होगा और मुझसे तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं है!
राधिका के अंदर थोड़ा आत्म विश्वास आया और बोली:" वो सुना हैं कि मेले में शहजादी किसी युवराज से मिलने गई थी ऐसा मुझे मेरी सहेली ने बताया हैं जो एक सैनिक की प्रेमिका हैं जो शहजादी की सुरक्षा में था!
जब्बार:" क्या नाम हैं उस सैनिक का ?
राधिका ने डरते हुए उसका नाम बताया:" आबिद!!
जब्बार:" ठीक है! जब तक हम न कहे ये बाते किसी के सामने खुलनी नही चाहिए!
राधिका ने अपनी गर्दन को हान में हिलाया और थोड़ी देर बाद ही उसके सामने आबिद नाम का सैनिक खड़े हुए थर थर कांप रहा था और बोला:"
" हमसे क्या खता हो गई जो हमे आपके हुजूर में पेश होना पड़ा ?
जब्बार:" उधर आप हमारे पास बैठो! कुछ बाते करनी हैं! कितने साल से काम कर रहे हो ?
आबिद:" मेरी इतनी औकात नही जो आपके पास बैठ सकू! जी मुझे 12 साल हो गए!
जब्बार ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठा लिया और बोला:" अरे डरो मत भाई! सबसे पहले तो खुश खबरी सुनो कि आज के बाद तुम पांच गांवों के मालिक रहोगे और तुम्हे सैनिक से बढ़ाकर नायब की पदवी दी जायेगी!
आबिद ने दोनो हाथो को जोड़ दिया और बोले:" माफ कीजिए लेकिन मैं इस इस काबिल नही हु
जब्बार:" तुम इसके काबिल हो आबिद और ध्यान से मेरी बात सुनो! मैं को पुछु उसका सच सच जवाब देना नही तो गर्दन कटते भी देर नहीं लगेगी!
आबिद कांप उठा और बोला:" गर्दन आप काट देना और अगर झूठ बोलूं तो !!
जब्बार:" शहजादी सलमा और सीमा मेले मे किससे मिलने गई थी? कौन उनसे मिलने के लिए आया था वहां?
आबिद का मुंह डर के मारे लाल हो गया और गला सूख गया और चुप रहा तो जब्बार ने सख्ती से बोला:" बोलते हो या मैं अपनी तलवार निकालू ?
आबिद के बदन से पसीना निकल गया और बोला:" वो मुझे साफ तो नही पता लेकिन इतना जरूर है कि देखने से एक युवराज और दूसरा उसका सारथी लग रहा था!
जब्बार: कहां के थे वो दोनो ?
आबिद:" ये तो नही कह सकता लेकिन इतना जरूर हैं कि मेले के पास ही मंदिर था और मंदिर में उदयगढ़ की राजमाता आई हुई थी! वो पूरा यकीन हैं कि तो उदयगढ़ का युवराज ही होगा!
जब्बार:" इतनी बड़ी बात हमसे कोई नही बताई ?
आबिद:" गलती हो गई हमसे, अब ना होगी! हर एक जानकारी आपको दूंगा बस मेरी जान की रक्षा कीजिए!
जब्बार:" तुम फिक्र मत करो! सब कुछ राज्य में मेरे हाथ में ही हैं और मैं जल्दी ही तुझे बहुत बड़ी गद्दी दूंगा लेकिन शहजादी से जुड़ी हर खबर मुझे चाहिए और ये बात भूले से भी किसी के सामने नही जानी चाहिए कि मुझे ये सब पता है! आखिरकार राज परिवार की रक्षा करना मेरा फर्ज होना चाहिए!
आबिद:" आप फिक्र न करे! मैं शहजादी के बारे में आपको सब कुछ बता दूंगा!
करीब एक घंटे एक मीटिंग हुए जिसमे जब्बार के साथ पिंडाला। और उदयगढ़ का गद्दार सेनापति शक्ति सिंह बैठे हुए थे!
जब्बार:" मुझे किसी भी कीमत पर युवराज विक्रम और अजय की लाश चाहिए आज!
शक्ति सिंह:" लेकिन ये काम इतना आसान नही होगा क्योंकि अजय के पास उसके पूर्वजों की दी हुई तलवार हैं और उसे कोई नही हरा सकता!
पिंडाला:" तुम उसकी फिक्र मत करो और जैसा कहा गया है वैसा ही करो! इतना तो कर ही सकते हो ना तुम!
शक्ति:" आप बेफिक्र रहे! मैं आज ही रात में ये काम कर दूंगा! आपकी योजना का दूसरा हिस्सा आपको पूरा करना होगा क्योंकि अगर युवराज और अजय बच गए तो मेरी मौत तय है!
जब्बार:" तुम चिंता मत करो! हमसे आज तक कोई नही बच पाया हैं तो ये नए बच्चे क्या ही कर लेंगे!! जाओ अपना काम करो हमारी विजय निश्चित हैं क्योंकि हमारे साथ महाबली पिंडाला है!!
शक्ति:" ठीक हैं लेकिन अपना वादा याद रखना कि मुझे उदयगढ़ का राज सिंहासन चाहिए!
जब्बार:" जब्बार का वादा पत्थर की लकीर होता हैं उदयगढ़ के होने वाले महाराज शक्ति सिंह!!
शक्ति सिंह खुश हो गया और चल पड़ा अपनी पहली योजना को अंजाम देने के लिए जिसके तहत आज की रात अजय और विक्रम को मौत के घाट उतारना था!
Nice and superb update....अगले पूरे दिन अजय और विक्रम राज्य के कामों में लगे रहे और थोड़ा भी आराम नही मिला! उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि सुलतान को कैसे सुरक्षित रखा जाए क्योंकि दोनो जानते थे कि अब तो पिंडलगढ़ में हंगामा हो गया होगा और जब्बार सुलतान को ढूंढने के ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगा!
करीब दो दिन अजय अपने घर पहुंचा तो उसकी माता मेनका ने मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया और बोली:"
" कैसे हो पुत्र ?
अजय अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"
" अच्छा हु मैं! आप कैसी हो ?
मेनका:" ठीक हु मैं भी! बस थोड़ा मन नही लग रहा था लेकिन अब तुम आ गए हो तो दिक्कत नहीं होगी मुझे! वैसे आप कहां गायब थे इतने दिन से ?
अजय ने मेनका को सारी बातें बताई तो मेनका अपने बेटे की बहादुरी से बड़ी खुश हुई और बोली:" पुत्र आपने तो सच मे कमाल कर दिया, पिंडालगढ से जीवित आने वाले आप पहले इंसान हो! मुझे पूरा यकीन है कि आप पिंडाला को मारकर अपने पिता की मौत का बदला ज़रूर लोगे!
अजय के चेहरे पर बदले की भावना साफ दिखाई दी और सख्त लहजे में बोला
" मेरे जीते जी पिंडाला जिंदा नही रहेगा, मुझे आपके दूध की सौगंध हैं माता आपके सुहाग उजाड़ने वाले की मैं दुनिया उजाड़ दूंगा! बस आप मुझे आशीर्वाद दीजिए!
इतना कहकर अजय ने अपने माता के पैर छुए तो मेनका ने उसे गले लगा लिया और कसकर उससे लिपट गई! अजय के मजबूत बाजू भी अपनी माता के बदन पर कस गए और दोनो थोड़े देर बिलकुल शांत खड़े हुए एक दूसरे की धड़कने सुनते रहे! अजय धीरे से अपनी माता के कान में बोला
" आपके लिए लाल रंग की रेशमी साड़ी और चूड़ियां लेकर आया हूं! मुझे आशा हैं कि आपको पसंद आयेगी!
अजय की बात सुनकर मेनका का दिल धड़क उठा और उसके चेहरे पर लालिमा छा गई और बोली:"
" धत तेरी बेशर्म हो गए हो आप पुत्रदेव!
अजय ने उसकी कमर को अपनी हथेली से हल्का सा मसल दिया और बोला:" अपनी माता को खुश रहना बेशर्मी कब से हो गई भला!
मेनका उसकी बांहों में मचल उठी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, चलो छोड़ो मुझे घर के काम तो निपटा लू पहले!!
अजय ने अपनी बांहों की गिरफ्त को थोड़ा सा ढीला किया और धीरे से बोला:" और काम निपटाने के बाद मेरी माता??
मेनका का पूरा बदन अपने बेटे की बात सुनकर कांप उठा क्योंकि वो जानती थी कि आज रात जरूर कुछ न कुछ तो होगा इसलिए कसमसाते हुए अपने बेटे की गिरफ्त से बाहर निकली और छूटकर रसोई की तरफ भागती हुई गई!
वही दूसरी सुल्तानपुर में जब्बार वापिस आ गया था और राधिका ने जैसे ही उसे अंगूठी दिखाई तो जब्बार को हैरानी हुई और बोला
" राधिका ये अंगूठी आपके पास कहां से आई ?
राधिका:" ये मुझे सीमा के कपड़ो से मिली हैं काफी कीमती लगती हैं मुझे ये!
जब्बार:" ये उदयगढ़ के राजघराने की अंगूठी हैं! उसके पास ये कीमती अंगूठी कैसे हो सकती हैं जरूर कोई न कोई राज है! वो तो शहजादी सलमा के साथ रहती है न राधिका?
राधिका:" हान रहती तो वो शहजादी के साथ ही है!
जब्बार:" सीमा का किसी से कोई चक्कर तो नही चल रहा हैं न ऐसा कोई जो उदयगढ़ से हो जिसने अंगूठी चुराई हो और ये भी हो सकता है कि उदयगढ़ राजघराने का ही हो!
राधिका थोड़ा सा सोच मे पड़ते हुए बोली:" शहजादी और सीमा दोनो गुमसुम रहती है मानो किसी के प्यार में पड़ी हुई हो! दासियों में भी मैने कुछ कानाफूसी सुनी तो हैं लेकिन पक्का कुछ नही!
जब्बार की आंखे में चमक आई और बोला:" तो तुमने ये बात मुझे आज तक क्यों नहीं बताई राधिका ? क्या कानाफूसी सुनी हैं बताओ तो जरा हमे भी?
राधिका चुप रही तो जब्बार बोला:" क्या हुआ जल्दी बोलो? चुप क्यों हो ?
राधिका डर सी गई और कांपते हुए बोली:" राज महल के बारे में कुछ भी बोलते हुए डर लगता हैं मुझे! कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो मारी जाऊंगी!
जब्बार ने उसके दोनो कंधे पर अपने हाथो को रखा और उसे अपनापन दिखाते हुए बोला:"
" डरो मत राधिका, अब तो ये मानकर चलो कि सुल्तानपुर का सुलतान मैं ही हु! सब कुछ मेरी मर्जी से ही होगा और मुझसे तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं है!
राधिका के अंदर थोड़ा आत्म विश्वास आया और बोली:" वो सुना हैं कि मेले में शहजादी किसी युवराज से मिलने गई थी ऐसा मुझे मेरी सहेली ने बताया हैं जो एक सैनिक की प्रेमिका हैं जो शहजादी की सुरक्षा में था!
जब्बार:" क्या नाम हैं उस सैनिक का ?
राधिका ने डरते हुए उसका नाम बताया:" आबिद!!
जब्बार:" ठीक है! जब तक हम न कहे ये बाते किसी के सामने खुलनी नही चाहिए!
राधिका ने अपनी गर्दन को हान में हिलाया और थोड़ी देर बाद ही उसके सामने आबिद नाम का सैनिक खड़े हुए थर थर कांप रहा था और बोला:"
" हमसे क्या खता हो गई जो हमे आपके हुजूर में पेश होना पड़ा ?
जब्बार:" उधर आप हमारे पास बैठो! कुछ बाते करनी हैं! कितने साल से काम कर रहे हो ?
आबिद:" मेरी इतनी औकात नही जो आपके पास बैठ सकू! जी मुझे 12 साल हो गए!
जब्बार ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठा लिया और बोला:" अरे डरो मत भाई! सबसे पहले तो खुश खबरी सुनो कि आज के बाद तुम पांच गांवों के मालिक रहोगे और तुम्हे सैनिक से बढ़ाकर नायब की पदवी दी जायेगी!
आबिद ने दोनो हाथो को जोड़ दिया और बोले:" माफ कीजिए लेकिन मैं इस इस काबिल नही हु
जब्बार:" तुम इसके काबिल हो आबिद और ध्यान से मेरी बात सुनो! मैं को पुछु उसका सच सच जवाब देना नही तो गर्दन कटते भी देर नहीं लगेगी!
आबिद कांप उठा और बोला:" गर्दन आप काट देना और अगर झूठ बोलूं तो !!
जब्बार:" शहजादी सलमा और सीमा मेले मे किससे मिलने गई थी? कौन उनसे मिलने के लिए आया था वहां?
आबिद का मुंह डर के मारे लाल हो गया और गला सूख गया और चुप रहा तो जब्बार ने सख्ती से बोला:" बोलते हो या मैं अपनी तलवार निकालू ?
आबिद के बदन से पसीना निकल गया और बोला:" वो मुझे साफ तो नही पता लेकिन इतना जरूर है कि देखने से एक युवराज और दूसरा उसका सारथी लग रहा था!
जब्बार: कहां के थे वो दोनो ?
आबिद:" ये तो नही कह सकता लेकिन इतना जरूर हैं कि मेले के पास ही मंदिर था और मंदिर में उदयगढ़ की राजमाता आई हुई थी! वो पूरा यकीन हैं कि तो उदयगढ़ का युवराज ही होगा!
जब्बार:" इतनी बड़ी बात हमसे कोई नही बताई ?
आबिद:" गलती हो गई हमसे, अब ना होगी! हर एक जानकारी आपको दूंगा बस मेरी जान की रक्षा कीजिए!
जब्बार:" तुम फिक्र मत करो! सब कुछ राज्य में मेरे हाथ में ही हैं और मैं जल्दी ही तुझे बहुत बड़ी गद्दी दूंगा लेकिन शहजादी से जुड़ी हर खबर मुझे चाहिए और ये बात भूले से भी किसी के सामने नही जानी चाहिए कि मुझे ये सब पता है! आखिरकार राज परिवार की रक्षा करना मेरा फर्ज होना चाहिए!
आबिद:" आप फिक्र न करे! मैं शहजादी के बारे में आपको सब कुछ बता दूंगा!
करीब एक घंटे एक मीटिंग हुए जिसमे जब्बार के साथ पिंडाला। और उदयगढ़ का गद्दार सेनापति शक्ति सिंह बैठे हुए थे!
जब्बार:" मुझे किसी भी कीमत पर युवराज विक्रम और अजय की लाश चाहिए आज!
शक्ति सिंह:" लेकिन ये काम इतना आसान नही होगा क्योंकि अजय के पास उसके पूर्वजों की दी हुई तलवार हैं और उसे कोई नही हरा सकता!
पिंडाला:" तुम उसकी फिक्र मत करो और जैसा कहा गया है वैसा ही करो! इतना तो कर ही सकते हो ना तुम!
शक्ति:" आप बेफिक्र रहे! मैं आज ही रात में ये काम कर दूंगा! आपकी योजना का दूसरा हिस्सा आपको पूरा करना होगा क्योंकि अगर युवराज और अजय बच गए तो मेरी मौत तय है!
जब्बार:" तुम चिंता मत करो! हमसे आज तक कोई नही बच पाया हैं तो ये नए बच्चे क्या ही कर लेंगे!! जाओ अपना काम करो हमारी विजय निश्चित हैं क्योंकि हमारे साथ महाबली पिंडाला है!!
शक्ति:" ठीक हैं लेकिन अपना वादा याद रखना कि मुझे उदयगढ़ का राज सिंहासन चाहिए!
जब्बार:" जब्बार का वादा पत्थर की लकीर होता हैं उदयगढ़ के होने वाले महाराज शक्ति सिंह!!
शक्ति सिंह खुश हो गया और चल पड़ा अपनी पहली योजना को अंजाम देने के लिए जिसके तहत आज की रात अजय और विक्रम को मौत के घाट उतारना था!