शहजादी सलमा सुबह उठने के बाद सलीम और रजिया के साथ भोजन का आनंद लिया और उसे आबिद की याद आई तो वो थोड़ा भोजन लेकर मौका देखकर गुप्त रास्ते से अंदर घुसी और उसकी आंखे हैरानी से फट गई क्योंकि आबिद की लाश पड़ी हुई थी और उसे बेहद बेदर्दी से मारा गया था!
सलमा को यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर इतने गुप्त रास्ते में कोई कैसे उसे मार सकता हैं! विक्रम तो इसे मारने वाला नही हैं तो क्या सलीम ने ये सब किया हैं! सलमा को लगा कि जरूर ये सब सलीम का ही किया धरा है क्योंकि बंधे हुए आदमी को मारने की हिम्मत वही कर सकता है बुजदिल कहीं का! ऐसा सोचकर सलमा को उसके उपर बेहद गुस्सा आया क्योंकि आबिद का जिंदा रहना उसके लिए बेहद जरूरी था लेकिन सलीम ने उसका सारा खेल बिगाड़ दिया था! सलमा जानती थी कि यहां दरवाजे के पास पड़ी हुई आबिद की लाश की बदबू फैल कर महल में लोगो को शक पैदा करेगी इसलिए वो उसकी एक टांग पकड़ कर खींचती हुई उसे काफी दूर छोड़ कर आ गई और सीधे रजिया के कक्ष में घुस गई और उसे सब कुछ बताया तो रजिया बोली:"
" ये सलीम भी कभी सुधरने वाला नही हैं! सबसे बड़ी बात वो इस बात से साफ इंकार कर देगा कि उसने आबिद का कत्ल ही नही किया हैं!
सलमा एक लंबी सांस लेती हुई बोली:" सबसे बड़ी बात कि अगर गलती से भी किसी और ने आबिद का कत्ल किया है तो ये सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि गुप्त रास्ते को किसी और का जान लेना हमारी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं! बड़ी मुश्किल से एक उम्मीद हाथ लगी थी वो भी हाथ से निकल गई! समझ नहीं आता कि फिर से कहां से शुरू करू ?
रजिया:" उदास नही होते बेटी क्योंकि मेरी पहली और आखिरी उम्मीद तुम ही हो! सलीम से तो मुझे कोई उम्मीद कभी रही नही है! देख मेरी बात ध्यान से सुन अपने हक की जंग में सब कुछ जायज है और औरत के लिए उसका जिस्म ही सबसे बड़ा हथियार होता हैं जिसके बलबूते वो बड़ी से बड़ी हुकूमत का तख्ता पलट देती है!
सलमा बड़ी गौर से रजिया की बाते सुन रही थीं और बोली:"
" अम्मी आप फिक्र मत कीजिए! मैं आपकी उम्मीदों को जाया नही होने दूंगी!
रजिया ने सलमा का माथा चूम लिया और बोली:" मुझे तुम पर पूरा यकीन है बेटी! अल्लाह तेरी हिफाजत करे!
सलमा उसके बाद आज कई महीनो के बाद राज्य की कार्यवाही में शामिल हुई और उसे राजसभा में देखकर जब्बार के साथ साथ दूसरे मंत्री दल के लोग भी हैरान थे! आखिकार सभा समाप्त हुई और सतपाल सलमा से बोले:"
" आपका आज राजसभा में आना बेहद खुशी की बात है शहजादी!
सलमा अपने होंठो पर मुस्कान लाती हुई बोली:"
" ऐसे ही आप सबसे मिलने का मन किया तो आ गई! वैसे आप सभी लोग राज्य की सुरक्षा का काम अच्छे से देख रहे हैं और खासतौर से राजमहल की सुरक्षा एक दम आला दर्ज की रही है! बेगम अम्मी ने मुझसे खुद इस बात की तारीफ की हैं!
जब्बार ने अजीब सी नजरो से सलमा की तरफ देखा और बोला:
" राज्य और राज परिवार की सुरक्षा हम सबका परम कर्त्तव्य है शहजादी!
सलमा:" ये तो सुल्तानपुर के लिए सौभाग्य की बात है कि आप सभी जैसे कुशल योद्धा और वफादार मिले हैं जो सुल्तान न होने के बाद भी अपने दायित्व का पालन कर रहे हैं पूरी ईमानदारी के साथ वरना आजकल ऐसे लोग नही मिलते
जब्बार:" ये सब तो आपका और बेगम साहिबा का बड़प्पन है जो हमे इतना मान दे रहे हो शहजादी! हम सब तो बस अपना दायित्व पूरा कर रहे हैं!
सलमा:" एक बात में और बताना भूल गई कि बेगम साहिबा ने सुरक्षा की दृष्टि से नए हथियार लेने के लिए इजाजत दी है और सतपाल जी को वो सब जिम्मेदारी देने के लिए कहा हैं!
जब्बार जानता था कि सतपाल तो उसके हाथ में ही है इसलिए बोला;" ये तो बेहद खुशी की बात है कि इन्हे वफादारी का ईनाम मिला है!
सलमा:" हम एक बार आज हथियार खाने को देखना चाहते हैं ताकि सही से हथियारों का जायजा ले सके!
जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा शहजादी! आप मेरे साथ आइए मैं आपको सब कुछ दिखा दूंगा!
जब्बार सलमा को साथ लिए हुए चल पड़ा जबकि जब्बार के प्रभाव के कारण सतपाल और दूसरे मंत्री गण अपने अपने घर प्रस्थान कर गए! सलमा ने आज जब्बार को गौर से देखा तो उसे एहसास हुआ कि देखने में जब्बार बेहद शक्तिशाली भुजाओं वाला इंसान हैं! लेकिन उसकी सूरत इतनी अच्छी नही थी और सबसे बड़ी बात सूरत से ज्यादा उसके इरादे खराब थे नही तो कुल मिलाकर वो एक मजबूत मर्द था!
सलमा चलते हुए बोली:"
" वैसे एक बात तो माननी पड़ेगी कि आप एक बहादुर इंसान हो! उस रात जब राज महल में हमला हुआ था तो हम डर ही गए थे लेकिन उसके बाद आपने सब कुछ ठीक से संभाल लिया है!
जब्बार को समझ नही आ रहा था कि आज शहजादी के मुंह से फूल क्यों झड़ रहे हैं क्योंकि वो जानता था कि शहजादी उसे बिलकुल भी पसंद नहीं करती है और बोला:"
" आज मुझ नाचीज पर इतनी मेहरबानी किसलिए शहजादी ?
सलमा ने अदा से जब्बार की तरफ देखा और बोली:"
" क्योंकि गैरो पर से हमे भरोसा उठ गया है!
जब्बार उसकी बात का मतलब नहीं समझा और बोला:"
" माफ कीजिए शहजादी हम आपकी बात का मतलब नहीं समझ पाए ?
दोनो अब तक हथियार खाने में आ गए थे और सलमा आस पास नजर डालते हुए बोली:"
" देखो शहजादी होने के नाते हमारी एक मान मर्यादा हैं और हम चाहकर भी आपको सब कुछ नही बता सकते हैं!
जब्बार को लगा कि दाल में जरूर कुछ काला है जो शहजादी इस तरह पहेलियां बुझा रही है और एक तलवार उसे देते हुए दूसरी तलवार उठा कर एक लकड़ी के टुकड़े के एक ही झटके में दो करते हुए बोला:"
" ये देखिए इस तलवार की मजबूती!! वैसे आप अच्छा ईनाम दे रही है आप शहजादी हमे हमारी वफादारी का आप जो इस काबिल भी नहीं समझती है कि आप हम पर यकीन कर सके!
सलमा ने ध्यान से तलवार को देखा और पाया कि आम तलवार के मुकाबले उसका वजन बेहद हल्का था और सलमा को समझते देर नहीं लगी कि लकड़ी के टुकड़े को तलवार का रूप देकर उस पर रंग कर दिया गया है और उसने लकड़ी पर वार किया लेकिन तलवार उसके अंदर घुस भी नहीं पाई तो सलमा बोली:"
" आपने तो एक ही झटके में दो कर दिए और हम ठीक से चला भी नही पा रहे हैं! वैसे जब्बार बात ऐसी है कि हम आपसे कहना भी चाहते हैं लेकिन डर भी लगता है!
जब्बार बोला:" शहजादी माफ कीजिए लेकिन आपके कोमल और खूबसूरत हाथो में तलवार शोभा नहीं देती है! आप हमारे ऊपर यकीन कर सकती हैं और हम आपको निराश नहीं करेंगे!
सलमा ने झुकते हुए तलवार को एक तरफ रख दिया जिससे उसका दुपट्टा सरक गया और उसकी चूचियो के बीच की गहराई एक पल के लिए जब्बार के सामने आ गई और सलमा बोली:" बाते वैसे आप अच्छी बना लेते हैं! दर असल हमे जो चाहिए वो सिर्फ पूरे राज्य में आप ही दे सकते है!
जब्बार की आंखे सलमा की चुचियों का उभार देखकर चमक उठी क्योंकि ऐसी उम्दा चूचियां उसने आजतक नहीं देखी थी और बोला:"
" आप मुझ पर भरोसा करके देखिए शहजादी! आप बोलिए आपको क्या चाहिए ?
सलमा ने पहली बार जब्बार की आंखो में आंखे डाली और बोली:"
" हमे उदयगढ़ के युवराज विक्रम सिंह का कटा हुआ सिर चाहिए जब्बार!
जब्बार को मानो अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ और बोला:"
" आपका हुक्म सिर आंखो पर लेकिन हुआ क्या हैं शहजादी ?
सलमा जमाने भर की उदासी अपने चेहरे पर लाती हुई बोली:"
" हम उस धोखेबाज से प्रेम कर बैठे थे जब्बार! लेकिन उसने हमे धोखा दिया! हमे आज ही पता चला है कि वो किसी और के साथ भी संबंध रखते हैं!
जब्बार गुस्से के साथ बोला:"
" ये उदयगढ़ वाले हमेशा धोखा ही देते रहे हैं! आपने वालिद को पहले उसके बाद ने धोखा दिया और आपको उसके पुत्र ने! आप फिक्र मत कीजिए शहजादी आपकी शान में गुस्ताखी करने वाली को हम आपके कदमों में जिंदा या मुर्दा जरूर डालेंगे!
सलमा खुश होते हुए बोली:"
" हमे आपसे यही उम्मीद थी जब्बार क्योंकि आप राज्य के वफादार होने के साथ साथ सबसे ताकतवर मर्द भी हो!
पुरुष औरत के मुंह से अपनी मर्दानगी की प्रशंसा हमेशा से पसन्द करता है और जब्बार भी इसका अपवाद नहीं था और बोला:"
" शहजादी आपने गैरो पर यकीन करके अंजाम देख लिया और अभी आप अपनो पर भरोसा रखिए! हम आपको कदापि निराश नहीं करेंगे!
सलमा जब्बार की तरफ देखकर हल्की ही मुस्कान लाती हुई बोली:" हमे आप पर यकीन है जब्बार तभी तो आपको वो सब बता दिया जो हमने बेगम साहिबा को भी नही बताया! अब मेरी इज्जत आपके हाथ में है!
सलमा ने जान बूझकर दोहरे अर्थ वाले शब्द का इस्तेमाल किया और जब्बार भी उसका मतलब समझते हुए बोला:"
" आपकी इज्जत अब से मेरी इज्जत हैं शहजादी! आपका शुक्रिया हमे अपना समझने के लिए!
सलमा:" आप तो हमेशा से ही अपने रहे हैं जब्बार! बस कभी हम आपसे अपने दिल की बात कह नही पाए!
इतना कहकर सलमा आगे बढ़ गई और जान बूझकर मटक मटक कर चल रही थी जिससे उसकी मस्तानी गांड़ जब्बार के होश उड़ा रही थी और जब्बार बोला:" वैसे यकीन कर पाना काफी मुश्किल है कि आपके जैसी बेपनाह खूबसूरत शहजादी का दिल कोई कैसे तोड़ सकता हैं! निश्चित रूप से विक्रम बेहद मूर्ख इंसान है!
सलमा रुक गई और पलटकर जब्बार की तरफ देखती हुई बोली;:" इतने भी खूबसूरत नही हैं हम जब्बार! हम जानते हैं कि आप बस हमारा दिल रखने के लिए हमारी तारीफ कर रहे हो!
जब्बार :" खुदा कसम शहजादी हमने आज तक आपके जैसी अदभुत खूबसूरती नही देखी! बुरा न मानो तो कुछ कहूं आपसे ?
सलमा इठलाती हुई उसके करीब आते हुए बोली:"
" बोलिए ना जब्बार ? हम क्यों आपकी बात का बुरा मानने लगे भला अब!
जब्बार:" विक्रम का सिर काट कर लाने के बदले में हमे क्या ईनाम मिलेगा ?
सलमा उसकी बात सुनकर उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:" पूरी सल्तनत आपकी अपनी हैं जब्बार! जो आप चाहोगे मिला जायेगा ये सलमा का आपसे वादा हैं!
इतना कहकर सलमा ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया जिसे जब्बार ने खुशी खुशी थाम लिया और बोला:"
" अपना वादा याद रखना शहजादी! वैसे आपका हाथ सच मे बेहद खूबसूरत और नरम है!
इतना कहकर जब्बार ने उसका हाथ हल्का सा कस दिया तो सलमा हल्की सी कसमसाते हुए बोली:"
" उफ्फ क्या गजब करते हो जब्बार!!! हमारी नाजुक कलाई टूट जाएगी! हमारी रगो मे शाही खून दौड़ रहा हैं जब्बार! जान भी मांगोगे तो हंसते हंसते आपके लिए कुर्बान कर दूंगी! अब तो मेरा हाथ छोड़ दीजिए किसी ने देख लिया तो हम बदनाम हो जायेंगे!
जब्बार ने प्यार से उसकी उंगलियों को सहलाया और उसका हाथ छोड़ते हुए बोला:"
" वैसे यहां कोई आता जाता नही हैं तो आप बेकार में डर रही है शहजादी!
सलमा उसकी बात सुनकर जोर से शर्मा गई और दूसरी तरफ पलट गई तो जब्बार ने उसका कंधा पकड़कर अपनी तरफ घुमा दिया और बोला:"
" हमारी तरफ देखिए ना शहजादी आप एक बार!
सलमा ने एक बार उसकी तरफ देखा और शर्माकर अपनी नजरे झुकाते हुए अदा के साथ बोली:"
" हाय अम्मी हमे आपसे शर्म आती हैं जब्बार!
इतना कहकर एक झटके के साथ वो भागी और भागती चली गई जबकि जब्बार उसके पीछे आते हुए बोला:"
" फिर कब मिलोगे शहजादी हमसे ?
सलमा दरवाजे पर जाकर पलट गई और उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:" जल्दी ही मिलूंगी आपसे! लेकिन अपना वादा याद रखना आप!
उसके बाद सलमा दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई और पीछे खड़े हुए जब्बार को यकीन नहीं हो रहा था कि ये सच था या वो कोई सपना देख रहा था! उसका दिमाग कह रहा था कि ये सलमा की कोई जरूर कोई चाल हो सकती हैं जबकि दिल गवाह दे रहा था कि प्यार में धोखा खाई औरत किसी भी हद तक जा सकती हैं!
वही दूसरी तरफ अजय दिन भर राज्य के काम देखता रहा और मेनका से उसकी कोई मुलाकात नही हुई और रात का समय हो गया था और दोनो ने साथ में खाना खाया और मेनका बोली:"
" आप दिन भर बहुत ज्यादा काम किए हैं महराज आज! थक गए होंगे!
विक्रम:" हान माता काम तो था वैसे हम आज दिन भर महल से बाहर ही रहे जिस कारण थक गए हैं काफी! आराम करना चाहते हैं!
मेनका बिंदिया को देखते हुए बोली:" बिंदिया हम भी कल रात ठीक से सो नहीं पाए थे इसलिए आज जल्दी ही सो जायेंगे!
विक्रम;" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता! आप चाहे तो भोजन ग्रहण करने के बाद शाही बगीचे मे भी घूमने जा सकती है!
मेनका उसकी बात का मतलब समझ गई और बोली:"
" आज तो नही जा पाऊंगी! दिन में मैने भी अपने कक्ष की सफाई कराई और परदे बदल दिए गए हैं तो मैं भी आज ज्यादा थक गई हूं पुत्र!
विक्रम:" ठीक हैं आप आराम कीजिए राजमाता! हम चलते हैं!
इतना कहकर विक्रम जाने लगा और उसने जाने से पहले बिंदिया की तरफ देखा और उसका ध्यान दूसरी तरफ देखकर मेनका को दरवाजा खुला रखने का इशारा किया तो मेनका ने उसे इनकार कर दिया और विक्रम गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए अपने कक्ष में आ गया और बेड पर लेटकर आराम करने लगा!
दूसरी तरफ मेनका अपने कक्ष में आ गई और जान बूझकर अपने कक्ष का दरवाजा बंद कर दिया क्योंकि वो आज विक्रम को तड़पाना चाहती थी! उसने सोचा था कि थोड़ी देर बाद दरवाजा खोल देगी लेकिन दिन बाहर की थकी होने और कल रात ठीक से ना सो पाने की वजह से वो गहरी नींद में चली गई! रात भर का जगा होने के कारण विक्रम को भी नींद आ रही थी लेकिन उसका खड़ा लंड उसे सोने नही दे रहा था! लंड की नसे उभरकर साफ चमक रही थी और अपनी मजबूती दिखा रही थी! विक्रम कुछ भी करके एक बात अपने आपको ठंडा करना चाहता था इसलिए जैसे ही आधी रात हुई तो वो दबे पांव चल पड़ा और मेनका के कक्ष को अंदर से बंद पाकर वो बेहद ज्यादा निराश हुआ और वापिस अपने कक्ष में लौट आया लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी! बिस्तर पर पड़े पड़े वो करवट बदल रहा था और रात जैसे आज ज्यादा ही लंबी होती जा रही थी!
विक्रम के जिस्म से मानो आग निकल रही थी क्योंकि वैद्य जी की दवाई ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और विक्रम चाहकर भी सो नही पा रहा था! आखिकार वो अपने कक्ष से बाहर निकला और एक बार फिर से उम्मीद के हाथ मेनका का कक्ष देखा लेकिन अंदर से फिर से बंद पाकर वो उदास हो गया और उसने शाही बगीचे में घूमने का विचार किया और शाही बगीचे में आ गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया! ये वही पेड़ था जहां उस दिन मेनका ने कबूतर और कबूतरी को चोंच लड़ाते हुए देखा था!
थोड़ी देर बाद कबूतर आ और देखते ही देखते कबूतर भी आ और दोनो एक दूसरे से अठखेलियां करने लगे तो विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और मग्न होकर उनकी रासलीला देखने लगा!
वही रात को करीब तीन बजे मेनका की आंखे खुली तो उसने इधर उधर देखा लेकिन विक्रम कहीं नजर नहीं आया तो उसे निराशा हुई! मेनका दरवाजे पर आई और दरवाजे को बंद पाकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसे समझ नही आया कि क्या करे! कहीं विक्रम उससे नाराज न हो जाए ! नही नही ऐसा वो होने नही देगी क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसकी जिंदगी में थोड़ी खुशियां आई हैं जिन्हें वो किसी भी कीमत पर खोने नही देगी!
मेनका अपने कक्ष से धीरे से बाहर निकली और विक्रम के कक्ष में जाने का फैसला किया! हालाकि वो बेहद घबराई हुई थी और उसके पैर कांप रहे थे लेकिन वो विक्रम से हर हाल में मिलना चाहती थीं!
मेनका ने चोर नजरो से उधर उधर देखा और घबराकर अंदर घुस गई! आज उसे एहसास हो रहा था कि विक्रम को उसके कक्ष तक आने में कैसी मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ता था और उसे विक्रम पर बहुत ज्यादा प्यार उमड़ आया! मेनका ने पूरा कक्ष देखा लेकिन विक्रम कहीं नही मिला तो उसका दिल बैठ गया और वो उदास कदमों से वापिस अपने कक्ष की ओर चल पड़ी!
विक्रम बड़े गौर से कबूतर और कबूतरी की रासलीला देख रहा था और उसे मेनका की बहुत याद आ रही थीं! तभी कबूतर कबूतरी के ऊपर चढ़ गया और विक्रम उदास होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई! तभी किसी ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कानो में वही मधुर आवाज सुनाई पड़ी जिसके वो तड़प रहा था
" अच्छा तो आप वहां बैठकर प्रेम लीला देख रहे हो पुत्र!
मेनका की आवाज सुन अधीर हो विक्रम ने हाथ पीछे बढ़ाकर अपनी गोद में खीच लिया और मेनका खुशी खुशी उसकी गोद में आ गिरी और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"
" वो देखिए महराज विक्रम कैसे आपके शाही बगीचे में प्रेम लीला चल रही है!!
विक्रम ने मेनका के ऊपर झुकते हुए उसके होंठो को चूम लिया और बोला:" प्रेम लीला नही प्यासे जिस्म अपनी आग बुझा रहे हैं!
मेनका ने उसके मुंह पर उंगली रख दी और धीरे से मुस्कुराई
" चुप रहो पुत्र! कितने बिगड़ते जा रहे हो आजकल!
विक्रम ने मुंह खोल कर मेनका की उंगली को मुंह में भर लिया और चूसते हुए बोला:"
" सब आपकी खूबसूरती और संगति का ही असर है माता!
मेनका ने उसके गालों की हल्का सा खींचा और और बोली:"
" वाह पुत्र वाह! अपनी गलती दूसरो पर डालना कोई आपसे सीखे!! छोड़िए ना मेरी उंगली आप !
विक्रम ने मेनका की चुचियों को देखा और बोला:" आपके ये मधुर मधुर पपीते मुझे ललचा देते है तो मेरी क्या गलती!
तभी कबूतर ने अपने दोनो बाजू फैलाकर कबूतरी को अपने नीचे दबा कर धक्का लगाया और कबूतरी जोर से चीं चीं चीं कर उठी तो मेनका विक्रम की आंखो में देखते अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए कामुक अंदाज में बोली:"
" हाय मार डाला बेचारी को!!
पहले से सुलग रहा विक्रम मेनका की इस हरकत से खुद को रोक नहीं सका और दोनो हाथों में उसकी चुचियों को भरते हुए मसल दिया तो मेबका दर्द और मस्ती से कराह उठी
" आआआह्ह ये क्या करते हो पुत्र! ये मर्द इतने निर्दयी क्यों होते हैं आखिर!
विक्रम अब पूरी तरह से मेनका के ऊपर चढ़ गया था और उसकी जांघो में अपने लंड को घुसाते हुए मेनका का मुंह पकड़कर फिर से कबूतरी की तरफ मोड़ दिया और बोला:"
" मर्द अगर जबरदस्ती न करे तो औरतों को आनंद कैसे आएगा! देखो ना आपकी सहेली अब कितने आनंद में डूबी हुई है!
मेनका ने देखा कि कबूतरी अब आराम से कबूतर के नीचे दबी हुई उससे अपनी चोंच मिला रही थी तो मेनका ने भी अपना मुंह ऊपर उठाकर विक्रम के होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी चुचियों को सहलाते हुए बोला:"
" आपने भी चोंच मिलाई अपनी सहेली को देखकर मतलब आप भी परम आनंद लेना चाहती हो!
विक्रम की बात सुनकर मेनका शर्मा गई और एक जोरदार झटके के साथ विक्रम के ऊपर आ गई और कानो में धीरे से फुसफसाई
" हान हान आपकी माता भी आपके साथ परम आनंद लेना चाहती है मेरे पुत्र!
इतना कहकर मेनका भाग खड़ी हुई और विक्रम उसके पीछे पीछे! मेनका भागती हुई शाही बगीचे के दरवाजे तक आ गई और विक्रम ने पीछे से पकड़ लिया और बोला:"
" कहां भाग रही हो आज बचकर माता ?
मेनका जोर से कसमसा उठी और बोली:" आपके कक्ष में महराज! आखिर हम भी तो देखे कि महराज का कक्ष कैसा होता है पुत्र!
विक्रम समझ गया कि मेनका खुले में शर्म महसूस कर रही है तो दोनो चल पड़े ! आगे आगे अपनी गांड़ को कामुक अंदाज में मटकाती हुई मेनका और पीछे पीछे अपने खड़े लंड के साथ उसका पुत्र विक्रम!
दोनो जैसे ही कक्ष में घुस गए तो विक्रम अंदर से दरवाजा बंद कर दिया तो मेनका बोली:"
" हाय पुत्र! दरवाजा बंद मत कीजिए ना हमे डर लगता है!
विक्रम ने मेनका को बांहों में भरते हुए उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला:"
" मेनका के जिस्म का दरवाजा खोलने के लिए मेरी जान!
मेनका की चूत पानी पानी हो गई थी तो मेनका भी विक्रम से कसकर लिपट गई और बोली:"
" अअह्ह्ह्हह नहीईईईई पुत्र! हम तो मर ही जायेंगे!
विक्रम ने मेनका को गांड़ से पकड़कर गोद में उठा लिया और बिस्तर पर पटकते हुए बोला:"
" अह्ह्ह्ह्ह मेरी मादक मेनका! आपका पुत्र आपको मरने नही देगा लेकिन आपकी खूब मारेगा! दबा दबा कर मारेगा उठा उठा कर मारेगा!!!
मेनका ने विक्रम की आंखो में देखा और फिर शर्म से दोहरी होती हुई दूसरी तरफ पलट गई तो विक्रम ने अलमारी से कुछ निकाला और बोला:"
" ये देखिए राजमाता हम आपके लिए क्या लाए हैं! आपके लिए सोने और सच्चे मोतियों से सज्जित मुकुट!
मेनका उसके पास आ गई और विक्रम ने मुकुट को उसके सिर पर रख दिया और मेनका बेहद आकर्षक लगने लगी और मुस्कुरा कर विक्रम को देखने लगी!
विक्रम उसका हाथ पकड़कर उसे शीशे के सामने ले गया और बोला;" देखिए ना आप बेहद आकर्षक और कामुक लग रही है इस राज मुकुट में माता!
मेनका ने खुद को देखा और खुश हुई लेकिन अगले ही पल उदास होती हुई बोली:"
" लेकिन महराज हमने आपसे मना किया हुआ हैं कि राज खजाने से खर्च मत कीजिए! हमे अच्छा नही लगता!
विक्रम को मेनका से इस समय ऐसी उम्मीद नही थी और बोला:"
" माता लेकिन राज खजाना भी तो हमारा ही हैं आखिर अब राजा हैं हम!
मेनका:" हान ठीक है लेकिन राज खजाने पर पहला हक गरीबों का होता हैं! अगर किस्मत से हमे राज पाठ मिल गया है तो हमे खजाना लुटाया नही चाहिए!
विक्रम को मेनका की बात बेहद बुरी लगी और बोला:"
" माफ कीजिए राजमाता हमने आपको तोहफा दिया और आपने इसे गलत समझ लिया!
मेनका:" आप खुद से कमाए और उसके बाद हमे देंगे तो हमें खुशी खुशी स्वीकार होगा!
विक्रम और मेनका दोनो अपनी अपनी बाते रख रहे थे और मेनका विक्रम की कोई बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं थी! सुबह के पांच बज गए तो विक्रम बोला:"
" ठीक है माता आप अभी जाकर आराम कीजिए! आज आप राज दरबार में जरूर आइएगा! हम आपका इंतजार करेंगे!
मेनका:" ठीक हैं पुत्र हम चलते हैं लेकिन ध्यान रहे कि हम राज खजाने से अब कोई तोहफा स्वीकार नही करेंगे!
विक्रम ने कोई जवाब नही दिया और मेनका अपने कक्ष में चली गई और विक्रम को बेहद गुस्सा आ रहा था!