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रात के करीब 9 बजे तक मेनका ने खाना तैयार कर दिया और उसके बदन में अजीब सी गुदगुदी हो रही थीं क्योंकि जबसे उसने वो लाल सुर्ख रंग की साड़ी और कांच की चूड़ियां देखी थी उसका मन मयूर नाच रहा था कि इनमे मे कितनी सुंदर लगूंगी!
अजय भी राज्य के सभी जरूरी काम निपटा कर और सुलतान की सुरक्षा व्यवस्था की सारी तैयारी देखने के बाद अपने घर की तरफ रवाना हो गया! अजय भी आज घर जाते हुए काफी खुश रहा था क्योंकि वो जानता था कि आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात होगी!
मेनका ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अजय का स्वागत किया और बोली:"
" बड़ी देर लगा दी आपने ! कहां थे पुत्र ?
अजय ने भी अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान के साथ दिया और बोला:"
" बस राज्य के कामों में ही लगा हुआ था और सुलतान की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहा था क्योंकि उन की सुरक्षा अभी सर्वोपरी हैं!
मेनका ने खाना टेबल पर लगा दिया था और बोली:" सुलतान के चक्कर मे अपनी माता को मत भूल जाना मेरे पुत्र!
अजय भी अपनी मां के पास बैठ गया और दोनो ने खाना खाना शुरू किया और बीच बीच में दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे और मेनका के मुख मंडल पर शर्म की लाली छाई हुई थी!
खाना खाने के बाद मेनका ने बर्तन उठाए और धोने के लिए किचन में जाने लगी तो अजय भी उसके साथ ही कुछ बर्तन उठाकर किचन में आ गई तो मेनका हल्की सी हंसते हुए बोली
" योद्धाओं के हाथ में बर्तन नही तलवार शोभा देती हैं!
अजय भी मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"सहमत हु माताश्री लेकिन एक सुंदर माता की घर के कार्यों में सहायता करना भी तो पुत्र का परम कर्त्तव्य होता हैं!
मेनका उसकी बात सुनकर अपने रूप सौंदर्य पर अभिमान करते हुए बोली:" चलो मान भी लिया मैं सुंदर लेकिन आपकी माताश्री हू पुत्र फिर आपका मेरे रूप सौंदर्य की ऐसी प्रशंसा करना अनुचित हो सकता है!
अजय मेनका के रूप सौंदर्य को निगाहे जमाकर देखते हुए बोला:"आप ईश्वर की बनाई हुई अदभुत अकल्पनीय सुंदरता की काम देवी हो माता! अब ऐसी सुंदरता की प्रसंशा न करना तो नियति के विरुद्ध होगा!
बर्तन धूल गए थे और मेनका उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और उसके गाल पकड़ कर खींचती हुई बोली:"
" लगता है आप कुछ ज्यादा ही शरारती हो गए हो! आपके लिए एक सुंदर कन्या देखनी पड़ेगी!
इतना कहकर मेनका किचन से बाहर की तरफ आई तो अजय भी उसका हाथ पकड़कर साथ में धीरे चलने लगा और बोला:"
" लेकिन मुझे बिल्कुल आपके जैसी रूप सौंदर्य वाली कन्या ही चाहिए! बिलकुल आपके जैसी कामदेव की रति!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और आंखे चुराते हुए चलती हुई रुक सी गई और बोली:" बस पुत्र बस, एक माता की सुंदरता की ऐसी प्रसंशा करना पुत्र को शोभा नहीं देता! ये अनैतिक और मर्यादा के खिलाफ हैं!
अजय:" मेरे लिए तो आप सुंदरता की अद्वितीय मूर्ति हो माता! कितना ही रोकू लेकिन जब आप रंगीन वस्त्र धारण करके श्रंगार करती हो तो मर्यादा की लकीरें तार तार करने को मन करता है!
इतना कहकर अजय ने आज पहली बार हिम्मत करके उसके गाल को चूम लिया तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा और अपने आप में सिमटती चली गई और बोली:"
" अपने मन को वश में रखने का प्रयत्न कीजिए ना! किसी ने देख लिया तो कहीं मुंह दिखाने के काबिल नही रहूंगी मैं!
पहले से ही काम वासना से विह्ल हो रहे अजय पर मेनका की किसी ने देख लिया वाली बात ने उसकी काम वासना को और प्रचंड कर दिया क्योंकि वो समझ गया कि अगर सुरक्षित रूप से मिलन हो तो मेनका ज्यादा विरोध नही करेंगी और अजय ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर पूरी ताकत से कसते हुए उसकी गर्दन पर अपनी जीभ हल्की सी फेरते हुए धीरे से बुदबुदाया:"
" और अगर कोई न देखे तो फिर क्या होगा !!
मेनका अजय की इस हरकत से तड़प उठी और अजय से अपना हाथ छुड़ा कर तेजी से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी तो अजय ने फुर्ती से उसे पीछे से अपनी बांहों में कस लिया और उसका तना मजबूत लंड मेनका के चौड़े मजबूत पिछवाड़े के बीच में घुस गया तो मेनका के मुंह से आह निकल गई और बोली
" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र छोड़ दीजिए मुझे!
मेनका के मुंह से निकली कामुक आह से अजय समझ गया कि आज की रात मेनका को आपत्ति नही हैं बस नखरे कर रही है तो उसके पेट पर एक हाथ रखकर उसे जोर से अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:" बताए ना मेरी अद्भुत कामुक माताश्री कोई ना देखे तो क्या होगी!
मेनका अब पूरी तरह से सुलग उठी थी और उसकी बांहों में कसमसाते हुए सिसकी:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र! ऐसी कोई जगह नही जहां कोई न देखे!
अजय ने अपनी जीभ से उसकी गर्दन पर चाट लिया और एक हाथ को उसकी कम्पन कर रही छातियों पर रख दिया और अपने लंड का जोर उसकी गांड़ की गोलाईयों पर देते हुए कामुक अंदाज में फुसफुसाया:"
" हमारे तहखाने में कोई नही देखेगा! अब बताए ना क्या होगा अगर कोई न देखे तो !
इतना कहकर उसने मेनका की छातियों को हल्का सा मसल दिया और मेनका एक झटके के साथ पलटी और उसके होंठ चूमकर अपने कक्ष में में घुस गई जीभ चिढ़ा कर बोली:"
" मुझे नही पता क्या होगा आज रात तहखाने में!
इतना कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया और अजय तड़पते जोर से हुए बोला:"
" आज रात तहखाने में अपनी माता की अद्भुत रूप सौंदर्य का पूर्ण नंग दीदार करूंगा, जी भरकर प्यार करूंगा!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और कुछ नही बोली और अजय बेचैनी से उधर उधर घूमता रहा और करीब आधे घंटे के बाद मेनका बाहर निकली तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई किसी दुल्हन की तरह लग रही थी और अजय ने आगे बढ़कर उसे बिना कुछ बोले अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उसकी छाती में मुक्के बरसाती हुई कसमसाई:"
" अह्ह्ह्ह क्या करते हो पुत्र!नीचे उतारिए हमे!
अजय ने उसके रसीले होंठों क्या हल्का सा चुम्बन लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" नीचे ही तो उतारूंगा पूरी रात आपको लेकिन जमीन पर नही अपने मजबूत बदन के नीचे मेरी जान मेनका!
उसकी बात सुनकर मेनका शर्म के मारे उसकी गर्दन में अपनी दोनो बांहे डालकर उससे लिपट गई और अजय ने जैसे ही तहखाने का दरवाजा खोला तो मेनका की चूत के होंठ फड़फड़ा उठे और कसकर अजय से लिपट गई! अजय ने मेनका को बेड के करीब अपनी गोद से उतार दिया तो और उसकी आंखो में देखा तो मेनका शर्म से लाल हो गई और अजय ने आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठो को रखा दिया और दोनो मदहोश होकर एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! अजय का एक हाथ उसके कंधे पर आया और जैसे ही मेनका की साड़ी की स्ट्रिप खुली तो मेनका की साड़ी खुलती चली गई और अब वो कांपती हुई ब्लाउस में उससे कसकर लिपट गई और अजय ने बेताबी दिखाते हुए उसकी उसकी साड़ी को पूरा खोल दिया तो मेनका की साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से अलग हो गई और मेनका ने काम वासना से पागल होते अपनी जीभ को अजय के मुंह में सरका दिया और अजय मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस को खोल दिया और मेनका की पीठ अन्दर ब्रा ना होने के कारण पूरी नंगी होती चली गई! मेनका के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और अजय ने जैसे ही उसकी नंगी कमर को छुआ तो मेनका मछली की तरह फुदकती हुई उसकी बांहों में पलट गई और जैसे कमरे मे आग लग गई क्योंकि मेनका के पलटते ही उसकी गोल मटोल गद्देदार पपीते के आकार की बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियां अजय के हाथ में आ गई और दोनो की आंखे एक साथ मस्ती से बंद हो गई और तभी एक एक जोरदार आवाज से दोनो की आंखे खुली तो आंखे फटी की फटी रह गई
" वाह अजय वाह तो ये हैं आपका और आपकी माता का असली चरित्र!
सामने युवराज विक्रम सिंह को देखकर दोनो मां बेटे की आंखे शर्म से झुक गई और अजय ने साड़ी को उठाकर मेनका के जिस्म पर ढक दिया और दोनो एक साथ विक्रम के पैरो में गिर पड़े और बोले:"
" हमे माफ कर दीजिए युवराज! अगर किसी को ये बात पता चली तो हम जी नही पायेंगे!
युवराज बिना कुछ बोले गुस्से से वापिस जाने लगा तो अजय उसके पैर पकड़ कर बोला:"
" हमे माफ कर दीजिए युवराज! सच में हमने न क्षमा करने वाला अपराध किया हैं! लेकिन इसमें सिर्फ मेरी गलती हैं मेरी माता निर्दोष हैं!
युवराज गुस्से से:" मैने आपको पूरे राज्य और महल की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी और आप वो सब भूलकर यहां अपनी माता के साथ राते रंगीन कर रहे हो!
अजय की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोला:" मुझसे अपराध हुआ हैं युवराज! आप चाहे तो सजा दीजिए मुझे स्वीकार होगी!
युवराज दोनो के आंसुओं को देखकर हलका सा पिघला और बोला:" आपकी इस लापरवाही की वजह से राजमाता नही मिल रही है! शायद उन्हें कोई उसके कक्ष से उठाके ले गया हैं!
अजय एक झटके के साथ खड़ा हुआ और बोला:" ऐसा न कहे युवराज! जिसने भी ऐसी हरकत करी है उसकी गर्दन उसके सिर से उड़ा दूंगा मैं!
युवराज:" नही अजय! मुझे अब तुम्हारी कोई जरूरत नहीं! मेरी लड़ाई मुझे खुद लड़नी पड़ेगी!
मेनका पहली बार हिम्मत करके बोली:" युवराज आप हमे हमारे कर्मो की जो चाहे सजा देना लेकिन अजय को उसका कर्तव्य निभाने से मत रोकिए! इतना कहकर मेनका ने उसके सामने हाथ जोड़ दिए और मेनका को युवराज ने ध्यान से देखा तो विषम परिस्थितियों में भी मन ही मन उसके सजे धजे रूप सौंदर्य की प्रशंसा किए बिना न रह सका और बोला:"
" ठीक हैं आपके परिवार के बलिदान और त्याग को देखते हुए अजय को ये मौका देता हू लेकिन ये मत समझना कि मैने आप दोनो को माफ कर दिया है!
इतना कहकर युवराज बाहर निकला तो अजय भी उसके साथ साथ निकल गया और दोनो की आंखो से अब गुस्से की चिंगारिया निकल रही थी!!
अजय भी राज्य के सभी जरूरी काम निपटा कर और सुलतान की सुरक्षा व्यवस्था की सारी तैयारी देखने के बाद अपने घर की तरफ रवाना हो गया! अजय भी आज घर जाते हुए काफी खुश रहा था क्योंकि वो जानता था कि आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात होगी!
मेनका ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अजय का स्वागत किया और बोली:"
" बड़ी देर लगा दी आपने ! कहां थे पुत्र ?
अजय ने भी अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान के साथ दिया और बोला:"
" बस राज्य के कामों में ही लगा हुआ था और सुलतान की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहा था क्योंकि उन की सुरक्षा अभी सर्वोपरी हैं!
मेनका ने खाना टेबल पर लगा दिया था और बोली:" सुलतान के चक्कर मे अपनी माता को मत भूल जाना मेरे पुत्र!
अजय भी अपनी मां के पास बैठ गया और दोनो ने खाना खाना शुरू किया और बीच बीच में दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे और मेनका के मुख मंडल पर शर्म की लाली छाई हुई थी!
खाना खाने के बाद मेनका ने बर्तन उठाए और धोने के लिए किचन में जाने लगी तो अजय भी उसके साथ ही कुछ बर्तन उठाकर किचन में आ गई तो मेनका हल्की सी हंसते हुए बोली
" योद्धाओं के हाथ में बर्तन नही तलवार शोभा देती हैं!
अजय भी मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"सहमत हु माताश्री लेकिन एक सुंदर माता की घर के कार्यों में सहायता करना भी तो पुत्र का परम कर्त्तव्य होता हैं!
मेनका उसकी बात सुनकर अपने रूप सौंदर्य पर अभिमान करते हुए बोली:" चलो मान भी लिया मैं सुंदर लेकिन आपकी माताश्री हू पुत्र फिर आपका मेरे रूप सौंदर्य की ऐसी प्रशंसा करना अनुचित हो सकता है!
अजय मेनका के रूप सौंदर्य को निगाहे जमाकर देखते हुए बोला:"आप ईश्वर की बनाई हुई अदभुत अकल्पनीय सुंदरता की काम देवी हो माता! अब ऐसी सुंदरता की प्रसंशा न करना तो नियति के विरुद्ध होगा!
बर्तन धूल गए थे और मेनका उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और उसके गाल पकड़ कर खींचती हुई बोली:"
" लगता है आप कुछ ज्यादा ही शरारती हो गए हो! आपके लिए एक सुंदर कन्या देखनी पड़ेगी!
इतना कहकर मेनका किचन से बाहर की तरफ आई तो अजय भी उसका हाथ पकड़कर साथ में धीरे चलने लगा और बोला:"
" लेकिन मुझे बिल्कुल आपके जैसी रूप सौंदर्य वाली कन्या ही चाहिए! बिलकुल आपके जैसी कामदेव की रति!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और आंखे चुराते हुए चलती हुई रुक सी गई और बोली:" बस पुत्र बस, एक माता की सुंदरता की ऐसी प्रसंशा करना पुत्र को शोभा नहीं देता! ये अनैतिक और मर्यादा के खिलाफ हैं!
अजय:" मेरे लिए तो आप सुंदरता की अद्वितीय मूर्ति हो माता! कितना ही रोकू लेकिन जब आप रंगीन वस्त्र धारण करके श्रंगार करती हो तो मर्यादा की लकीरें तार तार करने को मन करता है!
इतना कहकर अजय ने आज पहली बार हिम्मत करके उसके गाल को चूम लिया तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा और अपने आप में सिमटती चली गई और बोली:"
" अपने मन को वश में रखने का प्रयत्न कीजिए ना! किसी ने देख लिया तो कहीं मुंह दिखाने के काबिल नही रहूंगी मैं!
पहले से ही काम वासना से विह्ल हो रहे अजय पर मेनका की किसी ने देख लिया वाली बात ने उसकी काम वासना को और प्रचंड कर दिया क्योंकि वो समझ गया कि अगर सुरक्षित रूप से मिलन हो तो मेनका ज्यादा विरोध नही करेंगी और अजय ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर पूरी ताकत से कसते हुए उसकी गर्दन पर अपनी जीभ हल्की सी फेरते हुए धीरे से बुदबुदाया:"
" और अगर कोई न देखे तो फिर क्या होगा !!
मेनका अजय की इस हरकत से तड़प उठी और अजय से अपना हाथ छुड़ा कर तेजी से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी तो अजय ने फुर्ती से उसे पीछे से अपनी बांहों में कस लिया और उसका तना मजबूत लंड मेनका के चौड़े मजबूत पिछवाड़े के बीच में घुस गया तो मेनका के मुंह से आह निकल गई और बोली
" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र छोड़ दीजिए मुझे!
मेनका के मुंह से निकली कामुक आह से अजय समझ गया कि आज की रात मेनका को आपत्ति नही हैं बस नखरे कर रही है तो उसके पेट पर एक हाथ रखकर उसे जोर से अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:" बताए ना मेरी अद्भुत कामुक माताश्री कोई ना देखे तो क्या होगी!
मेनका अब पूरी तरह से सुलग उठी थी और उसकी बांहों में कसमसाते हुए सिसकी:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र! ऐसी कोई जगह नही जहां कोई न देखे!
अजय ने अपनी जीभ से उसकी गर्दन पर चाट लिया और एक हाथ को उसकी कम्पन कर रही छातियों पर रख दिया और अपने लंड का जोर उसकी गांड़ की गोलाईयों पर देते हुए कामुक अंदाज में फुसफुसाया:"
" हमारे तहखाने में कोई नही देखेगा! अब बताए ना क्या होगा अगर कोई न देखे तो !
इतना कहकर उसने मेनका की छातियों को हल्का सा मसल दिया और मेनका एक झटके के साथ पलटी और उसके होंठ चूमकर अपने कक्ष में में घुस गई जीभ चिढ़ा कर बोली:"
" मुझे नही पता क्या होगा आज रात तहखाने में!
इतना कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया और अजय तड़पते जोर से हुए बोला:"
" आज रात तहखाने में अपनी माता की अद्भुत रूप सौंदर्य का पूर्ण नंग दीदार करूंगा, जी भरकर प्यार करूंगा!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और कुछ नही बोली और अजय बेचैनी से उधर उधर घूमता रहा और करीब आधे घंटे के बाद मेनका बाहर निकली तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई किसी दुल्हन की तरह लग रही थी और अजय ने आगे बढ़कर उसे बिना कुछ बोले अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उसकी छाती में मुक्के बरसाती हुई कसमसाई:"
" अह्ह्ह्ह क्या करते हो पुत्र!नीचे उतारिए हमे!
अजय ने उसके रसीले होंठों क्या हल्का सा चुम्बन लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" नीचे ही तो उतारूंगा पूरी रात आपको लेकिन जमीन पर नही अपने मजबूत बदन के नीचे मेरी जान मेनका!
उसकी बात सुनकर मेनका शर्म के मारे उसकी गर्दन में अपनी दोनो बांहे डालकर उससे लिपट गई और अजय ने जैसे ही तहखाने का दरवाजा खोला तो मेनका की चूत के होंठ फड़फड़ा उठे और कसकर अजय से लिपट गई! अजय ने मेनका को बेड के करीब अपनी गोद से उतार दिया तो और उसकी आंखो में देखा तो मेनका शर्म से लाल हो गई और अजय ने आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठो को रखा दिया और दोनो मदहोश होकर एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! अजय का एक हाथ उसके कंधे पर आया और जैसे ही मेनका की साड़ी की स्ट्रिप खुली तो मेनका की साड़ी खुलती चली गई और अब वो कांपती हुई ब्लाउस में उससे कसकर लिपट गई और अजय ने बेताबी दिखाते हुए उसकी उसकी साड़ी को पूरा खोल दिया तो मेनका की साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से अलग हो गई और मेनका ने काम वासना से पागल होते अपनी जीभ को अजय के मुंह में सरका दिया और अजय मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस को खोल दिया और मेनका की पीठ अन्दर ब्रा ना होने के कारण पूरी नंगी होती चली गई! मेनका के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और अजय ने जैसे ही उसकी नंगी कमर को छुआ तो मेनका मछली की तरह फुदकती हुई उसकी बांहों में पलट गई और जैसे कमरे मे आग लग गई क्योंकि मेनका के पलटते ही उसकी गोल मटोल गद्देदार पपीते के आकार की बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियां अजय के हाथ में आ गई और दोनो की आंखे एक साथ मस्ती से बंद हो गई और तभी एक एक जोरदार आवाज से दोनो की आंखे खुली तो आंखे फटी की फटी रह गई
" वाह अजय वाह तो ये हैं आपका और आपकी माता का असली चरित्र!
सामने युवराज विक्रम सिंह को देखकर दोनो मां बेटे की आंखे शर्म से झुक गई और अजय ने साड़ी को उठाकर मेनका के जिस्म पर ढक दिया और दोनो एक साथ विक्रम के पैरो में गिर पड़े और बोले:"
" हमे माफ कर दीजिए युवराज! अगर किसी को ये बात पता चली तो हम जी नही पायेंगे!
युवराज बिना कुछ बोले गुस्से से वापिस जाने लगा तो अजय उसके पैर पकड़ कर बोला:"
" हमे माफ कर दीजिए युवराज! सच में हमने न क्षमा करने वाला अपराध किया हैं! लेकिन इसमें सिर्फ मेरी गलती हैं मेरी माता निर्दोष हैं!
युवराज गुस्से से:" मैने आपको पूरे राज्य और महल की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी और आप वो सब भूलकर यहां अपनी माता के साथ राते रंगीन कर रहे हो!
अजय की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोला:" मुझसे अपराध हुआ हैं युवराज! आप चाहे तो सजा दीजिए मुझे स्वीकार होगी!
युवराज दोनो के आंसुओं को देखकर हलका सा पिघला और बोला:" आपकी इस लापरवाही की वजह से राजमाता नही मिल रही है! शायद उन्हें कोई उसके कक्ष से उठाके ले गया हैं!
अजय एक झटके के साथ खड़ा हुआ और बोला:" ऐसा न कहे युवराज! जिसने भी ऐसी हरकत करी है उसकी गर्दन उसके सिर से उड़ा दूंगा मैं!
युवराज:" नही अजय! मुझे अब तुम्हारी कोई जरूरत नहीं! मेरी लड़ाई मुझे खुद लड़नी पड़ेगी!
मेनका पहली बार हिम्मत करके बोली:" युवराज आप हमे हमारे कर्मो की जो चाहे सजा देना लेकिन अजय को उसका कर्तव्य निभाने से मत रोकिए! इतना कहकर मेनका ने उसके सामने हाथ जोड़ दिए और मेनका को युवराज ने ध्यान से देखा तो विषम परिस्थितियों में भी मन ही मन उसके सजे धजे रूप सौंदर्य की प्रशंसा किए बिना न रह सका और बोला:"
" ठीक हैं आपके परिवार के बलिदान और त्याग को देखते हुए अजय को ये मौका देता हू लेकिन ये मत समझना कि मैने आप दोनो को माफ कर दिया है!
इतना कहकर युवराज बाहर निकला तो अजय भी उसके साथ साथ निकल गया और दोनो की आंखो से अब गुस्से की चिंगारिया निकल रही थी!!
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