• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest शहजादी सलमा

29
19
3
Update Bhai
 
  • Like
Reactions: Unique star

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,503
13,740
159
शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



IMG-20250107-005019



मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!

Wah Unique star Bhai,

Kya gazab ki update post ki he............

Menka jaisi garm aur kamuk aurat bina vikram ke jyada din reh na payegi.............

Jaldi hi dono ka milan hoga.........

Keep rocking Bro
 

parkas

Well-Known Member
28,062
62,125
303
शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



IMG-20250107-005019



मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai....
Nice and lovely update....
 

Pk8566

Active Member
1,270
1,551
159
Next more update Bhai
 
  • Like
Reactions: Unique star

Unique star

Active Member
889
10,776
139
विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली

" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?

विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?

मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!

विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"

" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?

मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!

विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"

" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !

मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"

" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!

विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!

मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"

" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!

विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"

" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!

मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"

" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !

मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"

" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!

मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"

" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!

विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!

मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"

" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!

विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:

" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!

मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"

" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!

मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!

विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !

मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"

" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!

बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"

" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!

मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!

बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"

" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!

बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!

बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!

विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!

विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!

अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!

विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!

अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!

विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!

अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!

उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!

मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"

" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!

मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?

विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?

मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"

" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!

विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!

मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"

" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?

मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"

" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!

मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!

विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!

विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"

" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!

मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"

" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!

मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!

मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई

" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!

मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!

विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!

मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"

" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!

मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"

" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !

विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"

" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!

विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"

" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!

मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!

विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !

मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"

" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!

मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?

विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!

मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"

" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!

मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"

" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?

विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!

मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"

" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!

मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"

" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!

विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!

धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"

" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?

मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!

विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?

मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"

" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?

मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"

" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?

विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"

" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!

विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!

IMG-20250115-213659




विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!

मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"

" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!

मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला

" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!

इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"

" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!

विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !

विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"

" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!

मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"

" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?

मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"

" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?

विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं

इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"

" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!

विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"

" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!

मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"

" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!

विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!

विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"

" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?

मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"

" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"

" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?

मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!

विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!

मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"

" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?

विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"

" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"

" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!

विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"

" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!

रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"

" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!

विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!

मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली

:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"

विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"

" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?

विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"

" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?

मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"

" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!

मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"

" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!

दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!

विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"

" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!

मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"

" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!

विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"

" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!

लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!

मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!

GIF-20250116-225306-948





मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"

" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"

" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!

इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!



GIF-20250116-225629-126

विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली

" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!

विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"


" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?

विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"

" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!

अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!

इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!

" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!

विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!

इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली

" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!

विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"

" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!

मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!

विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"

" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!

मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी

" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!

विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"

" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!

मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया

GIF-20250118-092331-696
gintama gif


जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली

"अह्ह्ह्ह पुत्र!

दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!

विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"

" क्या हुआ माता?

मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!

विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!

मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?

विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"

" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?

मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!

मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!

विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"

" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!

मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
 
Last edited:

devilneuron

New Member
19
21
3
Bhot mast update bhai
 

Boob420

Active Member
695
850
109
Superb update
 
Top