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Incest शहजादी सलमा

DB Singh

Member
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Salma randipane par utar gai hai... Sab kuchh paa kar bhi Kya fayda jab sbse keemti chiz khud ki izzat hi luta do... Salma se achhi toh dhandhe wali hoti hai.. Khairrr nice update
 

sbaakva

New Member
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bhai
मेनका और विक्रम दोनो अपने कक्ष में जाकर सो गए और दोनो की अगली मुलाकात नाश्ते पर हुई जहां दोनों बिना बात किए हुए खाना खा रहे थे तो मेनका बोली:"

" बिंदिया खाना तो अच्छा बनाई हो आप! क्यों महराज आपको कैसा लगा ?

विक्रम ने अनमने ढंग से जवाब दिया:" अच्छा ही हैं! ये तो रोज ही अच्छा बनाती हैं!

बिंदिया आज दोनो का एक दूसरे के प्रति व्यवहार देखकर समझ गई कि कुछ तो जरूर हुआ हैं हाथ जोड़कर बोली:"

" वैसे तो राज परिवार के बीच में बोलने का मुझे कोई अधिकार नही हैं नही आज आप दोनो की ये शांति मुझे कष्ट पहुंचा रही हैं राजमाता!

मेनका:" अरे नही नही बिंदिया ऐसा कुछ नहीं है!

बिंदिया:" क्षमा कीजिए राजमाता! लेकिन आप हंसती हुई ज्यादा अच्छी लगती है!

मेनका उसकी बात सुनकर जोर से हंस पड़ी और बोली:"

" बस अब खुश हो ना!

बिंदिया के चेहरे पर चमक आ गई और ये सब देखकर विक्रम भी मुस्कुरा दिया और बोला:"

" बड़ी ज्यादा चिंता करती हो राजमाता की!!

बिंदिया बस हल्की सी मुस्कुरा दी तो मेनका बोली:"

" करेगी क्यो करेगी मैने इसे अपनी छोटी बहन जो मान लिया है महाराज!

विक्रम:" अच्छा है राजमाता! आपने तो बिंदिया को अपने पक्ष में कर लिया है!

बिंदिया:" मेरा सौभाग्य हैं राजमाता जो आप मुझ गरीब को इतना मान दे रही है! महाराज आपसे मेरी विनती हैं कि कभी भूले से राजमाता का दिल मत दुखाना क्योंकि इनका अब आप ही सबसे बड़ा सहारा हो!

विक्रम ने आगे बढ़कर उसके हाथो को थाम लिया और बोला:"

" बिंदिया आप निश्चित रहो! राजमाता मेरे लिए भी सब कुछ हैं और मैं इन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा! अच्छा राजमाता मैं अब राज सभा के लिए जाऊंगा और अब भी साथ ही चलिए!

मेनका:" माफ चलिए महाराज! मैं आने की कोशिश करूंगी!

विक्रम चले गए तो मेनका ने बिंदिया को गले लगा लिया और बोली:" अरे बिंदिया सच में तूने आज मेरा दिल जीत लिया है! तुझे किसी भी चीज की दिक्कत हो तो मुझे बताना!

बिंदिया:" आप खुश रहे बस यही मेरी खुशी हैं! वैसे हमारे महराज बेहद अच्छे और प्रजा के सेवक हैं! राजा बनने के कुछ ही दिनों में उन्होंने प्रजा के लिए कई कर माफ कर दिए हैं! आज महराज ने जो राज्य के लिए काम किए हैं उनकी ही चर्चा होगी! मेरे विचार से आपको जरूर जाना चाहिए क्योंकि आप अपने पुत्र पर गर्व महसूस करेगी!

मेनका विक्रम की तारीफ सुनकर खुश हुई और बोली:"

" मन तो नही थी लेकिन तुम बोलती हो तो जरूर जाऊंगी!

बिंदिया:" मेरे बोलने ये भी और राजमाता ये भी ये कर्तव्य होता हैं कि वो भी एक सभा का हिस्सा बने क्योंकि ये सभा महीने में एक ही बार होती हैं! वैसे ही हमारा राज त्योहार " मोहिनी " भी तो दो दिन बाद ही हैं राजमाता!

मेनका त्योहार का नाम सुनकर एक पल के लिए सोच मे डूब गई और उसे अपने पति की याद आ गई कि कैसे इस त्योहार पर वो उनके लिए सजती संवरती थी और बोली:"

" जानती हो " मोहिनी " त्यौहार मुझे सबसे ज्यादा पसंद था क्योंकि इस दिन मेरे पति मेरा बहुत ध्यान रखते थे!

बिंदिया:" रखेंगे क्यों नही भला आप हैं ही इतनी ख़ूबसूरत कि बिना श्रंगार के भी मर्दों को तो छोड़ो स्त्रियों के भी होश उड़ा देती हो राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान अपने होंठो पर लाती हुई बोली:"

" बहुत ज्यादा बाते करती हो! अच्छा मैं राज सभा से होकर आती हूं!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता! पता नहीं इस बार " मोहिनी" त्योहार होगा कि नही! मुझे तो सबसे ज्यादा पसंद यही आता हैं! इस दिन हम औरतों को कोई काम नही करना होता बस अच्छे से श्रृंगार करो और रंगीन वस्त्र धारण करके खूब सारी मस्ती रात भर!

मेनका:" बहुत ज्यादा चालक हो गई हो बिंदिया! होगा क्यों नही होगा बिंदिया! मैं वचन देती हु कि उदयगढ़ की हर औरत को ये त्यौहार मनाने का मौका मिलेगा! अच्छा अब मैं चलती हु!

इतना कहकर मेनका निकल और राज दरबार में पहुंच गई जहां हाल आज पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था! राजमाता को देखते ही सभी लोग अपनी गद्दियो से खड़े हो गए और जोर जोर से राजमाता की जय हो राजमाता की जय हो के नारे लगाने लगे!

मेनका अपनी गद्दी पर विराजमान हो गई तो सभी लोग अपनी गद्दियो पर विराजमान हो गए और मान सिंह बोले:"

" महराज को कार्यभार सभाले अभी मात्र एक महीना ही हुआ है लेकिन उन्होंने अपनी बुद्धिमता से कार्य करते हुए उदयगढ़ के इतिहास को ही बदल दिया है!

सभी लोग कौतुहल से देखने लगे तो मान सिंह आगे बोले:"

" महाराज विक्रम ने कार्य भर संभालने के बाद हमारे राज्य के कपास के व्यापार को न केवल देश के दूर दराज के राज्यो अपितु विदेश तक फैला दिया है! रेशम के कपड़े के उच्च श्रेणी की गुणवत्ता के लिए आधुनिक तकनीक से बने यंत्रों का प्रयोग हुआ और इसके साथ ही दूसरे अनाज व्यापार जैसे अनाज और दालों को दामों पर विदेश में सौदा किया हैं ! इन सभी कार्यों को करने से राज्य की आय तीन गुनी हो गई है और राज्य के कोषागार को पूरी तरह से भर दिया है! साथ ही पड़ोसी राज्यों मालवा और शाहपुर की भी आपदा में मदद करी हैं जिससे

पूरा राज्य तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और सभी लोग जोर जोर से विक्रम जी जय जयकार करने लगे! मेनका भी आंखे खोले आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी कि जहां एक ओर वो उससे उपहार लेने से मना कर रही थी वही दूसरी तरफ उसके बेटे ने तो राज खजाने को नए आयाम तक पहुंचा दिया था और अपने कार्य को बिलकुल सही तरीके से अंजाम दिया था!

विक्रम अपने गद्दी से खड़े हुए और सभी को शांत होने का इशारा किया तो जनता शांत हो गई और विक्रम बोले:"

" मेरी प्यारी प्रजा मैने ये सब अपने अकेले दम पर नही किया हैं बल्कि इसमें राजमाता ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव हम दिए थे तभी जाकर ये सब कार्य हो पाया है!

मेनका हैरानी से विक्रम की तरफ देख रही थी और देखते ही देखते पूरी सभा में विक्रम के साथ साथ राजमाता की भी जय जयकार होने लगी! मेनका पूरी सभा में अपने द्वारा ऐसा सम्मान दिलाए जाने से अभिभूत हो गई और दोनो हाथ जोड़ते हुए अपनी गद्दी से खड़ी हो गई! विक्रम के इशारे पर एक बार प्रजा फिर से शांत हो गई और विक्रम बोले:"

" हमारा अगला उद्देश्य पैदावार बढ़ाने के साथ उदयगढ़ के हर आम नागरिक को एक सैनिक के रूप में तैयार करना है ताकि जरूरत पड़ने पर वो राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सके!

सभी ने हाथ उठाकर विक्रम की बात का समर्थन किया और आगे विक्रम बोले:"

" कल से राज त्यौहार " मोहिनी" शुरू हो रहा हैं और हम जानते हैं कि आप सभी के मन में विचार होंगे कि ऐसी दुख भरी स्थिति में त्यौहार मनाए या नही तो हम उदयगढ़ के महाराज होने के नाते ये हुक्म देते हैं कि ये त्यौहार सभी लोग पूरी धूम धाम के साथ मनाए और और एक परिवार को राज खजाने से 2500 स्वर्ण मोहरे प्रदान की जाए ताकि उल्लास के साथ त्यौहार मना सके! आने वाले समय में हम कई युद्ध लड़ने होंगे तो सभी औरतों से मेरा निवेदन होगा कि आकर्षक रंगीन वस्त्र पहने और खूब श्रंगार करे ताकि आपके पति को लंबी आयु का आशीर्वाद मिल जाए!

एक पल के लिए हॉल ने सन्नाटा छा गया क्योंकि किसी को भी उम्मीद नहीं थी ऐसी विकट परिस्थितियों में भी महाराज त्यौहार मनाने का निर्णय ली सकते हैं तो सबने राजमाता की तरफ देखा क्योंकि नारी होने के नाते" मोहिनी" त्यौहार पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार उनके ही पास होता हैं!

मेनका:" हमारा आदेश भी यही हैं कि" मोहिनी त्यौहार " मनाया जाएगा और साथ ही साथ हम आदेश देती हैं कि सभी घरों को मिलने वाली राशि को 2500 मोहरो से बढ़ाकर 5000 कर दिए जाए!

इतना कहकर मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और विक्रम ने स्वीकृति में अपनी गर्दन को हिला दिया और पूरी सभा में एक अद्भुत जोश भर गया और सभी लोग जोर जोर से विक्रम और मेनका की जय जयकार करने लगे!

विक्रम और मेनका की अगली मुलाकात दोपहर के भोजन पर हुई और मेनका खाना खाते हुए बोली:"

" महाराज हमने आपका खजाना कुछ ज्यादा तो नहीं लूटा दिया ना आज ?

विक्रम:" नही माता! आखिर ये सब खजाना हमे प्रजा की मेहनत से ही तो हासिल हुआ हैं!

तभी बिंदिया रसोई से कुछ पकवान लेकर आ गई और बोली:"

" लीजिए ये पकवान खाए न राजमाता! शुद्ध देसी घी से बने हुए हैं!

मेनका ने एक पकवान लिया और बिंदिया से बोली:" अपने महाराज को ज्यादा खिलाए क्योंकि ये आजकल बड़ी मेहनत कर रहे हैं और आगे और भी ज्यादा करेंगे!

इतना कहकर मेनका मुस्कुरा दी और बिंदिया ने विक्रम की थाली में ढेर पकवान रख दिए और बोली:" लीजिए महाराज! आप उदयगढ़ के इतिहास के सबसे ताकतवर और संपन्न राजा बन गए हैं!

विक्रम ने आधे पकवान वापिस बिंदिया को दिए और बोले:"

" ये सब अपनी राजमाता को भी अच्छे से खिलाए क्योंकि ये भी तो मेरी साथ कंधे से कन्धा मिलाकर मेहनत करती है!

इतना कहकर विक्रम ने बिंदिया की नजर बचाकर अपनी हाथ मेनका की जांघ पर रख दिया तो मेनका का बदन कांप उठा और बिंदिया उसके सामने पकवान रखती हुई बोली:"

" लीजिए राजमाता आप और खाइए! महाराज तो पहले से काफी शक्तिशाली प्रतीत होते हैं! उनका साथ देने के लिए आपको ही ज्यादा पकवान खाने की जरूरत है!

बिंदिया की बात सुनकर मेनका अंदर से सिहर गई और बोली:"

" इतने भी कमजोर नही है हम बिंदिया जितना आप और आपके महाराज हमे समझ रहे हो! पूछिए अपने महराज से कभी हम मेहनत करने से पीछे हटे है क्या ??

मेनका ने विक्रम के हाथ पर अपना हाथ रख दिया और अपनी जांघें खुद ही उसके हाथ से सहलाने लगी ! बिंदिया राजमाता की बात सुनकर बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था राजमाता! आप महाराज को न केवल टक्कर दे सकती हो बल्कि हरा भी सकती हो क्योंकि आखिरकार आप उनकी माता हुई और माता हमेशा बच्चो से आगे ही रहती है!

बिंदिया की बात सुनकर मेनका मुस्कुरा उठी तो विक्रम बोले:"

" पुत्र जब बड़ा हो जाए तो फिर उसके अंदर अपार शक्ति आ जाती है! वो बात अलग हैं कि पुत्र अपनी माता के सामने कभी शक्ति प्रयोग नहीं करते हैं!

मेनका ने विक्रम की बात सुनकर अपनी जांघो को खोल दिया और उसका हाथ अपनी चूत पर रखती हुई बोली:"

" बिंदिया कह दीजिए अपने महाराज से अपनी अपार शक्तियों का प्रयोग करे क्योंकि हम भी देखना चाहते हैं कि हमारे अंदर कितनी ताकत है!

इतना कहकर मेनका ने अपनी चूत को विक्रम के हाथ मे उभार दिया तो विक्रम ने उसकी चूत को मुठ्ठी में भर लिया और बोले:"

" बिंदिया समझा दो अपनी राजमाता कि कहीं हमसे मुकाबला करने के चक्कर अपना हाल बेहाल न कर बैठे!

विक्रम ने मेनका की चूत को जोर से मसल दिया तो मेनका मुंह बंद करके अंदर ही अंदर सिसक उठी और बिंदिया के विक्रम की बात सुनकर विक्रम की थाली से भी आधे लड्डू उठाए और सारे मेनका की थाली में रख दिए और बोली:"

" फिर तो आप ही सारे लड्डू खा लीजिए राजमाता क्योंकि महाराज राज्य के सबसे ताकतवर इंसान है और उनके सामने टिक पाना आपके किए आसान नही होगा!

मेनका ने विक्रम के हाथ को पूरी ताकत से अपनी जांघो में कस लिया और नाराजगी से बिंदिया की तरफ देखते हुए बोली:"

" वाह बिंदिया आखिर में आप भी महाराज की ही तरफ झुक गई हो!

बिंदिया:" ऐसा न कहे राजमाता बल्कि हमने तो सारे लड्डू आपको ही देकर आपका साथ दिया हैं!

बिंदिया की बात सुनकर विक्रम जोर से हंस पड़ा और बोला:"

" अच्छा ठीक हैं मजाक बहुत हो गया! चलिए अब हमे काम हैं तो जाना ही होगा!

मेनका ने अपनी जांघो को थोड़ा सा ढीला किया तो विक्रम का हाथ बाहर आ गया और विक्रम उठ खड़े हुए तो मेनका भी साथ ही साथ चल पड़ी और जैसे ही दोनो मेनका के कक्ष के सामने गए तो मेनका बोली:"

" हमारा " मोहिनी" उपहार कहां हैं महाराज ?

विक्रम:" आप हमसे कहां उपहार लेना पसंद करती हैं राजमाता ?

मेनका:" हमसे सच में भूल हुई है महराज जो सच्चाई समझ नही पाए! मुझे आपसे उपहार चाहिए क्योंकि मुझे भी आपकी मोहिनी बनना हैं!

इतना कहकर मेनका अपने कक्ष में जाने लगी तो विक्रम भी उसके पीछे ही घुस गया और उसे अपनी बाहों मे भर कर बोला:"

" क्या करोगे मेरी मोहिनी बनकर माता ?

मेनका ने उसके मुंह को चूम लिया और उचककर अपनी चुचियों को उसकी छाती से रगड़ते हुए बोली:"

" आपकी तपस्या भंग न कर दी तो मेरा नाम भी मेनका नही!!

इतना कहकर वो जोर पलटी और अपने कक्ष में अंदर घुस गई और परदे बंद कर दिए! विक्रम भी मुस्कुरा कर बाहर आ गया और अपने कक्ष में आकर आराम करने लगा!

शाम को करीब सात बजे विक्रम ने अपना भेष बदला और बाजार में पहुंच कर मेनका के लिए एक बेहद आकर्षक सोने और हीरो से बना एक वस्त्र लिया और उसके बाद वापिस लौट पड़ा!

रात को विक्रम जान बूझकर देर से खाने के लिए अपने रूम से निकला और मेनका तब तक चली गई थी तो विक्रम ने वो वस्त्र चुपके के उसके कक्ष से रख दिए और बाहर आ गया!

वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बातें अपनी अम्मी रजिया को बताई कि कैसे चालाकी से जब्बार ने नकली तलवारे राखी हुई है और सैनिक लड़ ही नही पायेंगे!

रजिया:" बेटी ये तो कुछ नहीं इससे भी बड़ी बड़ी बाते अभी तुझे पता चलेगी! जब्बार को पूरी तरह से अपने शीशे में उतार लो फिर देखो क्या क्या सच्चाई सामने आयेगी!!

सलमा:" अम्मी आप मुझ पर भरोसा रखिए! मैं सब कुछ सामने लाकर ही रहूंगी!

रजिया:" एक काम और करना ही पड़ेगा किसी भी तरह से सलीम को सही रास्ते पर लाना ही पड़ेगा!

सलमा:" आप निश्चित रहो! मैं सब ठीक कर दूंगी! अच्छा मैं अब चलती हु!


इतना कहकर सलमा बाहर निकल आई और सलीम के कक्ष में घुस गई तो देखा कि सलीम बैठे हुए मदिरा पान कर रहा था और सलमा को देख कर बॉटल छुपाते हुए बोला:"

" आपी आप समय मेरे कक्ष में आपी ?

सलमा:" देखने आए थे कि रात को अकेले क्या क्या गुल खिला रहे हो! पियो खूब मदिरा पियो!

सलीम:" माफ करना आपी लेकिन हमे इसकी आदत हो गई है अब! काफी कोशिश करी लेकिन छूटती ही नहीं है!

सलमा उसके पास बैठ गई और बोली:" जरा हमे तो भी दिखाओ कि आखिर इसमें ऐसा क्या हैं जो छूट नही रही!

सलीम ने बॉटल को सलमा के आगे कर दिया और सलमा ने बिना देर किए कई जोरदार घूंट भर लिए और बोली:"

" ओहो भाई ये तो बेहद कड़वी हैं ! कैसे पी पाते हो आप?

सलीम को सलमा से ऐसी उम्मीद नहीं थी लेकिन बोला:"

" शुरू में जरूर कड़वी लगती है लेकिन जब ये सिर पर चढ़ती है तो वो आनंद देती है कि बार बार पीने का मन करता है!

सलमा:" अच्छा ये बताओ कि जब तक ये गंदी आदत नही छोड़ दोगे तो ताकत कैसे आएगी और ताकत नही आयेगी तो युद्ध कैसे करोगे आप !!

सलमा जान बूझकर पेड़ पर गिर पड़ी और उसका पल्लू सरक गया तो उसकी चुचियों की गहराई खुलकर सलीम के सामने आ गई और सलीम बोला:"

" हम सब कुछ छोड़ देंगे आपी! वैसे आप है बड़ी खूबसूरत!

सलमा समझ गई थीं कि सलीम की नजरे कहां है और खड़ी होते हुए बोली:

" हमारा जाना ही बेहतर होगा क्योंकि आपकी बातो से लगता हैं कि आप होश में नहीं हो!

सलीम:" बैठिए न आपी, बड़ी मुश्किल से तो आप आई हो आज और आते ही जा रही हो ये क्या बात हुई थोड़ी देर बाते कीजिए ना हमसे भी!

सलमा भी खुद कहां ही जाना चाहती थीं लेकिन नाटक करते हुए बोली:" नही हम चलते हैं क्योंकि रात काफी हो गई है और आपको चढ़ भी गई है भाई!

इतना कहकर सलमा लड़खड़ाती हुई जाने लगी लेकिन जान बूझकर गिर पड़ी तो सलीम आगे बढ़ कर उसे उठाने लगा लेकिन उठा नही पाया तो सलमा मुस्कुराते हुए बोली:"

" शहजादे सलीम आपसे न हम संभाले जायेंगे! इतने शक्तिशाली मर्द नही हो आप!

सलीम को ये सीधा अपना अपमान महसूस हुआ और बोला:" बेशक आज हम आपको उठा नही सकते लेकिन वादा रहा जल्दी ही आपको अपनी गोद में उठाएंगे आपी!

सलीम ने उसका हाथ पकड़ लिया तो लड़खड़ाती हुई सलमा उसके बिस्तर तक आ गई और पेट के बल बिस्तर पर लेट गई और बोली:"

" सलमा सुलतानपुर की शहजादी हैं सलीम कोई आम औरत नही जिसे आप आसानी से उठा सको!

सलीम उसके पास ही बेड पर बैठ गया और उसकी उभरी हुई गांड़ देखते हुए बोला:

" और हम भी सुल्तानपुर के ही शहजादे सलीम हैं और आपको हम अपनी गोद में जरूर उठायेंगे आपी!

सलमा ने अपनी कोहनियों को बेड पर बेड पर टिका दिया और अपनी चुचियों का भर अपनी हाथो पर डालकर पूरी तरह से अपनी चुचियों को उभारती हुई बोली:"

" हम आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा भारी हैं शहजादे! हमको हल्के में लेने की भूल मत करना!

सलीम ने उसकी चुचियों का उभार देखा और उसकी आंखों में झांकते हुए बोला:"

" बेशक आप हमारी सोच से भी ज्यादा भारी हो सलमा लेकिन आपने आज हमारी मर्दानगी को ठेस पहुंचाई है देखना आप हम आपको पूरी की पूरी संभाल लेंगे शहजादी!

सलमा:" मुझे आपका वादा याद रहेगा! एक महीना हैं आपके पास सलीम!

सलीम:" एक महीना बहुत ज्यादा है शहजादी! आज के बाद हम आपको एक महीने बाद ही अपनी शक्ल दिखायेंगे!

सलमा:" ये हुई न मर्दों वाली बात! अच्छा अब चलते हैं! बेगम साहिबा से हमे कुछ जरूर बात करनी थी !

सलीम:" रुकिए जरा आपी! ऐसे जायेंगे तो आपके मुंह से आती हुई मदिरा की बदबू आपकी पोल खोल देगी! ये खा लीजिए!

इतना कहकर सलीम ने एक फल उसकी तरफ बढ़ाया तो सलमा ने उसे खा लिया और बाहर निकल गई ! सलमा पिछले कुछ दिन से देख रही थी ये बाहर तैनात एक सैनिक वसीम उस पर ज्यादा ही नजर रखे हुए था और कल से तो साए की तरह उसके पीछा कर रहा था तो सलमा को ये मौका अच्छा लगा और वही बाहर घूमने लगी! सैनिक को उसने अनदेखा कर दिया जैसी कि वो चाहती थीं और थोड़ी देर ही महल के प्रांगण में आ गई कि उसकी नजर जब्बार पर पड़ी
तो जब्बार आदर के साथ बोला:"

" शहजादी आप इस समय यहां ! क्या हुआ सब ठीक तो हैं ना ?

सलमा ने उसकी तरफ अदा के साथ देखते हुए बोली:"

" नींद नही आ रही थी तो हम घूमने के लिए आ गए! क्यों हमने कोई गुनाह कर दिया क्या ?

जब्बार:" खुदा के लिए ऐसा न कहे शहजादी! हमे तो इतनी खुशी हुई कि बयान नही कर सकते! बताए क्या खिदमत करू आपकी?

सलमा:" कुछ नही बस आ गए हो तो इतना काफी है हमारे लिए!

जब्बार:" कल हम शस्त्रगार ठीक से नहीं देख पाए तो अगर आपकी आज्ञा हो तो क्यों न एक बार देख ही लेते हैं!

सलमा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया:" हमे भला क्या आपत्ति होगी ? आखिर हमारा तो कर्तव्य है वो सब देखना!

रात के अभी 10 बजे हुए थे और जब्बार जानता था कि इस समय वहां दूर दूर तक कोई नही होगा तो खुश होते हुए उसके मन की बात जानने के लिए बोला:"

" जैसी आपकी आज्ञा शहजादी! लेकिन अभी इस समय क्या आपका जाना उचित होगा क्योंकि वहां कोई नहीं होगा और रोशनी की काफी कम होगी!

सलमा:" तो क्या हुआ हमे अपने राज्य में भला कैसा डर! आखिर हम शहजादी हैं!

जब्बार को भला क्या आपत्ति होती बल्कि उसने तो पूरी तरह से शहजादी को साफ कर दिया था कि अंधेरे में कुछ भी हो सकता हैं और किसी के न होने से कोई डर भी नहीं होगा!

सलमा ने एक मशाल ली और आगे आगे चल पड़ी! सलमा ने जान बूझकर ऐसे रास्ते का चुनाव किया जिसमे उन्हे कोई देख न पाए! जब्बार सलमा के इस रास्ते को चुनने से ही समझ गया था कि सलमा नही चाहती हैं कि कोई उन्हे जाते हुए देखे तो उसकी आंखे चमक उठी और बोला:"

" एक बात कहे शहजादी अगर आपकी इजाजत हो तो ?

सलमा ने चलते ही पलटकर उसकी कमर देखा और बोली:"

" अपनों से इजाजत नही ली जाती हैं जब्बार!

जब्बार:" पहले तो आप हमे नीचा दिखाने की कोशिश करती थी लेकिन अब हम पर ये मेहरबानी किसलिए ?

सलमा जानती थी कि जब्बार ऐसा सवाल जरूर कर सकता है इसलिए बोली:"

" पहले हमे लगता था कि विक्रम ही दुनिया के सबसे सुंदर और ताकतवर इंसान हैं! लेकिन हमे हमे समझा आया कि वफादारी सुंदरता से कहीं ज्यादा अहम होती हैं जब्बार जो आपके अंदर हैं बस इसलिए!

जब्बार:" बेहद शुक्रिया आपका हमे इस काबिल समझने के लिए! हम हमेशा आपको खुश रखेंगे शहजादी!

सलमा पर अब नशा पूरी ताकत से चढ़ गया था और उसकी गांड़ बेहद कामुक तरीके से मटक रही थी और जब्बार पीछे पीछे खिंचा चला आ गया रहा था क्योंकि वो जानता था कि थोड़ी ही देर बाद ये खूबसूरत शहजादी उसकी मजबूत भुजाओं में होगी!

दोनो जैसे ही शस्त्र गार के दरवाजे पर पहुंचे तो सलमा रुक गई और जब्बार भी उसके साथ आ गया और दोनो अंदर घुस गए और सलमा बोली:"

" अपना वादा याद है ना जब्बार आपको ?

जब्बार उसके सटकर चलते हुए बोला:" याद है शहजादी हमे! बस आप अपना वादा मत तोड़ देना बाद में!

सलमा रुक गई और अपनी एक उंगली जब्बार के होंठो पर रखती हुई बोली:"

" चुप रहो क्योंकि शहजादी कभी अपना वादा नही तोड़ती !

जब्बार ने मौके का फायदा उठाते हुए सलमा की उंगली को चूम लिया तो सलमा ने अपनी उंगली उसके होंठो पर से हटा ली और कामुक अंदाज में बोली:"

" हाय जब्बार! ये क्या गजब करते हो! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!

जब्बार ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" यहां दूर दूर तक कोई नही है शहजादी!!

सलमा जब्बार से अपना हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती हुई बोली:" कोई आ गया तो क्या सोचेगा ! हमारा हाथ छोड़िए ना जब्बार!

जब्बार ने उसका हाथ ताकत से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और बोला:"

" इतनी रात में कोई आएगा भी नही शहजादी! आप डरिए मत और ये मशाल हमे दीजिए हम बुझा देते है इसको भी!

सलमा मशाल वाले हाथ को उससे दूर ले जाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" हाय अम्मी!!! ऐसा मत कीजिए जब्बार! हमे अंधेरे में डर लगता हैं!

जब्बार ने मशाल को सलमा के साथ से ले लिया और सलमा का हाथ थामे अंदर बढ़ गया और एक दीवार पर मशाल को तिरछा करके लटका दिया जिससे अब बेहद हल्की रोशनी उन दोनो पर आ रही थी और सलमा उस मध्यम रोशनी में बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" आआह्ह्ह्हह हमारा नाजुक हाथ छोड़ दीजिए ना जब्बार!

जब्बार ने उसे कंधे से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और सलमा एक झटके के साथ उसकी छाती से आ लगी और कसमसाते हुए बोली:"

" हाय जब्बार! हमे जाने दीजिए ना रात ज्यादा हो गई है!

जब्बार ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर कस दिया और बोला:" उफ्फ शहजादी! यकीन नहीं हो रहा है कि आप मेरी बांहों में आ गई हो!

सलमा ने उसकी भुजाओं की मजबूती महसूस करके उसकी ताकत का एहसास किया और एक जोरदार झटके के साथ उसकी पकड़ से बाहर निकल गई और अंधेरे में दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी और जान बूझकर गिर पड़ी और दर्द से कराह कर नाटक करते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह्ह अम्मी गिर गए हैं अंधेरे में जब्बार!

जब्बार ने उसे उठाने के लिए हाथ आगे किए तो उसके दोनो हाथो में सलमा की चूचियां आ गई और विक्रम ने बिना देर किए उसकी दोनो चूचियों को सहला दिया तो सलमा जोर से सिसक उठी:"

" अह्ह्ह्ह जब्बार!


सलमा ने उसके हाथ अपनी चूचियों पर से हटा दिए तो जब्बार ने उसे अपनी गोद में उठा लिया तो सलमा ने उसके गले में अपनी बांहों का हार पहना दिया और उसका एक गाल चूम कर बोली:"

" सच में बेहद ताकतवर हो आप जब्बार हम जैसी भारी भरकम शहजादी को आपने फूल की तरह उठा लिया!

जब्बार उसे लेकर अब मशाल के करीब आ गया था और उसकी एक चूची पर हाथ फेरते हुए मस्ती में बोला:"

" ओह्ह मेरी शहजादी! आप सच में बेहद भारी हैं! देखिए ना आपका सीमा कितना बड़ा और भारी हैं!

सलमा जब्बार की बात सुनकर शर्माती हुई उससे कसकर लिपट गई और बोली

:" हाय अम्मी!! आपके लिए ही है सब जब्बार! हम आपसे मुहब्बत करने लगे हैं मेरे महबूब!

जब्बार ने सलमा के होंठो की तरफ अपने होंठ बढ़ाए तो सलमा ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया तो जब्बार ने सलमा के एक गाल को मुंह में भर लिया और जोर से चूसते हुए बोला:"

" सलमा सिर्फ मेरी हैं! हम भी आपसे बेहद प्यार करते हैं मेरी खूबसूरत शहजादी!

सलमा ने मस्ती में आते हुए अपनी दोनो टांगो को उसकी कमर पर लपेट दिया और धीरे से उसके कान में बोली:"

" ओहह जब्बार अब बस भी कीजिए ना! हम तो यहां बस हथियार देखने के लिए आए थे!

जब्बार सलमा के टांगे उसकी कमर में लपेटते हुए जोश में आ गया और सलमा का हाथ अपने वस्त्रों में घुसकर अपने नंगे कड़क लंड पर रख दिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह शहजादी! लो देख लीजिए हथियार!

सलमा जोर से सिसक उठी और उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह सीईईईईइ ! हाय जब्बार!!!!

सलमा का हाथ पकड़े हुए जब्बार ने लंड पर पूरी लंबाई में घुमाया और सलमा के कान में बोला:"

" कैसा लगा आपको हथियार शहजादी! आप जरूर चला पाएगी उसे सलमा!

सलमा ने जोर से उसके लंड के सुपाड़े को मसल दिया और उसके कान में किसी कोयल की तरह कूकती हुई बोली:"

" बहुत ज्यादा बड़ा और ताकतवर! हमसे ना चल पायेगा!

इतना कहकर सलमा एक झटके के साथ उसकी गोद से उतरकर अंधेरे में ही भागती चली गई और जब्बार उसे पीछे से आवाज देता रहा:"

"ओहो सलमा मेरी बात तो सुनो! रुको तो जरा!!

सलमा ने गेट खोला और बोली:"

" नही आप मार डालोगे हमे जब्बार! हमसे ना हो पाएगा!

इतना कहकर सलमा बाहर निकल गई और सीधे अपने कक्ष में ही जाकर रुकी! वो जानती थी कि अब जब्बार कुत्ते की तरह उसके आगे पीछे घूमने वाला है!
bhai bina gifs ke story padhne me koi maza nahi aa rha h tmari.gifs hi nahi daal rhe ho aap stories me.Aise jhatu updates na do bina gifs ke fans ki kuch to baat mano
 
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