Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai.....विक्रम उदयगढ़ पहुंचा तो उसे देखते ही राजमाता गायत्री देवी ने चैन की सांस ली क्योंकि रात से सभी लोगो की यही चिंता सताए जा रही थी कि युवराज कहां गायब हो गए हैं!
राजमाता:" पुत्र मैं बता नहीं सकती आपको देखकर मुझे कितनी खुशी हुई हैं! बिना बताए कहां चले गए थे आप ?
विक्रम किस मुंह से बताता कि रात वो अपनी शहजादी सलमा के पास था तो बात को घुमाते हुए बोला:" राज्य में ही था राजमाता, बस देख रहा था कि सब ठीक तो चल रहा है न!
राजमाता:" हमने आपको हर जगह ढूढने की कोशिश करी लेकिन आप कहीं नहीं मिले! आगे से आप प्रतिज्ञा कीजिए कि हमे बिना बताए कहीं नही जायेंगे!
विक्रम:" राजमाता हम कहीं नहीं गए थे बस नदी के किनारे घूमने गए थे! आपको तो पता हैं कि हमे नदी के किनारे घूमना कितना पसंद हैं!
राजमाता:" कोई बात नही बेटा! बस आगे से जाओ तो हमे बता देना ताकि आपकी सुरक्षा के लिए सैनिकों को भेजा जा सके!
विक्रम ने उनकी हां में सिर हिलाया और फिर अपने कक्ष में चला गया और नहाने के बाद थोड़ा कुछ खाकर नींद के आगोश में चला गया! शाम को करीब चार बजे उठा और पता चला कि आज नदी के किनारे हर साल लगने वाला मेला लगा हुआ हैं तो उसने अजय से कहा:"
" अजय ये मेला अच्छा लगता हैं न ? मैने सुना है कि सभी राज्यों के लोग यहां आते हैं !
अजय:" बिलकुल युवराज नदी के किनारे बसे सभी राज्य इस मेले में शामिल होते हैं क्योंकि नदी के पानी से ही सभी राज्यों में खेती होती हैं ! वैसे युवराज अगर आपकी आज्ञा हो तो एक बात पूछना चाहता हूं!
विक्रम:" कहो अजय ?
अजय:" आपने राजमाता को तो बता दिया कि रात आप नदी के किनारे आए थे लेकिन मैं खुद आपको कम से कम 5 बार नदी के किनारे देखने आया था लेकिन आप नही थे यहां!
विक्रम ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोला:"
" हमारी बात का यकीन करो अजय! हम झूठ क्यों बोलने लगे भला आपसे?
अजय:" माफी चाहता हूं युवराज लेकिन एक मां के ममतामई दिल को आप ऐसा बोल के तसल्ली दे सकते हो लेकिन मुझे नही!
विक्रम ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर चुप रहा! अजय ने भी अपनी तरफ से कुछ नही बोला और विक्रम बोला:"
" अजय हमारे साथ शाम को मेला देखने चलोगे न?
अजय:" बिलकुल युवराज! आपका हुक्म सिर आंखों पर!
उसके बाद करीब शाम को छह बजे दोनो घोड़ों पर सवार होकर मेला देखने के लिए पहुंच गए! मेला काफी दौर दूर तक लगा हुआ था और काफी सारी मिठाई और चाट की दुकान के साथ साथ झूले भी लगे हुए थे! अजय विक्रम के साथ उसके साए की तरह उसकी सुरक्षा में था,वैसे तो मेले में कोई लड़ाई नही होती थी लेकिन फिर भी कभी कभी कोई दुश्मनी निकालने के लिए कुछ भी कर सकता था!
विक्रम की नजरे सलमा को तलाश रही थी कि कहीं वो भी तो मेला देखने के लिए नही आई हुई है और उसे निराशा ही हाथ लग रही थी! रात के करीब 10 बज गए थे और विक्रम कुश्ती के अखाड़े में पहुंच गया और देखा कि एक बेहद काला मोटा तगड़ा राक्षस जैसा दिखने वाला पहलवान जिसका नाम सगोला था और सभी पहलवानों को हरा दिया था और अभी एक पहलवान को खिलौने की तरह पटक रहा था! विक्रम सगोला की ताकत से काफी प्रभावित हुआ और बोला :"
" अजय क्यों न इसे अपनी सेना में भर्ती किया जाए!
अजय:" नामुमकिन है युवराज! सच तो हैं कि ये पिंडारी समुदाय से हैं और बेहद ताकत होने के साथ साथ खूंखार भी हैं! ये अब तक अखाड़े में उदयगढ़ के करीब 12 पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ चुका हैं!
विक्रम:" इसकी इतनी हिम्मत! हम इसे अभी धूल चटा देंगे!
अजय:" नही युवराज, अभी सही समय नही आया हैं! इससे जरूर बदला लिया जायेगा!
विक्रम ने उसकी बात सुनकर कुछ नही कहा और खामोशी से इधर उधर देखने लगा और तभी एक बड़ी सी बग्गी आकर रूकी और विक्रम ने जैसे ही उसमे सीमा को देखा तो उसकी आंखे खुशी से चमक उठी और उसे यकीन हो गया कि शहजादी भी आज मेला देखने के लिए आई हुई है! वही सागोला ने एक दूसरे पहलवान को भी पटक दिया था और सब लोग सगोला की जय कर रहे थे और सलमा जैसे ही पहलवान को देखने के लिए बाहर झांकी तो उसकी एक झलक मिलते ही विक्रम का दिल खुशी से उछल पड़ा ! सीमा की नजर विक्रम पर पड़ी तो उसने शहजादी को विक्रम के बारे में बताया तो शहजादी ने भी विक्रम को तरफ देखा और जैसे ही दोनो को नजरे मिली तो शहजादी ने उसे बेहद प्यारी मुस्कान दी !
दोनो की नजरे बार बार आपस में टकरा रही थी और एक दूसरे से इशारों ही इशारों में काफी बाते हो रही थी! सागोला की जय जयकार के नारे शहजादी को बिलकुल भी अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि दुनिया की हर औरत चाहती हैं कि उसका पति दुनिया का सबसे खूबसूरत और ताकतवर इंसान हो और फिर शहजादी खुद जीती जागती कयामत थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने विक्रम को सगोला से कुश्ती लड़ने का इशारा किया !!
विक्रम ने अजय से कहा:"
" अजय मैं आज इस सगोला को सबक सिखा कर ही रहूंगा! मेरे होते हुए इसकी जय जयकार मेरे कानो को पीड़ा दे रही है!
अजय:" युवराज अगर ऐसी बात है तो ठीक हैं फिर मैं इससे कुश्ती करता हु!
विक्रम:" नही अजय, एक युवराज होने के नाते हमारा फर्ज बनता है कि हम कुश्ती लड़े और इसके अपराधो की सजा इसे दे!
अजय:" मेरे होते हुए आपको इसकी जरूरत नहीं है युवराज! आप फिक्र मत कीजिए इसे मैं सजा दूंगा!
विक्रम ने अब गुस्से से अजय के देखा और कहा:" अजय क्या आपको ऐसा लगता हैं कि हम इससे कमजोर हैं ?
अजय:" माफ कीजिए युवराज मैं ऐसा नहीं सोच रहा बस मेरे होते हुए आपको कष्ट न हो बस इसलिए कह रहा था!
विक्रम:" हम इससे कुश्ती करेंगे और ये आपके युवराज का हुक्म हैं पालन किया जाए!
अजय ने हैरानी से अब विक्रम की तरफ देखा और बोला:" जैसी आपकी आज्ञा युवराज! मैं सब प्रबंध करता हूं!
थोड़ी ही देर बाद विक्रम अखाड़े में सागोला के सामने खड़ा हुआ था और सागोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा था मानो उसे बेहद आसान शिकार मिल गया हो क्योंकि युवराज देखने में बेहद खूबसूरत था!
सलमा बग्गी से टकटकी लगाए सांसे थामे विक्रम को देख रही थी और सागोला ने विक्रम पर दांव लगाया और विक्रम ने उसका दांव बचा लिया और फिर तेजी से एक झटका सागोला को दिया जिससे वो जमीन पर गिर पड़ा और शहजादी के होंठो पर मुस्कान आ गई वहीं अजय दिल थामे इस मुकाबले को देख रहा था!
किसी जंगली भैंसे की तरह गुस्से से सागोला खड़ा और सीधे विक्रम की छाती पर हमला किया जिससे उसके सीने पर पड़ी हुई कमीज फट गई और उसका चौड़ा ताकतवर सीना पूरी तरह से नंगा हो गया क्या जिस पर हल्के से सागोला के नाखूनों के निशान भी पड़ गए थे! सागोला ने फिर से विक्रम पर हमला किया और झटके के साथ विक्रम को पटक दिया और उसके ऊपर सवार हो गया और उसके दोनो कंधो को जमीन से मिलाने की कोशिश करने लगा लेकिन विक्रम भी अब अपनी पूरी ताकत लगा रहा था जिससे उसकी भुजाए मछली की तरह फूल गई थी और उसके हाथ की नसे खून भर जाने के कारण पूरी तरह से अकड़ कर तन गई थी! सागोला दांत भींचे पूरी ताकत लगा रहा था और विक्रम ने एक नजर सलमा की तरफ देखा और फिर पूरी ताकत से सागोला को पकड़ लिया और उसकी भुजाए इतनी ज्यादा फूल गई थी कि उसकी भुजा पर बंधी हुई मोतियों की माला टूट का बिखर गई और विक्रम ने अपनी बाजुओं में भरी हुई ताकत का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सागोला को दूर उछाल फेंका और उसके बाद सागोला खड़ा नही हो सका और भीड़ अब विक्रम की जय जयकार कर रही थी और सलमा के चेहरे पर मानो सारी दुनिया की खुशी उमड़ आई थी और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर विक्रम से लिपट जाए लेकिन मर्यादा के चलते मजबूर थी! अजय भी बेहद खुश था और विक्रम अखाड़े से निकल आया तो अजय ने उसे बधाई और विक्रम बोला:"
" मित्र हमारे लिए थोड़े पानी का प्रबंध तो कीजिए!
अजय पानी लेने के लिए गया और विक्रम तेजी से सीमा की तरफ बढ़ गया और उसे पीछे आने का इशारा किया तो सीमा मौका देखकर आ गई और उसे देखते ही हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"
" आपने कमाल कर दिया युवराज!
विक्रम उतावला सा होते हुए बोला:" सीमा सलमा से बोलो कि मैं उससे मिलना चाहता हूं!
सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके बोली:"लेकिन ये मुश्किल होगा युवराज क्योंकि उसके साथ में सैनिक और कुछ और लोग भी हैं युवराज!
विक्रम:" किसी तरह शहजादी को संदेश दीजिए कि मैं उनसे मिलना चाहता हूं! मैं यही इस झूले के पीछे उनका इंतजार करूंगा!
सीमा:" मैं कोशिश करूंगी युवराज, लेकिन ये काम काफी मुश्किल भरा होगा!
विक्रम:" आप बस सलमा तक मेरा पैगाम पहुंचा दीजिए! वो मुश्किल को खुद आसान कर लेगी सीमा!
सीमा चली गई और विक्रम झूले के पीछे की तरफ चला गया जहां हल्का अंधेरा था ! सीमा सलमा के पास बग्गी में पहुंच गई और ये बात सलमा को बताई और सलमा विक्रम की झलक पाने के लिए तड़प उठी और बोली:"
" सीमा हम जरूरी जायेंगे! तुम एक काम करो जल्दी से हमारा ये हिजाब पहन लो और अपना सूट हमे दो!
सीमा उसकी सब योजना समझ गई और बोली:" लेकिन शहजादी ये काम बहुत सावधानी से करना! फंस गए तो बहुत दिक्कत हो जाएगी!
सलमा:" आप फिक्र न करें सीमा! हम बस युवराज की एक झलक देखकर वापिस आ जायेंगे!
सीमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"अगर झलक ही देखनी है तो वो तो आप बग्गी से भी देख ही ली है शहजादी!
सलमा:" मुझे ज्यादा ज्ञान मत दो! इतने अंधेरे में दूर से भला कैसे अच्छे से देख पाऊंगी!
सीमा ने अपना सूट उतारकर उसे दे दिया और उसके कपड़े पहन लिए! सलमा ने उसका सूट पहना तो उसके जिस्म पर फंस गया क्योंकि सीमा उसके मुकाबले थोड़ी सी दुबली थी! सूट पूरी तरह से सलमा के जिस्म पर कस गया था और उसके जिस्म के शानदार कटाव उतार चढ़ाव साफ नजर आ रहे थे! सलमा ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेटी और बग्गी झूले की तरफ चल पड़ी तो सीमा बोली:"
" सिर्फ देखना ही शहजादी युवराज को! ये मर्द बड़े तेज होते हैं कहीं आपको युवराज पकड़कर गले से न लगा ले अपने!
सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और बोली:" चुप बेशर्म, कुछ भी बोल देती हैं जो मुंह में आता है तेरे सीमा! विक्रम ऐसे नही है
सीमा:" अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात हुई भला और मैं जानती हु सारे मर्द एक जैसे होते हैं! देखना अगर मौका मिला तो तुझे गले लगाए बिना आने नही देंगे वो!
सीमा की बाते सुन कर सलमा को रोमांच मेहसूस हो रहा था और सलमा बोलो:" थोड़ी सी शर्म कर सीमा! इतनी बेहयाई अच्छी नही होती!
तभी बग्गी झूले के सामने आ गई और सलमा मौका देखकर खुले से उतर गई और ध्यान पूर्वक उधर इधर देखते ही भीड़ में गुम हो गई! सलमा लोगो की भीड़ में विक्रम को तलाश कर रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो झूले के पीछे के हिस्से में पहुंच गई जहां विक्रम खड़ा हुआ था! विक्रम को देखते ही उसके दिल को बड़ा सुकून मिला और उसके पास चली गई तो विक्रम ने जैसे ही उसे पहचाना तो एक झटके के साथ उसका हाथ पकड़ा और बिलकुल झूले के टेंट के पीछे पहुंच गया जहां किसी के आने की संभावना बेहद कम थी! चोरी छिपे मिलने में सलमा को भी अजीब सा रोमांच मेहसूस हो रहा था और विक्रम ने अपनी बांहे फैलाई तो सलमा उसके सीने से लग गई और दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट पड़े मानो सैकड़ों सालों के बाद मिल रहे हो! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से अपने अंदर समेटने का प्रयास कर रहे थे और विक्रम ने सलमा के चेहरे को दोनो हाथों में भरा और उसके गाल को चूमने लगा तो सलमा ने उसके हाथ को चूमा और उसकी कमीज हटाकर उसकी छाती पर हाथ फेर कर देखा और बोली:
" आपको चोट तो नही आई न युवराज!
विक्रम उसकी नाजुक कोमल नर्म उंगलियों का एहसास अपनी छाती पर महसूस करके रोमांच से भर गया और बोला:"
" बहुत ज्यादा चोट आई है शहजादी! थोड़ा सहला दीजिए ना आप अच्छा लगेगा मुझे!
सलमा उसकी छाती पर प्यार से उंगलियां फेरती हुई बोली:"
" जब उसने आपको पटका तो मैं तो डर ही गई थी युवराज एक पल के लिए!
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" क्यों आपको मेरी ताकत पर भरोसा नहीं था क्या सलमा?
सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और फिर बोली:" भरोसा न होता तो लड़ने के लिए क्यों बोलती आपको! अच्छा मैं चलती हूं युवराज किसी ने देख लिया तो गजब हो जायेगा!
विक्रम ने फिर से उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा का दुपट्टा उसके हाथ में आ गया और सलमा पहली बार उसके सामने बिना दुपट्टे के आ गई और विक्रम की अपनी नजरे उसके गोल गोल गुंबदों की गहराई नापने लगी तो सलमा ने अपने दोनो हाथों को अपनी गहराई पर रख दिया और शर्म के मारे पलट गई! विक्रम आगे बढ़ा और सलमा को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और अपने पेट पर बंधे विक्रम के हाथो को अपने हाथो से ढक दिया तो विक्रम ने अपनी पूरी जीभ को लंबाई में उसकी चिकनी खूबसूरत गर्दन पर फिराया तो शहजादी की सांसे उखड़ गई और विक्रम से छूटने की कोशिश करते हुए बोली:"
" अअह्ह्ह विक्रम! खुदा के लिए मुझे जाने दीजिए! किसी ने देख लिया तो मैं फंस जाऊंगी!
विक्रम ने अपनी उंगलियों में सूट के ऊपर से ही उसके चिकने मुलायम सपाट पेट को सहला दिया और बोला:
" पहले वादा करो कि कल जब मैं मिलने आऊंगा तो बुर्का नही पहनोंगी!
सलमा अपने पेट पर उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस करके मचल उठी और तड़प कर बोली:" " आप बहुत बिगड़ते जा रहे हो युवराज! मैं नही मिलूंगी आपसे कल!
विक्रम ने उसके पेट को नाजुक मखमली त्वचा को अपनी हथेलियों में भर लिया और हल्का हल्का मसलते हुए उसकी कान की लौ सहला कर बोला:"
" फिर तो मैं आपको जाने ही नहीं दूंगा सलमा! आज ही जी भरकर आपको प्यार करूंगा!
सलमा उसकी हरकते से पिघल रही थी और तड़पते हुए बोली:"
" ऐसा जुल्म मत कीजिए युवराज! हमारी मजबूरी समझिए! हमे जाने दीजिए ना
विक्रम ने एक झटके के साथ उसे पलट दिया और दोनो हाथों को सीधे उसकी भारी भरकम उभरी हुई गांड़ पर रखकर उसके गाल चूम कर बोला:"
" पहले वादा करो कल सूट पहन कर मिलने आओगी!
इतना कहकर विक्रम ने बिना उसके कुछ बोलने से पहले ही उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा! शहजादी सलमा भी अपने महबूब की मजबूत बांहों में पिघल गई और उसके होठों को चूसने लगी! तभी झूले के पीछे किसी के कदमों की आहत हुई तो सलमा एक झटके से किस खत्म करी और धीरे से बोली:"
" बस कीजिए युवराज! जाने दीजिए हमे, कोई आ रहा है शायद इधर ही!
विक्रम:" पहले आप वादा कीजिए, जब तक वादा नही करेगी तो मैं आपको ऐसे ही प्यार करता रहूंगा!
विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को थोडा सख्ती से मसल दिया तो शहजादी के मुंह से आह निकलते निकलते बची और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो विक्रम ने थोड़ा सा झुकते हुए उसके गोल गोल गुम्बद के बीच की गहराई को चूम लिया तो सलमा बेचैन हो गई और बोली:"
" अच्छा ठीक है अब तो जाने दीजिए ना मुझे!
कदमों की आहत बिलकुल पास आ गई थी तो विक्रम ने जल्दी से उसका गाल चूम कर हाथ छोड़ दिया और सलमा तेजी से लगभग दौड़ती हुई निकल गई,!!
सलमा बग्गी में पहुंच गई और फिर वापिस सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ी! वही अजय पानी लेकर आ गया था और विक्रम ने पानी पिया और उसके बाद वापिस उदयगढ़ लौट पड़ा!
रात को अजय ने खाना खाया और सोने के लिए अपने कक्ष में आ गया लेकिन उसे नींद नही आ रही थी तो वो थोड़ा टहलने के लिए छत पर गया तो उसने देखा कि उसकी मां पहले से ही छत पर मौजूद थी और चांद को निहार रही थी!
अजय उसके पास पहुंच गया और बोला:" क्या हुआ माता ? आपकी तबियत तो ठीक है जो इतनी रात को छत पर टहल रही हो आप ?
मेनका;" हान ठीक हु मैं तो! बस नींद नही आ रही थी तो छत पर घूमने आ गई! आपको भी नींद नही आ रही हैं क्या अजय ?
अजय:" हान माता बस नींद नही आ रही थी तो थोड़ा घूमने आया तो आपको देखा यहां!
छत पर काफी चांदनी फैली हुई थी और मेनका अपनी विधवा वाली सफेद रंग की साड़ी में भी बेहद आकर्षक लग रही थी क्योंकि वो अद्वितीय सुंदरी थी और उसके रूप सौंदर्य में अजीब सा आकर्षण था जिसकी तरफ मर्द खींचे चले आते थे! अजय ने आज तक कभी अपनी मां को नजर भर कर भी देखा था क्योंकि उसकी मां उसके लिए वो देवी थी जिसने उसे कभी पिता की कमी भी महसूस नही होने दी और फिर अजय एक बेहद संस्कारी लड़का था जिसने आज तक किसी भी लड़की को गलत नजर से नही देखा था और फिर मेनका एक उसकी माता थी!
मेनका:" बस यही देखने आई थी कि चांद अभी कितना पूरा होना बाकी हैं क्योंकि फिर मैं आपको वो जादुई तलवार देना चाहती हू जिसके आप हकदार हो !
अजय: मैने भी जबसे उसके बारे में सुना हैं तो मैं खुद उसे ग्रहण करने के लिए उत्सुक हु!
मेनका:" बस बेटा आज की बात और हैं! कल मैं आपको विधि पूर्वक ही तलवार दूंगी! अच्छा बेटा एक बात बताओ आपको खुशी तो हो रही हैं इस तलवार के बारे में सोचकर ?
अजय:* माता सच कहूं तो मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है! मैं तड़प रहा हूं अपने पूर्वजों की निशानी को ग्रहण करने के लिए!
मेनका ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"
" आप एक बहादुर पुत्र हो! मैं आपको पुत्र के रूप में पाकर धन्य हो गई अजय!
अजय भी अपनी मां के आगोश में लिपट गया और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि पता नही कितने सालों के बाद वो ऐसे अपनी मां के आंचल में आया था! मेनका वही छत पर पड़े हुए एक बेड पर बैठ गई और अजय उसकी गोद में सिर रखकर लेट गया तो मेनका उसके बालो में उंगली फेरते हुए बोली:"
" पुत्र आपको कोई दिक्कत तो नही हो रही हैं न ?
अजय अपनी आखें बंद किए हुए ही बोला:" आज आपने पता नही कितने सालों के बाद मुझ पर अपनी ममता लुटाई हैं! सच में आपको माता के रूप में पकड़ मैं धन्य हो गया!
इतना कहकर अजय ने आंखे खोली और मेनका की तरफ देखा और मेनका बोली:"
" बेटा आपको नींद आ रही होगी, नीचे चलते हैं क्योंकि रात भी बहुत ज्यादा हो गई है!
अजय अपनी मां की गोद से उठने लगा और जैसे ही उसकी नजरे नीचे आई तो उसकी नजरे पहली बार अपने आप उसकी सीने की गोलाईयों के बीच चली गई जहां काफी गहरी लकीर बनी हुई थी! अजय की नजरे जितनी गति से अपनी मां के सीने पर पड़ी उससे कहीं ज्यादा गति से हट गई और अजय अपनी मां की गोद से उठ गया और फिर दोनो मा बेटे अपने कक्ष में आकर नींद के आगोश में चले गए!
अगले दिन शाम को करीब 7 बजे शहजादी सलमा ने देखा कि सीमा के साथ सपना नही कोई दूसरी लड़की आई है जिसकी शक्ल थोड़ी सीमा से मिल रही थी तो उसने पूछा:"
" सपना नही आई क्या आज और ये आपके साथ कौन है?
सीमा:" शहजादी सपना अपनी मां के साथ कहीं बाहर गई है और कुछ दिन बाद आयेगी! तब तक आपकी देखभाल मैं और मेरी बहन राधिका मिलकर करेंगे!
सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"
" अच्छा ये आपकी बहन हैं, तभी तो मैं सोचु कि इसकी शक्ल आपसे इतनी क्यों मिल रही हैं!
राधिका आगे आती हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"
" वो हम दोनो सगी बहनें हैं न बिल्कुल एक ही मां बाप की औलाद इसलिए शक्ल मिल गई!
उसकी बात सुनकर सभी हंस पड़े और सीमा बोली:"
" बहुत जुबान चलती है तेरी, जा जाके शहजादी के लिए नहाने का पानी गर्म कर दे! शाम के समय शहजादी हल्के गुनगुने पानी से नहाती है!
राधिका वहां से चली गई तो सीमा बोली:" ये बहुत नटखट और चंचल है शहजादी! उसकी बातो का आप बुरा मत मानना!
सलमा:" कोई बात नहीं थोड़ा चंचल तो होना भी चाहिए,! वैसे एक बात बताओ इसे कुछ बताया तो नही न मेरे बारे में?
सीमा:" ऐसी गलती तो मैं कभी नही कर सकती! ये तो सबसे बड़ी ढोल हैं शहजादी! कोई भी बात इसके पेट में नही पचती और इसके सपने तो आसमान को छूते हैं! कहती हैं कि किसी राजकुमार से ही शादी करूंगी!
सलमा:" अच्छा फिर तो उससे बचकर ही रहना होगा! अच्छा किया तुमने बता दिया मुझे!
सीमा:" वैसे बुरा न मान तो एक बात पूछूं?
शहजादी:" हान बोलो ना सीमा?
सीमा:" उस दिन आप मेरे में जब विक्रम से मिली तो कैसा लगा था आपको?
सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" चल बेशर्म कहीं की, ये सब बातें भी बताने की होती हैं क्या!
सीमा उसकी शर्म हया देखकर समझ गई कि सलमा को ये सब अच्छा लग रहा है और वैसे भी अपने आशिक के बारे में बात करके किसी अच्छा नही लगता हैं! सीमा ने सलमा का हाथ पकड़ लिया और बोली:"
" चलिए मत बताते आप लेकिन आपके शर्मो हया और गालों की लाली पता रहीं हैं कि आपको कितना अच्छा लगा होगा!
सलमा ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"
" तुझे ज्यादा मजा आता है क्या मुझसे छेड़छाड़ करने में?
सीमा:" मुझे तो इतना नही आता जितना विक्रम को आया होगा आपसे छेड़छाड़ करने में!
सलमा उसकी बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:"
" चल पागल, कुछ भी बोल देती हैं युवराज ने मेरे साथ कोई छेड़छाड़ नही करी! वो तो मुझसे बेहद प्रेम करते हैं!
सीमा:" अच्छा तो फिर प्रेम ही किया होगा आपको अपनी बांहों में समेट कर शहजादी क्योंकि आपकी सुंदरता ने उन्हें बहका दिया होगा!
सलमा अपनी तारीफ सुनकर खुश हुई और उसे भी सीमा की बाते अच्छी लग रही थी जिस कारण उसकी सांसे काफी तेज हो गई थी और बोली;"
" तुम न अब मार खाओगी मुझसे सलमा!
सीमा:" फिर आपकी सांसे क्यों बढ़ गई है शहजादी, क्यों झूठा गुस्सा दिखा रही हो! बोल दो ना कि युवराज की बांहों में मजा आया था आपको!
सलमा उसकी बात सुनकर अब छिड़ते हुए बोली:"
" हान आया था मजा मुझे, तुझे भी युवराज के गले लगना था क्या सीमा की बच्ची?
सीमा:" हाय मेरी कहां ऐसी किस्मत, मुझे तो विक्रम ने बहन बना लिया नही तो इतने सुंदर ताकतवर राजकुमार पर अपनी जान लूटा देती! आप सच में बेहद खुश नसीब हो शहजादी!
सलमा को अब उसकी बातो में पूरा आनंद आ रहा था और सलमा भी उसके रंग में रंगते हुई बोली:" अच्छा जी ऐसा क्या खास है आपके युवराज में ?
सीमा सलमा के हाथ को सहलाती हुई बोली:" जीता जागता कामदेव हैं वो शहजादी! सुंदर इतना कि देवता भी जल उठे और उसके चौड़े मजबूत कंधे औरचौड़ी बलशाली भुजाए उफ्फ जिनमे वो अकसर किसी को कस लें तो छूट नही पाए! आपको कैसा लगा था शहजादी उसकी मजबूत भुजाओं में कसकर ?
सलमा अब पूरी तरह से उसकी बातो से मदहोश हो गई थी और उसके गले लगती हुई बोली:"
" अअह्ह्ह्ह सीमा पूछ मत कितना अच्छा लगा था!
सीमा उसकी हरकत से जोश में आ गई और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:"
" सच में शहजादी आपका ये मदहोश खूबसूरत बदन विक्रम की बांहों के लिए ही बना है! उसकी शेर के जैसी चौड़ी छाती उसकी मर्दानगी की जीती जागती मिसाल है शहजादी!
सलमा ने अब जोश में आकर सीमा का गाल चूम लिया और तभी राधिका की आवाज आई:"
" सीमा दीदी आपको बेगम साहिबा बुला रही हैं!
सीमा उसकी बात सुनकर धीरे से सलमा के कान में बोली:"
" मुझे चूमने से ज्यादा मजा आपको विक्रम को चूमने में आयेगा! अपना ये प्यार उनके लिए बचाकर रखिए! आज रात के मेले में आपको फिर से युवराज से मिलवा दूंगी!
इतना कहकर वो चली गई और राधिका अंदर आती हुई बोली:"
" शहजादी आपका पानी गर्म हो गया है! आइए आप नहा लीजिए!
सलमा ने राधिका को जाने का इशारा किया और और तेज तेज सांसे लेती हुई देखते ही देखते एक बेहद खूबसूरत बड़े बाथ टब मे बैठ गई और अपने जिस्म से सारे कपड़ों को उतार कर सिर्फ एक चादर को अपने नंगे जिस्म पर लपेट लिया और बाथटब में लेट गई तो पानी से उसके जिस्म पर लिपटा कपड़ा भीग गया और उसकी चूचियां काफी हद तक साफ नजर आ रही थी! सलमा का ध्यान राधिका की तरफ नही था और राधिका धीरे धीरे चलती हुई उसके पीछे आ गई और उसकी चुचियों को देखने लगी और मन ही मन उसे शहजादी से बेहद जलन हुई क्योंकि उसकी चूचियां शहजादी के मुकाबले आधी भी नहीं थी और सबसे बड़ी बात कि शहजादी की चूचियां बिलकुल गोल गोल गुम्बद के जैसी और ठोस थी! निप्पल बिलकुल तने हुए मानो उन्हे अपनी अभिमान हो रहा हो कि हम दुनिया की सबसे सख्त और गद्देदार चुचियों के शिखर पर विराजमान हैं!
शहजादी कोई मधुर गीत गुनगुनाते हुए नहा रही थी और राधिका का मन शहजादी को छुने के लिए मचल रहा था क्योंकि उसे जब्बार की बात याद थी कि शहजादी की वासना को हवा देनी है तो राधिका थोड़ा पीछे चली गई और बोली:"
" शहजादी साहिबा मेरी कोई जरूरत हो तो बताएगा आप,!
सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली,:"
" भला नहाने में आपकी क्या जरूरत पड़ेगी, मैं तो रोज खुद ही तो नहा लेती हूं!
राधिका:" शहजादी आप कमर के हिस्से को अच्छे से साफ नही कर पाती होंगी और वैसे भी मैं मालिश अच्छा कर लेती हु!
सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" ये बात तो सच कही राधिका कि कमर तक हाथ ठीक से नही जा पाता है! चल अच्छा एक काम कर आजा मेरे पास!
राधिका अपनी चाल में कामयाब हुई और सलमा के पास आ गई और उसके बराबर में बैठते हुए बोली:"
" हाय मैं सदके जावा आप पर शहजादी! आपको मेरी जी नजर न लग जाए! आप जितनी ज्यादा सुंदर हो उससे कहीं ज्यादा आपका बदन सुंदर है!
शहजादी पहले से ही थोड़ी तेज तेज सांसे ले रही थी क्योंकि सीमा ने विक्रम की बाते करके उसे मचलने पर मजबूर कर दिया था और अब ये राधिका तो उससे भी आगे बढ़ रही थी! सलमा ने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली
" अच्छा बड़ी जानकारी हैं तुझे औरत के जिस्म की ! चल इधर आकर मेरी कमर साफ कर!
इतना कहकर शहजादी ने उसकी तरफ करवट ली और राधिका ने अपने हाथ को उसकी कमर पर टिका दिया और कमर साफ करने के बहाने उसकी कमर को सहलाने लगी तो सलमा को बेहद अच्छा लगने लगा और राधिका बोली:"
" शहजादी आपकी कमर बेहद चिकनी ओर मुलायम हैं! क्या लगाती है आप ?
सलमा उसकी बातो से अब पूरा आनंद ले रही थी और उसकी तरफ अपनी कमर को पूरी तरह से उभार दिया और बोली:"
" कुछ भी नहीं लगाती! क्या सच मे मेरी कमर अच्छी हैं राधिका!
कमर के साथ ही साथ सलमा की गांड़ भी पीछे को उभर आई और राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई और बोली:"
" शहजादी आप की कमर बेहद जानलेवा है! बुरा न माने तो एक बात कहूं आपको ?
इतना कहकर राधिका ने उसकी कमर को अच्छे से अपनी उंगलियों में भर लिया और सहलाने लगी! सलमा को उसकी उंगलियां बेहद मजा दे रही थी और सलमा बोली:"
" आपकी सिर्फ कमर ही नही बल्कि आपका पूरा जिस्म ही लाजवाब है शहजादी!
उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसे अपने ऊपर अभिमान हुआ क्योंकि एक औरत होने के बाद भी राधिका जिस तरह से उसकी तारीफ कर रही थी वो उसके नारीत्व के लिए बेहद गर्व की बात थी! सलमा उसकी बातो में डूब गई और बोली:"
" अच्छा राधिका, वो कैसे भला?
राधिका ने अब अपने हाथ का दायरा थोड़ा सा बढ़ाया और उसकी उंगलियां सलमा की चुचियों की गोलाई के आस पास छूने लगी और राधिका बोली:"
" आपका पतली कमर पर आपका उठा हुआ तनी हुई मदमस्त जवानी और मछली की तरह कटावदार आपकी चिकनी कमर जो नीचे आती हुई आपके नितम्बो के पास एकदम से इतनी चौड़ी होकर उभर गई है यकीन नहीं होता कि आपकी पतली सी कमर आपके भारी भरकम नितम्बो का भार उठा सकती हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर पूरी तरह से मचल उठी और उसके बदन मे कंपकपी सी छूट गई और हल्का सा राधिका की तरफ पलटते हुए बोली:"
" तुम सच कह रही हो ना राधिका? क्या सच मे मेरा जिस्म ऐसा ही हैं!
सलमा के पलटने से उसकी चूचियां राधिका की उंगलियों के और करीब हो गई और राधिका ने अब अपनी उंगलियों को उसकी चुचियों तक पहुंचा दिया और हल्का सा सहलाते हुए बोली:"
" सच शहजादी, खुदा पाक की कसम! आपके जैसी पाकीजा और हसीन शहजादी के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द होना चाहिए!
राधिका की बात सुनकर सलमा की आंखे बंद हो गई और उसकी आंखो के आगे विक्रम का चेहरा आ गया और सलमा के होंठो पर मधुर मुस्कान आ गई और राधिका की उंगलियां अब उसकी चुचियों की आधी गोलाई तक सहलाने लगी और राधिका बोली:"
" लगता हैं शहजादी कल्पना कर रही है कि दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द कैसा दिखता होगा!
उसकी बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा उठी और तभी सीमा के आने की आहत हुई तो राधिका पीछे हट गई और शहजादी ने सुकून की सांस ली ! जिस तरह से राधिका उसके बदन को छू रही थी उससे सलमा के अंग अंग में मीठी मीठी गुदगुदी हो रही थी और वो अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ती हुई पानी में पड़ी हुई मचल रही थी!
करीब आधे घंटे के बाद शहजादी बाहर निकल आई और अपने कपड़ो को पहन लिया! सीमा के साथ उसने थोडा सा खाना खाया और फिर सीमा के साथ साथ राधिका भी उसके कक्ष से बाहर चली गई! रात के करीब 10 बज गए थे और शहजादी बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी क्योंकि उसे अपने प्रियतम के आने का इंतजार था और आज उसकी सांसे कल के मुकाबले ज्यादा महक रही थी!
सलमा बेड से उठी और अपने आपको शीशे में देखने लगी और फिर उसने गहरा काला काजल निकाला और अपनी बड़ी बड़ी गोल गोल नशीली आंखों को और कामुक बनाने लगी!
काजल लगाने के बाद वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी मानो उसकी सुंदरता मे चार चांद लग गए थे! सलमा ने हल्का सा मेक अप किया और फिर अपने होंठो पर लगाने के लिए लिपिस्टिक उठाई और उसके मन में कुछ आया और वो मुस्कुरा उठी और लिपिटिक को एक तरफ रख दिया और अलमारी से उसने खोलकर एक लाल सुर्ख कश्मीरी निकाली और अपने होंठो पर फेरने लगी और उसके बाद उसे मुंह में भर कर चूस लिया!
सलमा के होंठ अब बेहद कामुक होकर रसीले हो गए थे और सलमा ने हल्का सा बेरी को दांतो से काटा तो उसका रस उसके होंठो पर पूरी तरह से आ गया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी! सलमा को उसका बदन बेहद हल्का और हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ और उसके घुटने कमजोर पड़ने लगे तो सलमा बेड पर चढ़ गई और तेज तेज सांसे लेने लगी क्योंकि वो जानती थी कुछ ही मिनटों बाद वो विक्रम की मजबूत बांहों में होगी और ये सोचकर सलमा के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और उसकी छातियां अब उसकी सांसों के साथ ताल से ताल मिला रही थी!
दूसरी तरफ विक्रम भी सलमा से मिलने के लिए बेहद बेताब था और मेला होने के कारण सुल्तानपुर की सीमा पूरी रात के लिए खुली हुई थी तो कोई खतरा भी नही था! रात के करीब 10:30 बजे विक्रम आराम से मौका देखकर राजमहल के गुप्त रास्ते से बाहर निकल गया और घोड़े पर सवार होकर सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा,!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैविक्रम महल वापिस आ गया और राजमाता गायत्री के साथ बैठा हुआ खाना खा रहा था और बोला:"
" राजमाता आज आपने अजय को सुरक्षा प्रमुख बनाने के मेरे फैसले को एकदम से सहमति दी है मुझे बहुत अच्छा लगा!
गायत्री उसे देखकर मुस्कुराई और बोली:" बेटे हमने आपकी बात का मान रखा और फिर आपने बिलकुल सही फैसला किया हैं! आप शायद नही जानते हो कि अजय के पापा प्रमोद भी हमारे सुरक्षा प्रमुख थे और युद्ध में उन्होंने आखिरी सांस तक आपके पिता का साथ दिया था और फिर पिछली कुछ पीढ़ियों का इतिहास उठाकर देखिए तो सुरक्षा प्रमुख अजय के ही पूर्वज रहे हैं!
विक्रम:" फिर तो ये तो बहुत अच्छी बात हैं और अजय भी अपना काम ईमानदारी से करेगा और राज्य की सुरक्षा में कोई चूक नही होने देगा!
राजमाता:" लेकिन एक दिक्कत हैं कि अभी सुरक्षा प्रमुख के पद पर तैनात शक्ति सिंह को हटाना क्या सही होगा ?
विक्रम:" मुझे तो इसमें कोई दिक्कत नजर नही आती, फिर सबके मन में राज्य की सेवा का भाव होना चाहिए पद चाहे कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है
राजमाता:" बिलकुल सही कहा विक्रम आपने! राज्य की सेवा ही सबसे ऊपर होनी चाहिए! मैं कल भैरव बाबा के मंदिर जाऊंगी दर्शन के लिए, आप चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो!
विक्रम उसकी बात सुनकर मन ही मन खुशी से भर उठा और बोला:" देखता हू राजमाता, वैसे तो मुझे कल कुछ काम होंगे लेकिन अगर फ्री रहा तो आपके साथ जरूर चलूंगा!
अगले दिन सुबह राजमाता मंदिर जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अजय को दी और बोला:"
" अजय आप राजमाता की मंदिर यात्रा की सुरक्षा आपके हाथ में होगी और यही से आपकी कार्य कुशलता का भी पता चल जायेगा!
अजय:" आप निश्चित रहे युवराज! मैं किसी तरह की कोई कमी नही आने दूंगा!
थोड़ी देर बाद राजमाता मंदिर के लिए रवाना हो गई और अजय के पास अब सुनहरा मौका था सुल्तानपुर जाने का ताकि वो पवन को वापिस ला सके!
विक्रम पहली बार अनजाने में गया था लेकिन इस बार वो जान बूझकर जा रहा था तो उसने एक भिखारी का भेष बनाया और एक दूसरे घोड़े पर सवार होकर चल पड़ा! अपने घोड़े को उसने सुल्तानपुर की सीमा के बाहर ही छोड़ दिया और पैदल ही राज्य की सीमा में घुस गया और उस पर किसी का ध्यान भी नही गया और वो लोगो से भीख मांगने लगा और उसका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कोई उस पर शक तो नही कर रहा है! राज्य के रास्तों से होता हुआ वो राज परिवार की जय जयकार करता हुआ आगे बढ़ रहा था और देख रहा था कि राज्य सच में बेहद खूबसूरत था और आम लोगो के आलीशान महल जैसे घर राज्य की संपन्नता की कहानी कह रहे थे! थोड़ी देर में ही उसे अच्छी खासी भीख भी मिल गई थी और वो मुस्कुरा उठा और दोपहर होने को आई लेकिन अभी तक उसे कोई मौका नहीं मिला था कि वो पवन को देख रहे या पता कर सके कि वो कहां पर रखा हुआ था!
एक दुकान पर उसने थोड़ा सा खाना खाने लगा और खाना देने वाले से बोला:"
" अरे भाई साहब आपका खाना तो बेहद लजीज और खुशबू से महक रहा है!
आदमी खुश हो गया और बोला:"
" अरे भिखारी ये सुल्तानपुर हैं और यहां का हर आदमी अमीर हैं और अपने आप में सुलतान हैं तो खाना तो अच्छा बनेगा ही! यहां पहली बार आए हो लगता हैं!
विक्रम:" हान जी सुलतान साहब! मेरे तो किस्मत खुल गई जो यहां भीख मांगने चला आया! इतना तो उदयगढ़ मे मुझे महीने मे नही मिला था जितना यहां आधे दिन में ही मिल गया!
आदमी अपने लिए सुलतान साहब सुनकर खुश हुआ औरजोर से हंसा और बोला:"
" अरे वो तो भिखारियों का राज्य हैं! भला उसकी और हमारी क्या बराबरी!
विक्रम मन ही मन हंसा और उसकी हान में हान मिलाते हुए बोला:" बिलकुल सही कहा आपने! अच्छा ये राज महल किधर हैं ?
आदमी:" अच्छा समझ गया तू जरूर शाही परिवार से भीख पाना चाहता हैं!
विक्रम:" मैं तो बस यहां की महारानी रजिया के दर्शन करना चाहता हूं! उनकी दरियादिली के बेहद किस्से सुने हैं मैंने!
आदमी:" क्यों घुमा फिरा कर बात करते हो? मतलब वो वही हैं ना! सुन ओए भिखारी के बच्चे तू मुझे 50 मोहरे देगा तो तुझे सब बता दूंगा कि कैसे मिल सकता हैं और वैसे भी तुझे भीख में इससे ज्यादा ही मिल गया होगा!
विक्रम ने तुरंत जेब से 50 मोहरे निकाली और उस आदमी को दी और वो बोला:"
" देख तीन बजे के आस पास राजमहल के अंदर जाने की कोशिश करना क्योंकि उस समय सेनापति जब्बार नही होता! अगर वो तुझे मिला तो समझ लेना कि तू जिंदा नही बचेगा!
विक्रम:" ऐसा क्यों भाई? क्या वो महारानी से भी बड़ा हैं ?
आदमी:" अरे धीरे बोल पागल आदमी! सारा राज्य ही उसके कब्जे मे हैं और मुझे तो ये भी सुनने में आया हैं कि वो शहजादी सलमा से शादी करके राजा बनना चाहता है!
विक्रम की आंखे हैरानी से फैली और बोला:" उसे कोई कुछ बोलता नही है क्या ? मैने सुना हैं कि शहजादा सलीम राज्य की देख रेख करते हैं!
आदमी:" अबे वो सिर्फ नाम का शहजादा है, उसे तो औरतों के अलग कुछ नजर नहीं आता, मदिरा पीकर इतना कमजोर हो गया है कि तलवार तक नहीं उठा सकता है अब वो!
विक्रम:" अरे भाई ये क्या कह रहे हो? क्या सच मे ऐसा ही हैं?
आदमी:" और नही तो क्या,जब राजा मरे तो बेचारे छोटे से सलीम को जब्बार की देख रेख़ में दिया गया और उसने सलीम को जान बूझकर ऐसा बना दिया!
विक्रम:" अच्छा ये राजा मीर जाफर की मौत कैसे हुई थी?
आदमी:" बेड़ा गर्क हो इन उदयगढ़ वालो का जिन्होंने सुलतान को धोखे से मारा, उनके जैसा नेक इंसान कोई नही था!
विक्रम को उस पर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन ये सुनकर कि मीर जाफर को उदयगढ़ वालो ने मारा है तो उसे बेहद हैरानी हुई और बोला:"
" लेकिन मैंने तो सुना हैं कि सुलतान को पिंडारियो ने मारा था!
आदमी:" अरे ये सब तो उदयगढ़ वालो की बेकार की कहानी हैं! सच बात तो ये है कि पिंडारी और उदयगढ़ एक दूसरे के साथ हैं! बेचारे मीर जाफर पर पहले पिंडारियो के साथ मिलकर हमला किया और बाद में उसे मार दिया!
तुम जाओ अब और भीख में कुछ अच्छा मिले तो मुझे भी हिस्सा देना! पकड़े गए तो खुदा के लिए मेरा नाम मत लेना!
विक्रम ने उसे वादा किया कि वो उसका नाम नही लेगा और राज महल की तरफ चल पड़ा!
विक्रम को कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी ऐसा क्यों बोल रहा है कि उदयगढ़ वालो ने राजा को मारा जबकि वैद्य जी ने तो उसे कुछ और ही बताया था और वैद्य जी झूठ नही बोल रहे थे इतना तो वो जानता था और ये भी उसने महसूस किया था कि ये दुकान वाला भी झूठ नही बोल रहा था! आखिर सच क्या हैं ये उसे अब पता लगाना ही था!
धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए विक्रम को सड़क के दोनो ओर बेहद आलीशान घर नजर आ रहे थे जो इस बात का सुबूत थे कि आगे जल्दी ही महल उसके सामने होगा! विक्रम को मुख्य दरवाजे से वैसे भी महल में जाना ही नही था और न राजमाता से मिलना था! उसे तो सिर्फ ये पता लगाना था कि पवन कहां पर हैं और उसे कैसे निकाल सकता था!
जल्दी ही उसकी नजरो के सामने एक बेहद खूबसूरत और आलीशान महल था जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! संगमरमर से बना हुआ बेहद खूबसूरत जितनी तारीफ की जाए उतनी कम! महल के ऊंचे गोल गोल गुम्बद उसकी भव्यता की कहानी अपने आप बयान कर रहे हैं और महल के दरवाजे के दोनो तरफ बने हुए सुनहरे हाथी महल की सुंदरता मे चार चांद लगा रहे थे! विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा और तभी एक सैनिक उससे बोला:"
" ओय भिखारी भाग यहां से क्यों बिना मौत मरना चाहता हैं?
विक्रम बिना कुछ कहे दूसरी तरफ मुड़ गया और उसने देखा कि महल की छत पर चारो तरफ सैनिक तैनात थे और वो जानता था कि ये सब सुरक्षा जरूर जब्बार की लगाई हुई होगी और इसमें उसके काफी सारे आदमी होंगे! अब विक्रम के सामने चुनौती थी कि महल के अंदर कैसे घुसे!महल के पिछले हिस्से में दलदल थी जिस कारण उधर सुरक्षा कम थी क्योंकि वहां से किसी का आना असम्भव ही था! विक्रम ने चारो तरफ देखा और अपनी जेब से एक मजबूत रस्सी निकाली और उसका एक सिरा उसने लोहे के शिकंजे में बांधा और उसने एक पेड़ की तरफ पूरी ताकत से उछाल दिया और उसकी किस्मत अच्छी थी कि वो पहली ही बार में पेड़ पर फंस गया और विक्रम अब दलदल से होते हुए अपनी जान हथेली पर रखकर रस्सी के सहारे आगे बढ़ गया और उसने जैसे तैसे करके दलदल को पार कर लिया और उसने देखा एक बड़ा सा पेड़ था जो महल की दीवार से सटा हुआ था तो विक्रम धीरे से उस पेड़ पर चढ़ा और जैसे ही देखा कि पहरा देने वाला थोड़ा दूर गया है तो जल्दी से कूद कर महल की छत पर आ गया और एक बड़ी सी दीवार के पीछे छिप गया! जैसे ही वो पहरा देने वाला सैनिक उधर से आया तो विक्रम ने मौका देखकर उस पर हमला कर दिया और जल्दी ही उसे बेहोश करके नीचे फेंक दिया और उसकी जगह खुद पहरेदारी करने लगा और करीब दो चार चक्कर लगाने के बाद उसे एहसास हो गया कि करीब पूरी छत पर अभी 50 के आस पास सुरक्षा सैनिक थे!
विक्रम ने दूसरी छत पर पहरा दे रहे सैनिक को बाथरूम जाने का इशारा किया और महल में अंदर घुस गया और सावधानी से इधर उधर देखते ही रजिया के महल के सामने था और चोरी छिपे वो खिड़की पर पहुंच गया तो देखा कि अंदर दो औरते और एक आदमी मौजूद था! विक्रम को एक औरत जो करीब 47 साल की थी वो और लड़का जो करीब 22 साल का था दोनो नजर आ रहे थे जबकि एक दूसरी औरत का सिर्फ पीछे का हिस्सा नजर आ रहा था! विक्रम ने अनुमान लगाया कि ये जरूर रजिया और उसका राज परिवार हैं! रजिया बेहद खूबसूरत थी और सोने के आभूषणों से लदे होने के कारण इस उम्र में भी बेहद आकर्षक और कामुक नजर आ रही थी जबकि सलीम देखने में सुंदर जरूर था लेकिन बेहद कमजोर नजर आ रहा था मानो हफ्ते में सिर्फ एक ही बार खाना नसीब हो रहा था उसे!
रजिया:" बेटा सलीम अपनी सेहत का ध्यान रखा करो! आखिर क्यों दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे हो मुझे फिक्र होती हैं आपकी!
सलीम:" अम्मी सुलतान ये आपका प्यार हैं जिसके कारण हम आपको कमजोर नजर आते हैं नही तो हम तो पहले जैसे ही ताकतवर हैं!
सलमा:" भाई जान आपको एहसास नही हैं कि आप सच में बेहद कमजोर होते जा रहे हो! आखिर कब तक आप अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहोगे?
सलीम:" हमसे थोड़ा तहजीब से बात किया करो सलमा क्योंकि हम होने वाले सुलतान हैं! हम किसी से कमजोर नहीं है समझी आप!
सलमा ने गुस्से से हवा में अपना हाथ लहराया और बोली:"
" सुलतान हो तो सुलतान की तरह ताकतवर और जिम्मेदार बनो! अगर अपनी ताकत पर इतना ही भरोसा हैं तो हो जाए दो दो हाथ मेरे साथ!
सलमा का हाथ हवा में लहरा रहा था और यकीनन विक्रम ने पहली बार जिंदगी में इतना खूबसूरत और हसीन गोरा चिट्टा हाथ देखा था तो मन ही मन सलमा की खूबसूरती का कायल हो गया और उसकी हिम्मत तो वो उस दिन देख ही चुका था कि किस तरह से उसके उसके बिगड़ैल और जिद्दी घोड़े पवन को काबू में कर लिया था और आज तो उसने एक और बड़ा नमूना अपनी ताकत का पेश किया था विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती के साथ साथ उसकी बहादुरी का भी कायल हो गया!
सलीम ने अपना हाथ आगे नही बढ़ाया और बोला:"
" वो क्या हैं कि आज कल मेरी तबियत थोड़ी ठीक नही हैं, एक हफ्ते रुक जा फिर तेरी सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा!
सलमा हंस पड़ी और बोली:"
" भाई कब तक बहाने बनाते रहोगे? मेरी बात मानो और अपनी अय्याशी बंद करके अपने खाने पीने का ध्यान रखो और जनता का ध्यान रखो!
सलीम:" जनता का ध्यान तो जब्बार अच्छे से रख ही रहा हैं! वो हमे सारी जानकारी दे ही रहा हैं और वैसे भी राज्य में सब ठीक ही चल रहा है! अच्छा सुना हैं तुमने दो दिन पहले कोई घोड़ा पकड़ा हैं!
सलमा:" अच्छा वो काला घोड़ा गलती से हमारे राज्य में घुस गया था तो हमने उसे काबू कर लिया और अब वो मेरे पास ही हैं! सच में वो बेहद कमाल का घोड़ा हैं ऐसी रफ्तार हमने आज तक नही देखी!
सलीम:" अच्छा फिर तो उसकी हमे भी सवारी करनी चाहिए!
सलमा:" उसे काबू करना बच्चो का काम नही हैं! जिस दिन मुझे हरा दोगे उस दिन आपको वो घोड़ा सवारी के लिए मिल जाएगा!!
इतना कहकर सलमा पलटी और पहली बार विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार किया और उसकी आंखे मानो फट सी गई क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इतना भी खबूसरत कैसे हो सकता है!!
काले रंग के हिजाब में लिपटी हुई शहजादी बेहद खूबसूरत लग रही थी! चांद सा खूबसूरत चेहरा, उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे बिलकुल झील की तरह गहरी और नशीली और चिकने लाल हल्की लालिमा लिए हुए मानो दूध में हल्का सा सिंदूर मिलाने पर जो रंग आए बिलकुल वही रंगत लिए हुए, पतले पतले मुलायम नरम रसीले होंठ जो लाल रंग की लिपिस्टिक में बेहद रसीले लग रहे थे और हल्के कसे हुए कपड़ो में सलमा का भरा पूरा बदन खिल कर निखर रहा था जो इस बात की गवाही दे रहा था कि वो सिर्फ नाम की ही नही बल्कि अपने जिस्म से भी शहजादी हैं!
सलमा:" अच्छा मैं चलती हु अब उस घोड़े की सवारी करने के लिए! आप खायो और ताकत बनाओ।
इतना कहकर सलमा बाहर की तरफ जाने लगी तो विक्रम थोड़ा सा साइड में हो गया और बाहर की तरफ निकल गया और जैसे ही सलमा बाहर आई तो उसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था और वो अब अस्तबल की तरफ बढ़ गई और विक्रम भी उसके पीछे पीछे पीछे सावधानी से चल रहा था और अस्तबल में पहुंची तो वहां मौजूद सैनिकों ने उसे झुककर सलाम किया और उसके बाद थोड़ी देर बाद ही वो घोड़े का लगाम पकड़कर बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकल कर मुख्य रास्ते पर आई तो विक्रम उसके पीछे पीछे बाहर आ गया और जैसे ही वो राजमहल से बाहर निकलने वाले रास्ते पर थी तो वो अदा के साथ घोड़े की पीठ पर सवार हो गई और उसे अपने सामने विक्रम खड़ा दिखाई दिया और बोली:"
" तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम राजमहल में घुस आए ?
विक्रम:" शहजादी आपने ही तो मुझे इजाजत दी थी कि मैं अपने घोड़े से मिलने के लिए आ सकता हूं कभी कभी!
सलमा ने उसे घूर कर देखा और बोली:" लेकिन राजमहल के अंदर आने की इजाजत नही दी थी मैने! तुम्हे किसी ने रोका नही क्या ?
विक्रम:" आंधियों को रोक पाना किसी के बस की बात नही होती हैं वो तो आ आकर ही रहती हैं!
सलमा:" बड़ा गुरुर है आपको अपनी ताकत पर ?
विक्रम ने अपनी मूछों पर ताव दिया और बोला:"
" ताकत ही एक मर्द की पहचान होती हैं शहजादी और मेरी रगों में उबलता हुआ खून मेरी ताकत ही पहचान हैं!
सलमा:" वक्त आने पर हर किसी का गुरुर मिट्टी में मिल जाता हैं!
विक्रम:" जब आप चाहो जैसे चाहो मुझे आजमा लेना!
सलमा:" मैं चाहु तो अभी मेरे इशारे पर आपको जिंदगी भर के लिए बंदी बना लिया जायेगा!
विक्रम:" आज तक किसी मां ने वो लाल पैदा नही किया जो मेरी मर्जी के बिना मुझे छू भी सके!
सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"
" बाते तो बड़ी बड़ी करते हो लगता हैं अभी किसी से पाला नही पड़ा है आपका! मत भूलो कि आप अभी सुल्तानपुर के राजमहल में खड़े हो और मैं क्या कर सकती हू आप सोच भी नहीं सकते!
विक्रम बात को बढ़ाना नही चाहता था तो बोला:"
" मैने तो सुना था कि सुल्तानपुर में लोगो की जुबान की कीमत होती हैं और आप मुझे इजाजत देकर अब धमकी दे रही हो?
सलमा:" धमकी इसलिए क्योंकि हमने आपको राजमहल में घुसने की इजाजत नहीं थी सिर्फ राज्य में आकर अपने घोड़े से मिलने की इजाजत दी थी!
विक्रम:" मैं मानता हु कि मुझे राजमहल के अंदर नही घुसना चाहिए था लेकिन मुझे कैसे पता चलता कि पवन कहां पर हैं और मैं उससे कैसे मिल सकता था! महल में आकर मैंने जो गुस्ताखी करी है उसके लिए आपसे क्षमा चाहता हूं!
विक्रम की बात सुनकर सलमा थोड़ा नरम पड़ी और बोली:"
" ठीक हैं लेकिन आपको पहले ये बताना पड़ेगा कि आप राजमहल तक कैसे पहुंचे? अगर आप पहुंच सकते हो कोई दुश्मन भी पहुंच सकता हैं और क्या पता कल आप ही दुश्मन बन जाए !
विक्रम:"अगर सवाल आपकी सुरक्षा का हैं तो मैं जरूर बताऊंगा! लेकिन मेरा एक वादा हैं कि जिंदगी में आपका दुश्मन बनने से अच्छा अपनी जान देना पसंद करूंगा!
सलमा उसकी बात सुनकर घोड़े से नीचे उतर गई और बोली:"
" हम पर इस मेहरबानी की कोई खास वजह?
विक्रम पवन के पास पहुंच गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरा तो घोड़े ने पूंछ हिलाकर अपना प्यार दिखाया और विक्रम सलमा की तरफ पलट कर बोला:"
" वजह तो एक ये भी है कि पवन अब आपका दोस्त बन गया है और फिर मेरा दोस्त तो वो है ही पहले से! दोस्त के दोस्त का दुश्मन कैसे बन सकता हु भला! वैसे पवन की सवारी आपको कैसी लगी?
सलमा:" पवन जैसा ताकतवर और मजबूत घोड़ा मैने आज तक नही देखा! दौड़ता है तो लगता हैं मानो हवा से बाते कर रहा है!
विक्रम:" ताकतवर तो होगा ही आखिर घोड़ा किसका है!
सलमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी हंस पड़ी और बोली:"
" चलो फिर किसी दिन आपकी ताकत भी देख ली जाएगी! अब पहले ये बताओ कि राज महल तक कैसे पहुंचे?
विक्रम ने उसे सब कुछ बता दिया और सलमा को मन ही मन हैरानी हुई कि इस आदमी ने 250 मीटर दूर तक लोहे के हुक वाली रस्सी को कैसे फेंक दिया यकीनन ये बेहद ताकतवर और बहादुर है! सलमा उससे बोली:"
" ये आपने हमे अच्छी बात बताई! हम जरूरी उस दिशा में अब सुरक्षा का इंतजाम करेंगे! हम आपके आभारी रहेंगे!
विक्रम:" आप चाहे तो ये आभार उतार भी सकती हैं!
सलमा;" वो कैसे भला?
विक्रम:" कभी दिनों से मैने पवन की सवारी नही करी है! अगर आप मुझे आज पवन की सवारी करने दे तो!
सलमा:" ठीक हैं लेकिन उसके लिए आप हमे राज्य के बाहर मिलिए नदी के किनारे वाले मैदान पर! लेकिन आप राज्य से बाहर निकलेंगे कैसे?
विक्रम:" वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए! मैं आपको आधे घंटे बाद वही मिलता हु!
इतना कहकर विक्रम सैनिक वेश भूषा में ही महल से बाहर निकल गया और बाहर निकलते ही उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और उस दुकान वाले के पास पहुंचा और बताया कि आज उसकी महारानी से मुलाकात नही हुई और बाद में कभी आएगा, साथ ही साथ विक्रम ने उस आदमी को जिसका नाम रहीम था 50 सोने की मोहरे दी और फिर सुल्तानपुर से बाहर निकल गया और फिर से भेष बदलकर नदी की तरफ चल पड़ा!
वही दूसरी तरफ उसके जाने के बाद शहजादी सलमा ने अपनी दो खास सहेलियों सीमा और सपना को साथ में लिया और नदी की तरफ चल पड़ी!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैविक्रम महल वापिस आ गया और राजमाता गायत्री के साथ बैठा हुआ खाना खा रहा था और बोला:"
" राजमाता आज आपने अजय को सुरक्षा प्रमुख बनाने के मेरे फैसले को एकदम से सहमति दी है मुझे बहुत अच्छा लगा!
गायत्री उसे देखकर मुस्कुराई और बोली:" बेटे हमने आपकी बात का मान रखा और फिर आपने बिलकुल सही फैसला किया हैं! आप शायद नही जानते हो कि अजय के पापा प्रमोद भी हमारे सुरक्षा प्रमुख थे और युद्ध में उन्होंने आखिरी सांस तक आपके पिता का साथ दिया था और फिर पिछली कुछ पीढ़ियों का इतिहास उठाकर देखिए तो सुरक्षा प्रमुख अजय के ही पूर्वज रहे हैं!
विक्रम:" फिर तो ये तो बहुत अच्छी बात हैं और अजय भी अपना काम ईमानदारी से करेगा और राज्य की सुरक्षा में कोई चूक नही होने देगा!
राजमाता:" लेकिन एक दिक्कत हैं कि अभी सुरक्षा प्रमुख के पद पर तैनात शक्ति सिंह को हटाना क्या सही होगा ?
विक्रम:" मुझे तो इसमें कोई दिक्कत नजर नही आती, फिर सबके मन में राज्य की सेवा का भाव होना चाहिए पद चाहे कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है
राजमाता:" बिलकुल सही कहा विक्रम आपने! राज्य की सेवा ही सबसे ऊपर होनी चाहिए! मैं कल भैरव बाबा के मंदिर जाऊंगी दर्शन के लिए, आप चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो!
विक्रम उसकी बात सुनकर मन ही मन खुशी से भर उठा और बोला:" देखता हू राजमाता, वैसे तो मुझे कल कुछ काम होंगे लेकिन अगर फ्री रहा तो आपके साथ जरूर चलूंगा!
अगले दिन सुबह राजमाता मंदिर जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अजय को दी और बोला:"
" अजय आप राजमाता की मंदिर यात्रा की सुरक्षा आपके हाथ में होगी और यही से आपकी कार्य कुशलता का भी पता चल जायेगा!
अजय:" आप निश्चित रहे युवराज! मैं किसी तरह की कोई कमी नही आने दूंगा!
थोड़ी देर बाद राजमाता मंदिर के लिए रवाना हो गई और अजय के पास अब सुनहरा मौका था सुल्तानपुर जाने का ताकि वो पवन को वापिस ला सके!
विक्रम पहली बार अनजाने में गया था लेकिन इस बार वो जान बूझकर जा रहा था तो उसने एक भिखारी का भेष बनाया और एक दूसरे घोड़े पर सवार होकर चल पड़ा! अपने घोड़े को उसने सुल्तानपुर की सीमा के बाहर ही छोड़ दिया और पैदल ही राज्य की सीमा में घुस गया और उस पर किसी का ध्यान भी नही गया और वो लोगो से भीख मांगने लगा और उसका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कोई उस पर शक तो नही कर रहा है! राज्य के रास्तों से होता हुआ वो राज परिवार की जय जयकार करता हुआ आगे बढ़ रहा था और देख रहा था कि राज्य सच में बेहद खूबसूरत था और आम लोगो के आलीशान महल जैसे घर राज्य की संपन्नता की कहानी कह रहे थे! थोड़ी देर में ही उसे अच्छी खासी भीख भी मिल गई थी और वो मुस्कुरा उठा और दोपहर होने को आई लेकिन अभी तक उसे कोई मौका नहीं मिला था कि वो पवन को देख रहे या पता कर सके कि वो कहां पर रखा हुआ था!
एक दुकान पर उसने थोड़ा सा खाना खाने लगा और खाना देने वाले से बोला:"
" अरे भाई साहब आपका खाना तो बेहद लजीज और खुशबू से महक रहा है!
आदमी खुश हो गया और बोला:"
" अरे भिखारी ये सुल्तानपुर हैं और यहां का हर आदमी अमीर हैं और अपने आप में सुलतान हैं तो खाना तो अच्छा बनेगा ही! यहां पहली बार आए हो लगता हैं!
विक्रम:" हान जी सुलतान साहब! मेरे तो किस्मत खुल गई जो यहां भीख मांगने चला आया! इतना तो उदयगढ़ मे मुझे महीने मे नही मिला था जितना यहां आधे दिन में ही मिल गया!
आदमी अपने लिए सुलतान साहब सुनकर खुश हुआ औरजोर से हंसा और बोला:"
" अरे वो तो भिखारियों का राज्य हैं! भला उसकी और हमारी क्या बराबरी!
विक्रम मन ही मन हंसा और उसकी हान में हान मिलाते हुए बोला:" बिलकुल सही कहा आपने! अच्छा ये राज महल किधर हैं ?
आदमी:" अच्छा समझ गया तू जरूर शाही परिवार से भीख पाना चाहता हैं!
विक्रम:" मैं तो बस यहां की महारानी रजिया के दर्शन करना चाहता हूं! उनकी दरियादिली के बेहद किस्से सुने हैं मैंने!
आदमी:" क्यों घुमा फिरा कर बात करते हो? मतलब वो वही हैं ना! सुन ओए भिखारी के बच्चे तू मुझे 50 मोहरे देगा तो तुझे सब बता दूंगा कि कैसे मिल सकता हैं और वैसे भी तुझे भीख में इससे ज्यादा ही मिल गया होगा!
विक्रम ने तुरंत जेब से 50 मोहरे निकाली और उस आदमी को दी और वो बोला:"
" देख तीन बजे के आस पास राजमहल के अंदर जाने की कोशिश करना क्योंकि उस समय सेनापति जब्बार नही होता! अगर वो तुझे मिला तो समझ लेना कि तू जिंदा नही बचेगा!
विक्रम:" ऐसा क्यों भाई? क्या वो महारानी से भी बड़ा हैं ?
आदमी:" अरे धीरे बोल पागल आदमी! सारा राज्य ही उसके कब्जे मे हैं और मुझे तो ये भी सुनने में आया हैं कि वो शहजादी सलमा से शादी करके राजा बनना चाहता है!
विक्रम की आंखे हैरानी से फैली और बोला:" उसे कोई कुछ बोलता नही है क्या ? मैने सुना हैं कि शहजादा सलीम राज्य की देख रेख करते हैं!
आदमी:" अबे वो सिर्फ नाम का शहजादा है, उसे तो औरतों के अलग कुछ नजर नहीं आता, मदिरा पीकर इतना कमजोर हो गया है कि तलवार तक नहीं उठा सकता है अब वो!
विक्रम:" अरे भाई ये क्या कह रहे हो? क्या सच मे ऐसा ही हैं?
आदमी:" और नही तो क्या,जब राजा मरे तो बेचारे छोटे से सलीम को जब्बार की देख रेख़ में दिया गया और उसने सलीम को जान बूझकर ऐसा बना दिया!
विक्रम:" अच्छा ये राजा मीर जाफर की मौत कैसे हुई थी?
आदमी:" बेड़ा गर्क हो इन उदयगढ़ वालो का जिन्होंने सुलतान को धोखे से मारा, उनके जैसा नेक इंसान कोई नही था!
विक्रम को उस पर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन ये सुनकर कि मीर जाफर को उदयगढ़ वालो ने मारा है तो उसे बेहद हैरानी हुई और बोला:"
" लेकिन मैंने तो सुना हैं कि सुलतान को पिंडारियो ने मारा था!
आदमी:" अरे ये सब तो उदयगढ़ वालो की बेकार की कहानी हैं! सच बात तो ये है कि पिंडारी और उदयगढ़ एक दूसरे के साथ हैं! बेचारे मीर जाफर पर पहले पिंडारियो के साथ मिलकर हमला किया और बाद में उसे मार दिया!
तुम जाओ अब और भीख में कुछ अच्छा मिले तो मुझे भी हिस्सा देना! पकड़े गए तो खुदा के लिए मेरा नाम मत लेना!
विक्रम ने उसे वादा किया कि वो उसका नाम नही लेगा और राज महल की तरफ चल पड़ा!
विक्रम को कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी ऐसा क्यों बोल रहा है कि उदयगढ़ वालो ने राजा को मारा जबकि वैद्य जी ने तो उसे कुछ और ही बताया था और वैद्य जी झूठ नही बोल रहे थे इतना तो वो जानता था और ये भी उसने महसूस किया था कि ये दुकान वाला भी झूठ नही बोल रहा था! आखिर सच क्या हैं ये उसे अब पता लगाना ही था!
धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए विक्रम को सड़क के दोनो ओर बेहद आलीशान घर नजर आ रहे थे जो इस बात का सुबूत थे कि आगे जल्दी ही महल उसके सामने होगा! विक्रम को मुख्य दरवाजे से वैसे भी महल में जाना ही नही था और न राजमाता से मिलना था! उसे तो सिर्फ ये पता लगाना था कि पवन कहां पर हैं और उसे कैसे निकाल सकता था!
जल्दी ही उसकी नजरो के सामने एक बेहद खूबसूरत और आलीशान महल था जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! संगमरमर से बना हुआ बेहद खूबसूरत जितनी तारीफ की जाए उतनी कम! महल के ऊंचे गोल गोल गुम्बद उसकी भव्यता की कहानी अपने आप बयान कर रहे हैं और महल के दरवाजे के दोनो तरफ बने हुए सुनहरे हाथी महल की सुंदरता मे चार चांद लगा रहे थे! विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा और तभी एक सैनिक उससे बोला:"
" ओय भिखारी भाग यहां से क्यों बिना मौत मरना चाहता हैं?
विक्रम बिना कुछ कहे दूसरी तरफ मुड़ गया और उसने देखा कि महल की छत पर चारो तरफ सैनिक तैनात थे और वो जानता था कि ये सब सुरक्षा जरूर जब्बार की लगाई हुई होगी और इसमें उसके काफी सारे आदमी होंगे! अब विक्रम के सामने चुनौती थी कि महल के अंदर कैसे घुसे!महल के पिछले हिस्से में दलदल थी जिस कारण उधर सुरक्षा कम थी क्योंकि वहां से किसी का आना असम्भव ही था! विक्रम ने चारो तरफ देखा और अपनी जेब से एक मजबूत रस्सी निकाली और उसका एक सिरा उसने लोहे के शिकंजे में बांधा और उसने एक पेड़ की तरफ पूरी ताकत से उछाल दिया और उसकी किस्मत अच्छी थी कि वो पहली ही बार में पेड़ पर फंस गया और विक्रम अब दलदल से होते हुए अपनी जान हथेली पर रखकर रस्सी के सहारे आगे बढ़ गया और उसने जैसे तैसे करके दलदल को पार कर लिया और उसने देखा एक बड़ा सा पेड़ था जो महल की दीवार से सटा हुआ था तो विक्रम धीरे से उस पेड़ पर चढ़ा और जैसे ही देखा कि पहरा देने वाला थोड़ा दूर गया है तो जल्दी से कूद कर महल की छत पर आ गया और एक बड़ी सी दीवार के पीछे छिप गया! जैसे ही वो पहरा देने वाला सैनिक उधर से आया तो विक्रम ने मौका देखकर उस पर हमला कर दिया और जल्दी ही उसे बेहोश करके नीचे फेंक दिया और उसकी जगह खुद पहरेदारी करने लगा और करीब दो चार चक्कर लगाने के बाद उसे एहसास हो गया कि करीब पूरी छत पर अभी 50 के आस पास सुरक्षा सैनिक थे!
विक्रम ने दूसरी छत पर पहरा दे रहे सैनिक को बाथरूम जाने का इशारा किया और महल में अंदर घुस गया और सावधानी से इधर उधर देखते ही रजिया के महल के सामने था और चोरी छिपे वो खिड़की पर पहुंच गया तो देखा कि अंदर दो औरते और एक आदमी मौजूद था! विक्रम को एक औरत जो करीब 47 साल की थी वो और लड़का जो करीब 22 साल का था दोनो नजर आ रहे थे जबकि एक दूसरी औरत का सिर्फ पीछे का हिस्सा नजर आ रहा था! विक्रम ने अनुमान लगाया कि ये जरूर रजिया और उसका राज परिवार हैं! रजिया बेहद खूबसूरत थी और सोने के आभूषणों से लदे होने के कारण इस उम्र में भी बेहद आकर्षक और कामुक नजर आ रही थी जबकि सलीम देखने में सुंदर जरूर था लेकिन बेहद कमजोर नजर आ रहा था मानो हफ्ते में सिर्फ एक ही बार खाना नसीब हो रहा था उसे!
रजिया:" बेटा सलीम अपनी सेहत का ध्यान रखा करो! आखिर क्यों दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे हो मुझे फिक्र होती हैं आपकी!
सलीम:" अम्मी सुलतान ये आपका प्यार हैं जिसके कारण हम आपको कमजोर नजर आते हैं नही तो हम तो पहले जैसे ही ताकतवर हैं!
सलमा:" भाई जान आपको एहसास नही हैं कि आप सच में बेहद कमजोर होते जा रहे हो! आखिर कब तक आप अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहोगे?
सलीम:" हमसे थोड़ा तहजीब से बात किया करो सलमा क्योंकि हम होने वाले सुलतान हैं! हम किसी से कमजोर नहीं है समझी आप!
सलमा ने गुस्से से हवा में अपना हाथ लहराया और बोली:"
" सुलतान हो तो सुलतान की तरह ताकतवर और जिम्मेदार बनो! अगर अपनी ताकत पर इतना ही भरोसा हैं तो हो जाए दो दो हाथ मेरे साथ!
सलमा का हाथ हवा में लहरा रहा था और यकीनन विक्रम ने पहली बार जिंदगी में इतना खूबसूरत और हसीन गोरा चिट्टा हाथ देखा था तो मन ही मन सलमा की खूबसूरती का कायल हो गया और उसकी हिम्मत तो वो उस दिन देख ही चुका था कि किस तरह से उसके उसके बिगड़ैल और जिद्दी घोड़े पवन को काबू में कर लिया था और आज तो उसने एक और बड़ा नमूना अपनी ताकत का पेश किया था विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती के साथ साथ उसकी बहादुरी का भी कायल हो गया!
सलीम ने अपना हाथ आगे नही बढ़ाया और बोला:"
" वो क्या हैं कि आज कल मेरी तबियत थोड़ी ठीक नही हैं, एक हफ्ते रुक जा फिर तेरी सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा!
सलमा हंस पड़ी और बोली:"
" भाई कब तक बहाने बनाते रहोगे? मेरी बात मानो और अपनी अय्याशी बंद करके अपने खाने पीने का ध्यान रखो और जनता का ध्यान रखो!
सलीम:" जनता का ध्यान तो जब्बार अच्छे से रख ही रहा हैं! वो हमे सारी जानकारी दे ही रहा हैं और वैसे भी राज्य में सब ठीक ही चल रहा है! अच्छा सुना हैं तुमने दो दिन पहले कोई घोड़ा पकड़ा हैं!
सलमा:" अच्छा वो काला घोड़ा गलती से हमारे राज्य में घुस गया था तो हमने उसे काबू कर लिया और अब वो मेरे पास ही हैं! सच में वो बेहद कमाल का घोड़ा हैं ऐसी रफ्तार हमने आज तक नही देखी!
सलीम:" अच्छा फिर तो उसकी हमे भी सवारी करनी चाहिए!
सलमा:" उसे काबू करना बच्चो का काम नही हैं! जिस दिन मुझे हरा दोगे उस दिन आपको वो घोड़ा सवारी के लिए मिल जाएगा!!
इतना कहकर सलमा पलटी और पहली बार विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार किया और उसकी आंखे मानो फट सी गई क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इतना भी खबूसरत कैसे हो सकता है!!
काले रंग के हिजाब में लिपटी हुई शहजादी बेहद खूबसूरत लग रही थी! चांद सा खूबसूरत चेहरा, उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे बिलकुल झील की तरह गहरी और नशीली और चिकने लाल हल्की लालिमा लिए हुए मानो दूध में हल्का सा सिंदूर मिलाने पर जो रंग आए बिलकुल वही रंगत लिए हुए, पतले पतले मुलायम नरम रसीले होंठ जो लाल रंग की लिपिस्टिक में बेहद रसीले लग रहे थे और हल्के कसे हुए कपड़ो में सलमा का भरा पूरा बदन खिल कर निखर रहा था जो इस बात की गवाही दे रहा था कि वो सिर्फ नाम की ही नही बल्कि अपने जिस्म से भी शहजादी हैं!
सलमा:" अच्छा मैं चलती हु अब उस घोड़े की सवारी करने के लिए! आप खायो और ताकत बनाओ।
इतना कहकर सलमा बाहर की तरफ जाने लगी तो विक्रम थोड़ा सा साइड में हो गया और बाहर की तरफ निकल गया और जैसे ही सलमा बाहर आई तो उसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था और वो अब अस्तबल की तरफ बढ़ गई और विक्रम भी उसके पीछे पीछे पीछे सावधानी से चल रहा था और अस्तबल में पहुंची तो वहां मौजूद सैनिकों ने उसे झुककर सलाम किया और उसके बाद थोड़ी देर बाद ही वो घोड़े का लगाम पकड़कर बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकल कर मुख्य रास्ते पर आई तो विक्रम उसके पीछे पीछे बाहर आ गया और जैसे ही वो राजमहल से बाहर निकलने वाले रास्ते पर थी तो वो अदा के साथ घोड़े की पीठ पर सवार हो गई और उसे अपने सामने विक्रम खड़ा दिखाई दिया और बोली:"
" तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम राजमहल में घुस आए ?
विक्रम:" शहजादी आपने ही तो मुझे इजाजत दी थी कि मैं अपने घोड़े से मिलने के लिए आ सकता हूं कभी कभी!
सलमा ने उसे घूर कर देखा और बोली:" लेकिन राजमहल के अंदर आने की इजाजत नही दी थी मैने! तुम्हे किसी ने रोका नही क्या ?
विक्रम:" आंधियों को रोक पाना किसी के बस की बात नही होती हैं वो तो आ आकर ही रहती हैं!
सलमा:" बड़ा गुरुर है आपको अपनी ताकत पर ?
विक्रम ने अपनी मूछों पर ताव दिया और बोला:"
" ताकत ही एक मर्द की पहचान होती हैं शहजादी और मेरी रगों में उबलता हुआ खून मेरी ताकत ही पहचान हैं!
सलमा:" वक्त आने पर हर किसी का गुरुर मिट्टी में मिल जाता हैं!
विक्रम:" जब आप चाहो जैसे चाहो मुझे आजमा लेना!
सलमा:" मैं चाहु तो अभी मेरे इशारे पर आपको जिंदगी भर के लिए बंदी बना लिया जायेगा!
विक्रम:" आज तक किसी मां ने वो लाल पैदा नही किया जो मेरी मर्जी के बिना मुझे छू भी सके!
सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"
" बाते तो बड़ी बड़ी करते हो लगता हैं अभी किसी से पाला नही पड़ा है आपका! मत भूलो कि आप अभी सुल्तानपुर के राजमहल में खड़े हो और मैं क्या कर सकती हू आप सोच भी नहीं सकते!
विक्रम बात को बढ़ाना नही चाहता था तो बोला:"
" मैने तो सुना था कि सुल्तानपुर में लोगो की जुबान की कीमत होती हैं और आप मुझे इजाजत देकर अब धमकी दे रही हो?
सलमा:" धमकी इसलिए क्योंकि हमने आपको राजमहल में घुसने की इजाजत नहीं थी सिर्फ राज्य में आकर अपने घोड़े से मिलने की इजाजत दी थी!
विक्रम:" मैं मानता हु कि मुझे राजमहल के अंदर नही घुसना चाहिए था लेकिन मुझे कैसे पता चलता कि पवन कहां पर हैं और मैं उससे कैसे मिल सकता था! महल में आकर मैंने जो गुस्ताखी करी है उसके लिए आपसे क्षमा चाहता हूं!
विक्रम की बात सुनकर सलमा थोड़ा नरम पड़ी और बोली:"
" ठीक हैं लेकिन आपको पहले ये बताना पड़ेगा कि आप राजमहल तक कैसे पहुंचे? अगर आप पहुंच सकते हो कोई दुश्मन भी पहुंच सकता हैं और क्या पता कल आप ही दुश्मन बन जाए !
विक्रम:"अगर सवाल आपकी सुरक्षा का हैं तो मैं जरूर बताऊंगा! लेकिन मेरा एक वादा हैं कि जिंदगी में आपका दुश्मन बनने से अच्छा अपनी जान देना पसंद करूंगा!
सलमा उसकी बात सुनकर घोड़े से नीचे उतर गई और बोली:"
" हम पर इस मेहरबानी की कोई खास वजह?
विक्रम पवन के पास पहुंच गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरा तो घोड़े ने पूंछ हिलाकर अपना प्यार दिखाया और विक्रम सलमा की तरफ पलट कर बोला:"
" वजह तो एक ये भी है कि पवन अब आपका दोस्त बन गया है और फिर मेरा दोस्त तो वो है ही पहले से! दोस्त के दोस्त का दुश्मन कैसे बन सकता हु भला! वैसे पवन की सवारी आपको कैसी लगी?
सलमा:" पवन जैसा ताकतवर और मजबूत घोड़ा मैने आज तक नही देखा! दौड़ता है तो लगता हैं मानो हवा से बाते कर रहा है!
विक्रम:" ताकतवर तो होगा ही आखिर घोड़ा किसका है!
सलमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी हंस पड़ी और बोली:"
" चलो फिर किसी दिन आपकी ताकत भी देख ली जाएगी! अब पहले ये बताओ कि राज महल तक कैसे पहुंचे?
विक्रम ने उसे सब कुछ बता दिया और सलमा को मन ही मन हैरानी हुई कि इस आदमी ने 250 मीटर दूर तक लोहे के हुक वाली रस्सी को कैसे फेंक दिया यकीनन ये बेहद ताकतवर और बहादुर है! सलमा उससे बोली:"
" ये आपने हमे अच्छी बात बताई! हम जरूरी उस दिशा में अब सुरक्षा का इंतजाम करेंगे! हम आपके आभारी रहेंगे!
विक्रम:" आप चाहे तो ये आभार उतार भी सकती हैं!
सलमा;" वो कैसे भला?
विक्रम:" कभी दिनों से मैने पवन की सवारी नही करी है! अगर आप मुझे आज पवन की सवारी करने दे तो!
सलमा:" ठीक हैं लेकिन उसके लिए आप हमे राज्य के बाहर मिलिए नदी के किनारे वाले मैदान पर! लेकिन आप राज्य से बाहर निकलेंगे कैसे?
विक्रम:" वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए! मैं आपको आधे घंटे बाद वही मिलता हु!
इतना कहकर विक्रम सैनिक वेश भूषा में ही महल से बाहर निकल गया और बाहर निकलते ही उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और उस दुकान वाले के पास पहुंचा और बताया कि आज उसकी महारानी से मुलाकात नही हुई और बाद में कभी आएगा, साथ ही साथ विक्रम ने उस आदमी को जिसका नाम रहीम था 50 सोने की मोहरे दी और फिर सुल्तानपुर से बाहर निकल गया और फिर से भेष बदलकर नदी की तरफ चल पड़ा!
वही दूसरी तरफ उसके जाने के बाद शहजादी सलमा ने अपनी दो खास सहेलियों सीमा और सपना को साथ में लिया और नदी की तरफ चल पड़ी!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है विक्रम ने बहादुरी से दुश्मनों से शहजादी की रक्षा की साथ में शहजादी ने भी बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया और उनको खदेड़ दिया। दुश्मनो से लड़ते हुए शहजादी का नकाब हट गया और विक्रम को शहजादी के रूप के दर्शन हुए विक्रम शहजादी के रूप पर मोहित हो गया हैविक्रम नदी के किनारे सलमा का इंतजार कर रहा था और वही सलमा भी घोड़े पर सवार होकर निकल गई थी और उसके साथ सीमा और सपना दोनो थी! सीमा सलमा से बोली:"
" शहजादी क्या इस तरह से बिना सुरक्षा के हमारा घूमना सही हैं ?
सलमा:" मत भूलो कि तुम सलमा के साथ हो और फिर ये हमारा राज्य हैं जहां किसी की हिम्मत नहीं है कि आंख उठा कर हमे देख सके!
सपना:" लेकिन फिर भी अचानक से आप बिना सुरक्षा के ऐसे शाम के समय आ गई जरूर कोई तो बात जरूर होगी!
सलमा:" बात तो जरूर हैं सपना, दरअसल इस घोड़े का असली मालिक एक बार इससे मिलना चाहता हैं और उसकी सवारी करना चाहता है तो हमने भी उसे वादा कर दिया था! बस ये बात है
सीमा:" अच्छा अगर इतनी सी ही बात हैं तो फिर तो ठीक हैं शहजादी साहिबा!
विक्रम बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और थोड़ी ही देर बाद उसे घोड़ों की टापो की गूंज सुनाई पड़ी और और अगले ही उसकी आंखो के आगे पवन पर बैठी हुई सलमा नजर आई जिसके साथ सीमा और सपना दोनो थी और विक्रम के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और सलमा ने घोड़े की लगाम को धीरे धीरे खींच दिया और ठीक विक्रम के सामने आ गई और घोड़े से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच गई! सीमा और सपना ने अपना घोड़ा थोड़ा पीछे ही रोक दिया और आपस में बातें करने लगी ! सलमा ने हमेशा की तरह अपने मुंह पर नकाब लगाया हुआ था और ये नकाब सोने की लड़ियों से बना हुआ था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी और सबसे बड़ी बात नकाब की लड़ियों के उधर इधर हिलने से उसका चेहरा भी थोड़ा थोड़ा नजर आ रहा था जिसे विक्रम नजर भर कर देख रहा था!
सलमा ने घोड़े की लगाम को पकड़ा और विक्रम के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली:"
" लीजिए विक्रम ये रहा आपका घोड़ा, जैसे चाहे सवारी कीजिए!
विक्रम ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:"
" आपकी इस दरियादिली के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे!
सलमा:" ठीक हैं बाते ही करते रहेंगे या इसकी सवारी भी करेंगे आप?
विक्रम घोड़े की पीठ पर सवार हो गया और बोला:"
" ठीक हैं आप रुकिए तब मैं थोड़ा आगे से घूम कर आता हु!
इतना कहकर विक्रम ने घोड़े को चलने का इशारा दिया और देखते ही देखते घोड़ा हवा से बाते करने लगा और सीमा और सपना अब सलमा के पास आ गई और बोली
" शहजादी ये विक्रम साहब हैं कौन? क्या आप इन्हे जानती है?
सलमा:" नही ये तो मैने कभी सोचा ही नहीं, बस इतना ही जानती हूं कि उसका घोड़ा मैने पकड़ लिया था और आज ये अपने घोड़े से मिलने के लिए आया हैं!
सपना:" अच्छा ही किया शहजादी! वैसे ही ज्यादा जान पहचान अच्छी नही होती खासतौर से जवान मर्दों के साथ!
सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"
" तुम भी ना बस सपना, जब देखो उल्टी सीधी बात करती रहती हो!
सीमा:" सपना तुम्हे कितनी बार कहा है कि शहजादी को मत परेशान किया करो!
सपना:" लो जी कर लो बात, अब भला इसमें मैने क्या गलत कह दिया! शहजादी के भले के लिए हो तो कहा हैं!
उनकी बाते चल ही रही थी कि तभी उत्तर दिशा से अचानक कुछ घुड़सवार तेजी से आए और देखते ही देखते उन्हे घेर लिया! सलमा समझ गई कि वो खतरे में पड़ गई हैं और उसने सीमा और सपना को इशारा किया और देखते ही देखते उनके हाथो मे तलवार नजर आई और नदी का खाली पड़ा हुआ मैदान युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया! सलमा ने अपनी तलवार को मयान से बाहर निकाला और दुश्मनों पर टूट पड़ी!
सलमा और उसकी सहेलियां बेहद बहादुरी से लड़ रही थी लेकिन देखते ही देखते दुश्मनों की संख्या बढ़ गई और और सपना और सीमा दोनो घायल हो गई और आखिर सलमा को पकड़ लिया गया और कुछ आदमी उसे घसीटते हुए एक घोड़ा बग्गी की तरफ ले चले जिसमे उनका सरदार बैठा हुआ था! युद्ध करते हुए सलमा का नकाब खुल गया था और उसकी खूबसूरती अपने शबाब पर थी और उसे देखते ही सरदार बोला:"
" क्या अद्भुत सुंदर राजकुमारी हाथ लगी हैं! सच में लगता हैं जैसे कोई हूर जन्नत से उतर आई है इसके रूप में! उठा लो इन्हे और डाल तो रथ में पीछे हाथ पैर बांधकर इनके!
सलमा जानती थी कि अगर वो और उसकी सहेली इन काबिलाई लोगो के हाथ लग गई तो जिंदगी मौत से बदतर हो जायेगी! वो मदद के लिए इधर उधर देख रही थी लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था! तभी तीन चार आदमी उसे उठाने के लिए आगे बढ़े और तभी एक सर्रर के आवाज के साथ तीर आया और रथ पर बैठे हुए सरदार की छाती में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी चींख निकली और जमीन पर गिर पड़ा! सलमा ने देखा कि सामने घोड़े पर सवार विक्रम तेजी से उधर ही आ रहा था जिसके हाथ में तीर कमान था!
देखते ही देखते उसने कुछ तीर और चलाए और कुछ और दुश्मन मौत के घाट उतर गए! मौके की नजाकत को देखते हुए सलमा ने अपने पास पड़ी हुई एक तलवार को उठा लिया और दुश्मनों पर टूट पड़ी! विक्रम और सलमा के साथ साथ अब सपना और सीमा भी मैदान में कूद पड़ी और देखते ही देखते दुश्मनों की लाश के ढेर लगने लगे! विक्रम पूरी ताकत और बहादुरी से लड़ रहा था और सलमा लड़ते लड़ते भी उस पर ध्यान रख रही थी! तभी विक्रम पर एक आदमी ने वार किया और विक्रम ने अपनी डाल पर उसे रोक लिया और उसकी तलवार बिजली की गति से लहराई और उस दुश्मन की गर्दन जमीन पर गिर पड़ी! विक्रम की तलवार अब जादुई रफ्तार से चल रही थी और एक के बाद एक दुश्मन हलाक होते चले जा रहे थे!
विक्रम का ऐसा रौद्र रुप देखकर बचे हुए दुश्मन भाग खड़े हुए और सलमा ने सुकून की सांस ली! वो विक्रम की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी विक्रम के पास पड़े हुए एक सैनिक ने तलवार का वार विक्रम पर किया और उसके पैर से खून की धार बह निकली और सलमा ने तेजी से तलवार का वार किया और उस सैनिक की गर्दन उड़ा दी! विक्रम दर्द के मारे नीचे जमीन पर बैठ गया और सलमा बोली:"
" सपना सीमा जल्दी से पानी लेकर आओ!
दोनो नदी की तरफ दौड़ गई और सलमा ने अपने दुपट्टे को फाड़कर उसके पैर पर लपेट दिया और उसका जख्मी पैर देखकर बोली:"
" मेरे लिए खुद को खतरे में डालने की जरूरत क्या थी?
विक्रम बेशक दर्द से कराह रहा था लेकिन उसके माथे पर दर्द की एक लकीर तक नहीं थी और बोला:"
" शहजादी आप मेरे बुलावे पर यहां आई थी और आपकी हिफाजत करना मेरा फर्ज था!
ना चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोली:"
" मेरी वजह से आपका ये हाल हो गया है! मुझे माफ कर दीजिए आप खुदा के लिए!
इतना कहकर उसने उसने अपने दोनो हाथो को अपने मुंह पर रख लिया और रो पड़ी!
सलमा के आंसू देखकर विक्रम बोला:" शहजादी सलमा आप रोते हुए बेहद बुरी लगती हैं, आप जैसी हसीना की आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते!
विक्रम की बात सुनकर सुनकर सलमा को अपने बेनकाब होने का एहसास हुआ और वो अपना हिजाब ठीक करने लगी तो विक्रम में उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" हम और और जुल्म मत कीजिए शहजादी! आपका ये खूबसूरत चेहरा देखकर मुझे दर्द में भी सुकून मिल रहा है!
किसी जवान मर्द ने पहली और उसकी तारीफ करी थी और शहजादी सलमा अपनी नाजुक कलाई पर विक्रम के कठोर उंगलियों का एहसास महसूस करके बेचैन हो उठी और और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली:"
" हमारा हाथ छोड़िए विक्रम! ये ठीक नहीं है!
विक्रम ने उसका हाथ हाथ नही छोड़ा और उसकी तरफ देखता रहा तो शहजादी कसमसा उठी और बोली:"
" हम पर ऐसा जुल्म मत कीजिए विक्रम! कोई देख लेगा तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नही रहेंगे!
इतना कहकर सलमा पूरी ताकत से अपना हाथ पीछे खींचने लगी लेकिन विक्रम की ताकत के आगे उसकी एक न चली और और विक्रम बोला:"
" हमे यूं न तड़पाए सलमा! कोई नही देखा रहा और वैसे भी आपके बदनाम होने से पहले हम मौत को गले लगाना पसंद करेंगे!
उसकी बात सुनकर सलमा ने अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसके होंठो पर रख दिया मानो उसकी बात से नाराज हो और कुछ नही बोली! तभी दूर से उसे सपना और सीमा आती हुई दिखाई दी तो सलमा कांप उठी और बोली:"
" खुदा के लिए अब रहम कीजिए! वो दोनो आ रही हैं अगर हमें देख लिया तो गजब हो जायेगा!
विक्रम:" ठीक हैं छोड़ दूंगा लेकिन वादा कीजिए आप कल हमसे यही फिर मिलने आएंगी!
सलमा उसकी तरफ देखकर कसमसा उठी और आंखे दिखाते हुए बोली:"
" आप पहले आराम कीजिए एक हफ्ता! आज ही के दिन मै आपका इंतजार करूंगी यही तब तक आपके जख्म भी ठीक हो जाएंगे!
विक्रम:" हमे ऐसे न तड़पाए! एक हफ्ता हम आपके बिना नहीं जी पायेंगे! आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम राजमहल में ही आपसे मिलने आयेंगे!
सलमा:" ऐसा गजब मत करना! पकड़े गए तो मारे जाओगे! महल में हर बार घुसना आसान नही होगा !
विक्रम:" उसकी बात आप चिंता मत करो! मैं खुद जा जाऊंगा!
सलमा:" मैं आज के ही दिन शाम को सात बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी और वहां कोई सैनिक भी नही होगा!
विक्रम:" ये तो बहुत अच्छी बात हैं! मैं जरूर आऊंगा शहजादी!
तभी सपना और सीमा पास आने वाली थी तो सलमा बोली:"
" ठीक है मैं इंतजार करूंगी! लेकिन खुदा के लिए अभी मेरा हाथ छोड़ दीजिए! उन्होंने देख दिया तो गजब जायेगा!
विक्रम थोड़ा सा आगे को झुका और सलमा का हाथ चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसका हाथ छोड़ दिया और सलमा अपना नकाब ठीक करते हुए उसे गुस्से से देख रही थी और तभी सीमा और सपना आ गई और सलमा ने विक्रम के जख्म को पानी से धो दिया और उसके बाद पट्टी करी और बोली:"
" विक्रम अब हमे इजाजत दीजिए! राजमहल में हम नही पहुंचे तो दिक्कत हो जाएगी!
इतना कहकर सलमा खड़ी हुई और घोड़े पर सवार होने लगी तो सीमा और सपना विक्रम से बोली:"
" हमारी जान बचाने के लिए आपका शुक्रिया! आप बेहद ताकतवर और बहादुर है!
उसके बाद सपना और सीमा भी अपने घोड़े पर सवार होने लगी और उन दोनों की बात सुनकर सलमा को उन पर गुस्सा आ रहा था लेकिन कुछ नही बोली और देखते ही देखते सीमा और सपना अपने घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ गई और सलमा वही खड़ी हुई अब भी विक्रम को देख रही थी! मुंह पर नकाब लगाए हुए अपनी मदभरी मस्तानी आंखो से लगातार विक्रम को देख रही थी, सलमा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और उसकी बड़ी बड़ी काली गोल आंखे मानो विक्रम पर कयामत बनकर टूट रही थी!
विक्रम भी बिना पलके झुकाए उसे ही देख रहा था और धीरे से बोला:"
" जाना जरूरी है क्या शहजादी?
सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" मेरी मजबूरी है विक्रम!
विक्रम:" आप मेरी जान लेकर रहोगी शहजादी! अच्छा जाने से पहले एक बार अपना अपना खूबसूरत चांद सा चेहरा मुंह दिखा दीजिए! आपको मेरी कसम हैं शहजादी!
सलमा अपना हाथ अपने नकाब पर ले गई और उसे खोल दिया जिससे एक बार फिर से उसका खूबसूरत चांद सा रोशन चेहरा पूरी तरह से बेपर्दा हो गया
नकाब के हटते ही ऐसा लगा जैसे चांद बादलों के बीच से निकल आया हो और विक्रम अपने होश खो बैठा और बोला:"
" अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय रूप से सुंदर हो आप सलमा!
सलमा ने फिर से अपना नकाब लगाया और विक्रम की आंखे में देखते हुए अपने घोड़े को आगे बढ़ा दिया और देखते ही देखते विक्रम की आंखो से ओझल होती चली गई! विक्रम उसे तक तक देखता रहा जब तक वो दिखती रही और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर अपने राज्य वापिस लौट गया और सीधे वैद्य के पास गया और वैद्य उसका जख्म देखकर परेशान हुए और बोले:"
" अपना ध्यान रखा कीजिए आप युवराज! मैने इलाज कर दिया है तो तीन चार दिन के अंदर आपका जख्म पूरी तरह से भर जायेगा!
विक्रम:" आपका बहुत बहुत धन्यवाद वैद्य जी! लेकिन ध्यान रखना इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मुझे चोट लगी हुई हैं!
वैद्य ने उससे वादा किया और विक्रम महल की तरफ लौट आया और उसकी आंखो के आगे अभी भी सलमा का खूबसूरत चेहरा घूम रहा था!
वहीं दूसरी तरफ सलमा सीमा और सपना के पास पहुंच गई और बोली:"
" आज जो हुआ उसका महल में किसी को पता नहीं चलना चाहिए नही तो दिक्कत होगी!
सीमा:" आप फिकर ना करे राजकुमारी लेकिन वो तो भला हो उस बेचारे राजकुमार का नही तो पता नहीं क्या गजब हो जाता!
सपना:" सच में उसने जी आज हम सबको बचाया है! जितना बहादुर है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं! ऐसे राजुकमार पर तो कोई भी सुंदरी मर मिटे!
सलमा उनकी बाते सुन कर मन ही मन खुश हो रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो राज के अंदर घुस गए और दोनो अपने घर लौट गई और सलमा राजमहल में चली गई जहां उसकी अम्मी रजिया उसके लिए परेशान हो रही थी और सलमा को देखकर उन्होंने चैन की सांस ली और बोली:"
" कहां चली गई थी आप बिना बताए ? आपको एहसास है कि मुझे आपकी कितनी चिंता हो रही थी?
सलमा:" हम बस थोड़ा घूमने के लिए निकल गए थे! हमे माफ कर दीजिए अम्मी आगे से ऐसी गलती नहीं होगी!
रजिया ने उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली
" कहीं भी जाओ बस बता कर जाया करो! चलो जल्दी से नहाकर आ जाओ फिर भी खाना खायेंगे!
सलमा बहाने के बाद खाने kr दस्तर खान पर बैठ गई लेकिन उसका मन तो कहीं और ही लगा हुआ था और अनमने ढंग से थोड़ा कुछ खाया तो रजिया उससे बोली:
"क्या हुआ शहजादी, आपकी तबियत तो ठीक है ना ?
सलमा:" हां अम्मी, बस आज ज्यादा भूख नही है, अच्छा हम सोने के लिए चलते हैं!
इतना कहकर वो अपने कक्ष की और चल पड़ी और बेड पर लेट गई और विक्रम के बारे में ही सोचने लगी कि सच में वो कितना अच्छा इंसान हैं और कितना प्यारा भी! सलमा को लगा कि उसे उसके बारे में ज्यादा नही सोचना चाहिए क्योंकि ये गलत है! लेकिन जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो कैसे मेरा रोम रोम कांप उठा और उसका हाथ कितना ज्यादा कठोर था! ये सब सोचकर सलमा ने अपनी आंखे बंद ली और तभी उसे एक पल का एहसास हुआ जब विक्रम ने उसके हाथ को चूमा था तो सलमा की सांसे तेज हो गई और उसने उसने अपने हाथ को वही पर चूम लिया जहां विक्रम के होंठो ने उसे छुआ था और ऐसा करते ही सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी " आह्ह्ह विक्रम!!
सलमा को महसूस हो रहा था कि विक्रम के गर्म दहकते हुए होंठो पर का एहसास उसे अभी भी अपने हाथ पर हो रहा था और उत्तेजना में सलमा की नाजुक नर्म, गर्म पतली रसीली जीभ बाहर निकली और उस जगह को चूसने लगीं और जोर से अपनी जांघो को एक दूसरे से कस लिया और उसकी चूचियां इस कदर उछल रही थी मानो बाहर निकल आने के लिए लिए फड़फड़ा रही थी! सलमा ने बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाया और जैसे तैसे करके सोने की कोशिश करने लगी!!
वही दूसरी तरफ विक्रम की हालत भी सलमा से कुछ जुदा नहीं थी! बड़ी मुश्किल से थोड़ा सा खाना खाया और अपने कक्ष में आराम करने लगा और वो एक पल के लिए भी सलमा को नही भूल पा रहा था!
वही दूसरी तरफ राजमाता ने अजय को बताया था कि जल्दी ही एक शुभ अवसर पर राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके हवाले कर दी जाएगी! आज वो जाकर अपनी मां को ये बात बताए ताकि उसकी मां उसे इस प्रथा और जिम्मेदारी के लिए बता सके! अजय राजमाता के पैर छूकर अपने घर की तरफ चल पड़ा जहां उसकी माता मेनका उसका इंतजार कर रही थी!