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कृपया थोड़े दिन प्रतीक्षा करे! कहानी जल्दी ही शुरू हो जाएगी
intezaar rahega Unique star bhai....कृपया थोड़े दिन प्रतीक्षा करे! कहानी जल्दी ही शुरू हो जाएगी
Don't very we happy.bas intzaar Lamba mat karanaकृपया थोड़े दिन प्रतीक्षा करे! कहानी जल्दी ही शुरू हो जाएगी
कृपया थोड़े दिन प्रतीक्षा करे! कहानी जल्दी ही शुरू हो जाएगी
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैविक्रम अपनी भीगी आंखों से वापिस उदयगढ़ आ गया और बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था! उसने सपने में भी नही सोचा था कि सलमा उसके हाथ ऐसा व्यवहार करेगी! जब सलमा ने उसे थप्पड़ मारा तो उसका मन किया था कि उसका मुंह तोड़ दे लेकिन अपनी मोहब्बत की वजह से खामोश रहा और जिस तरह से सलमा ने उसे बेइज्जत करके अपने कक्ष से निकाला था उससे उसका दिल बुरी तरह से टूट गया था और विक्रम को अब बिलकुल भी सुकून नही मिल रहा था! जिस सलमा के लिए उसने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी और अपनी जान से ज्यादा प्यार किया उसने ही उसने धमकी दी कि सुल्तानपुर की सीमा में दिखे तो जिंदा वापिस नही जाओगे ये सब सोचकर उसे रोना आ रहा था!
बेचैनी से इधर उधर टहलते हुए विक्रम को पूरी रात हो गई और जैसे ही सुबह हुई तो वो अजय उसके पास आया और उसकी लाल आंखे देखकर बोला:"
" क्या हुआ युवराज ? आपकी आंखे बड़ी लाल हो रही हैं जैसे आप पूरी रात सोए नही हो!
विक्रम के चेहरे पर छाई उदासी उसकी हालत बयान कर रही थी और विक्रम बोला:"
" ऐसा कुछ नही हैं बस आंखे दर्द कर रही थी तो इसलिए नींद नही आई मुझे!
अजय:" माफ कीजिए युवराज लेकिन आपके चेहरे पर छाई उदासी मुझे कुछ और ही संकेत दे रही हैं !
विक्रम थोड़ी देर चुप रहा और बोला:" अजय ऐसा कुछ भी नहीं है, बस कल कुश्ती के बाद नींद नही आई तो इसलिए सो नही पाया मैं अच्छे से!
अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" युवराज एक बार मुझे अपनी समस्या बताकर तो देखिए, मुझे आपके काम आकर खुशी होगी!
अजय ने उसकी तरफ ध्यान से देखा और फिर कुछ सोचते हुए बोला:" ठीक हैं अजय, सही समय आने पर आपसे सब बाते साझा करूंगा!
अजय:" मैं बेताबी से उस पल का इंतजार करूंगा युवराज! चलिए आप नहा लीजिए फिर आपको राजमाता ने बुलाया हैं!
विक्रम नहाने के लिए अंदर चला गया और थोड़ी देर बाद दोनो राजमाता के सामने खड़े हुए थे और राजमाता गायत्री देवी विक्रम को देखकर बोली:"
" क्या हुआ युवराज? आपके चेहरे पर ये पीड़ा किसलिए ?
विक्रम जानता था कि वो चाह कर अपनी मां की नजरों से नही बच सकता लेकिन सच कह पाने की हिम्मत उसमें नही थी और बोला:"
" तबियत थोड़ी ठीक नही है मेरी बस इसलिए ऐसा लग रहा है आपको!
राजमाता:" सिर्फ ये ही बात हैं या कुछ और भी वजह हैं युवराज?
अजय नही चाहता था कि विक्रम को राजमाता के और सवालों का सामना करना पड़े इसलिए विषय को बदलते हुए बोला:"
" राजमाता कल युवराज ने सागोला को कुश्ती में हरा दिया! सागोला ने हमारे राज्य के कई पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ दी थी!
राजमाता ने आगे बढ़कर विक्रम का माथा चूम लिया और बोली:"
" शाबाश मेरे शेर बेटे! ऐसे ही दुश्मनों के हौसलों को तबाह करते रहे और उन्हें धूल चटाते रहो आप!
उसके बाद राजमाता बोली:"
" कल अजय का उदयगढ़ का सेनापति बनाया जायेगा इसलिए आप उत्सव की तैयारी में जुट जाएं युवराज! मुझे अजय से कुछ बात करनी है आप !
विक्रम उसकी बात सुनकर बोला:" जो आज्ञा राजमाता!
इतना कहकर वो बाहर निकल गया और उसके जाने के बाद राजमाता अजय से बोली:
" अजय पता करने की कोशिश करो कि विक्रम को क्या हुआ हैं ? उसके चेहरे की पीड़ा हमसे देखी नही जा रही है!
अजय:" आप चिंता मत करिए राजमाता! मैं युवराज की समस्या और समाधान दोनो ढूंढ लूंगा!
गायत्री:"मुझे आप पर पूरा भरोसा हैं अजय! मेरी कोई भी सहायता चाहिए तो बता देना!
अजय:" जी राजमाता! मैं भी घर जाऊंगा और उसके बाद कुछ तलवारों और तीरों का मुआयना करना है मुझे ताकि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके!
राजमाता: वैसे तो आप आस ऐसा कोई राज्य हैं नही जो उदयगढ़ की तरफ नजर उठा कर देख सके! बस हमें पिंडारियो के हमले से बचने की जरूरत हैं क्योंकि उन्हें हराना बेहद मुश्किल हैं और वो राज्य का खजाना और खूबूसरत जवान औरतों को उठाकर ले जाते हैं!
अजय:" आप चिंता न करे राजमाता, मैं सौगंध खाता हूं कि उदयगढ़ की तरफ बुरी नजर डालने वाले हर दुश्मन को नर्क में पहुंचा दूंगा चाहे तो पिंडारी हो या फिर कोई दूसरा!
राजमाता:" हमे आप पर पूरा भरोसा है अजय! आप जाकर अपने काम कीजिए!
उसके बाद अजय राजमाता के कक्ष से निकल गया और अपने कामों में लग गया! वहीं दूसरी तरफ मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि वो आज रात होने वाली विधि के लिए अजय को कैसे समझाए क्योंकि जो रूप उसे धारण करना था वो समाज के नियमो के खिलाफ था लेकिन तलवार सौंपने की विधि की पहली और अंतिम सबसे जरूरी शर्त वही थी!
दूसरी तरफ विक्रम के जाने के बाद सलमा अपने बेड पर गिर पड़ी और लंबी लंबी सांसे लेने लगी! उसका दिल ये मानने के लिए तैयार ही नहीं था कि विक्रम उसके साथ इतना बड़ा धोखा कर सकता है उसे अपनी सच्चाई नही बताई और उसके साथ प्यार करता रहा! सलमा की बार बार आंखे भर भर आ रही थी और उसे अपने आपसे नफरत हो रही थी कि उसने जिंदगी मे उस आदमी से प्यार किया जिसके पिता ने उसके अब्बा की हत्या कर दी और उन्हें धोखा दिया! सलमा को अपने आप पर बाद गुस्सा आ रहा था कि कैसे वो खुद अपने जिस्म को विक्रम के हवाले कर बैठी थी!
पूरी रात ऐसे ही कट गई और अगले दिन सीमा और राधिका दोनो आ गए और राधिका शहजादी के लिए पानी गर्म करने चली गई तो सीमा उसकी हालत देखकर बोली:"
" क्या हुआ शहजादी ? आप बड़ी परेशान लग रही है!
सलमा ने उसकी तारीफ उदास नजरो से देखा और कोई जवाब नही दिया तो सीमा उसके करीब बैठ गई और बोली:"
" बताओ ना शहजादी? मुझसे आपकी ये हालत नही देखी जाती!
सलमा का दिल भर आया और वो बोली:"
" आपको पता है कि विक्रम कहां का युवराज हैं?
सीमा ने इंकार में उसकी तरफ सिर हिलाया तो सलमा बोली:"
" उदयगढ़ का! उसी उदयगढ़ का जिनकी वजह से हमारे अब्बा की मौत हुई थी!
सीमा की आंखे उसकी बात सुनकर खुली की खुली रह गई और थोड़ी देर शांति छाई रही तो सलमा बोली:"
" हमने उससे इतना प्यार किया और उसने हमने धोखे में रखा और हमसे अपनी सच्चाई छुपाई! आज के बाद हम किसी से प्यार करना का सच भी नहीं सकते!
इतना कहकर सलमा ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया और रो पड़ी! सीमा उसे थपथपाती रही और फिर उसके आंसू साफ करते हुए बोली:
" उसने गलत किया आपके साथ! उसे सच्चाई बता देना चाहिए थी आपको!
इतने में राधिका कक्ष में आ गई तो दोनो चुप हो गई लेकिन शहजादी की लाल आंखे राधिका से छुपी ना रह सकी लेकिन उसने कुछ नही कहा और सलमा बोझल कदमों से नहाने के लिए चली पड़ी! नहाकर आने के बाद उसने जबरदस्ती सीमा के जोर देने पर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद आराम से अपने कक्ष में ही लेट गई!
रात के करीब आठ बज गए थे और मेनका को समझ नही आ रहा था कि वो अजय को कैसे समझाए कि आज रात वो किस रूप में उसके सामने आयेगी तो उसने आखिर कार उससे बात करने का निर्णय लिया और उसके कक्ष की और चल पड़ी! अजय बैठा हुआ कुछ काम कर रहा था और मेनका को देखते ही खड़ा हुआ और बोला:"
" माता आप यहां? मुझे भी बुला लिया होता आपने आने का कष्ट क्यों किया ?
मेनका उसके पास पहुंच गई और बोली;" इतनी भी कमजोर नही हुई अभी कि चलकर आपके कक्ष तक न आ सकू पुत्र!
अजय बेड से उठ गया और खड़े होते हुए बोला:" मेरा वो मतलब नहीं था माता, आप तो अभी बिलकुल स्वस्थ जान पड़ती हैं! आइए बैठिए आप!
मेनका बेड पर बैठ गई और उसका हाथ पकड़ कर अजय को भी अपने पास बैठा लिया और बोली:" पुत्र आज मैं आपके पूर्वजों की निशानी भेंट करूंगी! लेकिन उसके लिए कुछ नियम हैं जो हम सदियों से मानते आ रहे हैं और मुझे भी उनका पालन करना ही होगा!
अजय:" हमारे पूर्वजों की परंपरा हमे माननी ही चाहिए ये तो बहुत अच्छी बात है!
मेनका को उसकी बात सुनकर थोड़ी हिम्मत मिली और बोली:
" बेटा तलवार को देने के लिए एक विधवा औरत अपशकुन मानी गई है! और मैं एक विधवा औरत हु तो मैं चाह कर भी आपको तलवार नही दे सकती है और हमारे परिवार के सिवा और कोई वो तलवार उठा नही सकता!
अजय उसकी बात सुनकर थोड़ा हैरान हुआ और फिर बोला:"
" लेकिन फिर दूसरा कोई तरीका तो होगा न माता!
मेनका ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:" एक ही तरीका हैं और वो ये हैं कि मुझे विधवा का रूप नही बल्कि एक सुहागन स्त्री का रूप धारण करके आपको तलवार देना होगी!
अजय ने हैरानी से अपनी माता की तरफ देखा और बोला:"
" लेकिन क्या ये समाज के नियमो के खिलाफ नही होगा कि आप एक विधवा होते हुए सुहागन स्त्री का रूप धारण करे! समाज क्या कहेगा ?
मेनका उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखती हुई बोली:"
" देखो बेटा हमारे पूर्वजों ने जो नियम बनाए हैं वो हमे मानने ही होंगे और फिर इसमें किसी को कुछ नही पता चलेगा तो समाज क्या कहेगा इसकी चिन्ता आप छोड़ दो! मैं सुहागन का रूप नीचे गुफा में धारण करूंगी और फिर उसी रूप में आपके साथ नदी तक घोड़ा बग्गी के अंदर जाऊंगी और वही आपके हवाले ये तलवार करूंगी!
अजय:" ठीक हैं माता! जैसे आपको ठीक लगे! आप बड़ी हैं तो जो भी करेगी सोच समझकर ही करेगी!
मेनका:" अजय पुत्र आपने मेरी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी हैं! मैं अब चलती हु और 10 बजे ठीक आप नीचे गुफा में आ जाना!
इतना कहकर वो चल पड़ी और अजय उसे जाते हुए देखता रहा! मेनका ने अच्छे से नहाकर खुद को स्वच्छ किया और फिर गुफा के अंदर पहुंच गई! उसने कमरे को खोला और उसके बाद संदूक को खोल दिया जिसने तलवार रखी हुई थी और उसे बाहर निकाल लिया! उसके बाद उसने संदूक से एक बेहद खूबसूरत साड़ी निकाली और आभूषण के साथ साथ सौंदर्य प्रसाधन का सामान भी निकाल लिया जो सदियों पुराना था लेकिन अदभुत था! मेनका ने सब सामान निकालने के बाद सबसे पहले अपने जिस्म से चादर को हटाया और उसके बाद उसने एक काले रंग की बेहद आकर्षक रत्न जड़ित ब्रा पेंटी को अपने हाथ में लिया तो मेनका उसे देखती ही रह गई क्योंकि ये बेहद खूबसूरत और मुलायम थी! मेनका ने सामने दीवार पर पड़े हुए परदे को हटाया तो एक सामने एक बड़ा सा दर्पण नजर आया और मेनका की नजर जैसे ही खुद पर पड़ी तो वो खुद से ही शर्मा गई! उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि पिछले 15 साल से सिर्फ सफेद साड़ी पहनने वाली मेनका के हाथ में काले रंग की ब्रा पेंटी थी! मेनका ने शीशे में देखते हुए ब्रा को अपनी चुचियों पर रखा और उसकी स्ट्रिप को अपने कंधे पर से होते हुए पीछे ले गई और हुक लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन कामयाब न हुई क्योंकि उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों बेहद कसी हुई थी जिस कारण उसे हुक लगाने में दिक्कत हो रही थी और मेनका ने अपनी चुचियों को जबरदस्ती ब्रा में ज़ोर से ठूंस दिया और फिर हुक लगा दिया और उसके बाद पेंटी पहन कर अपने जिस्म ब्लाउस को पहन कर साड़ी को बांध लिया!
कपड़े पहन कर मेनका ने अपनी आंखो में वो दुर्लभ काजल लगाया और उसके बाद उसने लिपिस्टिक निकाली जो सदियों पुरानी विधि से बनाई गई थी और बेहद लाल सुर्ख थी! मेनका ने अपने होंठो पर लिपिस्टिक को लगाया और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी!
मेनका अपने आपको शीशे में देख कर अपने रूप सौंदर्य पर मंत्र मुग्ध सी हो गई और बिना पलके झुकाए खुद को निहारती रही! मेनका ने देखा कि उसकी कमर अभी की बेहद आकर्षक थी और बस पिछले कुछ सालों में उसकी कमर की चर्बी थोड़ी सी बढ़ गई थी जिस कारण वो और ज्यादा मादक हो गई थी! मेनका ने अपने बालो को खोल दिया और काले बालो में उसका खूबसूरत चेहरा और भी सुंदर नजर आ रहा था! अपने बालो को अपनी उंगलियों से सहलाती हुई मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई थी और वो पलट कर खुद को देखने लगी और तभी उसे किसी के कदमों की आहत सुनाई पड़ी तो उसने देखा कि अजय कमरे में आ गया था और मेनका को ही देख रहा था और और मेनका आज पहली बार अपने बेटे के सामने खुद को असहज महसूस करती हुई बोली:
" पुत्र आओ मैं आपका ही इंतजार कर रही थी! मुझे ऐसे सुर्ख कपड़ो में देखकर नाराज तो नही हो ना ?
अजय ये तो जानता था कि उसकी मां मेनका सुंदर है लेकिन लाल सुर्ख कपड़ो में ऐसी अप्सरा लगेगी उसे उम्मीद नही थी इसलिए बोला:"
"मैं भला क्यों बुरा मानने लगा! लेकिन आप बुरा ना माने तो एक बात कहूं आपसे?
मेनका चलती हुई उसके करीब आई और बोली:
" मैं भला क्यों आपकी बात का बुरा मानने लगी! कहो ना पुत्र?
अजय ने एक नजर अपनी माता पर फिर से डाली और बोला:" अदभुत, अकल्पनीय सौंदर्य हैं आपका माता! सच में आप स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही हो!
मेनका को अपने बेटे से ऐसी प्रसंशा की उम्मीद ना थी लेकिन वो अब अब कर भी क्या सकती थी क्योंकि वो जानती थी कि उसका रूप सौंदर्य सच मे बेहद कमाल का हैं और उसका बेटा भी आखिर एक जवान मर्द हैं तो वो कुछ नहीं बोली और अजय को अपने पास आने का इशारा किया तो अजय चलता हुआ उसके पास आया तो मेनका ने उसे एक पटरी पर खड़ा किया और फिर एक थाली में जलते हुए दीपक रखकर उसकी आरती उतारने लगी और जलते हुए दीपकों की मध्यम रोशनी अब उसके चेहरे को और आकर्षक बना रही थी और आरती उतारने के बाद मेनका ने अजय के माथे पर तिलक लगाया और उसके बाद थाली को एक तरफ रख दिया और बोली:
" अजय अब हम दोनो इसी गुफा से बाहर जायेंगे और नदी के किनारे बाकी बची हुई विधियां करने के बाद तलवार आपके हवाले कर दूंगी!
मेनका ने उसके बाद तलवार को उठाया और दोनो मां बेटे गुफा के अंदर के अंदर चल दिए! गुफा में हल्का हल्का प्रकाश था जिस कारण दोनो को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी! चलते चलते दोनो गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच गए और तभी मेनका का पैर गुफा में पड़े हुए पत्थर से टकराया और वो फिसल पड़ी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके सीने से सरक गया! पल्लू के सरकने से उसकी गोल गोल चुचियों के बीच की गहरी खाई नजर आ गई और अजय उसके पास आया और उसकी नजर पहली बार अपनी मां के सीने पर पड़ी और दोनो चुचियों के बीच झांकती हुई गहरी खाई को देखकर उसकी आंखे खुली की खुली रह गई और उसने अपनी माता की तरफ हाथ बढ़ाया और मेनका उसका हाथ पकड़कर धीरे धीरे खड़ी होने लगी जिसकी उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा बाहर को छलक पड़ा! अजय के उपर मानो कयामत टूट पड़ी थी और अजय ना चाहते हुए भी अपनी सगी मां की चुचियों को देख रहा था और जैसे ही मेनका खड़ी हुई थी तो उसे अपने बेटे की नजरो का एहसास हुआ और उसकी आंखे शर्म से झुक गई!
मेनका को समझ नही आया कि क्या करे और थोड़ी देर के लिए आंखे नीचे किए खड़ी रही और अजय ने उसका हाथ पकड़े हुए मौके का फायदा उठाते हुए जी भरकर उसकी चुचियों के उभार को निहारा और उसके बाद अजय ने होश में आते हुए जमीन पर पड़े हुए उसकी साड़ी के पल्लू को उठाया और उसके कंधे पर रख दिया तो मेनका ने अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक किया!
अजय:" माता आप ठीक तो हैं न ? आपको चोट तो नही आई ?
मेनका ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और फिर से तलवार को उठाते हुए बोली:"
" हम ठीक हैं पुत्र! आपने हमे बचा लिया!
उसके बाद दोनो गुफा से बाहर निकल गए और बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठकर नदी की तरफ चल पड़े! अजय बग्गी को चला रहा था और मेनका अंदर परदे में बैठी हुई थी और उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी कि थोड़ी देर पहले कैसे उसके बेटे के सामने उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया गया और उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ गया था! मेनका अभी तक यकीन नही कर पा रही थी कि क्या सच में अजय उसकी गोलाईयों को देख रहा था या ये मात्र उसका वहम था! मेनका ने जान बूझकर अपने पल्लू को सरका दिया और अपनी चुचियों के उभार को देखने लगी कि क्या सच मे उसकी चूचियां अभी भी इतनी आकर्षक हैं और उनके बीच की कसी हुई गहरी खाई को देखते ही मेनका को अपने ऊपर अभिमान हुआ और उसने एक हथेली को अपनी एक चूची के उपर रख दिया और छूकर देखने लगी मानो उसकी सख्ती को महसूस करना चाहती हो और मेनका की सांसे तेज हो गईं! मेनका को एहसास हो गया था कि उसकी चूचियां अभी भी आश्चर्यजनक रूप से सख्त हैं या फिर कहीं मुझे सच में भरम तो नही हो रहा है! ये विचार उसके मन में आते ही उसका दिल तेजी से धड़का और उसने खिड़की से झांक कर अपने बेटे की तरफ देखा जो बग्गी चलाने में व्यस्त था और मेनका ने पर्दे को खिड़की पर टांग दिया और फिर अपने एक हाथ को अपनी ब्रा में घुसा दिया और अपनी अपनी नंगी चूची को हाथ में भर लिया जिससे उसके मुंह से आह निकल गई! मेनका की बड़ी गोल मटोल चूची उसके हाथ में ठीक से समा नही रही थी और मेनका उसे धीरे धीरे सहला कर उसकी कठोरता का जायजा लेने लगी और बदन मे कंपकपी सी आ गई क्योंकि उसकी आश्चर्यजनक रूप से कसी हुई थी ! मेनका अपनी चूची को दबा ही रही थी कि बग्गी रुक गई और मेनका ने पर्दा हटा कर देखा तो नदी आ गई थी और अजय बग्गी से नीचे उतर गया और बोला:"
" हम नदी पर आ गए हैं माता! आप बाहर आ सकती हैं!
मेनका ने अपने हाथ को अपनी ब्रा से बाहर निकाला और अपनी हालत को ठीक करती हुई खड़ी हुई और बग्गी से नीचे उतर गई! मेनका अपनी उत्तेजना से लाल सुर्ख आंखो के साथ अपनी तेज गति से चल रही सांसों को संभालने का प्रयास करने लगी और अजय उसकी अजीब सी हालत देखकर बोला:"
" क्या हुआ माता? आप ठीक तो है न?
अपने बेटे की बात सुनकर मेनका का दिल तेजी से धड़क उठा और बोली: मैं ठीक हु पुत्र! आओ हम आगे की विधि पूर्ण कर लेते हैं!
इतना कहकर मेनका तलवार लेकर नदी में उतर गई और अजय उसके साथ साथ चल पड़ा! मेनका अब नदी के बीच में खड़ी हुई थी और तलवार को मयान से बाहर निकाल कर एक डुबकी लगाई और उपर आ गई और बोली:
" लो पुत्र, पवित्र नदी और अपने पूर्वजों को ध्यान में रखते हुए डुबकी लगाओ!
अजय ने तलवार को हाथ में लिया और पानी में डुबकी लगाई और फिर मेनका ने उसे तलवार को वापिस लिया और फिर से डुबकी लगाई! दोनो ने इसी तरह तीन तीन डुबकियां लगाई और और उसके बाद मेनका ने तलवार को अजय को दिया और फिर दोनो हाथो में जल लेकर आंखे बंद करते हुए कुछ बुदबुदाने लगी! मेनका के कपड़े पानी से भीग जाने के कारण उसके जिस्म से चिपक गए थे जिस कारण उसकी काली ब्रा अब साफ नजर आ रही थी और ब्रा में फड़फड़ा रही उसकी चुचियों का सम्पूर्ण आकार देखकर अजय मंत्र मुग्ध सा हो गया और एक बार फिर से अपनी मां की चुचियों को घूरने लगा! मेनका ने अपनी आंखे खोली और जल को नदी में गिरा दिया और अजय को भी वैसा ही करने के लिए कहा तो अजय ने तलवार मेनका को दी और हाथो में जल भरकर क्रिया को दोहराने लगा! मेनका की नजर अपने आप पर पड़ी तो उसे अपनी सांसे रुकती हुई सी महसूस हुई क्योंकि कपड़े भीग जाने के कारण ब्रा में कैद उसकी चूंचियां अपने सम्पूर्ण आकार में अपनी अनौखी छटा बिखेर रही थी! मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे क्योंकि अब उसके अंदर अपने बेटे की नजरो का सामना करने की हिम्मत नहीं बची हुई थी! अजय ने पानी को नदी में अर्पण किया और अब मेनका की बारी थी तो मेनका अंदर ही अंदर कांप उठी और हिम्मत करके उसने जल को दोनो हाथों में लिया और आंखे बंद करके ध्यानमग्न हो गई और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर आ टिकी और मेनका ने धीरे से अपनी आंखो को हल्का सा खोला और समझ गई कि उसका बेटा उसकी चुचियों को टकटकी लगाए देख रहा था तो उसकी आंखे तेज हो गईं! मेनका ने अपनी विधि को पूर्ण किया और उसके बाद अजय ने विधि को पूर्ण किया!
उसके बाद मेनका नदी के किनारे की तरफ चल पड़ी और यही उससे भूल हो गई क्योंकि उसकी भीगी हुई साड़ी उसके नितंबों के उभार से पूरी तरह से चिपक गई थी और उसकी भारी भरकम पिछवाड़े की गोलाई और मोटाई देखकर अजय को दूसरा झटका लगा और मेनका के चलने से उसकी गांड़ तराजू के पलड़े की तरह उछल रही थी! मेनका चलती हुई बाहर आ गई और बग्गी में बैठ गई तो अजय ने बग्गी को अपने घर की तरफ दौड़ा दिया! गुफा के पास पहुंच कर उसने बग्गी को रोक दिया और उसके बाद दोनो मा गुफा में घुस गए! अजय और मेनका दोनो साथ चल रहे थे और मेनका बोली:
" बेटा आज अच्छे से सारी विधियां पूर्ण हो गई है! अब बस मैं आपको तलवार दूंगी!
अजय:" माता आपने मेरे लिए इतना कुछ किया! सच में आप महान हो! समाज के नियमो को ताक पर रख दिया!
मेनका ने उसका हाथ पकड़ा और बोली:" वो मेरा दायित्व हैं पुत्र! मैं समाज की परवाह नही करती बल्कि आपकी खुशी मेरे लिए मायने रखती हैं!
अजय:" सच माता मैं धन्य हु जो आप जैसी माता मिली!
उसके बाद दोनो फिर से कक्ष में आ गए और मेनका ने अपने पूर्वजों की तस्वीर के आगे तलवार को निकालकर अजय के हाथ में दिया और बोली:सी
" आज से अपने पूर्वजों को साक्षी मानकर मैं ये तलवार आपके हवाले कर रही हूं! ध्यान रखना कि इस तलवार का उपयोग सिर्फ धर्म और न्याय की रक्षा के लिए ही करना! जान देकर भी अपने पूर्वजों के वचन की रक्षा करना आपकी जिन्दगी का लक्ष्य होगा!
अजय ने तलवार को हाथ में लिया तो उसका समूचा बदन कांप उठा और अजय बोला:"
" मैं आपके सिर की कसम खाता हु कि अपने प्राणों का बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटूंगा! मुझे आशीर्वाद दीजिए माता!
इतना कहकर अजय उसके कदमों में झुका तो मेनका ने उसे आशीर्वाद देते हुए गले लगा लिया और माथा चूम कर बोली:
" मेरा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है पुत्र! जुग जुग जियो मेरे लाल!
उसके बाद अजय और मेनका दोनो उस कक्ष से निकल कर अपने घर में आ गए और रात का करीब एक बज गया था तो अजय सोने के लिए अपने कक्ष में चला गया और मेनका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी! वही लाल सुर्ख दुल्हन का जोड़ा पहने हुए और जैसे ही उसकी नजर खुद के कपड़ो पर गई तो वो खुद को ना रोक पाई और शीशे के सामने फिर से खड़ी हो गईं और खुद को निहारने लगी! मेनका ने देखा कि उसकी मांगा का सिंदूर भीग कर हल्का सा फ़ैल गया था जिससे वो अब और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी! मेनका के भीगे हुए बाल पहले से ज्यादा आकर्षक लग रहे थे और मेनका ने अपने गले में पड़े हुए मंगल सूत्र को देखा तो उसे अपने पति की याद आ गई और उसकी आंखे भर आई! मेनका ने अपने मंगल सूत्र को पकड़ा और उसे उतारने लगी तो उसके हाथ कांप उठे क्योंकि उसे याद आया कि अब वो चाहकर भी जिंदगी भर इस मंगल सूत्र को नही उतार सकती क्योंकि ऐसा करना उसके बेटे के लिए अपशकुन होगा! मेनका ने मंगल सूत्र को अपने कपड़ो के अंदर छुपा लिया और फिर वापिस अपने बेड पर आ गई! वो चाहती थी तो अपने कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहन सकती थी लेकिन वो खुद को इन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक महसूस कर रही थी जिस कारण उसका मन नहीं हुआ और उन्ही कपड़ों को पहने हुए अपने कक्ष में आ गई और फिर थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में चली गई!
विक्रम ने एक बार फिर से सलमा को समझाने की कोशिश की लेकिन गुस्से में और बिना सोचे समझे सलमा ने सैनिको को बुला कर विक्रम को बंदी बना लिया ये बहुत ही गलत किया गुस्से में इंसान अपना विवेक खो देता है और गलती कर बैठता है जब अपनी गलती का एहसास होता है तो बहुत देर हो जाती हैं यही सलमा के साथ हुआ है सीमा के साथ भी राधिका और जब्बार ने गलत किया है सलमा को सीमा के बारे में सोचना चाहिए था कि उनके खिलाफ षडयंत्र कोन कर रहा हैराधिका बिस्तर पर पड़ी हुई लंबी लंबी सांसे ले रही थी क्योंकि अभी वो जब्बार के साथ एक दमदार चुदाई करके हटी थी! जब्बार भी उसके पास ही लेटा हुआ था और बोला:"
" राधिका सलमा का क्या हुआ? तुम्हे तो काम दिया कुछ आगे। बढ़ा क्या ?
राधिका उसकी तरफ सरकी और उसकी छाती चूमती हुई बोली:"
" सलमा को मैने अपने शीशे में उतारना शुरू कर दिया हैं! सच में कमाल का जिस्म हैं उसका! लेकिन पिछले दो दिन से कुछ दुखी और परेशान सी लग रही है वो! कुछ न कुछ बात तो हुई हैं!
जब्बार उसकी बात सुनकर बोला:" पता लगाने की कोशिश करो कि क्या हुआ है?
राधिका:" मुझे सलमा ज्यादा भाव नहीं देती क्योंकि उसकी सीमा से ज्यादा बनती हैं और दोनो आपस में ही गुपचुप बाते करती है!
जब्बार के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोला:" फिर एक काम करता हु कि सीमा को भी उसके पास से हटा देता हूं और कल से सिर्फ तुम सलमा के सब काम करोगे तो फिर वो मजबूरी में तुझे ही अपना राजदार बनाएगी!
राधिका:" हान ये भी ठीक लेकिन सीमा को कैसे उससे अलग करोगे क्योंकि सलमा उसे अपने पास से जाने नही देगी!
जब्बार:" उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम हैं! तुम बस सलमा पर नजर बनाए रखो!
राधिका:" ठीक हैं लेकिन बताओ तो सीमा का क्या करोगे?
जब्बार:" ध्यान से मेरी बात समझने की कोशिश करना, सीमा के सिर चोरी का इल्जाम लगाकर थोड़े दिन के लिए उसे जेल में डाल देंगे और फिर बाद में जब सब राज्य मेरे हाथ में आ जाएगा तो सीमा को बाहर कर देंगे!
राधिका उसकी बात सुनकर थोड़ी परेशान होती हुई बोली:"
" नही ये तरीका ठीक नहीं है, कोई दूसरा बताओ, सीमा कभी चोरी कर ही नहीं सकती और फिर इससे मेरे मां बाप को बेहद दुख होगा! कोई दूसरा तरीका सोचो!
जब्बार:" राधिका तुम चिंता मत करो और मुझ पर भरोसा रखो! कुछ ही दिन की बात हैं फिर सब ठीक हो जाएगा और आप देखना कैसे सब लोग आपके सिर झुकाकर सलाम करेंगे!
राधिका उसकी बात सुनकर थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गई और बोली:" लेकिन मेरी बहन को बाद में कोई दिक्कत तो नही होगी ना?
जब्बार:" मेरे होते हुए चिंता मत करो, मैं उसे कोई दिक्कत नही होने दूंगा!
राधिका जब्बार से लिपट गई और बोली:" ठीक हैं लेकिन अपना वादा याद रखना! वो मेरी सगी बहन हैं!
जब्बार ने उसे एक बार चोदना शुरु कर दिया और राधिका भी उछल उछल कर चुदने लगी!!
अगले दिन सुबह सलमा उठी तो उसने देखा कि सिर्फ राधिका ही आई है और सीमा नही दिख रही है तो बोली:"
" राधिका ये सीमा क्यों नहीं आई आज ?
राधिका का चेहरा उदास हो गया और बोली:" शहजादी बेहद बुरी खबर है कि सीमा को जेल में भेज दिया गया है चोरी के इल्जाम में!
सलमा उसकी बात सुनकर चिल्ला उठी:" ये क्या बकवास कर रही हो तुम? सीमा कभी चोरी कर ही नहीं सकती,किसकी हिम्मत हुई उसे जेल भेजने की?
राधिका सलमा का गुस्सा देखकर एक पल के लिए कांप उठी और बोली:" वो उसके पास से शाही गहने मिले हैं! जब्बार ने उसको अभी जेल भेज दिया है जिस पर सुनवाई होगी आज!
सलमा उसकी बात चिढ़ गई और बोली:" सीमा को जेल भेजने वाला जब्बार होता कौन है? जाओ और सीमा को आजाद करो ये सलमा का शाही फरमान हैं राधिका!
राधिका:" माफ कीजिए शहजादी, सीमा मेरी भी बहन हैं लेकिन जब तक वो राज सभा में निर्दोष साबित नहीं होती तब तक मैं कुछ नहीं कर सकती!
उसकी बात सुनकर सलमा गुस्से से पैर पटकती हुई रजिया के कक्ष में आ गई और उसे सारी बात बताई और बोली:"
" हमे किसी भी कीमत पर सीमा बाहर चाहिए अम्मी! जब्बार का कुछ सोचिए वो अपनी मन मर्जी ज्यादा कर रहा हैं आजकल!
रजिया:" तुम फिक्र मत करो, मैं सीमा को छुड़ाने की कोशिश करूंगी!
उसके बाद करीब आधे घंटे बाद सभा लगी हुई थी और सीमा बेड़ियों में बंधी खड़ी हुई थी जिसका मुंह लाल हो गया था और आंखो से आंसू निकल रहे थे! उसकी हालत सलमा का दिल भर आया लेकिन चुप ही रही!
राज सभा पूरी भर चुकी थी और सभी लोग सुनवाई का इंतजार कर रहे थे क्योंकि सीमा का परिवार राज परिवार का सबसे वफादार रहा है! रजिया सभा में आई तो सभी ने झुककर सलाम किया और रजिया अपने सिंहासन पर बैठ गई और बोली:"
" आज की कार्यवाही शुरू की जाए!
दरबान:" महारानी शहजादी सलमा के साथ रहने वाली सीमा पर आरोप हैं कि उसने राज परिवार के शाही गहने चुराए हैं और कल्लू सुनार की दुकान पर बेचने के लिए गई तो राज परिवार के वफादार और ईमानदार कल्लू ने वो बात सेनापति जब्बार को बताई !
रजिया:" सीमा क्या कहना चाहती हो आप ?
सीमा:" रानी साहिबा ये सब कुछ हैं मैने कोई गहने नही चुराए हैं! मेरे खिलाफ जरूरी कोई साजिश हुई हैं!
राजमाता;" कल्लू सुनार आप क्या कहना चाहेंगे? कल ये सच बोल रही है?
कल्लू:" ये लड़की ही मेरे पास गहने लेकर आई थी और मुझे बेचना चाह रही थी!
सीमा बुरी तरह से फंस गई थी क्योंकि सारे सुबूत और उसके गवाह उसके खिलाफ थे! शाही गहने सुबूत के तौर पर सभा में पेश हुए और रजिया चाहते हुए भी सीमा को नही बचा सकती थी तो और बोली:"
" सीमा अगर तुम सच बोल दोगी तो हम तुम्हारी सजा कम कर सकते हैं!
सीमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और बोली:" मेरा यकीन कीजिए राजमाता! मैने चोरी नही करी है! में बेकसूर हु!
सलमा समझ गई थी कि सीना बुरी तरह से फंस गई और अगर एक बार भी वो जेल गई तो जिन्दगी भर बाहर नही आयेगी और जेल में उसकी जिंदगी जहन्नुम बन जाएगी क्योंकि जेल पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर चलती थी! रजिया कुछ बोलती उससे पहले ही सलमा बोल पड़ी:"
" सीमा ने कोई चोरी नही करी हैं बल्कि जो कुछ हुआ है उसके जिम्मेदार हम हैं! हमे खबर मिली थी कि कल्लू सुनार चोरी के गहने खरीदता हैं तो हम उसे उसकी सच्चाई जानने के लिए गहने देकर सीमा की उसके पास भेजा था! सीमा की कोई गलती नही है बल्कि असली गुनाहगार हम हैं क्योंकि हमने कल्लू पर शक किया लेकिन वो ईमानदार निकला! उसकी ईमानदारी के इनाम के तौर ये शाही गहने कल्लू के दे दिए जाए और आप हमे हो चाहे सजा दे सकती हैं!
राजसभा में पूरा सन्नाटा छाया रहा! जब्बार और राधिका की नजरे मिली तो दोनो को समझ नही आया कि क्या करे और वही कल्लू समझ गया था कि उसे इनाम तो जरूर मिलने वाला हैं लेकिन अब उसकी शामत आने वाली है क्योंकि सलमा उसे छोड़ने वाली नही थी!
रजिया:" शहजादी सलमा आप आगे से ध्यान रखना कि बिना हमे बताए ऐसा कोई कदम न उठाए नही तो आपके खिलाफ कार्यवाही होगी और कल्लू को ये सब गहने इनाम में दिए जाए!
कल्लू के तो वारे न्यारे हो गए क्योंकि पहले से जब्बार उसे झूठ बोलने के लिए काफी मोटा माल दे चुका और अब शाही गहने मिलने से तो उसकी किस्मत ही बदल जानी तय थी!
कल्लू गहने लेकर अपने घर आ गया और सीमा सलमा के साथ आ गई और उससे लिपट कर रोने लगी और बोली:"
" हमे माफ कर दीजिए शहजादी कि हमारी वजह से आपको नीचा देखना पड़ा लेकिन मेरा यकीन कीजिए मैने कोई चोरी नही की है
सलमा:" हमे तुम पर पूरा विश्वास है सीमा तभी तो तुम्हे बचाया है! आपके खिलाफ ये साजिश जरूरी कोई बहुत बड़ी चाल का हिस्सा हो सकता हैं!
सीमा:" मैं आपका ये उपकार कभी नहीं भूल सकती! लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि गहने मेरे पास कैसे पहुंचे?
सलमा:" तुम ज्यादा मत सोचिए मैं खुद पता लगा लूंगी! कुछ खाओ और अपना ध्यान रखो!
सलमा के लिए एक के बाद एक समस्या खड़ी हो रही थी! पहले तो विक्रम ने उसे धोखा दिया और अब सीमा के खिलाफ साजिश जरूर उसके लिए खतरे का संकेत था जिसे वो भली भांति समझ रही थी! धीरे धीरे रात होने लगी और सलमा को विक्रम ki याद आ रही थी लेकिन एक बार प्यार नही बल्कि गुस्सा था!
रात के करीब 11 बजे सलमा अपने कक्ष में बेचैनी से टहल रही थी और तभी उसे किसी के कदमों की आहत हुई तो उसने चौंक कर देखा तो सामने विक्रम खड़ा हुआ था और सलमा को अपनी आंखो पर यकीन नही हुआ तो उसने फिर से ध्यान से देखा तो विक्रम ही था जो उसकी तरफ आ रहा था और उसे देखते ही सलमा की आंखे गुस्से से लाल हो गई और बोली:"
" तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई राजमहल के अंदर कदम रखने की विक्रम?
विक्रम उसके करीब आ गया और बोला:" सलमा मेरी बात समझने की कोशिश करो,ध्यान से मेरी बात सुनो!
सलमा:" विक्रम अगर अपनी जिंदगी से प्यार हैं तो वापिस चले जाओ नही तो जिंदा नही बच पाओगे!
विक्रम ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" सलमा पहले मेरी बात तो सुन लीजिए आप! इतना बेइज्जत होने के बाद भी आपके पास इसलिए आया हु कि क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूं और आपको खोना नही चाहता!
सलमा ने गुस्से से उसका हाथ झटक दिया और बोली:" खबरदार जो मुझे छुआ तो मुझसे बुरा कोई नही होगा! मैं आखिरी बार कह रही हु कि वापिस चले जाओ नही तो मुझे सैनिकों को बुलाना पड़ेगा!
विक्रम:" मैं जानता हूं कि आप ऐसा नही कर सकती क्योंकि आप मुझे प्यार करती हो!
सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" प्यार करती थी विक्रम लेकिन अब सिर्फ नफरत करती हू! मैं आखिरी बार कह रही हु खुदा के लिए चले जाओ नही है मुझे मजबूरी में सैनिकों को बुलाना ही पड़ेगा!
विक्रम उसके बेड पर बैठ गया और हल्की सी मुस्कान देते हुए बोला:" सलमा आप ऐसा नही कर सकती क्योंकि आप मुझसे प्यार करती है!
सलमा ने तभी गुस्से से वही पड़े हथौड़े को जोर से सायरन पर मारा और एक तेज आवाज पूरे महल में गूंज उठी और देखते ही देखते चारो तरफ भाग दौड़ मच गई! विक्रम यकीन नहीं कर पा रहा था कि सलमा सच मे ऐसा कर सकती हूं और उसका भरम भी टूट गया कि सलमा उससे प्यार करती है! विक्रम ने जान बूझकर अपनी तलवार को सलमा के कदमों में रख दिया और बोला:"
" अगर मेरी मौत से ही आपको खुशी मिलेगी तो हमें खुशी खुशी ये मौत भी कुबूल है!
देखते ही देखते सैनिकों ने कक्ष को चारो ओर से घेर लिया और विक्रम ने पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए और उसे बंदी बना लिया गया! विक्रम जंजीरों में बंधा हुआ था और सैनिक उसे घसीटते हुए जेल में ले गए और अंदर बंद कर दिया!!
चलो देर सवेर सीमा के समझाने पर सलमा को अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो उसने विक्रम से मिलने का प्लान बनाया और विक्रम से माफी भी मांग ली है दोनो का मिलन का चित्रण बहुत ही रोमांचकारी थासैनिकों ने विक्रम को बुरी तरह से मारा और देखते ही देखते ये बात आग की तरह फैल गई को कोई चोर राजमहल में घुसने की कोशिश कर रहा था और पकड़ा गया! सीमा तक भी ये बात पहुंची तो वो हैरान हो गई और सलमा से मिलने के लिए रात को ही आ गई और बोली:"
" आप सुरक्षित तो हैं ना? सुना हैं राजमहल में कोई चोर घुस आया था और आपके कक्ष तक पहुंच गया था वो!
सलमा थोड़ी देर चुप रही तो सीमा बोली:" बोलिए न शहजादी? मैं आपसे ही बात कर रही हूं!
सलमा:" वो चोर और कोई नहीं बल्कि युवराज विक्रम हैं जो हमसे मिलने आया था!
सीमा उसकी बात सुनकर हैरानी से उछल पड़ी और बोली:"
" क्या बात कर रही हो आप ? विक्रम आपसे मिलने से लिए अपनी जान हथेली पर रखकर राजमहल तक पहुंच गए!
सलमा: हान वो आ गया था और हमने ही सैनिकों को बुला कर उसे कैद करवा दिया है!
सीमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और उसे घूरती हुई बोली:"
" ये आपने क्या गजब कर दिया शहजादी? विक्रम को कुछ हो गया तो आप अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाएगी क्योंकि ऐसा सच्चा प्यार करने वाले किस्मत से मिलते हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" मत भूलो सीमा कि उसके बाप ने हमारे अब्बा का खून किया है! हमे नही चाहिए ऐसी मोहब्बत जिसके हाथ खून से रंगे हुए हो!
सीमा:" और आप क्या कर रही है! आप भी तो अपने हाथ खून से ही रंग रही है शहजादी! एक बेगुनाह को सजा दे रही है आप! विक्रम ने तो आपके अब्बा का खून नहीं किया!
सलमा उसकी बातो को सुनकर थोड़ा शांत हुई और बोली:"
"सीमा अपनो को खोने का दर्द आप कभी नहीं समझ सकती!
सीमा उसका हाथ पकड़कर उसे झंझोड़ती हुई बोली: आप फिर से ये दर्द सहन करने के लिए तैयार रहो क्योंकि विक्रम भी आपका अपना ही तो हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और बोली:" उदयगढ़ का कोई भी आदमी कभी मेरा नही हो सकता सीमा!
सीमा:" तो फिर क्या आपने विक्रम से प्यार नही किया था ? मानती हु कि उसने आपसे छिपाया लेकिन आपके पुछने पर तो नही बोला वो!
सलमा:" हान प्यार किया था लेकिन वो सब सच जानता था तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?
सीमा:" क्योंकि वो जानता था कि आप नाराज हो जाएगी और शायद वो आपको खोना नहीं चाहता था! मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी शहजादी!
सलमा के पास अब कोई जवाब नहीं था और चुप रही तो सीमा बोली:" आपको बता हैं कि दोनो राज्य पहले से ही दुश्मनी की आग में जल रहे हैं और आप देखना कि सुबह जब्बार विक्रम को मार देगा और उसके बाद जो तबाही और बर्बादी होगी उसकी जिम्मेदार सिर्फ आप होगी!
सलमा का चेहरा पूरी तरह से सपाट हो गया था और उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे! सीमा ने उसका हाथ पकड़ा और बोली:" अगर आप इस बर्बादी को रोकना चाहती हैं तो विक्रम को सुरक्षित भेज दीजिए चाहे आप उससे प्यार करे या न करे ये आपकी अपनी मर्जी है लेकिन दोनो राज्यों की भलाई के लिए आपको ये करना ही पड़ेगा!
सलमा:" लेकिन कैसे? विक्रम तो अब जेल में कैद हो चुका है और जेल तो पूरी तरह से जब्बार और उसके साथी रमन के हाथ में है!
सीमा:" कुछ भी करके विक्रम को बचाना ही पड़ेगा! मैं कुछ सोचती हु क्या करना होगा!
सलमा:" एक तरीका है कि किसी तरह विक्रम को जेल से निकालकर पवन तक पहुंचा दिया जाए फिर वो किसी के हाथ नही आयेंगे!
सीमा:" आप चिंता मत करिए! मैं विक्रम को छुड़ाने का इंतजाम करती हू!
वहीं दूसरी तरफ जेल में विक्रम को अलग ही कमरे में डाल दिया गया था और उसका बेहद बेहद दर्द कर रहा था क्योंकि उसके जिस्म पर काफी सारे घाव थे! विक्रम को अब सलमा से नफ़रत हो गई थी क्योंकि उसने साबित कर दिया था कि वो उससे प्यार नही करती है! विक्रम के लिए सबसे बड़ी चुनौती जेल से आजाद होना था और विक्रम ने आस पास देखा तो एहसास हुआ कि पूरी तरह से कमरे में अंधेरा था और बस एक खिड़की से हल्की सी रोशनी आ रही थी! विक्रम हिम्मत करके खिड़की तक पहुंचा और ताकत लगाते हुए उसे उखाड़ दिया और धीरे से खिड़की से बाहर निकलने लगा!
विक्रम एक चौड़े रास्ते पर आ गया जहां काफी रोशनी थी और सामने ही सैनिक पहरा दे रहे थे तो विक्रम वापिस मूड गया और एक तहखाने में घुस गया जहां काफी सारा सामान भरा हुआ था और बदबू फैली हुई थी!
तभी उसे किसी के आने की आहत हुई तो उसे सावधान हो गया और एक तरफ छुप गया! सामने से कुछ सैनिक निकले और जैसे ही दूर गए तो विक्रम दांई तारीफ मुड गया और सावधानी से आगे बढ़ने लगा! विक्रम अब एक हाल में खड़ा हुआ था और जैसे तैसे करके खिड़की के सहारे छत तक पहुंचा और छत की जाली को उखाड़ दिया और छत पर चढ़ गया! पहरा दे रहे एक सैनिक की नजर उस पर पड़ी और विक्रम ने उसे मौत के घाट उतार दिया और आगे बढ़ गया! छत पर काफी सारे सैनिक थे और उधर से निकलना आसान नही था! विक्रम थोड़ी देर ऐसे ही सोच में पडा रहा और तभी उसे लगा कि कोई उसी तरफ आ रहा है तो वो सावधानी से छिप गया और उसने देखा कि कोई दया उसकी तरफ आ रहा हैं है तो विक्रम छुपा रहा और जैसे ही उसके करीब से गुजरा तो विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए अपनी तरफ खींच कर और उसकी गर्दन पर तलवार रख दी तो वो साया बोला:"
" विक्रम मैं सीमा हु!
ये सुनकर विक्रम ने उसे छोड़ दिया और सीमा बोली:"
" घबराओ मत! मैं आपको यहां से सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगी!
उसके बाद सीमा उसे अपने साथ लेकर चल पड़ी और थोड़ी देर बाद विक्रम जेल से बहुत दूर आ गया था और सीमा से बोला:
" मुझे बचाने के लिए आपका आभार मेरी बहन!
सीमा: भाई की रक्षा बहन नही करेगी तो फिर कौन करेगा! लेकिन आप जानते हैं कि मुझे आपको बचाने के लिए शहजादी ने ही भेजा हैं!
विक्रम सलमा का नाम सुनते ही गुस्से से लाल हो गया और बोला:"
" उस मतलबी और धोखेबाज और मतलबी का नाम मत लो मेरे सामने! मुझे बचाना ही होता तो फांसती क्यों मुझे!
सीमा:" ऐसा न कहो भाई! वो मतलबी नही है बस हालत को ठीक से समझ नही पाई! एक मर्द कभी नहीं समझ सकता कि एक लड़की की जिंदगी में उसके बाप की क्या अहमियत होती है!
विक्रम उसकी बात सुनकर बोला:" लेकिन सलमा सच मे बेहद बुरे दिल की हैं और उससे कहना कि आज के बाद उसे मेरी परछाई भी नहीं दिखेगी!
सीमा उसका हाथ पकड़कर उसे बताया कि किस तरह से वो चोरी में फंस गई थी और सलमा ने उसे बचाया! सीमा उसे समझाते हुए बोली:" भाई सलमा तो बेचारी मासूम हैं और बेहद साफ और अच्छे दिल की हैं! उसके खिलाफ तो पहले ही बहुत सारी साजिश रची गई है और आपको उसका साथ देना चाहिए न कि उससे मुंह मोड़ना चाहिए!
विक्रम:" लेकिन उसने जो मेरे साथ किया क्या वो सही है?
सीमा:" ठीक हैं उसने गलत किया लेकिन उसने सब कुछ ठीक से समझा नही इसलिए उससे गलती हुई है! लेकिन आपको तो सब पता है और फिर आप तो उससे सच्चा प्यार करते हो! उसका साथ मत छोड़ना विक्रम मुझे वचन दो आप!
विक्रम को समझ नही आ रहा था कि क्या करे लेकिन सीमा ने पहली बार उससे कुछ मांगा था तो बोला:"
" ठीक है लेकिन मैं आज के बाद जब तक उससे नही मिलूंगा तब तक वो खुद मुझसे मिलना नही चाहेगी! उसे कोई भी दिक्कत हो तो मुझे संदेश पहुंचा देना मैं आ जाऊंगा!
सीमा ने उसका हाथ चूम लिया और बोली:" पवन आपका इंतजार कर रहा है! उस पर सवार होकर आप सुरक्षित निकल जाइए! अपना ध्यान रखना
विक्रम पवन पर बैठा और देखते ही देखते पवन दौड़ चला और हवा से बातें करते सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल गया!
सीमा सलमा के पास पहुंच गई जहां सलमा बेचैनी से इधर उधर घूम रही थी और सीमा को देखते ही बोली:
"क्या हुआ सीमा? विक्रम बच गए हैं ना!
सीमा उसका हाथ पकड़ कर बैठ गई और बोली:" आपने ही तो उन्हे फंसाया था तो आपको अब उनकी इतनी चिंता क्यों हो रही है शहजादी?
सलमा की नजरे शर्म से झुक गई और बोली:" वो मेरी गलती थी और मैं बदले की आग से पागल हो गई थी इसलिए ऐसा कर दिया लेकिन जब तुमने समझाया तो मुझे सब कुछ समझ आया! बताओ ना अब मुझे ? ज्यादा मत तड़पाओ नही तो मेरी जान निकल जायेगी !
सीमा:" विक्रम सुरक्षित सुल्तानपुर से बाहर चले गए हैं! लेकिन उनके जिस्म पर कई जगह जख्म के निशान थे!
सलमा ये सुनकर तड़प उठी और बोली: जख्म और विक्रम के जिस्म पर ! नाम बताओ मुझे उसका हाथ तोड़ दूंगी जिसने ये सब किया हैं!
सीमा उसकी बात सुनकर उसकी आंखो में देखती हुई बोली:"
" सब कुछ आपने ही तो किया हैं! फिर किसी को क्यों दोषी ठहरा रही हो आप !
सलमा थोड़ी देर चुप रही और बोली:" मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई सीमा! क्या विक्रम मुझे माफ कर देंगे ?
सीमा:" पता नही ये तो विक्रम ही जाने लेकिन वो आपसे नाराज बहुत ज्यादा है!
सलमा की आंखे उसकी बात सुनकर भर आई और बोली:"
" सीमा मुझे ऐसा नही करना चाहिए था! मैं विक्रम से मिलना चाहती हूं! एक काम करो उदयगढ़ जाने की तैयारी करो!
सीमा उसकी बात सुनकर उछल पड़ी और बोली:" ये क्या बोल रही हो आप ? हम उदयगढ़ नही जा सकते आप ये जानती हैं न!
सलमा बेड से खड़ी हुई और बोली:" हम कहीं भी जा सकते हैं सीमा! अगर विक्रम हमसे मिलने अपनी जान हथेली पर लेकर आ सकता हैं तो हम भी उसकी खातिर उदयगढ़ जाएंगे!
उसके बाद सलमा ने उसे अपना प्लान बताया और सीमा की आंखे हैरानी से खुल गई और उसने शहजादी का साथ देने का फैसला किया!
करीब आधे घंटे के बाद सलमा रजिया से बोली:" अम्मी जान हम मेला देखने के लिए जायेंगे लेकिन सच कहे तो शहजादी होना हमारे लिए अब दिक्कत बन गया है! जिधर भी जाते है सैनिक साथ में चलते हैं! हम ऐसी जिंदगी से तंग आ चुके हैं!
रजिया उसकी बात सुनकर उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली:"
" बेटी वो सब आपकी सुरक्षा के लिए है! आपकी रक्षा करना उनका फर्ज है!
सलमा:" लेकिन मेले में तो कोई खतरा नहीं होता क्योंकि यहां तो सब लड़ाई भूल जाते हैं!
रजिया:" बात ठीक हैं बेटी लेकिन बिना सुरक्षा के जाना ठीक नहीं होगा!
सलमा:" आप हम पर भरोसा रखिए! हम इतने कमजोर भी नहीं है कि अपनी रक्षा ना कर सके अपने दम पर!
रजिया:" लेकिन बेटी...
सलमा उसकी बात बीच में काटते हुए बोली:" बस अब आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! मैं और सीमा दोनो साथ में जायेंगे!
रजिया ने उसका माथा चूम लिया और बोली:" अपना ध्यान रखना और ज्यादा देर तक मत घूमना!
सलमा खुशी से चहक उठी और बोली:" अम्मी हम बता नही सकते आज हम कितने खुश हैं! सच में आप दुनिया की सबसे प्यारी अम्मी हैं!
उसके बाद सलमा और सीमा ने अपना भेष बदला और शाम को करीब चार बजे मेले में जाने के लिए निकल गए! मेले के बहाने दोनो उदयगढ़ की तरफ चल पड़े और चूंकि मेले के कारण राज्य की सीमाएं खुली हुई थी तो उन्हे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और दोनो उदयगढ़ के अंदर घुस गई और देखा कि उदयगढ़ भी संपन्नता में कम नही था! चारो ओर बनी बड़ी बड़ी इमारतें इसकी गवाही दे रही थी! अब सबसे बड़ी समस्या थी कि विक्रम को कैसे ढूंढा जाए तो इसके लिए दोनो ने थोड़ी देर महल के बाहर ही रुकने का इंतजार किया ताकि विक्रम आ जाए और दोनो उससे मिल सके लेकिन निराशा ही हाथ लगी! करीब सात बजे सलमा और सीमा दोनो ने मजल के अंदर घुसने का फैसला किया लेकिन कैसे जाए ये सबसे बड़ी दुविधा थी! फिर सलमा को एक तरीका सूझा और उसने सीमा को कुछ समझाया तो सीमा ने गेट पर मौजूद एक दरबान को सीमा ने इशारे से अपने पास बुलाया और उसे विक्रम की दी हुई माला को दिखाती हुई बोली:"
" मुझे युवराज विक्रम ने अपने पास आने के लिए बोला था कि महल में कुछ काम देंगे! बोला था कि गेट पर मेरी ये माला दिखा देना तो मुझसे मुलाकात हो जायेगी!
दरबान ने माला को पहचान लिया और बोला:" आप अंदर आकर बैठिए, मैं युवराज तक आपका संदेश पहुंचा देता हू!
सीमा और सलमा महल के अंदर बैठ गई और एक दूसरा सैनिक माला लेकर अंदर चला गया और जैसे ही विक्रम ने माला देखी तो समझ गया कि सीमा का कोई संदेश आया होगा और बाहर की तरफ आ गया और जैसे ही उसने सीमा के साथ साथ सलमा को देखा तो उसका दिल खुशी से उछल पड़ा और अगले ही पल खामोश होते हुए बोला:"
" आइए आप मेरे साथ अंदर आइए!
सीमा और सलमा दोनो उसके साथ महल के अंदर जाने लगी और युवराज ने महल के अंदर बने एक आलीशान कक्ष में दोनो को बैठने के लिए कहा और बोला:"
" आप थोड़ी देर यहीं बैठिए! मैं आपके लिए कुछ लेकर आता हूं!
इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो सीमा खड़ी होती हुई बोली:"
" युवराज मुझे पहले आप बाथरूम किधर है ये बता दीजिए!
विक्रम उसे अपने साथ ले गया और थोड़ी ही दूरी पर बने बाथरूम के पास छोड़ दिया तो सीमा बोली:"
" युवराज शहजादी आपसे मिलने के आई है! मैने तो मना किया था लेकिन नही मानी! आप उनसे बात कीजिए!
इतना कहकर सीमा बाथरूम के अंदर घुस गई और विक्रम सलमा के कक्ष में आया तो उसे देखते ही सलमा की आंखे भर आई और उसके करीब आई और बोली:"
" युवराज कैसे हैं आप ? सीमा ने बताया कि आप जख्मी हुए हैं!
विक्रम:" मेरे जख्म से आपको क्या फर्क पड़ता है शहजादी? वैसे भी ऐसे जख्म से कोई मरता नही हैं!
सलमा ने आगे बढ़कर उसके होंठो पर उंगली को रख दिया और बोली:" खुदा के लिए ऐसी मनहूस बाते मुंह से न निकालिए युवराज! समझ नही आता कि कैसे और किन शब्दों में आपसे माफी मांगू?
विक्रम:" माफी की जरूरत नहीं है सलमा आपको! मेरी ही गलती थी जो आपके कहने पर समझ नही सका!!
सलमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी भीगी हुई आंखो से उसकी आंखो में देखती हुई बोली:" मुझे भी समझना चाहिए था युवराज! मैने जो आपके साथ किया वो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नही करता जब वो आपके घर आया हुआ हो! मैं आपकी गुनहगार हु विक्रम, मुझे जो चाहे सजा दीजिए!
इतना कहकर सलमा जोर जोर से सिसक उठी और विक्रम का दिल भी उसकी आंखो में आंसू देखकर तार तार हो गया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"
" रोइए मत शहजादी आप! आपकी खूबसूरत आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते! गलती हम दोनो की ही है मुझे पहले ही दिन आपको बता देना चाहिए था कि मैं उदयगढ़ से हु लेकिन मैं आपको खोना नही चाहता था बस इसलिए नही बोल पाया!
सलमा उसकी बात सुनकर जोर जोर से बिलख उठी और उससे लिपट गई और बोली:"
" लेकिन आपने मेरे पूछने पर सच बताया युवराज! आप चाहते तो झूठ भी बोल सकते थे लेकिन आपने ऐसा नही किया!
विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"
" बस कीजिए शहजादी! आपको मेरी कसम हैं अब आपकी आंखों से आंसू नहीं आना चाहिए!
इतना कहकर विक्रम ने अपना मुंह आगे करके उसका गाल चूम लिया और न चाहते हुए भी सलमा की आंसू से फिर से आंसू टपक पड़े!
विक्रम ने उसके आंसुओं को साफ किया और उसकी कमर थपथपाते हुए उसे तसल्ली देता रहा और धीरे धीरे सलमा की हिचकियां रुक गई तो विक्रम बोला:"
" मुझे सीमा बता रही थी कि आपके खिलाफ राजमहल में कुछ साजिश हो रही हैं! सीमा को चोरी के इल्जाम में आपने बचाया ये तो बहुत अच्छा किया! सीमा आपके लिए अपनी जान दे देगी लेकिन आपको कभी धोखा नही देगी!
सलमा उसकी बांहों में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी और बोली:" पता नही कौन हैं लेकिन हो ना हो ये सब जब्बार का किया धरा हो सकता हैं! सलीम भाई तो दिन भर नशे में रहते हैं और उन्हें राज्य और कामों से कोई मतलब है नही!
उसके बाद सलमा थोड़ी देर चुप रही और फिर अपने दिल के सभी राज विक्रम के सामने रख दिए कि आज कल सुल्तानपुर में क्या चल रहा हैं तो उसकी बात सुनकर विक्रम बोला:"
" आप चिन्ता मत कीजिए शहजादी! मेरे होते हुए कोई आपका कुछ नही बिगाड़ सकता!
सलमा ने उसका मुंह चूम लिया और बोली:" हम आप पर भरोसा हैं युवराज तभी तो आपको सब कुछ बता दिया हैं!
विक्रम उसे अपनी बांहों में लिए खड़ा रहा और बोला:"
" आपने बड़ी हिम्मत करी जो हमसे मिलने के लिए उदयगढ़ ही चली आई! मानना पड़ेगा आपको शहजादी!
सलमा:" आप मुझसे मिलने आ सकते हो अपनी जान हथेली पर रखकर तो क्या मैं भी नही आ सकती हू आपसे मिलने के लिए! मैं भी आपसे बेहद प्यार करती हू युवराज!
विक्रम:" सच में मैं बेहद किस्मत वाला हु जो आपके जैसी खुबसूरत और दिलवाली महबूबा मिली मुझे!
उसकी बात सुनकर सलमा मुस्करा उठी और बोली:"
" अच्छा ये दिखाओ आपको कहां कहां जख्म आया हैं मेरी वजह से युवराज?
विक्रम:" कहीं भी नही शहजादी! मैं तो बिलकुल ठीक हु!
सलमा समझ गई कि विक्रम ऐसे नही मानने वाला तो सलमा ने उसकी बात सुनकर एक झटके के साथ उसके जिस्म पर पड़ी हुई चादर को खींच दिया और विक्रम की छाती पूरी नंगी हो गई और सलमा ने देखा कि उसकी छाती पर कई जगह घाव हुए थे और लाल लाल निशान पड़ गए थे तो सलमा का दिल दर्द से बैठ गया और फिर सलमा पलटकर उसकी कमर देखने लगी और उसकी कमर पर लगे हुए जख्मों को हाथ से छूकर देखने लगी!
सलमा का दिल अंदर ही अंदर रो रहा था और फिर वो पलट कर विक्रम के सामने आ गई और बोली:" विक्रम मुझसे सच में बेहद बड़ी गलती हो गई है! मैं तो माफी के भी काबिल नही हु आपकी!
विक्रम ने उसे अपने गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोला:" आप कुछ मत सोचिए शहजादी! सब कुछ भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर खुश हो गई और उससे कसकर लिपट गई! विक्रम ने भी उसे अपनी बाहों मे कस लिया और दोनो ऐसे ही खड़े हुए एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहे और फिर सलमा को सीमा की याद आई तो बोली:"
" युवराज सीमा बाथरूम से नही आई अभी तक!
विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठा और बोला:"
" कितनी भोली हो आप सलमा, वो तो जान बूझकर हमे अकेला छोड़कर गई हैं ताकि हम आराम से बात कर सके!
सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और कसमसा कर बोली:"
" हाय अल्लाह वो क्या सोच रही होंगी मेरे बारे में!!
विक्रम ने पहली बार अपने हाथो का दबाव उसकी कमर पर बढ़ा दिया और बोला:"
" यही कि सलमा अपने महबूब की बांहों में होगी!
सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और उसकी पकड़ से आजाद होती हुईं बोली:"
" जाइए उसे बुला लीजिए आप!
सलमा की बात सुनकर विक्रम कमरे से बाहर निकल गया और सीमा उसे बराबर के कमरे में बैठी हुई मिल गई और बोली:"
" हो गई क्या आपकी सुलह?
विक्रम उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला:"
" हान जब आप जैसी बहन हो तो भला क्यों नही होगी! शहजादी आपको बुला रही हैं!
उसके बाद सीमा उसके साथ आ गई और बोली:"
" क्या युवराज आपने अभी तक हमे पानी तक नहीं पिलाया? कैसी मेहमाननवाजी करते हैं आप उदयगढ़ वाले, शहजादी पहली बार अपनी ससुराल आई है और आप हैं कि कोई फिक्र ही नहीं हैं आपको!
उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और आंखो को नीचे कर लिया तो विक्रम बोला:"
" बस आप पांच मिनट दीजिए मुझे!
उसके बाद विक्रम गया और सलमा सीमा को डांटती हुई बोली:"
" कुछ भी बोल देती हो, बड़ी बेशर्म हो गई हो सीमा!
सीमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:" हाय रब्बा देखो तो ससुराल के नाम पर कैसे शर्मा गई आप शहजादी!!
सलमा का दिल उसकी बाते सुनकर तेजी से धड़का उठा और उसका पूरा बदन कांप उठा और वो सीमा को डांटते हुए बोली:"
" एक बार महल चलो फिर तुम्हे अच्छे से सबक सिखा दूंगी!
दोनो की बाते चल ही रही थी कि विक्रम आ गया और उसके हाथ में एक ट्रे थी जिसमे खाने के लिए काफी सारे सूखे मेवे और जूस था और उसने बेड पर सब रख दिया और उसके बाद सब मिलकर खाने लगे लेकिन सलमा थोड़ा संकोच कर रही थी तो विक्रम बोला:"
" शहजादी आप पहली बार उदयगढ़ आई हैं तो बिना किसी संकोच के खाइए नही तो बाद में कहेगी कि हमने आपका ध्यान नहीं रखा!
सीमा:" बेचारी पहली बार ससुराल आई हैं तो इसलिए शर्मा रही है युवराज!
उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह लाल हो गया और उसने घूरकर सीमा की तरफ देखा तो सीमा बोली:"
" नाराज क्यों होती हैं आप? क्या मैं झूठ बोल रही हूं क्या ?
सलमा:" एक बार तुम सुल्तानपुर चलो फिर जाकर आपको सबक सिखाती हु अच्छे से!
उसकी बात सुनकर सीमा और विक्रम मुस्कुरा दिए! तीनों ने अच्छे से खाया और उसके बाद सीमा बोली:"
"ओहो लगता हैं कि फिर से बाथरूम जाना पड़ेगा आज पेट में कुछ ज्यादा ही दिक्कत हैं!
इतना कहकर उसने सलमा को आंख मार दी और बाहर की तरफ चल पड़ी! उसके जाते हो सलमा की सांसे तेज हो गई क्योंकि अब कमरे में वो और विक्रम दोनो अकेले हो गए थे! विक्रम उसके पास आ गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया तो सलमा कसमसा उठी और बोली:"
" आह्ह्ह्ह क्या करते हो युवराज कोई देख लेगा!
विक्रम ने उसका मुंह चूम लिया और बोला:" डरती क्यों हो शहजादी! कोई नही आयेगा यहां!
इतना कहकर उसने शहजादी को अपनी बांहों मे कस लिया तो सलमा भी उससे लिपट गई और विक्रम ने उसका मुंह उपर उठाया तो सलमा की आंखे शर्म से झुक गई और विक्रम ने उसका गाल चूम लिया और बोला:"
" शहजादी आप मुझे मिल गई सब कुछ मिल गया! अब मुझे मौत भी आ जाए तो कोई गम नही होगा!
उसकी बात सुनकर सलमा ने अपनी उंगली को उसके होठों पर रख दिया और विक्रम उसकी उंगली को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो सलमा की सांसे तेज हो गई और विक्रम से कसकर किसी अमरबेल की तरह लिपट गई!
विक्रम ने अपने हाथो को उसकी गांड़ के उभार पर रखा और उसके उंगली को जोर जोर से चूसने लगा और तभी सीमा के आने की आहट हुई तो दोनो न चाहते हुए भी अलग हो गए और सीमा अंदर आ गई और बोली:"
" शहजादी हमें अब जाना होगा क्योंकि रात के 11 बज गए हैं और आपको डांट पड़ेगी!
सीमा की बात सुनकर सलमा का ध्यान समय की तरफ गया और बोली:" ठीक हैं हम चलते हैं सीमा! मैं एक मिनट बाद आई मुझे युवराज से कुछ बात करनी हैं जरूरी!
उसकी बात सुनकर सीमा बाहर चली गई और सलमा एक बार फिर से विक्रम से कस कर लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी तो विक्रम भी बेकाबू होकर सलमा के होंठ चूसने लगा और सलमा किस तोड़कर धीरे से उसके कान में बोली:"
" आप मुझसे मिलने के लिए परसो 11 बजे आ जाना! युवराज मैं आपका इंतजार करूंगी !
इतना कहकर उसने जोर से विक्रम के गाल को चूस लिया तो विक्रम ने उसकी गांड़ को कसकर दबा दिया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ विक्रम से अलग हुई और कक्ष से बाहर निकल गई!
सीमा और सलमा दोनो विक्रम के साथ राजमहल से बाहर आ गई और उसके बाद विक्रम ने उन्हें सुरक्षा के साथ सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ दिया और सलमा खुशी खुशी अपने राज्य वापिस लौट पड़ी !!
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट था अपनी मां के सौंदर्य को देखकर अजय अपनी मां पर मोहित हो गया वही मेनका भी अपनी पुत्र पर मोहित हो गई और दोनो के बीच अंतरंग लम्हा बन गयारात के करीब 10 बज गए थे और मेनका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी और उसकी नजरे बीच बीच मे अपने गले में पड़े हुए मंगल सूत्र पर जा रही थी जो मेनका को इस बात का एहसास दिला रहा था कि वो शादी शुदा हैं! मेनका चाहकर भी अपना मंगल सूत्र नही उतार सकती थी क्योंकि ये अपशकुन समझा जाता और इससे अजय की जिंदगी पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता! मेनका की आंखो के आगे बार बार वही अपना दुल्हन वाला रूप घूम रहा था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी! दुनिया की हर औरत खूबसूरत दिखना चाहती हैं और मेनका इसका अपवाद नहीं थी!
मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्योंकि इसका दिल एक बार फिर से खुद को दुल्हन के लिबास में देखने के लिए तड़प रहा था! काफी सोच समझ कर उसने फैसला किया कि वो फिर से आज साड़ी पहनेगी और घर के नीचे बने तहखाने में उसे कोई देख भी नही पाएगा! आखिरकार मेनका अपने बेड से उठी और धीरे धीरे चलती हुई अजय के कक्ष तक पहुंच गई क्योंकि वो ये निश्चित करना चाहती थी कि अजय सोया हैं या नहीं और उसने देखा कि अजय सो गया था तो वो फिर से अपने कमरे में आई और अलमारी तक पहुंची और एक बेहद खूबसूरत साड़ी उठा ली और तभी उसके मन में एक विचार आया तो उसने कांपते हाथों से अपनी गुलाबी रंग की ब्रा पेंटी को भी उठा लिया बाहर निकल गई! मेनका धीरे धीरे चलती हुई तहखाने तक पहुंच गई और उसने फिर से खुद को शीशे में देखते हुए साड़ी पहनना शुरू कर दिया! कल मेनका के साड़ी पहनने और आज पहनने में जमीन आसमान का अंतर था क्योंकि कल उसने अपने पूर्वजों की परंपरा के तौर पर पहनी थी और आज अपनी खुशी के लिए पहन रही थी! मेनका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और जैसे ही खुद से उसकी नजरे मिली तो बरबस ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई !
मेनका ने अपने जिस्म पर से सफेद रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ को हटा दिया तो तो वो ऊपर से नंगी हो गई और उसने अपनी गोल गोल चुचियों को देखा तो उसकी आंखो मे चमक आ गई क्योंकि मेनका का वजन थोडा सा बढ़ गया था जिससे उसकी चुचियों अब पहले के मुकाबले और ज्यादा भर गई थी! मेनका ने बदन में सिरहन सी दौड़ गई और उसके बाद उसने अपने लहंगे को उतार दिया तो मेनका पूरी तरह से नंगी हो गई और खुद को शीशे में निहारने लगी! सच में उसका बदन किसी अजंता की मूरत की तरह तराशा हुआ था और मेनका की नजर अपनी टांगो के बीच में गई तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल चिकनी चमेली की तरह बिलकुल साफ थी! मेनका को याद आया कि कल उसने सुहागन बनने के लिए किस तरह से अपनी चूत को साफ़ किया था वरना उसकी चूत के आस पास बालो का एक पूरा जंगल उगा था जिसमे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था! मेनका अपने जिस्म को लेकर कितनी लापरवाह हो गई थी इसका अंदाजा इसी बात से उसे हुआ था कि उसकी झांटे उसकी पेंटी से निकलकर उसकी जांघो तक आ गई थी! मेनका ने गुलाबी रंग की अपनी ब्रा को को उठाया और शीशे में देखते हुए अपने अमृत कलशो को बंद कर लिया और उसके बाद उसने पैंटी को हाथ में लिया और जैसे ही एक टांग को थोड़ा ऊपर उठाया तो उसकी चूत के होंठ हल्के से खुले और मेनका का समूचा वजूद कांप उठा! मेनका ने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघो को बंद किया और उसके बाद पेंटी को पहन लिया और एक सुकून की सांस ली!
मेनका ने लहंगे को पहन लिया और उसके बाद अपनी रेशमी साड़ी को पहनने लगी और
देखते ही देखते वो फिर से एक बार दुल्हन के लिबास में आ गई और बेहद आकर्षक लग रही थी! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में देख रही थी और आनंदित महसूस कर रही थी! लेकिन कल के मुकाबले उसे आज कुछ कमी महसूस हुई और वो थी मेक अप की कमी तो उसने फिर से वही पुरानी मेक अप किट निकालने का फैसला किया!
वहीं दूसरी तरफ अजय अपने कमरे में लेटा हुआ था और युवराज विक्रम के बारे में ही सोच रहा था कि आज वो दिन भर कितने परेशान थे जरूर कोई तो बात हैं जिसका मुझे पता लगाना पड़ेगा! अजय ने अपनी तलवार की तरफ देखा जो बेड पर रखी हुई थी और उसे बेहद खुशी हुई! अजय उठा और तलवार को अपने माथे से लगाकर चूमते हुए म्यान में रख दिया और उसके बाद उसे दीवार पर टांग दिया! अजय को नींद नहीं आ रही थी तो उसने थोड़ा छत पर टहलने का सोचा और छत की तरफ चल पड़ा! उसने देखा कि उसके मां के कक्ष में एक भी दीया नही जल रहा है तो उसे बड़ी हैरानी हुई और वो उसके कक्ष में घुस गया लेकिन कक्ष में मेनका पाकर वो हैरान हो गया और उसे अपनी माता की चिंता हुई तो वो तेजी से छत पर गया लेकिन छत पर भी उसे मेनका नही मिली तो उसका दिल घबरा गया और तभी उसके मन में विचार आया कि एक बार उसे नीचे तहखाने में देखना चाहिए लेकिन उसे उम्मीद कम थी क्योंकि रात के करीब 12 बजे उसकी माता तहखाने में क्यों जायेगी लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है और उसने नीचे जाने का फैसला किया! वो अपनी मां के कक्ष में घुसा और दीये को जलाया तो उसे उसकी मां की अलमारी खुली नज़र आई और अजय सावधानी से तहखाने में उतरने लगा!
अजय नीचे उतर गया तो उसे अंदर प्रकाश नजर आया तो उसके अंदर उत्सुकता जाग उठी कि उसकी माता इतनी रात को यहां कर रही है तो वो धीरे से आगे बढ़ा और जैसे ही उसने अंदर झांका तो उसे मेनका नजर आई जो आज फिर से दुल्हन बनी हुई थी और आज कल के मुकाबले कहीं ज्यादा खूबसूरत लग रही थी क्योंकि आज वो अपनी मर्जी से और अपने तरीके से तैयार हुई थी! मेनका अपने होंठो को गोलाकार किए हुए थी और उन पर लिपिस्टिक लगा रही थी और ये सब देख कर अजय की आंखे फटी की फटी रह गई! उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी विधवा मां ये सब क्यों कर रही है आज फिर से!
लिपिस्टिक लगाकर मेनका मुस्कुरा उठी और अजय ने एक नजर सिर से लेकर पैर तक अपनी माता मेनका पर डाली! मेनका के दूध से गोरे खूबसूरत पैर और पैरो की छोटी छोटी मन मोहक उंगलियां, मेनका के पैरो में बंधी हुई पतली सी पायल, हरे रंग की बेहद आकर्षक रेशमी साड़ी और उसके हाथो में साड़ी से मिलती हुई हरे रंग की सुंदर कांच की चूड़ियां बेहद हसीन लग रही थी! मेनका का चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था और उसके होंठो पर मंद मंद मुस्कान फैली थी! उसके काले घने रेशमी बाल उसके गले में स्टाइल के साथ पड़े हुए थे और उसकी सोने की चैन को ढकने का प्रयास कर रहे थे! मेनका के लाल सुर्ख होंठ उसके मुस्कुराने की वजह से और ज्यादा लरज रहे थे जिससे मेनका की खूबसूरती जानलेवा साबित हो रही थी!
अजय बिना पलके झुकाए वो अदभुत सुंदरता को निहारता रहा और फिर मेनका खड़ी हो गईं और शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका के खड़े होने से उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया था जिससे उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और मेनका अपने बालो से खेलती हुई खुद को शीशे में निहार रही थी और एक हल्की सी बेहद कामुक मुस्कान उसके होंठो पर फैली हुई थी! मेनका कभी अपनी आवारा लटो को संभालती तो कभी पलट कर अपने पीछे के हिस्से को देखती और खुद पर ही मोहित होती जा रही थी!
भले ही मेनका उसकी मां थी लेकिन अजय को उसके रूप में साक्षात स्वर्गलोक की मेनका नजर आ रही थी जिससे वो कभी का भूल गया था कि सामने खड़ी हुई खुद से अठखेलियां कर रही औरत उसकी सगी मां है और नारी स्वभाव और सुंदरता से अपरिचित अजय अब उसकी कामुक अदाओं को देखकर आनंदित महसूस कर रहा था! दूसरी तरफ मेनका तो मानो आज आसमान में उड़ रही थी क्योंकि वो जिंदगी में पहली बार खुलकर अपनी खूबसूरती को निहार रही थी और मस्त हुई जा रही थी! कभी वो अपने होंठो को गोलाकार करती तो कभी खोल देती और कभी कामुक अंदाज में सिकोड़ सा लेती मानो सीटी बजाना चाहती हो!
मेनका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बालो को पूरा खोल दिया और उसके बालो ने उसके खूबसूरत चेहरे को पूरा ढक लिया और मेनका ने एक झटके के साथ अपने बालो को पीछे को झटक दिया तो अजय को आज एहसास हुआ कि वास्तव में चांद बदली से कैसे निकलता है और अजय ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली! मेनका की सांसे अब तेज हो गई थी जिससे उसका बदन मचल रहा था और उसकी छातियों में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका आज खुद पर ही मोहित हो गई थी और शीशे में देखते हुए उसने अपने बदन को हिलाना शुरु कर दिया तो मेनका को अद्भुत सुख मिला और वो अपने दोनो कंधो को एक एक करके उचकाने लगी जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे को चिढ़ाती हुई उपर नीचे होना शुरू हो गई! मेनका अपने दोनो हाथो में अपने बालो को भरती और फिर से उन्हे खुला छोड़ते हुए अपने चेहरे पर फैला देती! मेनका की सांसे अब उखड़ गई थी और उसकी छातियों में तेज गति से कम्पन होना शुरू हो गया था!
मेनका अब पूरी तरह से मदहोश हो गई थी और उसके पैर जवाब देने लगे तो वो हिरनी की तरह लहराती हुई बेड की तरफ चल पड़ी जिससे उसका बड़ा भारी भरकम पिछवाड़ा अजय के सामने करतब करने लगा और अजय बिना पलके झुकाए अपनी मां के इस अदभुत अवतार का नयन सुख ले रहा था! मेनका बेड पर चढ़ गई और अपने जिस्म से खेलने लगी! कभी वो अपनी टांगो को फैला देती तो कभी उन्हे पूरा सिकोड़ लेती और मेनका ने अपनी एक उंगली को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और बेताबी से अपनी जांघो को एक दूसरे से रगड़ रही थी! मेनका की आंखे वासना से लाल सुर्ख होकर दहक रही है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी दोनो चूचियों को सहला रहा था! मेनका अपने जिस्म को बिस्तर पर मस्ती से बिस्तर पर पटक रही थी और काम वासना से भरी हुई मेनका ने एक करवट ली और अब उसकी गांड़ उभर आई और अपनी दोनो चुचियों को वो बेड शीट पर जोर जोर से रगड़ती हुई बेड शीट को हाथो से मरोड़ रही थी और उसकी साड़ी उसकी जांघो तक आ गई थी जिससे उसकी गोरी चिकनी जांघें साफ नजर आ रही थी और अजय पागल सा हुआ देखे जा रहा था कि उसकी माता कितनी कामुक हैं!
मेनका ने जोर जोर से अपने जिस्म को बिस्तर पर पटकना शुरू कर दिया और उसकी जीभ खुद ही बेकाबू होकर उसके होंठो को चूसने लगी तो अजय बेचैन हो गया और अच्छे से देखने के लिए अपनी जगह से थोड़ा सा हिला और यही उससे चूक हो गई! अजय के हिलने से उसकी परछाई का प्रतिबिम्ब शीशे पर पड़ा और मेनका को एहसास हो गया कि कमरे में कोई हैं जो उसे देख रहा है और वो जानती थी कि ये अजय के सिवा कोई और नहीं हो सकता क्योंकि तहखाने को सिर्फ वही जानता था! मेरा बेटा मेरी हरकतों को देख रहा है ये सब सोचकर मेनका शर्म से पानी पानी पानी हो गई और उसकी उंगली उसके मुंह से बाहर निकल आई और मेनका सीधी बिस्तर पर लेट गई मानो सोने का प्रयास कर रही हो! अजय को समझ नही आया कि अचानक से उसकी माता की क्या हुआ, कहीं उन्हे पता तो नही चल गया कि मैं उन्हें देख रहा हूं ! ये सोचकर अजय की नजर सामने शीशे पर पड़ी और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब तो तीर कमान से निकल गया था!
अजय जानता था कि अब कुछ नहीं होगा इसलिए वो वो उपर आ गया और मेनका समझ गई कि अजय चला गया है तो वो थोड़ी देर लेटी रही और अपने अपनी उत्तेजना को काबू करने का प्रयास करती रही
लेकिन उसका जिस्म अब उसके काबू में नहीं रहा था और उसकी चूचियां कड़ी हो गई थी जिससे मेनका चाहकर भी अपनी सांसे संयत नही कर पा रही थी,
लेकिन यहां कब लेटी रहूंगी मुझे अपने कमरे मे जाना ही होगा ये सोचकर वो धीरे धीरे उठी और उसी सुहागन के रूप में तहखाने से बाहर आ गई! चलते हुए उसके पैर कांप रहे थे और वो मन ही मन दुआ कर रही थी कि उसका बेटा उसके सामने न आए इसलिए मेनका धीरे धीरे संभल कर चल रही थी और अजय तो जैसे उसके लिए ही खड़ा हुआ था ! रात के करीब दो बज गए थे और घर में काफी अंधेरा था जिससे मेनका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने कक्ष की ओर जा रही थी कि उसे अजय की आवाज सुनाई पड़ी:"
" माता आप इतनी रात जाग रही है आपकी तबियत तो ठीक है?
मेनका उसकी आवाज सुनकर कांप उठी और उसका मन किया कि जल्दी से अन्दर घुस जाए लेकिन आवाज की दिशा में देखा और बोली:"
" हान बस नींद नही आ रही थी कि तो इसलिए तहखाने में चली गई थी!
अजय थोड़ा सा आगे बढ़ा और अब अजय और मेनका दोनो एक दूसरे के सामने आ गए थे और अंधेरे के कारण एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे तो अजय बोला:"
" ऐसे रात रात भर जागेगी तो आपकी तबियत खराब हो जायेगी!
मेनका उसकी बात सुनकर उसका मतलब समझ गई और उसकी सांसे फिर से तेज होना शुरू हो गई और अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कामुक खड़ी चुचियों को शांत करने के लिए उन पर हाथ रख कर बोली:"
" नही पुत्र, आज पहली बार ऐसा हुआ है कि इतनी रात को नींद नहीं आई मुझे!
अजय जानता था कि उसकी माता कभी झूठ नहीं बोलती ओर अजय उसके थोड़ा सा और करीब हुआ और बोला:"
" ऐसा किसलिए हुआ है माता कि आपकी नींद उड़ गई है! क्या कोई कष्ट हैं आपको?
मेनका उसकी बात सुनकर कांप उठी और दूसरा उसकी चूचियां शांत होने के बजाय ज्यादा उछल पड़ी और मेनका सोचने लगी कि कष्ट इसे कैसे बता सकती हू और बोली:"
" नही पुत्र कष्ट तो कुछ नही है, बस कभी कभी इंसान पर उसके अतीत की यादें भारी पड़ जाती हैं तो ऐसा हो जाता हैं!
दोनो एक दूसरे को नही देख पा रहे थे जिससे उन्हें काफी हिम्मत मिल रही थी और शर्म कम आ रही थी! मेनका की तेज गति से चलती हुई सांसों को अजय साफ महसूस कर रहा था और उसके थोड़ा और करीब हो गया जिससे दोनो अब बिल्कुल एक दूसरे से सामने खड़े खड़े हुए थे और अजय ने हिम्मत करके अपने हाथ को उसके कंधे पर रख दिया और बोला:".
" मुझे नीचे तहखाने में नही जाना चाहिए था माता! मेरी वजह से आपको परेशानी हुई!
अपने कंधे पर अपने बेटे का हाथ महसूस करके मेनका के बदन में एक तेज सिरहन सी दौड़ गई और खामोश रही तो अजय उसके थोड़ा और करीब हो गया और मेनका की तेज सांसों के साथ उठती गिरती हुई चूचियां हल्की सी उससे टकरा रही थी और मेनका का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था और अजय ने अपने दूसरे हाथ को भी उसके कंधे पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:"
" आप इतना कांप क्यों रही हैं माता ! आपकी सांसे भी तेज हो गई है !!
पल्लू सरक जाने से मेनका के दोनो कंधे नंगे हो गए थे और अपने बेटे के सख्त हाथो की छूवन महसूस करके मेनका जिस्म मचल उठा और उसके होंठ अब बुरी तरह से थरथरा रहे थे! मेनका ने कसकर अपनी जांघो को भींच लिया उसकी चूत से सालो के बाद न चाहते हुए भी काम रस की एक बूंद टपक पड़ी तो उसके मुंह से आह निकल गई और मदहोशी में उसके पैर जवाब दे गए तो मेनका उसकी बांहों में झूल सी गई और अजय ने उसे कसकर अपनी बांहों में भर लिया और जैसे ही उसकी छातियां अजय के चौड़े मजबूत सीने से टकराई तो मेनका का धैर्य और शर्म सब टूट गया और वो भी किसी प्यासी अमरबेल की तरह अजय से लिपट गई! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से कसने का प्रयास कर रहे थे और मेनका ने मदहोशी में अपनी दोनो आंखे बंद किए उसके गले में अपनी संगमरमरी बांहों का हार पहना दिया!
दोनो ही एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे मानो एक ही जिस्म हो और अजय के गर्म दहकते होंठ कभी कभी उसकी खूबसूरत पतली गर्दन को चूम रहे थे तो कभी उसकी कान की लौ को सहला रहे थे जिससे मेनका अपने होशो हवास खोती जा रही थी और अजय के हाथ अब उसकी कमर से लिपट कर उसकी चिकनी नंगी कमर को सहला रहे थे और मेनका मस्ती से अपनी चुचियों का वार उसके सीने में कर रही थी और उसने अपने गर्म दहकते अंगारों जैसे होंठो को अजय के गाल पर रखा और चूम लिया तो अजय उसके होंठो की तपिश महसूस करके जोश में आ गया और उसने दोनो हाथों से उसका चांद सा खूबसूरत चेहरा अपने हाथो मे भर लिया और दोनो की सांसे एक दूसरे से टकराने लगी और अजय ने होंठ उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठो की तरफ बढ़ने लगे!
जैसे ही दोनो के होंठ आपस में टकराए तो मेनका के जिस्म में बिजली सी दौड़ गई और वो एक झटके के साथ अजय से अलग हुई और तेजी से चलती हुई अपने कक्ष में जाने लगी और उसकी चूड़ियों और पायल की छन छन छन खन खन खन करती हुई आवाज गूंज उठी और मेनका अपने कक्ष में आकर लेट गई और सोचने लगी कि उससे बड़ी भारी गलती हो गई है आज!
मेनका अपनी सांसों के संयत करते हुए सोने की कोशिश करने लगी वहीं दूसरी तरफ अजय भी समझ नही पा रहा था कि जो हुआ क्या वो सच था! अजय अपने कक्ष में आ गया और सोने का प्रयास करने लगा लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी!