• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest शहजादी सलमा

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
शहजादी सलमा वापिस महल पहुंच गई और उसे देखते ही उसकी मां ने सुकून की सांस ली और बोली:"

" अच्छा हुआ बेटी आप आ गई, मुझे आपकी चिंता होने लगी थी!

सलमा बेहद खुश थी क्योंकि वो पहली बार अपनी ससुराल जो घूम कर आई थी और वो रजिया के गले लग गई और उसका मुंह चूम लिया और बोली:"

" हम बता नही सकते आज हम कितनी खुश हैं, सालो के बाद हमने आज खुलकर अपनी जिंदगी को जिया हैं अम्मी!

अनुभवी रजिया उसके द्वारा अपना गाल चूमे जाने से मुस्कुरा उठी और उसके कान खींचती हुई बोली:" लगता हैं मेरी शहजादी अब जवान हो गई है! कोई शहजादा देखना पड़ेगा आपके लिए!!

रजिया की बात सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और अपने मुंह को हाथो से छुपा लिया और विक्रम के बारे मे सोचकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" अम्मी आप भी ना बस मुझे परेशान करने लगी है! ऐसे कोई बोलता है क्या अपनी बेटी को!

रजिया प्यार से उसके सिर में हाथ फेरती हुई बोली:

" बेटी जवान और खूबसूरत हो तो समझाना पड़ता है सलमा! चलो अब जल्दी से खाना खा लो!

सलमा ने अपनी मां के साथ खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने कक्ष में जाने लगी और बोली:

" अम्मी कल तो मेला खत्म हो ही जायेगा! आपकी इजाजत हो तो कल फिर से मेला देख आऊ क्या सीमा को साथ लेकर!

राजिया ने मुस्कुरा कर सहमति दे दी और सलमा का दिल खुशी से झूम उठा और वो अपने कक्ष की तरफ बढ़ गई!

अगले दिन सुबह उदयगढ़ में बेहद खुशी का दिन था क्योंकि आज राजमाता ने अजय को तलवार देने के बाद उसे राज्य का सेनापति बनाने का उत्सव था!
चारो तरफ खुशी का माहौल था और पूरा उदयगढ़ दुल्हन की तरह सजा हुआ था! विक्रम भी बेहद खुश था और वो चाहता था कि किसी तरह सलमा भी आज के उत्सव का हिस्सा बने तो बहुत अच्छा रहेगा!

मेनका सोकर उठी और अपने आपको रेशमी साड़ी में लिपटी हुई देखकर उसकी आंखों के आगे रात की घटनाएं घूमने लगी और वो शर्म से गड़ी जा रही थी कि रात उसने उत्तेजना में क्या कर डाला! अब वो अजय से नजरे कैसे मिला पाएगी ये सब सोचकर वो बेहद परेशान हो रही थी जिस कारण आज उत्सव की खुशी में भी उसे सुकून नही मिल रहा था और मेनका नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और रोज की तरह उसने सफेद साड़ी को पहन लिया और तैयार होने लगी! अजय भी उठा गया और नहाकर तैयार होने लगा! मेनका ने उसके खाने के लिए कुछ ताजे फल और पराठे लिए और हॉल में टेबल पर रख दिए जहां अजय पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था और दोनो बिना कुछ बोले नाश्ता करने लगे और मेनका की नजरे शर्म से झुका हुई थी! अजय की नजरे बीच बीच में उसके चेहरे को देखती और अजय सोच रहा था कि उसकी मां के चेहरे पर कितनी मासूमियत और शराफत है! उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात वो काम वासना से उबलती हुई यही उसकी मां मेनका थी या कोई दूसरी औरत लेकिन वो सच्चाई से मुंह नही मोड़ सकता था!

अजय ने आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए कहा:" मम्मी आज तो आपके लिए बेहद खुशी का दिन हैं क्योंकि आपका बेटा सेनापति बनाने जा रहा है और आप ऐसे उदास बैठी हुई है!

उसकी बात सुनकर मेनका को थोड़ी हिम्मत मिली और नजरे नीचे किए हुए बोली:"

" हान बेटा मैं बहुत खुश हूं और ईश्वर से प्रार्थना है कि आपको खूब ताकत और हिम्मत दे ताकि आप अपना कर्तव्य निभा सके!

अजय खड़ा और मेनका की तरफ बढ़ा तो मेनका कांप उठी कि पता नहीं क्या होगा लेकिन अजय उसके कदमों में बैठ गया और उसके पैर छूकर बोला:"

" माता मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए बस! फिर आप देखना मैं कैसे उदयगढ़ की तरफ उठने वाली हर नजर को झुका दूंगा!

मेनका ने चैन की सांस ली और उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देती हुई बोली:"

" पुत्र मेरा आशीर्वाद आपके साथ है हमेशा! ईश्वर आपको शक्ति दे!

उसका बाद अजय वापिस अपनी शीट पर आ गया और नाश्ता करने के बाद अजय जाने लगा तो मेनका ने उसे पीछे से आवाज दी:" रुको पुत्र, ऐसे नही जाते हैं!


अजय रुक गया और थोड़ी ही देर में मेनका आरती की थाली लेकर आ गई और उसने अजय की आरती उतारी और बोली:"

" ईश्वर आपको हर जंग में विजयी बनाए अजय!

उसके बाद उसने अजय को एक हीरे की अंगूठी दी और उसकी उंगली में पहनाते हुए बोली:"

" आप आपके खास दिन पर आपके लिए मेरे तरफ से छोटा सा तोहफा पुत्र!

अजय गदगद हो उठा और बोला:" माता आज आपने मेरा जीवन सफल कर दिया! आपके जैसी माता मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं!

उसके बाद अजय वहां से निकल गया और उत्सव की तैयारी में लग गया! धीरे धीरे शाम होने लगी और उत्सव का शुभ मुहूर्त करीब ही था लेकिन युवराज विक्रम महल से गायब थे और गायत्री देवी को उनकी चिंता हो रही थी कि ऐसे वो बिना बताए कहां चला गया और युवराज तो मेले में इस उम्मीद में घूम रहा था कि सलमा आए तो उसे भी उत्सव में शामिल किया जा सके! सलमा कल की तरह फिर से सीमा के साथ निकली और मेले में पहुंच गई और सीमा के साथ घूमने लगी तो सीमा बोली:"

" क्या हुआ शहजादी? लगता हैं आप फिर से आज विक्रम को ढूंढ रही हैं मेले में! कल बोलकर आई थी क्या उन्हे?

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" बोलकर तो नही आई थी लेकिन क्या पता वो भी आए और हमे मिल ही जाए!

सीमा:"इतना ज्यादा प्यार करने लगी है आप कि बिना देखे सुकून नही मिल रहा है!

सलमा उसका हाथ पकड़कर बोली" सारा संसार एक तरफ और यार का दीदार एक तरफ !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" इतनी बेताबी और बेचैनी भी अच्छी नही होती शहजादी! कल ही तो आप मिलकर आई हो ना!

सलमा उसकी बात सुनकर आंखो में प्यार लिए हुए बोली:"

" इस बेताबी का भी अपना अलग ही मजा है सीमा! तुम क्या जानो अपने महबूब की मजबूत बांहों में जो सुकून आनंद मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

उसकी बात सुनकर सीमा हंस पड़ी तो सलमा को एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया है तो वो उसका मुंह लाल हो गया और सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:"

" ओहो तो ये बात है हमारी शहजादी विक्रम की बांहों में समाने में लिए तड़प रही है!

सलमा की नजरे शर्म से झुक गई और उसकी सांसे तेज होने लगी और बोली;" चल बेशर्म कुछ भी बोल देती हैं!

सीमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी सांसों के साथ कम्पन कर रही छातियों को देखते हुए बोली:" वैसे आप कब लग गई विक्रम के गले! थोड़ा बचकर ही रहना कहीं पकड़ कर मसल ना दे आपको अपनी मजबूत बांहों में!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और सोचने लगी कि तुम्हे क्या मालूम है कि मैं युवराज के साथ पूरी पूरी उसकी बांहों में रह चुकी हूं और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" कल जब हम मिलने गए थे तो युवराज ने मुझे कस लिया था अपनी बांहों में!

सीमा:" अच्छा जी आप तो बड़ी तेज निकली शहजादी! अच्छा कैसा लगा था आपको!

सीमा की बात सुनकर सलमा ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका और बोली:

" कुछ मत पूछ सीमा! मर्द की बांहों में जो सुकून मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसके कंधो को पकड़ कर बोली:"

" सिर्फ बांहों में भरा ही था या और भी कुछ किया था शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और बोली:"

" कितनी बेशर्म हो गई आप ? युवराज ऐसे नही है सीमा! वो तो बेहद अच्छे और प्यारे है!

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और उसका हाथ पकड़ कर बोली:" मुझे पता है कि मर्द कैसे होते हैं, देखना अगली बार आपको कैसे रगड़ देंगे युवराज अपनी बांहों में भर कर!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:" रुक जरा तुझे अभी तमीज सिखाती हूं!

इतना कहकर उसने सीमा का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचने लगी तो उसे एक आवाज सुनाई पड़ी

" क्यों बेचारी सीमा के पीछे पड़ी हो शहजादी! ऐसा क्या कर दिया इसने?

इस आवाज को सलमा नींद में भी पहचान सकती थी क्योंकि ये प्रियतम विक्रम की आवाज थी और सीमा बोली:

" देखो ना युवराज कैसे सलमा मुझ मासूम पर जुल्म करती है!


सलमा ने उसे जोर से अपनी तरफ खींचा और बोली:"

" मासूम और तुम! आज मैं तुझे छोड़ने वाली नही हु!

विक्रम:" जरा हम भी तो जाने कि इसने ऐसा क्या गुनाह कर दिया?

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्मा गई क्योंकि वो कैसे युवराज से बोलती कि सीमा का रही थी कि युवराज आपको अपनी मजबूत बांहों में भर कर रगड़ देंगे और ये सोचकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और सीमा उसका मजा लेती हुई बोली:"

" पूछिए ना युवराज इनसे?

विक्रम के कुछ बोलने से पहले ही सलमा ने उसका हाथ छोड़ और बोली:" घर जाकर तुझे सबक सिखा दूंगी ध्यान रखना! ।।

विक्रम उनकी बाते सुन कर हंस पड़ा और बोला:" अच्छा सुनो आज उदयगढ़ में उत्सव है क्योंकि मेरे प्यारे मित्र को सेनापति बनाया जा रहा हैं! मैं आपको ही ढूंढ रहा था आइए मेरे साथ इस उत्सव में चलिए!

सीमा और सलमा दोनो उसके साथ चल पड़ी और राज दरबार लगा हुआ था और हॉल भीड़ से खचाखच भरा हुआ था और युवराज को देखते ही प्रजा उसकी जय जयकार करने लगी तो विक्रम बोला:"

" मेरी नही बल्कि सेनापति अजय की जय जयकार कीजिए आप!

विक्रम आगे बढ़ कर कुर्सी पर बैठ गया और सीमा और सलमा के लिए विक्रम ने भीड़ के बीच ही कुर्सी की व्यवस्था कर दी थी और सलमा और विक्रम बीच बीच मे एक दूसरे को निहार रहे थे और सलमा मंद मंद मुस्कुरा रही थी!

दरबान:" आप सबकी उपस्थिति में महाबली अजय को उदयगढ़ का सेनापति बनाया जा रहा हैं और इसके लिए राजमाता गायत्री देवी उन्हे मुकुट पहना कर इस परंपरा का मुहूर्त करेगी!

गायत्री देवी ने अपनी सीट से खड़ी हुई तो विक्रम और सलमा की आंखे मिली मानो पूछ रही हो कि क्या यही हमारी माता हैं तो विक्रम ने इशारे से सहमति दे दी और सलमा खुश हो गई! अजय आगे बढ़ा और राजमाता ने एक मुकुट उसके सिर पर पहना दिया तो जनता अजय जी जय जयकार करने लगी और अजय ने झुककर राजमाता के पैर छुए तो बोला:" मैं अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटूंगा!

उसके बाद राजमाता ने उसे आशीर्वाद दिया और अजय ने अपनी माता मेनका के पैर छुए तो मेनका ने उसे आशीर्वाद दिया और थोड़ी देर के बाद उत्सव खाने पीने का दौर चल पड़ा और सीमा और सलमा दोनो को विक्रम ने अच्छे से खाना खिलाया और उसके बाद करीब रात के 10 बजे दोनो वापिस सुल्तानपुर की तरफ लौट पड़ी! विक्रम उन्हे छोड़ने के लिए सुल्तानपुर की सीमा तक आया और उसके बाद दोनो महल में आ गई तो सीमा बोली:"

" आपको कैसा लगा उत्सव शहजादी ?

सलमा:" अच्छा था और नए सेनापति को जिम्मेदारी देना बड़ी बात है क्योंकि उसकी आंखो उम्र अभी बेहद कम है!

सीमा:" उम्र कम हैं तो क्या हुआ लेकिन आप उसके इरादे देखिए कितने बुलंद हैं! मुझे तो अच्छा लगा बहुत, लोग बाते कर रहे थे कि अजय का परिवार राज परिवार का सबसे वफादार परिवार रहा है!

सलमा:" हान ये बात तो हैं! मैने भी उसके पूर्वजों के बारे मे सुना हैं और अच्छा लगा! जैसे उदयगढ़ में अजय का परिवार हैं तो वैसे ही यहां आप हो सीमा ! हमेशा मेरा साथ देती हो ठीक वैसे ही जैसे अजय युवराज का साथ देता हैं हर मुश्किल में!

सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान दी और बोली:"

" मुझे वफादार बोलने के लिए सच मे आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मेरा ये जीवन आपको समर्पित है और मेरी मृत्यु भी आपके लिए ही होगी!

सलमा:" ऐसी बाते नही बोलते! हम दोनो जिदंगी भर ऐसे ही अच्छे सहेलियां बनकर साथ रहेंगे और एक अच्छा सा लड़का देखकर तेरी शादी भी करवा दूंगी समझी कुछ!

सलमा की बात सुनकर सीमा की आंखो के आगे अजय का चेहरा आ गया और बोली:"

" जी शहजादी! अच्छा चलो अब आप आराम करो, रात बहुत हो गई है!

इतना कहकर सीमा इसके कक्ष से बाहर निकल गई और सलमा सोचने लगी कि कल वो कल्लू सुनार को से पता करेगी कि कौन है जो सीमा के खिलाफ साजिश कर रहा है!

दूसरी तरफ जब्बार और राधिका बिस्तर पर पड़े हुए थे और राधिका बोली:"

" सीमा को फसाने वाला प्लान काम नही आया! हमे कुछ दूसरा तरीका सोचना होगा!

जब्बार:" तुम चिंता मत करो, मेरे पास आदमी और तरीको की कमी नहीं है!

राधिका:" जब ऐसा हैं तो आप राज गद्दी पर क्यों नहीं बैठ जाते हो ? आपका विरोध करने वाला कोई नहीं है राज्य में अब!

जब्बार:" बात ठीक हैं लेकिन जो काम प्यार से हो जाए उसके लिए खून खराबा ठीक नहीं होगा, फिर अभी राज्य में कई ऐसे वफादार योद्धा हैं हो हमेशा राज परिवार के वफादार रहेंगे! हम उन्हे खोना नहीं चाहते क्योंकि आगे चलकर वही हमारे काम आयेंगे!

राधिका:" लेकिन आगे चलकर वही आपके खिलाफ हो गए तो फिर क्या होगा?

जब्बार: " कुछ नही होगा क्योंकि मेरे पास एक ऐसा मोहरा हैं जो वक्त आने पर इस्तेमाल करूंगा और उसके बाद राज परिवार खुद ही राजा राजपाठ मुझे दे देगा!

राधिका को उसकी बात सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" आप तो बड़े तेज हो, मतलब शतरंज के सारे मोहरे आपके इशारों पर काम कर रहे है! कौन है वो आपका मोहरा ?

जब्बार:" इतनी जल्दी ठीक नही होती, सही वक्त आने पर सबको पता चल जायेगा!

राधिका कुछ नही बोली और थोड़ी देर के बाद दोनो एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगे! वहीं सलीम रोज की तरह जब्बार की बीवी शमा के साथ था और शमा ने आज फिर से उसका लंड चूसकर उसे मजा दिया था और सलीम को पूरी तरह से अपने बस में किया हुआ था! सलीम इतना भोग विलासी बन गया था कि उससे शमा के अलावा कुछ नजर नही आता था जिसका फायदा जब्बार जमकर उठा रहा था और एक एक अपने विश्वास पात्रों को राज्य में महत्त्वपूर्ण पद दे रहा था ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद से तख्ता पलट सके!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
धीरे धीरे शाम गहराने लगी और अजय दिन भर राज्य के काम देखने के बाद अपने घर पहुंच गया तो उसकी माता मेनका बोली:"

" कैसा रहा पहला दिन पुत्र ?

अजय आराम से बेड पर बैठ गया और बोला:" अच्छा रहा माता, बस दिन भर लोगो से मुलाकात करी और अभी की सुरक्षा पद्धति का जायजा लिया ताकि आगे इसमें जरूरी बदलाव कर सकू!

मेनका:" ये तो बहुत अच्छा किया आपने! काफी थक गए होंगे मैं आपके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हु!

इतना कहकर मेनका चली गई और थोड़ी देर बाद एक दूध का ग्लास लेकर आ गई और अजय तो दिया तो अजय दूध पीते हुए बोला:"

" माता मेरे सेनापति बनने के बाद मैने आपको कोई तोहफा नही दिया है ! आपको बुरा तो नही लगा ना?

मेनका:" नही पुत्र, तुम सेनापति बन गए हो यही मेरे लिए असली तोहफा है!

अजय ने दूध का ग्लास खाली करके एक तरफ रख दिया और अपने बैग को खोलते हुए बोला:"

" माता मैं आपके लिए कुछ तोहफा लेकर आया हु! उम्मीद हैं आपको पसंद आयेगा!

इतना कहकर उसने बैग को खोला और एक बड़े से पैकेट को मेनका की तरफ बढ़ा दिया जिसे मेनका ने उत्सुकता से थाम किया और बोली:"

" पुत्र वैसे तो तोहफे की जरूरत नही थी! लेकिन ले आए हो तो ठुकराना सही नही होगा!

इतना कहकर वो पैकेट को खोलने लगी और जैसे ही पैकेट खुला तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसमे दो बेहद आकर्षक और रंगीन साडिया थी! मेनका थोड़ी देर तक अजीब सी नजरो से साडिया देखती रही और फिर बोली:"

" पुत्र ये सब मेरे लिए नही हैं! मुझे माफ करना लेकिन मैं ये तोहफा नही ले सकती!

अजय उसकी बात सुनकर बेड से खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर बोला:"

" ऐसा न कहे माता! क्या आपको पसंद नहीं आया क्या ?

मेनका उसके द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने से कांप उठी और बोली:" बात पसंद की नही है पुत्र, रंगीन कपड़े अब मेरी जिदंगी का हिस्सा नही हैं!

अजय:" लेकिन माता आपको समझना चाहिए कि रंगीन कपड़ो में आप बेहद आकर्षक लगती हैं! क्या मैं झूठ बोल रहा हूं!

मेनका ने उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली:" बात वो नही हैं कि मैं कैसी लगती हूं बात ये है कि समाज मुझे इसकी इजाजत नही देता!

अजय उसके ठीक सामने आ गया और बोला:" लेकिन आपने जब मुझे तलवार देने के लिए रंगीन कपड़े पहने तो तब आपको समाज की चिंता नहीं हुई ?

मेनका ने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली:" वो सब मैने परंपरा को निभाने के लिए किया ये तुम अच्छे से जानते हो!

मेनका: ठीक हैं लेकिन आपको वो रंगीन कपड़े पहन कर खुशी नही हुई थी क्या ?

मेनका एक पल के लिए खामोश हो गई और फिर कुछ अपनी नजरे नीचे करके कुछ सोचते हुए बोली:" नही बिलकुल नही हुई थी पुत्र, मुझे कोई खुशी नही हुई थी!

अजय ने उसका झूठ साफ पकड़ लिया और बोला:" तो फिर आप नजरे चुरा क्यों रही हैं ? हिम्मत हैं तो मेरी आंखो मे आंखे डालकर कहिए कि खुशी नही हुई थीं!

मेनका का पूरा बदन काम कांप उठा और नजरे नीचे किए हुए ही बोली: रात होने लगी हैं मुझे खाना बनाना होगा!

इतना कहकर वो जाने लगी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" ये कोई बात नहीं हुई माता! ये मेरे सवाल का जवाब नही हैं! पहले मेरे सवाल का जवाब दीजिए आप!

मेनका कुछ नही बोली और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन अजय की मजबूत पकड़ से आजाद नही हुई और बोली:"

" अजय मुझे कोई खुशी नही हुई थी बस अब खुश हो ना! अब मेरा हाथ छोड़ो!

अजय ने उसका हाथ पकड़े रखा और बोला:" अगर खुशी नही हुई तो फिर आप कल रात को फिर से नीचे रंगीन कपड़े क्यों पहने हुई थी माता?

अजय की बात सुनकर मेनका का दिल तेजी से धड़क उठा और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया और कुछ नही बोली तो अजय फिर से बोला:"

" जवाब दीजिए ना माता आप! मैं आपसे ही पूछ रहा हूं!

मेनका ने झुकी हुई नजरो से बस इतना ही कहा:" मुझे कुछ नही पता पुत्र!

अजय जानता था और उसकी मां सच बोलने के हिम्मत नही जुटा पा रही है तो बोला:"

" मैं जानता हूं माता कि आप खुद को रंगीन कपड़ो में देखना पसंद करती हूं! आप ही क्या दुनिया की हर नारी को खुद को खूबसूरत देखना अच्छा लगता हैं! बस इसलिए मैं आपके लिए रंगीन साड़िया ले आया था ताकि आपको थोड़ी खुशी से सकू!

मेनका उसकी बात सुनकर चुप खड़ी रही तो अजय आगे बोला:"

" माता मैं ये साड़ी आपकी अलमारी में रख दूंगा! जब आपका मन करे पहन लेना! आपकी खुशी में ही मेरी खुशी हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर थोड़ा मायूस होती हुई बोली:"

" लेकिन बेटा मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करो, ये समाज के नियमो के खिलाफ हैं!

अजय ने उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर किया और बोला:"

" लेकिन इससे आपको खुशी मिलती हैं मेरे लिए इतना बहुत हैं माता! समाज और उसके नियम मेरे लिए मायने नहीं रखते

अजय की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत मिली लेकिन अभी भी मेनका का चेहरे लाल हुआ था और आंखे शर्म से झुका हुई थी और बोली:"

" लेकिन पुत्र किसी ने मुझे ऐसे कपड़ो में देख लिया तो समाज मुझे जीने नही देगा!

अजय उसकी बात सुनकर समझ गया कि उसकी माता उसकी बात को समझ रही थी तो अजय ने एक हाथ अब उसके कंधे पर रख दिया और बोला:"

" कोई नही देखेगा, आप बस आराम से नीचे कमरे में जाकर पहन लेना और अपनी खुशी पूरी करना!

अजय की बात सुनकर मेनका को कल रात की बात याद आ गई कि कैसे कल वो खुद को देखकर बेकाबू हो गई थी और अजय ने भी उसे देख लिया था तो ये सोचकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और बोली:

" लेकिन पुत्र फिर भी ये सही नही है, मुझे ऐसा नही करना चाहिए!

अजय अब थोड़ा सा उसके करीब आया और उसके दोनो कंधो को थामते हुए बोला:"

" आपको रंगीन कपड़ो में खुद को देखकर खुशी मिलती है या नहीं?

मेनका थोड़ी देर चुप रही तो अजय ने उसके कंधे को हल्का सा दबाया और बोला:

" बताए ना माता? मैं आपसे ही बात कर रहा हूं! आपको मेरी कसम हैं!

उसकी कसम वाली बात सुनकर मेनका ने अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो अजय समझ गया कि उसकी मां झिझक महसूस कर रही है तो उसने उसके कंधो को हल्का सा दबाते हुए कहा:"

" ऐसे नही मुंह से बोलिए न माता आप!

उसकी बात सुनकर मेनका ने फिर से शर्म से मुंह खुला लिया और धीरे से हिम्मत करके बोली:"

" हान मुझे खुशी मिलती है!

मेनका की बात सुनकर अजय खुशी से भर उठा और कंधो को थोड़ा सख्ती से सहलाते हुए बोला:" ऐसे नही माता, ये बताओ कि क्या करके खुशी मिलती है?

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसे गुस्से से घूरकर देखने लगी तो अजय बोला;" ऐसे घूरने से काम नहीं चलेगा माता, बताए ना क्या करके खुशी मिलती है!

अजय की बात सुनकर मेनका अंदर तक कांप उठी और उसका दिल अब तेजी से धड़क रहा था और उसने अपनी गर्दन को इसके कंधे पर टिका दिया और बोली:

" मु मु... मु.. मुझे रंगीन कपड़े पहन कर बेहद खुशी मिलती है!

इतना कहकर मेनका ने शर्म से पानी पानी होकर अपना मुंह नीचे पूरी तरह से उसके कंधे पर टिका दिया और खड़ी खड़ी कांपने लगीं तो अजय ने हिम्मत करके उसकी कमर पर अपने हाथ बांध दिए और मेनका शर्म से लजाती हुई उससे कसकर लिपट गई तो अजय ने भी उसे अपनी मजबूत बांहों में भर लिया और बोला:"

" मेरे द्वारा लाई हुई रंगीन साडिया आपको पसंद आई है ना माता ?

अजय की बात सुनकर मेनका का बदन मचल पड़ा और मेनका ने अपना मुंह शर्म से उसकी चौड़ी छाती में छुपा लिया तो अजय ने पहली बार बिना किसी डर और शर्म के उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और दोनो की नजरे आपस मे टकरा गई और अजय उसकी आंखो में देखते हुए बोला;"

" बताए ना माता आपको पसंद आई रंगीन साडिया या नहीं ?

मेनका अब चाह कर भी अपना चेहरा नीचे नही कर सकती थी इसलिए हिम्मत करके उसकी आंखो में देखते हुए धीरे से बोली:"

" हान पसंद आई, मुझे बेहद ज्यादा पसंद आई!

मेनका के मुंह से पूर्ण स्वीकृति मिलते ही अजय की हिम्मत बढ़ गई और अजय अपने अंगूठे को उसके कांपते हुए होंठो पर फेरते हुए बोला:"

" आप इन्हे खुशी खुशी पहनोगी न माता?

अजय के सख्त अंगूठे के अपने नाजुक होंठो को छूते ही मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उससे कसकर लिपटते हुए बोली:"

" हान पहनूंगी, जरूर पहनुगी!

अजय ने भी अब मेनका को अपनी बांहों में कस लिया और दोनो मां बेटे एक दूसरे से लिपट पड़े! ऐसे ही काफी देर तक दोनो एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे और फिर मेनका बोली:"

" अच्छा अब छोड़ो मुझे, खाना बनाना होगा!

उसकी बात सुनकर अजय ने उसे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और मेनका ने साड़ीया उठाई और फिर अपने कक्ष की ओर चल पड़ी! जैसे ही वो बाहर जाने वाली थी तो अजय पीछे से बोला:"

" माता कल दिन में मैं नीचे कक्ष में आपके लिए नए बड़े बड़े शीशे लगवा दूंगा ताकि आपको और ज्यादा खुशी मिले!

उसकी बात सुनकर मेनका पलटी और उसे थप्पड़ मारने का इशारा करके बाहर निकल गई तो अजय के होंठो पर मुस्कान आ गई!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम करीब 10 बजे महल से निकला और सुल्तानपुर में दाखिल हो गया! पहरेदार को उसने बताया कि वो रहीम से मिलने के लिए जा रहा है तो उसने मुझे जाने की इजाजत दे दी और उसके बाद विक्रम कल्लू सुनार की दुकान पर पहुंच गया और बोला;"

" मुझे कुछ कीमती अंगूठियां चाहिए थी!

कल्लू जो कि अपनी दुकान बंद की करने वाला था एक अजनबी ग्राहक को देखकर हैरान हुआ लेकिन खुश होते हुए बोला:"

" ठीक है आपको को मैं कुछ नायब चीज दिखाता हु!

कल्लू अपनी अलमारी से अंगूठियां निकालने लगा और विक्रम ने मौका देखकर उसे पीछे से दबोच लिया और थोड़ी ही देर बाद वो बेहोश उसकी बांहों में झूल रहा था! विक्रम ने दुकान को अंदर से बंद कर दिया और इंतजार करने लगा! 11 बजे के आस पास उसने सावधानी से दरवाजा खोला और इधर उधर देखते हुए दुकान को बंद किया और फिर कल्लू को अपने कंधे पर डालकर महल के पीछे के हिस्से में आ गया और सावधानी से इधर उधर देखते हुए गुफा में दाखिल हो गया और गुफा के मुंह को बंद करके अंदर की तरफ चल पड़ा!

वहीं दूसरी तरफ आज सलमा बेहद खुश थी क्योंकि दो दिन के बाद विक्रम उससे मिलने आ रहा था और सलमा के तन बदन में सिरहन दौड़ रही थी,सलमा बार बार शीशे में खुद को निहार रही थी और सीमा से बोली;"

" सीमा हमारे लिए चमेली के फूलो का गजरा ले आई हो ना ?


सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" जी शहजादी देखिए ये रहा लेकिन रात को गजरा लगाकर कहां जाने वाली हो आप ?

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली "

" कहीं नहीं, बस ऐसे ही पहनने का मन किया था तो पहन लिया!

सीमा:" पहेलियां ना बुझाए शहजादी, आपके चेहरे की खुशी कुछ ओर ही बयान कर रही है!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और बोली:" बहुत बाते करती हो तुम, चलो जल्दी से ये गजरा मेरे बालो में लगा दो!

उसकी बात सुनकर सीमा उसके बालो में चमेली के फूलो का गजरा लगाती हुई बोली:

" क्या युवराज विक्रम से मिलने वाली हो आप आज? मुझे बता देंगी तो मैं कुछ मदद ही कर दूंगी आपकी!

उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गई और बोली:" नही नही, ऐसा कुछ नही है सीमा!

सीमा उसके बालो में गजरा लगाकर बोली:" लेकिन आपकी आंखों की चमक, चेहरे की खुशी, होंठो की कंपकपाहट और बढ़ती हुई दिल की धड़कन कुछ और ही कह रही है शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर बुरी तरह से शर्म गई और बोली:"

" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे!

इतना कहकर सलमा शीशे के सामने अपने बालो में लगे गजरे को देखते लगी और सीमा उसके करीब आकर खड़ी हो गई और बोली:" आपके गजरे के फूलो की महक बेहद सुगंधित हैं शहजादी! विक्रम तो आज गए काम से !

सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्मा गई और उसे थप्पड़ दिखाती हुई बोली:

" बेशर्म कहीं की, कुछ भी बोलती रहती हो!

सीमा ने उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे छेड़ते हुए बोली:" हाय देखो तो कैसे शर्म आ रही है हमारी शहजादी को और जब विक्रम आयेंगे तो उनके गले लग जाओगी!

सलमा को उसकी बाते सुनकर मस्ती आ रही थीं और उसका जिस्म अंदर ही अंदर मचल रहा था, उछल रहा था लेकिन वो दिखावे के साथ सीमा को डांटती हुई उसके कान खींचती हुई बोली:" तेरे जैसी बेशर्म मैने आज तक नही देखी!

सीमा उसे तिरछी नजरों से देखते हुए मुस्कुरा कर बोली:"

" थोड़ी देर बाद जब विक्रम की गोद में बैठी हुई होगी तब सोचना कौन ज्यादा बेशर्म हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह बेहद शर्म से लाल हो गया और वो पानी पानी हो गई जिससे उसकी सांसे बेहद तेज हो गई थी फिर उसने सीमा को खींचकर बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके दोनो को पकड़ते हुए बोली:"

" कितनी बार कहूं कि कोई नही आ रहा है! मेरा यकीन करो सीमा!

सीमा उसके नीचे दबी हुई हंसती हुई उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोली:"

" ठीक है शहजादी, लेकिन आप की ये बेकरारी और बढ़ी हुई सांसे कुछ और ही बयान कर रही है मानो किसी के आने का बेताबी से इंतजार कर रही है!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और फिर जोर से उसके हाथ मोड़ते हुए बोली:"

" लगता हैं तुम ऐसे नही मानोगी! अभी ठीक करती हू तुम्हे!

सलमा की ताकत के आगे सीमा मजबूर हो गई और चाहकर भी अपने हाथ नही छुड़ा सकी तो फिर से सलमा को छेड़ते हुए बोली:" लगता हैं हमारे शहजादी भी खूब ताकत वाली हैं मतलब विक्रम को आसानी से कुछ भी मिलने वाला नही हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्म गई और तभी उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी तो उसके हाथ छोड़कर बोली:"

" चल बहुत हो गया मजाक, अब रात बहुत हो गई है तो मुझे सोने दो!

सीमा जानती थी कि आज जरूर कोई न कोई बात तो हैं लेकिन वो जानती थी कि सलमा उसे खुद ही बाद में सब बता देगी तो खड़ी हुई और बोली:"

" अच्छा शहजादी मैं चलती हु अपना ध्यान रखना!

इतना कहकर सीमा चल पड़ी और सलमा भी कक्ष के दरवाजे तक उसके साथ आई और सीमा उसे शरारती मुस्कान देकर चली गई और उसके जाने के बाद सलमा ने दरवाजे को बंद किया और अपने कपड़े ठीक करने लगी ! उसने एक बार खुद को शीशे में देखा और फिर धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम का इंतजार करने लगी!!

विक्रम गुफा में घुस गया था और कल्लू को अपने कंधे पर डाले आगे बढ़ रहा था! जैसे ही वो गुफा के अंत में पहुंचा तो उसने कल्लू को नीचे फेंक दिया और उसके हाथ पैर बांध कर जैसे ही गुफा के बाहर सावधानी से कदम रखा तो उसे सामने ही सलमा खड़ी नजर आई! अंधेरा काफी था क्योंकि जान बूझकर सलमा ने सभी मशाल बुझा दिए थे ताकि विक्रम को को देख न सके!

सलमा धीरे धीरे आगे बढ़ती हुई और उसके करीब आई और देखते ही देखते उसकी बांहों में समा गई और दोनो ने एक दूसरे को पूरी ताकत से अपनी बांहों में कस लिया और सलमा बोली:"

" आपको आने में कोई दिक्कत तो नही हुई न युवराज!

विक्रम ने उसका माथा चूम लिया और बोला:" कोई दिक्कत नहीं हुई शहजादी! वैसे भी आपका चेहरा देखकर मेरी हर दिक्कत अपने आप दूर हो जाती हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसका हाथ पकड़ कर अपनी साथ आने का इशारा किया तो विक्रम ने शहजादी का हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और बोला:"

" आपके लिए एक गिफ्ट लेकर आया हु! पहले आप देख लीजिए एक बार!

सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और विक्रम उसका हाथ पकड़ कर गुफा में फिर से वापिस घुस गया और हल्के अंधेरे मे भी कल्लू सुनार को देखते ही सलमा हैरान हो गई और बोली:"

" आप इसे कहां से उठा लाए युवराज? आपको किसी ने देखा तो नही!

विक्रम:" नही किसी ने नहीं देखा! मौका देखकर इसकी दुकान से ही उठा लिया! अब ये सारी सच्चाई आपके सामने बोल देगा!

विक्रम ने कल्लू सुनार के मुंह पर पानी की कुछ बूंदे डाली तो उसे होश आ गया और अपने आपको अनजान गुफा में पाकर इधर उधर देखने लगा और जैसे ही उसकी नजर सलमा पर पड़ी तो उसके पैर पकड़ लिए और बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए शहजादी! मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई है!

सलमा ने उसकी तरफ नफरत से देखा और बोली:" किसके कहने पर तुमने सीमा को फंसाया था ?

कल्लू सुनार को काटो तो खून नहीं, उसे समझा नही आया कि क्या कहे तो वो सलमा के पैर पकड़ कर रोने लगा और बोला:"

" वो मुझे मार डालेगा शहजादी! मुझे माफ कर दीजिए और जाने दीजिए!

सलमा उसकी बात समझ गई और बोली:" ठीक हैं अगर तुम नही बताओगे तो मैं तुम्हे मार डालूंगी! लेकिन अगर बता दोगे तो मदद करूंगी और कुछ नही होने दूंगी!

कल्लू जानता था कि सलमा अपने वादे की पक्की हैं तो वो थोड़ा सुकून महसूस करते हुए बोला:" मेरे पास जब्बार का भाई जुबेर आया था और उनके साथ मंत्री प्रकाश भी था! मैने मना किया तो मेरे परिवार को मारने की धमकी देने लगे जिस कारण मुझे मजबूरी में ये सब करना पड़ा! मुझे माफ कर दीजिए!

इतना कहकर वो सलमा के पैर पकड़ कर फूट फूट का रो पड़ा तो सलमा ने उसे उठाया और विक्रम से बोली:"

" युवराज इस सारे मामले की असली जड़ जब्बार ही हैं! इस बेचारे का कोई दोष नही हैं! आप इसे जाने दीजिए!

विक्रम ने हैरानी से शहजादी की तरफ देखा और सलमा के साथ उसे गुफा के बाहर तक छोड़ने के लिए चल पड़ा! विक्रम ने सलमा को कुछ इशारों में समझाया तो सलमा खामोश हो गई! चलते हुए कल्लू बोला:"

" आप कौन हैं ? आपको पहली बार देखा हैं यहां!

विक्रम ने एक बार सलमा की तरफ देखा और बोला:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु और शहजादी सलमा से प्रेम करता हु! शहजादी की तरफ उठने वाली हर आंख को मैं फोड़ दूंगा!

सलमा को हैरानी हुई कि विक्रम ने कल्लू के सामने सब सच क्यों बता दिया क्योंकि कल्लू उनके लिए बड़ा खतरा बन सकता था लेकिन चुप रही! जैसे ही दोनो गुफा के अंत में पहुंचे तो विक्रम ने कल्लू का मुंह फिर से बांध दिया और उसका हाथ पकड़कर सावधानी से आगे बढ़ गया और सलमा उन्हे जाते हुए देख रही थी लेकिन उसे समझ नही आ रहा था कि विक्रम उसके साथ बाहर क्यों जा रहा है और शहजादी की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि अचानक से विक्रम ने कल्लू को उठाकर दलदल के अंदर फेंक दिया और मुंह बंधा होने के कारण कल्लू चीख भी नही सका और देखते ही देखते दलदल के अंदर समा गया!

विक्रम फिर से वापिस गुफा के अंदर आ गया और सलमा उसे हैरानी से देखते हुए बोली:"

" ये आपने क्या गजब कर दिया युवराज? हमने उसे वादा किया था कि उसकी मदद करेंगे!

विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और अंदर चलते हुए बोला:"

" आप बहुत भोली हो सलमा, ये सब कुछ जाकर जब्बार को बता देता और उसके बाद आप समझ सकती हो कि क्या हो सकता था!

सलमा उसकी बात सुनकर सब समझा गई और चलती हुई बोली:" ये तो मैने सोचा ही नही था! अच्छा किया आपने जो उसे मार दिया, बाद में इसके घर वालो को मैं मदद कर दूंगी!

दोनो उसके बाद एक दूसरे का हाथ थामे अंदर की तरफ चल पड़े और अचानक सलमा किसी चीज से टकराकर गिरने को हुई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सलमा खुद को उसकी बांहों में सुरक्षित पाकर खुश हो गई और बोली:"

" आपने हमे बचा लिया युवराज! हल्के अंधेरे में हम शायद पत्थर से टकरा गए थे!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया तो सलमा हैरान होते हुए बोली:"

" अरे आपने हमे गोद में क्यों उठा लिया युवराज! हम कोई छोटी बच्ची नही हैं!

विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी भारी भरकम गांड़ के नीचे लगाकर उसे अच्छे से संभाल लिया और बोला:"

" आप अंधेरे में गिर गई तो चोट आयेगी और मेरे होते आपको चोट आए ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता सलमा!

विक्रम की बात सुनकर सलमा ने उसका गाल चूम लिया और अपनी दोनो बांहों का हार उसके गले में पहना दिया और विक्रम उसे लेकर आगे बढ़ गया! गुफा से बाहर निकल कर विक्रम उसे गोद में लिए हुए ही उसके कक्ष तक पहुंच गया और कक्ष में पहुंचते ही रोशनी में उसने सलमा को देखा और उसका गाल चूम लिया तो सलमा शर्म गई और उसकी गोद से उतरकर अपने कक्ष का दरवाजा अच्छे से बंद किया और फिर विक्रम की तरफ पलट कर मुस्कुराने लगी!


IMG-20240107-205443
private image upload


सलमा और विक्रम दोनो ही एक दूसरे की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगे और दोनो की बांहे अपने आप खुल गई और एक दूसरे की बाहों में समा गए और कसकर लिपट गए! विक्रम ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर में लपेट लिया और बोला:"

" अह्ह्ह सलमा मेरी शहजादी! अब जाकर दिल को सुकून मिला! आपको बता नही सकता कि मैं कितना बेचैन था आपको देखने के लिए सलमा!

सलमा भी उससे कसकर लिपटी हुई थी और उसके हाथो को अपनी कमर पर महसूस करके उसके कानो में मिश्री सी घोलती हुई बोली:

" हमे भी युवराज! आपके बिना हमे भी कुछ अच्छा नही लगता! आप आ गए हो तो लगता हैं सब कुछ मिल गया!

विक्रम उसकी कमर हल्के हल्के सहलाते हुए बोला:"

" क्या कहूं शहजादी आप मेरी बांहों में हो तो लगता हैं सारी दुनिया मेरी बांहों में सिमट आई हैं

सलमा उसकी बात सुनकर खुश हो गई और उसकी गर्दन पर अपने हाथो की पकड़ मजबूत करते हुए बोली:"

" ओह मेरे युवराज! सच में इतना ज्यादा प्यार करते हो मुझसे?

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए प्यार से विश्वास के साथ बोला:"

" इससे भी कहीं ज्यादा सलमा! चाहो तो मुझे आजमा कर जान मांग लो मेरी!

सलमा ने उसकी बात सुनकर प्यार से अपनी उंगली को उसके होंठो पर रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा बोली:"

" जान नही चाहिए क्योंकि मेरी जान तो आप हो युवराज! उस दिन जब आपने सैनिकों के सामने तलवार छोड़ दी थी तभी मैं समझ गई थी कि आप मुझसे कितना प्यार करते हो! क्या आप मुझे मेरी उस गलती के लिए दिल से माफ कर दोगे युवराज?

इतना कहकर सलमा की आंखे भर आई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में पूरी ताकत से समेट लिया और बोला:"

" खुदा के लिए उस बात को भूल जाए शहजादी! आओ जो पल हमे मिले हैं बस इनमे अपनी खुशी ढूंढते हैं!

सलमा ने उसकी बात सुनकर उसका गाल चूम लिया और विक्रम ने एक के बाद एक चुंबन की उसके गालों पर झड़ी सी लगा दी और सलमा शर्म से उसकी छाती में सिमट गई! विक्रम ने दोनो हाथों से उसका खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए मुस्कुरा दिया तो सलमा भी उसकी आंखो मे आंखे डालकर मुस्कुरा उठी और दोनो बिना पलके झुकाए ऐसे ही एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और आखिर कार सलमा की आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके सिर पर बंधे हिजाब से उसकी उंगलियां टकरा गई तो सलमा की सांसे तेज हो गई और विक्रम की बांहों में खुद को ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसका इशारा समझते हुए उसकी हिजाब को खोल दिया और सलमा का सिर पूरी तरह से नंगा हो गया और उसके बालो में सफेद चमेली के फूलो का खूबसूरत महकदार गजरा नजर आया और विक्रम ने मदहोश होकर उसे जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा उसकी बांहों में सिसक उठी और बोली:" अह्ह्ह्ह थोड़ा प्यार से युवराज, मेरी हड्डियां तोड़ डालोगे क्या आज !

विक्रम ने अपने मुंह को उसके गजरे के पास किया और उसके गजरे से उठती हुई खुशबू सूंघकर मदमस्त हो गया और प्यार से उसके कंधे थामकर बोला:"

" आपका गजरा बेहद आकर्षक और खुशबूदार है सलमा! इससे उठती हुई खुशबू हमे मदहोश कर रही है शहजादी!

सलमा अपने गजरे की तारीफ सुनकर उससे दीवानी सी होकर लिपट गई और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आपके लिए ही पहना हैं मेरे युवराज! मेरी खुशकिस्मती कि आपको पसंद आया!

विक्रम ने अब अपने हाथो को उसकी कमर में लपेट लिया उसकी कमर में उंगली गड़ाते हुए और उसके गाल चूमते हुए बोला:"

" शुक्रिया मेरी शहजादी! लेकिन लगता हैं कि आप हमसे कुछ नाराज हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर तड़प उठी और उसका मुंह चूम कर बोली:" ऐसा न कहे युवराज! हमारी जान निकल जायेगी, क्या खता हो गई मुझसे?

विक्रम ने उसके बुर्के पर हाथ रख दिया और बोला:" आप अभी भी हमसे शर्माती है शहजादी! क्या आपको इतने कपड़े की जरूरत है सच में?

सलमा उसकी बात का मतलब समझकर कांप उठी क्योंकि वो जान गई थी कि विक्रम उसके बुर्के को उतारने की बात कर रहा है तो सलमा धीरे से उसके कान में बोली:"

" हम अपना कजरा आपसे छिपाकर रखना चाहते थे, बस इसलिए पहना लिया था!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसके बुर्के की चैन पर हाथ रख दिया और उसके रसीले होंठों पर अपनी उंगली फेरते हुए बोला:"

" आपका कजरा तो हमने देख ही लिया शहजादी! अगर आपकी इजाजत हो तो क्या हम आपका बुर्का उतार दे ?

विक्रम की बात सुनकर सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो जोर से विक्रम के गाल चूम कर बोली:" कुबूल है कुबूल है कुबूल है!!

उसकी इस अदा पर विक्रम मर मिटा और उसने बिना देर किए उसके बुर्के की चैन को खोल कर उसे उतार दिया और सलमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसका सहयोग लिया और सलमा अब बिना बुर्के के सिर्फ एक कसे हुए सूट सलवार में उसके सामने खड़ी हुई थी और विक्रम ने एक नजर उसके जिस्म पर डाली और उसकी नजर सलमा की गोल गोल ठोस चुचियों के उभार पर पड़ी जो सूट से झांक रही थी और ये देखते ही विक्रम बोला:"

" आप बिना बुर्के के ज्यादा खूबसूरत लगती है शहजादी!


सलमा उसकी बात का मतलब समझकर शर्मा गई और बेड की तरफ चल पड़ी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा तो शहजादी सलमा उसके गर्म तपते होंठ अपनी गर्दन पर महसूस करते ही पिघल गई और मदहोशी से सिसकी:"

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज! छोड़ दीजिए ना हमे! ऐसे मत छेड़िए हमे!

सलमा की सिसकी सुनकर विक्रम को उसकी मदहोशी का अंदाजा हो गया और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर रखा और हल्के हल्के सहलाते हुए उसके गजरे की महक सूंघ कर बोला:"

" ओह मेरी सलमा, आपके गजरे की महक हमे बहका रही है, खुदा ने आपको बस मेरे लिए बनाया हैं मेरी शहजादी!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी चुचियों को हल्का हल्का मसलना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से मस्ती भरी आह निकलने लगी और विक्रम ने जैसे ही उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चूस लिया तो सलमा के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और वो पलट कर विक्रम से कसकर लिपट गई तो विक्रम ने अपने होठों को उसके कांप रहे होंठो पर टिका दिया और चूसने लगा तो सलमा भी उसके होंठ चूसने लगी और देखते ही देखते दोनो की जीभ एक बार से टकरा पड़ी और सलमा ने खुद को विक्रम की बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसकी गर्दन में बांहे डाले लिपटी हुई उसके होंठो को चूसती रही! विक्रम ने उसे गोद में लिए हुए बेड पर आ गया और उसके उपर चढकर उसके होंठो को चूसने लगा सलमा विक्रम को उपर उपर चढ़ा देखकर उत्तेजित होने लगी और अपनी टांगो को पूरा खोल दिया तो विक्रम ने उसकी टांगो को अपनी टांगो में जोर से कस लिया और अपनी जीभ को सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने उसकी लसलसी जीभ को लपक लिया और जोर जोर से उसकी जीभ चूसने लगी!


20240107-171301



20240107-171301
सलमा के हाथ अब विक्रम की गांड़ पर जम गए थे और मदहोशी में सलमा उसकी गांड़ को सहला रही थी! सलमा की सांसे बुरी तरह से उखड़ गई थी और उसकी चूचियों के सख्त तने हुए निप्पल कपड़ो के उपर से ही विक्रम की छाती में घुसने का प्रयास कर रहे थे! एक किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो विक्रम ने उसके सूट को उठा दिया और सलमा ने मदहोशी में अपने दोनो हाथों को उठा लिया और विक्रम ने उसके सूट को उतार कर फेंक दिया और सलमा की मस्तानी चूचियां एक सफेद रंग की ब्रा में विक्रम के सामने आ गई और विक्रम ने उसकी चुचियों को देखा तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और विक्रम ने हाथ आगे बढाया और उसकी चुचियों को ब्रा के उपर से ही अपने हाथो में भर लिया और कस कस कर दबाने लगा तो सलमा के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपने हाथो को उसके हाथो पर टिका दिया और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सीत्कार निकलने लगी

" अअह्ह्ह्ह सीईईईईईई नहीईईईईई, अअह्ह्ह्ह धीरे ईईईईई विक्रम दर्द होता हैंईईईईईईईईईई

सलमा की सिसकियां सुनकर विक्रम पूरे जोश में आ गया और कस कस कर उसकी चूचियों को मसलने लगा मानो उसकी छातियों को सपाट कर देना चाहता हो और सलमा की घमंडी चूचियां वो जितनी जोर से दबाता वो उससे कहीं ज्यादा जोर से उछल कर उसके हाथो में फिर से समा जाती!


20240107-172312



विक्रम का लंड अपनी पूरी सख्ती में खड़ा हो गया था और सलमा की जांघो में ठोकर मार रहा था जिससे सलमा पूरी तरह से उत्तेजित हुई जा रही थी और सलमा खुद ही अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड पर रगड़ने लगी तो विक्रम ने उसकी ब्रा के कप हटाकर उसकी चुचियों को आजाद कर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसकी दोनो नंगी चूचियों को अब पूरी तरह से अपनी चौड़ी हथेली में भर लिया तो सलमा को यकीन हो गया कि उसकी चूचियां विक्रम के लिए ही खुदा से बनाई है तो सलमा अपनी गर्दन उचकाकर उसके होंठो को चूसने लगी जिससे उसकी चूचियां उभर कर विक्रम के हाथो में आ गई और विक्रम ने कसकर उसकी नंगी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया तो सलमा से उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसका जिस्म बेड पर पड़े पड़े उछलने लगा तो विक्रम ने उसे अपने नीचे कस लिया और उसके होंठो को चूसने हुए उसकी चुचियों की अकड़ कम करने की कोशिश करने लगा और सलमा उत्तेजना से कभी उससे जोर से लिपटती तो कभी अपने हाथो से बेडशीट को कसकर दबोच लेती! दोनो को सांस लेने में दिक्कत हुई तो विक्रम ने उसके होंठो को आजाद करते हुए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और सलमा के पेट को सहलाते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा पकड़ लिया तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो बेड पर ही जोर से उछल पड़ी वो उसकी आधे से ज्यादा चूची विक्रम के मुंह से समा गई और विक्रम ने उसे जोर से चूस लिया और एक झटके के साथ उसकी सलवार का नाड़ा खुल गया तो सलमा के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह ये क्या कर दियाआआ यूईईईईईईईई अम्म्मीईईईईईई ! हाय अल्लाह उफफ्फफ्फ, अअह्ह्ह्ह्ह युवराज मैं मर जाऊंगीगिईईईई

विक्रम ने उसके मुंह को चूम लिया और सलमा की दोनो चुचियों को मस्ती से सहलाते हुए सिसक उठा:"

" अह्ह्ह्ह् मेरी शहजादीईईईईईई, कुछ नही होगाआआआआआ, अअह्ह्ह्ह कैसा लग रहा है मेरी जान सलमाआआआआआआ

इतना कहकर विक्रम ने उसकी सलवार को नीचे सरकाना शुरू कर दिया और सलमा मदहोश सी पड़ी हुई अपनी सलवार उतरने दे रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को उसकी सलवार से आजाद कर दिया तो सलमा बावली सी होकर उससे कसकर लिपट गई और बिस्तर भी अपने जिस्म को पटकते हुए जोर जोर से सिसकियां भरने लगी तो विक्रम ने सलमा को अपने नीचे कस लिया और उसके बालो में लगे हुए गजरे को खोल दिया और सलमा की काले बादल जैसी जुल्फे लहरा उठी और विक्रम को सलमा और ज्यादा कामुक नजर आई और उसने उसके होठों को चूसते हुए अपने कपड़ो को भी उतार दिया और अब विक्रम अब अंडर वियर में सलमा के उपर चढ़ा हुआ था और उसका भारी भरकम शक्तिशाली लंड सलमा की भीगी हुई पेंटी से छू रहा था जिससे सलमा पागल सी हुई जा रही थी और उसने अपने टांगो को विक्रम की टांगो में कस लिया और जोर जोर से उसकी कमर को अपनी चूत पर दबाने लगी! सलमा पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से चिकनी होकर उसकी पैंटी को पूरा गीला कर चुकी थी जिस पर विक्रम का लंड टकराने से फच फच की आवाज आ रही और सलमा विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपनी गांड़ को पूरी ताकत से उठा उठा कर पटक रही थी और विक्रम गजरे की महक से पागल सा हो गया और गजरे को सलमा की आंखो के सामने किया और उसकी चूत पर लंड के जोरदार धक्के मारते हुए मदहोशी से सिसक उठा:"

" मेरी शहजादी का महकता गजरा, हाय सलमा आपके गजरे ने मुझे बेहाल कर दिया है मेरी जान!

इतना कहकर विक्रम ने गजरे को चूम लिया तो सलमा ने भी गजरे को चूम लिया और अपनी गांड़ उठाकर उसके धक्कों का जवाब देती हुई सिसक उठी

" अअह्ह्ह्ह्ह् युवराज! मेरे सरताज आपकी जान सलमा का गजरा !

विक्रम ने जोश में आकर गजरे में से एक फूल की पत्ती को तोड़ दिया और अपनी जीभ पर रखकर सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा पागलों के जैसे उसकी जीभ चूसने लगी और पूरी ताकत से अपनी चूत को उसके लंड पर उछालने लगी क्योंकि उसकी चूत में उसे अदभुत सिरहन का एहसास होना शुरू हो गया था और दोनो की एक दूसरे के होंठो को चूसते हुए एक दूसरे के धक्को का शक्तिशाली जवाब दे रहे


20240107-172053
सलमा की गोल गोल गुम्बद जैसी ठोस चूचियां अब विक्रम पूरी सख्ती से मसल रहा था, रगड़ रहा था कस कस कर दबा रहा था और विक्रम ने जोर का धक्का लगाया तो सलमा की पेंटी उसकी चूत पर से हट गई और उसकी पूरी चिकनी एक दम नंगी होकर लंड के सामने आ गई और जैसे ही सलमा ने जोर से अपनी गांड़ को उछाला तो पतले से अंडर वियर में लंड ने उसकी चूत पर जबरदस्त टक्कर मारी और सलमा की चूत और मुंह से एक साथ मस्ती फूट पड़ी

" अह्ह्ह्ह मेरे युवराजजजज ईईईईईई सीईईईईईईई यूईईईईईई हयय्यय क्या कर दिया मुझे ईईईईईईई

सलमा ने मस्ती से बेकाबू होकर गजरे को अपने दांतों से काटने लगी और अपनी पूरी ताकत से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर लंड के धक्के अपनी नंगी चूत पर खाने लगी और विक्रम ने भी उसकी चूचियां को छोड़कर उसकी गर्दन में हाथ को लपेट लिया और कस कसकर धक्के लगाने लगा! दोनो ही एक दूसरे की आंखो में देखते हुए गजरे को खा रहे थे मसल रहे थे और अब दोनो की गति इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि मजबूत बेड भी चूं चूं करके चरमरा रहा था मानो उसके उपर दो शक्तिशाली पहलवान कुश्ती कर रहे हो! विक्रम के लंड में तनाव हर पल बढ़ता जा रहा था और उसके धक्के भी हर पल तेज होते जा रहे थे और सलमा भी उसके धक्के का ताकत से जवाब देती हुई गजरे के फूलो को मसलती हुई उसकी आंखो मे देखती हुई उसे उकसा रही थी! कक्ष मे तूफान सा आया हुआ था और दोनो की मादक सिसकियां गूंज रही थी जो हर पल तेज और ज्यादा तेज होती जा रहीं थी और सलमा की चूत में इतनी ज्यादा सनसनाहट बढ़ गई थी कि उसने बेकाबू होकर विक्रम का हाथ अपनी चूत पर रख दिया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नाजुक मखमली रेशम चूत के होंठो को छुआ तो सलमा के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी और सलमा ने पूरी ताकत से अपनी जांघो को कसते हुए विक्रम के लंड को अपनी चूत पर दबोच सा लिया और सलमा की चूत ने एक जोरदार झटके के साथ अपना रस छोड़ने लगी तो विक्रम का लंड भी जवाब दे गया और उसने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए लंड को उसकी जांघो की पकड़ से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ उसकी जांघो में घुसा दिया और सलमा की चूत के होंठो पर तगड़ी टक्कर पड़ी तो सलमा पहली बार दर्द से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह अम्मी ईईईईईआई मार डाला युवराज!!!


विक्रम उसका मुंह चूमते हुए अपने वीर्य की पिचकारी मारने लगा! दोनो एक दूसरे को पूरी ताकत से कस लिया और एक दूसरे से लिपटकर झड़ने लगे! दोनो बेताबी से एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे और विक्रम के नीचे दबी हुई सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई झड़ रही थी जिससे उसकी चूत का गाढ़ा चिकना रस विक्रम के लंड के आस पास फैल गया था और विक्रम के लंड से निकल कर वीर्य सलमा की चूत के रस से मिल रहा था!

करीब एक मिनट तक दोनो का स्खलन चलता रहा और अंत में दोनो के जिस्म जैसे ही शांत हुए तो दोनो आंखे बंद करके एक दूसरे से लिपटे हुए अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करने लगे! करीब पांच मिनट के बाद दोनो सामान्य हुए और सलमा ने शर्म से उसकी छाती में अपना मुंह छुपा लिया तो विक्रम उसकी पीठ सहलाते हुए बोला:"

" इतना सब होने के बाद भी शर्माना तो क्या शर्माना!

उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और कुछ नहीं बोली बस ऐसे ही उससे लिपटी रही! दोनो ऐसे ही लेटे हुए बाते करते रहे और मीठे मीठे सपने संजोते रहे!

करीब पांच बजे सीमा के सलमा के कक्ष पर दस्तक तो सलमा और विक्रम दोनो को दिन के निकलने का एहसास हुआ और सलमा बोली:"

" कब रात गुजार गई पता ही नहीं चला! लगता हैं सीमा आ गई है, अब आप कैसे जाओगे?

विक्रम:" आप फिक्र न करें, मैं मौका देखकर निकल जाऊंगा!

सलमा अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली:" ठीक हैं मुझे कक्ष का दरवाजा खोलना पड़ेगा! आप पर्दे के पीछे छिप जाए!

विक्रम उठा और परदे के पीछे छिप गया और सलमा ने दरवाजा खोला तो सीमा अंदर आ गई और बोली:" शहजादी एक बेहद अहम खबर हैं कि रात से कल्लू सुनार नही मिल रहा है, उनकी बीवी ने रात ही सूचना दी थी!

सलमा उसकी बात सुनकर जान बूझकर चौंक उठी और बोली:"

" अच्छा क्यों कहां चला गया वो? जरूर किसी उल्टे सीधे काम में गया होगा!

सीमा:" ये तो नही पता कि कहां गया हैं लेकिन कुछ न कुछ तो जरूर हुआ हैं! मुझे तो लगता है कि ये जब्बार ने ही किया होगा कि कहीं वो अपना मुंह न खोल दे और वो फंस जाए!

सलमा:" अच्छा तुझे क्यों लगा कि ये जब्बार ने किया होगा ?

सीमा:" क्योंकि सारे उल्टे सीधे काम वही तो करता हैं! चलो मैं तो कहती हूं कि मर ही गया हो वो कल्लू सुनार हरामजादा!

सलमा:" मर ही गया होगा लेकिन मुझे नही लगता कि उसे जब्बार ने मारा होगा क्योंकि जब्बार अपने आदमियों को कभी नही मारता!

सीमा: आप देखना आज काफी हंगामा होगा राज्य की सुनवाई के दौरान! एक तो पहले ही युवराज विक्रम के भागने वाला मामला फंसा हुआ हैं और अब ये दूसरा मामला और हो गया है!

सलमा:" अच्छा ये बात भी हैं! पानी गर्म हो गया है क्या ?

सीमा:" हान पानी तो गर्म हो गया है शहजादी! आप जाइए नहा लीजिए!

सलमा जाने लगी और सीमा को अपने साथ के जाने के लिए कोई बहाना सोच ही रही थी कि सीमा की नजर नीचे फर्श पर पड़े हुए सलमा के गजरे पर पड़ी तो सीमा को बड़ी हैरानी हुई और बोली:"

" शहजादी आपका गजरा फर्श पर कैसे गिर पड़ा?

सीमा की बात सुनकर सलमा डर और शर्म के मारे कांप उठी! उसे ऐसा लगा मानो वो चोरी करती हुई रंगे हाथों पकड़ी गई हो और उसका मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया और फिर खुद को संभालते हुए बोली:"

" पता नहीं कैसे गिरा, नींद में शायद गिर गया होगा! चल आ मेरे साथ चल बाथरूम!

सीमा उसकी हालत देखकर समझ गई कि दाल में कुछ तो जरूर काला हैं और बोली:

" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, मतलब अब गजरे के भी हाथ पैर लग गए हैं जो कहीं भी गिर जाएगा! देखो तो आपके बेड पर कितने ज्यादा सलवटे आई हुई है!

सलमा का दिल फिर से उसकी बात सुनकर धड़क उठा और जानती थी कि सीमा मुंहफट है और कुछ भी बोल सकती है और विक्रम सब कुछ सुन ही रहा है तो सलमा बोली:"

" हाय अल्लाह, तुझे कैसे समझाऊं कि नींद में गिर गया होगा! चल अब मेरे साथ!

सलमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और बाहर की तरफ खींचने की कोशिश करने लगी तो सीमा उसके साथ चलती हुई इधर उधर नजर डालते हुए बोली:"

" कब तक सच छुपाओगी शहजादी! बोल क्यों नहीं देती कि विक्रम आए थे आपसे मिलने के लिए रात ?

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और सबसे बड़ी बात सीमा की इधर उधर दौड़ती नजर से वो घबरा गई क्योंकि अगर सीमा ने विक्रम को देख लिया तो सीमा उसका जीना मुहाल कर देगी ये वो अच्छे से समझ रही थीं ! दूसरी तरफ विक्रम के होंठो पर भी उसकी बात सुनकर मुस्कान आ गई और खुद को पर्दे के पीछे अच्छे से छिपा लिया लेकिन पर्दा हिल गया और सीमा की नजरे पड़ी वो उसे नीचे से विक्रम के जूते नजर आए और सीमा का शक यकीन में बदल गया और सलमा उसका हाथ पकड़कर बाहर खींचती हुई बोली:"

" कितनी बार कहूं कि कोई नही आया था! चल मुझे देर हो रही है

सीमा अब उसे जान बूझकर छेड़ती हुई बोली:"

" फिर आप इतनी क्यों शर्मा रही हो और आपकी गर्दन देखो कैसे लाल हो गई है!

सलमा की नजरे अपनी गर्दन पर पड़ी जो सच में हल्की सी लाल हो गई थी और सलमा लगा कि आज वो बुरी फंस गई है तो बोली:

" ऐसे ही नींद में हो गई है! चल आ मुझे देर हो रही है!

इतना कहकर वो पूरी ताकत से जबरदस्ती सीमा को बाहर खींचने लगी क्योंकि शर्म से पानी पानी हो गई थी विक्रम के सामने सीमा की ऐसी बाते सुन कर और सबसे बड़ी बात कि आगे पता नहीं क्या बोल देगी ये उसकी सबसे बड़ी दुविधा थी! सीमा बाहर जाने से खुद को रोकती हुई बोली:"

" बिस्तर की हालत देखकर तो लग रहा था कि रात में युवराज ने आपकी अच्छे से खबर ली होगी लेकिन आपकी ये जबरदस्ती देखकर तो लग रहा है कि कुछ कसर बाकी बच...

सीमा कुछ बोलती उससे पहले ही सलमा ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली:"

" हद होती है बेशर्मी की सीमा, कुछ भी बोले जा रही हो! आओ चलो मेरे साथ!

सीमा ने एक झटके से उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बेड के पास आते हुए बोली:"

" आप जाओ और नहाकर आ जाओ! मैं यहीं बैठी हु!

सलमा उसके पीछे तेजी से अंदर आई और बोली:" क्यों परेशान कर रही है मुझे सीमा! आओ ना मुझे मदद चाहिए तुम्हारी नहाने में कुछ आज!

सीमा:" रोज तो आप खुद ही नहाती हो तो मैं क्या करूंगी आपके साथ जाकर!

सलमा:" मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूं चल ना तुझे मेरी कसम!

उसकी बात सुनकर सीमा खड़ी हो गईं और बोली:" आप इतना कह रही हु तो चलती हु लेकिन आपको मेरे साथ नही बल्कि युवराज के साथ नहाने की जरूरत हैं!

सलमा ने उसका हाथ पकड़ा और तेजी से अपने साथ बाहर ले गई और वहीं विक्रम भी उसकी बाते सुनकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा कि ये सीमा सच में शहजादी को बेहद ज्यादा तंग करती हैं! सलमा बहाने के बाद अपने कक्ष में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया तो विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:

" शहजादी अकेले अकेले नहाकर आ गई हो आप! लगता हैं आप सीमा की बात नही मानती है!

सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" सीमा बहुत ज्यादा शैतान है! मुझे ही पता है बस मुझे कितना छेड़ती है आपका नाम लेकर ! अच्छा ये बताओ अगली बार कब मिलने आओगी मुझसे?

विक्रम ने अपने हाथो हाथो को उसकी चुचियों पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:" जब आप कहो मेरी शहजादी बस चादर ऐसी बिछाना जिसमे सलवटे कम पड़े सलमा!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और बोली:" छोड़ूंगी नही इस सीमा की बच्ची को आज मैं, देखना आपके जाने के बाद उसकी अच्छे से खबर लूंगी!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने थोड़ा कसकर उसकी चुचियों को मसल दिया और बोला:"

" खबर तो आपकी मैं अच्छे से लूंगा मेरी शहजादी ताकि सीमा की शिकायत दूर हो सके कि मैं आपकी अच्छे से खबर नहीं लेता

चुचियों को जोर से मसले जाने से सलमा जोर से सिसक उठी और दर्द से कराहती हुई बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं मेरे प्रियतम! ऐसा हैं तो मैं अगली बार आपसे मिलूंगी ही नहीं!

विक्रम ने सलमा का मुंह अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अच्छा जी ये ही बात मेरी आंखों में देख कर कहो एक बार कि मिलूंगी नही!

विक्रम की बात सुनकर शर्म से सलमा की आंखे झुक गई और वो उससे कसकर लिपट गई लेकिन बोली कुछ नहीं तो विक्रम उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"

" बताओ ना शहजादी मिलेगी न मुझसे ?

सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो विक्रम ने सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर जोर से मसल सिसक दिया और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"

" सोच लो एक बार फिर से शहजादी सलमा क्योंकि फिर बाद मे मुझे दोष मत देना आप कि मैं ज्यादा छेड़छाड़ करता हु!

गांड़ मसले जाने से सलमा जोर से चिहुंक उठी और फिर से उसकी छाती को चूम लिया! विक्रम उसकी गांड़ को सख्ती से मसलते हुए कहा:"

" हयय्य मेरी शहजादी! आपकी गांड़ कितनी सख्त और गद्देदार जबरदस्त है! बताओ ना कब मिलोगी आप?

सलमा अपनी गांड़ मसले जाने से उत्तेजित होने लगी थी और उसके मुंह से आह निकल पड़ी:"

" आआआह्हह्ह विक्रम मिलूंगी शनिवार की रात मिलूंगी!

विक्रम ने उसका मुंह चूम लिया और बोला:" मेरे साथ नहाओगी ना सलमा?

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसके होंठ चूसने लगीं! दोनो की किस दो मिनट तक चली और उसके बाद विक्रम मौका देखकर आराम से निकल गया और उदयगढ़ की तरफ लौट पड़ा!
बहुत ही रोमांचकारी अपडेट था विक्रम ने कल्लू सुनार से सब कुछ पुंछ कर उसे दलदल में फेंक कर अपने रास्ते के एक कांटे को हटा दिया
सलमा और विक्रम का मिलन का जो चित्रण था वह बहुत ही शानदार और लाज़वाब था
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
अगले दिन सुल्तानपुर का राजदरबार लगा हुआ था और बेगम रजिया सुनवाई कर रही थीं और मुद्दा राज्य की सुरक्षा को लेकर था क्योंकि पिछले कुछ दिनों से दो घटना घट गई थीं और उसी के बारे में बात हो रही थी

रजिया:" दो दिन पहले कोई राजमहल में सलमा के कक्ष तक पहुंच गया और शहजादी ने उसे गिरफ्तार करवा दिया लेकिन उसके बाद भी वो बच कर भाग निकला और कल से कल्लू सुनार नही मिल रहा है! आखिर ये सब चल क्या रहा है जब्बार ?

रजिया की बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि आज पूरी सभा में जब्बार की अच्छे से बेइज्जती होने वाली हैं लेकिन जब्बार अपनी सीट से खड़ा हुआ और बोला:" ये जो भी हुआ है बेहद गलत हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि ये दोनो घटनाए शहजादी सलमा से ही ही जुड़ी हुई हैं! इसका मतलब साफ हैं कि जो कोई भी साजिश कर रहा है उसके निशाने पर शहजादी हो सकती हैं इसलिए सबसे पहले तो हमे शहजादी की सुरक्षा बढ़ानी होगी ताकि उन्हें वो सुरक्षित रहे!

सलमा ने उसकी बात सुनकर घूर कर उसे देखा क्योंकि सलमा जानती थीं कि सुरक्षा बढ़ने से वो कैद सी होकर रह जायेगी और अपनी मर्जी से कहीं नही जा सकेगी! जब्बार की बात का सभी में समर्थन किया और रजिया बोली:" ठीक हैं सलमा की जान राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और उसकी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी लेकिन जो हुआ हैं उसके लिए कौन जिम्मेदार है?

जब्बार:" जो आदमी उस दिन कैद से निकलकर भागा वो जरूर राजमहल के अंदर पहले भी आया होगा या फिर ऐसा हो सकता हैं कि कोई उससे मिला हुआ हो क्योंकि एक अजनबी आदमी इस तरह से बचकर तो नही भाग सकता!

जब्बार की बात पूरी तरह से सही थी आई और रजिया बोली:"

" ठीक हैं जब्बार उसकी पहचान की जाएगी और उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी! लेकिन कल्लू सुनार कहां है?

जब्बार:" कल्लू सुनार की खोज में रात से ही सैनिक लगे हुए हैं और जल्दी ही उसकी जानकारी सामने आ जायेगी! साथ ही साथ आज से राज्य में बाहरी आदमियों का आना पूरी तरह से बंद होना चाहिए क्योंकि ऐसी भी संभावना हैं कि बाहर से कोई आया हो और उसने ही कल्लू को गायब किया हो किसी दुश्मनी के चलते!

रजिया:" बाहर से अगर कोई आता तो उसे जरूर पहरी पकड़ लेते! ये जरूरी राज्य के ही किसी आदमी का काम हैं!

जब्बार:" आप चिंता न करे जब तक मैं सच्चाई का पता नहीं कर लूंगा चैन से नहीं बैठने वाला! साथ ही साथ आज से बाहरी आदमियों का राज्य में प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा!

रजिया:" ठीक हैं जब्बार लेकिन इस बार कोई चूक नही होनी चाहिए!

जब्बार:" आप निश्चित रहे, मैं अपनी तरफ से आपको कोई मौका शिकायत का नही दूंगा!

इसके बाद राज्य की कार्यवाही खत्म हुई और सलमा को का फूल सा चेहरा उदास हो गया था क्योंकि उसकी सुरक्षा में आदमी बढ़ने से उसकी आजादी छिनने वाली थी और दूसरी बात रात में बाहरी लोगो के ना आने से विक्रम उससे मिलने कैसे आएगा ये उसकी सबसे बड़ी समस्या थी!

वही दूसरी तरफ उदयगढ़ में भी दरबार लगा हुआ था और राजमाता गायत्री देवी भी बड़ी मुश्किल में थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राज्य के दूर के एक गांव से शादी शुदा औरते और लड़कियां गायब हुई थी और उनका कुछ पता नहीं चल रहा था तो राजमाता बोली:"

" सेनापति अजय और विक्रम दोनो जाओ और पता करो कि किसकी मौत आई हैं जो उसने उदयगढ़ की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश करी हैं!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता जो आपने मुझे इसके लिए चुना! मैं आज ही रवाना हो जाऊंगा और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दूंगा!

विक्रम:" बिलकुल अजय और मै भी इसमें आपको पूरा सहयोग दूंगा!

राजमाता:" मुझे आप दोनो पर पूरा भरोसा हैं और आपके लिए तो ये एक तरह से इम्तिहान हैं क्योंकि सेनापति बनने के बाद आपको आपकी बहादुरी दिखाने का पहला मौका मिला हैं!

अजय:" आप फिक्र न करे राजमाता, मैं हर हाल में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दूंगा!

उसके बाद सभा समाप्त हो गई और अजय और विक्रम दोनो सफर की तैयारी करने लगी और शाम को करीब आठ बजे उन्हे निकलना था तो अजय अपनी मां मेनका से बोला:"

" मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए माता क्योंकि पहली बार मुझे राजमाता ने कोई काम दिया हैं और आपके पुत्र की ये पहली परीक्षा हैं!


मेनका :" मेरा आशिर्वाद आपके हाथ है पुत्र! जाओ और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दो!
मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देती हु!

इतना कहकर मेनका रसोई में चली गई और अजय अपनी जाने की तैयारी करने लगा! मेनका अंदर ही अंदर बेहद खुश थी क्योंकि वो जानती थी कि अजय के जाने के बाद वो पूरी तरह से आजाद होगी क्योंकि उसके अलावा दूसरा कोई भी नीचे कक्ष में कभी नहीं जा सकता और वो आराम से साड़ी और रंगीन कपड़े पहन कर खुद को जी भर कर निहारेगी ! ये सब सोच सोच कर उसके जिस्म में उत्तेजना आ रही थी और जैसे ही खाना तैयार हुआ तो उसने अजय को दिया और दोनो मां बेटे ने साथ में खाना खाया और उसके बाद अजय बोला:"

" अच्छा माता मुझे आप अब जाने की इजाजत दीजिए! युवराज मेरी राह देख रहे होंगे!

मेनका ने उसका माथा चूम लिया और अजय राजमहल की तरफ बढ़ गया और विक्रम के साथ कुछ सैनिकों को लेकर अपने गंतव्य की तरफ कूच कर गया! वहीं दूसरी तरफ मेनका आज खुशी से फूली नही समा रही थी क्योंकि आज वो बिलकुल आजाद थी और को चाहे कर सकतीं थी!

उसके बदन में अजीब सी गुदगुदी हो गई थी और वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई और थोड़ी देर बाद ही वो चांद की तरह चमक रही थी और अपनी अलमारी से रंगीन साडिया निकालने लगी तभी घर के मुख्य दरवाजे पर दस्तक हुई और मेनका के हाथ रुक गए!

दो दासिया अंदर आ गई और बोली:" आपको राजमाता गायत्री देवी ने राज महल बुलाया हैं!

मेनका का दिल टूट सा गया क्योंकि आज सुनहरा अवसर उसके हाथ से निकल रहा था लेकिन राज हुक्म के चलते मजबूर थी तो बोली:"

" ठीक हैं आप थोड़ी देर रुको मैं आपके साथ चलती हु!

इतना कहकर वो फिर से सफेद कपड़े पहन कर तैयार हो गई और राजमहल की तरफ चल पड़ी! राजमहल जाकर वो गायत्री देवी के पास पहुंच गई और बोली:"

" क्या हुआ राजमाता ? आपने इतनी रात मुझे बुलाया ?

गायत्री:" सब ठीक ही हैं! बस मेरा युवरूज के बिन मन नही लग रहा था तो सोचा तुम्हे अपने पास बुला लू क्योंकि एक मां की हालत दूसरी मां ही बेहतर समझ सकती है, मैं सही कह रही हु ना!

मेनका:" बिलकुल राजमाता! आपने एकदम सत्य कहा!

उसके बाद बातचीत का दौर शुरू हो गया और दोनो एक दूसरे से देर रात तक बात करती करती सो गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम और अजय अपनी मंजिल रघुपुर पहुंच गए थे और सरपंच से मिले तो सरपंच बोला:"

" युवराज पहले इस तरह की कोई दिक्कत न थी लेकिन पिछले एक सप्ताह से औरते अचनाक गायब हो गई है जो काफी ढूंढने के बाद भी नही मिल रही है! आप ही अब कोई मदद कर सकते है! औरतों और लड़कियों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है डर के मारे युवराज!

विक्रम:" आप फिक्र नहीं करे, सब ठीक हो जाएगा!

विक्रम और अजय दोनो ने सही से स्थिति का जायजा लिया और उसके बाद दोनो सैनिकों के साथ उन्हे ढूंढने के लिए चल पड़े और रात के दो बजे तक जंगल और आस पास के कबीले की छान बीन करते रहे लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ तो दोनो ने रात्रि विश्राम की योजना बनाई और उसके बाद एक तंबू में दोनो लेटे हुए थे और विक्रम शहजादी के बारे में सोच रहा था कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी हैं जो उसे सलमा जैसी प्रेमिका मिली हैं! तभी अचानक बाहर से कुछ आवाजे आई और देखा कि कुछ लोग हिरणों का शिकार कर रहे थे और ये देखकर अजय और विक्रम दोनो सावधान हो गए क्योंकि उन्हे देखने से साफ अंदाजा हो गया था कि ये लोग पिंडारी हैं और पिंडारी लोग अपनी क्रूरता और बहादुरी के लिए बदनाम थे!

विक्रम ने अजय की तरफ देखा और अजय ने अपनी जादुई तलवार उठाई और उसके बाद दोनो सावधानी से आगे बढ़ गए और देखा कि तीन पिंडारी थे जिन्होंने हिरण का शिकार किया था और उसे कच्चा ही अपने नुकीले दांतो से खाने लगे! विक्रम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना धनुष बाण चलाया और दो पिंडारियो को मौत के घाट उतार दिया और बचा हुआ एक तलवार लेकर पागलों की तरह इधर उधर देखने लगा और बोला:"

" हिम्मत हैं तो बाहर आओ और मुकाबला करो!

उसकी बात सुनकर अजय तलवार लेकर उसके सामने पहुंच गया और देखते ही देखते एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और पिंडारी गजब की बहादुरी से अजय का सामना कर रहा था और विक्रम आराम से युद्ध को देख रहा था और आखिरकार अजय ने उसके हाथ पर वार किया और उसकी तलवार हाथ सहित नीचे गिर पड़ी और वो दर्द के कराह उठा तो अजय ने आगे बढ़कर तलवार को उसकी गर्दन पर टिका दिया और बोला:"

" तुम्हारी उदयगढ़ में घुसने की हिम्मत कैसे हुई?

पिंडारी:" हमसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो आप!

विक्रम:" क्या औरतों और लड़कियों को तुमने उठाया हैं ?

पिंडारी चुप रहा तो अजय ने तलवार की नोक को उसकी गर्दन में चुभो दिया तो खून की बूंदे चमक उठी और वो दर्द से तड़प कर बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह गलती हो गई मुझे छोड़ दो! आज के बाद ऐसा नही होगा!

अजय:" औरते और लड़कियां कहां हैं ये बताओ तो हम तुम्हे छोड़ देंगे!

पिंडारी:" वो सब यहां से चार किमी दूर एक जंगली कबीले में हैं और सुबह उन्हे पिंडारगढ़ ले जाया जाएगा!

अजय:" मुझे वहां लेकर चलो तो जिंदगी ईनाम में मिलेगी तुझे!

पिंडारी मान गया क्योंकि वो जानता था कि वहां करीब 20 के पास पास पिंडारी थे जो इन दोनो को आराम से मार देंगे और उसकी जान बच जायेगी!

पिंडारी उन्हें अपने हाथ लेकर चल पड़ा और जैसे ही दोनो काबिल पहुंचे तो अजय ने पिंडारी की गर्दन एक झटके के साथ उड़ा दी और उसके बाद दोनो के सावधानी से एक एक करके पिंडरियो को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया और देखते हो करीब दस पिंडारी मारे गए और अब उन्हें औरते नजर आ रही थी और करीब 10 पिंडारी वहीं पहरा दे रहे थे! अजय और विक्रम ने बिना देर किए सीधाउन पर धावा बोल दिया और एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और तलवारे हवा में लहराने लगी! पिंडारी बेहद चुस्ती और बहादुरी से लड़ रहे थे लेकिन उनका सामना एक तरफ युवराज विक्रम से था जो बेहद जोशीला और ताकतवर होने के साथ तेज दिमाग भी था और दूसरी तरफ अजय जिससे हाथ में जादुई तलवार थी तो पिंडारियो की लाशे गिरने लगी और देखते ही देखते करीब आठ पिंडारी मौत के घाट उतार दिए गए और बाकी दोनो घायल होकर तड़प रहे थे और जान की भीख मांग रहे थे

" हमे मत मारो नही तो पूरे उदयगढ़ को तबाह कर दिया जाएगा!

उनकी बात सुनकर विक्रम की आंखो में खून उतर आया और उसने तलवार का भरपूर वार उसकी गर्दन पर किया और दूसरा पिंडारी डर से कांपता हुआ उसके पैरो में गिर पड़ा और बोला"

" मुझे माफ कर दो! मुझे मत मारो!

अजय:" तुम औरतों और लड़कियों को क्यों उठा रहे थे?

पिंडारी:" सरदार का हुक्म था क्योंकि पिंडारी बिना औरते के जिंदा नही रह सकते! मुझे जाने दीजिए!

अजय ने उसकी गर्दन को भी उड़ा दिया और उसके बाद सभी औरतों और लड़कियों को साथ में लेकर सरदार के हवाले किया और साथ आए सभी सैनिकों को गांव की सुरक्षा में छोड़कर अगले दिन शाम को वापिस राजमहल की तरफ लौट पड़े!

दूसरी तरफ पिंडारियो का सरदार पिंडाला सेक्स से व्याकुल था और उसे किसी भी कीमत पर औरत या लकड़ी चाहिए थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा दुख अपने आदमियों की मौत का था और उसने फैसला किया कि वो अपने सभी आदमियों की मौत के बदला लेगा और अपने आदमियों के साथ युद्ध की तैयारी करने लगा लेकिन जैसे ही ये खबर जब्बार तक पहुंची तो जब्बार पिंडरागढ़ पहुंच गया और पिंडाला के सामने सिर झुकाकर बोला:"

" महाराज मैने सुना है कि अजय को उसके पुरखो की जादुई तलवार मिली हुई हैं जिसकी वजह से आपके इतने आदमी मारे गए हैं! अभी युद्ध करना सही नहीं होगा!

पिंडाला:" तो क्या हम सिर्फ एक तलवार की वजह से चुप हो जाए! नही जब्बार नहीं, हम उदयगढ़ में खून की नदिया बहा देंगे आज!

जब्बार:" मुझे आपकी ताकत पर पूरा भरोसा है लेकिन आप जीतकर भी नुकसान में रहोगे क्योंकि आपके आधे से ज्यादा सैनिक मारे जायेंगे लेकिन अगर किसी तरह अजय के हाथ में तलवार न रहे तो हम आराम से जीत जायेंगे जैसे हमने उसके बाप को मारा था ठीक वैसे ही कुछ सोचना पड़ेगा,!


पिंडाला को उसकी बात सही लगी और बोला:" ठीक हैं लेकिन मुझे किसी भी कीमत एक औरत चाहिए मेरे जिस्म की आग मुझे पागल कर रही है!

जब्बार उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और बोला:"

" आप चिंता न करें शाम तक एक नही बल्कि दो खूबसूरत हसीना आपके पास पहुंच जायेगी!

उसकी बात सुनकर पिंडाला जोर से हंस पड़ा और बोला :"

" जब्बार सुना है तेरी बीवी शमा ने सलीम को अपना दीवाना बना रखा है पिछले कुछ सालों से! सुना हैं वो मुंह में लेकर चूसती भी है, हमे तो आज तक ऐसी कोई नही मिली !

शमा का नाम सुनते ही जब्बार के शरीर का खून जाम सा हो गया और डरते हुए बोला:"

" ऐसा गजब ना कीजिए महराज, वो मेरी बीवी हैं!

सरदार:" साले जब वो सलीम का लंड चूसती है तब तेरी बीवी नही होती है क्या ? मेरा चूस लेगी तो क्या उसके मुंह में कीड़े पड़ जायेंगे ? दो घंटे के अंदर मुझे शमा चाहिए! नही तो तुम जानते हो कि मैं क्या कर सकता हूं जब्बार!

जब्बार कुछ नहीं बोला और सिर झुकाकर वापिस आ गया और उदास मन से अपने राज्य की तरफ वापस लौट पड़ा! वो अच्छे से जानता था कि शमा को पिंडाला के पास भेजने का मतलब था शमा की बरबादी और उसकी दर्दनाक मौत! पिंडाला सेक्स करते हुए भूखा भेड़िया बन जाता था और उसने बहुत सारी औरतों को जोश और उत्तेजना के कारण मार दिया था!

जब्बार के पास दूसरा कोई उपाय नहीं था तो राज्य वापिस आया और शमा को बोला:"

" आप जल्दी से तैयार हो जाओ हम एक समारोह में जायेंगे!

शमा खुशी से भर गई और जल्दी जल्दी तैयार होने लगी और जब्बार उसे देखकर सोच रहा था कि काश इसे पता होता कि मैं इसे कहां ले जा रहा हूं तो कभी तैयार नहीं होती! शमा को साथ लेकर जब्बार अपनी बग्गी पर निकल गया और पिंडारगढ की तरफ बढ़ गया!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है अजय और विक्रम ने पिंडारियो को मारकर उदयगढ़ की महिलाओं को बचा लिया है जब्बार को पता चला तो वह पिंडारी से मिलने चला गया ज्यादा समझदार बनने के चक्कर में साले को अपनी बीवी से हाथ धोना पड़ेगा
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
शमा खुशी से चहकती हुई बग्गी में जा रही थी और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि एक लंबे अरसे के बाद जब्बार उसे बाहर घुमाने ले जा रहा था! करीब एक घंटे के बाद बग्गी जंगल से गुजर कर पिंडारियो के इलाके मे दाखिल हो गई तो शमा का माथा ठनका कि ये जब्बार आखिर जा कहां रहा हैं तो बोली:"

" आखिर हम जा कहां रहे हैं? राज्य तो हमसे बहुत पीछे छूट गया है और ये तो खूंखार पिंडारियो का इलाका लगता हैं मुझे जब्बार!

जब्बार:" बस थोड़ी ही देर में हम पहुंचने वाले हैं! डरो मत मैं हु ना तो कोई दिक्कत नही होगी!

शमा को उसकी बात सुनकर थोड़ा सुकून मिला लेकिन उसके दिल में एक डर सा बैठ गया था क्योंकि हवस के भूखे पिंडारी उसे घूरे जा रहे थे और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे जिससे शमा की हालत खराब हो गई थी और वो कांप रही थी! चलते चलते एक बड़े से महल के सामने बग्गी रुक गई और देखते ही देखते बग्गी को पिंडारियो ने चारो तरफ से घेर लिया तो शमा के मुंह से डर के मारे चींख निकल पड़ी और वो जब्बार से लिपट गई और बोली:" ये कहना बग्गी को रोक दिया जब्बार ? ये लोग हमे जिंदा खा जाएंगे!

पिंडारियो के शरीर से उठती हुई बदबू शमा से सहन नही हुई तो उसने मुंह को पकड़े से बांध लिया और जब्बार को झिंझोड़ते हुए बोली:" आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो ? आखिर ये सब क्या हो रहा है यहां?

जब्बार ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़कर बग्गी से उतरा और शमा को चारो तरफ से लोगो ने घेर लिया था और डरती हुई शमा जब्बार के साथ महल के अंदर दाखिल हो गई और बदबू से उसका सिर फटा जा रहा था लेकिन किसी तरह खुद को संभाले हुए थी! जब्बार चलते हुए एक आलीशान कक्ष की तरफ बढ़ गया और शमा बद हवास सी उसके साथ खिंची चली जा रही थी और दोनो अब पिंडाला के सामने खड़े हुए थे और शमा को देखते ही वो उसकी खूबसूरती पर झूम उठा और बोला"

" वाह जब्बार वाह, असली खज़ाना तो तूने अपने घर में छिपा रखा था! मजा आ जायेगा इसके साथ तो पूरा आज!

पिंडाला करीब आठ फीट का चौड़ी डील का राक्षस सा दिखने वाला गंदा और गलीच इंसान था जिसे देखकर शमा को चक्कर से आने लगे थे और उसकी बात सुनकर शमा समझ गई कि जब्बार ने उसे धोखा दिया है वो बेहोश होती चली गई!

करीब एक घंटे के बाद उसे होश आया तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि वो बिलकुल नंगी बेड पर बंधी पड़ी हुई थी और चाहकर हिल भी नहीं सकती थी बस सिर्फ अपनी गर्दन उठा कर इधर उधर देख सकती थी और उसने देखा कि सामने पिंडाला बिलकुल नंगा हुए अपना राक्षसी लंड हिला था जिसे देखकर शमा के मुंह से चींख निकल पड़ी और जोर जोर से चिल्लाने लगी

" जब्बार कहां हो तुम? बचाओ मुझे जब्बार ! तुम मुझे धोखा नही दे सकते!

पिंडाला खड़ा हुआ और उसका लंड उसके घुटनो तक आ गया और चलते हुए उसकी जांघो के बीच आ गया और बोला:"

" जब्बार तुम्हे मेरी रखैल बनाकर चला गया! आज के बाद तुम मरते दम तक पिंडाला के नीचे पड़ी रहोगी!

उसके बाद पिंडाला ने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और धक्का मार दिया तो शमा गला फाड़कर चींख उठी क्योंकि एक ही बार में संपूर्ण लंड घुस गया और उसके चूत के होंठ फटते चले गए और खून बाहर आने लगा! दर्द से चिल्लाती हुई शमा बेहोश होती चली गई और पिंडाला ने बिना परवाह किए उसकी चूत को फाड़ना शुरू कर दिया और बेहोशी में भी शमा चींखती रही लेकिन पिण्डाला इंसान नही जानवर था और उसकी चूत मे लगा रहा धक्के मारने! चूत से खून निकल कर उसकी जांघो को भिगो दिया था और पिण्डाला उसे चोदता रहा ! बीच बीच में वो होश में आती और फिर से बेहोश हो जाती! आखिरकार करीब एक घंटे की चूत फाड़ चुदाई के बाद पिंडाला ने उसकी चूत को भर दिया और शमा को खोल दिया तो शमा होश में आ गई और खड़ी होने की कोशिश करने लगी लेकिन गिर पड़ी क्योंकि उसकी टांगो में ताकत नही बच गई थी और पिंडाला उसकी जांघों पर फैले खून को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके बाद शमा रोने लगी तो उसने शमा को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया और खुद भी उसमे कूद गया और शमा को पकड़ लिया और शमा चाह कर खुद को नही छुड़ा सकी और पिंडाला ने उसकी टांग को उठाते हुए लंड को घुसा डाला और दर्द से तड़प कर शमा चिल्ला पड़ी लेकिन इंसान हो तो कोई दया आए वो तो शैतान था और उसे चोदता रहा! शमा रोती रही लेकिन पिण्डाला तब तक नही रुका जब तक उसकी चूत को अपने माल से नही भर दिया!

बेहोश शमा को उसने बिस्तर पर पटक दिया और खाना खाने चला गया! उसके एक बूढ़े सेवक ने शमा को थोड़ा पानी पिया और कुछ खाने को दिया तो शमा रोने लगी और बोली:"

" मुझे मार डालो, कम से कम इस दर्द को झेलने से तो बच जाऊंगी!

बूढ़ा:" पिंडाला से चुदना सौभाग्य की बात होती है! तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे उसका लंड मिला !

शमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" कितने घटिया इंसान हो तुम सब! एक दिन तुम्हे तुम्हारे किए की सजा जरूर मिलेगी!

बूढ़े ने शमा को अच्छे से साफ किया और शमा का बदन चमक उठा और अंदर आते ही पिण्डाला ने उसकी चूत को चोदना शुरु कर दिया और शमा दर्द से मरने जैसी हालत में पहुंच गई और पूरी रात में करीब पांच बार उसे पिण्डाला ने चोद कर उसकी चूत का कबाड़ा कर दिया! शमा मन ही मन मौत की दुआ मांग रही थी लेकिन इतनी आसानी से उसे मौत भी मिलने वाली नही थी!

दूसरी तरफ अजय और विक्रम चलते हुए एक बाजार से गजरे तो विक्रम ने अजय को रुकने का इशारा किया और दोनो रुक गए और विक्रम बाजार में घूमने लगा! काफी सारी दुकानें लगी हुई थी और विक्रम एक दुकान से ज्वेलरी खरीदने लगा तो अजय ने सोचा कि वो राजमाता के लिए खरीद रहा होगा तो उसने भी अपनी मां मेनका के लिए कुछ खरीदने का सोचा और फिर उसने करीब चार दर्जन सुंदर कांच की चूड़ियां खरीद ली और उसके बाद बाजार में घूमने लगा! विक्रम ने सलमा के लिए ढेर सारा सामान लिया और अजय के पास आ गया और दोनो दोस्त महल की तरफ चल पड़े! रात में करीब दस बजे दोनो महल पहुंचे और राजमाता को सारी जानकारी दी तो राजमाता खुश हुई और बोली:"

" शाबाश मेरे बेटो! आज आप दोनो ने उदयगढ़ का नाम सही में रोशन किया है!

अजय राजमाता के मुंह से अपने लिए बेटा सुनकर गदगद हो गया और मेनका भी मुस्कुरा उठी क्यूंकि ये उसके लिए फख्र की बात थी और बोली:"

" सच में आप दोनो ने जिस तरह से औरतों की इज्जत बचाई हैं वो कबीले तारीफ हैं!

अजय और विक्रम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और ग्रह मिलाकर बोले:"

" आप माताओं का प्यार और आशीर्वाद चाहिए बस! किसी भी औरत के साथ कोई अन्याय नहीं होगा!

राजमाता:" हम आपके साथ हैं बेटा, हमेशा! पिंडारियो को मारना आसान काम नहीं है लेकिन तुम दोनो ने किया हैं लेकिन सावधान रहना क्योंकि पिंडारी जरूरी बड़ा हमला करेंगे! क्यों मैं सच कह रही हु ना बहन मेनका ?

मेनका के लिए पहली बार राजमाता ने बहन शब्द का इस्तेमाल किया था और ये सब अजय की बहादुरी के कारण हो रहा था तो मेनका बेहद खुश हुई और बोली:"

" बिलकुल पिंडारी के हमले में हम दोनो भरी जवानी में विधवा हुई थी और आप दोनो को उसका बदला लेना होगा तभी जाकर हमे सुकून मिलेगा!

अजय:" मैं आपकी कसम खाता हूं माता कि आपकी मांग उजाड़ने वालो को दुनिया उजाड़ दूंगा!

विक्रम:" आपके एक आंसू के बदले 1000 आंसुओं का हिसाब होगा राजमाता!

राजमाता:" ईश्वर आप दोनो को कामयाब करे! एक काम करो खाना बन गया है तो आज सब साथ ही खाते हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर खुशी से मन ही मन झूम उठी क्योंकि आज पहली बार वो राज खाना खाने जा रही थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! हम दोनो घर ही खाना खायेंगे!

विक्रम:" नही ऐसा नही होगा आप दोनो हमारे साथ ही खाना खायेंगे बस बात खत्म!

मेनका कुछ न बोली और उसके बाद सबने साथ में खाना खाया और मेनका सच में अपने आपको बेहद खुश नसीब महसूस कर रही थी! आज अजय की इज्जत मेनका की नजरो में कई गुना बढ़ गई थीं क्योंकि उसकी बहादुरी के कारण ही उसे आज का दिन नसीब हुआ था! खाना खाने के बाद राजमाता बोली :"

" अजय आप दोनो आज यही हमारे साथ ही राजमहल में सो जाओ! रात भी काफी हो गई है!

अजय ने मेनका की तरफ देखा तो मेनका ने उसे इशारे से मना कर दिया तो अजय बोला:"

" क्षमा चाहता हूं राजमाता लेकिन मैं अपने घर पर ही सोना पसंद करूंगा!

उसके बाद दोनो मा बेटे अपने घर की तरफ लौट पड़े और घर पहुंच कर मेनका बोली:"

" पुत्र आज तो कमाल हो गया! सच में पहली बार मैने राजमाता के साथ खाना खाया!

अजय:" सच में राजमाता दिल की बहुत अच्छी हैं! ईश्वर उन्हे खुश रखे!

मेनका:" हान बेटा और पता हैं आज उन्होंने मुझे बहन कहके पुकारा है! सच में आपकी वजह से मुझे बेहद इज्जत मिली है पुत्र!


इतना कहकर उसने अजय का माथा चूम लिया और बोली:"

" अच्छा अब आप आराम करो थक गए होंगे दिन दिन से सोए नही हो ना पुत्र!

अजय को अचानक से चूड़ियों की याद आई और बोला:"

" माता मैं तो भूल ही गया कि मैं आपके कुछ लेकर आया हु!

इतना कहकर वो उठा और अलमारी से कांच की चूड़ियां निकाली जो बेहद सुर्ख लाल रंग की थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" माता देखो कितनी खूबसूरत चूड़ियां हैं, जब आप लाल रंग की साड़ी के साथ पहनोगी तो बेहद खूबसूरत लगोगी आप!

उसकी बात सुनकर मेनका शर्म से लजा गई और बोली;"

" कुछ तो शर्मा किया करो, कुछ भी बोल देते हो पुत्र आप! इतनी भी सुंदर नही हु मैं !

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और चूड़ियां उसके हाथ से लगाते हुए बोला:" देखो ना माता कितनी खूबसूरत लगेगी आपके हाथो में ये लाल रंग की बिरंगी चूड़ियां! एक बार पहन कर दिखाए न

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" अच्छा ठीक है रुको मैं पहन लेती हूं!

इतना कहकर मेनका चूड़ियां पहनने लगी और अजय भी उसकी मदद करने लगा और देखते ही देखते मेनका के दोनो हाथ चुड़ियो से भर गए और बेहद खूबसूरत लग रहे थे तो अजय उसके हाथो को पकड़कर बोला:"

" कैसी लगी आपको ये चूड़ियां माता?

मेनका ने अपनी कलाइयों को देखा जो बेहद खूबसूरत लग रही थी और बोली:"

" बेहद खूबसूरत! अब खुश हो न आप पुत्र!

अजय:" हान माता खुश हु लेकिन आप जब इनके साथ लाल रंग की साड़ी पहनेगी तब देखना कितनी खूबसूरत जचेगी ये आप पर!

मेनका उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर रोमांच से भर गई और बोली:" अच्छा जी, चलो अब आप आराम कर लो रात काफी हो गई है!

अजय अपने कक्ष में आ गया और रात धीरे धीरे गहराने लगी और दूसरी तरफ मेनका कल से ही बेचैन थी जबसे उसने लाल रंग की साड़ी को देखा था क्योंकि लाल रंग की साड़ी उसकी पसंदीदा हुआ करती थी और वो ये देखने के लिए मरी जा रही थी लाल रंग की साड़ी के साथ ये लाल रंग की चूड़ियां कैसी लगेगी! लेकिन कल राजमाता के द्वारा बुलाए जाने के कारण वो साड़ी नही पहन सकी थी लेकिन आज इसके पास अच्छा मौका था लेकिन बस एक ही दिक्कत थी कि उसे अजय का डर था!

लेकिन मेनका का दिल इसे तसल्ली दे रहा था कि अजय तो दो रात से सोया नही हैं तो आज तो बेड पर गिरते ही नींद के आगोश में चला जायेगा और ये सब सोचते ही उसके होंठ मुस्कुरा पड़े और मेनका रात पूरी तरह से गहराने का इंतजार करने लगी! करीब एक घंटे बाद वो धीरे से अपने कक्ष के परदे हटाकर बाहर आई और अजय के कक्ष में झांका तो उसे अजय के जोरदार खर्राटे सुनाई पड़े और मेनका के होंठो को मुस्कान आ गई और उसके कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ गए और कांपते हाथों से उसने धड़कते दिल के साथ साड़ी निकाली और नीचे की तरफ चल पड़ी! मेनका धीरे धीरे नीचे कक्ष में पहुंच गई और शीशे में देखते हुए साड़ी को पहन लिया और उसकी आंखो मे चमक उभर आई! लाल हो की चूड़ियों से मिलती हुई उसकी साड़ी उसके बदन पर बेहद आकर्षक लग रही थी और मेनका खुद पर ही आकर्षित हुई जा रही थी!

मेनका बार बार खुद को कभी दांए से तो कभी बांए से पलट पलट कर देख रहीं थी और उसके तन बदन के अंदर अजीब सी गुदगुदी मची हुई थी और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई और उनसे खुशी से झूमना शुरू कर दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां नजर आने लगी और अजय छुपा हुआ ये सब देख रहा था और सोच रहा था कि उसकी मां सच में बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं!

20240115-150506


झूमती हुई मेनका को पर्दा हिलता हुआ महसूस हुआ और वो समझ गई कि अजय उसे छुप कर देख रहा है तो उसे बेहद शर्म आई और झूमना बंद कर दिया लेकिन शीशे के सामने खड़ी रही और खुद को निहारती रही! पिछली बार के मुकाबले आज ये जानकर कि उसका बेटा उसे देख रहा है वो काफी हद तक सहज महसूस कर रही थीं और आखिर में वो उपर की तरफ जाने लगी तो अजय तेजी से उपर आया और गैलरी में खड़ा हो गया और जैसे ही मेनका उसके पास से गुजरी तो मेनका ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसका पकड़ कर धीरे से बोली:"

" थोड़ी देर पहले तो बड़ी नींद आ रही थीं और अब यहां छुपे खड़े हुए हो पुत्र आप!

अजय समझ गया कि उसकी चोरी आज फिर पकड़ी गई है तो धीरे से बोला:"

" वो आंख खुल गई तो सुसु करने के लिए आया था!

अजय का साफ झूठ मेनका समझ गई और बोली:"

" मानना पड़ेगा आपको पुत्र, ये जानते हुए भी कि मैं सच जानती हूं फिर भी आप झूठ बोलने की हिम्मत कर सकते हो! मैं जानती हूं कि आप मुझे नीचे देख रहे थे

अजय: वो गलती हो गई मुझसे, क्षमा चाहता हूं! कान छोड़ दीजिए ना आप

मेनका ने उसका कान छोड़ दिया और बोली:" लेकिन आप हमे ऐसे छिप कर क्यों देखते हो पुत्र?

अजय:" माता बात ये है कि आप रंगीन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती है और मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं!

मेनका उसकी बात सुनकर अपनी सुन्दरता पर अभिमानित हुई और बोली:" लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि हम आपकी माता हैं और आपको हमे ऐसे देखना शोभा नहीं देता हैं पुत्र!

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसकी चूड़ियों से मधुर आवाज आई और बोला:"

" माता मैं सब समझता हूं लेकिन चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं ! देखिए आपकी चूड़ियां कितना मधुर खनक रही है!

मेनका ने उसकी बात सुनकर जान बूझकर अपनी चूड़ियों को थोड़ा जोर से खनका दिया और बोली:" लेकिन फिर भी आपको समझना चाहिए कि कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

मेनका को एहसास हुआ है उसने गलत बोल दिया है लेकिन तब तक तीर कमान से निकल गया था और अजय उसके हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फांसते हुए बोला:"

" माता आप निश्चित रहे किसी को कभी पता नहीं चलेगा! जिस तरह से आपको खुद को शीशे में देखना अच्छा लगता है उसी तरह से मुझे आपको देखना अच्छा लगता है माता!

अजय की बात सुनकर मेनका बोली:" लेकिन पुत्र आपको...

अजय ने उसकी बात को बीच में ही काट दिया और बोला:"

" कल दिन में मैं आपके लिए बड़ा शीशा लगा दूंगा माता ताकि आप खुद को अच्छे से देख सके!

मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन अंधेरे के कारण अजय नही पाया और मेनका बोली:"

" और आप मुझे छिप कर देख सके इसलिए ये सब कर रहे हो ना पुत्र! चलो रात बहुत हो गई है अब सो जाओ!

इतना कहकर मेनका जाने लगी तो अजय ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय बोला:"

" ज्यादा नींद आ रही है क्या आपको माता?

मेनका का बदन कांप उठा और बोली:" हान नींद आ रही है मुझे जाने दीजिए ना पुत्र आप!

अजय ने उसके एक कंधे को पकड़ लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" सो जाना आप माता लेकिन बस एक बात बता दीजिए कि माता कल आप जब नए बड़े शीशे के सामने लाल रंग की साड़ी के साथ रंग की चूड़ियां पहनोगी तो मैं आपको देख सकता हूं क्या ?

अजय की बात सुनकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" नही मैं खुद को नही देखूंगी शीशे के सामने!

अजय ने दूसरा हाथ भी उसके कंधे पर टिका दिया और दोनो अब एक दूसरे के बिलकुल सामने खड़े हुए थे और मेनका की सांसों का शोर अजय को साफ महसूस हो रहा था और बोला:"

" मेरी कसम खाओ आप कि आप खुद को शीशे में नही देखोगी

इतना कहकर अजय ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख दिया तो मेनका ने फौरन अपना हाथ पीछे खींच लिया और धीरे से उसके कान में बोली:

" देखूंगी और आप भी देख लेना पुत्र लेकिन छुपकर नही तो मुझे बेहद शर्म आयेगी!

इतना कहकर उसने अजय के गाल को चूम लिया और अपना हाथ छुड़ा कर अपने कक्ष में घुस गई और अजय ने अपने गाल को छुआ तो उसे अपने गाल पर गीला गीला लगा और उसकी उंगलियां उसकी मां के मुंह की लार से चिकनी हो गई तो उसे एहसास हुआ कि मेनका ने उसे सिर्फ भावावेश में नही बल्कि पूर्ण उत्तेजना के साथ चूमा था और ये सोचते ही अजय खुशी से झूम उठा और और अपने कक्ष में आकर आराम करने लगा!
बहुत ही बेहतरीन अपडेट है मां बेटे में प्यार का बीज अंकुरित हो रहा है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
आज शनिवार था और सलमा के मन में सुबह से ही लड्डू फूट रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि आज उसका प्रेमी विक्रम उससे मिलने के लिए जरूर आएगा और उसने शाम को करीब आठ बजे सीमा से कहा:"

" सीमा मेरे लिए एक चमेली का गजरा लेती आना!

सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:" क्यों आज फिर से युवराज विक्रम से मिलना हैं क्या शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" ऐसा कुछ नहीं है सीमा, बस ऐसे ही मन कर रहा है आज गजरा पहनने का मेरा!

सीमा उसकी तरफ कामुक अंदाज में स्माइल करते हुए बोली:"

" हान जानती हूं क्यों मन कर रहा है आपका और पिछली बार आपका गजरा मसला हुआ मिला था मुझे आपके बेड के नीचे मानो फूलो का सारा रस कोई निचोड़ कर पी गया हो!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह नीचे झुक गया तो सीमा उसका मुंह उपर उठा कर उसकी आंखो में देखते हुए बोली :

" शर्माती क्यों हो शहजादी! फूल तो मसले जाने के लिए ही होते हैं

इतना कहकर सीमा ने सलमा की चुचियों की तरफ इशारा किया तो सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"

" जा भाग जा यहां से !! बेशर्म कहीं की !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और जाते हुए बोली:

" अब सच बात भी आपको कड़वी लगती है तो इसमें मेरी क्या गलती! लेकिन देखना विक्रम ने आपके फूलो को मसल मसल कर इनका रस न निकाल दिया तो कहना आप!

इतना कहकर सीमा उसे स्माइल देती हुई बाहर निकल गई और सलमा नहाने के लिए चली गई! सीमा थोड़ी देर ही एक गजरा लेकर आ गई और बोली:"

" लो शहजादी ले आई आपके लिए गजरा! लेकिन इस बार बेचारे को बेड के नीचे मत फेंका देना जोश जोश में आप!

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" मैने नही फेंका था, मैं भला क्यों नीचे फेंकने लगी

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा जी आपने नही फेंका था तो किसने फेंका था गजरा!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और बोली:"

" किसी ने नहीं फेंका था अपने आप ही गिर गया होगा!

सीमा शहजादी के पीछे आई और उसे कसकर पकड़ कर बोली:"

" और कितना झूठ बोलोगी शहजादी! मैने विक्रम को आपके कक्ष में देखा था परदे के पीछे छिपे हुए ! समझी आप!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और धीरे से बोली:" सपने में देखा होगा सीमा!
चलो जल्दी से गजरा लगाओ!

सीमा समझ गई कि सलमा उससे शर्म के मारे बताना नही चाहती है तो सीमा ने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और गजरा उसके बालो में लगा दिया और थोड़ी देर बाद सलमा ने खाना खाया और उसके बाद करीब दस बजे सीमा चली गई तो सलमा बेचैनी से खुद को आईने में निहारती हुई देखने लगी!

वहीं दूसरी तरफ अजय ने बड़ा सा शीशा घर में लगा दिया और बोला:" मां हमे दोनो को राजमहल बुलाया हैं! हो सकता है कि कुछ जरूरी काम हो!

दोनो बेटे राजमहल गए और राजमाता बोली:"

" अजय बेटे आप विक्रम के साथ मिलकर हथियारों का मुयावना कर लो एक बार और दूसरे कुछ जरूरी हथियार भी आपको लेने होंगे आज पड़ोसी राज्य से!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता, मैं आज ही युवराज के साथ ये सब काम कर दूंगा!

इतना कहकर अजय विक्रम के साथ निकल गया! दोनो घोड़ों पर बैठे हुए जा रहे थे और विक्रम जानता था कि अगर वो पड़ोसी राज्य गया तो पूरी रात वही लग जायेगी और सलमा से मिल नही पायेगा तो उसने एक बहाना बनाया और बोला:"

" अरे अजय मैं तो भूल ही गया कि पड़ोसी राज्य तो आज रात अपनी आजादी के जश्न में डूबा होगा! हमे कल जाना पड़ेगा!

अजय:" ऐसा हैं तो फिर हमे राज्य वापिस जाना चाहिए क्योंकि जाने का कोई फायदा नहीं होगा!

उसके बाद दोनो वापिस राज्य की तरफ लौट पड़े और दूसरी तरफ मेनका थोड़ी देर बाद ही अपने घर आ गई और आज खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नही पद रहे थे क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसे आज ये सुनहरा मौका मिला था! अजय के घर पर नहीं होने से वो पूरी तरह से आजाद थी और वो अच्छे से नहाई और उसके बाद साड़ी और चूड़ियां लेकर नीचे कक्ष की और चल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ राज्य में घुसकर अजय अपने घर की तरफ चल पड़ा और मौका मिलते ही विक्रम ने अपना घोड़ा सुल्तानपुर की तरफ दौड़ा दिया और घोड़े को बाहर ही छिपाकर गेट पर पहुंचा और बोला:"

" हमे अंदर आने की इजाजत दीजिए! मुझे अपने दोस्त रहीम से मिलने जाना है!

सैनिक:" ओए भिखारी तुम फिर आ गए! जब्बार का साफ हुक्म है कि किसी को भी अंदर नही आने दिया जाएगा समझे! जाओ अपने घर वापस भाग जाओ!

विक्रम ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली और बोला:"

" आप ये रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए!

सैनिक बाद तेज था उसने विक्रम के हाथ से अंगूठी ले ली और एक झटके के साथ खिड़की को बंद करते हुए बोला:"

" भाग जाओ यहां से और कभी मत आना नही तो मार दिए जाओगे समझे!

खिड़की के बंद होते ही विक्रम निराशा में डूब गया और वापिस अपने राज्य की तरफ लौट चला क्योंकि वो जानता था कि अब उसका अंदर जाना संभव नहीं है! सलमा उसका इंतजार कर रही होगी लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था!

दूसरी तरफ अजय रात के करीब 11 बजे अपने घर पहुंच गया और धड़कते दिल के साथ उसने अपनी मां के कक्ष में धीरे से झांका तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वो उसे नही मिली और अजय की सांसे तेज हो गई और धीरे से नीचे कक्ष तक की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो जानता था कि उसकी मां नीचे शीशे में खुद को निहार रही होगी!

अजय ने घर के सब खिड़की दरवाजे अच्छे से बंद किए और सावधानी से नीचे पहुंच गया और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी मां मेनका आज साक्षात मेनका ही नजर आ रही थी और अजय को आज यकीन हो रहा था कि उसकी मां का नाम मेनका सच ही रखा है! मेनका लाल रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और सबसे बड़ी बात उसने साड़ी को विशेष अंदाज में बांधा हुआ था जिससे उसकी कमर पूरी नंगी ही थी बस ब्लाउस की पतली सी तनिया उसे नाम मात्र के लिए ढके हुए थी और मेनका पूरी तरह से मदहोश होकर

20240115-172852
अपने खुले बालो के साथ शीशे में देखते हुए नाचती खुद को अश्लील इशारे कर रही थी!

अजय ने पहली बार किसी औरत का ऐसा कामुक अंदाज देखा था और यकीन हो गया कि उसकी मां के अंदर तूफान मचल रहा है और ये सब सोचकर अजय के लंड में तनाव आना शुरू हो गया और वो सावधानी से अपनी मां को देखने लगा जो पूरी तरह से पागल होकर नच रही थी और अपनी गांड़ को बेहद कामुक अंदाज में मटका रही थी! जोर जोर से नाचती हुई मेनका कमर को हिलाते हुए अजय पर कहर बरपा रही थी और उसके दोनो हाथ उसके चेहरे के सामने आ गए और वो अपनी कांच की चूड़ियां एक दूसरे से टकराने लगी और खन खन खन की मधुर आवाज कमरे मे गूंज उठी! अजय चूड़ियों की खनक सुनकर मस्ती से बेहाल हो गया और मेनका मस्त होकर फिर से नाचने लगी!

20240115-172653


उसके बाद मेनका के पैर थक गए तो मेनका ने मदहोशी से अपनी चुचियों की तरफ देखा जो आधी ब्लाउस से झांक रही थी और मदहोश होकर शीशे के बिलकुल सामने पहुंच गई और अपने होंठो को शीशे से चिपका दिया और अपने जीभ निकालकर चूसने का प्रयास करने लगी और उसकी जीभ से रस बहकर शीशे पर फैल गया


m-b-KW1-KNV-mh-Lud1e-S-f-Kf-SCtdq-F-33066602a

मेनका धीरे से बेड पर चढ़ गई और अजय ने देखा कि बेड पर गुलाब के फूल भी पड़े हुए थे जो मस्ती में आकर मेनका ने ही बिछाए थे और मेनका ने मदहोशी से अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी और उसके मुंह पर कामुक भाव उभर आए थे और अजय का बुरा हाल हो गया था और उसका लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया था!

20240114-000848


मेनका की सांसे बेहद तेज गति से चलने के कारण उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर गड़ी हुई थी ! मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई बिस्तर पर अपने जिस्म को पटक रही थी और उसके दोनो हाथ उसकी चूचियों पर आ गई और मेनका ने अपनी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरका दिया और उसकी गोल गोल चूचियां ब्लाउस में खिल उठी तो मेनका ने उन्हें अपने हाथो में भर लिया और सहलाने लगी! मेनका के मुंह से अब हल्की हल्की मधुर सिसकियां निकल रही थी और उसकी जांघो के बीच उसकी चूत में रस भर गया था! मेनका अपने ब्लाउस की तनियो को जोर जोर से पकड़कर खींचते हुए अपनी चुचियों को आजाद करने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थी और उसकी चुचियों के निप्पल भी पूरी तरह से तनकर बाहर आने को मचल रहे थे और मेनका की उत्तेजना अब अपने चरम पर थी!

20240114-000142
अजय अपनी माता की चुचियों को देखकर आपे से बाहर हो रहा था और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर अपनी मां की सारी तड़प शांत कर दे लेकिन वो आज अपनी मा का आनंद खराब नही करना चाहता था इसलिए खड़ा हुआ अपनी माता की कामुक हरकते देख रहा था और मेनका अब अपनी चुचियों को मसलती हुई अपने जिस्म को बिस्तर पर पटक रही थी और कुछ भी करके आज अपने अंदर उठते हुए इस तूफान को शांत कर देना चाहती थीं! मेनका के हाथ उसकी चूचियों को छोड़कर उसके पेट पर आ गए और सहलाते हुए नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गए मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी
20240114-000405
20240114-000552



मेनका ने मदहोश होकर शीशे में खुद को देखा और उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर निकल गई और सूखे होंठो को गीला करने लगी! अजय का लंड एक झटके के साथ उछल पड़ा और अजय ने हाथ से जोर से सहला दिया और पर्दा हिल गया और तभी उसकी नज़र हिलते हुए परदे पर पड़ी और अजय को देखते जी मेनका को मानो लकवा सा मार गया और शर्म के मारे बिस्तर पर उल्टी लेटकर लंबी लंबी सांसे लेने लगी! अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तो वो दबे पांव अपने खड़े लंड के साथ उपर की तरफ चल पड़ा! मेनका ने उसके जाते ही राहत की सांस ली और अपनी साड़ी को ठीक करके उपर की तरफ बढ़ गई लेकिन उसके कदम कांप रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि जरूर अजय गैलरी में उसका इंतजार कर रहा होगा और उसने कल की तरह मेरा हाथ पकड़ लिया तो क्या होगा ये सोचकर न चाहते भी चूचियां अकड़ गई, निप्पल सख्त होकर तन गए और चूत के होंठो से मधुर रस बह चला! मेनका के नीचे वाले होंठ बिलकुल गीले रसीले हो गए थे जबकि उपर वाले सूख गए थे और मदहोशी से चूर मेनका उपर की तरफ चल पड़ी! जैसे ही वो गैलरी में पहुंची तो उसे बिलकुल अंधेरा नजर आया और मेनका जैसे ही आगे बढ़ी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो मेनका कांप उठी और पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन अजय ने कसकर उसका हाथ पकड़े रखा और एक झटके के साथ अपनी तरफ खींचा तो दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय उसके कंधो पर हाथ रखकर बोला:"

" क्षमा कीजिए माता! मेरी वजह से आप पूरा आनंद नही ले पाई!

जलती मचलती हुई मेनका उसके मर्दाने स्पर्श से पिघल सी गई और धीरे से बोली:" मेरा हाथ छोड़ दीजिए पुत्र! मुझे जाने दीजिए!

मेनका की तेज रफ्तार से चलती ही सांसों के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां अजय के सीने में घुसी जा रही थी अजय का लंड उसकी जांघो में घुसा हुआ था जिससे मेनका पूरी तरह से तड़प रही थी और अजय ने उसके चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसके कांपते होंठो पर अपनी उंगली फेरते हुए धीरे से मदहोशी से बोला:"

" माता आप बेहद आकर्षक और खुशबूदार हो!


20240115-161942


इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी कमर में लपेट दिया और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहलाने लगा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी बांहों में कसमसाती हुई एक झटके के साथ छूटने की कोशिश करती हुई पलट गई और अजय ने उसे जोर से कस लिया तो मेनका को उसकी मर्दाना ताकत का एहसास हुआ और अजय का लंड अब उसकी गांड़ पर आ लगा तो मेनका पिघल सी और धीरे से फुसफुसाई:

" अह्ह्हा पुत्र, जाने दीजिए मुझे! रात बहुत हो गई है!

अजय ने अपने दोनो हाथों को उसके सीने पर बांधते हुए अपने होंठो से उसके एक गाल को मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो मेनका की चूत रस बाहर टपक पड़ा और वो खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ते हुए सिसकी:"

" अअह्ह्ह्हह पुत्र, कोई देख लेगा मत करो हाय ये सब!

मेनका का जिस्म उसके शब्दो का साथ नही दे रहा था और अजय ये बखूबी समझ गया था और अजय ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी चुचियों को ब्लाउस से ही हल्की सी सहलाते हुए बोला:"

" कोई नही देखेगा मेरी सुंदर माता! उफ्फ आपकी सांसे इतनी तेज क्यों चल रही है माता!!

इतना कहकर अजय ने अपने लंड का दबाव उसकी गांड़ पर दिया तो मेनका थोड़ा सा आगे को हुई जिससे उसकी चूचियां अजय के हाथो में और ज्यादा समा गई और उसने हल्का सा मसल दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह कर बोली:"

" अह्ह्ह् मुझे नही पता पुत्र क्यों इतनी ज्यादा तेज चल रही है! अह्ह्ह्ह्ह मुझे जाने दीजिए ना प्लीज आप!

इतना कहकर मेनका आगे जाने को हुई तो उसकी टांगे खुल गई और अजय का लंड उसकी दोनो टांगो के बीच घुस गया और मेनका मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत में चिंगारी सी जल उठी और अजय ने अब उसकी दोनो चूचियों को थोड़ा जोर से सहलाना शुरू कर दिया और मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से अजय की बांहों में छोड़ दिया और उसकी बांहों में झूल सी गई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच लंड को रगड़ना शुरु कर दिया और मेनका उसके लंड की सख्ती महसूस करके l पागल सी हो गई और अपने पैरो को अजय के पैरो से रगड़ने लगी तो अजय ने जोर से उसकी गर्दन को चूम लिया और उसकी दोनो चूचियों को अब सख्ती से मसलने लगा और दोनो मां बेटे अब खुलकर एक दूसरे के मजे लूट रहे थे! मेनका की चूत पानी पानी हुई जा रही थी और लंड की रगड़ उसे बहकाए जा रही थी और मेनका झड़ने के करीब आ गई तो उसकी सांसे बुलेट ट्रेन की गति से चलने लगी और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल पड़ी और एक चूची ब्लाउस से बाहर निकल गई तो अजय ने उसे अपनी चौड़ी हथेली में कस लिया जोर से मसल दिया तो मेनका मीठे मीठे दर्द से दोहरी होती चली गई और मेनका का रहा सहा धैर्य भी जवाब दे दिया! मेनका ने अजय के हाथ को अपने ब्लाउस में घुसा दिया और अजय ने उसकी दूसरी चूची को भी पकड़कर बाहर निकाल लिया और दोनो को एक साथ मसल दिया तो मेनका जोर जोर से सिसक उठी:"

" अअह्ह्ह्ह पुत्र! मेरा वीर पुत्र!

अजय ने जिस्म में भी उत्तेजना चरम पर थी और मेनका की सिसकियां आग में घी का काम कर रही थी जिससे उसके लंड मे उबाल आना शुरू हो गया और मेनका के टांगो के बीच लंड सटासट घुसने लगा और दोनो ने अपने हाथो हाथो को अजय के हाथो पर टिका दिया और दबाने लगी तो अजय ने इशारा समझकर उसकी चुचियों को पूरी सख्ती से मसलना शुरू कर दिया और मेनका भी अब अपनी चूत को पूरी ताकत से लंड पर रगड़ रही थी और अजय उसकी गर्दन चाटते हुए उसे पूरी तरह से बेकाबू किए हुए था! अजय के लंड में उबाल आ गया और उसके धक्के पर मेनका सा जिस्म थिरक उठा और मेनका की चूत में बिजली सी दौड़ गई और एक तेज झटके के साथ मेनका लंड को अपनी जांघो में कसने और उसकी चूत से रस की धार बह चली और मुंह से मादक सिसकियां निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् पुत्र! अह्ह्हा क्या कर दिया मुझे! अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

इतना कहकर वो अपनी गर्दन उचकाकर अजय का मुंह चूमते लगी और अजय ने अपने लंड को ताकत से बाहर खींचा और पूरी ताकत से मेनका की टांगो के बीच घुसा दिया और मेनका दर्द से कराह उठी और अजय के लंड ने उसकी चूत के मुंह पर अपने वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी और जोर से उसकी चूचियां मसल डाली और सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह्ह मेनका!!!! मेरी मेनका आह्ह्ह्ह मेरी माता !

दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए रस छोड़ते रहे और जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो मेनका बेजान सी होकर गिरने लगी तो अजय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कक्ष की तरफ बढ़ गया और मेनका को उसने बेड पर लिटा दिया तो मेनका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अजय मेनका के जिस्म पर पूरी तरह से छा गया और मेनका धीरे से उसके कान में फुसफुसायी

" अह्ह्ह्हह अजय मेरे पुत्र! मैं आज बहुत खुश हूं! मुझे आप मिल गए सब मिल गया!

अजय मेनका की बाते सुन कर समझ गया कि मेनका उसे प्रेमी स्वीकार कर चुकी है तो उसके माथे को चूम कर बोला:"

" ओह्ह्ह मेनका मेरी माता!

उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया और अजय उसके उपर से उतरकर अपने कक्ष में जाने लगा तो मेनका ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और बोली:"

" आज से आप मेरे कक्ष में ही सोया करेंगे अजय पुत्र!

अजय मेनका की बांहों में लेट गया और उससे कसकर लिपट गया और दोनो एक दूसरे की बांहों में सो गए!
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है जब्बार ने विक्रम के अरमानों पर पानी फेर दिया इतनी कोसिस के बाद भी वह सलमा से नही मिल पाया
अजय के लिए यह रात अच्छी रही मेनका ने उसे शायद प्रेमी के रूप में स्वीकार कर लिया है लगता है मेनका अजय को पहले से ही चाहती थी
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
सलमा बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थीं और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी लेकिन 11:30 तक भी विक्रम नही आया था उसका दिल टूट गया क्योंकि वो जानती थी कि आज दिन में जब्बार सुरक्षा बढ़ाने की बात कर रहा था तो इसीलिए ही विक्रम नही आ पाया और अब आयेगा भी नहीं ये सोचकर सलमा की आंखो मे आंसू आ गए और वो अपने बिस्तर से उठी और कक्ष में टहलने लगी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी क्योंकि थोड़ी देर पहले ही वो मधुर मिलन के सपने संजोए हुई थी और सीमा की छेड़छाड़ ने उसके जिस्म को महका दिया था लेकिन अब क्या ही कर सकती थी!

उदास सलमा की आंखे भर आई और आंसू छलक पड़े तो सलमा ने अपने मुंह को साफ किया और बिस्तर पर फिर से लेट गई लेकिन नींद नहीं आ रही थी तो वो विक्रम के बारे में ही सोचने लगी!

दूसरी तरफ गेट न खुलने से निराश विक्रम उदास मन से बैठ गया और सोचने लगा कि अंदर सलमा उसका इंतजार कर रही होगी और पता नहीं उसका क्या हाल होगा तो ये सोचकर विक्रम बेचैन हो गया और सोचने लगा कि मुझे कुछ न कुछ उपाय करना ही होगा और उसके दिमाग में एक विचार आया और तेजी से अपने घोड़े को दौड़ाते में महल की तरफ आया और एक मौलवी का भेष बनाकर कुछ मिठाई लेकर चल पड़ा! विक्रम जैसे ही गेट पर पहुंचा तो सैनिकों ने एक मौलवी को अपने सामने देखा तो विक्रम बोला:"

" अस्सलाम वालेकुम कैसे हो आप दोनो!

सैनिक हैरानी से उसे देखते हुए बोले:" वालेकुम अस्सलाम मौलवी साहब, माफ कीजिए आपको पहचाना नहीं!

विक्रम:" अरे कैसी बाते कर रहे हों मियां! हम तो रजिया बेगम के रिश्ते में चाचा लगते हैं उन्हे पता चला कि आपने हमे गेट पर रोक रखा है तो आपकी खाल उतरवा लेंगी!

सैनिक:" माफ कीजिए लेकिन राज्य की सुरक्षा के कारण रात को कोई भी अंदर नही आ सकता ऐसा राज आदेश मिला है!

विक्रम थोड़ा शांत होने का दिखावा करते हुए बोला:" ये तो अच्छी बात है! रात में तो दुश्मन भी अंदर घुस सकता है!

सैनिक:" बस इसलिए तो हम मजबूर हू!

विक्रम:" कोई बात नहीं मै आपकी मजबूरी समझ रहा हूं! एक काम करना आप ये मिठाई उन तक पहुंचा देना ये सलीम को बेहद पसंद है!

सैनिक ने मिठाई का डिब्बा लिया और बोला:" बड़ी अच्छी खुशबू आ रही हैं कहां से लाए हैं आप ये मिठाई ?

विक्रम:" ये ईरान की शाही मिठाई हैं जो सिर्फ राज परिवार के लोगो को ही नसीब होती है! आप दोनो चाहो तो खा लो थोड़ी थोड़ी लेकिन किसी के सामने बोलना मत नही तो मुसीबत आ जायेगी!

दोनो सैनिकों ने मिठाई खाई और बोले:" मिठाई तो बहुत अच्छी हैं सच में मज़ा आ गया!

विक्रम:" अच्छी तो होगी ही आखिर शाही मिठाई हैं!

सैनिक:" सच मे शाही मिठाई पहली बार खाई है तो बेहद अच्छी लगी! मैं कल सुबह ये मिठाई राजमहल तक पहुंचा दूंगा

विक्रम:" अल्लाह तुम दोनो को सलामत रखे! अच्छा मुझे कुछ एक बात बतानी थी आपको!

विक्रम जान बूझकर सैनिकों को कुछ देर के लिए बातो में उलझा रहा था और सैनिक उसकी चाल नही समझ पाए और बोला:"

" क्या खबर है बताओ जल्दी?

विक्रम:"लेकिन वादा करो कि किसी को बताओगे नही तुम!

सैनिक;" वादा किया अब बताओ क्या बात है जल्दी से ?

विक्रम:" ऐसे भी कौन वादा करता है, खुदा कसम खाओ तो यकीन आए आखिर इतनी बात राज की बात है!

सैनिक:" अच्छा ठीक है खुदा कसम, बस अब बताए आप!

विक्रम ने देखा कि दोनो सैनिक नशे में झूम रहे थे और खिड़की के करीब आते हुए बोला:"

" वो बात है कि सलीम...

इससे पहले कि वो आगे बोलता सैनिक बेहोश हो कर गिरने लगा और विक्रम ने खिड़की से हाथ आगे बढ़ा कर उसे थाम लिया और उसकी जेब से चाबी निकाली और सैनिक बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा! विक्रम ने हाथ आगे बढ़ा कर ताला खोल दिया और गेट को धीरे धीरे खोलने लगा और गेट खुलते ही वो अंदर घुस गया और ताले को वापिस लगाकर। चाभी को सैनिक के पास फेंक कर अंदर राज्य में घुस गया और विक्रम अब बेहद खुश था क्योंकि थोड़ी सी देर में वो अपनी प्यारी सलमा से मिलने वाला था! सावधानी से छुपाते छिपते हुए वो महल के पीछे तक पहुंच गया और इधर उधर देखते हुए वो गुफा के अंदर घुस गया और सावधानी से चलते हुए महल के अंदर घुस गया! करीब 12 बज गए थे और विक्रम धीरे धीरे चलता हुआ शहजादी के कक्ष के सामने पहुंचा तो देखा कि कक्ष खुला हुआ है अंदर घुस गया लेकिन शहजादी उसे दिखाई नही दी तो वो उदास हो गया और पूरे कक्ष में अच्छे से देखा लेकिन नही उसे शहजादी नही मिली तो विक्रम का दिल उदास हो गया और वो इधर उधर सलमा को ढूढने लगा और गैलरी से निकलकर बाहर आया तो उसे सामने ही एक शाही बगीचा नजर आया और उसके दिल में उम्मीद जगी कि सलमा शायद बगीचे मे टहल रही होगी और ये सोचते हुए वो धीरे से अंदर घुस आया और देखा कि खूबसूरत फूलो की गंध से बगीचा महक रहा था और विक्रम आगे बढ़ता जा रहा था और जैसे ही आगे मुड़ा तो उसकी आंखे खुली की खुली रह क्योंकि क्योंकि सलमा एक खूबसूरत लाल रंग की नाइटी में सजी हुई बगीचे में घूमती हुई मधुर गीत गुनगुना रही थी!


20240115-151746

लाल रंग की छोटी सी नाइटी में सलमा के दोनो कंधे बिलकुल नंगे हो थे बस नाम मात्र के लिए डोरिया बंधी हुई थी! उसके काले घने बाल हवा में लहरा कर उसके खूबसूरत गोल मटोल चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और ऐसा लग रहा था मानो चांद बादलों के बीच से झांक रहा हो! सलमा की मोटी मोटी गोल मटोल गुम्बद के आकार की चूचियां आधी से ज्यादा बाहर झांक रही थी और चलने के उछल उछल पड़ रही थीं! सलमा इतनी आकर्षक भी हो सकती है इसका अंदाजा विक्रम को आज हुआ और विक्रम खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था क्योंकि एक जीती जागती कयामत हुस्न की मल्लिका सलमा सिर्फ उससे प्यार करती थी! सलमा मस्ती से झूमती हुई आगे बढ़ रही थी और एक फूल उसके चेहरे से टकराया तो सलमा ने उसे प्यार से देखा और नजाकत के साथ तोड़कर अपने दोनो हाथो में लेकर मसलने लगी और उसे सीमा की बात याद आ गई कि आपके फूल भी मसले जायेंगे तो उसने कामुक नजरो से अपनी चुचियों की तरफ देखा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!


20240115-204208


विक्रम उसकी इस अदा पर मस्ती से झूम उठा और सलमा चलती हुई फूलो की खुशबू महसूस करती हुई इधर उधर झूम रही थी और बलखाती कमर के साथ मटकती हुई उसकी गांड़ विक्रम के दिल पर छुरियां चला रही थी और चलते चलते सलमा एक पुल पर चढ़ गई और इधर उधर देखने लगी और तभी उसकी नज़र विक्रम पर पड़ी तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन उसे मानो अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था और उसने अपने बालो को पीछे झटका और फिर से विक्रम को देखा तो उसे यकीन आ गया कि सामने उसका महबूब उसका आशिक विक्रम ही हैं तो सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम को मुस्कान देती हुई एक नजर खुद पर डाली तो शर्मा गई और पीछे की तरफ भाग गई !

20240115-152132


विक्रम मुस्कुराता उसे पीछे पीछे आगे बढ़ गया और सलमा अदा के साथ मटकती हुई एक एक बड़ी सी झाड़ी के पीछे छिप गई और विक्रम ने उसे देख लिया और उसके करीब जाकर झाड़ी के दूसरी तरफ खड़ा हो गया और सलमा झाड़ी के बीच से देखती हुई उसे मंद मंद मुस्कान दे रही थी और विक्रम बोला:"

" माशा अल्लाह बेहद खूबसूरत लग रही हो शहजादी इस लाल रंग की नाइटी में आप!

सलमा के होठों पर उसकी बात सुनकर मुस्कान थिरक उठी और शरमाते हुए बोली:"

" हाय मेरे रब्बा! ऐसा न कहो विक्रम हमे लाज आती है ऐसे कपड़ो में आपके सामने!

विक्रम उसकी अदाएं देखकर तड़प उठा और बोला:"

" कपड़ो का क्या हैं शहजादी कैसे भी आखिर में उतर ही जाते हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और नजरे नीचे करते हुई बोली:"

" कुछ तो शर्म कीजिए आप युवराज! पूरा बिगड़ गए हो आप!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती की नतीजा हैं शहजादी, जिसकी इतनी सुंदर महबूबा होगी तो भी वो बेचैन होगा ही न प्यार करने के लिए!

सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:" इतनी देर से क्यों आए आप ? पता हैं मैं कितनी परेशान थी आपके लिए ?

विक्रम ने उसे सारी बात बताई तो सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और बोली:" हाय अल्लाह अब कल फिर से सभा में हंगामा होगा और सुरक्षा फिर बढ़ा दी जायेगी तो हम अगली बार कैसे मिल पाएंगे युवराज!!

सलमा इतना कहकर झाड़ी से बाहर आ गई और विक्रम की बांहों में समा गई तो विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और सहलाने लगे!

विक्रम उसका माथा चूमता हुआ बोला:" ओह मेरी शहजादी, कल की छोड़ो ना बस अब ये प्यार के लम्हे हैं तो प्यार करो!

सलमा उसके गले में अपनी बांहे डालकर पूरी ताकत से लिपट गई और उसका गाल चूम लिया तो विक्रम ने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और दोनो बेताबी से एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! विक्रम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने मुंह खोल कर उसकी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और विक्रम ने दोनो हाथों को उसकी गांड़ पर रखकर उसकी गांड़ को मसलना शुरू कर दिया तो सलमा बेकाबू उसकी जीभ को चूसने लगी और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी नाइट को उपर चढ़ा कर उसकी बिलकुल कोरी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया तो सलमा को एक तेज झटका सा लगा और वो एक झटके के साथ उसकी पकड़ से निकल गई और एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई तो विक्रम तेजी से आगे बढ़ा और सलमा को फिर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा कसमसा उठी और बोली

" आआआह्हह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! हमे नीचे कुछ नही पहना हुआ है!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से कस लिया और उसकी दोनो चूचियों को हाथो में भर कर सहलाने लगा और जोर जोर से मसलते हुए बोला:" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी, क्या नही पहना है आप नीचे!!

सलमा अपनी चुचियों को दबाए जाने से मस्ती से झूम उठी और मीठा मीठा दर्द उसकी चुचियों से होता हुआ सीधे उसकी चूत पर असर कर रहा था और सलमा धीरे से उसके गाल पर अपने दांत गडा कर बोली:"

" अह्ह्ह्ह मुझे नही पता बेशर्म युवराज!! अह्ह्ह्ह् छोड़ दीजिए ना विक्रम मुझे!

विक्रम ने सलमा की दोनो चुचियों को अब नाइटी के उपर से ही जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके कान की लौ को दांतो से हल्के हल्के काटते हुए बोला

" बताओ ना मेरी जान शहजादी! क्या नही पहना ने मेरी सलमा ने नीचे आज!!

इतना कहकर विक्रम ने अपने खड़े लंड को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा मस्ती से भर उठी और उसके बांहों में मचलती हुई बोली:

" अह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई पे..पे...पेंटी नही पहनी आपकी शहजादी ने मेरे युवराज!!

इतना कहकर सलमा पलटी और कसकर विक्रम से लिपट गई! अब विक्रम ने फिर से सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर जोर से उसकी गर्दन चूसते हुए मसलने लगा तो सलमा के मुंह से सिसकियां निकलने लगी और विक्रम ने एक बार फिर से उसकी उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और सलमा के मुंह में अपनी जीभ घुसा कर उसकी जीभ से मिला दी और दोनो की जीभ एक दूसरे से टकराने लगी! विक्रम ने धीरे से उसकी नाइटी को उसकी कमर तक उठा दिया और सलमा की नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर प्यार सहलाने लगा और सलमा ने जोश में आकर उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम धीरे सलमा की मजबूत मोटी चौड़ी उभरी हुई गांड़ की गोलाईयों के बीच अपनी उंगली चलाने लगा तो सलमा के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई और विक्रम के सीने में अपनी चुचियों को घुसाने लगी और किस तोड़ते हुए सिसकी

" अह्ह्ह्ह मेरे युवराज आईईईईसी ईईईईईआई विक्रम! अह्ह्ह्ह्ह हाय मत कीजिए ना!


सलमा ने खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे गोद में उठा कर वही एक झाड़ी के पीछे लिटा लिया और सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई उसकी तरफ देखने लगी और शर्म के मारे दोनो हाथों से अपना मुंह ढक लिया और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया तो सलमा सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मेरे युवराज मेरे सरताज! कोई देख लेगा!

विक्रम उसकी बात को समझते हुए उसके ऊपर से उतर गया और सलमा खड़ी थी और धीरे धीरे अपने कक्ष की तरफ चलने लगी और फिर रुक गई और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" मैं नही जाती अंदर! आप मुझे परेशान करोगे!

विक्रम उसकी इस अदा पर मर मिटा और धीरे से बोला:"

" मेरी शहजादी को प्यार करूंगा!
ढेर सारा प्यार!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए अपना सीमा उसकी तरफ तानकर बोली:"

" मैं खूब समझती हु आपका प्यार युवराज! मेरी मसल मसलकर क्या हालत कर देते हो बस मैं ही जानती हु!

विक्रम ने एक हाथ बढ़ाकर उसकी चूची को मसल दिया और बोला:"हाय मेरी शहजादी आपको मसलने में बहुत मज़ा आता हैं!


सलमा मस्ती और दर्द से कराह उठी और नखरे दिखाती हुई बोली:"हाय अल्लाह मैं नही जाने वाली आज अंदर!

विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" चलती हो अपनी मर्जी से या गोद में उठा कर के जाऊ अपनी सलमा को!

सलमा उसकी बांहों में मचलती हुई कांपती हुई बोली:" हाय युवराज छोड़ दीजिए ना कोई देख लेगा तो मैं फंस जाऊंगी!

विक्रम ने उसकी गांड़ के नीचे हाथ लगाकर उसे जोर से पकड़ लिया और उसके कान में धीरे से बोला:" बहुत नखरे कर रही थी आप अंदर जाते हुए,अब देखना अंदर ले जाकर सारे नखरे उतर दूंगा आपके मेरी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और कुछ नही बोली! विक्रम गोद में लिए हुए उसके कक्ष में आ गया और सलमा उसकी गोद से उतरकर दरवाजे की तरफ दौड़ी और विक्रम हैरानी से उसे देखता रहा और सलमा ने दरवाजे को बंद कर दिया और आगे बढ़ कर विक्रम के गले लग गई और विक्रम ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठो को चूसने लगा और सलमा की नाइटी को उपर चढ़ा कर उसकी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर मसल दिया तो सलमा कराह उठी और बोली;

" आह्ह् क्या गजब करते हो युवराज!

विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और सलमा ने सिसकियां लेते हुए उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया तो विक्रम ने अपनी उंगली को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज मत कीजिए! उफ्फ नही !! मुझे शर्म आती हैं!

विक्रम:" आज आपकी शर्म दूर कर ही देता हूं शहजादी!

विक्रम ने एक पल के लिए उसे खुद से अलग किया और अगले ही पल जैसे कयामत हो गई क्योंकि विक्रम ने एक झटके के साथ सलमा की नाइटी को पकड़कर उपर किया और सलमा को मादरजात नंगी कर दिया और सलमा शर्म दोनो को से अपना मुंह छुपा कर सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह ये क्या गजब कर दिया युवराज! हम मर जायेंगे

युवराज विक्रम ने अपनी शर्ट और पैंट को भी उतार दिया सिर्फ अंडर वियर में आ गया और उसकी चुचियों को देखा और फिर उसकी जांघो के बीच नजर दौड़ाई जहां से उसकी गुलाबी चूत का हल्का सा उभार नजर आ रहा था और धीरे से उसके कान में बोला:"

" हाय मेरी शहजादी आपकी चूंचियां बड़ी खूबसूरत हैं!

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्म से मरी जा रही थी और कसकर उससे लिपट गई और बोली:" कितने गंदे हो आप जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!

विक्रम ने उसकी नंगी गांड़ को फिर से अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर से मसल दिया तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और विक्रम ने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया तो सलमा को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और सलमा मस्ती से भर गई और उसके होंठो को चूसने लगीं तो विक्रम ने उसकी चुचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और कस कर मसल दिया तो मीठे मीठे दर्द से सलमा सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम धीरे मेरे युवराज!!!

विक्रम ने उसकी चुचियों को फिर से जोर से मसल दिया और उसके कान में बोला:"

" जोर से नही मसलूंगा तो सीमा को अच्छा नहीं लगेगा! वो तो चाहती है कि मैं आपको खूब अच्छे से मसल डालू शहजादी!

विक्रम की बात सुनकर सलमा बहक गई और अपनी चुचियों को उभारती हुई सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम मसल डालो अपनी सलमा को आज जी भरकर! सीमा को पता चलना चाहिए कि युवराज ने शहजादी का हाल बेहाल कर दिया है!

विक्रम कस कस कर उसकी चुचियों को मसल रहा था और सलमा की चूत से रस बहना शुरू हो गया था और विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो सलमा सिसक उठी और अपनी टांगो को खोलते हुए विक्रम की गांड़ पर अपने हाथ रख कर मसलने लगी! सलमा की टांगे खुलते ही विक्रम का लंड अंडर वियर के अंदर से ही उसकी नंगी चूत से छू गया और सलमा जैसे पागल सी हो गई और विक्रम की गांड़ को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चूची पर अपने दांत गडा दिए तो सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी और चूची उसके मुंह से बाहर निकल गई

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज इतने जालिम न बनो मेरे प्रियतम!

विक्रम ने अपनी गर्दन उचकाकर फिर से उसकी चूची की तरफ मुंह बढ़ाया तो सलमा ने खुद ही अपनी चुचियों को उसके मुंह पर रख दिया और विक्रम फिर से बेकाबू होकर बारी बारी उसकी दोनो चूचियों को चूसने लगा और सलमा ने मस्ती से सिसक सिसक कर अपनी दोनो टांगो को पूरा खोलते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया मानो चुदने के लिए अपनी सहमति दे रही हो और विक्रम ने नीचे आते हुए उसके पेट को चूम लिया और जैसे ही उसके होंठ नीचे की तरफ बढ़े तो सलमा का समूचा वजूद कांप उठा और जैसे ही विक्रम ने उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ बढ़ाए तो सलमा सिसकी हुई एक झटके के साथ पलट गई और विक्रम के उपर आ गई और उसके होंठो को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी गांड़ पर रख दिया और सहलाने लगा और उंगली से उसकी गांड़ के छेद को मसल रहा तो सलमा को एक तेज झटका लगा और उछलकर पेट के बल बिस्तर पर लेट गई और लंबी लंबी सांसे लेती हुई विक्रम को देखने लगी! विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए आगे बढ़ा और जांघो के बीच बैठकर उसकी कमर को चूमने लगा तो सलमा का जिस्म मस्ती से उछलने लगा और विक्रम उसकी उसकी कमर चूमते हुए बोला:

" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी! आपकी कमर कितनी चिकनी और खूबसूरत हैं!

सलमा अपनी कमर पर उसकी गर्म जीभ का स्पर्श पाकर मचल उठी और अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरे युवराज, आपके लिए हैं मेरी कमर! अअह्ह्ह्हह हाय मेरे प्रियतम!

विक्रम उसकी कमर चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ गया और उसकी गांड़ के उभार पर अपनी जीभ को फिराया तो सलमा जोर से उछल पड़ी और सिसकी

" हाय अअह्ह्ह्ह युवराज उफ्फ क्या गजब करते हो! अअह्ह्ह्हह इतने गंदे मत बनो!

विक्रम ने उसके दोनो हाथो को मोड़ते हुए कसकर पकड़ लिया और उसकी जांघो पर बैठते हुए सलमा को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया और उसकी गांड़ के उभार को जीभ से सहला दिया तो चाटने लगा तो सलमा मस्ती से सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मत कीजिए विक्रम! अह्ह्ह्ह् ये जुल्म मत कीजिए मुझ पर!

विक्रम ने उसकी गांड़ के उभार को जी भर कर चाटना शुरु कर दिया और सलमा की चूत रस से भर गई थी जिससे सलमा अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए जोर जोर से सिसक रही थी और विक्रम ने उसके हाथो को अपने हाथो में भरते हुए उसकी चुचियों पर रख दिया और मसलने लगा तो सलमा बेकाबू होकर खुद ही अपनी चुचियों को मसलने लगी और विक्रम ने दोनो हाथों से उसकी गांड़ के दोनो पटो को फैला दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह युवराज! उफ्फ मत करो खुदा के लिए! हाय अम्मी बचे ले मुझे!

विक्रम ने उसकी गांड़ के बीच में झांका और उसे सलमा का गांड़ का छोटा सा बेहद कसा हुआ भूरे हल्के गुलाबी रंग का छेद नजर आया जिसे सलमा शर्म से कसमसा कर अंदर बाहर की तरफ सिकोड़ रही थी!


14374892


विक्रम उसकी गांड़ के गुलाबी छेद को देखकर जोश में आ गया अपने अंडर वियर को नीचे करते हुए लंड को आजाद कर दिया और उंगली से उसकी गांड़ का छेद मसल दिया तो सलमा होकर जोर से सिसक उठी और अपनी गांड़ को कसने का प्रयास करने लगी लेकिन विक्रम के आगे उसकी एक न चली और विक्रम ने बेकाबू होकर अपनी होंठो को उसकी गांड़ के छेद की तरफ बढ़ाया तो सलमा उत्तेजना के मारे पूरी जोर से उछल पड़ी और विक्रम के होंठ उसकी रसीली चूत से जा लगे और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी चूत को मुंह में भर लिया और जोर से चूस लिया तो सलमा के मुंह से जोरदार मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अअह्ह्ह्हह युवराज मार डाला मुझे! यूईईईईईईई सीईईईई

सलमा ने अपनी पूरी ताकत समेत कर एक जोरदार झटका खाया और बेड पर गिर पड़ी और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया और नंगा लंड उसकी नंगी चूत से छुआ तो सलमा ने बेकाबू होकर विक्रम के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और जैसे ही उसे अपनी चूत के रस का एहसास हुआ तो शर्म के मारे वो होंठ पीछे करने लगी लेकिन विक्रम उसके सिर को पकड़े हुए उसके होंठो को चूसता रहा और लंड को उसकी गीली चूत पर रगड़ दिया तो सलमा तड़प उठी और उसके होंठ खुल गए और सारी शर्म लिहाज छोड़कर विक्रम के होंठो और जीभ को चूसने लगी! सलमा को अपनी चूत का रस बेहद पसंद आ रहा था और विक्रम के होंठो को जोर जोर से चूस रही थी और विक्रम उसकी चूत पर लंड रगड़े जा रहा था और सलमा खुद अपनी चूत लंड पर उछाल रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को पूरा खोलते हुए लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर और सलमा की आंखो मे देखा और एक धक्का लगाया तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद कर दिया और लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत के होंठो पर जोरदार ठोकर मारी और सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह मेरे युवराज! अअह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं आपकी सलमा को!

विक्रम उसकी आह सुनकर जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा और सलमा भी लंड के धक्के अपनी चूत के मुंह पर खाती रही और दोनो पसीना पसीना हो गए थे और दोनो ही एक दूसरे से ज्यादा ताकत लगा रहे थे तो विक्रम ने जोश में लंड के सुपाड़े को फिर से चूत के मुंह पर रख दिया और सलमा की आंखो में देखा तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद लिया और विक्रम ने उसकी भावना का सम्मान करते हुए उसकी चूत पर लंड को रगड़ना शुरू कर दिया तो बेकाबू होकर सलमा अपनी चूत लंड से चिपकाकर उसे धक्के मारने के लिए उकसाने लगी और दोनो ने एक साथ धक्के मारने शुरू कर दिए और सलमा की चूत के होंठ लंड की मार से लाल हो गए थे लेकिन सलमा पीछे नहीं हट रही थी और ज्यादा जोर लगा रही थी और यही हाल विक्रम का भी था! विक्रम और सलमा दोनो के ही मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल रही थी और दोनो ही एक दूसरे को चूमते हुए सहलाते हुए धक्के लगा रहे थे और सलमा की चूत में सनसनाहट होने लगी तो उसने पूरी ताकत से विक्रम को कस लिया और सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह युवराज! मुझे कुछ हो रहा है! अअह्ह्ह्हह मारो विक्रम और जोर से मारो मुझे!

विक्रम भी झड़ने के करीब आ गया तो उसके लंड मे भी गजब की तेजी आ गई और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलते हुए पूरी ताकत से धक्के मारते हुए बोला

" अह्ह्ह्ह्ह् मेरी शहजादी! मेरी जान सलमा लो और जोर से लो आह्ह्ह्ह् कितनी मीठी हो!

सलमा मस्ती से उछली जा रही रही थी और उसकी चूत की नशे फड़क उठी और उसे लगा कि उसकी जान उसकी चूत से निकलने वाली है तो वो विक्रम को पूरी ताकत से कसते हुए उसका मुंह चूम लिया और सिसकी

" अअह्ह्ह्ह्ह विक्रम! सीईईईईईईईईईई, रीईईईईईईई यूईईईईई मर गई मैं!!

विक्रम ने भी अपने लंड का आखिरी जोरदार धक्का उसकी चूत पर मारा और झड़ने के कारण सलमा की टांगे खुली होने के कारण लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत पर दबाव बनाया और सलमा को अपनी जांघो में दर्द का एहसास हुआ तो उसने अपनी जांघो को कस लिया लेकिन तब तक लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया था और तेज दर्द से कराहती हुई सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सिसक उठी

" अह्ह्ह्ह्ह मेरे अल्लाह! मर गई मैं तो! अअह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई रीईईईईईई यूईईईई मार डाला मुझे युवराज!

विक्रम के लंड ने वीर्य की जोरदार पिचकारी उसकी चूत में मारनी शुरू कर दी और झड़ती हुई सलमा दर्द से कराहती हुई सलमा विक्रम का मुंह चुमती रही! दोनो एक दूसरे से कसकर लिपटे हुए झड़ते रहे और लंबी लंबी सांसे लेते रहे!

आखिर में दोनो के अंगों ने आखिरी सांस ली और विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला: आप ठीक तो हो ना शहजादी! ज्यादा दर्द तो नही हुआ आपको!

सलमा उसका प्यार देखकर पिघल गई और उसके कान खींचती हुई बोली:"

" पहले जान निकाल देते हो और फिर पूछते हो कि ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ! सुधर जाओ युवराज आप समझे!


एक झटके के साथ लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत से बाहर निकल गया और सलमा के मुंह पर दर्द भरी लकीर खींच गई तो विक्रम ने उसका मुंह फिर से चूम लिया तो सलमा बोली:"

" हमे कितना दर्द हुआ है आपको कुछ एहसास भी है! हम अभी इसके लिए तैयार नहीं थे!

विक्रम ने उसके गाल को चूम लिया और बोला:" माफ कीजिए शहजादी लेकिन गलती से हुआ है आप चाहे तो हमे सजा दीजिए!

सलमा ने उसका मुंह चूम लिया और बोली:" आप मेरे युवराज हैं मेरे सरताज! सब कुछ आपके लिए हैं ही बस थोड़ा सा सब्र करो!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके कंधे को सहलाते हुए बोला:"

" मेरी शहजादी मुझे कोई जल्दी हैं बस आपकी ही टांगे खुल गई थी जिससे आपको दर्द हुआ!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और धीरे से उसके कान में बोली:" वो उस समय हम अपने काबू में नहीं थे न इसलिए खुल गई टांगे!

विक्रम उसका माथा चूम कर उसकी चूचियों को देखते हुए बोला:" वैसे आप बिना कपड़ो के ज्यादा खूबसूरत लगती हो! हमसे अब बर्दाश्त नहीं होता है!

सलमा ने उसकी बात सुन कर चादर को दोनो के जिस्म पर खींच लिया और बोली:

" सब समझती हूं आपके इरादे! मेरा क्या हाल कर दिया है बस मैं ही जानती हूं!

विक्रम उसकी चुचियों को अपनी छाती से रगड़ते हुए बोला:" सीमा देखेगी तो खुश हो जायेगी!

सलमा शर्म से दोहरी हो गई और बोली;" वैसे एक बात कहूं ये सीमा अजय को बेहद पसंद करती हैं!

विक्रम ने खुशी से उसका मुंह चूम लिया और बोला:" क्या सच मे! ये तो बेहद अच्छी बात है! दोनो को मिलवाकर इनका प्रेम शुरू करवा देते है!

सलमा:" हान लेकिन कैसे?

विक्रम:" वो सब मुझ पर छोड़ दो बस कल आप शहजादी के साथ नदी किनारे आ जाना!

सलमा:" ठीक हैं अब जल्दी से उठो सीमा आने वाली होगी! जाओगे कैसे आप?

विक्रम:" दिन होने पर आराम से निकल जाऊंगा! आप चिंता मत करिए शहजादी!

उसके बाद विक्रम सलमा के उपर से हट गया और कपड़े पहन कर सलमा का मुंह चूमकर बाहर निकल आया और सलमा बेड शीट को ठीक करके नहाने के लिए घुस गई!
बहुत ही रोमांचकारी अपडेट था दोनो का मिलन बहुत ही erotic था
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
अगले दिन जैसे ही पहरा दे रहे सैनिक बेहोश पड़े हुए मिले तो सुल्तानपुर में हड़कंप मच गया और राज दरबार लगा हुआ था!

रजिया:" आखिर चल क्या रहा है जब्बार ? ऐसी ढीली सुरक्षा व्यवथा मैने आज तक नही देखी!

जब्बार भरे दरबार में जलील हो रहा था और उसका मुंह गुस्से और अपमान से लाल हुआ पड़ा था और बोला:" आप फिक्र न करें क्योंकि आज से सारी सुरक्षा में अपने हाथ में लूंगा और कोई परिंदा भी पर नही मर सकता!

रजिया:" लेकिन जो अभी तक हुआ है उसके पीछे किसी दुश्मन का क्या मकसद हो सकता हैं वो पता करना ही होगा साथ ही साथ अभी तक कल्लू सुनार का कुछ भी पता नहीं चला है!

जब्बार:" कल्लू सुनार को ढूंढने के लिए सैनिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं! जरूरी वो कहीं छिपा हुआ होगा नही तो अब तक मिल जाता!

रजिया:" ठीक हैं लेकिन जब्बार आगे से कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए सुरक्षा से जुड़ी हुई! सैनिकों को होश में आते ही उनसे सब कुछ पता करो और हमें बताओ सब कुछ!

जब्बार:" जैसा आपका हुक्म!

उसके बाद सभा समाप्त हो गई और सलमा चिंता में पड़ गई कि जब्बार जैसे राक्षस के होते हुए विक्रम राज्य में कैसे घुस पायेगा और दोनो का मिलना अब बिल्कुल भी आसान नहीं होगा!

वहीं दूसरी तरफ उदयगढ़ में सुबह अजय अपनी मां मेनका के बिस्तर पर सोया हुआ था और मेनका घर के कुछ काम देख रही थी! अजय की आंख खुली और देखा कि वो अपनी माता के कक्ष में सोया हैं तो उसकी आंखो के आगे रात हुई घटना याद आ गई और उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात जो हुआ वो सपना था या हकीकत! अजय उठा और नहा धोकर तैयार हो गया और मेनका के साथ नाश्ता करने कर बाद राज महल की तरफ बढ़ गया! अजय और मेनका दोनो ने ही एक दूसरे के साथ बिलकुल सामान्य व्यवहार किया मानो रात कुछ हुआ ही नहीं था!

राज महल पहुंच कर अजय ने गायत्री देवी के पैर छुए तो गायत्री ने उसे आशीर्वाद दिया और बोली:" विजयी भव ! ईश्वर तुम्हे अपने कर्तव्य को पूरा करने की शक्ति प्रदान करे!

अजय:" जब तक आपका आशीर्वाद मेरे साथ हैं मैं अपने कर्तव्य को पूरा करूंगा!

राजमाता:" मैं तो हमेशा आप दोनो के साथ हु अजय! अच्छा आज एक काम करना नदी के किनारे जो मंदिर हैं मुझे पूजा के लिए जाना होगा! आप जाने की तैयारी कीजिए!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता! युवराज नही दिख रहे हैं?

गायत्री:" आजकल युवराज राज्य के कामों में रुचि कम ले रहे हैं और देर तक सोते हैं! हमे भी पता करके बताओ जरा क्या कहानी है आखिर इसके पीछे ?

अजय:" आप चिंता न करें राजमाता! मैं युवराज से बात करके आपको बता दूंगा!

अजय राजमाता से मिलने के बाद विक्रम अजय से मिलने के लिए उसके कक्ष में गया तो देखा कि विक्रम 11 बजे भी सोया हुआ है तो वो उसके कक्ष से बाहर आ गया और सैनिकों से मिलने के लिए चला गया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और करीब एक बजे वापिस आया तो युवराज खाना खाकर बैठे ही थे कि अजय को देखते ही बोले:"

" आओ अजय थोड़ा भोजन ग्रहण कर लो आप भी!

अजय:" नही युवराज, मुझे अभी भूख नही है! आप कैसे हो?

विक्रम:" मैं तो अच्छा हु अजय! लेकिन क्या हुआ जो ऐसे पूछ रहे हो आप!

अजय:" नही बस ऐसे ही आजकल आप राज सभा में नही आते और लेट तक सोते हैं तो बस इसलिए पूछा आपसे कि कहीं कोई बीमारी ने तो नही घेर लिया आपको?

विक्रम उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला:" बीमारी हान बीमारी ही तो हैं सच मे एक बेहद हसीन बीमारी जिसकी वजह से हम रात भर नींद नहीं आती !

अजय उसकी बात सुनकर हैरान हो गया और बोला:" ऐसे पहेलियां ना बुझाए युवराज! हम आपके जैसे समझदार नही है!

विक्रम:" बात ऐसी है कि अजय हमने आपके लिए भाभी ढूंढ ली!

अजय उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठा और बोला:" अच्छा जी तो ये बात है हमारे युवराज किसी के प्रेम जाल में पड़ गए हैं

विक्रम:" हान मित्र भाई ऐसा समझ लो कि उसके बिना कुछ अच्छा नही लगता! मन करता है कि वो हर पल मेरी नजरो के सामने मेरी बांहों में रहे!

अजय:" युवराज आप तो सच में प्रेम दीवाने हो गए हैं! आखिर कौन है वो जिसने युवराज को अपना दीवाना बना लिया है!

विक्रम ने अपने दिल पर हाथ रखकर आह भरी और बोला:

" वो तो लाखो में एक हैं हंसती है तो फूल झड़ते हैं और बात करती है तो दिल जीत लेती है! उसकी एक मुस्कुराहट पर जीवन बलिदान करने को जी चाहता है!

अजय:" ऐसा तो सिर्फ स्वप्न से सुंदरी के लिए ही होता है युवराज!

विक्रम ने आंखे बंद करी और उसकी आंखो के आगे सलमा की तस्वीर नजर आई और बोला:"

" सच में अजय स्वप्न सुंदरी से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और हसीन!

अजय:" अच्छा फिर हमें आखिर बताए तो सही कि वो है कौन?

विक्रम ने अजय का हाथ पकड़ लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला:" सुल्तानपुर की शहजादी सलमा!

अजय का मुंह हैरानी से खुला और खुला का खुला ही रह गया और उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो सच सुन रहा है और बोला:"

" क्या युवराज सुल्तानपुर की शहजादी सलमा? मैं सच सुन पा रहा हूं ना ?

विक्रम के चेहरे पर मुस्कान आ गई और बोला:" सही सही सुन रहे हो आप अजय! हम और सलमा एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं!

अजय:" लेकिन युवराज वो तो हमारे राज्य के दुश्मन है आप उनसे कैसे रिश्ता जोड़ सकते हो जबकि आप जानते हो कि वो आपके पिता के कातिल परिवार से हैं!

विक्रम:" सलमा से हमारी कैसी दुश्मनी उसके तो एक मासूम सा प्यार भरा दिल हैं अजय! फिर उसने भी तो अपना पिता खोया है उस लड़ाई में और वो हमे दुश्मन समझती थी लेकिन बड़ी मुश्किल से हम उसकी गलतफहमी दूर कर पाए हैं! डर असल हमे तो लगता हैं कि इस सारे फसाद की जड़ कोई और ही हैं!

अजय ध्यान से उसकी बाते सुनता रहा और विक्रम ने उसे जब्बार की बात बताई तो अजय समझ गया कि सलमा बेकसूर हैं और सच में उसे युवराज की जरूरत है तो बोला:"

" लेकिन युवराज आप उनसे मिलने के लिए सुल्तानपुर जाने की भूल मत करना! कहीं वो आपको फंसा न दे या फिर आप किसी खतरे में ना पड़ जाए!

विक्रम:" हम तो कल पूरी रात सुल्तानपुर में ही थे शहजादी के पास अजय! वो हमें एक खरोच नही आने देगी क्योंकि उसके लिए अब सब कुछ हम ही हैं! अच्छा सुनो आज शहजादी शाम को नदी पर हमसे मिलने के लिए आएंगी! आप हमारे साथ चलना! आप मिल लेना अपनी भाभी से!

अजय चौंक कर बोला:" लेकिन युवराज आज तो शाम को राजमाता पूजा के लिए जायेंगी नदी पर!

युवराज:" कोई बात नही ये तो और खुशी की बात हैं! वो भी अपनी होने बहु से मिल लेंगी!

अजय:" नही युवराज ये इतना आसान नहीं हैं! आप अभी किसी को मत बताना और एक वादा करो कि मुझे बिना बताए आप अब सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम:" आप हमारी चिंता न करे अजय! हम बिना सुरक्षा के कहीं नही जाते है!

अजय:" बात वो नही है युवराज! हमे आप पर भरोसा है लेकिन हमारी भी आपके लिए कुछ जिम्मेदारी हैं! आज के बाद आप जब भी सुल्तानपुर जायेंगे तो हम आपके साथ में जाएंगे!

विक्रम:" अच्छा ठीक हैं जैसे तुम्हे ठीक लगे! अच्छा सुनो उसकी एक सहेली हैं सीमा बेचारी बड़ी अच्छी लड़की हैं और उसने मेरी और सलमा की बड़ी मदद करी हैं और मैने तो उसे बहन बना लिया हैं! सलाम कह रही थी कि वो तुम्हारे बारे में बात करती हैं!

विक्रम की बात सुनकर अजय का दिल धड़क उठा क्योंकि आखिरकार वो भी एक जवान मर्द था और उसकी भी इच्छा थी कि उसकी कोई प्रेमिका हो तो अजय बोला:" आपने जिसे बहन बनाया हैं यकीनन वो अच्छी ही होगी और आप अपनी बहन के दिल की बात हमे बता रहे हैं तो मतलब आप हम पर बेहद यकीन करते हैं! आप भरोसा रखिए युवराज मैं आपके इस भरोसे पर खरा उतरूंगा! अच्छा मैं अब शाम की तैयारी करता हूं!

शाम को करीब पांच बजे अजय राजमाता को लेकर नदी के किनारे पहुंच गया और राजमाता मंदिर में पूजा करने लगी तो अजय बाहर आ गया और सामने से उसे एक बेहद सजी हुई बग्गी गुजरती नजर आई और समझ गया कि ये जरूर शहजादी सलमा की बग्गी होगी तो क्या इसमें सीमा भी आई होगी और वो सलमा को भी देखना चाहता था कि आखिर ऐसा हैं रूप सौंदर्य हैं उसका जिसने युवराज को अपने ऊपर मोहित कर लिया हैं!

एक बड़े पेड़ के नीचे जाकर बग्गी रुक गई और हिजाब लगाए एक बेहद खूबसूरत शहजादी बाहर निकली और उसने वही पेड़ के नीचे तंबू लगाने का आदेश सैनिकों को दिया और थोड़ी ही देर में वहा तंबू लग गया और सैनिक थोड़ी दूर जाकर पहरा देने लगे और तभी अजय को पेड़ की टहनियां हिलती हुई नजर आई और उसकी आंखे हैरानी से फैल गई जब उसने युवराज विक्रम को पेड़ से उतरकर तंबू के अंदर उतरते हुए देखा! अजय सावधान हो गया कि कहीं कोई खतरा तो नही है लेकिन सैनिक अपनी मौज मस्ती में लगे हुए थे और उन्हें सपने में भी अंदाजा नहीं था कि कोई पेड़ से भी आ सकता हैं!

करीब पांच मिनट के बाद हरे रंग का सूट सलवार पहने हुए एक सुंदर लड़की तंबू से बाहर आई और इधर उधर देखते हुए नदी की तरफ चल पड़ी! अजय सावधानी से उसे ही देख रहा था कि ये लड़की कौन है कहीं यही सीमा तो नही है ये सोचते हुए उसका दिल तेजी से धड़क उठा उठा और वो लड़की हाथ में पानी का कैन लिए नदी के किनारे आई! सैनिक अब उसे नही देख सकते थे और अजय को देखते ही उसने पहचान लिया और बोली:"

" आप अजय सिंह हैं न जो उदयगढ़ के सेनापति हैं!

अजय उसकी बात सुनकर हैरान हुआ कि आखिर ये लड़की मुझे कैसे जानती है और बोला:

" मैं अजय ही हु लेकिन क्षमा चाहता हूं आपको पहचान नही पाया!

सीमा:" मैं शहजादी की सहेली सीमा हु! शहजादी और युवराज विक्रम ने आपको अंदर बुलाया हैं

अजय ने उसे बेहद गौर से देखा और अजय को वो बेहद प्यारी और दिलकश लगी और अजय बोला:" आप हमे जानती हैं इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद! लेकिन इतने सैनिकों के होते हुए हम अंदर कैसे जा पाएंगे?

सीमा:" आप उसकी चिंता न करे! हमारे पास एक उपाय हैं!

इतना कहकर सीमा ने बुर्का निकाला और अजय की तरफ बढ़ा दी तो अजय हैरान होते हुए बोला:" तो क्या हम अब बुर्का भी पहनना पड़ेगा?

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:" बस सिर्फ तंबू तक जाने के लिए!

अजय ने सावधानी से बुर्का पहन लिया और चलने लगा और जल्दी ही तंबू में पहुंच गया तो उसे बुर्के में देखते ही विक्रम और सलमा दोनो एक साथ मुस्करा उठे और विक्रम बोला:"

" कमाल के सुंदर लग रहे हो अजय आप बुर्के में! ये हैं आपकी भाभी शहजादी सलमा!

अजय भी हंस दिया और उसने ध्यान से सलमा को देखा और पाया कि सलमा सच में बेहद खूबसूरत हैं बिलकुल किसी स्वर्ग की अप्सरा के जैसी! सच में सलमा और विक्रम दोनो की जोड़ी बेहद खूबसूरत हैं! अजय ने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:"

" भाभी जी सलाम! आप सच में बेहद खूबसूरत हैं और युवराज आपके लिए दीवाने हैं!

अजय की बात सुनकर सलमा शर्मा गई तो सीमा बोली:"

" हमारी शहजादी लाखो में एक हैं और आपके युवराज से बहुत प्यार करती है!

अजय:" हान वो तो है! भाभी आप कोई चिंता मत करना, आपका ये देवर आप दोनो के प्रेम को जरूर पूरा करेगा!

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" शहजादी के बहादुर देवर जी दो प्रेमी मिले हैं तो उन्हें बहुत सारी बाते करनी होगी तो उन्हे अकेला छोड़ दो!


अजय हड़बड़ा सा गया और बाहर निकलते हुए बोला:"

" ओह मैं तो ये बात भूल ही गया था अच्छा मैं चलता हु!

अजय जैसे ही बाहर गया तो विक्रम ने आगे बढ़कर सलमा को सीमा के सामने ही अपनी बांहों में भर लिया तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और कसमसा कर छूटने की कोशिश करने लगी तो उसकी हालत देखकर सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" अरे इतनी बेताबी भी ठीक नहीं है युवराज! मैने तो आपको बात करने के लिए अकेला छोड़ने के लिए कहा था और आप तो कुछ और ही करने लगे हो! लगता हैं मुझे शर्म करनी पड़ेगी!

इतना कहकर सीमा बाहर की तरफ चल पड़ी और विक्रम ने सलमा के गालों को चूम लिया तो पुच्छ की किस की आवाज सुनकर सीमा का मन आनंदित हो गया और अपने होंठो पर मुस्कान लिए बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकली तो कक्ष के बाहर ही उसे अजय मिल गया और अजय उसे स्माइल करते हुए देखकर बोला:"

" ऐसा क्या मिल गया जो इतनी हंसती हुई आ रही हो अंदर से?

सीमा उसकी बात सुनकर ऐसे चुप हो गई मानो सांप सूंघ गया हो और अंदर से अभी तक पुच्छ पुच्छ की आवाजे आ रही क्योंकि अभी सलमा भी विक्रम के चुंबन का जवाब पूरे जोश से दे रही थी और कपड़े से बने इस तंबू में आवाज बाहर तक जा रही होगी इसका उन्हे अंदाजा नही था!

सीमा शर्म से अपनी गर्दन झुकाकर खड़ी हो गई क्योंकि अजय को सामने पाकर उसकी धड़कने तेज हो गई थी और मुंह शर्म से लाल हो गया था और ऊपर से सलमा और विक्रम के किस की मधुर आवाज उसे अंदर ही अंदर बेचैन कर रही थी!

अजय और सीमा दोनो बिलकुल शांत खड़े हुए थे बस अजय सीमा के शर्म से झुके हुए चेहरे को देख रहा था और सीमा शर्म के मारे खुद में ही सिमटी हुई जा रही थी और अंदर कुछ नही बोली तो अजय हिम्मत करके उसके थोड़ा करीब आ गया और बोला:"

" आपने बताया नही सीमा कि शहजादी और विक्रम क्या बाते कर रहे हैं अंदर !

सीमा ने अपने दोनो हाथो की अंगुलियों को एक दूसरे में फंसा लिया और शर्म से पानी पानी हुई जमीन ताकने लगी तभी अंदर से सलमा की मस्ती भरी आह सुनाई पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह युवराज थोड़ा आराम से मेरे प्रियतम!

सीमा सलमा की मधुर सिसकी सुनकर बेचैन हो उठी और उसकी सांसे अब तेजी से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां हिल रही थी और अजय अब उसके ठीक सामने आ गया और हिम्मत करके उसका हाथ पकड़कर कर धीरे से बोला:"

" बताओ ना सीमा क्या बाते कर रहे हैं शहजादी और युवराज अंदर दोनो बिलकुल अकेले!

अजय ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा तो सीमा का पूरा बदन कांप उठा और लड़खड़ाती हुई मदहोश आवाज में धीरे से बोली:"

" मुझे नही पता अजय! मेरा हाथ छोड़ दीजिए ना आप! यूं किसी को तंग करना अच्छी बात नहीं होती अजय!

अजय उसकी बात सुनकर धीरे से बोला:" सीमा आप हमे किसी में समझती हैं क्या ? हमे तो युवराज ने बताया था कि सलमा को आपने कहा था कि आप हमे पसंद करती हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और कुछ बोलती उससे पहले ही अंदर से सलमा की मस्ती भरी सीत्कार निकल गई क्योंकि विक्रम ने हाथ नीचे बढ़ाकर उसकी गांड़ को बिलकुल नंगी पकड़ लिया गया था

" अह्ह्ह्ह सीईईईईआई ईईईईईइ यूईईईईईइ मेरे युवराज! आह्ह्ह्ह्ह मार डालोगे क्या अपनी शहजादी को आज!

सीमा ने सलमा की मादक सिसकियां सुनकर एक बार अजय की तरफ देखा और अपना हाथ उसके हाथ में ढीला छोड़ दिया तो अजय ने उसे हाथ से अपनी तरफ खींचा तो सीमा किसी नाजुक डोर की तरह खींची चली आई और अजय ने उसे अपनी बांहों में भर कर उसका मुंह चूम लिया और धीरे से उसके कान में बोला:"

" मैं आपसे बेहद प्रेम करता हूं सीमा!

सीमा भी उससे कसकर लिपट गई और अपनी बांहों का हार उसके गले में पहना दिया तो अजय ने उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और सीमा के होंठो को चूसने लगा तो सीमा भी पिघल गई और देखते ही देखते दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे!


8a1e7f7181fe15b324ba5eb4d790ca3f

विक्रम और सलमा की मधुर सिसकियां उन्हे और जोश दिला रही थी! करीब दो मिनट तक दोनो का किस चला और उसके बाद जैसे ही दोनो सांस लेने के लिए रुके और एक दूसरे की आंखो में देखा तो दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए और सीमा शर्म से लाल हो गई!

अजय ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और सीमा की गांड़ को मसलने लगा तो सीमा मस्ती से उससे लिपटी जा रही थी! अजय ने उसके होंठो को अच्छे से चूसा और बोला:"

" सीमा मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता ने पूजा कर ली होगी और वैसे भी एक अकेली हैं तो कहीं कोई दिक्कत न हो जाए!

सीमा ने उसका गाल चूम लिया और बोली:" फिर कब मिलोगे अजय मुझसे ?

अजय ने उसके मुंह को चूम लिया और बोला:" बहुत जल्दी सीमा! युवराज शहजादी से मिलने के लिए जब भी आयेंगे तो मैं साथ में जरूर आऊंगा!

सीमा ने उसकी आंखो में देखा और बोली:" मैं आपका इंतजार करूंगी युवराज!

अजय उसके बाद जोर से ही बाहर से बोला:"

" युवराज मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता की पूजा खत्म होने वाली हैं! अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं चला जाऊ क्या ?

सलमा को अपनी बांहों में समेटे हुए विक्रम उसके गुलाबी गाल चूम कर बोला:

" आप चले जाए अजय! मैं भी निकलने ही वाला हु क्योंकि अंधेरा होना लगा हैं!

उसके बाद अजय ने फिर से बुर्का पहना और सीमा के साथ बाहर निकल गया और नदी के किनारे जाकर देखा कि राजमाता की पूजा खत्म हो गई थी और उसे देखते ही बोली:"

" अच्छा हुआ आप आ गए! हम आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे!

अजय:" मैं तो बस बाहर ही आपका इंतजार कर रहा था! अभी मेरे लिए क्या आदेश हैं राजमाता ?

गायत्री:" अंधेरा होना शुरू हो गया हैं तो अब हमें महल की तरफ प्रस्थान करना चाहिए!

उसके बाद अजय ने अपनी बग्गी को निकाला और राजमाता को लेकर महल की तरफ चल पड़ा और सीमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही! वहीं दूसरी तरफ सलमा विक्रम से बोली:"

" युवराज अब आप चले जायेंगे और मेरा दिल उदास रहेगा क्योंकि अब पता नही कब अगली मुलाकात होगी!

विक्रम चादर पर बैठा हुआ था और सलमा उसकी गोद में बैठी हुई थीं और विक्रम धीरे से उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:"

" आप फिक्र न करे शहजादी! हम जल्दी ही फिर से मिलेंगे!

सलमा उससे लिपटती हुई उदास मन से बोली:"

" इतना आसान नही होगा क्योंकि आज सुबह राज्य में बहुत हंगामा हुआ जब बेहोश पड़े हुए सैनिक मिले! जब्बार आज से खुद पहरे पर रहेगा! आप कोई खतरा मोल मत लेना!

विक्रम:" आप फिक्र न करो शहाजदी! आपसे मिलने के लिए मैं कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लूंगा क्योंकि आपकी खूबसूरती मुझे मजबूर कर देगी आपके पास आने के लिए मेरी शहजादी!

इतना कहकर उसने सलमा को जोर से कस लिया तो सलमा कसमसाते हुए बोली:"

" मिलने से ज्यादा आप सुरक्षित रहो वो मेरे लिए ज्यादा जरूरी हैं! बस इस बात की फिक्र रहती हैं कि आप कैसे होंगे! कम से कम मिला न जाए लेकिन आपकी खबर तो मिलती रहे हमे!

विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसके होंठ चूमते हुए बोला:"

" मुझे भी आपकी चिंता होती हैं शहजादी और उसके लिए मैने एक उपाय ढूंढ लिया है! रुकिए आपको दिखाता हु!

विक्रम ने तंबू की छत पर से एक पिंजरा उतारा और उसमे एक बेहद खूबसूरत ताकतवर बाज था जिसे देखकर शहजादी खुश हो गई और विक्रम ने पिंजरा खोल दिया तो वो बाज अपने पंख फड़फड़ाते हुए बाहर आ गया और विक्रम बोला:"

" ये लीजिए शहजादी इसका नाम जांबाज हैं और मुझे आपका संदेश देने के साथ साथ आपकी हिफाजत भी करेगा क्योंकि ये पालतू होने के साथ साथ शिकारी भी हैं!

सलमा ने बाज को इशारा किया तो बाज उसके हाथ पर आ बैठा और अपने पंखों को फड़फड़ाने लगा तो सलमा खुश हो गई!


20240121-142119


सलमा विक्रम से कस कर लिपट गई और उसका मुंह चूमते हुए बोली:" सच में आपने मेरा दिल एक बार फिर से जीत लिया युवराज! अब मैं जब चाहे आपको संदेश भेज सकती हू!

विक्रम:" बिलकुल शहजादी इसलिए ही तो मैने इसे ईरान से आपके लिए मंगवाया हैं! और हां आज से पवन भी आपके साथ ही जायेगा! आपको बाहर भी मैदान में घूमता हुआ मिला जायेगा!

सलमा ने विक्रम को वही गद्दे पर गिरा दिया और उसके होंठो चूसते हुए बोली:" सच में आपके प्यार के बिना मैं बहुत अधूरी थी युवराज! मुझसे शादी कर लीजिए ना आप!

विक्रम ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" बिलकुल मेरी जान आपको अपनी महारानी बनाऊंगा मैं! बस अब राजमाता को मना लू एक बार और आप भी अपनी अम्मी से मौका देखकर बात कीजिए!

सलमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:" अम्मी तो मान ही जायेगी लेकिन जब्बार दिक्कत पैदा करेगा!

विक्रम:" जब्बार को मैं देख लूंगा बस आप अम्मी से बात कीजिए! और आपके भाई को भी जब्बार से दूर रखिए!

सलमा:" मैं तो कोशिश कर चुकी हैं लेकिन वो समझता ही नहीं है! पता नही क्या जादू कर दिया है जब्बार ने उसके उपर!

विक्रम:" आप फिक्र न करो! मैं पता करता हु और शहजादे को जब्बार से दूर कर दूंगा!

सलमा:" ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा होगा युवराज क्योंकि सुल्तानपुर को उसका असली महाराज मिल जाएगा!

विक्रम:" आप चिंता न करे! मैने आपको वचन दिया हैं तो पूरा करूंगा मेरी जान! अच्छा अब अंधेरा पूरा हो गया है तो आप जाने की तैयारी कीजिए!

सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:" मन तो नही करता हैं युवराज लेकिन जाना तो पड़ेगा!

दोनो ने एक दूसरे को सिद्दत से चूम लिया और उसके बाद विक्रम वापिस तंबू की छत से बाहर निकल आया और सलमा सीमा के साथ अपने राज्य वापिस लौट पड़ी!
सीमा और अजय का भी मिलन हो गया है और दोनो ने एक दूसरे को kiss करके अपने प्यार का इजहार कर दिया है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
शमा बेहोशी से जागी तो उसका बदन दर्द से टूटा जा रहा था क्योंकि पिंडाला ने उसे बड़ी बेरहमी से चोदा था और उसके पुरे बदन में सुइयां सी चुभ रही थी क्योंकि उसे इतनी बेदर्दी से रगड़ा, मसला गया था मानो दुनिया में आखिरी औरत बची हुई हो! शमा ने अपनी जांघो को थोड़ा सा फैलाने की कोशिश करी तो उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी क्योंकि उसकी जांघो से खून निकल आया था और चूत तो मानो फटकर किसी भैंस की चूत जैसी हो गई थी! अपनी दुर्दशा देखकर शमा की आंखो में आंसू आ गए और बड़ी मुश्किल से खड़ी होने की कोशिश करने लगी तो उसके पैर जवाब दे गए और गिर पड़ी!

चारो तरफ अंधेरा था और शमा को अपने बचने की यही एक उम्मीद जगी और बड़ी मुश्किल से दर्द सहती हुई खड़ी हो गई और हल्के अंधेरे में आस पास देखते हुए बाहर निकलने का कोई रास्ता तलाशने लगी लेकिन सब तरह उसे पहरा दे रहे पिंडारी ही नजर आ रहे थे तो शमा निराश हो गई और महल में नीचे की तरफ आ गई और देखा कि एक बेहद पतला सा रास्ता गया था जिस पर करीब 50 पिंडारी पहरा दे रहे थे और शमा हैरान हो गई कि आखिर यहां ऐसा क्या कीमती खज़ाना छुपा हुआ हैं जो इतने आदमी को निगरानी के लिए रखा गया है तो उसने पता करने का निर्णय लिया! शमा को यकीन था कि अंदर जरूर पिण्डाला सोया होगा और वो मारकर अपने दर्द और बेइज्जती का बदला लेना चाहती थी! हालाकि वो जानती थी कि उसके बाद उसी मौत तय होगी लेकिन अभी कौन सा वो। जिंदा हैं ये सोचकर उसने होंठो पर जहरीली मुस्कान आ गई!

शमा ने आस पास ध्यान से देखा तो उसे पता चला कि यहां आ अंदर जाना संभव ही नहीं है तो उसने छत पर से जाने का फैसला किया और धीरे धीरे दर्द से कराह कर छत पर पहुंच गई और नीचे उतरने का कोई रास्ता देखने लगी लेकिन कुछ हाथ नही लगा तो वो निराश हो गई! सहसा उसे याद आया कि उसे रस्सी से बांधा गया था तो जैसे तैसे करके रस्सी ले आई! शमा जानती थी कि ये उसके लिए लगभग असम्भव सा हैं लेकिन जिसे मौत से डर न हो उसे जिंदगी से कोई प्यार नही होता और शमा रस्सी को एक पिलर से बांध कर नीचे लटक गई तो दीवार से जा टकराई और जोर से तड़प उठी और आंखो से आंसू निकल पड़े लेकिन उसके मुंह से आह तक नही निकली! शमा ने रस्सी से लटके हुए ही बड़ी मुश्किल से खिड़की को धीरे से खोला और हल्के अंधेरे में उसे कोई अंदर नज़र आया तो शमा अपनी सारी ताकत समेट कर खिड़की से अंदर उत्तर गई और अपने साथ लाई तेज धारदार छुरे को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वार करने वाली थी तो उसे एहसास हुआ कि पिंडाला तो मोटा तगड़ा राक्षस जैसा हैं और ये आदमी तो देखने में बेहद दुबला पतला और कमजोर लग रहा था मानो हाड़ मांस का पुतला हो बस! शमा रुक गई और उसे करीब से देखने की कोशिश करने लगी तो उसे एहसास हो गया कि ये आदमी पिंडारी नही हैं तो उसने धीरे से देखा तो उसे यकीन हो गया कि जरूर वो इस आदमी को जानती हैं और कहीं देखा हैं लेकिन उसे समझ नही आ रहा था! शमा ने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला लेकिन कुछ याद नही आया तो उसने धीरे से आदमी को उठाया तो डरते हुए उठ गया और कुछ बोलता उससे पहले ही शमा ने अपने हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और आदमी एक औरत को अपने पास पाकर सुकून की सांस ली और इशारे से अपने मुंह से हाथ हटाने के लिए कहा तो शमा ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए मुंह से हाथ हटा दिया और बोली:"

" आप कौन हैं और यहां किसने आपने कैद किया हैं!

उस आदमी ने शमा को अपनी कहानी बताई और शमा की आंखे फटी की फटी रह गई! उसे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था कि क्या वो सच सुन रही हैं और उसकी आंखे कोई सपना तो नहीं देख रही हैं! शमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"

" आप मेरा विश्वास कीजिए मैं जरूर आपको इस कैद से आजाद करने में मदद करूंगी!

आदमी:" लेकिन ये इतना आसान नही होगा क्योंकि यहां चाह कर भी कोई आदमी नही आ सकता क्योंकि आज तक यहां आने के बाद कोई भी जिंदा वापिस नही गया हैं क्योंकि पिंडारी इंसान नही भूखे भेड़िए है!

शमा:" आप मेरा यकीन कीजिए मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयास करूंगी! बस आप हिम्मत मत हारना अपनी!

आदमी:" ठीक हैं, अब आप जाओ कहीं किसी ने देख लिया तो मुसीबत जा जायेगी!

शमा ने रस्सी पकड़ी और उसके सहारे बाहर निकलने लगी लेकिन निकल नही पाई तो उस आदमी ने उसकी मदद करी और भले ही उसके बाजू कमजोर हो गए थे लेकिन अभी भी ताकत काफी बची हुई थी!

शमा बड़ी मुश्किल से अपनी जगह पर वापिस पहुंच गई और सोचने लगी कि यहां से खुद कैसे निकला जाए और आदमी को कैसे बचाया जाए! शमा जानती थी कि चाह कर भी वो यहां से भाग नही सकती तो इसके लिए मुझे अपना संदेश ही बाहर भेजना होगा लेकिन कैसे ये सवाल उसके दिमाग में घूम रहा था और फिर शमा ने एक चाल चलने का मन किया! हालाकि ये बेहद मुश्किल था और उसकी जान भी जा सकती थी लेकिन दूसरा कोई उपाय नहीं था!

दूसरी तरफ आज शाम को अजय और मेनका दोनो को राजमाता ने महल बुलवा लिया क्योंकि आज राजमाता गायत्री देवी का का जन्मदिन था तो दोनो पूरी रात वही महल मे रहे और अजय और विक्रम दोनो एक दूसरे से अपनी अपनी प्रेमिका को कहानी सुनाते रहे!

वहीं दूसरी तरफ शमा सुबह सोकर उठी तो बूढ़े पिंडारी उसे नहाने के लिए ले गया तो शमा उससे बोली:"

"बाबा आपकी इतनी उम्र हो गई हैं और आप अभी भी काम करते हो ?

बूढ़ा ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा और बोला:" चुपचाप नहाओ और मुझे मेरा काम करने दो समझी कुछ!

शमा उसके साथ चलती हुई तालाब तक गई और नहाने के लिए उसमे उतर गई और अपनी चुचियों को उसके सामने ही मल मल कर साफ करने लगी जिन पर पिंडाला के मुंह से निकली हुई बदबूदार लार लगी हुई थी जिसके हटते ही उसकी चूचियां निखर कर सामने आ गई! बुरी तरह से मसले जाने से लाल सुर्ख हो चुकी उसकी चुचियों में अलग ही रंगत आ गई थी और बूढ़ा उसे वासना भरी नजरो से देख रहा था तो शमा उसे मुस्कान देती हुई बोली:" ऐसे क्या देख रही हो कभी औरत नही देखी क्या ?

बूढ़ा:" देखी है लेकिन तेरे मस्तानी नही देखी! सच में कमाल की हु तुम!

शमा समझ गई कि उसका तीर सही निशाने पर लगा हैं तो उसकी तरफ अपनी पूरी चूचियां उभारते हुए बोली:"

" क्यों कभी किसी औरत को नही भोगा क्या अच्छे से ?

बूढ़े ने एक ठंडी आह भरी और बोला:" मेरी ऐसी किस्मत कहां! लूटी गई औरतों में से एक दो बार बूढ़ी और कमजोर औरत मिली थी तो मजा कहां आता मुझे!

शमा ने अपनी चुचियों के निप्पल को कस कर मसल दिया और मादक सिसकी लेती हुई बोली:"

" और अगर मिल जाएं तो कोई मेरे जैसी?

बूढ़े के चेहरे पर खुशी एक पल के लिए आई और चली गई और बोला:" मेरी ऐसी किस्मत कहां जो अब इस उम्र में ऐसा मजा नसीब हो !

शमा थोड़ा सा उसके करीब आई और पानी में ही अपनी एक टांग को उपर उठा उठाकर अपनी चूत को उसे दिखाते हुए साफ करने लगी तो बूढ़ा का मुंह वासना से लाल हो गया और शमा की चूत को देखने लगा तो शमा समझ गई कि उसका तीर सही निशाने पर लगा हैं बस इसे ठीक से इस्तेमाल करने की जरूरत है!

नहाने के बाद शमा बाहर आ गई और बूढ़े के अंदर कमरे की तरफ चल पड़ी! अभी करीब छह ही बजे थे और कोई दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा था तो शमा ने बूढ़े का हाथ पकड़ लिया तो बूढ़ा बोला:"

" किसी ने देख लिया तो मुझे मौत मिलेगी! ऐसा मत करो!

शमा ने उसके लंड के उभार को सहला दिया और बोली:"

" इतना डरोगे तो मस्ती कैसे करोगे मेरे साथ !!!

शमा ने अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी और बूढ़े के साथ साथ कमरे में आ गई और बूढ़ा थोड़ी देर के लिए बाहर गया और करीब पांच मिनट बाद वापिस आया और शमा को गोद में उठा लिया तो शमा इठलाते हुए बोली:"

" कहां गए थे ?

बूढ़ा ने उसकी चुचियों को जोर से मसल दिया और सच में पहली बार उसने इतनी सख्त और तनी हुई चुचियों को मसला था तो उसे बहुत मजा आया और फिर से उसकी चूचियां दबाकर बोला:"

" देखने गया था कि पिंडाला कहां है और क्या कर रही है!

शमा चूचियां मसले जाने से दर्द से तड़प उठी लेकिन उसके लंड को सहलाती हुई बोली:"

" फिर क्या देखा?

बूढ़ा ने उसकी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया और उसकी चूत मसलते हुए बोला:"

" महल में नही है कभी बाहर गया हुआ है वो! अभी नही आने वाला!

शमा ने उसकी धोती को खोलकर उसके लंड को नंगा कर दिया तो उसे हैरानी हुई क्यूंकि बूढ़े का लंड अभी भी काफी सख्त था और सलमा उसे रगड़ती हुई बोली:"

" उफ्फ आप तो अभी पूरे जवान हो ! लगता हैं मेरी फाड़ ही डालोगे! अच्छा एक बात बताओ अगर पिंडाला आ गया तो क्या होगा ?

बूढ़ा अब जोश में आ गया और उसने एक उंगली को उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह कितनी सख्त हो तुम! पिंडाला अपनी गांड़ मराए अब तो मैं तुझे छोड़ने वाला नही हु!

यही तो शमा चाहती थी कि बूढ़ा उसके इशारों पर नाचे और वही हो रहा था तो शमा उसकी टांगो के बीच में बैठ गई और तो बूढ़े को कुछ समझ नही आया और शमा की तरफ देखा तो शमा ने उसके लंड पर अपनी जीभ फिराई तो बूढ़ा मस्ती से कांप उठा


blowjob-gifs-001-2
the bird smileys
।शमा ने अपने मुंह को पूरा खोलते हुए गोलाकार किया और लंड के मोटे सुपाड़े को अपने मुंह में भर लिया तो बूढ़ा की आंखे आनंद से बंद हो गई! बूढ़े को पता ही नही था कि लंड को ऐसे भी चूसा जाता हैं तो बूढ़ा आज सातवे आसमान पर था और शमा ने उसके लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया तो बूढ़े ने उसकी तरफ देखा तो शमा खड़ी हो गई और बूढ़ा इसे नीचे लंड पर झुकाने लगा तो शमा अपनी चल चलते हुए बोली:"

" सब कुछ करूंगी लेकिन मेरा एक काम कारण होगा!

बूढ़ा ने उसके मुंह को अपने लंड पर टिका दिया और बोला:"

" सब कर दूंगा! बस फिर से मुंह में ले लो अपने!

शमा समझ गई कि बूढ़ा अब पागल हो गया है तो शमा ने उसके लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं तो बूढ़ा मजे से पागल हो गया और शमा के सिर को लंड पर धकेलने लगा! शमा को इतना बाद लंड चूसने में दिक्कत हो रही थी लेकिन वो जानती थी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा ! बूढ़ा मस्ती से पागल हो गया तो शमा ने अब लंड को मुंह से निकाल दिया और घोड़ी बन कर बेड से सट गई तो बूढ़ा उसकी उभरी हुई चूत देखकर पागल सा हो गया और समझ नही आया कि क्या करना है क्योंकि उसे तो बस इतना पता था कि औरत के उपर चढकर ही सेक्स किया जाता हैं!

शमा ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया और उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया तो बूढ़ा समझ गया कि उसे क्या करना है और उसने धक्का लगाया तो लंड आधा अंदर चला गया और शमा दर्द से कराह उठी और बूढ़े ने इतनी कसी हुई चूत में लंड जाने से मदहोश होकर पूरा तगड़ा धक्का लगाया और लंड पूरा घुस गया और शमा आगे के गिर पड़ी लेकिन फिर से झुक गई और बूढ़े ने धक्के मारने शुरू कर दिए और उसे इतना मजा कभी नहीं आया था तो शमा से बोला:"

" आह्ह्ह्ह मेरी रानी, तूने तो मुझे जन्नत दिखा दी! अब तो रोज मजे करूंगा ऐसे ही छुप छुप कर !

शमा ने अपनी चूत को कसते हुए लंड को पूरी तरह से जकड़ लिया और बोली:"

" ये तो शुरुवात है इससे कहीं ज्यादा मजा आएगा लेकिन पहले मेरा एक काम करना होगा!

बूढ़ा लंड जकड़े जाने से मस्ती से सिसक उठा और बोला:"

" करूंगा सब करूंगा तुम बोलो बस मुझे क्या करना हैं अह्ह्ह्हह ढीली करो ना अपनी!

शमा ने अपनी चूत को थोडा ढीला छोड़ दिया तो बूढ़ा धक्के लगाने लगा और दर्द से कराह कर शमा बोली:"

" सुल्तानपुर जाना होगा और मेरे आशिक शहजादे सलीम तक उनकी ये अंगूठी पहुंचा देना!

बूढ़ा की आंखे चौड़ी हो गई कि ये क्या बकवास कर रही है लेकिन मजे के चलते बोला:"

" चला जाऊंगा लेकिन सिर्फ एक ही बार जाऊंगा और यहां किसी को पता नही चलना चाहिए!

बूढ़े की बात से खुश होकर शमा ने उसकी उंगली को अपनी गांड़ के छेद पर रख दिया और घुसाने का इशारा किया तो बूढ़े ने हैरान होते हुए उंगली को अंदर घुसा दिया तो शमा दर्द से तड़प उठी और बोली:"

" इसमें तेरा लंड घुसा लूंगी मैं तेरे वापिस आने के बाद!

बूढ़ा गांड़ की कसावट महसूस करके जोश मे आ गया और उसकी चूत में तेजी से धक्के मारने लगा और थोड़ी देर के बाद दोनो झड़ गए और बूढ़ा झड़ने के बाद निकल गया!



धीरे धीरे शाम होने लगी और पिंडाला आया और भूखे भेड़िए की तरह शमा पर टूट पडा! शाम दर्द से तड़प रही थी लेकिन वो उसे बुरी तरह झिंझोड़ रहा था और पटक पटक कर चोद रहा था जिससे शमा की दर्द भरी चींखें गूंज रही थी और पिंडाला बोला:"

" साली अभी तक दर्द होता हैं क्या! इतना मत चींख! परसो तुझे पिंडारी पर्व पर सामूहिक चोदना हैं! मैं तेरी चुदाई करूंगा और सारे पिंडारी देखेंगे!

शमा दर्द से कराहती रही लेकिन वो राक्षस उसे चोदता रहा और अंत में उसे चोदकर चला गया तो दर्द से तड़पती हुई शमा ने अपनी अंगूठी के साथ छोटा सा पेपर भी चिपका कर बूढ़े को दिया और बूढ़ा अंधेरे का फायदा उठाकर सुल्तानपुर की तरफ बढ़ गया!

रात के करीब दस 11 बजे वो सुल्तानपुर की सीमा के आस पास पहुंच गया और दूसरी तरफ विक्रम भी वही सीमा की याद में नदी किनारे आया हुआ था और पिंडारी की बदबू को सूंघते ही वो सावधान हो गया और बूढ़ा जैसे ही पास से गुजरा तो उस पास हमला कर दिया और देखते ही देखते बूढ़े और विक्रम के बीच युद्ध छिड़ गया और बूढ़ा भी उसका तगड़ा मुकाबला कर रहा था लेकिन युवराज ने उसे अपने काबू में कर लिया और उसकी गर्दन को उल्टी तरफ मोड़ते हुए बोला:"

" बोल इतनी रात को यहां कर रहा था बूढ़े ?

बूढ़ा दर्द से कराह कर बोला:"

" आह मुझे मत मारो मैं तो बस ये अंगूठी देने आया हु!

इतना कहकर उसने अंगूठी को विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने उसके साथ लगे पेपर को भी खोल लिया और पढ़ने लगा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसे यकीन नही हो रहा था कि क्या वो सपना देख रहा है या सच हैं!
शमा ने अपने हुस्न के जाल ने बूढ़े को फंसा कर सलीम तक अंगूठी पहुंचने के लिए दे दी है लेकिन अंगूठी विक्रम के हाथ लग गई है और उसे कुछ ऐसा मिल गया है जो उसके लिए और सलमा के लिए फायदेमंद रहने वाला है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
विक्रम को समझ नहीं आ रहा था कि ये सच है या कोई साजिश क्योंकि पिंडारियो के इलाके मे घुसना मलतब मौत को गले लगाने जैसा था! लेकिन सबसे बड़ी बात ये संदेश तो सलीम के नाम आया है जो पहले ही जब्बार के हाथो का मोहरा बना हुआ है तो उसे तो जब्बार जब चाहे कहीं भी मार सकता था तो फिर ये खेल क्यों खेलेगा !!

विक्रम बस ये जानना चाहता था कि शमा कहां है ताकि सचाई सामने आ सके तो वो जाबांज के संदेश का इंतजार कर रहा था कि सलमा उसे कोई संदेश भेज दे! विक्रम को ये भी साफ नही हो रहा था कि इस बूढ़े पिंडारी का क्या करू! मार देना चाहिए या अभी बचा कर रखना चाहिए तो काफी सोचकर विक्रम ने उसे जिंदा ही रखने का फैसला किया! विक्रम ने उसे अपने साथ लिया और बड़ी सी गुफा में बांध कर फेंक दिया और राज्य वापिस लौट आया!

रात का करीब एक बजा हुआ था और सलीम जब्बार से बहस कर रहा था! आज पहली बार ऐसा हो रहा था और सलीम बोला:"

" जब्बार शमा कहां चली गई है?
बताओ मुझे!

जब्बार:" अपने मामा के यहां गई है कुछ दिनों में आ जायेगी!

सलीम:" मेरा कितना ध्यान रखती थी वो मुझे उसकी बहुत याद आ रही हैं! कुछ भी करके कल तक उसे वापिस ले आओ नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!

जब्बार उसकी धमकी सुनकर गुस्से में आ गया और उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया तो सलीम दर्द से कराह उठा और जब्बार बोला:" मुझसे कभी तेज आवाज में बात मत करना नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!

सलीम:" हाथ छोड़ो मेरा दर्द हो रहा है मुझे!

जब्बार ने उसका हाथ छोड़ दिया तो सलीम गुस्से से बोला:"

" जब्बार हमारी रगों में शाही खून दौड़ता है! आज के बाद हमें छुआ भी तो तेरा अंजाम खुद सोच लेना समझे तुम! बोलो शमा कब तक वापिस आयेगी ?

जब्बार जानता था कि अभी सलीम इसके काफी काम आयेगा इसलिए थोड़ा शांत हो गया और बोला:" देखो शहजादे, एक दो दिन में आ जाएगी लेकिन आपको उसकी ऐसी क्या जरूरत पड़ गई हमे भी तो बताओ जरा आप ये बात?

सलीम:" ऐसे ही दो दिन से दिखी नही न, बस इसलिए पूछ रहा था!
ठीक हैं एक दो दिन मैं इंतजार कर लूंगा!

उसके बाद सलीम नशे में झूमते हुए महल में आ गया और जैसे ही सलमा के कक्ष के सामने से गुजरा तो लड़खड़ा कर गिर पड़ा तो आवाज सुनकर सलमा बाहर आ गई और उसे सहारा देनें लगी तो उसके मुंह से शराब की बदबू आई तो बोली:"

" भाई ये क्या बदतमीजी है आपने दारू पी हैं ?

सलीम ने गुस्से से सलमा को देखा और बोला:" तुम कौन होती हो मुझसे पूछताछ करने वाली! मैं होने वाला बादशाह हु!

सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" अम्मी को पता चल गया न तो तुम्हारी ऐसी हालत करेगी कि जिंदगी में कभी हाथ नही लगाओगे दारू को समझे !

सलीम ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और अपने कक्ष की तरफ बढ़ते हुए बोला:" जाओ अपने कक्ष में जाओ अम्मी की लाडली बेटी समझी!

सलमा उसे जाते हुए देखती रही और सलीम लड़खड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने कक्ष में पहुंच गया लेकिन सलमा को जोर से गिरने की आवाज आई तो वो मदद के लिए गई और सलीम को बेड पर लिटा दिया और सलीम बडबडा रहा था कि शमा पता नहीं कब आयेगी! मुझे शमा चाहिए!

सलमा ने उसकी बकवास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कक्ष में आ गई और सोने का प्रयास करने लगी लेकिन नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर पड़ी हुई विक्रम के बारे ही सोचती रही! आखिर कार आधी रात के बाद उसे नींद आ गई!

अगले दिन सुबह विक्रम अजय से मिला और उसे खत दिखाया और बूढ़े पिंडारी से भी मिलवाया तो अजय भी हैरान हो गया कि ये अगर सच नही हैं तो बहुत बड़ी साजिश हो सकती हैं!

विक्रम:" लेकिन अगर सच है भी तो हमे क्या पिंडालगढ़ जाना चाहिए?

अजय:" बिलकुल जाना चाहिए क्योंकि इससे जो दोनो राज्यों के बीच गलतफहमी है वो दूर होगी और असली गुनाहगार सामने आ जायेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर उसके कंधे को थपथपाते हुए बोला:" मुझे आपसे यही उम्मीद थी! मैं जाऊंगा ये तो मैने तय कर लिया था लेकिन आपके जवाब ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया है!

अजय:" हम शहजादे सलीम को अपने साथ ले सकते है इस काम के लिए!

विक्रम:" सलीम किसी काम के लायक नहीं है अभी! दारू और औरत की लत ने उसे इतना कमजोर कर दिया है कि तलवार भी नहीं उठा सकता!

अजय:" ऐसा कैसा हो सकता हैं लेकिन युवराज?

विक्रम:" ये सब जब्बार की साजिश है जिसे वो समझ नहीं पाया है लेकिन अभी उसके सामने सच्चाई आ जायेगी!

अजय:" ठीक हैं युवराज! हम आज शाम को निकल जायेंगे उन्हे बचाने के साथ साथ शमा को वापिस लेकर आएंगे!

विक्रम:" बस मुझे एक बार किसी तरह ये पता चल जाए कि क्या शमा सच में पिंडारियो के कब्जे में या जब्बार की कोई साजिश है!

अजय:" इसके लिए आप शहजादी की मदद ले सकते है!

दोनो बात ही कर रहे थे कि जाबांज उड़ता हुआ नजर आया और विक्रम के होंठो पर आ गई और उसने जाबांज को आवाज दी तो वो उड़ता हुआ उसके हाथ पर आकर बैठ गया और उसकी गर्दन में एक पेपर टंगा हुआ था जिसके साथ गुलाब का एक ताजा खिला हुआ खुशुबुदार फूल भी था! विक्रम ने फूल को निकाल कर प्यार से चूम लिया और खत को पढ़ने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई थी!

" मेरे प्रियतम विक्रम "

"आप खैरियत से होंगे! मैं आपसे बेहद प्रेम करती हू! आपके बिना मन नही लग रहा है मेरा बिलकुल भी! दिल करता हैं कि उड़कर आपके पास पहुंच जाऊ और आपकी बांहों में समा जाऊं!

हो सके तो आज रात मुझसे मिलने के लिए आना! अगर आओ तो मुझे जाबांज के हाथो एक संदेश भेज देना!

आपकी महबूबा सलमा"

विक्रम ने खुशी खुशी खत को पढ़ा और फिर सलमा को सारी बातें खत के जरिए लिख कर भेज दी और उससे शमा के बारे में पता करने के लिए कहा ! सलमा ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू टपक गए और दिल भर आया! सलमा यकीन नहीं कर पा रही थी कि क्या सच मे उसने सही पढ़ा है तो उसने बार बार पढ़ा और फिर उसे यकीन आ गया! सलमा को रात की सलीम की बात याद आ गई कि रात सलीम बोल रहा था कि शमा को पता नहीं कहां भेज दिया है मुझे मेरी शमा चाहिए! उसने ये सब विक्रम को लिखकर भेज दिया और विक्रम को यकीन हो गया कि शमा सच में कैद में हैं!

विक्रम ने शमा को खत लिखा:"

" मैं आज रात अजय के साथ पिंडलगढ़ जाऊंगा। आप मेरे लिए दुआ करना!

सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई क्योंकि पिंडलगढ जाने का मतलब खुदकुशी करने जैसा था! सलमा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे! वो विक्रम को रोकना चाहती थीं लेकिन दिल जाने सेना चाहता था! आखिरकार उसने विक्रम को लिखा:

" युवराज मेरे लिए आप अपनी जान जोखिम में मत डालिए! वहां जाना मौत को गले लगाने जैसा हैं मैं नही चाहती हू कि आप वहां जाकर किसी मुश्किल में पड़ जाय!

विक्रम ने खत पढ़ा तो उसे एहसास हुआ कि सलमा सच में उससे बेहद प्यार करती हैं लेकिन उसने सलमा को लिखा:"

" आप मेरी चिंता न करे शहजादी! मैने तो अपना संपूर्ण जीवन पहले ही आपको समर्पित कर दिया है! जिंदगी क्या मौत क्या सब आपके लिए हैं! पिंडलगढ गया तो शायद बचकर वापिस आ सकू लेकिन अगर नही गया तो जीते जी मर जाऊंगा! एक योद्धा के लिए रण क्षेत्र में अपनी जान बलिदान करना सौभाग्य की बात होती हैं! मैं जाऊंगा और हर हालत में आज ही शाम को जाऊंगा!

सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई और वो जानती थी कि विक्रम हर हालत में जाकर रहेगा तो उसने लिखा

" मन तो नही हैं आपकी जाने देने के लिए लेकिन मैं जानती हूं कि आप रुकोगे तो हो नहीं! इसलिए आप जाइए और मैं आपके लिए दुआ करूंगी! आप कल सुबह तक वापिस आए तो ठीक नही तो मैं भी खुद को खत्म कर लूंगी!

विक्रम ने उसका खत पढ़ा और उसकी आंखे भर आई और लिखा:"

" सलमा मैं आपके लिए मरकर भी वापिस आऊंगा! आपको मेरी कसम हैं जो मरने के बारे में सोचा भी तो समझी आप! आप मेरे लिए दुआ करना! काश जाने से पहले एक बार आपको देख लेता तो खुशी होती!

सलमा ने खत को पढ़ा तो आंखे भर आई और लिखा:"

" मैं आपके लिए दुआ करूंगी विक्रम! आप विजयी होकर वापिस आयेंगे! अभी तो मिल नही सकती क्योंकि जब्बार का सख्त पहरा हैं! आप आइए मैं पलके बिछाकर आपका इंतजार करूंगी ! अल्लाह आपको कामयाब करे! मैं आपकी सुरक्षा के लिए पवन को भेज रही हु! आप उसके ऊपर सवारी करके ही जाए ताकि दुश्मन आपको छु भी न सके!

विक्रम ने अजय के साथ मिलकर कुछ हथियार लिए और योजना बनाने लगे! वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बात सीमा को भी बताई तो सीमा की आंखे खुशी से उछल उठी लेकिन अगले ही पल उसे ध्यान आया कि युवराज विक्रम के साथ साथ अजय को भी पिंडारियो के इलाके मे जाना होगा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और बोली:"

" लेकिन पिंडारियो के इलाके में जाना बेहद खतरनाक होगा और सबसे बड़ी बात कहीं ये कोई चाल तो नही हैं इसका पता होना चाहिए!

सलमा:" तुम्हे अपनी बहन राधिका से बात करनी चाहिए कि क्या शमा अपने घर पर हैं या नहीं क्योंकि मुझे पता चला हैं कि वो अक्सर उनके यहां जाती रहती है

सीमा:" हान ये ठीक रहेगा! लेकिन समय बहुत कम है तो मुझे जाना होगा अभी !

इतना कहकर सीमा अपने घर के लिए निकल गई और जैसे ही घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके कक्ष में उसकी अलमारी में राधिका तलाशी ले रही थी तो उसे बेहद बुरा लगा लेकिन संयम से काम लेते हुए बोली:"

" क्या हुआ राधिका ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?

राधिका के माथे पर पसीने की बंदे छलक आई और झूठ बोली:"

" वो मेरे कुछ कपड़े नही मिल रहे थे तो सोचा आपके कमरे मे देख लेती हु! बस इसलिए आ गई थी आपको बुरा तो नहीं लगा न?

सीमा:" लेकिन भला इसमें बुरा लगने की क्या बात है! तुम मेरी बहन हो कोई दुश्मन थोड़े ही हो!

राधिका उसके गले लग गई और बोली:" सच मे आप बेहद अच्छी हो दीदी! मेरी किस्मत हैं जो आप जैसी बहन मिली मुझे! लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गई सब ठीक तो हैं ना ?

सीमा:" हान हां सब ठीक हैं! लेकिन सज धज कर तुम कहां जा रही हो ?

राधिका:" वो मुझे बाहर कुछ काम हैं तो बस वही करने जा रही हूं! रात में थोड़ा लेट हो जाऊंगी! आप चिंता मत करना मेरी!

सीमा:" तुम आराम से अपना काम करना! और कोई दिक्कत हो तो मुझे बता देना!

राधिका:" ठीक हैं दीदी! मैं अब चलती हु!

इतना कहकर वो बाहर निकल गई और हल्का अंधेरा होते ही बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठ गई जो जब्बार ने उसके लिए भेजी थी और जैसे ही बग्गी चलने वाली थी तो सीमा एक पर्दे की ओट लेकर बैठ गई और राधिका को पता नहीं चला!

थोड़ी देर के बाद बग्गी जब्बार के घर में पहुंच गई और राधिका उतर कर अन्दर चली और जब्बार के गले लग गई! अपनी बहन का ये अनौखा रूप देखकर सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई सामने थी!

जब्बार के बेड पर पड़ी हुई सीमा बोली:" वो आजकल शमा नही दिख रही है! कहीं गई है क्या?

जब्बार:" तुम हमेशा कहती थी कि मैं तुमसे नही शमा से प्यार करता हु तो मैंने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया हैं! अब वो कभी नही आयेगी!

राधिका का मुंह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया और बोली:"

" क्या हुआ? क्या सच मे?

जब्बार ने उसे बांहों में भर लिया और उसके ऊपर लेटते हुए बोला:" अरे मारा नही है लेकिन वो ऐसी दुनिया में चली गई है जहां हर रोज मरेगी! अब बात नही मस्ती करो!

राधिका जब्बार से लिपट गई और सीमा की आंखे में उसके लिए गुस्सा आए नफरत साफ उभर आई थी लेकिन उसके लिए अभी सलमा तक ये खबर देना जरूरी था कि शमा सच में फंस गई है!

सीमा अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकली और सलमा को बताया कि शमा घर पर नहीं है! सीमा ने जान बूझकर सलमा को ये बात नहीं बताई कि राधिका और जब्बार के बीच में संबंध हैंक्योंकि इससे उसकी ही बेइज्जती होती! सलमा ने जाबांज के हाथो विक्रम तक संदेश भेज दिया!

विक्रम और अजय दोनो युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार होकर पिंडालगढ की तरफ चल पड़े! विक्रम ने बूढ़े पिंडारी का भेष बनाया हुआ था तो अजय ने भी अपने आपको एक पिंडारी ही बनाया हुआ था! सबसे बड़ी बात ये थी कि पिंडारी इंसानों की गंध बेहद दूर से ही पहचान लेते थे तो विक्रम और अजय ने बूढ़े पिंडारी के कपड़े लिए और अपने आपको बुरी तरह से बदबूदार बनाने की कोशिश करी और उसमे काफी हद तक कामयाब भी हुए!

अजय:" युवराज इतनी बुरी बदबू आ रही है आपसे कि सिर फटने को हो गया हैं मेरा!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गया और बोला:" बदबू तो मुझे भी आ रही हैं अजय लेकिन हमे ये सब बर्दाश्त करना ही होगा क्योंकि एक गलती हमे मौत के मुंह में धकेल देगी!

अजय ने उसकी बात का समर्थन किया और बोला:" आपकी बात से सहमत हु युवराज! लेकिन पता नहीं कैसे जिन्दा रहते हैं ये पिंडारी!

दोनो बाते करते हुए जा रहे थे और शमा ने जो नक्शा उन्हे दिया था वो युवराज ने अच्छे से देखा लिया था और युवराज यही सोच रहा था कि कुछ भी करके मुझे हर हालत में सीमा के साथ साथ उन्हे भी बचाना हैं!

सलमा और सीमा दोनो जागी हुई थी और बेहद परेशान थी क्योंकि वो जानती थी उनके दोनो के ही प्रेमी एक ऐसी जंग लड़ने जा रहे थे जहां मौत से बचना जीते ही स्वर्ग में जाने जैसा था! सलमा की आंखे भर आई और बोली:"

" अगर युवराज वापिस नही आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी सीमा!


सीमा ने उसकी बात उसे अपने गले से लगा लिया और बोली:"

" आप घबराए मत शहजादी! भगवान पर भरोसा रखे वो सब ठीक कर देगा!

सलमा उसके गले लग कर सुबकते हुए बोली:" बस एक खुदा पर ही तो भरोसा हैं सीमा हमे! अजय और युवराज दोनो कामयाब होकर लौटे उसके लिए मैं सारी रात नमाज पढ़कर दुआ करूंगी अल्लाह से इबादत करूंगी!

सीमा:" मैं भी उनकी कामयाबी के लिए प्रार्थना करूंगी आपके साथ! आप इबादत कीजिए मैं भी पूजा करूंगी सारी रात!

सलमा उसकी बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" तुम भी अजय से बेहद प्यार करती हो ना सीमा!

सीमा:" हान शहजादी! मैं सच मे बेहद प्यार करती हू और उनके बिना जी नहीं पाऊंगी!

सलमा ने सीमा का माथा चूम लिया और फिर अलमारी से नमाज के लिए मुसल्ला निकाला और नमाज पढ़ने लगी तो सीमा भी दोनो हाथ जोड़कर मंत्रो का उच्चारण करते हुए पूजा मे लीन हो गई! सलमा का कक्ष आज किसी धार्मिक स्थल जैसा बना हुआ था, एक साथ इबादत और पूजा साबित कर रहे थे कि इंसान पर जब कोई विप्पति आती हैं तो उसके लिए सिर्फ दुआ, प्रार्थना महत्त्व रखती हैं चाहे तो किसी भी धर्म या किसी भी तरीके से की गई हो!

दूसरी तरफ अजय और विक्रम दोनो पिंडालगढ की सीमा में दाखिल होने वाले थे तो दोनो एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो की आंखे भर आई और विक्रम ने अजय को कसकर गले लगा लिया और बोला:"

" अजय आपने इस असंभव जंग में मेरा साथ देकर अपनी दोस्ती और कर्तव्य को अमर कर दिया हैं हमेशा के लिए!

अजय भी उससे कसकर लिपट गया और बोला:" युवराज मेरा तो कर्तव्य ही यही है कि उदयगढ़ के लिए जान भी चली जाए तो अफसोस नहीं होगा!

युवराज:" ऐसा नही बोलते भाई! हम दोनो जरूरी वापिस आयेंगे ये जंग जीतकर!

अजय:" हान युवराज हम जरूर वापिस आयेंगे! आप मेरे आस पास ही रहकर युद्ध करना! ज्यादा दूर किसी भी हालत में मत जाना क्योंकि मेरे हाथ में ये पुरखो की जादुई तलवार होगी!

विक्रम ने उसकी भावना को समझते हुए प्यार से उसका हाथ चूम लिया और बोला:"

" मैं कोशिश करूंगा अजय! लेकिन आप मेरी फिक्र न करके दुश्मनों का सफाया करना क्योंकि मेरी रगों में भी राजपूतानी खून दौड़ता हैं!

उसके बाद दोनो ने प्यार से एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे ही अलग हुए तो विक्रम ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोला:" अजय वापिस आने के बाद आप मुझे युवराज नही भाई कहकर बोलना!

अजय की आंखो से आंसू निकल आए और दोनो उसके बाद सावधानी से अंधेरे का फायदा उठाकर पिंडालगढ़ की सीमा में दाखिल हो गए! शहर में कहीं कहीं हल्की मशाल की रोशनी फैली थी! पिंडारी रात को अक्सर पहरा नही देते थे क्योंकि उनके राज्य में कोई घुसने की हिम्मत नही करता था!

युवराज और अजय दोनो सावधानी से इधर उधर देखते हुए जा रहे थे! तभी पीछे से किसी की जोर की आवाज आई तो दोनो ने उस दिशा में देखा तो एक पिंडारी उधर ही आ रहा था और बोला:"

" तुम दोनो इधर क्या कर रहे हो? महाराज का आदेश हैं कि सबको आज सामूहिक रूप से चुदाई देखनी होगी क्योंकि महाराज आज ये संभोग भवन में साबित करना चाहते हैं कि उनके बड़ा पुरुष कोई नही हैं!

वो आदमी ध्यान से दोनो को देखने लगा लेकिन उसे थोड़ी थोड़ी इंसानी गंध मिली तो उसके कान खड़े हो गए और युवराज उसकी बात सुनकर हैरान सा हुआ लेकिन धीरे से अंधेरे की तरफ जाते हुए बोला:"

" हम भी वही जा रहे थे बस! आपसे एक बात पूछनी थी!

बस यही गलती हो गई जिसने उस आदमी के शक को यकीन में बदल दिया क्योंकि दोनो अभी संभोग भवन की उल्टी दिशा में जा रहे थे! खतरे को भांप कर पिंडारी ने अपनी तलवार को निकाल लिया और उनके करीब जाते हुए बोला:" कौन हो तुम दोनो ? यहां कैसे घुस आए हो?

विक्रम थोड़ा गुस्से से बोला:" हम भी पिंडारी हैं!

लेकिन उस आदमी ने तलवार का भरपूर वार किया और विक्रम ने बिजली की गति से अपनी तलवार निकालकर उसे बचाया और अजय ने मौके का फायदा उठाकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन को काट दिया तो बेचारा चींख भी नही सका और गिर पड़ा!

उसके बाद दोनो महल की दिशा में बढ़ गए और जल्दी ही महल के बाहर पहुंच गए तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि महल लोगो से पूरी तरह से भरा हुआ था और बेहद गंदी बदबू फैली हुई थी! सामने ही एक बड़े मैदान में एक औरत नंगी थी जिसे चार लोगो ने पकड़ा हुआ था और वो औरत बुरी तरह से कांपती हुई रो रही थी! औरत के पास ही पिंडाला खड़ा हुआ था बिलकुल नंगा और अपने लंड को मसल रहा था मानो जंग की तैयारी कर रहा हो! विक्रम और अजय के शरीर से उठती हुई इंसानी गंध लोगो के दिमाग में जा रही थी लेकिन चूंकि सामने एक औरत भी थी तो किसी का ध्यान उस तरफ ज्यादा नही गया!

विक्रम और अजय दोनो की नजरे मिली और दोनो ने ही आगे बढ़ने का फैसला किया! विक्रम आगे बढ़ा और अजय उसके पीछे पीछे धीरे धीरे दोनो भीड़ के अंत में पहुंच गए और यहां से कभी भी बंदी ग्रह तक पहुंच सकते थे। लेकिन विक्रम ने अपनी अजय को वही रुकने का इशारा किया!

पिंडाला औरत( शमा) की तरफ बढ़ा तो शमा का बदन कांप उठा और पिंडाला ने अपने लंड को उसकी गांड़ के छेद पर रख दिया तो शमा के बदन का रोम रोम थर्रा उठा और उसकी आंखे भर आई! वो जानती थी कि अब क्या होगा इसलिए पूरी ताकत से छूटने कि कोशिश करने लगी लेकिन चाहकर हिल भी नहीं सकी तो लगभग रोते हुए बोली:"

" नही नही! मेरे साथ ऐसा मत करो मैं मर जाउंगी! आपको अल्लाह का वास्ता!

लेकिन पिंडाला एक राक्षस था और उसे भला कहां परवाह होती और हंसते हुए बोला:"

" देख अगर बच गई तो पूरे पिंडलगढ़ पर राज करेगी! रानी बना दूंगा तुझे!

उसने जोर से धक्का लगाया और लंड शमा की गांड़ के छेद के चिथड़े उड़ाते हुए अंदर दाखिल हो गया और शमा दर्द से तड़प कर बेहोश होती चली गई! अजय और विक्रम का दिल ये देख कर रो पड़ा लेकिन उनका मकसद अभी वो कैद आदमी और शमा को बचाना था( बेचारो को क्या मालूम था कि शमा की ही चुदाई वो देख रहे थे! विक्रम ने अजय को इशारा किया और दोनो धीरे से महल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए और गेट पर करीब चार सुरक्षा कर्मी तैनात थे तो थोड़ी देर तक जमकर मुक़ाबला हुआ लेकिन अंततः जीत विक्रम की ही हुई और दोनो कमरे मे घुस गए!

विक्रम ने आदमी को देखा और बोला:" आप चिंता न करे हम आपको बचाने के लिए आए हैं!
लेकिन शमा कहां मिलेगी?

आदमी की आंखे भर आई और बोला: ये जो दर्द भरी चींखें हम सुन रहे हैं वो शमा की हैं!

इतना कहकर विक्रम ने अजय को इशारा किया तो अजय ने कमरे की खिड़की से रस्सी बांधी और आदमी को लेकर धीरे से बाहर निकल गया! विक्रम अपनी आंखो में गुस्से की आंधी लिए हुए संभोग भवन की तरफ चल पड़ा ताकि सलमा को बचा सके लेकिन जैसे ही वहां पहुंचा तो देखा कि शमा की दोनो टांगे खून से सनी हुई थी और पिंडाला किसी जानवर की तरह उसकी फटी हुई गांड़ में धक्के लगा रहा था और शमा के जिस्म मे कोई हरकत नहीं हो रही थी तो पिंडाला को गुस्सा आ गया और उसने शमा की दोनो टांगो को पकड़ा और एक झटके के साथ उसके पूरे जिस्म को दो टुकड़ों में बांट दिया और शमा हमेशा के लिए शांत हो गई!

विक्रम ने ऐसा जुल्म देखा तो उसकी आंखे भर आई लेकिन अब वहां आ निकलने मे ही उसने भलाई समझी और आराम से बाहर निकल गया! बाहर अजय उसका ही इंतजार कर रहा था और विक्रम ने उसे जल्दी से वहां से निकलने के लिए इशारा किया और दोनो आदमी को साथ लेकर निकल पड़े! जैसे ही बॉर्डर पर पहुंचे तो सामने से कुछ पिंडारी नजर आए और एक बार फिर से युद्ध छिड़ गया! देखते ही देखते टकवारे लहरा उठी और शमा की दुर्दशा देखने के बाद उसकी आंखो से आग बरस रही थी और उसने पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट दिया लेकिन विक्रम को हाथ में तलवार लगी और खून निकल आया था!

दोनो बॉर्डर से बाहर निकल आए और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए! सुबह के करीब चार बजे दोनो उदयगढ़ पहुंच गए! विक्रम ने अजय को बूढ़े कैद पिंडारी को मारने के लिए भेज दिया और खुद आदमी को लेकर वैद्य जी के यहां चला गया!

वैद्य जी ने दरवाजा खोला तो विक्रम अंदर घुस गया वैद्य जी बोले:"

" क्या हुआ युवराज ? इतनी सुबह सुबह आप और ये साथ में कौन हैं आपके ?

विक्रम:" वैद्य जी ये हमारे खास मेहमान है! कुछ दिन आप इनकी देखभाल करेंगे और ये आपके साथ ही रहेंगे! किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि आपके घर में कौन रहता है!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! आपके हाथ से भी खून निकल रहा है! रुको मैं आपकी औषधि दे देता हूं!

वैद्य जी औषधि लेने चले गए तो वो आदमी बोला:"

" बेटा आप कौन हो और मुझे क्यों बचाया आपने ?

विक्रम:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु! आपको बचाने के लिए मुझे शमा की चिट्ठी मिली थी लेकिन अफसोस मै उसे नही बचा पाया ! आप अभी आराम कीजिए!

आदमी कुछ नही बोला और गहरी सोच में डूब गया! वैद्य जी ने विक्रम की पट्टी करी और विक्रम उसके बाद वहां से निकल गया और महल पहुंचा तो अजय भी पिंडारी को मारकर आ गया था! विक्रम ने उसके हाथो को चूम लिया और बोला:"

" अजय मेरे भाई अब आप आराम कीजिए!

अजय:" लेकिन दिन में राज्य की कार्यवाही और राजमाता की मीटिंग में शामिल होना जरूरी होगा मेरे लिए युवराज!

विक्रम उसे अपने साथ ले गया और उसे अपने साथ ही बेड पर लेटने के लिए कहा तो अजय बोला:" नही युवराज! आप आराम कीजिए मैं बाद में सो जाऊंगा!

विक्रम:" बहुत बहाने बनाते हो यार आप भी!

इतना कहकर युवराज ने अजय का हाथ पकड़ कर ऊपर खींच लिया और उसके बाद दोनो लेते हुए थे! दोनो बस जाबांज का ही इंतजार कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सलमा और सीमा दोनो पूरी रात इबादत करती रही और रो रोकर उनकी आंखे लाल मिर्च गई थीं और जैसे जैसे सुबह होती जा रही थी तो दोनो का दिल बैठता जा रहा था!

सुबह हुई और सलमा ने दुआ मांगी और उसके बाद कांपते हाथों से एक खत लिखा और जाबांज को पैगाम लेकर उड़ा दिया! उड़ता हुआ जाबांज जैसे ही खिड़की पर बैठा तो विक्रम और अजय दोनो के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम ने चिट्ठी को निकाल लिया और पढ़ने लगा

" मेरे प्रियतम विक्रम

" आप और अजय दोनो सुरक्षित लौट आए होंगे ऐसा मेरा दिल कहता है! मैने और सीमा ने सारी रात आपके लिए इबादत और पूजा की हैं और मुझे यकीन हैं कि खुदा मुझे निराश नहीं करेंगे! आपको कुछ हुआ तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी!

विक्रम ने चिट्ठी को पढ़ा और उसकी आंखे भर आई! विक्रम ने सलमा को एक खत लिखा और जाबांज को वापिस फिर से उड़ा दिया! जाबांज को देखकर सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और जैसे ही उसने विक्रम की चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

" सलमा मेरी शहजादी

" आप और सीमा की दुआ रंग लाई हैं! मैं और अजय सुरक्षित वापिस आ गए हैं! उन्हे हम अपने साथ ले आए हैं लेकिन शमा को नही बचाया जा सका! मेरा ऐसा यकीन है कि आज जब्बार राज्य में नही रहेगा! आप मौका देखकर आइए आज उदयगढ़!

सलमा मानो खुशी से पागल हो गई और बार बार सीमा को चूम रही थी! सीमा भी बेहद खुश थी और दोनो ने अब उदयगढ़ जाने का प्लान बनाया और दोनो राजमाता के पास पहुंच गई तो उनकी खुशी देखकर रजिया बोली:"

" क्या बात है बेटी आज बेहद खुश नजर आ रही हैं?

सलमा ने अपनी मां को गले लगा लिया और उनका मुंह चूम कर बोली:" खुशी तो इतनी बड़ी हैं कि हम संभाल नहीं पा रहे हैं खुद को अम्मी! आप भी सुनेगी तो यकीन नहीं कर पाएगी!

रजिया:" अच्छा जरा हमे भी तो बताओ ऐसा क्या हो गया है?

सलमा: जरुर अम्मी! बस आप आज हमारे साथ घूमने चलिए न! वो भी बिना किसी सुरक्षा के!

रजिया:" लेकिन बिना किसी सुरक्षा के तो बेहद खतरा होगा बेटी ये तो समझो!

सलमा:" ओह अम्मी कोई खतरा नहीं होगा! आप हम पर यकीन कीजिए!

रजिया:" ठीक हैं पहले राज्य की कार्यवाही खत्म होने दो! उसके बाद योजना बनाते हैं!

दूसरी तरफ पिंडालगढ़ में मातम पसरा हुआ था क्योंकि घर में घुसकर पहली बार किसी ने उन पर हमला किया था और उनका कैदी भी छुड़ा लिया था तो पिण्डाला ने ये खबर जब्बार तक पहुंचा दी तो जब्बार जैसे पागल हो गया और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था और ऐसा कैसे हो सकता है! जब्बार को अपना सब कुछ खत्म होता नज़र आया और मन किया कि अपनी जान दे दे लेकिन जब्बार ने खुद को संभाला और डरते डरते राज्य की कार्यवाही में पहुंच गया!

उसके चेहरे पर मौत का खौफ सलमा को साफ नजर आ रहा था और सलमा का दिल कर रहा था कि उसके सीने में छुरा उतार दे लेकिन शांत रही!

रजिया:" पिछले कुछ दिनो से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी रही है! जब्बार आपने अच्छा काम किया है!

जब्बार के होंठो पर फीकी सी मुस्कान आई और धीरे से बोला:"

" मेरा काम ही है सुल्तानपुर की सेवा करना!

रजिया:" क्या हुआ जब्बार आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है?

जब्बार को लगा कि जैसे किसी ने उसकी इज्जत लूट ली हो और बोला:" जी राजमाता, थोड़ी दिक्कत है मुझे!

रजिया:" ठीक हैं आप आराम कीजिए कुछ दिन!

जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा!

उसके थोड़ी देर बाद कार्यवाही खत्म हुई और जब्बार मौका देखकर राज्य से निकल गया और सीमा ने जैसे ही ये जानकारी सलमा को दी थी उसने भी रजिया के साथ जाने का प्लान किया और शाम को करीब चार बजे तीनो भेष बदलकर गुप्त दरवाजे से निकल गए! जाने से पहले रजिया ने दासियों से कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है तो उन्हे परेशान न किया जाए!

जैसे ही वो सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकले तो अजय बग्गी लिए खड़ा मिला और उसके बाद वो उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए और जैसे ही घुसने वाले थे तो रजिया बोली:"

" सलमा ये तो उदयगढ़ हैं! यहां जाना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है! ये तो हमारे दुश्मन है और आपके अब्बा के कातिल!

सलमा:" अम्मी सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई या बताई जाती है! आप मुझ पर यकीन राखिए आप पूरी तरह से सुरक्षित है यहां! मैं पहले भी कई बार आ चुकी हूं यहां!

रजिया उसकी बात सुनकर खामोश हो गई और थोड़ी ही देर में वो वैद्य जी के घर पहुंचे तो विक्रम ने दरवाजा खोला और जैसे ही सलमा और विक्रम की नजरे मिली तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए!

सलमा ने रजिया का हाथ पकड़ा और विक्रम के पीछे चल पड़ी और सलमा बोली:"

" अम्मी आपको आज ऐसी खुशी मिलेगी कि दिल धड़कना बंद कर देगा आपका! दिल संभाल लीजिए आप अपना!

जैसे ही सभी कमरे मे घुसे और रजिया की नजर बेड पर लेटे हुए आदमी पर पड़ी तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! उसे लगा मानो वो कोई सपना देख रही है और पागलों की तरह दौड़कर उससे लिपट गई और रोते हुए बोली:"

" सुलतान आप जिंदा है! या मेरे खुदा तेरा करिश्मा!
बहुत ही शानदार अपडेट था विक्रम और अजय ने सुलतान को तो बचा लिया लेकिन बेचारी शमा को नही बचा सके ।सलमा और सीमा का प्यार बहुत ही गहरा और सच्चा है दोनो ने विक्रम और अजय के लिए अपने भगवान से प्रार्थना की और भगवान ने उनकी सुन भी ली का सुलतान के मिल जाने से रजिया और सलमा बहुत खुश हैं वही दोनो राज्यों में हुई गलतफहमी भी दूर हो जायेगी जो विक्रम और अजय के शादी के लिए सही रहेगी
 

Sanju@

Well-Known Member
4,742
19,082
158
रजिया दौड़ती हुई सुलतान के गले लग गई और सुबक सुबक कर रो पड़ी! सुलतान भी 12 साल के बाद अपनी बीवी को देखकर भावुक हो गया और उसे कसकर अपने गले लगा लिया! सलमा की आंखो से भी आंसू छलक रहे थे और वो हल्की सी मुस्कान के साथ कभी अपनी अम्मी अब्बू को गले मिलते देख रही थी तो कभी विक्रम की तरफ देखती!

रजिया ने सुलतान का चेहरा अपने हाथों हाथो में भर लिया और चूमते हुए बोली:

" खुदा का लाख लाख शुक्र है कि आप जिंदा हैं सुलतान!

सुलतान ने प्यार से उसका माथा चूम लिया और बोला:" बस अल्लाह का ही शुक्र है!

रजिया ने सुलतान से कहा:" देखो हमारे साथ कौन आई है?

इतना कहकर उसने सलमा की तरफ इशारा किया तो सुलतान उसे गौर से देखने के बाद बोला:"

" ये तो सलमा हैं बेगम हमारी लाड़ली बेटी!

सलमा बदहवास सी आगे बढ़ी और सुलतान के लिए लग गई और बोली:" अब्बा हुजूर हम बता नही सकते आज हम कितने खुश हैं! सारी दुनिया की खुशी एक तरफ और आप एक तरफ!

सुलतान ने उसका माथा चूम लिया और बोला;" सलमा मेरी शहजादी बेटी कितनी बड़ी और खूबसूरत हो गई है! अल्लाह तुम्हे बुरी नजर से बचाए! बेगम इनसे मिलिए ये उदयगढ़ के युवराज विक्रम हैं और उन्होंने ही हमें कैद से आजाद कराया है!


रजिया ने विक्रम की तरफ देखा और उसके पा जाकर उसके दोनो हाथो को चूम लिया और बोली:"

" हम आपका ये एहसान कभी नही भूल पाएंगे बेटा!

विक्रम:" बेटा भी कहती है आप और फिर एहसान की बात भी करती हैं! वैसे भी ये तो मेरा फर्ज था क्योंकि एक दाग जो मेरे पिता के ऊपर लगा हुआ था वो भी हट गया अब!

रजिया:" हान बेटा सबकी तरह मैं भी यही मानती थीं कि आपके पिता ने ही मेरे शौहर की हत्या करी थी! लेकिन आज एहसास हुआ कि सच्चाई कुछ भी हैं और आप तो जान बचाने वाले हो लेने वाले नही बेटा!

इतना कहकर रजिया ने उसके माथे को चूम लिया और सलमा ये सब देख मन भी मन मुस्कुरा रही थी! सुलतान रजिया से बोला:"

" बेगम उस रात पिंडारियो ने हमला किया था और युवराज के पिता के बुलावे पर हम साथ आए थे लेकिन धोखा हमें जब्बार ने दिया था! जब्बार की गद्दारी की वजह से इनके पिता और अजय के पिता के मौत हुई थी और अजय के पिता का कातिल जब्बार हैं! जबकि महराज को पिंडाला ने मारा था! हम चाह कर भी कुछ नही कर पाए थे क्योंकि हम कैद कर लिया गया था!

रजिया:" इसका मतलब जब्बार की इस सारे फसाद की असली जड़ हैं! लेकिन आप सुरक्षित कैसे बच पाए ?

विक्रम:" जब्बार की बीवी शमा पिंडारियों की कैद में थी! उसने ही सुलतान को वहां देखा और शहजादे सलीम को खत लिखा कि उसे और सुलतान को बचा ले लेकिन वो खत मुझे मिल गया और मैं बचाने के लिए गया! लेकिन शमा को नही बचा पाया!

रजिया:" हम सुल्तानपुर जाते ही जब्बार को फांसी पर टांग देंगे!

सुलतान:" बिलकुल बेगम! उसके हर एक जुल्म का जवाब दिया जाएगा!

विक्रम:" ऐसे गलती करने की जल्दबाजी मत कीजिए आप क्योंकि आपके राज्य पर अभी पूरी तरह से जब्बार का कब्जा है! जब्बार आपको ढूंढने के लिए दिन रात एक कर देगा! आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप अभी कुछ दिन यही आराम कीजिए और बेहतर मौका देखकर मैं खुद आपके साथ सुल्तानपुर जाऊंगा और जब्बार को उसके कर्मो की सजा मिलेगी!

सलमा:" यही ठीक रहेगा! अभी जब्बार के हाथ में सारी सेना है और वहां आपकी जान को खतरा होगा!

अजय:" आप अभी यहीं आराम कीजिए और फिर हम सब आपके साथ है! जैसे आप चाहोगे वैसे जब्बार से बदला लिया जायेगा! मैं कसम खाता हूं कि जब्बार से मैं अपने पिता के खून का बदला ज़रूर लूंगा!

रजिया: ठीक हैं हम आप दोनो की बात से पूरी तरह से सहमत हैं

विक्रम:" भूलकर भी किसी को ये बात बता नही लगनी चाहिए कि आप सुलतान से मिले हो खासतौर से शहजादे सलीम से छिपा कर रखना क्योंकि वो जब्बार के हाथो की कठपुतली बना हुआ है!

रजिया:" आप बेफिक्र रहो युवराज! मैं सुलतान को फिर से खोना नहीं चाहती! अच्छा मुझे अब वापिस जाना होगा क्योंकि जब्बार को खबर हो गई तो दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप निश्चित रहे क्यूंकि जब्बार आज राज्य में नही बल्कि पिंडाल गढ़ गया होगा!

अजय:" बिलकुल आप आज यही रुकिए! हमे भी मेहमान नवाजी का मौका मिलेगा!

सुलतान:" ठीक हैं बेगम आप हमारे साथ ही रुक जाए!

सीमा:" अगर आपकी इजाजत हो तो मैं और शहजादी उदयगढ़ घूम लेते हैं! थोड़ा मन भी बहल जाएगा!

रजिया:" ठीक हैं बेटी! आप दोनो घूम आओ! अजय और विक्रम के होते हमे कोई दिक्कत नहीं है!

विक्रम;" ठीक हैं मैं वैद्य जी को बोलकर आप सभी के यही रुकने की व्यवस्था करा देता हूं!

विक्रम बाहर गया और वैद्य जी के साथ अंदर आ गया और बोला:"

" वैद्य जी हमारे कुछ मेहमान भी आज आपके घर पर रुकेंगे! इनके रुकने और खाने की व्यवस्था कीजिए!

वैद्य:" ये तो मेरी किस्मत हैं युवराज कि आपके काम आ रहा हूं! आप निश्चित रहे मैं कोई शिकायत का मौका नही दूंगा आपको!

विक्रम:" हमे आप पर पूरा विश्वास है वैद्य जी! अच्छा मैं अब चलता हु! बाद में आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम और अजय जाने लगे तो सलमा बोली:

" आप दोनो भी बात कीजिए! तब तक मैं भी उदयगढ़ देखकर आती हु!

सुलतान;" ठीक हैं बेटी! अपना ध्यान रखना!

सलमा हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" आप मेरी चिंता मत कीजिए युवराज हैं न मेरा ध्यान रखने के लिए!

इतना कहकर सलमा सबके साथ बाहर निकल गई! रजिया सुल्तान से बाते करती रही और सुलतान उसे पिंडारियो के जुल्म के बारे में बताता रहा कि किस तरह उन्हे सताया गया और जब्बार के बारे में भी सब कुछ बताया!

दूसरी तरफ विक्रम सीमा और सलमा को साथ लेकर महल में आ गया तो सलमा अजय से बोली:"

" आप सीमा को महल घुमा दो बेचारी का बड़ा मन हैं महल देखने के लिए!

उसकी बात सुनकर सीमा शरमा गई और बोली:" सब समझती हूं मैं कि क्यों मुझे बहाने से भेज रही हो आप !

अब सलमा का चेहरा गुलाबी हो गया और अजय सीमा को साथ लेकर बाहर निकल गया और उसके जाते ही सलमा विक्रम के गले लग गई और उसके चेहरे को चुम्बनो से भर दिया! विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे से लिपट गए! सलमा उसके गाल को चूमते हुए बोली:"

" हम बता नही सकते कि आज हम कितने खुश हैं युवराज! आज आपने हमे वो तोहफा दिया हैं आप मेरी जान भी मांगो तो हंसकर कुर्बान कर दूंगी!

विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो में भर लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला:"

" शहजादी मुझे बस आपका प्यार चाहिए और कुछ नही!

सलमा ने उसके होंठो को हल्का सा चूमा और उसकी गर्दन में अपनी बांहों का हार पहनाते हुए बोली:" करो ना प्यार हमे विक्रम! जितना मन करे उतना प्यार करो जैसे मन करे वैसे प्यार करो!

सलमा ने उसे अपनी तरफ से पूरी छूट दे दी तो विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसके पास लेटते हुए बोला:"

" आप हमे गलत समझ रही हो शहजादी! हमें वैसा प्यार नही चाहिए! बस आप हमारे साथ हो इतना काफी हैं मेरे लिए!

विक्रम की बात ने सलमा के दिल पर गहरा असर किया और बोली:" मैं तो हमेशा से आपकी ही हू युवराज! बस अब पूरी तरह से आपकी हो जाना चाहती हू!

विक्रम ने उसके बालो को सहलाया और प्यार से उसके माथे को चूम कर बोला:"

" आप मेरी ही हो सलमा हमेशा के लिए! सुलतान को मैने बचाया तो वो मेरा फर्ज था क्योंकि आपके अब्बा मेरे लिए भी तो पिता ही हुए ना! आप इसे एहसान न समझे और न ही इसकी कीमत चुकाने की बात करे!!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ तो बोली:"

" बात एहसान की नही हैं युवराज! दर असल हम खुशी में पागल हो गए हैं तो जो मन किया वो बोल दिया!

विक्रम:" मैं समझ सकता हु शहजादी क्योंकि पिता का प्यार एक बेटी के लिए बेहद अहम मायने रखता है!

सलमा:" आप सच में बेहद अच्छे हो युवराज! मैंने तो आज ही मन से आपको अपना शौहर मान लिया! मेरे तन मन पर पूरी तरह से आपका अधिकार हैं! आप मुझे मेरे शौहर के रूप में कुबूल हो कुबूल हो कुबूल हो!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और उसके होंठ चूम कर बोला:" आप भी मुझे मेरी बेगम के रूप में कुबूल हो कुबूल हो कुबूल हो! बस अब खुश!

सलमा ने अपने होंठो को उसके होंठो से जोड़ दिया और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम भी उसका साथ देने लगा और सलमा ने मदहोशी में अपना मुंह खोल दिया और अपनी रसीली जीभ को उसके मुंह में सरका दिया और विक्रम उसकी जीभ को चूसने लगा!एक लंबे किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए और विक्रम बोला:"

" अच्छा शहजादी अब हमे चलना चाहिए ताकि आप अपने पिता के साथ रह सको!

सलमा उससे और ज्यादा जोर से लिपट गई और बोली:"

" हम आज रात आपके साथ रहना हैं युवराज आपकी बांहों में!

विक्रम ने प्यार से उसके गाल को चूस लिया और बोला:"

" मेरे साथ तो आपको पूरी जिंदगी गुजारनी हैं शहजादी! आज आपको सुलतान के साथ ही रहना चाहिए!

सलमा उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर खुशी से झूम उठी क्योंकि ऐसे ही समझदार प्रेमी की कल्पना हर औरत करती हैं! सलमा बोली:"

" ठीक हैं फिर तो मुझे जाना होगा! सीमा को भी ले चलती हु अपने साथ ही!

विक्रम:" अरे सीमा को आज अजय के पास ही रहने दो ना! बेचारे नए नए प्रेमी हैं दोनो!

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" तभी तो कर रही हु कि कहीं जोश जोश मे कुछ कर बैठे दोनो तो गजब हो जायेगा!

विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और बोला:"

" होने दो ना आप क्यों घबरा रही हो शहजादी! सीमा भी कोई छोटी बच्ची नही हैं! जवान हो गई है!

सलमा:" वो जाने उनका काम! मैं अब चलती हु अपने अब्बा के पास!

विक्रम सलमा को साथ लेकर वैद्य जी के घर की तरफ चल दिया! सलमा बेहद खुशी थी कि आज कल लोग इतने मतलबी हैं कि बिना बात के औरत को अपने नीचे लाने के लिए पागल रहते हैं और एक विक्रम हैं जो उससे सच्चा प्यार करता है!

वैद्य जी के घर जाकर सलमा अपनी अम्मी अब्बू से बात करने लगी और विक्रम भी उनके साथ ही बैठा हुआ था! वैद्य जी ने खाना तैयार करा दिया था तो सबने साथ में खाना खाया और उसके बाद विक्रम सबसे विदा लेकर राजमहल में आ गया!

तीनों बैठे हुए बाते कर रहे थे और
सुलतान बोले:" बेटी लेकिन आपको मेरे यहां होने का कैसा पता चला?

सलमा:" वो मैं युवराज को पहले से ही जानती हूं! उनका घोड़ा मैने पकड़ लिया था तो तब से हम एक दूसरे को जानते हैं!

सुलतान:" सच मे उदयगढ़ का राजघराना अपनी इम्मादारी और अच्छाई के लिए जाना जाता हैं! इसके पिता भी मेरे बेहद अच्छे दोस्त थे! हमे जल्दी ही अपने राज्य वापिस जाकर सब कुछ ठीक करना होगा!

सलमा:" आप जल्दी न कीजिए क्योंकि वहां अभी सब कुछ जब्बार के हाथ में ही हैं! हमे युवराज के अनुसार चलना चाहिए क्योंकि वही हमे सही राह बता सकते हैं इस स्थिति में!

रजिया:" मैं आपकी बात से सहमत हु बेटी! जिसने आपके पिता को पिंडरियो से बचाया वो यकीनन काफी कुछ जानता होगा!

सुलतान:" ठीक हैं जैसे आप सबको ठीक लगे क्योंकि मुझे तो अभी राज्य के बारे में कुछ भी नही पता हैं! लेकिन देखना जब्बार की मौत मेरे हाथो होगी!

उसके बाद तीनों बाते करते रहे और उसके बाद नींद के आगोश में चले गए! दूसरी तरफ जब्बार शाम होते ही पिंडालगढ़ पहुंच गया और जैसे ही उसने वहां पिंडारियो की लाशे देखी तो उसे समझ आया कि हुआ क्या हैं!

जब्बार:" वो सुना हैं कि सुलतान को कैद से आजाद हो गया है!

पिंडाला की आंखो से चिंगारी सी निकल रही थी और जब्बार से बोला:" जब्बार सुलतान अपनी मां चुदाए! हमारे इतने साथी मारे गए हम आग लगा देंगे! सब कुछ जला कर राख कर देंगे!

जब्बार:" लेकिन ये सब हुआ कैसे हैं? क्या वो खुद ही भागा या फिर कोई उसे बचाकर ले गया ?

पिंडाला:" कोई बचा कर ले गया उसे! रस्सी बंधी हुई मिली हैं हमे वहां! साला कौन ऐसा पैदा हो गया जो हमारे राज्य में घुस कर हमारे ही आदमियों को मारे!

जब्बार:" आप बेफिक्र रहिए ! मैं पता करता हु! अगर सुलतान को सुल्तानपुर से किसी ने बचाया होता तो अब तक मेरे उपर मुसीबत आ जाती लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ हैं तो जरूर किसी और का काम हो सकता हैं!

पिंडाला:" पता करो! जिसने भी ये सब किया हैं उसे ऐसी सजा मिलेगी कि लाश भी कांप उठेगी!

जब्बार:" आप बेफिक्र रहे! शमा के क्या हाल हैं?

पिंडाला हंस पड़ा और बोला:"

" शमा कमजोर साबित हुई और मर गई साली! लंड नही झेल पाई मेरा वो!

एक पल के लिए जब्बार के चेहरे पर निराशा आई लेकिन कुछ नही बोला तो पिंडाला बोला:"

" छोड़ ना शमा को! तुझे हम राजा बना देंगे! फिर जी भरकर मजे करना! बस ये पता कर कि किसने ये सब किया हैं!

जब्बार:" ठीक हैं मैं आपको जल्दी ही सब बता दूंगा!


वहीं दूसरी तरफ राधिका आज पूरी तरह से फ्री थी और उसे आज कोई चिंता नहीं थी क्योंकि रात के 11 बजे तक भी सीमा नही आई तो वो समझ गई कि अब वो नही आयेगी और उसके कमरे में घुसकर तलाशी लेने लगी! सब कपड़े और सामान देखा नही कुछ हाथ नही लगा! वो उदास होकर जाने ही वाली थी कि उसकी नजर मेज पर पड़ी और उसने एक बैग देखा जो साइड से लटक रहा था! राधिका ने बैग को खोला और ढूढने लगी तो उसे हीरे जड़ी एक कीमती अंगूठी मिल गई! राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि ये वही अंगूठी थी जो युवराज विक्रम ने उसे बतौर गिफ्ट दी थी!

सीमा के पास ये कीमती मर्दानी अंगूठी क्या कर रही है! जरूर कोई न कोई बात तो जरूर हैं!

ये सब सोचकर उसने सब कुछ पहले जैसा किया और अंगूठी को लेकर अपने रूम में आ गई! दूसरी तरफ सीमा पूरी रात अपने प्रेमी अजय की बांहों में रही और अगली सब सलमा और रजिया के साथ वापिस लौट आई!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है राधिका के हाथ में अंगूठी का लगना मतलब अब खतरा बढ़ गया है जब्बार को विक्रम के बारे में पता चल जायेगा
 
Top