धीरे धीरे शाम गहराने लगी और अजय दिन भर राज्य के काम देखने के बाद अपने घर पहुंच गया तो उसकी माता मेनका बोली:"
" कैसा रहा पहला दिन पुत्र ?
अजय आराम से बेड पर बैठ गया और बोला:" अच्छा रहा माता, बस दिन भर लोगो से मुलाकात करी और अभी की सुरक्षा पद्धति का जायजा लिया ताकि आगे इसमें जरूरी बदलाव कर सकू!
मेनका:" ये तो बहुत अच्छा किया आपने! काफी थक गए होंगे मैं आपके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हु!
इतना कहकर मेनका चली गई और थोड़ी देर बाद एक दूध का ग्लास लेकर आ गई और अजय तो दिया तो अजय दूध पीते हुए बोला:"
" माता मेरे सेनापति बनने के बाद मैने आपको कोई तोहफा नही दिया है ! आपको बुरा तो नही लगा ना?
मेनका:" नही पुत्र, तुम सेनापति बन गए हो यही मेरे लिए असली तोहफा है!
अजय ने दूध का ग्लास खाली करके एक तरफ रख दिया और अपने बैग को खोलते हुए बोला:"
" माता मैं आपके लिए कुछ तोहफा लेकर आया हु! उम्मीद हैं आपको पसंद आयेगा!
इतना कहकर उसने बैग को खोला और एक बड़े से पैकेट को मेनका की तरफ बढ़ा दिया जिसे मेनका ने उत्सुकता से थाम किया और बोली:"
" पुत्र वैसे तो तोहफे की जरूरत नही थी! लेकिन ले आए हो तो ठुकराना सही नही होगा!
इतना कहकर वो पैकेट को खोलने लगी और जैसे ही पैकेट खुला तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसमे दो बेहद आकर्षक और रंगीन साडिया थी! मेनका थोड़ी देर तक अजीब सी नजरो से साडिया देखती रही और फिर बोली:"
" पुत्र ये सब मेरे लिए नही हैं! मुझे माफ करना लेकिन मैं ये तोहफा नही ले सकती!
अजय उसकी बात सुनकर बेड से खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर बोला:"
" ऐसा न कहे माता! क्या आपको पसंद नहीं आया क्या ?
मेनका उसके द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने से कांप उठी और बोली:" बात पसंद की नही है पुत्र, रंगीन कपड़े अब मेरी जिदंगी का हिस्सा नही हैं!
अजय:" लेकिन माता आपको समझना चाहिए कि रंगीन कपड़ो में आप बेहद आकर्षक लगती हैं! क्या मैं झूठ बोल रहा हूं!
मेनका ने उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली:" बात वो नही हैं कि मैं कैसी लगती हूं बात ये है कि समाज मुझे इसकी इजाजत नही देता!
अजय उसके ठीक सामने आ गया और बोला:" लेकिन आपने जब मुझे तलवार देने के लिए रंगीन कपड़े पहने तो तब आपको समाज की चिंता नहीं हुई ?
मेनका ने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली:" वो सब मैने परंपरा को निभाने के लिए किया ये तुम अच्छे से जानते हो!
मेनका: ठीक हैं लेकिन आपको वो रंगीन कपड़े पहन कर खुशी नही हुई थी क्या ?
मेनका एक पल के लिए खामोश हो गई और फिर कुछ अपनी नजरे नीचे करके कुछ सोचते हुए बोली:" नही बिलकुल नही हुई थी पुत्र, मुझे कोई खुशी नही हुई थी!
अजय ने उसका झूठ साफ पकड़ लिया और बोला:" तो फिर आप नजरे चुरा क्यों रही हैं ? हिम्मत हैं तो मेरी आंखो मे आंखे डालकर कहिए कि खुशी नही हुई थीं!
मेनका का पूरा बदन काम कांप उठा और नजरे नीचे किए हुए ही बोली: रात होने लगी हैं मुझे खाना बनाना होगा!
इतना कहकर वो जाने लगी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" ये कोई बात नहीं हुई माता! ये मेरे सवाल का जवाब नही हैं! पहले मेरे सवाल का जवाब दीजिए आप!
मेनका कुछ नही बोली और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन अजय की मजबूत पकड़ से आजाद नही हुई और बोली:"
" अजय मुझे कोई खुशी नही हुई थी बस अब खुश हो ना! अब मेरा हाथ छोड़ो!
अजय ने उसका हाथ पकड़े रखा और बोला:" अगर खुशी नही हुई तो फिर आप कल रात को फिर से नीचे रंगीन कपड़े क्यों पहने हुई थी माता?
अजय की बात सुनकर मेनका का दिल तेजी से धड़क उठा और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया और कुछ नही बोली तो अजय फिर से बोला:"
" जवाब दीजिए ना माता आप! मैं आपसे ही पूछ रहा हूं!
मेनका ने झुकी हुई नजरो से बस इतना ही कहा:" मुझे कुछ नही पता पुत्र!
अजय जानता था और उसकी मां सच बोलने के हिम्मत नही जुटा पा रही है तो बोला:"
" मैं जानता हूं माता कि आप खुद को रंगीन कपड़ो में देखना पसंद करती हूं! आप ही क्या दुनिया की हर नारी को खुद को खूबसूरत देखना अच्छा लगता हैं! बस इसलिए मैं आपके लिए रंगीन साड़िया ले आया था ताकि आपको थोड़ी खुशी से सकू!
मेनका उसकी बात सुनकर चुप खड़ी रही तो अजय आगे बोला:"
" माता मैं ये साड़ी आपकी अलमारी में रख दूंगा! जब आपका मन करे पहन लेना! आपकी खुशी में ही मेरी खुशी हैं!
मेनका उसकी बात सुनकर थोड़ा मायूस होती हुई बोली:"
" लेकिन बेटा मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करो, ये समाज के नियमो के खिलाफ हैं!
अजय ने उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर किया और बोला:"
" लेकिन इससे आपको खुशी मिलती हैं मेरे लिए इतना बहुत हैं माता! समाज और उसके नियम मेरे लिए मायने नहीं रखते
अजय की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत मिली लेकिन अभी भी मेनका का चेहरे लाल हुआ था और आंखे शर्म से झुका हुई थी और बोली:"
" लेकिन पुत्र किसी ने मुझे ऐसे कपड़ो में देख लिया तो समाज मुझे जीने नही देगा!
अजय उसकी बात सुनकर समझ गया कि उसकी माता उसकी बात को समझ रही थी तो अजय ने एक हाथ अब उसके कंधे पर रख दिया और बोला:"
" कोई नही देखेगा, आप बस आराम से नीचे कमरे में जाकर पहन लेना और अपनी खुशी पूरी करना!
अजय की बात सुनकर मेनका को कल रात की बात याद आ गई कि कैसे कल वो खुद को देखकर बेकाबू हो गई थी और अजय ने भी उसे देख लिया था तो ये सोचकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और बोली:
" लेकिन पुत्र फिर भी ये सही नही है, मुझे ऐसा नही करना चाहिए!
अजय अब थोड़ा सा उसके करीब आया और उसके दोनो कंधो को थामते हुए बोला:"
" आपको रंगीन कपड़ो में खुद को देखकर खुशी मिलती है या नहीं?
मेनका थोड़ी देर चुप रही तो अजय ने उसके कंधे को हल्का सा दबाया और बोला:
" बताए ना माता? मैं आपसे ही बात कर रहा हूं! आपको मेरी कसम हैं!
उसकी कसम वाली बात सुनकर मेनका ने अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो अजय समझ गया कि उसकी मां झिझक महसूस कर रही है तो उसने उसके कंधो को हल्का सा दबाते हुए कहा:"
" ऐसे नही मुंह से बोलिए न माता आप!
उसकी बात सुनकर मेनका ने फिर से शर्म से मुंह खुला लिया और धीरे से हिम्मत करके बोली:"
" हान मुझे खुशी मिलती है!
मेनका की बात सुनकर अजय खुशी से भर उठा और कंधो को थोड़ा सख्ती से सहलाते हुए बोला:" ऐसे नही माता, ये बताओ कि क्या करके खुशी मिलती है?
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसे गुस्से से घूरकर देखने लगी तो अजय बोला;" ऐसे घूरने से काम नहीं चलेगा माता, बताए ना क्या करके खुशी मिलती है!
अजय की बात सुनकर मेनका अंदर तक कांप उठी और उसका दिल अब तेजी से धड़क रहा था और उसने अपनी गर्दन को इसके कंधे पर टिका दिया और बोली:
" मु मु... मु.. मुझे रंगीन कपड़े पहन कर बेहद खुशी मिलती है!
इतना कहकर मेनका ने शर्म से पानी पानी होकर अपना मुंह नीचे पूरी तरह से उसके कंधे पर टिका दिया और खड़ी खड़ी कांपने लगीं तो अजय ने हिम्मत करके उसकी कमर पर अपने हाथ बांध दिए और मेनका शर्म से लजाती हुई उससे कसकर लिपट गई तो अजय ने भी उसे अपनी मजबूत बांहों में भर लिया और बोला:"
" मेरे द्वारा लाई हुई रंगीन साडिया आपको पसंद आई है ना माता ?
अजय की बात सुनकर मेनका का बदन मचल पड़ा और मेनका ने अपना मुंह शर्म से उसकी चौड़ी छाती में छुपा लिया तो अजय ने पहली बार बिना किसी डर और शर्म के उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और दोनो की नजरे आपस मे टकरा गई और अजय उसकी आंखो में देखते हुए बोला;"
" बताए ना माता आपको पसंद आई रंगीन साडिया या नहीं ?
मेनका अब चाह कर भी अपना चेहरा नीचे नही कर सकती थी इसलिए हिम्मत करके उसकी आंखो में देखते हुए धीरे से बोली:"
" हान पसंद आई, मुझे बेहद ज्यादा पसंद आई!
मेनका के मुंह से पूर्ण स्वीकृति मिलते ही अजय की हिम्मत बढ़ गई और अजय अपने अंगूठे को उसके कांपते हुए होंठो पर फेरते हुए बोला:"
" आप इन्हे खुशी खुशी पहनोगी न माता?
अजय के सख्त अंगूठे के अपने नाजुक होंठो को छूते ही मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उससे कसकर लिपटते हुए बोली:"
" हान पहनूंगी, जरूर पहनुगी!
अजय ने भी अब मेनका को अपनी बांहों में कस लिया और दोनो मां बेटे एक दूसरे से लिपट पड़े! ऐसे ही काफी देर तक दोनो एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे और फिर मेनका बोली:"
" अच्छा अब छोड़ो मुझे, खाना बनाना होगा!
उसकी बात सुनकर अजय ने उसे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और मेनका ने साड़ीया उठाई और फिर अपने कक्ष की ओर चल पड़ी! जैसे ही वो बाहर जाने वाली थी तो अजय पीछे से बोला:"
" माता कल दिन में मैं नीचे कक्ष में आपके लिए नए बड़े बड़े शीशे लगवा दूंगा ताकि आपको और ज्यादा खुशी मिले!
उसकी बात सुनकर मेनका पलटी और उसे थप्पड़ मारने का इशारा करके बाहर निकल गई तो अजय के होंठो पर मुस्कान आ गई!
वहीं दूसरी तरफ विक्रम करीब 10 बजे महल से निकला और सुल्तानपुर में दाखिल हो गया! पहरेदार को उसने बताया कि वो रहीम से मिलने के लिए जा रहा है तो उसने मुझे जाने की इजाजत दे दी और उसके बाद विक्रम कल्लू सुनार की दुकान पर पहुंच गया और बोला;"
" मुझे कुछ कीमती अंगूठियां चाहिए थी!
कल्लू जो कि अपनी दुकान बंद की करने वाला था एक अजनबी ग्राहक को देखकर हैरान हुआ लेकिन खुश होते हुए बोला:"
" ठीक है आपको को मैं कुछ नायब चीज दिखाता हु!
कल्लू अपनी अलमारी से अंगूठियां निकालने लगा और विक्रम ने मौका देखकर उसे पीछे से दबोच लिया और थोड़ी ही देर बाद वो बेहोश उसकी बांहों में झूल रहा था! विक्रम ने दुकान को अंदर से बंद कर दिया और इंतजार करने लगा! 11 बजे के आस पास उसने सावधानी से दरवाजा खोला और इधर उधर देखते हुए दुकान को बंद किया और फिर कल्लू को अपने कंधे पर डालकर महल के पीछे के हिस्से में आ गया और सावधानी से इधर उधर देखते हुए गुफा में दाखिल हो गया और गुफा के मुंह को बंद करके अंदर की तरफ चल पड़ा!
वहीं दूसरी तरफ आज सलमा बेहद खुश थी क्योंकि दो दिन के बाद विक्रम उससे मिलने आ रहा था और सलमा के तन बदन में सिरहन दौड़ रही थी,सलमा बार बार शीशे में खुद को निहार रही थी और सीमा से बोली;"
" सीमा हमारे लिए चमेली के फूलो का गजरा ले आई हो ना ?
सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"
" जी शहजादी देखिए ये रहा लेकिन रात को गजरा लगाकर कहां जाने वाली हो आप ?
सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली "
" कहीं नहीं, बस ऐसे ही पहनने का मन किया था तो पहन लिया!
सीमा:" पहेलियां ना बुझाए शहजादी, आपके चेहरे की खुशी कुछ ओर ही बयान कर रही है!
सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और बोली:" बहुत बाते करती हो तुम, चलो जल्दी से ये गजरा मेरे बालो में लगा दो!
उसकी बात सुनकर सीमा उसके बालो में चमेली के फूलो का गजरा लगाती हुई बोली:
" क्या युवराज विक्रम से मिलने वाली हो आप आज? मुझे बता देंगी तो मैं कुछ मदद ही कर दूंगी आपकी!
उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गई और बोली:" नही नही, ऐसा कुछ नही है सीमा!
सीमा उसके बालो में गजरा लगाकर बोली:" लेकिन आपकी आंखों की चमक, चेहरे की खुशी, होंठो की कंपकपाहट और बढ़ती हुई दिल की धड़कन कुछ और ही कह रही है शहजादी!
सलमा उसकी बात सुनकर बुरी तरह से शर्म गई और बोली:"
" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे!
इतना कहकर सलमा शीशे के सामने अपने बालो में लगे गजरे को देखते लगी और सीमा उसके करीब आकर खड़ी हो गई और बोली:" आपके गजरे के फूलो की महक बेहद सुगंधित हैं शहजादी! विक्रम तो आज गए काम से !
सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्मा गई और उसे थप्पड़ दिखाती हुई बोली:
" बेशर्म कहीं की, कुछ भी बोलती रहती हो!
सीमा ने उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे छेड़ते हुए बोली:" हाय देखो तो कैसे शर्म आ रही है हमारी शहजादी को और जब विक्रम आयेंगे तो उनके गले लग जाओगी!
सलमा को उसकी बाते सुनकर मस्ती आ रही थीं और उसका जिस्म अंदर ही अंदर मचल रहा था, उछल रहा था लेकिन वो दिखावे के साथ सीमा को डांटती हुई उसके कान खींचती हुई बोली:" तेरे जैसी बेशर्म मैने आज तक नही देखी!
सीमा उसे तिरछी नजरों से देखते हुए मुस्कुरा कर बोली:"
" थोड़ी देर बाद जब विक्रम की गोद में बैठी हुई होगी तब सोचना कौन ज्यादा बेशर्म हैं!
उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह बेहद शर्म से लाल हो गया और वो पानी पानी हो गई जिससे उसकी सांसे बेहद तेज हो गई थी फिर उसने सीमा को खींचकर बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके दोनो को पकड़ते हुए बोली:"
" कितनी बार कहूं कि कोई नही आ रहा है! मेरा यकीन करो सीमा!
सीमा उसके नीचे दबी हुई हंसती हुई उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोली:"
" ठीक है शहजादी, लेकिन आप की ये बेकरारी और बढ़ी हुई सांसे कुछ और ही बयान कर रही है मानो किसी के आने का बेताबी से इंतजार कर रही है!
सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और फिर जोर से उसके हाथ मोड़ते हुए बोली:"
" लगता हैं तुम ऐसे नही मानोगी! अभी ठीक करती हू तुम्हे!
सलमा की ताकत के आगे सीमा मजबूर हो गई और चाहकर भी अपने हाथ नही छुड़ा सकी तो फिर से सलमा को छेड़ते हुए बोली:" लगता हैं हमारे शहजादी भी खूब ताकत वाली हैं मतलब विक्रम को आसानी से कुछ भी मिलने वाला नही हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्म गई और तभी उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी तो उसके हाथ छोड़कर बोली:"
" चल बहुत हो गया मजाक, अब रात बहुत हो गई है तो मुझे सोने दो!
सीमा जानती थी कि आज जरूर कोई न कोई बात तो हैं लेकिन वो जानती थी कि सलमा उसे खुद ही बाद में सब बता देगी तो खड़ी हुई और बोली:"
" अच्छा शहजादी मैं चलती हु अपना ध्यान रखना!
इतना कहकर सीमा चल पड़ी और सलमा भी कक्ष के दरवाजे तक उसके साथ आई और सीमा उसे शरारती मुस्कान देकर चली गई और उसके जाने के बाद सलमा ने दरवाजे को बंद किया और अपने कपड़े ठीक करने लगी ! उसने एक बार खुद को शीशे में देखा और फिर धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम का इंतजार करने लगी!!
विक्रम गुफा में घुस गया था और कल्लू को अपने कंधे पर डाले आगे बढ़ रहा था! जैसे ही वो गुफा के अंत में पहुंचा तो उसने कल्लू को नीचे फेंक दिया और उसके हाथ पैर बांध कर जैसे ही गुफा के बाहर सावधानी से कदम रखा तो उसे सामने ही सलमा खड़ी नजर आई! अंधेरा काफी था क्योंकि जान बूझकर सलमा ने सभी मशाल बुझा दिए थे ताकि विक्रम को को देख न सके!
सलमा धीरे धीरे आगे बढ़ती हुई और उसके करीब आई और देखते ही देखते उसकी बांहों में समा गई और दोनो ने एक दूसरे को पूरी ताकत से अपनी बांहों में कस लिया और सलमा बोली:"
" आपको आने में कोई दिक्कत तो नही हुई न युवराज!
विक्रम ने उसका माथा चूम लिया और बोला:" कोई दिक्कत नहीं हुई शहजादी! वैसे भी आपका चेहरा देखकर मेरी हर दिक्कत अपने आप दूर हो जाती हैं!
उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसका हाथ पकड़ कर अपनी साथ आने का इशारा किया तो विक्रम ने शहजादी का हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और बोला:"
" आपके लिए एक गिफ्ट लेकर आया हु! पहले आप देख लीजिए एक बार!
सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और विक्रम उसका हाथ पकड़ कर गुफा में फिर से वापिस घुस गया और हल्के अंधेरे मे भी कल्लू सुनार को देखते ही सलमा हैरान हो गई और बोली:"
" आप इसे कहां से उठा लाए युवराज? आपको किसी ने देखा तो नही!
विक्रम:" नही किसी ने नहीं देखा! मौका देखकर इसकी दुकान से ही उठा लिया! अब ये सारी सच्चाई आपके सामने बोल देगा!
विक्रम ने कल्लू सुनार के मुंह पर पानी की कुछ बूंदे डाली तो उसे होश आ गया और अपने आपको अनजान गुफा में पाकर इधर उधर देखने लगा और जैसे ही उसकी नजर सलमा पर पड़ी तो उसके पैर पकड़ लिए और बोला:"
" मुझे माफ कर दीजिए शहजादी! मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई है!
सलमा ने उसकी तरफ नफरत से देखा और बोली:" किसके कहने पर तुमने सीमा को फंसाया था ?
कल्लू सुनार को काटो तो खून नहीं, उसे समझा नही आया कि क्या कहे तो वो सलमा के पैर पकड़ कर रोने लगा और बोला:"
" वो मुझे मार डालेगा शहजादी! मुझे माफ कर दीजिए और जाने दीजिए!
सलमा उसकी बात समझ गई और बोली:" ठीक हैं अगर तुम नही बताओगे तो मैं तुम्हे मार डालूंगी! लेकिन अगर बता दोगे तो मदद करूंगी और कुछ नही होने दूंगी!
कल्लू जानता था कि सलमा अपने वादे की पक्की हैं तो वो थोड़ा सुकून महसूस करते हुए बोला:" मेरे पास जब्बार का भाई जुबेर आया था और उनके साथ मंत्री प्रकाश भी था! मैने मना किया तो मेरे परिवार को मारने की धमकी देने लगे जिस कारण मुझे मजबूरी में ये सब करना पड़ा! मुझे माफ कर दीजिए!
इतना कहकर वो सलमा के पैर पकड़ कर फूट फूट का रो पड़ा तो सलमा ने उसे उठाया और विक्रम से बोली:"
" युवराज इस सारे मामले की असली जड़ जब्बार ही हैं! इस बेचारे का कोई दोष नही हैं! आप इसे जाने दीजिए!
विक्रम ने हैरानी से शहजादी की तरफ देखा और सलमा के साथ उसे गुफा के बाहर तक छोड़ने के लिए चल पड़ा! विक्रम ने सलमा को कुछ इशारों में समझाया तो सलमा खामोश हो गई! चलते हुए कल्लू बोला:"
" आप कौन हैं ? आपको पहली बार देखा हैं यहां!
विक्रम ने एक बार सलमा की तरफ देखा और बोला:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु और शहजादी सलमा से प्रेम करता हु! शहजादी की तरफ उठने वाली हर आंख को मैं फोड़ दूंगा!
सलमा को हैरानी हुई कि विक्रम ने कल्लू के सामने सब सच क्यों बता दिया क्योंकि कल्लू उनके लिए बड़ा खतरा बन सकता था लेकिन चुप रही! जैसे ही दोनो गुफा के अंत में पहुंचे तो विक्रम ने कल्लू का मुंह फिर से बांध दिया और उसका हाथ पकड़कर सावधानी से आगे बढ़ गया और सलमा उन्हे जाते हुए देख रही थी लेकिन उसे समझ नही आ रहा था कि विक्रम उसके साथ बाहर क्यों जा रहा है और शहजादी की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि अचानक से विक्रम ने कल्लू को उठाकर दलदल के अंदर फेंक दिया और मुंह बंधा होने के कारण कल्लू चीख भी नही सका और देखते ही देखते दलदल के अंदर समा गया!
विक्रम फिर से वापिस गुफा के अंदर आ गया और सलमा उसे हैरानी से देखते हुए बोली:"
" ये आपने क्या गजब कर दिया युवराज? हमने उसे वादा किया था कि उसकी मदद करेंगे!
विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और अंदर चलते हुए बोला:"
" आप बहुत भोली हो सलमा, ये सब कुछ जाकर जब्बार को बता देता और उसके बाद आप समझ सकती हो कि क्या हो सकता था!
सलमा उसकी बात सुनकर सब समझा गई और चलती हुई बोली:" ये तो मैने सोचा ही नही था! अच्छा किया आपने जो उसे मार दिया, बाद में इसके घर वालो को मैं मदद कर दूंगी!
दोनो उसके बाद एक दूसरे का हाथ थामे अंदर की तरफ चल पड़े और अचानक सलमा किसी चीज से टकराकर गिरने को हुई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सलमा खुद को उसकी बांहों में सुरक्षित पाकर खुश हो गई और बोली:"
" आपने हमे बचा लिया युवराज! हल्के अंधेरे में हम शायद पत्थर से टकरा गए थे!
सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया तो सलमा हैरान होते हुए बोली:"
" अरे आपने हमे गोद में क्यों उठा लिया युवराज! हम कोई छोटी बच्ची नही हैं!
विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी भारी भरकम गांड़ के नीचे लगाकर उसे अच्छे से संभाल लिया और बोला:"
" आप अंधेरे में गिर गई तो चोट आयेगी और मेरे होते आपको चोट आए ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता सलमा!
विक्रम की बात सुनकर सलमा ने उसका गाल चूम लिया और अपनी दोनो बांहों का हार उसके गले में पहना दिया और विक्रम उसे लेकर आगे बढ़ गया! गुफा से बाहर निकल कर विक्रम उसे गोद में लिए हुए ही उसके कक्ष तक पहुंच गया और कक्ष में पहुंचते ही रोशनी में उसने सलमा को देखा और उसका गाल चूम लिया तो सलमा शर्म गई और उसकी गोद से उतरकर अपने कक्ष का दरवाजा अच्छे से बंद किया और फिर विक्रम की तरफ पलट कर मुस्कुराने लगी!
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सलमा और विक्रम दोनो ही एक दूसरे की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगे और दोनो की बांहे अपने आप खुल गई और एक दूसरे की बाहों में समा गए और कसकर लिपट गए! विक्रम ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर में लपेट लिया और बोला:"
" अह्ह्ह सलमा मेरी शहजादी! अब जाकर दिल को सुकून मिला! आपको बता नही सकता कि मैं कितना बेचैन था आपको देखने के लिए सलमा!
सलमा भी उससे कसकर लिपटी हुई थी और उसके हाथो को अपनी कमर पर महसूस करके उसके कानो में मिश्री सी घोलती हुई बोली:
" हमे भी युवराज! आपके बिना हमे भी कुछ अच्छा नही लगता! आप आ गए हो तो लगता हैं सब कुछ मिल गया!
विक्रम उसकी कमर हल्के हल्के सहलाते हुए बोला:"
" क्या कहूं शहजादी आप मेरी बांहों में हो तो लगता हैं सारी दुनिया मेरी बांहों में सिमट आई हैं
सलमा उसकी बात सुनकर खुश हो गई और उसकी गर्दन पर अपने हाथो की पकड़ मजबूत करते हुए बोली:"
" ओह मेरे युवराज! सच में इतना ज्यादा प्यार करते हो मुझसे?
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए प्यार से विश्वास के साथ बोला:"
" इससे भी कहीं ज्यादा सलमा! चाहो तो मुझे आजमा कर जान मांग लो मेरी!
सलमा ने उसकी बात सुनकर प्यार से अपनी उंगली को उसके होंठो पर रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा बोली:"
" जान नही चाहिए क्योंकि मेरी जान तो आप हो युवराज! उस दिन जब आपने सैनिकों के सामने तलवार छोड़ दी थी तभी मैं समझ गई थी कि आप मुझसे कितना प्यार करते हो! क्या आप मुझे मेरी उस गलती के लिए दिल से माफ कर दोगे युवराज?
इतना कहकर सलमा की आंखे भर आई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में पूरी ताकत से समेट लिया और बोला:"
" खुदा के लिए उस बात को भूल जाए शहजादी! आओ जो पल हमे मिले हैं बस इनमे अपनी खुशी ढूंढते हैं!
सलमा ने उसकी बात सुनकर उसका गाल चूम लिया और विक्रम ने एक के बाद एक चुंबन की उसके गालों पर झड़ी सी लगा दी और सलमा शर्म से उसकी छाती में सिमट गई! विक्रम ने दोनो हाथों से उसका खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए मुस्कुरा दिया तो सलमा भी उसकी आंखो मे आंखे डालकर मुस्कुरा उठी और दोनो बिना पलके झुकाए ऐसे ही एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और आखिर कार सलमा की आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके सिर पर बंधे हिजाब से उसकी उंगलियां टकरा गई तो सलमा की सांसे तेज हो गई और विक्रम की बांहों में खुद को ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसका इशारा समझते हुए उसकी हिजाब को खोल दिया और सलमा का सिर पूरी तरह से नंगा हो गया और उसके बालो में सफेद चमेली के फूलो का खूबसूरत महकदार गजरा नजर आया और विक्रम ने मदहोश होकर उसे जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा उसकी बांहों में सिसक उठी और बोली:" अह्ह्ह्ह थोड़ा प्यार से युवराज, मेरी हड्डियां तोड़ डालोगे क्या आज !
विक्रम ने अपने मुंह को उसके गजरे के पास किया और उसके गजरे से उठती हुई खुशबू सूंघकर मदमस्त हो गया और प्यार से उसके कंधे थामकर बोला:"
" आपका गजरा बेहद आकर्षक और खुशबूदार है सलमा! इससे उठती हुई खुशबू हमे मदहोश कर रही है शहजादी!
सलमा अपने गजरे की तारीफ सुनकर उससे दीवानी सी होकर लिपट गई और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"
" आपके लिए ही पहना हैं मेरे युवराज! मेरी खुशकिस्मती कि आपको पसंद आया!
विक्रम ने अब अपने हाथो को उसकी कमर में लपेट लिया उसकी कमर में उंगली गड़ाते हुए और उसके गाल चूमते हुए बोला:"
" शुक्रिया मेरी शहजादी! लेकिन लगता हैं कि आप हमसे कुछ नाराज हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर तड़प उठी और उसका मुंह चूम कर बोली:" ऐसा न कहे युवराज! हमारी जान निकल जायेगी, क्या खता हो गई मुझसे?
विक्रम ने उसके बुर्के पर हाथ रख दिया और बोला:" आप अभी भी हमसे शर्माती है शहजादी! क्या आपको इतने कपड़े की जरूरत है सच में?
सलमा उसकी बात का मतलब समझकर कांप उठी क्योंकि वो जान गई थी कि विक्रम उसके बुर्के को उतारने की बात कर रहा है तो सलमा धीरे से उसके कान में बोली:"
" हम अपना कजरा आपसे छिपाकर रखना चाहते थे, बस इसलिए पहना लिया था!
सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसके बुर्के की चैन पर हाथ रख दिया और उसके रसीले होंठों पर अपनी उंगली फेरते हुए बोला:"
" आपका कजरा तो हमने देख ही लिया शहजादी! अगर आपकी इजाजत हो तो क्या हम आपका बुर्का उतार दे ?
विक्रम की बात सुनकर सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो जोर से विक्रम के गाल चूम कर बोली:" कुबूल है कुबूल है कुबूल है!!
उसकी इस अदा पर विक्रम मर मिटा और उसने बिना देर किए उसके बुर्के की चैन को खोल कर उसे उतार दिया और सलमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसका सहयोग लिया और सलमा अब बिना बुर्के के सिर्फ एक कसे हुए सूट सलवार में उसके सामने खड़ी हुई थी और विक्रम ने एक नजर उसके जिस्म पर डाली और उसकी नजर सलमा की गोल गोल ठोस चुचियों के उभार पर पड़ी जो सूट से झांक रही थी और ये देखते ही विक्रम बोला:"
" आप बिना बुर्के के ज्यादा खूबसूरत लगती है शहजादी!
सलमा उसकी बात का मतलब समझकर शर्मा गई और बेड की तरफ चल पड़ी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा तो शहजादी सलमा उसके गर्म तपते होंठ अपनी गर्दन पर महसूस करते ही पिघल गई और मदहोशी से सिसकी:"
" अह्ह्ह्ह्ह युवराज! छोड़ दीजिए ना हमे! ऐसे मत छेड़िए हमे!
सलमा की सिसकी सुनकर विक्रम को उसकी मदहोशी का अंदाजा हो गया और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर रखा और हल्के हल्के सहलाते हुए उसके गजरे की महक सूंघ कर बोला:"
" ओह मेरी सलमा, आपके गजरे की महक हमे बहका रही है, खुदा ने आपको बस मेरे लिए बनाया हैं मेरी शहजादी!
इतना कहकर विक्रम ने उसकी चुचियों को हल्का हल्का मसलना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से मस्ती भरी आह निकलने लगी और विक्रम ने जैसे ही उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चूस लिया तो सलमा के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और वो पलट कर विक्रम से कसकर लिपट गई तो विक्रम ने अपने होठों को उसके कांप रहे होंठो पर टिका दिया और चूसने लगा तो सलमा भी उसके होंठ चूसने लगी और देखते ही देखते दोनो की जीभ एक बार से टकरा पड़ी और सलमा ने खुद को विक्रम की बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसकी गर्दन में बांहे डाले लिपटी हुई उसके होंठो को चूसती रही! विक्रम ने उसे गोद में लिए हुए बेड पर आ गया और उसके उपर चढकर उसके होंठो को चूसने लगा सलमा विक्रम को उपर उपर चढ़ा देखकर उत्तेजित होने लगी और अपनी टांगो को पूरा खोल दिया तो विक्रम ने उसकी टांगो को अपनी टांगो में जोर से कस लिया और अपनी जीभ को सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने उसकी लसलसी जीभ को लपक लिया और जोर जोर से उसकी जीभ चूसने लगी!
सलमा के हाथ अब विक्रम की गांड़ पर जम गए थे और मदहोशी में सलमा उसकी गांड़ को सहला रही थी! सलमा की सांसे बुरी तरह से उखड़ गई थी और उसकी चूचियों के सख्त तने हुए निप्पल कपड़ो के उपर से ही विक्रम की छाती में घुसने का प्रयास कर रहे थे! एक किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो विक्रम ने उसके सूट को उठा दिया और सलमा ने मदहोशी में अपने दोनो हाथों को उठा लिया और विक्रम ने उसके सूट को उतार कर फेंक दिया और सलमा की मस्तानी चूचियां एक सफेद रंग की ब्रा में विक्रम के सामने आ गई और विक्रम ने उसकी चुचियों को देखा तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और विक्रम ने हाथ आगे बढाया और उसकी चुचियों को ब्रा के उपर से ही अपने हाथो में भर लिया और कस कस कर दबाने लगा तो सलमा के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपने हाथो को उसके हाथो पर टिका दिया और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सीत्कार निकलने लगी
" अअह्ह्ह्ह सीईईईईईई नहीईईईईई, अअह्ह्ह्ह धीरे ईईईईई विक्रम दर्द होता हैंईईईईईईईईईई
सलमा की सिसकियां सुनकर विक्रम पूरे जोश में आ गया और कस कस कर उसकी चूचियों को मसलने लगा मानो उसकी छातियों को सपाट कर देना चाहता हो और सलमा की घमंडी चूचियां वो जितनी जोर से दबाता वो उससे कहीं ज्यादा जोर से उछल कर उसके हाथो में फिर से समा जाती!
विक्रम का लंड अपनी पूरी सख्ती में खड़ा हो गया था और सलमा की जांघो में ठोकर मार रहा था जिससे सलमा पूरी तरह से उत्तेजित हुई जा रही थी और सलमा खुद ही अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड पर रगड़ने लगी तो विक्रम ने उसकी ब्रा के कप हटाकर उसकी चुचियों को आजाद कर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसकी दोनो नंगी चूचियों को अब पूरी तरह से अपनी चौड़ी हथेली में भर लिया तो सलमा को यकीन हो गया कि उसकी चूचियां विक्रम के लिए ही खुदा से बनाई है तो सलमा अपनी गर्दन उचकाकर उसके होंठो को चूसने लगी जिससे उसकी चूचियां उभर कर विक्रम के हाथो में आ गई और विक्रम ने कसकर उसकी नंगी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया तो सलमा से उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसका जिस्म बेड पर पड़े पड़े उछलने लगा तो विक्रम ने उसे अपने नीचे कस लिया और उसके होंठो को चूसने हुए उसकी चुचियों की अकड़ कम करने की कोशिश करने लगा और सलमा उत्तेजना से कभी उससे जोर से लिपटती तो कभी अपने हाथो से बेडशीट को कसकर दबोच लेती! दोनो को सांस लेने में दिक्कत हुई तो विक्रम ने उसके होंठो को आजाद करते हुए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और सलमा के पेट को सहलाते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा पकड़ लिया तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो बेड पर ही जोर से उछल पड़ी वो उसकी आधे से ज्यादा चूची विक्रम के मुंह से समा गई और विक्रम ने उसे जोर से चूस लिया और एक झटके के साथ उसकी सलवार का नाड़ा खुल गया तो सलमा के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी
" अह्ह्ह्ह ये क्या कर दियाआआ यूईईईईईईईई अम्म्मीईईईईईई ! हाय अल्लाह उफफ्फफ्फ, अअह्ह्ह्ह्ह युवराज मैं मर जाऊंगीगिईईईई
विक्रम ने उसके मुंह को चूम लिया और सलमा की दोनो चुचियों को मस्ती से सहलाते हुए सिसक उठा:"
" अह्ह्ह्ह् मेरी शहजादीईईईईईई, कुछ नही होगाआआआआआ, अअह्ह्ह्ह कैसा लग रहा है मेरी जान सलमाआआआआआआ
इतना कहकर विक्रम ने उसकी सलवार को नीचे सरकाना शुरू कर दिया और सलमा मदहोश सी पड़ी हुई अपनी सलवार उतरने दे रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को उसकी सलवार से आजाद कर दिया तो सलमा बावली सी होकर उससे कसकर लिपट गई और बिस्तर भी अपने जिस्म को पटकते हुए जोर जोर से सिसकियां भरने लगी तो विक्रम ने सलमा को अपने नीचे कस लिया और उसके बालो में लगे हुए गजरे को खोल दिया और सलमा की काले बादल जैसी जुल्फे लहरा उठी और विक्रम को सलमा और ज्यादा कामुक नजर आई और उसने उसके होठों को चूसते हुए अपने कपड़ो को भी उतार दिया और अब विक्रम अब अंडर वियर में सलमा के उपर चढ़ा हुआ था और उसका भारी भरकम शक्तिशाली लंड सलमा की भीगी हुई पेंटी से छू रहा था जिससे सलमा पागल सी हुई जा रही थी और उसने अपने टांगो को विक्रम की टांगो में कस लिया और जोर जोर से उसकी कमर को अपनी चूत पर दबाने लगी! सलमा पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से चिकनी होकर उसकी पैंटी को पूरा गीला कर चुकी थी जिस पर विक्रम का लंड टकराने से फच फच की आवाज आ रही और सलमा विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपनी गांड़ को पूरी ताकत से उठा उठा कर पटक रही थी और विक्रम गजरे की महक से पागल सा हो गया और गजरे को सलमा की आंखो के सामने किया और उसकी चूत पर लंड के जोरदार धक्के मारते हुए मदहोशी से सिसक उठा:"
" मेरी शहजादी का महकता गजरा, हाय सलमा आपके गजरे ने मुझे बेहाल कर दिया है मेरी जान!
इतना कहकर विक्रम ने गजरे को चूम लिया तो सलमा ने भी गजरे को चूम लिया और अपनी गांड़ उठाकर उसके धक्कों का जवाब देती हुई सिसक उठी
" अअह्ह्ह्ह्ह् युवराज! मेरे सरताज आपकी जान सलमा का गजरा !
विक्रम ने जोश में आकर गजरे में से एक फूल की पत्ती को तोड़ दिया और अपनी जीभ पर रखकर सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा पागलों के जैसे उसकी जीभ चूसने लगी और पूरी ताकत से अपनी चूत को उसके लंड पर उछालने लगी क्योंकि उसकी चूत में उसे अदभुत सिरहन का एहसास होना शुरू हो गया था और दोनो की एक दूसरे के होंठो को चूसते हुए एक दूसरे के धक्को का शक्तिशाली जवाब दे रहे
सलमा की गोल गोल गुम्बद जैसी ठोस चूचियां अब विक्रम पूरी सख्ती से मसल रहा था, रगड़ रहा था कस कस कर दबा रहा था और विक्रम ने जोर का धक्का लगाया तो सलमा की पेंटी उसकी चूत पर से हट गई और उसकी पूरी चिकनी एक दम नंगी होकर लंड के सामने आ गई और जैसे ही सलमा ने जोर से अपनी गांड़ को उछाला तो पतले से अंडर वियर में लंड ने उसकी चूत पर जबरदस्त टक्कर मारी और सलमा की चूत और मुंह से एक साथ मस्ती फूट पड़ी
" अह्ह्ह्ह मेरे युवराजजजज ईईईईईई सीईईईईईईई यूईईईईईई हयय्यय क्या कर दिया मुझे ईईईईईईई
सलमा ने मस्ती से बेकाबू होकर गजरे को अपने दांतों से काटने लगी और अपनी पूरी ताकत से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर लंड के धक्के अपनी नंगी चूत पर खाने लगी और विक्रम ने भी उसकी चूचियां को छोड़कर उसकी गर्दन में हाथ को लपेट लिया और कस कसकर धक्के लगाने लगा! दोनो ही एक दूसरे की आंखो में देखते हुए गजरे को खा रहे थे मसल रहे थे और अब दोनो की गति इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि मजबूत बेड भी चूं चूं करके चरमरा रहा था मानो उसके उपर दो शक्तिशाली पहलवान कुश्ती कर रहे हो! विक्रम के लंड में तनाव हर पल बढ़ता जा रहा था और उसके धक्के भी हर पल तेज होते जा रहे थे और सलमा भी उसके धक्के का ताकत से जवाब देती हुई गजरे के फूलो को मसलती हुई उसकी आंखो मे देखती हुई उसे उकसा रही थी! कक्ष मे तूफान सा आया हुआ था और दोनो की मादक सिसकियां गूंज रही थी जो हर पल तेज और ज्यादा तेज होती जा रहीं थी और सलमा की चूत में इतनी ज्यादा सनसनाहट बढ़ गई थी कि उसने बेकाबू होकर विक्रम का हाथ अपनी चूत पर रख दिया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नाजुक मखमली रेशम चूत के होंठो को छुआ तो सलमा के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी और सलमा ने पूरी ताकत से अपनी जांघो को कसते हुए विक्रम के लंड को अपनी चूत पर दबोच सा लिया और सलमा की चूत ने एक जोरदार झटके के साथ अपना रस छोड़ने लगी तो विक्रम का लंड भी जवाब दे गया और उसने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए लंड को उसकी जांघो की पकड़ से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ उसकी जांघो में घुसा दिया और सलमा की चूत के होंठो पर तगड़ी टक्कर पड़ी तो सलमा पहली बार दर्द से कराह उठी
" अअह्ह्ह्ह अम्मी ईईईईईआई मार डाला युवराज!!!
विक्रम उसका मुंह चूमते हुए अपने वीर्य की पिचकारी मारने लगा! दोनो एक दूसरे को पूरी ताकत से कस लिया और एक दूसरे से लिपटकर झड़ने लगे! दोनो बेताबी से एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे और विक्रम के नीचे दबी हुई सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई झड़ रही थी जिससे उसकी चूत का गाढ़ा चिकना रस विक्रम के लंड के आस पास फैल गया था और विक्रम के लंड से निकल कर वीर्य सलमा की चूत के रस से मिल रहा था!
करीब एक मिनट तक दोनो का स्खलन चलता रहा और अंत में दोनो के जिस्म जैसे ही शांत हुए तो दोनो आंखे बंद करके एक दूसरे से लिपटे हुए अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करने लगे! करीब पांच मिनट के बाद दोनो सामान्य हुए और सलमा ने शर्म से उसकी छाती में अपना मुंह छुपा लिया तो विक्रम उसकी पीठ सहलाते हुए बोला:"
" इतना सब होने के बाद भी शर्माना तो क्या शर्माना!
उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और कुछ नहीं बोली बस ऐसे ही उससे लिपटी रही! दोनो ऐसे ही लेटे हुए बाते करते रहे और मीठे मीठे सपने संजोते रहे!
करीब पांच बजे सीमा के सलमा के कक्ष पर दस्तक तो सलमा और विक्रम दोनो को दिन के निकलने का एहसास हुआ और सलमा बोली:"
" कब रात गुजार गई पता ही नहीं चला! लगता हैं सीमा आ गई है, अब आप कैसे जाओगे?
विक्रम:" आप फिक्र न करें, मैं मौका देखकर निकल जाऊंगा!
सलमा अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली:" ठीक हैं मुझे कक्ष का दरवाजा खोलना पड़ेगा! आप पर्दे के पीछे छिप जाए!
विक्रम उठा और परदे के पीछे छिप गया और सलमा ने दरवाजा खोला तो सीमा अंदर आ गई और बोली:" शहजादी एक बेहद अहम खबर हैं कि रात से कल्लू सुनार नही मिल रहा है, उनकी बीवी ने रात ही सूचना दी थी!
सलमा उसकी बात सुनकर जान बूझकर चौंक उठी और बोली:"
" अच्छा क्यों कहां चला गया वो? जरूर किसी उल्टे सीधे काम में गया होगा!
सीमा:" ये तो नही पता कि कहां गया हैं लेकिन कुछ न कुछ तो जरूर हुआ हैं! मुझे तो लगता है कि ये जब्बार ने ही किया होगा कि कहीं वो अपना मुंह न खोल दे और वो फंस जाए!
सलमा:" अच्छा तुझे क्यों लगा कि ये जब्बार ने किया होगा ?
सीमा:" क्योंकि सारे उल्टे सीधे काम वही तो करता हैं! चलो मैं तो कहती हूं कि मर ही गया हो वो कल्लू सुनार हरामजादा!
सलमा:" मर ही गया होगा लेकिन मुझे नही लगता कि उसे जब्बार ने मारा होगा क्योंकि जब्बार अपने आदमियों को कभी नही मारता!
सीमा: आप देखना आज काफी हंगामा होगा राज्य की सुनवाई के दौरान! एक तो पहले ही युवराज विक्रम के भागने वाला मामला फंसा हुआ हैं और अब ये दूसरा मामला और हो गया है!
सलमा:" अच्छा ये बात भी हैं! पानी गर्म हो गया है क्या ?
सीमा:" हान पानी तो गर्म हो गया है शहजादी! आप जाइए नहा लीजिए!
सलमा जाने लगी और सीमा को अपने साथ के जाने के लिए कोई बहाना सोच ही रही थी कि सीमा की नजर नीचे फर्श पर पड़े हुए सलमा के गजरे पर पड़ी तो सीमा को बड़ी हैरानी हुई और बोली:"
" शहजादी आपका गजरा फर्श पर कैसे गिर पड़ा?
सीमा की बात सुनकर सलमा डर और शर्म के मारे कांप उठी! उसे ऐसा लगा मानो वो चोरी करती हुई रंगे हाथों पकड़ी गई हो और उसका मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया और फिर खुद को संभालते हुए बोली:"
" पता नहीं कैसे गिरा, नींद में शायद गिर गया होगा! चल आ मेरे साथ चल बाथरूम!
सीमा उसकी हालत देखकर समझ गई कि दाल में कुछ तो जरूर काला हैं और बोली:
" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, मतलब अब गजरे के भी हाथ पैर लग गए हैं जो कहीं भी गिर जाएगा! देखो तो आपके बेड पर कितने ज्यादा सलवटे आई हुई है!
सलमा का दिल फिर से उसकी बात सुनकर धड़क उठा और जानती थी कि सीमा मुंहफट है और कुछ भी बोल सकती है और विक्रम सब कुछ सुन ही रहा है तो सलमा बोली:"
" हाय अल्लाह, तुझे कैसे समझाऊं कि नींद में गिर गया होगा! चल अब मेरे साथ!
सलमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और बाहर की तरफ खींचने की कोशिश करने लगी तो सीमा उसके साथ चलती हुई इधर उधर नजर डालते हुए बोली:"
" कब तक सच छुपाओगी शहजादी! बोल क्यों नहीं देती कि विक्रम आए थे आपसे मिलने के लिए रात ?
उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और सबसे बड़ी बात सीमा की इधर उधर दौड़ती नजर से वो घबरा गई क्योंकि अगर सीमा ने विक्रम को देख लिया तो सीमा उसका जीना मुहाल कर देगी ये वो अच्छे से समझ रही थीं ! दूसरी तरफ विक्रम के होंठो पर भी उसकी बात सुनकर मुस्कान आ गई और खुद को पर्दे के पीछे अच्छे से छिपा लिया लेकिन पर्दा हिल गया और सीमा की नजरे पड़ी वो उसे नीचे से विक्रम के जूते नजर आए और सीमा का शक यकीन में बदल गया और सलमा उसका हाथ पकड़कर बाहर खींचती हुई बोली:"
" कितनी बार कहूं कि कोई नही आया था! चल मुझे देर हो रही है
सीमा अब उसे जान बूझकर छेड़ती हुई बोली:"
" फिर आप इतनी क्यों शर्मा रही हो और आपकी गर्दन देखो कैसे लाल हो गई है!
सलमा की नजरे अपनी गर्दन पर पड़ी जो सच में हल्की सी लाल हो गई थी और सलमा लगा कि आज वो बुरी फंस गई है तो बोली:
" ऐसे ही नींद में हो गई है! चल आ मुझे देर हो रही है!
इतना कहकर वो पूरी ताकत से जबरदस्ती सीमा को बाहर खींचने लगी क्योंकि शर्म से पानी पानी हो गई थी विक्रम के सामने सीमा की ऐसी बाते सुन कर और सबसे बड़ी बात कि आगे पता नहीं क्या बोल देगी ये उसकी सबसे बड़ी दुविधा थी! सीमा बाहर जाने से खुद को रोकती हुई बोली:"
" बिस्तर की हालत देखकर तो लग रहा था कि रात में युवराज ने आपकी अच्छे से खबर ली होगी लेकिन आपकी ये जबरदस्ती देखकर तो लग रहा है कि कुछ कसर बाकी बच...
सीमा कुछ बोलती उससे पहले ही सलमा ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली:"
" हद होती है बेशर्मी की सीमा, कुछ भी बोले जा रही हो! आओ चलो मेरे साथ!
सीमा ने एक झटके से उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बेड के पास आते हुए बोली:"
" आप जाओ और नहाकर आ जाओ! मैं यहीं बैठी हु!
सलमा उसके पीछे तेजी से अंदर आई और बोली:" क्यों परेशान कर रही है मुझे सीमा! आओ ना मुझे मदद चाहिए तुम्हारी नहाने में कुछ आज!
सीमा:" रोज तो आप खुद ही नहाती हो तो मैं क्या करूंगी आपके साथ जाकर!
सलमा:" मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूं चल ना तुझे मेरी कसम!
उसकी बात सुनकर सीमा खड़ी हो गईं और बोली:" आप इतना कह रही हु तो चलती हु लेकिन आपको मेरे साथ नही बल्कि युवराज के साथ नहाने की जरूरत हैं!
सलमा ने उसका हाथ पकड़ा और तेजी से अपने साथ बाहर ले गई और वहीं विक्रम भी उसकी बाते सुनकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा कि ये सीमा सच में शहजादी को बेहद ज्यादा तंग करती हैं! सलमा बहाने के बाद अपने कक्ष में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया तो विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:
" शहजादी अकेले अकेले नहाकर आ गई हो आप! लगता हैं आप सीमा की बात नही मानती है!
सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" सीमा बहुत ज्यादा शैतान है! मुझे ही पता है बस मुझे कितना छेड़ती है आपका नाम लेकर ! अच्छा ये बताओ अगली बार कब मिलने आओगी मुझसे?
विक्रम ने अपने हाथो हाथो को उसकी चुचियों पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:" जब आप कहो मेरी शहजादी बस चादर ऐसी बिछाना जिसमे सलवटे कम पड़े सलमा!
उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और बोली:" छोड़ूंगी नही इस सीमा की बच्ची को आज मैं, देखना आपके जाने के बाद उसकी अच्छे से खबर लूंगी!
सलमा की बात सुनकर विक्रम ने थोड़ा कसकर उसकी चुचियों को मसल दिया और बोला:"
" खबर तो आपकी मैं अच्छे से लूंगा मेरी शहजादी ताकि सीमा की शिकायत दूर हो सके कि मैं आपकी अच्छे से खबर नहीं लेता
चुचियों को जोर से मसले जाने से सलमा जोर से सिसक उठी और दर्द से कराहती हुई बोली:"
" अह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं मेरे प्रियतम! ऐसा हैं तो मैं अगली बार आपसे मिलूंगी ही नहीं!
विक्रम ने सलमा का मुंह अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" अच्छा जी ये ही बात मेरी आंखों में देख कर कहो एक बार कि मिलूंगी नही!
विक्रम की बात सुनकर शर्म से सलमा की आंखे झुक गई और वो उससे कसकर लिपट गई लेकिन बोली कुछ नहीं तो विक्रम उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"
" बताओ ना शहजादी मिलेगी न मुझसे ?
सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो विक्रम ने सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर जोर से मसल सिसक दिया और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"
" सोच लो एक बार फिर से शहजादी सलमा क्योंकि फिर बाद मे मुझे दोष मत देना आप कि मैं ज्यादा छेड़छाड़ करता हु!
गांड़ मसले जाने से सलमा जोर से चिहुंक उठी और फिर से उसकी छाती को चूम लिया! विक्रम उसकी गांड़ को सख्ती से मसलते हुए कहा:"
" हयय्य मेरी शहजादी! आपकी गांड़ कितनी सख्त और गद्देदार जबरदस्त है! बताओ ना कब मिलोगी आप?
सलमा अपनी गांड़ मसले जाने से उत्तेजित होने लगी थी और उसके मुंह से आह निकल पड़ी:"
" आआआह्हह्ह विक्रम मिलूंगी शनिवार की रात मिलूंगी!
विक्रम ने उसका मुंह चूम लिया और बोला:" मेरे साथ नहाओगी ना सलमा?
सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसके होंठ चूसने लगीं! दोनो की किस दो मिनट तक चली और उसके बाद विक्रम मौका देखकर आराम से निकल गया और उदयगढ़ की तरफ लौट पड़ा!