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Shayari शायरी और गजल™

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
याद जो करते है तुम्हे सदाएँ तो आती होंगी।
तेरे दिल तक मेरे दिल की दस्तक तो जाती होगी।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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इश्क़ मे हमने वही किया जो फूल करते है बहारों मे,
ख़ामोशी से.......खिले महके और बिखर गए।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ख़ुद-कुशी जुर्म भी है
सब्र की तौहीन भी है।
इस लिए इश्क़ में मर
मर के जिया जाता है।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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मेरा नसीब भी बहुत बदनसीब है।
तुम मिली भी तो छोड़ जाने के लिये।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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तुम्हारे पास रहने को जगह नही है क्या,
जो हर रात ,मेरी आँखो में ,उतर आते हो।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख़्याल है बहारो का।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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फरेब की बज़्म थी और हम सच बोल बैठे,
नमक के शहर में अपने ज़ख्म खोल बैठे।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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तेरी यादों की जब ठंड लगती है,
ओढ़ कर यादें तुम्हारी सो जाते है।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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खुदा सलामत रखे उसका गुरूर मेरे दोनों,
आंखों को मेरी जिसने दी है सजा इंतज़ार की।।
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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राहगीर ढूंढ रहे थे बसेरा तेरी आँखों में,
काजल ने दिलो का कत्लेआम कर दिया।।
 
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