• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Shayari शायरी और गजल™

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
रंगतें मासूम चेहरों की बुझा दी जाएँगी।
तितलियाँ आँधी के झोंकों से उड़ा दी जाएँगी।।

हसरत-ए-नज़्ज़ारगी भटकेगी हर हर गाम पर,
ख़्वाब होंगे और ताबीरें छुपा दी जाएँगी।।

आहटें गूँजेंगी और कोई न आएगा नज़र,
प्यार की आबादियाँ सहरा बना दी जाएँगी।।

इस क़दर धुँदलाएँगे नक़्श-ओ-निगार-ए-आरज़ू,
देखते ही देखते आँखें गँवा दी जाएँगी।।

फ़ुर्सतें होंगी मगर ऐसी बढ़ेंगी तल्ख़ियाँ,
सिर्फ़ यादें ही नहीं शक्लें भुला दी जाएँगी।।

इस क़दर रोएँगी आँखें देख कर पिछले ख़ुतूत,
आँसुओं से सारी तहरीरें मिटा दी जाएँगी।।

रात के जुगनू पे होगा चढ़ते सूरज का गुमाँ,
ज़ुल्मतें माहौल की इतनी बढ़ा दी जाएँगी।।

______अज़हर इनायती
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
हर एक रात को महताब देखने के लिए,
मैं जागता हूँ तेरा ख़्वाब देखने के लिए।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए,
मगर सितम है कि सब को सुनाना पड़ता है।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर,
ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है।।
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था।
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था।।

तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था।।

समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था।।

मनाने रूठने के खेल में हम,
बिछड़ जाएँगे ये सोचा नहीं था।।

सुना है बंद कर लीं उसने आँखें,
कई रातों से वो सोया नहीं था।।

मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था।।

_____मेराज फ़ैज़ाबादी
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
तेरे आने की जब ख़बर महके।
तेरी ख़ुशबू से सारा घर महके।।

शाम महके तिरे तसव्वुर से,
शाम के बा'द फिर सहर महके।।

रात भर सोचता रहा तुझ को,
ज़ेहन-ओ-दिल मेरे रात भर महके।।

याद आए तो दिल मुनव्वर हो,
दीद हो जाए तो नज़र महके।।

वो घड़ी-दो-घड़ी जहाँ बैठे,
वो ज़मीं महके वो शजर महके।।


_____नवाज़ देवबंदी
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता।
निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता।।

जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा,
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता।।

शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो,
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता।।

सवाल-ए-वस्ल पर उन को अदू का ख़ौफ़ है इतना,
दबे होंटों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता।।

वो बेदर्दी से सर काटें 'अमीर' और मैं कहूँ उन से,
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता।।


______'अमीर' मीनाई
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
खुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था।
दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था।।

ग़मों ने बाँट लिया है मुझे यूं आपसे में,
की जैसे में कोई लूटा हुआ खज़ाना था।।

जुड़ा है शाक से गुल रुत से आशियाने से,
काली की जुर्म घडी भर का मुस्कुराना था।।

ये क्या की चाँद ही क़दमों में थक के बैठ गए,
तुम्हें तो साथ मेरे दूर तक निभाना था।।

मुझे जो मेरे लहू में दबो के गुज़ारा है,
वो कोई गैर नहीं यार एक पुराना था।।

खुद अपने हाट से शहज़ाद उसको काट दिया,
की जिस दरकत की टहनी पे आशियाना था।।

______फरहत 'शहज़ाद'
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,164
354
कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे।
वो न समझा है न समझेगा मगर कहना उसे।।

वक़्त का तूफ़ान हर इक शय बहा कर ले गया,
इतनी तन्हा हो गई है रहगुज़र कहना उसे।।

जा रहा है छोड़ कर तन्हा मुझे जिसके लिये,
चैन न दे पायेगा वो सीम-ओ-ज़र कहना उसे।।

रिस रहा हो ख़ून दिल से लब मगर हँसते रहे,
कर गया बरबाद मुझको ये हुनर कहना उसे।।

रिस रहा हो ख़ून दिल से लब मगर हँसते रहे,
कर गया बरबाद मुझको ये हुनर कहना उसे।।

जिसने ज़ख़्मों से मेरा ‘शहज़ाद’ सीना भर दिया,
मुस्करा कर आज प्यारे चारागर कहना उसे।।
 
Top