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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Sanju@

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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है शीला और रेणुका नए पार्टनर के साथ वही मदन और राजेश भी नए पार्टनर के साथ मजे कर रहे हैं
 

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जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"

पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..

रोमा: "वाऊ.. व्हॉट ए सरप्राइज़ .. !! मुझे यह जानना है की बाकी पंद्रह मर्दों ने इस सेक्स बॉम्ब को क्यों नहीं चुना?? यह एक पेचीदा सवाल है.. मुझे भी इसका जवाब जानने में दिलचस्पी है.. !! उन लोगों से मैं गुजारिश करूंगी.. की आप के बाद एक आकर.. मेरे कान में इसका कारण बताएं.. ताकि मैं डिक्लेर कर सकूँ.. और सारी बातें सीक्रेट भी रहेगी"

सभी मर्द एक के बाद एक.. रोमा के कानों में कहकर गए.. रोमा को इतनी हंसी आई की वो अपना पेट पकड़कर लेट गई.. अब सब को यह जानना था की आखिर ऐसे कौन से कारण थे.. !!

अपने आप को संभालकर रोमा ने माइक पर कहा "मेरे प्यारे चुदक्कड़ों.. सभी पंद्रह मर्दों ने जो कारण दीये उसका निष्कर्ष यही निकलता है.. उनका मानना है की इतनी हॉट गदराई माल को बेड पर ले जाकर सेक्स करने से पहले ही उनका डिस्चार्ज हो जाएगा.. और फिर वो बिस्तर पर इस लेडी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचेंगे.. इसी कारणवश उन्हों ने सिलेक्ट नहीं किया.. शाबाश सुनंदा.. !! जलवा है आपका तो.. !!"

तमाम लोगों ने शीला के जोरदार तालियाँ बजाई.. शीला की नजर उस मर्द पर थी.. जिसे वो मदन समझ रही थी.. वह व्यक्ति निरुत्साह होकर खड़ा था.. देखकर शीला को बड़ा ताज्जुब हुआ

रोमा: "चलिए.. बाकी की जोड़ियाँ तो बन गई मगर प्रॉब्लेम यह है की अब इन पैंतीस लोगों के बीच.. सुनंदा का बंटवारा कैसे करें??" थोड़ी देर खामोश रहने के बाद रोमा ने बड़े ही नटखट अंदाज में कहा "एक काम करते है.. हम सुनंदा की बोली लगाते है.. देखते है की कौन सब से ज्यादा पैसे लुटाने के लिए तैयार है इसके बबलों पर.. !! जिसकी जेब में ज्यादा गर्मी होगी.. उसी का लंड लेगी सुनंदा.. आर यू रेडी, सुनंदा??"

शीला ने अपने दोनों हाथों से शर्ट को फाड़कर.. मदमस्त विशाल चूचियों का प्रदर्शन करते हुए सब का अभिवादन किया.. और फिर शर्ट से उन्हें ढँक दिया..

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पूरे हॉल में खलबली मच गई..!! सब के सब पागल हुए जा रहे थे.. सब की आँखों के सामने ही.. शीला ने अपनी चूत खुजाई.. और चुटकी में अपनी निप्पल दबाकर खींचते हुए.. सब के सामने देखकर.. मदहोश अंगड़ाई लेते हुए आँख मारी.. !! उसकी इन कामुक हरकतों को देखकर.. सारे लंड उसे सलामी देने लगे.. और सब लोड़ो ने शीला को स्टैन्डींग ओवेशन दिया.. !!

रोमा भी अपने नंगे स्तनों को झुलाते हुए उत्साह में आ गई क्यों की शीला ने आज की पार्टी को चार चाँद लगा दीये थे.. मर्दों को बावरा बना दिया था

रोमा: "सुनंदा के साथ रात गुजारने का मतलब है.. ज़िंदगी की सब से यादगार रात.. !! एक के बाद एक लोग इसके जिस्म की बोली लगाएंगे.. जो ज्यादा पैसे लुटाएगा.. सुनंदा आज रात के लिए उसकी हो जाएगी.. चलिए लगाइए बोली.. शुरुआत होगी एक लाख रुपये से.. !!"

एक के बाद एक बोली लगती गई.. और रकम साढ़े चार लाख पर पहुँच गई.. !!

"पाँच लाख.. !!" कोने में से आवाज आई तब सब चोंक गए.. क्योंकि वह आवाज किसी महिला की थी.. !!

रोमा: "बाप रे.. !! सुनंदा ने तो सिर्फ मर्दों को ही नहीं.. औरतों को भी पागल कर रखा है.. !! मुझे यह जानने में बड़ी दिलचस्पी है की एक औरत हो कर उसने सुनंदा के लिए इतनी बड़ी बोली आखिर क्यों लगाई.. !! जब की सुनंदा के पास.. उसे ठंडा करने के लिए जरूरी औज़ार भी नहीं है.. !!"

बोली लगाने वाली औरत.. बड़े ही आत्मविश्वास के साथ चलते चलते रोमा के पास आई.. रोमा की चुची को दबाकर उसके हाथ से माइक ले लिया और फिर बोली "हाई.. मेरा नाम केटरीना है.. मैं एक लेस्बियन हूँ.. मुझे लोडे की भूख नहीं है.. लोडा तो मैं घर से लेकर आई हूँ.. ये देखिए.. " कहते हुए उसने अपने हाथ में पकड़े सफेद रंग का डिल्डो दिखाया.. "मैं तो सुनंदा के बदन की कायल हो चुकी हूँ.. आज रात को, मैं सुनंदा के गदराए बदन का मज़ा लूटना चाहती हूँ.. उन्हें ये डिल्डो पहनाकर पूरी रात चुदना चाहती हूँ.. अगर उन्हें मंजूर हो तो.. !!"

शीला और रेणुका को तो ये बाद में पता चला की फकिंग क्लब में एंट्री पाने के लिए जोड़ी होना आवश्यक था.. पर जरूरी नहीं था की जोड़ी मर्द और महिला की ही हो.. दो महिला भी जोड़ी बनाकर दाखिल हो सकती थी.. अगर ये पहले पता होता.. तो उन्हें बेकार में ये सारे जुगाड़ न करने पड़ते..

शीला अब असमंजस में थी.. इतने सारे असली लंड छोड़कर.. वो अपनी कमर पर नकली लॅंड बांधकर.. इस औरत को चोदना तो नहीं चाहती थी.. पर पाँच लाख रुपये.. बहोत बड़ी रकम होती है.. शीला को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें.. तभी हेमंत उसके पास आया

हेमंत: "मैडम.. ये बड़ी ही बेरहम औरत है.. और बहोत विकृत भी है.. उसके साथ एक रात बिताने वाली लड़की दोबारा उससे नहीं मिलती.. आप उसकी ओफर को ठुकरा दीजिए.. "

अचंभित होकर शीला हेमंत की बात सुनती रही.. अब उसे वाकई उस स्त्री में दिलचस्पी जाग उठी.. पर फिलहाल वो ऐसा जोखिम उठाना नहीं चाहती थी..

शीला ने हेमंत से कहा "मैंने तुझे वो आदमी दिखाया ना.. !! मैं उसी के साथ सोऊँगी.. मुझे और कोई नहीं चाहिए.. !! जाओ उसे तैयार करके मेरे पास ले आओ.. !!"

जाने से पहले हेमंत एक बार फिर शीला के बदन से अजगर की तरह लिपट गया.. और बोला "आप के लिए तो मै कुछ भी करने को राजी हूँ.. !!"

शीला ने हेमंत के लंड को हथेली से सहलाया.. और उसके लाल सुपाड़े को झुककर चूम लिया.. हेमंत ने उत्तेजित होकर.. शीला के भोसड़े में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए.. उसकी निप्पल को चूस लिया..



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रोमा: "मुझे लगता है की सुनंदा जी खुद तय करेगी की उन्हें किसके साथ सोना है.. प्लीज सुनंदा.. यहाँ आओ.. और मुझे बताओ.. की आज रात के लिए तुम कीसे अपना यार बनाना चाहती हो.. !!"

अपने विराट कूल्हों को मटकाते हुए शीला चलकर स्टेज पर आई.. सब से पहले तो उसने रोमा के साथ थोड़ा रोमांस किया.. उसके होंठों को चूमकर.. उसकी चूचियों को दबाया.. और उसका हाथ लेकर अपनी चूत पर दबा दिया.. देखकर ही सारे मर्दों की आह्ह निकल गई..

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शीला ने रोमा को चैर पर बिठाया.. और उसके हाथ में माइक थमा दिया.. फिर खुद नीचे बैठकर.. रोमा की टांगें फैलाकर उसकी चूत चाटने लगी.. !! माइक पर रोमा की मादाक सिसकियाँ सुनाई देने लगी.. जैसे जैसे शीला की जीभ चूत के अंदरूनी हिस्सों को कुरेदने लगी.. वैसे वैसे ही रोमा के सर पर पागलपन सवार हो गया.. और वो कुछ भी बड़बड़ाने लगी..

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शीला की चूत चटाई.. और रोमा की सिसकियों ने सब का भरपूर मनोरंजन किया.. थोड़ी ही देर में रोमा एक पतली चीख के साथ झड़ गई.. और कुर्सी पर झुककर हांफने लगी.. शीला अब उठकर रोमा के गालों को और कानों को चाट रही थी.. बड़ी ही मुश्किल से रोमा ने अपने आप को संभाला.. और कुर्सी पर ठीक से बैठी.. शीला ने दूर से उंगली का इशारा करते हुए मदन को दिखाया और रोमा से बोली "मुझे उसके साथ सोना है"

रोमा ने चोंककर कहा "सुनंदा मिस्टर मेक के साथ सोना चाहती है.. यार.. आज रात के लिए मैंने भी उसे ही चुना था.. !!"

तो नाम पता चल गया.. मदन का नाम मिस्टर मेक था.. रोमा ने तुरंत उसके नाम की घोषणा माइक पर कर दी

अपना नाम सुनकर मदन चोंक गया.. खुश होकर उसने दूर से ही रोमा को अंगूठा दिखाया.. उसके शरीर के हाव भाव देखकर शीला को पूरी तसल्ली हो गई की वह मदन ही था.. शीला रोमांचित हो उठी.. शीला को यह अफसोस नहीं था की इतना दूर.. इतना जोखिम उठाने के बाद भी वो नया लंड नहीं ले पाई.. बल्कि इस बात की खुशी थी की उससे झूठ बोलकर.. इतने दूर आने के बाद भी मदन को पराई चूत नसीब नहीं होने दी.. इसे कहते है किस्मत का खेल.. !!

शीला और मदन.. दोनों धीरे धीरे करीब आने लगे.. शीला अब स्टेज से उतरकर राजेश उर्फ रॉकी के पास जाकर खड़ी हो गई और उसके लंड से खेलने लगी.. रोमांचित होकर मदन चलते चलते शीला और राजेश के पास आया.. और धीरे से बोला "मुझे सिलेक्ट करने के लिए आपका शुक्रिया.. अगर आप चाहों तो मैं आपका लाइफ पार्टनर भी बनने के लिए तैयार हूँ.. इतनी खूबसूरत हो आप.. !! आप जैसी बीवी मिल जाएँ.. तो ऐसी क्लब जॉइन करने की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी.. !!"

सुनकर शीला मन ही मन गुस्से से लाल हो गई.. भोसड़ीवाले.. भड़वे.. मादरचोद.. अभी मेरा मास्क उतारूँगी.. तो एक ही पल में तेरी सारी आशिकी उतर जाएगी.. बड़ा आया रोमांस करने वाला..!! अबे घोंचू, ऐसी पटाखा बीवी घर पर होने की बावजूद यहाँ ऐयाशी करने आया है और अब मुझ ही से यह कह रहा है.. !!

शीला के भारी भरकम खुले बबलों को दोनों हाथों में पकड़कर वज़न चेक करते हुए.. बड़े ही अहोभाव और अचरज से देखते हुए मदन के होश उड़ रहे थे.. मदन को शीला की याद आ गई.. सैम टू सैम शीला जैसे ही बबले है इसके भी.. !!

पति परमेश्वर नहीं.. पत्नी ही परमेश्वर होती है.. अत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त होती है ये भार्या.. रांड के भोसड़े में लंड डालकर उछलते वक्त भी बीवी याद आ जाती है... और आठ पेग पीने के बाद नशे में धूत होने के बाद भी..!! जैसे, सूखा हो या बाढ़.. पानी की याद आती है.. बिलकूल वैसे ही.. !!

शीला कुछ नहीं बोली.. अगर वो बोलती तो उसकी आवाज से मदन पहचान लेता.. और सारा खेल अभी समाप्त हो जाता.. मदन को जवाब न देना पड़े इसलिए उसने आँखें बंद कर ली.. और ऐसे सिहरने का नाटक करने लगी जैसे मदन के स्पर्श ने उसे पागल कर दिया हो.. !! जैसे उसका रोम रोम मदन को देखकर खिल उठा हो.. मदन ने शीला की गर्दन पर अपनी जीभ फेर दी.. शीला के जिस्म में एक ठंडी सुरसुरी दौड़ गई.. ये वही स्पर्श था जो पिछले ३२ सालों से उसके बदन को उत्तेजित और ठंडा करता आया था.. अगर वो चाहती तो बड़ी ही आसानी से किसी अन्य पुरुष के साथ जोड़ी बना सकती थी.. और नए लंड के मजे पूरी रात लूट सकती थी.. पर ऐसा करती तो मदन को भी कोई नई रांड मिल जाती.. और ऐसा वो होने देना नहीं चाहती थी.. !!

रेणुका भी अब शीला, राजेश और मदन के पास आकर खड़ी हो गई.. मदन और राजेश को अब भी कोई अंदाजा नहीं था की वह दोनों अपनी पत्नियों के सामने ही खड़े थे.. अपने पति का लंड शीला के हाथ में देखकर रेणुका बेहद गरम हो गई.. बिना समय गँवाएं.. उसने मदन का लोडा पकड़ लिया.. दोनों ने आपस में ही पति बदल लिए थे फिलहाल..!!

अब दोनों घुटनों के बल बैठ गई.. और एक दूसरे के पतियों के लिंग चूसने लगी.. राजेश और मदन दोनों एक दूसरे के सामने देखकर.. मुसकुराते हुए इस अनोखे मुख-मैथुन का आनंद ले रहे थे..

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राजेश: "मज़ा आ रहा है ना तुझे, मेक??"

मदन : "अरे पूछ मत यार.. कुछ भी कहों.. अपनी बीवियों के साथ ऐसा मज़ा कभी नहीं आ सकता.. देख तो सही.. क्या बढ़िया चूस रही है.. !! आह्ह.. आह्ह.. चूसो और अंदर तक लेकर.. !!"

मदन: "साली ये सुनंदा ने सिलेक्ट मुझे किया.. और लोडा तेरा चूस रही है.. "

राजेश: "कसम से यार.. एक रात के लिए अगर इसे चकले पर खड़ा कर दिया जाए.. तो पैसों के ढेर लग जाए.. इतना कमाल का चूसती है यह.. इसकी चुसाई ही इतनी जबरदस्त है की लगता है शायद चुदाई की जरूरत ही न पड़ें.. !!"

मदन: "अरे यार.. उसे मेरे पास भी भेज.. सुनंदा.. बेबी.. मेरा भी चूस दो प्लीज" सिगरेट का कश लेकर धुआँ शीला के नंगे बदन पर छोड़ते हुए मदन ने कहा

मदहोश अंगड़ाई लेते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में.. राजेश के लँड को एक आखिरी बार चूसकर बाहर निकाल दिया शीला ने.. उसकी लार से सने हुए राजेश के लंड को अपने हाथ से मुठियाते हुए शीला मदन के लंड के करीब पहुँच गई.. रेणुका तब मदन के आँड़ों को चाट रही थी.. रेणुका और शीला ने पहले तो मदन को छेडना शुरू किया.. उसका लंड मुंह में लिया है नहीं.. और बारी बारी सिर्फ राजेश का लंड चूसते रहे.. शीला के उन्नत स्तन रेणुका के बबलों से टकराकर दब गए.. उस द्रश्य को देखकर रोमा ने तुरंत कमेन्ट किया इस बारे में..

रोमा की कमेन्ट सुनते ही.. वो लेस्बियन औरत.. जिसने शीला के लिए पाँच लाख की बोली लगाई थी.. वो अपनी कमर पर सफेद डिल्डो बांधकर आ गई.. उसके दोनों पैरों के बीच असली लंड से भी बड़ा लंड झूल रहा था.. सामान्य लंड से दोगुना बड़ा और तीन गुना मोटा था.. वो शीला के करीब लंड झुलाते हुए खड़ी हो गई.. और शीला के बबलों पर उसे रबड़ के लंड से चपेटें मारने लगी.. रेणुका ने राजेश और मदन का लंड शीला के हवाले छोड़.. उस डिल्डो के टोपे को चूम लिया.. दोनों हाथों से पकड़ने के बावजूद वह उस पूरे लंड को पकड़ न पाई.. आँखें बंद कर उस विकराल लंड को रेणुका चाटने लगी.. उसे चाटता देख ऐसा लग रहा था मानों किसी घोड़े का लंड चूस रही हो..

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वो लेस्बियन औरत अब मदन और राजेश के बीच खड़ी हो गई.. और अपने बेढंग पिचके हुए स्तन को जबरदस्ती मदन को चूसने देने लगी.. फिर मदन के लंड को पकड़कर बोली "इतना छोटा?? मेरा देख.. कितना बड़ा है.. !!" कहते हुए हंसने लगी.. मदन ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया.. और वो चली गई

शीला बड़ी ही मस्ती से राजेश के गोटों को चाट रही थी.. उसका पति मदन वहीं खड़ा था और इसी कारण उसे चूसने में और मज़ा आ रहा था.. थोड़ी देर के बाद शीला खड़ी हुई और मदन को अपनी बाहों में दबा दिया.. हर बार जब शीला मदन के करीब आती थी तब मदन को कुछ जाना पहचाना एहसास होता और वो सहम जाता.. और फिर वो पार्टी के रंग में फिर से विलीन हो जाता.. अपनी हर हरकत के बाद शीला ये चेक करती की मदन को शक हो रहा है या नहीं.. पर उसके आश्चर्य के बीच.. उसकी पत्नी ने बाहों में भर लिया फिर भी उस बेवकूफ को पता नहीं चला..!!!

शीला के स्तनों का उसकी छाती से घर्षण होने पर इतनी उत्तेजक अवस्था हो गई थी की मदन मदहोश होकर किसी अलौकिक दुनिया में खो सा गया था..

मदन: "रॉकी.. यार दिल करता ही की इस रंडी को अपने साथ घर ले चलूँ.. एकदम घरेलू माल है.. दोनों साथ मिलकर इसे जमकर चोदेंगे..!!"

राजेश: "हाँ यार.. घर पर रेणुका न होती तो जरूर मैं इसे साथ ले जाता.. !!"

मदन: "तो रेणुका को इसके हसबंड के पास भेज दे..!! क्या मज़ा आ जाएगा.. रेणुका को भी नया लंड मिल जाएगा.. यार तेरी बीवी वैसे है बड़ी ही मस्त.. सच में.. मैंने उसे वैसे नजर से पहले कभी देखा नहीं है.. लेकिन एक रात उसका विचार दिमाग में आ गया था.. तब मेरा लोडा इतना टाइट हो गया था की मुझे फिर शीला को दबाकर चोदना पड़ा था.. !!"

राजेश: "साले, अपने दोस्त की बीवी को गंदी नज़रों से देखता है??"

शीला ने रेणुका को कुहना मारकर इशारा किया.. जवाब में रेणुका ने उसे आँख मार दी

राजेश: "तेरा तो केवल टाइट हुआ था.. मेरा तो पानी ही निकाल दिया था तेरी सेक्सी बीवी ने.. !! वैसे तो रेणुका भी काफी मस्त है.. लेकिन तेरी वाइफ में जो सेक्स अपील है उसका कोई जवाब नहीं.. और उसके बॉल तो क्या गजब के बड़े बड़े है.. !!"

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मदन: "रॉकी, तूने गौर से देखा.. ?? यह सुनंदा के बबले भी कुछ कुछ शीला जैसे नहीं लग रहे?"

राजेश: "अबे चूतिये.. तूने मुझे भाभीजी के बबले दिखाए ही कब.. ?? जो मुझे पता चलें.. हा साइज़ और शेप काफी मिलते झूलते है.. मुझे तो हिप्स भी उनके जैसे ही लग रहे है"

मदन: "यार, मैं भी कब से हैरान हूँ.. कितना मिलता झूलता फिगर है सुनंदा और शीला का.. ?? इसीलिए तो मैंने उसे पसंद नहीं किया था.. सब इसके पीछे पागल है पर मैं आज किसी अलग टाइप के फिगर का स्वाद लेना चाहता था.. लेकिन इसी ने मुझे चुन लिया.. चलो.. मुझे कोई नुकसान नहीं है.. यह भी कुछ कम नहीं है... साली गजब की चुदक्कड़ पटाखा है.. !!"

राजेश: "मेक, यार एक बार अगर तू राजी हो तो मैं भाभी जी को नंगी देखना चाहता हूँ"

राजेश का लंड चूस रही शीला ने यह सुनकर अपने दांत लंड पर दबा दीये..

राजेश: "ओह्ह क्या किया तूने हरामजादी.. खा जाएगी क्या मेरे लंड को.. जरा धीरे धीरे कर यार.. !!"

फिर मदन की ओर मुड़कर राजेश ने बात आगे बढ़ाई "बदले में.. मैं भी तुझे रेणुका को नंगी दिखाऊँगा"

मदन: "सिर्फ देखने से ही पेट थोड़े ही भरता है रॉकी.. !! देखने के बाद अगर चखने का मन किया तो??"

राजेश: "तो चख लेंगे.. कौन सी बड़ी बात है.. !! हम दोनों के अलावा यह बात कोई और जानेगा नहीं.. मेरी तो कब से पार्टनर चेंज करने की तमन्ना है.. लेकिन किसके साथ करता..!! उसी चक्कर मे तो यह क्लब जॉइन किया था.. !!"

शीला और रेणुका अपने अपने पतियों की इस तैयारी की बातें सुन रही थी.. और साथ ही साथ उनके लंड भी चूस रही थी

मदन: "हाँ यार.. मेरी और शीला की भी एक अधूरी इच्छा है.. जिसकी बातें अक्सर हम चुदाई करते वक्त करते है"

राजेश: "कौन सी इच्छा?"

मदन: "ग्रुप सेक्स करने की.. एक ही कमरे में.. दो कपल साथ में सेक्स करें.. ऐसी इच्छा.. !!"

राजेश: "ओह.. ये तो कुछ भी नहीं है.. रेणुका तो कपल बदलने की बातें भी करती है कभी कभी.. "

मदन: "तो क्या हम आपस में ऐसा कर सकते है?"

रेणुका ने शीला को मदन का लंड दिखाया.. यह सब बातें करते हुए उसका लंड गन्ने जैसा सख्त हो गया था.. शीला ने भी यह महसूस किया की राजेश का लंड पहले के मुकाबले काफी कडक हो गया था..

राजेश: "तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली यार.. मगर हमारी बीवियों को इस बात के लिए कैसे राजी करेंगे??"

मदन: "हाँ यार.. वो तो एक बड़ा प्रॉब्लेम है.. साली गरम होती है तब तो कुछ भी करने को तैयार हो जाती है.. लेकिन ठंडा होते ही तुरंत सति-सावित्री का रूप धारण कर लेती है.. तू रेणुका को तैयार कर पाएगा?"

राजेश: "कोशिश करता हूँ.. वो भी जब एक्साइट होती है तब ऐसी बातों में दिलचस्पी दिखाती है.. लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं.. पर मैंने एक बात नोट की है.. जब जब में उसे चोदते वक्त उसके साथ किसी तीसरे आदमी का जिक्र करता हूँ तब उसकी उत्तेजना आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है.. आई मीन.. आह.. अब तुझे कैसे समझाऊँ यार.. !! अभी परसों हम चुदाई कर रहे थे.. तब मैंने वो पीयूष की बात की तो क्या गजब के झटके खाने लगी.. साली.. मुझे तो शक है की कहीं मुझसे चोरी छुपे उससे चुदवाती न हो.. !! कभी कभी लगता है की वो तैयार है और कभी लगता है की नहीं है"

मदन: "तो फिर क्या करेगा??"

राजेश: "तू ये बता.. तू शीला भाभी को कैसे तैयार करेगा?"

मदन: "वो तो मैं कर लूँगा.. यार मेरा दिल तो हमारी दूध वाली पर आ गया है.. साली क्या माल है यार.. !!"

राजेश: "कौन दूधवाली यार??"

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मदन: "अरे है एक गदराई ग्वालिन.. हमारे घर दूध देने आता है उस आदमी की बीवी.. अभी अभी बच्चा पैदा किया है.. लेकिन तू मानेगा नहीं.. ऐसी जालिम कयामत है की क्या बताऊँ.. तुझे पता है.. एक दिन वो घर पर आई तब तेरी भाभी घर पर नहीं थी.. उस वक्त मैंने उसे पकड़ कर चोद डाला था"

राजेश ने चोंककर पूछा "क्या बात कर रहा है यार.. !!! अपने ही घर पर तूने उसे जबरदस्ती चोद दिया??"

मदन: "अभी तूने उसे देखा ही कहाँ है..!! एक बार तू उसे देख ले.. तो खड़े खड़े पानी निकल जाएगा तेरा.. आहाहाहा बड़े बड़े दूध से भरे उसके मम्मे.. ओह.. और जालिम जवानी.. !! मुझे तो लगा था की मेरे घर वो आई ही थी चुदवाने के लिए शायद.. ऐसी पतली सी चोली पहन रखी थी.. और अंदर ब्रा तो पहनती ही नहीं है.. घर पर आई तब अपना जोबन छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी.. उल्टा सब कुछ उछाल उछालकर मुझे दिखा रही थी.. साली ने मेरा लोडा टाइट कर दिया.. पटक कर वहीं चोद दिया मैंने.. उसने थोड़े बहोत नखरे तो किए.. लेकिन एक बार गरम हो गई उसके बाद.. हुमच हुमचकर चुदवाया साली ने.. एक बार मैंने जबरदस्ती की और दूसरी बार उसने.. !!"

राजेश: "उसने कैसे की?"

मदन: "अरे यार.. तू तो जानता है ना.. एक बार हम लोगों का निकल जाए उसके बाद.. कितनी सुस्ती आ जाती है!! और शीला मार्केट गई थी.. उसके आने का वक्त भी हो गया था तो मैंने कहा की अब वो चली जाएँ.. तो साली मुझ से बोली "बाबूजी..एक बार और कीजिए ना.. एक बार से मन नहीं भरता मेरा.. " मैंने लाख इनकार किया की मादरचोद अभी तेरी माँ यहाँ आ जाएगी तो गांड फाड़ देगी हम दोनों की.. लेकिन वो माने तब ना.. !!"

राजेश: "वेरी इंटरेस्टिंग.. फिर क्या हुआ?"

मदन: "होना क्या था.. वही हुआ जिसका डर था.. तेरी भाभी आ गई और हम दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया.. !!"

राजेश: "अरे बाप रे.. तब तो तेरी गांड फट गई होगी"

मदन: "अरे यार.. बड़ी मुश्किल से समझा पाया उसे.. तुझे पता है ना.. औरतों को समझाना कितना मुश्किल होता है!!

राजेश: "एक बार तेरी इस दूधवाली को देखना पड़ेगा यार.. लेकिन यार.. तू बात को कहाँ से कहाँ ले गया.. !! तू कह रहा था की क इस तरह तू शीला भाभी को राजी करेगा.. !!"

मदन: "यार ट्राय करूंगा.. लेकिन मुझे तो लगता है की शायद तू रेणुका को राजी नहीं कर पाएगा..!!"

राजेश: "यार, मैं भी सिर्फ कोशिश कर सकता हूँ"

मदन: "यार रॉकी.. ये बीवी बदलने की बात सुनकर.. मेरा तो लोडा फटा जा रहा है"

उसी दौरान.. कॉकटेल चलते चलते किसी और औरत को लेकर रेणुका के पास आया और उसकी पहचान कराने लगा.. "ये है मेरी बीवी.. !!" कॉकटेल की अमीरियत देखकर रेणुका पानी पानी हो गई.. कॉकटेल की बीवी ने हंसकर रेणुका को फ्लाइंग किस दी और कहा "हाई.. तुम्हारा साथी जबरदस्त है.. एक काम करो.. तुम मेरा पति ले जाओ और मुझे तुम्हारा पार्टनर दे दो.. !!"

रेणुका सुनकर मुस्कुराने लगी.. और फिर नीचे बैठ गई.. लंड चूसने.. !! कॉकटेल के दोनों हाथों को पकड़कर घुटनों के बल बैठकर उसका लंड चूसते हुए रेणुका ने उसकी घड़ी में समय देखा.. ग्यारह बज रहे थे.. शीला ने तो कॉकटेल की या उसकी बीवी की तरफ देखा तक नहीं.. पर रेणुका ने कॉकटेल की बीवी के कान में कहा "मेरा नाम कामिनी है..!!" जवाब में उसने कहा "नाइस नेम.. आई एम बार्बी.. " देखते ही देखते बार्बी भी रेणुका और शीला के संग जुड़ गई..

राजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी

राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"


मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.. शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
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बेचारे दोनों का नसीब ही खराब है नया टेस्ट लेने के लिए आए थे लेकिन यहां भी दोनों को अपनी ही बीवी मिली लेकिन लगता है दोनों को एक दूसरे की बीवी चोदने को मिल सकती है
 

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बेचारे दोनों का नसीब ही खराब है नया टेस्ट लेने के लिए आए थे लेकिन यहां भी दोनों को अपनी ही बीवी मिली लेकिन लगता है दोनों को एक दूसरे की बीवी चोदने को मिल सकती है
हां शायद...यह भी सही है
 

Rajizexy

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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..

कुछ दिनों बाद.. राजेश को एक काम के सिलसिले में मुंबई जाना हुआ.. तीन दिनों के लिए.. इस बार तो रेणुका ने उसे अपने सर की कसम खिलाकर तसल्ली कर ली थी.. की वो वाकई बिजनेस के सिलसिले में ही जा रहा था.. वैसे उस रात पार्टी में जो हुआ.. उसके बाद रेणुका को यकीन था की राजेश अब उसे बिना बताए ऐसा कुछ नहीं करेगा..

राजेश के जाने के बाद.. खुला मैदान मिलते ही रेणुका खुश हो गई.. उसने सुबह सुबह ही सुबोधकांत को फोन करके बुला लिया.. सुबोधकांत ने दोपहर ढाई बजे पहुँचने का वादा किया..

फिर रेणुका ने अब सुबोधकांत को फोन किया और अपने घर बुला लिया.. सुबोधकांत ने कहा की वो अभी निकल रहा है और कुछ ही घंटों में पहुँच जाएगा.. अब रेणुका ने शीला को फोन करके यह कहा की एक नया मुर्गा फसाया है चुदाई करने के लिए... पर सुबोधकांत का नाम नहीं बताया..!!

नया लंड लेने के विचार मात्र से शीला के पूरे शरीर में खलबली सी मच गई.. पर प्रश्न यह था की वो मदन को क्या बोलकर घर से निकलें?? आखिर वह बिना कुछ कहें बाहर निकल गई.. और थोड़ी देर बाद मदन को फोन किया और बताया की उसे अपनी कोई पुरानी सहेली मिल गई है और वो उसके घर जा रही है.. आने में देर हो जाएगी

शीला सीधे रेणुका के घर पहुँच गई..

शीला: "क्या बात है मेरी जान.. आज तो तूने मेरे भोसड़े को तृप्त करने का प्लान बना लिया..!! बता तो सही, आखिर किस लंड को पटाया है तूने.. !!"

रेणुका ने मुस्कुराकर कहा "थोड़ा सा धीरज धरो शीला रानी.. आज तुम्हें ऐसे लंड से चुदने का मौका मिलेगा जिसकी प्रतीक्षा तुम्हें कब से थी.. !! मिलकर मजे करेंगे.. मैं चाहती तो अकेले ही मजे कर सकती थी.. पर मैंने ऐसा नहीं किया.. ये तू भी याद रखना.. !!!"

दोनों बेडरूम मे जा पहुंची.. बड़ा सा बेड देखते ही शीला ने एक ही पल मे अपनी साड़ी उतार फेंकी.. और अपना घाघरा उठाकर बेड पर लेट गई.. उसकी नरम गोरी गुंदाज जांघों को देखकर रेणुका सिसक पड़ी..

रेणुका: "यार, अपना खजाना दिखाकर मुझे ऐसे ललचा मत.. वरना उस लंड के आने से पहले मैं ही तुझ पर टूट पड़ूँगी"

शीला ने अपने ब्लाउज के हुक खोलते हुए कहा "तो आजा ना मेरी जान.. किसने रोका है.. वैसे वो मज़ा तो नहीं आएगा जो लंड से मिलता है.. अरे हाँ.. मैं तो भूल ही गई.. तेरे पास वो रबर का मूसल जैसा लंड था ना.. वो लेकर आ..!! जब तक वो मेहमान नहीं आ जाता, तब तक उसी से काम चला लेते है.. याद है उस रात.. होटल मे.. वो डिल्डो वाली औरत के साथ हमने कितने मजे किए थे.. !!"

रेणुका एक पल के लिए सोच मे पड़ गई.. वो डिल्डो तो उसने वैशाली को दे दिया था.. पर शीला को कैसे बताती.. !!

रेणुका: "अरे यार.. मेरी उंगली क्या किसी डिल्डो से कम है.. !! तुझे ऐसा मज़ा दूँगी की तू उस रबर के नकली लंड को भूल जाएगी.. "

रेणुका ने टॉप के साथ अपनी ब्रा भी उतार दी.. और फटाफट अपने ट्रैक-पेंट को पेन्टी के साथ उतारते हुए नंगी हो गई.. शीला अब भी ब्रा और पेटीकोट मे थी.. रेणुका बेड पर होते हुए शीला के पास आकर लेट गई.. और शीला की ब्रा के अंदर हाथ डालकर उसके स्तनों से खेलने लगी

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रेणुका: "यार सच मे.. तेरे बबलों का कोई मुकाबला ही नहीं है.. कितने बड़े है यार.. !!! मैं एक औरत होकर भी इन्हें छूकर पागल हो जाती हूँ.. तो मर्दों का क्या हाल होता होगा.. !!"

शीला ने अपनी ब्रा उतारकर अपने मदमस्त खरबूजों को आजाद कर दिया.. ताकि रेणुका आसानी से उनके साथ खेल सकें.. रेणुका ने अपना सर शीला की गोद मे रख दिया.. उन बड़े बड़े स्तनों के नीचे उसका चेहरा ऐसे दब गया की उसे शीला का मुंह भी नजर नहीं आ रहा था

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शीला के एक स्तन को अपनी दोनों हथेलियों में पकड़कर उसकी एक इंच लंबी निप्पल को मसलते ही शीला कराहने लगी.. शीला ने अपनी निप्पल पकड़ी और उसे जबरन रेणुका के मुंह मे डाल दी.. रेणुका चटकारे लगाते हुए उसकी निप्पल चूसने लगी

रेणुका के मुंह के गरम स्पर्श से शीला सिहरने लगी.. उसने अपना एक हाथ रेणुका की चूत पर रख दिया.. और चूत के होंठों के बीच अपनी उंगली फेरने लगी.. जवाब मे रेणुका अपनी कमर हिलाकर उसके स्पर्श का अभिवादन करने लगी.. कुछ ही पलों मे रेणुका की चूत पूर्णतः गीली हो गई.. उसकी गीली पुच्ची मे उंगली डालकर शीला ने बाहर निकाली और सूंघने लगी.. बड़ी ही मस्त मस्की सी गंध सूंघकर शीला बेहद उत्तेजित हो गई.. !!!

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उसने अब रेणुका को अपनी गोद से हटाया और उसे बेड पर लेटा दिया.. शीला बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी.. गांठ खींचते ही उसका पेटीकोट शीला के पैरों के इर्दगिर्द ढेर बनकर गिर गया.. पेन्टी तो आज उसने पहनी ही नहीं थी.. अपनी चरबीदार भोसड़े को हथेली से खुजाते हुए.. अपने दोनों पैर रेणुका के चेहरे के दोनों तरफ जमा लिए.. और अपनी कमर को धीरे धीरे नीचे ले जाकर.. चूत को रेणुका के मुंह के सामने लाकर रख दिया..

शीला का गुफा जैसा भोसड़ा अपने मुंह के सामने देख, रेणुका को और अधिक मार्गदर्शन की जरूरत नहीं पड़ी.. भांप छोड़ रहे उस छेद को ताज्जुब के साथ देखती रही रेणुका.. यह वही भोसड़ा है जिसमे शीला ने अच्छे अच्छे लंडों को समा लिया था.. अपनी दो उंगलियों से चूत के होंठों की परतों को अलग करते ही.. अंदर का गीला गुलाबी हिस्सा नजर आने लगा..

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शीला से अब और बर्दाश्त नहीं हुआ.. उसने अपना गरम छेद रेणुका के होंठों पर दबा दिया.. एक पल के लिए रेणुका का दम घुटने लगा.. उसने शीला की जांघों को अपनी हथेली से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया ताकि उसे चाटने मे आसानी हो..

शीला का भोसड़ा अपना रस बहा रहा था.. उस रस को बड़े ही चाव से चाटते हुए रेणुका ने अपनी जीभ अंदर तक डाल दी.. एक पल के लिए उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने गरम अंगारे पर अपनी जीभ रख दी हो.. !! शीला अपने चूतड़ों को आगे पीछे करते हुए.. रेणुका की जीभ का घर्षण मजे लेते हुए महसूस कर रही थी..

रेणुका की तंग चूचियों की तीखी नोक पर अपनी गांड रगड़ते हुए.. शीला बदहवास होकर अपना भोसड़ा चटवा रही थी.. अपने स्तनों को खुद ही मसलते हुए वह इतनी उत्तेजित हो गई की पागलों की तरह अपनी निप्पल खींचने लगी.. रेणुका ने शीला की जामुन जैसी क्लिटोरिस को अपनी जीभ से कुरेदकर उसे स्खलित करने की कगार पर ले गई..

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पगलाई हुई घोड़ी की तरह शीला रेणुका के चेहरे पर सवार होकर ऐसे हिल रही थी जैसे उसके प्राण निकल जाने वाले हो.. !! रेणुका के सर को बालों से पकड़कर शीला ने अपने सुराख को उसके मुंह पर जोर से दबा दिया और चीखकर झड़ गई.. उसकी योनि का शहद रेणुका के पूरे चेहरे पर लिप्त था.. कुछ देर तक उसी स्थिति मे रहने के बाद.. शीला रेणुका के चेहरे के ऊपर से उतरी और उसे अपनी गिरफ्त से मुक्त किया..

थक कर शीला बेड पर लेट गई.. अब रेणुका की बारी थी.. वो शीला के जिस्म पर सवार हो गई.. और उसकी छाती पर सर रखकर उसके मम्मों को चूसने-चाटने लगी.. इस दौरान वो अपनी चूत को शीला के चरबीदार पेट पर रगड़ रही थी..

शीला ने अपनी टांगें फैलाई और रेणुका उसकी जांघों के बीच ऐसे सेट हो गई की दोनों की चूतें आराम से छु सकें.. अब वो अपनी कमर हिलाते हुए अपनी चूत को शीला के भोसड़े के साथ रगड़ने लगी.. कुछ ही पलों मे रेणुका का ऑर्गजम आ गया.. और वो शीला के बड़े बड़े स्तनों के ऊपर ढेर होकर गिर गई

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काफी देर तक उसी अवस्था में दोनों पड़े रहे.. और अपनी साँसे नॉर्मल होने का इंतज़ार करते रहे..

कुछ देर बाद.. शीला उठी.. और नंगे बदन ही किचन मे चली गई.. दोनों के लिए कॉफी बनाने..

थोड़ी देर मे कॉफी के दो मग लेकर वो बेडरूम मे आई तब रेणुका प्लास्टिक के हेर-ब्रश को अपनी गीली चूत में घुसेड़ रही थी..

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शीला: "मेरे आने का तो इंतज़ार करती.. !! चल अब छोड़ वो सब.. और कॉफी पी" शीला रेणुका के करीब आई उसे मग देने के लिए..

रेणुका ने एक के बदले दोनों मग शीला के हाथों से ले लिए.. और बगल वाले टेबल पर रख दिए.. शीला को समझ नहीं आया की उसने ऐसा क्यों किया.. वो और कुछ सोच पाएं उससे पहले रेणुका ने उसे खींचकर अपने शरीर के ऊपर ले लिया..

शीला: "अरे क्या कर रही है पागल.. !!"

रेणुका: "यार.. मैंने तेरी चाटकर ठंडी कर दी.. अब तू मेरी चाट दे.. "

शीला बिना एक पल गँवाए.. अपने जिस्म को थोड़ा सा नीचे ले गई.. और रेणुका की जांघें फैलाकर उसकी गोरी-गुलाबी मुनिया के होंठ खोलकर सूंघने लगी.. उसे रेणुका की चूत की गंध बड़ी पसंद थी..

अलग अलग औरतों की योनियों की भिन्न भिन्न गंध होती है.. यह गंध उस औरत की स्वास्थ्य स्थिति, हॉर्मोनल बदलाव, साफ-सफाई और खानपान पर निर्भर करती है। यह गंध उत्तेजित भी कर सकती है और अगर तेज या दुर्गंधमय हो तो संभोग साथी को परेशान भी कर सकती है.. आम तौर पर एक स्वस्थ योनि से हल्की और प्राकृतिक गंध आती है.. कुछ औरतों की योनियाँ मछली जैसी या फिर बड़ी दुर्गंध वाली भी होती है.. जो किसी इन्फेक्शन के कारण या योग्य साफ-सफाई न रखने के कारण हो सकती है.. कुछ औरतों की योनियाँ मिठास भरी.. फलों जैसी गंध वाली भी होती है..!!

रेणुका आँखें बंद कर शीला की जीभ अपनी चूत मे अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी.. उसे इतना मज़ा आ रहा था की वो अपने पैर पटक रही थी.. शीला ने दो उंगलियों से जैसे ही चुटकी मे लेकर उसकी क्लिटोरिस दबाई.. रेणुका की चूत ने पानी छोड़ दिया.. वो बुरी तरह हांफने लगी.. और कुछ ही पलों मे शांत हो गई.. लेकिन शीला अंत तक उसका सारा रस चाटती ही रही.. जब तक रेणुका की चूत को पूरी तरह साफ नहीं कर दिया.. शीला ने चाटना बंद नहीं किया..

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आखिर शीला मुस्कुराकर खड़ी हुई.. और रेणुका के बगल मे लेट गई.. पास पड़े टेबल से उसने अपनी कॉफी का मग उठाकर एक घूंट पिया

शीला: "साली, तेरे चक्कर मे ये कॉफी ठंडी हो गई"

रेणुका: "भाड़ मे गई तेरी कॉफी.. मेरी चूत को ठंडा करना ज्यादा जरूरी था.. !!"

दोनों सहेलियाँ हँसते हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलती रही..

अब नए लंड से चुदवाने के लिए दोनों ही उतावली हो रही थी..

जिस्म की आग थोड़ी ठंडी करने के बाद.. दोंनो निर्वस्त्र अवस्था में रेणुका के बेड पर लेटी हुई थी..

शीला: "यार बता तो सही की आखिर वो है कौन? और कितने बजे आने वाला है?"

रेणुका: "लगता है वो ट्राफिक में फंस गया है.. उसने कहा था की ढाई बजे तक आ जाएगा.. अभी तीन बज रहे है.. "

शीला: "क्या यार.. !! जो आदमी चोदने के लिए समय पर नहीं पहुँच सकता.. वो किसी काम का ही नहीं.. !! मुझे नहीं लगता की वो आएगा.. !!"

रेणुका: "आएगा.. जरूर आएगा"

शीला: "तूने उसका लंड देखा क्या??"

रेणुका: "देखा भी है और चूसा भी है"

शीला: "चूसा है मतलब अंदर भी डलवाया ही होगा.. मुझे खिलाने से पहले तू खुद चख चुकी है.. एक नंबर की चुदैल है तू.. !!"

रेणुका ने हँसते हँसते शीला के मादक बबलों को दबाते हुए कहा "नहीं डलवाया है यार.. भरी दोपहर में.. गाड़ी के अंदर खुली सड़क पर कैसे चुदवाती?? ऊपर ऊपर से ही किया था सब.. उसने मेरे मुंह के अंदर पिचकारी भी मारी थी"

शीला: "तो आज पहले मैं उसका मुंह में लूँगी.. तू उसे छूना भी मत.. तुझे सिर्फ देखना है"

रेणुका: "अरे हाँ मेरी माँ.. पहले उसे आ तो जाने दे.. पता नहीं कहाँ रह गया.. !! फोन कर के पूछूँ?"

शीला: "नहीं यार.. वो किसी तकलीफ में होगा वरना वही सामने से फोन कर देता ना तुझे.. !! थोड़ा इंतज़ार करते है.. अगर और थोड़ी देर में नहीं आया तो मुझे वापिस घर जाना होगा.. मदन से झूठ बोलकर आई हूँ.. वो कब आएगा.. कब हम दोनों करवाएंगे और कब मैं घर पहोचुंगी.. और यार.. तुझे तो पता है.. मुझे जल्दबाजी में करवाने में मज़ा ही नहीं आता.. अगर वो थोड़ी देर में आ गया तो मैं पहली करवा लूँगी और घर के लिए निकल जाऊँगी.. फिर तू आराम से पैर फैलाकर चुदवाना.. !!"

रेणुका: "एक काम करते है.. तेरे फोन से उसे फोन लगाते है.. पता तो चले क्या प्रॉब्लेम है.. !! पता चला तो ठीक वरना रोंग नंबर कहकर फोन कट कर देंगे"

शीला: "ठीक है.. !!" कहते हुए उसने अपने पर्स से फोन निकाला.. स्क्रीन पर नजर जाते ही उसके होश उड़ गए.. २० मिसकॉल थे मदन के.. अरे बाप रे.. !! इसे अचानक कौनसी मौत आ गई.. !! पहले तो कभी उसने इतने मिसकॉल नहीं किए.. !! शीला बहोत ही घबरा गई

रेणुका: "अरे फोन लगाकर पूछ ले.. जो भी होगा पता चल जाएगा"

शीला: "यार.. मुझे बहोत डर लग रहा है.. वो बहोत गुस्सा करेगा.. एक काम कर.. तू अपने फोन से कॉल लगाकर पूछ.. ये मत बताना की हम दोनों साथ है"

रेणुका उठकर बेडरूम गई अपना फोन लेने.. फोन उठाते ही वो चकित रह गई.. राजेश के आठ मिसकॉल थे..!! अपनी हवस बुझाने के चक्कर में दोनों ने फोन साइलन्ट मोड पर रखे हुए थे..

मदन को फोन लगाने से पहले रेणुका ने राजेश को फोन लगाया

रेणुका को अपेक्षा थी की फोन उठाते ही राजेश उस पर बुरी तरह भड़केगा.. पर राजेश ने ऐसा कुछ नहीं कहा.. राजेश ने जो कहा वो सुनकर रेणुका के चेहरे का रंग उड़ गया.. होश उड़ गए.. थर थर कांपने लगी वो... !!!

देखकर ही शीला को अंदाज लग गया की कुछ बहोत बड़ी गड़बड़ हुई थी.. !!

शीला: "क्या हुआ रेणुका?"

रेणुका स्तब्ध खड़ी रही.. जैसे उसकी आवाज ही छीन गई थी.. थोड़ी देर तक आँखें बंद कर वो नॉर्मल होने की कोशिश करती रही.. और फिर तुरंत उठकर कपड़े पहनने लगी..

शीला: "क्या कर रही है यार.. !!! कुछ बताएगी भी की क्या हुआ??? और मदन को फोन कर तो मुझे आगे दिमाग चलाने का पता चले"

घबराई हुई रेणुका ने कहा "शीला, तू अभी घर जाने के लिए निकल.. हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है.. राजेश कभी भी घर पहुँच सकता है.. आता ही होगा.. जल्दी निकल वरना हमारा सारा भांडा फुट जाएगा.. !!"

शीला: "अरे यार.. फिर वो तेरा नया लंड आ गया तो क्या करेगी??"

रेणुका ने शीला को लगभग धकेलते हुए कहा "वो अब नहीं आएगा.. तू जा यहाँ से.. !!"

शीला आगे कुछ पूछती उससे पहले रेणुका बाथरूम मे चली गई.. शीला को भी महसूस हुआ की कुछ बहोत बड़ा कांड हो गया था.. शीला ने तुरंत कपड़े पहने और दरवाजे की ओर जा ही रही थी की तभी डोरबेल बजी..

घबराकर शीला बाथरूम के दरवाजे के पास आकर रेणुका से बोली "यार लगता है राजेश आ गया.. अब क्या करें?"

रेणुका तुरंत बाहर निकली.. और शीला को हाथ से खींचते हुए किचन के रास्ते पीछे वाले दरवाजे पर ले गई.. शीला को रवाना कर वो भागी भागी मुख्य दरवाजे पर आई.. दरवाजा खोलते ही अपना बेग लेकर राजेश ने प्रवेश किया.. और धम्म से सोफ़े पर बैठ गया.. और सर पर हाथ रखकर सोचने लगा..

राजेश के अंदर जाने के बाद.. शीला चुपके से पीछे के रास्ते बाहर निकली.. और लगभग भागते हुए मुख्य सड़क पर आ गई.. तुरंत ऑटो में बैठकर उसने अपने घर का पता दिया.. ऑटो चल पड़ी और साथ ही साथ शीला के दिमाग में विचार भी चलने लगे.. क्या करू? मदन को क्या कहूँगी?? कैसे समझाऊँगी?? इतने मिसकॉल के बाद भी क्यों उसने फोन नहीं किया उसकी क्या सफाई देगी?? क्या हुआ होगा?? रेणुका इतनी घबराई हुई सी क्यों थी? मदन ने इतने सारे मिसकॉल क्यों किए होंगे?

देखते ही देखते ऑटो शीला के घर के बाहर पहुँच गई.. पैसे चुकाने के बाद शीला ने सब से पहले अपना मोबाइल स्विचऑफ कर पर्स में रख दिया.. और बेफ़िकर होकर घर में ऐसे घुसी जैसे उसे कुछ पता ही न हो.. !!

उसे देखते ही मदन उस पर टूट पड़ा..

मदन: "दिमाग नाम की कोई चीज है भी या नहीं.. !! कब से तुझे फोन कर रहा हूँ.. उठाया क्यों नहीं?? कोई ईमर्जन्सी हो तब फोन ही न उठाओ तो फोन रखने का क्या मतलब?? अब सुन.. सुबोधकांत का एक्सीडेंट हुआ है.. मैं और राजेश वहाँ जा रहे है.. बाद मैं फोन पर बात करेंगे.. अगर तू उठाएगी तो.. !!"

शीला: "इतना गुस्सा करने से पहले मेरी बात तो सुन ले.. मेरा फोन रास्ते में कहीं गिर गया है.. मैं पिछले एक घंटे से अपना फोन ही ढूंढ रही थी.. वरना तेरा फोन मैं क्यों नहीं उठाती? और सुबोधकांत जी के साथ अचानक ये क्या हो गया?? अभी थोड़े दिन पहले ही तो गए थे यहाँ से.. !!"

मदन: "मुझे क्या पता यार.. वहाँ जाकर पता चलेगा.. मैं और राजेश अभी निकल रहे है.. वो बस आता ही होगा.. वहाँ जाकर पता चलेगा की क्या हुआ, क्यों हुआ.. कितनी चोट आई है.. वगैरह वगैरह.. !!"

शीला: "मदन, कविता और मौसम को अभी बताना है या थोड़ा इंतज़ार करें?"

मदन: "अभी नहीं.. पहले वहाँ जाकर देख तो लें की क्या हाल है.. !!"

तभी बाहर गाड़ी का हॉर्न बजा.. मदन तुरंत बाहर निकला और गाड़ी में बैठ गया.. राजेस ने तेजी से गाड़ी दौड़ा दी

मदन: "तुझे किसने बताया इसके बारे में?"

राजेश: "मुझे रमिलाबहन का फोन आया था.. मैं तो एयरपोर्ट पर अपनी फ्लाइट का इंतज़ार कर रहा था तभी फोन आया.. उन्हों ने सब से पहले पीयूष को फोन किया पर उसका लगा नहीं.. कविता के घर पर किसी ने उठाया नहीं.. !! वो कह रही थी की पुलिस वालों ने सुबोधकांत की डायरी से घर का नंबर लेकर फोन किया और बताया की हमारे शहर के बाहर वाली हाइवे पर एक्सिडन्ट हुआ है.. !!"

फूल स्पीड से राजेश की गाड़ी बाहर हाइवे पर निकल गई.. थोड़ा आगे जाते ही रोड पर उलटी पड़ी हुई गाड़ी नजर आई.. गाड़ी का रंग देखकर दोनों समझ गए की वह सुबोधकांत की ही गाड़ी थी.. पास ही में पुलिस की पी.सी.आर गाड़ी खड़ी थी और दो पुलिसवाले वहाँ खड़े रहकर ट्राफिक का नियमन कर रहे थे.. एक्सीडेंट में तहस नहस होकर उलटी पड़ी गाड़ी को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी..

भीड़ को चीरते हुए राजेश और मदन अंदर घुसे और गाड़ी के पास जाकर, वहाँ खड़े पुलिस वाले से कहा "साहब, ये जिसका एक्सीडेंट हुआ है, हम उनके रिश्तेदार है.. उन्हें कौन सी अस्पताल ले गए है?? कितनी चोट आई है उनको?"

"बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल ले गए है" बड़ी ही रूखी आवाज में उस पुलिस वाले ने कहा

यह सुनते ही.. राजेश और मदन दोनों के पैर ठंडे पड़ गए..!!!!

राजेश ने सब से पहला काम यह किया की गाड़ी के अंदर जो भी कीमती और जरूरी चीजें थी उन्हें ढूंढ कर बाहर निकाला.. एक फ़ाइल थी.. कार स्प्रे की बोतल, सुबोधकांत का मोबाइल.. सबकुछ अपने साथ ले लिया.. गनीमत थी की उस पुलिस वाले की नजर ट्राफिक पर थी इसलिए उसे किसी ने रोका नहीं

मदन का चेहरा फीका पड़ गया था, उसने कहा "यार, रमिलाबहन को कैसे यह समाचार देंगे?? मुझसे तो कहा ही नहीं जाएगा"

राजेश: "पीयूष और कविता को भी यह बताना पड़ेगा"

तभी राजेश के मोबाइल पर पीयूष का फोन आया

पीयूष: "सर, मेरे ससुरजी का एक्सीडेंट हुआ है.. अभी मेरी सास का फोन आया था.. मुझे वहाँ जाना होगा.. !!"

राजेश: "पीयूष, अब मैं जो कहने जा रहा हूँ, उसे ध्यान से सुन.. हम एक्सीडेंट वाली जगह पर पहुँच चुके है.. बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है की सुबोधकांत जी अब इस दुनिया में नहीं रहे.. उनकी बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल ले गए है.. तू एक काम कर.. अपने ससुराल पहुँचने का बंदोबस्त कर.. और हाँ.. कविता और मौसम को भी साथ ले जाना.. यहाँ की चिंता मत कर.. और पैसों की जरूरत हो तो हमारे एकाउंटेंट से ले लेना.. !! हम अस्पताल से बॉडी लाने की कार्यवाही संभाल लेंगे"

मदन ने घर की लेंडलाइन पर शीला को फोन किया.. यह समाचार देने के लिए.. पर शीला ने पहले ही मौसम और कविता की जोर जोर से रोने की आवाज सुनकर अंदाज लगा ही लिया था..

राजेश: "हमे जल्दी अस्पताल पहुँच जाना चाहिए.. इन सरकारी कामों में बहोत वक्त लग जाता है..!!

सिविल अस्पताल के पी.एम. रूम के बाहर, राजेश और मदन बॉडी मिलने का इंतज़ार कर रहे थे.. अभी बॉडी मिलने में आधे घंटे की देर थी..

मदन: "यार, सुबह से चाय नहीं पी है.. सर फटा जा रहा है.. मैं जाकर चाय लेकर आता हूँ"

राजेश: "ओके.. "

मदन के जाने के बाद, राजेश ने अपनी जेब से सुबोधकांत का मोबाइल निकाल.. और जिज्ञासावश देखने लगा.. अंदर देखते ही सब से पहला झटका उसे तब लगा जब उसने देखा की सुबोधकांत को आखिरी बार रेणुका ने फोन किया था.. !!!!! रेणुका को क्या जरूरत पड़ी होगी सुबोधकांत को फोन करने की?? और उनकी गाड़ी की दिशा देखते हुए लग रहा था की वो इसी शहर में आ रहे थे.. !! कहीं सुबोधकांत और रेणुका के बीच... नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. !!

दिमाग से खराब विचारों को झटकते हुए राजेश ने व्हाट्सप्प के मेसेज पढ़ना शुरू किया.. जितना वो पढ़ता गया, उतना ही उसका आश्चर्य और सदमा बढ़ता गया.. फाल्गुनी के साथ सुबोधकांत की चैट के मेसेज पढ़कर उसके पैरों तले से धरती खिसक गई.. !! मेसेज में सुबोधकांत द्वारा की गई चूत चटाई की तारीफ.. उनके लंड के गुण-गान.. और काफी अन्य सारे मेसेज थे.. उतना ही नहीं.. एक मेसेज में तो फाल्गुनी ने सुबोधकांत को यह पूछा था की उन्हें उसके साथ ज्यादा मज़ा आता है या वैशाली के साथ.. !! मतलब साफ था.. सुबोधकांत के काम-संबंध फाल्गुनी और वैशाली दोनों के साथ थे.. और वो भी काफी लंबे अरसे से.. !!

तभी सामने से मदन हाथ में चाय के दो कप लेकर आता नजर आया.. राजेश ने तुरंत व्हाट्सप्प चेट डिलीट कर दी और कॉल-लॉग भी साफ कर दीये.. कितने भी चौंकाने वाले सच क्यों न बाहर आ जाए.. अब क्या फ़र्क पड़ेगा.. !!! जब गुनहगार ही इस दुनिया को छोड़कर जा चुका हो.. फिर उन हकीकतों को उजागर करके.. अन्य लोगों को जीवन में नाहक का भूकंप लाने का क्या मतलब.. !!

राजेश को सुबोधकांत के मृत्यु से जितना सदमा नहीं लगा था.. उसे ज्यादा धक्का उस बात से लगा था की रेणुका और सुबोधकांत के बीच.. उनके एक्सीडेंट से पहले दो तीन बार बातचीत हुई थी.. राजेश की जानकारी अनुसार, रेणुका और सुबोधकांत की ऐसी कोई खास जान-पहचान थी नहीं की वो इतनी बातें करते.. ना ही रेणुका ने सुबोधकांत से बात होने के बारे में कोई जिक्र किया था.. !! साथ ही साथ.. सुबोधकांत के वैशाली और फाल्गुनी के साथ जिस्मानी संबंधों के बारे में जानकर राजेश को इतना तो यकीन हो गया था की सुबोधकांत कितने रंगीन मिजाज थे.. !!

राजेश के विचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.. फाल्गुनी ने खुलेआम वैशाली के साथ सुबोधकांत के संबंधों का उल्लेख किया था.. तो क्या फाल्गुनी की नज़रों के सामने ही सुबोधकांत ने वैशाली को चोदा होगा.. ?? हो सकता है की सुबोधकांत और वैशाली को फाल्गुनी ने रंगेहाथों पकड़ लिया हो.. और फिर वो भी शामिल हो गई हो.. !!

राजेश ने मोबाइल वापिस अपनी जेब में रख दिया..

दो घंटों के बाद उन्हें सुबोधकांत की बॉडी मिली.. एम्बुलेंस में बॉडी रखकर मदन आगे की सीट पर बैठ गया.. और राजेश बॉडी के साथ पीछे बैठा था.. पूरे रास्ते मे उसने सुबोधकांत के फोन का पोस्टमॉर्टम जारी रखा और जो जानने मिला वो बेहद चौंकाने वाला था.. !!

Awesome lesbian action & suspenseful demise of Subodh
👌👌👌👌👌
🌶️🌶️🌶️🌶️
💦💦💦
 

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अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!

याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!

मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..

घर पहुंचकर सब से पहला काम उसने रेणुका को फोन करने का किया

रेणुका: "हाँ बोल शीला.. !!"

शीला: "यार एक जबरदस्त भांडा फूटा है आज तो.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. जब से तू मेरी ज़िंदगी में आई है तब से रोज कुछ न कुछ धमाकेदार हो रहा है मेरे साथ.. अब क्या हुआ, ये भी बता दे"

शीला: "यार वो कॉकटेल था ना.. होटल में तेरा पार्टनर.. !!"

रेणुका: "हाँ, वो मस्त मोटे लंड वाला.. पार्टनर मेरा था और सब से ज्यादा तूने ही उसका लंड चूसा था.. !!"

शीला: "पता है वो कौन था??? मौसम का बाप, सुबोधकांत.. !!!!"

रेणुका: "क्या............!!!!!! क्या बक रही है तू??? जानती हूँ की तुझे उनसे चुदवाने की बड़ी ही चूल थी.. सगाई वाले दिन भी तू फ्लर्ट कर रही थी उनसे.. पर उसका मतलब ये नहीं की तू उनका नाम ऐसे जोड़ दे.. !! कुछ भी मत बोल"

शीला: "देख रेणुका.. अभी मदन आता ही होगा.. इसलिए लंबी बात नहीं हो सकती.. ये तो चांस मिला इसलिए मैंने तुझे बता दिया.. !!"

रेणुका: "पर तुझे ये पता कैसे चला.. ये तो बता.. !!!!"

शीला: "यार, एक बेड न्यूज़ है.. तुझे बताना ही भूल गई.. मौसम के साथ तरुण ने सगाई तोड़ दी है.. मौसम बहोत डिस्टर्ब थी तो कुछ दिनों के लिए यहाँ कविता के घर रहने चली आई है"

रेणुका: "हाँ, मुझे राजेश ने कुछ देर पहले बताया... बहुत बुरा हुआ उस बेचारी के साथ"

शीला: "मौसम को छोड़ने उसके पापा सुबोधकांत आए थे.. और तभी मेरा ध्यान उनकी घड़ी पर गया.. याद है.. !! कॉकटेल ने वो महंगी वाली घड़ी पहन रखी थी.. !! गोल्डन चैन वाली.. !!"

रेणुका: "हाँ बड़े अच्छे से याद है.. !!"

शीला: "बस, वही घड़ी मैंने सुबोधकांत की कलाई पर देखी"

रेणुका: "पागलों जैसी बात मत कर.. ऐसी एक ही घड़ी थोड़ी नआ होगी पूरी दुनिया मैं.. !!"

शीला: "अरे पगली.. घड़ी तो सिर्फ कड़ी थी.. फिर मैंने उनके शरीर के दिलडॉल, त्वचा का रंग.. आवाज.. सब मिलाकर देखा.. सुबोधकांत ही कॉकटेल है.. मुझे तो पक्का यकीन है"

रेणुका: "ओके बाबा.. चल रखती हूँ फोन"

शीला: "ओके बाय.. !!"

फोन काटकर शीला किचन में प्लेटफ़ॉर्म के आगे अपनी चूत खुजाते हुए सुबोधकांत के लंड को याद करने लगी.. जैसे शरीर के अंगों से उन्हें पहचान लिया.. वैसे हो सकता है की सुबोधकांत ने भी उसे पहचान लिया हो.. !! और कुछ याद रहे न रहे.. पर एक बार जिसने शीला के खुले हुए बबले देखें हो.. मरते दम तक नहीं भूल सकता..!!

इस तरफ रेणुका, शीला का फोन काटते ही, गहरी सोच मे पड़ गई.. थोड़ा सा विचार करने के बाद उसने सीधा सुबोधकांत को फोन लगाया.. सगाई के दौरान उसने घर के बाहर गार्डन में बातें करते हुए उनका नंबर लिया था

रेणुका: "हैलो... पहचाना.. ??"

सुबोधकांत: "हम्म..म..म..म..म..म.. सॉरी.. आवाज सुनी सुनी सी लगती है.. पर याद नहीं आ रहा.. वैसे इतना कह सकता हूँ की बड़ी सुरीली आवाज है आपकी.. "

रेणुका शरमाकर बोली "ओह थेंकस.. रेणुका बोल रही हूँ.. मुझे पता चला की आप शहर में आए हुए हो.. मुझे आपसे अर्जेंट मिलना था.. सिर्फ दस मिनट के लिए"

सुबोधकांत: "दस मिनट क्यों.. !! पूरा दिन आपके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ.. बस आपको राजेश को संभालना होगा.. आप के साथ सिर्फ दस मिनट गुजारने पर थोड़े ही मेरा मन भरेगा.. !!"

रेणुका ने हंसकर कहा "क्या आप भी.. पहले दस मिनट के लिए तो मिलिये.. फिर पूरा दिन साथ बिताने की प्लानिंग करेंगे.. !!"

सुबोधकांत: "सिर्फ दस मिनट में कुछ मज़ा आएगा नहीं.. वैसे मैं आपकी ऑफिस वाली सड़क से ही गुजर रहा हूँ.. अगर मिलना हो तो अभी मिल सकते है"

रेणुका: "क्या सच में.. !! ओके.. एक काम कीजिए.. उसी सड़क पर आगे एक पेट्रोल-पंप है.. वहाँ से टर्न लेकर बगल वाली सड़क पर आप मेरा इंतज़ार कीजिए.. मैं वहाँ पहुँच रही हूँ.. वैसे मैं आप से पहले पहुँच जाऊँगी"

रेणुका ने फटाफट कपड़े बदले.. और कार की चाबी लेकर बाहर निकली.. तभी उसे अंदाजा हुआ की इस वक्त बहोत ट्राफिक होगा और उतना समय था नहीं.. इसलिए फिर वह अपना एक्टिवा लेकर निकल गई

पंप पर पहुंचकर वो एक्टिवा में पेट्रोल भरवा रही थी.. तभी सुबोधकांत अपनी लंबी गाड़ी लेकर वहाँ पहुंचे.. रेणुका ने एक्टिवा बगल वाले कॉम्प्लेक्स के बाहर पार्क कर दिया.. और चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई..

सुबोधकांत ने गाड़ी भगा दी.. काले कांच वाली खिड़कियों से बाहर से कोई उन्हें देख नहीं सकता था.. रेणुका की नजर सब से पहले सुबोधकांत की कलाई पर बंधी गोल्डन राडो घड़ी पर गई.. अब उसे शीला की बात पर यकीन हो गया.. सुबोधकांत ही कॉकटेल था.. !!! उसे याद आ गया की किस तरह उसने और शीला ने मिलकर उसका लंड चूसा था.. और कॉकटेल ने उसके बबलों का दबा दबाकर कचूमर निकाल दिया था..

सुबोधकांत का ध्यान आगे सड़क पर था तब रेणुका ने अपने टॉप में हाथ डालकर.. स्तन बाहर निकाले और सुबोधकांत की और देखकर कहा "हैलो, मिस्टर कॉकटेल.. !!"

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सुबोधकांत ने चकराकर रेणुका की और देखा और एकदम से ब्रेक मार दी.. पीछे आ रही गाड़ी वाले ने सुबोधकांत की माँ को संबोधित करते हुए एक गाली दी और फिर ओवरटेक करते हुए आगे चला गया..

सुबोधकांत को दिन में तारे नजर आने लगे.. बेचारे पहली गेंद पर ही क्लीन बोल्ड हो गए.. !! वो सोचने लगे.. उस होटल से पकड़े जाने पर.. अखबार में मेरा नाम क्या आ गया.. रेणुका को पता भी चल गया.. !! वो तो ठीक है पर उसे मेरा नकली नाम कैसे पता चला?? अखबार वालों ने वो तो नहीं छापा था..!!

असमंजस में डूबे हुए सुबोधकांत की सारी शंकाओं का समाधान कर दिया रेणुका ने..

"मुझे राजेश ने बताया.. की आप भी थे उस दिन पार्टी में.. मुझे और शीला को ऐसा सब पसंद नहीं है इसलिए मदन और राजेश किसी और को लेकर वहाँ आए थे.. और आप भी वहाँ थे.. दूसरे दिन राजेश ने मुझे बताया की उन्होंने वहाँ खूब मजे किए और आपने भी बहोत इन्जॉय किया था" अपनी हकीकत छुपाते हुए आधा सच बताया रेणुका ने

सुबोधकांत सोच रहे थे.. लगता है रेणुका को पुलिस की रैड के बारे में पता नहीं है शायद...!!

सुबोधकांत ने रेणुका की जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा "रेणुका जी.. राजेश एक नंबर का बेवकूफ है.. घर पर ही इतनी नशीली आइटम हो तो फिर बाहर मुंह मारने की क्या जरूरत.. !! वैसे अगर आपको एतराज न हो तो क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूँ??" रेणुका के मस्त स्तन की गुलाबी निप्पल को देखकर लार टपकाते हुए उसने कहा

रेणुका: "मुझे एतराज है.. मैं क्यों करने दु आपको किस??"

सुबोधकांत: "तो फिर मुझे मिलने क्यों बुलाया?? और यहाँ गाड़ी में इस तरह आपके बूब्स खोलकर बैठने का मैं क्या मतलब समझूँ???"

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रेणुका: "मतलब?? जो भी आँखों के सामने नजर आए उन सारी चीजों पर आपका हक हो गया??" रेणुका भी सुबोधकांत के मजे ले रही थी

सुबोधकांत: "वो आप जो भी समझें.. आप कार में मेरे साथ इतनी नजदीक बैठी हो.. और आपका थोड़ा सा प्रसाद भी मुझे नसीब न हो तो कैसे चलेगा.. !! वैसे आपको बता दूँ.. मैंने मेरी लाइफ में किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की है.. जरूरत ही नहीं पड़ी.. जो प्यार से नहीं मिला वो मैंने खरीद कर हासिल कर लिया है.. और पैसे देकर न मिले उसे मैंने गिफ्ट्स देकर मना लिया.. अब आप बताइए.. आपको कौन सा ट्रांजेक्शन ज्यादा पसंद है??"

सुबोधकांत की सीधी बात से रेणुका इंप्रेस हो गई.. वैसे औरत को हासिल करने के कितने सारे तरीके होते है.. !! प्यार से.. कीमत चुकाकर.. धोखा देकर.. तारिफ करके.. झूठी कसमें खाकर.. विश्वास जीतकर.. महंगी गिफ्ट देकर.. वगैरह वगैरह..

रेणुका की नजर अपनी गोल्डन घड़ी पर बार बार जाते हुए देख.. सुबोधकांत को गलतफहमी हुई.. उसने अपनी घड़ी उतारकर रेणुका को देते हुए कहा "लीजिए रेणुकाजी, मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट.. !!"

रेणुका की जांघ पर घड़ी रखते हुए सुबोधकांत ने जांघों को दबा दिया.. और फिर उनका हाथ दोनों जांघों के बीच घुसने लगा..

एक बार के लिए रेणुका सकते में पड़ गई.. बार बार घड़ी की तरफ तांकने का गलत मतलब समझे थे सुबोधकांत.. पर अभी वो किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं थी

रेणुका: "मैं आपकी जेन्ट्स घड़ी क्यों पहनु? दे देकर आपने कैसी गिफ्ट दी एक महिला को?"

सुबोधकांत: "अगर मुझे पहले से पता होता तो बढ़िया सी गिफ्ट लेकर आता आपके लिए.. आपके जैसी सुंदर महिलाओ को गिफ्ट देना का मुझे बड़ा शौक है.. वैसे आप कब से मेरी घड़ी की तरफ देख रही थी तो मुझे लगा आपको पसंद आ गई होगी.. इसलिए.. अगर पसंद न हो तो आप रिजेक्ट कर सकती हो.. !!"

रेणुका: "नहीं नहीं.. गिफ्ट का अस्वीकार करके मैं आपका अपमान नहीं करूंगी.. मुझे आपकी भेंट कुबूल है.. " कहते हुए रेणुका ने शरारती अंदाज में उस घड़ी को अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में डाल दिया..

सुबोधकांत: "अगली बार जब मैं आपके लिए गिफ्ट ले कर आऊँगा.. तब आपकी इस खास जेब में अपने हाथों से गिफ्ट रखूँगा"

सुनकर रेणुका शरमा गई..

रेणुका: "जरूर.. मैं मना नहीं करूंगी"

सुबोधकांत: "कब से आप सिर्फ बूब्स के ही दर्शन करवा रही हो.. नीचे वाले खजाने को क्यों छुपा रखा है??"

रेणुका: "यहाँ खुली सड़क पर कपड़े उतारने में डर लग रहा है.. "

सुबोधकांत ने रेणुका की सीट के नीचे के लिवर को खींचा.. और पूरी सीट फ्लेट हो गई.. एकदम सीधी.. बिस्तर की तरह.. और सीट के साथ रेणुका भी अचानक से लेट गई..

सुबोधकांत: "अब कोई नहीं देखेगा.. "

रेणुका ने अपनी साड़ी और पेटीकोट जांघों तक उठा लिया.. और जानबूझकर भारी सांसें लेने लगी..

सुबोधकांत: "आह्ह.. जबरदस्त है आपके बूब्स.. और ये गोरी जांघें.. देखकर मज़ा आ गया.. जरा पेन्टी भी नीचे सरका दीजिए तो और मज़ा आएगा"

रेणुका: "अभी नहीं.. नेक्स्ट टाइम.. अभी तो किसिंग-प्रेसींग के अलावा और कुछ नहीं" कहते हुए रेणुका ने सीट का लीवर खींचकर सीट को पूर्ववत कर दिया.. और दोनों स्तनों को वापिस टॉप के अंदर डाल डीईए

सुबोधकांत: "यार, तड़पा क्यों रही है.. थोड़ी देर और देख लेने देती.. मैं हाथ भी नहीं लगाऊँगा"

रेणुका: "प्लीज सुबोधकांत जी.. फिर मैं अपना कंट्रोल खो बैठूँगी तो यहीं पर सबकुछ करना पड़ेगा.. और अभी ये पोसीबल नहीं है.. इसलिए मना कर रही हूँ.. वरना मेरी खुद भी बहोत इच्छा है"

सुबोधकांत ने रेणुका को कंधे से पकड़कर खींचा और उसके होंठों पर जोरदार किस कर दिया.. रेणुका का पूरा शरीर गरम हो गया


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अचानक रेणुका का हाथ सुबोधकांत के लंड पर चला गया और वह अपनी हथेली से उसे दबाने लगी.. देखते ही देखते पेंट के अंदर लंड एकदम सख्त हो गया.. इतना सख्त की उसे पेंट के अंदर बंद रखना मुश्किल हो रहा था..

रेणुका: "ओह्ह.. कितना हार्ड हो गया ये तो.. एक बार बाहर तो निकालो इसे.. बेचारे का दम घूंट जाएगा अंदर!!"

बिना एक सेकंड गँवाए सुबोधकांत ने अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया..

सुबोधकांत: "तसल्ली से देख लीजिए.. और बताइए.. कैसा लगा?? राजेश के लंड से तो मोटा ही है !!" रेणुका के कंधे से होते हुए उन्हों ने उसके स्तन को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया.. स्तन को दबाते हुए उनका लंड झटके खाने लगा

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रेणुका ने स्माइल देते हुए कहा "आप दबा यहाँ रहे हो और असर यहाँ हो रहा है"

सुबोधकांत: "यही तो है इसके सख्त होने का कारण.. !!"

रेणुका अब उत्तेजित हो गई थी.. उसने सामने से सुबोधकांत को चूमते हुए कहा "सुबोधकांत जी, अभी तो हम कार में है.. इसलिए ज्यादा कुछ करना मुमकिन नहीं होगा.. देर भी हो रही है.. आप मुझे वापिस पेट्रोल-पंप पर छोड़ दीजिए.. आपको मैं घर पर बुलाऊँगी जब राजेश टूर पर हो तब.. फिर तसल्ली से करेंगे दोनों.. !!"

सुबोधकांत: "वो तो ठीक है रेणु.. पर क्या तुम अभी मेरे लंड को एक किस भी नहीं दोगी?? जिस तरह मुझे समझा रही हो.. वैसे ही इसे भी समझा दो ताकि यह शांत होकर बैठ जाए.. और कब तक ये "आप-आप" कहती रहोगी??"

रेणुका ने झुककर सुबोधकांत के लंड के टोपे को चूम लिया.. सिर्फ चूमने से उसका दिल नहीं भरा.. सुने लंड को जड़ से पकड़कर एक झटके में.. मुंह के अंदर ले लिए.. उसका पूरा मुंह सुबोधकांत के तगड़े लंड से भर गया.. उस गरम लोडे को रेणुका ने तेजी से चूसना शुरू कर दिया..



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सुबोधकांत सिसकने लगे "यार, तुम बिल्कुल उसी तरह चूसती हो जिस तरह उस पार्टी में मेरी पार्टनर चूस रही थी.. आह्ह... ओह्ह.. रेणु मेरी जान.. मस्त चूसती है यार तू" कहते हुए सुबोधकांत के लंड ने लस्सेदार वीर्य रेणुका के मुंह में छोड़ दिया.. उसका पूरा मुंह वीर्य से भर गया.. वीर्य का विचित्र स्वाद रेणुका को पसंद तो नहीं था.. पर नया लंड चूत के अंदर लेने का मौका मिलेगा इसी आशा में वह सारा वीर्य निगल गई.. और लंड को ऐसे चूसा की जब मुंह से बाहर निकाला तब उसे साफ करने की जरूरत ही न रही.. ऐसे साफ कर दिया चूस कर..


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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
रेणुका ने किस चालाकी से सुबोधकांत को काॅकटेल कहकर पुकारकर उसे अचंबित कर दिया
वैसे लगता हैं की वो भी रेणुका को होटेल अपनी पार्टनर के रूप में पहचान गया है
खैर देखते हैं आगे
 

Ajju Landwalia

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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..

कुछ दिनों बाद.. राजेश को एक काम के सिलसिले में मुंबई जाना हुआ.. तीन दिनों के लिए.. इस बार तो रेणुका ने उसे अपने सर की कसम खिलाकर तसल्ली कर ली थी.. की वो वाकई बिजनेस के सिलसिले में ही जा रहा था.. वैसे उस रात पार्टी में जो हुआ.. उसके बाद रेणुका को यकीन था की राजेश अब उसे बिना बताए ऐसा कुछ नहीं करेगा..

राजेश के जाने के बाद.. खुला मैदान मिलते ही रेणुका खुश हो गई.. उसने सुबह सुबह ही सुबोधकांत को फोन करके बुला लिया.. सुबोधकांत ने दोपहर ढाई बजे पहुँचने का वादा किया..

फिर रेणुका ने अब सुबोधकांत को फोन किया और अपने घर बुला लिया.. सुबोधकांत ने कहा की वो अभी निकल रहा है और कुछ ही घंटों में पहुँच जाएगा.. अब रेणुका ने शीला को फोन करके यह कहा की एक नया मुर्गा फसाया है चुदाई करने के लिए... पर सुबोधकांत का नाम नहीं बताया..!!

नया लंड लेने के विचार मात्र से शीला के पूरे शरीर में खलबली सी मच गई.. पर प्रश्न यह था की वो मदन को क्या बोलकर घर से निकलें?? आखिर वह बिना कुछ कहें बाहर निकल गई.. और थोड़ी देर बाद मदन को फोन किया और बताया की उसे अपनी कोई पुरानी सहेली मिल गई है और वो उसके घर जा रही है.. आने में देर हो जाएगी

शीला सीधे रेणुका के घर पहुँच गई..

शीला: "क्या बात है मेरी जान.. आज तो तूने मेरे भोसड़े को तृप्त करने का प्लान बना लिया..!! बता तो सही, आखिर किस लंड को पटाया है तूने.. !!"

रेणुका ने मुस्कुराकर कहा "थोड़ा सा धीरज धरो शीला रानी.. आज तुम्हें ऐसे लंड से चुदने का मौका मिलेगा जिसकी प्रतीक्षा तुम्हें कब से थी.. !! मिलकर मजे करेंगे.. मैं चाहती तो अकेले ही मजे कर सकती थी.. पर मैंने ऐसा नहीं किया.. ये तू भी याद रखना.. !!!"

दोनों बेडरूम मे जा पहुंची.. बड़ा सा बेड देखते ही शीला ने एक ही पल मे अपनी साड़ी उतार फेंकी.. और अपना घाघरा उठाकर बेड पर लेट गई.. उसकी नरम गोरी गुंदाज जांघों को देखकर रेणुका सिसक पड़ी..

रेणुका: "यार, अपना खजाना दिखाकर मुझे ऐसे ललचा मत.. वरना उस लंड के आने से पहले मैं ही तुझ पर टूट पड़ूँगी"

शीला ने अपने ब्लाउज के हुक खोलते हुए कहा "तो आजा ना मेरी जान.. किसने रोका है.. वैसे वो मज़ा तो नहीं आएगा जो लंड से मिलता है.. अरे हाँ.. मैं तो भूल ही गई.. तेरे पास वो रबर का मूसल जैसा लंड था ना.. वो लेकर आ..!! जब तक वो मेहमान नहीं आ जाता, तब तक उसी से काम चला लेते है.. याद है उस रात.. होटल मे.. वो डिल्डो वाली औरत के साथ हमने कितने मजे किए थे.. !!"

रेणुका एक पल के लिए सोच मे पड़ गई.. वो डिल्डो तो उसने वैशाली को दे दिया था.. पर शीला को कैसे बताती.. !!

रेणुका: "अरे यार.. मेरी उंगली क्या किसी डिल्डो से कम है.. !! तुझे ऐसा मज़ा दूँगी की तू उस रबर के नकली लंड को भूल जाएगी.. "

रेणुका ने टॉप के साथ अपनी ब्रा भी उतार दी.. और फटाफट अपने ट्रैक-पेंट को पेन्टी के साथ उतारते हुए नंगी हो गई.. शीला अब भी ब्रा और पेटीकोट मे थी.. रेणुका बेड पर होते हुए शीला के पास आकर लेट गई.. और शीला की ब्रा के अंदर हाथ डालकर उसके स्तनों से खेलने लगी

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रेणुका: "यार सच मे.. तेरे बबलों का कोई मुकाबला ही नहीं है.. कितने बड़े है यार.. !!! मैं एक औरत होकर भी इन्हें छूकर पागल हो जाती हूँ.. तो मर्दों का क्या हाल होता होगा.. !!"

शीला ने अपनी ब्रा उतारकर अपने मदमस्त खरबूजों को आजाद कर दिया.. ताकि रेणुका आसानी से उनके साथ खेल सकें.. रेणुका ने अपना सर शीला की गोद मे रख दिया.. उन बड़े बड़े स्तनों के नीचे उसका चेहरा ऐसे दब गया की उसे शीला का मुंह भी नजर नहीं आ रहा था

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शीला के एक स्तन को अपनी दोनों हथेलियों में पकड़कर उसकी एक इंच लंबी निप्पल को मसलते ही शीला कराहने लगी.. शीला ने अपनी निप्पल पकड़ी और उसे जबरन रेणुका के मुंह मे डाल दी.. रेणुका चटकारे लगाते हुए उसकी निप्पल चूसने लगी

रेणुका के मुंह के गरम स्पर्श से शीला सिहरने लगी.. उसने अपना एक हाथ रेणुका की चूत पर रख दिया.. और चूत के होंठों के बीच अपनी उंगली फेरने लगी.. जवाब मे रेणुका अपनी कमर हिलाकर उसके स्पर्श का अभिवादन करने लगी.. कुछ ही पलों मे रेणुका की चूत पूर्णतः गीली हो गई.. उसकी गीली पुच्ची मे उंगली डालकर शीला ने बाहर निकाली और सूंघने लगी.. बड़ी ही मस्त मस्की सी गंध सूंघकर शीला बेहद उत्तेजित हो गई.. !!!

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उसने अब रेणुका को अपनी गोद से हटाया और उसे बेड पर लेटा दिया.. शीला बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी.. गांठ खींचते ही उसका पेटीकोट शीला के पैरों के इर्दगिर्द ढेर बनकर गिर गया.. पेन्टी तो आज उसने पहनी ही नहीं थी.. अपनी चरबीदार भोसड़े को हथेली से खुजाते हुए.. अपने दोनों पैर रेणुका के चेहरे के दोनों तरफ जमा लिए.. और अपनी कमर को धीरे धीरे नीचे ले जाकर.. चूत को रेणुका के मुंह के सामने लाकर रख दिया..

शीला का गुफा जैसा भोसड़ा अपने मुंह के सामने देख, रेणुका को और अधिक मार्गदर्शन की जरूरत नहीं पड़ी.. भांप छोड़ रहे उस छेद को ताज्जुब के साथ देखती रही रेणुका.. यह वही भोसड़ा है जिसमे शीला ने अच्छे अच्छे लंडों को समा लिया था.. अपनी दो उंगलियों से चूत के होंठों की परतों को अलग करते ही.. अंदर का गीला गुलाबी हिस्सा नजर आने लगा..

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शीला से अब और बर्दाश्त नहीं हुआ.. उसने अपना गरम छेद रेणुका के होंठों पर दबा दिया.. एक पल के लिए रेणुका का दम घुटने लगा.. उसने शीला की जांघों को अपनी हथेली से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया ताकि उसे चाटने मे आसानी हो..

शीला का भोसड़ा अपना रस बहा रहा था.. उस रस को बड़े ही चाव से चाटते हुए रेणुका ने अपनी जीभ अंदर तक डाल दी.. एक पल के लिए उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने गरम अंगारे पर अपनी जीभ रख दी हो.. !! शीला अपने चूतड़ों को आगे पीछे करते हुए.. रेणुका की जीभ का घर्षण मजे लेते हुए महसूस कर रही थी..

रेणुका की तंग चूचियों की तीखी नोक पर अपनी गांड रगड़ते हुए.. शीला बदहवास होकर अपना भोसड़ा चटवा रही थी.. अपने स्तनों को खुद ही मसलते हुए वह इतनी उत्तेजित हो गई की पागलों की तरह अपनी निप्पल खींचने लगी.. रेणुका ने शीला की जामुन जैसी क्लिटोरिस को अपनी जीभ से कुरेदकर उसे स्खलित करने की कगार पर ले गई..

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पगलाई हुई घोड़ी की तरह शीला रेणुका के चेहरे पर सवार होकर ऐसे हिल रही थी जैसे उसके प्राण निकल जाने वाले हो.. !! रेणुका के सर को बालों से पकड़कर शीला ने अपने सुराख को उसके मुंह पर जोर से दबा दिया और चीखकर झड़ गई.. उसकी योनि का शहद रेणुका के पूरे चेहरे पर लिप्त था.. कुछ देर तक उसी स्थिति मे रहने के बाद.. शीला रेणुका के चेहरे के ऊपर से उतरी और उसे अपनी गिरफ्त से मुक्त किया..

थक कर शीला बेड पर लेट गई.. अब रेणुका की बारी थी.. वो शीला के जिस्म पर सवार हो गई.. और उसकी छाती पर सर रखकर उसके मम्मों को चूसने-चाटने लगी.. इस दौरान वो अपनी चूत को शीला के चरबीदार पेट पर रगड़ रही थी..

शीला ने अपनी टांगें फैलाई और रेणुका उसकी जांघों के बीच ऐसे सेट हो गई की दोनों की चूतें आराम से छु सकें.. अब वो अपनी कमर हिलाते हुए अपनी चूत को शीला के भोसड़े के साथ रगड़ने लगी.. कुछ ही पलों मे रेणुका का ऑर्गजम आ गया.. और वो शीला के बड़े बड़े स्तनों के ऊपर ढेर होकर गिर गई

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काफी देर तक उसी अवस्था में दोनों पड़े रहे.. और अपनी साँसे नॉर्मल होने का इंतज़ार करते रहे..

कुछ देर बाद.. शीला उठी.. और नंगे बदन ही किचन मे चली गई.. दोनों के लिए कॉफी बनाने..

थोड़ी देर मे कॉफी के दो मग लेकर वो बेडरूम मे आई तब रेणुका प्लास्टिक के हेर-ब्रश को अपनी गीली चूत में घुसेड़ रही थी..

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शीला: "मेरे आने का तो इंतज़ार करती.. !! चल अब छोड़ वो सब.. और कॉफी पी" शीला रेणुका के करीब आई उसे मग देने के लिए..

रेणुका ने एक के बदले दोनों मग शीला के हाथों से ले लिए.. और बगल वाले टेबल पर रख दिए.. शीला को समझ नहीं आया की उसने ऐसा क्यों किया.. वो और कुछ सोच पाएं उससे पहले रेणुका ने उसे खींचकर अपने शरीर के ऊपर ले लिया..

शीला: "अरे क्या कर रही है पागल.. !!"

रेणुका: "यार.. मैंने तेरी चाटकर ठंडी कर दी.. अब तू मेरी चाट दे.. "

शीला बिना एक पल गँवाए.. अपने जिस्म को थोड़ा सा नीचे ले गई.. और रेणुका की जांघें फैलाकर उसकी गोरी-गुलाबी मुनिया के होंठ खोलकर सूंघने लगी.. उसे रेणुका की चूत की गंध बड़ी पसंद थी..

अलग अलग औरतों की योनियों की भिन्न भिन्न गंध होती है.. यह गंध उस औरत की स्वास्थ्य स्थिति, हॉर्मोनल बदलाव, साफ-सफाई और खानपान पर निर्भर करती है। यह गंध उत्तेजित भी कर सकती है और अगर तेज या दुर्गंधमय हो तो संभोग साथी को परेशान भी कर सकती है.. आम तौर पर एक स्वस्थ योनि से हल्की और प्राकृतिक गंध आती है.. कुछ औरतों की योनियाँ मछली जैसी या फिर बड़ी दुर्गंध वाली भी होती है.. जो किसी इन्फेक्शन के कारण या योग्य साफ-सफाई न रखने के कारण हो सकती है.. कुछ औरतों की योनियाँ मिठास भरी.. फलों जैसी गंध वाली भी होती है..!!

रेणुका आँखें बंद कर शीला की जीभ अपनी चूत मे अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी.. उसे इतना मज़ा आ रहा था की वो अपने पैर पटक रही थी.. शीला ने दो उंगलियों से जैसे ही चुटकी मे लेकर उसकी क्लिटोरिस दबाई.. रेणुका की चूत ने पानी छोड़ दिया.. वो बुरी तरह हांफने लगी.. और कुछ ही पलों मे शांत हो गई.. लेकिन शीला अंत तक उसका सारा रस चाटती ही रही.. जब तक रेणुका की चूत को पूरी तरह साफ नहीं कर दिया.. शीला ने चाटना बंद नहीं किया..

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आखिर शीला मुस्कुराकर खड़ी हुई.. और रेणुका के बगल मे लेट गई.. पास पड़े टेबल से उसने अपनी कॉफी का मग उठाकर एक घूंट पिया

शीला: "साली, तेरे चक्कर मे ये कॉफी ठंडी हो गई"

रेणुका: "भाड़ मे गई तेरी कॉफी.. मेरी चूत को ठंडा करना ज्यादा जरूरी था.. !!"

दोनों सहेलियाँ हँसते हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलती रही..

अब नए लंड से चुदवाने के लिए दोनों ही उतावली हो रही थी..

जिस्म की आग थोड़ी ठंडी करने के बाद.. दोंनो निर्वस्त्र अवस्था में रेणुका के बेड पर लेटी हुई थी..

शीला: "यार बता तो सही की आखिर वो है कौन? और कितने बजे आने वाला है?"

रेणुका: "लगता है वो ट्राफिक में फंस गया है.. उसने कहा था की ढाई बजे तक आ जाएगा.. अभी तीन बज रहे है.. "

शीला: "क्या यार.. !! जो आदमी चोदने के लिए समय पर नहीं पहुँच सकता.. वो किसी काम का ही नहीं.. !! मुझे नहीं लगता की वो आएगा.. !!"

रेणुका: "आएगा.. जरूर आएगा"

शीला: "तूने उसका लंड देखा क्या??"

रेणुका: "देखा भी है और चूसा भी है"

शीला: "चूसा है मतलब अंदर भी डलवाया ही होगा.. मुझे खिलाने से पहले तू खुद चख चुकी है.. एक नंबर की चुदैल है तू.. !!"

रेणुका ने हँसते हँसते शीला के मादक बबलों को दबाते हुए कहा "नहीं डलवाया है यार.. भरी दोपहर में.. गाड़ी के अंदर खुली सड़क पर कैसे चुदवाती?? ऊपर ऊपर से ही किया था सब.. उसने मेरे मुंह के अंदर पिचकारी भी मारी थी"

शीला: "तो आज पहले मैं उसका मुंह में लूँगी.. तू उसे छूना भी मत.. तुझे सिर्फ देखना है"

रेणुका: "अरे हाँ मेरी माँ.. पहले उसे आ तो जाने दे.. पता नहीं कहाँ रह गया.. !! फोन कर के पूछूँ?"

शीला: "नहीं यार.. वो किसी तकलीफ में होगा वरना वही सामने से फोन कर देता ना तुझे.. !! थोड़ा इंतज़ार करते है.. अगर और थोड़ी देर में नहीं आया तो मुझे वापिस घर जाना होगा.. मदन से झूठ बोलकर आई हूँ.. वो कब आएगा.. कब हम दोनों करवाएंगे और कब मैं घर पहोचुंगी.. और यार.. तुझे तो पता है.. मुझे जल्दबाजी में करवाने में मज़ा ही नहीं आता.. अगर वो थोड़ी देर में आ गया तो मैं पहली करवा लूँगी और घर के लिए निकल जाऊँगी.. फिर तू आराम से पैर फैलाकर चुदवाना.. !!"

रेणुका: "एक काम करते है.. तेरे फोन से उसे फोन लगाते है.. पता तो चले क्या प्रॉब्लेम है.. !! पता चला तो ठीक वरना रोंग नंबर कहकर फोन कट कर देंगे"

शीला: "ठीक है.. !!" कहते हुए उसने अपने पर्स से फोन निकाला.. स्क्रीन पर नजर जाते ही उसके होश उड़ गए.. २० मिसकॉल थे मदन के.. अरे बाप रे.. !! इसे अचानक कौनसी मौत आ गई.. !! पहले तो कभी उसने इतने मिसकॉल नहीं किए.. !! शीला बहोत ही घबरा गई

रेणुका: "अरे फोन लगाकर पूछ ले.. जो भी होगा पता चल जाएगा"

शीला: "यार.. मुझे बहोत डर लग रहा है.. वो बहोत गुस्सा करेगा.. एक काम कर.. तू अपने फोन से कॉल लगाकर पूछ.. ये मत बताना की हम दोनों साथ है"

रेणुका उठकर बेडरूम गई अपना फोन लेने.. फोन उठाते ही वो चकित रह गई.. राजेश के आठ मिसकॉल थे..!! अपनी हवस बुझाने के चक्कर में दोनों ने फोन साइलन्ट मोड पर रखे हुए थे..

मदन को फोन लगाने से पहले रेणुका ने राजेश को फोन लगाया

रेणुका को अपेक्षा थी की फोन उठाते ही राजेश उस पर बुरी तरह भड़केगा.. पर राजेश ने ऐसा कुछ नहीं कहा.. राजेश ने जो कहा वो सुनकर रेणुका के चेहरे का रंग उड़ गया.. होश उड़ गए.. थर थर कांपने लगी वो... !!!

देखकर ही शीला को अंदाज लग गया की कुछ बहोत बड़ी गड़बड़ हुई थी.. !!

शीला: "क्या हुआ रेणुका?"

रेणुका स्तब्ध खड़ी रही.. जैसे उसकी आवाज ही छीन गई थी.. थोड़ी देर तक आँखें बंद कर वो नॉर्मल होने की कोशिश करती रही.. और फिर तुरंत उठकर कपड़े पहनने लगी..

शीला: "क्या कर रही है यार.. !!! कुछ बताएगी भी की क्या हुआ??? और मदन को फोन कर तो मुझे आगे दिमाग चलाने का पता चले"

घबराई हुई रेणुका ने कहा "शीला, तू अभी घर जाने के लिए निकल.. हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है.. राजेश कभी भी घर पहुँच सकता है.. आता ही होगा.. जल्दी निकल वरना हमारा सारा भांडा फुट जाएगा.. !!"

शीला: "अरे यार.. फिर वो तेरा नया लंड आ गया तो क्या करेगी??"

रेणुका ने शीला को लगभग धकेलते हुए कहा "वो अब नहीं आएगा.. तू जा यहाँ से.. !!"

शीला आगे कुछ पूछती उससे पहले रेणुका बाथरूम मे चली गई.. शीला को भी महसूस हुआ की कुछ बहोत बड़ा कांड हो गया था.. शीला ने तुरंत कपड़े पहने और दरवाजे की ओर जा ही रही थी की तभी डोरबेल बजी..

घबराकर शीला बाथरूम के दरवाजे के पास आकर रेणुका से बोली "यार लगता है राजेश आ गया.. अब क्या करें?"

रेणुका तुरंत बाहर निकली.. और शीला को हाथ से खींचते हुए किचन के रास्ते पीछे वाले दरवाजे पर ले गई.. शीला को रवाना कर वो भागी भागी मुख्य दरवाजे पर आई.. दरवाजा खोलते ही अपना बेग लेकर राजेश ने प्रवेश किया.. और धम्म से सोफ़े पर बैठ गया.. और सर पर हाथ रखकर सोचने लगा..

राजेश के अंदर जाने के बाद.. शीला चुपके से पीछे के रास्ते बाहर निकली.. और लगभग भागते हुए मुख्य सड़क पर आ गई.. तुरंत ऑटो में बैठकर उसने अपने घर का पता दिया.. ऑटो चल पड़ी और साथ ही साथ शीला के दिमाग में विचार भी चलने लगे.. क्या करू? मदन को क्या कहूँगी?? कैसे समझाऊँगी?? इतने मिसकॉल के बाद भी क्यों उसने फोन नहीं किया उसकी क्या सफाई देगी?? क्या हुआ होगा?? रेणुका इतनी घबराई हुई सी क्यों थी? मदन ने इतने सारे मिसकॉल क्यों किए होंगे?

देखते ही देखते ऑटो शीला के घर के बाहर पहुँच गई.. पैसे चुकाने के बाद शीला ने सब से पहले अपना मोबाइल स्विचऑफ कर पर्स में रख दिया.. और बेफ़िकर होकर घर में ऐसे घुसी जैसे उसे कुछ पता ही न हो.. !!

उसे देखते ही मदन उस पर टूट पड़ा..

मदन: "दिमाग नाम की कोई चीज है भी या नहीं.. !! कब से तुझे फोन कर रहा हूँ.. उठाया क्यों नहीं?? कोई ईमर्जन्सी हो तब फोन ही न उठाओ तो फोन रखने का क्या मतलब?? अब सुन.. सुबोधकांत का एक्सीडेंट हुआ है.. मैं और राजेश वहाँ जा रहे है.. बाद मैं फोन पर बात करेंगे.. अगर तू उठाएगी तो.. !!"

शीला: "इतना गुस्सा करने से पहले मेरी बात तो सुन ले.. मेरा फोन रास्ते में कहीं गिर गया है.. मैं पिछले एक घंटे से अपना फोन ही ढूंढ रही थी.. वरना तेरा फोन मैं क्यों नहीं उठाती? और सुबोधकांत जी के साथ अचानक ये क्या हो गया?? अभी थोड़े दिन पहले ही तो गए थे यहाँ से.. !!"

मदन: "मुझे क्या पता यार.. वहाँ जाकर पता चलेगा.. मैं और राजेश अभी निकल रहे है.. वो बस आता ही होगा.. वहाँ जाकर पता चलेगा की क्या हुआ, क्यों हुआ.. कितनी चोट आई है.. वगैरह वगैरह.. !!"

शीला: "मदन, कविता और मौसम को अभी बताना है या थोड़ा इंतज़ार करें?"

मदन: "अभी नहीं.. पहले वहाँ जाकर देख तो लें की क्या हाल है.. !!"

तभी बाहर गाड़ी का हॉर्न बजा.. मदन तुरंत बाहर निकला और गाड़ी में बैठ गया.. राजेस ने तेजी से गाड़ी दौड़ा दी

मदन: "तुझे किसने बताया इसके बारे में?"

राजेश: "मुझे रमिलाबहन का फोन आया था.. मैं तो एयरपोर्ट पर अपनी फ्लाइट का इंतज़ार कर रहा था तभी फोन आया.. उन्हों ने सब से पहले पीयूष को फोन किया पर उसका लगा नहीं.. कविता के घर पर किसी ने उठाया नहीं.. !! वो कह रही थी की पुलिस वालों ने सुबोधकांत की डायरी से घर का नंबर लेकर फोन किया और बताया की हमारे शहर के बाहर वाली हाइवे पर एक्सिडन्ट हुआ है.. !!"

फूल स्पीड से राजेश की गाड़ी बाहर हाइवे पर निकल गई.. थोड़ा आगे जाते ही रोड पर उलटी पड़ी हुई गाड़ी नजर आई.. गाड़ी का रंग देखकर दोनों समझ गए की वह सुबोधकांत की ही गाड़ी थी.. पास ही में पुलिस की पी.सी.आर गाड़ी खड़ी थी और दो पुलिसवाले वहाँ खड़े रहकर ट्राफिक का नियमन कर रहे थे.. एक्सीडेंट में तहस नहस होकर उलटी पड़ी गाड़ी को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी..

भीड़ को चीरते हुए राजेश और मदन अंदर घुसे और गाड़ी के पास जाकर, वहाँ खड़े पुलिस वाले से कहा "साहब, ये जिसका एक्सीडेंट हुआ है, हम उनके रिश्तेदार है.. उन्हें कौन सी अस्पताल ले गए है?? कितनी चोट आई है उनको?"

"बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल ले गए है" बड़ी ही रूखी आवाज में उस पुलिस वाले ने कहा

यह सुनते ही.. राजेश और मदन दोनों के पैर ठंडे पड़ गए..!!!!

राजेश ने सब से पहला काम यह किया की गाड़ी के अंदर जो भी कीमती और जरूरी चीजें थी उन्हें ढूंढ कर बाहर निकाला.. एक फ़ाइल थी.. कार स्प्रे की बोतल, सुबोधकांत का मोबाइल.. सबकुछ अपने साथ ले लिया.. गनीमत थी की उस पुलिस वाले की नजर ट्राफिक पर थी इसलिए उसे किसी ने रोका नहीं

मदन का चेहरा फीका पड़ गया था, उसने कहा "यार, रमिलाबहन को कैसे यह समाचार देंगे?? मुझसे तो कहा ही नहीं जाएगा"

राजेश: "पीयूष और कविता को भी यह बताना पड़ेगा"

तभी राजेश के मोबाइल पर पीयूष का फोन आया

पीयूष: "सर, मेरे ससुरजी का एक्सीडेंट हुआ है.. अभी मेरी सास का फोन आया था.. मुझे वहाँ जाना होगा.. !!"

राजेश: "पीयूष, अब मैं जो कहने जा रहा हूँ, उसे ध्यान से सुन.. हम एक्सीडेंट वाली जगह पर पहुँच चुके है.. बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है की सुबोधकांत जी अब इस दुनिया में नहीं रहे.. उनकी बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल ले गए है.. तू एक काम कर.. अपने ससुराल पहुँचने का बंदोबस्त कर.. और हाँ.. कविता और मौसम को भी साथ ले जाना.. यहाँ की चिंता मत कर.. और पैसों की जरूरत हो तो हमारे एकाउंटेंट से ले लेना.. !! हम अस्पताल से बॉडी लाने की कार्यवाही संभाल लेंगे"

मदन ने घर की लेंडलाइन पर शीला को फोन किया.. यह समाचार देने के लिए.. पर शीला ने पहले ही मौसम और कविता की जोर जोर से रोने की आवाज सुनकर अंदाज लगा ही लिया था..

राजेश: "हमे जल्दी अस्पताल पहुँच जाना चाहिए.. इन सरकारी कामों में बहोत वक्त लग जाता है..!!

सिविल अस्पताल के पी.एम. रूम के बाहर, राजेश और मदन बॉडी मिलने का इंतज़ार कर रहे थे.. अभी बॉडी मिलने में आधे घंटे की देर थी..

मदन: "यार, सुबह से चाय नहीं पी है.. सर फटा जा रहा है.. मैं जाकर चाय लेकर आता हूँ"

राजेश: "ओके.. "

मदन के जाने के बाद, राजेश ने अपनी जेब से सुबोधकांत का मोबाइल निकाल.. और जिज्ञासावश देखने लगा.. अंदर देखते ही सब से पहला झटका उसे तब लगा जब उसने देखा की सुबोधकांत को आखिरी बार रेणुका ने फोन किया था.. !!!!! रेणुका को क्या जरूरत पड़ी होगी सुबोधकांत को फोन करने की?? और उनकी गाड़ी की दिशा देखते हुए लग रहा था की वो इसी शहर में आ रहे थे.. !! कहीं सुबोधकांत और रेणुका के बीच... नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. !!

दिमाग से खराब विचारों को झटकते हुए राजेश ने व्हाट्सप्प के मेसेज पढ़ना शुरू किया.. जितना वो पढ़ता गया, उतना ही उसका आश्चर्य और सदमा बढ़ता गया.. फाल्गुनी के साथ सुबोधकांत की चैट के मेसेज पढ़कर उसके पैरों तले से धरती खिसक गई.. !! मेसेज में सुबोधकांत द्वारा की गई चूत चटाई की तारीफ.. उनके लंड के गुण-गान.. और काफी अन्य सारे मेसेज थे.. उतना ही नहीं.. एक मेसेज में तो फाल्गुनी ने सुबोधकांत को यह पूछा था की उन्हें उसके साथ ज्यादा मज़ा आता है या वैशाली के साथ.. !! मतलब साफ था.. सुबोधकांत के काम-संबंध फाल्गुनी और वैशाली दोनों के साथ थे.. और वो भी काफी लंबे अरसे से.. !!

तभी सामने से मदन हाथ में चाय के दो कप लेकर आता नजर आया.. राजेश ने तुरंत व्हाट्सप्प चेट डिलीट कर दी और कॉल-लॉग भी साफ कर दीये.. कितने भी चौंकाने वाले सच क्यों न बाहर आ जाए.. अब क्या फ़र्क पड़ेगा.. !!! जब गुनहगार ही इस दुनिया को छोड़कर जा चुका हो.. फिर उन हकीकतों को उजागर करके.. अन्य लोगों को जीवन में नाहक का भूकंप लाने का क्या मतलब.. !!

राजेश को सुबोधकांत के मृत्यु से जितना सदमा नहीं लगा था.. उसे ज्यादा धक्का उस बात से लगा था की रेणुका और सुबोधकांत के बीच.. उनके एक्सीडेंट से पहले दो तीन बार बातचीत हुई थी.. राजेश की जानकारी अनुसार, रेणुका और सुबोधकांत की ऐसी कोई खास जान-पहचान थी नहीं की वो इतनी बातें करते.. ना ही रेणुका ने सुबोधकांत से बात होने के बारे में कोई जिक्र किया था.. !! साथ ही साथ.. सुबोधकांत के वैशाली और फाल्गुनी के साथ जिस्मानी संबंधों के बारे में जानकर राजेश को इतना तो यकीन हो गया था की सुबोधकांत कितने रंगीन मिजाज थे.. !!

राजेश के विचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.. फाल्गुनी ने खुलेआम वैशाली के साथ सुबोधकांत के संबंधों का उल्लेख किया था.. तो क्या फाल्गुनी की नज़रों के सामने ही सुबोधकांत ने वैशाली को चोदा होगा.. ?? हो सकता है की सुबोधकांत और वैशाली को फाल्गुनी ने रंगेहाथों पकड़ लिया हो.. और फिर वो भी शामिल हो गई हो.. !!

राजेश ने मोबाइल वापिस अपनी जेब में रख दिया..

दो घंटों के बाद उन्हें सुबोधकांत की बॉडी मिली.. एम्बुलेंस में बॉडी रखकर मदन आगे की सीट पर बैठ गया.. और राजेश बॉडी के साथ पीछे बैठा था.. पूरे रास्ते मे उसने सुबोधकांत के फोन का पोस्टमॉर्टम जारी रखा और जो जानने मिला वो बेहद चौंकाने वाला था.. !!


Badi hi bhyanak update he vakharia Bhai,

Subodhkant ki car accident me maut ho gayi..............

Rajesh ne uski whatsapp ki sabhi chats padh li..................

Ab tak use ye bhi pata chal chuka hoga ki, sheela ko bhi chod chuka he subodhkant.............

Mausam ki to double maar ho gayi, pehle rishta tuta aur ab pita mar gaya........

Keep rocking Bro
 
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