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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

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Premkumar65

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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की शीला आखिर कविता को लेकर रसिक के खेत पहुँच ही गई.. रसिक के मना करने पर केवल कविता ही कमरे में गई और शीला दूर गाड़ी के पास इंतज़ार करती रही.. उस दौरान कुछ गंवार लफंगे मर्द शीला का पीछा करने लगे.. घबराकर शीला तेजी से रसिक के खेत की ओर गई.. गनीमत थी की एन मौके पर रसिक बाहर आ गया और वो पीछा करने वाले उलटे पाँव लौट गए.. संतुष्ट होकर कविता शीला के साथ वापिस लौटी.. रात को साथ सोते वक्त, शीला ने कविता के संग भरपूर मजे किए..

अब आगे...
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राजेश के आगोश में लेटी हुई नंगी फाल्गुनी उसकी छाती के बाल से खेल रही थी.. पिछले आधे घंटे से चल रही धुआंधार चुदाई अभी अभी खतम हुई थी.. दोनों उसकी थकान उतार रहे थे.. फाल्गुनी के मस्त चूचियों की निप्पल से अटखेलियाँ करते हुए राजेश उसे चूम रहा था

"पता है.. आज शीला भाभी आई थी" राजेश के मुरझाए लंड को अपनी उंगलियों पर लेते हुए फाल्गुनी ने कहा

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"शीला यहाँ..!! क्या करने आई है वो?" राजेश ने चोंककर पूछा

"वो तो पता नहीं.. कविता दीदी के घर रुकी हुई है.. आज मैं मौसम की मम्मी से मिलने गई तब वहाँ आई थी.. ऐसे शक की निगाहों से देख रही थी मुझे..!! मैं तो वहाँ से तुरंत खड़ी होकर निकल गई" फाल्गुनी ने कहा

"शीला का कोई टेंशन मत लो.. उसे पता भी चला, तो मैं संभाल लूँगा" राजेश ने बड़े ही इत्मीनान से कहा

"पर अंकल, अब इस तरह मिलना मुश्किल होता जा रहा है.. कितनी बार बहाने बनाऊँ मम्मी के सामने? मैं आप से कह रही हूँ की मुझे वो कोर्स जॉइन कर लेने दीजिए.. ताकि मैं पी.जी. में जाकर रह सकूँ और हम दोनों जब मर्जी आराम से मिल सके" फाल्गुनी ने कहा

"अरे फाल्गुनी, मैंने तुझसे कहा तो है.. मैंने कुछ सोचकर रखा है.. ऐसा सेटिंग हो जाएगा की तुम्हें कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी" राजेश ने कहा

"सोचा है.. सोचा है.. कहते रहते हो.. पर क्या सोचा है, ये क्यूँ नहीं बताते?" फाल्गुनी ने नाराज होते हुए कहा

राजेश ने मुस्कुराकर जवाब दिया "मैं तुम्हें अपनी कंपनी में नौकरी देना चाहता हूँ.. तेरे रहने का भी इंतेजाम कर दूंगा.. फिर कोई टेंशन नहीं.. न घर की और न मम्मी पापा की.. हम जब चाहे साथ रह सकेंगे और जहां चाहे मिल भी सकेंगे"

फाल्गुनी को अपने सुने पर विश्वास नहीं हो रहा था "क्या सच में..!! ऐसा हो सकता है..!!"

राजेश: "हाँ क्यों नहीं.. देख, यहाँ बार-बार आना जाना लंबे समय तक मुमकिन नहीं होगा.. एक बार पीयूष वापिस लौट आया, तो यहाँ आने का मेरे पास कोई बहाना भी नहीं बचेगा.. तूम वहाँ रहोगी तो पूरा दिन हम ऑफिस में साथ रह पाएंगे..कोई रोक-टोंक नहीं और यहाँ किसी को शक भी नहीं होगा"

थोड़े से चिंतित स्वर में फाल्गुनी ने कहा "दूसरे शहर भेजने के लिए मम्मी पापा मानेंगे भी या नहीं, यह भी एक सवाल है"

राजेश: "अरे, आजकल तो लड़कियां शहर से दूर रहकर पढ़ती भी है और नौकरी भी करती है.. तू मनाएगी तो वो मान जाएंगे"

फाल्गुनी: "हाँ, मनाना तो पड़ेगा, लेकिन आप कुछ दिन रुक जाइए.. मम्मी की तबीयत अभी ठीक नहीं चल रही है.. वो थोड़ा सा संभल जाएँ फिर मैं बात करती हूँ"

फाल्गुनी से लिपटकर उसके स्तन दबाते हुए राजेश ने कहा "ओके जान.. जैसा तुम ठीक समझो"

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फाल्गुनी के कठोर उरोजों की छुअन राजेश के शरीर में बिजली की तरंग पैदा कर रही थी.. उसके निप्पल तन कर उसकी छाती में चुभ रहे थे.. राजेश ने उसकी छातियों पर अपना हाथ लगाया और सहलाया.. उसके दोनों स्तनों के बीच की जगह पर चुम्बन ले लिया..

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राजेश ने फाल्गुनी की निप्पलों को उँगलियों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर एक निप्पल को मुँह में भर लिया.. फाल्गुनी के मुँह से आहहह निकली.. राजेश ने उसकी निप्पल को चुसना शुरु कर दिया..

फाल्गुनी भी उत्तेजना के कारण कांप सी रही थी उसके हाथ राजेश की छाती पर घुम रहे थे.. राजेश ने उसके दूसरे निप्पल को मुँह में ले कर चुसना शुरु कर दिया और फिर उसके पुरे उरोज को मुँह में भर लिया.. फाल्गुनी का काँपना बढ़ गया.. उसने सिहरते हुए राजेश के बाल पकड़ लिए

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राजेश ने अपना उभरा हुआ लंड उस की जाँघों के बीच रगड़ना शुरू कर दिया.. लंड अब उसकी उभरी हुयी डबलरोटी जैसी चूत पर दस्तक देने लगा था.. राजेश अब फाल्गुनी की दोनों जांघों के बीच बैठ गया और धीरे से अपना मुंह उसकी चूत के बिल्कुल करीब ले गया.. लाल गुलाबी चूत का संकुचन उसमें से प्रवाही बहा रहा था.. राजेश ने उस हल्के बालों से ढ़की चूत को चुम लिया.. वहाँ नमी थी और चूत के द्रव्य का खारा स्वाद उसकी जीभ को मिल गया.. फाल्गुनी की मुनिया को ऊपर से नीचे तक जीभ से चाटते हुए चूत के दोनों फलकों को खोल कर अपनी जीभ उन के अंदर डाल दी.. इस से फाल्गुनी के शरीर में एक तेज तरंग सी उठी.. राजेश ने अब जोर-जोर से चाटना शुरु कर दिया.. फाल्गुनी अपनी आँखें बंद कर के लेटी हुई थी..

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अब अपना मुंह चूत से हटाते हुए राजेश उसकी जाँघों के बीच बैठ गया.. अपने ६ इंच के कठोर लंड को उसकी नाजुक चूत के मुख पर रख कर नीचे ऊपर किया और फिर लिंग के सुपाड़े को हाथ से पकड़ कर योनिद्वार पर रख कर दबाया.. फाल्गुनी की चिपचिपी चूत का मुँह बहुत कसा हुआ था.. लंड का सुपाड़े उस मुलायम चूत में एक धक्का देते ही अंदर घुस गया..

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फाल्गुनी की चूत बहुत कसी हुई थी और उसकी मांसपेशियों का कसाव, राजेश अपने लंड पर महसूस कर पा रहा था.. कसी हुई चूत राजेश के लंड को मथ सा रही थी.. अपने कुल्हों को ऊपर उठा कर राजेश ने जोर से धक्का दिया और वो फाल्गुनी की मुनिया में पुरा समा गया..

राजेश ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और धनाधन पेलने लगा.. फाल्गुनी के दोनों स्तनों को दबाते हुए उसने धक्कें लगाने शुरु कर दिये.. कसी हुई चूत में लंड बहुत कस कर जा रहा था उस पर बहुत घर्षण भी हो रहा था.. फाल्गुनी के हाथ राजेश के कुल्हों पर आ गये थे.. अब वह भी अपने कुल्हों को उठा कर उसका साथ देने लगी.. दोनों धीरे-धीरे संभोग में लगे रहे.. कुछ ही देर में ही दोनों पसीने से नहा गये थे..

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लगभग दस-बारह मिनट तक दोनों संभोग में लगे रहे.. फाल्गुनी का सारा शरीर सनसना सा गया.. राजेश जब झड़ने की कगार पर आ गया तो उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए फाल्गुनी के बबलों पर ही स्खलित होने लगा.. लंड से निकल कर गर्म वीर्य फाल्गुनी की कमर पर गिर रहा था.. फाल्गुनी की चूत से भी पानी रिस रहा था.. थककर राजेश उस की बगल में लेट गया.. यही हालत फाल्गुनी की भी थी..

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दूसरी सुबह शीला और कविता, सोफ़े पर बैठ के गरम चाय की चुस्कीयां ले रहे थे

कविता: "भाभी, मज़ा आ गया कल तो.. पूरा शरीर हल्का हल्का सा लग रहा है"

शीला ने हँसते हुए कहा "रसिक के मूसल से सर्विसिंग हो जाए तो अच्छे अच्छों के शरीर हल्के पड़ जाते है"

कविता ने शरमाते हुए कहा "मुझे तो कल रात आप के साथ भी बड़ा मज़ा आया.. काश हम साथ में रहते होते तो कितना मज़ा आता"

शीला: "तो आजा वापिस अपने पुराने घर.."

एक लंबी सांस भरते हुए कविता ने कहा "अब वो पुराने दिन तो वापिस आने से रहे.. यहाँ इतना सब कुछ छोड़कर वहाँ आना अब तो मुमकिन नहीं है"

शीला: "हम्म.. बात तो तेरी सही है"

तभी शीला का फोन बजा.. वैशाली का फोन था

शीला ने फोन उठाकर कहा "हाँ बेटा.. कैसी है तू? पिंटू की तबीयत कैसी है?"

आगे वैशाली ने जो कहा वो सुनकर शीला के चेहरे से नूर उड़ गया.. चिंता और डर की शिकन से उसका चेहरा मुरझा सा गया

कविता अचंभित होकर शीला के बदलते हावभाव को देख रही है

शीला: "तू चिंता मत कर बेटा.. कुछ नहीं होगा.. मैं थोड़ी देर में निकालकर वहाँ पहुँचती हूँ.. और पापा को भी फोन कर देती हूँ.. सब ठीक हो जाएगा"

शीला ने फोन रख दिया

कविता ने बड़े ही चिंतित स्वर में कहा "क्या हुआ भाभी?"

शीला: "पिंटू के फोन पर उस इंस्पेक्टर तपन देसाई का फोन आया था.. जिन हमलावरों ने पिंटू पर हमला किया था उनकी शिनाख्त हो चुकी है.. पुलिस ने सारे सीसीटीवी फुटेज छान मारे.. आगे जाकर हाइवे पर जब दोनों ने अपने मास्क उतारे तब उनके चेहरे सीसीटीवी में नजर आ गए.. वो संजय और हाफ़िज़ थे जिन्होंने हमला किया था"

कविता ने चोंककर कहा "संजय मतलब?? वैशाली का पुराना पति??? और ये हाफ़िज़ कौन है?"

शीला: "उसका साथी.. ड्राइवर है.. संजय के सभी कारनामों मे उसके साथ होता है!!"

कविता: "तो क्या पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ लिया?"

शीला: "नहीं.. इतने दिनों बाद जाकर सिर्फ पहचान ही हो पाई है.. अब वो उन्हें पकड़ने की कारवाई भी करेंगे"

कविता: "बाप रे..!! बड़ा ही कमीना निकला ये संजय तो.. तलाक हो जाने के बाद भी वैशाली को तंग करने पीछे पड़ा हुआ है.. जल्द से जल्द पकड़ा जाए तो अच्छा है.. कहीं उसने फिर से कुछ कर दिया तो??"

शीला: "ऐसा कुछ नहीं होने दूँगी.. पर अब वैशाली और पिंटू का वहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है.. मैं अच्छे से जानती हूँ उस हरामखोर संजय को.. वो कमीना कुछ भी कर सकता है..!!"

कविता ने घबराते हुए कहा "तो फिर अब क्या होगा भाभी?"

शीला: "देख कविता.. अब मैंने तुझे जो बात कही थी पिंटू की नौकरी के बारे में.. वो अब जल्द से जल्द करना होगा.. तू हो सके उतना जल्दी पीयूष से बात कर.. पिंटू अपना शहर बदल ले और यहाँ आ जाए उसी में उसकी भलाई है.. और यहाँ तो उसका घर भी है..!! बस इतना काम कर दे मेरा तू"

कविता: "आप जरा भी चिंता मत कीजिए भाभी.. मैं आज ही पीयूष से व्हाट्सएप्प पर बात करती हूँ"

शीला: "मुझे भी मदन को फोन करके यह सब बताना पड़ेगा.. मैं अभी निकलती हूँ.. बस पकड़कर जल्दी से घर पहुँच जाती हूँ.. वैशाली बेचारी अकेले अकेले डर के मारे परेशान हो रही होगी"

कविता: "आप कहो तो मैं आकर आपको छोड़ दूँ?"

शीला: "नहीं.. मैं बस से चली जाऊँगी.. तू बस पीयूष से बात कर और इस मामले को जल्दी से जल्दी निपटा.."

कविता: "आप चिंता मत कीजिए भाभी.. सब कुछ हो जाएगा.. पीयूष को मैं कैसे भी मना लूँगी"

शीला फटाफट तैयार हुई और बस अड्डे जाने के लिए निकल गई.. जो पहली बस मिली उसमे बैठ गई.. करीब साढ़े तीन घंटों के सफर के बाद वह पहुँच गई.. आनन फानन में ऑटो पकड़कर वो घर आई.. अपने घर जाने के बजाय वो सीधे वैशाली के घर गई

शीला को देखते ही वैशाली उससे लिपट गई..

शीला: "चिंता मत कर बेटा.. अब मैं आ गई हूँ.. कुछ नहीं होने दूँगी"

वैशाली: "कैसे गंदे आदमी से पाला पड़ गया है..!! तलाक के बाद भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा"

तभी पिंटू बाहर आया

शीला: "अब कैसी तबीयत है तुम्हारी?"

पिंटू के गले और हाथ पर पट्टियाँ बंधी हुई थी

पिंटू: "ठीक है.. कल डॉक्टर को दिखाकर आए.. अब सिर्फ एक और बार ड्रेसिंग होगा फिर पट्टियाँ खुल जाएगी"

शीला: "तुम अभी आराम करो और किसी भी बात की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है"

पिंटू: "अब पुलिसवाले जल्द से जल्द उन्हें पकड़ ले तो अच्छा है"

शीला: "पकड़े जाएंगे.. इंस्पेक्टर मदन का दोस्त है.. मैंने आते आते मदन से बात कर ली है.. वो उनके दोस्त से बात कर रहे है.. मदन ने यह भी कहा की वो जल्दी ही वापिस लौट आएगा.. उनका काम लगभग खतम होने को है"

वैशाली: "मम्मी, मुझे तो बहोत डर लग रहा है.. वो कहीं फिर से यहाँ न आ जाएँ"

शीला: "तू टेंशन मत ले.. मैंने कुछ सोचा है इस बारे में.. वो काम हो गया तो तुम्हें फिर कभी चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी"

वैशाली और पिंटू को दिलासा देकर शीला अपने घर चली आई.. घर आकर वह बैठे बैठे आगे के बारे में सोचने लगी.. वो सोच रही थी की जल्द से जल्द पिंटू की नौकरी पीयूष की कंपनी में लग जाएँ तो काफी सारी समस्याएं हल हो सकती थी.. वह दोनों सलामत हो जाएंगे और यहाँ शीला अपनी पुरानी ज़िंदगी में वापिस लौट सकती थी.. शीला को लग रहा था जैसे उसका दिमाग ही काम न कर रहा हो.. और उसकी वजह भी उसे पता थी.. उसकी चुत भोग मांग रही थी.. जब काफी दिन तक अच्छी चुदाई न हुई हो तो शीला का दिमाग काम करना बंद कर देता था

फिलहाल शीला के कामुक भोसड़े को तृप्त कर सकें ऐसा एक ही विकल्प था.. और वो था रसिक..!! पर वो अब शीला से दूरी बनाए हुए थे.. बेरुखी से बात करता था.. शीला को लगता नहीं था की उसके बुलाने से वो आएगा..

फिर भी शीला ने उसे कॉल किया.. रसिक ने उठाया नहीं.. अगले एक घंटे में शीला ने १० से १२ बार कॉल किया पर रसिक ने एक बार भी नहीं उठाया.. शीला थक गई.. सफर और तनाव के चलते उसकी आँखें बंद होने लगी थी

शीला बेडरूम में पहुंची और बिस्तर पर लेट गई.. कब उसकी आँख लग गई, उसे पता ही नहीं चला..!! शाम के करीब ७ बजे उसकी आँख खुली..!! वह उठकर वॉश-बेज़ीन की ओर गई और ठंडे पानी से अपना चेहरा धोया..!! अच्छी खासी नींद लेने के बाद उसे काफी ताज़ा महसूस हो रहा था..

किचन में जाकर अपने लिए एक गरम कडक चाय का प्याला बना लाई वो.. और सोफ़े पर बैठकर आराम से चुसकियाँ लेने लगी.. थकान उतर चुकी थी और अब नए सिरे से उसके भोसड़े में सुरसुरी होना शुरू हो गया था..

शीला ने अपना ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिशें की.. फोन पर सहेलियों से गप्पे लड़ाएं.. टीवी देखा.. पर कहीं मन लग नहीं रहा था..!! जैसे शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो तो मन घूम-फिर कर वहीं जाकर अटकता है.. बिल्कुल वैसे ही.. शीला का मन उसकी बुदबुदाती हुई चूत पर ही जाकर रुक जाता था.. बहोत कोशिश की शीला ने अपने गुप्तांग को समझाने की.. पर सब कुछ निरर्थक था.. और यह शीला भी जानती थी..!! शीला का भोसड़ा.. जंगल के उस दानव की तरह था जो एक बार जाग जाए तो बिना भोग लिए मानता नहीं है..

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जैसे तैसे करके शीला ने कुछ घंटे निकाले.. वैशाली के घर जाकर रात का खाना भी खा लिया.. वापिस आई तब तक दस बज चुके थे.. घर बंद कर बैठी शीला फिर से टीवी देखने लगी.. करीब एक घंटे तक वो चैनल बदलती रही.. एक अंग्रेजी एक्शन मूवी उसे दिलचस्प लगी.. वह काफी देर तक मूवी देखती रही.. फिल्म के एक द्रश्य में नायक एक लड़की के साथ संभोगरत होते दिखाया गया.. इतना गरमा-गरम सीन था की देखते ही शीला अपनी जांघें रगड़ने लग गई.. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया और सोफ़े पर ही लेट गई..

हवस की गर्मी उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी.. वह लेटे लेटे अपने विराट स्तनों को दोनों हाथों से मसल रही थी.. उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा लिए और पेन्टी में हाथ डालकर चूत की दरार में उँगलियाँ रगड़ने लगी.. इतना चिपचिपा प्रवाही द्रवित हो रहा था की पेन्टी बदलने की नोबत आ चुकी थी..

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काफी देर तक शीला अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदकर शांत करने की कोशिश करती रही.. पर उसकी भूख शांत होने के बजाय और भड़क गई.. वासना की आग में झुलसते हुए शीला बावरी सी हो गई.. क्या करूँ.. क्या करूँ..!!! उसने अपने आप से पूछा.. अभी उसका हाल ऐसा था की अगर वैशाली घर पर नहीं होती तो वो पिंटू को पकड़कर उससे चुदवा लेती.. मदन अमरीका था.. राजेश वहाँ फाल्गुनी की फुद्दी का नाप ले रहा था.. रघु या जीवा को घर पर बुलाना मुमकिन नहीं था.. शीला पागल सी हुए जा रही थी..!!!

शीला ने एक कठिन निर्णय लिया.. वह उठी और बाथरूम में घुसी.. चूत के रस से लिप्त पेन्टी उतारकर उसने अपना भोसड़ा पानी और साबुन से अच्छी तरह धोया.. नई पेन्टी पहनी और एक छोटे सी बेग में एक जोड़ी कपड़े और अपना पर्स लेकर निकल पड़ी


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Bahut hi sexy update. Mazaa aa gaya.
 

Premkumar65

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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की राजेश और फाल्गुनी, स्व.सुबोधकांत के फार्महाउस पर मिलते है.. दोनों के संबंध अब काफी करीबी हो चुके है.. फाल्गुनी राजेश को शीला के बारे में बताती है की कैसे उसे लग रहा था जैसे शीला को उनके बारे में कुछ पता चल गया है..

दूसरी तरफ, रसिक के खेत से संतृप्त होकर लौटने के बाद, कविता शीला के प्रति आभार व्यक्त करती है.. तभी वैशाली के फोन से यह जानकारी मिलती है की पिंटू पर हमला करने वालों की शिनाख्त हो चुकी है.. वह संजय और हाफ़िज़ थे.. वैशाली का पूर्व पति और उसका साथी.. वही ड्राइवर जिसके साथ शीला संजय के साथ गोवा गई थी और लौटते वक्त उसने शीला को भरपूर चोदा था.. शीला यह सुनकर चौंक उठती है और तुरंत वापिस आने की तैयारी करती है.. कविता शीला को आश्वासन देती है की वह जल्दी ही पीयूष से, पिंटू की नौकरी की बात करेगी, ताकि वैशाली और पिंटू को उस शहर में रहना न पड़े..

घर लौटने के बाद शीला अकेली ही अपनी हवस की आग से झुजती रहती है.. वह अपना ध्यान भटकाने की काफी कोशिश करती है पर सब कुछ नाकाम रहता है.. थककर शीला रसिक को बार बार फोन करती है पर वो उठाता ही नहीं है..

जिस्म की भूख से हारकर, शीला आखिर एक फैसला करती है...

अब आगे...
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शीला ने अपना ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिशें की.. फोन पर सहेलियों से गप्पे लड़ाएं.. टीवी देखा.. पर कहीं मन लग नहीं रहा था..!! जैसे शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो तो मन घूम-फिर कर वहीं जाकर अटकता है.. बिल्कुल वैसे ही.. शीला का मन उसकी बुदबुदाती हुई चूत पर ही जाकर रुक जाता था.. बहोत कोशिश की शीला ने अपने गुप्तांग को समझाने की.. पर उसकी चूत बिना चुदे मानने का नाम ही नहीं ले रही थी.. और यह शीला भी जानती थी..!! शीला का भोसड़ा.. जंगल के उस दानव की तरह था जो एक बार जाग जाए तो बिना भोग लिए मानता नहीं है..

जैसे तैसे करके शीला ने कुछ घंटे निकाले.. वैशाली के घर जाकर रात का खाना भी खा लिया.. वापिस आई तब तक दस बज चुके थे.. घर बंद कर बैठी शीला फिर से टीवी देखने लगी.. करीब एक घंटे तक वो चैनल बदलती रही.. एक अंग्रेजी एक्शन मूवी उसे दिलचस्प लगी.. वह काफी देर तक मूवी देखती रही.. फिल्म के एक द्रश्य में नायक एक लड़की के साथ संभोगरत होते दिखाया गया.. इतना गरमा-गरम सीन था की देखते ही शीला अपनी जांघें रगड़ने लग गई.. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया और सोफ़े पर ही लेट गई..

हवस की गर्मी उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी.. वह लेटे लेटे अपने विराट स्तनों को दोनों हाथों से मसल रही थी.. उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा लिए और पेन्टी में हाथ डालकर चूत की दरार में उँगलियाँ रगड़ने लगी.. इतना चिपचिपा प्रवाही द्रवित हो रहा था की पेन्टी बदलने की नोबत आ चुकी थी..

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काफी देर तक शीला अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदकर शांत करने की कोशिश करती रही.. पर उसकी भूख शांत होने के बजाय और भड़क गई.. वासना की आग में झुलसते हुए शीला बावरी सी हो गई.. क्या करूँ.. क्या करूँ..!!! उसने अपने आप से पूछा.. अभी उसका हाल ऐसा था की अगर वैशाली घर पर नहीं होती तो वो पिंटू को पकड़कर उससे चुदवा लेती.. मदन अमरीका था.. राजेश वहाँ फाल्गुनी की फुद्दी का नाप ले रहा था.. रघु या जीवा को घर पर बुलाना मुमकिन नहीं था.. शीला पागल सी हुए जा रही थी..!!!

शीला ने एक कठिन निर्णय लिया.. वह उठी और बाथरूम में घुसी.. चूत के रस से लिप्त पेन्टी उतारकर उसने अपना भोसड़ा पानी और साबुन से अच्छी तरह धोया.. उसने पेन्टी पहनी ही नहीं क्योंकि बार बार भीग जाने से उसे बदलना पड़ रहा था.. एक छोटे सी बेग में एक जोड़ी कपड़े और अपना पर्स लेकर निकल पड़ी

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे.. शीला तेज कदमों से चलते हुए मैन रोड तक आ गई.. कहीं कोई ऑटो नजर नहीं आ रही थी.. पर एक कोने में एक टेकसी खड़ी हुई थी.. शीला तुरंत उसके पास गई

शीला: "भैया.. मढ़वाल चॉकड़ी चलोगे?"

वह ड्राइवर शीला की तरफ देखता ही रह गया.. शीला का मांसल गदराया जिस्म.. साड़ी के पीछे ब्लाउस की साइड से झलकती स्तनों की गोलाइयाँ.. और बड़ी बड़ी जांघें..!! सीट पर बैठे बैठे उसने अपना लंड एडजस्ट किया..

ड्राइवर: "पाँच सौ रुपये लूँगा"

शीला: "ठीक है, चलो" कहते हुए शीला ने पीछे का दरवाजा खोला और अंदर बैठ गई.. अमूमन वहाँ जाने के लिए दिन के समय ऑटो वाला सौ रुपये से ज्यादा नहीं लेता था, उसका पाँच सौ रुपये किराया तय करने से पहले शीला ने एक बार भी नहीं सोचा.. वह कुछ सोच पाने की स्थिति में ही नहीं थी..!!!

ड्राइवर गाड़ी तेजी से चलाते हुए शहर के बाहर वाले हाइवे पर ले गया.. रियर-व्यू मिरर से वो बार बार शीला के मदहोश बदन को देख रहा था.. पर शीला का ध्यान खिड़की से बाहर ही था.. उसने एक बार भी उस ड्राइवर की तरफ नहीं देखा

शीला: "बस यहीं रोक दीजिए, भैया"

हाइवे पर एक बड़े से चौराहे पर शीला ने गाड़ी रोकने के लिए कहा.. कोने में ले जाकर ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी.. शीला उतरी और अपने पर्स से पाँच-सौ का एक नोट देकर तेजी से झाड़ियों की ओर जाने लगी.. कुछ आगे चलने पर शीला ने महसूस किया की वह ड्राइवर अब भी वहीं खड़ा था.. अपनी गाड़ी में.. शायद उसे ताज्जुब हो रहा था की इतनी रात गए यह औरत, जंगल जैसे रास्ते पर क्यों और कहाँ जा रही होगी..!! शीला अलर्ट हो गई.. वो वहीं खड़ी हो गई और अपना मोबाइल निकालकर किसी से बात करने का अभिनय करते हुए ड्राइवर की तरफ देखती रही.. जब ड्राइवर को एहसास हुआ की शीला उसकी तरफ देख रही थी, तब वह अपनी गाड़ी लेकर चला गया..

टेकसी वाले के चले जाने के बाद शीला ने अपना बैग और पर्स उठाया और पगडंडी की तरफ़ चल पड़ी.. गनिमत ये थी कि बैग हल्का ही था क्योंकि उसमें एक जोड़ी कपड़े और ब्रा पैंटी वगैरह ही थी.. चलते चलते वह खेतों से बीच गुजरते हुए बीहड़ रास्ते से रसिक का खेत ढूंढते आगे बढ़ रही थी.. उसे चलते हुए अभी दस मिनट ही हुई थी कि उसे लगा कोई उसके पीछे है.. वो बिल्कुल डर गई और अपनी चलने की रफ्तार तेज़ कर दी.. उसने अपने पल्लू से अपने शरीर को पूरी तरह से ढक रखा था.. तभी उसे अपने पीछे से कदमों की आवाज़ तेज़ होती महसूस हुई..

वो अभी अपनी रफ्तार और बढ़ाने वाली ही थी कि उसे सामने एक परछाई नज़र आई.. वो उसी की तरफ़ आ रही थी.. अब शीला की डर के मारे बुरी हालत थी.. तभी उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ.. उसे पता ही नहीं चला, कब वो पीछे वाला आदमी इतने करीब आ गया.. उसने झट से उसका हाथ झटक दिया और पगडंडी से उतर कर खेतों की तरफ़ भागी जहाँ उसे थोड़ी रोशनी नज़र आ रही थी.. उसका बैग और पर्स वहीं छूट गया.. वो दोनों परछांइयाँ अब उसका पीछा कर रही थी.. “पकड़ रंडी को! हाथ से निकल ना जाये! देख साली की गाँड देख.. कैसे हिल रही है और इतने बड़े बड़े बबले.. आज तो मज़ा आ जायेगा..!!!” शीला को कानों में यह आवाज़ें साफ़ सुनाई दे रही थीं और अचानक उसकी पीठ पर एक धक्का लगा और वो सीधे मुँह के बल, घास के ढेर पर गिर गई.. घास की वजह से उसे चोट नहीं आई..

“बचाओ, बचाओ, रसिक!” वो ज़ोर से चिल्लाई.. तभी एक आदमी ने उसके पल्लू को ज़ोर से खींच दिया और वो फर्रर्र की आवाज़ के साथ फट गया.. उसकी साड़ी तो पहले से ही आधी उतर चुकी थी और इस भाग-दौड़ की वजह से और भी खुल सी गई थी.. उस आदमी ने उसकी साड़ी भी पकड़ कर खींच के उतार दी.. शीला की पूरी जवानी जैसे कैद से बाहर निकल आई.. अब उसने सिर्फ़ पेटीकोट, ब्लाऊज़ और सैंडल पहन रखे थे..

फिर एक आदमी उसपर झपट पड़ा तो शीला ने उसे ज़ोर से धक्का दिया और एक लात जमायी.. वो अब भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिये कश्मकश कर रही थी.. तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा और उसकी आँखों के आगे जैसे तारे नाचने लगे और कानों में सीटियाँ बजने लगी.. वो ज़ोर से चींख पड़ी.. तभी उन दोनों में से एक ने उसके पेटीकोट को ऊपर उठाया और उसकी जाँघों को पकड़ लिया.. पैंटी तो शीला ने घर से निकलते हुए पहनी ही नहीं थी.. उसने अपनी दोनों जाँघों को मज़बूती से भींच लिया..

उस आदमी का हाथ, जाँघों के बीच उसकी नंगी चूत पर था, और शीला उस आदमी के बाल पकड़ कर उसे ज़ोर से पीछे धकेलने लगी.. तभी उसे एक और ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा.. ये उस दूसरे आदमी ने मारा था.. शीला के पैर खुल गये और उसके हाथों की पकड़ ढीली हो गई.. तभी वह पहला आदमी, खुश होते हुए बोला, “साली की चूत एक दम साफ़ है, और कितनी गदराई भी है.. आज तो मज़ा आ जायेगा! क्या माल हाथ लगा है!’ ये कहते हुए उस आदमी ने शीला के ब्लाऊज़ को पकड़ कर फाड़ दिया और शीला के मम्मे एक झटके में बाहर झूल गये.. ब्लाउज़ और ब्रा फटते ही शीला के गोल-गोल मम्मे नंगे हो गये और पेटीकोट उसकी कमर तक उठा हुआ था..

शीला ने फिर हिम्मत जुटाई और ज़ोर से उस आदमी को धक्का दिया.. तभी दूसरे आदमी ने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उन्हें उसके सिर के ऊपर तक उठा दिया और नीचे पहले आदमी ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना पायजामा भी.. उसने अंडरवेर नहीं पहनी थी और शीला की नज़र सीधे उसके लंड पर गई और उसने अपनी टाँगें फिर से जोड़ लीं.. वो सिर्फ अब ऊँची ऐड़ी के सुनहरी सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पर पीठ के बल लेटी हुई थी.. उसके हाथ उसके सर के ऊपर से एक ने पकड़ रखे थे और नीचे दूसरा शख्स उसकी चुदाई की तैयारी में था.. शीला इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी और वो अब भी चींख रही थी.. “और चींख रंडी! यहाँ कौन सुनने वाला है तेरी...? आराम से चुदाई करवा ले तो तुझे भी मज़ा आयेगा!” हाथ पकड़कर बैठे उस शख्स ने उसके हाथों को ज़ोर से दबाते हुए कहा.. शीला को उसका सिर्फ़ चेहरा नज़र आ रहा था क्योंकि वो उसके सिर के पीछे बिठा हुआ था.. “अरे सुन! वो लोडुचंद कहाँ मर गया?” “आता ही होगा!” अब शीला समझ गई कि इनका एक और साथी भी है..

तभी किसी ने उसकी चूचियों को ज़ोर से मसल दिया.. जिस तीसरे आदमी का उल्लेख हो रहा था, वो आ गया था.. “क्या माल मिला है... आज तो खूब चुदाई होगी!” तीसरे ने उसकी एक टाँग पकड़ी और ज़ोर से खींच कर दूसरी टाँग से अलग कर दी.. दूसरा आदमी तो जैसे मौके की ताक में था.. उसने झट से शीला की दूसरी टाँग को उठाया और सीधे शीला की चूत में लंड घुसेड़ दिया और शीला के ऊपर लेट गया..


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शीला की चूत बिल्कुल सूखी थी क्योंकि वो इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका बलात्कार हो रहा है, और वो भी तीन-तीन मर्द उसको एक साथ चोदने वाले हैं...!! वो भी ज़बरदस्ती..!! वैसे तो चुदाई के लिये वो खुद हमेशा तैयार रहती थी लेकिन ये हालात और इन लोगों की जबरदस्ती और रवैया उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. इन जानवरों को तो सिर्फ झड़ने से मतलब था और उसकी खुशी या खैरियत की ज़रा भी परवाह नहीं थी..!!

तभी उसके भोसड़े पर एक ज़ोरदार वार हुआ और उसकी चींख निकल गई.. उसकी सूखी हुई चूत में जैसे किसी ने मिर्च रगड़ दी हो.. वह दूसरा शख्स एक दम ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा था..

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शीला की एक टाँग तीसरे शख्स ने इतनी बाहर की तरफ खींच दी थी कि उसे लग रहा था कि वो टूट जायेगी.. उसके दोनों हाथ अब भी पहले आदमी ने कस कर पकड़ रखे थे और वो हिल भी नहीं पा रही थी.. अब वह दूसरा आदमी, जिसने शीला की चूत में अपना लंड घुसेड़ रखा था, वह उसे चोदे जा रहा था और उसके धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो गई थी.. हालात कितने भी नागवार थे लेकिन शीला थी तो असल में एक नम्बर की चुदासी.. इसलिये ना चाहते हुए भी शीला को भी अब धीरे-धीरे मज़ा आने लगा था और उसकी गाँड उठने लगी थी.. उसकी चूत भी अब पहले की तरह सूखी नहीं थी और भीगने लगी थी.. तभी दूसरे शख्स ने ज़ोर से तीन-चार ज़ोर के धक्के लगाये और अपना लंड बाहर खींच लिया.. अब तीसरे व्यक्ति ने शीला को उलटा लिटा दिया..

शीला समझ गई उसकी गाँड चोदी जाने वाली है.. तीसरे शख्स ने उसकी गाँड पर अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया.. शीला ने अपने घुटने अंदर की तरफ़ मोड़ लिये और अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी और एक ज़ोरदार लात पीछे खड़े उस आदमी के पेट पेर दे मारी.. वह शख्स इस आकस्मिक हमले से संभल नहीं पाया और गिरते-गिरते बचा.. शीला के ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल की चोट काफी दमदार थी और कुछ पलों के लिये तो उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया.. तभी वह दूसरा व्यक्ति, जो शीला की चूत चोद चुका था, उस ने परिस्थिति समझते हुए शीला की टाँग पकड़ कर बाहर खींच लिया.. तब तक वह तीसरा आदमी भी संभल चुका था.. उसने शीला की दूसरी टाँग खींच कर चौड़ी कर दी और एक झटके से अपना लंड उसकी गाँड के अंदर घुसा दिया..

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“साली रंडी! गाँड देख कर ही पता लगता है कि पहले कईं दफा गाँड मरवा चुकी है... फिर भी इतना नाटक कर रही है!” कहते हुए उस ने एक थप्पड़ शीला के कान के नीचे जमा दिया.. शीला चकरा गई.. उसका लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड में घुस गया था.. शीला फिर ज़ोर से चिल्लायी और मदद की गुहार लगाने लगी.. “अबे चोदू! क्या हाथ पकड़े खड़ा है... मुँह बंद कर कुत्तिया का!” हाथ पकड़े खड़े पहले आदमी ने जैसे इशारा समझ लिया.. उसने अपनी धोती हटाई और अपना लंड उलटी पड़ी हुई शीला के मुँह में जबरदस्ती घुसाने लगा.. शीला ने पूरी ताकत से अपना मुँह बंद कर लिया.. और लंड पर अपने दांत गाड़ने गई.. पर वो आदमी संभल गया और उसने शीला के दोनों गालों को अपनी उंगली और अंगूठे से दबा दिया.. दर्द की वजह से शीला का मुँह खुल गया और लंड उसके मुँह से होता हुआ उसके गले तक घुसता चला गया.. शीला की तो जैसे साँस बंद हो गई और उसकी आँखें बाहर आने लगीं.. उस आदमी ने अपना लंड एक झटके से उसके मुँह से बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया..

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और तभी, शीला को अपनी गांड के सुराख पर गरम सुपाड़े का स्पर्श हुआ.. हाथ पैर पकड़े हुए थे, हलक तक लंड घुसा हुआ था.. किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी शीला.. गनीमत थी की उस आदमी ने काफी मात्रा में लार लगा दी थी शीला के बादामी छेद पर.. दोनों चूतड़ों को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर लंड को अंदर घुसाया गया.. दर्द तो हो रहा था पर शीला चीखती भी तो कैसे.. !!

अब शीला भी संभल गई थी.. उसे उस गंवार आदमी के पेशाब का तीखापन और उसकी गंध साफ़ महसूस हो रही थी.. उसका लंड उसके मुँह की चुदाई कर रहा था और उसके गले तक जा रहा था और पीछे वह तीसरा शख्स उसकी गाँड में लंड के हथौड़े चला रहा था.. काफी देर तक उसकी गाँड मारने के बाद उस बंदे ने उसकी गाँड से लंड निकाला और कमर पकड़ कर उसकी गाँड ऊँची उठा दी.. फिर पीछे से ही लंड उसकी चूत में घुसा दिया.. कुछ दस मिनट की चुदाई के बाद उस आदमी ने अपने लंड का पानी शीला की चूत में छोड़ दिया और आगे खड़े उस शख्स को, जो शीला के मुंह में लंड घुसेड़कर खड़ा था, उसको इशारा किया.. इशारा मिलते ही उस आदमी ने अपना लंड शीला के मुँह से निकाल कर उसका हाथ छोड़ दिया.. शीला एक दम निढाल होकर घास के ढेर पर औंधे मुँह गिर गई.. उसकी हालत खराब हो चुकी थी और उसकी गाँड और चूत और मुँह में भी भयंकर दर्द हो रहा था.. तभी पहले व्यक्ति ने उसे सीधा कर दिया.. “मुझे छोड़ दो, प्लीज़, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... बहुत दर्द हो रहा है...!” अब शीला में चिल्लाने की चींखने की या प्रतिरोध करने की ताकत बची नहीं थी..

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“बस साली कुत्तिया! मेरा लंड भी खा ले, फिर छोड़ देंगे!” कहते हुए पहले व्यक्ति ने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.. दर्द के मारे.. शीला की आँखें फैल गईं, मगर मुँह से आवाज़ नहीं निकली.. ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगने शुरू हो गए थे.. शीला की चूत जैसे फैलती जा रही थी और आदमी का लंड उसे किसी खंबे की तरह महसूस हो रहा था.. रसिक के मुकाबले यह लंड उतना लंबा तो नहीं था.. पर तंदूरस्त और मोटा जरूर था..

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फिर उस आदमी ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.. शीला एक मुर्दे की तरह उसके नीचे लेटी हुई पिस रही थी और उस आदमी का पानी गिर जाने का इंतज़ार कर रही थी.. उसका अंग-अंग दुख रहा था और वो बिल्कुल बेबस लेटी हुई थी.. वो आदमी उसे लंड खिलाये जा रहा था.. फिर शीला को महसूस हुआ कि इतने दर्द के बावजूद उसकी चूत में से पानी बह रहा था और मज़ा भी आने लगा था.. तभी उस शख्स ने ज़ोरदार झटके मारने शुरू कर दिये और शीला की आँखों में आँसू आ गये और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी चुदी चुदाई चूत जो कि कई लंड खा चुकी थी, जैसे फट गई थी.. फिर भी इतना दर्द झेलते हुए भी उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और झड़ गई.. लंड का पानी भी उसके चूत के पानी में मिला गया.. इतनी दर्द भरी चुदाई के बाद किसी तरह से शीला अभी भी होश में थी..


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वो बुरी तरह हाँफ रही थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी बेरहम और दर्दनाक चुदाई के बावजूद कहीं ना कहीं उसे मज़ा भी ज़रूर आया था.. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी फटी हुई चूत ने भी कैसे झड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया था जिसमें कि इस वक्त भी बे-इंतेहा दर्द हो रहा था.. थोड़ी देर के बाद किसी तरह वो बैठ सकी थी.. “मैं घर कैसे जाऊँगी? मेरा सामान तो ढूँढने में मेरी मदद करो!”

“तेरा सामान यहीं है… और हाँ मैंने फोन भी बंद कर दिया था!” कहते हुए तीसरे शख्स ने घास के ढेर के पास रखे हुए सामान की तरफ़ इशारा किया.. यही वजह थी की वो देर से आया था..

शीला को उसके हाल पर छोड़कर तीनों वहाँ से भाग गए..!!

अपना सामान उठाकर शीला जैसे तैसे उठी..उसके पहने हुए कपड़े फट चुके थे.. नीरव अंधकार में उसने अपने बेग से दूसरे कपड़े की जोड़ी निकाली और पहन लिए..

वह लड़खड़ाती चाल से चलते हुए मुख्य सड़क तक आई.. काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद एक ऑटो मिली.. बैठकर शीला घर की और निकल गई.. घर पहुंचते ही शीला ने बेग और पर्स को एक तरफ फेंका और धम्म से बेड पर गिरी.. बाकी की पूरी रात शीला को बस उन तीन शख्सों द्वारा की गई चुदाई के ही ख्वाब आते रहे और उसकी चूत पानी गिराती रही.. जागते हुए भी अक्सर उसी वाकये का ख्याल आ जाता और उसके होंठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट फैल जाती और गाल लाल हो जाते..
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इस बात को एक हफ्ता बीत चुका था.. शीला अब अपना जीवन पूर्ववत जीने लगी थी.. मदन के लौटने में अब भी वक्त था.. अब वो फिर से अकेलापन महसूस करने लगी थी..

अचानक शीला के दिमाग में कुछ आया और उसने राजेश को फोन किया

राजेश: "बड़े दिनों बाद याद किया भाभी"

शीला: "अब तुम्हें मेरे लिए फुरसत ही कहाँ है..!!"

राजेश: "ऐसा नहीं है भाभी.. मैं तो आपको रोज याद करता हूँ.. पर आप के घर आना तो मुमकिन नहीं है, आपके दामाद की वजह से"

शीला: "हम्म.. कहाँ हो अभी?"

राजेश: "ऑफिस मे"

शीला: "कहीं मिलने का जुगाड़ करो यार.. बहोत दिन हो गए.. मदन जब से गया है तब से नीचे सब बंजर ही पड़ा हुआ है"

राजेश: "आप जब कहो तब.. मैं आपके नीचे हरियाली कर देने के लिए तैयार हूँ भाभी"

शीला: "आज शाम को कहीं मिलते है.. पर कहाँ मिलेंगे?"

राजेश: "मैं होटल में रूम बुक कर देता हूँ.. मेरे एक पहचान वाले का होटल है.. एकदम सैफ है.. कोई खतरा नहीं होगा"

शीला: "देखना कहीं उस रात जैसा कोई सीन न हो जाए.. पुलिस की रैड पड़ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे"

राजेश: "कुछ नहीं होगा.. मेरी गारंटी है"

शीला: "ठीक है, मुझे अड्रेस भेजो, शाम के चार बजे मिलते है"

राजेश: "ठीक है भाभी"

शीला ने फोन रख दिया.. और सोफ़े पर ही लेट गई.. राजेश से मिलने जाने के लिए कोई बहाना बनाना पड़ेगा ताकि वो वैशाली को बता पाएं और पिंटू को भी शक न हो

उसने वैशाली को फोन किया.. और बहाना बनाया की उसकी पुरानी सहेली चेतना की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वो उससे मिलने जाने वाली है..

साढ़े तीन बजे तैयार होकर शीला घर से बाहर निकली.. उसने एक नजर पड़ोस में वैशाली के घर की तरफ डाली.. दोपहर का समय था इसलिए कोई भी बाहर नहीं था.. इत्मीनान से शीला बाहर निकली और सड़क पर आकर ऑटो ले ली.. राजेश के दिए हुए पते पर थोड़ी ही देर में पहुँच गई

कमरे का नंबर पहले से ही मालूम था इसलिए बड़े ही आत्मविश्वास के साथ शीला रीसेप्शन से चलते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.. वहाँ खड़ा मेनेजर इस गदराई महिला को आँखें भरकर देख रहा था

रूम नं १०४ में पहुंचकर शीला ने दस्तक दी.. राजेश ने तुरंत दरवाजा खोला.. वो तौलिया लपेटे खड़ा हुआ था.. शीला उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और अंदर चली आई.. राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया

अंदर पहुंचते ही शीला ने अपनी बाहें खोली और राजेश को खींचकर अपने आगोश में ले लिया.. शीला के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मदमस्त बबलों को दबाकर राजेश ने उसका इस्तकबाल किया..

राजेश को छोड़कर शीला बेड पर पसर गई.. राजेश भी उसकी बगल में लेट गया..

शीला: "तुम्हें तो मेरी याद ही नहीं आती राजेश.. इतना कहाँ बीजी रहते हो??"

शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर, उसकी ब्रा के ऊपर से ही उन बड़े बड़े स्तनों को हाथ से महसूस करते हुए राजेश ने कहा "अरे क्या कहूँ भाभी..!! ऑफिस में इतना काम रहता है..!! ऊपर से पीयूष अपनी ऑफिस की जिम्मेदारी सौंप कर गया है.. जब तक वो वापिस नहीं आता, तब तक उसकी ऑफिस का ध्यान रखने के लिए भी चक्कर लगाने पड़ते है"

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शीला ने राजेश की आँखों में आँखें डालकर, तीखी नज़रों से देखते हुए कहा "अच्छा..!! पीयूष की ऑफिस भी अब तुम्हीं संभालते हो..!!"

राजेश शीला की तेज नज़रों को झेल न पाया.. अमूमन जब आपको शक हो की सामने वाला झूठ बोल रहा है तब वह अपनी नजरें चुराता है..

शीला: "ओहो.. तब तो बहोत बीजी रहते होंगे तुम..!! यहाँ का काम संभालना, पीयूष की ऑफिस को संभालना.. और फिर फाल्गुनी को भी संभालना..!!!"

राजेश चोंक पड़ा.. फाल्गुनी का जिक्र होते ही वह अचंभित हो गया.. शीला को इस बारे में कैसे पता लगा होगा..!!! वैसे फाल्गुनी ने उसे यह बताया तो था की शायद शीला को शक हो गया है.. पर वह इस तरह हमला करेगी उसका राजेश को जरा सा भी अंदाजा नहीं था..!! वह फटी आँखों से शीला की तरफ देखने लगा.. शैतानी मुस्कान के साथ शीला उसकी तरफ देख रही थी

शीला: "क्या हुआ.. कुछ बोल क्यों नहीं रहे..!! बोलती बंद हो गई क्या..!!! तुम्हें क्या लगा.. की मुझे पता नहीं लगेगा?"

राजेश ने आँखें झुकाते हुए कहा "अब तुम्हें पता लग ही गया है तो मैं और क्या बोलूँ..!!"

शीला: "मतलब तुम्हें यहाँ से उस शहर जाकर फाल्गुनी के संग गुलछर्रे उड़ाने के लिए वक्त है.. और मेरे पास आने का टाइम नहीं है?? पीयूष अमरीका गया है तो उसकी ऑफिस संभालने जाते हो..!! और मदन अमरीका गया है तो उसकी बीवी की जरूरतों को कौन संभालेगा?"

कहते हुए नाराज होने की ऐक्टिंग करते शीला करवट लेकर पलट गई.. अब शीला की पीठ और कमर राजेश के सामने थी

राजेश ने उसका कंधा पकड़कर, गर्दन को हल्के से चूमते हुए कहा "अरे नाराज क्यों होती हो भाभी..!! आपके पास आने का दिल तो बड़ा करता है.. पर वैशाली के रहते कैसे आता?? आप तो जानती हो उस वाकये के बाद मुझे बहुत संभलना पड़ता है"

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शीला ने बिना राजेश के सामने देखें कहा "आज मिल ही रहे है ना..!! अगर मिलने का मन हो तो कुछ न कुछ सेटिंग हो ही सकता है, जैसा आज किया है.. असलियत में तुम्हें उस फाल्गुनी की जवान चूत मिल गई इसलिए भाभी की याद नहीं आती"

राजेश ने जवाब नहीं दिया.. वह जानता था की रंगेहाथों पकड़े जाने पर, शीला किसी भी तरह की सफाई नहीं सुननेवाली.. उसे मनाने के एक ही तरीका था.. उसकी भूख को शांत करना..!!

राजेश अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उसके एक स्तन को मजबूती से मसल दिया.. सिहर उठी शीला..!!! उसकी आँखें बंद हो गई.. राजेश अब ब्लाउज के एक के बाद एक हुक खोलता गया और फिर शीला की ब्रा ऊपर कर उसने दोनों स्तनों को बाहर निकाल दिया.. शीला अब भी राजेश की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी.. और राजेश पीछे से अपना लंड शीला के चूतड़ों पर रगड़ते हुए उसके मदमस्त बबलों को मसल रहा था..

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शीला की निप्पलें तनकर खड़ी हो गई.. उंगलियों के बीच उन निप्पलों को भींचते हुए राजेश ने शीला की आह्ह निकाल दी.. अब शीला की कमर पर बंधी साड़ी के अंदर हाथ डालकर पेन्टी के ऊपर से ही राजेश ने उसकी चुत को मुठ्ठी में भरकर दबा दिया.. शीला की पेन्टी अब तक निचोड़ने लायक गीली हो चुकी थी.. लेटे लेटे ही शीला ने अपनी साड़ी कमर तक ऊपर कर ली.. और राजेश ने पीछे से उसकी पेन्टी सरकाकर घुटनों तक नीचे ला दी

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राजेश की जांघें शीला के कुल्हों से चिपक गई.. उसका तना हुआ लंड शीला के कुल्हों की गहराई में छिप सा रहा था.. राजेश भी जान बुझ कर उस से लिपट सा रहा था ताकि शीला उसकी उत्तेजना को महसुस कर सकें.. कुछ देर बाद राजेश का एक हाथ उसकी बाँहों के ऊपर से हो कर उसकी छातियों तक पहुँच गया.. वो कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा कि वह शायद कोई हरकत करेगी लेकिन उसने कोई हरकत नहीं की..

राजेश की हिम्मत बढ़ गयी.. वह अपना तना लंड शीला के नंगें कुल्हों के बीच दबा पा रहा था.. राजेश ने अपना ट्राउज़र उतार कर नीचे कर दिया और अपने लंड को ब्रीफ से बाहर निकाल लिया..

राजेश ने धीरे से उसकी जाँघ को अपने हाथ से सहलाना शुरु कर दिया.. जहाँ तक राजेश का हाथ जा रहा था, वो उसकी भरी हुई जाँघ को हल्के हाथ से सहलाने लगा.. उसके ऐसा करने से उसके बदन में भी सिहरन सी होने लगी थी.. लेकिन वह अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखा रही थी और एकदम निश्चल सी लेटी हुई थी..

राजेश का हाथ उसके मांसल कुल्हें को सहला कर उसकी कमर पर आ गया और फिर उसकी गूँदाज कमर को सहलाने में लग गया.. वो चाह रहा था कि शीला के शरीर में भी सेक्स की जबरदस्त इच्छा जाग जाये..

राजेश का प्रयास सफल सा हो रहा था.. उसके शरीर के रोयें उत्तेजना के कारण खड़े से हो गये थे, यह वो महसुस कर पा रहा था.. उसके शरीर में भी उत्तेजना के कारण रक्त प्रवाह तेज हो गया था.. कान गरम से हो गये थे.. इसी बीच राजेश ने हाथ से उसकी चुत को भी सहला दिया.. उसने इस हरकत का विरोध नही किया..

कुछ देर तक राजेश अपने लंड को उसके कुल्हों के बीच दबाता रहा, फिर उसने अपने लंड को उसकी चुत में डालने की कोशिश की.. पहली बार में ही राजेश का लंड उसकी चुत में प्रवेश कर गया.. चुत में भरपुर नमी थी इस लिये लंड को गहराई में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई.. राजेश ने अपने कुल्हें शीला के कुल्हों के नीचे ले जा कर पुरे लंड को उसकी चुत में जाने दिया.. उसका लंड पुरा शीला की चुत में समा गया..

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उसने अपने कुल्हों को हिला कर मेरे लंड के लिये स्थान बना दिया.. शीला भी अब संभोग के लिये तैयार थी.. राजेश के हाथों ने उसके उरोजों को अपने में समाने की कोशिश करनी शुरु कर दी..

राजेश ने उसके पाँच पाँच किलो के उरोजों के तने निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच दबाना शुरु कर दिया था.. नीचे से शीला के कुल्हें राजेश के लंड को अंदर बाहर करने लग गये.. कुछ देर बाद शीला के कुल्हें भी लंड को अंदर समाने में लग गये..

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अब वह दोनों जोर-जोर से प्रहार कर रहे थे.. शीला के कुल्हों पर राजेश के लंड का प्रहार पुरे जोर से हो रहा था.. लेकिन इस संकरी जगह में संभोग सही तरह से नहीं हो पा रहा था.. इसलिए राजेश ने अपना लंड उसकी चुत में से बाहर निकाल लिया और उसके ऊपर लेट गया..

राजेश का लंड फिर से उसकी चुत में प्रवेश कर गया और दोनों जोर-शोर से पुरातन खेल में लग गये.. शीला के मटके जैसे बड़े बड़े स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए राजेश धनाधन धक्के लगा रहा था.. शीला का भोसड़ा अपना गरम चिपचिपा शहद काफी मात्रा में गिरा रहा था.. जो उसकी चुत से होते हुए उसके गांड के छिद्र से जाकर नीचे बेड की चादर को गीला कर रहा था..


शीला के गरम भोसड़े में राजेश का लंड ऐसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे इंजन में पिस्टन..!! करीब १० मिनट की धुआँधार चुदाई के बाद शीला ने राजेश को रोक लिया.. और उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाल लिया.. अब शीला बेड पर ही पलट गई और डॉगी स्टाइल में अपने चूतड़ धरकर राजेश के सामने चौड़ा गई

राजेश ने अपना लंड पकड़ा और शीला के भोसड़े के होंठों को फैलाकर उसके छेद पर टीका दिया.. एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर समा गया.. दोनों हाथों से शीला के कूल्हें पकड़कर राजेश ने अंधाधुन चुदाई शुरू कर दी.. इस पोजीशन में उसे और मज़ा आ रहा था और शीला भी मस्ती से सिहर रही थी क्योंकि राजेश का लंड और गहराई तक जाते हुए उसकी बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा था

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उसी अवस्था में कुछ और देर चुदाई चलने के बाद, शीला अपना हाथ नीचे ले गई.. और राजेश का लंड अपनी चुत से निकालकर गांड के छेद पर रखने लगी.. शीला की मंशा राजेश समझ गया.. उसने अपने मुंह से लार निकाली और सुपाड़े पर मलते हुए उसे पूर्णतः लसलसित कर दिया.. शीला की गांड पर सुपाड़ा टीकाकर उसने एक मजबूत धक्का लगाया.. सुपाड़े के साथ साथ आधा लंड भी अंदर चला गया और शीला कराहने लगी

राजेश: "दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ??"

शीला ने कुछ नहीं कहा.. वो थोड़ी देर तक उसी अवस्था में रही ताकि उसकी गांड का छेद थोड़ा विस्तरित होकर लंड के परिघ से अनुकूलित हो जाए.. कुछ देर के बाद जब दर्द कम हुआ तब अपने चूतड़ों को हिलाते हुए उसने राजेश को धक्के लगाने का इशारा दिया..

राजेश ने अब धीरे धीरे अपनी कमर को ठेलते हुए धक्के लगाने शुरू किए.. शीला के भोसड़े के मुकाबले गांड का छेद कसा हुआ होने की वजह से उसे अत्याधिक आनंद आ रहा था.. अपनी गांड की मांसपेशियों से शीला ने राजेश का लंड ऐसे दबोच रखा था जैसे कोल्हू में गन्ना फंसा हुआ हो..

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उस टाइट छेद के सामने राजेश का लंड और टीक नहीं पाया.. उसकी सांसें तेज होने लगी.. शीला की गांड में अंदर बाहर करते हुए वो झुककर शीला के झूल रहे बबलों को दबोचकर शॉट लगाता रहा.. कुछ ही देर में वह अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया और अपना गाढ़ा वीर्य शीला की गांड में छोड़ने लगा.. करीब तीन चार बड़ी पिचकारियों से शीला की गांड का अभिषेक करने के बाद.. वह हांफता हुआ शीला के बगल में लेट गया.. शीला भी तृप्त होकर पेट के बल बिस्तर पर पस्त होकर गिरी

काफी देर तक दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे.. और अपने साँसों के नियंत्रित होने का इंतज़ार करते रहे.. राजेश का अर्ध-मुरझाया लंड अभी भी शीला की गांड के दरारों के बीच था

शीला ने अब करवट ली और राजेश की तरफ मुड़ी.. उसके भारी भरकम स्तन धम्म से बिस्तर पर राजेश के सामने बिखर गए..

राजेश अपनी उंगलियों से शीला के मस्त लंबे चूचकों से खेलने लगा.. शीला ने अपनी मांसल जांघ को राजेश की टांगों पर रख दिया ताकि वह अपनी इच्छा अनुसार, भोसड़े को राजेश के घुटनों पर रगड़ सकें

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शीला: "तो बताओ छुपे रुस्तम..!! फाल्गुनी का शिकार कैसे किया?"

राजेश मुस्कुराया.. कुछ देर तक चुप रहा और बोला "यार भाभी आपका नेटवर्क गजब का है.. हमने इतनी एहतियात बरती फिर भी पता नहीं कैसे आपको पता लग गया..!! वैसे बताइए तो सही, आपको पता कैसे लगा इस बारे में? हम दोनों के संबंधों के बारे में अब तक हमने किसी को नहीं बताया.. फिर यह बात बाहर आई कैसे?"

राजेश के पिचके हुए लंड को अपनी हथेली में लेकर पुचकारते हुए शीला ने कहा "मुझे कभी भी कम आँकने की कोशिश मत करना राजेश.. मुझे सीक्रेट बातों की गंध लग जाती है.. बड़ी तेज नाक है मेरी..!! कोई चाहे जितना छुपा लें.. अगर मैंने तय कर लिया और मुझे शक हो गया तो मैं किसी न किसी तरह बात की जड़ तक पहुँच ही जाती हूँ.. तुमने जवाब नहीं दिया.. फाल्गुनी की मासूम मुनिया को चौड़ी करने का सेटिंग, आखिर किया कैसे?"

राजेश हँसते हुए बोला "बड़ी लंबी कहानी है भाभी"

शीला: "तो बताओ.. मुझे कोई जल्दी नहीं है.. आराम से बताओ"

राजेश ने एक लंबी सांस लेकर कहा "दरअसल बात शुरू हुई सुबोधकांत के एक्सीडेंट के बाद.. जब मैं और मदन उस जगह पहुंचे तब पुलिस ने बॉडी को हॉस्पिटल भेज दिया था.. तब मेरी नजर सुबोधकांत की गाड़ी के अंदर पड़े कीमती सामान पर पड़ी.. कुछ कॅश था.. कुछ डॉक्युमेंट्स.. उनका मोबाइल फोन.. और भी कई चीजें थी.. तो सोचा सब इकठ्ठा कर लूँ.. उस वक्त पुलिसवाले ट्राफिक को हटाने में लगे हुए थे तो उनका ध्यान नहीं था.. मदन भी दूर खड़ा था.. मैंने सारे चीजें जमा कर ली और फिर हम हॉस्पिटल के लिए निकल गए.. पोस्ट-मॉर्टम के रूम के बाहर हम बैठे थे लाश मिलने के इंतज़ार में.. मदन चाय लेने केंटीन गया उस दौरान जिज्ञासावश मैंने सुबोधकांत का मोबाइल ऑन किया.. कोई पासवर्ड नहीं था.. मैंने अनायास ही व्हाट्सप्प खोला और मेरी आँखें फट गई..!!! फाल्गुनी और सुबोधकांत के चेट मेसेज पढ़कर पैरों तले से धरती खिसक गई..!! एकदम हॉट और सेक्सी मेसेज थे.. सुबोधकांत ने अपना लंड हिलाते हुए कई विडिओ फाल्गुनी को भेजे थे.. फाल्गुनी भी अपने कई नंगे फ़ोटो भेजे थे.. फिर मैंने फ़ोटो गॅलरी खोली.. उसमे सुबोधकांत और फाल्गुनी के बीच की चुदाई के अनगिनत विडिओ थे.. मैंने वह सारा माल अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लिया और सुबोधकांत के मोबाइल से डिलीट भी कर दिया.. बेकार में कोई देख लेता और उस मरे हुए इंसान की बदनामी होती"

शीला बड़े ही ध्यान से सुन रही थी.. राजेश का हाथ पकड़कर उसने अपना एक चुचा थमा दिया और उसे आगे बोलने के लिए इशारा किया

राजेश: "फिर, बड़े ही लंबे अरसे तक मैंने कुछ नहीं किया.. कई बार मैंने वो विडिओ देखें.. देखकर पता चला की चुदाई के मामले मे फाल्गुनी कितनी गरम है..!! सुबोधकांत भी कुछ कम नहीं थे.. उचक उचककर फाल्गुनी को चोदते थे.. और वो भी अपनी ऑफिस की केबिन में.. कुछ विडिओ किसी होटल के भी थे..!!"

शीला के मुंह तक बात आ गई.. सुबोधकांत कितना कामी था वो उससे बेहतर कौन जानता था..!!! उनके घर के गराज में घोड़ी बनाकर चोदा था उन्हों ने शीला को.. बाद में यह भी पता चला की उस रात सेक्स पार्टी में वह भी शामिल था..!! कोकटेल बन कर..!!

वैशाली के भी सुबोधकांत के साथ शारीरिक संबंध थे, इस बात का जिक्र राजेश ने नहीं किया.. इतना अच्छा मूड था अभी शीला की.. बेकार में वो डिस्टर्ब हो जाती..!!

शीला: "फिर आगे क्या हुआ?"

शीला के दोनों बबलों को बारी बारी मसलते हुए राजेश ने कहा "फिर एक तरफ रेणुका प्रेग्नन्ट हो गई.. दूसरी तरफ वैशाली वाली घटना के बाद मेरा आपके घर आना बंद हो गया..!! मैं तब अक्सर मुठ लगाकर ही काम चलाता था पर भूख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. हिम्मत करके मैंने फाल्गुनी को फोन लगाया.. सोचा एक बार पानी में हाथ डालकर देख तो लूँ..!!! बात बात में मैंने सुबोधकांत के फोन में मिली स्फोटक सामग्री के बारे में जिक्र किया.. वो बेचारी क्या बोलती..!! पर तब मैंने बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया.. मैं देखना चाहता था की फाल्गुनी की मर्जी है भी या नहीं.. मैं उसे ब्लेकमेल करना नहीं चाहता था.. धीरे धीरे बात आगे बढ़ी.. मेसेज का लेन-देन चलता रहा.. और आखिर हम मिले..!!"

शीला: "तो कहाँ मिलते हो तुम दोनों? होटल मे?? याद है ना.. इसी शहर की होटल में वो कांड हुआ था..!!"

राजेश: "मैं पागल तो हूँ नहीं.. जो अब दोबारा यहाँ उसे होटल मे लेकर जाऊंगा.. सुबोधकांत का एक फार्महाउस है.. जिसके बारे में शायद फाल्गुनी के अलावा कोई नहीं जानता.. फाल्गुनी और सुबोधकांत वही पर गुलछर्रे उड़ाने मिलते थे.. हम वहीं मिलते है..एकदम सैफ जगह है.. और हम आराम से वहाँ वक्त बिताते है"

शीला: "हम्म.. बड़ी जबरदस्त सेटिंग की है तुमने और फाल्गुनी ने.. वैसे फाल्गुनी चुदाई के मामले में कैसी है?"

राजेश: "क्या बताऊँ शीला भाभी..!!! एकदम टाइट और गरम माल है.. इतनी छोटी सी उम्र में सेक्स के सारे दांव-पेच खेलना जान गई है.. उसे मजे लेना भी आता है और देना भी..!! इतना टाइट छेद है उसका.. और मस्त बूब्स है..फिगर भी जबरदस्त है.. और मुंह में लेकर क्या चूसती है.. आहाहाहा.. मज़ा ही आ जाता है"

सुनकर शीला को हल्की सी जलन महसूस हुई..

शीला: "हम्म.. तभी कहूँ.. तुम कभी नजर ही नहीं आते थे.. पहले मैंने सोचा की वैशाली के कारण तुम घर नहीं आते होंगे.. पर तुमने तो फोन करना भी बंद कर दिया तब मुझे थोड़ी भनक तो लग ही चुकी थी की तुम्हें छेदने के लिए कोई सुराख मिल ही गया होगा.. अब जाकर सब पता चला..!!"

राजेश: "क्या करता भाभी..!! एक तरफ मैं तड़प रहा था बिना चुदाई के.. और दूसरी तरफ इतनी जबरदस्त लड़की मेरी गोद में आ गिरी.. फिर मैं कहाँ छोड़ने वाला था उसे..!!"

शीला: "तुम जिसे मर्जी चोदते रहो.. बस मेरी आग बुझाने आ जाया करो यार"

राजेश: "आना तो मैं चाहता हूँ.. पर वैशाली और पिंटू के रहते कैसे आऊँ?"

शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "उसका बंदोबस्त कर दिया है मैंने.. कुछ ही समय में वो प्रॉब्लेम भी सॉल्व हो जाएगा"

सुनकर राजेश को थोड़ा आश्चर्य हुआ.. वह बोला "वो कैसे??"

शीला ने बात को टालते हुए कहा "टाइम आने पर बताऊँगी.. पर राजेश मैं चाहती हूँ की एक बार तुम भी मुझे अपने और फाल्गुनी के खेल में शामिल करो"

राजेश: "देखो भाभी.. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है.. मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू होंगे.. पर फाल्गुनी भी माननी चाहिए ना..!!"

शीला: "तुम कुछ भी करो पर उसे मनाओ..यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई हो और तुम वहाँ उसकी फुद्दी गीली करते रहो.. ऐसा नहीं चलेगा"

राजेश: "करता हुआ भाभी.. कुछ सेटिंग करता हूँ.. बस थोड़ा वक्त दीजिए"

शीला: "ठीक है.. पर जो भी करना जल्दी करना.. मदन यहाँ है नहीं.. तुम ज्यादातर यहीं पड़े रहते हो.. रसिक का कुछ ठिकाना नहीं है.. पता है.. रात रात भर मैं तड़पती रहती हूँ"

राजेश: "अरे भाभी.. आपके लिए लंडों की कहाँ कोई कमी रही है कभी?"

शीला: "पहले की बात और थी राजेश.. अब वैशाली और पिंटू के रहते मुझे बहोत ध्यान रखना पड़ता है.. आसान नहीं रहा अब"

राजेश: "पर आप तो कह रही हो की आपने वैशाली-पिंटू का हल निकाल लिया है..!!"

शीला: "निकाल तो लिया है.. पर उसे अमल मे लाने मे थोड़ा सा टाइम लगेगा.. पर तब तक नीचे लगी आग का क्या करूँ?? या तो हम इसी तरह होटल में मिलते रहे.. या फिर तुम मुझे अपने साथ फाल्गुनी से मिलने ले चलो"

राजेश: "करेंगे भाभी, सब कुछ करेंगे.. थोड़ा इत्मीनान रखिए"

शीला चुप हो गई.. उसकी हथेली अब थोड़ा तेजी से राजेश के लंड को हिलाने लगी थी.. लंड में अब नए सिरे से रक्त-संचार होते ही वह उठकर खड़ा होने लगा.. शीला तुरंत नीचे की तरफ गई और राजेश के सुपाड़े को चाटने लगी.. उसकी गरम जीभ लगते ही राजेश का सुपाड़ा एकदम टाइट गुलाबी हो गया.. बिना वक्त गँवाएं शीला ने उसका पूरा लंड अपने मुंह मे लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया.. चूसने पर उसे अपनी चूत के रस और वीर्य का मिश्र स्वाद आ रहा था इसलिए उसे बड़ा मज़ा आने लगा.. वह चटकारे लगा लगाकर चूसने लगी

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शीला ने अब राजेश का लंड मुंह से निकाला और अपने पैर फैलाकर राजेश के मुंह के करीब अपनी चूत ले गई और मुड़कर उसने राजेश के लंड को फिर अपने मुंह मे ले लिया.. वह दोनों 69 की पोजीशन मे आ चुके थे जहां राजेश नीचे था और शीला ऊपर

राजेश ने देखा कि उसकी चूत लंड खाने के लिए खुल-बँद हो रही है और अपनी लार बहा रही है और बाहर और अंदर से रस से भीगी हुई है.. राजेश ने जैसे ही अपनी जीभ शीला की चूत में घुसेड़ी, वो चिल्लाने लगी, “हाय, चूसो... चूसो, और जोर से चूसो मेरी चूत को.. और अंदर तक अपनी जीभ घुसेड़ो,,, हाय मेरी चूत की घुँडी को भी चाटो... बहुत मज़ा आ रहा है.. हाय मेरा छूट जाएगा..”

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इतना कहते ही शीला की चूत ने गरम-गरम मीठा रस राजेश के मुँह में छोड़ दिया जिसको कि वो अपनी जीभ से चाट कर पूरा का पूरा पी गया.. उधर शीला अपने मुँह में राजेश का लंड लेकर उसको खूब जोर-जोर से चूस रही थीं और राजेश भी शीला के मुँह में झड़ गया.. राजेश के लंड की झड़न सब की सब शीला के मुँह के अंदर गिरी और उसको वोह पुरा का पुरा पी गयीं.. अब शीला का चेहरा काम-ज्वाला से चमक रहा था और वो मुस्कुरते हुए बोलीं, “चूत चुसाई में बेहद मज़ा आया, अब चूत चुदाई का मज़ा लेना चाहती हूँ.. अब तुम जल्दी से अपना लंड चुदाई के लिये तैयार करो और मेरी चूत में पेलो... अब मुझसे रहा नहीं जाता..”

राजेश ने शीला को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को ऊपर उठा कर घुटने से मोड़ दिया.. राजेश ने बेड पर से दोनों तकियों को उठा कर उसके चूत्तड़ के नीचे रख दिया और ऐसा करने से उसकी चूत और ऊपर हो गयी और उसका मुँह बिल्कुल खुल गया.. फिर राजेश ने अपने लंड का सुपाड़ा खोल कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे उसे चूत से रगड़ने लगा.. शीला मारे चुदास के अपनी कमर नीचे-ऊपर कर रही थीं और फिर थोड़ी देर के बाद बोलीं, “साले भोंसड़ी के गाँडू, अब जल्दी से अपना लंड चूत में घुसा नहीं तो हट जा मेरे ऊपर से.. मैं खुद ही यह हेरब्रश चूत में डाल के अपनी चूत की गरमी निकालती हूँ..”

तब राजेश ने उसकी चूंचियों को पकड़ कर निप्पल को मसलते हुए उसके होठों को चूमा और बोला, “अरे मेरी शीला रानी, इतनी भी जल्दी क्या है? ज़रा मैं पहले इस सुंदर बदन और इन बड़ी बड़ी चूचियों का आनंद उठा लूँ, उसके बाद फिर जी भर कर चोदूँगा.. फिर इतना चोदूँगा कि यह सुंदर सी चूत लाल पड़ जायेगी और सूज कर पकौड़ी हो जायेगी..”

शीला बोलीं, “साले चोदू, मेरी जवानी का तू बाद में मज़ा लेना.. अभी तो बस मुझे चोद.. मैं मरी जा रही हूँ, मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं और वोह तेरे लौड़े के धक्के से ही जायेंगी.. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे, प्लीज़..”

शीला की यह सब सैक्सी बातें सुन कर राजेश समझ गया कि अब शीला का भोसड़ा फिर से छेदने का वक्त आ चुका है.. राजेश ने अपना सुपाड़ा उसकी पहले से भीगी चूत के मुँह के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपाड़े को अंदर कर दिया.. शीला ने राजेश के फूले हुए सुपाड़े के अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटके से ऊपर को उछाला और राजेश का छह इंच का लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया..

तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोलीं, “आहह! क्या सुकून मिला तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डलवाकर.."

अब राजेश अपना लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा.. मस्त हो कर वो शीला की चूत चोदने लगा.. शीला भी इस भरसक चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ा रही थी, “हाय! राजेश... और पेल... और पेल अपनी भाभी की चूत में अपना मोटा लंड... तेरी भाभी की चूत तेरा लंड खाकर निहाल हो रही है.. हाय! लम्बे और मोटे लंड की चुदाई कुछ और ही होती है.. बस मज़ा आ गया.. हाँ... हाँ, तू ऐसे ही अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरी चूत में अपना लंड आने दे.. मेरी चूत की फिक्र मत कर.. फट जने दे उसको आज..”

mpp
धनाधन शॉट मारते ही राजेश के लंड का रिसाव हो गया.. शीला भी थरथराते हुए झड़ गई
Uffffffff Sheela me kya stamina hai chudne ka?
 
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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की राजेश और फाल्गुनी, स्व.सुबोधकांत के फार्महाउस पर मिलते है.. दोनों के संबंध अब काफी करीबी हो चुके है.. फाल्गुनी राजेश को शीला के बारे में बताती है की कैसे उसे लग रहा था जैसे शीला को उनके बारे में कुछ पता चल गया है..

दूसरी तरफ, रसिक के खेत से संतृप्त होकर लौटने के बाद, कविता शीला के प्रति आभार व्यक्त करती है.. तभी वैशाली के फोन से यह जानकारी मिलती है की पिंटू पर हमला करने वालों की शिनाख्त हो चुकी है.. वह संजय और हाफ़िज़ थे.. वैशाली का पूर्व पति और उसका साथी.. वही ड्राइवर जिसके साथ शीला संजय के साथ गोवा गई थी और लौटते वक्त उसने शीला को भरपूर चोदा था.. शीला यह सुनकर चौंक उठती है और तुरंत वापिस आने की तैयारी करती है.. कविता शीला को आश्वासन देती है की वह जल्दी ही पीयूष से, पिंटू की नौकरी की बात करेगी, ताकि वैशाली और पिंटू को उस शहर में रहना न पड़े..

घर लौटने के बाद शीला अकेली ही अपनी हवस की आग से झुजती रहती है.. वह अपना ध्यान भटकाने की काफी कोशिश करती है पर सब कुछ नाकाम रहता है.. थककर शीला रसिक को बार बार फोन करती है पर वो उठाता ही नहीं है..

जिस्म की भूख से हारकर, शीला आखिर एक फैसला करती है...

अब आगे...
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शीला ने अपना ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिशें की.. फोन पर सहेलियों से गप्पे लड़ाएं.. टीवी देखा.. पर कहीं मन लग नहीं रहा था..!! जैसे शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो तो मन घूम-फिर कर वहीं जाकर अटकता है.. बिल्कुल वैसे ही.. शीला का मन उसकी बुदबुदाती हुई चूत पर ही जाकर रुक जाता था.. बहोत कोशिश की शीला ने अपने गुप्तांग को समझाने की.. पर उसकी चूत बिना चुदे मानने का नाम ही नहीं ले रही थी.. और यह शीला भी जानती थी..!! शीला का भोसड़ा.. जंगल के उस दानव की तरह था जो एक बार जाग जाए तो बिना भोग लिए मानता नहीं है..

जैसे तैसे करके शीला ने कुछ घंटे निकाले.. वैशाली के घर जाकर रात का खाना भी खा लिया.. वापिस आई तब तक दस बज चुके थे.. घर बंद कर बैठी शीला फिर से टीवी देखने लगी.. करीब एक घंटे तक वो चैनल बदलती रही.. एक अंग्रेजी एक्शन मूवी उसे दिलचस्प लगी.. वह काफी देर तक मूवी देखती रही.. फिल्म के एक द्रश्य में नायक एक लड़की के साथ संभोगरत होते दिखाया गया.. इतना गरमा-गरम सीन था की देखते ही शीला अपनी जांघें रगड़ने लग गई.. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया और सोफ़े पर ही लेट गई..

हवस की गर्मी उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी.. वह लेटे लेटे अपने विराट स्तनों को दोनों हाथों से मसल रही थी.. उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा लिए और पेन्टी में हाथ डालकर चूत की दरार में उँगलियाँ रगड़ने लगी.. इतना चिपचिपा प्रवाही द्रवित हो रहा था की पेन्टी बदलने की नोबत आ चुकी थी..

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काफी देर तक शीला अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदकर शांत करने की कोशिश करती रही.. पर उसकी भूख शांत होने के बजाय और भड़क गई.. वासना की आग में झुलसते हुए शीला बावरी सी हो गई.. क्या करूँ.. क्या करूँ..!!! उसने अपने आप से पूछा.. अभी उसका हाल ऐसा था की अगर वैशाली घर पर नहीं होती तो वो पिंटू को पकड़कर उससे चुदवा लेती.. मदन अमरीका था.. राजेश वहाँ फाल्गुनी की फुद्दी का नाप ले रहा था.. रघु या जीवा को घर पर बुलाना मुमकिन नहीं था.. शीला पागल सी हुए जा रही थी..!!!

शीला ने एक कठिन निर्णय लिया.. वह उठी और बाथरूम में घुसी.. चूत के रस से लिप्त पेन्टी उतारकर उसने अपना भोसड़ा पानी और साबुन से अच्छी तरह धोया.. उसने पेन्टी पहनी ही नहीं क्योंकि बार बार भीग जाने से उसे बदलना पड़ रहा था.. एक छोटे सी बेग में एक जोड़ी कपड़े और अपना पर्स लेकर निकल पड़ी

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे.. शीला तेज कदमों से चलते हुए मैन रोड तक आ गई.. कहीं कोई ऑटो नजर नहीं आ रही थी.. पर एक कोने में एक टेकसी खड़ी हुई थी.. शीला तुरंत उसके पास गई

शीला: "भैया.. मढ़वाल चॉकड़ी चलोगे?"

वह ड्राइवर शीला की तरफ देखता ही रह गया.. शीला का मांसल गदराया जिस्म.. साड़ी के पीछे ब्लाउस की साइड से झलकती स्तनों की गोलाइयाँ.. और बड़ी बड़ी जांघें..!! सीट पर बैठे बैठे उसने अपना लंड एडजस्ट किया..

ड्राइवर: "पाँच सौ रुपये लूँगा"

शीला: "ठीक है, चलो" कहते हुए शीला ने पीछे का दरवाजा खोला और अंदर बैठ गई.. अमूमन वहाँ जाने के लिए दिन के समय ऑटो वाला सौ रुपये से ज्यादा नहीं लेता था, उसका पाँच सौ रुपये किराया तय करने से पहले शीला ने एक बार भी नहीं सोचा.. वह कुछ सोच पाने की स्थिति में ही नहीं थी..!!!

ड्राइवर गाड़ी तेजी से चलाते हुए शहर के बाहर वाले हाइवे पर ले गया.. रियर-व्यू मिरर से वो बार बार शीला के मदहोश बदन को देख रहा था.. पर शीला का ध्यान खिड़की से बाहर ही था.. उसने एक बार भी उस ड्राइवर की तरफ नहीं देखा

शीला: "बस यहीं रोक दीजिए, भैया"

हाइवे पर एक बड़े से चौराहे पर शीला ने गाड़ी रोकने के लिए कहा.. कोने में ले जाकर ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी.. शीला उतरी और अपने पर्स से पाँच-सौ का एक नोट देकर तेजी से झाड़ियों की ओर जाने लगी.. कुछ आगे चलने पर शीला ने महसूस किया की वह ड्राइवर अब भी वहीं खड़ा था.. अपनी गाड़ी में.. शायद उसे ताज्जुब हो रहा था की इतनी रात गए यह औरत, जंगल जैसे रास्ते पर क्यों और कहाँ जा रही होगी..!! शीला अलर्ट हो गई.. वो वहीं खड़ी हो गई और अपना मोबाइल निकालकर किसी से बात करने का अभिनय करते हुए ड्राइवर की तरफ देखती रही.. जब ड्राइवर को एहसास हुआ की शीला उसकी तरफ देख रही थी, तब वह अपनी गाड़ी लेकर चला गया..

टेकसी वाले के चले जाने के बाद शीला ने अपना बैग और पर्स उठाया और पगडंडी की तरफ़ चल पड़ी.. गनिमत ये थी कि बैग हल्का ही था क्योंकि उसमें एक जोड़ी कपड़े और ब्रा पैंटी वगैरह ही थी.. चलते चलते वह खेतों से बीच गुजरते हुए बीहड़ रास्ते से रसिक का खेत ढूंढते आगे बढ़ रही थी.. उसे चलते हुए अभी दस मिनट ही हुई थी कि उसे लगा कोई उसके पीछे है.. वो बिल्कुल डर गई और अपनी चलने की रफ्तार तेज़ कर दी.. उसने अपने पल्लू से अपने शरीर को पूरी तरह से ढक रखा था.. तभी उसे अपने पीछे से कदमों की आवाज़ तेज़ होती महसूस हुई..

वो अभी अपनी रफ्तार और बढ़ाने वाली ही थी कि उसे सामने एक परछाई नज़र आई.. वो उसी की तरफ़ आ रही थी.. अब शीला की डर के मारे बुरी हालत थी.. तभी उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ.. उसे पता ही नहीं चला, कब वो पीछे वाला आदमी इतने करीब आ गया.. उसने झट से उसका हाथ झटक दिया और पगडंडी से उतर कर खेतों की तरफ़ भागी जहाँ उसे थोड़ी रोशनी नज़र आ रही थी.. उसका बैग और पर्स वहीं छूट गया.. वो दोनों परछांइयाँ अब उसका पीछा कर रही थी.. “पकड़ रंडी को! हाथ से निकल ना जाये! देख साली की गाँड देख.. कैसे हिल रही है और इतने बड़े बड़े बबले.. आज तो मज़ा आ जायेगा..!!!” शीला को कानों में यह आवाज़ें साफ़ सुनाई दे रही थीं और अचानक उसकी पीठ पर एक धक्का लगा और वो सीधे मुँह के बल, घास के ढेर पर गिर गई.. घास की वजह से उसे चोट नहीं आई..

“बचाओ, बचाओ, रसिक!” वो ज़ोर से चिल्लाई.. तभी एक आदमी ने उसके पल्लू को ज़ोर से खींच दिया और वो फर्रर्र की आवाज़ के साथ फट गया.. उसकी साड़ी तो पहले से ही आधी उतर चुकी थी और इस भाग-दौड़ की वजह से और भी खुल सी गई थी.. उस आदमी ने उसकी साड़ी भी पकड़ कर खींच के उतार दी.. शीला की पूरी जवानी जैसे कैद से बाहर निकल आई.. अब उसने सिर्फ़ पेटीकोट, ब्लाऊज़ और सैंडल पहन रखे थे..

फिर एक आदमी उसपर झपट पड़ा तो शीला ने उसे ज़ोर से धक्का दिया और एक लात जमायी.. वो अब भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिये कश्मकश कर रही थी.. तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा और उसकी आँखों के आगे जैसे तारे नाचने लगे और कानों में सीटियाँ बजने लगी.. वो ज़ोर से चींख पड़ी.. तभी उन दोनों में से एक ने उसके पेटीकोट को ऊपर उठाया और उसकी जाँघों को पकड़ लिया.. पैंटी तो शीला ने घर से निकलते हुए पहनी ही नहीं थी.. उसने अपनी दोनों जाँघों को मज़बूती से भींच लिया..

उस आदमी का हाथ, जाँघों के बीच उसकी नंगी चूत पर था, और शीला उस आदमी के बाल पकड़ कर उसे ज़ोर से पीछे धकेलने लगी.. तभी उसे एक और ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा.. ये उस दूसरे आदमी ने मारा था.. शीला के पैर खुल गये और उसके हाथों की पकड़ ढीली हो गई.. तभी वह पहला आदमी, खुश होते हुए बोला, “साली की चूत एक दम साफ़ है, और कितनी गदराई भी है.. आज तो मज़ा आ जायेगा! क्या माल हाथ लगा है!’ ये कहते हुए उस आदमी ने शीला के ब्लाऊज़ को पकड़ कर फाड़ दिया और शीला के मम्मे एक झटके में बाहर झूल गये.. ब्लाउज़ और ब्रा फटते ही शीला के गोल-गोल मम्मे नंगे हो गये और पेटीकोट उसकी कमर तक उठा हुआ था..

शीला ने फिर हिम्मत जुटाई और ज़ोर से उस आदमी को धक्का दिया.. तभी दूसरे आदमी ने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उन्हें उसके सिर के ऊपर तक उठा दिया और नीचे पहले आदमी ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना पायजामा भी.. उसने अंडरवेर नहीं पहनी थी और शीला की नज़र सीधे उसके लंड पर गई और उसने अपनी टाँगें फिर से जोड़ लीं.. वो सिर्फ अब ऊँची ऐड़ी के सुनहरी सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पर पीठ के बल लेटी हुई थी.. उसके हाथ उसके सर के ऊपर से एक ने पकड़ रखे थे और नीचे दूसरा शख्स उसकी चुदाई की तैयारी में था.. शीला इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी और वो अब भी चींख रही थी.. “और चींख रंडी! यहाँ कौन सुनने वाला है तेरी...? आराम से चुदाई करवा ले तो तुझे भी मज़ा आयेगा!” हाथ पकड़कर बैठे उस शख्स ने उसके हाथों को ज़ोर से दबाते हुए कहा.. शीला को उसका सिर्फ़ चेहरा नज़र आ रहा था क्योंकि वो उसके सिर के पीछे बिठा हुआ था.. “अरे सुन! वो लोडुचंद कहाँ मर गया?” “आता ही होगा!” अब शीला समझ गई कि इनका एक और साथी भी है..

तभी किसी ने उसकी चूचियों को ज़ोर से मसल दिया.. जिस तीसरे आदमी का उल्लेख हो रहा था, वो आ गया था.. “क्या माल मिला है... आज तो खूब चुदाई होगी!” तीसरे ने उसकी एक टाँग पकड़ी और ज़ोर से खींच कर दूसरी टाँग से अलग कर दी.. दूसरा आदमी तो जैसे मौके की ताक में था.. उसने झट से शीला की दूसरी टाँग को उठाया और सीधे शीला की चूत में लंड घुसेड़ दिया और शीला के ऊपर लेट गया..

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शीला की चूत बिल्कुल सूखी थी क्योंकि वो इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका बलात्कार हो रहा है, और वो भी तीन-तीन मर्द उसको एक साथ चोदने वाले हैं...!! वो भी ज़बरदस्ती..!! वैसे तो चुदाई के लिये वो खुद हमेशा तैयार रहती थी लेकिन ये हालात और इन लोगों की जबरदस्ती और रवैया उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. इन जानवरों को तो सिर्फ झड़ने से मतलब था और उसकी खुशी या खैरियत की ज़रा भी परवाह नहीं थी..!!

तभी उसके भोसड़े पर एक ज़ोरदार वार हुआ और उसकी चींख निकल गई.. उसकी सूखी हुई चूत में जैसे किसी ने मिर्च रगड़ दी हो.. वह दूसरा शख्स एक दम ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा था..

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शीला की एक टाँग तीसरे शख्स ने इतनी बाहर की तरफ खींच दी थी कि उसे लग रहा था कि वो टूट जायेगी.. उसके दोनों हाथ अब भी पहले आदमी ने कस कर पकड़ रखे थे और वो हिल भी नहीं पा रही थी.. अब वह दूसरा आदमी, जिसने शीला की चूत में अपना लंड घुसेड़ रखा था, वह उसे चोदे जा रहा था और उसके धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो गई थी.. हालात कितने भी नागवार थे लेकिन शीला थी तो असल में एक नम्बर की चुदासी.. इसलिये ना चाहते हुए भी शीला को भी अब धीरे-धीरे मज़ा आने लगा था और उसकी गाँड उठने लगी थी.. उसकी चूत भी अब पहले की तरह सूखी नहीं थी और भीगने लगी थी.. तभी दूसरे शख्स ने ज़ोर से तीन-चार ज़ोर के धक्के लगाये और अपना लंड बाहर खींच लिया.. अब तीसरे व्यक्ति ने शीला को उलटा लिटा दिया..

शीला समझ गई उसकी गाँड चोदी जाने वाली है.. तीसरे शख्स ने उसकी गाँड पर अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया.. शीला ने अपने घुटने अंदर की तरफ़ मोड़ लिये और अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी और एक ज़ोरदार लात पीछे खड़े उस आदमी के पेट पेर दे मारी.. वह शख्स इस आकस्मिक हमले से संभल नहीं पाया और गिरते-गिरते बचा.. शीला के ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल की चोट काफी दमदार थी और कुछ पलों के लिये तो उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया.. तभी वह दूसरा व्यक्ति, जो शीला की चूत चोद चुका था, उस ने परिस्थिति समझते हुए शीला की टाँग पकड़ कर बाहर खींच लिया.. तब तक वह तीसरा आदमी भी संभल चुका था.. उसने शीला की दूसरी टाँग खींच कर चौड़ी कर दी और एक झटके से अपना लंड उसकी गाँड के अंदर घुसा दिया..

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“साली रंडी! गाँड देख कर ही पता लगता है कि पहले कईं दफा गाँड मरवा चुकी है... फिर भी इतना नाटक कर रही है!” कहते हुए उस ने एक थप्पड़ शीला के कान के नीचे जमा दिया.. शीला चकरा गई.. उसका लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड में घुस गया था.. शीला फिर ज़ोर से चिल्लायी और मदद की गुहार लगाने लगी.. “अबे चोदू! क्या हाथ पकड़े खड़ा है... मुँह बंद कर कुत्तिया का!” हाथ पकड़े खड़े पहले आदमी ने जैसे इशारा समझ लिया.. उसने अपनी धोती हटाई और अपना लंड उलटी पड़ी हुई शीला के मुँह में जबरदस्ती घुसाने लगा.. शीला ने पूरी ताकत से अपना मुँह बंद कर लिया.. और लंड पर अपने दांत गाड़ने गई.. पर वो आदमी संभल गया और उसने शीला के दोनों गालों को अपनी उंगली और अंगूठे से दबा दिया.. दर्द की वजह से शीला का मुँह खुल गया और लंड उसके मुँह से होता हुआ उसके गले तक घुसता चला गया.. शीला की तो जैसे साँस बंद हो गई और उसकी आँखें बाहर आने लगीं.. उस आदमी ने अपना लंड एक झटके से उसके मुँह से बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया..

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और तभी, शीला को अपनी गांड के सुराख पर गरम सुपाड़े का स्पर्श हुआ.. हाथ पैर पकड़े हुए थे, हलक तक लंड घुसा हुआ था.. किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी शीला.. गनीमत थी की उस आदमी ने काफी मात्रा में लार लगा दी थी शीला के बादामी छेद पर.. दोनों चूतड़ों को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर लंड को अंदर घुसाया गया.. दर्द तो हो रहा था पर शीला चीखती भी तो कैसे.. !!

अब शीला भी संभल गई थी.. उसे उस गंवार आदमी के पेशाब का तीखापन और उसकी गंध साफ़ महसूस हो रही थी.. उसका लंड उसके मुँह की चुदाई कर रहा था और उसके गले तक जा रहा था और पीछे वह तीसरा शख्स उसकी गाँड में लंड के हथौड़े चला रहा था.. काफी देर तक उसकी गाँड मारने के बाद उस बंदे ने उसकी गाँड से लंड निकाला और कमर पकड़ कर उसकी गाँड ऊँची उठा दी.. फिर पीछे से ही लंड उसकी चूत में घुसा दिया.. कुछ दस मिनट की चुदाई के बाद उस आदमी ने अपने लंड का पानी शीला की चूत में छोड़ दिया और आगे खड़े उस शख्स को, जो शीला के मुंह में लंड घुसेड़कर खड़ा था, उसको इशारा किया.. इशारा मिलते ही उस आदमी ने अपना लंड शीला के मुँह से निकाल कर उसका हाथ छोड़ दिया.. शीला एक दम निढाल होकर घास के ढेर पर औंधे मुँह गिर गई.. उसकी हालत खराब हो चुकी थी और उसकी गाँड और चूत और मुँह में भी भयंकर दर्द हो रहा था.. तभी पहले व्यक्ति ने उसे सीधा कर दिया.. “मुझे छोड़ दो, प्लीज़, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... बहुत दर्द हो रहा है...!” अब शीला में चिल्लाने की चींखने की या प्रतिरोध करने की ताकत बची नहीं थी..

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“बस साली कुत्तिया! मेरा लंड भी खा ले, फिर छोड़ देंगे!” कहते हुए पहले व्यक्ति ने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.. दर्द के मारे.. शीला की आँखें फैल गईं, मगर मुँह से आवाज़ नहीं निकली.. ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगने शुरू हो गए थे.. शीला की चूत जैसे फैलती जा रही थी और आदमी का लंड उसे किसी खंबे की तरह महसूस हो रहा था.. रसिक के मुकाबले यह लंड उतना लंबा तो नहीं था.. पर तंदूरस्त और मोटा जरूर था..

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फिर उस आदमी ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.. शीला एक मुर्दे की तरह उसके नीचे लेटी हुई पिस रही थी और उस आदमी का पानी गिर जाने का इंतज़ार कर रही थी.. उसका अंग-अंग दुख रहा था और वो बिल्कुल बेबस लेटी हुई थी.. वो आदमी उसे लंड खिलाये जा रहा था.. फिर शीला को महसूस हुआ कि इतने दर्द के बावजूद उसकी चूत में से पानी बह रहा था और मज़ा भी आने लगा था.. तभी उस शख्स ने ज़ोरदार झटके मारने शुरू कर दिये और शीला की आँखों में आँसू आ गये और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी चुदी चुदाई चूत जो कि कई लंड खा चुकी थी, जैसे फट गई थी.. फिर भी इतना दर्द झेलते हुए भी उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और झड़ गई.. लंड का पानी भी उसके चूत के पानी में मिला गया.. इतनी दर्द भरी चुदाई के बाद किसी तरह से शीला अभी भी होश में थी..


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वो बुरी तरह हाँफ रही थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी बेरहम और दर्दनाक चुदाई के बावजूद कहीं ना कहीं उसे मज़ा भी ज़रूर आया था.. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी फटी हुई चूत ने भी कैसे झड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया था जिसमें कि इस वक्त भी बे-इंतेहा दर्द हो रहा था.. थोड़ी देर के बाद किसी तरह वो बैठ सकी थी.. “मैं घर कैसे जाऊँगी? मेरा सामान तो ढूँढने में मेरी मदद करो!”

“तेरा सामान यहीं है… और हाँ मैंने फोन भी बंद कर दिया था!” कहते हुए तीसरे शख्स ने घास के ढेर के पास रखे हुए सामान की तरफ़ इशारा किया.. यही वजह थी की वो देर से आया था..

शीला को उसके हाल पर छोड़कर तीनों वहाँ से भाग गए..!!

अपना सामान उठाकर शीला जैसे तैसे उठी..उसके पहने हुए कपड़े फट चुके थे.. नीरव अंधकार में उसने अपने बेग से दूसरे कपड़े की जोड़ी निकाली और पहन लिए..

वह लड़खड़ाती चाल से चलते हुए मुख्य सड़क तक आई.. काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद एक ऑटो मिली.. बैठकर शीला घर की और निकल गई.. घर पहुंचते ही शीला ने बेग और पर्स को एक तरफ फेंका और धम्म से बेड पर गिरी.. बाकी की पूरी रात शीला को बस उन तीन शख्सों द्वारा की गई चुदाई के ही ख्वाब आते रहे और उसकी चूत पानी गिराती रही.. जागते हुए भी अक्सर उसी वाकये का ख्याल आ जाता और उसके होंठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट फैल जाती और गाल लाल हो जाते..
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इस बात को एक हफ्ता बीत चुका था.. शीला अब अपना जीवन पूर्ववत जीने लगी थी.. मदन के लौटने में अब भी वक्त था.. अब वो फिर से अकेलापन महसूस करने लगी थी..

अचानक शीला के दिमाग में कुछ आया और उसने राजेश को फोन किया

राजेश: "बड़े दिनों बाद याद किया भाभी"

शीला: "अब तुम्हें मेरे लिए फुरसत ही कहाँ है..!!"

राजेश: "ऐसा नहीं है भाभी.. मैं तो आपको रोज याद करता हूँ.. पर आप के घर आना तो मुमकिन नहीं है, आपके दामाद की वजह से"

शीला: "हम्म.. कहाँ हो अभी?"

राजेश: "ऑफिस मे"

शीला: "कहीं मिलने का जुगाड़ करो यार.. बहोत दिन हो गए.. मदन जब से गया है तब से नीचे सब बंजर ही पड़ा हुआ है"

राजेश: "आप जब कहो तब.. मैं आपके नीचे हरियाली कर देने के लिए तैयार हूँ भाभी"

शीला: "आज शाम को कहीं मिलते है.. पर कहाँ मिलेंगे?"

राजेश: "मैं होटल में रूम बुक कर देता हूँ.. मेरे एक पहचान वाले का होटल है.. एकदम सैफ है.. कोई खतरा नहीं होगा"

शीला: "देखना कहीं उस रात जैसा कोई सीन न हो जाए.. पुलिस की रैड पड़ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे"

राजेश: "कुछ नहीं होगा.. मेरी गारंटी है"

शीला: "ठीक है, मुझे अड्रेस भेजो, शाम के चार बजे मिलते है"

राजेश: "ठीक है भाभी"

शीला ने फोन रख दिया.. और सोफ़े पर ही लेट गई.. राजेश से मिलने जाने के लिए कोई बहाना बनाना पड़ेगा ताकि वो वैशाली को बता पाएं और पिंटू को भी शक न हो

उसने वैशाली को फोन किया.. और बहाना बनाया की उसकी पुरानी सहेली चेतना की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वो उससे मिलने जाने वाली है..

साढ़े तीन बजे तैयार होकर शीला घर से बाहर निकली.. उसने एक नजर पड़ोस में वैशाली के घर की तरफ डाली.. दोपहर का समय था इसलिए कोई भी बाहर नहीं था.. इत्मीनान से शीला बाहर निकली और सड़क पर आकर ऑटो ले ली.. राजेश के दिए हुए पते पर थोड़ी ही देर में पहुँच गई

कमरे का नंबर पहले से ही मालूम था इसलिए बड़े ही आत्मविश्वास के साथ शीला रीसेप्शन से चलते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.. वहाँ खड़ा मेनेजर इस गदराई महिला को आँखें भरकर देख रहा था

रूम नं १०४ में पहुंचकर शीला ने दस्तक दी.. राजेश ने तुरंत दरवाजा खोला.. वो तौलिया लपेटे खड़ा हुआ था.. शीला उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और अंदर चली आई.. राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया

अंदर पहुंचते ही शीला ने अपनी बाहें खोली और राजेश को खींचकर अपने आगोश में ले लिया.. शीला के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मदमस्त बबलों को दबाकर राजेश ने उसका इस्तकबाल किया..

राजेश को छोड़कर शीला बेड पर पसर गई.. राजेश भी उसकी बगल में लेट गया..

शीला: "तुम्हें तो मेरी याद ही नहीं आती राजेश.. इतना कहाँ बीजी रहते हो??"

शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर, उसकी ब्रा के ऊपर से ही उन बड़े बड़े स्तनों को हाथ से महसूस करते हुए राजेश ने कहा "अरे क्या कहूँ भाभी..!! ऑफिस में इतना काम रहता है..!! ऊपर से पीयूष अपनी ऑफिस की जिम्मेदारी सौंप कर गया है.. जब तक वो वापिस नहीं आता, तब तक उसकी ऑफिस का ध्यान रखने के लिए भी चक्कर लगाने पड़ते है"

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शीला ने राजेश की आँखों में आँखें डालकर, तीखी नज़रों से देखते हुए कहा "अच्छा..!! पीयूष की ऑफिस भी अब तुम्हीं संभालते हो..!!"

राजेश शीला की तेज नज़रों को झेल न पाया.. अमूमन जब आपको शक हो की सामने वाला झूठ बोल रहा है तब वह अपनी नजरें चुराता है..

शीला: "ओहो.. तब तो बहोत बीजी रहते होंगे तुम..!! यहाँ का काम संभालना, पीयूष की ऑफिस को संभालना.. और फिर फाल्गुनी को भी संभालना..!!!"

राजेश चोंक पड़ा.. फाल्गुनी का जिक्र होते ही वह अचंभित हो गया.. शीला को इस बारे में कैसे पता लगा होगा..!!! वैसे फाल्गुनी ने उसे यह बताया तो था की शायद शीला को शक हो गया है.. पर वह इस तरह हमला करेगी उसका राजेश को जरा सा भी अंदाजा नहीं था..!! वह फटी आँखों से शीला की तरफ देखने लगा.. शैतानी मुस्कान के साथ शीला उसकी तरफ देख रही थी

शीला: "क्या हुआ.. कुछ बोल क्यों नहीं रहे..!! बोलती बंद हो गई क्या..!!! तुम्हें क्या लगा.. की मुझे पता नहीं लगेगा?"

राजेश ने आँखें झुकाते हुए कहा "अब तुम्हें पता लग ही गया है तो मैं और क्या बोलूँ..!!"

शीला: "मतलब तुम्हें यहाँ से उस शहर जाकर फाल्गुनी के संग गुलछर्रे उड़ाने के लिए वक्त है.. और मेरे पास आने का टाइम नहीं है?? पीयूष अमरीका गया है तो उसकी ऑफिस संभालने जाते हो..!! और मदन अमरीका गया है तो उसकी बीवी की जरूरतों को कौन संभालेगा?"

कहते हुए नाराज होने की ऐक्टिंग करते शीला करवट लेकर पलट गई.. अब शीला की पीठ और कमर राजेश के सामने थी

राजेश ने उसका कंधा पकड़कर, गर्दन को हल्के से चूमते हुए कहा "अरे नाराज क्यों होती हो भाभी..!! आपके पास आने का दिल तो बड़ा करता है.. पर वैशाली के रहते कैसे आता?? आप तो जानती हो उस वाकये के बाद मुझे बहुत संभलना पड़ता है"

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शीला ने बिना राजेश के सामने देखें कहा "आज मिल ही रहे है ना..!! अगर मिलने का मन हो तो कुछ न कुछ सेटिंग हो ही सकता है, जैसा आज किया है.. असलियत में तुम्हें उस फाल्गुनी की जवान चूत मिल गई इसलिए भाभी की याद नहीं आती"

राजेश ने जवाब नहीं दिया.. वह जानता था की रंगेहाथों पकड़े जाने पर, शीला किसी भी तरह की सफाई नहीं सुननेवाली.. उसे मनाने के एक ही तरीका था.. उसकी भूख को शांत करना..!!

राजेश अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उसके एक स्तन को मजबूती से मसल दिया.. सिहर उठी शीला..!!! उसकी आँखें बंद हो गई.. राजेश अब ब्लाउज के एक के बाद एक हुक खोलता गया और फिर शीला की ब्रा ऊपर कर उसने दोनों स्तनों को बाहर निकाल दिया.. शीला अब भी राजेश की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी.. और राजेश पीछे से अपना लंड शीला के चूतड़ों पर रगड़ते हुए उसके मदमस्त बबलों को मसल रहा था..

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शीला की निप्पलें तनकर खड़ी हो गई.. उंगलियों के बीच उन निप्पलों को भींचते हुए राजेश ने शीला की आह्ह निकाल दी.. अब शीला की कमर पर बंधी साड़ी के अंदर हाथ डालकर पेन्टी के ऊपर से ही राजेश ने उसकी चुत को मुठ्ठी में भरकर दबा दिया.. शीला की पेन्टी अब तक निचोड़ने लायक गीली हो चुकी थी.. लेटे लेटे ही शीला ने अपनी साड़ी कमर तक ऊपर कर ली.. और राजेश ने पीछे से उसकी पेन्टी सरकाकर घुटनों तक नीचे ला दी

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राजेश की जांघें शीला के कुल्हों से चिपक गई.. उसका तना हुआ लंड शीला के कुल्हों की गहराई में छिप सा रहा था.. राजेश भी जान बुझ कर उस से लिपट सा रहा था ताकि शीला उसकी उत्तेजना को महसुस कर सकें.. कुछ देर बाद राजेश का एक हाथ उसकी बाँहों के ऊपर से हो कर उसकी छातियों तक पहुँच गया.. वो कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा कि वह शायद कोई हरकत करेगी लेकिन उसने कोई हरकत नहीं की..

राजेश की हिम्मत बढ़ गयी.. वह अपना तना लंड शीला के नंगें कुल्हों के बीच दबा पा रहा था.. राजेश ने अपना ट्राउज़र उतार कर नीचे कर दिया और अपने लंड को ब्रीफ से बाहर निकाल लिया..

राजेश ने धीरे से उसकी जाँघ को अपने हाथ से सहलाना शुरु कर दिया.. जहाँ तक राजेश का हाथ जा रहा था, वो उसकी भरी हुई जाँघ को हल्के हाथ से सहलाने लगा.. उसके ऐसा करने से उसके बदन में भी सिहरन सी होने लगी थी.. लेकिन वह अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखा रही थी और एकदम निश्चल सी लेटी हुई थी..

राजेश का हाथ उसके मांसल कुल्हें को सहला कर उसकी कमर पर आ गया और फिर उसकी गूँदाज कमर को सहलाने में लग गया.. वो चाह रहा था कि शीला के शरीर में भी सेक्स की जबरदस्त इच्छा जाग जाये..

राजेश का प्रयास सफल सा हो रहा था.. उसके शरीर के रोयें उत्तेजना के कारण खड़े से हो गये थे, यह वो महसुस कर पा रहा था.. उसके शरीर में भी उत्तेजना के कारण रक्त प्रवाह तेज हो गया था.. कान गरम से हो गये थे.. इसी बीच राजेश ने हाथ से उसकी चुत को भी सहला दिया.. उसने इस हरकत का विरोध नही किया..

कुछ देर तक राजेश अपने लंड को उसके कुल्हों के बीच दबाता रहा, फिर उसने अपने लंड को उसकी चुत में डालने की कोशिश की.. पहली बार में ही राजेश का लंड उसकी चुत में प्रवेश कर गया.. चुत में भरपुर नमी थी इस लिये लंड को गहराई में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई.. राजेश ने अपने कुल्हें शीला के कुल्हों के नीचे ले जा कर पुरे लंड को उसकी चुत में जाने दिया.. उसका लंड पुरा शीला की चुत में समा गया..

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उसने अपने कुल्हों को हिला कर मेरे लंड के लिये स्थान बना दिया.. शीला भी अब संभोग के लिये तैयार थी.. राजेश के हाथों ने उसके उरोजों को अपने में समाने की कोशिश करनी शुरु कर दी..

राजेश ने उसके पाँच पाँच किलो के उरोजों के तने निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच दबाना शुरु कर दिया था.. नीचे से शीला के कुल्हें राजेश के लंड को अंदर बाहर करने लग गये.. कुछ देर बाद शीला के कुल्हें भी लंड को अंदर समाने में लग गये..

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अब वह दोनों जोर-जोर से प्रहार कर रहे थे.. शीला के कुल्हों पर राजेश के लंड का प्रहार पुरे जोर से हो रहा था.. लेकिन इस संकरी जगह में संभोग सही तरह से नहीं हो पा रहा था.. इसलिए राजेश ने अपना लंड उसकी चुत में से बाहर निकाल लिया और उसके ऊपर लेट गया..

राजेश का लंड फिर से उसकी चुत में प्रवेश कर गया और दोनों जोर-शोर से पुरातन खेल में लग गये.. शीला के मटके जैसे बड़े बड़े स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए राजेश धनाधन धक्के लगा रहा था.. शीला का भोसड़ा अपना गरम चिपचिपा शहद काफी मात्रा में गिरा रहा था.. जो उसकी चुत से होते हुए उसके गांड के छिद्र से जाकर नीचे बेड की चादर को गीला कर रहा था..


शीला के गरम भोसड़े में राजेश का लंड ऐसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे इंजन में पिस्टन..!! करीब १० मिनट की धुआँधार चुदाई के बाद शीला ने राजेश को रोक लिया.. और उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाल लिया.. अब शीला बेड पर ही पलट गई और डॉगी स्टाइल में अपने चूतड़ धरकर राजेश के सामने चौड़ा गई

राजेश ने अपना लंड पकड़ा और शीला के भोसड़े के होंठों को फैलाकर उसके छेद पर टीका दिया.. एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर समा गया.. दोनों हाथों से शीला के कूल्हें पकड़कर राजेश ने अंधाधुन चुदाई शुरू कर दी.. इस पोजीशन में उसे और मज़ा आ रहा था और शीला भी मस्ती से सिहर रही थी क्योंकि राजेश का लंड और गहराई तक जाते हुए उसकी बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा था

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उसी अवस्था में कुछ और देर चुदाई चलने के बाद, शीला अपना हाथ नीचे ले गई.. और राजेश का लंड अपनी चुत से निकालकर गांड के छेद पर रखने लगी.. शीला की मंशा राजेश समझ गया.. उसने अपने मुंह से लार निकाली और सुपाड़े पर मलते हुए उसे पूर्णतः लसलसित कर दिया.. शीला की गांड पर सुपाड़ा टीकाकर उसने एक मजबूत धक्का लगाया.. सुपाड़े के साथ साथ आधा लंड भी अंदर चला गया और शीला कराहने लगी

राजेश: "दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ??"

शीला ने कुछ नहीं कहा.. वो थोड़ी देर तक उसी अवस्था में रही ताकि उसकी गांड का छेद थोड़ा विस्तरित होकर लंड के परिघ से अनुकूलित हो जाए.. कुछ देर के बाद जब दर्द कम हुआ तब अपने चूतड़ों को हिलाते हुए उसने राजेश को धक्के लगाने का इशारा दिया..

राजेश ने अब धीरे धीरे अपनी कमर को ठेलते हुए धक्के लगाने शुरू किए.. शीला के भोसड़े के मुकाबले गांड का छेद कसा हुआ होने की वजह से उसे अत्याधिक आनंद आ रहा था.. अपनी गांड की मांसपेशियों से शीला ने राजेश का लंड ऐसे दबोच रखा था जैसे कोल्हू में गन्ना फंसा हुआ हो..

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उस टाइट छेद के सामने राजेश का लंड और टीक नहीं पाया.. उसकी सांसें तेज होने लगी.. शीला की गांड में अंदर बाहर करते हुए वो झुककर शीला के झूल रहे बबलों को दबोचकर शॉट लगाता रहा.. कुछ ही देर में वह अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया और अपना गाढ़ा वीर्य शीला की गांड में छोड़ने लगा.. करीब तीन चार बड़ी पिचकारियों से शीला की गांड का अभिषेक करने के बाद.. वह हांफता हुआ शीला के बगल में लेट गया.. शीला भी तृप्त होकर पेट के बल बिस्तर पर पस्त होकर गिरी

काफी देर तक दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे.. और अपने साँसों के नियंत्रित होने का इंतज़ार करते रहे.. राजेश का अर्ध-मुरझाया लंड अभी भी शीला की गांड के दरारों के बीच था

शीला ने अब करवट ली और राजेश की तरफ मुड़ी.. उसके भारी भरकम स्तन धम्म से बिस्तर पर राजेश के सामने बिखर गए..

राजेश अपनी उंगलियों से शीला के मस्त लंबे चूचकों से खेलने लगा.. शीला ने अपनी मांसल जांघ को राजेश की टांगों पर रख दिया ताकि वह अपनी इच्छा अनुसार, भोसड़े को राजेश के घुटनों पर रगड़ सकें

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शीला: "तो बताओ छुपे रुस्तम..!! फाल्गुनी का शिकार कैसे किया?"

राजेश मुस्कुराया.. कुछ देर तक चुप रहा और बोला "यार भाभी आपका नेटवर्क गजब का है.. हमने इतनी एहतियात बरती फिर भी पता नहीं कैसे आपको पता लग गया..!! वैसे बताइए तो सही, आपको पता कैसे लगा इस बारे में? हम दोनों के संबंधों के बारे में अब तक हमने किसी को नहीं बताया.. फिर यह बात बाहर आई कैसे?"

राजेश के पिचके हुए लंड को अपनी हथेली में लेकर पुचकारते हुए शीला ने कहा "मुझे कभी भी कम आँकने की कोशिश मत करना राजेश.. मुझे सीक्रेट बातों की गंध लग जाती है.. बड़ी तेज नाक है मेरी..!! कोई चाहे जितना छुपा लें.. अगर मैंने तय कर लिया और मुझे शक हो गया तो मैं किसी न किसी तरह बात की जड़ तक पहुँच ही जाती हूँ.. तुमने जवाब नहीं दिया.. फाल्गुनी की मासूम मुनिया को चौड़ी करने का सेटिंग, आखिर किया कैसे?"

राजेश हँसते हुए बोला "बड़ी लंबी कहानी है भाभी"

शीला: "तो बताओ.. मुझे कोई जल्दी नहीं है.. आराम से बताओ"

राजेश ने एक लंबी सांस लेकर कहा "दरअसल बात शुरू हुई सुबोधकांत के एक्सीडेंट के बाद.. जब मैं और मदन उस जगह पहुंचे तब पुलिस ने बॉडी को हॉस्पिटल भेज दिया था.. तब मेरी नजर सुबोधकांत की गाड़ी के अंदर पड़े कीमती सामान पर पड़ी.. कुछ कॅश था.. कुछ डॉक्युमेंट्स.. उनका मोबाइल फोन.. और भी कई चीजें थी.. तो सोचा सब इकठ्ठा कर लूँ.. उस वक्त पुलिसवाले ट्राफिक को हटाने में लगे हुए थे तो उनका ध्यान नहीं था.. मदन भी दूर खड़ा था.. मैंने सारे चीजें जमा कर ली और फिर हम हॉस्पिटल के लिए निकल गए.. पोस्ट-मॉर्टम के रूम के बाहर हम बैठे थे लाश मिलने के इंतज़ार में.. मदन चाय लेने केंटीन गया उस दौरान जिज्ञासावश मैंने सुबोधकांत का मोबाइल ऑन किया.. कोई पासवर्ड नहीं था.. मैंने अनायास ही व्हाट्सप्प खोला और मेरी आँखें फट गई..!!! फाल्गुनी और सुबोधकांत के चेट मेसेज पढ़कर पैरों तले से धरती खिसक गई..!! एकदम हॉट और सेक्सी मेसेज थे.. सुबोधकांत ने अपना लंड हिलाते हुए कई विडिओ फाल्गुनी को भेजे थे.. फाल्गुनी भी अपने कई नंगे फ़ोटो भेजे थे.. फिर मैंने फ़ोटो गॅलरी खोली.. उसमे सुबोधकांत और फाल्गुनी के बीच की चुदाई के अनगिनत विडिओ थे.. मैंने वह सारा माल अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लिया और सुबोधकांत के मोबाइल से डिलीट भी कर दिया.. बेकार में कोई देख लेता और उस मरे हुए इंसान की बदनामी होती"

शीला बड़े ही ध्यान से सुन रही थी.. राजेश का हाथ पकड़कर उसने अपना एक चुचा थमा दिया और उसे आगे बोलने के लिए इशारा किया

राजेश: "फिर, बड़े ही लंबे अरसे तक मैंने कुछ नहीं किया.. कई बार मैंने वो विडिओ देखें.. देखकर पता चला की चुदाई के मामले मे फाल्गुनी कितनी गरम है..!! सुबोधकांत भी कुछ कम नहीं थे.. उचक उचककर फाल्गुनी को चोदते थे.. और वो भी अपनी ऑफिस की केबिन में.. कुछ विडिओ किसी होटल के भी थे..!!"

शीला के मुंह तक बात आ गई.. सुबोधकांत कितना कामी था वो उससे बेहतर कौन जानता था..!!! उनके घर के गराज में घोड़ी बनाकर चोदा था उन्हों ने शीला को.. बाद में यह भी पता चला की उस रात सेक्स पार्टी में वह भी शामिल था..!! कोकटेल बन कर..!!

वैशाली के भी सुबोधकांत के साथ शारीरिक संबंध थे, इस बात का जिक्र राजेश ने नहीं किया.. इतना अच्छा मूड था अभी शीला की.. बेकार में वो डिस्टर्ब हो जाती..!!

शीला: "फिर आगे क्या हुआ?"

शीला के दोनों बबलों को बारी बारी मसलते हुए राजेश ने कहा "फिर एक तरफ रेणुका प्रेग्नन्ट हो गई.. दूसरी तरफ वैशाली वाली घटना के बाद मेरा आपके घर आना बंद हो गया..!! मैं तब अक्सर मुठ लगाकर ही काम चलाता था पर भूख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. हिम्मत करके मैंने फाल्गुनी को फोन लगाया.. सोचा एक बार पानी में हाथ डालकर देख तो लूँ..!!! बात बात में मैंने सुबोधकांत के फोन में मिली स्फोटक सामग्री के बारे में जिक्र किया.. वो बेचारी क्या बोलती..!! पर तब मैंने बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया.. मैं देखना चाहता था की फाल्गुनी की मर्जी है भी या नहीं.. मैं उसे ब्लेकमेल करना नहीं चाहता था.. धीरे धीरे बात आगे बढ़ी.. मेसेज का लेन-देन चलता रहा.. और आखिर हम मिले..!!"

शीला: "तो कहाँ मिलते हो तुम दोनों? होटल मे?? याद है ना.. इसी शहर की होटल में वो कांड हुआ था..!!"

राजेश: "मैं पागल तो हूँ नहीं.. जो अब दोबारा यहाँ उसे होटल मे लेकर जाऊंगा.. सुबोधकांत का एक फार्महाउस है.. जिसके बारे में शायद फाल्गुनी के अलावा कोई नहीं जानता.. फाल्गुनी और सुबोधकांत वही पर गुलछर्रे उड़ाने मिलते थे.. हम वहीं मिलते है..एकदम सैफ जगह है.. और हम आराम से वहाँ वक्त बिताते है"

शीला: "हम्म.. बड़ी जबरदस्त सेटिंग की है तुमने और फाल्गुनी ने.. वैसे फाल्गुनी चुदाई के मामले में कैसी है?"

राजेश: "क्या बताऊँ शीला भाभी..!!! एकदम टाइट और गरम माल है.. इतनी छोटी सी उम्र में सेक्स के सारे दांव-पेच खेलना जान गई है.. उसे मजे लेना भी आता है और देना भी..!! इतना टाइट छेद है उसका.. और मस्त बूब्स है..फिगर भी जबरदस्त है.. और मुंह में लेकर क्या चूसती है.. आहाहाहा.. मज़ा ही आ जाता है"

सुनकर शीला को हल्की सी जलन महसूस हुई..

शीला: "हम्म.. तभी कहूँ.. तुम कभी नजर ही नहीं आते थे.. पहले मैंने सोचा की वैशाली के कारण तुम घर नहीं आते होंगे.. पर तुमने तो फोन करना भी बंद कर दिया तब मुझे थोड़ी भनक तो लग ही चुकी थी की तुम्हें छेदने के लिए कोई सुराख मिल ही गया होगा.. अब जाकर सब पता चला..!!"

राजेश: "क्या करता भाभी..!! एक तरफ मैं तड़प रहा था बिना चुदाई के.. और दूसरी तरफ इतनी जबरदस्त लड़की मेरी गोद में आ गिरी.. फिर मैं कहाँ छोड़ने वाला था उसे..!!"

शीला: "तुम जिसे मर्जी चोदते रहो.. बस मेरी आग बुझाने आ जाया करो यार"

राजेश: "आना तो मैं चाहता हूँ.. पर वैशाली और पिंटू के रहते कैसे आऊँ?"

शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "उसका बंदोबस्त कर दिया है मैंने.. कुछ ही समय में वो प्रॉब्लेम भी सॉल्व हो जाएगा"

सुनकर राजेश को थोड़ा आश्चर्य हुआ.. वह बोला "वो कैसे??"

शीला ने बात को टालते हुए कहा "टाइम आने पर बताऊँगी.. पर राजेश मैं चाहती हूँ की एक बार तुम भी मुझे अपने और फाल्गुनी के खेल में शामिल करो"

राजेश: "देखो भाभी.. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है.. मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू होंगे.. पर फाल्गुनी भी माननी चाहिए ना..!!"

शीला: "तुम कुछ भी करो पर उसे मनाओ..यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई हो और तुम वहाँ उसकी फुद्दी गीली करते रहो.. ऐसा नहीं चलेगा"

राजेश: "करता हुआ भाभी.. कुछ सेटिंग करता हूँ.. बस थोड़ा वक्त दीजिए"

शीला: "ठीक है.. पर जो भी करना जल्दी करना.. मदन यहाँ है नहीं.. तुम ज्यादातर यहीं पड़े रहते हो.. रसिक का कुछ ठिकाना नहीं है.. पता है.. रात रात भर मैं तड़पती रहती हूँ"

राजेश: "अरे भाभी.. आपके लिए लंडों की कहाँ कोई कमी रही है कभी?"

शीला: "पहले की बात और थी राजेश.. अब वैशाली और पिंटू के रहते मुझे बहोत ध्यान रखना पड़ता है.. आसान नहीं रहा अब"

राजेश: "पर आप तो कह रही हो की आपने वैशाली-पिंटू का हल निकाल लिया है..!!"

शीला: "निकाल तो लिया है.. पर उसे अमल मे लाने मे थोड़ा सा टाइम लगेगा.. पर तब तक नीचे लगी आग का क्या करूँ?? या तो हम इसी तरह होटल में मिलते रहे.. या फिर तुम मुझे अपने साथ फाल्गुनी से मिलने ले चलो"

राजेश: "करेंगे भाभी, सब कुछ करेंगे.. थोड़ा इत्मीनान रखिए"

शीला चुप हो गई.. उसकी हथेली अब थोड़ा तेजी से राजेश के लंड को हिलाने लगी थी.. लंड में अब नए सिरे से रक्त-संचार होते ही वह उठकर खड़ा होने लगा.. शीला तुरंत नीचे की तरफ गई और राजेश के सुपाड़े को चाटने लगी.. उसकी गरम जीभ लगते ही राजेश का सुपाड़ा एकदम टाइट गुलाबी हो गया.. बिना वक्त गँवाएं शीला ने उसका पूरा लंड अपने मुंह मे लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया.. चूसने पर उसे अपनी चूत के रस और वीर्य का मिश्र स्वाद आ रहा था इसलिए उसे बड़ा मज़ा आने लगा.. वह चटकारे लगा लगाकर चूसने लगी

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शीला ने अब राजेश का लंड मुंह से निकाला और अपने पैर फैलाकर राजेश के मुंह के करीब अपनी चूत ले गई और मुड़कर उसने राजेश के लंड को फिर अपने मुंह मे ले लिया.. वह दोनों 69 की पोजीशन मे आ चुके थे जहां राजेश नीचे था और शीला ऊपर

राजेश ने देखा कि उसकी चूत लंड खाने के लिए खुल-बँद हो रही है और अपनी लार बहा रही है और बाहर और अंदर से रस से भीगी हुई है.. राजेश ने जैसे ही अपनी जीभ शीला की चूत में घुसेड़ी, वो चिल्लाने लगी, “हाय, चूसो... चूसो, और जोर से चूसो मेरी चूत को.. और अंदर तक अपनी जीभ घुसेड़ो,,, हाय मेरी चूत की घुँडी को भी चाटो... बहुत मज़ा आ रहा है.. हाय मेरा छूट जाएगा..”

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इतना कहते ही शीला की चूत ने गरम-गरम मीठा रस राजेश के मुँह में छोड़ दिया जिसको कि वो अपनी जीभ से चाट कर पूरा का पूरा पी गया.. उधर शीला अपने मुँह में राजेश का लंड लेकर उसको खूब जोर-जोर से चूस रही थीं और राजेश भी शीला के मुँह में झड़ गया.. राजेश के लंड की झड़न सब की सब शीला के मुँह के अंदर गिरी और उसको वोह पुरा का पुरा पी गयीं.. अब शीला का चेहरा काम-ज्वाला से चमक रहा था और वो मुस्कुरते हुए बोलीं, “चूत चुसाई में बेहद मज़ा आया, अब चूत चुदाई का मज़ा लेना चाहती हूँ.. अब तुम जल्दी से अपना लंड चुदाई के लिये तैयार करो और मेरी चूत में पेलो... अब मुझसे रहा नहीं जाता..”

राजेश ने शीला को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को ऊपर उठा कर घुटने से मोड़ दिया.. राजेश ने बेड पर से दोनों तकियों को उठा कर उसके चूत्तड़ के नीचे रख दिया और ऐसा करने से उसकी चूत और ऊपर हो गयी और उसका मुँह बिल्कुल खुल गया.. फिर राजेश ने अपने लंड का सुपाड़ा खोल कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे उसे चूत से रगड़ने लगा.. शीला मारे चुदास के अपनी कमर नीचे-ऊपर कर रही थीं और फिर थोड़ी देर के बाद बोलीं, “साले भोंसड़ी के गाँडू, अब जल्दी से अपना लंड चूत में घुसा नहीं तो हट जा मेरे ऊपर से.. मैं खुद ही यह हेरब्रश चूत में डाल के अपनी चूत की गरमी निकालती हूँ..”

तब राजेश ने उसकी चूंचियों को पकड़ कर निप्पल को मसलते हुए उसके होठों को चूमा और बोला, “अरे मेरी शीला रानी, इतनी भी जल्दी क्या है? ज़रा मैं पहले इस सुंदर बदन और इन बड़ी बड़ी चूचियों का आनंद उठा लूँ, उसके बाद फिर जी भर कर चोदूँगा.. फिर इतना चोदूँगा कि यह सुंदर सी चूत लाल पड़ जायेगी और सूज कर पकौड़ी हो जायेगी..”

शीला बोलीं, “साले चोदू, मेरी जवानी का तू बाद में मज़ा लेना.. अभी तो बस मुझे चोद.. मैं मरी जा रही हूँ, मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं और वोह तेरे लौड़े के धक्के से ही जायेंगी.. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे, प्लीज़..”

शीला की यह सब सैक्सी बातें सुन कर राजेश समझ गया कि अब शीला का भोसड़ा फिर से छेदने का वक्त आ चुका है.. राजेश ने अपना सुपाड़ा उसकी पहले से भीगी चूत के मुँह के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपाड़े को अंदर कर दिया.. शीला ने राजेश के फूले हुए सुपाड़े के अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटके से ऊपर को उछाला और राजेश का छह इंच का लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया..

तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोलीं, “आहह! क्या सुकून मिला तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डलवाकर.."

अब राजेश अपना लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा.. मस्त हो कर वो शीला की चूत चोदने लगा.. शीला भी इस भरसक चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ा रही थी, “हाय! राजेश... और पेल... और पेल अपनी भाभी की चूत में अपना मोटा लंड... तेरी भाभी की चूत तेरा लंड खाकर निहाल हो रही है.. हाय! लम्बे और मोटे लंड की चुदाई कुछ और ही होती है.. बस मज़ा आ गया.. हाँ... हाँ, तू ऐसे ही अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरी चूत में अपना लंड आने दे.. मेरी चूत की फिक्र मत कर.. फट जने दे उसको आज..”

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धनाधन शॉट मारते ही राजेश के लंड का रिसाव हो गया.. शीला भी थरथराते हुए झड़ गई
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये शीला की चुदाई की आग ने उसे एक साथ तीन तीन देहातीयोंने रसिक के खेत के पास गांड और चुद फटने तक चुदाई कर ली
कुछ दिनों बाद राजेश को बोलकर हाॅटेल में बडी ही खतरनाक दौर चला वहा उसने राजेश और फाल्गुनी का भी राज खोलकर उनमें खुद को शामिल कराने के लिये मना भी लिया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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arushi_dayal

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पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की राजेश और फाल्गुनी, स्व.सुबोधकांत के फार्महाउस पर मिलते है.. दोनों के संबंध अब काफी करीबी हो चुके है.. फाल्गुनी राजेश को शीला के बारे में बताती है की कैसे उसे लग रहा था जैसे शीला को उनके बारे में कुछ पता चल गया है..

दूसरी तरफ, रसिक के खेत से संतृप्त होकर लौटने के बाद, कविता शीला के प्रति आभार व्यक्त करती है.. तभी वैशाली के फोन से यह जानकारी मिलती है की पिंटू पर हमला करने वालों की शिनाख्त हो चुकी है.. वह संजय और हाफ़िज़ थे.. वैशाली का पूर्व पति और उसका साथी.. वही ड्राइवर जिसके साथ शीला संजय के साथ गोवा गई थी और लौटते वक्त उसने शीला को भरपूर चोदा था.. शीला यह सुनकर चौंक उठती है और तुरंत वापिस आने की तैयारी करती है.. कविता शीला को आश्वासन देती है की वह जल्दी ही पीयूष से, पिंटू की नौकरी की बात करेगी, ताकि वैशाली और पिंटू को उस शहर में रहना न पड़े..

घर लौटने के बाद शीला अकेली ही अपनी हवस की आग से झुजती रहती है.. वह अपना ध्यान भटकाने की काफी कोशिश करती है पर सब कुछ नाकाम रहता है.. थककर शीला रसिक को बार बार फोन करती है पर वो उठाता ही नहीं है..

जिस्म की भूख से हारकर, शीला आखिर एक फैसला करती है...

अब आगे...
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शीला ने अपना ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिशें की.. फोन पर सहेलियों से गप्पे लड़ाएं.. टीवी देखा.. पर कहीं मन लग नहीं रहा था..!! जैसे शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो तो मन घूम-फिर कर वहीं जाकर अटकता है.. बिल्कुल वैसे ही.. शीला का मन उसकी बुदबुदाती हुई चूत पर ही जाकर रुक जाता था.. बहोत कोशिश की शीला ने अपने गुप्तांग को समझाने की.. पर उसकी चूत बिना चुदे मानने का नाम ही नहीं ले रही थी.. और यह शीला भी जानती थी..!! शीला का भोसड़ा.. जंगल के उस दानव की तरह था जो एक बार जाग जाए तो बिना भोग लिए मानता नहीं है..

जैसे तैसे करके शीला ने कुछ घंटे निकाले.. वैशाली के घर जाकर रात का खाना भी खा लिया.. वापिस आई तब तक दस बज चुके थे.. घर बंद कर बैठी शीला फिर से टीवी देखने लगी.. करीब एक घंटे तक वो चैनल बदलती रही.. एक अंग्रेजी एक्शन मूवी उसे दिलचस्प लगी.. वह काफी देर तक मूवी देखती रही.. फिल्म के एक द्रश्य में नायक एक लड़की के साथ संभोगरत होते दिखाया गया.. इतना गरमा-गरम सीन था की देखते ही शीला अपनी जांघें रगड़ने लग गई.. उसने तुरंत टीवी बंद कर दिया और सोफ़े पर ही लेट गई..

हवस की गर्मी उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी.. वह लेटे लेटे अपने विराट स्तनों को दोनों हाथों से मसल रही थी.. उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उठा लिए और पेन्टी में हाथ डालकर चूत की दरार में उँगलियाँ रगड़ने लगी.. इतना चिपचिपा प्रवाही द्रवित हो रहा था की पेन्टी बदलने की नोबत आ चुकी थी..

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काफी देर तक शीला अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदकर शांत करने की कोशिश करती रही.. पर उसकी भूख शांत होने के बजाय और भड़क गई.. वासना की आग में झुलसते हुए शीला बावरी सी हो गई.. क्या करूँ.. क्या करूँ..!!! उसने अपने आप से पूछा.. अभी उसका हाल ऐसा था की अगर वैशाली घर पर नहीं होती तो वो पिंटू को पकड़कर उससे चुदवा लेती.. मदन अमरीका था.. राजेश वहाँ फाल्गुनी की फुद्दी का नाप ले रहा था.. रघु या जीवा को घर पर बुलाना मुमकिन नहीं था.. शीला पागल सी हुए जा रही थी..!!!

शीला ने एक कठिन निर्णय लिया.. वह उठी और बाथरूम में घुसी.. चूत के रस से लिप्त पेन्टी उतारकर उसने अपना भोसड़ा पानी और साबुन से अच्छी तरह धोया.. उसने पेन्टी पहनी ही नहीं क्योंकि बार बार भीग जाने से उसे बदलना पड़ रहा था.. एक छोटे सी बेग में एक जोड़ी कपड़े और अपना पर्स लेकर निकल पड़ी

रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे.. शीला तेज कदमों से चलते हुए मैन रोड तक आ गई.. कहीं कोई ऑटो नजर नहीं आ रही थी.. पर एक कोने में एक टेकसी खड़ी हुई थी.. शीला तुरंत उसके पास गई

शीला: "भैया.. मढ़वाल चॉकड़ी चलोगे?"

वह ड्राइवर शीला की तरफ देखता ही रह गया.. शीला का मांसल गदराया जिस्म.. साड़ी के पीछे ब्लाउस की साइड से झलकती स्तनों की गोलाइयाँ.. और बड़ी बड़ी जांघें..!! सीट पर बैठे बैठे उसने अपना लंड एडजस्ट किया..

ड्राइवर: "पाँच सौ रुपये लूँगा"

शीला: "ठीक है, चलो" कहते हुए शीला ने पीछे का दरवाजा खोला और अंदर बैठ गई.. अमूमन वहाँ जाने के लिए दिन के समय ऑटो वाला सौ रुपये से ज्यादा नहीं लेता था, उसका पाँच सौ रुपये किराया तय करने से पहले शीला ने एक बार भी नहीं सोचा.. वह कुछ सोच पाने की स्थिति में ही नहीं थी..!!!

ड्राइवर गाड़ी तेजी से चलाते हुए शहर के बाहर वाले हाइवे पर ले गया.. रियर-व्यू मिरर से वो बार बार शीला के मदहोश बदन को देख रहा था.. पर शीला का ध्यान खिड़की से बाहर ही था.. उसने एक बार भी उस ड्राइवर की तरफ नहीं देखा

शीला: "बस यहीं रोक दीजिए, भैया"

हाइवे पर एक बड़े से चौराहे पर शीला ने गाड़ी रोकने के लिए कहा.. कोने में ले जाकर ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी.. शीला उतरी और अपने पर्स से पाँच-सौ का एक नोट देकर तेजी से झाड़ियों की ओर जाने लगी.. कुछ आगे चलने पर शीला ने महसूस किया की वह ड्राइवर अब भी वहीं खड़ा था.. अपनी गाड़ी में.. शायद उसे ताज्जुब हो रहा था की इतनी रात गए यह औरत, जंगल जैसे रास्ते पर क्यों और कहाँ जा रही होगी..!! शीला अलर्ट हो गई.. वो वहीं खड़ी हो गई और अपना मोबाइल निकालकर किसी से बात करने का अभिनय करते हुए ड्राइवर की तरफ देखती रही.. जब ड्राइवर को एहसास हुआ की शीला उसकी तरफ देख रही थी, तब वह अपनी गाड़ी लेकर चला गया..

टेकसी वाले के चले जाने के बाद शीला ने अपना बैग और पर्स उठाया और पगडंडी की तरफ़ चल पड़ी.. गनिमत ये थी कि बैग हल्का ही था क्योंकि उसमें एक जोड़ी कपड़े और ब्रा पैंटी वगैरह ही थी.. चलते चलते वह खेतों से बीच गुजरते हुए बीहड़ रास्ते से रसिक का खेत ढूंढते आगे बढ़ रही थी.. उसे चलते हुए अभी दस मिनट ही हुई थी कि उसे लगा कोई उसके पीछे है.. वो बिल्कुल डर गई और अपनी चलने की रफ्तार तेज़ कर दी.. उसने अपने पल्लू से अपने शरीर को पूरी तरह से ढक रखा था.. तभी उसे अपने पीछे से कदमों की आवाज़ तेज़ होती महसूस हुई..

वो अभी अपनी रफ्तार और बढ़ाने वाली ही थी कि उसे सामने एक परछाई नज़र आई.. वो उसी की तरफ़ आ रही थी.. अब शीला की डर के मारे बुरी हालत थी.. तभी उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ.. उसे पता ही नहीं चला, कब वो पीछे वाला आदमी इतने करीब आ गया.. उसने झट से उसका हाथ झटक दिया और पगडंडी से उतर कर खेतों की तरफ़ भागी जहाँ उसे थोड़ी रोशनी नज़र आ रही थी.. उसका बैग और पर्स वहीं छूट गया.. वो दोनों परछांइयाँ अब उसका पीछा कर रही थी.. “पकड़ रंडी को! हाथ से निकल ना जाये! देख साली की गाँड देख.. कैसे हिल रही है और इतने बड़े बड़े बबले.. आज तो मज़ा आ जायेगा..!!!” शीला को कानों में यह आवाज़ें साफ़ सुनाई दे रही थीं और अचानक उसकी पीठ पर एक धक्का लगा और वो सीधे मुँह के बल, घास के ढेर पर गिर गई.. घास की वजह से उसे चोट नहीं आई..

“बचाओ, बचाओ, रसिक!” वो ज़ोर से चिल्लाई.. तभी एक आदमी ने उसके पल्लू को ज़ोर से खींच दिया और वो फर्रर्र की आवाज़ के साथ फट गया.. उसकी साड़ी तो पहले से ही आधी उतर चुकी थी और इस भाग-दौड़ की वजह से और भी खुल सी गई थी.. उस आदमी ने उसकी साड़ी भी पकड़ कर खींच के उतार दी.. शीला की पूरी जवानी जैसे कैद से बाहर निकल आई.. अब उसने सिर्फ़ पेटीकोट, ब्लाऊज़ और सैंडल पहन रखे थे..

फिर एक आदमी उसपर झपट पड़ा तो शीला ने उसे ज़ोर से धक्का दिया और एक लात जमायी.. वो अब भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिये कश्मकश कर रही थी.. तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा और उसकी आँखों के आगे जैसे तारे नाचने लगे और कानों में सीटियाँ बजने लगी.. वो ज़ोर से चींख पड़ी.. तभी उन दोनों में से एक ने उसके पेटीकोट को ऊपर उठाया और उसकी जाँघों को पकड़ लिया.. पैंटी तो शीला ने घर से निकलते हुए पहनी ही नहीं थी.. उसने अपनी दोनों जाँघों को मज़बूती से भींच लिया..

उस आदमी का हाथ, जाँघों के बीच उसकी नंगी चूत पर था, और शीला उस आदमी के बाल पकड़ कर उसे ज़ोर से पीछे धकेलने लगी.. तभी उसे एक और ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा.. ये उस दूसरे आदमी ने मारा था.. शीला के पैर खुल गये और उसके हाथों की पकड़ ढीली हो गई.. तभी वह पहला आदमी, खुश होते हुए बोला, “साली की चूत एक दम साफ़ है, और कितनी गदराई भी है.. आज तो मज़ा आ जायेगा! क्या माल हाथ लगा है!’ ये कहते हुए उस आदमी ने शीला के ब्लाऊज़ को पकड़ कर फाड़ दिया और शीला के मम्मे एक झटके में बाहर झूल गये.. ब्लाउज़ और ब्रा फटते ही शीला के गोल-गोल मम्मे नंगे हो गये और पेटीकोट उसकी कमर तक उठा हुआ था..

शीला ने फिर हिम्मत जुटाई और ज़ोर से उस आदमी को धक्का दिया.. तभी दूसरे आदमी ने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उन्हें उसके सिर के ऊपर तक उठा दिया और नीचे पहले आदमी ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना पायजामा भी.. उसने अंडरवेर नहीं पहनी थी और शीला की नज़र सीधे उसके लंड पर गई और उसने अपनी टाँगें फिर से जोड़ लीं.. वो सिर्फ अब ऊँची ऐड़ी के सुनहरी सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पर पीठ के बल लेटी हुई थी.. उसके हाथ उसके सर के ऊपर से एक ने पकड़ रखे थे और नीचे दूसरा शख्स उसकी चुदाई की तैयारी में था.. शीला इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी और वो अब भी चींख रही थी.. “और चींख रंडी! यहाँ कौन सुनने वाला है तेरी...? आराम से चुदाई करवा ले तो तुझे भी मज़ा आयेगा!” हाथ पकड़कर बैठे उस शख्स ने उसके हाथों को ज़ोर से दबाते हुए कहा.. शीला को उसका सिर्फ़ चेहरा नज़र आ रहा था क्योंकि वो उसके सिर के पीछे बिठा हुआ था.. “अरे सुन! वो लोडुचंद कहाँ मर गया?” “आता ही होगा!” अब शीला समझ गई कि इनका एक और साथी भी है..

तभी किसी ने उसकी चूचियों को ज़ोर से मसल दिया.. जिस तीसरे आदमी का उल्लेख हो रहा था, वो आ गया था.. “क्या माल मिला है... आज तो खूब चुदाई होगी!” तीसरे ने उसकी एक टाँग पकड़ी और ज़ोर से खींच कर दूसरी टाँग से अलग कर दी.. दूसरा आदमी तो जैसे मौके की ताक में था.. उसने झट से शीला की दूसरी टाँग को उठाया और सीधे शीला की चूत में लंड घुसेड़ दिया और शीला के ऊपर लेट गया..


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शीला की चूत बिल्कुल सूखी थी क्योंकि वो इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका बलात्कार हो रहा है, और वो भी तीन-तीन मर्द उसको एक साथ चोदने वाले हैं...!! वो भी ज़बरदस्ती..!! वैसे तो चुदाई के लिये वो खुद हमेशा तैयार रहती थी लेकिन ये हालात और इन लोगों की जबरदस्ती और रवैया उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. इन जानवरों को तो सिर्फ झड़ने से मतलब था और उसकी खुशी या खैरियत की ज़रा भी परवाह नहीं थी..!!

तभी उसके भोसड़े पर एक ज़ोरदार वार हुआ और उसकी चींख निकल गई.. उसकी सूखी हुई चूत में जैसे किसी ने मिर्च रगड़ दी हो.. वह दूसरा शख्स एक दम ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा था..

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शीला की एक टाँग तीसरे शख्स ने इतनी बाहर की तरफ खींच दी थी कि उसे लग रहा था कि वो टूट जायेगी.. उसके दोनों हाथ अब भी पहले आदमी ने कस कर पकड़ रखे थे और वो हिल भी नहीं पा रही थी.. अब वह दूसरा आदमी, जिसने शीला की चूत में अपना लंड घुसेड़ रखा था, वह उसे चोदे जा रहा था और उसके धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो गई थी.. हालात कितने भी नागवार थे लेकिन शीला थी तो असल में एक नम्बर की चुदासी.. इसलिये ना चाहते हुए भी शीला को भी अब धीरे-धीरे मज़ा आने लगा था और उसकी गाँड उठने लगी थी.. उसकी चूत भी अब पहले की तरह सूखी नहीं थी और भीगने लगी थी.. तभी दूसरे शख्स ने ज़ोर से तीन-चार ज़ोर के धक्के लगाये और अपना लंड बाहर खींच लिया.. अब तीसरे व्यक्ति ने शीला को उलटा लिटा दिया..

शीला समझ गई उसकी गाँड चोदी जाने वाली है.. तीसरे शख्स ने उसकी गाँड पर अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया.. शीला ने अपने घुटने अंदर की तरफ़ मोड़ लिये और अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी और एक ज़ोरदार लात पीछे खड़े उस आदमी के पेट पेर दे मारी.. वह शख्स इस आकस्मिक हमले से संभल नहीं पाया और गिरते-गिरते बचा.. शीला के ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल की चोट काफी दमदार थी और कुछ पलों के लिये तो उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया.. तभी वह दूसरा व्यक्ति, जो शीला की चूत चोद चुका था, उस ने परिस्थिति समझते हुए शीला की टाँग पकड़ कर बाहर खींच लिया.. तब तक वह तीसरा आदमी भी संभल चुका था.. उसने शीला की दूसरी टाँग खींच कर चौड़ी कर दी और एक झटके से अपना लंड उसकी गाँड के अंदर घुसा दिया..

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“साली रंडी! गाँड देख कर ही पता लगता है कि पहले कईं दफा गाँड मरवा चुकी है... फिर भी इतना नाटक कर रही है!” कहते हुए उस ने एक थप्पड़ शीला के कान के नीचे जमा दिया.. शीला चकरा गई.. उसका लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड में घुस गया था.. शीला फिर ज़ोर से चिल्लायी और मदद की गुहार लगाने लगी.. “अबे चोदू! क्या हाथ पकड़े खड़ा है... मुँह बंद कर कुत्तिया का!” हाथ पकड़े खड़े पहले आदमी ने जैसे इशारा समझ लिया.. उसने अपनी धोती हटाई और अपना लंड उलटी पड़ी हुई शीला के मुँह में जबरदस्ती घुसाने लगा.. शीला ने पूरी ताकत से अपना मुँह बंद कर लिया.. और लंड पर अपने दांत गाड़ने गई.. पर वो आदमी संभल गया और उसने शीला के दोनों गालों को अपनी उंगली और अंगूठे से दबा दिया.. दर्द की वजह से शीला का मुँह खुल गया और लंड उसके मुँह से होता हुआ उसके गले तक घुसता चला गया.. शीला की तो जैसे साँस बंद हो गई और उसकी आँखें बाहर आने लगीं.. उस आदमी ने अपना लंड एक झटके से उसके मुँह से बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया..

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और तभी, शीला को अपनी गांड के सुराख पर गरम सुपाड़े का स्पर्श हुआ.. हाथ पैर पकड़े हुए थे, हलक तक लंड घुसा हुआ था.. किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी शीला.. गनीमत थी की उस आदमी ने काफी मात्रा में लार लगा दी थी शीला के बादामी छेद पर.. दोनों चूतड़ों को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर लंड को अंदर घुसाया गया.. दर्द तो हो रहा था पर शीला चीखती भी तो कैसे.. !!

अब शीला भी संभल गई थी.. उसे उस गंवार आदमी के पेशाब का तीखापन और उसकी गंध साफ़ महसूस हो रही थी.. उसका लंड उसके मुँह की चुदाई कर रहा था और उसके गले तक जा रहा था और पीछे वह तीसरा शख्स उसकी गाँड में लंड के हथौड़े चला रहा था.. काफी देर तक उसकी गाँड मारने के बाद उस बंदे ने उसकी गाँड से लंड निकाला और कमर पकड़ कर उसकी गाँड ऊँची उठा दी.. फिर पीछे से ही लंड उसकी चूत में घुसा दिया.. कुछ दस मिनट की चुदाई के बाद उस आदमी ने अपने लंड का पानी शीला की चूत में छोड़ दिया और आगे खड़े उस शख्स को, जो शीला के मुंह में लंड घुसेड़कर खड़ा था, उसको इशारा किया.. इशारा मिलते ही उस आदमी ने अपना लंड शीला के मुँह से निकाल कर उसका हाथ छोड़ दिया.. शीला एक दम निढाल होकर घास के ढेर पर औंधे मुँह गिर गई.. उसकी हालत खराब हो चुकी थी और उसकी गाँड और चूत और मुँह में भी भयंकर दर्द हो रहा था.. तभी पहले व्यक्ति ने उसे सीधा कर दिया.. “मुझे छोड़ दो, प्लीज़, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... बहुत दर्द हो रहा है...!” अब शीला में चिल्लाने की चींखने की या प्रतिरोध करने की ताकत बची नहीं थी..

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“बस साली कुत्तिया! मेरा लंड भी खा ले, फिर छोड़ देंगे!” कहते हुए पहले व्यक्ति ने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.. दर्द के मारे.. शीला की आँखें फैल गईं, मगर मुँह से आवाज़ नहीं निकली.. ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगने शुरू हो गए थे.. शीला की चूत जैसे फैलती जा रही थी और आदमी का लंड उसे किसी खंबे की तरह महसूस हो रहा था.. रसिक के मुकाबले यह लंड उतना लंबा तो नहीं था.. पर तंदूरस्त और मोटा जरूर था..

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फिर उस आदमी ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.. शीला एक मुर्दे की तरह उसके नीचे लेटी हुई पिस रही थी और उस आदमी का पानी गिर जाने का इंतज़ार कर रही थी.. उसका अंग-अंग दुख रहा था और वो बिल्कुल बेबस लेटी हुई थी.. वो आदमी उसे लंड खिलाये जा रहा था.. फिर शीला को महसूस हुआ कि इतने दर्द के बावजूद उसकी चूत में से पानी बह रहा था और मज़ा भी आने लगा था.. तभी उस शख्स ने ज़ोरदार झटके मारने शुरू कर दिये और शीला की आँखों में आँसू आ गये और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी चुदी चुदाई चूत जो कि कई लंड खा चुकी थी, जैसे फट गई थी.. फिर भी इतना दर्द झेलते हुए भी उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और झड़ गई.. लंड का पानी भी उसके चूत के पानी में मिला गया.. इतनी दर्द भरी चुदाई के बाद किसी तरह से शीला अभी भी होश में थी..


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वो बुरी तरह हाँफ रही थी.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी बेरहम और दर्दनाक चुदाई के बावजूद कहीं ना कहीं उसे मज़ा भी ज़रूर आया था.. उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी फटी हुई चूत ने भी कैसे झड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया था जिसमें कि इस वक्त भी बे-इंतेहा दर्द हो रहा था.. थोड़ी देर के बाद किसी तरह वो बैठ सकी थी.. “मैं घर कैसे जाऊँगी? मेरा सामान तो ढूँढने में मेरी मदद करो!”

“तेरा सामान यहीं है… और हाँ मैंने फोन भी बंद कर दिया था!” कहते हुए तीसरे शख्स ने घास के ढेर के पास रखे हुए सामान की तरफ़ इशारा किया.. यही वजह थी की वो देर से आया था..

शीला को उसके हाल पर छोड़कर तीनों वहाँ से भाग गए..!!

अपना सामान उठाकर शीला जैसे तैसे उठी..उसके पहने हुए कपड़े फट चुके थे.. नीरव अंधकार में उसने अपने बेग से दूसरे कपड़े की जोड़ी निकाली और पहन लिए..

वह लड़खड़ाती चाल से चलते हुए मुख्य सड़क तक आई.. काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद एक ऑटो मिली.. बैठकर शीला घर की और निकल गई.. घर पहुंचते ही शीला ने बेग और पर्स को एक तरफ फेंका और धम्म से बेड पर गिरी.. बाकी की पूरी रात शीला को बस उन तीन शख्सों द्वारा की गई चुदाई के ही ख्वाब आते रहे और उसकी चूत पानी गिराती रही.. जागते हुए भी अक्सर उसी वाकये का ख्याल आ जाता और उसके होंठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट फैल जाती और गाल लाल हो जाते..
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इस बात को एक हफ्ता बीत चुका था.. शीला अब अपना जीवन पूर्ववत जीने लगी थी.. मदन के लौटने में अब भी वक्त था.. अब वो फिर से अकेलापन महसूस करने लगी थी..

अचानक शीला के दिमाग में कुछ आया और उसने राजेश को फोन किया

राजेश: "बड़े दिनों बाद याद किया भाभी"

शीला: "अब तुम्हें मेरे लिए फुरसत ही कहाँ है..!!"

राजेश: "ऐसा नहीं है भाभी.. मैं तो आपको रोज याद करता हूँ.. पर आप के घर आना तो मुमकिन नहीं है, आपके दामाद की वजह से"

शीला: "हम्म.. कहाँ हो अभी?"

राजेश: "ऑफिस मे"

शीला: "कहीं मिलने का जुगाड़ करो यार.. बहोत दिन हो गए.. मदन जब से गया है तब से नीचे सब बंजर ही पड़ा हुआ है"

राजेश: "आप जब कहो तब.. मैं आपके नीचे हरियाली कर देने के लिए तैयार हूँ भाभी"

शीला: "आज शाम को कहीं मिलते है.. पर कहाँ मिलेंगे?"

राजेश: "मैं होटल में रूम बुक कर देता हूँ.. मेरे एक पहचान वाले का होटल है.. एकदम सैफ है.. कोई खतरा नहीं होगा"

शीला: "देखना कहीं उस रात जैसा कोई सीन न हो जाए.. पुलिस की रैड पड़ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे"

राजेश: "कुछ नहीं होगा.. मेरी गारंटी है"

शीला: "ठीक है, मुझे अड्रेस भेजो, शाम के चार बजे मिलते है"

राजेश: "ठीक है भाभी"

शीला ने फोन रख दिया.. और सोफ़े पर ही लेट गई.. राजेश से मिलने जाने के लिए कोई बहाना बनाना पड़ेगा ताकि वो वैशाली को बता पाएं और पिंटू को भी शक न हो

उसने वैशाली को फोन किया.. और बहाना बनाया की उसकी पुरानी सहेली चेतना की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वो उससे मिलने जाने वाली है..

साढ़े तीन बजे तैयार होकर शीला घर से बाहर निकली.. उसने एक नजर पड़ोस में वैशाली के घर की तरफ डाली.. दोपहर का समय था इसलिए कोई भी बाहर नहीं था.. इत्मीनान से शीला बाहर निकली और सड़क पर आकर ऑटो ले ली.. राजेश के दिए हुए पते पर थोड़ी ही देर में पहुँच गई

कमरे का नंबर पहले से ही मालूम था इसलिए बड़े ही आत्मविश्वास के साथ शीला रीसेप्शन से चलते हुए सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.. वहाँ खड़ा मेनेजर इस गदराई महिला को आँखें भरकर देख रहा था

रूम नं १०४ में पहुंचकर शीला ने दस्तक दी.. राजेश ने तुरंत दरवाजा खोला.. वो तौलिया लपेटे खड़ा हुआ था.. शीला उसकी ओर देखकर मुस्कुराई और अंदर चली आई.. राजेश ने दरवाजा बंद कर दिया

अंदर पहुंचते ही शीला ने अपनी बाहें खोली और राजेश को खींचकर अपने आगोश में ले लिया.. शीला के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मदमस्त बबलों को दबाकर राजेश ने उसका इस्तकबाल किया..

राजेश को छोड़कर शीला बेड पर पसर गई.. राजेश भी उसकी बगल में लेट गया..

शीला: "तुम्हें तो मेरी याद ही नहीं आती राजेश.. इतना कहाँ बीजी रहते हो??"

शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर, उसकी ब्रा के ऊपर से ही उन बड़े बड़े स्तनों को हाथ से महसूस करते हुए राजेश ने कहा "अरे क्या कहूँ भाभी..!! ऑफिस में इतना काम रहता है..!! ऊपर से पीयूष अपनी ऑफिस की जिम्मेदारी सौंप कर गया है.. जब तक वो वापिस नहीं आता, तब तक उसकी ऑफिस का ध्यान रखने के लिए भी चक्कर लगाने पड़ते है"

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शीला ने राजेश की आँखों में आँखें डालकर, तीखी नज़रों से देखते हुए कहा "अच्छा..!! पीयूष की ऑफिस भी अब तुम्हीं संभालते हो..!!"

राजेश शीला की तेज नज़रों को झेल न पाया.. अमूमन जब आपको शक हो की सामने वाला झूठ बोल रहा है तब वह अपनी नजरें चुराता है..

शीला: "ओहो.. तब तो बहोत बीजी रहते होंगे तुम..!! यहाँ का काम संभालना, पीयूष की ऑफिस को संभालना.. और फिर फाल्गुनी को भी संभालना..!!!"

राजेश चोंक पड़ा.. फाल्गुनी का जिक्र होते ही वह अचंभित हो गया.. शीला को इस बारे में कैसे पता लगा होगा..!!! वैसे फाल्गुनी ने उसे यह बताया तो था की शायद शीला को शक हो गया है.. पर वह इस तरह हमला करेगी उसका राजेश को जरा सा भी अंदाजा नहीं था..!! वह फटी आँखों से शीला की तरफ देखने लगा.. शैतानी मुस्कान के साथ शीला उसकी तरफ देख रही थी

शीला: "क्या हुआ.. कुछ बोल क्यों नहीं रहे..!! बोलती बंद हो गई क्या..!!! तुम्हें क्या लगा.. की मुझे पता नहीं लगेगा?"

राजेश ने आँखें झुकाते हुए कहा "अब तुम्हें पता लग ही गया है तो मैं और क्या बोलूँ..!!"

शीला: "मतलब तुम्हें यहाँ से उस शहर जाकर फाल्गुनी के संग गुलछर्रे उड़ाने के लिए वक्त है.. और मेरे पास आने का टाइम नहीं है?? पीयूष अमरीका गया है तो उसकी ऑफिस संभालने जाते हो..!! और मदन अमरीका गया है तो उसकी बीवी की जरूरतों को कौन संभालेगा?"

कहते हुए नाराज होने की ऐक्टिंग करते शीला करवट लेकर पलट गई.. अब शीला की पीठ और कमर राजेश के सामने थी

राजेश ने उसका कंधा पकड़कर, गर्दन को हल्के से चूमते हुए कहा "अरे नाराज क्यों होती हो भाभी..!! आपके पास आने का दिल तो बड़ा करता है.. पर वैशाली के रहते कैसे आता?? आप तो जानती हो उस वाकये के बाद मुझे बहुत संभलना पड़ता है"

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शीला ने बिना राजेश के सामने देखें कहा "आज मिल ही रहे है ना..!! अगर मिलने का मन हो तो कुछ न कुछ सेटिंग हो ही सकता है, जैसा आज किया है.. असलियत में तुम्हें उस फाल्गुनी की जवान चूत मिल गई इसलिए भाभी की याद नहीं आती"

राजेश ने जवाब नहीं दिया.. वह जानता था की रंगेहाथों पकड़े जाने पर, शीला किसी भी तरह की सफाई नहीं सुननेवाली.. उसे मनाने के एक ही तरीका था.. उसकी भूख को शांत करना..!!

राजेश अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और शीला के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उसके एक स्तन को मजबूती से मसल दिया.. सिहर उठी शीला..!!! उसकी आँखें बंद हो गई.. राजेश अब ब्लाउज के एक के बाद एक हुक खोलता गया और फिर शीला की ब्रा ऊपर कर उसने दोनों स्तनों को बाहर निकाल दिया.. शीला अब भी राजेश की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी.. और राजेश पीछे से अपना लंड शीला के चूतड़ों पर रगड़ते हुए उसके मदमस्त बबलों को मसल रहा था..

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शीला की निप्पलें तनकर खड़ी हो गई.. उंगलियों के बीच उन निप्पलों को भींचते हुए राजेश ने शीला की आह्ह निकाल दी.. अब शीला की कमर पर बंधी साड़ी के अंदर हाथ डालकर पेन्टी के ऊपर से ही राजेश ने उसकी चुत को मुठ्ठी में भरकर दबा दिया.. शीला की पेन्टी अब तक निचोड़ने लायक गीली हो चुकी थी.. लेटे लेटे ही शीला ने अपनी साड़ी कमर तक ऊपर कर ली.. और राजेश ने पीछे से उसकी पेन्टी सरकाकर घुटनों तक नीचे ला दी

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राजेश की जांघें शीला के कुल्हों से चिपक गई.. उसका तना हुआ लंड शीला के कुल्हों की गहराई में छिप सा रहा था.. राजेश भी जान बुझ कर उस से लिपट सा रहा था ताकि शीला उसकी उत्तेजना को महसुस कर सकें.. कुछ देर बाद राजेश का एक हाथ उसकी बाँहों के ऊपर से हो कर उसकी छातियों तक पहुँच गया.. वो कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा कि वह शायद कोई हरकत करेगी लेकिन उसने कोई हरकत नहीं की..

राजेश की हिम्मत बढ़ गयी.. वह अपना तना लंड शीला के नंगें कुल्हों के बीच दबा पा रहा था.. राजेश ने अपना ट्राउज़र उतार कर नीचे कर दिया और अपने लंड को ब्रीफ से बाहर निकाल लिया..

राजेश ने धीरे से उसकी जाँघ को अपने हाथ से सहलाना शुरु कर दिया.. जहाँ तक राजेश का हाथ जा रहा था, वो उसकी भरी हुई जाँघ को हल्के हाथ से सहलाने लगा.. उसके ऐसा करने से उसके बदन में भी सिहरन सी होने लगी थी.. लेकिन वह अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखा रही थी और एकदम निश्चल सी लेटी हुई थी..

राजेश का हाथ उसके मांसल कुल्हें को सहला कर उसकी कमर पर आ गया और फिर उसकी गूँदाज कमर को सहलाने में लग गया.. वो चाह रहा था कि शीला के शरीर में भी सेक्स की जबरदस्त इच्छा जाग जाये..

राजेश का प्रयास सफल सा हो रहा था.. उसके शरीर के रोयें उत्तेजना के कारण खड़े से हो गये थे, यह वो महसुस कर पा रहा था.. उसके शरीर में भी उत्तेजना के कारण रक्त प्रवाह तेज हो गया था.. कान गरम से हो गये थे.. इसी बीच राजेश ने हाथ से उसकी चुत को भी सहला दिया.. उसने इस हरकत का विरोध नही किया..

कुछ देर तक राजेश अपने लंड को उसके कुल्हों के बीच दबाता रहा, फिर उसने अपने लंड को उसकी चुत में डालने की कोशिश की.. पहली बार में ही राजेश का लंड उसकी चुत में प्रवेश कर गया.. चुत में भरपुर नमी थी इस लिये लंड को गहराई में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई.. राजेश ने अपने कुल्हें शीला के कुल्हों के नीचे ले जा कर पुरे लंड को उसकी चुत में जाने दिया.. उसका लंड पुरा शीला की चुत में समा गया..

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उसने अपने कुल्हों को हिला कर मेरे लंड के लिये स्थान बना दिया.. शीला भी अब संभोग के लिये तैयार थी.. राजेश के हाथों ने उसके उरोजों को अपने में समाने की कोशिश करनी शुरु कर दी..

राजेश ने उसके पाँच पाँच किलो के उरोजों के तने निप्पलों को अपनी उंगलियों के बीच दबाना शुरु कर दिया था.. नीचे से शीला के कुल्हें राजेश के लंड को अंदर बाहर करने लग गये.. कुछ देर बाद शीला के कुल्हें भी लंड को अंदर समाने में लग गये..

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अब वह दोनों जोर-जोर से प्रहार कर रहे थे.. शीला के कुल्हों पर राजेश के लंड का प्रहार पुरे जोर से हो रहा था.. लेकिन इस संकरी जगह में संभोग सही तरह से नहीं हो पा रहा था.. इसलिए राजेश ने अपना लंड उसकी चुत में से बाहर निकाल लिया और उसके ऊपर लेट गया..

राजेश का लंड फिर से उसकी चुत में प्रवेश कर गया और दोनों जोर-शोर से पुरातन खेल में लग गये.. शीला के मटके जैसे बड़े बड़े स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए राजेश धनाधन धक्के लगा रहा था.. शीला का भोसड़ा अपना गरम चिपचिपा शहद काफी मात्रा में गिरा रहा था.. जो उसकी चुत से होते हुए उसके गांड के छिद्र से जाकर नीचे बेड की चादर को गीला कर रहा था..


शीला के गरम भोसड़े में राजेश का लंड ऐसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे इंजन में पिस्टन..!! करीब १० मिनट की धुआँधार चुदाई के बाद शीला ने राजेश को रोक लिया.. और उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाल लिया.. अब शीला बेड पर ही पलट गई और डॉगी स्टाइल में अपने चूतड़ धरकर राजेश के सामने चौड़ा गई

राजेश ने अपना लंड पकड़ा और शीला के भोसड़े के होंठों को फैलाकर उसके छेद पर टीका दिया.. एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर समा गया.. दोनों हाथों से शीला के कूल्हें पकड़कर राजेश ने अंधाधुन चुदाई शुरू कर दी.. इस पोजीशन में उसे और मज़ा आ रहा था और शीला भी मस्ती से सिहर रही थी क्योंकि राजेश का लंड और गहराई तक जाते हुए उसकी बच्चेदानी पर प्रहार कर रहा था

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उसी अवस्था में कुछ और देर चुदाई चलने के बाद, शीला अपना हाथ नीचे ले गई.. और राजेश का लंड अपनी चुत से निकालकर गांड के छेद पर रखने लगी.. शीला की मंशा राजेश समझ गया.. उसने अपने मुंह से लार निकाली और सुपाड़े पर मलते हुए उसे पूर्णतः लसलसित कर दिया.. शीला की गांड पर सुपाड़ा टीकाकर उसने एक मजबूत धक्का लगाया.. सुपाड़े के साथ साथ आधा लंड भी अंदर चला गया और शीला कराहने लगी

राजेश: "दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ??"

शीला ने कुछ नहीं कहा.. वो थोड़ी देर तक उसी अवस्था में रही ताकि उसकी गांड का छेद थोड़ा विस्तरित होकर लंड के परिघ से अनुकूलित हो जाए.. कुछ देर के बाद जब दर्द कम हुआ तब अपने चूतड़ों को हिलाते हुए उसने राजेश को धक्के लगाने का इशारा दिया..

राजेश ने अब धीरे धीरे अपनी कमर को ठेलते हुए धक्के लगाने शुरू किए.. शीला के भोसड़े के मुकाबले गांड का छेद कसा हुआ होने की वजह से उसे अत्याधिक आनंद आ रहा था.. अपनी गांड की मांसपेशियों से शीला ने राजेश का लंड ऐसे दबोच रखा था जैसे कोल्हू में गन्ना फंसा हुआ हो..

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उस टाइट छेद के सामने राजेश का लंड और टीक नहीं पाया.. उसकी सांसें तेज होने लगी.. शीला की गांड में अंदर बाहर करते हुए वो झुककर शीला के झूल रहे बबलों को दबोचकर शॉट लगाता रहा.. कुछ ही देर में वह अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया और अपना गाढ़ा वीर्य शीला की गांड में छोड़ने लगा.. करीब तीन चार बड़ी पिचकारियों से शीला की गांड का अभिषेक करने के बाद.. वह हांफता हुआ शीला के बगल में लेट गया.. शीला भी तृप्त होकर पेट के बल बिस्तर पर पस्त होकर गिरी

काफी देर तक दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे.. और अपने साँसों के नियंत्रित होने का इंतज़ार करते रहे.. राजेश का अर्ध-मुरझाया लंड अभी भी शीला की गांड के दरारों के बीच था

शीला ने अब करवट ली और राजेश की तरफ मुड़ी.. उसके भारी भरकम स्तन धम्म से बिस्तर पर राजेश के सामने बिखर गए..

राजेश अपनी उंगलियों से शीला के मस्त लंबे चूचकों से खेलने लगा.. शीला ने अपनी मांसल जांघ को राजेश की टांगों पर रख दिया ताकि वह अपनी इच्छा अनुसार, भोसड़े को राजेश के घुटनों पर रगड़ सकें

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शीला: "तो बताओ छुपे रुस्तम..!! फाल्गुनी का शिकार कैसे किया?"

राजेश मुस्कुराया.. कुछ देर तक चुप रहा और बोला "यार भाभी आपका नेटवर्क गजब का है.. हमने इतनी एहतियात बरती फिर भी पता नहीं कैसे आपको पता लग गया..!! वैसे बताइए तो सही, आपको पता कैसे लगा इस बारे में? हम दोनों के संबंधों के बारे में अब तक हमने किसी को नहीं बताया.. फिर यह बात बाहर आई कैसे?"

राजेश के पिचके हुए लंड को अपनी हथेली में लेकर पुचकारते हुए शीला ने कहा "मुझे कभी भी कम आँकने की कोशिश मत करना राजेश.. मुझे सीक्रेट बातों की गंध लग जाती है.. बड़ी तेज नाक है मेरी..!! कोई चाहे जितना छुपा लें.. अगर मैंने तय कर लिया और मुझे शक हो गया तो मैं किसी न किसी तरह बात की जड़ तक पहुँच ही जाती हूँ.. तुमने जवाब नहीं दिया.. फाल्गुनी की मासूम मुनिया को चौड़ी करने का सेटिंग, आखिर किया कैसे?"

राजेश हँसते हुए बोला "बड़ी लंबी कहानी है भाभी"

शीला: "तो बताओ.. मुझे कोई जल्दी नहीं है.. आराम से बताओ"

राजेश ने एक लंबी सांस लेकर कहा "दरअसल बात शुरू हुई सुबोधकांत के एक्सीडेंट के बाद.. जब मैं और मदन उस जगह पहुंचे तब पुलिस ने बॉडी को हॉस्पिटल भेज दिया था.. तब मेरी नजर सुबोधकांत की गाड़ी के अंदर पड़े कीमती सामान पर पड़ी.. कुछ कॅश था.. कुछ डॉक्युमेंट्स.. उनका मोबाइल फोन.. और भी कई चीजें थी.. तो सोचा सब इकठ्ठा कर लूँ.. उस वक्त पुलिसवाले ट्राफिक को हटाने में लगे हुए थे तो उनका ध्यान नहीं था.. मदन भी दूर खड़ा था.. मैंने सारे चीजें जमा कर ली और फिर हम हॉस्पिटल के लिए निकल गए.. पोस्ट-मॉर्टम के रूम के बाहर हम बैठे थे लाश मिलने के इंतज़ार में.. मदन चाय लेने केंटीन गया उस दौरान जिज्ञासावश मैंने सुबोधकांत का मोबाइल ऑन किया.. कोई पासवर्ड नहीं था.. मैंने अनायास ही व्हाट्सप्प खोला और मेरी आँखें फट गई..!!! फाल्गुनी और सुबोधकांत के चेट मेसेज पढ़कर पैरों तले से धरती खिसक गई..!! एकदम हॉट और सेक्सी मेसेज थे.. सुबोधकांत ने अपना लंड हिलाते हुए कई विडिओ फाल्गुनी को भेजे थे.. फाल्गुनी भी अपने कई नंगे फ़ोटो भेजे थे.. फिर मैंने फ़ोटो गॅलरी खोली.. उसमे सुबोधकांत और फाल्गुनी के बीच की चुदाई के अनगिनत विडिओ थे.. मैंने वह सारा माल अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लिया और सुबोधकांत के मोबाइल से डिलीट भी कर दिया.. बेकार में कोई देख लेता और उस मरे हुए इंसान की बदनामी होती"

शीला बड़े ही ध्यान से सुन रही थी.. राजेश का हाथ पकड़कर उसने अपना एक चुचा थमा दिया और उसे आगे बोलने के लिए इशारा किया

राजेश: "फिर, बड़े ही लंबे अरसे तक मैंने कुछ नहीं किया.. कई बार मैंने वो विडिओ देखें.. देखकर पता चला की चुदाई के मामले मे फाल्गुनी कितनी गरम है..!! सुबोधकांत भी कुछ कम नहीं थे.. उचक उचककर फाल्गुनी को चोदते थे.. और वो भी अपनी ऑफिस की केबिन में.. कुछ विडिओ किसी होटल के भी थे..!!"

शीला के मुंह तक बात आ गई.. सुबोधकांत कितना कामी था वो उससे बेहतर कौन जानता था..!!! उनके घर के गराज में घोड़ी बनाकर चोदा था उन्हों ने शीला को.. बाद में यह भी पता चला की उस रात सेक्स पार्टी में वह भी शामिल था..!! कोकटेल बन कर..!!

वैशाली के भी सुबोधकांत के साथ शारीरिक संबंध थे, इस बात का जिक्र राजेश ने नहीं किया.. इतना अच्छा मूड था अभी शीला की.. बेकार में वो डिस्टर्ब हो जाती..!!

शीला: "फिर आगे क्या हुआ?"

शीला के दोनों बबलों को बारी बारी मसलते हुए राजेश ने कहा "फिर एक तरफ रेणुका प्रेग्नन्ट हो गई.. दूसरी तरफ वैशाली वाली घटना के बाद मेरा आपके घर आना बंद हो गया..!! मैं तब अक्सर मुठ लगाकर ही काम चलाता था पर भूख मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. हिम्मत करके मैंने फाल्गुनी को फोन लगाया.. सोचा एक बार पानी में हाथ डालकर देख तो लूँ..!!! बात बात में मैंने सुबोधकांत के फोन में मिली स्फोटक सामग्री के बारे में जिक्र किया.. वो बेचारी क्या बोलती..!! पर तब मैंने बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया.. मैं देखना चाहता था की फाल्गुनी की मर्जी है भी या नहीं.. मैं उसे ब्लेकमेल करना नहीं चाहता था.. धीरे धीरे बात आगे बढ़ी.. मेसेज का लेन-देन चलता रहा.. और आखिर हम मिले..!!"

शीला: "तो कहाँ मिलते हो तुम दोनों? होटल मे?? याद है ना.. इसी शहर की होटल में वो कांड हुआ था..!!"

राजेश: "मैं पागल तो हूँ नहीं.. जो अब दोबारा यहाँ उसे होटल मे लेकर जाऊंगा.. सुबोधकांत का एक फार्महाउस है.. जिसके बारे में शायद फाल्गुनी के अलावा कोई नहीं जानता.. फाल्गुनी और सुबोधकांत वही पर गुलछर्रे उड़ाने मिलते थे.. हम वहीं मिलते है..एकदम सैफ जगह है.. और हम आराम से वहाँ वक्त बिताते है"

शीला: "हम्म.. बड़ी जबरदस्त सेटिंग की है तुमने और फाल्गुनी ने.. वैसे फाल्गुनी चुदाई के मामले में कैसी है?"

राजेश: "क्या बताऊँ शीला भाभी..!!! एकदम टाइट और गरम माल है.. इतनी छोटी सी उम्र में सेक्स के सारे दांव-पेच खेलना जान गई है.. उसे मजे लेना भी आता है और देना भी..!! इतना टाइट छेद है उसका.. और मस्त बूब्स है..फिगर भी जबरदस्त है.. और मुंह में लेकर क्या चूसती है.. आहाहाहा.. मज़ा ही आ जाता है"

सुनकर शीला को हल्की सी जलन महसूस हुई..

शीला: "हम्म.. तभी कहूँ.. तुम कभी नजर ही नहीं आते थे.. पहले मैंने सोचा की वैशाली के कारण तुम घर नहीं आते होंगे.. पर तुमने तो फोन करना भी बंद कर दिया तब मुझे थोड़ी भनक तो लग ही चुकी थी की तुम्हें छेदने के लिए कोई सुराख मिल ही गया होगा.. अब जाकर सब पता चला..!!"

राजेश: "क्या करता भाभी..!! एक तरफ मैं तड़प रहा था बिना चुदाई के.. और दूसरी तरफ इतनी जबरदस्त लड़की मेरी गोद में आ गिरी.. फिर मैं कहाँ छोड़ने वाला था उसे..!!"

शीला: "तुम जिसे मर्जी चोदते रहो.. बस मेरी आग बुझाने आ जाया करो यार"

राजेश: "आना तो मैं चाहता हूँ.. पर वैशाली और पिंटू के रहते कैसे आऊँ?"

शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "उसका बंदोबस्त कर दिया है मैंने.. कुछ ही समय में वो प्रॉब्लेम भी सॉल्व हो जाएगा"

सुनकर राजेश को थोड़ा आश्चर्य हुआ.. वह बोला "वो कैसे??"

शीला ने बात को टालते हुए कहा "टाइम आने पर बताऊँगी.. पर राजेश मैं चाहती हूँ की एक बार तुम भी मुझे अपने और फाल्गुनी के खेल में शामिल करो"

राजेश: "देखो भाभी.. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है.. मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू होंगे.. पर फाल्गुनी भी माननी चाहिए ना..!!"

शीला: "तुम कुछ भी करो पर उसे मनाओ..यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई हो और तुम वहाँ उसकी फुद्दी गीली करते रहो.. ऐसा नहीं चलेगा"

राजेश: "करता हुआ भाभी.. कुछ सेटिंग करता हूँ.. बस थोड़ा वक्त दीजिए"

शीला: "ठीक है.. पर जो भी करना जल्दी करना.. मदन यहाँ है नहीं.. तुम ज्यादातर यहीं पड़े रहते हो.. रसिक का कुछ ठिकाना नहीं है.. पता है.. रात रात भर मैं तड़पती रहती हूँ"

राजेश: "अरे भाभी.. आपके लिए लंडों की कहाँ कोई कमी रही है कभी?"

शीला: "पहले की बात और थी राजेश.. अब वैशाली और पिंटू के रहते मुझे बहोत ध्यान रखना पड़ता है.. आसान नहीं रहा अब"

राजेश: "पर आप तो कह रही हो की आपने वैशाली-पिंटू का हल निकाल लिया है..!!"

शीला: "निकाल तो लिया है.. पर उसे अमल मे लाने मे थोड़ा सा टाइम लगेगा.. पर तब तक नीचे लगी आग का क्या करूँ?? या तो हम इसी तरह होटल में मिलते रहे.. या फिर तुम मुझे अपने साथ फाल्गुनी से मिलने ले चलो"

राजेश: "करेंगे भाभी, सब कुछ करेंगे.. थोड़ा इत्मीनान रखिए"

शीला चुप हो गई.. उसकी हथेली अब थोड़ा तेजी से राजेश के लंड को हिलाने लगी थी.. लंड में अब नए सिरे से रक्त-संचार होते ही वह उठकर खड़ा होने लगा.. शीला तुरंत नीचे की तरफ गई और राजेश के सुपाड़े को चाटने लगी.. उसकी गरम जीभ लगते ही राजेश का सुपाड़ा एकदम टाइट गुलाबी हो गया.. बिना वक्त गँवाएं शीला ने उसका पूरा लंड अपने मुंह मे लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया.. चूसने पर उसे अपनी चूत के रस और वीर्य का मिश्र स्वाद आ रहा था इसलिए उसे बड़ा मज़ा आने लगा.. वह चटकारे लगा लगाकर चूसने लगी

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शीला ने अब राजेश का लंड मुंह से निकाला और अपने पैर फैलाकर राजेश के मुंह के करीब अपनी चूत ले गई और मुड़कर उसने राजेश के लंड को फिर अपने मुंह मे ले लिया.. वह दोनों 69 की पोजीशन मे आ चुके थे जहां राजेश नीचे था और शीला ऊपर

राजेश ने देखा कि उसकी चूत लंड खाने के लिए खुल-बँद हो रही है और अपनी लार बहा रही है और बाहर और अंदर से रस से भीगी हुई है.. राजेश ने जैसे ही अपनी जीभ शीला की चूत में घुसेड़ी, वो चिल्लाने लगी, “हाय, चूसो... चूसो, और जोर से चूसो मेरी चूत को.. और अंदर तक अपनी जीभ घुसेड़ो,,, हाय मेरी चूत की घुँडी को भी चाटो... बहुत मज़ा आ रहा है.. हाय मेरा छूट जाएगा..”

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इतना कहते ही शीला की चूत ने गरम-गरम मीठा रस राजेश के मुँह में छोड़ दिया जिसको कि वो अपनी जीभ से चाट कर पूरा का पूरा पी गया.. उधर शीला अपने मुँह में राजेश का लंड लेकर उसको खूब जोर-जोर से चूस रही थीं और राजेश भी शीला के मुँह में झड़ गया.. राजेश के लंड की झड़न सब की सब शीला के मुँह के अंदर गिरी और उसको वोह पुरा का पुरा पी गयीं.. अब शीला का चेहरा काम-ज्वाला से चमक रहा था और वो मुस्कुरते हुए बोलीं, “चूत चुसाई में बेहद मज़ा आया, अब चूत चुदाई का मज़ा लेना चाहती हूँ.. अब तुम जल्दी से अपना लंड चुदाई के लिये तैयार करो और मेरी चूत में पेलो... अब मुझसे रहा नहीं जाता..”

राजेश ने शीला को बेड पर चित्त करके लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को ऊपर उठा कर घुटने से मोड़ दिया.. राजेश ने बेड पर से दोनों तकियों को उठा कर उसके चूत्तड़ के नीचे रख दिया और ऐसा करने से उसकी चूत और ऊपर हो गयी और उसका मुँह बिल्कुल खुल गया.. फिर राजेश ने अपने लंड का सुपाड़ा खोल कर उसकी चूत के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे उसे चूत से रगड़ने लगा.. शीला मारे चुदास के अपनी कमर नीचे-ऊपर कर रही थीं और फिर थोड़ी देर के बाद बोलीं, “साले भोंसड़ी के गाँडू, अब जल्दी से अपना लंड चूत में घुसा नहीं तो हट जा मेरे ऊपर से.. मैं खुद ही यह हेरब्रश चूत में डाल के अपनी चूत की गरमी निकालती हूँ..”

तब राजेश ने उसकी चूंचियों को पकड़ कर निप्पल को मसलते हुए उसके होठों को चूमा और बोला, “अरे मेरी शीला रानी, इतनी भी जल्दी क्या है? ज़रा मैं पहले इस सुंदर बदन और इन बड़ी बड़ी चूचियों का आनंद उठा लूँ, उसके बाद फिर जी भर कर चोदूँगा.. फिर इतना चोदूँगा कि यह सुंदर सी चूत लाल पड़ जायेगी और सूज कर पकौड़ी हो जायेगी..”

शीला बोलीं, “साले चोदू, मेरी जवानी का तू बाद में मज़ा लेना.. अभी तो बस मुझे चोद.. मैं मरी जा रही हूँ, मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं और वोह तेरे लौड़े के धक्के से ही जायेंगी.. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दे, प्लीज़..”

शीला की यह सब सैक्सी बातें सुन कर राजेश समझ गया कि अब शीला का भोसड़ा फिर से छेदने का वक्त आ चुका है.. राजेश ने अपना सुपाड़ा उसकी पहले से भीगी चूत के मुँह के ऊपर रखा और धीरे से कमर हिला कर सिर्फ़ सुपाड़े को अंदर कर दिया.. शीला ने राजेश के फूले हुए सुपाड़े के अपनी चूत में घुसते ही अपनी कमर को झटके से ऊपर को उछाला और राजेश का छह इंच का लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया..

तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोलीं, “आहह! क्या सुकून मिला तुम्हारे लंड को अपनी चूत में डलवाकर.."

अब राजेश अपना लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा.. मस्त हो कर वो शीला की चूत चोदने लगा.. शीला भी इस भरसक चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ा रही थी, “हाय! राजेश... और पेल... और पेल अपनी भाभी की चूत में अपना मोटा लंड... तेरी भाभी की चूत तेरा लंड खाकर निहाल हो रही है.. हाय! लम्बे और मोटे लंड की चुदाई कुछ और ही होती है.. बस मज़ा आ गया.. हाँ... हाँ, तू ऐसे ही अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरी चूत में अपना लंड आने दे.. मेरी चूत की फिक्र मत कर.. फट जने दे उसको आज..”

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धनाधन शॉट मारते ही राजेश के लंड का रिसाव हो गया.. शीला भी थरथराते हुए झड़ गई
मुझे खेद है वखारिया जी, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे यह कहना चाहिए.. शीला का चरित्र बेहद गिरता जा रहा है। वासना की ऐसी क्या भूख है कि अब वो तीन गुंडो मावलियो से रेप भी ख़ुशी ख़ुशी सहन कर गई। अपनी बेटी का घर भी शायद वो इस चक्कर में ख़राब ना कर दे। भगवान तुरंत उसको सदबुद्धि प्रधान करें.
 
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vakharia

Supreme
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मुझे खेद है वखारिया जी, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे यह कहना चाहिए.. शीला का चरित्र बेहद गिरता जा रहा है। वासना की ऐसी क्या भूख है कि अब वो तीन गुंडो मावलियो से रेप भी ख़ुशी ख़ुशी सहन कर गई। अपनी बेटी का घर भी शायद वो इस चक्कर में ख़राब ना कर दे। भगवान तुरंत उसको सदबुद्धि प्रधान करें.
आपकी चिंता स्वाभाविक है, परंतु शीला का चरित्र एक गहन मनोवैज्ञानिक यथार्थ का प्रतिबिंब है... वह सेक्स एडिक्शन के उस अंधकारमय द्वंद्व से जूझ रही है, जहाँ नैतिकता और वासना के बीच की रेखा धूमिल हो जाती है।

हाँ, यह अस्वस्थ या समाज के मानदंडों से परे लग सकता है, पर क्या मानसिक व्याधियाँ कभी स्वीकार्य या अस्वीकार्य की दुविधा से बंधी होती हैं? शीला की भूख उसके अवचेतन का विद्रोह है... एक ऐसी बेचैनी जो तर्क, संबंधों, यहाँ तक कि मातृत्व की सीमाओं को भी लाँघने को तत्पर है।

यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि यह व्यसन उसे और उसकी बेटी के जीवन को किस दिशा में ले जाता है। पर हाँ, साहित्य और कला का उद्देश्य केवल आदर्श चित्रण नहीं, बल्कि मानवीय विसंगतियों के उस अछूते पहलू को भी दिखाना है, जहाँ इच्छाएँ नैतिकता पर भारी पड़ जाती हैं।

शीला को सद्बुद्धि की आवश्यकता अवश्य है, पर क्या हम उसके अंतर्द्वंद्व को सिर्फ चरित्रहीनता कहकर नज़रअंदाज़ कर सकते हैं? यह प्रश्न हम सभी के लिए एक विचारणीय दर्पण है..!!
 

arushi_dayal

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आपकी चिंता स्वाभाविक है, परंतु शीला का चरित्र एक गहन मनोवैज्ञानिक यथार्थ का प्रतिबिंब है... वह सेक्स एडिक्शन के उस अंधकारमय द्वंद्व से जूझ रही है, जहाँ नैतिकता और वासना के बीच की रेखा धूमिल हो जाती है।

हाँ, यह अस्वस्थ या समाज के मानदंडों से परे लग सकता है, पर क्या मानसिक व्याधियाँ कभी स्वीकार्य या अस्वीकार्य की दुविधा से बंधी होती हैं? शीला की भूख उसके अवचेतन का विद्रोह है... एक ऐसी बेचैनी जो तर्क, संबंधों, यहाँ तक कि मातृत्व की सीमाओं को भी लाँघने को तत्पर है।

यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि यह व्यसन उसे और उसकी बेटी के जीवन को किस दिशा में ले जाता है। पर हाँ, साहित्य और कला का उद्देश्य केवल आदर्श चित्रण नहीं, बल्कि मानवीय विसंगतियों के उस अछूते पहलू को भी दिखाना है, जहाँ इच्छाएँ नैतिकता पर भारी पड़ जाती हैं।

शीला को सद्बुद्धि की आवश्यकता अवश्य है, पर क्या हम उसके अंतर्द्वंद्व को सिर्फ चरित्रहीनता कहकर नज़रअंदाज़ कर सकते हैं? यह प्रश्न हम सभी के लिए एक विचारणीय दर्पण है..!!
मैं आपके विचारों से सहमत हूँ। मुझे लगता है कि शीला के मन में वासना इतनी अधिक घर कर गई है कि वह बीमारी के स्तर पर पहुँच गई है। एक ऐसी अवस्था जहाँ आप सही और गलत में फर्क नहीं कर सकते। लेकिन हमें इस बात का भी गहराई से विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया। आपने सही कहा... जब तक हम परिस्थितियों से अवगत न हों, हमें किसी व्यक्ति को अच्छा या बुरा कहने का कोई अधिकार नहीं है।
 
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