- 5,906
- 20,334
- 174
Super dupr gazab update vakharia devar ji hi c cc siiiiiiपिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..
जब प्यासी शीला को मदन की ओर से कोई मदद मिलती दिखाई न दी, तब उसने मामला अपने हाथों में लेने का तय किया.. काफी सोच विचार के बाद उसने रूखी के यार, जीवा को फोन लगाया.. जीवा नौकरी पर था लेकिन शीला के दबाव बनाने पर वह आने से मना न कर सका..
जीवा का इंतज़ार करते हुए शीला अपने जिस्म से खेल रही थी.. शराब का नशा सिर पर चढ़ा हुआ था.. और साथ ही हवस का बुखार भी..
आखिर जीवा की एंट्री हुई.. और फिर जो होना था वही हुआ.. एक शानदार जबरदस्त धमाकेदार संभोग के साथ शीला की प्यास बुझ गई..
अब आगे..
__________________________________________________________________________________________________
बड़े ही आराम से अपनी कुर्सी पर झूलते हुए पीयूष कॉफी के सिप ले रहा था.. उसके सामने पिंटू बैठे बैठे, नए प्रोजेक्ट की स्थिति और प्रगति के बारे में विस्तृत ब्योरा दे रहा था..
पिंटू: "आज सारे सप्लाइ का पूरा बिल ऑफ मटीरीअल तैयार हो जाएगा.. एक बार बेंगलोर यूनिट में इन्स्पेक्शन के लिए जाना होगा मुझे.. वहाँ का काम विशाल संभाल तो रहा है पर जिस गति से होना चाहिए वह नहीं हो रहा.. अगर हमें सीमित समय में ऑर्डर डीलीवर करना हो तो काम करने की गति को दोगुना करना ही होगा"
कॉफी खतम कर मग को टेबल पर रखते हुए पीयूष ने कहा "हाँ पिंटू.. गति तो बढ़ानी ही होगी.. इस स्पीड से चलते रहे तो अगले छह महीने तक भी हम इस ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगे.."
पिंटू: "और एक बात.. दो-तीन सप्लाइअर ने बाकी पेमेंट मांगा है.. तभी उनका दूसरा लॉट हमें मिल पाएगा.."
पीयूष ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा "कर रहा हूँ उसका भी इंतेजाम.. रकम काफी बड़ी है.. मैं बेंक से बात कर रहा हूँ.. आज आखिरी मीटिंग है.. प्रोजेक्ट लोन अगर आज फायनल हो गया तो हम अगले हफ्ते तक सब को उनका पेमेंट दे पाएंगे"
तभी केबिन का दरवाजा खुला और वैशाली ने अंदर प्रवेश किया.. शर्ट, टाई और चुस्त छोटी स्कर्ट पहने हुए वैशाली कमाल लग रही थी.. पिंटू की मौजूदगी के बावजूद, पीयूष अपने आपको उसे देखने से रोक ही नहीं पाया
"कब से बज रहा है तेरा फोन..!! टेबल पर पड़ा था.. साथ क्यों नहीं रखता??" वैशाली ने थोड़ी बेरुखी से पिंटू को उसका फोन देते हुए कहा
वैशाली के हाथ से फोन लेते हुए पिंटू ने स्क्रीन पर नजर डाली और बोला "अरे यार.. यह लालवानी पेमेंट के लिए बार बार फोन कर रहा है..!! क्या कहूँ उसे?" प्रश्नसूचक नजर से पीयूष की ओर देखते हुए उसने कहा
पीयूष: "मैंने बताया तो.. आज बैंक के साथ मीटिंग है.. सब ठीक रहा तो अगले हफ्ते तक पेमेंट का जुगाड़ हो जाएगा.. पिंटू, कैसे भी उसे एक हफ्ते के लिए रोक ले.. और उसे मटीरीअल देने के लिए मना ले"
पिंटू: "करता हूँ कुछ.. उसे संभालना थोड़ा मुश्किल काम है" फोन रिसीव कर बात करते हुए पिंटू केबिन के बाहर चला गया
वैशाली वापिस मुड़कर जा ही रही थी तब पीयूष ने उसे रोकते हुए कहा
पीयूष: "कहाँ जा रही है..!! बैठ थोड़ी देर"
वैशाली ने पीयूष के सामने वाली कुर्सी खींची और बैठ गई
वैशाली: "बताओ, कुछ काम है मेरा??"
पीयूष: "अरे नहीं यार.. बिना काम के हम बात नहीं कर सकते क्या?"
वैशाली ने मुसकुराते हुए कहा "कर सकते है.. जरूर कर सकते है, पर क्या बात करेंगे?"
पीयूष: "बहुत कुछ है बात करने के लिए.. इतनी पुरानी यादें है" शरारती मुस्कान के साथ पीयूष ने अपना हाथ वैशाली के हाथ पर रख दिया
वैशाली पीयूष का इशारा समझ गई.. उसने अपना हाथ शालीनता से खींचते हुए कहा
वैशाली: "जैसे तूने कहा.. वह सारी पुरानी बातें है पीयूष.. बात करने से क्या फायदा!!"
पीयूष: "हर बात को फायदे-नुकसान के तराजू में तोलकर करना जरूरी है क्या?"
वैशाली: "ऑफिस में तो बिल्कुल जरूरी है"
पीयूष ने बात बदलते हुए कहा "अरे तुझे बताना ही भूल गया.. मदन भैया और राजेश सर आने वाले है अभी"
अपने पापा के आने की खबर सुनकर खुश हुई वैशाली, राजेश का नाम सुनते ही मुरझा गई.. व्यक्तिगत तौर पर उसे राजेश से कोई परेशानी नहीं थी.. पर पिंटू की प्रतिक्रिया को लेकर वह असमंजस में थी
पीयूष: "क्या हुआ? मदन भैया की आने की खबर सुनकर तू खुश नहीं हुई??"
वैशाली: "ऐसी बात नहीं है.. पर..!!"
पीयूष: "पर..!!!"
वैशाली एक पल के लिए रुकने के बाद बोली "राजेश सर भी आ रहे है.. तुम्हें तो पता है पिंटू का उनके प्रति क्या रवैया है..!!"
एक लंबी सांस लेते हुए पीयूष ने कहा "तू चिंता मत कर.. पिंटू काफी प्रोफेशनल बंदा है.. समझ जाएगा.. ऐसे अगर हम व्यक्तिगत मतभेदों को पकड़कर रखेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा"
वैशाली ने उत्तर नहीं दिया.. वह शून्यमनस्क पीयूष की ओर देख रही थी.. पीयूष उसके डीप-नेक टॉप से नजर या रही हल्की सी दरार को नजरें भरकर देख रहा था.. शादी के बाद वैशाली का बदन और गदरा चुका था ऐसा पीयूष का अवलोकन था.. खास अंगों के इर्दगिर्द चर्बी की एक अतिरिक्त परत, वैशाली के शरीर को और अधिक नशीला और मादक बना रही थी..
तभी फोन पर बात करते हुए पिंटू अंदर आया और बात खतम कर फोन काटते हुए उसने पीयूष से कहा "पीयूष, मैंने लालवानी को मना लिया है.. वो आज ही मटीरीअल का नया लॉट बेंगलोर भेज रहा है"
पीयूष ने खुश होकर कहा "वेरी गुड.. अब एक काम करो.. तुम कल के कल फ्लाइट लेकर बेंगलोर पहुँच जाओ.. प्रोडक्शन का सारा शिड्यूल सेट कर दो और विशाल को सब कुछ समझा दो.. अगर इस महीने तक हम आधा काम खतम कर सकते है तो बहुत बढ़िया होगा"
पिंटू: "ठीक है.. मैं कल सुबह की फ्लाइट बुक कर देता हूँ"
दोनों के बीच हो रही इस बातचीत को वैशाली बेमन से सुन रही थी.. कुछ अजीब सी जद्दोजहत चल रही थी उसके दिमाग में..
उसी दौरान मदन और राजेश ने पीयूष की केबिन में प्रवेश किया..
पीयूष ने उन दोनों को देखा और उठ खड़ा हुआ.. पिंटू और वैशाली की पीठ उनके तरफ थी
पीयूष: "आ गए आप लोग..!!! वेलकम..!!"
वैशाली ने पलटकर पीछे देखा.. मदन को देखते ही वह उससे लिपट गई.. पिंटू ने मदन से हाथ मिलाया.. फिर राजेश की तरफ देखा.. राजेश मुस्कुराया.. और हाथ मिलाने के लिए अपनी हथेली बढ़ा ही रहा था की तब पिंटू नजरें फेरकर केबिन के बाहर चला गया.. राजेश झेंप सा गया.. पर तभी वैशाली ने कहा
"कैसे है राजेश सर?"
फीकी मुस्कान के साथ राजेश ने कहा "ठीक हूँ वैशाली.."
वातावरण को सहज करने के लिए पीयूष ने कहा "आप लोग चाय कॉफी कुछ लीजिए.. फिर हमें तुरंत बैंक पहुंचना होगा"
मदन: "हाँ यार.. कडक चाय मँगवा लो.. सिर फट रहा है.."
पीयूष ने चपरासी को बुलाकर चाय मँगवाई और वैशाली केबिन से निकल गई
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
रात के साढ़े नौ बज रहे थे.. पिंटू अपने बेडरूम में सामान पेक कर रहा था.. दूसरी सुबह चार बजे के फ्लाइट से उसे बेंगलोर जाना था.. अलमारी से कुछ ढूंढते हुए उसने आवाज लगाई
पिंटू: "अरे सुनो तो..!!! मेरी वो नीली वाली शर्ट कहीं नजर नहीं आ रही"
रसोईघर से वैशाली ने आवाज दी "पाँच मिनट रुको.. बर्तन बस माँज ही लिए है.. अभी आई"
थोड़ी देर बाद, वैशाली अपने हाथ पोंछते हुए बेडरूम में आई.. दरवाजा अंदर से बंद किया और अलमारी से कपड़ों के ढेर में ढूंढते हुए वह नीली शर्ट बाहर निकाली
वैशाली: "यहीं तो थी.. यार तुम ठीक से देखते ही नहीं"
पिंटू ने मुस्कुराकर कहा "यार, तू न होती तो मेरा क्या होता..!!"
वैशाली ने हँसकर जवाब दिया "मैं न होती तो कोई और होती"
पिंटू ने शर्ट लिया और बेग में पेक करने लगा..
वैशाली ड्रेसिंग टेबल के आईने के पास आई और अपना सलवार कमीज उतारने लगी.. पिछले दो घंटों से किचन का काम निपटाते हुए वह पसीने से तर हो चुकी थी.. हाथ पीछे ले जाकर उसने अपने ब्रा के हुक खोल दिए.. फुटबॉल जैसे उसके दोनों स्तन आजाद होकर साँसे लेने लगी.. पेन्टी उतारते हुए वैशाली अपने दोनों स्तनों के खुमार को आईने मे देख रही थी.. कमर पर दोनों हाथ जमाए हुए वह अपने पूर्ण नंगे बदन को आईने में निहारने लगी.. उफ्फ़ क्या कातिल जवानी है.. उसे खुद ही अपने गदराए जिस्म पर प्यार आ रहा था.. अंगूठे और उंगलियों के बीच अपनी दोनों निप्पलों को चुटकी लेते हुए वह अपने वॉर्डरोब की तरफ मुड़ी और अंदर से पिंक कलर की नाइटी निकाल जो उसने शादी से पहले खरीदी थी.. लगभग पारदर्शक नाइटी इतनी डीप-नेक थी की उसके पौने से ज्यादा स्तनों का उभार तो ढँकता ही नहीं था.. उसकी लंबाई जांघों से थोड़े ऊपर तक थी.. पहनने पर उसकी चूत का उल्टा त्रिकोण आधा नजर आता था.. वैसे बेडरूम में पहनने वाली नाइटी, जिसे लॉनज़्हरे या लॉनज़्हरी कहते है, उसका उद्देश्य ही छुपाने से ज्यादा दिखाने का होता है..!!
छोटी सी थॉंग नुमा पेन्टी पहनी थी उसने.. जिसकी पतली सी पट्टी मुश्किल से योनि रेखा को ढँक रही थी.. वैशाली के विशाल चूतड़ों के बीच पीछे की पट्टी ऐसे धंस गई थी की देखने पर लगता था जैसे पेन्टी पहनी ही न हो..!!!
अपना पेकिंग खतम कर पिंटू बिस्तर पर बैठा था और मोबाइल पर ईमेल चेक कर रहा था.. वैशाली उसके बगल में मदहोशी से लेट गई.. और उसने पिंटू का हाथ उठाकर अपने गूँदाज स्तनों पर रख दिया.. पिंटू की नजर अब वैशाली पर गई.. उसने अपना मोबाइल टेबल पर रख दिया.. किसी महाराजा के खुले खजाने जैसी वैशाली अपने हुस्न के जलवे बिखेरते हुए बगल में लेटी हुई थी.. उसकी लगभग खुली हुई चूत से निकलती भांप को पिंटू ने तब महसूस किया जब उसने महीन पेन्टी की पतली सी पट्टी को सहलाया..!! आँखें बंद कर वैशाली सिहर उठी.. वह चाहती थी की पिंटू उसे दबाएं, मरोड़ें, दबोचें और मसलकर रख दे.. जिस्म का अंग अंग रगड़े जाने के लिए तड़प रहा था
वैशाली की गर्दन पर चूमते हुए वह उसके तंदूरस्त विशाल उरोजों को, नाइटी के अंदर हाथ डालकर हौले हौले दबाने लगा.. अपेक्षावश दोनों निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी.. उसकी एक निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए पिंटू ने वैशाली के अधरों का पान करना शुरू कर दिया.. उसके चुंबनों का वैशाली भी बड़ी गर्मजोशी से जवाब दे रही थी.. पिंटू के सर के बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते हुए उसने उसे अपने ऊपर ले लिया..
उस नरम गद्देदार शरीर पर सवार होकर पिंटू उसके हर अंग को बेकरारी से चूमने लगा.. वैशाली की जांघों के बीच की गर्मी उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी.. नाइटी को कंधे से सरकाते हुए दोनों स्तनों को मुक्त कर पिंटू पागलों की तरह चूमने, चाटने और काटने लगा.. मदहोशी के शिखर पर पहुंचकर चिहुँक रही थी वैशाली.. वह अपनी जांघों को भींचते हुए पिंटू की मर्दानगी की कठोरता का अनुभव करने का प्रयत्न कर रही थी.. पर उसके यौनांग पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ.. शायद उसकी अपेक्षा कुछ अधिक और समय से पहले थी..!!
वैशाली के स्तनों की निप्पलों को काफी देर तक चूसने के बाद.. वह उसके भरे हुए पेट और नाभि को नाइटी के ऊपर से चूमने लगा.. और नीचे जाते हुए अब वह वैशाली की दोनों जांघों के बीच जाकर रुका.. वैशाली ने पेन्टी की पट्टी सरकाते हुए अपनी चूत की मुंह दिखाई कर दी..
छोटे से टीले जैसी क्लीन-शेव चरबीदार चूत के दोनों होंठ संभोग-क्षुधा से रस विसर्जित कर रहे थे.. भूखे के मुंह तक निवाला पहुंचे तब जिस तरह ग्रहण करने के लिए उसके होंठ खुलते है वैसे ही वैशाली की चूत के होंठ खुल-बंद हो रहे थे.. मस्की सी मदहोश गंध छोड़ रही चूत लंड का प्रवेश चाहती थी..
वैशाली की चूत को काफी देर के लिए अभिभूत होकर देखते रहने के बाद.. पिंटू अचानक उठा और वैशाली के बगल में तकिये पर सिर रखकर लेट गया.. उसके उठ जाने की हलचल से वैशाली ने अपनी आँखें खोली और पिंटू को अपने बगल में लेटे हुए.. थोड़े आश्चर्य से देखने लगी..
उसका माथा ठनका.. अमूमन कई मर्द, चुदाई से पहले, अपने लिंग को संभोग-समर्थ बनाने के लिए मुख-मैथुन की अपेक्षा रखते है.. वैशाली को लंड चूसने से कोई परहेज तो था नहीं..!! वह उठी और बिस्तर पर घुटनों के बल चलते हुए पिंटू के पैरों के बीच आ गई.. कमर से उसकी शॉर्ट्स पकड़कर उसने एक झटके में अन्डरवेर के साथ उतार दी..
दोनों जांघों के बीच मृत अवस्था में पिचका हुआ पिंटू का लंड देखकर वैशाली थोड़ी निराश जरूर हुई.. पर उसे अपने जिस्म के जादू और अपनी काम-कला पर पूर्ण भरोसा था.. कागजी नींबू जैसे छोटे अंडकोशों पर पड़े हुए लंड को वैशाली ने नाजुकता से पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी
वैशाली के मुंह का गर्म स्पर्श होते ही पिंटू स्वर्ग की सैर पर निकल गया.. अपनी मुट्ठियाँ भींचते हुए वह इस अत्याधिक आनंद का मज़ा लेने लगा.. लंड की त्वचा को पीछे तक खींचते हुए, पिंटू के मध्यम कद के लंड का सुपाड़ा खोलकर वैशाली उस पर अपनी लपलपाती जीभ फेरने लगी.. लंड को सिरे से लेकर जड़ तक चाटते हुए.. अपनी लार को विपुल मात्रा में गिराते हुए उसने अंडकोशों तक को चाट लिया..!!
अब वैशाली को हल्का सा ताज्जुब होने लगा..!!! लंड पर इतनी मशक्कत करने के बाद भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी..!! यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था..!! आज तक जीतने भी मर्दों के साथ उसने बिस्तर सांझा किया था.. किसी के साथ भी यह समस्या नहीं आई थी.. अधिकतर मर्दों का लंड तो वैशाली के नग्न होते ही, ९० डिग्री का कोण बनाकर खड़ा हो जाता था..!! और बाकी के मर्द वैशाली के चूसने या हाथ में पकड़ने पर अपनी कठोरता प्राप्त कर लेते थे..!! पर सारे प्रयत्नों के बावजूद पिंटू का लंड कोई हरकत नहीं कर रहा था..!!!
अब पिंटू को भी इस बात का एहसास हुआ की एक मर्द होने के नाते, चुदाई के दौरान, उससे जो अपेक्षित था, वह मुहैया करवाने में, वह असफल सा साबित हो रहा था..!! उसने आँखें खोलकर वैशाली की तरफ देखा जो अब भी अपना पूरा जोर लगाकर लंड को चूसे जा रही थी.. दोनों की आँखें मिली तब पिंटू की नजरें शर्म से झुक गई
यह स्थिति वास्तव में एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा है, जो कई जोड़ों के जीवन में आ सकता है.. जब स्त्री और पुरुष चुदाई करने की कोशिश करते हैं, पर पुरुष उत्तेजना प्राप्त करने में असमर्थ होता है.. यह स्थिति दोनों के लिए निराशाजनक और असहज हो सकती है.. स्त्री अपनी कामुकता की प्रखर सीमा पर योनि-प्रवेश चाहती है.. और पुरुष उतनी सख्ती प्राप्त नहीं कर पाता की जिससे प्रवेश हो पाए.. यह समस्या न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभाव डालती है..
स्त्री साथी के लिए यह स्थिति अत्यंत निराशाजनक होती है.. वह भरपूर संभोग करने की उम्मीद में अति उत्तेजना से दहक रही हो और पुरुष शारीरिक रूप से तैयार नहीं हो पाता, तब उसे ऐसा लग सकता है कि उसके प्रति उसका आकर्षण कम हो गया है या फिर वह किसी अन्य समस्या से जूझ रहा है.. इससे उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है और वह खुद को असहज महसूस करती है.. कई बार महिलाएं इस स्थिति को व्यक्तिगत रूप से ले लेती हैं, जो उनके मन में संदेह और असंतोष पैदा कर सकता है
पुरुष के लिए यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और असहज हो जाती है.. पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अक्सर मजबूत और सक्षम होने का दबाव महसूस होता है, और जब वह अपने साथी के सामने शारीरिक रूप से असफल होता है, तो उसे अपनी मर्दानगी पर सवाल उठते हुए महसूस होते है.. इससे उसका आत्मविश्वास तो कमजोर होता ही है पर साथ साथ वह भविष्य में इस स्थिति से बचने के लिए शारीरिक संबंध बनाने से कतराने लग सकता है.. यह चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, जो आगे चलकर इस समस्या को और बढ़ा सकता है
चूस-चूसकर अब वैशाली का जबड़ा दर्द करने लगा था.. उसने पिंटू का लंड अपने मुंह से निकाला और उसी स्थिति में हांफती रही.. पिंटू अपने सिर पर हाथ रखे आँख बंदकर लेटा ही रहा.. शर्मिंदगी के कारण वह वैशाली का सामना नहीं कर पा रहा था..
वैशाली को लगा की शायद उसके मुंह की गर्मी कम पड़ रही होगी पिंटू के लंड को.. अपनी जांघे फैलाकर उसने पेन्टी को साइड में सरकाया और गरमागरम चूत के होंठों को पिंटू के निर्जीव लंड पर रगड़ने लगी.. पर सारी कोशिशें व्यर्थ रही..!! उसने अपने मस्त चूचियों के बीच लंड को दबाकर काफी देर तक रगड़ा.. पर पिंटू का लंड, बिना हवा के गुब्बारे की तरह पिचका हुआ पड़ा ही रहा..
थक-हारकर वैशाली ने अपनी नाइटी और पेन्टी उतार दी.. एक मदहोश अंगड़ाई ली और पूरे शरीर को पिंटू के शरीर पर डाल दिया.. उसके गदराए चरबीदार जिस्म को पिंटू के शरीर से रगड़ने लगी.. पैर के अंगूठे से लेकर नाक तक दोनों के हर अंग एक दूसरे से घिस रहे थे.. उस दौरान अपनी दोनों जांघों के बीच उसने पीयूष के मुरझाए लंड को दबोचकर उसे उकसाने का भरपूर प्रयत्न किया.. पर परिणाम शून्य ही रहा..!!
"सॉरी वैशाली..!!" सहमी हुई आवाज में पिंटू उसके कानों में फुसफुसाया
यह सुनते ही वैशाली पिंटू के जिस्म से उतरकर उसके बगल में लेट गई.. पिंटू के चेहरे को अपनी बाहों में लेकर उसके बालों को सहलाने लगी
पिंटू: (शर्मिंदगी से) "वैशाली... आई एम सॉरी.. आज कुछ ठीक नहीं लग रहा..!!"
वैशाली: "क्या हुआ, पिंटू? सब ठीक है ना?"
पिंटू: (सिर झुकाकर) "मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है..!! मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहता हूँ..!!"
वैशाली: "अरे, ऐसा तो किसी के साथ भी हो सकता है.. तुम इतना टेंशन मत लो.. शायद तुम थके हुए हो या फिर स्ट्रेस में हो.. इसी वजह से ऐसा हो रहा होगा.."
पिंटू: "पर वैशाली, हम इतने जवान हैं.. अभी तो हमारी पूरी ज़िंदगी पड़ी है.. अगर अभी से ऐसा होने लगा है, तो आगे क्या होगा? सेक्स तो शादी का एक अहम हिस्सा है.."
वैशाली: "यार, तुम इतना स्ट्रेस मत लो.. ये कोई बड़ी समस्या नहीं है.. अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम किसी सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह लेंगे.. सब ठीक हो जाएगा.."
पिंटू: (गुस्से में) "सेक्सोलॉजिस्ट? तुम्हें लगता है कि मैं इतना कमज़ोर हूँ कि डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत पड़े? क्या तुम्हें मेरी मर्दानगी पर शक हो रहा है?"
वैशाली: "पिंटू, बात को बेवजह बढ़ा मत.. ये मामला विश्वास का नहीं है.. ये सिर्फ एक शारीरिक समस्या है, जिसका समाधान हमें ढूंढना है.. डॉक्टर से सलाह लेने में क्या हर्ज है?"
कई पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) की समस्या का सामना करना पड़ता है.. यह एक चिकित्सीय स्थिति है, फिर भी वे सेक्सोलॉजिस्ट के पास जाने से हिचकिचाते हैं.. उन्हें यह शर्मनाक लगता है और वे यह सोचते है की इसस उनकी मर्दानगी शक के घेरे में आ जाएगी.. इसे वह अपनी मर्दानगी पर सवाल और खतरा मानते हैं.. एक पुरुष-प्रधान समाज में, पुरुषों से मजबूत होने की उम्मीद की जाती है, खासकर यौन संबंध के दौरान.. इसलिए, इस समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए यह स्थिति बेहद मुश्किल हो जाती है.. उन्हें यह समझना चाहिए कि यह एक सामान्य समस्या है और चिकित्सकीय सहायता लेने में उन्हें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.. इससे न केवल उनकी यौन जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा..!!
पिंटू: "मैं तुम्हारी बात नहीं सुनना चाहता! तुम समझती ही नहीं कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ.. मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ, लेकिन आज मैं ऐसा करने में नाकाम रहा.. और सिर्फ इस एक कारण से तुम मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहती हो?"
वैशाली: "पिंटू, मैं भी तुम्हें खुश रखना चाहती हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. मैं भी फ्रस्ट्रेटेड हूँ, लेकिन मैं फिर भी तुम्हें समझने की कोशिश तो कर रही हूँ ना..!!"
पिंटू: "तुम फ्रस्ट्रेटेड हो? तुम्हें लगता है कि मैं नहीं हूँ? मैं भी तो परेशान हूँ! मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूँ, लेकिन आज कुछ ठीक नहीं लग रहा.."
वैशाली: "यार, मैंने कोशिश तो की.. मैंने तुम्हें रिलैक्स करने की कोशिश की.. और ये हमारे साथ दूसरी बार हो रहा है.. आगे जाकर यह कोई बड़ी समस्या न बन जाए इसीलिए मैं तुम्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए कह रही हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. !!"
पिंटू: "क्योंकि ये मेरी समस्या है! मैं इसे सुलझा लूंगा.. और इसके लिए मुझे किसी डॉक्टर की जरूरत नहीं है..!!"
वैशाली: "तुम क्यों नहीं समझ रहे, ये सिर्फ तुम्हारी समस्या नहीं है.. यह हमारी समस्या है! हम शादीशुदा हैं, और हमें मिलकर इसका हल ढूंढना चाहिए..!!"
पिंटू: "यार तुम मुझे अभी अकेला छोड़ दो..मैं थका हुआ हूँ और कल सुबह जल्दी भी उठना है.. तुम्हारी तरह नहीं की बस पैर फैलाएं और सो गए..!!"
पिंटू के ऐसा कहने पर वैशाली को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था..!! यह किसी बात कर रहा है पिंटू? वह उसकी मदद करने की कोशिश कर रही है और वो उल्टा उसी पर भड़क रहा है??
गुस्से में आकर वैशाली करवट लेकर पिंटू की विरुद्ध दिशा में सो गई.. पर देर तक न उसे नींद आई और न ही पिंटू को
दूसरी सुबह पिंटू एलार्म बजते ही उठा.. तैयार हुआ और वैशाली को बिना बताएं एयरपोर्ट के लिए निकल गया..
अपने नियत समय पर रोज की तरह वैशाली की आँख खुली.. उसे बेहद थकान और हल्की सी कमजोरी महसूस हो रही थी.. शायद रात को देर तक जागने का परिणाम था.. अपनी आँखें मलते हुए वह बिस्तर पर बैठी तो उसने देखा की पिंटू और उसकी बेग दोनों ही उनके स्थान पर नहीं थे.. उसने अपना मोबाइल उठाया और समय देखकर चोंक पड़ी..!! सुबह के सात बज रहे थे और पिंटू उसे बिना बताए ही चला गया था..!!
गुस्से से मोबाइल को बिस्तर पर फेंकते हुए, वैशाली ने अपने दोनों घुटनों को मोड़कर उसमें अपना चेहरा छुपा लिया..!! कल रात वह बहुत गर्म थी.. स्खलित होने के लिए आतुर भी.. वह तो हो नहीं पाया.. और पिंटू को समझाने का प्रयत्न किया तो वो उल्टा उसी पर भड़क पड़ा..!! जिस्म की आग और दिमाग का गुस्सा.. बड़ा ही जहरीला मिश्रण है..!!! इंसान अपनी सूझ-बुझ गंवा बैठता है..!!
ओढ़ी हुई चद्दर को लात मारकर फेंकते हुए वैशाली बेड से खड़ी हुई और बाथरूम में घुस गई.. ऑफिस जाने में देर हो रही थी और अभी खाना भी तो बनाना था..!!
Thanks a lotnice update
Thanks a lot bhaiबहुत ही शानदार अपडेट
Thanks a lot bhaiबहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है मौसम ने अपना वादा पूरा कर दिया वह अपने जीजू से चुद गई साथ ही फाल्गुनी को भी एक शोक दे दिया मौसम ने बता दिया कि उसके पापा और उसके बीच जो संबंध है उसके बारे में उसे पता है
Awesome updateपिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..
जब प्यासी शीला को मदन की ओर से कोई मदद मिलती दिखाई न दी, तब उसने मामला अपने हाथों में लेने का तय किया.. काफी सोच विचार के बाद उसने रूखी के यार, जीवा को फोन लगाया.. जीवा नौकरी पर था लेकिन शीला के दबाव बनाने पर वह आने से मना न कर सका..
जीवा का इंतज़ार करते हुए शीला अपने जिस्म से खेल रही थी.. शराब का नशा सिर पर चढ़ा हुआ था.. और साथ ही हवस का बुखार भी..
आखिर जीवा की एंट्री हुई.. और फिर जो होना था वही हुआ.. एक शानदार जबरदस्त धमाकेदार संभोग के साथ शीला की प्यास बुझ गई..
अब आगे..
__________________________________________________________________________________________________
बड़े ही आराम से अपनी कुर्सी पर झूलते हुए पीयूष कॉफी के सिप ले रहा था.. उसके सामने पिंटू बैठे बैठे, नए प्रोजेक्ट की स्थिति और प्रगति के बारे में विस्तृत ब्योरा दे रहा था..
पिंटू: "आज सारे सप्लाइ का पूरा बिल ऑफ मटीरीअल तैयार हो जाएगा.. एक बार बेंगलोर यूनिट में इन्स्पेक्शन के लिए जाना होगा मुझे.. वहाँ का काम विशाल संभाल तो रहा है पर जिस गति से होना चाहिए वह नहीं हो रहा.. अगर हमें सीमित समय में ऑर्डर डीलीवर करना हो तो काम करने की गति को दोगुना करना ही होगा"
कॉफी खतम कर मग को टेबल पर रखते हुए पीयूष ने कहा "हाँ पिंटू.. गति तो बढ़ानी ही होगी.. इस स्पीड से चलते रहे तो अगले छह महीने तक भी हम इस ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगे.."
पिंटू: "और एक बात.. दो-तीन सप्लाइअर ने बाकी पेमेंट मांगा है.. तभी उनका दूसरा लॉट हमें मिल पाएगा.."
पीयूष ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा "कर रहा हूँ उसका भी इंतेजाम.. रकम काफी बड़ी है.. मैं बेंक से बात कर रहा हूँ.. आज आखिरी मीटिंग है.. प्रोजेक्ट लोन अगर आज फायनल हो गया तो हम अगले हफ्ते तक सब को उनका पेमेंट दे पाएंगे"
तभी केबिन का दरवाजा खुला और वैशाली ने अंदर प्रवेश किया.. शर्ट, टाई और चुस्त छोटी स्कर्ट पहने हुए वैशाली कमाल लग रही थी.. पिंटू की मौजूदगी के बावजूद, पीयूष अपने आपको उसे देखने से रोक ही नहीं पाया
"कब से बज रहा है तेरा फोन..!! टेबल पर पड़ा था.. साथ क्यों नहीं रखता??" वैशाली ने थोड़ी बेरुखी से पिंटू को उसका फोन देते हुए कहा
वैशाली के हाथ से फोन लेते हुए पिंटू ने स्क्रीन पर नजर डाली और बोला "अरे यार.. यह लालवानी पेमेंट के लिए बार बार फोन कर रहा है..!! क्या कहूँ उसे?" प्रश्नसूचक नजर से पीयूष की ओर देखते हुए उसने कहा
पीयूष: "मैंने बताया तो.. आज बैंक के साथ मीटिंग है.. सब ठीक रहा तो अगले हफ्ते तक पेमेंट का जुगाड़ हो जाएगा.. पिंटू, कैसे भी उसे एक हफ्ते के लिए रोक ले.. और उसे मटीरीअल देने के लिए मना ले"
पिंटू: "करता हूँ कुछ.. उसे संभालना थोड़ा मुश्किल काम है" फोन रिसीव कर बात करते हुए पिंटू केबिन के बाहर चला गया
वैशाली वापिस मुड़कर जा ही रही थी तब पीयूष ने उसे रोकते हुए कहा
पीयूष: "कहाँ जा रही है..!! बैठ थोड़ी देर"
वैशाली ने पीयूष के सामने वाली कुर्सी खींची और बैठ गई
वैशाली: "बताओ, कुछ काम है मेरा??"
पीयूष: "अरे नहीं यार.. बिना काम के हम बात नहीं कर सकते क्या?"
वैशाली ने मुसकुराते हुए कहा "कर सकते है.. जरूर कर सकते है, पर क्या बात करेंगे?"
पीयूष: "बहुत कुछ है बात करने के लिए.. इतनी पुरानी यादें है" शरारती मुस्कान के साथ पीयूष ने अपना हाथ वैशाली के हाथ पर रख दिया
वैशाली पीयूष का इशारा समझ गई.. उसने अपना हाथ शालीनता से खींचते हुए कहा
वैशाली: "जैसे तूने कहा.. वह सारी पुरानी बातें है पीयूष.. बात करने से क्या फायदा!!"
पीयूष: "हर बात को फायदे-नुकसान के तराजू में तोलकर करना जरूरी है क्या?"
वैशाली: "ऑफिस में तो बिल्कुल जरूरी है"
पीयूष ने बात बदलते हुए कहा "अरे तुझे बताना ही भूल गया.. मदन भैया और राजेश सर आने वाले है अभी"
अपने पापा के आने की खबर सुनकर खुश हुई वैशाली, राजेश का नाम सुनते ही मुरझा गई.. व्यक्तिगत तौर पर उसे राजेश से कोई परेशानी नहीं थी.. पर पिंटू की प्रतिक्रिया को लेकर वह असमंजस में थी
पीयूष: "क्या हुआ? मदन भैया की आने की खबर सुनकर तू खुश नहीं हुई??"
वैशाली: "ऐसी बात नहीं है.. पर..!!"
पीयूष: "पर..!!!"
वैशाली एक पल के लिए रुकने के बाद बोली "राजेश सर भी आ रहे है.. तुम्हें तो पता है पिंटू का उनके प्रति क्या रवैया है..!!"
एक लंबी सांस लेते हुए पीयूष ने कहा "तू चिंता मत कर.. पिंटू काफी प्रोफेशनल बंदा है.. समझ जाएगा.. ऐसे अगर हम व्यक्तिगत मतभेदों को पकड़कर रखेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा"
वैशाली ने उत्तर नहीं दिया.. वह शून्यमनस्क पीयूष की ओर देख रही थी.. पीयूष उसके डीप-नेक टॉप से नजर या रही हल्की सी दरार को नजरें भरकर देख रहा था.. शादी के बाद वैशाली का बदन और गदरा चुका था ऐसा पीयूष का अवलोकन था.. खास अंगों के इर्दगिर्द चर्बी की एक अतिरिक्त परत, वैशाली के शरीर को और अधिक नशीला और मादक बना रही थी..
तभी फोन पर बात करते हुए पिंटू अंदर आया और बात खतम कर फोन काटते हुए उसने पीयूष से कहा "पीयूष, मैंने लालवानी को मना लिया है.. वो आज ही मटीरीअल का नया लॉट बेंगलोर भेज रहा है"
पीयूष ने खुश होकर कहा "वेरी गुड.. अब एक काम करो.. तुम कल के कल फ्लाइट लेकर बेंगलोर पहुँच जाओ.. प्रोडक्शन का सारा शिड्यूल सेट कर दो और विशाल को सब कुछ समझा दो.. अगर इस महीने तक हम आधा काम खतम कर सकते है तो बहुत बढ़िया होगा"
पिंटू: "ठीक है.. मैं कल सुबह की फ्लाइट बुक कर देता हूँ"
दोनों के बीच हो रही इस बातचीत को वैशाली बेमन से सुन रही थी.. कुछ अजीब सी जद्दोजहत चल रही थी उसके दिमाग में..
उसी दौरान मदन और राजेश ने पीयूष की केबिन में प्रवेश किया..
पीयूष ने उन दोनों को देखा और उठ खड़ा हुआ.. पिंटू और वैशाली की पीठ उनके तरफ थी
पीयूष: "आ गए आप लोग..!!! वेलकम..!!"
वैशाली ने पलटकर पीछे देखा.. मदन को देखते ही वह उससे लिपट गई.. पिंटू ने मदन से हाथ मिलाया.. फिर राजेश की तरफ देखा.. राजेश मुस्कुराया.. और हाथ मिलाने के लिए अपनी हथेली बढ़ा ही रहा था की तब पिंटू नजरें फेरकर केबिन के बाहर चला गया.. राजेश झेंप सा गया.. पर तभी वैशाली ने कहा
"कैसे है राजेश सर?"
फीकी मुस्कान के साथ राजेश ने कहा "ठीक हूँ वैशाली.."
वातावरण को सहज करने के लिए पीयूष ने कहा "आप लोग चाय कॉफी कुछ लीजिए.. फिर हमें तुरंत बैंक पहुंचना होगा"
मदन: "हाँ यार.. कडक चाय मँगवा लो.. सिर फट रहा है.."
पीयूष ने चपरासी को बुलाकर चाय मँगवाई और वैशाली केबिन से निकल गई
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
रात के साढ़े नौ बज रहे थे.. पिंटू अपने बेडरूम में सामान पेक कर रहा था.. दूसरी सुबह चार बजे के फ्लाइट से उसे बेंगलोर जाना था.. अलमारी से कुछ ढूंढते हुए उसने आवाज लगाई
पिंटू: "अरे सुनो तो..!!! मेरी वो नीली वाली शर्ट कहीं नजर नहीं आ रही"
रसोईघर से वैशाली ने आवाज दी "पाँच मिनट रुको.. बर्तन बस माँज ही लिए है.. अभी आई"
थोड़ी देर बाद, वैशाली अपने हाथ पोंछते हुए बेडरूम में आई.. दरवाजा अंदर से बंद किया और अलमारी से कपड़ों के ढेर में ढूंढते हुए वह नीली शर्ट बाहर निकाली
वैशाली: "यहीं तो थी.. यार तुम ठीक से देखते ही नहीं"
पिंटू ने मुस्कुराकर कहा "यार, तू न होती तो मेरा क्या होता..!!"
वैशाली ने हँसकर जवाब दिया "मैं न होती तो कोई और होती"
पिंटू ने शर्ट लिया और बेग में पेक करने लगा..
वैशाली ड्रेसिंग टेबल के आईने के पास आई और अपना सलवार कमीज उतारने लगी.. पिछले दो घंटों से किचन का काम निपटाते हुए वह पसीने से तर हो चुकी थी.. हाथ पीछे ले जाकर उसने अपने ब्रा के हुक खोल दिए.. फुटबॉल जैसे उसके दोनों स्तन आजाद होकर साँसे लेने लगी.. पेन्टी उतारते हुए वैशाली अपने दोनों स्तनों के खुमार को आईने मे देख रही थी.. कमर पर दोनों हाथ जमाए हुए वह अपने पूर्ण नंगे बदन को आईने में निहारने लगी.. उफ्फ़ क्या कातिल जवानी है.. उसे खुद ही अपने गदराए जिस्म पर प्यार आ रहा था.. अंगूठे और उंगलियों के बीच अपनी दोनों निप्पलों को चुटकी लेते हुए वह अपने वॉर्डरोब की तरफ मुड़ी और अंदर से पिंक कलर की नाइटी निकाल जो उसने शादी से पहले खरीदी थी.. लगभग पारदर्शक नाइटी इतनी डीप-नेक थी की उसके पौने से ज्यादा स्तनों का उभार तो ढँकता ही नहीं था.. उसकी लंबाई जांघों से थोड़े ऊपर तक थी.. पहनने पर उसकी चूत का उल्टा त्रिकोण आधा नजर आता था.. वैसे बेडरूम में पहनने वाली नाइटी, जिसे लॉनज़्हरे या लॉनज़्हरी कहते है, उसका उद्देश्य ही छुपाने से ज्यादा दिखाने का होता है..!!
छोटी सी थॉंग नुमा पेन्टी पहनी थी उसने.. जिसकी पतली सी पट्टी मुश्किल से योनि रेखा को ढँक रही थी.. वैशाली के विशाल चूतड़ों के बीच पीछे की पट्टी ऐसे धंस गई थी की देखने पर लगता था जैसे पेन्टी पहनी ही न हो..!!!
अपना पेकिंग खतम कर पिंटू बिस्तर पर बैठा था और मोबाइल पर ईमेल चेक कर रहा था.. वैशाली उसके बगल में मदहोशी से लेट गई.. और उसने पिंटू का हाथ उठाकर अपने गूँदाज स्तनों पर रख दिया.. पिंटू की नजर अब वैशाली पर गई.. उसने अपना मोबाइल टेबल पर रख दिया.. किसी महाराजा के खुले खजाने जैसी वैशाली अपने हुस्न के जलवे बिखेरते हुए बगल में लेटी हुई थी.. उसकी लगभग खुली हुई चूत से निकलती भांप को पिंटू ने तब महसूस किया जब उसने महीन पेन्टी की पतली सी पट्टी को सहलाया..!! आँखें बंद कर वैशाली सिहर उठी.. वह चाहती थी की पिंटू उसे दबाएं, मरोड़ें, दबोचें और मसलकर रख दे.. जिस्म का अंग अंग रगड़े जाने के लिए तड़प रहा था
वैशाली की गर्दन पर चूमते हुए वह उसके तंदूरस्त विशाल उरोजों को, नाइटी के अंदर हाथ डालकर हौले हौले दबाने लगा.. अपेक्षावश दोनों निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी.. उसकी एक निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए पिंटू ने वैशाली के अधरों का पान करना शुरू कर दिया.. उसके चुंबनों का वैशाली भी बड़ी गर्मजोशी से जवाब दे रही थी.. पिंटू के सर के बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते हुए उसने उसे अपने ऊपर ले लिया..
उस नरम गद्देदार शरीर पर सवार होकर पिंटू उसके हर अंग को बेकरारी से चूमने लगा.. वैशाली की जांघों के बीच की गर्मी उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी.. नाइटी को कंधे से सरकाते हुए दोनों स्तनों को मुक्त कर पिंटू पागलों की तरह चूमने, चाटने और काटने लगा.. मदहोशी के शिखर पर पहुंचकर चिहुँक रही थी वैशाली.. वह अपनी जांघों को भींचते हुए पिंटू की मर्दानगी की कठोरता का अनुभव करने का प्रयत्न कर रही थी.. पर उसके यौनांग पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ.. शायद उसकी अपेक्षा कुछ अधिक और समय से पहले थी..!!
वैशाली के स्तनों की निप्पलों को काफी देर तक चूसने के बाद.. वह उसके भरे हुए पेट और नाभि को नाइटी के ऊपर से चूमने लगा.. और नीचे जाते हुए अब वह वैशाली की दोनों जांघों के बीच जाकर रुका.. वैशाली ने पेन्टी की पट्टी सरकाते हुए अपनी चूत की मुंह दिखाई कर दी..
छोटे से टीले जैसी क्लीन-शेव चरबीदार चूत के दोनों होंठ संभोग-क्षुधा से रस विसर्जित कर रहे थे.. भूखे के मुंह तक निवाला पहुंचे तब जिस तरह ग्रहण करने के लिए उसके होंठ खुलते है वैसे ही वैशाली की चूत के होंठ खुल-बंद हो रहे थे.. मस्की सी मदहोश गंध छोड़ रही चूत लंड का प्रवेश चाहती थी..
वैशाली की चूत को काफी देर के लिए अभिभूत होकर देखते रहने के बाद.. पिंटू अचानक उठा और वैशाली के बगल में तकिये पर सिर रखकर लेट गया.. उसके उठ जाने की हलचल से वैशाली ने अपनी आँखें खोली और पिंटू को अपने बगल में लेटे हुए.. थोड़े आश्चर्य से देखने लगी..
उसका माथा ठनका.. अमूमन कई मर्द, चुदाई से पहले, अपने लिंग को संभोग-समर्थ बनाने के लिए मुख-मैथुन की अपेक्षा रखते है.. वैशाली को लंड चूसने से कोई परहेज तो था नहीं..!! वह उठी और बिस्तर पर घुटनों के बल चलते हुए पिंटू के पैरों के बीच आ गई.. कमर से उसकी शॉर्ट्स पकड़कर उसने एक झटके में अन्डरवेर के साथ उतार दी..
दोनों जांघों के बीच मृत अवस्था में पिचका हुआ पिंटू का लंड देखकर वैशाली थोड़ी निराश जरूर हुई.. पर उसे अपने जिस्म के जादू और अपनी काम-कला पर पूर्ण भरोसा था.. कागजी नींबू जैसे छोटे अंडकोशों पर पड़े हुए लंड को वैशाली ने नाजुकता से पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी
वैशाली के मुंह का गर्म स्पर्श होते ही पिंटू स्वर्ग की सैर पर निकल गया.. अपनी मुट्ठियाँ भींचते हुए वह इस अत्याधिक आनंद का मज़ा लेने लगा.. लंड की त्वचा को पीछे तक खींचते हुए, पिंटू के मध्यम कद के लंड का सुपाड़ा खोलकर वैशाली उस पर अपनी लपलपाती जीभ फेरने लगी.. लंड को सिरे से लेकर जड़ तक चाटते हुए.. अपनी लार को विपुल मात्रा में गिराते हुए उसने अंडकोशों तक को चाट लिया..!!
अब वैशाली को हल्का सा ताज्जुब होने लगा..!!! लंड पर इतनी मशक्कत करने के बाद भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी..!! यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था..!! आज तक जीतने भी मर्दों के साथ उसने बिस्तर सांझा किया था.. किसी के साथ भी यह समस्या नहीं आई थी.. अधिकतर मर्दों का लंड तो वैशाली के नग्न होते ही, ९० डिग्री का कोण बनाकर खड़ा हो जाता था..!! और बाकी के मर्द वैशाली के चूसने या हाथ में पकड़ने पर अपनी कठोरता प्राप्त कर लेते थे..!! पर सारे प्रयत्नों के बावजूद पिंटू का लंड कोई हरकत नहीं कर रहा था..!!!
अब पिंटू को भी इस बात का एहसास हुआ की एक मर्द होने के नाते, चुदाई के दौरान, उससे जो अपेक्षित था, वह मुहैया करवाने में, वह असफल सा साबित हो रहा था..!! उसने आँखें खोलकर वैशाली की तरफ देखा जो अब भी अपना पूरा जोर लगाकर लंड को चूसे जा रही थी.. दोनों की आँखें मिली तब पिंटू की नजरें शर्म से झुक गई
यह स्थिति वास्तव में एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा है, जो कई जोड़ों के जीवन में आ सकता है.. जब स्त्री और पुरुष चुदाई करने की कोशिश करते हैं, पर पुरुष उत्तेजना प्राप्त करने में असमर्थ होता है.. यह स्थिति दोनों के लिए निराशाजनक और असहज हो सकती है.. स्त्री अपनी कामुकता की प्रखर सीमा पर योनि-प्रवेश चाहती है.. और पुरुष उतनी सख्ती प्राप्त नहीं कर पाता की जिससे प्रवेश हो पाए.. यह समस्या न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभाव डालती है..
स्त्री साथी के लिए यह स्थिति अत्यंत निराशाजनक होती है.. वह भरपूर संभोग करने की उम्मीद में अति उत्तेजना से दहक रही हो और पुरुष शारीरिक रूप से तैयार नहीं हो पाता, तब उसे ऐसा लग सकता है कि उसके प्रति उसका आकर्षण कम हो गया है या फिर वह किसी अन्य समस्या से जूझ रहा है.. इससे उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है और वह खुद को असहज महसूस करती है.. कई बार महिलाएं इस स्थिति को व्यक्तिगत रूप से ले लेती हैं, जो उनके मन में संदेह और असंतोष पैदा कर सकता है
पुरुष के लिए यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और असहज हो जाती है.. पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अक्सर मजबूत और सक्षम होने का दबाव महसूस होता है, और जब वह अपने साथी के सामने शारीरिक रूप से असफल होता है, तो उसे अपनी मर्दानगी पर सवाल उठते हुए महसूस होते है.. इससे उसका आत्मविश्वास तो कमजोर होता ही है पर साथ साथ वह भविष्य में इस स्थिति से बचने के लिए शारीरिक संबंध बनाने से कतराने लग सकता है.. यह चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, जो आगे चलकर इस समस्या को और बढ़ा सकता है
चूस-चूसकर अब वैशाली का जबड़ा दर्द करने लगा था.. उसने पिंटू का लंड अपने मुंह से निकाला और उसी स्थिति में हांफती रही.. पिंटू अपने सिर पर हाथ रखे आँख बंदकर लेटा ही रहा.. शर्मिंदगी के कारण वह वैशाली का सामना नहीं कर पा रहा था..
वैशाली को लगा की शायद उसके मुंह की गर्मी कम पड़ रही होगी पिंटू के लंड को.. अपनी जांघे फैलाकर उसने पेन्टी को साइड में सरकाया और गरमागरम चूत के होंठों को पिंटू के निर्जीव लंड पर रगड़ने लगी.. पर सारी कोशिशें व्यर्थ रही..!! उसने अपने मस्त चूचियों के बीच लंड को दबाकर काफी देर तक रगड़ा.. पर पिंटू का लंड, बिना हवा के गुब्बारे की तरह पिचका हुआ पड़ा ही रहा..
थक-हारकर वैशाली ने अपनी नाइटी और पेन्टी उतार दी.. एक मदहोश अंगड़ाई ली और पूरे शरीर को पिंटू के शरीर पर डाल दिया.. उसके गदराए चरबीदार जिस्म को पिंटू के शरीर से रगड़ने लगी.. पैर के अंगूठे से लेकर नाक तक दोनों के हर अंग एक दूसरे से घिस रहे थे.. उस दौरान अपनी दोनों जांघों के बीच उसने पीयूष के मुरझाए लंड को दबोचकर उसे उकसाने का भरपूर प्रयत्न किया.. पर परिणाम शून्य ही रहा..!!
"सॉरी वैशाली..!!" सहमी हुई आवाज में पिंटू उसके कानों में फुसफुसाया
यह सुनते ही वैशाली पिंटू के जिस्म से उतरकर उसके बगल में लेट गई.. पिंटू के चेहरे को अपनी बाहों में लेकर उसके बालों को सहलाने लगी
पिंटू: (शर्मिंदगी से) "वैशाली... आई एम सॉरी.. आज कुछ ठीक नहीं लग रहा..!!"
वैशाली: "क्या हुआ, पिंटू? सब ठीक है ना?"
पिंटू: (सिर झुकाकर) "मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है..!! मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहता हूँ..!!"
वैशाली: "अरे, ऐसा तो किसी के साथ भी हो सकता है.. तुम इतना टेंशन मत लो.. शायद तुम थके हुए हो या फिर स्ट्रेस में हो.. इसी वजह से ऐसा हो रहा होगा.."
पिंटू: "पर वैशाली, हम इतने जवान हैं.. अभी तो हमारी पूरी ज़िंदगी पड़ी है.. अगर अभी से ऐसा होने लगा है, तो आगे क्या होगा? सेक्स तो शादी का एक अहम हिस्सा है.."
वैशाली: "यार, तुम इतना स्ट्रेस मत लो.. ये कोई बड़ी समस्या नहीं है.. अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम किसी सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह लेंगे.. सब ठीक हो जाएगा.."
पिंटू: (गुस्से में) "सेक्सोलॉजिस्ट? तुम्हें लगता है कि मैं इतना कमज़ोर हूँ कि डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत पड़े? क्या तुम्हें मेरी मर्दानगी पर शक हो रहा है?"
वैशाली: "पिंटू, बात को बेवजह बढ़ा मत.. ये मामला विश्वास का नहीं है.. ये सिर्फ एक शारीरिक समस्या है, जिसका समाधान हमें ढूंढना है.. डॉक्टर से सलाह लेने में क्या हर्ज है?"
कई पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) की समस्या का सामना करना पड़ता है.. यह एक चिकित्सीय स्थिति है, फिर भी वे सेक्सोलॉजिस्ट के पास जाने से हिचकिचाते हैं.. उन्हें यह शर्मनाक लगता है और वे यह सोचते है की इसस उनकी मर्दानगी शक के घेरे में आ जाएगी.. इसे वह अपनी मर्दानगी पर सवाल और खतरा मानते हैं.. एक पुरुष-प्रधान समाज में, पुरुषों से मजबूत होने की उम्मीद की जाती है, खासकर यौन संबंध के दौरान.. इसलिए, इस समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए यह स्थिति बेहद मुश्किल हो जाती है.. उन्हें यह समझना चाहिए कि यह एक सामान्य समस्या है और चिकित्सकीय सहायता लेने में उन्हें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.. इससे न केवल उनकी यौन जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा..!!
पिंटू: "मैं तुम्हारी बात नहीं सुनना चाहता! तुम समझती ही नहीं कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ.. मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ, लेकिन आज मैं ऐसा करने में नाकाम रहा.. और सिर्फ इस एक कारण से तुम मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहती हो?"
वैशाली: "पिंटू, मैं भी तुम्हें खुश रखना चाहती हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. मैं भी फ्रस्ट्रेटेड हूँ, लेकिन मैं फिर भी तुम्हें समझने की कोशिश तो कर रही हूँ ना..!!"
पिंटू: "तुम फ्रस्ट्रेटेड हो? तुम्हें लगता है कि मैं नहीं हूँ? मैं भी तो परेशान हूँ! मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूँ, लेकिन आज कुछ ठीक नहीं लग रहा.."
वैशाली: "यार, मैंने कोशिश तो की.. मैंने तुम्हें रिलैक्स करने की कोशिश की.. और ये हमारे साथ दूसरी बार हो रहा है.. आगे जाकर यह कोई बड़ी समस्या न बन जाए इसीलिए मैं तुम्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए कह रही हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. !!"
पिंटू: "क्योंकि ये मेरी समस्या है! मैं इसे सुलझा लूंगा.. और इसके लिए मुझे किसी डॉक्टर की जरूरत नहीं है..!!"
वैशाली: "तुम क्यों नहीं समझ रहे, ये सिर्फ तुम्हारी समस्या नहीं है.. यह हमारी समस्या है! हम शादीशुदा हैं, और हमें मिलकर इसका हल ढूंढना चाहिए..!!"
पिंटू: "यार तुम मुझे अभी अकेला छोड़ दो..मैं थका हुआ हूँ और कल सुबह जल्दी भी उठना है.. तुम्हारी तरह नहीं की बस पैर फैलाएं और सो गए..!!"
पिंटू के ऐसा कहने पर वैशाली को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था..!! यह किसी बात कर रहा है पिंटू? वह उसकी मदद करने की कोशिश कर रही है और वो उल्टा उसी पर भड़क रहा है??
गुस्से में आकर वैशाली करवट लेकर पिंटू की विरुद्ध दिशा में सो गई.. पर देर तक न उसे नींद आई और न ही पिंटू को
दूसरी सुबह पिंटू एलार्म बजते ही उठा.. तैयार हुआ और वैशाली को बिना बताएं एयरपोर्ट के लिए निकल गया..
अपने नियत समय पर रोज की तरह वैशाली की आँख खुली.. उसे बेहद थकान और हल्की सी कमजोरी महसूस हो रही थी.. शायद रात को देर तक जागने का परिणाम था.. अपनी आँखें मलते हुए वह बिस्तर पर बैठी तो उसने देखा की पिंटू और उसकी बेग दोनों ही उनके स्थान पर नहीं थे.. उसने अपना मोबाइल उठाया और समय देखकर चोंक पड़ी..!! सुबह के सात बज रहे थे और पिंटू उसे बिना बताए ही चला गया था..!!
गुस्से से मोबाइल को बिस्तर पर फेंकते हुए, वैशाली ने अपने दोनों घुटनों को मोड़कर उसमें अपना चेहरा छुपा लिया..!! कल रात वह बहुत गर्म थी.. स्खलित होने के लिए आतुर भी.. वह तो हो नहीं पाया.. और पिंटू को समझाने का प्रयत्न किया तो वो उल्टा उसी पर भड़क पड़ा..!! जिस्म की आग और दिमाग का गुस्सा.. बड़ा ही जहरीला मिश्रण है..!!! इंसान अपनी सूझ-बुझ गंवा बैठता है..!!
ओढ़ी हुई चद्दर को लात मारकर फेंकते हुए वैशाली बेड से खड़ी हुई और बाथरूम में घुस गई.. ऑफिस जाने में देर हो रही थी और अभी खाना भी तो बनाना था..!!
Thanks bhaiबहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है शीला और रेणुका नए शिकार की तलाश में है
Nice updateपिछले अपडेट में आपने पढ़ा की..
जब प्यासी शीला को मदन की ओर से कोई मदद मिलती दिखाई न दी, तब उसने मामला अपने हाथों में लेने का तय किया.. काफी सोच विचार के बाद उसने रूखी के यार, जीवा को फोन लगाया.. जीवा नौकरी पर था लेकिन शीला के दबाव बनाने पर वह आने से मना न कर सका..
जीवा का इंतज़ार करते हुए शीला अपने जिस्म से खेल रही थी.. शराब का नशा सिर पर चढ़ा हुआ था.. और साथ ही हवस का बुखार भी..
आखिर जीवा की एंट्री हुई.. और फिर जो होना था वही हुआ.. एक शानदार जबरदस्त धमाकेदार संभोग के साथ शीला की प्यास बुझ गई..
अब आगे..
__________________________________________________________________________________________________
बड़े ही आराम से अपनी कुर्सी पर झूलते हुए पीयूष कॉफी के सिप ले रहा था.. उसके सामने पिंटू बैठे बैठे, नए प्रोजेक्ट की स्थिति और प्रगति के बारे में विस्तृत ब्योरा दे रहा था..
पिंटू: "आज सारे सप्लाइ का पूरा बिल ऑफ मटीरीअल तैयार हो जाएगा.. एक बार बेंगलोर यूनिट में इन्स्पेक्शन के लिए जाना होगा मुझे.. वहाँ का काम विशाल संभाल तो रहा है पर जिस गति से होना चाहिए वह नहीं हो रहा.. अगर हमें सीमित समय में ऑर्डर डीलीवर करना हो तो काम करने की गति को दोगुना करना ही होगा"
कॉफी खतम कर मग को टेबल पर रखते हुए पीयूष ने कहा "हाँ पिंटू.. गति तो बढ़ानी ही होगी.. इस स्पीड से चलते रहे तो अगले छह महीने तक भी हम इस ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाएंगे.."
पिंटू: "और एक बात.. दो-तीन सप्लाइअर ने बाकी पेमेंट मांगा है.. तभी उनका दूसरा लॉट हमें मिल पाएगा.."
पीयूष ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा "कर रहा हूँ उसका भी इंतेजाम.. रकम काफी बड़ी है.. मैं बेंक से बात कर रहा हूँ.. आज आखिरी मीटिंग है.. प्रोजेक्ट लोन अगर आज फायनल हो गया तो हम अगले हफ्ते तक सब को उनका पेमेंट दे पाएंगे"
तभी केबिन का दरवाजा खुला और वैशाली ने अंदर प्रवेश किया.. शर्ट, टाई और चुस्त छोटी स्कर्ट पहने हुए वैशाली कमाल लग रही थी.. पिंटू की मौजूदगी के बावजूद, पीयूष अपने आपको उसे देखने से रोक ही नहीं पाया
"कब से बज रहा है तेरा फोन..!! टेबल पर पड़ा था.. साथ क्यों नहीं रखता??" वैशाली ने थोड़ी बेरुखी से पिंटू को उसका फोन देते हुए कहा
वैशाली के हाथ से फोन लेते हुए पिंटू ने स्क्रीन पर नजर डाली और बोला "अरे यार.. यह लालवानी पेमेंट के लिए बार बार फोन कर रहा है..!! क्या कहूँ उसे?" प्रश्नसूचक नजर से पीयूष की ओर देखते हुए उसने कहा
पीयूष: "मैंने बताया तो.. आज बैंक के साथ मीटिंग है.. सब ठीक रहा तो अगले हफ्ते तक पेमेंट का जुगाड़ हो जाएगा.. पिंटू, कैसे भी उसे एक हफ्ते के लिए रोक ले.. और उसे मटीरीअल देने के लिए मना ले"
पिंटू: "करता हूँ कुछ.. उसे संभालना थोड़ा मुश्किल काम है" फोन रिसीव कर बात करते हुए पिंटू केबिन के बाहर चला गया
वैशाली वापिस मुड़कर जा ही रही थी तब पीयूष ने उसे रोकते हुए कहा
पीयूष: "कहाँ जा रही है..!! बैठ थोड़ी देर"
वैशाली ने पीयूष के सामने वाली कुर्सी खींची और बैठ गई
वैशाली: "बताओ, कुछ काम है मेरा??"
पीयूष: "अरे नहीं यार.. बिना काम के हम बात नहीं कर सकते क्या?"
वैशाली ने मुसकुराते हुए कहा "कर सकते है.. जरूर कर सकते है, पर क्या बात करेंगे?"
पीयूष: "बहुत कुछ है बात करने के लिए.. इतनी पुरानी यादें है" शरारती मुस्कान के साथ पीयूष ने अपना हाथ वैशाली के हाथ पर रख दिया
वैशाली पीयूष का इशारा समझ गई.. उसने अपना हाथ शालीनता से खींचते हुए कहा
वैशाली: "जैसे तूने कहा.. वह सारी पुरानी बातें है पीयूष.. बात करने से क्या फायदा!!"
पीयूष: "हर बात को फायदे-नुकसान के तराजू में तोलकर करना जरूरी है क्या?"
वैशाली: "ऑफिस में तो बिल्कुल जरूरी है"
पीयूष ने बात बदलते हुए कहा "अरे तुझे बताना ही भूल गया.. मदन भैया और राजेश सर आने वाले है अभी"
अपने पापा के आने की खबर सुनकर खुश हुई वैशाली, राजेश का नाम सुनते ही मुरझा गई.. व्यक्तिगत तौर पर उसे राजेश से कोई परेशानी नहीं थी.. पर पिंटू की प्रतिक्रिया को लेकर वह असमंजस में थी
पीयूष: "क्या हुआ? मदन भैया की आने की खबर सुनकर तू खुश नहीं हुई??"
वैशाली: "ऐसी बात नहीं है.. पर..!!"
पीयूष: "पर..!!!"
वैशाली एक पल के लिए रुकने के बाद बोली "राजेश सर भी आ रहे है.. तुम्हें तो पता है पिंटू का उनके प्रति क्या रवैया है..!!"
एक लंबी सांस लेते हुए पीयूष ने कहा "तू चिंता मत कर.. पिंटू काफी प्रोफेशनल बंदा है.. समझ जाएगा.. ऐसे अगर हम व्यक्तिगत मतभेदों को पकड़कर रखेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा"
वैशाली ने उत्तर नहीं दिया.. वह शून्यमनस्क पीयूष की ओर देख रही थी.. पीयूष उसके डीप-नेक टॉप से नजर या रही हल्की सी दरार को नजरें भरकर देख रहा था.. शादी के बाद वैशाली का बदन और गदरा चुका था ऐसा पीयूष का अवलोकन था.. खास अंगों के इर्दगिर्द चर्बी की एक अतिरिक्त परत, वैशाली के शरीर को और अधिक नशीला और मादक बना रही थी..
तभी फोन पर बात करते हुए पिंटू अंदर आया और बात खतम कर फोन काटते हुए उसने पीयूष से कहा "पीयूष, मैंने लालवानी को मना लिया है.. वो आज ही मटीरीअल का नया लॉट बेंगलोर भेज रहा है"
पीयूष ने खुश होकर कहा "वेरी गुड.. अब एक काम करो.. तुम कल के कल फ्लाइट लेकर बेंगलोर पहुँच जाओ.. प्रोडक्शन का सारा शिड्यूल सेट कर दो और विशाल को सब कुछ समझा दो.. अगर इस महीने तक हम आधा काम खतम कर सकते है तो बहुत बढ़िया होगा"
पिंटू: "ठीक है.. मैं कल सुबह की फ्लाइट बुक कर देता हूँ"
दोनों के बीच हो रही इस बातचीत को वैशाली बेमन से सुन रही थी.. कुछ अजीब सी जद्दोजहत चल रही थी उसके दिमाग में..
उसी दौरान मदन और राजेश ने पीयूष की केबिन में प्रवेश किया..
पीयूष ने उन दोनों को देखा और उठ खड़ा हुआ.. पिंटू और वैशाली की पीठ उनके तरफ थी
पीयूष: "आ गए आप लोग..!!! वेलकम..!!"
वैशाली ने पलटकर पीछे देखा.. मदन को देखते ही वह उससे लिपट गई.. पिंटू ने मदन से हाथ मिलाया.. फिर राजेश की तरफ देखा.. राजेश मुस्कुराया.. और हाथ मिलाने के लिए अपनी हथेली बढ़ा ही रहा था की तब पिंटू नजरें फेरकर केबिन के बाहर चला गया.. राजेश झेंप सा गया.. पर तभी वैशाली ने कहा
"कैसे है राजेश सर?"
फीकी मुस्कान के साथ राजेश ने कहा "ठीक हूँ वैशाली.."
वातावरण को सहज करने के लिए पीयूष ने कहा "आप लोग चाय कॉफी कुछ लीजिए.. फिर हमें तुरंत बैंक पहुंचना होगा"
मदन: "हाँ यार.. कडक चाय मँगवा लो.. सिर फट रहा है.."
पीयूष ने चपरासी को बुलाकर चाय मँगवाई और वैशाली केबिन से निकल गई
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
रात के साढ़े नौ बज रहे थे.. पिंटू अपने बेडरूम में सामान पेक कर रहा था.. दूसरी सुबह चार बजे के फ्लाइट से उसे बेंगलोर जाना था.. अलमारी से कुछ ढूंढते हुए उसने आवाज लगाई
पिंटू: "अरे सुनो तो..!!! मेरी वो नीली वाली शर्ट कहीं नजर नहीं आ रही"
रसोईघर से वैशाली ने आवाज दी "पाँच मिनट रुको.. बर्तन बस माँज ही लिए है.. अभी आई"
थोड़ी देर बाद, वैशाली अपने हाथ पोंछते हुए बेडरूम में आई.. दरवाजा अंदर से बंद किया और अलमारी से कपड़ों के ढेर में ढूंढते हुए वह नीली शर्ट बाहर निकाली
वैशाली: "यहीं तो थी.. यार तुम ठीक से देखते ही नहीं"
पिंटू ने मुस्कुराकर कहा "यार, तू न होती तो मेरा क्या होता..!!"
वैशाली ने हँसकर जवाब दिया "मैं न होती तो कोई और होती"
पिंटू ने शर्ट लिया और बेग में पेक करने लगा..
वैशाली ड्रेसिंग टेबल के आईने के पास आई और अपना सलवार कमीज उतारने लगी.. पिछले दो घंटों से किचन का काम निपटाते हुए वह पसीने से तर हो चुकी थी.. हाथ पीछे ले जाकर उसने अपने ब्रा के हुक खोल दिए.. फुटबॉल जैसे उसके दोनों स्तन आजाद होकर साँसे लेने लगी.. पेन्टी उतारते हुए वैशाली अपने दोनों स्तनों के खुमार को आईने मे देख रही थी.. कमर पर दोनों हाथ जमाए हुए वह अपने पूर्ण नंगे बदन को आईने में निहारने लगी.. उफ्फ़ क्या कातिल जवानी है.. उसे खुद ही अपने गदराए जिस्म पर प्यार आ रहा था.. अंगूठे और उंगलियों के बीच अपनी दोनों निप्पलों को चुटकी लेते हुए वह अपने वॉर्डरोब की तरफ मुड़ी और अंदर से पिंक कलर की नाइटी निकाल जो उसने शादी से पहले खरीदी थी.. लगभग पारदर्शक नाइटी इतनी डीप-नेक थी की उसके पौने से ज्यादा स्तनों का उभार तो ढँकता ही नहीं था.. उसकी लंबाई जांघों से थोड़े ऊपर तक थी.. पहनने पर उसकी चूत का उल्टा त्रिकोण आधा नजर आता था.. वैसे बेडरूम में पहनने वाली नाइटी, जिसे लॉनज़्हरे या लॉनज़्हरी कहते है, उसका उद्देश्य ही छुपाने से ज्यादा दिखाने का होता है..!!
छोटी सी थॉंग नुमा पेन्टी पहनी थी उसने.. जिसकी पतली सी पट्टी मुश्किल से योनि रेखा को ढँक रही थी.. वैशाली के विशाल चूतड़ों के बीच पीछे की पट्टी ऐसे धंस गई थी की देखने पर लगता था जैसे पेन्टी पहनी ही न हो..!!!
अपना पेकिंग खतम कर पिंटू बिस्तर पर बैठा था और मोबाइल पर ईमेल चेक कर रहा था.. वैशाली उसके बगल में मदहोशी से लेट गई.. और उसने पिंटू का हाथ उठाकर अपने गूँदाज स्तनों पर रख दिया.. पिंटू की नजर अब वैशाली पर गई.. उसने अपना मोबाइल टेबल पर रख दिया.. किसी महाराजा के खुले खजाने जैसी वैशाली अपने हुस्न के जलवे बिखेरते हुए बगल में लेटी हुई थी.. उसकी लगभग खुली हुई चूत से निकलती भांप को पिंटू ने तब महसूस किया जब उसने महीन पेन्टी की पतली सी पट्टी को सहलाया..!! आँखें बंद कर वैशाली सिहर उठी.. वह चाहती थी की पिंटू उसे दबाएं, मरोड़ें, दबोचें और मसलकर रख दे.. जिस्म का अंग अंग रगड़े जाने के लिए तड़प रहा था
वैशाली की गर्दन पर चूमते हुए वह उसके तंदूरस्त विशाल उरोजों को, नाइटी के अंदर हाथ डालकर हौले हौले दबाने लगा.. अपेक्षावश दोनों निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी.. उसकी एक निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए पिंटू ने वैशाली के अधरों का पान करना शुरू कर दिया.. उसके चुंबनों का वैशाली भी बड़ी गर्मजोशी से जवाब दे रही थी.. पिंटू के सर के बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते हुए उसने उसे अपने ऊपर ले लिया..
उस नरम गद्देदार शरीर पर सवार होकर पिंटू उसके हर अंग को बेकरारी से चूमने लगा.. वैशाली की जांघों के बीच की गर्मी उसे अपने लंड पर महसूस हो रही थी.. नाइटी को कंधे से सरकाते हुए दोनों स्तनों को मुक्त कर पिंटू पागलों की तरह चूमने, चाटने और काटने लगा.. मदहोशी के शिखर पर पहुंचकर चिहुँक रही थी वैशाली.. वह अपनी जांघों को भींचते हुए पिंटू की मर्दानगी की कठोरता का अनुभव करने का प्रयत्न कर रही थी.. पर उसके यौनांग पर ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ.. शायद उसकी अपेक्षा कुछ अधिक और समय से पहले थी..!!
वैशाली के स्तनों की निप्पलों को काफी देर तक चूसने के बाद.. वह उसके भरे हुए पेट और नाभि को नाइटी के ऊपर से चूमने लगा.. और नीचे जाते हुए अब वह वैशाली की दोनों जांघों के बीच जाकर रुका.. वैशाली ने पेन्टी की पट्टी सरकाते हुए अपनी चूत की मुंह दिखाई कर दी..
छोटे से टीले जैसी क्लीन-शेव चरबीदार चूत के दोनों होंठ संभोग-क्षुधा से रस विसर्जित कर रहे थे.. भूखे के मुंह तक निवाला पहुंचे तब जिस तरह ग्रहण करने के लिए उसके होंठ खुलते है वैसे ही वैशाली की चूत के होंठ खुल-बंद हो रहे थे.. मस्की सी मदहोश गंध छोड़ रही चूत लंड का प्रवेश चाहती थी..
वैशाली की चूत को काफी देर के लिए अभिभूत होकर देखते रहने के बाद.. पिंटू अचानक उठा और वैशाली के बगल में तकिये पर सिर रखकर लेट गया.. उसके उठ जाने की हलचल से वैशाली ने अपनी आँखें खोली और पिंटू को अपने बगल में लेटे हुए.. थोड़े आश्चर्य से देखने लगी..
उसका माथा ठनका.. अमूमन कई मर्द, चुदाई से पहले, अपने लिंग को संभोग-समर्थ बनाने के लिए मुख-मैथुन की अपेक्षा रखते है.. वैशाली को लंड चूसने से कोई परहेज तो था नहीं..!! वह उठी और बिस्तर पर घुटनों के बल चलते हुए पिंटू के पैरों के बीच आ गई.. कमर से उसकी शॉर्ट्स पकड़कर उसने एक झटके में अन्डरवेर के साथ उतार दी..
दोनों जांघों के बीच मृत अवस्था में पिचका हुआ पिंटू का लंड देखकर वैशाली थोड़ी निराश जरूर हुई.. पर उसे अपने जिस्म के जादू और अपनी काम-कला पर पूर्ण भरोसा था.. कागजी नींबू जैसे छोटे अंडकोशों पर पड़े हुए लंड को वैशाली ने नाजुकता से पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी
वैशाली के मुंह का गर्म स्पर्श होते ही पिंटू स्वर्ग की सैर पर निकल गया.. अपनी मुट्ठियाँ भींचते हुए वह इस अत्याधिक आनंद का मज़ा लेने लगा.. लंड की त्वचा को पीछे तक खींचते हुए, पिंटू के मध्यम कद के लंड का सुपाड़ा खोलकर वैशाली उस पर अपनी लपलपाती जीभ फेरने लगी.. लंड को सिरे से लेकर जड़ तक चाटते हुए.. अपनी लार को विपुल मात्रा में गिराते हुए उसने अंडकोशों तक को चाट लिया..!!
अब वैशाली को हल्का सा ताज्जुब होने लगा..!!! लंड पर इतनी मशक्कत करने के बाद भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी..!! यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था..!! आज तक जीतने भी मर्दों के साथ उसने बिस्तर सांझा किया था.. किसी के साथ भी यह समस्या नहीं आई थी.. अधिकतर मर्दों का लंड तो वैशाली के नग्न होते ही, ९० डिग्री का कोण बनाकर खड़ा हो जाता था..!! और बाकी के मर्द वैशाली के चूसने या हाथ में पकड़ने पर अपनी कठोरता प्राप्त कर लेते थे..!! पर सारे प्रयत्नों के बावजूद पिंटू का लंड कोई हरकत नहीं कर रहा था..!!!
अब पिंटू को भी इस बात का एहसास हुआ की एक मर्द होने के नाते, चुदाई के दौरान, उससे जो अपेक्षित था, वह मुहैया करवाने में, वह असफल सा साबित हो रहा था..!! उसने आँखें खोलकर वैशाली की तरफ देखा जो अब भी अपना पूरा जोर लगाकर लंड को चूसे जा रही थी.. दोनों की आँखें मिली तब पिंटू की नजरें शर्म से झुक गई
यह स्थिति वास्तव में एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा है, जो कई जोड़ों के जीवन में आ सकता है.. जब स्त्री और पुरुष चुदाई करने की कोशिश करते हैं, पर पुरुष उत्तेजना प्राप्त करने में असमर्थ होता है.. यह स्थिति दोनों के लिए निराशाजनक और असहज हो सकती है.. स्त्री अपनी कामुकता की प्रखर सीमा पर योनि-प्रवेश चाहती है.. और पुरुष उतनी सख्ती प्राप्त नहीं कर पाता की जिससे प्रवेश हो पाए.. यह समस्या न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभाव डालती है..
स्त्री साथी के लिए यह स्थिति अत्यंत निराशाजनक होती है.. वह भरपूर संभोग करने की उम्मीद में अति उत्तेजना से दहक रही हो और पुरुष शारीरिक रूप से तैयार नहीं हो पाता, तब उसे ऐसा लग सकता है कि उसके प्रति उसका आकर्षण कम हो गया है या फिर वह किसी अन्य समस्या से जूझ रहा है.. इससे उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है और वह खुद को असहज महसूस करती है.. कई बार महिलाएं इस स्थिति को व्यक्तिगत रूप से ले लेती हैं, जो उनके मन में संदेह और असंतोष पैदा कर सकता है
पुरुष के लिए यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और असहज हो जाती है.. पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अक्सर मजबूत और सक्षम होने का दबाव महसूस होता है, और जब वह अपने साथी के सामने शारीरिक रूप से असफल होता है, तो उसे अपनी मर्दानगी पर सवाल उठते हुए महसूस होते है.. इससे उसका आत्मविश्वास तो कमजोर होता ही है पर साथ साथ वह भविष्य में इस स्थिति से बचने के लिए शारीरिक संबंध बनाने से कतराने लग सकता है.. यह चिंता और तनाव का कारण बन सकता है, जो आगे चलकर इस समस्या को और बढ़ा सकता है
चूस-चूसकर अब वैशाली का जबड़ा दर्द करने लगा था.. उसने पिंटू का लंड अपने मुंह से निकाला और उसी स्थिति में हांफती रही.. पिंटू अपने सिर पर हाथ रखे आँख बंदकर लेटा ही रहा.. शर्मिंदगी के कारण वह वैशाली का सामना नहीं कर पा रहा था..
वैशाली को लगा की शायद उसके मुंह की गर्मी कम पड़ रही होगी पिंटू के लंड को.. अपनी जांघे फैलाकर उसने पेन्टी को साइड में सरकाया और गरमागरम चूत के होंठों को पिंटू के निर्जीव लंड पर रगड़ने लगी.. पर सारी कोशिशें व्यर्थ रही..!! उसने अपने मस्त चूचियों के बीच लंड को दबाकर काफी देर तक रगड़ा.. पर पिंटू का लंड, बिना हवा के गुब्बारे की तरह पिचका हुआ पड़ा ही रहा..
थक-हारकर वैशाली ने अपनी नाइटी और पेन्टी उतार दी.. एक मदहोश अंगड़ाई ली और पूरे शरीर को पिंटू के शरीर पर डाल दिया.. उसके गदराए चरबीदार जिस्म को पिंटू के शरीर से रगड़ने लगी.. पैर के अंगूठे से लेकर नाक तक दोनों के हर अंग एक दूसरे से घिस रहे थे.. उस दौरान अपनी दोनों जांघों के बीच उसने पीयूष के मुरझाए लंड को दबोचकर उसे उकसाने का भरपूर प्रयत्न किया.. पर परिणाम शून्य ही रहा..!!
"सॉरी वैशाली..!!" सहमी हुई आवाज में पिंटू उसके कानों में फुसफुसाया
यह सुनते ही वैशाली पिंटू के जिस्म से उतरकर उसके बगल में लेट गई.. पिंटू के चेहरे को अपनी बाहों में लेकर उसके बालों को सहलाने लगी
पिंटू: (शर्मिंदगी से) "वैशाली... आई एम सॉरी.. आज कुछ ठीक नहीं लग रहा..!!"
वैशाली: "क्या हुआ, पिंटू? सब ठीक है ना?"
पिंटू: (सिर झुकाकर) "मैं समझ नहीं पा रहा हूँ.. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है..!! मैं तुम्हें निराश नहीं करना चाहता हूँ..!!"
वैशाली: "अरे, ऐसा तो किसी के साथ भी हो सकता है.. तुम इतना टेंशन मत लो.. शायद तुम थके हुए हो या फिर स्ट्रेस में हो.. इसी वजह से ऐसा हो रहा होगा.."
पिंटू: "पर वैशाली, हम इतने जवान हैं.. अभी तो हमारी पूरी ज़िंदगी पड़ी है.. अगर अभी से ऐसा होने लगा है, तो आगे क्या होगा? सेक्स तो शादी का एक अहम हिस्सा है.."
वैशाली: "यार, तुम इतना स्ट्रेस मत लो.. ये कोई बड़ी समस्या नहीं है.. अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम किसी सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह लेंगे.. सब ठीक हो जाएगा.."
पिंटू: (गुस्से में) "सेक्सोलॉजिस्ट? तुम्हें लगता है कि मैं इतना कमज़ोर हूँ कि डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत पड़े? क्या तुम्हें मेरी मर्दानगी पर शक हो रहा है?"
वैशाली: "पिंटू, बात को बेवजह बढ़ा मत.. ये मामला विश्वास का नहीं है.. ये सिर्फ एक शारीरिक समस्या है, जिसका समाधान हमें ढूंढना है.. डॉक्टर से सलाह लेने में क्या हर्ज है?"
कई पुरुषों को इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) की समस्या का सामना करना पड़ता है.. यह एक चिकित्सीय स्थिति है, फिर भी वे सेक्सोलॉजिस्ट के पास जाने से हिचकिचाते हैं.. उन्हें यह शर्मनाक लगता है और वे यह सोचते है की इसस उनकी मर्दानगी शक के घेरे में आ जाएगी.. इसे वह अपनी मर्दानगी पर सवाल और खतरा मानते हैं.. एक पुरुष-प्रधान समाज में, पुरुषों से मजबूत होने की उम्मीद की जाती है, खासकर यौन संबंध के दौरान.. इसलिए, इस समस्या से जूझ रहे पुरुषों के लिए यह स्थिति बेहद मुश्किल हो जाती है.. उन्हें यह समझना चाहिए कि यह एक सामान्य समस्या है और चिकित्सकीय सहायता लेने में उन्हें शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.. इससे न केवल उनकी यौन जीवन में सुधार होगा, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा..!!
पिंटू: "मैं तुम्हारी बात नहीं सुनना चाहता! तुम समझती ही नहीं कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ.. मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ, लेकिन आज मैं ऐसा करने में नाकाम रहा.. और सिर्फ इस एक कारण से तुम मुझे डॉक्टर के पास ले जाना चाहती हो?"
वैशाली: "पिंटू, मैं भी तुम्हें खुश रखना चाहती हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. मैं भी फ्रस्ट्रेटेड हूँ, लेकिन मैं फिर भी तुम्हें समझने की कोशिश तो कर रही हूँ ना..!!"
पिंटू: "तुम फ्रस्ट्रेटेड हो? तुम्हें लगता है कि मैं नहीं हूँ? मैं भी तो परेशान हूँ! मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूँ, लेकिन आज कुछ ठीक नहीं लग रहा.."
वैशाली: "यार, मैंने कोशिश तो की.. मैंने तुम्हें रिलैक्स करने की कोशिश की.. और ये हमारे साथ दूसरी बार हो रहा है.. आगे जाकर यह कोई बड़ी समस्या न बन जाए इसीलिए मैं तुम्हें डॉक्टर के पास जाने के लिए कह रही हूँ.. लेकिन तुम मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं हो.. !!"
पिंटू: "क्योंकि ये मेरी समस्या है! मैं इसे सुलझा लूंगा.. और इसके लिए मुझे किसी डॉक्टर की जरूरत नहीं है..!!"
वैशाली: "तुम क्यों नहीं समझ रहे, ये सिर्फ तुम्हारी समस्या नहीं है.. यह हमारी समस्या है! हम शादीशुदा हैं, और हमें मिलकर इसका हल ढूंढना चाहिए..!!"
पिंटू: "यार तुम मुझे अभी अकेला छोड़ दो..मैं थका हुआ हूँ और कल सुबह जल्दी भी उठना है.. तुम्हारी तरह नहीं की बस पैर फैलाएं और सो गए..!!"
पिंटू के ऐसा कहने पर वैशाली को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था..!! यह किसी बात कर रहा है पिंटू? वह उसकी मदद करने की कोशिश कर रही है और वो उल्टा उसी पर भड़क रहा है??
गुस्से में आकर वैशाली करवट लेकर पिंटू की विरुद्ध दिशा में सो गई.. पर देर तक न उसे नींद आई और न ही पिंटू को
दूसरी सुबह पिंटू एलार्म बजते ही उठा.. तैयार हुआ और वैशाली को बिना बताएं एयरपोर्ट के लिए निकल गया..
अपने नियत समय पर रोज की तरह वैशाली की आँख खुली.. उसे बेहद थकान और हल्की सी कमजोरी महसूस हो रही थी.. शायद रात को देर तक जागने का परिणाम था.. अपनी आँखें मलते हुए वह बिस्तर पर बैठी तो उसने देखा की पिंटू और उसकी बेग दोनों ही उनके स्थान पर नहीं थे.. उसने अपना मोबाइल उठाया और समय देखकर चोंक पड़ी..!! सुबह के सात बज रहे थे और पिंटू उसे बिना बताए ही चला गया था..!!
गुस्से से मोबाइल को बिस्तर पर फेंकते हुए, वैशाली ने अपने दोनों घुटनों को मोड़कर उसमें अपना चेहरा छुपा लिया..!! कल रात वह बहुत गर्म थी.. स्खलित होने के लिए आतुर भी.. वह तो हो नहीं पाया.. और पिंटू को समझाने का प्रयत्न किया तो वो उल्टा उसी पर भड़क पड़ा..!! जिस्म की आग और दिमाग का गुस्सा.. बड़ा ही जहरीला मिश्रण है..!!! इंसान अपनी सूझ-बुझ गंवा बैठता है..!!
ओढ़ी हुई चद्दर को लात मारकर फेंकते हुए वैशाली बेड से खड़ी हुई और बाथरूम में घुस गई.. ऑफिस जाने में देर हो रही थी और अभी खाना भी तो बनाना था..!!