भाग 2 आगे .......
दृश्य में बदलाव
शहर के एक बहुमंजिला भवन में मौजुद एक आलीशान ऑफिस में इस वक्त सभी काम काजी लोग अपने अपने काम में लगे हुए थे। वही एक ओर बने एक कमरे का दरवाजा खटखटाया जाता हैं और बोला जाता है " सर क्या मैं अन्दर आ सकती हूं?" प्रतिउत्तर में "हां आ जाओ।" की आवाज आता हैं।
कुछ ही वक्त में एक लडकी फॉर्मल ड्रेस और ऊंची एड़ी की सैंडल पहनी ठाक ठाक की आवाज़ करती हुईं। कमरे के अंदर प्रवेश करती हैं और जाकर सामने बैठा, लड़के के सामने खड़ी हो जाती हैं। " बैठ जाओ" इतना बोलकर लडकी की और देखता हैं। देखते ही सामने बैठा युवक के चहरे का भाव बदल जाता है और तल्ख लहजे में बोला... साक्षी तुम्हें कितनी बार कहा है जब भी मैं बुलाऊ, आते वक्त अपने कपड़ों की स्थिति को जांच परख कर आया करो मगर तुम हों कि सुनती ही नहीं!
साक्षी...मेरे कपडे तो ठीक हैं इसे ओर कितना ठीक करू।
"तुम्हें ऐसा लग रहा होगा लेकीन मेरी नजर में बिल्कुल ठीक नही हैं। तुम खुद ही देखो तुम्हारे शर्ट के दो बटन खुले हुए है, जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही, इसलिए तुम अभी के अभी उन बटनो को बंद करो।"
उठी हुई नजरों को थोड़ा सा नीचे झुकाकर अजीब ढंग से मुस्कुराते हुए शर्ट का बटन बंद कर लेती हैं फ़िर बोलीं…अब तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगा सर्ररर...।
सर शब्द को थोड़ा लम्बा खींचते हुए बोलीं तो युवक थोड़ा खिसिया गया और कुछ बोलता उससे पहले उसका सेल फ़ोन बज उठा, आ रही कॉल को रिसीव करके बात करने में लग गया जैसे जैसे बात आगे बड़ रहा था वैसे वैसे युवक के चहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लग गया। कुछ देर बात करने के बाद फोन रखते ही साक्षी बोलीं... सर क्या हुआ आप इतने टेंशन में क्यों हों?
"अरमान आया की नहीं!"
साक्षी... अभी तो नहीं आया।
"इस लड़के का मै क्या करूं जिम्मेदारी नाम की कोई चीज नहीं हैं।" इतना बोलकर दुबारा किसी को कॉल लगा दिया। कॉल रिसीव होते ही युवक बोला... अरमान तू अभी कहा हैं?
अरमान…?????
"जल्दी से ऑफिस आ बहुत जरूरी काम हैं।"
इतना बोलकर कॉल कट कर दिया फ़िर साक्षी से काम को लेकर कुछ बाते करके वापस भेज दिया। कुछ ही देर में कमरे का दरवाजा खुला और एक युवक धनधानते हुए भीतर आया फ़िर बोला... राघव ऐसी कौन सी आफत आ गई जो तू मुझे जल्दी से ऑफिस बुला लिया।
राघव... तेरा बड़ा भाई हूं और उम्र में तुझसे कई साल बड़ा हूं, कम से कम इसका तो लिहाज कर लिया कर।
बड़ा भाई (एक क्षण रूका फिर अजीब ढंग से मुस्कुराते हुए आगे बोला) बड़ा भाई तो हैं पर...।
इसके आगे कुछ बोला नहीं, अरमान के मुस्कुराने के अंदाज से राघव समझ गया वो क्या कहना चहता था। इसलिए राघव की आंखों में नमी आ गईं मगर उन नमी को बहने से पहले ही रोक लिया और मंद मंद मुस्कान से मुस्कुराकर बोला…मैं क्या हूं क्या नहीं, इस पर बात करने के लिऐ तुझे नहीं बुलाया बल्कि ये बताने के लिए बुलाया था। तुझे अभी के अभी जयपुर जाना होगा। वहां के कंस्ट्रक्शन साइड में कोई दिक्कत आ गया है।
अरमान...यही तेरा जरूरी काम था।
राघव... हा यही जरूरी काम था और तुझे करना ही होगा। अब तू घर जा और पैकिंग कर ले क्योंकि हों सकता है तुझे वहां ज्यादा दिनों के लिए रुकना पड़े मैं तब तक टिकट की व्यवस्था करता हूं।
थोड़ा गरम लहजे में राघव ने अपनी बाते कह दिया इसलिए अरमान ज्यादा कुछ न बोलकर चुपचाप चला गया फ़िर राघव सभी व्यवस्था करके घर को चल दिया और अरमान को साथ लेकर एयरपोर्ट छोड़ने चला गया।
जायिगा नहीं भाग 2 क्रमश .........