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भाग - 5
भीतर प्रवेश करते ही राघव को देखकर श्रृष्टि मन में बोलीं... हे भगवान ये तो वहीं है जिन्होंने मेरा डॉक्युमेट लौटाया था। हे भगवान फिर से कोई बखेड़ा खडा मत करवा देना।
मन ही मन बोलते हुए श्रृष्टि जाकर राघव के सामने खडी हों गईं। श्रृष्टि को खडा देखकर राघव ने उसे बैठने को कहा बैठते ही श्रृष्टि बोलीं...सर अभी बहार जो कुछ भी आपसे कहा था उससे अगर आपको बुरा लगा हों तो माफ कर देना।
राघव ने उसके बातों का कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुरा कर देखा फ़िर एक साक्षत्कार अधिकारी की तरह श्रृष्टि के एक एक क्रियाकलाप पर नज़र बनाए हुए ही कुछ इधर उधर की बाते करने के बाद श्रृष्टि की मूल साक्षत्कार लेना शुरू किया।
श्रृष्टि की प्रमाण पत्र पुस्तिका को लेकर एक एक पेज देख रहा था और उससे वास्ता रखने वाला एक सवाल दाग देता। एक के बाद एक कई सवाल दागा गया। जिसका जवाब श्रृष्टि ने बड़े ही तहजीब और सलीके से दिया। एक वक्त ऐसा भी आया जब श्रृष्टि की फाइल में लगीं कुछ भवन मानचित्र सामने आया जिसे देखकर राघव बोला...एक गैर ज़िम्मेदार लड़की इतना भी ज़िम्मेदार हो सकती हैं कि इतनी बेहतरीन भवन मानचित्र भी बना सकती हैं या फिर ये सभी भवन मानचित्र किसी दूसरे की बनाई हुई हैं।
राघव सपाट लहज़े और गंभीर मुद्रा में ये सवाल दागा, जिसे सुनकर श्रृष्टि को बेहद गुस्सा आया। दोनों मुठ्ठी को भींचे, गुस्से को काबू करने में लग गईं। इसके अलावा श्रृष्टि कर भी क्या सकती थी।
राघव एक माहिर साक्षत्कार अधिकारी होने का पूरा पूरा परिचय दे रहा था उसकी नज़रे प्रमाण पत्रों पर बन हुआ था लेकिन खांकियों से श्रृष्टि के हाव भाव को भी देख रहा था। जब श्रृष्टि ने उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया तो एक बार फिर राघव बोला...क्या हुआ श्रृष्टि जी अपने कोई जबाव नहीं दिया या फ़िर जो मैंने कहा उसका एक एक लवज़ सही हैं।
श्रृष्टि...सर ये सभी भवन मानचित्र मेरे मेहनत का नतीजा हैं न कि किसी दूसरे की मेहनत हैं।
राघव...चलो आप कहती हों तो मान लेता हूं।
एक बार फिर से राघव प्रमाण पत्र पुस्तिका के एक एक पेज पलटकर देखने लग गया और जब अंत में पहुंचा तो उसे देखकर राघव बोला... श्रृष्टि जी आपका कार्य अनुभव बता रहा हैं कि आपने कई छोटे बड़े कंसट्रक्शन कंपनी में काम किया मगर इन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अपने डीएन कंसट्रक्शन ग्रुप जैसे नामी कंपनी में भी काम किया फिर ऐसा क्या करण रहा जिसके वजह से आपको वो कंपनी छोड़ना पड़ा। कहीं ऐसा तो नहीं आपके गैर जिम्मेदाराना हरकतों की वजह से आपको निकाल दिया गया हों।
मैं गैर ज़िम्मेदार नहीं हूं (कुछ पल रूकी और आई हुई गुस्से को काबू करते हुए आगे बोला) सर मैं गैर ज़िम्मेदार नहीं हूं और न ही मैं डीएन कंसट्रक्शन ग्रुप से निकली गई हूं बल्कि मैं ख़ुद उस कंपनी को छोड़ दिया था। अब आप छोड़ने की वजह न पूछ बैठना क्योंकि आप कारण पूछोगे तब भी मैं नहीं बताने वाली।
राघव की नज़र भले ही नीचे प्रमाण पत्र पुस्तिका देखने में था मगर खांकियो से श्रृष्टि पर नज़र बनाया हुआ था। इसलिए उसे दिख गया की कुछ सवालों के दौरान श्रृष्टि को बहुत गुस्सा आया। जिसे देखकर राघव मन ही मन मुस्कुरा दिया। कुछ और सावल जवाब का दौर चला अंत में श्रृष्टि को उसका प्रमाण पत्र पुस्तिका वापस देते हुए राघव बोला...श्रृष्टि जी अब आप जा सकती हों नौकरी की जानकारी आपको मेल या फिर लेटर द्वारा भेज दिया जाएगा।
बाद में जानकारी देने की बात सुनकर एक बार फिर से श्रृष्टि निराश हों गईं क्योंकि श्रृष्टि को उम्मीद था कि इतने वक्त तक साक्षत्कार चला हैं तो शायद उसको नौकरी मिल जाएं मगर इसका आसार उसे दिख नहीं रहा था। बाद में जानकारी देने का मतलब वो अच्छे से जानती हैं। इसलिए अनमाने मन से उठी और राघव को धन्यवाद कहकर चल दिया। अभी द्वार तक पुछा ही था कि राघव बोला... श्रृष्टि जी रूकिए! अगर आप मेरी कुछ शर्तों को पूरा करने का वादा करती हैं तो ये नौकरी आपको मिल सकता हैं।
नौकरी मिलने की बात सुनते ही श्रृष्टि खुशी से झूम उठी और मुस्कुराते हुए बोलीं... कैसी शर्त?
राघव... शर्त बस इतना हैं कि जो भी काम आपको दिया जाए उसे आप जिम्मेदारी से निभायेंगे।
श्रृष्टि... जी बिल्कुल आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी।
राघव... ऐसा है तो अब आप खुशी खुशी घर जा सकती हैं और जब आपको ज्वाइन करने को कहा जाएं तब आकर जॉइन कर लेना।
एक बार फ़िर से श्रृष्टि चहकती मुस्कुराती हुई आभार व्यक्त किया फ़िर चलती बनी और राघव बोला... ओ क्या लड़की हैं? दिखने में जितनी मासूम और भोली हैं उतनी ही तेज तर्रार और गुस्से वाली और सबसे बडी बात स्वाभिमानी हैं मगर मैं उसके बारे में ऐसी बातें क्यों कर रहा हूं?
अब ये तो कौन बतायेगा ?????????
जारी है आगे पढ़िए