शमशेर अपने फार्महाउस के बालकनी में बेठ के खेत का नजारा देख रहा था जहां पे गाँव की औरतें काम कर रहे थे... शमशेर उन औरतों को हवस की नजर से देख रहा था....
तभी निरूपा की कदमों की आहट सुन कर पीछे मुड़ कर देखा तो निरूपा हाथ में चाय की कप ले कर आ रही थी...
निरूपा- लो चाय पी लो...
शमशेर- अरे वाह !! क्या ये तुमने बनाया है ?
निरूपा- हां
शमशेर निरूपा को ध्यान से देखते हुए बोला- मुझसे तंग आकर कहीं तुमने इसमें जहर तो नहीं मिलाया है ना ?
निरूपा- नहीं तो... अगर मुझपे भरोसा नहीं तो लाओ पहले में थोड़ी सी पी लेती हूं....
शमशेर- ठीक है, तुमपे भरोसा कर रही हूं.. अगर इसमें कुछ मिलाया है तो तुम जिंदा नहीं बचोगी....
निरूपा मन ही मन बोली- तुझे जहर दे कर आसान मौत क्यों मारूंगी, तुझे तो तड़पा तड़पा कर मारना है....
शमशेर चाय की एक घूंट लेकर बोला- मानना पड़ेगा तुम्हारी हाथ की स्वाद को, क्या खूब चाय बनाई है !!
निरूपा हंसती हुई बोली- अच्छी लग रही है ना !!
शमशेर- वैसे आज मुझपे इतना प्यार क्यों आ रहा है ?
निरूपा- क्यों तो तुमसे नफरत क्यों करूँ ?
शमशेर- चलो में तुमसे बहुत खुश हूँ... और आज से में तुम्हे यहां से आजाद करता हूँ.... जाओ मेघनाद अंकल तुम्हारा इन्तेजार कर रहे हैं....
ये सुनकर निरूपा मन ही मन बोली- अब क्या फायदा मेरे पति के पास जा कर, तू तो मेरी इज्जत उतार चुका है... अब तुझे मार के ही जाउंगी यहां से.....
शमशेर निरूपा के हाथ को पकड़ के हिलाते हुए बोला- क्या सोच रही हो, तुमने सुना नहीं, जाओ में तुम्हे आजाद किया....
निरूपा- नहीं अब में तुम्हे छोड़ कर कहीं नहीं जाउंगी....
शमशेर- क्यों ? अरे जाओ अपने पति और बच्चों के पास...
निरूपा- नहीं अब में तुम्हारे बिना नहीं रह सकती... अब तो तुम्हारा आदत हो गयी है मुझे...
शमशेर मुस्कुराते हुए बोला- यूं कहें तो तुम मेरे लन्ड के गुलाम बन चुकी हो ?
निरूपा मन ही मन- तेरा लन्ड को काट के जाउंगी मादरचोद.....
शमशेर- क्यों सही कहा ना ?
निरूपा- अब तुमसे क्या छुपाना...
शमशेर कुर्सी से उठ के निरूपा को अपनी बांहों में उठा लिया और बोला- आज कस के चोदूगां, दिल खुश हो गया तेरी बात सुनकर...
निरूपा- तो देर किस बात की..
शमशेर निरूपा को गोद में उठा कर अंदर ले ही रहा था कि उसका फोन की घण्टी बजने लगा...
शमशेर निरूपा को नीचे उतार के बोला- तुम अंदर जाओ, में अभी आ रहा हूँ...
निरूपा बेड की तरफ जाने लगी...
शमशेर फ़ोन उठा के बोला- केसी हो सावित्री डार्लिंग ???
दूसरी तरफ सावित्री बात कर रही थी....
सावित्री- तुम्हारे बिना सब बेकार है शमशेर...
शमशेर- अच्छा क्या में तुम्हे इतना पसंद आ गया हूँ ?
सावित्री- जबसे तुमसे सेक्स किया है तुम्हे भुलाना मुश्किल हो रही है...
शमशेर- वो तो होना ही है..
सावित्री- तो फिर आओ ना यहां पे घूमने... तुम्हे जन्नत की सैर करवाउंगी....
शमशेर- में भी जन्नत की सैर करने के लिए बेताब हूँ डार्लिंग... पर तुम्हारे पति जनार्दन के रहते ये सब कैसे होगा ?
सावित्री- ओह फो उस बुड्ढे की बात छोड़ो... उसे पूछता कौन है ? तुम बस यहां आओ, सब इंतजाम हो जाएगी...
शमशेर- में भी कब से तुम्हारी जैसी रस मलाई को और एक बार चखने के लिए बेताब हूँ...
सावित्री- एक बार क्यों, बार बार चख सकते हो....
शमशेर- ठीक है तो फिर में कल ही आ रहा हूँ तुम्हारे पास...
शमशेर फ़ोन रखते ही बेड पे कूद गया जहां पे निरूपा नंगी लेटी हुई थी...
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नटराज को जब पता चला कि वो और शमशेर कल सावित्री के बंगले में जाने वाले हैं तो उसका चेहरा खिल उठा...
वो मन ही मन बोल रहा था- फिर से सावित्री की मादक जिस्म की दर्शन होंगे... उफ्फ वो बड़ी बड़ी चुचियाँ, बड़ी बड़ी गाँड़, सेक्सी होंठ, क्या मस्त माल है... चुत तो और भी मस्त होगी... पता नहीं उसकी चुत को देखना मेरे नसीब में है या नहीं... बस उसकी नंगी चूची देखने को मिल जाये ये काफी है...
ये सोचते हुए नटराज अपने पास छुपाए हुए सावित्री की फटी ब्रा और पैंटी को बैग से निकाला और ध्यान से ब्रा को देख के बोला- इतनी बड़ी चूची ये छोटी ब्रा में कैद हो जाती है, उफ्फ बस एक बार सावित्री की चूची को ब्रा में कैद देखना चाहता हूं... तब जाके मेरे लन्ड को शांति मिलेगा...
ये सोचते हुए नटराज अपने लन्ड को पकड़ के हिलाने ही वाला था कि श्यामला पीछे से आवाज दी "नटराज अभी फ्री हो तो चलो एक बार मेरी प्यास बुझाओ...
नटराज को मानो भूख में खाना मिल गया हो... अभी अभी उसका लन्ड गरम जो हो गया है...
नटराज ब्रा और पैंटी को बैग में छुपा दिया और श्यामला की तरफ देखते हुए बोला- आपकी इच्छा है तो में क्या बोलूं मालकिन ?
श्यामला अचानक नटराज की पैंट की ज़िप खोल के अंदर हाथ घुसा के लन्ड को पकड़ लिया....
नटराज को मानो करंट लग गया...
फिर कुछ देर बाद कमरे में श्यामला की मादक सिसकियां गूंजने लगी....
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दूसरे दिन शमशेर और नटराज रघुनाथपुर के लिए निकल गए... कुछ देर बाद उनकी जीप सावित्री की बंगले के अंदर घुस गया...
वहां पे सावित्री पहले से ही खड़ी थी शमशेर का स्वागत करने के लिए...
नटराज का नजर जब सावित्री पर पड़ा तो वो उसे देखता ही रह गया.. सावित्री काले रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी हुई थी, जिससे उसकी काले रंग की ब्लाउज साफ नजर आ रही थी... उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ देख कर नटराज अपना दाँत दबा रहा था और अपने किस्मत को कोस रहा था....
शमशेर जीप से उतरते ही सावित्री उसको गले लगा लिया और बोली- और कोई तकलीफ तो नहीं हुई आते वक्त ?
शमशेर सावित्री की मादक होंठ को देखते हुए बोला- तुम्हारे याद में कब रास्ता गुजर गया पता ही नहीं चला...
सावित्री सेक्सी अंदाज में बोली- अभी से तुम्हारा वक़्त कैसे कटेगा तुम्हे पता ही नहीं चलेगा...
फिर दोनो मुस्कुराने लगे...
नटराज पीछे से ये सब देख रहा था...
फिर सावित्री नटराज को देखते हुए बोली- नटराज कैसे हो ?
नटराज- सब बढ़िया है मेडम..
सावित्री- ठीक है, बंगले के अंदर चलो (अपनी निचली होंठ अपनी दांत से दबाके एक आंख को मारते हुए)
ये देख के नटराज के होश उड़ गए, वो पागल सा होने लगा, उसका लन्ड झट से खड़ा हो गया...
फिर शमशेर और नटराज बंगले के अंदर प्रवेश किया और गेस्ट रूम में जाने लगे.....
उस वक़्त जनार्दन चौधुरी कुछ काम के लिए पास के शहर गए हुए थे... इसी का फायदा उठा कर शमशेर सावित्री की कमरे में घुस गया और सावित्री को पीछे से दबोच लिया...
सावित्री- उइमा....
शमशेर- आज बस उइमा उइमा करोगे तुम (सावित्री की नाभि पर उंगली घुसाते हुए)
सावित्री- हूँ लगता है बहुत ज्यादा मूड में हो...
शमशेर- और नहीं तो क्या ? जबसे तुम्हे चोदा है, और किसी की चुत मारने में मजा नहीं आ रहा है...
सावित्री- सच में...
शमशेर अपने हाथ को ऊपर लाते हुए सावित्री की चूची को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ लिया...
सावित्री- आउच.....
शमशेर- तुम्हारे बुड्डा पति कहाँ गया ? (चूची को दबाते हुए)
सावित्री- अभी वो बाहर गया है, पर वो किसी भी वक़्त आ सकता है...
शमशेर अब दोनो हाथ से दोनो चुचियों को दबा रहा था....
सावित्री दोनो आंखे बंद करके खड़ी थी और पीछे शमशेर ब्लाउज के ऊपर से दोनो चूची को मसल रहा था....
शमशेर- आज यहां पे कोई नौकर भी दिखाई नहीं दे रहे हैं, कहां गए ?
सावित्री अपनी साड़ी अपने ब्लाउज के ऊपर से हटाते हुए नीचे गिरा दिए और बोली- आज सबको छुट्टी दे दी हूँ...
शमशेर फटाफट उसकी ब्लाउज को उतार दिया... सावित्री अब लाल ब्रा में नजर आ रही थी, जिसमें उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ कैद थी...
शमशेर- आज तो तुम्हे चोदने में ज्यादा मजा आएगा...
सावित्री पीछे मुड़ गयी और शमशेर की तरफ मुंह करके बोली- पहले खाना खाओगे या मुझे खाओगे ?
शमशेर- तुम्हारी चुत का रस चूसना है सबसे पहले, फिर खाना देख लेंगे....
सावित्री हंसती हुई बोली- तो फिर देख क्या रहे हो, चूस लो...
फिर शमशेर सुरु किया हवस का खेल....
फिर कमरे के अंदर से सेक्सी सेक्सी आहें सुनाई दे रहा था, जिसे नटराज बाहर से सुन रहा था और अपने लन्ड को मसल रहा था....
नटराज बार बार सावित्री का नाम ले कर अपने लन्ड को आगे पीछे करके हिलाने में व्यस्त था....
फिर कुछ देर बाद कमरे में सन्नाटा छा गया... नटराज सोचने लगा- आखिर ये दोनों सो गए क्या ? नहीं गुरु कम से कम 2 या 3 बार तो जरूर ठोकेंगे, जहां तक मुझे पता है, गुरु औरतों की जब तक जोरदार ठुकाई ना कर दें तब तक सोते नहीं....
तब अचानक कमरे का दरवाजा खुल गया, तो नटराज चौंक के छुपने ही वाला था कि एक आवाज आई- कहाँ छुप रहे हो नटराज ?
नटराज दरवाजे की तरफ देखा तो चौंक गया... सावित्री ब्रा और पैंटी पहने खड़ी थी... लाल ब्रा और लाल पैंटी में सावित्री सेक्स की देवी लग रही थी...
नटराज ये देख के उसके होश उड़ गए, लन्ड से पानी छूटने को हो गया... सावित्री की बड़ी बड़ी चुचियाँ बड़ी मुश्किल से ब्रा में कैद थी... चुचियाँ इतनी बड़ी थी कि दोनों चुचियाँ के आधा हिस्सा नंगी नजर आ रही थी, जो कि दूध की तरह सफेद थी...
नटराज ध्यान से उसकी पैंटी को देख रहा था....
फिर सावित्री बड़े ही मादकता से चलते हुए नटराज की तरफ आने लगी.. इसकी वजह से उसकी चुचियाँ धीरे धीरे हिलने लगे... नटराज ये देख कर पागल हो रहा था...
सावित्री पास आके बोली- रुक क्यों गए, मेरा नाम लेके जो कर रहे थे वो बन्द क्यों किये ?
नटराज हकलाता हुआ बोला- वो वो में में...
सावित्री सेक्सी स्माइल करते हुए बोली- नटराज तुम बहुत अच्छे हो...
नटराज के गाँड़ फट रहा था...
सावित्री अचानक नटराज के पैर की नीचे बैठ गयी और उसकी पैंट को नीचे खिसका दी... जिसकी वजह से नटराज अब सिर्फ अंडरवियर और कमीज में खड़ा था.... ऐसा करने से नटराज का नजर सीधा सावित्री की बड़ी बड़ी नंगी चुचियाँ पे गयी जो कि उसे ऊपर से साफ नजर आ रहा था... नटराज का लन्ड तन के खड़ा हो चुका था....
सावित्री झट से नटराज की अंडरवियर उतार दिया... नटराज पसीना पसीना हो गया था....
नटराज- मेडम क्या कर रहे हो, गुरु आ जाएंगे...
सावित्री ऊपर मुंह करते हुए नटराज को देखते हुए सेक्सी स्माइल करते हुए बोली- तुम्हारे गुरु चैन की नींद सो रहा है अंदर....
नटराज मन ही मन- ऐसा हो ही नहीं सकता कि गुरु किसी औरत को एक बार चोद के थक जाएं, जरूर कुछ गड़बड़ है...
तभी नटराज अचानक चौंक गया, क्योंकि सावित्री अपने हांथों से उसके लन्ड को आगे पीछे कर रही थी....
नटराज- मेडम ये क्या कर रहीं है आप ?
साबित्री- क्यों मजा नहीं आ रहा है... मेरी पैंटी सूंघते वक़्त तो तुम्हे ज्यादा मजा आता है...
नटराज धीरे धीरे अपना होश खो रहा था....
सावित्री अब नटराज की लन्ड को मुंह में लेकर चूस रही थी...
नटराज को अब कंट्रोल नहीं हो रहा था....
नटराज बिना देर किए सावित्री को ऊपर उठाया और उसे बाहों में लेने की कोसिस की...
सावित्री- अरे रुको ना, इतनी भी क्या जल्दी है नटराज...
नटराज- मेडम अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है....
सावित्री- जो तुम्हे चाहिए सब कुछ मिलेगा, बल्कि एक दिन नहीं, हर दिन मिलेगा लेकिन....
नटराज- लेकिन क्या ?
सावित्री अपनी दोनो चुचियों को हल्की सी हिलाते हुए बोली- में जो बोलूंगी वो तुम्हे करना पड़ेगा...
नटराज अब सावित्री की जिस्म को चोदने के लिए पागल हो चुका था...
नटराज- बोलिये क्या करना होगा मुझे ?
सावित्री चलती हुई नटराज के पीछे जा के उसके पीठ में अपनी दोनो चुचियाँ दबाते हुए बोली- बाद में मुकर तो नहीं जाओगे ना, ये वादा करो...
नटराज- आप बोलो तो सही...
सावित्री अब एक हाथ आगे ले जाकर नटराज की लन्ड को पकड़ के आगे पीछे करते हुए बोली- जब तक तुम मेरा काम नहीं कर लेते तब तक तुम्हे सब कुछ नहीं मिलेगा...
लन्ड पे सावित्री के हाथों की स्पर्श पाकर नटराज का लन्ड खड़ा हो कर भयंकर हो गया था...
नटराज- सब नहीं देंगी मतलब ?
साबित्री खड़ी हो गयी और नटराज के मुंह के सामने आके खड़ी हो गयी... अचानक वो अपनी ब्रा उतार दी.... नटराज के सामने अब दो बड़ी बड़ी चुचियाँ तन के खड़ी थी.. जिसमें से दो लाल लाल रंग की निप्पल दूधिया दूध में से चमक रही थी... नटराज के लन्ड अब झटके खाने लगी थी....
नटराज दोनो चूची को दबाने के लिए हाथ आगे ले ही रहा था कि सावित्री उसके हाथ को पकडते हुए बोली- अभी के लिए बस इतना ही, बाकी सब काम हो जाने के बाद....
नटराज खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था...
नटराज- पर काम क्या है, ये तो बताओ ?
सावित्री अपने हाथ से एक चूची को दबाते हुए अपना मुंह नटराज के कान के पास ले गयी और धीरे से उसके कान में कुछ फुसफुसाई...
ये सुनके नटराज जोर से चिल्लाते हुए बोला- नहीं ये काम में नहीं कर सकता...
सावित्री अपनी दोंनो हाथ से अपनी दोनो चुचियों को दबाते हुए बोली- ठीक है तो फिर तुम अपना घर जा सकते हो...
नटराज अब सावित्री की मादक जिस्म को पाने के लिए पागल हो रहा था....
नटराज- पर आप ये क्यों करना चाहते हैं ?
सावित्री अपनी दोंनो निप्पल को हाथ से खिंचते हुए बोली- जो बोल रही हूं वही करो, सवाल मत पूछो....
नटराज सावित्री की दोनो चुचियों को देख कर मन ही मन बोला- क्या करूँ, एक तरफ ये मक्खन जैसी जिस्म और एक तरफ ये काम.... अगर ये मौका छोड़ दिया तो ऐसी चुत दोबारा नहीं मिलेगा... एक बार ये काम कर देता हूँ उसके बाद कस के ये चुचियों और चुत को निचोदूँगा...
साबित्री- किस सोच में पड़ गए नटराज ?
नटराज- मुझे मंजूर है....
सावित्री सेक्सी स्माइल करते हुए नटराज के करीब आके बोली- ठीक है तो फिर काम पे लग जाओ...
नटराज- ठीक है.. लेकिन अभी के लिए तो कुछ मजा दे दो...
सावित्री हंसती हुई नटराज की सर की बाल पकड़ कर उसके मुंह को नीचे ले कर उसकी एक चूची के ऊपर रख दी... नटराज की मुंह में सावित्री की एक चूची घुस गई...
सावित्री- अभी के लिए इसे चूस लो...
नटराज बड़े ही मजे से सावित्री की एक चूची को चूस रहा था...
करीब 5 मिनट चुसाने के बाद सावित्री उसका सर को ऊपर उठाया और बोली- बाकी सब काम हो जाने के बाद....
नटराज- कम से कम अपनी चुत तो दिखा दो....
सावित्री- काम हो जाने के बाद ये सब तुम्हारा ही है... इसे जो भी करना है कर लेना...
फिर सावित्री वहां से गाँड़ मटकाते हुए कमरे के अंदर जा रही थी... नटराज उसकी ऊपर नीचे होती गाँड़ को देख कर जोर जोर से मुठ मारने लगा.... वो इतना गरम हो चुका था कि बहुत ही जल्दी झड़ने वाला था... सावित्री दरवाजे के पास पहुंच के नटराज की तरफ देख कर सेक्सी स्माइल करते हुए जैसे ही एक आंख मार दी, उसी वक़्त ही नटराज के लन्ड से पानी की पिचकारी दूर तक निकल गयी, जिसे देख कर सावित्री जोर जोर से हंसने लगी.....
और नटराज मन ही मन बोल रहा था- साली चुदककड रांड......
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