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Ye admin wala banter mujhe samajh nahi aa raha hai.
Idhar naya naya aaya hoon, isliye kuchh maloom nahi.
Idhar naya naya aaya hoon, isliye kuchh maloom nahi.
Emotional Updateवहाँ से जाने के बाद वर्मा जी पहले पंद्रह मिनट तक, किसी से बिना कुछ कहे टहल कदमी करते रहे; लेकिन फिर उससे ज्यादा उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने समीर के प्रपोज़ल का ज़िक्र अपनी धर्मपत्नी से किया। उन बेचारी की हालत भी वर्मा जी के जैसी थी - जैसे कैसे भी लड़की की शादी हो जाए, उसका घर बस जाए - अब इससे अधिक उन दोनों को ही कुछ भी नहीं चाहिए था। अंत में उन्होंने अपने पति से कहा कि अगर होने वाले समधियों से बात हो जाती तो बढ़िया रहता। बात ठीक थी; तो इस बार दोनों ही लोग वापस ऊपर के कमरे में पहुँचे और समीर से बोले,
“बेटे, तुम्हारे घर में बात हो जाती तो?”
“जी बिलकुल! मैंने आपसे बात करने के बाद घर में बात किया है। माई पेरेंट्स आर एक्साईटेड! वो भी आपसे बात करना चाहते हैं। रुकिए, मैं आपकी बात करवा देता हूँ।”
समीर ने अपने घर पर कॉल लगा कर वर्मा जी को मोबाइल थमा दिया। यह बात अब कम से कम एक घंटा चलनी थी।
“समीर, आज तू यहीं रुक जा! पापा ने कहा है कि दीदी से तुम्हारी बात करवाने को।”
“अगर शी इस नॉट कम्फ़र्टेबल, तो रहने दो।”
“नहीं यार! वो बात नहीं है। ऐसा न हो की शादी हो जाए, और तुम दोनों एकदम अजनबी जैसे रहो! इसलिए। हा हा। और भाई लोगो, तुम लोग भी रुक जाओ एक दो दिन! अपने भाई की शादी हो जाएगी लगता है। और तुम लोगों के बिना मज़ा तो बिलकुल भी नहीं आएगा।”
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आखिरकार मीनाक्षी और समीर ऊपर वाले कमरे में आमने सामने हुए। रात घटनाओं के कारण मीनाक्षी के चेहरे पर अभी भी दुःख की चादर चढ़ी हुई थी।
“थैंक यू फॉर मीटिंग विद मी। इट इस रियली बिग ऑफ़ यू!”
मीनाक्षी ने कुछ नहीं कहा - उसकी आँखें अभी भी रोने के कारण लाल थीं।
समीर ने आदेश के बचपन की तस्वीरें देखी हुई थीं, और उन सब में उसका मुख्य आकर्षण मीनाक्षी ही थी - एक तरह से उसने मीनाक्षी को बड़ा होते हुए देखा हुआ था। वो एक सुन्दर लड़की थी। चेहरे पर एक आकर्षक भोलापन था। उसका शरीर परिपक्व था। अच्छी, पढ़ी-लिखी और कोमल स्वभाव की लड़की थी। कुछ बात थी मीनाक्षी में, जो समीर को वो पहली नज़र में ही भा गई थी।
“आपको मुझसे जो भी पूछना हो, पूछ लीजिए।”
मीनाक्षी ने कुछ नहीं कहा। समीर ने दो मिनट उसके कुछ कहने का इंतज़ार किया फिर कहा,
“अगर कुछ नहीं पूछना है, तो मैं आपसे कुछ पूछूँ?”
मीनाक्षी ने सर हिला कर हामी भरी।
“आप मुझसे शादी करना चाहेंगी?”
मीनाक्षी थोड़ा सा झिझकी फिर बोली, “आप पापा को पसंद हैं। माँ को भी, और आदेश को भी!”
“और आपको?”
समीर को एक भ्रम सा हुआ कि उसके इस सवाल पर एक बहुत ही क्षीण सी मुस्कान, बस क्षण भर को मीनाक्षी के होंठों पर तैर गई। उसने कुछ कहा फिर भी नहीं।
“आपको जोक्स पसंद हैं।” समीर ने पूछा।
मीनाक्षी ने फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
“अच्छा, जोक्स तो सभी को पसंद होते हैं… मैं आपको एक सुनाता हूँ -
पत्नी ने कहा, “सुनिए जी, आपके जन्मदिन पर मैंने इतने अच्छे कपड़े लिए हैं कि क्या कहूँ!
पति (खुश हो कर बोला), “अरे वाह! दिखाओ जल्दी!”
पत्नी, “रुकिए, मैं अभी पहन कर दिखाती हूँ!”
या तो मीनाक्षी को समीर का जोक समझ नहीं आया, या फ़िर वो जान बूझ कर नहीं मुस्कुराई।
“अरे कोई भी रिएक्शन नहीं? ठीक है, मैं आपको एक और जोक सुनाता हूँ -
एक सुंदर लड़की ने पप्पू को आवाज लगाई, “ओ भाईजान, ज़रा सुनिए तो”
पप्पू बोला, “ओ हीरोइन, पहले फैसला कर ले -- भाई या जान! ऐसे कंफ्यूज क्यों कर रही है?”
इस घटिया से जोक पर आख़िरकार मीनाक्षी अपनी मुस्कान रोक नहीं पाई और एक हलकी सी मुस्कान दे बैठी।
“अब बताइए।”
“क्या?” मीनाक्षी अच्छे से जानती थी कि समीर ने क्या पूछा।
“आप मुझसे शादी करना चाहेंगी? वो तीनों मुझे पसंद करते हैं, इस बात से ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है कि मैं आपको कितना पसंद हूँ!” समीर ने सवाल दोहरा दिया।
मीनाक्षी एक सीधी सी लड़की थी। उसको अपने जीवन से कोई बुलंद उम्मीदें नहीं थीं। उसके जीवन की सबसे बड़ी अभिलाषा किसी कॉलेज में लेक्चरर बनने की थी। उतना हो जाए तो वो खुश थी। उसको वो न भी मिलता तो चल जाता। अगर एक छोटे से सुखी परिवार की उसकी अभिलाषा पूरी हो जाती।
मीनाक्षी उत्तर में बस हलके से मुस्कुरा दी। इतना संकेत काफी था समीर के लिए। चलो, कम से कम इधर तो पापड़ नहीं बेलने पड़े।
“अब बस एक आखिरी रिक्वेस्ट?”
मीनाक्षी ने नज़र उठा कर समीर की तरफ देखा। एक हैंडसम, आकर्षक युवक - दिखने में कॉंफिडेंट, बोलने में कॉंफिडेंट, यह तथ्य कि वो अपनी शादी जैसा एक बहुत ही अहम फैसला खुद ही कर सकता है, यह सब उसके व्यक्तित्व का बखान करने के लिए बहुत है। अंदर ही अंदर मीनाक्षी को अच्छा लगा कि अगर ऐसा जीवन-साथी मिल जाए, तो जीने में कैसा आनंद रहेगा।
“मैं आपको छू लूँ?” समीर ने झिझकते हुए पूछा।
मीनाक्षी एकदम से सतर्क हो गई। मिडिल क्लास में की गई परवरिश उसका ढाल बन गई। उसने कुछ क्षण सोचा - अंत में उसके मन में बस यही बात आई कि समीर उसके साथ कुछ भी ऐसा वैसा नहीं करेगा। प्रपोजल ले कर वही आया है। मतलब उसको उससे समीर है; और अगर समीर है तो आदर भी होगा। यह सब सोच कर मीनाक्षी ने सर हिला कर हामी भर दी।
समीर ने मीनाक्षी के घुटनो के पास सिमटे उसके हाथों को अपनी उंगली से बस हलके से छू लिया। एकदम कोमल, क्षणिक स्पर्श!
“थैंक यू!”
दो निहायत छोटे से शब्द - लेकिन इतनी निष्कपटता और इतनी संजीदगी से बोले समीर ने कि वो दोनों शब्द मीनाक्षी के दिल को सीधे छू गए। उसकी नज़रें समीर की नज़रों से टकराईं। समीर ने आदतन अपने सीने पर हाथ रख थोड़ा सा झुक कर मीनाक्षी का अभिवादन किया। मीनाक्षी की आवाज़ भीग गई। उसके गले से एक पल आवाज़ निकलनी बंद सी हो गई। आँसुओं और औरतों का रिश्ता बड़ा अजीब है। जैसे पानी ढाल पर हमेशा नीचे की तरफ बहता है, आंसू भी औरत की छाती के खाली गड्ढे में इकट्ठे होते जाते हैं। और यह गड्ढा कभी भी सूखता नहीं। जब भी इनको निकासी का कोई रास्ता मिलता है, ये बाहर आने शुरू हो जाते हैं। समीर के दो शब्द, और मीनाक्षी की आँखों से आँसुओं की बड़ी बड़ी बूँदें टपक पड़ीं।
“ओ गॉड! आई ऍम सॉरी! प्लीज मुझको माफ़ कर दीजिए।”
“नहीं नहीं.. आप माफ़ी मत पूछिए।” मीनाक्षी ने रूंधे गले से कहा, “बस रात की बात याद आ गई।”
वो दोनों कुछ और कहते या सुनते, उसके पहले ही आदेश की आवाज़ आई, “दीदी…”
“मैं चलती हूँ।” मीनाक्षी ने आँसू पोंछते और उठते हुए कहा। और कमरे से बाहर निकल गई।
Mera kuch dost hostel mein eise hi they, nahate bhi hafte mein ek hi bar.यह विचार आते ही मीनाक्षी का दिल बैठ गया - आदेश तो लाइफबॉय साबुन से भी नहा लेता है, और अगर वो ख़तम हो जाए, और उसके पास कोई अन्य उपाय न हो, तो तो कपड़े धोने के साबुन से भी नहा लेता है.. और उसी से अपने बाल भी धो लेता है… शैम्पू को तो वो समझता है कि वो तो बस महिलाओं के ही उपयोग की वस्तु है। लेकिन फिर भी उसके बाल इतने घने काले और मुलायम थे! और उसके मोज़े! उफ्फ्फ़! एक जोड़ी मोज़े जब तक एक मील दूर से दुर्गन्ध न देने लगें, तब तक वो उनका इस्तेमाल करता। जब भी वो मोज़े उतारता तो पूरा घर दुर्गन्ध से भर जाता! अब ऐसा तो उसका भाई था… ऐसे आदमी का दोस्त भी तो उसके जैसा ही होगा न!
Thak god ki aapne aage bhi likha... Mere ko laga ki story vahi khtm ho gayi haiतो आज के लिए इतना ही.. जल्दी ही और अपडेट्स के साथ आएंगे.
अपना प्यार बनाए रखें.
Maja ley rahe ho piya ka..................Aiyyo... achcha kiya ki Ram Rahim nahi joda, insan ke aage!
Engineer hone se hi confidence ata hey........ragging jo final year mein karte heinSameer ek independent and confident ladka hai (Engineer hote hue bhi )...
अंजलि जी........ यहाँ आप नयी नहीं है...........कुछ ही समय में आपको अपनी कथा पर xossip के सभी मित्र मिल जाएंगे....Is forum me naye hain hum.
Isliye ek chhoti story se start kar rahe hain.
Meri kahaniyon me yahi koshish hoti hai ki sex ke sath ek do message agar diye ja saken.
Aap log is koshish ko sarahte hain, yahi meri success hai. Thanks much!
पुरुष और स्त्री की मानसिकता प्रकृतिक रूप से ही भिन्न होती है...उनकी शारीरिक संरचना की तरह.....................Bhai saheb, aapko shayad mazak lage, lekin isse kahin mamooli baaton par shadiyan toot-te hue dekhi hai maine.
Waise, ek baat hai - koi ladki kisi gande sande aadmi se shadi nahi karna chahti.
ज़िंदगी कि तबील राहों में, जिसने ठोकर कभी नहीं खाई।is risk me life distroy