• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance संयोग का सुहाग [Completed]

Status
Not open for further replies.

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,049
22,498
159

kingkhankar

Multiverse is real!
6,256
14,035
188
वहाँ से जाने के बाद वर्मा जी पहले पंद्रह मिनट तक, किसी से बिना कुछ कहे टहल कदमी करते रहे; लेकिन फिर उससे ज्यादा उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने समीर के प्रपोज़ल का ज़िक्र अपनी धर्मपत्नी से किया। उन बेचारी की हालत भी वर्मा जी के जैसी थी - जैसे कैसे भी लड़की की शादी हो जाए, उसका घर बस जाए - अब इससे अधिक उन दोनों को ही कुछ भी नहीं चाहिए था। अंत में उन्होंने अपने पति से कहा कि अगर होने वाले समधियों से बात हो जाती तो बढ़िया रहता। बात ठीक थी; तो इस बार दोनों ही लोग वापस ऊपर के कमरे में पहुँचे और समीर से बोले,

“बेटे, तुम्हारे घर में बात हो जाती तो?”

“जी बिलकुल! मैंने आपसे बात करने के बाद घर में बात किया है। माई पेरेंट्स आर एक्साईटेड! वो भी आपसे बात करना चाहते हैं। रुकिए, मैं आपकी बात करवा देता हूँ।”

समीर ने अपने घर पर कॉल लगा कर वर्मा जी को मोबाइल थमा दिया। यह बात अब कम से कम एक घंटा चलनी थी।


“समीर, आज तू यहीं रुक जा! पापा ने कहा है कि दीदी से तुम्हारी बात करवाने को।”

“अगर शी इस नॉट कम्फ़र्टेबल, तो रहने दो।”

“नहीं यार! वो बात नहीं है। ऐसा न हो की शादी हो जाए, और तुम दोनों एकदम अजनबी जैसे रहो! इसलिए। हा हा। और भाई लोगो, तुम लोग भी रुक जाओ एक दो दिन! अपने भाई की शादी हो जाएगी लगता है। और तुम लोगों के बिना मज़ा तो बिलकुल भी नहीं आएगा।”



***********************************************



आखिरकार मीनाक्षी और समीर ऊपर वाले कमरे में आमने सामने हुए। रात घटनाओं के कारण मीनाक्षी के चेहरे पर अभी भी दुःख की चादर चढ़ी हुई थी।

“थैंक यू फॉर मीटिंग विद मी। इट इस रियली बिग ऑफ़ यू!”

मीनाक्षी ने कुछ नहीं कहा - उसकी आँखें अभी भी रोने के कारण लाल थीं।

समीर ने आदेश के बचपन की तस्वीरें देखी हुई थीं, और उन सब में उसका मुख्य आकर्षण मीनाक्षी ही थी - एक तरह से उसने मीनाक्षी को बड़ा होते हुए देखा हुआ था। वो एक सुन्दर लड़की थी। चेहरे पर एक आकर्षक भोलापन था। उसका शरीर परिपक्व था। अच्छी, पढ़ी-लिखी और कोमल स्वभाव की लड़की थी। कुछ बात थी मीनाक्षी में, जो समीर को वो पहली नज़र में ही भा गई थी।

“आपको मुझसे जो भी पूछना हो, पूछ लीजिए।”

मीनाक्षी ने कुछ नहीं कहा। समीर ने दो मिनट उसके कुछ कहने का इंतज़ार किया फिर कहा,

“अगर कुछ नहीं पूछना है, तो मैं आपसे कुछ पूछूँ?”

मीनाक्षी ने सर हिला कर हामी भरी।

“आप मुझसे शादी करना चाहेंगी?”

मीनाक्षी थोड़ा सा झिझकी फिर बोली, “आप पापा को पसंद हैं। माँ को भी, और आदेश को भी!”

“और आपको?”

समीर को एक भ्रम सा हुआ कि उसके इस सवाल पर एक बहुत ही क्षीण सी मुस्कान, बस क्षण भर को मीनाक्षी के होंठों पर तैर गई। उसने कुछ कहा फिर भी नहीं।

“आपको जोक्स पसंद हैं।” समीर ने पूछा।

मीनाक्षी ने फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

“अच्छा, जोक्स तो सभी को पसंद होते हैं… मैं आपको एक सुनाता हूँ -

पत्नी ने कहा, “सुनिए जी, आपके जन्मदिन पर मैंने इतने अच्छे कपड़े लिए हैं कि क्या कहूँ!

पति (खुश हो कर बोला), “अरे वाह! दिखाओ जल्दी!”
पत्नी, “रुकिए, मैं अभी पहन कर दिखाती हूँ!

या तो मीनाक्षी को समीर का जोक समझ नहीं आया, या फ़िर वो जान बूझ कर नहीं मुस्कुराई।

“अरे कोई भी रिएक्शन नहीं? ठीक है, मैं आपको एक और जोक सुनाता हूँ -

एक सुंदर लड़की ने पप्पू को आवाज लगाई, “ओ भाईजान, ज़रा सुनिए तो”
पप्पू बोला, “ओ हीरोइन, पहले फैसला कर ले -- भाई या जान! ऐसे कंफ्यूज क्यों कर रही है?


इस घटिया से जोक पर आख़िरकार मीनाक्षी अपनी मुस्कान रोक नहीं पाई और एक हलकी सी मुस्कान दे बैठी।

“अब बताइए।”

“क्या?” मीनाक्षी अच्छे से जानती थी कि समीर ने क्या पूछा।

“आप मुझसे शादी करना चाहेंगी? वो तीनों मुझे पसंद करते हैं, इस बात से ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है कि मैं आपको कितना पसंद हूँ!” समीर ने सवाल दोहरा दिया।

मीनाक्षी एक सीधी सी लड़की थी। उसको अपने जीवन से कोई बुलंद उम्मीदें नहीं थीं। उसके जीवन की सबसे बड़ी अभिलाषा किसी कॉलेज में लेक्चरर बनने की थी। उतना हो जाए तो वो खुश थी। उसको वो न भी मिलता तो चल जाता। अगर एक छोटे से सुखी परिवार की उसकी अभिलाषा पूरी हो जाती।

मीनाक्षी उत्तर में बस हलके से मुस्कुरा दी। इतना संकेत काफी था समीर के लिए। चलो, कम से कम इधर तो पापड़ नहीं बेलने पड़े।

“अब बस एक आखिरी रिक्वेस्ट?”

मीनाक्षी ने नज़र उठा कर समीर की तरफ देखा। एक हैंडसम, आकर्षक युवक - दिखने में कॉंफिडेंट, बोलने में कॉंफिडेंट, यह तथ्य कि वो अपनी शादी जैसा एक बहुत ही अहम फैसला खुद ही कर सकता है, यह सब उसके व्यक्तित्व का बखान करने के लिए बहुत है। अंदर ही अंदर मीनाक्षी को अच्छा लगा कि अगर ऐसा जीवन-साथी मिल जाए, तो जीने में कैसा आनंद रहेगा।

“मैं आपको छू लूँ?” समीर ने झिझकते हुए पूछा।

मीनाक्षी एकदम से सतर्क हो गई। मिडिल क्लास में की गई परवरिश उसका ढाल बन गई। उसने कुछ क्षण सोचा - अंत में उसके मन में बस यही बात आई कि समीर उसके साथ कुछ भी ऐसा वैसा नहीं करेगा। प्रपोजल ले कर वही आया है। मतलब उसको उससे समीर है; और अगर समीर है तो आदर भी होगा। यह सब सोच कर मीनाक्षी ने सर हिला कर हामी भर दी।

समीर ने मीनाक्षी के घुटनो के पास सिमटे उसके हाथों को अपनी उंगली से बस हलके से छू लिया। एकदम कोमल, क्षणिक स्पर्श!

“थैंक यू!”

दो निहायत छोटे से शब्द - लेकिन इतनी निष्कपटता और इतनी संजीदगी से बोले समीर ने कि वो दोनों शब्द मीनाक्षी के दिल को सीधे छू गए। उसकी नज़रें समीर की नज़रों से टकराईं। समीर ने आदतन अपने सीने पर हाथ रख थोड़ा सा झुक कर मीनाक्षी का अभिवादन किया। मीनाक्षी की आवाज़ भीग गई। उसके गले से एक पल आवाज़ निकलनी बंद सी हो गई। आँसुओं और औरतों का रिश्ता बड़ा अजीब है। जैसे पानी ढाल पर हमेशा नीचे की तरफ बहता है, आंसू भी औरत की छाती के खाली गड्ढे में इकट्ठे होते जाते हैं। और यह गड्ढा कभी भी सूखता नहीं। जब भी इनको निकासी का कोई रास्ता मिलता है, ये बाहर आने शुरू हो जाते हैं। समीर के दो शब्द, और मीनाक्षी की आँखों से आँसुओं की बड़ी बड़ी बूँदें टपक पड़ीं।

“ओ गॉड! आई ऍम सॉरी! प्लीज मुझको माफ़ कर दीजिए।”

“नहीं नहीं.. आप माफ़ी मत पूछिए।” मीनाक्षी ने रूंधे गले से कहा, “बस रात की बात याद आ गई।”

वो दोनों कुछ और कहते या सुनते, उसके पहले ही आदेश की आवाज़ आई, “दीदी…”

“मैं चलती हूँ।” मीनाक्षी ने आँसू पोंछते और उठते हुए कहा। और कमरे से बाहर निकल गई।
Emotional Update
Enjoyable Story
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

kingkhankar

Multiverse is real!
6,256
14,035
188
यह विचार आते ही मीनाक्षी का दिल बैठ गया - आदेश तो लाइफबॉय साबुन से भी नहा लेता है, और अगर वो ख़तम हो जाए, और उसके पास कोई अन्य उपाय न हो, तो तो कपड़े धोने के साबुन से भी नहा लेता है.. और उसी से अपने बाल भी धो लेता है… शैम्पू को तो वो समझता है कि वो तो बस महिलाओं के ही उपयोग की वस्तु है। लेकिन फिर भी उसके बाल इतने घने काले और मुलायम थे! और उसके मोज़े! उफ्फ्फ़! एक जोड़ी मोज़े जब तक एक मील दूर से दुर्गन्ध न देने लगें, तब तक वो उनका इस्तेमाल करता। जब भी वो मोज़े उतारता तो पूरा घर दुर्गन्ध से भर जाता! अब ऐसा तो उसका भाई था… ऐसे आदमी का दोस्त भी तो उसके जैसा ही होगा न!
Mera kuch dost hostel mein eise hi they, nahate bhi hafte mein ek hi bar.
 

lone_hunterr

Titanus Ghidorah
3,848
5,456
159
तो आज के लिए इतना ही.. जल्दी ही और अपडेट्स के साथ आएंगे.
अपना प्यार बनाए रखें.
Thak god ki aapne aage bhi likha... Mere ko laga ki story vahi khtm ho gayi hai
Vaise aap tukdo mein update dete ho usse acha hai ek hi post mein sare update dedo.... Any way kuch jyada farak nhi padega

Content of today's update was more strong than yesterday's content... Sameer ek independent and confident ladka hai (Engineer hote hue bhi :( ).... Minakshi ko baad mein jo doubts aaye vo to laazmi hai par usne pahle kyun nhi pucha sameer se iss bare mein.... Shayad pichle kuch events ke karan uski mental situation hi sahi nhi ho.

Mera personal opinion hai ki sameer and minakshi ko thoda ruk ke shadi karni chaiye thi... Though they seem perfect for each other.... Kyunki minakshi ke mom dad bas kisi tarah uski shadi karvana chahte the and sameer bhi abhi shayad situation dekh ke shadi ke liye bol diya... Thoda time lete to situation ko better understand kar ke decision le pate..... But kabhi kabhi suddenly hi ho jaati hain cheejen :dazed:

You are writing awesome :claps: .... Waiting for next
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,814
35,395
219
Is forum me naye hain hum.
Isliye ek chhoti story se start kar rahe hain.
Meri kahaniyon me yahi koshish hoti hai ki sex ke sath ek do message agar diye ja saken.
Aap log is koshish ko sarahte hain, yahi meri success hai. Thanks much!
अंजलि जी........ यहाँ आप नयी नहीं है...........कुछ ही समय में आपको अपनी कथा पर xossip के सभी मित्र मिल जाएंगे....
xossip बंद होने के बाद हिन्दी अनुभाग के लगभग सभी लेखक और पाठक इसी फोरम पर दोबारा इकट्ठे हो चुके हैं
आपके पतिदेव कहाँ हैं...........उनके दर्शन नहीं हुये अभी तक

:congrats: शुभकामनाएँ आपकी नयी कहानी के लिए
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,814
35,395
219
Bhai saheb, aapko shayad mazak lage, lekin isse kahin mamooli baaton par shadiyan toot-te hue dekhi hai maine.
Waise, ek baat hai - koi ladki kisi gande sande aadmi se shadi nahi karna chahti.
पुरुष और स्त्री की मानसिकता प्रकृतिक रूप से ही भिन्न होती है...उनकी शारीरिक संरचना की तरह.....................
स्त्री हमेशा छोटी-छोटी बातों को अहमियत देती है........ पुरुष नजरंदाज करते हैं
पुरुष बहुत बड़ा सोचते हैं....योजनाएँ बनाते हैं...लेकिन स्त्रियाँ उन बड़ी-बड़ी योजनाओं की नींव रखने में लगी रहती हैं...छोटे-छोटे योगदान से

.................... मेरा मानना है की किन्हीं भी 2 एक जैसे लोगों में तालमेल लंबे समय तक नहीं चल सकता............. दो अलग-अलग प्रवृत्ति के लोग ही एक दूसरे के साथ तालमेल लंबे समय के लिए बैठा पाते हैं.................... ये मेंने अपनी ज़िंदगी में 1-2 नहीं सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी के उदाहरण से सीखा है.............
और इसका सबसे बड़ा कारण है........... उनके भिन्न प्रवृत्ति के होने की वजह से एक दूसरे के लिए पूरक बने रहना..........
---------अगर दोनों ही पूर्ण होंगे तो बहुत जल्द ही उन्हें एक दूसरे की जरूरत ही महसूस होनी बंद हो जाएगी
---------अगर दोनों ही अपूर्ण होंगे तो कहीं न कहीं एक दूसरे की जरूरत उनकी ज़िंदगी में हमेशा बनी रहेगी

आपकी कहानियाँ हमेशा ही लीक से हटकर होती हैं............. और ये भी एक अछूते विषय पर एक नयी संभावना को दर्शाती हुई है..............

आपके अगले अपडेट कि प्रतीक्षा रहेगी
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,814
35,395
219
is risk me life distroy
ज़िंदगी कि तबील राहों में, जिसने ठोकर कभी नहीं खाई।
मेरा दावा है ऐसे इंसा ने, अपनी मंजिल कभी नहीं पाई॥
-----------------
तबील = ऊबड़-खाबड़ / मुश्किल
 
Status
Not open for further replies.
Top