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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Nasn

Well-Known Member
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158
Maza aa rha h ...bhai pic se toh or bhi jadaaa. Pic add kro or jada
story padd kr to sala gf ki chudai krna bbi yaad ni atta hi itni bar muth mar leta hu. Or jab update ni dete ho tab oye k pese lagvane pddte h
??

मज़ा आ गया भाई....
अपुन का भी same हाल है

भाई......?????
 

Rachit Chaudhary

B a Game Changer ,world is already full of players
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??

मज़ा आ गया भाई....
अपुन का भी same हाल है

भाई......?????
Achha मेरी जान।
Dil se dhanyavad
 

Rachit Chaudhary

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fantastic update waiting for next
Dil se dhanyavad
 

Rachit Chaudhary

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दिल से धन्यवाद
 

Incestlala

Well-Known Member
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Update 27.

दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में लिखना शुरु कर रहा हूं ।
आशा करता हूं आप सब लोग भी खुश होंगे और इंतजार कर रहे होंगे मेरी अपडेट का तो चलिए शुरू करते हैं आगे की कहानी लेकिन इस romantic मूड में मेरी एक शायरी तो बनती है। तो चलिए इस शायरी के साथ शुरू करते हैं अपनी आगे की कहानी।



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यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा ,

यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा,
लिखता हूँ मैं इसको रोज जरा सा।
XFORUM के इन कोरे कागजों पर,
लिखता हूँ मैं बेहिचक ये खुलासा ।।

*********

दोस्तों पूरी रात चुदकर पूजा सो गई ।

अब चलते हैं सोमनाथ और उपासना की तरफ तरफ

आपने पीछे पढ़ा - उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
*******

अब आगे ---

अब सोमनाथ और उपासना की आंखों का कनेक्शन भी टूट चुका था ।
जैसे ही उपासना के मुंह से चीख निकली सोमनाथ एक कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुराता हुआ उसकी आंखों में देख कर बोला ।

सोमनाथ - अभी तो तुमने मुंह खोला है इतनी देर से तुम्हारे इशारे की प्रतीक्षा कर रहा था । लेकिन तुमने कुछ बोला ही नहीं इसलिए मुझे डालना पड़ा ।

उपासना ने अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया और सारा दर्द भूल कर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान के साथ बहुत धीरे से बोली।


उपासना- मैं तो देख रही थी कि अपनी बेटी की चूत के लिए कितने उतावले हो रहे हैं आप।


सोमनाथ - अगर दुनिया में हर किसी की बेटी की चूत तेरे जैसी होगी तो उतावला तो होगा ही । देख ले आधा लंड ही गया है तेरी चूत में अभी ।

उपासना ने अभी तक चेहरा सोमनाथ की तरफ नहीं किया था।
अपने चेहरे को दूसरी तरफ ऐसे ही मोड़े हुए हुए बोली ।

उपासना - मुझे नहीं देखना।

सोमनाथ - अगर नहीं देखोगी तो मैं आगे नहीं बढूंगा ऐसे ही रुका रहूंगा।


उपासना अभी भी कुछ नहीं बोली बस धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी ।

जब उपासना की तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो सोमनाथ ने उसके ऊपर झुके हुए ही आधा लंड उसकी चूत में फंसाए रखा और अपना हाथ उसके कूल्हों पर ले जाकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा ।

अपनी गांड के छेद पर अपने बाप की उंगली महसूस करके गनगना उठी उपासना।

उसने एक साथ सोमनाथ की नजरों में देखा (बड़ी ही सवालिया दृष्टि से)।
उपासना के चेहरे पर हैरानी के भाव से देखकर अब सोमनाथ ने उसकी आंखों में देखते हुए अपना लोड़ा सुपाड़े तक बाहर खींचा और फिर धीरे से मुस्कुरा कर बोला- तैयार है क्या मेरी बेटी ।

उपासना उसकी आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली- किसके लिए तैयार होना पड़ेगा मुझे ।

सोमनाथ- दूसरे झटके के लिए ।

उपासना - तैयार तो मैं पहले झटके के लिए भी नहीं थी लेकिन आपने वह भी लगाया ना, तो दूसरे के लिए क्यों पूछ रहे हैं ।

सोमनाथ- इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि पहले झटके में ही तुम कुत्तिया की तरह गला फाड़कर चिल्लाई हो ।

यह सुनकर उपासना बुरी तरह से शर्मा गई और अपना चेहरा सोमनाथ के चेहरे की तरफ से मोड़ लिया और शर्माते और मुस्कुराते हुए बोली- आप मेरी चिंता ना कीजिए, मैं कितनी भी चीखू या चिल्लाऊं लेकिन अब आप अपनी पूरी ताकत लगा दीजिए अपनी बेटी को चोदने में ।

यह कहकर शर्माती हुई उपासना ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।

सोमनाथ ने उपासना से कहां अपना चेहरा मेरी तरफ करो।
उपासना फिर सवालिया नजरों से सोमनाथ को देखने लगी और अपना चेहरा सोमनाथ की तरफ कर दिया।


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सोमनाथ - अब अपना मुंह खोलो ।

उपासना को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि लंड का सुपाड़ा तो उसकी चूत में था फिर अब सोमनाथ मुंह क्यों खुलवा रहा है, लेकिन उसने सोचते हुए मुंह खोल दिया ।

सोमनाथ ने उपासना के खुले हुए होठों को अपने मुंह में भर लिया और सोमनाथ ने अपने चूतड़ों में अपनी जान इकट्ठी करके पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मारा। झटका इतना तगड़ा था कि सोमनाथ की जांघें उपासना की जांघो से मिल गई ।सोमनाथ के लटके हुए टट्टे उपासना की गांड की लकीर से मिल गए ।
कहने का मतलब है दोस्तों सोमनाथ ने अपनी बेटी की चूत में अपना लंबा लौड़ा जड़ तक ठोक दिया था और जैसे ही यह झटका लगा उपासना का मुह जो अभी सोमनाथ के मुंह में था। उपासना के मुंह से इतनी तेज चीख निकली लेकिन उपासना के होंठ सोमनाथ के मुंह में होने की वजह से चीख सोमनाथ के मुंह में ही घुट कर रह गई ।
सोमनाथ को महसूस हो रहा था की उपासना कितनी जोर जोर से हांफ रही है और उसकी मुंह से निकलती हुई उसकी सांसें सोमनाथ के मुंह में भर रही हैं ।

ऐसे ही जड़ तक चूत में लंड को ठोके हुए सोमनाथ ने उपासना की आंखों में
झांका तो पाया की उपासना की आंखों से आंसू निकल रहे हैं .।

सोमनाथ ने अब देर करना उचित नहीं समझा और उपासना के मुंह को अपने मुंह में भरे हुए दो तीन झटके उपासना की चूत में चेंप दिए ।
अब दर्द तो उपासना को असहनीय हो रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी उपासना का मुंह तो सोमनाथ के मुंह में था चूत लोड़े के नीचे थी और उपासना को जकड़ा हुआ था सोमनाथ ने। ऐसे ही दबी दबी अपने हालातों से समझौता करने लगी उपासना।


उपासना के साथ कुछ ऐसा सीन हो गया था कि उसकी चौड़ी गांड बेड के गद्दे में धस गई थी और उसका बाप सोमनाथ उसके ऊपर चढ़ा हुआ था।
सोमनाथ का लंड उपासना की चूत में गहराई तक बैठा हुआ था और उपासना का मुंह सोमनाथ के मुंह में अगर आवाज आ रही थी तो गों गों गों और दोनों को एकदूसरे की सांसो की आवाज आ रही थी।


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अब सोमनाथ ने अपने एक हाथ से उपासना की आंखों से बहते आंसुओं को पूछा और अपने मुंह से उपासना के होंठो को छोड़ते हुए अपना चेहरा अलग कर लिया ।

जब सोमनाथ ने अपने मुंह से उपासना का मुंह दूर किया तो उपासना और सोमनाथ के मुंह के बीच में दोनों के थूक की लार खिंचने लगी ।

सोमनाथ ने अपना मुंह बिना साफ किए ही अपने थूक लगे होठों से मुस्कुरा कर कहा - मेरी बेटी का मुंह तो बड़ा मीठा है ।

दूसरी तरफ उपासना ने भी अपने मुंह को साफ करने की कोई पहल नहीं की।
उपासना ने तो बस सोमनाथ के थूक में सने हुए मुंह को एक तरफ किया और बड़ी ही मादक आवाज में धीरे से मुस्कुरा कर बोली - चूत मीठी नहीं लगी क्या अपनी बेटी की ।


उपासना के इस अंदाज से भनभना गया सोमनाथ का लोड़ा और चुदास का पागलपन सोमनाथ के चेहरे पर ऐसा छाया कि उसने अपनी पूरी ताकत से 10 12 धक्के उपासना की चूत में पेल दिए ।

धक्के इतनी ताकत और स्पीड से मारे गए थे की उपासना इन धक्कों की वजह से सांस नहीं ले पाई उसका मुंह बस पूरा खुला हुआ था और अपने बाप के लंबे लोड़े के तगड़े तगड़े झटके अपना मुंह खोलो हुए ही अपनी चूत में लील गई ।

ऐसा नहीं है कि उपासना को दर्द नहीं हुआ था, दर्द तो उपासना को हुआ था लेकिन सोमनाथ की लौड़ा बजाने की स्पीड ने उपासना को दहाड़ने या गला फाड़ने का मौका का ही नहीं दिया । बस उसकी तो चूत में लंड सुपाड़े तक आता और जड़ तक बैठ जाता ।

धक्के लगाने के बाद सोमनाथ ने फिर अपना लौड़ा जड़ तक उपासना की चूत में बिठाकर रुक गया और फिर मुस्कुरा पड़ा उपासना के चेहरे को देखकर ।

अब उपासना ने अपना खुला हुआ मुंह बंद किया और उस लज्जत के एहसास से अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ा और मुस्कुरा कर धीरे से बोली- आज मौका है अपनी बेटी को इस बिस्तर में रगड़ लीजिए जितना मन करे। मैं पीछे नहीं हटूंगी।
फिर अपने होठों से मुस्कुरा पड़ी उपासना और फिर मुस्कुराते हुए बोली- काश मुझे पहले पता होता मेरा बाप इस तरह रौंदता है किसी को बिस्तर में , इस तरह की गांड से गांड मिला देता है झटके मारते हुए तो मैं तो पता नहीं अब तक कितनी बार अपने बाप के नीचे लेट जाती ।

सोमनाथ गर्म होने लगा था उपासना की इन बातों से क्योंकि वो बेहद ही गरम बातें उपासना कर रही थी और ऊपर से ऐसे शर्मा भी रही थी जैसे किसी को बहकाकर चोदा जा रहा हो जबकि उपासना चुद अपनी मर्जी से ही रही थी।
अपने चेहरे पर शर्मो हया और लज्जा का मुखौटा पहने हुए किसी सस्ती रांड से भी ज्यादा गरम बातें उपासना कर रही थी मुस्कुराते मुस्कुराते।

उपासना के इसी अंदाज पर तो मर मिटा था सोमनाथ ।
लोड़ा अपनी बेटी की चूत में उतारने का एहसास करके और लंबा होता जा रहा था । सोमनाथ का दिल अपनी गदरायी हुई बेटी के ऊपर चढ़कर स्वर्ग में महसूस कर रहा था मानो जैसे वही दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान है।


अब सोमनाथ ने उपासना की टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और झुक गया। फिर उपासना के चेहरे की तरफ देखने लगा ।
जब सोमनाथ अपने कंधे पर उपासना की टांगे रखकर उसके चेहरे पर झुका उसके चेहरे पर झुका तो उपासना की टांगे भी उसके चेहरे की तरफ मिलने लगी और नीचे से उपासना की गांड ऐसे खुल गई जैसे उसके कोई चूतड़ नहीं बल्कि तबले हो । मोटी और भारी भारी गांड बिल्कुल उभर कर आ गई थी लेकिन दबी हुई थी सोमनाथ के तगड़े तंदुरुस्त शरीर के नीचे और उपासना की चूत में भरा हुआ था सोमनाथ का लंबा सा लोड़ा ।

इस पोजीशन में करके जब सोमनाथ ने उपासना को जकड़ कर एक तगड़ा झटका मारा तो इस बार तो कुछ अनोखा हुआ।
हां दोस्तों अनोखा यह हुआ क्योंकि उपासना की गांड उठकर फैल गई थी जिस वजह से जैसे ही सोमनाथ ने झटका मारा तो एक फट्ट की आवाज बहुत तेज हुई। सोमनाथ को मजा आया उसने दो तीन झटके लगातार मारे आवाज तो बहुत तेज होती पट पट पट लेकिन अब उस आवाज में उपासना की लज्जत भरी चीखें थी ।

आज अपनी बेटी का मर्दन कर रहा था एक बाप उसकी जवानी के ऊपर चढ़कर । उसकी गांड से अपनी झांटों को मिलाकर ,जड़ तक उसकी चूत में लंड को चेंप रहा था ।
अब सोमनाथ ने तीन चार झटके लगाए तो उपासना की चूत ने चिकने चिकने पानी से सोमनाथ के लंड को नहलाना शुरू कर दिया । लोड़ा चमकने लगा उपासना की चूत के पानी से ।
बाहर आता तो चमकने लगता फच्च की आवाज से वापस चूत की गहराई में चला जाता और इस फच्च की आवाज के साथ साथ एक और आवाज होती जो सोमनाथ और उपासना की जांघों के मिलने से फट की आवाज होती थी ।

अपने बाप के नीचे आधे घंटे तक ऐसे ही चुदने के बाद जब उपासना दो बार झड़ गई पर अब भी उपासना अपनी गर्मी निकलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी । अभी कोई ऐसा भाव उसके चेहरे पर नहीं था जिससे पता लगे की उपासना अपने बाप को अपने ऊपर से हटाना चाहती है ।

उपासना के चुदाई भरे चेहरे को देखकर यही कहा जा सकता था कि ऐसी घोड़ी पर तो चढ़े रहो इतनी आसानी से ठंडी नहीं होती यह घोड़ी ।


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इसी अंदाज में आधे घंटे तक चोदने के बाद अब सोमनाथ ने उपासना की चूत से अपना लौड़ा बाहर किया तो उपासना को अपनी चूत बिल्कुल खाली खाली लगने लगी । चूत का छेद अब पहले की तरह बंद नहीं हो रहा था खुला हुआ छेद अंदर तक दिख रहा था जिसमें ध्यान से देखने पर अंदर सिर्फ अंधेरा ही देख रहा था ।

अपनी चूत पर इस तरह बेरहमी से लंड बजवा कर भी उपासना अभी ठंडी नहीं हुई थी अब सोमनाथ बेड पर सीधा लेट गया उपासना शर्माते और मुस्कुराते हुए बराबर में बैठी हुई थी ।

उपासना को सोमनाथ ने इशारा किया कि आकर मेरे लंड पर बैठ।
सोमनाथ की तरफ से यह इशारा देखकर उपासना शर्मा दी और मुस्कुराती हुई बोली - अब मैं अपने बाप के ऊपर चढूं क्या ?

सोमनाथ - जब बाप बेटी के ऊपर चढ़ा हुआ था तब तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं थी । तो तुम क्यों नहीं चढ़ सकती।

इसका कोई जवाब उपासना के पास नहीं था लेकिन फिर भी बोली- वह तो आप चढ़े हुए थे मेरे ऊपर , मैं कैसे मना करती।

सोमनाथ- ऐसे ही तुम चढ़ जाओ, मैं भी अपनी बेटी को चढ़ने के लिए मना नहीं करूंगा ।

उपासना ने एक बार लंड पर नजर डाली उसके बाप का लंड खड़ा हुआ था।
उपासना को सबर नहीं हुआ और आव देखा न ताव सोमनाथ के ऊपर लेट गई और अपने होठों से सोमनाथ की गर्दन पर चूम लिया है।
लेकिन लोड़ा तो चूत में घुसा ही नहीं था जब सोमनाथ ने देखा उसकी बेटी उसके ऊपर चढ़ गई है लेकिन लंड चूत में अभी तक नहीं उतरा तो उसकी पानी छोड़ती हुई चूत पर लंड को ऐसे ही रगड़ा और अपने हाथ से अपने लंड को उपासना की खुली हुई चूत का रास्ता दिखा दिया।


आधा लंड तो बिना किसी मेहनत के आराम से उतर गया उपासना की चूत में।
अब सोमनाथ ने चौड़े चौड़े नितंबों पर अपना हाथ रखा और नीचे से अपनी गांड उठा दी । इस तरह से गांड उठी तो उपासना की चूत में लौड़ा पूरा सरक गया । एक दबी हुई सिसकारी उपासना के मुंह से निकली लेकिन शर्मा कर सिसकारी दबा ली उपासना ने ।

सोमनाथ कहां कम था बेशर्मी से बोला- ले गई पूरा लौड़ा अपनी चूत में।

उपासना- जब बेटी को अपने ऊपर चढ़ा कर उसकी चूत में लंड डाला जाएगा या बेटी के ऊपर चढ़कर उसकी चूत को अपने लंड से भरा जाएगा तो लंड चूत की जगह कहीं और तो जाएगा नहीं पापा । चूत में ही जाएगा ना।


सोमनाथ- समझदार हो गई है तो मेरी बेटी अब।


उपासना - समझदार नहीं, लंडो की दीवानी हो गई है , लंडो से ठंडी होना सीख लिया है आपकी बेटी ने ।


सोमनाथ- तो अब मैं आगे का क्या समझूं , ऐसे ही ठंडी करता रहूंगा क्या मैं अपनी बेटी को, क्या मेरी बेटी मुझसे ठंडी होना चाहेगी ।


उपासना - आपको पूरा हक है पापा । मैं आपकी ही तो बेटी हूं । जब भी आप देखो कि आपकी बेटी ज्यादा ठुमक ठुमक कर चूतड़ों को हिला हिला कर चल रही है तो पूछना मत पटक कर अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल देना और उसकी चूत को ऐसे रगड़ना , ऐसे रगड़ना कि ठंडी हो जाए आपकी बेटी। और मटक कर चलने की जगह लंगड़ा कर चलने लगे आपकी बेटी ।



सोमनाथ - लगता है मेरी बेटी के अंदर लोड़े की भूख कुछ ज्यादा ही जग गई है ।

उपासना- आपने मेरी मां को चोद कर ऐसी बेटी पैदा की है कि जिसकी आग ठंडी करने के लिए रात भर दौड़ा-दौड़ा कर चोदा जाए तब कहीं जाकर ठंडी होती है आपकी बेटी ।


सोमनाथ- तो अब क्या कमी है । अब तो ससुर और बाप दोनों ही हैं अपनी प्यारी सी उपासना बेटी के लिए । हमारी बेटी जब चाहे चढ़ा सकती है अपने ऊपर ।

उपासना - इसमे चाहने वाली क्या बात है पापा आपकी बेटी तो चाहती है आप उसे नंगी करके लंड पर नचाते रहो और मैं नाचती रहूं । अपनी गांड को घुमा घुमा कर अपनी चूत को भींच भींचकर कर अपने होठों को चुसवा चुसवा कर ।


सोमनाथ को उपासना की बातों से इतनी इतनी गर्मी चढ़ी कि नीचे से लौड़ा चार पांच बार उसकी चूत में कसकर पेला।

अब उपासना को बेड पर एक साइड में धकेल दिया फिर उपासना को उसने कुतिया बनाया और खुद उसके पीछे खड़ा होकर अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा ।
उपासना भी इतनी गरम हो चुकी थी कि मूतने को तैयार थी कुतिया बनकर, अपनी गांड को हिलाने लगी थी मस्ती से उपासना।

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सोमनाथ ने उपासना की जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत पर अपना पूरा हाथ रख दिया । उपासना की गीली चूत पर हाथ रखते ही सोमनाथ का हाथ भीग गया। दूसरी तरफ उपासना भी मद भरी सिसकारियां भरने लगी। सोमनाथ ने दो तीन बार उसकी चूत पर हाथ फेरा और फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर उपासना की कमर को पकड़ा और फिर क्या था---- मिला दी सोमनाथ ने अपनी जांघे अपनी बेटी की जांघों से और बिठा दिया पूरा लौड़ा उसकी चूत में ।
उपासना आगे को गिरने को हुई लेकिन सोमनाथ ने उसकी कमर पकड़ी हुई थी । इस पोजीसन में गचागच लंड अंदर बाहर करते हुए बोला।

सोमनाथ- बेटी जब किसी गाय के ऊपर कोई सांड चढ़ता है तो वह ऐसे ही चढ़ता है जैसे मैं तेरे ऊपर चढ़ा हुआ हूं।


उपासना - वैसे भी आपकी बेटी को सांड की ही जरूरत है पापा । मैं तो चाहती हूं आप जैसा कोई सांड मेरे ऊपर चढ़े और मुझे इतनी ठोके की मैं निखर जाऊं ।


अब सोमनाथ ने उपासना के बाल पकड़े और पीछे की तरफ खींचते हुए कुत्तिया बनी हुई उपासना की चूत में धक्के लगाने लगा ।
इस तरह की चुदाई को ज्यादा नहीं सह पाई उपासना और किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी ।

जब सोमनाथ ने देखा की उपासना झड़ने के करीब आ गई है, पूरी मस्ती में चुदासी कुत्तिया की तरह टूट कर चुदवा रही है तो सोमनाथ ने उसके बालों को छोड़कर उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथों की दो दो उंगलियां डाल दीं। और उपासना मुंह को चौड़ाते हुए पीछे से उपासना की चूत में लौड़ा पेलना शुरू कर दिया ।

नजारा कुछ ऐसा था की सोमनाथ ने उपासना का मुह अपने हाथों से खोला हुआ था और उपासना अपनी चूत पर मर्दानगी भरे झटके झेल रही थी।

चुदासी उपासना किसी कुत्तिया की तरह गला फाड़कर , हाफ हाफ कर चुद रही थी ।

सोमनाथ ने उसके मुंह को और खोलते हुए उपासना की चूत में अपने पूरे जोश से धक्के लगाने शुरू किये ।


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उपासना का बदन अकड़ने लगा और अपने बाप के लौड़े के झटकों पर उपासना झड़ने लगी । जैसे-जैसे उपासना झड़ रही थी वैसे वैसे ही उसके खुले मुंह से उपासने की जीभ बाहर की तरफ लटकती जा रही थी। अपना मुंह फाड़े हुए और जीभ को बाहर निकालकर उपासना की चूत ने पानी को बाहर निकालकर उड़ेल दिया सोमनाथ के लंड पर ।


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अपनी बेटी की चूत में पानी भरे होने का एहसास जब सोमनाथ को हुआ तो उसकी मस्ती और बढ़ गई और उसने और तेज धक्के लगाने शुरू किये।

नतीजा यह हुआ की उपासना की पानी भरी चूत में जब लंडो जा रहा था तो पच पच की आवाज बहुत तेज होने लगी और साथ में उपासना का पानी सोमनाथ के लंड पर लगकर झाग बनाने लगा ।


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जब उपासना पूरी तरह से चुदकर ठंडी हो गई तो वह अपना मुंह इधर उधर करने लगी करने लगी तब सोमनाथ बोला।

सोमनाथ- अब तो मेरी जान तुझे चोदने में मजा ही आएगा इधर उधर मत भाग , चुप लौड़ा खाती रह मेरा ।

उपासना को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और दूसरी तरफ सोमनाथ ना आव देख रहा था ना ताव देख रहा था । सोमनाथ तो बस उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथ की उंगलियां डालकर उसकी चूत पर लंड बजा रहा था


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उपासना झटपटाने लगी , दर्द से कराहने लगी लेकिन सोमनाथ को कोई रहम नहीं आया उसने उसी बर्बरता से चूत का चबूतरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।

अब सोमनाथ को लगने लगा कि वह भी झड़ने वाला है ।
सोमनाथ का बदन भी अकड़ने लगा। सोमनाथ ने अपनी जान इकट्ठे करके करके पूरी जान से उपासना की चूत में धक्का मारा और इस बार धक्का इतना जोरदार था कि उपासना के लिए संभलना मुश्किल हो गया और उपासना आगे को जा गिरी साथ में सोमनाथ भी उपासना के साथ ही उसके ऊपर गिर गया ।
जब उपासना जैसी घोड़ी के ऊपर सोमनाथ जैसा सांड गिरा चूत में लौड़ा फंसा होने की वजह से उपासना की चीख निकल गई ।


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सोमनाथ इस तरह नीचे दबी हुई उपासना की चूत में झड़ने लगा ।
सोमनाथ के लोड़े ने अपना पानी एक पिचकारी के रूप में उपासना की चूत में छोड़ा तो सोमनाथ का वीर्य उपासना को उपासना को सीधा अपनी बच्चादानी बच्चादानी पर महसूस हुआ ।

पूरा झलझला कर झड़ा था सोमनाथ । कम से कम 1 मिनट तक तक तक कम 1 मिनट तक तक 1 मिनट तक तक सोमनाथ के लोड़े से सफेद गरम वीर्य उपासना की चूत में जाता रहा।
कहां तक भरती उपासना की चूत उस वीर्य को को, कैसे संभालती ।

जब सोमनाथ ने देखा की उपासना की चूत में पूरा वीर्य भर गया है तो उसने उसके ऊपर लेटे लेटे अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर कर दिया।
लंड बाहर निकलते ही उपासना की चूत से वीर्य बह निकला ।

सोमनाथ- अब इस अनमोल वीर्य को को क्यों बहा रही है है पानी की तरह मेरी कुतिया।

उपासना - पापा आपने इतना वीर्य मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत संभाल नहीं पा रही ।

सोमनाथ बोला - ऐसी ही चुदाई की तो जरूरत थी तुझे बेटी , अब हुई है तू ठंडी ।

उपासना- हां पापा आपने तो मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया अपनी बेटी के अंदर उतर गए आज आप ,अपनी बेटी की चूत ले ली आपने आज, अपनी बेटी को अपने लंड पर खूब नचाया है आज आपने पापा ।

********
दोस्तों फिर सोमनाथ और उपासना ने एक दूसरे के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए ।
सुबह 9:00 बजे सबकी आंखें खुली
सुबह उठकर सोमनाथ ने एक बार दोबारा से उपासना को चोदा और दूसरी तरफ धरमवीर भी भी कहां कम था । उसने भी उठते ही पूजा को रगड़ दिया।
और फिर सब हॉल में आने लगे।


उपासना और पूजा चुदाई की रंगत रंगत से खुश थी लेकिन उनका बदन बुरी तरह से दुख रहा था ।
उपासना ने जैसे ही बेड से नीचे कदम रखा तो उसके लिए चलना मुश्किल हो गया दूसरी तरफ पूजा का भी यही हाल था ।

धर्मवीर और पूजा ने सोचा की उपासना ने नीचे नाश्ता तैयार कर दिया होगा तो चलो नाश्ता ही कर लिया जाए।
लेकिन धर्मवीर को कहां पता था कि उसकी बहू उपासना उपासना पूरी रात लंड से खेली है जैसे पूजा की चूत को को रात भर रगड़ा है धर्मवीर ने वैसे ही सोमनाथ ने भी उपासना की चूत का बाजा पूरी रात बजाया है ।

सोमनाथ और पूजा हॉल में आए तो पूजा सीधा सीधा नहीं चल पा रही थी।
अपनी टांगों को थोड़ी फैलाकर धीरे धीरे चल रही थी ।

दूसरी तरफ से सोमनाथ और उपासना भी हॉल में आए तो उपासना भी सीधा नहीं चल पा रही थी , थोड़ा लंगड़ापन उसकी चाल में भी था ।

जैसे ही सोमनाथ और धर्मवीर की नजर एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली से मिली दोनों एक कुटिल मुस्कान से मुस्कुरा पड़े लेकिन पूजा और उपासना ने अपने चेहरे झुका लिया लिया, शरमा गई दोनों ।


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तभी धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी बहू को क्या हुआ ऐसे क्यों चल रही है ? तुम ठीक तो हो बहू ?

धर्मवीर के सवाल से लाल पड़ गई उपासना उपासना उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन सोमनाथ ने इसका जवाब देते हुए कहा जवाब देते हुए कहा ।

सोमनाथ - अभी बाहर आते हुए उपासना बेटी गिर गई थी जिस वजह से थोड़ा उसके पैर में दर्द हो रहा है लेकिन मैं देख रहा हूं समधी जी की पूजा भी सीधी नहीं चल पा रही है , पूजा को क्या हुआ ?


अब शर्माने की बारी थी पूजा की अपनी आंखें झुका कर बहुत ही धीमी मुस्कान के साथ अपना चेहरा उसने दूसरी तरफ मोड़ दिया ।

(दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं धर्मवीर का किरदार जो अपने किरदार के अनुसार ही धर्मवीर बोला )

धर्मवीर - मुझे क्या पता यह तो आपकी शरीफ और संस्कारी बेटी ही बता सकती है कि वह क्यों सीधी नहीं चल पा रही ।
अब तो पूजा की हालत ऐसी हो गई जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। एक बार उसने अपना चेहरा घुमा कर धर्मवीर की तरफ सवालिया धर्मवीर की तरफ सवालिया की तरफ सवालिया नजरों से देखा लेकिन फिर अपनी नजरें झुका कर जमीन की तरफ देखने लगी ।


सोमनाथ - बोलो पूजा बेटी क्या बात है. तुम सीधी क्यों नहीं चल पा रही हो?


पूजा नीचे जमीन की तरफ देखते हुए बहुत धीरे से हकलाते हुए बोली - क-क-कुछ नहीं पापा जी रात से मेरे पैरों में दर्द हो रहा है इस वजह से मुझे चलने में तकलीफ हो रही है ।

धर्मवीर- छोड़ो इन बातों को सोमनाथ जी, बताइए रात कैसी नींद आई?


सोमनाथ - समधी जी एकदम मस्त नींद आए रात रात . मेरी तो आंखें अभी खुली है। आप बताइए आपको कैसी नींद आई ।


धर्मवीर - समधी जी मैं तो सो ही नहीं पाया पूरी रात । बस 1 घंटे घंटे के लिए ही सो पाया हूं ।

सोमनाथ - आपने क्या किया पूरी रात जो आप सोए नहीं ।


दोस्तों धर्मवीर और सोमनाथ को दोनों को पता था कि रात भर दोनों ने इन घोड़ियों को चोदा है है चोदा है लेकिन वह पूजा और उपासना को भी खोलना चाहते थे। इस वजह से ऐसी बातें कर रहे थे ।


धर्मवीर ने फिर पूजा पर बात डालते हुए कहा - हां मैं पूरी रात नहीं सो पाया और यह मुझसे क्या पूछते हो। अपनी पूजा बेटी से पूछो कि भी रात भर क्यों नहीं सो पाया।

अब तो पूजा के लिए हालत असामान्य हो गई ।
पूजा बुरी तरह से जीत पर वह क्या कहती है अपने बाप के सामने कि वह रात भर चुदी है । वह अपने बाप के सामने कैसे कहती है कि उसकी बहन के ससुर ने उसकी चूत में रात भर लौड़ा उतारा है है उतारा है है लौड़ा उतारा है है उतारा है है।


सोमनाथ - बताओ पूजा बेटी समधी जी रात भर क्यों नहीं सो पाए।


पूजा हकलाते हुए - ज-जी जी पापा वो । वो मुझे नहीं पता इतना ही कह सकी पूजा ।

उपासना ने बात को संभालते हुए कहा- रात उनका टीवी खराब हो गया था, हो सकता है दोनों ने बातें की हों ।

तभी पूजा एक साथ साथ बोली- हां हां हम दोनों बातें ही कर रहे थे, कब रात निकल गई पता ही नहीं चला पता ही नहीं चला ।

सोमनाथ - अच्छा यह बात है तो ।


धर्मवीर- सोमनाथ जी जरा अपनी बेटी से यह तो पूछो कि वह मुझसे कौन सी सी कौन सी सी बातें कर रही थी ।

पूजा को जलील जलील करने में धर्मवीर भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा था था पर पूजा ने भी ऐसी शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं की थी जितनी आज कर रही थी थी रही थी थी।


सोमनाथ - कौन सी बातें की थी बातें की थी पूजा बेटी हमें भी तो बताओ ।


पूजा - कु-कुछ नहीं पापा बस ऐसे ही ।


धर्मवीर - सोमनाथ जी वैसे आपकी पूजा बेटी में वजन बहुत है बहुत भारी है पूजा ।

सोमनाथ- आपको कैसे पता समधी जी।

धर्मवीर ने फिर कहा वही - पूजा से ही पूछ लो ।

पूजा को गुस्सा और शर्मिंदगी दोनों का सामना करना पड़ रहा था ।

सोमनाथ - पूजा बताओ बेटी ।


पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था बस इतना ही कहीं सकी- जी वह मैं इनके इनके ऊपर गिर गई थी रात ।


सोमनाथ- अच्छा , धर्मवीर जी तो तो नहीं गिरे थे ना तुम्हारे ऊपर बेटी।


पूजा के लिए यह फिर एकदम यह फिर एकदम बम फूटा क्योंकि अब इसका क्या जवाब क्या जवाब इसका क्या जवाब देती। पूजा सोचने लगी यदि मैं मैं मना करती हूं तो धर्मवीर सब कुछ बता देगा उससे अच्छा है मैं हां कह दूं ।

पूजा- जी पापा , यह भी मेरे ऊपर मेरे ऊपर गिर गए थे ।


सोमनाथ - कैसे गिरे थे समधी जी, तुम उस वक्त सीधी लेटी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी थी या उल्टी लेटी थी थी पूजा ।


सोमनाथ की तरफ से होने वाले किसी भी सवाल का जवाब पूजा के पास नहीं था लेकिन वह फिर भी जवाब दे रही थी ।


पूजा - जी एक बार तब गिरे थे जब मैं सीधी लेटी थी , एक बार तब गिरे थे जब मैं उल्टी लेटी थी ।


धर्मवीर - वैसे कुछ भी हो सोमनाथ जी आपकी बेटी मेरा वजन आराम से संभाल लेती है ,अभी मर्दों के वजन संभालने लायक हो गई है आपकी बेटी ।


पूजा फिर से लजा कर रह गई ।

सोमनाथ सवालिया नजरों से पूजा की तरफ देखते हुए - तुमने रात कुछ और तो नहीं किया ना बेटी ।

पूजा के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था और धर्मवीर को भी ये खेल लंबा सा लगने लगा ।

पूजा कुछ बोलने की कोशिश ही कर रही थी रही थी कर रही थी कि तभी अपनी गांड पर धर्मवीर का एक तेज थप्पड़ उसे थप्पड़ उसे महसूस हुआ और पूरे कमरे में आवाज गूंजी गूंजी गूंजी धर्मवीर की ।

धर्मवीर - बता दे ना पूरी रात चुदी हूँ । क्यों शर्मा रही है ऐसे । बोल दे पूरी रात लौड़ा बजा है मेरी चूत पर ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ पूजा की गांड पर लगाया ।

बाप के सामने इतना जलील सामने इतना जलील पहले कभी नहीं हुई थी पूजा। वह बस जमीन की तरफ देखते हुए जमीन की तरफ देखते हुए देखते हुए दोनों बार आउच कर गई ।

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धर्मवीर और जो मेरे सामने इतनी भोली बन रही है मेरी उपासना बहू यह भी तो रात भर लौड़ा खाकर लौड़ा खाकर खाकर बाहर निकली है ,और यहां देखो साली सीता बन रही है
चल बहन की लोड़ी घोड़ियों नाश्ता लगा दो हमारे लिए।
सोमनाथ ने भी उपासना की गांड पर एक थप्पड़ मार दिया और दोनों को किचन में भेज दिया ।

शर्माती हुई धीरे-धीरे चलती हुई जलील होकर दोनों बहने किचन में आकर नाश्ता बनाने लगीं ।

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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर।
आपका अपना प्यारा सा भाई और लड़कियों का शोना बाबू - रचित ।
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Superb update
 

Rachit Chaudhary

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