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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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asha10783

Shy mermaid
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Update 24

लो दोस्तों आपका अपना रचित आगया तो बिना देर करते हुए आगे बढ़ते हैं।
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अपनी बेटी के मुंह से इतनी गंदी जुबान से यह शब्द सुनकर सोमनाथ को कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसके जोश की सीमा ना रही ।

फिर अपना चेहरा उपासना के कान के पास ले जाकर बोला - उपासना बेटी मैंने भी रंडियां तो बहुत देखी पर तेरे से नीचे नीचे ।

सोमनाथ ने जब यह कहा तो उसने सोचा था कि उपासना मेरे इन शब्दों से और ज्यादा गरम हो जाएगी, लेकिन दोस्तों हुआ उसका उल्टा ही ।


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जैसे ही सोमनाथ ने उसके कान में ऐसा कहा तो उपासना ने फिर से उसकी छाती में तुरंत एक जोरदार लात मारी। सोमनाथ बेड से नीचे जा गिरा।
उस भारी-भरकम घोड़ी की लात खा कर सोमनाथ की आज फिर से सदमे जैसी हालत हो गई थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था की उपासना ने आज क्यों लात मारी। आज तो वह खुद भी गरम हो रही थी। और शाम से ही चुदने के लिए तड़प रही थी।
लेकिन उसने आज फिर से मुझ में लात मारी जरूर उसे मैंने गुस्सा दिला दिया या कोई और बात है ।
सोमनाथ ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने बेड पर बैठी उपासना पर पड़ी। जो बेड पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठी थी, और धीरे-धीरे कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुरा रही थी ।

मुस्कुराते हुए बोली - मुझे तू रंडी बोलता है जबकि सच तो यह है कि तु मुझे देखता ही रंडियों की तरह है, इन रंडियों वाली वाली नजर से किसी भी शरीफ औरत को देखेगा तो वह तुझे रंडी ही नजर आएगी , और इन्हीं रंडियों वाली नजर से तूने अपनी बेटी को देखा था और आज तूने अपनी जबान से उगल भी दिया मुझे रंडी कहकर । मुझे अफसोस है तुझे अपना बाप कहते हुए ।आखिर तू राजी ही कैसे हो गया अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोचने के लिए ।

दोस्तों धर्मवीर का दिमाग एकदम सुन पड़ गया था उसे इन बातों का जवाब तो दूर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि गलती मेरी है या उपासना की या हम दोनों की। आखिर माजरा क्या है इतना ज्यादा परेशान और शर्म से अपने बारे में सोचते हुए मुंह छुपा कर सोमनाथ बैठा हुआ था।
उसे आने वाले पलों का अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है तभी उसके कानों में फिर से उपासना की आवाज पड़ी ।

उपासना - अपनी गर्दन नीचे झुकाकर क्यों बैठा है कुत्ते । तुझे अपनी बेटी को चोदना था ना ,
यही ख्वाहिश थी ना तेरी कि तेरी बेटी तुझ से चुदवाये,
यही चाहता था ना कि तेरी बेटी तेरी टांगों के नीचे आ जाये,
सिसकारियां लेकर बोली उपासना
बोल जो मैं पूछ रही हूं यही चाहता ना तू कि तेरी बेटी नंगी तेरे लोड़े के नीचे आ जाए और तू अपनी बेटी की चूत में अपना लंड भर सके ।

यह सुनकर सोमनाथ थोड़ा गर्म होने लगा । अपनी बेटी से खुलेआम इस तरीके से पेश आने की उसकी उम्मीद थी। लेकिन फिर भी उपासना सब कुछ खुलेआम उसके सामने कह रही है तो इसे मैं एक न्योता समझूं या गुस्सा।
अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा था सोमनाथ ।

उपासना ने फिर से बोलना शुरू किया- अभी शाम को इतनी बातें बना रहा था अब तेरी मुंह में जबान नहीं रही क्या ,
तू यही तो चाहता था कि मैं थोड़ा खुल सकूं मैं थोड़ा खुल कर तुझ से बात कर सकूं, तो कर तो रही हूं अब देखना बिल्कुल खुल कर बात कर रही हूँ।
तेरे मुंह पर टेप किसने लगा दी जो तू बोलता नहीं , मैं तो तेरी उम्मीदों से दो कदम आगे निकली हूं अब तू क्यों चुप है। तुझे क्यों सांप सूंघ गया है मैंने तो कोई कसर नहीं छोड़ी तेरी उम्मीदों पर खरी उतरने में।
देख ले तू चाहता था कि मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊं तो तूने आज मुझे कर दिया नंगी, मैं इस बेड पर मादरजात नंगी बैठी हूं
तू चाहता था कि मैं तुझे प्यार करूं सॉरी मैं गलत बोल गई तू तो यह चाहता ही नहीं था कि मैं तुझे प्यार करूं बल्कि तू यह चाहता था कि मैं तुझ से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा लूं , तो ले बैठी तो हूं बेड पर अपनी चूत खोले।
तू चाहता था कि मैं तेरा लोड़ा अपने मुंह में लूं तो देख बैठी तो है तेरी बेटी तेरा लंड मुंह में लेने के लिए ।
तू चाहता था कि मैं तेरे नीचे आकर चुदूं अपनी गांड उठा उठा कर तो चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं ।अपनी गांड उठा उठा कर ही चुदूंगी तुझसे ।


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तू चाहता था कि मैं तेरे लंड से निकला वीर्य अपनी चूत में भर लूं तो चल वो भी भर लूंगी।
तू चाहता था कि तू अपना मुंह मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड से खेले चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं।
और सबसे लास्ट में यह कहूंगी कि तू चाहता था कि तू मुझे रंडी की तरह रगड़ दे ,तू मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदे तो मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ............................................. क्योंकि तुझे भी तेरे किए की सजा मिलनी चाहिए । तुझे भी पता चलना चाहिए कि जब एक औरत अपनी पर आती है तो मर्द को कुत्ता बना देती है , और आज मैं तुझे अपना कुत्ता बनाऊंगी और तू किसी कुत्ते की तरह अपनी मालकिन की सेवा करेगा ।
तुझे आज मैं दिखाऊंगी कि जब औरत अपनी पर आती है तो वह किसी की रंडी और रखैल नहीं बनती बल्कि अपने बाप को भी गुलाम बनाकर उसकी मालकिन बन जाती है ।

चल बहन के लोड़े खड़ा हो और इधर आ मेरे पैरों में यह सुनकर सोमनाथ के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

उसे उम्मीद ही नहीं थी ऐसा भी कुछ हो सकता है।
उसे उम्मीद नहीं थी उसकी बेटी ही उसकी आंखें खोल देगी ।
लेकिन जहां अब वह खड़ा था वहां से लौटना मुश्किल था।
उसने उपासना के इस रूप की उम्मीद तो दूर सोच तक भी नहीं की थी ।
अब तो सोमनाथ चुपचाप खड़ा हुआ और गर्दन झुका कर उपासना के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

उपासना की आवाज कमरे में गूंजी - नीचे बैठ भोसड़ी के ।

सोमनाथ चुपचाप नीचे बैठ गया उपासना ने अपना पैर उसके मुंह के सामने कर दिया । सोमनाथ ने देखा की पैरों पर मेहंदी लगी हुई थी और बिल्कुल चिकने गोरे पैरों पर लाल मेहंदी ऐसे शोभा दे रही थी जैसे वृक्षों पर फल।
उपासना के पैरों में से निकलती हुई भीनी भीनी परफ्यूम की खुशबू सोमनाथ के नथुनों में भर रही थी ।

(( दोस्तों अब आप यह सोच रहे होगे कि यह राइटर तो भाई पैरों में भी परफ्यूम की खुशबू लिख देता है । तो दोस्तों यह सब मैं बस लिखता ही जा रहा हूं उसी तरह आप बिना सोचे पढ़ते जाओ ))

सोमनाथ उपासना के पैरों को देख ही रहा था अपने ख्यालों में डूबा हुआ कि तभी उसके कानों में उपासना की आवाज पड़ी जिसमें रौब और गुरूर दोनों थे ।

उपासना- तेरे जैसा गांडू मैंने भी आज तक नहीं देखा अगर मैं यह बोलूं तो तुझे कैसा लगेगा जलील लगेगा ना तुझे ।जलालत फील करेगा ना तू तो अपनी बेटी के कानों में जब तूने यह बोला कि सारी रंडियां तेरे से नीचे नीचे है तो सोच मुझे कैसा फील हुआ होगा । जलालत फील हुई होगी ना मुझे। लगा होगा ना बुरा। अब मैं तुझे बताती हूं की जलालत कैसे फील होती है।
असली जलालत मैं तुझे फील कराउंगी। तुझे पता चलेगा एक औरत का बदला ।

सोमनाथ को फिर से झटका लगा आज तो उसे झटके ही झटके लगते जा रहे थे और अपने मन में सोमनाथ सोचने लगा - उधर धर्मवीर साला मस्ती से पूजा की चूत को कूट रहा होगा और मेरी यहां मा चुदी पड़ी है, यहां मेरी गांड फाड़ के रख दी उपासना ने । यह सोमनाथ सोच रहा था की उपासना की आवाज से वह ख्यालों से बाहर आया।

उपासना - ओ गंडवे क्या सोच रहा है दिखता नहीं है मालकिन सामने बैठी है। चल मेरे पैरों को साफ कर आज गंदे गंदे से लग रहे हैं ।

सोमनाथ ने अपनी जीभ उपासना के पैरों पर फेरी और उसके पैरों को चाट कर साफ कर दिया।

फिर उपासना बेड से उतरी और गेट के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उपासना जब खड़ी थी तब उसकी पीठ सोमनाथ की तरफ थी
जिससे कि उसके मोटे मोटे कूल्हे बिल्कुल नंगे सोमनाथ की तरफ थे ।
ऊपर से उसका शरीर बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे लोड़े की भूखी कोई प्यासी औरत खड़ी हो ।।

उपासना ने कहा - भोंसड़ी के आंखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है आकर मेरी गांड चाट दे थोड़ी सी ।

यह सुनकर सोमनाथ खड़ा होकर उपासना के पास आने लगा कि तभी एक रौबदार आवाज मैं उपासना ने गरज कर कहा - तू कुत्ता है गांडू है और तेरे जैसे कुत्ते और गांडू मेरे जैसी संस्कारी बेटी के पास खड़े होकर आएंगे क्या।
इतनी हिम्मत कैसे आ गई तुझ में , अपनी औकात में आ नीचे फर्श पर कुत्ता बनकर ।

अब तो दोस्तों सोमनाथ के लोड़े लग गए थे अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां मैं चूत का इंतजाम समझ कर चूत बजाने के लिए आया था लेकिन यहां तो मेरी ही गांड उल्टी फट रही है । मैंने सोचा था कि जब उसकी चूत में लौड़ा भरूंगा तो यह कुत्तिया ओह आह की तरह सिसकारियां भरेगी । लेकिन यहां तो मेरी सिसकारियां निकलने को तैयार हैं । भोसड़ी का इतना इंसल्ट अपना कभी नहीं हुआ । इससे तो अच्छा था मैं इस के चक्कर में आता ही नहीं पर मेरी भी क्या गलती मुझे तो धर्मवीर ने गुमराह किया था।
और जिसमें की यह साली मेरी बेटी उसकी बहू होकर उसके लोड़े पर नाची थी तो मैं क्या कोई भी गुमराह हो सकता है। मुझे क्या पता थी कि मेरे साथ ऐसा होगा। मैंने तो यही सोचा था कि मेरे भी लोड़े पर नाच लेगी पर यहां तो उल्टा हो रहा है ।

दोस्तों अब तक उपासना उसके पास आ चुकी थी और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मार कर बोली - रंडी के क्या सोच रहा है मैंने बोला था ना आकर मेरी गांड चाट दे। इतनी देर हो गई मुझे कहे हुए और तेरे कान पर अब तक जो जूं भी नहीं रेंगी । और ऐसा कहकर उपासना उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।


सोमनाथ की आंखों के सामने उसके भारी-भारी चूतड़ ऐसे थे जैसे कह रहे हो कि हमें लोड़े की जरूरत है । हमारे चौड़े होने का राज सिर्फ और सिर्फ लंड है ।

सोमनाथ में अपना मुंह उपासना के कूल्हों की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच में सोमनाथ को अपना मुंह छोटा महसूस हो रहा था ।उपासना के फैले हुए चूतड़ उसके चेहरे को छुपाने के लिए बेताब थे।


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सोमनाथ ने अपनी जीभ निकालकर उपासना की गांड की दरार में रखी तो उधर उपासना की भी हालत खराब हो गई क्योंकि चुदने का तो मन आज वह बना चुकी थी ।
अपने बाप की जबान पहली बार अपनी चूत और गांड के इतना करीब महसूस करके उसकी हालत अब खराब होने लगी थी।

उधर सोमनाथ ने भी महसूस किया की उपासना की चूत से उसके मूत की मादक खुशबू उसके नथुनी में आ रही है ।
उसे नशा सा होने लगा उपासना के कौमार्य का।
उसे नशा सा होने लगा होने लगा अपनी जवान बेटी के भरे हुए जिस्म का।
उसे नशा सा होने लगा उपासना की लंड मांगती चूत का और इसी नशे में सोमनाथ ने उपासना के दोनों साइड में हाथ रखकर उपासना की गांड में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी नाक उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत से जा टकराई। तभी उपासना ने अपनी गांड से ही सोमनाथ की मुंह पर धक्का मारा जिस से सोमनाथ फिर पीछे की तरफ गिर गया क्योंकि धक्का जोरदार था।

तभी उपासना की तेज आवाज कमरे में फिर से गूंजी अपनी औकात भूल गया क्या मेरे कुत्ते। मैंने तुझे गांड चाटने को बोला था अपने जिस्म से खेलने को नहीं । तूने कैसे हिम्मत कि अपने हाथों से मुझे छूने की।
सालों को गांड चाटनी भी नहीं आती चल दोबारा से आकर चाट ऐसा कहकर उपासना बेड पर चढ़ी और कुत्तिया बन गई और अपनी गांड उपासना ने सोमनाथ की तरफ की हुई थी ।


सोमनाथ के जोश की सीमा नहीं थी लेकिन सोमनाथ की गांड बराबर फट रही थी उसे पता नहीं होता था कि उसके साथ क्या होने वाला है।
उसे आज इतने झटके लगे थे कि अब उसने उसके दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था ।

अपने आप को कठपुतली सा महसूस करने लगा था सोमनाथ क्योंकि उसे समझ में नहीं आता था की उपासना कब और किस बात पर गुस्सा हो जाती है । उसने फिर से उपासना की तरफ देखा तो उपासना बेड पर कोहनी के बल झुकी हुई थी और उसके गांड पीछे को उभरकर बिल्कुल साफ दिख रही थी । उसकी भारी भारी जांघों के बीच हल्का सा अंधेरा सा दिख रहा था सोमनाथ को। जो कि दूर से देखने पर उसकी बेटी उपासना की चूत पर झांटें थी ।


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सोमनाथ धीरे-धीरे कुत्ते की तरह बैठ के पास आया और फिर बेड पर उपासना के पीछे बैठ गया ।

वह अपने आप को एक तरह से धन्य भी महसूस कर रहा था उसे यकीन नहीं था कि उसकी बेटी अपनी गांड को इस तरह खोलकर दिखाएगी ।

सोमनाथ ने उपासना को बिना छुए ही उसकी गांड से अपना मुंह लगा दिया और उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत ने उसकी नाक और होठों को गिला कर दिया ।
उपासना की चूत की खुशबू सोमनाथ को इतनी मादक लगी कि उसने जीभ की जगह अपनी नाक ही उपासना की चूत के छेद से रगड़ दी ।

उधर उपासना भी सिसकारी ले उठी अपने बाप की हरकत से । इतनी गरम तो वह धर्मवीर से चुदवाते वक्त भी नहीं हुई थी जितनी गर्म आज गई थी।
उसकी आंखों में उसे बस लंड ही दिख रहा था इतनी चुदासी हो गई थी उपासना ।

सोमनाथ ने इस तरह चूत को चाटने के बाद उसके चूतड़ों को चाटने लगा उपासना के नितंबों को अपने थूक से अब गीला करके जांघो की तरफ आया और उन मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा ।


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तभी उपासना बेड पर सीधी बैठी तो उसकी चूचियां भी उछल रही थी ।
बैठकर उपासना बोली - चल रंडी की औलाद अपनी पैंट उतार ।

सोमनाथ ने बिना देर किए हुए अपनी पेंट निकाल दी नीचे उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था । उसका खड़ा लोड़ा उछल कर बाहर आ गया।

उपासना ने जब उसका लंड देखा तो उपासना की आंखों में चमक आ गई क्योंकि उसने यह तो देखा था कि उसके बाप का लोड़ा धर्मवीर के लंड से लंबा है लेकिन इतना अंतर होगा और पास से देखने पर इतना प्यारा लगेगा यह उसने नहीं सोचा था ।

सोमनाथ लोड़े की चमक उपासना की आंखों में साफ देख सकता था लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि उपासना ने उसकी गांड फाड़ कर रखी थी आज।

उपासना ने पास आकर लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली अपनी बेटी को देख कर भी तेरा यह लंड खड़ा हो रहा है।
चल इसे अपने हाथों से मुट्ठ मार कर दिखा।

सोमनाथ ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगा।

इस नजारे ने उपासना को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने जोश से अपनी आंखें कुछ सेकंड के लिए बंद कर ली और सोचने लगी - कि क्या लंड उसके बाप का और धन्यवाद कर रही थी भगवान का कि राकेश के बाद उसने इतने लंबे और मोटे लौड़ों का इंतजाम किया है मेरे लिए ।
आज तो मुझे महसूस हो रहा है कि मैं विधवा ही अच्छी हूं कम से कम मेरी जवानी को कूटने वाले लंड तो मिलेंगे ।
मुझे महसूस हो रहा है मेरे पति राकेश तुम्हारा तो लंड नहीं लुल्ली था मुझे तो विधवा होकर देखने को मिल रहे हैं लंड । हां मेरे पति राकेश आज तुम्हारी विधवा पत्नी असली लंड के सामने नंगी बैठी है क्योंकि तुम तो उसे लंड दे नहीं पाते थे तुम तो लुल्ली देते थे । लंड तो मैं आज लूंगी । लंड लंड लंड आज लूंगी मैं लंड । लंड अपने मुंह में , अपनी चूत में अपनी गांड में अपने सारे छेदों में मैं आज लंड लूंगी ।
अपने मन ही मन में लंड के लिए इतनी पागल होकर उपासना ने आंखें खोली तो उसके बाप का लोड़ा उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था, जिसमें से पानी की कुछ बूंदें उसके सुपाड़े को गीला कर रही थी ।

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उपासना कल्पना कर रही थी कि यह लंड बिल्कुल सही है एक औरत को चोदने के लिए । ऐसे लंड से हर वह घोड़ी संतुष्ट हो सकती है जिसे लंड ही लंड दिखता हो । ऐसा लोड़ा तो अगर कोई रंडी भी ले ले तो उसकी भी चाल में फर्क डाल सकता है । शायद इसे ही हल्लबी लंड कहते हैं ।

अब उपासना सोमनाथ को उंगली का इशारा करते हुए अपने पास आने को बोली ।

उपासना की तरफ सोमनाथ आया और घुटने के बल खड़ा हो गया ।

उपासना ने अपना चेहरा नीचे की तरफ किया सोमनाथ के लंड का टमाटर के जैसा सुपाड़ा उपासना के चेहरे के पास आ गया ।

उपासना ने अपनी नाक और सुपाड़े के नजदीक कर दी जिससे कि सोमनाथ को अपने लंड पर उपासना की गर्म सांसे महसूस होने लगी ।

उपासना ने पूरे लंड को पहले अपनी नाक से सूंघा लंबी लंबी सांसे लेकर और फिर लंड से अपना चेहरा दूर खींच लिया ।


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सोमनाथ के लंड की बिल्कुल सीध में अपना मुंह करके उपासना ने हल्का सा मुंह खोल दिया और अपनी उंगली से सोमनाथ को आगे की तरफ बढ़ने का इशारा किया।

सोमनाथ के लिए यह बिल्कुल नया था उसकी बेटी जो आज उसे चुदाई की मालकिन नजर आ रही थी, चुदाई की देवी नजर आ रही थी ।।

सोमनाथ उपासना के मुंह की तरफ बेड पर बढ़ने लगा और आगे की तरफ बढ़ कर उसने होठों के पास लंड ले जाकर रोक दिया क्योंकि सोमनाथ को अब हर बात पर डर लगने लगा था।
सोमनाथ ने सोचा कि ऐसा ना हो मुंह में लंड डाला और कहीं उपासना फिर से नाराज हो गई तो।
इस वजह से उसकी फट भी रही थी जिस वजह से उसने लंड को मुंह के बिल्कुल पास लाकर रोक दिया ।

अब उपासना ने अपनी उंगली से फिर और पास आने का इशारा किया सोमनाथ का लंड अब उपासना के होंठो से छू गया था जिस वजह से सोमनाथ के जेहन में एक लहर सी दौड़ गई ।


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उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले कपड़े को सुंधा और फिर सोमनाथ से इसी पोजीशन में बोली- मेरे गांडू पापा , मेरे गुलाम , भड़वे, रंडी की औलाद तेरे लंड की खुशबू तेरी मालकिन को भा गई है। तेरी मालकिन तुझसे बहुत खुश है चल मैं तुझे खुश होकर एक वरदान देती हूं।
मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ को अभी भी डर ही लग रहा था उसने सोचा यह तो बिल्कुल देवी की तरह मेरे साथ व्यवहार कर रही है । मैं क्या मांगू इससे--- मैं इससे बोलता हूं कि तुम मुझे लात नहीं मारोगी । फिर उसने सोचा अरे नहीं नहीं मैं इस से वरदान मांगता हूं कि तुम मुझे किसी भी तरह का धक्का नहीं दोगी और मेरी बेइज्जती नहीं करोगी । लेकिन तभी अचानक सोमनाथ के सर ने एक झटका खाया और उसकी आंखों में चमक आ गई । उसने सोचा हां मैं यही मांगता हूं लेकिन पहले कंफर्म कर लूं कि पक्का मिलेगा या नहीं ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - मालकिन ऐसा तो नहीं कि जो मन में आए मैं मांगू और आप मना कर दो।

तभी उपासना बोली - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी क्योंकि तो गांडू है, तू दल्ला है , तू भड़वा है, तू एक नंबर का मादरचोद है क्योंकि तुझे मैंने अभी असली औरत की ताकत का एहसास कराया था और तू फिर भूल गया कि औरत क्या चीज होती है । जब औरत कहती है तो पीछे नहीं हटती इसलिए ज्यादा सोच मत और मांग तू क्या चाहता है कोई भी एक वरदान मांग ले।
अगर वह वरदान मेरी जान भी हुआ तो भी मैं आज तुझे अपनी जान देकर वह वरदान पूरा करूंगी । मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ- बोला तो ठीक है मालकिन अगर बुरा लगे तो माफ कर देना क्योंकि मैं आपका गुलाम हूं, अपने इस गुलाम को माफ कर देना अगर मैं कुछ गलत मांग बैठूं तो । या ऐसा वरदान मांग बैठूं जिसे आप पूरा ना कर सको तो इस गुलाम को माफ कर देना।
मैं मांगता हूं मेरा वरदान है कि - मैं कुछ भी करूं तुम उसमें मेरा साथ दोगी मैं जैसे चाहूं वैसे तुम्हें चोद सकूं
अगर मैं रंडी या अपनी कुतिया भी बनाना चाहूं तो बना सकूं ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले सुपाड़े को रगड़ते हुए शायराना अंदाज में कहा-
ठीक है दिया तुझे यह वरदान।
तथास्तु मेरे गुलाम ।

ऐसा कहकर उपासना अपना मुंह खोले हुए उसी झुकी हुई पोजीशन में उसके लंड के सामने ऐसे ही रही ।


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सोमनाथ ने कहा ठीक है मतलब तूने मुझे यह वरदान दिया है । तुमने की जगह तू का यूज़ किया सोमनाथ ने और ऐसा कहकर सोमनाथ ने उपासना की सर को पकड़कर उसकी खुले मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया ।

आधा लंड मुंह में जाते ही उपासना की आंखें बाहर आ गई ।
कमरे का माहौल बिल्कुल बदल गया सब कुछ सोमनाथ के लिए एक पल में बदल गया और उपासना के लिए भी ।

सोमनाथ मन ही मन मे सोचने लगा कि अब फसी है मेरी विधवा जवान बेटी ढंग से। अब तो तू कुतिया रंडी सब बनेगी । तेरी चूत का ऐसा बाजा बजाऊंगा की अपने बाप के लौड़े से चुदकर तू सुबह को चल भी नही पाएंगी । मेरी गदरायी बेटी सुबह तक तेरी चूत में इतना वीर्य भरूंगा तेरी गांड और चूत इस कदर फाडूंगा की तेरी चूत और इस मस्तानी गांड के छेद किसी रबड़ के छल्ले की तरह चौड़े हो जाएंगे ।

अब सोमनाथ ने उसके मुंह में आधा लंड घुसाकर उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोला - ले ले इसे अपने हलक में ।
जिस तरह तू अपनी चूत और गांड की मालकिन है । मैं भी लोड़े का मालिक हूं । अभी नीचे आकर छूट जाएगी तेरी मस्ती । तेरी सारी मस्ती झड़ जाएगी। जितनी मस्ती तेरी गांड में चढ़ी है सारी उतर जाएगी । वैसे भी तेरे जैसी घोड़ी को लंड ना मिले तो क्या जवाब देगी तू अपनी इस गदरायी जवानी को।
ऐसा कहकर सोमनाथ ने पूरा लंड उपासना के मुंह में घुस आने के लिए उसके सर को पकड़कर झटका मारा ।

उपासना की आंखें अब सोमनाथ की झांटों पर आ गई ।सोमनाथ के लंड की जड़ में उगे हुए बाल उपासना की बिल्कुल आंखों पर थे, मतलब लौड़ा उसके हलक तक पहुंच गया था और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी इसी तकलीफ के कारण उपासना के मुंह से केवल घोंघोंघोंघों की आवाज आ रही थी ।
सोमनाथ समझ गया कि मुंह में पूरा लंड ले गई मतलब प्यासी तो है कुतिया।
और गर्म भी है सही से ठोकने लायक माल है बिल्कुल मेरी बेटी ।

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ऐसा सोचकर सोमनाथ ने एक झटके से बाहर खींच लिया पूरा लंड
सेकंड के कुछ हिस्से में ही उपासना के मुंह से गोली की तरह बाहर हो गया उसके बाप का लौड़ा। उपासना का मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से उसकी थूक की लार नीचे लटक रही थी।
अब सोमनाथ ने उसके बालों को खींच कर बेड पर घुटने के बल खड़े करते हुए खुद उसके सामने खड़ा हो गया और और उसके खुले चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर की तरफ मोड़ा और झुक कर उसके मुंह में थूक दिया ।

यह सब उपासना के लिए इतना जल्दी हुआ कि उसे सोचने और समझने का भी वक्त नहीं मिला । जब उसके मुंह में उसके बाप ने थूका तो उसे एहसास हुआ कि ऐसा प्यार तो धर्मवीर ने भी नहीं किया था जितना मजा मुझे प्यार में आ रहा है और अपने बाप का थूक अपने मुंह में उसने अपने थूक से मिला दिया ।

सोमनाथ ने उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए उसके मुंह में दोबारा से थूका और फिर खड़ा होकर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया ।

उपासना का सर पकड़ कर उसके मुंह में लंड के घस्से मारता हुआ बोला - बेटी ऐसे लंड भगवान तेरे जैसी गरम रंडियों के लिए ही बनाता है मैं तो अपने लंड को देखकर सोचता था कि मेरा लंड सबसे इतना अलग अलग क्यों है लेकिन मुझे आज पता चला ऐसे लंड तो तेरे जैसी गदरआई हुई घोड़ियों के लिए बने होते हैं जो तुम्हारा सही से बाजा बजा सकें ।

उपासना भी गर्म होते हुए उसके लंड के झटकों से अपने मुंह की ताल से ताल मिला रही थी। फिर कुछ झटके मारने के बाद सोमनाथ उसके मुंह से अपना लौड़ा निकाल कर बेड पर बैठ गया।


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उपासना के मुंह से सोमनाथ के लंड की लार से मिली हुई लार उसके मुंह से टपक रही थी । अपनी बेटी के मोटे मोटे चूचे और उसका चेहरा इस तरह से सना हुआ देखकर सोमनाथ का सर भनभना गया।

सोमनाथ ने उपासना का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए बेड पर उसे अपनी गोद में उल्टी लिटा लिया ।
अब उपासना की गांड बैठे हुए सोमनाथ की गोद में थी और उस चौड़ी और भारी सी गांड को देखकर सोमनाथ के मुंह में भी पानी आ गया ।
उसने जोश में आते हुए एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

अपने बाप के भारी हाथों से अपनी भारी गांड पर पड़ा थप्पड़ महसूस करके उपासना के मुंह से आउच निकला।

अब सोमनाथ ने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाया और देखा तो उसकी चूत के छेद से पानी रिस रहा था। सोमनाथ में उपासना की चूत जिसे अभी अभी कुत्तों की तरह चाटा था उसमें अपनी एक उंगली डाल दी ।

उपासना ने जब अपनी पानी छोड़ती चूत में अपने बाप की उंगली महसूस की तो उसकी सिसकारी निकल पड़ी ।

बेटी को सिसियाती हुई देख सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर तेजी से उंगली चूत के अंदर बाहर करने शुरू कर दी । उंगली से हो रही इस चूत चुदाई के सामने उपासना 1 मिनट भी नहीं टिक सकी और उसने पानी छोड़ दिया। यह देखकर तो सोमनाथ बिल्कुल हैरान ही रह गया क्योंकि वह भी अपना हाथ गीला होने की वजह से समझ गया था कि उपासना झड़ गई और हैरान होते हुए सोचने लगा कि उसकी बेटी कितनी गरम है । उसकी उंगली पर ही इतनी जल्दी झड़ गई इसे तो ठोकने के लिए सच में ही एक दमदार लंड की जरूरत है जो इसकी चूत के पानी को सुखा सके ।
सच में बहुत गर्म और चुदक्कड़ है मेरी बेटी ।

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यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - क्या हुआ उपासना बेटी इतनी गरम है तू तो कि मेरी उंगली पर ही पानी छोड़ गई। अभी तो लौड़ा चूत में गया भी नहीं अब तू ही बता मैंने सच ही तो कहा था कि रंडियां तो देखी पर तेरे जैसी रंडी से सब नीचे हैं जो इतनी गरम है । ऐसे ही तेरी गांड बखान नहीं करती तेरे गर्म होने का। ऐसे ही तेरे मटकते चूतड़ बखान नहीं करते तेरी लंड की प्यास का कुछ तो बात होती है जब ये बखान करते हैं । वह सच ही कहते हैं उनकी क्या गलती ।

अब उपासना भी गरम होकर झड़ चुकी थी और बुरी तरह से सिसिया रही थी लंड के लिए और लंड की उसी भूख की में बोली बड़ी ही कामुक आवाज में - क्या कहते हैं आपकी बेटी के मटकते चूतड़ और गांड ।

सोमनाथ बोला - ये कहते हैं कि हमें अच्छे से रगड़ कर चोदो। हमें दौड़ा-दौड़ा कर चोदो । तेरी भारी भरकम गांड जब हिलती है बेटी तो ऐसा लगता है कि तुझे मुता मुताकर चोदू ।

उपासना भी कामुक आवाज में साथ देती हुई बोली- हां पापा यह बात तो माननी पड़ेगी। मेरी चूत अब लोड़े मांगने लगी है । आपकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो गई है तो इसमें मेरी क्या गलती है पापा ।
मेरी उम्र भी तो हो गई है अब लौड़ों से खेलने की , लौड़ों के नीचे रहने की।

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सोमनाथ के जोश में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने उपासना को बेड पर सीधी लिटा कर और जल्दी से उसके घुटने उसकी छाती से मिला दिए ।
यह सीन कुछ ऐसा था की पहली बार उपासना के चेहरे पर शर्म की लाली छा गई और उसके चेहरे पर शर्म और शरारत से मिली जुली मुस्कान फैल गई।

सीन कुछ ऐसा था दोस्तों की उपासना तकिए पर सर रखकर लेटी थी और सोमनाथ ने उसके घुटने मोड़कर बिल्कुल इसकी छातियों से लगा दिए थे जिससे की उपासना की चूत के सामने बिल्कुल सोमनाथ का चेहरा दिख रहा था ।

उपासना अपनी बालों से ढकी हुई चूत से होते हुए सीधा अपने बाप की आंखों में झांक रही थी।
जो उपासना अभी कुछ सेकंड पहले ही झड़ी थी उसकी चूत से उसकी गांड की दरार में जाता हुआ पानी देख रहा था अब सोमनाथ ।

सोमनाथ ने एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया और उपासना की आंखों में झांकते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ कर दिए।

दृश्य कुछ ऐसा था की उपासना और सोमनाथ दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे बिना कुछ बोले । जैसे कुछ पढ़ रहे हो ।

उपासना की आंखों में झांकते हुए सोमनाथ ने अपना मुंह उपासना की गीली चूत पर रख दिया।

गीली चूत पर मुंह जाते ही उपासना ने सिसकारी भरनी चाही लेकिन वह रुक गई क्योंकि उसकी आंखों में झांकता हुआ सोमनाथ उसकी चूत पर मुह लगाए उसे बड़ा अच्छा लग रहा था । और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों का यह कनेक्शन टूटे । जिसकी वजह से उपासना ने अपनी सिसकारी को रोककर सोमनाथ की आंखों में आंखें ही डाले रखीं ।

अब सोमनाथ ने अपनी बेटी की आंखों में झांकते हुए अपनी जीभ निकालकर कुटिल मुस्कान के साथ उसकी चूत के छेद पर रख दिया।

उपासना के लिए यह बर्दाश्त से बाहर हो गया था अपनी सिसकारी को रोकना लेकिन फिर भी उपासना सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अब सोमनाथ भी उपासना को उसकी चूत चाटते हुए घूरने लगा था।
यह आंखें प्यार वाली नहीं थी दोस्तों यह आंखें तो एक दूसरे को खोल रही थी । सोमनाथ को उपासना की आंखों में प्यार नहीं बल्कि लंड की भूखी एक औरत की प्यास दिख रही थी ।
उपासना की आंखों में प्यार नहीं गुस्सा सा महसूस हो रहा था सोमनाथ को।

और इसी तरह कुछ सोमनाथ भी उपासना को घूर रहा था ।

उपासना को सोमनाथ की आंखों में प्यार नहीं बल्कि उसकी गदरायी चूत और गांड की बखिया उधेड़ कर रखने वाला लंड दिख रहा था ।

इसी तरह 1 मिनट तक उपासना की आंखों को घूरते हुए चूत चाटकर सोमनाथ बेड पर खड़ा होकर अपने लोड़े को हिलाने लगा , लेकिन आंखों का कनेक्शन नही टूटने दिया।

अभी भी दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे ।

उपासना को घूरते हुए सोमनाथ ने थोड़ा सा झुकते हुए अपना लौड़ा उपासना की चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया ।


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अब यह सोमनाथ के लिए भी बर्दाश्त से बाहर था कि चेहरे पर कोई बदलाव ना आए , उसकी आह ना निकले क्योंकि वह उपासना की घूरती नजरों में उतनी ही गहराई से झांक रहा था ।

उधर उपासना भी सोमनाथ का लंड अपनी चूत पर रगड़ता महसूस करके बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकने की कोशिश करते हुए सोमनाथ को घूरती रही ।

दोस्तों नजारा ही कुछ ऐसा था कमरे का की एक जवान कुतिया लोड़े की चाह में बेड पर उस लंड के नीचे अपने बाप को नहीं बल्कि अपने यार को घूर रही थी। उपासना उसके लंड की रगड़ से मूतने को तैयार थी उसका उत्तेजना के मारे मूत निकलने को तैयार था ।

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सोमनाथ ने उपासना की आंखों में लंड कितनी भूख देखकर लंड उसके छेद पर रख कर दबाव देना शुरू किया ।

दोस्तों उपासना ने अपनी मुट्ठी से बेडशीट को कस कर पकड़ लिया ताकि उसके मुंह से कोई चीख या कोई आह ना निकले, और अपने चेहरे पर बिना कोई एक्सप्रेशन लाए सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अपनी चूत में अपने बाप के लंड का सुपाड़ा फंसाकर कर (जिस सुपाड़े को अभी कुछ देर पहले अपनी नाक से रगड़ रगड़कर सूंघ रही थी) उपासना जरा भी नहीं सिसकी।

बस वह अपने बाप की आंखों में घूरती रही ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में घूरते हुए अपने लंड पर और दबाव बनाया तो सोमनाथ को महसूस हुआ कि इसके आगे उपासना अपनी चीख नहीं रोक पाएगी या उसके मुंह से सिसकारी निकल जाएगी तो सोमनाथ रुक गया और उसकी आंखों में घूरता ही रहा जैसे कि पूछ रहा हो कि डाल दूं तेरी चूत में यह लंड, कर दूं तेरी चुदाई, भर दूं तेरी चूत को अपने लोड़े से।

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सोमनाथ को उपासना की तरफ से कोई इशारा आने की उम्मीद थी लेकिन यह उम्मीद टूट गई जब 2 मिनट तक चूत में लंड का सुपाड़ा फसाकर उपासना उसकी आंखों में ऐसे ही घूरती रही बिना कोई इशारा किये।

अब सोमनाथ भी उसकी आंखों में घूरते हुए सोचने लगा की चीख तो दबाव देने से निकलेगी और वैसे भी निकलेगी और ऐसा सोच कर उपासना की आंखों में खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए , उपासना की चूत पर अपना हाथ ले गया और उपासना की चूत के पानी में अपना हाथ गीला करके अपने बाकी बचे लंड पर लगाने लगा।

सुपाड़ा उपासना की चूत में फंसा हुआ था पूरा लंड भी गीला कर लिया था सोमनाथ ने ।

उपासना की आंखों में बिल्कुल ऐसे ही घूरते हुए कुछ सेकंड तक देखा जैसे अभी भी उसके आखिरी इशारे की प्रतीक्षा कर रहा हो लेकिन उपासना की तरफ से कोई इशारा नहीं बस उपासना की भूखी आंखें उसे घूरे जा रही थी।

सोमनाथ अपने दोनों हाथों से उपासना के घुटने उसकी छाती से मिला दिए।

अपने हाथों से उपासना की जांघों पर वजन रखते हुए उसके ऊपर झुक कर उपासना की आंखों में घूरते हुए अपनी पूरी जान से सोमनाथ में झटका मारा।


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झटका इतनी जान से मारा गया था एक बार में ही आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में जा फंसा और अपनी चूत में फंसा हुआ आधे से ज्यादा लोड़ा महसूस करते ही उपासना की चीख उस कमरे में गूंज गई ।

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दोस्तों ठीक ऐसा लगा था जैसे कोई गरम कुतिया गला फाड़ कर चीखी हो aaaaaaahhhhhhhh......margayiiiiiiiiiiiaaaaaahhhhhhssshh.....
और यहां पर इस तरह से उपासना और सोमनाथ की आंखों का कनेक्शन टूट गया ।
और उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।।

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दोस्तों जैसा कल वादा किया था कि कल अपडेट जरूर दूंगा तो आज यह वादा पूरा करके लिख दिया है update लेकिन अब मुझे चिंता होने लग गई है कि लोग मुझ पर सही हंसते हैं , मुझे सही गालियां देते हैं क्योंकि यह स्टोरी पता नहीं क्यों आगे बढ़ ही नहीं रही है ।
इतनी देर लिखने के बाद भी इनका उपासना और सोमनाथ का प्रोग्राम पूरा नहीं हो सका । माफी चाहता हूं चिंता मुझे इस बात की है कि मैं इस कहानी को पूरा कैसे करूंगा क्योंकि अभी तो इसकी शुरुआत ही हुई है । कहीं हद से ज्यादा लंबी ना हो जाये यह कहानी । चलो देखते हैं क्या होता है वैसे अपनी राय और सुझाव जरूर दीजिएगा यार बहुत ज्यादा समय खर्च करता हूँ एक update लिखने में ।

********बढ़िया h
बहोत अच्छा लगा पढ़ कर 👍🏻😊
 

asha10783

Shy mermaid
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नशा सा चढ़ गया हे इस अपडेट को पढ़ने से मस्त है जी 😊
इतना सुन कर पूजा जिसे ऐसा करने मे काफ़ी लाज़ लग रही थी उसने सबसे पहले अपनी आँखें ही बंद कर ली फिर मुँह को और चौड़ा किया और जीभ को बाहर कर ली जिससे उसके मुँह मे एक बड़ा सा रास्ता तैयार हो गया.

धर्मवीर ने एक नज़र से उसके मुँह के अंदर देखा तो पूजा के गले की कंठ एक दम सॉफ दीख रही थी। मुँह के अंदर जीभ, दाँत और मंसुड़ों मे थूक फैला भी सॉफ दीख रहा था ।

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धरवीर- मुँह ऐसे ही चौड़ा रखना समझी ,बंद मत करना । अब तुम्हारे मुँह के अंदर की लाज़ मैं अपने लंड से ख़त्म कर दूँगा और तुम भी एक बेशर्म औरत की तरह गंदी बात अपने मुँह से निकाल सकती हो । यानी एक मुँहफट बन जाओगी । और बिना मुँह मे लंड लिए कोई औरत यदि गंदी बात बोलती है तो उसे पाप पड़ता है । गंदी बात बोलने या मुँहफट होने के लिए कम से कम एक बार लंड को मुँह मे लेना ज़रूरी होता है ।

अगले पल धर्मवीर ने बगल मे बैठी हुई पूजा के सर पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपने लंड को पूजा के हाथ से ले कर लंड के उपर पूजा का चौड़ा किया हुआ मुँह लाया और खड़े और तननाए लंड को पूजा के चौड़े किए हुए मुँह के ठीक बीचोबीच निशाना लगाते हुए मुँह के अंदर तेज़ी से ठेल दिया और पूजा के सिर को भी दूसरे हाथ से ज़ोर से दबा कर पकड़े रहे।

लंड चौड़े मुँह मे एकदम अंदर घुस गया और लंड का सुपाड़ा पूजा के गले के कंठ से टकरा गया और पूजा घबरा गयी और लंड निकालने की कोशिस करने लगी लेकिन धर्मवीर उसके सिर को ज़ोर से पकड़े थे जिस वजह से वह कुछ कर नही पा रही थी।

धर्मवीर अगले पल अपने कमर को उछाल कर पूजा के गले मे लंड चाँप दिए और पूजा को ऐसा लगा कि उसकी साँस रुक गयी हो और मर जाएगी ।
इस तड़फ़ड़ाहट मे उसके आँखों मे आँसू आ गये और लगभग रोने लगी और लंड निकालने के लिए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ना चाही लेकिन लंड का काफ़ी हिस्सा मुँह के अंदर घुस कर फँस गया था और उसके हाथ मे लंड की जड़ और झांटें और दोनो गोल गोल अंडे ही आए और पूजा के नाक तो मानो धर्मवीर के झांट मे दब गयी थी ।

पूजा की कोसिस बेकार हो जा रही थी क्योंकि धर्मवीर ने पूजा के सर के बॉल पकड़ कर उसे अपने लंड पर दबाए थे और अपनी कमर को उछाल कर लंड मुँह मे ठेल दे रहे थे ।

दूसरे पल पंडित जी पूजा के सिर पर के हाथ को हटा लिए और पूजा तुरंत अपने मुँह के अंदर से लंड को निकाल कर खांसने लगी और अपने दोनो हाथों से आँखों मे आए आँसुओं को पोंछने लगी ।

इधर लंड मुँह के अंदर से निकलते ही लहराने लगा। लंड पूजा के थूक और लार से पूरी तरह नहा चुका था ।

धर्मवीर खाँसते हुए सावित्री से बोले - चलो तुम्हारे गले के कंठ को अपने लौड़े से चोद दिया है अब तुम किसी भी असलील और गंदे शब्दों का उच्चारण कर सकती हो और एक बढ़िया मुहफट बन सकती हो ।
मुहफट औरतें बहुत मज़ा लेती हैं । आगे बोले - औरतों को जीवन मे कम से कम एक बार मर्द के लंड से अपने गले की कंठ को ज़रूर चुदवाना चाहिए . इसमे थोडा ज़ोर लगाना पड़ता है .ताकि लंड का सुपाड़ा गले के कंठ को छू सके और कंठ मे असलीलता और बेशर्मी का समावेश हो जाए।

पूजा अभी भी खांस रही थी और धर्मवीर की बातें चुपचाप सुन रही थी। धर्मवीर के गले मे लंड के ठोकर से कुछ दर्द हो रहा था ।फिर पूजा की नज़रें धर्मवीर के टंटनाये लंड पर पड़ी जो की थूक और लार से पूरा भीग चुका था।

धर्मवीर बोला - मैने जो अभी तेरे साथ किया है इसे कंठ चोदना कहते हैं । और जिस औरत की एक बार कंठ चोद दी जाती है वह एक काफ़ी रंगीन और बेशरम बात करने वाली हो जाती है। ऐसी औरतों को मर्द बहुत चाहतें हैं । ऐसी औरतें गंदी और अश्लील कहानियाँ भी खूब कहती हैं जिसे मर्द काफ़ी चाव से सुनते हैं । वैसे कंठ की चुदाई जवानी मे ही हो जानी चाहिए। आजकल कंठ की चुदाई बहुत कम औरतों की हो पाती है क्योंकि बहुत लोग तो यह जानते ही नही हैं समझी । अब तू मज़ा कर पूरी जिंदगी ।


पूजा के मन मे डर था कि फिर से कहीं लंड को गले मे ठूंस ना दें इस वजह से वह लौड़े के तरफ तो देख रही थी लेकिन चुपचाप बैठी थी ।

तभी धर्मवीर बोले - चलो मुँह फिर चौड़ा कर , घबरा मत इस बार केवल आधा ही लंड मुँह मे पेलुँगा । अब दर्द नही होगा । मुँह मे लंड को आगे पीछे कर के तुम्हारा मुँह चोदुन्गा जिसे मुँह मारना कहतें हैं । यह भी ज़रूरी है तुम्हारे लिए इससे तुम्हारी आवाज़ काफ़ी सुरीली होगी ।चलो मुँह खोलो ।

पूजा ने फिर अपना मुँह खोला लेकिन इस बार सजग थी की लंड कहीं फिर काफ़ी अंदर तक ना घूस जाए।

धर्मवीर ने पूजा के ख़ूले मुँह मे लंड बड़ी आसानी से घुसाया और लंड कुछ अंदर घुसने के बाद उसे आगे पीछे करने के लिए कमर को बैठे ही बैठे हिलाने लगे और पूजा के सिर को एक हाथ से पकड़ कर उपर नीचे करने लगे। उनका गोरे रंग का मोटा और तनतनाया हुआ लंड पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे होने लगा ।

पूजा के जीभ और मुँह के अंदर तालू से लंड का सुपाड़ा रगड़ाने लगा वहीं पूजा के मुँह के दोनो होंठ लंड की चमड़ी पर कस उठी थी मानो मुँह के होंठ नही बल्कि चूत की होंठ हों।

धर्मवीर एक संतुलन बनाते हुए एक लय मे मुँह को चोदने लगे।


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धर्मवीर बोले - ऐसे ही रहना इधर उधर मत होना । बहुत अच्छे तरीके से तेरा मुँह मार रहा हूँ । साबाश ।
इसके साथ ही उनके कमर का हिलना और पूजा के मुँह मे लंड का आना जाना काफ़ी तेज होने लगा।
पूजा को भी ऐसा करवाना बहुत अच्छा लग रहा था. ।
उसकी चूत मे लिसलिसा सा पानी आने लगा ।
पूजा अपने मुँह के होंठो को धर्मवीर के पिस्टन की तरह आगे पीछे चल रहे लंड पर कस ली और मज़ा लेने लगी ।
अब पूरा का पूरा लंड और सुपाड़ा मुँह के अंदर आ जा रहा था ।
कुछ देर तक धर्मवीर ने पूजा के मुँह को ऐसे ही चोदते रहे और पूजा की चूत मे चुनचुनी उठने लगी ।

वह लाज के मारे कैसे कहे की चूत अब तेज़ी से चुनचुना रही है मानो चीटिया रेंग रही हों । अभी भी लंड किसी पिस्टन की तरह पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे हो रहा था, लेकिन चूत की चुनचुनाहट ज़्यादे हो गयी और पूजा के समझ मे नही आ रहा था कि धर्मवीर के सामने ही कैसे अपनी चुनचुना रही चूत को खुज़लाए ।
इधर मुँह मे लंड वैसे ही आ जा रहा था और चूत की चुनचुनाहट बढ़ती जा रही थी ।

आख़िर पूजा का धीरज टूटने लगा उसे लगा की अब चूत की चुनचुनाहट मिटाने के लिए हाथ लगाना ही पड़ेगा ।
और अगले पल ज्योन्हि अपने एक हाथ को चूत के तरफ ले जाने लगी और धर्मवीर की नज़र उस हाथ पर पड़ी और कमरे मे एक आवाज़ गूँजी।

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धर्मवीर - रूक चूत पर हाथ मत लगाना । लंड मुँह से निकाल और चटाई पर लेट जा । तैयार हो गई है तू अब लंड है तू अब लंड खाने के लिए। हाथ से इस चूत की बेईजती मत कर इस चूत की रगड़ाई तो मैं अपने लंड से करूंगा । अपनी चूत के पानी को अपने हाथ पर खराब मत कर इससे तो मैं अपना लौड़ा नहलाऊंगा आज । तू क्या सोच रही है कि मैं बस तुझे ही ठंडा करूं कुतिया। मुझे ठंडा कौन करेगा मैं तेरी चूत के पानी से ही तो ठंडा होना चाहता हूं ।
इसे बेकार मत कर मुझे नहला अपनी चूत के पानी में । देखूं तो कि बहन की बहन भी रंडी ही है या कोई सती सावित्री है । सती सावित्री तो तू नहीं हो सकती क्योंकि तेरे लंड की भूख भूख तेरी आंखों में दिख रही है । तू तो वह गरम कुतिया है जिसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर चूत में लंड भकाभक पेला जाए।

पूजा का हाथ तो वहीं रुक गया लेकिन चूत की चुनचुनाहट नही रुकी और बढ़ती गयी ।

धर्मवीर जी का आदेश पा कर पूजा ने मुँह से लंड निकाल कर तुरंत चटाई पर लेट गयी। और बर की चुनचुनाहट कैसे ख़त्म होगी यही सोचने लगी और एक तरह से तड़पने लगी।

धर्मवीर लपक कर पूजा के दोनो जांघों के बीच ज्योहीं आए की पूजा ने अपने दोनो मोटी और लगभग गदरायी जांघों को चौड़ा कर दी और दूसरे पल धर्मवीर ने अपने हाथ के बीच वाली उंगली को चूत के ठीक बीचोबीच लिसलिशसाई चूत मे गच्च.. की आवाज़ के साथ पेल दिया और धर्मवीर की गोरे रंग की बीच वाली लंबी उंगली जो मोटी भी थी पूजा के एकदम से काले और भैंस की तरह झांटों से भरी चूत मे आधा से अधिक घूस कर फँस सा गयी ।

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पूजा लगभग चीख पड़ी और अपने बदन को मरोड़ने लगी ।
धर्मवीर अपनी उंगली को थोड़ा सा बाहर करके फिर चूत में घुसेड़ दिए और अब गोरे रंग की उंगली काली रंग की चूत मे पूरी की पूरी घूस गयी ।

धर्मवीर ने पूजा की काली चूत मे फँसी हुई उंगली को देखा और महसूस किया कि फूली हुई चूत जो काफ़ी लिसलिसा चुकी थी , अंदर काफ़ी गर्म थी और चूत के दोनो काले काले होंठ भी फड़फड़ा रहे थे ।

चटाई मे लेटी पूजा की साँसे काफ़ी तेज थी और वह हाँफ रही थी साथ साथ शरीर को मरोड़ रही थी ।

धर्मवीर चटाई मे सावित्री के दोनो जांघों के बीच मे बैठे बैठे अपनी उंगली को चूत में फँसा कर उसकी काली रंग की फूली हुई चूत की सुंदरता को निहार रहे थे कि चटाई मे लेटी और हाँफ रही पूजा ने एक हाथ से धर्मवीर की चूत मे फँसे हुए उंगली वाले हाथ को पकड़ ली ।

धर्मवीर की नज़र पूजा के चेहरे की ओर गयी तो देखे कि वह अपनी आँखें बंद करके मुँह दूसरे ओर की है एर हाँफ और कांप सी रही थी।
तभी पूजा के इस हाथ ने धर्मवीर के हाथ को चूत मे उंगली आगे पीछे करने के लिए इशारा किया ।

पूजा का यह कदम एक बेशर्मी से भरा था । वह अब लाज़ और शर्म से बाहर आ गयी थी।

धर्मवीर समझ गये की चूत काफ़ी चुनचुना रही है इसी लिए वह एकदम बेशर्म हो गयी है ।

और इतना देखते ही धर्मवीर ने अपनी उंगली को काली चूत मे कस कस कर आगे पीछे करना शुरू किया ।
पूजा ने कुछ पल के लिए अपने हाथ धर्मवीर के हाथ से हटा लिया ।
धर्मवीर पूजा की चूत अब अपने हाथ के बीच वाली उंगली से कस कस कर चोद रहे थे ।
अब पूजा ने अपने जाँघो को काफ़ी चौड़ा कर दीया ।पूजा की जांघे तो साँवली थी लेकिन जाँघ के चूत के पास वाला हिस्सा काला होता गया था और जाँघ के कटाव जहाँ से चूत की झांटें शुरू हुई थी, वह काला था और चूत की दोनो फांके तो एकदम से ही काली थी जिसमे धर्मवीर का गोरे रंग की उंगली गच्च गच्च जा रही थी ।
जब उंगली चूत मे घूस जाती तब केवल हाथ ही दिखाई पड़ता और जब उंगली बाहर आती तब चूत के काले होंठो के बीच मे कुछ गुलाबी रंग भी दीख जाती थी ।
धर्मवीर काली और फूली हुई झांटों से भरी चूत पर नज़रें गढ़ाए अपनी उंगली को चोद रहे थे कि पूजा ने फिर अपने एक हाथ से धर्मवीर के हाथ को पकड़ी और चूत मे तेज़ी से खूद ही चोदने के लिए जोर लगाने लगी ।

पूजा की यह हरकत काफ़ी गंदी और अश्लील थी लेकिन धर्मवीर समझ गये कि अब पूजा झड़ने वाली है और उसका हाथ धर्मवीर के हाथ को पकड़ कर तेज़ी से चूत मे चोदने की कोशिस करने लगी जिसको देखते धर्मवीर अपने उंगली को पूजा की काली चूत मे बहुत ही तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।


पूजा धर्मवीर के हाथ को बड़ी ताक़त से चूत के अंदर थेल रही थी लेकिन केवल बीच वाली उंगली ही चूत मे घूस रही थी ।

अचानक पूजा तेज़ी से सिसकाते हुए अपने पीठ को चटाई मे एक धनुष की तरह तान दी और कमर का हिस्सा झटके लेने लगा ही था की पूजा चीख पड़ी - आररीए माई री माईए सी उउउ री माएई रे बाप रे ...आअहह ।
और धर्मवीर के उंगली को चूत ने मानो कस लिया । और गर्म गर्म रज चूत मे अंदर से निकलने लगा और धर्मवीर की उंगली भींग गयी ।
फिर धर्मवीर के हाथ पर से पूजा ने अपने हाथ हटा लिए और चटाई मे सीधी लेट कर आँखे बंद कर के हाँफने लगी।

धर्मवीर ने देखा की पूजा अब झाड़ कर शांत हो रही है ।
फिर चूत मे से अपने उंगली को बाहर निकाले जिसपर सफेद रंग का कमरस यानी रज लगा था और बीच वाली उंगली के साथ साथ बगल वाली उंगलियाँ भी चूत के लिसलिसा पानी से भीग गये थे।

धर्मवीर की नज़र जब पूजा की चूत पर पड़ी तो देखा की चूत की दोनो होंठ कुछ कांप से रहे थे , और चूत का मुँह, अगल बगल के झांट भी लिसलिस्से पानी से भीग गये थे ।

तभी बीच वाली उंगली के उपर लगे कमरस को धर्मवीर अपने मुँह मे ले कर चाटने लगे और पूजा की आँखें बंद थी लेकिन उसके कान मे जब उंगली चाटने की आआवाज़ आई तो समझ गयी की धर्मवीर फिर चूत वाली उंगली को चाट रहे होंगे ।
और यही सोच कर काफ़ी ताक़त लगाकर अपनी आँखे खोली तो देखी की धर्मवीर अपनी बीच वाली उंगली के साथ साथ अगल बगल की उंगलिओ को भी बड़े चाव से चाट रहे थे ।
उंगलिओ को चाटने के बाद पूजा ने देखा की धर्मवीर बीच वाली उंगली को सूंघ भी रहे थे ।
फिर पूजा की चूत की तरफ देखे और उंगली चुदाई का रस और चूत के अंदर से निकला रज कुछ चूत के मुँह पर भी लगा था।

पूजा अपने दोनो मोटी मोटी साँवले रंग के जांघों को जो को फैली हुई थी , आपस मे सटना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसकी चूत को काफ़ी ध्यान से देख रहे थे और दोनो जांघों के बीच मे ही बैठे थे और इन दोनो बातों को सोच कर पूजा वैसे ही जांघे फैलाए ही लेटी रही।

पूजा अब धर्मवीर के चेहरे की ओर देख रही थी ।झड़ जाने के वजह से हाँफ रही थी । तभी उसकी नज़र उसकी जांघों के बीच मे बैठे धर्मवीर के लंड पर पड़ी जो अभी भी एक दम तनतनाया हुआ था और उसकी छेद मे से एक पानी का लार टपाक रही थी ।

अचानक धर्मवीर एक हाथ से पूजा की चूत के झांटों को जो बहुत ही घनी थी उसपर हाथ फिराया और चूत पर लटकी झांटें कुछ उपर की ओर हो गयीं और चूत का मुँह अब सॉफ दिखाई देने लगा। फिर भी चूत के काले होंठो के बाहरी हिस्से पर भी कुछ झांट के बॉल उगे थे जिसे धर्मवीर ने अपनी उंगलिओ से दोनो तरफ फैलाया और अब चूत के मुँह पर से झांटें लगभग हट गयीं थी।

धर्मवीर ऐसा करते हुए पूजा की काली काली चूत के दोनो होंठो को बहुत ध्यान से देख रहे थे और पुजा चटाई मे लेटी हुई धर्मवीर के मुँह को देख रही थी और सोच रही थी की धर्मवीर कितने ध्यान से उसकी चूत के हर हिस्से को देख रहे हैं और झांट के बालों को भी काफ़ी तरीके से इधर उधर कर रहे है।


धर्मवीर का काफ़ी ध्यान से चूत को देखना पूजा को यह महसूस करा रहा था की उसकी जांघों के बीच के चूत की कितनी कीमत है और धर्मवीर जैसे लोंगों के लिए कितना महत्व रखती है ।
यह सोच कर उसे बहुत खुशी और संतुष्टि हो रही थी।
पूजा को अपने शरीर के इस हिस्से यानी चूत की कीमत समझ आते ही मन आत्मविश्वास से भर उठा।


धर्मवीर अभी भी उसकी चूत को वैसे ही निहार रहे थे और अपने हाथ की उंगलिओ से उसकी चूत के दोनो फांकों को थोड़ा सा फैलाया और अंदर की गुलाबी हिस्से को देखने लगे।


पूजा भी धर्मवीर की लालची नज़रों को देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी की उसकी चूत की कीमत कितनी ज़्यादा है और धर्मवीर ऐसे देख रहे हैं मानो किसी भगवान का दर्शन कर रहे हों ।

तभी अचानक धर्मवीर को चूत के अंदर गुलाबी दीवारों के बीच सफेद पानी यानी रज दिखाई दे गया जो की पूजा के झड़ने के वजह से था।

धर्मवीर ने अब अगले कदम जो उठाया की पूजा को मानो कोई सपना दिख रहा हो ।
पूजा तो उछल सी गयी और उसे विश्वास ही नही हो रहा था। क्योंकि धर्मवीर अपने मुँह पूजा के चूत के पास लाए और नाक को चूत के ठीक बेचोबीच लगाकर तेज़ी से सांस अंदर की ओर खींचे और अपनी आँखे बंद कर के मस्त हो गये ।

चूत की गंध नाक मे घुसते ही धर्मवीर के शरीर मे एक नयी जवानी की जोश दौड़ गया।
फिर अगला कदम तो मानो पूजा के उपर बिजली ही गिरा दी।
धर्मवीर पूजा की चूत के मुँह को चूम लिए और पूजा फिर से उछल गयी।

पूजा को यकीन नही हो रहा था की धर्मवीर जैसे लोग जो की जात पात और उँछ नीच मे विश्वास रखते हों और उसकी पेशाब वाले रास्ते यानी चूतों को सूंघ और चूम सकते हैं ।
वह एक दम से आश्चर्या चकित हो गयी थी. उसे धर्मवीर की ऐसी हरकत पर विश्वास नही हो रहा था ।लेकिन यह सच्चाई थी।

पूजा अपने सहेलिओं से यह सुनी थी की आदमी लोग औरतों की चूत को चूमते और चाटते भी हैं लेकिन वह यह नही सोचती थी की धर्मवीर जैसे लोग भी उसकी चूत पर अपनी मुँह को लगा सकता हैं ।

पूजा चटाई पर लेटी हुई धर्मवीर के इस हरकत को देख रही थी और एकदम से सनसना उठी थी ।
उसके मन मे यही सब बाते गूँज ही रही थी कि धर्मवीर ने अगला काम शुरू कर ही दिया पूजा जो केवल धर्मवीर के सिर को की देख पा रही थी क्योंकि चटाई मे लेटे लेटे केवल सिर ही दिखाई पड़ रहा था ।

उसे महसूस हुआ की धर्मवीर क़ी जीभ अब चूत के फांकों पर फिर रही है और जीभ मे लगा थूक चूत की फांको पर भी लग रहा था ।

धर्मवीर के इस कदम ने पूजा को हिला कर रख दिया ।पूजा कभी सोची नही थी की धर्मवीर उसकी चूत को इतना इज़्ज़त देंगे ।
उसका मन बहुत खुश हो गया । उसे लगा की आज उसे जीवन का सबसे ज़्यादा सम्मान या इज़्ज़त मिल रहा है। वह आज अपने को काफ़ी उँचा महसूस करने लगी थी। उसके रोवे रोवे मे खुशी, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान भरने लगा । उसने अपने साँवले और मोटे मोटे जांघों को और फैला दी जिससे उसके पावरोटी जैसी फूली हुई चूत के काले काले दोनो होंठ और खूल गये और पंडित जी का जीभ दोनो फांकों के साथ साथ चूत की छेद मे भी घुसने लगा।

पूजा जो थोड़ी देर पहले ही झड़ गयी थी फिर से गर्म होने लगी और उसे बहुत मज़ा आने लगा ।
चुत पर जीभ का फिरना तेज होने लगा तो पूजा की गर्मी भी बढ़ने लगी।


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उसे जहाँ बहुत मज़ा आ रहा था वहीं उसे अपने चूत और शरीर की कीमत भी समझ मे आने लगी जिस वजह से आज उसे धर्मवीर इतने इज़्ज़त दे रहे थे ।

जब धर्मवीर चूत पर जीभ फेरते हुए सांस छोड़ते । तब सांस उनकी नाक से निकल कर सीधे झांट के बालों मे जा कर टकराती और जब सांस खींचते तब झांटों के साथ चूत की गंध भी नाक मे घूस जाती और धर्मवीर मस्त हो जाते ।

फिर धर्मवीर ने अपने दोनो हाथों से काली चूत के दोनो फांकों को फैला कर अपने जीभ को बुर छेद मे घुसाना शुरू किया तो पूजा का पूरा बदन झंझणा उठा । वह एक बार कहर उठी । उसे बहुत मज़ा मिल रहा था।
आख़िर धर्मवीर की जीभ चूत की सांकारी छेद मे घुसने की कोशिस करने लगी और चूत के फांकों के बीच के गुलाबी हिस्से मे जीभ घुसते ही पूजा की चूत एक नये लहर से सनसनाने लगी। और अब जीभ चूत के गुलाबी हिस्से मे घुसने के लिए जगह बनाने लगी ।
जीभ का अगला हिस्सा हो काफ़ी नुकीला जैसा था वह चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अब फैलाने और भी अंदर घुसने लगा था ।यह पूजा को बहुत सॉफ महसूस हो रहा था की धर्मवीर की जीभ अब उसकी चूत मे घूस रही है ।

पूजा बहुत खुस हो रही थी ।उसने अपने चूत को कुछ और उचकाने के कोशिस ज्योन्हि की धर्मवीर ने काफ़ी ज़ोर लगाकर जीभ को बुर के बहुत अंदर घुसेड दिया जी की चूत की गुलाबी दीवारों के बीच दब सा गया था । लेकिन जब जीभ आगे पीछे करते तब पूजा एकदम से मस्त हो जाती थी।

पूजा की मस्ती इतना बढ़ने लगी की वह सिसकारने लगी और चूत को धर्मवीर के मुँह की ओर ठेलने लगी थी। मानो अब कोई लाज़ शर्म पूजा के अंदर नही रह गई थी।


धर्मवीर समझ रहे थे की पूजा को बहुत मज़ा आ रहा है चूत को चटवाने मे. फिर पंडित जी ने अपने दोनो होंठो से चूत के दोनो फांकों को बारी बारी से चूसने लगे तो पूजा को लगा की तुरंत झड़ जाएगी ।


फिर धर्मवीर चूत की दोनो फांको को खूब चूसा जिसमे कभी कभी अगल बगल की झांटें भी धर्मवीर के मुँह मे आ जाती थी ।
दोनो फांकों को खूब चूसने के बाद जब पूजा की चूत के दरार के उपरी भाग मे दाना जो की किसी छोटे मटर के दाने की तरह था , मुँह मे लेकर चूसे तो पूजा एकदम से उछल पड़ी और धर्मवीर के सर को पकड़ कर हटाने लगी।


उसके शरीर मे मानो बिजली दौड़ गयी । पर धर्मवीर ने उसके दाने को तो अपने दोनो होंठो के बीच ले कर चूसते हुए चूत की दरार मे फिर से बीच वाली उंगली पेल दी और पूजा चिहूंक सी गयी और उंगली को पेलना जारी रखा।

दाने की चुसाई और उंगली की पेलाई से पूजा फिर से ऐंठने लगी और यह काम धर्मवीर तेज़ी से करते जा रहे थे नतीजा की पूजा ऐसे हमले को बर्दाश्त ना कर सकी और एक काफ़ी गंदी चीख के साथ झड़ने लगी । और धर्मवीर जी ने तुरंत उंगली को निकाल कर जीभ को फिर से चूत के गहराई मे थेल दिए और दाने को अपने एक हाथ की चुटकी से मसल दिया.

चूत से पानी निकल कर पंडित जी के जीभ पर आ गया और काँपति हुई पूजा के काली चूत मे घूसी धर्मवीर की जीभ चूत से निकल रहे रज को चाटने लगे और एक लंबी सांस लेकर मस्त हो गये ।


पूजा झाड़ कर फिर से हाँफ रही थी। आँखे बंद हो चुकी थी। मन संतुष्ट हो चुका था।

धर्मवीर अपना मुँह चूत के पास से हटाया और एक बार फिर चूत को देखा। वह भी आज बहुत खुस थे क्योंकि जवान और इस उम्र की काली चूत चाटना और रज पीना बहुत ही भाग्य वाली बात थी ।

पूजा भले ही सांवली थी लेकिन चूत काफ़ी मांसल और फूली हुई थी और ऐसी बुर बहुत कम मिलती है चाटने के लिए। ऐसी लड़कियो की चूत चाटने से मर्द की यौन ताक़त काफ़ी बढ़ती है । यही सब सोच कर फिर से चूत के फूलाव और काली फांकों को देख रहे थे ।

पूजा दो बार झाड़ चुकी थी इस लिए अब कुछ ज़्यादे ही हाँफ रही थी। लेकिन धर्मवीर जानते थे की पूजा का भरा हुआ गदराया शरीर इतना जल्दी थकने वाला नही है और इस तरह की गदराई और तन्दरूश्त लड़कियाँ तो एक साथ कई मर्दों को समहाल सकती हैं। फिर पूजा की जांघों के बीचोबीच आ गये और अपने खड़े और तननाए लंड को चूत की मुँह पर रख दिए।

लंड के सुपाड़े की गर्मी पाते ही पूजा की आँखे खूल गयी और कुछ घबरा सी गयी और धर्मवीर की ओर देखने लगी ।

दो बार झड़ने के बाद ही तुरंत लंड को चूत के मुँह पर भिड़ाकर धर्मवीर ने पूजा के मन को टटोलते हुए पूछा - चुदने का मन है ..या रहने दें...बोलो ?

पूजा जो की काफ़ी हाँफ सी रही थी और दो बार झाड़ जाने के वजह से बहुत संतुष्ट से हो गयी थी फिर भी चूत के मुँह पर दहकता हुआ लंड का सुपाड़ा पा कर बहुत ही धर्म संकट मे पड़ गयी ।
इस खेल मे उसे इतना मज़ा आ रहा था की उसे नही करने की हिम्मत नही हो रही थी। लेकिन कुछ पल पहले ही झड़ जाने की वजह से उसे लंड की ज़रूरत तुरंत तो नही थी लेकिन चुदाई का मज़ा इतना ज़्यादे होने के वजह से उसने धर्मवीर को मना करना यानी लंड का स्वाद ना मिलने के बराबर ही था ।
इस कारण वह ना करने के बजाय हा कहना चाहती थी यानी चुदना चाहती थी । लेकिन कुच्छ पल पहले ही झड़ने की वजह से शरीर की गर्मी निकल गयी थी और उसे हाँ कहने मे लाज़ लग रही थी । और वह चुदना भी चाहती थी।

पूजा ने देखा की धर्मवीर उसी की ओर देख रहे थे शायद जबाव के इंतजार मे।
पूजा के आँखें ज्योन्हि धर्मवीर की आँखों से टकराई की वह लज़ा गयी और अपने दोनो हाथों से अपनी आँखें मूंद ली और सिर को एक तरफ करके हल्का सा कुछ रज़ामंदी मे मुस्कुरई ही थी की धर्मवीर ने अपने लंड को अपने पूरे शरीर के वजन के साथ उसकी काली और कुच्छ गीली चूत मे ठेला ही था की पूजा का मुँह खुला - आरे बाअप रे माईए । और अपने एक हाथ से धर्मवीर का लंड और दूसरी हाथ से उनका कमर पकड़ने के लिए झपटी लेकिन तब तक धर्मवीर के भारी शरीर का वजन जो की अपने गोरे मोटे लंड पर रख कर काली रंग की फूली हुई चूत में घुसेड़ चुके थे और नतीज़ा की भारी वजन के वजह से आधा लंड पूजा की काली चूत मे घूस चुका था।


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अब पूजा के बस की बात नही थी की घूसे हुए लंड को निकाले या आगे घूसने से रोक सके । लेकिन पूजा का जो हाथ धर्मवीर के लंड को पकड़ने की कोशिस की वह उनका आधा ही लंड पकड़ सकी और पूजा को लगा मानो लंड नही बल्कि कोई गरम लोहे की छड़ हो।

अगले पल धर्मवीर अपने शरीर के वजन जो की अपने लंड के उपर ही रख सा दिया था , कुछ कम करते हुए लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा तो चूत से जितना हिस्सा बाहर आया उसपर बुर का लिसलिसा पानी लगा था।

अगले पल अपने शरीर का वजन फिर से लंड पर डालते हुए हुमच दिए और इसबार लंड और गहराई तक घूस तो गया लेकिन पुजा चटाई मे दर्द के मारे ऐंठने लगी.

धर्मवीर ने देखा की अब उनका गोरा और मोटा लंड झांटो से भरी चूत मे काफ़ी अंदर तक घूस कर फँस गया है तब अपने दोनो हाथों को चटाई मे दर्द से ऐंठ रही पूजा की दोनो गोल गोल साँवले रंग की चुचिओ पर रख कर कस के पकड़ लिया और मीज़ना शुरू कर दिया।


पूजा अपनी चुचिओ पर धर्मवीर के हाथ का मीसाव पा कर मस्त होने लगी और उसकी चूत मे का दर्द कम होने लेगा।
पूजा को बहुत ही मज़ा मिलने लगा। वैसे उसकी मांसल और बड़ी बड़ी गोल गोल चुचियाँ किसी बड़े अमरूद से भी बड़ी थी और किसी तरह धर्मवीर के पूरे हाथ मे समा नही पा रही थी।

धर्मवीर ने चुचिओ को ऐसे मीज़ना शुरू कर दिया जैसे आटा गूथ रहे हों। चटाई मे लेटी पूजा ऐसी चुचि मिसाई से बहुत ही मस्त हो गयी और उसे बहुत अच्छा लगने लगा था ।

उसका मन अब चूत मे धन्से हुए मोटे लंड को और अंदर लेने का करने लगा। लेकिन चटाई मे लेटी हुई आँख बंद करके मज़ा ले रही थी। कुछ देर तक ऐसे ही चुचिओ के मीसावट से मस्त हुई पूजा का मन अब लंड और अंदर लेने का करने लगा लेकिन धर्मवीर केवल लंड को फँसाए हुए बस चुचिओ को ही मीज़ रहे थे। चुचिओ की काली घुंडिया एक दम खड़ी और चुचियाँ लाल हो गयी थी।


पूजा की साँसे अब तेज चल रही थी। सावित्री को अब बर्दाश्त नही हो पा रहा था और उसे लंड को और अंदर लेने की इच्छा काफ़ी तेज हो गयी। और धीरज टूटते ही धर्मवीर के नीचे दबी हुई पूजा ने नीचे से ही अपने चूतड़ को उचकाया ।

धर्मवीर इस हरकत को समझ गये और अगले पल पूजा के इस बेशर्मी का जबाव देने के लिए अपने शरीर की पूरी ताक़त इकठ्ठा करके अपने पूरे शरीर को थोड़ा सा उपर की ओर उठाया तो लंड आधा से अधिक बाहर आ गया। और चुचिओ को वैसे ही पकड़े हुए एक हुंकार मारते हुए अपने लंड को चूत मे काफ़ी ताक़त से घुसेड़ दिया और नतीज़ा हुआ कि चूत जो चुचिओ की मीसावट से काफ़ी गीली हो गयी थी, लंड के इस जबर्दाश्त दबाव को रोक नही पाई और धर्मवीर के कसरती बदन की ताक़त से चांपा गया लंड चूत मे जड़ तक धँस कर काली चूत मे गोरा लंड एकदम से कस गया ।

चूत मे लंड की इस जबर्दाश्त घूसाव से पूजा मस्ती मे उछल पड़ी और चीख सी पड़ी "सी रे ....माई ... बहुत मज़ाअ एयेए राहाआ हाइईइ आअहह..."

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फिर धर्मवीर ने अपने लंड की ओर देखा तो पाया कि लंड का कोई आता पता नही था और पूरा का पूरा पूजा की काली और झांटों से भरी हुई चूत जो अब बहुत गीली हो चुकी थी, उसमे समा गया था।


धर्मवीर यह देख कर हंस पड़े और एक लंबी साँस छोड़ते हुए बोले - तू बड़ी ही गदराई हुई घोड़ी है । तेरी चूत अपनी बहन की तरह बड़ी ही रसीली और गरम है..तुझे चोद्कर तो मेरा मन यही सोच रहा कि तेरी बहन की गांड का भी स्वाद किसी दिन दोबारा पेल कर ले लू.....क्यों ....कुच्छ बोल ...।

पूजा जो चटाई मे लेटी थी और पूरे लंड के घूस जाने से बहुत ही मस्ती मे थी कुच्छ नही बोली क्योंकि धर्मवीर का मोटा लंड उसकी चूत के दीवारों के रेशे रेशे को खींच कर चौड़ा कर चुका था , और उसे दर्द के बजाय बहुत मज़ा मिल रहा था ।

धर्मवीर के मुँह से अपनी बहन उपासना के बारे मे ऐसी बात सुनकर उसे अच्च्छा नही लगा लेकिन मस्ती मे वह कुछ भी बोलना नही पसंद कर रही थी ।

बस उसका यही मन कर रहा था की धर्मवीर उस घूसे हुए मोटे लंड को आगे पीछे करें।

जब धर्मवीर ने देखा की पूजा ने कोई जबाव नही दिया तब फिर बोले - खूद तो चूत मे मोटा लौड़ा लील कर मस्त हो गयी है, और तेरी बहन के बारे मे कुछ बोला तो तेरे को बुरा लग रहा है साली हराम्जादि कहीं की । वो बेचारी विधवा का भी तो मन करता होगा कि किसी मर्द के साथ अपना मन शांत कर ले । लेकिन लोक लाज़ से और शरीफ है इसलिए बेचारी अपना जीवन घूट घूट कर जी रही है । क्यों ...बोलो सही कहा की नहीं ।


इतना कहते ही अगले पल धर्मवीर ने पूजा की दोनो चोचिओ को दोनो हाथों से थाम कर ताच.. ताच्छ... पेलना शुरू कर दिया।

धर्मवीर का गोरा और मोटा लंड जो चूत के लिसलिस्से पानी से अब पूरी तरीके से भीग चुका था, पूजा के झांटों से भरी काली चूत के मुँह मे किसी मोटे पिस्टन की तरह आगे पीछे होने लगा।

चूत का कसाव लंड पर इतना ज़्यादा था कि जब भी लंड को बाहर की ओर खींचते तब लंड की उपरी हिस्से के साथ साथ चूत की मांसपेशियाँ भी बाहर की ओर खींच कर आ जाती थी । और जब वापस लंड को चूत मे चाम्पते तब चूत के मुँह का बाहरी हिस्सा भी लंड के साथ साथ कुच्छ अंदर की ओर चला जाता था । लंड मोटा होने की वजह से चूत के मुँह को एकदम से चौड़ा कर के मानो लंड अपने पूरे मोटाई के आकार का बना लिया था ।

पूजा ने धर्मवीर के दूसरी बात को भी सुनी लेकिन कुछ भी नही बोली। वह अब केवल चुदना चाह रही थी । लेकिन धर्मवीर कुच्छ धक्के मारते हुए फिर बोल पड़े - मेरी बात तुम्हे ज़रूर खराब लगी होगी , क्योंकि मैने गंदे काम के लिए बोला । लेकिन तेरी दोनो जांघों को चौड़ा करके आज तेरी चूत चोद रहा हूँ । ये तुम्हें खराब नही लग रहा है....तुम्हे मज़ा मिल रहा है..शायद ये मज़ा तेरी बहन को भी मिले यह तुम्हे पसंद नही । दुनिया बहुत मतलबी है ।और तू भी तो इसी दुनिया की है ।

और इतना बोलते ही धर्मवीर हुमच हुमच कर चोदने लगे और पूजा ने उनकी ये बात सुनी लेकिन उसे अपने चूत को चुदवाना बहुत ज़रूरी था इसलिए बहन के बारे मे धर्मवीर के कहे बात पर ध्यान नही देना ही सही समझी ।

और अगले पल चूत मे लगी आग को बुझाने के लिए हर धक्के पर अपने चौड़े और सांवले रंग के दोनो चूतड़ों को चटाई से उपर उठा देती थी क्योंकि धर्मवीर के मोटे लंड को पूरी गहराई मे घूस्वा कर चुदवाना चाह रही थी पूजा।


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धर्मवीर के हर धक्के के साथ पूजा की चूत पूरी गहराई तक चुद रही थी । धर्मवीर का सुपाड़ा पूजा की चूत की दीवार को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था।


पूजा जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही हो ।धर्मवीर हर धाक्के को अब तेज करते जा रहे थे। लंड जब चूत मे पूरी तरह से अंदर धँस जाता तब धर्मवीर के दोनो टट्टे पूजा की गांड पर टकरा जाते थे ।

कुछ देर तक धर्मवीर पूजा को चटाई मे कस कस कर चोद्ते रहे । उनका लंड पूजा की कसी बुर मे काफ़ी रगड़ के साथ घूस्ता और निकलता था ।
मानो उस कसी हुई चूत को ढीला करने की कसम खायी हुई थी धर्मवीर ने ।

धर्मवीर को भी कसी हुई चूत का पूरा मज़ा मिल रहा था तो वहीं पूजा को भी धर्मवीर के कसरती शरीर और मोटे लंबे और तगड़े लंड का मज़ा खूब मिल रहा था। कमरे मे फच्च फच्च की आवाज़ भरने लगी।

पूजा के चूतड़ अब उपर की ओर उठने लगे और हर धक्के के साथ चटाई मे दब जाते थे । चूत से पानी भी निकलना काफ़ी तेज हो गया था इस वजह से चूत का निकला हुआ पानी पूजा की गांड की दरार से होता हुआ चटाई पर एक एक बूँद चूना शुरू हो गया ।


पूजा अब सिसकारने लगी थी ।
अचानक पूजा के शरीर मे एक ऐंठन शुरू होने लगी ही थी की धर्मवीर ने पूजा को कस कर जाकड़ लिया और उसकी गीली और चू रही काली चूत को काफ़ी तेज़ी से चोदने लगे । चुदाइ इतनी तेज होने लगी कि चूत से निकलने वाला पानी अब चूत के मुँह और लंड पर साबुन की तरह फैलने लगा।


जब लंड बाहर आता तब उसपर सफेद रंग के लिसलिसा पानी अब साबुन की झाग की तरह फैल जाता था ।

धर्मवीर पूजा को काफ़ी तेज़ी से चोद रहे थे लेकिन फिर पूजा गिड़गिडाना शुरू कर दी "...सीई....और....तेज...जी धर्मवीर जी ....जल्दी ...जल्दी........आह ।

धर्मवीर के कान मे ये शब्द पड़ते ही उनके शरीर मे झटके दार ऐंठन उठने लगी उनका कमर का हिस्सा अब झटका लेना शुरू कर दिया क्योंकि धर्मवीर जी के दोनो आंडों से वीर्य की एक तेज धारा चल पड़ी और धर्मवीर ने अपने पूरे शरीर की ताक़त लगाकर धक्के मारना शुरू कर दिया ।

अगले पल धर्मवीर पूजा के कमर को कस लिए और अपने लंड को चूत के एकदम गहराई मे चाँप कर लंड का अगला हिस्सा चूत की तलहटी मे पहुँचा दिया और लंड के छेद से एक गर्म वीर्य के धार तेज़ी से निकल कर ज्योन्हि चूत के गहराई मे गिरा कि पूजा वीर्य की गर्मी पाते ही चीख सी पड़ी " एयेए ही रे माइ रे बाप ...रे...बाप...आरी धर्मवीर बहुत मज़ा ....आ रा..हा ही रे मैया..." और पूजा की चूत से वीर्य निकल कर लंड पर पड़ने लगा ।

धर्मवीर का लंड काफ़ी देर तक झटके ले ले कर वीर्य को चूत मे उडेल रहा था । लगभग पूरी तरीके से झड़ जाने के बाद धर्मवीर ने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और अगले पल वापस चूत मे घुसेड़कर वीर्य की आख़िरी बूँद भी उडेल दी ।

अब दोनो हाँफ रहे थे और धर्मवीर ने पूजा के उपर से हट कर लंड को चूत से बाहर खींचा और चुदाइ के रस से भीग कर सना हुए लंड के बाहर आते ही चूत की दोनो काली फाँकें फिर से सटने की कोशिस करने लगी लेकिन अब चूत का मुँह पहले से कहीं और खूल कर फैल सा गया था ।

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चूत की सूरत पूरी बदल चुकी थी ।धर्मवीर चूत पर एक नज़र डाले और अगले पल पूजा की दोनो जांघों के बीच से हट कर खड़े हो गये ।

पूजा अपनी दोनो जांघों को आपस मे सटाते हुए अपनी नज़र धर्मवीर के अभी भी कुछ खड़े लंड पर डाली जो की चुदाई रस से पूरी तरह से सना था। धर्मवीर ने अगले पल पूजा की पैंटी को उठाया और अपने लंड के उपर लगे चुदाई रस को पोच्छने लगे ।

पूजा ऐसा देख कर एक दम से घबरा सी गयी । लंड पर काफ़ी ज़्यादे मात्रा मे चुदाई रस लगे होने से पैंटी लगभग भीग सी गयी ।


धर्मवीर लंड पोच्छने के बाद पूजा की ओर पैंटी फेंकते हुए बोला - ले अपनी चूत को पोंच्छ कर इसे पहन लेना और कल सुबह नहाते समय ही इसे धोना...समझी ।


पैंटी पर पूजा का हाथ पड़ते ही उसकी उंगलियाँ गीले पैंटी से भीग सी गयी । लेकिन धर्मवीर अब चटाई पर बैठ कर पूजा की ओर देख रहे थे और पूजा कई बार झाड़ जाने के वजह से इतनी थक गयी थी चटाई पर से उठने की हिम्मत नही हो रही थी ।

धर्मवीर के कहने के अनुसार पूजा ने पैंटी को हाथ मे लेकर चटाई मे उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत और झांटों मे लगे चुदाई रस को पोछने लगी । लेकिन पैंटी मे धर्मवीर के लंड पर का लगा चुदाई रस पूजा के पोंछने के जगह पर लगने लगा ।

फिर पूजा उठी और चूत को धोने और मूतने के लिए जैसे ही बाथरूम तरफ बढ़ी की धर्मवीर ने चटाई पर लेटते हुए कहा - चूत को आज मत धोना और इस पैंटी को पहन ले ऐसे ही और कल ही इसे भी धोना । इसकी गंध का भी तो मज़ा लेले घोड़ी ।


पूजा के कान मे ऐसी अजीब सी बात पड़ते ही सन्न रह गयी लेकिन उसे पेशाब तो करना ही था इस वजह से वह बाथरूम के तरफ एकदम नंगी ही बढ़ी तो धर्मवीर की नज़र उसके चौड़े चौड़े दोनो चूतड़ों पर पड़ी और वे भी एकदम से नंगे चटाई पर लेटे हुए अपनी आँख से मज़ा लूट रहे थे।

पूजा जब एक एक कदम बढ़ाते हुए बाथरूम के ओर जा रही थी तब उसे महसूस हुआ की उसकी चूत मे हल्का मीठा मीठा दर्द हो रहा था ।
बाथरूम के अंदर जा कर जैसे ही पेशाब करने बैठी तभी उसकी दोनो जांघों और घुटनों मे भी दर्द महसूस हुआ। उसने सोचा कि शायद काफ़ी देर तब धर्मवीर ने चटाई मे चुदाई किया है इसी वजह से दर्द हो रहा है।
लेकिन अगले पल ज्योन्हि वीर्य की बात मन मे आई वह फिर घबरा गयी और पेशाब करने के लिए ज़ोर लगाई । पूजा ने देखा की वीर्य की हल्की सी लार चूत के छेद से चू कर रह गयी और अगले पल पेशाब की धार निकलने लगी ।

पेशाब करने के बाद पूजा ज़ोर लगाना बेकार समझी क्योंकि चूत से वीर्य बाहर नही आ पा रहा था। उसके मन मे धर्मवीर के वीर्य से गर्भ ठहरने की बात उठते ही फिर से डर गयी और पेशाब कर के उठी और ज्योन्हि बाहर आई तो उसकी नज़र धर्मवीर पर पड़ी जो की कमरे मे नंगे खड़े थे और पूजा के बाहर आते ही वो भी बाथरूम मे घूस गये और हल्की पेशाब करने के बाद अपने लंड को धो कर बाहर आए ।

तबतक पूजा अपनी गीली पैंटी को पहन ली जो की उसे ठंढी और धर्मवीर के वीर्य और चूत के रस की गंध से भरी हुई थी।
धर्मवीर ने एक टैबलेट के पत्ते को निकाला और अपनी सलवार को पहन रही पूजा से बोला - कपड़े पहन कर इस दवा के बारे मे जान लो ।

पूजा की नज़र उस दवा के पत्ते पर पड़ते ही उसकी सारी चिंता ख़त्म हो गयी थी ।उसने अपने ब्रा और समीज़ जो जल्दी से पहन कर दुपट्टे से अपनी दोनो हल्की हल्की दुख रही चुचिओ को ढक कर धर्मवीर के पास आ कर खड़ी हो गयी ।
धर्मवीर ने दवा को अपने हाथ मे लेकर पूजा को बताया - तुम्हारी उम्र अब मर्द से मज़ा लेने की हो गयी है इस लिए इन दवा और कुछ बातों को भी जानना ज़रूरी है....यदि इन बातों पर ध्यान नही दोगि तो लेने के देने पड़ जाएँगे । सबसे बहले इन गर्भ निरोधक गोलिओं के बारे मे जान लो....इसे क्यूँ खाना है और कैसें खाना है।


धर्मवीर - वैसे तुम्हारी जैसी लड़कियाँ बहुत दीनो तक मर्दों से बच नही पाती हैं और शादी से पहले ही कोई ना कोई पटक कर चोद ही देता है । और मैंने भी आख़िर तुमको मैने तो चोद ही दिया ।

फिर धर्मवीर दवा के पत्ते की ओर इशारा करते हुए पूजा को दवा कैसे कैसे खाना है बताने लगे और पूजा धर्मवीर की हर बात को ध्यान से सुन कर समझने लगी ।

बात खत्म करते हुए हुए धर्मवीर ने बगल मे खड़ी पूजा के चूतड़ पर एक चाटा मारा और एक चूतड़ को हाथ मे लेकर कस के मसल दिया।

पूजा पूरी तरीके से झनझणा और लज़ा सी गयी।

धर्मवीर - कुतिया सुबह के 4:00 बज गए हैं एक-दो घंटे सो ले अगर सोना है तो । बहन की लोहड़ी अभी भी शर्म आ रही है अभी लोड़े के नीचे गनगना कर चोदी है ।

पूजा ने धर्मवीर की हल्का सा मुक्का मारा और बोली बेशर्म ।

धर्मवीर को इतना बर्दाश्त कहां होना था । धर्मवीर का तो दोस्तों स्वैग ही अलग होता है । धर्मवीर की छाती में जैसे ही हल्का सा मुक्का मारा धर्मवीर ने एक जोरदार थप्पड़ पूजा के गाल पर मारा ।

धर्मवीर- मुझे बेशर्म बोलती है अपनी औकात भूल गई अभी मेरे लोड़े के नीचे रही है तू । तेरे ऊपर चढ़ा हूं मैं और तुम मुझे बेशर्म बोलती है ।
चल बहन की लोड़ी जा कर सो जा ।
ऐसा कहते हुए धर्मवीर ने पूजा की गांड पर लात मारी और पूजा सीधा बेडरूम में पहुंच गई ।

पूजा अभी भी सोच में गुम थी कि आखिर धर्मवीर किस तरह का आदमी है।
धर्मवीर को समझना मुश्किल है। चोदता है तो हड्डियों तक तोड़ देता है ।
किसी पागल सांड की तरह चढ़ता है ।

अब इतने नखरे तो धर्मवीर के झेलने ही पड़ेंगे। गांड पर लात भी खानी पड़ेगी और चूत में लौड़ा भी लेना पड़ेगा ।

इन्हीं ख्यालों में गुम उपासना बेड पर गिर पड़ी। उसकी चाल में अजीब टेढ़ापन था। बड़ी मुश्किल से एक एक कदम आगे बढ़ा पा रही थी।

पूजा लेटे-लेटे सोचने लगी कि क्या हो रहा होगा दीदी के साथ ।
क्या उपासना दीदी और पापा सो गए होंगे या अभी दीदी की चूत पर लौड़ा बज रहा होगा। आखिर दीदी भी पूरी चुदक्कड़ है।
एक साथ पूजा के दिल से आवाज आई तू कौन सा कम चुदक्कड़ है । पूरी सुहागरात मनाई है कुतिया तूने भी ।

यह विचार आते ही पूजा धीरे से अपने आपसे बोली हां हम दोनों बहन चुदक्कड़ हैं । क्या करें जब चूत पर कोई लंड रखता है तो हमारी चूत खा जाती है वो लोड़ा। तगड़ा से तगड़ा लंड हम दोनों बहने आराम से लील जाती है और इन्हीं ख्यालों में सो गई पूजा।

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दोस्तों आपका सुझाव जरूर दीजिएगा ।
आपके प्यार का प्यासा - रचित ।

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