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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Premkumar65

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घड़ी में टाइम हो रहा था 9:45 pm ।
सभी सोने की तैयारी कर रहे थे । राकेश बाहर से ही लेकर आया था तो सबने डिनर कर लिया था ।
उधर आरती को बड़ी उत्सुकता थी ये जानने की कि सलमान क्या बताने वाला है शालिनी के बारे में ।
लेकिन फिर आरती सोचती है कि पहले धरमवीर भईया को दूध देकर आजाती हूं वरना अनर्थ ही हो जाएगा ।
ऐसा सोचते ही वो चल दी दूध लेकर लिफ्ट की तरफ । जाकर जैसे ही गेट खटखटाया धरमवीर सिंह ने गेट खोला और सामने आरती को देखकर हल्के से मुस्कुरा दिए ।



आरती - भईया लीजिए दूध ।
धरमवीर - हां रखदो आरती दूध ।
आज आरती बैठने के मूड में नहीं थी क्युकी 10 जो बजने वाले थे और वैसे भी कल वाली घटना से वो शर्म महसूस कर रही थी ।
आरती दूध देकर अपने कमरे में आ गई ।
10 बजे आरती और धरमवीर दोनों ही मैसेज का इंतजार कर रहे थे । आरती ने सोचा कि जब सलमान ने बोला है 10 बजे बात करने को तो वो खुद ही मैसेज भेजेगा ।

और हुआ भी यही मैसेज धरमवीर ने ही किया ।
आरती के मोबाइल पर मैसेज सलमान के नाम से रिसीव हुआ ।

सलमान - Hi
आरती - hi
सलमान - कैसी हो आप ।
आरती उसे ज्यादा भाव नहीं देना चाहती थी तो मैसेज टाइप करने लगी ।

आरती - आप बताइए क्या बताने वाले थे ।
उधर धर्मवीर ये मैसेज पढ़कर धरमवीर सोचने पर मजबूर हो गया कि अब क्या रिप्लाइ करे लेकिन सोचने लगा कि रिप्लाइ तो ऐसा दूंगा की अब तू मेरा रिप्लाइ करने के लिए सोचेगी क्या रिप्लाई दूं और मन ही मन बोला - ये इतनी आसानी से काबू में आने वाली चीज नहीं है ।

सलमान - बिल्कुल बताऊंगा । अगर आप जल्दी में है तो सो जाइए कोई बात नहीं फिर कभी बता दूंगा ।

ये मैसेज पढ़कर आरती को अहसास हुआ कि वो हॉस्पिटल में है और मैंने उसकी हालत में बारे में भी नहीं पूछा । सोचने लगी कि अब क्या बोली इसको मै ।


आरती - नहीं ऐसी बात नहीं है । मै बस पूछ रही थी कि आप क्या जानते है शालिनी के बारे में ।

सलमान - शालिनी एक बहुत अच्छी लड़की है ।
आरती - hmm very funny , ये बताने वाले थे तुम मुझे । सही बताओ बात क्या है ।

सलमान - मैम आप तो खामखां गुस्सा कर रही है । मै आपसे इतने तमीज से बात कर रहा हूं आप मेरा मजाक उड़ा रही है । बता दूंगा थोड़ा सब्र तो कीजिए ।

आरती - तमीज से तो बात करनी पड़ेगी आपको मिस्टर क्युकी बदतमीजों को मै थप्पड़ लगा देती हूं ।

उधर धर्मवीर को आरती का ये attitude पसंद आया । मन ही मन बोला वाह मेरी बहन तुझे सैल्यूट करता हूं मै पर फिर मुस्कुराते हुए कुछ टाईप करने लग गया ।

सलमान - आपका तो थप्पड़ भी जलेबी की तरह लगेगा मैम ।

आरती ने जैसे ही ये मैसेज पढ़ा वो मुकुरा पड़ी । और मन ही मन बोली क्या अजीब आदमी है । लेकिन बात तो तमीज से ही कर रहा है मैम मैम करके ।

आरती - मतलब तुम बदतमीजी भी कर सकते हो ।

सलमान - नहीं कभी नहीं ।

आरती - गुड boy । सोचना भी मत । तुम जानते नहीं हो मै किस खानदान से belong करती हूं । मेरे पापा यहां के 250 गांव के राजा थे । और अब मेरे भईया धरमवीर सिह जी को तो जानते ही होंगे आप ।



सलमान - हां जानता हूं और उनकी मै काफी इज्जत करता हूं । अपने बड़े भाई की तरह इज्जत देता हूं उन्हें , मिलते रहते है कभी कभी ।

आरती धर्मवीर की बढ़ाई सुनकर थोड़ा अच्छा फील करने लगी ।

सलमान - एक बात पूछूं मैम ।
आरती - मैंने सुना है धर्मवीर भईया आपकी दूसरी शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे है ।

आरती ये मेसेज पढ़कर सोचने लगी कि ऐसी तो कोई बात नहीं है और मैंने तो पहले ही बोला हुआ है कि मै दूसरी शादी नहीं करूंगी ।

आरती - shut your mouth । ऐसा कुछ नहीं है । और भईया को लड़का ढूंडने की जरूरत नहीं है उनके एक इशारे पर लडकों की लाइन लग जाएगी ।मै खुद ही नहीं करना चाहती हूं शादी ।


सलमान - तो फिर अकेले जिंदगी काटना कुछ मुश्किल नहीं लगता आपको ।

आरती - आप होते कौन है मेरी जिंदगी के बारे में सवाल करने वाले ।

सलमान - बात को संभालता हुआ । sorry मैम अगर आपको बुरा लगा तो मै तो बस ऐसे ही as a friend पूछ रहा था ।

आरती ये पढ़कर थोड़ा नॉर्मल हुई ।

आरती - as a friend मैंने कब आपसे फ्रेंडशिप की । मिस्टर अपनी हैसियत देखिए और मेरी देखिए । जितने में आप सारे सजते होंगे उतने की मै जूती पहनती हूं ।

सलमान - oh sorry mam । मै भूल गया था कि आप बड़े लोग है । और आपसे बात करते हुए तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैंने आपको अपना कॉन्टैक्ट नंबर देकर गलती कर दी । मुझे नहीं पता था कि बड़े लोगो को इज्जत दो तो वो अपने पैसे शानो शौकत का बखान करके हम जैसे गरीबों का मजाक उड़ाते है ।

आरती ये मेसेज पढ़कर थोड़ा नॉर्मल हुई और सोचने लगी कि बंदा अपनी जगह ठीक है मै ही फालतू का attitude दिखा रही हूं ।या तो मै बात ही ना करू अगर कर रही हूं तो थोड़ा इज्जत से करूं ।



आरती - it's ok , दरअसल बात ये है सलमान जी की मै शादी करना ही नहीं चाहती हूं । क्युकी अगर मेरी लाइफ में सुहागन होना लिखा होता तो मै विधवा ही क्यों होती ।

धरमवीर ये मैसेज पढ़कर समझ गया कि अब लाइन पर आने में ज्यादा समय नहीं लेगी ये ।

सलमान - आप बहुत ही अच्छी है दिल की आपकी बातो से लगा मुझे । आपसे इतनी देर बात करके मै समझ चुका हूं मैम की आप जितनी तन से खूबसूरत है उससे कहीं ज्यादा आप समझदार भी है । आपको इज्जत सबसे ज्यादा पसंद है ।

आरती ये मेसेज पढ़कर सोचने लगी कि मैंने इससे इतने attitude में बात नहीं करनी चाहिए थी ये तो बहुत ही अच्छा इंसान है । अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर आरती गदगद हो उठी ।

आरती - यूं आर करेक्ट । respect is my first choice . आप हॉस्पिटल से कब घर आयेंगे ।

सलमान - अभी तो 10 दिन लग जाएगा क्युकी मेरे मुंह पर ही चोट आयी है । क्यों मिलना है क्या ।

आरती - ohh । और तुम समझते क्या हो मै तुमसे क्यों मिलूंगी ।

सलमान - अरे मैम आप फिर गलत एंगल से सोच रही है , मैंने ये सोचा था कि आप मेरी चोट देखना चाहती है इसलिए पूछ रही है कि घर कब आऊंगा ।

आरती - ohh । अच्छा ।

सलमान - एक बात पूछूं ।

आरती - जी पूछिए ।

सलमान - आपको इतना खूबसूरत किसने बनाया है मेरा मतलब है कि आपको देखकर कोई कह नहीं सकता कि आप विधवा है ।

अपनी तारीफ सुनकर आरती - haha अच्छा । कोई क्यों नहीं कह सकता कि मै विधवा हूं ।

सलमान - आप जवान हैं , खूबसूरत है , आपके चेहरे पर इतना glow है कि आपको देखते रहने का मन करता है ।

आरती - अच्छा ऐसा क्या नजर आया आपको मुझमें जो और किसी में नहीं है ।


धर्मवीर को इसी ग्रीन सिग्नल का इंतजार था तुरंत मैसेज टाईप करने लगा ।

सलमान - मैम आपके काले काले लम्बे बाल जिन्हें कोई देखे तो कनफ्यूज हो जाए कि ये आपके बाल है या दिन में घटा छा गई है । और _ _ _

आरती इस नए अंदाज में अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई ।

आरती - हां हां बोलिए और ______

सलमान - और फिर आपके गालों की लाली किसी का भी दिल जीत ले । सिर्फ दिल ही नहीं लीवर , किडनी सबकुछ जीत ले । और _____

आरती ये मेसेज पढ़कर हंस पड़ी ।

आरती - और

सलमान - और फिर आपके होंठ थोड़े मोटे है लेकिन कोई देखे तो लगे रस के भरे हुए दो प्याले है । और _____

आरती - so interesting . और

सलमान - अब रहने दो आरती मै बोल नहीं पाऊंगा और तुम सुन नहीं पाओगी ।

आरती - अच्छा क्यों नहीं सुन पाऊंगी । दोस्त जो हूं सुन लूंगी ।

धर्मवीर समझ चुका था ये मस्तानी घोड़ी बिस्तर में पूरा मजा देगी ।

सलमान - और नीचे आपके सीने पर वो दो बौल जिन्हें देखकर लगता है कि जैसे बिल्कुल पके हुए दो पपीते बस टूटकर गिरने ही वाले हो पेड़ से । और _______

आरती ये पढ़कर शर्मा गई और अपने बूब्स की तरफ देखने लगी , जो उसके सूट में फंसे पड़े थे और अपनी तारीफ सुनकर तनकर खड़े हो गए थे । अभी तक उसने नाइटी नहीं पहनी थी । धर्मवीर को दूध देकर आयी थी तो ऐसे ही लेट गई थी बैड पर सलवार सूट में ।

आरती - अच्छा तो अब हमारा दोस्त बदमाश भी हो गया है ।

सलमान - मैंने मना किया था ना आरती जी कि आप नहीं सुन पाओगी ।

आरती - अरे बाबा मजाक भी नहीं कर सकती क्या बोलो आगे और ______

सलमान - और उसके नीचे आपकी कमर हसीन लगती है क्युकी आपके सीने के मुकाबले वो काफी पतली है । और ____

आरती - लगता है जनाब ने पूरा एक्सरा करके रखा हुआ है मेरी बॉडी का अपनी आंखो में ।

उधर धर्मवीर के दिमाग में पता नहीं क्या आया वो चुपके से अपने कमरे से निकला और लिफ्ट से नीचे आरती के कमरे की तरफ आने लगा मैसेज टाइप करता करता ।

सलमान - उसके आगे ना ही पूछो तो अच्छा है । क्युकी अगर आपको बुरा लगा तो आपका दोस्त इसका जिम्मेदार नहीं होगा ।


आरती - अच्छा ये कहां का इंसाफ है कि कोई सिर्फ मेरे अधे बदन की ही तारीफ कर सकता है । ठीक है अगर मुझे बुरा लगा तो उसकी जिम्मेदार मै खुद रहूंगी बोलिए अब मेरे दोस्त ।

धर्मवीर उसके इस मेसेज से समझ चुका था कि उसकी बहन को अब खुमारी चढ़ने लगी है चढ़े भी क्यों ना दो साल से इस 31 साल की भरी जवानी में अकेले बैड पर राते गुजारी है उसने ।
और आज इतने दिन बाद वो किसी के मुंह से अपने जिस्म की तारीफ सुन रही थी ।

उधर धरमवीर आरती के कमरे के पास आकर कोई ऐसी जगह ढूंढ रहा था जहां से अंदर को झांका जा सके ।
तभी उसे खिड़की दिखाई दी जो लगी हुई तो थी पर कुण्डी नहीं लगी थी । ( जैसे दरवाजा फेर लेते है कुण्डी नहीं लगाते कुछ इस तरह से दोस्तों )। फिर जल्दी से टाईप करने लगा धरमवीर ।

सलमान - और उसके नीचे तुम्हारी नाभि जिसकी गहराई में हर कोई खो जाए । और ____

आरती - और ____
आरती बैड पर सीधी लेटी हुई थी सूट सलवार में । जैसे ही वो गरम होती जा रही थी उसने अपनी दोनों टांगो को मोड़कर बिल्कुल अपनी छातियों से लगा लिया और हाथ सलवार बिना उतरे ही अपनी चूत पर ले गई ।

सलमान - और नीचे तुम्हारे कूल्हों का फैलाव जिसे देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि तुम विधवा हो उसे देखकर हर कोई कहेगा कि जो भी अपने पति है उनका वजन पूरी रात आपके नितम्बो को ही संभालना पड़ता है ।

ये मेसेज टाईप करके धर्मवीर ने मोबाइल स्क्रीन off की खिड़की को हल्का सा पुश किया और अन्दर की तरफ झांकने लगा ।
जैसे ही अंदर का नजारा धर्मवीर को दिखा उसका लौड़ा भनभना गया , अपनी औकात में खड़ा हो गया आंखो में चमक और होटों पर कुटिल मुस्कान आ गई ।

अंदर का दृश्य कुछ इस प्रकार था - आरती बैड पर सूट सलवार में पड़ी थी , आरती की दोनो टांगे मुड़कर छातियों से चिपकी हुई थी । और टांगो को मोड़ने की वजह से उसके कूल्हे बिल्कुल खुलकर चौड़े हो गए थे , जांघो का गदरायापन भी साफ झलक रहा था । आरती का चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था क्युकी उसके दोनों चूचियां तनकर खड़ी थी चूचियों को देखकर लग रहा था जैसे दूध के दो टैंकर हों । ऐसा दृश्य जीवन में पहली बार देखा था धर्मवीर ने । देखकर लग रहा था जैसे बैड पर कोई लंड की भूखी चुदक्कड रांड अपनी टांगो को फैलाए लंड की भीख मांग रही हो कह रही हो आओ और इस रण्डी पर तब तक चढ़े रहो जब तक इसकी चूत भोसड़े में तब्दील ना हो जाए , आरती की गांड को देखकर तो आंखो पर ही विश्वास नहीं हो रहा था फैलकर ऐसे लग रहे थे दोनों चूतड़ जैसे कह रहे हो कि है कोई ऐसा लंडधारी जो अपना लन्ड पूरी रात इस मस्तानी गान्ड में फंसाकर पड़ा रहे ।



उधर आरती भी चूत सहलाने से झड़ गई उसकी पूरी सलवार भीग गई थी जैसे पानी डाल दिया हो किसी ने ।
उधर धर्मवीर भी इस रंडपने को देखकर आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका था । और ढेर सारा वीर्य उसके लन्ड से निकला जो सीधा दीवार पर लगा । धर्मवीर ने सोचा कि किसी कपड़े से साफ कर देता हूं ताकि किसी को पता ना लगे । और अंधेरे में जैसे ही मोबाइल निकालकर लाइट ऑन करनी चही तभी धर्मवीर का पैर साइड में रखे छोटी से टेबल से टकरा गया जिसपर गुलदस्ता रखा था ।
जैसे ही गुलदस्ता गिरकर टूटा एक साथ चटाक की तेज आवाज हुई । आरती एक साथ बैड से खड़ी होकर बाहर आयी जैसे ही उसने गेट खोला तो कोई नहीं दिखा ।
क्युकी गुलदस्ता टूटते ही धर्मवीर बिजली वाली फुर्ती से सीढ़ियों की तरफ भागकर ऊपर चला गया बिना क़दमों की आवाज किए ।

आरती को बाहर कुछ नहीं दिखा उसने बाहर की lights on की । जैसे ही उसकी नजर दीवार पर गई उसके दिमाग में सवालों का तूफान सा उठ गया । उसने पास जाकर देखा बहुत ही गाढ़ा सफेद वीर्य उस pink दीवार पर से नीचे की तरफ को रिस रहा था । उस अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हुआ । उसने दोबारा इधर उधर देखा कोई नहीं था । राकेश के कमरे की तरफ जाकर देखा उन दोनों के खर्राटों की आवाज आ रही थी मतलब वो सो रहे थे । शालिनी का गेट भी लॉक था । बचे धर्मवीर भईया इतना सोचते ही आरती लिफ्ट की तरफ भागी और ऊपर तीसरे फ्लोर पर पहुंची जाकर देखा तो धरमवीर भईया का गेट लॉक था अन्दर से लेकिन खिड़की खुली हुई थी उसने अन्दर झांककर देखा धरमवीर भईया भी घोड़े बेचकर सो रहे थे । फिर आरती चुपचाप वापस लिफ्ट से नीचे आ गई ।
उधर धर्मवीर ने जैसे ही देखा की आरती उसे झांककर जा चुकी है वो फिर चुपके से सीढ़ियों के रास्ते नीचे गए और चुपके से आरती को देखने लगे ।

आरती वापस नीचे आयी और सोचने लगी कि जो भी हो अब यहां से इसे साफ तो करना ही पड़ेगा वरना सुबह को मुझे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा । आरती एक कपड़ा लेकर वहां गई जहां अभी कुछ मिनट पहले वीर्य की बारिश हुई थी ।
आरती ने दीवार पर जैसे ही कपड़े से साफ करना चाहा अचानक उसके हाथ रुक गए । उसने अपनी उंगली से छूकर देखा तो गाढ़ा सा वीर्य था सबका ऐसा ही होता है लेकिन एक बात अलग थी वो चिपचिपा बहुत ज्यादा था फेविकोल की तरह । आरती को विश्वास नहीं हुआ कि कोई एकसाथ इतना सारा वीर्य भी गिरा सकता है वो भी इतना चिपचिपा । आरती अपनी उस उंगली को अपनी नाक के पास लेकर गई तो उसकी सुगंध भी उसे अलग लगी उसकी उंगली पर लगे वीर्य की महक उसके नथुनों से होती हुई इसके दिमाग पर चढ़ गई । फिर आरती अचानक उस दीवार के पास बैठी और अपनी जीभ निकालकर उसे टेस्ट करके देखने लगी जैसे ही उसने चाटा तो वो ऐसे करने लगी जैसे कोई ज्यादा ही स्वाद वाली सब्जी से सनी उंगलियों को कोई चाटता है ।
आरती बैठकर पूरी दीवार चाटने लगा गई ।

उधर धर्मवीर को आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी सीधी और संस्कारी दिखने वाली बहन किसी सस्ती रण्डी को भी पीछे छोड़ सकती है । आरती के अंदर छिपी हुई रण्डी की हवस को देखकर धरमवीर अपने कमरे में आकर सो गया ।



उधर आरती भी पूरा वीर्य पीकर bed पर पड़ी पड़ी ये सोचने लगी कि मैंने सारा वीर्य पी लिया बिना ये जाने वो किसका है ।
आखिर कौन हो सकता है । तीन option में से कोई एक तो पक्का है बस उस चोर को पहचानना है ।
नम्बर एक - राकेश
नम्बर दो - धरमवीर भैया
नंबर तीन - हो सकता है शालिनी का कोई boyfriend हो उसने उसे बुलाया हो और वो शालिनी के कमरे में ही सो रहा हो ।
ज्यादा से ज्यादा बस इतना ही हो सकता है ।

ऐसा तो हो नहीं सकता कि भगवान आए थे या भूत आए थे ।। है तो इनमें से ही कोई ।
ऐसा सोचते सोचते सो गई आरती ।
Hmmm good going.
 
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Premkumar65

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सुबह के समय नाश्ता कर चुके थे सब । आरती के दिलोदिमाग पर रात वाली घटना छाई हुई थी ।

शालिनी नहाकर निकली उसने एक जीन्स और स्लीवलैस टीशर्ट पहनी हुई है । जैसा कि आप जानते ही है जब तक इन महारानी की गांड जीन्स में फास ना जाये तब तक इन्हें वो जीन्स अच्छी ही नही लगती । पिछवाडा अपना पूरा आकर लिए जीन्स में कैद हो गया था ।

शालिनी ने शीशे के सामने खड़ी होकर हल्का सा मेकअप किया , होंठो पर लिक्विड मैट वाली लिपस्टिक लगाकर होंठो को juicy बनाया ।



शालिनी ये कर ही रही थी कि तभी कमरे में उपासना दाखिल हुई ।
शालिनी को शीशे में से उपासना आती हुई दिख गयी ।

शालिनी - आइये भाभी , आज तो साड़ी में आप गजब ढा रही हो ।
उपासना - अच्छा नन्द रानी जी , अपने ये सोचकर मेंरी तारीफ की है कि अब बदले में मैं भी तुम्हारी तारीफ करूँगी , लेकिन मैं तुम्हारी तारीफ बिल्कुल नही करूँगी । मैं तो यही बोलूंगी की तुम एक नंबर की रंडी लग रही हो सजधजकर ।

शालिनी ये सुनकर लजा गयी शर्मोहया से ।

शालिनी - भाभी टाइम का तो लिहाज किया करो सुबह सुबह ही स्टार्ट हो गयी आप तो ।

उपासना - अच्छा मैं तो टाइम का लिहाज करु और मेरी नंद रानी को समय का कोई खयाल नही है , जो सुबह सुबह ही चूत की सजावट करने लगी , पता नही किससे फड़वाने जा रही है ।

शालिनी ऐसी बाते सुनकर समझ गयी की जितनी सीधी भाभी ऊपर से दिखती है उतनी ही अंदर से लंडखोर औरत बन गयी है ।

शालिनी - भाभी आपकी नंद रानी की चूत इतनी सस्ती नही है कि हर कोई फाड़ दे । आपकी नंद रानी सिर्फ एक इंसान की ही टांगो के नीचे आती है बस ।

उपासना - अच्छा तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैं हर किसी के सामने चूत खोले पड़ी रहती हूं ।

शालिनी - नही भाभी मेरा ये मतलब नही था। मैं तो बस अपने बारे में बता रही थी । और मेरी भाभी इतनी गई गुजरी भी नहीं है कि वह हर किसी के सामने अपनी चूत फैलाकर लेट जाएगी ।

उपासना - अच्छा तो कैसी लगती है तुम्हें अपनी भाभी ।

शालिनी - मुझे मेरी भाभी ऐसी लगती है जो अपनी चूत के खजाने को हमेशा दूसरों से छुपा कर रखती है और उस खजाने के दरवाजे सिर्फ अपने पति के लिए ही खोलती है। ऐसी भाभी जो अपनी इज्जत का ख्याल रखती है वह
बात अलग है कि उसकी अंदर की लंडखोर औरत जब जागती है तो उसकी चूत में से पानी उसकी जांघों पर रिसने लग जाता है ।



उपासना - लगता है मेरी प्यारी सी नंदरानी को बड़ी पहचान है औरतों की । भगवान ऐसी नंदरानी सबको दे , चलो नंदरानी जी अब तो बता दो कि आज का क्या प्रोग्राम है।


शालिनी - कोई खास प्रोग्राम नहीं है भाभी आज का बस आज उनसे मिलने जा रही हूं क्योंकि कल नहीं जा पाई थी । और उन्हें चैन नहीं आता है जब तक उनका लंड मेरी चूत में जड़ तक ना पहुंच जाए ।

उपासना - अच्छा तो मेरी नंदरानी को कोई परेशानी नहीं होती लंड लेने में ।

शालिनी - इसमें परेशान होने वाली क्या बात है भाभी । यह तो औरतों के मुकद्दर में लिखा होता है कि वह जहां भी जाएंगी किसी ना किसी की टांगों के नीचे ही जाएंगी तो मैं इसे स्वीकार क्यों ना करूं । आखिर मुझे भी तो किसी की टांगों के नीचे ही जाना होगा ।

उपासना - अच्छा तो मेरी नंदरानी अब समझदार भी हो गई है । नंदरानी मतलब तुम अब पूरी लंड खाने के काबिल हो गई हो ।

शालिनी - काबिल हो गई हूं का क्या मतलब है ? मैं तो लैंड खा ही रही हूं पिछले 2 साल से ।

उपासना - हां यह तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है तुम्हारी चौड़ी गांड, बाहर को निकली चूचियां यह बखान कर रही है ।

शालिनी - भाभी एक बात है जिससे मुझे डर लगता है ।

उपासना - अब किस बात से डर लगने लगा मेरी नंद रानी को ।

शालिनी - भाभी जब वह अंदर डालते हैं लंड, तो कंडोम यूज नहीं करते हैं । जिससे कि मुझे डर रहता है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए ।

उपासना - हंसते हुए अच्छा तो मेरी नंदरानी को डर है कि कोई इस गाय पर चढ़कर उसके अंदर बच्चा ना डाल दे ।

शालीनी - तुम्हारे कहने का मतलब नही संन्ही मैं भाभी ।

उपासना - मतलब कि अब तुम बच्चे देने लायक हो गई हो शालिनी।

शालिनी - भाभी आप तो मजाक के मूड में ही रहती हो हमेशा ।

उपासना - मेरी जान मजाक कहां कर रही हूं तुम तो देखने से ही लगती हो कि अगर कोई चढ़ जाए सही से तो बच्चा जरूर पैदा होगा ।

शालिनी - क्यों ऐसा क्या है मुझमे ।

उपासना - औरतों का शरीर ही बच्चे पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अगर औरत का शरीर ही दुबला पतला रहेगा तो बच्चा होने के चांस कम हो जाते हैं , लेकिन तुम तो मेरी जवान घोड़ी हो तुम तो एक चुदक्कड़ रंडी हो तुम तो अपनी चूत में लंड को निगल कर उसे पूरा निचोड़ सकती हो, तो बच्चा भला क्यों नहीं होगा बिल्कुल होगा ।




शालिनी - भाभी बिना कंडोम के चूत में लंड लेने में बड़ा मजा आता है कंडोम लगाकर यदि चूत में कोई लंड डालता है तो लंड की गर्मी महसूस नहीं होती है ।

उपासना - तो मतलब मेरी नंद रानी लंड को पूरा इंजॉय करती है चुदते टाइम

शालिनी - भाभी अगर चुदाई को इंजॉय ना किया जाए तो चुदने का फायदा ही क्या । अपनी चूत भी फड़वा लो और इंजॉय भी ना करो यह कैसी बात हुई ।

उपासना - हां मेरी जान यह तो तुमने ठीक कहा जब तक कोई मर्द औरत के ऊपर चढ़कर उसे हुमच हुमच कर ना चोदे तब तक औरत की प्यास ही नहीं बुझती । खैर यह बताओ कि जिन से तुम चुदने जाती हो उनका लौड़ा कितना बड़ा है ।

शालिनी - ऐसा मैंने कभी मेजर तो नहीं किया है लेकिन लगभग होगा कोई 4 या 5 इंच का ।

यह सुनकर उपासना की हंसी छूट गई और जोर जोर से हंसने लगी ।

शालिनी - क्या हुआ भाभी आपको ।

उपासना - मैं यह सोचकर हंस रही हूं कि तुम चुदने जाती हो या कोई खेल खेलने जाती हो ।

शालिनी हैरानी से देखते हुए - क्यों भाभी ऐसा क्या बोल दिया मैंने ।

उपासना - तुम्हारा जैसा शरीर है उसमें चार या 5 इंच का लंड क्या करता होगा वह तो तुम्हारे छेद के बस थोड़ा अंदर ही जा पाता होगा ।

शालिनी - भाभी तो कितना बड़ा होता है लंड ।

उपासना - नंदरानी जो तुम मुझे बता रही हो उसे लंड नहीं लुल्ली कहते हैं लंड किसे कहते हैं यह मैं तुम्हें किसी दिन दिखा दूंगी , अच्छा यह बताओ उससे अलग तुम और किसी से नहीं चुदी हो कभी ।

शालिनी - नहीं भाभी मैंने इस बारे में कभी सोचा नहीं क्योंकि मेरी चूत को जब लंड चाहिए होता है तो उसके नीचे टांगे चौड़ी करके उसे अपनी चूत की तरफ खींच लेती हूं, और मैं संतुष्ट हो जाती हूं ।

उपासना - तभी तो मैं कहूं कि मेरी नंद रानी ने अभी कहीं और मुंह क्यों नहीं मारा है यदि मार लिया तो फिर तो उस बेचारे को तुम छोड़ ही दोगी ।

इतनी बातो से उपासना समझ चुकी तबी की मेरी नंद रानी को चुदने का शौक तो है लेकिन अभी तक सही से किसी लंडधारी के नीचे नही आई है । नंदरानी को किसी चूतिया ने फसा लिया है और और वही दो साल से इसे पेल रहा है ।पेल क्या रहा है अपनी लुल्ली की संतुष्टि कर लेता होगा ।

शालिनी - क्यों भाभी वह भी तो ठीक है अपने लंड से मुझे कम से कम 10:15 मिनट तक चोदता है ।

यह सुनकर उपासना फिर जोर जोर से हंसने लगी और कहने लगी कहने लगी जाओ तुम अपना खेल खेलने के लिए क्योंकि तुम्हें समझाना मेरे बस की बात नहीं है ।

शालिनी - क्यों भाभी ऐसा क्या हो गया ।

उपासना - 10 या 15 मिनट तो तुम जैसी गदराई लौंडिया को गर्म होने के लिए ही चाहिए और 10:15 मिनट में तुम सारी चुदाई कर लेती हो तुम जैसी लड़की को रात भर कम से कम 2 लोग मिलकर चोदे तब तुम्हारे चेहरे पर निखार और गांड पर उभार आएगा ।



शालिनी - हे भगवान मेरे बस की बात नहीं है पूरी रात चुदना और कोई चोद भी कैसे सकता है पूरी रात ।

उपासना - मेरी नंदरानी अभी असली लंड से पाला नहीं पड़ा है तुम्हारा जिस दिन पड़ेगा तो चूत को हाथों से छुपाकर भागी भागी फिरोगी ।

शालिनी - क्यों भाभी वह कैसे चोदते हैं ।

उपासना - अच्छा पहले तुम बताओ कि तुम्हारे वह तुम्हें किस तरह चोदते हैं ।

शालिनी - वह तो मुझे लिटाकर और ऊपर लेट कर अपना लंड मेरी चूत में डाल देते हैं और 10:15 मिनट तक जमकर चोदते हैं ।

उपासना - और कुछ नहीं करते ?

शालीनी - करते हैं कभी-कभी अपना लंड मेरे मुंह में भी डाल देते हैं और मेरी चूत को चूस भी लेते हैं और उनका पूरा लंड मेरे मुंह में समा जाता है बड़े प्यार से चोदते हैं वह मुझे। मेरे होठों को अपने होठों से किस करते हुए मुझे चोदते हैं वह बहुत ही प्यार जताते हैं , चोदते टाइम कहते हैं तुम मेरी जान हो आपके बिना मैं नहीं रह सकता ।

उपासना - फिर तो इसका मतलब तुम्हें चुदाई का मतलब ही नहीं पता है मेरी जान अभी सिर्फ प्यार से चोदने वालों से चुदी हो जिस दिन असली लंडधारी इंसान से चुदोगी उस दिन पता चलेगा कि लंड जब अपनी औकात पर आता है तो चूत को चूत नहीं भोसड़ा बना देता है ।

शालिनी - और कैसे चोदते हैं भाभी ।

उपासना - खैर छोड़ो वक्त आने पर तुम्हें पता चल ही जाएगा यह दोनों बातें कर ही रही थी कि अचानक उपासना के मोबाइल पर रिंग होती है ।

उपासना कॉल उठाती है - हेलो

दूसरी तरफ से आवाज आती है हेलो मैम ,मैम आज आपके टाइम टेबल में आज सिलेक्ट किया गया है कि आप आज जो नया स्कूल खुलने वाला है वर्मा जी का उसका उद्घाटन आपको करना है तो रिबन काटने के लिए आप चलोगे। 11:00 बजे , मैम क्या यह सही रहेगा या इसमें कोई मॉडिफिकेशन करना है ।

उपासना - कुछ सोचती हुई एक काम करो हां यह ठीक है 11:00 बजे ही चलते हैं ।

शालिनी - भाभी कहां जाना है आपको ?

उपासना - अरे जो हमारी कंपनी के नई हैड मैनेजर है ,उन्होंने एक मेडिकल कॉलेज खोला है तो उसका उद्घाटन मेरे हाथों से कराना चाहते हैं वही मुझे आज जाना है ,
अच्छा शालिनी तुम निकलने वाली हो क्या ?

शालिनी - हां भाभी बस मैं निकलने वाली हूं ।

उपासना - ओके चलो ठीक है आप भी जाओ और यदि तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो यह लो मेरा एटीएम तुम रख लो।

शालिनी - नहीं भाभी मेरे पास अभी पैसे हैं जब खत्म होंगे तो मैं मांग लूंगी ।

उपासना - ओके नंदरानी जी चलिए अपनी चूत लंड का खेल खेल कर आ जाइए वैसे भी अभी तक तुम्हारी चुदाई तो हुई ही नहीं है ।

दोनों में यह बातें चल ही रही थी की आरती की आवाज आती है बाहर से ।

उपासना उपासना उपासना

उपासना बाहर आती हुई - आरती दीदी बोलिए ।

आरती - उपासना मैं किसी हिल स्टेशन की तरफ जा रही हूं घूमने शाम तक आ जाऊंगी , जाने का मन तो नहीं था लेकिन मेरी फ्रेंड बड़ी जिद कर रही है सो मैं निकल रही हूं ।

इतना कहते ही आरती पार्किंग की तरफ चल दी और अपनी गाड़ी स्टार्ट करके सड़क पर दौड़ती हुई चली गई ।



शालिनी ने भी पार्किंग की तरफ कदम बढ़ाए और अपनी रेड कलर की BMW निकाली और चलदी कंपनी की तरफ गाना सुनते हुए
गाने ये वाला था
तेरा बैक रै फ्रंट दोनों मारै सै करंट ,
मनै दिल में लगा ली तेरी फोटो
हाय रे मेरी मोटो हाय रे मेरी मोटो ।
Upasna ab Shalini ko asli chudai ka mama sikhayegi.
 

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Update 8 .

आरती जाकर अपनी फ्रेंड का वेट करने लगी . आरती को बैठे-बैठे बहुत टाइम हो गया फिर उसने सोचा कि क्यों ना सलमान को मैसेज किया जाए ।
यही सोचते-सोचते आरती ने सलमान को मैसेज किया

आरती - Hi सलमान ।


उधर से धर्मवीर के पास जैसे ही मैसेज रिसीव हुआ धर्मवीर ने सोचा कि आरती तो आज घूमने गई थी लेकिन यह वहां से मैसेज क्यों कर रही है।

वह ऐसा सोच ही रहा था तभी दूसरा मैसेज आया

आरती - hi salman are you free ?


धर्मवीर ने सोचा कि आज तो परमात्मा की मेहर है जो कुआं खुद प्यासे के पास चल कर आ रहा है । ऐसी सोच में डूबे हुए धर्मवीर ने टाइप किया

सलमान - Hi आरती कैसी हो आप । मैं आपकी ही यादों में खोया हुआ था

यह मैसेज पढ़कर आरती ने रिप्लाई दिया

आरती - मेरी यादों में क्यों खोए हुए थे।


धर्मवीर ने रिप्लाई दिया ।

धर्मनवीर - आरती कल रात जब से तुम से बात हुई है मैं सो नहीं पाया हूं यह मैं खुद नहीं जानता हूं कि ऐसा क्यों है लेकिन मैं आपकी इज्जत का ख्याल करता हूं इसलिए मैं आपसे ऐसी कोई भी ऐसी बात आपको नहीं बोलूंगा जिससे आपके दिल को कोई भी ठेस पहुंचे ।

आरती ने जैसे ही यह मैसेज पढ़ा आरती के दिल में सलमान के लिए प्यार और भी बढ़ गया आरती सोचने लगी कितना अच्छा इंसान है अपने से ज्यादा दूसरों की इज्जत का ख्याल करता है यह सोचते सोचते आरती ने रिप्लाई किया।

आरती - सलमान मैं अपनी फ्रेंड के साथ घूमने जा रही हूं तो अभी मैं उन्ही का वेट कर रही हूं जैसे ही वह आती हैं मैं घूमने के लिए उनके साथ निकल जाऊंगी तो हम आज रात को बात करते हैं लेकिन हां बदमाश यह रात वाली बातें अब नहीं चलेंगी जैसे इज्जत से अभी बात कर रहे हो वैसे ही बाद में भी करना ।

धर्मवीर ने यह मैसेज पढ़ते ही सोचा कि यह तो अपने आप ही लाइन पर आती जा रही है खुद ही कह रही है बात करने को मतलब कि इसकी चूत पानी मांग रही है और जैसा कि मैं देख भी चुका हूं कि कल इसने क्या रंडीपना किया था। उसे देखकर तो विश्वामित्र जी की भी तपस्या भंग हो जाए। वह भी अपना ध्यान बंद कर दें वह भी अपने पूजा-पाठ अपने धार्मिक स्थल को छोड़कर उस रंडी के आशियाने में आ जाएं , क्योंकि यह रंडी लंड की भूकी ही इतनी है। यह सोचते सोचते रिप्लाई किया।



सलमान - जैसा आप चाहो आरती जी । आपका हुक्म सर आंखों पर ।

आरती ने पूछा - सलमान तुम अभी क्या कर रहे हो ?

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर ने रिप्लाई किया - मैं पूजा में आया हूं भगवान के दरबार में अपनी झोली फैलाए खड़ा हूं ।


यह मैसेज पढ़ कर यह मैसेज पढ़कर आरती ने रिप्लाई किया - ऐसा भगवान से क्या मांग रहे हो कि भगवान जी तुम्हारी झोली नहीं भर पा रहे हैं सलमान ने रिप्लाई किया कि मैं अपने लिए एक वफादार हमसफर, एक साथी एक हमदर्द मांग रहा हूं लेकिन जैसा मैं चाहता हूं वैसा भगवान जी के पास है ही नहीं मुझे तो ऐसा लगता है ।

यह पढ़कर आरती हल्का सा मुस्कुरा दी और पूछने लगी ।

आरती - ऐसा कैसा हमसफर तुम्हें चाहिए ।

यह पढ़कर धर्मवीर ने रिप्लाई किया

सलमान - मुझे ऐसा हमसफर चाहिए जो बिल्कुल हो तुम्हारे जैसी हसीना ,

जो बिल्कुल हो तुम्हारे जैसी हसीना ,
जो बिल्कुल हो तुम्हारे जैसी हसीना ,
मई-जून में ठंडक दें और जनवरी में लाए पसीना ।
इसीलिए मैंने राम जी के दरबार में लगाई है यह एप्लीकेशन ।
दिन-रात राम जी की सेवा करूंगा जो बन जाए कहीं रिलेशन ।

जैसे ही आरती ने यह पढ़ा आरती के दिल पर यह लाइंस असर कर गई सोचने लगी क्या बंदा है डायलॉग भी ऑन द स्पॉट मारता है यह सोच ही रही थी फिर आरती ने रिप्लाई किया कि

आरती - अच्छा बाबा तुम मांग तो रहे हो ये अपनी झोली में , लेकिन बहुत लोग इस दुनिया में ऐसे हैं जो धन दौलत भी बहुत ज्यादा मांग लेते हैं और बाद में उसे संभाल नहीं पाते और बर्बाद हो जाते हैं ।
तो तुम भी ऐसी ही हमसफर की कल्पना कर रहे हो कहीं ऐसा ना हो कि तुम भी संभालना पाओ ।

यह पढ़कर धर्मवीर का लंड नेटवर्क पकड़ने लगा। धर्मवीर सोचने लगा कि यह बिल्कुल सही बोली है । मेरी बहन जैसी कामुक रांड को संभालने के लिए कोई मुझ जैसा सांड ही चाहिए वही संभाल सकता है । बच्चों का खेल नहीं है इसे संभालना , और मैं बच्चा नहीं रहा मैंने तो इससे बड़ी बड़ी रांडो की चूतों का समंदर भरा है । यह सोचते सोचते धर्मवीर ने रिप्लाई किया



सलमान - मैं तुम्हारा मतलब समझा नहीं ।संभाल नहीं पाए मतलब ?

यह पढ़कर आरती भी रोमांटिक मूड में कहने लगी ।

आरती - जनाब ऐसा ना हो कि आपके अंदर इतना दम ही ना हो ।
आरती को ये पता नही था कि जिसे वो सलमान समझ रही है वो उसका बड़ा भाई ही धर्मवीर जो अपनी औकात पर आगया तो तेरे जैसी गरम कुतिया भी कम से कम एक साल तक सही से नही चल पाएगी ।

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर ने अपने मन में कहा कि मेरी जान दम की बात मत करना । कहीं ऐसा ना हो कि कमरे में दौड़ी दौड़ी फिरे कहीं ऐसा ना हो टांगों के नीचे से निकल कर भागे , कहीं ऐसा ना हो की लोड़ा तेरी चूत में उतारते ही सदमा पड़ जाए । कही ऐसा ना हो कि नंगा लंड चूत में जाते ही ICU में भर्ती करनी पड़े । कहीं ऐसा ना हो कि चूत के हिसाब से लंड का वजन ज्यादा हो । धर्मवीर सोचने लगा कि कहीं ऐसा ना हो कि चूत दो झटकों में ही लाल पड़कर सूज जाए , कहीं ऐसा ना हो कि चूत के छेद पर ठंडा लंड रखते ही सिसक पड़े । कहीं ऐसा ना हो कि चूत में लंड चढ़ते ही रांड की मौत हो जाये । यह सोचते-सोचते सोचते धर्मवीर ने रिप्लाई किया ।

सलमान - बड़ी-बड़ी आंधियों का तोड़ा है घमंड।
हमने बड़ी-बड़ी आंधियों का तोड़ा है घमंड ।
शौक जीतने का पाला है ना हारना पसंद।
लोग यूं ही नहीं मानते लोहा सलमान का,
टाइम आने पर दिखाते हैं हम दूध घी का दम ।

यह मैसेज जैसे ही आरती ने पढ़ा आरती सोचने लगी की बातें तो बंदा बड़ी-बड़ी कर रहा है चलो देखते हैं आखिर दिल कितना बड़ा है ।

आरती- ओहहो शायरी ने तो दिल ही जीत लिया साहब लगता है सोचकर बनाई है बिल्कुल । चलिए इसी बात पर एक और शायरी सुना दीजिये । हमे एक शायरी और सुननी है ।

सलमान चलिए और सुन लीजिए हम तो आपकी आवाज सुनकर आपके लफ्जो की direction पर ही शायरी बना देते है । धर्मवीर मैसेज टाइप करने लगा ।

सलमान - मैं सबकी तरह चौड़ा होकर इजहार नही कर सकता ,
मैं सबकी तरह चौड़ा होकर इजहार नही कर सकता ,
इसका मतलब ये तो नही कि मैं प्यार नही कर सकता ।
गाने लगूँ तेरी चाहत में तो ये समाज वाले सवाल उठाते हैं ,
अगर लिखने लगूँ तारीफ तेरी तो मेरे लफ्ज ही कम पड़ जाते हैं ।

यह मैसेज पढ़ा तो आरती की आंखों के जरिये ये शब्द उसके दिल मे उतरते चले गए । क्योंकि आरती की लाइफ के लिए यही तो उसके दिल की आवाज थी । आरती भी विधवा थी उसे भी अपनी इज्जत का खयाल था ।लोग तो सवाल उठाएंगे ही । यह सोचकर आरती मन मे उसकी शायरी की दाद देनी पड़ी ।
जबकि धर्मवीर की यह फीलिंग थी इस शायरी के साथ की आरती उसकी बहन जो थी तो लोग तो सवाल उठाएंगे ही ।
यह डबल मीनिंग वाली बातें चल ही रही थी कि अचानक उसकी सहेलियां आगयी ।

आरती - अच्छा साहब मेरी फ्रेंड्स आगयी है रात को बात करते हैं ।

सलमान - ok my angel.
आरती मुस्कुराते हुए टाइप करती है - oh I'm not your angel .

सलमान - अरे मजाक भी नही कर सकता क्या अगर ऐसे कहने से अगर कोई angel बन जाये तो फिर तो daily 10, 25 को ना बोल दूं ।

आरती - o bhi sahi hai .

सलमान : ओके आप घूमने जाइये अपनी फ्रेंड्स के साथ रात को बात करते है bye ।

आरती - bye ।



फ्रेंड्स के साथ आरती चल दी हिल स्टेशन की तरफ दूसरी तरफ धर्मवीर आगे की योजना बनाने लगा ।
तभी धर्मवीर अपनी घर के मंदिर में गया और जाकर भगवान के सामने कहने लगा कि - हे भगवान मैं प्रण लेता हूं , मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि जिस दिन यह लंड की भूखी अपनी चूत में पानी भरे हुए मुझसे चुदवाने के लिए बिल्कुल तैयार होगी , उस दिन में इसके पिछवाड़े पर लात मार कर इसे भगा दूंगा ।

प्रिय पाठकों अब आप सोच रहे होंगे कि धर्मवीर तो अभी कितने रोमांटिक और अनाड़ी वाले मूड में था , कितना उतावला था फिर उसने ऐसी प्रतिज्ञा क्यों की।
तो दोस्तों इस सस्पेंस को क्रिएट होने दो आगे चलकर देखना कि होता क्या है अभी तो कहानी शुरू ही हुई है
**********

राकेश अपने ऑफिस में बैठा हुआ अपने लैपटॉप में कुछ बड़ी ध्यान से देख रहा था तभी उसका अकाउंटेंट उनके पास आया और आगे कहने लगा कि सर बाहर जापान से कुछ विजिटर्स आए हैं । वह आपके साथ मीटिंग फिक्स करना चाहते हैं ।

राकेश ने कहा ठीक है आप उन्हें ऊपर मेरे केबिन में भेजिए मैं बात करता हूं ।

10 मिनट बाद राकेश उनके इंतजार में अपने केबिन में बैठा हुआ अपने मोबाइल में कुछ कर रहा था तभी वो आ गये ।

उन जैपनीज के साथ एक उनका ट्रांसलेटर भी था साथ में जो हिंदी और जैपनीज दोनों को ट्रांसलेट करता था वैसे तो राकेश भी एक कंपनी का ओनर था वह चाहता तो इंग्लिश में भी बात कर सकता था ।
लेकिन फिर भी सहूलियत के लिए जैपनीज अपने साथ अपना ट्रांसलेटर लेकर आए थे

ट्रांसलेटर ने हाथ मिलाते हुए कहा - राकेश सर हम जापान से आए हैं और जो हमारी कंट्री मार्किट हैं आपके प्रोडक्ट से काफी प्रभावित है । जो डिजाइन और स्टाइल आप अपनी लेडीज अंडर गारमेंट्स में देते हो उनका तो कोई मुकाबला ही नहीं है ।
आपका ब्राण्ड इंडिया में ही नहीं वर्ल्ड वाइड छा गया है। आपकी जो ब्रा होती हैं उनके जो कप का डिजाइन आप करते हैं वह आजकल मार्केट में ट्रेंड में चल रहा है । आपके प्रोडक्ट , प्रोडक्ट ही नहीं बल्कि कोहिनूर है इस मार्केट में, इस प्लेटफार्म में ।

राकेश अपने ब्रांड की तारीफ सुनकर खुश हुआ लेकिन वह समझ गया था कि यह सब तो ठीक है लेकिन इसमें इतना मिर्च मसाला लगाकर यह जैपनीज क्यों बता रहे हैं ।

आगे ट्रांसलेटर ने कहा सर हम आपकी ब्रांड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं और यह इन्वेस्ट हम जापान में ही करेंगे तो हम आपसे इस बारे में डिस्कस करना चाहते हैं ।
की आप जापान में अपने ब्रांड के प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर कीजिए और जिससे कि आपका जापान इरान ऑस्ट्रेलिया इन देशों में भी आपके प्रोडक्ट का डिमांड काफी अच्छा हो जाएगा और इसमें हम इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हैं ।

लेकिन उसमें 40% हमारा होगा और 60% आपका इन्वेस्ट आपको कुछ नहीं करना है इन्वेस्ट सारा हम करेंगे बस आपके ब्रांड का नाम होना चाहिए और ब्रांड का नाम ही क्यों सर जो प्रोडक्ट आप की कंपनी बनाती है वही प्रोडक्ट्स होनी चाहिए ताकि यह ब्रांड दुनिया की नंबर वन ब्रांड बने ।

इस बारे में बात ही चल रही थी और मीटिंग में यह फिक्स हुआ कि राकेश मान गया जापान में अपनी ब्रांड की एक ब्रांच स्थापित करने को ।

लेकिन उसके लिए उसे विजिटर्स के साथ जाकर वहां का सर्वे डाक्यूमेंट्स भी चेक करना था और राकेश किसी और पर विश्वास ना करके खुद ही वहां जाकर देखना चाहता था । उसने तुरंत अपने सेकेट्री को बुलाया और कहा - मैं आज जापान के लिए निकल रहा हूं मुझे आने में 4 दिन लगेंगे तब तक के लिए आप यहां पर हो ही तो मुझे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है । और बस ऐसा कहकर सबसे उसने सबसे हाथ मिलाया और अपने केबिन से बाहर निकल गया ।
हर मीटिंग को डिसमिस करने का यह अंदाज राकेश ने धर्मवीर जी से सीखा था । इसमें उन्हें प्राउड फील होता था कि अपनी बात रखी और निकल लिए । सामने वाले को यह दिखा दो कि हम तुम्हारे बाप हैं । अपने इसी अंदाज को कायम रखते हुए राकेश ने ऐसा किया था ।

राकेश लिफ्ट से सबसे ऊपर की इमारत पर पहुंचा ठंडी ठंडी हवा चल रही थी ।
उसने अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और सिगरेट का कश मारते हुए उपासना को कॉल करने लगा ।

राकेश - उपासना - राकेश मुझे निकलना होगा और मैं घर नहीं आ पाऊंगा क्योंकि घर आकर भी मुझे ऐसा कुछ खास नहीं करना है । मैं जापान के लिए निकलना है ।

उपासना - जी मैं पूछ रही हूं कि वहां आपकी गाड़ी में तो कोई एक्स्ट्रा कपड़े भी नहीं थे , तो कपड़े तो आप लेने आएंगे या किसी को भेज रहे हैं कपड़े लेने के लिए घर पे ।


राकेश - कपड़े में अभी यहीं से खरीद लेता हूं ऐसा कह कर उसने कॉल रख दिया ।

उधर उपासना कि मन में अचानक क्या एक्साइटमेंट सी हुई उसने तुरंत शालिनी को कॉल लगाया ।

उधर शालीनी लंड पर कूद कूदकर चुद रही थी अपने बॉयफ्रेंड से ।

उपासना - हैलो शालिनी ।

शालीनी - आह आह आह की आवाज के साथ - जल्दी बोलिये भाभी ।




उपासना उसकी आह आह की आवाज सुनते हुए - ओ माय गॉड लगता है गलत टाइम पर कॉल कर दिया। वैसे यह बताने के लिए कॉल किया था कि आज तुम्हारे भैया जापान के लिए जा रहे हैं हम 4 दिन के लोए ओर हम चार दिन तक साथ सोयेंगे।


सिर्फ इतना सुनते ही शालीनी ने तुरंत एक्साइटमेंट के साथ पूछा -क्या भैया जा रहे हैं जापान ।वह तो मेरा ड्रीम कंट्री है मैं भी जाऊंगी भैया के साथ । अगर भैया कंफर्टेबल हो तो मैं भी घूम आऊंगी ।

उपासना - अच्छा बाबा तो मैं उनसे पूछ लेती हूं या तुम ही अपने भैया को कॉल कर लो, और उनसे बात कर लो ।

शालिनी ने राकेश के पास कॉल किया । राकेश ने देखा शालिनी का कॉल है ।उसने तुरंत फोन रिसीव किया ।

दूसरी तरफ से शालीनी - भैया आप जापान जा रहे हैं।


राकेश - दरअसल ये खुशखबरी तुम्हें आकर बताऊंगा अभी मैं जापान के लिए निकल रहा हूं ।

शालीनी - भैया आप अकेले ही जा रहे हैं या अपने स्टाफ के साथ हैं ।

राकेश - क्यों मैं तो अकेला ही जाऊंगा । विजिटर्स मेरे साथ है बस जो हमारे साथ इधर से चलेंगे उधर से अकेला ही आऊंगा ।


शालीनी - भैया मैं इसलिए कह रही थी कि मुझे भी जापान घूमना था । वह कंट्री घूमने के लिए बहुत दिन से सोच रही थी और आप जा रहे हैं तो मैंने सोचा भैया के साथ ही निकल जाती हूँ दोनों बहन भाई घूम भी आएंगे अगर आप कंफर्टेबल है तो मैं चल सकती हूं अदर वाइज कोई बात ही नहीं है फिर कभी ट्रिप पर चली जाऊंगी ।

राकेश ने सोचा कि अकेला ही तो जा रहा हूं और बहन कह रही है तो मना भी नहीं कर सकता वरना सोचेगी कि भैया ख्याल नहीं रखते हैं ,, और डरते हैं खर्च करने से ऐसा ही सोचते सोचते राकेश ने कहा।

राकेश - नहीं कंफर्टेबल हूं मैं और यदि तुझे चलना है तो जल्दी ऑफिस आ जाओ ।

शालिनी ने इतना सुना और एक साथ चुदते चुदते लंड पर से एकदम उठ गई और उठ कर तुरंत कपड़े पहनने लगी ।
उधर शालीनी का बॉयफ्रेंड झड़ने ही वाला था प्रिय पाठकों आप खुद सोचिये लंड झड़ने में कुछ सेकंड की बात और हो बस और उस टाइम पर तुम्हारी गर्लफ्रैंड अचानक उठकर अपने कपड़े पहन लें तो आपको कैसा लगेगा ।
मैं बताऊ आपको कैसा लगेगा - आपको लगेगा को उसे तो आप कुछ बोल नही सकते हो क्योंकि आप अपनी गिरलफ़्रेंड को बहुत चाहते हो । लेकिन मन मन मे तो जरूर बोलोगे - बहन-की-लौड़ी खड़े लंड पर धोका दे गई ।
भोसड़ी वाली KLPD कर गयी ।

शालीनी अपनी गाड़ी लेकर भैया के ऑफिस की तरफ चल दी और गाड़ी में म्यूजिक सिस्टम में ये वाला गाना सुनते हुए जा रही थी -

चूंदड़ी जयपुर त मंगवाई
र इंडी सोने की घडवाई
गले म कंठी गेर क न
टोकणी चांदी की ठाई

रूप कति निखरा

पाट रया जिकरा
बहु कई मान गी काल्ली



दामण नीचै पेहरि जुत्ती
बण गी देखो चीज कसूती
या गजबण पाणी न चाली
या गजबण पाणी न चाली
या गजबण पाणी न चाली
गजबण पाणी न चाली ।।
Right time for rakesh to ride shalini in Japan.
 

Premkumar65

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Update 9.

*********************

प्रिय पाठकों - आज का अपडेट बड़ा ही मस्त होगा । कुछ जिंदगी की सच्चाइयों से भरा हुआ और आज वैसे भी तुम्हारे राइटर का जन्मदिन है तो वैसे भी कलम से जादू दिखाऊंगा आज मैं । अब कहानी जमने लगी है आगे वो होगा जो कोई कल्पना भी नही कर सकता ।

और हां मेरे प्रिय पाठकों मेरे fans को बताना चाहूंगा कि दोस्तो आज एक चुदाई कहानी मैं पढ़ रहा था तो मैंने पोस्ट रिप्लाई में राइटर से कहा कि चुदाई जब कराओ इस बाप बेटी की तो आग लगा देना भाई ,
तो बदले में दोस्तो उस राइटर ने वहाँ सबके सामने बेइज्जती कर दी मेरी उसने कहा मुझे लिखना मत सिखा writing skills में मैं तेरा बाप हूँ ,
तो प्रिय पाठकों क्या ये सही था । इस कहानी को अब मैं इतनी hit लिखूंगा की एक दिन उसकी भी नजर पड़ेगी और वो भी पढ़ेगा और उसके लिए नीचे कुछ लाइन्स लिखी है मैंने कि -

--------------
आज इस कहानी की अपडेट जुड़ी है सच्चाई से ।
यारों की यारी में धोखे की खाई से ।
हिम्मत नही हारनी , कहानी लिखकर बाजी है मारनी ,
और तू भी सुन जो सीख सके तो सीख लेना अपने भाई से।
आज मेरी कलम बिल्कुल अंदर से बोलेगी ,
माता सरस्वती मंदिर में से बोलेगी ।
एक sex स्टोरी के राइटर ने मेरे दिल पर मारा है पत्थर ,
तो आज ये चोट खायी मछली समंदर से बोलेगी ।
अक्ल के अंधो को आंख लगाने आया मैं ,
साधुओं के माथे पर राख लगाने आया मैं ।
इस छोटी सी जिंदगी में कई बार टूट लिया ,
घायल परिंदो को पंख लगाने आया मैं ।
लिख बेटा कहानी मेहनत का फल होगा
धरती को खोद कहीं तो जल होगा ,
एक दिन जब तू मेरी ये कहानी पढ़ेगा जरूर ऐसा पल होगा ।
थोड़ा टाइम तो लगेगा पर आज नही तो कल होगा ।
तू लिखकर लेले एक दिन ये राइटर सफल होगा ।
मुझसे भी कई बार खोट होते गए ,
Cool cool मुद्दे hot होते गए ।
जिस जिस को भी सपोर्ट किया भाई मानकर ,

मेरी गलती की लिस्ट में वे नोट होते गये ।
मैं नही कहता पता है मेरा नाम सबको ।
पर कोई बात ना तरक्की दे राम सबको ।
हिट जाये कहानी मेरे छोटे बड़े राइटर भाइयों की ,
इतना भाये उनका काम सबको ।


**********
उधर राकेश और शालिनी का जापान जाने के लिए फिक्स हो हो चुका था।


शालिनी कुछ समय बाद ऑफिस पहुंची अभी अभी अभी चूत की चुदाई कराई थी जिस वजह से उसकी पेंटी भी गीली पड़ी थी , उसने सोचा कि मैं पहले नहा लेती हूं।वह जल्दी से ऊपर वाली मंजिल पर गई , जो सिर्फ मालिक लोगों के लिए होता है ।
वहां पर जाकर उसने अपने कपड़े उतारे और एक आर्टिफिशियल स्विमिंग पूल में नहाने के लिए उतर गयी ।

उसने स्विमिंग पूल में पानी का टेंपरेचर नॉर्मल किया , जिससे कि पानी ना ही ठंडा महसूस हो रहा था और ना ही गरम । 10 मिनट तक नहाने के बाद शालिनी स्विमिंग पूल पूल से निकली

अब कुछ अच्छा महसूस कर रही थी। जो चुदाई की थकावट थी वह भी निकल गई थी।

अब शालिनी ने सोचा कि क्या पहना जाए , शालिनी ने जींस और ऊपर के लिए एक शॉर्ट गाउन निकाला ।
शालिनी की गाड़ी में हमेशा एक दो जोड़ी कपड़े extra रखे होते हैं ।



उधर आरती अपने फ्रेंड्स के साथ होटल पहुंचकर घूमने की प्लानिंग कर रहे थे ।कि उन्हें कोई गाइड करने वाला हो, जो यहां पर उन्हें घुमा सके।
क्योंकि यहां के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी अचानक आरती की फ्रेंड को मायूस बैठा देखकर आरती ने पूछा कि क्या हुआ तुम ऐसे चुप क्यों बैठी हो ?
उसने कहा कि उसके बॉयफ्रेंड से उसका ब्रेकअप हो गया है । आरती बोली कि जो तुम्हारा बॉयफ्रेंड था उसे तो मैं भी जानती हो ।
वह तो शक्ल से ही बेवफा लगता था लेकिन तुम्हें उसने क्यों छोड़ दिया ?
आरती की फ्रेंड बोली मैं तुम्हारी तरह जवानी में भरी हुई नहीं हूं ना ,तुम्हारी तरह मेरी गांड बाहर नहीं निकल रही है ना, तुम्हारी तरह मेरी छातियों उठी हुई पहाड़ की तरह नहीं रहती हैं । इसलिए मेरे जैसी लड़कियों को पसंद करता ही कौन है।

यह कहते कहते वह मायूस हो गयी ।

आरती ने कहा गलती तुम्हारी नहीं है तुम्हें कोई बहुत प्यार करने वाला मिलेगा । उस लड़के को तो मैं जानती ही हूं और अब तुम उसकी उम्मीद छोड़ दो कि वह तुम्हें अपनी जीएफ के रूप में दोबारा देखना चाहेगा क्योंकि वह तुम्हारे साथ सिर्फ धोखा कर रहा है ।

आरती ने कहा मैं तुम्हे एक बात बोलू आरती की फ्रेंड बोली बोलिए तो आरती ने इस कदर अपने लफ्जों को शायरी में पिरोया ।

आरती बोली -

जिसे जाना था वह चला गया अब रोने से क्या हो जाएगा,
जिसे जाना था वह चला गया अब रोने से क्या हो जाएगा,
खोई हुई चीज को यूं ढूंढने से क्या हो जाएगा।

तू क्या सोच रही है तू अकेली है नहीं मेरी फ्रेंड बहुत रोए हैं इस प्यार में,
तेरे जैसे पता नही कितने बर्बाद हो गए हैं इस प्यार में ।


एक बार जिंदगी की फिर नई शुरुआत कर।
भूल गया वह तुझे अब तू भी भूल जा कोई और बात कर।


यह सब सुनकर आरती की फ्रेंड आरती से बोली क्या बात है। आज तो मेरी जान शायराना अंदाज में है ।

आरती यह सुनकर उसे बोली कि मेरी जान यह शायराना अंदाज मेरा नहीं है ।
वह मुस्कुराते हुए बोली कि एक शायर है जो आजकल मुझे भी शायरी सिखा रहा है ।

आरती की फ्रेंड कहने लगी कौन है वह ?

आरती बोली की है एक पागल सरफिरा जो दिलो दिमाग पर अपना घर बनाता जा रहा है। और उसकी बातों में जादू है। जब वह बोलता है तो लगता है कि हर लाइन उसने मेरे लिए ही बोली है। उसकी हर लाइन में इतना प्यार इतना रहस्य इतनी मिस्ट्री होती है कि मैं तो समझ ही नहीं पाती कि दिमाग से सुनूं या दिल से। आरती यह बोले जा रही थी ।


उधर दूसरी तरफ राकेश और शालिनी जाने के लिए रेडी हो चुके थे ।

शालिनी राकेश की आंखों के आगे आई तो अपने शरारती अंदाज में बोली भैया मैं कैसी लग रही हूं। अकॉर्डिंग टू जापान यह मेरी ड्रेस सही है।

राकेश ने जैसे ही उसे देखा राकेश तुम मानो पागल ही हो गया शालनी की हिरनी जैसी आंखों पर लगा हुआ काला चश्मा उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था।


राकेश बोला आज तो मेरी बहन लगता है दिलों पर राज करेगी यह बोलते हुए राकेश मुस्कुरा दिया ।

शालिनी बोली बताओ ना भैया कैसी लग रही हूं ।


राकेश बोला आज तो तुम बिल्कुल ही कयामत लग रही हो कयामत से भी ऊपर लग रही हो । तुम्हारा यह ड्रेस लुक बहुत अच्छा है शालिनी तुम्हें देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि तुम कोई हीरोइन नहीं हो । तुम बिल्कुल हीरोइन ही लग रही हो ।

शालीनी यह सुनकर मुस्कुरा दी उधर राकेश ने पहली बार ऑब्जर्व किया कि उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो गई है। उसकी बहन की उम्र भी तो जवानी में लंड खाने के लायक ही है राकेश कहने लगा अपने मन में ।

राकेश ने पहली बार ऑब्जर्व किया था कि शालिनी की जांगे भर गई है उपासना से तो मोटी नहीं है , लेकिन हां अब कपड़े फंसने लगे हैं। उसकी जवानी में कोई भी कपड़े पहन लो वही फस जाते हैं । राकेश सोचने लगा कि अब शालिनी की शादी कर देनी चाहिए क्योंकि वह अब जवान हो गई है यह सोचते सोचते उसकी नजर उसकी छाती के ऊपर पड़ी तो मानो रेड कलर में वह फटने को तैयार हो रही हो । और जैसे खरबूजा होता है खरबूजे जैसे चूचे तो उसके छाती पर इस तरह शोभा दे रहे थे जैसे हिमालय पर्वत ।

उनकी गोलाई और उनका उठाव पागल कर गया राकेश को और राकेश के मुंह से निकला-



राकेश शालीनी से बोला -
तेरे नैन नशीले बेबी खतरनाक ,
लगा लिया तूने काला चश्मा अपनी धकलीं आंख ।
तेरी एक अदा पर बंदे मर गए लाख ।

तूने जला दिए दिल बस बची है राख ।
है गजब तेरा लुक सोना moon जैसा मुख ।
जो भी तुझे एक बार देख ले उसे मिल जाए सारी दुनिया के सुख ।
तुझे देखकर मेरी तो सांसे गई रुक ,
I want to read your beauty वाली book ।


अपने भाई राकेश के मुंह से ऐसी लाइंस सुनकर शर्मा गई शालिनी और कहने लगी भैया आप तो कोई पहुंचे हुए शायर लगते हैं ।
यह शायरी आपने कहा सुनी राकेश ने कहा मैंने यह सुनी नहीं है तुम्हें देखकर ऑन द स्पॉट बनाई है ।

शालिनी कहने लगी तुरंत शायरी बनाने में एक्सपर्ट हो भाई आप ।

उसके बाद शालिनी और राकेश तुरंत गाड़ी की तरफ चल दिए । दोनों गाड़ी में जा कर बैठे ।

जैपनीज की गाड़ी पीछे चल रही थी राकेश वाली गाड़ी से ।

राकेश और शालिनी पीछे बैठे हुए थे।

आगे ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और गाड़ी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की तरफ भाग रही थी ।
अचानक राकेश ने पीछे वाली गाड़ी के ड्राइवर से कहा ,( जो जैपनीज वाली गाड़ी चला रहा था ) तुम एयरपोर्ट चलो हम जरा कुछ शॉपिंग करके आते हैं । कुछ कपड़े खरीदने हैं वह मैं खरीद कर आ रहा हूं एयरपोर्ट पर ही मिलूंगा ।


लेकिन जब राकेश ने फोन किया तो गाड़ी में हिंदी गाना बज रहा था जिसे सुनकर राकेश ने सोचा कि जैपनीज तो बोर हो रहे होंगे ।उसने अपने ड्राइवर से कहा कि कोई हॉलीवुड का इंग्लिश सॉन्ग प्ले करो या इसे बंद करो।
क्योंकि जैपनीस हिंदी नहीं समझ पा रहे होंगे ऐसा कह कर उसने कॉल रखदी ।
राकेश ने भी अपनी गाड़ी में भी एक इंग्लिश गाना चला दिया । गाना कुछ इस तरह था -


you are my love you are my life,
you are star of my eyes .
give me hug every time,
you are sweet you are nice.
You are fine like a wine ,
Your beauty is God's design .

यह गाना शालिनी को बहुत पसंद आया उसने पहली बार सुना था और वह गाने में खो गई ।


उसके बाद उधर दूसरी तरफ उपासना अपने कमरे में बैठी हुई सोच रही थी कि आखिर क्या किया जाए ।
अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया वह उठी और उठ कर नहा कर आई।


नहाने के बाद उसने एक पार्लर वाली को बुक किया और घर बुलाया कुछ ही देर बाद दोस्तों उपासना बैठी हुई थी नीचे फर्श पर ।
उसने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन रखी थी । ड्रेसिंग कमरे में सिर्फ उपासना और पार्लर वाली ही थे , गेट लॉक था ।

पार्लर वाली उपासना के पैरों पर मेहंदी लगा रही थी।

हाथों पर पहले ही लगा चुकी थी ।
दोस्तों उपासना ने आज अपने हाथ की उंगलियों से लेकर अपने कंधे तक मतलब पूरी पूरी बाजुओं पर मेहंदी लगाई थी , फूलों के डिजाइन से ।
और पैरों की शुरुआत हो चुकी थी और उसने पार्लर वाली को बोला कि उसे अपने पैरों की उंगलियों से लेकर अपनी जांघों को मेहंदी से सजाना है ।



पार्लर वाली ने उसकी टांगो पर मेहंदी लगन शुरू किया तो घुटनो तक तो फूलों के डिजाइन बनवाये उपासना ने और उसके बाद गदरायी जांघो पर उसने पत्तियों के डिजाइन बनवाये । और उनके डिजान्स के बीच मे मेहंदी से slut और आपकी रंडी लिखवाया ।

उसके बाद उसने पेट पर भी मेहंदी लगाई मतलब पूरी तरह से सजने धरने का प्रोग्राम आज उपासना बना चुकी थी।


दो-तीन घंटे के बाद मेहंदी सूखने के बाद उपासना नहाने चली गयी तो दोबारा से उपासना नहा कर निकली ।



और जैसे ही उसने अपने आपको आईने में देखा तो उसे शर्म आ गई ।

दोस्तों ऊपर से नीचे तक मेहंदी में रची हुई उपासना शीशे के सामने खड़ी थी । उसकी गांड पीछे को निकली हुई थी और छातियां आगे को निकली हुई थी ।
उपासना ने मेहंदी से अपनी छातियों पर भी निप्पल के चारों ओर एक गोल सर्कल बनवाया था।

जिससे उसकी चूचियां इतनी ज्यादा मस्त लग रही थी कि अगर किसी की आंखों के सामने नंगी आ जाए तो उनको खा ही जाए ।

उसके पेट पर नाभि के चारों तरफ भी मेहंदी से बना हुआ एक सर्कल था । जो और भी ज्यादा अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था ।

अपनी क्लीन चूत के चारों तरफ मेहंदी की एक लाइन खिंचवा रखी थी । और चूत के 3 इंच ऊपर जहां से जाटों की शुरुआत होती है, वहां से उसने तकरीबन कोई इन 4 इंच के घेरे में झांटें छोड़ दी थी, यानी कि वह साफ नहीं की थी।

जो छोटी-छोटी काले रंग की झांट और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।

फिर उसकी नीचे भरी-भरी जांघें जो सिर्फ आगे से मेहंदी से रची हुई थी , लेकिन पीछे से नहीं ताकि कोई भी देखे तो उसे उपासना की जांघ सामने से सजी-धजी ही नजर आए।
लेकिन जब उसे सीधी लिटा कर उसकी टांगों को मोड़ कर उसकी छाती से लगाए तो पीछे की तरफ की जांघ , जब सामने आए तो उन पर मेहंदी रची हुई नहीं दिखेगी ,वह बिल्कुल नंगी मोटी जांघ दिखेगी ।

इस तरह से अपने आपको एक यूनिक तरीके से सजाकर मन ही मन बड़ी मुस्कुरा रही थी उपासना ।

उपासना को अब सेलेक्ट करना था ड्रेस कोड ।
उसे ड्रेस क्या पहनना है वह जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल कर बेड पर एक-एक ड्रेस कोअलग करने लगी।


पहले उसे एक गाउन मिला तो उसने सोचा कि गाउन पहनकर सजी हुई मैं अच्छी नहीं लगूंगी । उसने गाउन एक तरफ फेंक दिया ।
फिर दूसरे नंबर पर उसके हाथ में जींस आई तो जींस को भी उसने एक तरफ फेंक दिया ।
फिर उसने एक सूट सलवार निकाले लेकिन वह सूट सलवार भी उसे पसंद नहीं आए ।
उसने सोचा क्या पहना जाए ऐसा क्या पहना जाए जिससे मेरा सजा हुआ यह रूप और भी खूबसूरत लगे ।
उसने दोस्तों एक साड़ी निकाली लेकिन वह भी उसे पसंद नहीं आई ।
उसने फिर सोचा कि मैं एक काम करती हूं ऐसा सोचकर उसने तुरंत कॉल लगाया अपने मार्केट इंस्पेक्टर को।


और कहा - I'm upasna from DS Industries. मुझे मार्केट में जो सबसे अच्छा टेलर है उनका डाटा चाहिए।

इंस्पेक्टर ने कहा सुनकर अच्छा लगा कि आप जैसे बड़े लोगों ने हमें याद किया ।
बिल्कुल आप एक सेकंड का वेट कीजिए , मैं अभी निकलता हूं और निकाल कर उपासना को ट्रांसफर कर दिया ।

उपासना ने टेलर को कॉल लगाया उधर से आवाज आई कोई लेडीस की ।

उपासना ने कहा - कि मुझे कोई ड्रेस सेलेक्ट करना था पहनने के लिए लेकिन मुझे कोई ड्रेस पसंद नहीं आया।
तुम्हें चाहती हूं आप मेरे घर पर 20, 30 दुपट्टे भेज दे। जो सूट सलवार के ऊपर दुपट्टे पहने जाते हैं वो वाले ।

सुनकर टेलर ने कहा कि दुपट्टा किस तरह का चाहिए मैडम ।

उपासना ने कहा कि जो बिल्कुल देसी सूट सलवार के दुपट्टे होते हैं , जो ज्यादा मोटे कपड़े की नहीं होती हैं ।
ट्रांसपेरेंट वाले टाइप की होती हैं वह वाली भेज दो।
जिन्हें चुन्नी बोलते है ।
और साथ में एक एक्सपीरियंसड फीमेल टेलर भी भेज देना ।


आधे घंटे के बाद आ गयी । उपासना ने उसे 1 सेपरेट रूम में बिठाया और उसे उसकी सिलाई मशीन वहां पर रखवा दी।
टेलर बैठी हुई था और उपासना से पूछने लगी - यस मैम कपड़ों में क्या मॉडिफिकेशन आपको कराना है ।

तो उपासना ने कहा कि मुझे सूट सलवार बनवाना है ।

यह सुनकर टेलर कहने लगी - मैडम मैं सूट सलवार के कपड़े तो लेकर ही नहीं आई हूं । मैं तो केवल चुन्नियां लेकर आई हूं ।

उपासना ने कहा - यही तो ट्विस्ट है की मुझे चुन्नी वाले कपड़े के सूट सलवार पहनने हैं , तो तुम कितना टाइम लोगे इन्हें सीलने में ।

टेलर यह सुनकर चौंक गई और कहने लगी - मैम ऐसे भी कोई सूट सलवार पहनता है क्या ।

उपासना अभी दरअसल साड़ी पहनकर खड़ी हुई थी। इस वजह से टेलर को नहीं समझ आ रहा था कि यह चुडक्कड़ रंडी क्यों बनवा रही है दुप्पटे वाले कपड़े के सूट सलवार ।

तो टेलर ने कहा - ठीक है मैम जैसा आप चाहो मुझे तो बनाना है , आप किसी भी कपड़े का बनवा लो। मैं आधे घंटे में रेडी कर दूंगी । दुपट्टे के कपड़े के सूट सलवार तो वैसे भी जलदी बन जाएंगे ।
बस आप मुझे अपना नापा दीजिए बॉडी का।


यह सुनकर उपासना उसके पास गई और अपनी साड़ी एक तरफ उतार कर रख दी ।

जैसे ही उसने साड़ी उतारी तो टेलर चोंक गयी उसकी सजावट देखकर । नाभि के चारो और सर्कल देखकर मेहंदी से लगा हुआ वह बहुत ही ज्यादा उत्साहित हो गई और पूछने लगी कि भाभी आज कोई फंक्शन में जाना है क्या आपको ?

उपासना कहने लगी - आप अपना काम कीजिए ।

इस वक्त दोस्तों उपासना ने फुल स्लीव का ब्लाउज पहना हुआ था मतलब पूरी ढकी हुई थी फुल कपड़े में जिस वजह से उसकी बाजू की मेहंदी टेलर को दिखाई नहीं दे रही थी।

और नीचे पहना हुआ था उसने पेटीकोट जिस वजह से नीचे की मेहंदी भी उसे दिखाई नहीं दे रही थी ।
उसे केवल उसके हाथों की और उसके पेट पर आगे बने सर्कल ही दिखाई दे रही थी।


उसने नापा लेना स्टार्ट किया तो उपासना ने कहा - आप पीछे से गला डीप रखना सूट का , और उसकी जो कुर्ती होगी वह मेरे हिप्स तक ही रहेगी ।

यह कहकर उसने नापा देना स्टार्ट किया तो टेलर ने उसकी जांघों को फीते से नापा तो वह हैरान रह गई क्योंकि उसकी जांघे नॉर्मल लड़कियों के मुकाबले काफी मोटी थी ।

उसने उसके बाद उसने उसकी कमर में फीता डाला तो उसकी कमर का पतलापन देखकर वह हैरान रह गई।


उसके बाद उसने उसकी छातियों में फीता डाला छाती भी नॉर्मल लड़कियों के हिसाब से और उसकी एज के हिसाब से काफी गदरा गई थी । छातिया नहीं दोस्तों हम उन्हें पके हुए पपीते बोल सकते हैं ।

उसके हिप्स का नापा लिया तो उपासना के हिप्स भी चौड़े चौड़े थे । साड़ी भी नाकाम साबित होती थी उस गांड को ढकने में और आज ये चुदक्कड़ देवी उस गांड को झीनी सी सलवार से ढकने के ख्वाब देख रही थी ।


उधर दूसरी तरफ धर्मवीर अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप में कुछ देख रहा था।
अचानक धर्मवीर ने सोचा कि नीचे जाकर दूध ही पी लेता हूं, लेकिन उसने सोचा की उपासना को मैं कॉल कर देता हूं।


उसने उपासना को कॉल किया - उपासना मेरे कमरे में दूध दे जाओ ।

उपासना यह सुनकर थोड़ा शरमा गई लेकिन उसने जल्दी से एक बड़ा सा शॉल लिया और अपने पेट और कमर को भी छुपा लिया । साड़ी पहन ही रखी थी ।

बस उसके हाथ ही अब बाहर दिखाई दे रहे थे ।

उपासना दूध लेकर राजवीर के कमरे में गई तो दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने जब उपासना को देखा तो उपासना के प्रति उसके दिल में उपासना की और इज्जत बढ़ गई वह सोचने लगा - कि मेरी बहन और मेरी बहू में कितना फर्क है।


आरती और उपासना में कितना फर्क है।

बहू मेरे घर की मान और मर्यादा का कितना ख्याल रखती है। वास्तव में भगवान ऐसी बहू सबको दे मेरी बहू करोड़ों में एक है ।अपनी बहू की तारीफ मन ही मन करता हुआ उसने दूध उसके हाथों से जैसे ही लिया ।

तो उपासना के रचे हुए हाथ देखकर वह मन में चौक गया , सोचने लगा धर्मवीर कि रात को जब सब डिनर कर रहे थे तब तो उपासना के हाथों पर कुछ भी नहीं था। और अब उपासना के हाथ बिल्कुल रचे हुए हैं।

आज तो कोई त्यौहार या कोई फंक्शन भी नहीं है मन में धर्मवीर ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसने सोचा हो सकता है उपासना को आज कहीं पर जाना हो। किसी फंक्शन या पार्टी में तो अनायास ही पूछ बैठा की - बहू आज तुम कहीं जाने वाली हो क्या ?

उपासना ने कहा कि- आज वो और उनकी बहन यानि मेरे पति राकेश और शालिनी दोनों जापान गए हैं ।
और आरती दीदी भी अपने फ्रेंड्स के साथ हिल स्टेशन गई हैं लेकिन वह तो शाम तक आ जाएंगी ।नहीं पापा जी मुझे तो ऐसा कहीं कोई खास पार्टी में नहीं जाना है ।
मैं तो आज घर पर ही हूं यह कहते हुए वह चुप हो गई।


धर्मवीर ने कहा - हाँ कॉल आया था राकेश का उसने बताया इस प्लान के बारे में कि वह दोनों बहन भाई जपेन जा रहे हैं । अच्छा है बहू की अपने बिजनेस की पकड़ और भी मजबूत हो और हम दौलत और शोहरत दोनों में अपना नाम और बड़ा करें । राकेश की लगन देखकर मुझे लगता है कि वह अपने बाप के नाम को रोशन कर देगा ।

लेकिन यह बोलने के बाद में धर्मवीर ने मन में सोचा कि बहू को कहीं आज जाना भी नहीं है । और राकेश भी घर पर नहीं है जो पति के लिए सजी हो तो फिर आज बहू ने हाथ क्यों रचाये हुए हैं धर्मवीर ऐसा मन में सोच ही रहा था लेकिन पूछने की हिम्मत नहीं कर सका ।

और दूध लेकर अपने बेड पर बैठ गया उपासना दूध देकर जैसे ही जाने को मुड़ी तो दोस्तों साड़ी और शॉल से ढकी होने के बावजूद भी उपासना की गांड की लचक महावीर की नजरों से बची ना रह सकी । और मजबूर हो गया धर्मवीर अपनी आंखों से स्कैन करने को ।

उसका bubble ass यानी चौड़ी गांड एक बार तीर मार गई महावीर के दिल में। और अपनी नजरो से ही अपनी बहु को नंगा करने लगा ।




लेकिन महावीर ने तुरंत सोचा कि मैं कितना गंदा हूं ।
आजकल की इतनी मॉडर्न घर की इतनी हाई प्रोफाइल फैमिली से बिलोंग करने वाली लड़कियों को मैंने नंगे घूमते हुए देखा है । लेकिन मेरी बहू ढकी हुई है पूरी की पूरी और उसके बावजूद भी मैं अपने मन में उसकी गांड को घूरने के सपने देख रहा हूं । छी मैं कितना गंदा इंसान हूं मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए । मैं तो धरती पर कलंक ही हूं । मैं इंसानियत पर कलंक हूं । मुझे अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए और मैं किस रास्ते पर चलने की सोच रहा हूं।


धर्मवीर ऐसा सोचता ही रह गया और उपासना निकल चुकी थी।

उपासना जैसे ही नीचे आई राकेश का कॉल आया हूं कि हम दोनों बहन भाई एयरपोर्ट पहुंच चुके हैं ।
और दोनों बहन भाइयों ने कपड़े भी खरीद लिए हैं ,
और वह उसे कहने लगा कि हो सकता है मैं कॉल ना कर पाऊं तो मेरी जान मेरी बात को समझना कि अभी दो-तीन दिन बिजी हूं । और यह सब किसके लिए कर रहा हूं अपनी बीवी के लिए ही तो कर रहा हूं अपनी फैमिली के लिए ही तो कर रहा हूं , अपने परिवार के लिए ही तो कर रहा हूं।


यह सुनकर उपासना खुश हुई और अपने पति को प्यारी सी किस देकर फोन रखा ।


तब तक टेलर ने तैयार कर दी थी ड्रेस। उ
उपासना ने जो ड्रेस बनवाई थी दोस्तों उसकी जो नीचे सलवार थी वह पूरी चुस्त टाइट बनवाई थी , और उस सलवार की लंबाई घुटनों से थोड़ा ही नीचे तक थी यानी की पूरी पैरों तक नहीं घुटनों से हल्का नीचे तक की थी जहां तक कैपरी होती है ।
और वह चुस्त सलवार के ऊपर चुन्नी वाले कपड़े की ही कुर्ती थी यानी की सलवार और कुर्ती दोनों ही चुन्नी वाले कपड़े के थे । और दोनों ही चुस्त और टाइट ।


उपासना ने इन कपड़ों को लेकर रख लिया ।
फिर उपासना ने टेलर को दस हजार का एक नोट देते हुए विदा किया।


प्रिय पाठकों आप सोच रहे होगे की उपासना आज किसके लिए सजी है
आखिर आज क्या होने वाला है , क्या आज रात को नंगा नाच होने वाला है। क्या आज उपासना चुदने वाली है । क्या उपासना एक ताबड़तोड़ चुदाई के लिए तैयार हो रही है । क्या उपासना को चार या पांच मर्द मिलकर चोदने वाले हैं आज की रात । क्या उस उपासना के सारे छेदों में आज वीर्य भरा जाना है रात को । आखिर आज साला होने वाला क्या है यह यही आप सोच रहे होंगे ना ।
तो अब यह नेक्स्ट अपडेट में दोस्तों ।

मां कसम आज एक बार फिर कहता हूं कि मां कसम आग लगा दूंगा इस कहानी के जरिये हर चुत और लंड में । इस कहानी को पढ़कर चूतों में से अनलिमिटेड पानी की नदी बहेगी और लंड वालो को चूतों के सपने खुली आँखों से भी दिखने लगेंगे ।
वादा है मेरा प्रिय पाठकों कि तुम्हें लत लगा दूंगा मेरी कहानियों की।
......
Bahut khoob. Suspense bahut mazaa de raha hai.
 

Rinkp219

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Mar gaya...m............
 

Premkumar65

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Update 12

Hi dosto.

आपको बताना चाहूंगा कहानी में हल्का सा फेरबदल हुआ है तो लास्ट वाली update 10 (जो इस update से पहली update है) के आखिरी में कुछ लाइन्स बदल दी गयी है तो उन्हें आखिरी में दोबारा पढ़े कहानी समझने के लिए ।

दोस्तों इस कहानी को पढ़ने के लिए और स्पोर्ट करने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।
और आप विश्वाश रखिये आपको इस कहानी में मजा आएगा
क्योकि -


आंखों में रखता हूँ मैं चूतों का नक्शा ,
मैं चलते फिरते टैलेंट का बक्सा ।
वादा करूं यारो जब उपासना की चूत में लंड जायेगा ,
तो आपका पढ़ने का मजा दोगुना हो जायेगा ।


चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है ।
********


धर्मवीर गुस्से से पागल होकर देखे जा रहा था उपासना को।
उपासना चुप खड़ी हुई अपने नौकर अनवर के सामने ।

धर्मवीर आग लगा देना चाहता था अपने बंगले और अपनी इस शानोशौकत में जो उसने इतनी मेहनत के बाद हासिल की थी ।

तभी उपासना और अनवर के बीच बात शुरू हुई ।
अनवर अपनी कहानी बताने लगा ।

अनवर - भाभी जी जैसा आपने बताया कि डॉक्टर्स की रिपोर्ट में आया था कि राकेश कभी आपको माँ नही बना सकता और ये मैं भी देख रहा हूँ कि 3 साल हो गए आपकी शादी को ।

( प्रिय पाठकों ये राज की बात आज धर्मवीर चुपके चुपके सुन रहा था की उसका बेटा किसी लड़की को माँ नही बना सकता है ।)

अनवर कहने लगा इस घर की सेवा मेरे पिताजी ने बड़े ही तन मन से की थी और मैंने भी आपका नमक खाया है ।
मुझे मालकिन से भाभी जी कहने का हक दिया है अपने ।
आपके कहेअनुसार मैं गांव जाने का बहाना करके गया था उस बाबा के पास जिसका आपने address दिया था मुझे ।

अनवर आगे कहने लगा कि भाभी बाबा ने बताया है कि राकेश पर कोई भूत या प्रेत का साया नही है, राकेश के वीर्य में ही कमी है । ये कहता हुआ राकेश मुह फेरकर बात करने लगा । क्योकि उसकी हिम्मत नही हो रही थी क्योंकि उपासना उसकी मालकिन थी ।

उपासना कहने लगी - हां अनवर तुमने मुझे फोन पर यह सब बताया था ।

उपासना ने राकेश की रिपोर्ट चैक की थी जिसमे मेंशन था कि राकेश कभी बाप नही बन सकता । उपासना ने सोचा किसी पहुंचे हुए साधु बाबा से ही मदद ली जाए ।
टैब उसने अनवर को उस साधु बाबा के पास भेजा था ।

अनवर जब से मैने सुना है कि राकेश मुझे माँ नही बना सकता टैब से मैं परेशान हूं । सोचा कि अब यह वंश कैसे आगे बढ़ेगा ।
लेकिन तुमने मुझे फिर आगे बताया कि बाबा कह रहे हैं यदि मैं 2 साल के अंदर इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो इस वंश को आगे बढ़ा पाए ।
और यह वंश यहीं पर समाप्त हो जाएगा
जब से तुम्हारे मुंह से मैंने ऐसा सुना है मुझे खाना तक भी अच्छा नहीं लगा।

फिर मैंने फैसला किया कि यदि राकेश मुझे मां नहीं बना सकते और 2 साल मैं इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर मेरे इस घर में होने पर कलंक है । मुझे ऐसी बहू होने पर कलंक है । उसके बाद मैंने फैसला किया कि मैं वारिश दूंगी इस घर को । मैं एक प्यारा सा बच्चा दूंगी इस घर को ।
और मैंने फैसला किया कि मैं राकेश के साथ सोने की जगह किसी और के साथ सो जाऊंगी ।
लेकिन मेरी भी कोई मान मर्यादा है । मेरी भी कोई इज्जत है।

मेरी नजरों में इस खानदान की इज्जत है जो कि मेरी इज्जत से भी बढ़कर है । तो मैं इस तरह से किसी के सामने कैसे यह बात रख सकती हूं ।
इससे तो हमारे खानदान की नाक कटेगी ।
मैंने फैसला किया कि मैं यह इज्जत अपने घर में ही रखूंगी और मैं पापाजी से इस बारे में सहायता लूंगी।

लेकिन तुमने मुझे बोला कि भाभी आप पापाजी से बात से बात मत करना क्योंकि वह यह बात कभी सहन नहीं कर पाएंगे।
वह ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकते हैं कि वह आपको मां बनाएंगे। यदि आप उनसे बात करोगी तो वह आप को घर से निकाल देंगे । वह आपकी बात पर विश्वास नहीं करेंगे।
तब मैंने फैसला किया यह बात अनवर तुम खुद करोगे पापाजी से।
तुम खुद उन्हें इस कमरे में भेजोगे ।तुम हमारे नौकर ही नहीं हमारे परिवार का एक सदस्य हो । वह सदस्य जिसे हमारे राज पता है। हमें तुम पर पूरा विश्वास है जाओ और पापाजी को भेज दो । पापाजी से कैसे तुम बात करोगे तुम जानो ।

मैं आज बाबूजी का इंतजार इस बेड पर बैठकर करूंगी ।

ऐसा कहकर उपासना की आंखों से आंसू आ गए और वह अपने आंसू पोंछते हुए एक तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

और अपने गुस्से से कहने लगी अनवर से कि जाओ अब तुम अपना काम करो । तुम्हें जिस तरह से पापाजी को बोलना है , जाओ और जाकर के बोलो। ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई ।

अनवर यह सुनकर रोने लगा और कहने लगा की भाभी बाबू जी क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा मुझे घर से निकाल देंगे, ज्यादा से ज्यादा मुझे पीट लेंगे , लेकिन मैं इस घर को बचाने के लिए पिट लूंगा , बेघर हो जाऊंगा लेकिन इस घर पर आंच नही आने दूंगा । ।

मैं जा रहा हूं बाबू जी से मिलने जैसे ही धर्मवीर ने यह सुना उसका सारा गुस्सा शांत हो गया। मानो उसे गुस्सा तो 3 साल से आया ही नहीं है ।
उसके चेहरे पर अब कोई शिकन नहीं थी वह बस मौन था।

बिल्कुल शांत था ।

ऐसा सुनते ही धर्मवीर जल्दी से अपने कदम सीढ़ियों की तरफ बढ़ाता हुआ अपने कमरे में जाकर बैठ गया । क्योंकि उसे पता था अब अनवर उसके पास आने वाला है उसे क्या रिएक्ट करना है कैसे रिएक्ट करना है यही मैं सोच रहा था।

5 मिनट के बाद अनवर लिफ्ट से तीसरे फ्लोर पर पहुंच चुका था ।
उसके हाथों में दूध का गिलास था वह धर्मवीर जी के कमरे में जाकर सर झुका कर कहने लगा - बाबू जी नमस्ते उसने आगे बढ़कर धर्मवीर के पैर छुए ।

धर्मवीर को पता नहीं कैसे उस पर इतना अपनापन लगा कि धर्मवीर ने अपना हाथ बड़े प्यार से उसके सर पर रखा और उसे आशीर्वाद दिया।

उसके बाद धर्मवीर कहने लगा रहे हैं अनवर तुम कब आए धर्मवीर ऐसा कहते हुए चौक गया जैसे उसे कुछ पता ही ना हो ।

अनवर कहने लगा - बाबूजी मैं अभी 1 घंटे पहले ही आया हूं।

मैं नीचे था माँ ने कुछ सामान दिया था वह सामान निकाल रहा था। मैंने सोचा कि बाबूजी के दूध पीने का टाइम हो गया है तो मैं दूध देकर आ जाता हूं ।
धर्मवीर बोले हां दूध रख दो वैसे मैं दूध पी चुका हूं।


फिर अनवर कहने लगा बाबूजी आप से मुझे कुछ बात करनी थी ।

धर्मवीर ,- हां बोलो अनवर कहने लगा.।

अनवर - बाबूजी बात कुछ इस तरह है -------
(प्रिय पाठकों अनवर ने अपने और उपासना के बीच हुई सारी बातें धर्मवीर को बता दी )

धर्मवीर ने यह सुनकर मन ही मन सोचा इतना वफादार नौकर भगवान सबको दे ।


धर्मवीर कहने लगा की अनवर - हमें तो यकीन ही नहीं होता कि पता नहीं किस बात की सजा हमें मिली है , यह क्या संकट, क्या मुसीबतों का पहाड़ हमारे घर पर टूट गया है ।सुनो तुम इस बारे में राकेश को कुछ भनक नहीं लगने देना । रही बात मेरे बहू के पास सोने की की तो मैं जाऊंगा तुम चिंता ना करो । मैं इस खानदान को वारिश दूंगा।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने एक बार कड़क आवाज में कहा कि यह राज ही रहना चाहिए जाओ और जाकर सो जाओ।
और तुम आज तीसरे फ्लोर पर ही गेस्ट रूम में सो जाना यह सुनकर अनवर धर्मवीर की तरफ देखने लगा। लेकिन धर्मवीर की लाल आंखों को देखकर वह डर गया और सर झुका कर जी बाबू जी बोलते हुए चला गया ।

धर्मवीर सोचने लगा हे भगवान मैं तो अपनी बहन के ही सपने देख रहा था मैने तो सोचा भी नही था कि यह कोहिनूर का खजाना भी मेरी राह देख रहा होगा।
लेकिन भगवान को कोसने लगा और कहने लगा कि यदि ऐसा कोई प्रोग्राम था तो पहले से बताया होता क्योंकि मुझे भी तो तैयार होने में थोड़ा समय लगता है ।

दोस्तों जल्दी से धर्मवीर अपने बाथरूम में गया उसने वहां जाकर अपने लंड को देखा उसका लंड राकेश से बड़ा था।


वह सोया हुआ लंड ही कम से कम 7 इंच का नजर आता था । और खड़ा होने के बाद वह 12 से 13 इंच का हो जाता था । और उसकी मोटाई हाथ की कलाई के बराबर मोटा था



यह देखकर अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा धर्मवीर उसने अपनी ज्यादा लंबी बढ़ी हुई झांटों को छोटा किया।
और गर्म पानी से नहाया , नहाने के बाद वह निकला और उसने अपने शरीर पर इत्र लगाया । इत्र लगाने के बाद हल्की-हल्की खुशबू धर्मवीर के जिस्म से आने लगी थी।

लेकिन उसने सोचा कि वह बहू को कैसे फेस कर पाएगा और कैसे बहू उसको फेस कर पायेगी ।

यह सोचते ही उसने सोचा कि क्यों ना बहू को पहले कॉल कर लिया जाए ऐसा सोचते हुए उसने उपासना को फोन लगाया उपासना ने जैसे ही अपने मोबाइल पर धर्मवीर जी का कॉल आते हुए देखा तो उसकी धड़कन तेज हो गई।


उसने सोचा कि हे भगवान पता नहीं क्या हो गया क्योंकि ससुर जी आने की जगह मुझे फोन क्यों कर रहे हैं ।
पापा जरूर गुस्सा होंगे ऐसे सोचते हुए उसने फोन उठाया और कुछ बोली नहीं । बस फोन उठाकर अपने कान पर लगा लिया ।

उधर से धर्मवीर धीमी आवाज में बोला । उपासना ने यह धीमी आवाज सुनकर थोड़ा दिल को तसल्ली दी और कहने लगी - जी पापा जी ।

धर्मवीर - उपासना बेटा मुझे दूध पीना था ।

धर्मवीर के इस अटपटे सवाल से चौक पर हैरान रह गई उपासना । वह समझ नहीं पाई कि अनवर ने उसे कुछ बताया है या नहीं ।

ऐसा सोचते हुए उपासना कहने लगी -जी पापा जी अनवर आ गया है मैं बोल देती हूं उसको ।

यह बात तो धर्मवीर को उल्टा ही पड़ी।


धर्मवीर- मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है बहू तुम ऊपर आ जाओ ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी पापा जी मैं ऊपर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं है माफी चाहती हूं।


मना करने की हिम्मत बड़ी ही मुश्किल से जुटा पाई । { उपासना अब धर्मवीर को कैसे बताती कि वह सजी सजाई नीचे फर्स्ट फ्लोर पर बैठी हुई है। और ऊपर आने के लिए उसे चलकर आना पड़ेगा और उसके कपड़े ऐसे नहीं है कि वह चल कर आ सके क्योंकि सलवार उसे चलने ही नहीं देगी ।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से धर्मवीर बोला की बहू ठीक है तुम आराम करो मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं ।

ऐसा सुनकर उपासना नहीं फोन पर ही एक गहरी सांस ली जो कि साफ-साफ सुनाई दी धर्मवीर को ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ उपासना कहने लगी कुछ नहीं पापा जी आप आ सकते हैं ।

नीचे फ्लोर पर आकर धर्मवीर ने उपासना को फिर से कॉल किया ।

उपासना ने फोन उठाया - जी पापा जी।


इतना ही बोल पाई उपासना ।

धर्मवीर - उपासना बेटा तुम तो हो ही नहीं अपने कमरे में । तुम्हारा कमरा तो बाहर से लॉक है फिर तुम कहां पर हो।

यह सुनकर उपासना मन ही मन में अनवर पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि कुत्ते मरवाएगा मुझे आज ।
बता नहीं सकता था पापाजी को जाकर। पापाजी को तो कुछ पता ही नहीं है ,और अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया , बिना यह जाने कि मैं आज क्यों सजी हूं , तो अनर्थ ही हो जाएगा ।

उपासना ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक उसके मुंह से निकला पापाजी- आप अनवर से पूछ लीजिये ।
अचानक उसके मुंह से इतना जल्दी निकला कि वह बिना सोचे समझे बोल गई

ऐसा सुनकर धर्मवीर धर्मवीर कहने लगा कि बहू - इसमे अनवर का क्या सीन है , तुम मुझे भी तो बता सकती हो, बताओ तुम कहां हो ।

यह सुनकर उपासना की हिम्मत नहीं हुई बताने की।


उपासना फोन पर हल्की सी मायूस और रोने जैसी आवाज से बोली - पापाजी आप प्लीज एक बार अनवर से मिल लीजिए ।

ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई तो धर्मवीर कहने लगा कि बेटा अनवर से तो मैं मिल हूं ।
और उसने मुझे बताया भी है लेकिन मैं तुमसे भी तो कुछ सुनना चाहता हूं ।


यह सुनकर उपासना का दिल धड़कने लगा और छाती ऊपर नीचे होने लगी सांसो से, मन में सोचने लगी कि हे भगवान यह बुड्ढा चाहता है कि मैं खुद इसे बोलूं कि आकर अपनी बहू को चोद दे । कोई बहू ऐसे कैसे बोल सकती है।

उपासना - पापाजी मैं नहीं बोल पाऊंगी ।

धर्मवीर - जब तुम बोल ही नहीं पाओगी तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि तुम कर भी नहीं पाओगी।

और जब तुम कर ही नहीं पाओगी तो मेरे आने से क्या फायदा। इस कलंक को मैं क्यों लगाऊ जब तुम ही इसमें रजामंद नहीं हो ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापा जी ऐसा नहीं है, मैं उसी की तैयारियां करके बैठी हूं । अब आपको जो करना है आप कीजिए ।

धर्मवीर - बहू वह तो हमें करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं सुनना चाहता हूं कि तुम कहां हो ।

उपासना - पापाजी मैं नीचे वाले फ्लोर पर कमरे में हूं।


धर्मवीर - तुमने नीचे वाला फ्लोर इसलिए चुना ताकि तुम्हारी चीखने की आवाजें किसी को ना सुनाई दे सकें ना सुनाई दे सकें ।

दरअसल पाठकों धर्मवीर उपासना को थोड़ा खोल लेना चाहता था ,, ताकि वह खुल कर बोल सके ।


उपासना - पापा जी आप आ जाइए।

धर्मवीर बोला मैं क्यों आ जाऊं ।

उपासना -0यदि आप सुनना ही चाहते हैं मेरे मुंह से तो लीजिए मैं कह देती हूं आ जाइए आपकी बहू सजधजकर आपका इंतजार कर रही है।


ऐसा कहकर उपासना नहीं फोन रख दिया । धर्मवीर का तो मानो लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।

और धर्मवीर ने फोन को चूमते हुए नीचे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये ।

जैसे ही धर्मवीर नीचे फ्लोर पर आकर कमरे में घुसने लगा ।

उपासना कमरे में दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

उपासना का पिछवाड़ा धर्मवीर की ओर था ।
धर्मवीर वहीं खड़ा होकर उपासना को निहारने लगा और सोचने लगा कि इस सलवार में बहू की जवानी चुप ही नहीं रही है ।। क्या किस्मत है मेरे बेटे राकेश की जो उसे इतनी गदरायी हुई जवानी मिली है ।
मुझे तो लगता है कि राकेश संभाल भी नहीं पाता होगा उपासना को ।

ऐसा सोचते हुए उसकी नजर उसकी जांघो पर पड़ी जो सलवार में बुरी तरह फंसी हुई थी ।

और सलवार भी कुछ अजीब सी लगी धर्मवीर को क्योंकि वह दुपट्टे वाले कपड़े की थी ।

उसके बाल जुड़े में बंधे हुए उसके सर पर थे ,
कमर साफ दिख रही थी क्योंकि टॉप भी छोटा था इस रूप को देखकर धर्मवीर अपनी आंखें जब झपकाना ही भूल गया था ।

धर्मवीर ने अपने लंड पर हाथ ले जाकर उसे एडजस्ट किया पैंट में और आगे बढ़ने लगा जैसे ही धर्मवीर उपासना के पीछे पहुंचा ,उपासना की जिस्म की खुशबू धर्मवीर की नाक के नथुनों में भर गई । उसकी खुशबू उसे पागल कर गई।


उधर जैसे ही उपासना ने मैंने महसूस किया उसका ससुर उसके पीछे खड़ा है, इस हालत में तो वह शर्म से गढ़ी मरी जा रही थी।

धर्मवीर ने अपना चेहरा उपासना की पीछे गर्दन पर रखा, और एक लंबी सांस खींची ऐसा करते ही उपासना की छातियां ऊपर नीचे की तरफ उठान मारने लगी।

उसकी सांसें तेज हो चली थी क्योंकि उसे शर्म ही इतनी ज्यादा आ रही थी।

अपने पिछवाड़े को ससुर की तरफ निकाले हुए वह किसी मादरजात रंडी से कम नहीं लग रही थी ।



धर्मवीर ने उसकी गर्दन को सूंघा और लंबी सांस खींचकर अपनी सांस छोड़ी ।
फिर धर्मवीर अपना हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखा ।
कंधे पर धर्मवीर के हाथ का स्पर्श पाते ही उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने कहा बहू आपका यह रूप देखकर हमें यकीन नहीं हो रहा है कि आपने इतना सब कुछ हमारे लिए किया।


पहली बार बोला था धरम वीर जब से कमरे में आया था।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से कोई बोल ही नहीं निकल रहा था ।
वह बस इतना ही बोल पाई - जी पापा जी ।

धर्मवीर ने ऐसा सुन तो सोचने लगा कि बहू खुलने में बहुत टाइम लेगी ।
वह आगे बढ़ा और जैसा ही हल्का आगे बढ़ा ।उपासना की भारी-भरकम गांड उसके लंड से टच हो गयी।


स्पर्श को पाते ही उपासना थोड़ी आगे हो गयी।
उपासना के इस तरह के नखरीले स्वभाव को देखकर धर्मवीर सोचने लगा। कि आज तेरे अंदर की रंडी ना जगाई तो मैं भी धर्मवीर नहीं ।

धर्मवीर ने अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लंबे किए ।

उपासना की दोनों बाजुओं को पकड़कर धर्मवीर ने अपनी तरफ इतनी तेज खींचा । इस तरह झटका मारा कि जिसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी ।
उपासना की गांड एकदम धर्मवीर के लंड से टकरा गई और धर्मवीर ने अपना चेहरा उसकी गर्दन के साइड में कंधे पर रख दिया ।।

उपासना जब एक साथ झटके सो पीछे को धर्मवीर से जाकर टकराई तो कमरे में एक साथ छन छन की आवाज हुई ।

उपासना की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की आवाज से धर्मवीर को पागलपन छा गया ।
उसने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके पेट पर रखें। जैसे ही पेट पर हाथ रखे तो उसकी नाभि में लगी हुई बाली धर्मवीर की उंगलियों से टकरा गई ।

धर्मवीर ने धीरे से कहा कि आज तो मेरी बहू लगता है पैरों से लेकर सिर तक सजी है ।

उपासना सुनकर शरमा गई और कहने लगी यह क्या कर रहे हैं पापाजी आप ।

धर्मवीर को उपासना का यह नाटक बिल्कुल भी पसंद नहीं आया धर्मवीर बोल उठा कि मैं क्या कर रहा हूं तुम मुझसे पूछ रही हो। मुझे अभी 20 मिनट पहले पता चला है और तुम इस बैड पर अपनी जवानी को पूरी रात जी भर के पिलवाने के लिए सुबह से तैयारियां कर रही हो, और तुम मुझसे पूछ रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं ।

उपासना ऐसा सुनकर एक एक गहरी सांस ली और चुप रही।


धर्मवीर ने उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उपासना से पूछा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।

उपासना कहने लगी आज सुबह ही मुझे पता चला इस बारे में फिर कभी बताऊंगी । ऐसा कहकर उपासना अपने आप को छुड़ाकर रूम से बाहर जाने लगी दोस्तों कपड़ों की वजह से उपासना चल भी नहीं पा रही थी । और चलते हुए उसके हाथों की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की छन छन छन छन की आवाज आ रही थी। सलवार की वजह से उपासना बहुत ही धीरे धीरे चल पा रही थी और उपासना ने चूत पर भी एक बाली लगाई हुई थी जिस वजह से उसे चलने में परेशानी हो रही थी ।

वह धीरे-धीरे कि आगे कदम बढ़ा पा रही थी ।उपासना निकल गई रूम से ।

उधर उपासना की गांड की थिरकन देख कर धर्मवीर को आज पता चला कि किसी की गांड इतनी भी मटक सकती है । क्योंकि उपासना की दोनों चूतड़ बारी-बारी से ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ समय बाद उपासना कमरे में आई और इस बार उसके हाथ में बड़ी सी थाली थी उसमें चारों तरफ दिए लगे हुए थे । उपासना धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी दोस्तों चेहरे पर घूंघट लेकिन नीचे उसके पेट पर लगी वह बाली , उसकी टॉप फाड़ कर बाहर आने वाली छातियां देखकर धर्मवीर से सबर नहीं हो रहा था ।

धर्मवीर की नजर उसकी जांघों पर पड़ी तो उसकी सांसे रुक गयीं क्योंकि उपासना की चूत का शेप उस सलवार से साफ पता लग रहा था। देख कर ही धर्मवीर समझ गया था की उपासना की चूत कितनी भरी हुई और रसीली होगी । वह उसकी चूत को छूने की कल्पना करके ही सिहर उठा।


उपासना धीरे धीरे चल कर उसके पास आई और आकर उसके पैर छुए और बस इतना ही बोल पाई कि आज मैं आपको आज की रात में अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं ।
धर्मवीर ने उपासना के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर उठाया और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मेट लिपस्टिक को देखकर अपनो जीभ होंठो पर फेरता हुआ कहने लगा कि मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं।

लेकिन केवल इसी पल क्योंकि इसके आगे आने वाले पल में तुम मेरे बिस्तर पर मेरी बहू रंडी बन जाओगी।

ऐसा सुनकर उपासना बुरी तरह से शरमा गई और चेहरा तो धर्मवीर को दिखाई नहीं दिया लेकिन उपासना की होठों पर आई मुस्कुराहट यह सब बयान कर गई ।

धर्मवीर ने सोफे पर बैठते हुए कहा कि मैं चाहता हूं मेरी पत्नी मेरी गोद में आकर बैठे ।
ऐसा सुनते ही उपासना ने ने धीरे-धीरे धर्मवीर की तरफ चलना शुरू किया और उसके सामने जाकर उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी ।
दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने इतना नजदीक से जब उपासना का पिछवाड़ा देखा तो उसकी आंखें फैल गई। क्योंकि उन कूल्हों पर जो चर्बी चढ़ी हुई थी वह बयान कर रही थी कि उन्हें बेरहमी से कोई ठोकने वाला मिले । उसकी गांड के छेद को उसकी गांड के अनुसार ही चौड़ा करने वाला उसे आज मिल चुका था ।

और जैसे ही उपासना धर्मवीर की गोद में बैठी उसके भारी-भरकम चूतड़ों की गर्माहट उसके लंड तक चली गई।

उपासना ने भी भी यह महसूस किया की धर्मवीर का लंड खड़ा है और उपासना चुपचाप बैठी रही ।
धर्मवीर मन में सोचा की बहू को थोड़ा खुल कर बोलना चाहिए इसे थोड़ी सी बेशर्म होना चाहिए ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर कहने लगा मैंने सोचा भी नहीं
था कि कोई बहू अपने ससुर के लोड़े पर इस तरह बैठेगी।

यह सुनकर उपासना शरमाते हुए धीरे से कहने लगी कि मैं केवल अपने ससुर की गोद में बैठी हूं और कहीं नहीं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर बोला तो जल्दी किस बात की है लोड़े पर भी बिठा ही लेंगे ।

उपासना ऐसा सुनकर बोली- पापा जी ऐसा मत बोलिए ।


धर्मवीर बोला क्यों तुम पूरी तैयारी कर चुकी हो और अब मेरे लंड पर भी अपनी गांड रख कर बैठी हो और तुम कह रही हो मैं बोलूं ना ।
मैं तो आज तुम्हारी इस जवानी को चमेली के फूल की तरह खिला दूंगा मेरी जान ।
ऐसा सुनकर उपासना शर्मा उठी ।
फिर धर्मवीर ने उसके कंधों को पकड़कर उसे अपनी एक बाजू पर लिटाया और कहने लगा कि अपनी बहू का चेहरा तो देख लूं। बहू के चेहरे को देखने के लिए घूंघट को उठाने लगा ।
जैसे ही उसने घूंघट उठाया उपासना ने अपनी आंखें बंद कर ले दोस्तों नजारा कुछ ऐसा था की उपासना उसकी गोद में लेटी हुई थी अपनी आंखें बंद किए हुए।

और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मैट लिपस्टिक जैसे ही देखी धर्मवीर पागल हो उठा ।
उसके चेहरे की सजावट देखकर धर्मवीर से रहा ना गया।
उसके गालों की लाली देखकर धर्मवीर कहने लगा कि तुझे असली लंडधारी मर्द आज मिला है ।
ऐसा सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेज मींच लीं ।
फिर धर्मवीर ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चेहरे की चेहरे की तरफ बढ़ाया और जैसे ही धर्मवीर की सांसें उपासना के चेहरे पर महसूस हुई उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी । शर्म से उसकी आंखें बंद थी और हाथों की मुट्ठियाँ पूरी जान लगाकर उसने भींची हुई थी ।

फिर धर्मवीर उसकी नाक से अपनी नाक को टच करता हुआ बोला कि जब तक तुम आंखें नहीं खोलोगी मैं तुम्हारे इन लबों पर अपने होठों को नहीं रख सकता।


उपासना को इसकी उम्मीद नहीं थी वह सोच रही थी कैसे अपने ससुर के होठों को चूसते हुए वह देखेगी ।
वह नजर किस तरह मिला पाएगी उपासना ने धीरे से बोला पापाजी मुझ में हिम्मत नहीं है ।
जब इतनी पास से उपासना बोली तो धर्मवीर को उसके मुंह की सुगंध और उसकी सांसे धर्मवीर के मुंह में भर गई ।

धर्मवीर ने बोला यदि आज तुम्हें चुदना है तो आंखें तो खोलनी पड़ेगी ।
ऐसा सुनकर उपासना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली

अपनी आंखें जैसे ही उसने खोली उसकी नजर धर्मवीर की निगाहों से टकरा गई । दोनों एक दूसरे दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।
उपासना की आंखों में देखते हुए धर्मवीर को ऐसा लगा जैसे बहू कह रही है कि उसे जी भर के प्यार करो ।
धर्मवीर ने कहा कि तुम्हारी नजरें कह रही है कि मेरे होठों को जी भर के चूसो।

उपासना बहुत ही धीरे से कह पायी- रोका किसने है बस इतना कह कर वह उसकी नजरों में देखने लगी।
फिर धर्मवीर ने अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया जैसे ही दोनों के होठों का मिलन हुआ उपासना के अंदर सुरसुरी दौड़ गई ।
धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोल कर उसके दोनों होठों को मुंह में भर लिया ।
उपासना तो मानो पूरी गरमा गई । और उसके मुह से सिसकारी निकल गई sseeeeeesss.


फिर धर्मवीर ने इंतजार किया उसके होंठ थोड़े खुलने का और जैसे ही उपासना ने अपने होठों को थोड़ा सा खोला धर्मवीर ने उसके ऊपर वाले हॉट को मुंह में भर लिया और चूसने लगा अब धर्मवीर का नीचे वाला हॉट उपासना के मुंह में था ।

उपासना ने सोचा की शुरुआत तो ससुर जी ने कर ही दी है तो मुझे भी थोड़ा उनका साथ देना चाहिए । ऐसा सोचते हुए उसने अपने मुंह के अंदर से अपनी जीएफ को ससुर के नीचे वाले हॉट पर चलाने लगी ।धर्मवीर को यह बहुत ही मादक लगा ।

उसने बारी-बारी से उसके दोनों दोनों होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया ।होठों की चुसाई के बाद जैसे ही धर्मवीर ने अपना चेहरा हटाया तो उपासना कहने लगी कि तुम्हारे होठों पर लिपस्टिक लग गई है ।
धर्मवीर ने देखा उपासना की लिपस्टिक उपासना होठों के चारों तरफ भी फैल गई है ।



फिर उसने उसके गालों को मुंह में भरकर चूसा और उपासना से कहा कि मेरी जान बिस्तर पर चलें ।
उपासना धीरे से खड़े होने लगी तो धर्मवीर ने उसकी बाजू को पकड़ लिया और बैठे-बैठे ही उपासना के चूतड़ों पर ग्रेट जोरदार थप्पड़ मारा ।

इसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी।

और उपासना के मुंह आउच की तेज आवाज निकल गई।
जैसे ही उपासना की गदरायी हुई गांड पर थप्पड़ पड़ा तो उपासना की गांड पूरी हिल गई ।
और धर्मवीर उपासना की गांड के हिलता देखकर कहने लगा आज मेरी जान के भारी भरकम चूतड़ों को अपने गालों से जी भर कर सहलाऊंगा।


उपासना यह सुनकर गर्म होती जा रही थी ।
धर्मवीर खड़ा हो गया उपासना जैसे ही हल्की सी आगे को चलने लगी एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर फिर पड़ा।

फिर से उसके मुंह से आउच की आवाज निकली ।
इस बार उपासना ने धीरे से कहा पापाजी आप मुझे पीटने आए हैं या प्यार करने ।

यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए धर्मवीर बोला- तू कभी पिटते हुए नहीं चुदी है आज मेरी जान तुझे पीटते हुए चोदूंगा और इतनी गहराई तक चोदूंगा कि एक साथ दो दो बच्चे पैदा होंगे ।

यह सुनकर शर्मा गई उपासना और उपासना ने जैसे ही अपना घुटना बेड पर रखना चाहा धर्मवीर ने उसे रोक दिया और कहा कि यह कपड़े पहन कर बिस्तर पर जाओगी क्या।


उपासना कहने लगी बाबूजी लाइट्स ऑफ कर दीजिए।
धर्मवीर यह सुनकर गुस्सा करते हुए बोला की तुम मुझे ऊपर से ही प्यार जता रही हो दिल से तुम मुझे नहीं चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं ।
उपासना यह सुनकर कहने लगी पापाजी ऐसा नहीं है यदि आप नहीं ऑफ करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं।

मैं समझ रही हूं कि आप मुझे नंगी देखना चाहते हैं ।
लीजिये कर लीजिए अपनी दिल की पूरी।

उपासना ऐसा कहकर उसके सामने खड़ी हो गई दुपट्टे को पहले ही फेंक चुका था धर्मवीर उसके सर से निकालकर। अब उपासना टॉप और सलवार में फंसी हुई उसके आगे खड़ी थी ।
उपासना को अपनी तरफ घुमा कर धर्मवीर ने गले से लगाया और उसकी कमर पर अपने हाथ फेरने लगा ।
उपासना ने भी बड़े प्यार से अपने ससुर की छाती पर अपना चेहरा रखा और खड़ी हो गई उसकी बाहों में ।
धर्मवीर पीछे कमर से हाथ नीचे गांड पर ले गया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया ।
उपासना उसकी छाती से लगी हुई सिसकारी ले गई ।


फिर धर्मवीर ने उपासना की चूतड़ों पर दोनों हाथों से बारी-बारी 4, 5 थप्पड़ मारे और यह थप्पड़ इतनी तेज थी कि पटपट की आवाज पूरे कमरे में गूंज गई।

आउच आउच करती रही वह चुदक्कड़ घोड़ी ।
फिर धर्मवीर ने उसको घुमाया और उसकी गांड के पीछे खड़ा होकर उसकी छातियों पर अपने हाथ ले गया।

धर्मवीर ने जैसे ही उपासना की चुचियों को अपने हाथों में भरा तो वह हैरान रह गया क्योंकि उसकी चूचियां उसके हाथों में आ ही नहीं रही थी ।
धर्मवीर कहने लगा की उपासना बहू, मेरी संस्कारी बहु तुझे तो मेरे जैसे लंड की ही जरूरत है ।

उपासना के मुंह से आह निकल गई और धर्मवीर ने उसकी चुचियों को अपनी पूरी ताकत लगा कर भींचा । उपासना के मुंह से जोरदार चीख निकली।

फिर धर्मवीर ने उपासना के टॉप को आगे से पकड़ा और इतना जोरदार झटका मारा कि पूरा का पूरा टॉप फाड़ कर अलग कर दिया और उपासना की चूचियां आजाद होकर ऐसे खुल गई जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हो ।
उन पपीतों को अपने हाथ से मसला धर्मवीर ने जी भरकर।

और फिर उसने उसको घुमा कर अपनी तरफ घुमाया तो वह देखता ही रह गया चूचियां तन कर खड़ी थी।
और उन चूचियों के निप्पल की चारों तरफ मेहंदी से बना हुआ वह सर्कल ।
धर्मवीर ने दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया फिर उपासना की गर्दन पर चुंबन करते हुए अपने हाथ उपासना की भारी भरकम गांड पर ले गया और उसने उसकी सलवार में एक छेद करते हुए चर्र चर्र की आवाज से वह सलवार फाड़ दी जैसे ही सलवार फ़टी उसके चूतड़ बाहर निकलकर अपने पूरे फैलाव में आ गए ।
ऐसी चौड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए अपनी किस्मत पर नाज करने लगा धर्मवीर ।
और उन चूतड़ों पर जोरदार थप्पड़ों की बरसात कर दी ।


उपासना की सांसे चलने लगी लगी थी उधर धर्मवीर की सांसे भी तेज हो गई थी । और उसने उपासना की गांड के पीछे बैठकर उसकी सलवार को पूरी फाड़ दिया अब उपासना मादरजात नंगी खड़ी थी धर्मवीर के आगे।
उसने उपासना की के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा किया और उसमें अपना मुंह रखकर एक लंबी सांस खींची ।
यह बर्दाश्त ना कर सकी उपासना और उपासना ने ने अपने हाथ पीछे ले जाकर धर्मवीर के सर को अपनी गांड पर दबा लिया।

उसकी गांड की मादक महक लेते हुए धर्मवीर गांड को चूमने लगा ।
उसके चूतड़ों को अपने गालों से अपने होठों से सहलाने लगा ।
फिर धर्म भी खड़ा हुआ और अपनी शर्ट उतार उतार कर बेड पर लेट गया ।

उपासना खड़ी-खड़ी यह देखने लगी उसकी चौड़ी छाती नंगी आज उसने पहली बार देखी थी .
छाती पर हल्के हल्के काले बाल थे
धर्मवीर की बाजू पर कसरत करने की वजह से कट पड़े हुए थे ।
एक मजबूत सांड को बिस्तर पर इंतजार करते देख किसी घोड़े की तरह उपासना बेड पर चढ़ी ।
धर्मवीर कहने लगा कि तुम्हारा खजाना भी मेरी पैंट में है निकाल लो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई और बोली मुझे शर्म आती है।

आप ही उतार दो धर्मवीर कहने लगा अभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी अपनी अपनी गांड में घुसाते हुए तुझे शर्म नहीं आई और अब तो शर्म आ रही है।

उपासना बोली पापा जी यह किस बदतमीजी से आप बात कर रहे हैं ।
धर्मवीर बोला कि अब नाटक बहुत हो गया है और तुम भी जानती हो कि तुम पूरी रात लंड खाने के लिए इस बिस्तर पर आई हो । तो फिर क्यों शर्म कर रही हो थोड़ी सी बेशर्म बनना , जिससे तुम्हें भी मजा आए, तुम भी इंजॉय कर सको खुलकर ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी अगर मैंने शर्म छोड़ दी तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे पापा जी ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला कि दिखा तो अपना बेशर्म पना ।
मैं भी तो देखूं कि मैंने अपने घर में किस तरह की रंडी रखी हुई है ।

यह कहकर धर्मवीर लेट गया
उपासना यह सुनकर धर्मवीर के पास आई उसकी पेंट को खोलने लगी ।

जैसे ही उसने उसके पेंट को नीचे किया उपासना डर गई और डरकर बैड से दूर जाकर खड़ी हो गई भागती हुई ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ ।
उपासना बोले नहीं ऐसा नहीं हो सकता पापा जी ऐसा तो किसी का भी नहीं हो सकता ।
इतना बड़ा और इतना मोटा । मैंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है ।


धर्मवीर कहने लगा कि मुझ पर विश्वास रखो मैं बहुत प्यार से करूंगा और धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा।

उपासना धीरे-धीरे हिम्मत जुटाते हुए धर्मवीर के करीब आने लगी और आकर बैठ गयी।

धर्मवीर ने उपासना से कहा अपना लंड पकड़ाते हुए कि क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या तुमको ।

उपासना डरते हुए कहने लगी कि आपका यह बहुत बड़ा है।

मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती फिर धर्मवीर ने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रखा ,जैसे ही इतने मोटे लंड को हाथ में भरा उपासना की चूत में बिजली की तरह चीटियां चलने लगीं ।

धर्मवीर ने उपासना को बेड पर खड़े होने को बोला उपासना जैसे ही बेड पर सामने से खड़ी हुई धर्मवीर यह नजारा देखकर अपनी किस्मत पर फक्र करने लगा ।

उसकी चूत पर लटकता हुआ छल्ला उसकी चूत पर चार चांद लगा रहा था ।
भरी हुई जांघों के बीच चूत ऐसी लग रही थी जैसे ये मोटी जांघे उसकी चूत की रक्षा करती हो ।

उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच रसीली चूत इस तरह शोभा दे रही थी जैसे कि गुलदस्ते में कोई फूल ।
उसकी गांड पर हाथ ले जाकर धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ दबाया अपना चेहरा उसकी चूत के करीब ले गया।

उपासना को उसकी सांसे अपनी चूत पर महसूस हुई तो उसकी चूत और गर्म हो गई ।

धर्मवीर ने उसकी सजी हुई चूत को गौर से देखा ।चूत के दाने पर लटकी हुई वह बाली चूत को और भी ज्यादा शानदार बना रही थी।

उसने अपनी नाक की चूत पर लगाई और एक तेज सांस खींची उपासना के मुंह से सिसकारी निकल गई aaaaahhhhh ।
और धर्मवीर तो मानो दूसरी दुनिया में चला गया हो ।
उसकी चूत से उसके मूत की भीनी भीनी खुशबू उसे पागल कर गई ।
धर्मवीर ने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत पर जैसे ही लगाई उपासना की जान ही निकल गई ।


फिर धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोला पूरी चूत को मुंह में भर कर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा ।
इसे बर्दाश्त नहीं कर पायी उपासना और एक ग़दरायी हुए जिस्म की रंडी की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी ।
जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी धर्मवीर ने उसकी चेहरे के पास आकर उसके गालों को चूमा उसके होठों को चूसने लगा।

और हाथ उसकी चूत पर ले जाकर उसकी चूत की दरार के बीच में उंगली से सहलाने लगा ।
यह उपासना के लिए हाल बेहाल वाली हालत थी ।
उसने अपनी दोनों जांघों को आपस में भींच लिया अब धर्मवीर के लिए हाथ को चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

लेकिन उसने मशक्कत करके अपनी एक ऊंगली उपासना की उपासना की चूत के छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबाई ।
जैसे ही आधी उंगली चूत में गई उपासना एक साथ सिसक उठी आआआआआआईईईईईईई ।

धर्मवीर को उसकी चूत में बहुत ही गीला गीला पानी महसूस हुआ , पानी छोड़ता देख धर्मवीर उपासना से बोला चुदने के लिए तैयार हो रही है तुम्हारी ये चूत ।

उपासना भी अब शर्म छोड़ देना चाहती थी।

उपासना बोली आज आपकी ये रांड आपके बिस्तर पर आपसे चुदने के लिए फैली पड़ी है ।
अपनी इन मजबूत बाजू में जकड़ कर इस रांड की चूत को चोदिये पापा जी ।आपकी संस्कारी बहु की चूत आपके सामने है।


जब धर्मवीर ने ऐसा सुना तो उसके लंड में इतना कड़कपन आगया कि उसने अपनी पूरी उंगली उपासना की चूत में उतार दी ।

उपासना इसके लिए तैयार नहीं थी और उपासना उंगली चूत में घुसते ही ऊपर की तरफ सरकने लगी ।

धर्मवीर बोला कि मेरी जान अभी तो उंगली ही गई है लोड़ा भी ऐसी चूत में उतरेगा आज ।

यह सुनकर उपासना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उपासना बोली - पापा जी देखिए आपकी बहू कितनी बड़ी चुडक्कड़ रंडी है , आज यह आपको मैं दिखा ही देती हूं ।
ऐसा कह कर उपासना ने उसके सीने पर धक्का मारा और उसको लिटा कर उसके लोड़े के पास अपना चेहरा ले गई।


दोस्तों उपासना ने अपने चेहरे से लंड को नापा तो धर्मवीर का लंड उपासना के माथे से भी ऊपर जा रहा था ।
उपासना धर्मवीर के देखकर हैरान होते हुए सोचने लगी कि इस मर्द इन अंडों में कितना रस होगा।

कैसा होगा वह पल जब इनका रस निकल कर मेरी चूत में भर जाएगा ।
यह सोचते ही उसने अपनी जीभ निकाली और लंड को चाटने लगी।

लंड को चाटते हुए उपासना अब इतनी बेशर्मी पर उतर आई थी कि उसने अपनी आंखें धर्मवीर की निगाहों से मिला दीं ।

उसकी नजरों में झांकते हुए उसके लंड को चाटने लगी।

यह नजारा देखने लायक था। और धर्मवीर का लंड भनभना गया ।

उपासना ने उसके लंड को चाटने के बाद उसे मुंह में लेना चाहा लेकिन उसका लैंड का आगे का नुकीला हिस्सा ही उसके मुंह में जा सका । क्योंकि धर्मवीर का लंड मोटा होने की वजह से उसके मुंह में फस रहा था ।
यानी कि अंदर नहीं घुस पाया था। यह देखकर धर्मवीर ने उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया लेकिन फिर भी उसके मुंह में जाने से नाकाम रहा ।
धर्मवीर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उपासना को बड़ी फुर्ती से बेड पर सीधा चित्त लिटाया और उसके ऊपर चढ़कर उसके सर के नीचे एक तकिया लगाया
धर्मवीर ने कहा कि खोल मेरी जान अपना मुंह ।
उपासना ने जैसे ही मुंह चौड़ा किया धर्मवीर ने पूरा झुक कर उसके मुंह में ऐसा झटका मारा कि लंड आधा उपासना के मुंह में चला गया । अब आधा लंड उपासना के मुंह में फसाकर धर्मवीर जैसे ही ऊपर की तरफ हुआ तो उपासना का चेहरा भी लंड के साथ ऊपर की तरफ खींचने लगा।

क्योंकि उसके मुंह में लंड फसा पड़ा था ।उपासना की आंखें बाहर निकलने को तैयार थी और आंखों से हल्के हल्के आंसू निकलने लगे थे ।



यह देखकर धर्मवीर भी सोचने लगा कि यदि मैंने अब लंड निकाल लिया तो यह दोबारा लेने के लिए राजी नहीं होगी ऐसा सोचते ही उसने अपनी कमर का दबाव बनाते हुए एक और झटका मारा और लंड उपासना के हलक तक उतार दिया। इतना मोटा लौड़ा अपने मुंह में फंसा कर पछता रही थी आज उपासना । वह बस गूंगूंगूंघोंघों के अलावा कुछ नहीं कर पाई। 1, 2 झटके के बाद जब धर्मवीर को लगा की उपासना की हालत बर्दाश्त से बाहर है तो उसने माथे पर हाथ रखकर अपने लंड को बाहर खींचा और लंड बाहर खींचते ही उपासना के मुंह से ढेर सारा थूक उसके लंड के साथ बाहर तक निकल गया उसके थूक से पूरी उसकी चूचियां गीली हो गयी ।

उपासना - अपनी बहू को इस तरह भी क्या कोई लंड डालता है मुंह में कि मेरे हलक तक ही उतार दिया ।
और वह भी इतना मोटा लौड़ा मुझे नहीं लगता मैं इसे चूत में ले पाऊंगी ।

धर्मवीर- मुस्कुराते हुए कहने लगा कि मेरी जान इस लंड से चुदने के बाद निखर जाएगी ।तेरी गांड और भी ज्यादा चौड़ी हो जाएगी । तेरी सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।


ऐसा कहते हुए उपासना को उसने दोबारा से लिटाया और अपने लंड को उसके गालों पर ऐसे मारने मारने लगा जैसे हल्के हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो। अपने लंड से उसके मुंह को सहलाने के बाद धर्मवीर उसकी चुचियों पर आया।

धर्मवीर ने अपना मुंह खोला और उसकी चुचियों को मुंह में भरा । फिर धर्मवीर ने उपासना की कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और उसकी छाती को अपने मुंह पर और ज्यादा दबाया जिससे कि उसकी चूचियां उसके मुंह में ज्यादा से ज्यादा आजाये । उसके बाद उसकी चुचियों को चाटने लगा।

दोनों चुचियों से खेलने और चाटने के बाद धर्मवीर ने अपना चेहरा उठाया तो देखा उसके थूक से उसकी दोनों चूचियां गीली हो गई है ।
धर्मवीर ने अपना भयंकर लंड उसकी चुचियों के बीच में रखा और उसकी चूची में घिसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।
अब उपासना चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी ।
लेकिन और भी उसे तड़पाना चाहता था धर्मवीर ।
उपासना से कहने लगा कि मेरी बहू मुझे पता होता कि तेरी जवानी इतनी लंड की भूकी है तो कब का मैं तुझे चोद चोद कर निहाल कर देता । ऐसा कहकर धर्मवीर नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चाटने लगा उसके पेट को चाटने के बाद धर्मवीर उसके चूत पर ना जाकर सीधा उसके पैरों पर गया ।
पैरों को चूमने चाटने लगा फिर उसने उपासना के पैरों को पकड़कर उपासना को उल्टा लेटने का इशारा किया।

उपासना उल्टी होकर लेट गई जैसे ही उसकी गांड ऊपर को उठी धर्मवीर ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथो से थप्पड़ों की बरसात करदी ।उसकी गांड हल्की-हल्की लाल हो गई थी ।
उसकी कमर पर चुंबन करने लगा ।
फिर धर्मवीर उसके चूतड़ों को अपने गालों से सहलाने लगा।
अपने होठों से उन चूतड़ों पर चुंबन देने लगा फिर उसने उन चूतड़ों को अपनी जीभ निकालकर चांटा और उन्हें फैला कर चूतड़ों के बीच मुह घुसा दिया ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को सीधी लिटाया और उसकी जांघों को उसके घुटनों तक मुड़कर छातियों से मिला दिया।

धर्मवीर उपासना के इस रूप को देखकर पागल हो उठा क्योंकि उसकी चूत खुलकर सामने आ गई थी और उसकी चूत के एकदूसरे से सटे हुए होंठ अब छेद के पास से हल्का सा खुल गए थे और एक छोटा सा छेद धर्मवीर को नजर आने लगा ।
धर्मवीर उसे निहारते हुए उसकी चूत पर ऐसे टूट पड़ा कि जैसे कुत्ता ।

धर्मवीर ने अपना थूक निकाल निकाल कर उसकी चूत के पानी के साथ मिलाया और उसकी चूत को लप-लप चाटने लगा ।
उसके दाने को चूसने लगा। उपासना की बर्दाश्त से बाहर हुआ तो उपासना उसके सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

उपासना के मुंह से निकला चाट लो पापाजी मीठा पानी। इस पानी को चाटने के लिए तो कितने लोग पागल हुए फिरते हैं। और आपकी बहू अपनी चूत फैलाकर आपसे भीख मांग रही है कि इसे चाटो, इसे इतना प्यार करो कि निगोड़ी चूत इतनी निखर जाए कि हर लंड को इससे प्यार हो जाये ।
धर्मवीर का पूरा चेहरा उपासना की चूत के पानी से और थूक से सन गया था ।
धर्मवीर बोला इस चूत को आज इतना प्यार करूंगा की ये चूत, चूत ना रहकर भोसड़ा बन जाएगी ।



उपासना की आंखों में धर्मवीर ने देखा तो उपासना की आंखें कह रही थी कि मैं लंड मांग रही हूं मैं मुझे दे दो अपना तगड़ा हल्ल्बी लोड़ा।


धर्मवीर ने जब देखा कि उपासना हद से ज्यादा पानी छोड़ने लगी है तो ऊपर आया और उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उपासना की चूत से रगड़ दिया।
जैसे ही लंड का स्पर्श चूत पर हुआ उपासना पागल हो गयी । उस गरम लंड के के स्पर्श से ।
फिर उसकी टांगों को उसकी छातियों से लगाकर धर्मवीर उसकी चूत के आगे बैठा और अपना लंड उसकी चूत पर ऐसे मरने लगा जैसे हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो ।
उसके बाद धर्मवीर भी सोचने लगा कि अब समय आ गया है बहू की चूत में लंड डालने का फिर धर्मवीर ने अपने लंड पर थूक लगाया और उसे उपासना के छेद पर लगा कर जैसे ही हल्का सा धक्का दिया है लंड फिसल गया ।



उपासना आंखें बंद किए हुए इंतजार कर रही थी और आह आह सिसकारी ले रही थी ।कि अब उसकी चूत में लंड उतरेगा ।धर्मवीर ने दोबारा उसके ऊपर लंड को चूत पर लगाकर झटका दिया हल्का सा छेद में जाने के लिए घुसा ही लेकिन फिर फिसल गया ।
और जैसे ही लंड चूत के छेद पर लगा रहा था उपासना को ऐसा लगा जैसे कोई क्रिकेट वाली बॉल को उसकी चूत में घुसा रहा हो ।
उपासना जानती थी कि उसे असहनीय दर्द होगा लेकिन वह अपने आप को तैयार कर रही थी।
फिर भी बड़ी मशक्कत करने के बाद जब लंड उसकी चूत में नहीं गया तो उपासना को याद आया कि उसने रैक में चॉकलेट का डब्बा भी रखा था ।
उसने लिक्विड चॉकलेट का डब्बा निकालकर धर्मवीर की तरफ बढ़ा दिया धर्मवीर ने देखा तो उसका मजा दोगुना हो गया ।
उसने जल्दी से डब्बा खोला और उसकी टांगों को छाती से लगाकर वह लिक्विड चॉकलेट उसकी चूत पर डालने लगा जब चॉकलेट से पूरी चूत ढक गई धर्मवीर उसे चाटने लगा।

पूरा डब्बा उसकी चूत पर डाल डाल कर चाटा।
उपासना तो मजे से दोहरी हो गई ।
चूत की ऐसी चटाई उसने आज तक नहीं देखी थी ।

उसके बाद धर्मवीर ने सोचा कि इतनी आसानी से बहू की चूत में नहीं जाएगा और उसने उपासना को घोड़ी बनने को बोला ।
उपासना घोड़ी बन गई और उसकी जांघों का और गांड का फैलाव देखकर धर्मवीर का लंड बिल्कुल उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार हो गया था।

धर्मवीर ने उपासना की कोहनी को भी मोड़ कर उसके चेहरे को बिस्तर से लगा दिया।
फिर धर्मवीर ने उपासना से मुंह खोलने को बोला।

उपासना ने अपना मुंह खोला तो धर्मवीर ने उसमें अपना दो उंगलियां डाल दीं ।
उपासना उन्हें चूसने लगी लेकिन धर्मवीर के दिमाग में क्या आया कि उसने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया।

लंड को थूक से पूरा सानने के बाद उसकी चूत में भी उसने ढेर सारा थूक भरा ।
और फिर चारों उंगलियां उपासना के मुंह में डाल दी।
धर्मवीर ने अपनी उंगलियां , अपना आधा हाथ उपासना के मुंह में हलक तक उतारा



उसने अपना लंड उपासना की चूत पर रख कर एक हाथ से उसकी भारी-भरकम गांड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर रख कर जितनी उसमें ताकत थी पूरी ताकत से धर्मवीर ने झटका मारा तो धर्मवीर का लंड कम से कम 4 इंच उपासना की चूत में घुस गया।

जैसे ही उपासना की चूत में लंड घुसा उसकी चूत इस तरह चौड़ी होकर लंड पर फैल गई जैसे कोई रबड़ चढ़ाई गई हो।
दोस्तों जैसे ही झटका लगा तो उपासना की आंखें बाहर आ गई ,चिल्ला तो नहीं सकी क्योंकि धर्मवीर का हाथ उसके मुंह में फंसा हुआ था और जैसे ही धर्म भी ने झटका मारा था तो अपना हाथ और भी उसके गले लग तक उतार दिया था।
उपासना बस गूंगूंगूंघोंघों गूंगूंगूंघोंघों ही कर सकी ।

उपासना की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई ।
उपासना अगले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने इस अवस्था में 1 मिनट तक रुकने के बाद अपनी पूरी ताकत से दूसरा झटका मारा और इस बार लंड का एक तिहाई हिस्सा उपासना की चूत में उतर गया था।
उपासना का दर्द और भी बढ़ता गया और वह गूंगूंगूंघोंघों करती रही जैसे कोई रंडी गलत जगह फंस गई हो।
फिर धर्मवीर ने लंड को हल्का सा बाहर खींचकर एक और तगड़ा झटका मारा और इस बार धर्मवीर की झांटे मिल गई थी उपासना की चूत से ।
पूरा लंड उसकी चूत में उतर चुका था।

नजारा यह था कि इतना तगड़ा लंड अपनी चूत में फंसाकर उपासना ना रो पा रही थी और ना ही चिल्ला पा रही थी। उपासना की गांड का छेद बार-बार बंद हो रहा था बार-बार खुल रहा था ।

धर्मवीर ने अपना हाथ उपासना के मुंह से निकाला

उपासना चिल्लाते हुए - पापाजी मर गई ।
यह मेरी चूत का हाल क्या कर दिया आपने मेरी चूत तो ऐसे लग रही है जैसे पूरी भर गई हो आई आई हुई करती हुई उपासना ने कहा हल्का सा बाहर कर लीजिए मुझसे सहन नहीं हो रहा ।
धर्मवीर ने सोचा कि अब उपासना की चूत में लंड चला गया है तो जगह बन गई और धीरे-धीरे धर्मवीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

दोस्तों जैसे ही लंड बाहर निकला उपासना चूत की कुछ खाल धर्मवीर के लंड के साथ बाहर को खींच रही थी।
उपासना का छेद इतना चौड़ा हो गया था तो उसमें काफी अंदर तक देखा जा सकता था।
चूत खुलकर बिल्कुल चौड़ गई थी ।
धर्मवीर ने उपासना को सीधा लिटाया और अपनी बहू के ऊपर लेट कर उसकी टांगों को मोड़कर छाती से लगा दिया।

धर्मवीर उसके ऊपर झुका और झुक कर उसके चेहरे को चाटते हुए लंड रगड़ने लगा चूत से।
लंड की रगड़ से उसकी चूत दोबारा से पानी पानी हो गई।
और उपासना ने अपनी हाथों से उस लंड को पकड़ कर अपने छेद पर सेट किया और बोली ससुर जी जरा धीरे से इतना सुनते ही धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसके जोरदार धक्का मारा।

उपासना - आआईईईईई जी मर गई बचा लो मुझे।
इतनी जोर से चिल्लाने लगी जैसे कोई गाय रेंक रही हो ।
धर्मवीर ने दोबारा से एक और झटका मारा इस बार उसका पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया ।
और उसकी चूत को अपने लंड से भर कर चुचों से खेलने लगा धर्मवीर । उसके गालों को अपने गालों से सहलाने लगा। उसके माथे को चूमने लगा उसके होठों को चूसने लगा।

जब कुछ नॉर्मल हुई उपासना तो उवासन उसकी आंखों में झांककर अनुमति दी कि अब झटके मार सकते हो।
दोबारा से 2, 3 झटके पूरी जान से मारे धर्मबीर ने।
दोस्तों इन झटकों से उपासना की चूत पूरी तरह से चौड़ गई थी ।
उपासना की चूत का दाना बिल्कुल लंड पर रगड़ खा रहा था इतना चौड़ा हो गया था उपासना की चूत का छेद
फिर धीरे-धीरे नॉर्मल हुई उपासना नीचे से गांड हिलाने लगी।

जब धर्मवीर ने देखा तो उसने सोचा कि अभी उसने मेरे लंड की ताकत देखी कहाँ है । उसने पूरा झुक कर अपनी पूरी स्पीड में 10 , 15 झटके मारे।



दोस्तों जैसे ही धर्मवीर के लंड के झटके उपासना की चूत पर पड़ते हैं तो उसकी चूड़ियों की खनखन पूरे कमरे में गूंज जाती हर झटके पर उसके पैरों में बंधे घुंघरू छन छन छन की आवाज कर रहे थे ।
इतना मधुर संगीत पहली बार उपासना ने सुना था कि चूत की चुदाई का संगीत साथ में उसकी चूड़ियां और घुंघरुओं की खनखन उसे डबल मजा दे रही थी।

झटके इतने ताबड़तोड़ तरीके से मारे गए थे कि उपासना की गांड धर्मवीर के लंड के साथ ही उठ जाती और धर्मवीर के पूरे वजन के साथ उसकी गांड बैड के गद्दे में धंस जाती ।

उपासना की इतने बुरे तरीके से चूत फाड़ी जाएगी उपासना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था ।
उसकी चूत पर वह तगड़ा लंड बार-बार झटके दे रहा था।

और उपासना की चूत का पानी उस लंड पर ऐसे चमक रहा था कि मानो कोई चुडक्कड़ रांड की चूत में अंदर बाहर हो रहा हो।
फिर धर्मवीर कहने लगा कि मानता हूं मेरी रानी तेरी भी दाद देनी पड़ेगी । मेरे लंड को पूरा ले गई चूत में वरना इतना आसान नहीं होता हर किसी के लिए अपनी चूत में मेरा यह लंड लेना ।



उपासना कहने लगी कि बहू भी तो आपकी ही हूं कर लीजिए अपने मन की पूरी । यह पड़ी आपके रंडी आपके नीचे अपनी टांगों को फैलाकर ।

धर्मवीर ने उसके कंधे को पकड़कर उसकी चूत में इतने तगड़े तगड़े झटके मारे की उपासना तो दोहरी हो गई ।और मजे से सातवें आसमान में पहुंच गई ।
चूत का बाजा तो इस तरह बज चुका था कि कोई कह नहीं सकता था वह चूत है अब तो वह भोसड़ा बनने की कगार पर थी ।

चुदते वक्त जब उपासना के पैरों में बंधे घुंगरू इतनी तेज आवाज कर रहे थे छनछन की लग रहा था कोई ढोल बैंड वाले मजीरा बजा रहे हैं।

उसकी चूड़ियों की खनखन धर्मवीर के पीठ पर खनक रही थी ।

उपासना की चूत में इस तरह गदर मचाता हुआ लंड जब अंदर बाहर होने लगा तो उपासना की चूत से पानी रिसने लगा । और वह पानी उसकी गांड तक पहुंच गया।

उपासना की चुदाई इस तरीके से हो रही थी जैसे कोई किसान हल से अपना खेत जोत रहा हो ।
भयंकर और धमाकेदार चुदाई से उपासना निहाल होती जा रही थी।

उसे चोदते चोदते धर्मवीर ने उसके मुंह पर थूक दिया। उपासना के गालों पर पड़ा हुआ धर्मवीर थूक इस बात की गवाही था कि वह एक संस्कारी बहु से बेशर्म रंडी बन गई है।
और उपासना ने उस थूक को अपने गाल पर मल लिया।
जिसे कि उसका सारा मेकअप उसकी आंखों का काजल उसके चेहरे पर ऐसे फैल गया जैसे कोई रंडी रात भर चुद कर सुबह को उठी हो।

इस रूप को देखकर और झुककर धर्मवीर ने अपने मुंह से जैसे ही तो अपने मुह से थूक निकालना चाहा यह देखकर उपासना ने अपना मुंह खोल दिया और उसका सारा थूक अपने मुंह में ले लिया ।
और फिर धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूत पर लंड के प्रहार जारी रखे।

इस तरह से चुदने के बाद उपासना का रोम रोम खिल उठा।
धर्मवीर ने ने उसकी एक टांग को नीचे कर दिया और एक टांग को कंधे पर ही रहने दिया और उसकी चूत में ताबड़तोड़ झटके मारता चला गया ।
कम से कम 40 45 मिनट इसी पोजीशन में चोदने के बाद उपासना की टांगे भी दुखने लगी और उपासना थक गई थी।

धर्मवीर ने उसकी चूत से लंड निकाला और चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह वही उपासना की चूत है ।

उपासना अपना हाथ चूत पर लेकर गई तो जैसे ही उसकी चूत के छेद पर उसकी उंगलियां गई उसे पता ही नहीं चला कि उसका छेद है उसकी तीन उंगलियां एक साथ उसकी चूत में घुस गई ।।
उपासना मुंह से निकला हे भगवान पापा जी आप ने क्या कर दिया अब मैं आपके बेटे के सामने इस चूत को कैसे लेकर जाऊंगी ।

धर्मवीर कहने लगा कि आज की चुदाई अभी तक पूरी नहीं हुई है ।उसके बारे में बाद में सोचेंगे और ऐसा कहते हुए धर्मवीर लेट गया और उपासना उसके ऊपर आकर अपनी थोड़ी सी गांड को फैला कर अपनी चूत के छेद पर उसका लंड सेट करके और एक साथ चीखती हुई बैठी आआआआआआईईईईईईई बचाओ कोई मुझे हाय ।

पापा जी आपकी रंडी आपका सारा लौड़ा ले गयी मैं।
धर्मवीर के हाथ उसके चूतड़ों पर चले गए और धर्मवीर उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए नीचे से झटके देने लगा।


और उपासना झुक कर अपने ससुर के होठों को चूसने लगी ।
धर्मवीर ने जैसे ही झटकों की रफ्तार बढ़ाई उपासना किसी रंडी की तरह चिल्लाने लगी कमरे में ।



उपासना की चुदाई का शोर कुछ इस कदर था जैसे कोई तीन चार रंडियां एक साथ मिलकर चुद रही हों।

उपासना सस्ती रांड की तरह गुर्राते हुए कहने लगी और तेज और तेज ससुर जी ।
अपनी बहू की चूत को आपने ही मुझे पसंद किया था ना अपने बेटे के लिए तो लीजिये आज संभालिये इस चूत की गर्मी ।
डाल दीजिए मेरी चूत में अपना बच्चा ।
धर्मवीर कहने लगा कि मेरी जान तुझे तो अपने लंड पर इस तरह नचाऊंगा कि दीवानी हो उठेगी ।

दिन में भी खुली आंखों से सपने देखेगी मेरे लंड के ।

उपासना - आपकी कुत्तिया देखो तो आपके ऊपर किस तरह से आपके लंड को निगले हुए बैठी है। देख क्या रहे हो पापाजी दिखाओ इसे अपने लंड का दम।

इस निगोड़ी चूत में अपना लंड उतारो उपासना की चूत मारते हुए धर्मवीर उसे चोदता रहा और कहने लगा कि मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी बहू इतनी गरम कुतिया होगी।

उपासना कहने लगी आपके जैसा लंड अगर चूत में उतरेगा तो संस्कारी बहु भी कुतिया बनेगी पापाजी।
जिससे कहोगे आप उससे चुद जाऊंगी इस लंड के लिए।
आपके मुंह पर अपनी चूत रख कर बैठा करूंगी सुबह को और तब आपको गुड मॉर्निंग बोला करूंगी।
आपकी रंडी इस घर में अब सिर्फ चुदने के लिए रहेगी।

धर्मवीर यह सुनकर कहने लगा हां मेरी रानी बहू अब तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है बस तू अपनी गांड और चूत को सजाकर मेरे लोड़े के लिए मेरे बिस्तर पर इंतजार किया करना इस तरह झटके मारते हुए उसकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई चालू थी ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को दोबारा से नीचे लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और ऊपर आकर उसकी चूत का हाल देखा ।
धर्मवीर मन ही मन अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा क्योंकि उपासना की चूत ऐसी हो गई थी जैसे कोई दो तीन अफ्रीकन नीग्रो से उसका गैंगबैंग हुआ हो।
फिर पूरी ताकत से झटका मारा धर्मवीर ने।

दोस्तों गांड के नीचे तकिया रखा होने की वजह से धर्मवीर का लंड जड़ तक उसकी चूत में उतर गया।
और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया उपासना मजे से दोहरी होकर गुर्रा पड़ी पापाजी फाड़ दीजिए प्लीज रंडी की चूत । मत कीजिए कोई रहम।
इस कदर मेरी चूत का मंथन कीजिए जैसे देवताओं ने मिलकर समंदर का मंथन किया था। लाज और शर्म में बहुत दिन रहली अब यह तुम्हारे लंड की दीवानी बन के अपनी चूत को दिन-रात आपके लंड से सजाएगी ।

धर्मवीर ने कसकस के उसकी चूत में घस्से मारे जिस वजह से उपासना का पानी निकलने को तैयार हो गया ।
और उपासना रंडियों की तरह चिल्लाते हुए कहने लगी पापाजी आपकी कुतिया गयी ।

धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना झड़ने वाली है तो उसे भी झड़ना होगा उसने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी पिस्टन की तरह अंदर बाहर करना स्टार्ट कर दिया लंड।

किसी मशीन की तरह धर्मवीर की कमर ऊपर नीचे इतनी स्पीड से हो रही थी कि बिल्कुल उपासना की चूत के छेद में उसका लंड पूरा बाहर आता उतनी ही स्पीड से अंदर जाता ।
उपासना चिल्लाते हुए झड़ गयी पापाजी डाल दीजिए अपना बच्चा मेरी चूत में ।आपके बच्चे को जन्म देना चाहती हूं मैं ।
आपका पानी मेरी चूत में छोड़ दीजिए बना दीजिए मुझे मां एक नहीं दो दो बच्चों की मां बना दीजिए इस घोड़ी को ।
यह घोड़ी अभी तक कुंवारी थी आज मैंने जाना है चूत फाड़ना किसे कहते हैं ।
सच में आपने वह कर दिखाया जो आपने कहा था।

बना दिया पापाजी आपने आपने मेरी चूत का भोसड़ा।
अभी फटी हुई चूत को लेकर मैं घर में घुमा करूंगी ।
और धर्मवीर इन बातों से इतना गरम हुआ कि उसने अपनी सांसो को खींचकर झटके इतने तेज मारे की फिर चीख पड़ी उपासना और लास्ट वाले झटके में अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को चूत में उतार कर अपना पानी भरने लग गया ।

धर्मवीर के लंड से गरम गरम ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया ।



धर्मवीर कुछ देर तक उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा ।
फिर लंड उसकी चूत से जैसे ही बाहर निकाला तो चूत का छेद उसके लंड की आकार का हो गया और उसकी चूत के छेद में से वीर्य बाहर निकलने लगा ।
क्योंकि चुदायी इस कदर हुई थी।
वीर्य बहकर उसकी गांड तक जाने लगा।

इस हालत को देखकर धर्मवीर हल्का सा मुस्कुराया और उसके होंठों को चूमने लगा।


इस भयंकर चुदाई के बाद जैसे ही उपासना की आंखे खुली तो उसकी नजर डायरेक्ट सामने वाली खिड़की पर गयी ।
उसकी मुह से तुरंत चीख निकली क्योंकि खिड़की पर दो साये खड़े यह देख रहे थे । उसमे एक साया लड़के का था और दूसरा साया किसी लड़की का।
यह तो पक्का था कि वो शालीनी और राकेश तो थे ही नही कौन थे और उसके बाद क्या होता है जानते है next update में।


।।।।।।।।।।
कैसा लगा दोस्तो आपको आज का ये चुदाई समारोह ।
आपके सपोर्ट की उम्मीद रखने वाला आपका प्यारा सा राइटर - रचित चौधरी ।
आगे आने वाली updates में थोड़ा स्टोरी को तेज करना होगा मेरे कुछ भाइयो का ऐसा कहना है तो अब तक ये कहानी स्लो मोशन में चली उसके लिए माफ करियेगा इस नादान को।

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Very very sexy update. Upasna ki mast chudai hui hai.
 

Premkumar65

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Update 13.

Hi Dosto kaise ho ap I think tadap rahe honge sab next update k liye...jyada na tadapte hue anand lijiye is update ka.

Chaliye badhate h is kahani ko age
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जैसे ही उपासना की नजर चीख निकली की नही ये नही हो सकता।
तभी धर्मवीर ने देखा कि कौन है खिड़की पर ।

जैसे ही धर्मवीर उठकर चला तभी दरवाजे पर से तालियों की आवाज आने लगी ।

उपासना की बहन पूजा (राकेश की साली) और उपासना के पापा सोमनाथ जी खड़े थे।

यह देखकर धर्मवीर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया ।
साथ मे उपासना भी चुन्नी से अपने आपको ढंकते हुए बैठी बैड पर ।

सोमनाथ जी ने गुर्राते हुए कहा कि मैंने सोचा भी नही था मैं अपनी बेटी की शादी एक ऐसे परिवार में कर रहा हूँ जहां हैवान रहते हैं।
धर्मवीर और उपासना चुपचाप बैठे देख रहे थे।

सोमनाथ - मैं अब इस घर मे एक भी पल नही रुक सकता।
उपासना - पापाजी इसमें हमारी गलती नही है ये मैं आपको बताना चाहती हूं।
ऐसा कहते हुए उपासना ने नजरें नीची कर ली तभी उपासना की बहन पूजा अपने पापा सोमनाथ से बोली ।

पूजा - पापाजी अभी तो काफी रात हो गयी है , हम सुबह जलड़ी ही निकल लेंगे।

ऐसा कहकर पूजा सोमनाथ जी का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर की तरफ निकलने लगी ।

तबतक धर्मवीर कपड़े पहनकर उनके पीछे पीछे चल दिया और आगे आकर हाथ जोड़ते हुए बोला ।

धर्मवीर - समधी जी आप मुझे गलत न समझे मैने एक बाप होने का फर्ज निभाया है, मैं जानता हूँ इसमे गलती आपकी बेटी उपासना की नही मेरे बेटे राकेश की है। लेकिन दोनों बच्चे हमारे अपने ही तो है, इन्ही बच्चो से हमारा सबकुछ है।
मैं आपको सारी बात बताऊंगा उसके बाद जो सजा आप मुझे देना चाहें मुझे मंजूर होगी ।

सोमनाथ ने ऐसा सुना तो उसके दिल मे कुछ दया के भाव आये और वो ऊपर वाले फ्लोर की तरफ चल दिया ।
तीनों सोमनाथ, धर्मवीर और पूजा लिफ्ट से न जाकर सीढ़ियों से चल रहे थे । आगे आगे सोमनाथ और पूजा थे पीछे पीछे धर्मवीर चल रहा था ।

चलते चलते जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसका मुह खुला का खुला रह गया ।
उसने देखा कि पूजा तो उपासना को भी पीछे छोड़ गई है अपनी जवानी की तुलना में।
धर्मवीर ने ध्यान से देखा कि पूजा चलते वक्त बिल्कुल ऐसी लगती है जैसे दो बच्चो की मां हो ।पूजा को देखकर कोई नही कह सकता कि वो कुंवारी है।
पूजा के चूतड़ों का हिलना ही बता रहा था कि उसने एक नही कई सारे लंडो के बीच मे खेल खेले हैं । उपासना की गांड में पूजा के मुकाबले काफी कसाव था शादीशुदा होने के बावजूद भी । जबकि पूजा की गांड में वो कसाव नही था जो कंवारी लड़कियों में होता है। पूजा की गांड कुछ ढीली और फैली हुई सी प्रतीत हो रही थी ।
उसकी जांघो को सही से तो नही देख पाया धर्मवीर क्योंकि सलवार ढीली थी पर इतना उसने सोच लिया था कि गांड के हिसाब से जांघे मोटी होंगी जो चूत को छुपकर रखती होंगी ।


इतना सोचते सोचते सभी ऊपर पहुंच गए ।

तीनों जाकर हॉल में बैठ गए।

धर्मवीर सोमनाथ जी के सामने बैठा था और पूजा साइड में। स्टूल रखा हुआ था उस पर जैसे ही पूजा बैठी तो पूजा के चूतड़ दोनों तरफ फैल गए और स्टूल उसके चूतड़ों में धंस गया ।

यह देखकर धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया सोचने लगा काश इस स्टूल की जगह मेरा मुह होता , तभी सोमनाथ जी ने धर्मवीर की ओर देखते हुए पूछा कि मैं जानना चाहता हूं आखिर बात क्या है ।

इस घर में चल क्या रहा है है रहा है है ।

धर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा कोई नपुंसक नहीं है, मेरा बेटा हष्टपुष्ट है, लंबा तगड़ा है किंतु उसके वीर्य में बच्चे पैदा करने की काबिलियत नहीं है।
और यह बात मुझे आज ही पता चला फिर उसने सारी बातें सोमनाथ जी को बताई कि किस तरह उस बाबा ने उन्हें बताया ।
घर डूबने से लेकर आने वाले भविष्य की भविष्यवाणी को बताते हुए सारी बातें बताई धर्मवीर ने।

कुछ देर खामोशी छाई रही।
पूजा अपनी नजरें झुका के बस टेबल को देख रही थी ।
रात का 1:00 बज रहा था ।

खामोशी को तोड़ते हुए सोमनाथ जी ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।
देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।
और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए सोमनाथ में खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

सोमनाथ जी बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा पूजा तुम जाकर चाय बना लो ।
पूजा चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।

सोमनाथ ने बताया कि वो और उसकी बेटी पूजा इधर रास्ते से गुजर रहे थर तो सोचा उपासना से मिलता चलूं ।
जैसे ही मैन गेट पर आया तो गटर खुला हुआ था। फोन करना फिर जरूरी नही समझा।
और मैं अंदर आया तो ग्राउंड फ्लोर पर कमरे से तेज रोशनी आरही थी । कमरे में खिड़की से देखा तो आप उपासना के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही सोमनाथ के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया ।
धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया है तो इसमें शर्माना क्या।

धर्मवीर बोला - हां उपासना बेटी का मुंह थोड़ा कम खुल रहा था जिस वजह से थोड़ा टाइट गया ।

सोमनाथ - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था ।

धर्मवीर बोला - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि उपासना तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

सोमनाथ - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी उपासना की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

सोमनाथ अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह उपासना पूरा लंड खा गई थी।

सोमनाथ - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है।

सोमनाथ -समधी जी बताना तो नही चाहता पर दिल नही मान रहा अभी कुछ दिन पहले अपनी छोटी बेटी पूजा को एक लड़के के साथ पकड़ा था मैंने। वो लड़का 15 साल का था , उसका लंड लगभग 4 इंच का था।

धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।

पूजा जाकर चाय बनाने लगी तभी सोमनाथ जी ने कहा कि मुझे आपके कार्य से कोई एतराज नहीं है। और यह बात मैं बेटी को भी कहना चाहता हूं कि उसने भी अपने घर की इज्जत के लिए किया है । आप उपासना बेटी को भी बुला लीजिये।
यह सुनते ही धर्मवीर ने उपासना को फोन किया और ऊपर आने को कहा हॉल में ।


उपासना ने डरते हुए आने के लिए हां कह दिया और फोन रख दिया।
उपासना उठी और ऊपर की तरफ चलने लगी लेकिन जैसे ही उठकर वह चलने चलने लगी उसकी आंखों के सामने अंधेरा हो गया ।
क्योंकि एक भयंकर चुदाई उसकी हुई थी उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।
उसने जैसे तैसे धीरे धीरे चलना शुरू किया ।
उसने जल्दी से सजे सूट सलवार पहना और लिफ्ट से ऊपर आगयी लड़खड़ाते हुए ।
लिफ्ट से निकल के हॉल की तरफ चली तो उसकी चाल देखकर धर्मवीर ने अपनी गर्दन झुकाली और सोमनाथ का मुंह खुला का खुला रह गया ।

उपासना किसी बुरी तरह से चुदी हुई रंडी की तरह धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी।
उपासना के चेहरे पर काजल फैल गया था ।उसके होठों का लिपिस्टिक उसके होठों के आसपास था जो कि बिल्कुल हल्का हो गया था ।
जैसे ही टेबल के पास आई उपासना बैठने को बैठते बैठे फिर लड़खड़ा गयी ।

तभी पूजा चाय बना कर ले आई और सब लोग चाय पीने लगे ।

सोमनाथ जी ने उपासना की ओर देखते हुए कहा कि बेटा समधी जी ने मुझे बताया है और इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
मैं तुम्हारे फैसले का स्वागत करता हूं इतना सुनकर चुदी-चुदाई उपासना जो अपनी फटी हुई चूत लेकर वहां बैठी थी वह धीरे से शरमा गई ।

सोमनाथ जी ने माहौल को ज्यादा सीरियस ना बनाते हुए धर्मवीर से कहा कि समधी जी आपने मेरी बच्ची को मार ही डाला ।
उसकी हालत क्या कर दी आपने।

धर्मवीर - सोमनाथ जी आपकी बच्ची ने ही न्योता दिया था हमे तो ।

यह सुनकर पूजा और उपासना दोनों शर्म से लाल हो गयी।

सोमनाथ चलो बेटा तुम हमारे सोने का इंतजाम करो मैं और समधी जी साथ ही सोएंगे आज।

ऐसा सुनकर उपासना और पूजा उठकर चली गयी। जातर वक्त दोनों रंडियों की गांड ऐसे हिचकोले ले रही थी जैसी किसी बड़े तगड़े लौड़े की ख्वाहिश कर रही हों ।

सोमनाथ और धर्मवीर भी अब आपस मे खुलने लगे थे ।
दोनों हॉल में बैठे बातें कर रहे थे आधा घंटा हो चुका था।

उधर कमरे में जाते ही पूजा हंसकर कहने लगी - दीदी आज तो लगता है किसी मर्द से पाला पड़ गया है चाल भी बदल गयी ।

दोस्तो उपासना और पूजा बहन होने के बावजूद आपस मे बहुत फ्रेंडली थी।

उपासना शर्माते हुए।

उपासना - इस मर्द के निचे तू आजाती तो आंखे बाहर आजाती समझ गयी । मैं थी जो झेल गयी ।

पूजा - शर्माते हुए - आंखे तो बाहर नही आती पर पिछवाड़ा जरूर बाहर निकल जाता ।

उपासना - बड़ी बदमाश हो गयी है और तेरी बदमाशी की गवाही तेरे ये ढोल से चूतड़ दे रहे है।

पूजा - चूतड़ तो दीदी आपके भी ढोल से कम नही है । ऐसा लगता है किसी के मुह पर बैठ गयी तो मुह दिखना बैंड हो जाएगा ।

उपासना - चल बाद में बातें करेंगे अपने कमरे में चलकर अब दोनों पापा का बिस्तर लगा दिया है उनको सोने के लिए बोलकर चलते है ।

दोनों उठकर धीरे धीरे हॉल की तरफ आने लगी ।

लेकिन जैसे ही हॉल में आने को मुड़ी अचानक धर्मवीर के हंसने की आवाज आई ।
इतना खुधनुमा माहौल देखकर उपासना पूजा को इशारा करते हुए पीछे को हट गई और दोनों बहन छुपकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - बात तो अपने सही कही सोमनाथ जी । दोनों ही बहन एक से बढ़कर एक हैं।

सोमनाथ - तो बताइए समधीजी कैसा लगा मेरा प्लान।

धर्मवीर - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन डर यही है कि पूजा मुझे झेल पाएगी या नही।

सोमनाथ - और मुझे डर उपासना का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा पतला हो लेकिन पूरे दो इंच लंबा है।

धर्मवीर - तो फिर कल दोनों बहनों की चीखें गूंजेंगी इस घर मे। कल दोनों को गोद मे उठा उठा कर बारी बारी से उनकी चूतों का भोसड़ा बनाएंगे दोनों। देखते है कौन सी बहन चुदाई समारोह में लंडों को चूतड़ उठा उठाकर लेगी।

उधर पूजा और उपासना को कानों पर विश्वास नही हो रहा था । की उनके ससुर और पापा मिलकर उनकी चूतों और गांड का छेद चौड़ा करने का प्लान बना रहे त
है।

सोमनाथ - लेकिन कल शाम तक दोनों को इस बारे में कुछ पता नही चलना चाहिए।

धर्मवीर - बिल्कुल पता नही लगेगा सोमनाथ जी इतना तड़पा देंगे कुतियाओ को खड़ी खड़ी मूतने लगेंगी । तड़पकर खुद ही कहेंगी कि-

अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
कल क्या हो किसने देखा हमारी चूतों का भोसड़ा आज और अभी करदो।



सोमनाथ - शायरी तो अच्छी करलेते हैं समधीजी। चलिए अब बिस्तर लग गया होगा चलकर बात करते हैं।

ऐसा कहते हुए दोनों खड़े हुए और कमरे की तरफ चलने लगे ।

उधर पूजा और उपासना भी हॉल की तरफ आने लगे अनजान बनते हुए जैसे उन्होंने कुछ नही सुना हो।

पूजा - पापाजी बिस्तर लग गया है । मैं और दीदी भी सोने जा रहे है।

पूजा और उपासना कमरे में आकर ।
उपासना - ले पूजा अब तो तैयार हो जा कल को मेरे ससुर का लौड़ा लेने के लिए।

पूजा यह सुनकर लाल हो गयी और कहने लगी ।
पूजा - आप भी तैयार हो जाइये पापा से चुदने के लिए ।

उपासना- लेकिन पूजा हम भी इतनी आसानी से उनकी बातों में नही आएंगे । जैसे वो हमें खड़ी खड़ी मुताना चाहते है हम भी इतना तड़पाएँगे कि खड़े खड़े ही पानी छोड देंगे उनके लंड।

पूजा - हां ये सही रहेगा दिनभर तड़पाएँगे दोनों को।लेकिन दीदी मेरी चूत पर तो काफी घने बाल है कल मुंहे हेयर रिमूवर दे देना।

उपासना - ये तो और भी अच्छी बात है क्योंकि तू नही जानती मंझे हुए खिलाड़ी जब चोदते हैं तो घनी झांटो में जाता हुआ लंड उन्हें बहुत प्यारा लगता है और ऐसी चुदाई करते है कि रंडी को भी हिलाकर रख दें।

इस तरह दोनों बातें करती हुई कल का इंतजार करते हुए सो गयीं।

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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है कोई सुझाव हो तो जरूर देना। कहानी आगे जारी रहेगी। सपोर्ट के लिए दिल से धन्यवाद।
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Very nice twist to the story.
 

Premkumar65

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Update 15

दोस्तों एक छोटी सी अपडेट लेकिन यहाँ से कहानी एक नया मोड़ लेगी । तो मजा लेते रहें
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राकेश बेड पर शालिनी के बगल में लेट गया और उसने कंबल ओढ़ लिया।

तकरीबन 10 मिनट बाद शालिनी ने राकेश की तरफ पीट कर ली और और करवट लेकर लेट गई ।

राकेश को भी नींद आने लगी थी उसने भी शालिनी की तरफ करवट ली और जैसे ही उसका हाथ शालिनी की छाती पर लगा तो उसकी नींद गायब ही हो गई।

शालिनी के ढीली सी नाइटी में बिना ब्रा के बूब्स गुलाब के फूलों की तरह खिले हुए महसूस हो रहे थे।
राकेश ने धीरे से अपना हाथ बूब्स पर रखा उधर शालिनी की सिसकारी निकलने ही वाली थी कि उसने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए चुपचाप सोने का नाटक किया।

राकेश सोचने लगा कि उसकी बहन शालीनी तो भरीपूरी औरत को भी मात दे सकती है । इतना गदराया हुआ बदन । और उस बदन में लौड़ो की चाहत साफ देखी जा सकती थी।
राकेश सोचने लगा कि शालीनी के ऊपर एक साथ दो को भी चढ़ाया जाए तो ये कुतिया उन्हें आराम से निचोड़ सकती है।

शालिनी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था जिसका राकेश को अंदाजा भी नहीं था ।

राकेश ने अपना एक हाथ शालिनी के चूतड़ों पर रखा रखा तो उसका लंड औकात में आ गया क्योंकि उसकी वह फैली हुई गांड गांड ,अपनी भारी-भरकम गांड को को को लेकर बेड पर पड़ी थी थी शालीनी।

उसने अपना हाथ चूतड़ों से नीचे जांघों पर रखा तो उसकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने से ही ही राकेश मदहोश हो गया।

जैसे ही शालिनी ने सीधी करवट ली राकेश ने एक साथ डर कर कर डर कर कर साथ डर कर कर डर कर कर हाथ हटा लिया ।
कुछ समय बाद राकेश ने फिर अपना हाथ शालिनी के मुलायम मुलायम पेट पर रखा और नीचे की तरफ हाथ बढ़ाया।

शालीनी ने बहुत ही छोटी नाइटी पहनी हुई थी और उसका हाथ शालिनी की झांटो में आकर रुक गया।
पहले तो राकेश को को विश्वास ही नहीं हुआ कि उसकी बहन शालीनी की झांटे इतनी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी है।
उस घने जंगल को देखकर राकेश पागल सा हो गया और उसने अपना पूरा हाथ शालीनी की चूत पर रख दिया ।

राकेश को महसूस हुआ किसी शालीनी की चूत उसकी उम्र के मुकाबले थोड़ा बड़ी है क्योंकि उसके पूरे हाथ में उसकी चूत भरकर आ रही थी थी ।

उधर शालिनी ने ने राकेश का हाथ पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया जिसका राकेश को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था।
और शालीनी ने धीरे से राकेश से कहा- भईया पीले मेरी चूत।




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अब तो राकेश पागल ही हो गया।

राकेश ने तुरंत कंबल को हटा कर फेंक दिया फेंक दिया दिया अब बेड पर शालिनी उस नाइटी में में मदरजात नंगी पड़ी हुई थी।
राकेश ने उसकी नाइटी को फाड़ दिया दिया।

शालिनी की मोटी मोटी जांघों के बीच उगा हुआ घना जंगल ऐसा लग रहा था जिसे चांद में कोई काला तिल हो ।
उसके काली काली काली झांटो में छुपी हुई उसकी चूत कह रही थी कि मुझे कोई तगड़ा लंड चाहिए ।

तभी शालीनी के दिमाग ने अपने प्लान पर काम करना शुरू किया ।

शालिनी ने कहा- भैया मुझे शर्म आ रही है। पहली चुदाई मैं आपकी आंखों पर पट्टी बांध के करूंगी करूंगी के करूंगी करूंगी।


राकेश उसकी बात मान गया और उसने अपनी आंखों पर एक काली पट्टी बांध ली और बेड पर लेट गया ।

शालीनी ने अपने बैग में से कुछ निकाला और बैड पर आकर वह पूरा चाकू राकेश की छाती में घोंप दिया ।
राकेश के मुंह से एक चीख निकली और शालिनी ने लगातार चार पांच बार बार चाकू राकेश की छाती में घोंपा।
राकेश ठंडा पड़ गया राकेश की सांसे बंद हो गई ।

शालीनी जल्दी से उठी अपने कपड़े पहने और उसने राकेश को पॉलिथीन में पैक किया चारों चारों तरफ से और अपनी गाड़ी की डिग्गी में डालकर में डालकर उसने उसे एक नदी में फेंक दिया और आकर सो गई ।


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अब सब लोग ये मत पूछने लग जाना कि शालीनी ने राकेश को क्यों मारा ?
समय आने पर पता चल जायेगा।

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Rakesh ki KLPD. Jarur koi series secret hai.
 

kamdev99008

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bahut dukhi aatma lg rhe hai bhai ap
Jyada khush hu tabhi to chudai padhkar bor ho jata hu
 
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