Nasn
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ये old update लग रहा है।
था मस्त.....
था मस्त.....
Ye to pahle wala hi update hai .Update : 17
दोस्तों आपको बहुत wait करना पड़ा update के लिए उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं । आपके लिए जितना लिख पाया हूँ आज वो post कर रहा हूँ ।
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दोपहर का समय था , धर्मवीर और सोमनाथ tv देख रहे थे तभी उपासना और पूजा दोनो ने आकर एकसाथ कहा - पापाजी हम जरा कुछ शोपिंग करने जा रहे हैं ।
ऐसा कहकर दोनों मेन गेट की तरफ चलदी ।
दोनों ने वन पीस पहना हुआ था जिसमें उनकी गदरायी हुई जांघे और चौड़े कूल्हे धीरे धीरे हिल रहे थे।
सोमनाथ और धर्मवीर ने एक दूसरे की तरफ देखा और धर्मवीर बोला - आज तो बाजार बंद है फिर यह कहां जा रही हैं दोंनो ।
सोमनाथ ने कहा - हो सकता है दोनों को घूमने का मन हो या कोई जरूरी काम हो ।
उपासना और पूजा सबसे पहले ब्यूटी पार्लर गई जहां पर उन्होंने अपने बालों की कटिंग कराई और दोनों के बालों की लंबाई एक जैसी ही हो गई , फिर दोनों ने घर आकर गर्म पानी में स्नान किया ।
शाम के 5:00 बजने को आए थे और अभी उपासना और पूजा एक 1 घंटे सो कर उठी थी उपासना ने अपने और पूजा के लिए एक बहुत ही टाइट ड्रेस निकाली और पूजा की तरफ मुस्कुरा कर बोली- ले पहन ले मेरी घोड़ी ।
अब उन दोनों को थोड़ा तड़पा दें ताकि रात को हम दोनों की चूतों की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर बाकी ना रहे।
उन दोनों के लंडों में ऐसी आग लगा दे कि रात भर भर इतनी कसकर , इतनी टीका कर गांड मारी गांड मारी कर गांड मारी जाए हम दोनों की कि हमारे बस की चलना ना रहे ना रहे , और पूजा तुझे तो वैसे भी दोनों को एक साथ अपने ऊपर एक बार चढ़वाना ही पड़ेगा तभी तेरा यह चुदा हुआ भोसड़ा गेंदा के फूल की तरह खिलेगा ।
पूजा ड्रेस को हाथ में पकड़ते हुए बोली हुए बोली - दीदी यह कहां का इंसाफ है छोटी बहन की चूत में लोड़े भरकर आप तड़पते रहो। चुदना दो आपको भी है । आपकी भी यह मोटी मोटी जांघे किसी का भी मुंह छुपाने के लिए, किसी के भी लोड़े को छुपाने के लिए काफी है।
दोनों ने टाइट योगा पैंट पहनी उसमें तो वास्तव में ही ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात चुदाई की रानियां हो ।
देखकर कोई भी कह सकता था इनकी चूतों में भरा हुआ रस पीने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं तो बेचारे धर्मवीर और सोमनाथ की क्या औकात ।
ऊपर से ड्रेस ऐसी थी कि अगर एक कदम भी आगे रखें तो पूरी गांड हिलने लगे आगे से चूत का शेप बिल्कुल साफ दिखाई दिखाई दे रहा था ।
ऐसा लग रहा था कि यह ड्रेस बदन छुपाने के लिए नहीं बल्कि दोनों घोड़ियां अपनी चूत और चुचों का प्रदर्शन करना चाहती थी ।
नीचे हाई हील की सैंडल पहन कर कर दोनों अपने एक्सरसाइज रूम में गई जहां पर उपासना व्यायाम करती थी ।
उपासना ने जानबूझकर धर्मवीर को कॉल किया और कहा - पापा जी हमें भी योगा सिखा दीजिए अगर आपके पास समय है तो हम व्यायाम कक्ष में दोनों बहन व्यायाम कर रही हैं।
धर्मवीर फोन सुनकर कहने लगा सोमनाथ से - दोनों बेटियां एक्सरसाइज कर रही है चलो दोनों को योगा के कुछ स्टेप्स बता दिए जाएं दिए जाएं ।
सोमनाथ कहने लगा कि वह सब तो ठीक है लेकिन योगा ड्रैस तो पहनने को बोलो उनको ।
धर्मवीर कहने लगा - आप मेरी बहू को कम मत समझना मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसने अपने बाप के लिए वैसे ही कपड़े पहने होंगे जैसे कपड़ों में देखने की इच्छा सोमनाथ जी कर रहे हैं ।
ऐसा सुनकर सोमनाथ हंस दिया और दोनों चलने लगे।
जैसे ही दोनों ने कक्ष में कदम रखा दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए क्योंकि उपासना और पूजा गेट की तरफ अपना पिछवाड़ा करके नीचे झुकी हुई थी और अपने हाथ को पैरों पर लगाने की कोशिश कर रही थी ।
हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहा था । इस तरह झुकी हुई कोई गदरायी लड़की देखकर इंसान वैसे ही अपना आपा खो देता है और यहां तो दो दो रंडियां अपने बाप और ससुर ससुर के सामने अपना पिछवाड़ा इस तरह फैला कर झुकी हुई थी जैसे कह रही हूं कि अब अपना तगड़ा लोड़ा हमारी चूतों में फंसा कर हमारी बच्चादानी में अपना बीज डाल डाल दीजिए।
सोमनाथ और धर्मवीर दोनों एक दूसरे के मुंह को देखने लगे।
सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सामने झुकी झुकी दो घोड़ियों उसी की बेटी हैं। आज तक उनका बदन उसे क्यों नहीं दिखा इस बात का मलाल करते हुए सोमनाथ ने हंसते हुए कहा की दोनों बेटियां व्यायाम कर रही हैं ।
इतना सुनकर झुकी हुई उपासना और पूजा ने एक दूसरे की तरफ की तरफ देखा और दोनों अपने होठों पर मुस्कुराहट लाते हुए खड़ी हुई और सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ मुड़ी तरफ मुड़ी अपने ससुर और पापा के सामने खड़ी दोनों बेटियां जब घूमी तो धर्मवीर और सोमनाथ की सोमनाथ की सांसे ही रुक गई गई गई ।
उनकी जांघों के बीच में चूत की बनावट उसके ऊपर पतली कमर और फिर पपीते जैसे मोटे मोटे चुचों को देखकर दोनों का लंड पैंट में इस हालत में था जैसे पागल खाने में कोई पागल कैद हो ।
धर्मवीर बोला - उपासना बेटा तुम्हें व्यायाम की क्या जरूरत है तुम्हारी बॉडी तो ठीक है, मेंटेन है ।
धर्मवीर की बात काटते हुए पूजा बोली - कहां मेंटेन है मौसा जी जी जी मौसा जी जी देखिए तो दीदी मोटी होती जा रही है ।
उपासना शर्मा गई और पूजा की तरफ देख कर बोली कह तो ऐसे रही है जैसे खुद मोटी ना हो हो तू भी तो मोटी ही है ही है तो मोटी ही है ही है।
धर्मवीर और सोमनाथ हंसते हुए कहने लगे किसने कहा तुम दोनों मोटी हो तुम मोटी नहीं हो।
उपासना बोली धर्मवीर से- कि पापा जी जी आप मुझे एक दिन योगा की स्टेप स्टेप सिखाने की बात कर रहे थे मैंने सोचा कि आज पूजा भी आई हुई है तो क्यों ना हम दोनों ही आपसे स्टेप सीख ले सीख ले ले ।
सोमनाथ बोला - हां यह सही रहेगा ।
तभी पूजा बोली सोमनाथ से- अच्छा पापा बताओ मैं और दीदी इस ड्रेस में कैसे लग रहे हैं।
सोमनाथ बोला मेरी तो तुम दोनों ही बेटियां हो और अपने बच्चे हर मां बाप के लिए सबसे प्यारे होते हैं । तुम्हें यह पूछना ही है तो अपने मौसा जी जी से पूछो मौसा जी से पूछो , धर्मवीर ही बताएंगे कि तुम कैसी लग रही हो ।
फिर पूजा ने बड़ी ही अदा से अपना एक हाथ अपने ढूंगे पर रखा और कूल्हे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई खड़ी हो गई और बोली धर्मवीर से- बताइए मौसा जी जी हम दोनों आज कैसी लग रही है ?
धर्मवीर बोला --
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
ऐसे चमके रूप तुम्हारा, जैसे पानी में किरन ।
शहरों की इन गलियों में है चर्चे तुम्हारे नाम के ,
इतने सारे हुस्न के जलवे प्यार बिना किस काम के ।।
पूजा ये सुनकर शर्मा गयी क्योंकि वो जानती थी कि किस प्यार की बात धर्मवीर कर रहा है, वो समझ गयी थी कि इतनी रसीली चूतों का बिना लंड के क्या फायदा यही धर्मवीर का मतलब है ।
शायरी सुनकर उपासना बोली शरमाते हुए - आपके शब्दों का भी कोई जवाब नहीं । अब हमें कोई स्टेप सिखाइए ।
धर्मवीर बोला - नहीं बेटी पहले तुम दोनों थोड़ा व्यायाम करो अपना पसीना निकालो जिससे कि तुम्हें हाथ और पैरों को मोड़ने में ज्यादा तकलीफ ना हो, और तुम योगा के स्टेप सीख सको ।
इतना सुनते ही उपासना बोली - लीजिये हम दोनों अपना पसीना निकालते हैं हम दोनों ट्रेडमिल पर दौड़ लेते है ।
इतना कहकर उपासना ने पूजा से कहा- चल मेरी बहन निकाल ले पसीना । यह बात उसने बड़े ही कामुक अंदाज में कही ।
दोनों अलग अलग ट्रेडमिल पर खड़ी हो गई और मशीन स्टार्ट कर दी ।
दोनों धीरे धीरे चलने लगी उनका चलना देख कर तो धर्मवीर से रहा नहीं जा रहा था दोनों के चूतड़ और चूची हिल रही थी । दोनों का पिछवाड़ा बराबर हिल रहा था अब धीरे-धीरे उपासना ने ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ा दे स्पीड बढ़ा दे और उछल उछल कर उस पर दौड़ने लगी जितनी वह उछलती उतनी ही उनकी गांड हिलती उनके चूतड़ ऊपर नीचे हो जाते और चुचे तो मानो आगे दो पपीते उछल कूद कर रहे हो ।
ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से दो कामदेवी उतारकर दौड़ने लगी हों ।
दोनों का भारी कूल्हों वाला शरीर दौड़ते दौड़ते 10 मिनट में ही थक गया । पसीने में लथपथ हो गयी थी दोनों ही ।
दोनों उतारकर धर्मवीर और सोमनाथ के सामने आई तो उनकी सांसे इतनी तेज चल रही थी कि दोनों के सीने पर पके पपीते ऊपर नीचे हो रहे थे ।
उपासना - हांफते हुए - पापाजी इससे ज्यादा याब मेरे बसकी नही है दौड़ना ।
धर्मवीर - चलो तो अब योगा शुरू करते हैं । तुम दोनों इस लाइन पर खड़े हो जाओ (धर्मवीर ने एक लाइन खींचते हुए कहा )।
दोनों लाइन पर खड़ी हो गयी ।
फिर धर्मवीर ने कहा याब तुम दोनों अपने हाथ ऊपर करो ।
दोनों ने शर्माते हुए अपने हाथ ऊपर कर लिए ।
धर्मवीर और सोमनाथ उनके सामने खड़े होकर देखने लगे । दोनों की गहरी नाभि के दर्शन हो रहे थे । चूचे बिल्कुल तनकर पर्वत की तरह खड़े थे ।
धर्मवीर - याब तुम दोनों बिना अपने पैर मोड़े अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करो ।
ऐसा सुनकर दोनों फिर फर्श पर खड़ी खड़ी ही झुक गयी ।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया और फिर दोनों सोमनाथ और धर्मवीर , पूजा और उपासना के पीछे आकर खड़े हो गए ।
दोनों की लैगिंग में से पैंटी की लाइन साफ दिख रही थी ।
धर्मवीर हैरान था कि पूजा की टांगे उसके कूल्हों का भार कैसे संभालती होंगी ।
दोनों की गांड फैलकर चौड़ी हो गयी थी लग रहा था अब लैगिंग को फाड़कर चूतड़ बाहर निकल जाएंगे ।
दोनों के लंड खड़े थे अपनी औकात में ।
उपासना के हाथ पैर के अंगूठे तक नही पहुंच पा रहे थे । यही तो धर्मवीर चाहता था ।
धर्मवीर - अरे उपासना बहु तुम्हारे हाथ अभी पैरो तक नही पहुंचे है थोड़ा और झुको ।
और ऐसा कहकर धर्मवीर उपासना के पीछे आकर उसकी कमर पर दबाब डालने लगा। और ऐसा करते हुए धर्मवीर उसकी गांड से सटकर खड़ा हो गया।
अब तो हालात कंट्रोल से बाहर थी धर्मवीर के लिए उसकी बहु की चौड़ी गांड उसके लंड के आगे ऐसे खुली हुई प्रतीत हो रही थी जैसे धर्मवीर का तगड़ा लंड एक बार मे ही कहा जाएगी ।
सोमनाथ धर्मवीर को ऐसा करते देखकर पूजा के पीछे उसके पिछवाड़े से सटकर खड़ा हो गया और पूजा की मदद करने लगा ।
नीचे झुकी दोनों कुतियाओं ने एकदूसरे की तरफ देखा उपासना ने पूजा की तरफ आंख मारी । और पूजा समझ गयी ।
पूजा और उपासना ने अपनी गांड के दवाब थोड़ा और बढ़ाया सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर।
सोमनाथ और धर्मवीर तो झड़ने की हालत में आगये ।
पूजा और उपासना जो भी कर रही थी बड़ी सावधानी से कर रही थी ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को उनपर शक न हो ।
कुछ देर झुके रहने के बाद उपासना खड़ी होने लगी ये कहते हुए - पापाजी पैरो में दर्द होने लगा है ऐसे तो ।
पूजा भी खड़ी हो गयी ।
धर्मवीर - चली अब तुम दोनों घुटने मोड़कर कोहनी के बल फर्श पर बैठ जाओ ।
पूजा और उपासना दोनों फर्श पर कुतिया वाली पोजीशन में आगयी ।
अब तो भारी भारी जांघो पर रखे मोटे मोटे चूतड़ दिखाकर पूजा और उपासना दोनों को तड़पा रही थी ।
सोमनाथ ने सोचा कुछ बात ही कर ली जाए जिससे कि पूजा और उपासना से थोड़ा खुल पाएं ।
सोमनाथ कहने लगा धर्मवीर से - वैसे समधी जी देखो आपने हमारी बड़ी बेटी उपासना को ठीक से खिलाया पिलाया नही है ।देखो हमारी पूजा भी उपासना से मोटी लगती है ।
धर्मवीर - कहाँ मोटी लगती है मुझे तो दोनों ही एक जैसी लग रहीं है सोमनाथ जी ।
उपासना अपनी कमर को और मोड़कर गांड को बाहर निकालते हुए - पापाजी आपको मैं पतली लगती हूँ क्या ?
सोमनाथ को अब उपासना की गांड ही दिखाई दे रही थी केवल उसके आगे कमर से मुह तक का शरीर तो उसके कूल्हे दिखने ही नही दे रहे थे ।
सोमनाथ - नही दुबली पतली तो नही हो उपासना तुम पर मुझे ऐसा लग रहा है कि पूजा तुमसे ज्यादा दमदार है ।
तभी बीच मे पूजा बोली - नही पापाजी दीदी की तरह मैं दमदार नही हूं । दीदी ज्यादा तगड़ी है मुझसे तो ।
अब पूजा और उपासना फर्श पर धीरे धीरे कुतियाओ की तरह फर्श पर चलने लगी। ऐसे चलने से जैसे ही दोनों रंडियां अपना एक घुटना आगे करती फिर दूसरा उठाकर आगे रखती दोनों की गांड का मटकाना और कमर के लचकना
सोमनाथ और धर्मवीर को पागल कर गया ।
धर्मवीर - जहाँ तक मेरा मानना है तुम दोनों ही तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।
उपासना यह सुनकर शरमा गयी ।
पूजा - टिकने वाली चीज हो मतलब मैं समझी नही मौसा जी ।
सोमनाथ - अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम दोनों ही हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।
उपासना - ओह अच्छा पापाजी , हारना तो आपकी बेटियों ने सीखा ही नही है ।
धर्मवीर अब पूजा के आगे आकर खड़ा हो गया और सोमनाथ उपासना के आगे । दोनों कुतिया बनी हुईं थीं ।
धर्मवीर - पूजा बेटी अपनी कमर को थोड़ा नीचे की तरफ दबाओ । और उसकी मदद के बहाने पूजा की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया । जब धर्मवीर ने ऐसा किया तो उसे झुकना पड़ा जिस वजह से पूजा का मुँह बिल्कुल धर्मवीर के लंड के पास आगया । पैंट में तंबू बना वह लंड ऐसा लग रहा था जैसे धर्मवीर ने पैंट में कोई खीरा छुपा रखा हो।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया सोमनाथ भी वैसा ही करने लगा ।
दोनों रंडियां अपना मुह जान पूछकर पैंट की चैन वाली जगह पर लगा देतीं और फिर पीछे हटा लेतीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ की तो हालत ही खराब थी अब धर्मवीर और सोमनाथ अपने हाथ पूजा और उपासना के चौड़े चौड़े कूल्हों पर ले गए ।
उपासना अपने सगे बाप सोमनाथ के हाथों का स्पर्श अपने मस्ताने नितंबों पर पाकर शर्म से लाल सुर्ख हो गयी ।
सोमनाथ ने फिर बात जारी रखते हुए कहा - हां उपासना बेटी ये तो तुमने ठीक कहा हारने वाली चीज तो नही हो तुम ।
पूजा - पापाजी सिर्फ दीदी की ही तारीफ करोगे मैं भी किसी काम मे हारने वाली नही हूँ ।
धर्मवीर - तुम दोनों में औरतों वाली नही बल्कि घोड़ियों वाली ताकत है ।
इस बात का मतलब दोनों चुद्दकड़ बेटियां समझ रही थीं पर अनजान बनते हुए बोली ।
उपासना - क्या सभी औरतों से ज्यादा ताकत है मुझमे पापाजी जो आप हम दोनों बहनों को घोड़ी बोल रहे है ।
सोमनाथ - हां बेटी तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे तुममें घोड़ियों जैसी ताकत है ।
पूजा - तो पापाजी फिर आप हमें घोड़ी ही बोलिये ।
धर्मवीर बोला - चलो अब तुम दोनों इसी लाइन पर सीधी लेट जाओ ।
उपासना और पूजा सीधी लेट गयीं ।
धर्मवीर बोला - अब तुम दोनों अपने हाथ पीछे लेजाकर फर्श पर सीधे कर लो योगा steps के लिए।
********
भाइयों और बहनों जल्दी जल्दी में ये आधी अधूरी update कर पाया हूँ । आगे से निराश नही करूँगा।
कहानी कैसी चल रही है अपना प्यार comments के जरिये बनाये रखना इस नाचीज पर ।
Update : 17
दोस्तों आपको बहुत wait करना पड़ा update के लिए उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं । आपके लिए जितना लिख पाया हूँ आज वो post कर रहा हूँ ।
*********
दोपहर का समय था , धर्मवीर और सोमनाथ tv देख रहे थे तभी उपासना और पूजा दोनो ने आकर एकसाथ कहा - पापाजी हम जरा कुछ शोपिंग करने जा रहे हैं ।
ऐसा कहकर दोनों मेन गेट की तरफ चलदी ।
दोनों ने वन पीस पहना हुआ था जिसमें उनकी गदरायी हुई जांघे और चौड़े कूल्हे धीरे धीरे हिल रहे थे।
सोमनाथ और धर्मवीर ने एक दूसरे की तरफ देखा और धर्मवीर बोला - आज तो बाजार बंद है फिर यह कहां जा रही हैं दोंनो ।
सोमनाथ ने कहा - हो सकता है दोनों को घूमने का मन हो या कोई जरूरी काम हो ।
उपासना और पूजा सबसे पहले ब्यूटी पार्लर गई जहां पर उन्होंने अपने बालों की कटिंग कराई और दोनों के बालों की लंबाई एक जैसी ही हो गई , फिर दोनों ने घर आकर गर्म पानी में स्नान किया ।
शाम के 5:00 बजने को आए थे और अभी उपासना और पूजा एक 1 घंटे सो कर उठी थी उपासना ने अपने और पूजा के लिए एक बहुत ही टाइट ड्रेस निकाली और पूजा की तरफ मुस्कुरा कर बोली- ले पहन ले मेरी घोड़ी ।
अब उन दोनों को थोड़ा तड़पा दें ताकि रात को हम दोनों की चूतों की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर बाकी ना रहे।
उन दोनों के लंडों में ऐसी आग लगा दे कि रात भर भर इतनी कसकर , इतनी टीका कर गांड मारी गांड मारी कर गांड मारी जाए हम दोनों की कि हमारे बस की चलना ना रहे ना रहे , और पूजा तुझे तो वैसे भी दोनों को एक साथ अपने ऊपर एक बार चढ़वाना ही पड़ेगा तभी तेरा यह चुदा हुआ भोसड़ा गेंदा के फूल की तरह खिलेगा ।
पूजा ड्रेस को हाथ में पकड़ते हुए बोली हुए बोली - दीदी यह कहां का इंसाफ है छोटी बहन की चूत में लोड़े भरकर आप तड़पते रहो। चुदना दो आपको भी है । आपकी भी यह मोटी मोटी जांघे किसी का भी मुंह छुपाने के लिए, किसी के भी लोड़े को छुपाने के लिए काफी है।
दोनों ने टाइट योगा पैंट पहनी उसमें तो वास्तव में ही ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात चुदाई की रानियां हो ।
देखकर कोई भी कह सकता था इनकी चूतों में भरा हुआ रस पीने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं तो बेचारे धर्मवीर और सोमनाथ की क्या औकात ।
ऊपर से ड्रेस ऐसी थी कि अगर एक कदम भी आगे रखें तो पूरी गांड हिलने लगे आगे से चूत का शेप बिल्कुल साफ दिखाई दिखाई दे रहा था ।
ऐसा लग रहा था कि यह ड्रेस बदन छुपाने के लिए नहीं बल्कि दोनों घोड़ियां अपनी चूत और चुचों का प्रदर्शन करना चाहती थी ।
नीचे हाई हील की सैंडल पहन कर कर दोनों अपने एक्सरसाइज रूम में गई जहां पर उपासना व्यायाम करती थी ।
उपासना ने जानबूझकर धर्मवीर को कॉल किया और कहा - पापा जी हमें भी योगा सिखा दीजिए अगर आपके पास समय है तो हम व्यायाम कक्ष में दोनों बहन व्यायाम कर रही हैं।
धर्मवीर फोन सुनकर कहने लगा सोमनाथ से - दोनों बेटियां एक्सरसाइज कर रही है चलो दोनों को योगा के कुछ स्टेप्स बता दिए जाएं दिए जाएं ।
सोमनाथ कहने लगा कि वह सब तो ठीक है लेकिन योगा ड्रैस तो पहनने को बोलो उनको ।
धर्मवीर कहने लगा - आप मेरी बहू को कम मत समझना मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसने अपने बाप के लिए वैसे ही कपड़े पहने होंगे जैसे कपड़ों में देखने की इच्छा सोमनाथ जी कर रहे हैं ।
ऐसा सुनकर सोमनाथ हंस दिया और दोनों चलने लगे।
जैसे ही दोनों ने कक्ष में कदम रखा दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए क्योंकि उपासना और पूजा गेट की तरफ अपना पिछवाड़ा करके नीचे झुकी हुई थी और अपने हाथ को पैरों पर लगाने की कोशिश कर रही थी ।
हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहा था । इस तरह झुकी हुई कोई गदरायी लड़की देखकर इंसान वैसे ही अपना आपा खो देता है और यहां तो दो दो रंडियां अपने बाप और ससुर ससुर के सामने अपना पिछवाड़ा इस तरह फैला कर झुकी हुई थी जैसे कह रही हूं कि अब अपना तगड़ा लोड़ा हमारी चूतों में फंसा कर हमारी बच्चादानी में अपना बीज डाल डाल दीजिए।
सोमनाथ और धर्मवीर दोनों एक दूसरे के मुंह को देखने लगे।
सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सामने झुकी झुकी दो घोड़ियों उसी की बेटी हैं। आज तक उनका बदन उसे क्यों नहीं दिखा इस बात का मलाल करते हुए सोमनाथ ने हंसते हुए कहा की दोनों बेटियां व्यायाम कर रही हैं ।
इतना सुनकर झुकी हुई उपासना और पूजा ने एक दूसरे की तरफ की तरफ देखा और दोनों अपने होठों पर मुस्कुराहट लाते हुए खड़ी हुई और सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ मुड़ी तरफ मुड़ी अपने ससुर और पापा के सामने खड़ी दोनों बेटियां जब घूमी तो धर्मवीर और सोमनाथ की सोमनाथ की सांसे ही रुक गई गई गई ।
उनकी जांघों के बीच में चूत की बनावट उसके ऊपर पतली कमर और फिर पपीते जैसे मोटे मोटे चुचों को देखकर दोनों का लंड पैंट में इस हालत में था जैसे पागल खाने में कोई पागल कैद हो ।
धर्मवीर बोला - उपासना बेटा तुम्हें व्यायाम की क्या जरूरत है तुम्हारी बॉडी तो ठीक है, मेंटेन है ।
धर्मवीर की बात काटते हुए पूजा बोली - कहां मेंटेन है मौसा जी जी जी मौसा जी जी देखिए तो दीदी मोटी होती जा रही है ।
उपासना शर्मा गई और पूजा की तरफ देख कर बोली कह तो ऐसे रही है जैसे खुद मोटी ना हो हो तू भी तो मोटी ही है ही है तो मोटी ही है ही है।
धर्मवीर और सोमनाथ हंसते हुए कहने लगे किसने कहा तुम दोनों मोटी हो तुम मोटी नहीं हो।
उपासना बोली धर्मवीर से- कि पापा जी जी आप मुझे एक दिन योगा की स्टेप स्टेप सिखाने की बात कर रहे थे मैंने सोचा कि आज पूजा भी आई हुई है तो क्यों ना हम दोनों ही आपसे स्टेप सीख ले सीख ले ले ।
सोमनाथ बोला - हां यह सही रहेगा ।
तभी पूजा बोली सोमनाथ से- अच्छा पापा बताओ मैं और दीदी इस ड्रेस में कैसे लग रहे हैं।
सोमनाथ बोला मेरी तो तुम दोनों ही बेटियां हो और अपने बच्चे हर मां बाप के लिए सबसे प्यारे होते हैं । तुम्हें यह पूछना ही है तो अपने मौसा जी जी से पूछो मौसा जी से पूछो , धर्मवीर ही बताएंगे कि तुम कैसी लग रही हो ।
फिर पूजा ने बड़ी ही अदा से अपना एक हाथ अपने ढूंगे पर रखा और कूल्हे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई खड़ी हो गई और बोली धर्मवीर से- बताइए मौसा जी जी हम दोनों आज कैसी लग रही है ?
धर्मवीर बोला --
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
ऐसे चमके रूप तुम्हारा, जैसे पानी में किरन ।
शहरों की इन गलियों में है चर्चे तुम्हारे नाम के ,
इतने सारे हुस्न के जलवे प्यार बिना किस काम के ।।
पूजा ये सुनकर शर्मा गयी क्योंकि वो जानती थी कि किस प्यार की बात धर्मवीर कर रहा है, वो समझ गयी थी कि इतनी रसीली चूतों का बिना लंड के क्या फायदा यही धर्मवीर का मतलब है ।
शायरी सुनकर उपासना बोली शरमाते हुए - आपके शब्दों का भी कोई जवाब नहीं । अब हमें कोई स्टेप सिखाइए ।
धर्मवीर बोला - नहीं बेटी पहले तुम दोनों थोड़ा व्यायाम करो अपना पसीना निकालो जिससे कि तुम्हें हाथ और पैरों को मोड़ने में ज्यादा तकलीफ ना हो, और तुम योगा के स्टेप सीख सको ।
इतना सुनते ही उपासना बोली - लीजिये हम दोनों अपना पसीना निकालते हैं हम दोनों ट्रेडमिल पर दौड़ लेते है ।
इतना कहकर उपासना ने पूजा से कहा- चल मेरी बहन निकाल ले पसीना । यह बात उसने बड़े ही कामुक अंदाज में कही ।
दोनों अलग अलग ट्रेडमिल पर खड़ी हो गई और मशीन स्टार्ट कर दी ।
दोनों धीरे धीरे चलने लगी उनका चलना देख कर तो धर्मवीर से रहा नहीं जा रहा था दोनों के चूतड़ और चूची हिल रही थी । दोनों का पिछवाड़ा बराबर हिल रहा था अब धीरे-धीरे उपासना ने ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ा दे स्पीड बढ़ा दे और उछल उछल कर उस पर दौड़ने लगी जितनी वह उछलती उतनी ही उनकी गांड हिलती उनके चूतड़ ऊपर नीचे हो जाते और चुचे तो मानो आगे दो पपीते उछल कूद कर रहे हो ।
ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से दो कामदेवी उतारकर दौड़ने लगी हों ।
दोनों का भारी कूल्हों वाला शरीर दौड़ते दौड़ते 10 मिनट में ही थक गया । पसीने में लथपथ हो गयी थी दोनों ही ।
दोनों उतारकर धर्मवीर और सोमनाथ के सामने आई तो उनकी सांसे इतनी तेज चल रही थी कि दोनों के सीने पर पके पपीते ऊपर नीचे हो रहे थे ।
उपासना - हांफते हुए - पापाजी इससे ज्यादा याब मेरे बसकी नही है दौड़ना ।
धर्मवीर - चलो तो अब योगा शुरू करते हैं । तुम दोनों इस लाइन पर खड़े हो जाओ (धर्मवीर ने एक लाइन खींचते हुए कहा )।
दोनों लाइन पर खड़ी हो गयी ।
फिर धर्मवीर ने कहा याब तुम दोनों अपने हाथ ऊपर करो ।
दोनों ने शर्माते हुए अपने हाथ ऊपर कर लिए ।
धर्मवीर और सोमनाथ उनके सामने खड़े होकर देखने लगे । दोनों की गहरी नाभि के दर्शन हो रहे थे । चूचे बिल्कुल तनकर पर्वत की तरह खड़े थे ।
धर्मवीर - याब तुम दोनों बिना अपने पैर मोड़े अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करो ।
ऐसा सुनकर दोनों फिर फर्श पर खड़ी खड़ी ही झुक गयी ।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया और फिर दोनों सोमनाथ और धर्मवीर , पूजा और उपासना के पीछे आकर खड़े हो गए ।
दोनों की लैगिंग में से पैंटी की लाइन साफ दिख रही थी ।
धर्मवीर हैरान था कि पूजा की टांगे उसके कूल्हों का भार कैसे संभालती होंगी ।
दोनों की गांड फैलकर चौड़ी हो गयी थी लग रहा था अब लैगिंग को फाड़कर चूतड़ बाहर निकल जाएंगे ।
दोनों के लंड खड़े थे अपनी औकात में ।
उपासना के हाथ पैर के अंगूठे तक नही पहुंच पा रहे थे । यही तो धर्मवीर चाहता था ।
धर्मवीर - अरे उपासना बहु तुम्हारे हाथ अभी पैरो तक नही पहुंचे है थोड़ा और झुको ।
और ऐसा कहकर धर्मवीर उपासना के पीछे आकर उसकी कमर पर दबाब डालने लगा। और ऐसा करते हुए धर्मवीर उसकी गांड से सटकर खड़ा हो गया।
अब तो हालात कंट्रोल से बाहर थी धर्मवीर के लिए उसकी बहु की चौड़ी गांड उसके लंड के आगे ऐसे खुली हुई प्रतीत हो रही थी जैसे धर्मवीर का तगड़ा लंड एक बार मे ही कहा जाएगी ।
सोमनाथ धर्मवीर को ऐसा करते देखकर पूजा के पीछे उसके पिछवाड़े से सटकर खड़ा हो गया और पूजा की मदद करने लगा ।
नीचे झुकी दोनों कुतियाओं ने एकदूसरे की तरफ देखा उपासना ने पूजा की तरफ आंख मारी । और पूजा समझ गयी ।
पूजा और उपासना ने अपनी गांड के दवाब थोड़ा और बढ़ाया सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर।
सोमनाथ और धर्मवीर तो झड़ने की हालत में आगये ।
पूजा और उपासना जो भी कर रही थी बड़ी सावधानी से कर रही थी ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को उनपर शक न हो ।
कुछ देर झुके रहने के बाद उपासना खड़ी होने लगी ये कहते हुए - पापाजी पैरो में दर्द होने लगा है ऐसे तो ।
पूजा भी खड़ी हो गयी ।
धर्मवीर - चली अब तुम दोनों घुटने मोड़कर कोहनी के बल फर्श पर बैठ जाओ ।
पूजा और उपासना दोनों फर्श पर कुतिया वाली पोजीशन में आगयी ।
अब तो भारी भारी जांघो पर रखे मोटे मोटे चूतड़ दिखाकर पूजा और उपासना दोनों को तड़पा रही थी ।
सोमनाथ ने सोचा कुछ बात ही कर ली जाए जिससे कि पूजा और उपासना से थोड़ा खुल पाएं ।
सोमनाथ कहने लगा धर्मवीर से - वैसे समधी जी देखो आपने हमारी बड़ी बेटी उपासना को ठीक से खिलाया पिलाया नही है ।देखो हमारी पूजा भी उपासना से मोटी लगती है ।
धर्मवीर - कहाँ मोटी लगती है मुझे तो दोनों ही एक जैसी लग रहीं है सोमनाथ जी ।
उपासना अपनी कमर को और मोड़कर गांड को बाहर निकालते हुए - पापाजी आपको मैं पतली लगती हूँ क्या ?
सोमनाथ को अब उपासना की गांड ही दिखाई दे रही थी केवल उसके आगे कमर से मुह तक का शरीर तो उसके कूल्हे दिखने ही नही दे रहे थे ।
सोमनाथ - नही दुबली पतली तो नही हो उपासना तुम पर मुझे ऐसा लग रहा है कि पूजा तुमसे ज्यादा दमदार है ।
तभी बीच मे पूजा बोली - नही पापाजी दीदी की तरह मैं दमदार नही हूं । दीदी ज्यादा तगड़ी है मुझसे तो ।
अब पूजा और उपासना फर्श पर धीरे धीरे कुतियाओ की तरह फर्श पर चलने लगी। ऐसे चलने से जैसे ही दोनों रंडियां अपना एक घुटना आगे करती फिर दूसरा उठाकर आगे रखती दोनों की गांड का मटकाना और कमर के लचकना
सोमनाथ और धर्मवीर को पागल कर गया ।
धर्मवीर - जहाँ तक मेरा मानना है तुम दोनों ही तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।
उपासना यह सुनकर शरमा गयी ।
पूजा - टिकने वाली चीज हो मतलब मैं समझी नही मौसा जी ।
सोमनाथ - अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम दोनों ही हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।
उपासना - ओह अच्छा पापाजी , हारना तो आपकी बेटियों ने सीखा ही नही है ।
धर्मवीर अब पूजा के आगे आकर खड़ा हो गया और सोमनाथ उपासना के आगे । दोनों कुतिया बनी हुईं थीं ।
धर्मवीर - पूजा बेटी अपनी कमर को थोड़ा नीचे की तरफ दबाओ । और उसकी मदद के बहाने पूजा की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया । जब धर्मवीर ने ऐसा किया तो उसे झुकना पड़ा जिस वजह से पूजा का मुँह बिल्कुल धर्मवीर के लंड के पास आगया । पैंट में तंबू बना वह लंड ऐसा लग रहा था जैसे धर्मवीर ने पैंट में कोई खीरा छुपा रखा हो।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया सोमनाथ भी वैसा ही करने लगा ।
दोनों रंडियां अपना मुह जान पूछकर पैंट की चैन वाली जगह पर लगा देतीं और फिर पीछे हटा लेतीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ की तो हालत ही खराब थी अब धर्मवीर और सोमनाथ अपने हाथ पूजा और उपासना के चौड़े चौड़े कूल्हों पर ले गए ।
उपासना अपने सगे बाप सोमनाथ के हाथों का स्पर्श अपने मस्ताने नितंबों पर पाकर शर्म से लाल सुर्ख हो गयी ।
सोमनाथ ने फिर बात जारी रखते हुए कहा - हां उपासना बेटी ये तो तुमने ठीक कहा हारने वाली चीज तो नही हो तुम ।
पूजा - पापाजी सिर्फ दीदी की ही तारीफ करोगे मैं भी किसी काम मे हारने वाली नही हूँ ।
धर्मवीर - तुम दोनों में औरतों वाली नही बल्कि घोड़ियों वाली ताकत है ।
इस बात का मतलब दोनों चुद्दकड़ बेटियां समझ रही थीं पर अनजान बनते हुए बोली ।
उपासना - क्या सभी औरतों से ज्यादा ताकत है मुझमे पापाजी जो आप हम दोनों बहनों को घोड़ी बोल रहे है ।
सोमनाथ - हां बेटी तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे तुममें घोड़ियों जैसी ताकत है ।
पूजा - तो पापाजी फिर आप हमें घोड़ी ही बोलिये ।
धर्मवीर बोला - चलो अब तुम दोनों इसी लाइन पर सीधी लेट जाओ ।
उपासना और पूजा सीधी लेट गयीं ।
धर्मवीर बोला - अब तुम दोनों अपने हाथ पीछे लेजाकर फर्श पर सीधे कर लो योगा steps के लिए।
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भाइयों और बहनों जल्दी जल्दी में ये आधी अधूरी update कर पाया हूँ । आगे से निराश नही करूँगा।
कहानी कैसी चल रही है अपना प्यार comments के जरिये बनाये रखना इस नाचीज पर ।