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Update : 19
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मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में है आपका ये दोस्त तो आज की update एक शायरी के साथ शुरू करते है ।
कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।
कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।
हम दिल से गये दिल हमसे गया, ये बात कहां तक आ पहुंची।
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इस बार सोमनाथ जी जीत गए उन्होंने उपासना की तरफ देखते हुए कहा कि इस बार मैं चाहता हूं की उपासना धर्मवीर जी को सवारी कराए ।
ऐसा सुनते ही उपासना शर्म से लाल होते हुए बोली ।
उपासना - पापा जी भला मैं कैसे सवारी करा सकती हूं ।
सोमनाथ जी ने कहा - तुमने ही तो कहा था कि तुम हारने वाली घोड़ी नहीं हो। तो बेटी अब धर्मवीर जी को अपने ऊपर बिठा कर थोड़ी दूर उन्हें घुमाओ।
ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से दोहरी हो गई ।
उपासना ने बेड से उतरते हुए कहा कि जब हारी हूं तो सजा तो माननी ही पड़ेगी और ऐसा कहकर वह नीचे फर्श पर घोड़ी बन गई ।
उसके घोड़ी बनते ही उसके चौड़े चौड़े नितंब ऊपर को उठ गए ।
यह देख कर सोमनाथ और धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया।
धर्मवीर जी ने कहा - सोमनाथ जी आप भी नाजुक सी बहू को कैसी सजा दे रहे हैं ।
इस पर उपासना ने पलटवार करते हुए कहा - पापा जी इस तरह बोल कर आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं ।आप चिंता ना करिए मैं आपका वजन आराम से झेल सकती हूं ।
मौके का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- हां बहू यह तो तुम्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि तुम आराम से झेल सकती हो।
यह सुनकर उपासना नजरें झुका कर शर्म से नीचे फर्श की तरफ देखने लगी ।
धर्मवीर उपासना की ऊपर बैठा जैसे ही उपासना चलने को हुई तो उसके दोनों चूतड़ ऊपर नीचे होने लगे ।
इतनी कामुक औरत को घोड़ी बना देखकर सोमनाथ जी अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रहे थे ।
कुछ दूर चलने पर धर्मवीर ने गिरने का बहाना करते हुए अपने दोनों हाथ पीछे उपासना के कूल्हों पर रख दिए।
इतनी चौड़ी गांड पर हाथ रख कर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया ।
अब सजा पूरी हो चुकी थी दोबारा पत्ते बांटे गए और इस बार पूजा जीत गई।
जैसा कि पूजा और उपासना को भलीभांति पता था कि यह कोई गेम नहीं बल्कि एक जोरदार ताबड़तोड़ चुदाई की आधारशिला रखी जा रही है और इसी को समझते हुए पूजा ने अपने पापा सोमनाथ को सजा दी ।
पूजा - पापा जी आप दीदी को गोद में उठाकर नीचे पटक दीजिए।
यह सुनकर उपासना बोली कैसी बहन है अपनी ही बहन को पटकवाना चाहती है । मेरी तो कमर ही टूट जाएगी ।
पूजा - ठीक है तो बेड पर पटक सकते हैं ।
यह सुनकर सोमनाथ जी खड़े हुए और उपासना भी खड़ी हो गई ।
सोमनाथ जी ने अपना एक हाथ उपासना की भारी भारी जागो जागो पर रखा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और उसको गोद में उठा लिया।
इस दृश्य को देखकर कोई नहीं कह सकता था एक बाप ने अपनी बेटी को गोद में उठा रखा है , बल्कि इस दृश्य को देखकर यही कहा जा सकता था की एक चोदने लायक चुदासी औरत को एक तगड़े तंदुरुस्त ने मर्द ने अपनी बाहों में उठा रखा है ।
सोमनाथ जी ने उपासना को बैड पर पटका।
बैड के मोटे मोटे गद्दे पर जब उपासना गिरी तो हल्की सी उछलकर दोबारा से उसकी गांड गद्दों में धस गई ।
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दोबारा पत्ते बांटे गए इस बार धर्मवीर जी ही जीते ।
धर्मवीर हंसते हुए कहने लगा कि अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे । मैं सोच रहा हूं कि इनको क्या सजा दूं तो सोमनाथ जी कहने लगे कि इनसे पोछा लगवा लिया जाए ।
धर्मवीर जी बोले - अपनी बेटियों की हम इतनी भी बेइज्जती नहीं कर सकते ।
सोचते सोचते धर्मवीर जी बोले कि तुम दोनों की यह सजा है कि तुम यह कपड़े बदलकर स्कूल ड्रेस पहनो ।
यह सुनकर उपासना बोली पापा जी हमारी तो यहां स्कूल ड्रेस है ही नहीं।
धर्मवीर जी बोले मेरी शालीनी बेटी की कोई ड्रेस होगी चेक करो ।
उपासना बोली कि उसकी ड्रेस हमें कैसे फिट आ सकती है, वह तो हमसे छोटी है ।
यह सुनकर सोमनाथ जी बोले की सजा तो सजा है माननी तो पड़ेगी, वह सजा ही क्या जिसमें परेशानी ना हो।
ऐसा सुनकर उपासना ठुनकते हुए और शालिनी की ड्रेस चेक करने लगी । लेकिन उसे कोई भी ड्रैस नहीं मिली।
फिर उपासना बोली कि शालिनी दीदी की तो इसमें स्कूल की कोई ड्रेस नहीं है ।
धर्मवीर जी भी उठकर उपासना के साथ शालिनी के स्कूल की ड्रेस ढूंढने लगे तभी उन्हें शालिनी के सूट और सलवार दिखाई पड़े जो कि कि शालिनी के दसवीं क्लास के थे ।
धर्मवीर जी ने वह कपड़े निकाले और उपासना की तरफ बढ़ाते हुए कहा - कि यह लो ।
यह कपड़े देखकर उपासना हैरानी से अपनी आंखें फैलाती हुई बोली कि यह सूट तो किसी भी कीमत पर नहीं आने वाला क्योंकि यह शालिनी के दसवीं क्लास की ड्रेस है।
इस पर सोमनाथ जी बोले चलो इस सजा में तुम्हें थोड़ी ढील दी जा सकती है ऊपर सूट की जगह तुम शालनी का ही ही कोई टॉप पहन सकते हो , लेकिन सलवार यही पहननी पड़ेगी ।
उपासना बोली कि वह तो ठीक है लेकिन यह तो एक ही ड्रेस है पूजा फिर कैसे बदलेगी ।
यह सुनकर धर्मवीर जी बोले बोले तुम दोनों एक एक करके यह ड्रेस पहन सकती हो ।
ऐसा सुनकर उपासना ने पूजा की तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि पहले तुम पहनोगी या मैं ।
उस वाइट कलर की सलवार को और ब्लैक कलर का एक टॉप लेकर उपासना दूसरे रूम में चली गई ।
जैसे ही वह शीशे के सामने खड़ी होकर उस ड्रेस को पहनने लगी तो उसे हैरानी हुई क्योंकि वह सलवार उसकी जांघों पर फस गई थी ।
उपासना ने जैसे तैसे करके उस सलवार को अपनी चूतड़ों पर चढ़ाया अब तो नाड़ा बांधने की कोई जरूरत ही नहीं बची थी ,क्योंकि वह सलवार उसकी भारी-भरकम गांड पर चिपक गई थी ।
उसके ऊपर उसने टॉप पहना जिसमें उसके चूचे टॉप को फाड़ने को तैयार थे। अपने आप को शीशे में देखकर शर्मा के सोचने लगी यह दोनों ठरकी पता नहीं क्या करवा कर मानेंगे ।
धीरे धीरे चलती हुई वह रूम में आई ।
धर्मवीर और सोमनाथ उपासना को इस रूप में देखकर अपनी आंखें झपकाना ही भूल गए ।
उसके भारी-भरकम चूतड़ हिलते हुए साफ देखे जा सकते थे ।
सोमनाथ - बेटी तुम तो वास्तव में अप्सरा लगती हो ।
उपासना - क्यों मजाक कर रहे हो पापाजी मैं अब मोटी हो गयी हूं ।
सोमनाथ - इसे मोटी होना नही गदराना बोलते है बेटी । ये तो तुम्हारी चढ़ती जवानी है जिसे तुम मोटा होना बोल रही हो ।
शर्म के कारण उपासना के पास बोलने को कोई शब्द नही थे । वह जल्दी जल्दी में इतना ही बोल पाई ।
उपासना - अब पूजा की बारी है और कमरे में चेंज करके आगयी । और पूजा पहनने के लिए चली गयी ।
जब पूजा ने वह ड्रैस पहनी तो उसे भी उतनी ही टाइट आयी क्योंकि उपासना की गांड फैली हुई थी तो पूजा के नितम्ब उठे हुए थे ।
उसकी भी गांड को संभाल पाने में वह सलवार असमर्थ थी।
पूजा रूम में आई उसे देखकर भी सोमनाथ और धर्मवीर के मुह से लार बहने लगी ।
धर्मवीर - देखा उपासना हमारी पूजा बेटी भी तुमसे काम नही है ।
उपासना - पापाजी मैं तो शादी के बाद ऐसी दिखती हूं लेकिन पूजा की तो शादी भी नही हुई है फिर ये कैसे ???
इस सवाल पर सोमनाथ और पूजा दोनों निरुत्तर हो गए ।
धर्मवीर जी ने मोर्चा संभाला यही मौका था उपासना को अपने बाप सोमनाथ के सामने थोड़ा खुलकर बोलने के लिए बेशर्म बनाने के लिए।
धर्मवीर अनजान बनते हुए - मैं कुछ समझा नही उपासना बहु ।
उपासना - शर्माते हुए - पूजा कैसे गदरा गयी अभी से मेरा ये मतलब था इसका पिछवाड़ा तो देखो ।
पूजा अपने बारे में ऐसे अश्लील शब्दो को सुनकर पानी पानी हो गयी ।
सोमनाथ - उपासना ये तो तुम ठीक कह रही हो पूजा का पिछवाड़ा तो बिल्कुल औरतों जैसा हो गया है ।
पूजा - पापाजी मैं जा रही हूं ऐसा कहकर पूजा कमरे से निकल गयी ।
उन दोनों को देखकर यकीन हो गया था सोमनाथ को उसकी बेटी बिस्तर में पूरा मजा देगी।
खेल चलता रहा अब इस खेल को उपासना जल्द ही खत्म करना चाहती थी तो आने वाली बाजी में वह जीत गई।
उपासना सोचने लगी सोमनाथ जी बोले बेटी क्या सोच रही हो ।
उपासना - मैं सोच रही हूं कि आपको अपनी दोनों बेटियों में क्या अंतर लगता है ।
सोमनाथ जी ने कहा कि मेरी दोनों बेटियां करोड़ों में एक है।
मैं लाखों में भी अपनी दोनों बेटियों को पहचान सकता हूं।
यह सुनकर उपासना कहने लगी कि यदि नहीं पहचाना गया तो ।
सोमनाथ जी बोले यदि नहीं पहचाना गया तो जो सजा तुम दो मुझे मंजूर होगी ।
उपासना कहने लगी कि आप की यही सजा है कि आप अपनी दोनों बेटियों को आज पहचान कर दिखाओगे।
हम दोनों बहने एक जैसे कपड़े पहनेंगे और तुम ही नहीं मेरे ससुर जी के लिए भी यही सजा है ।
तुम दोनों हमें पहचान कर दिखाना ऐसा कहकर खेल खत्म हुआ और दोनों नीचे अपने कमरे में आ गई ।
पूजा कहने लगी दीदी यह क्या अब नया नाटक किया आपने मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा ।
उपासना - अब तो मजा ही आएगा हम दोनों एक जैसे कपड़े पहनेंगी और अपना चेहरा ढक लेंगी और फिर उन दोनों को पहचानना होगा , देखते हैं कैसे पहचानते हैं।
पहचाने या ना पहचाने लेकिन यह तो पक्का है कि हमारी चूतों को आज जरूर भर देंगे ।
पूजा शर्मा गयी फिर दोनों ने स्नान किया और कमरे में आकर सोचने लगी कि क्या पहना जाए।
पूजा ने कहा कि दीदी हम अरबी लोगों की ड्रेस पहन लेते हैं। वही ड्रेस ऐसी ऐसी है जिसमें हमें पहचान नहीं पाएंगे।
उपासना कहने लगी ऐसी तो कोई ड्रेस नहीं है घर में । चलो देखती हूं तभी उसे एक ड्रेस मिली जो राकेश ने उसे दिलाई थी। एक साथ दो पीस खरीदे थे उपासना ने उस ड्रैस के ।
ड्रैस फुल थी लेकिन साइड में पतली पतली डोरियां थी जिनमें से साफ-साफ दिखाई पड़ता था । वह बस बीच में ही ढक कर रखती थी बाकी साइड से जांघे बिल्कुल नंगी ही लगती थी ।
दोनों ने होंठो पर डार्क red लिक्विड मैट लिपस्टिक लगाई , आंखों पर काजल और eyeliner किया , बालों का जूड़ा बनाकर सर पर रख लिया । दोनों ने सेम मैकप किया ।
दोनों ने ड्रैस पहन ली उस ड्रेस में उनकी गांड भी पूरी तरीके से नहीं कवर हो पा रही थी। साइड में से उनकी गदरायी जांघो को साफ देखा जा सकता था ।
उसे पहनने के बाद उन्होंने अपने मुंह पर एक ब्लैक कलर का दुपट्टे जैसा कपड़ा बांध लिया और दोनों ने एक दूसरे को देखा ।
फिर उपासना पूजा से कहने लगी यह ड्रेस पहन तो ली है लेकिन अब आगे देखो होता है क्या ?
पूजा मुस्कुराते हुए कहने लगी - मैं समझ गई दीदी यह उतारी नहीं जाएगी बल्कि फाड़ दी जाएगी।
उपासना कहने लगी बड़ी समझदार हो गई है मेरी बहन तो।
पूजा बोली आपने ही समझदार बनाया है ।
उपासना - बोल तो ऐसे रही है जैसे अपनी चूत किसी के सामने ना फैलाई हो और बात भी सही है असली लंड तो तुझे आज मिलेंगे ।
यह सुनकर पूजा शर्माकर उपासना के कंधे पर मुक्का मारते हुए बोली कि दीदी आप भी ना हद करती हो ।
दोनों रंडियों तैयार हो चुकी थी उपासना ने धर्मवीर को फोन किया ।
उपासना - hello ।
धर्मवीर - हां बहु बोलो ।
उपासना - dinner तैयार हैं पापाजी । आप दोनों आजाओ खाना खाने के लिए।
धर्मवीर - ओके बहु आरहे हैं हम दोनों बस 5 मिनट में।
उपासना - पर व- वो पापाजी ।
धर्मवीर - हां बहु बोलो क्या बात है , रुक क्यों गयीं ।
उपासना को समझ नहीं आरहा था कि कैसे वो अपने ससुर से कहे कि उसकी बहु तैयार हो चुकी है फटी हुई चूत को और ज्यादा फड़वाने के लिए ।
उपासना - पापाजी वो पनिशमेंट जो थी आप दोनों के लिए तो हम दोनों ने एक जैसे कपड़े पहन लिए है ।
धर्मवीर - ओह अच्छा हां तो क्या बात है पहचान लेंगे हम तुमको ।
उपासना ने फोन रख दिया और दोनों बहनें किचन में खड़ी होकर वेट करने लगीं ।
करीब 5 मिनट बाद ही उन दोनों के आने की आवाज आई ।
धर्मवीर और सोमनाथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए । धर्मवीर ने आवाज लगाई बहु खाना ले आओ ।
उपासना और पूजा अपने हाथ में एक एक थाली लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ आने लगी ।
उनके इस रूप को देखकर दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ ।
काले कपड़े से ढका हुआ उनका चेहरा और इतनी हॉट सेक्सी कपड़े पहने हुए अपनी बहू और उसकी बहन को देखकर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया लेकिन अचंभे वाली बात यह थी कि दोनों एक ही जैसी लग रही थी । दोनों ने आकर थालियों को टेबल पर रखा और बाकी का खाना लेने के लिए मुड़कर जाने लगी ।
जैसे ही उनका पिछवाड़ा धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ हुआ उनका कलेजा मुंह को आ गया क्योंकि दोनों कूल्हों का मटकना और साइड में से दोनों की मोटी और गदरायी नंगी जांघे नजर आ रही थी ।
बाकी का बचा हुआ खाना लेकर दोनों साइड में खड़ी हो गई।
धर्मवीर कहने लगा तुम भी बैठो खाना साथ में खाओ।
इस पर उपासना ने अपना मोबाइल निकाला और मैसेज टाइप करने लगी उसने मैसेज में लिखा -
कि ये उपासना का मोबाइल है और ये मोबाइल जरूरी नही है कि उपासना के पास ही हो , हो सकता है पूजा के पास हो या हो सकता है उपासना के पास हो , और हम खाना खा चुके हैं , और हम दोनों चुप ही रहेंगे बोलेंगे नहीं यदि बोलेंगे तो आप पहचान लोगे । आप खाना खा लीजिए उसके बाद पहचान कर बताइए कौन सी आपकी बहू है और कौन सी आपकी बेटी ।
यह मैसेज धर्मवीर ने पढ़ा तो उसके जेहन में एक प्यारी सी लहर दौड़ गई उसने वह मैसेज पढ़कर सोमनाथ जी को सुनाया और दोनों अपना खाना खाने लगे ।
जब वह खाना खा रहे थे तो पूजा और उपासना वहीं पर चहलकदमी करने लगी जब वह चलती तो दोनों के चूतड़ों का मटकना तिरछी नजरों से देख ही लेते सोमनाथ और धर्मवीर ।
दोनों खाना खा चुके थे अब पूजा और उपासना ने अपने हाथ की उंगलियों से इशारा किया कि हमारे पीछे आजाओ।
धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना की पीछे पीछे चलने लगे । दोनों ही बिल्कुल एक जैसी लग रही थीं चारों चलकर हॉल में आ गए ।
उपासना ने फिर मैसेज टाइप किया की पहचान कीजिये अब ।
धर्मवीर ने बड़ी गौर से दोनों को देखा लेकिन उनकी आंखें ही दिखाई दे रही थी । सोमनाथ जी ने भी देखा लेकिन नहीं पहचान पाए ।
धर्मवीर जी बोले सोमनाथ जी आप पहचानिए कि आपकी कौन सी बेटी छोटी है कौन सी बड़ी ।
सोमनाथ - समधीजी मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं क्योंकि एक जैसे कपड़े दोनों ने पहने है ।दोनों की कमर भी बिल्कुल एक जैसी ही है ।
धर्मवीर कहने लगाओ की कमर ही नहीं मुझे तो सारी की सारी एक जैसी ही लग रही है ।
दोनों चलकर उनके पीछे खड़े हो गए फिर सोमनाथ जी बोले समधी जी मुझे तो दोनों का पिछवाड़ा भी एक जैसा ही लग रहा है ।
उपासना और पूजा खड़ी खड़ी शर्मा रही थी लेकिन मुंह ढका होने की वजह से वह ज्यादा परेशान नहीं थी ।
धर्मवीर कहने लगा ऐसे तो नहीं पहचाने जाएंगी ।
फिर धर्मवीर ने पूछा - क्या हम तुम्हें छू कर देख सकते हैं, शायद छूकर पहचान लें।
उपासना ने मोबाइल से मैसेज किया कि आप हमें छू सकते हो ।
धर्मवीर ने उपासना की कमर पर हाथ रखा उपासना सिहर उठी । वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन पता नहीं चल पा रहा था नाही धर्मवीर को और ना ही सोमनाथ को कि उनका हाथ उपासना की कमर पर है यह पूजा की ।
धर्मवीर ने सोमनाथ जी से कहा - सोमनाथ जी आप यहां आइए ।
सोमनाथ उपासना के पीछे धर्मवीर के साथ खड़ा हो गया। और धर्मवीर वहां से पूजा की पीछे खड़ा हो गया और दोनों ने उनकी कमर पर सहलाना शुरू कर दिया
जब कुछ देर हो गई तब सोमनाथ जी ने कहा कि ऐसे तो नहीं पता चल रहा है कौन सी पूजा है और कौन सी उपासना।
सोमनाथ जी ने - पूछा कि क्या हम और कहीं भी छू कर देख सकते हैं ?
यह सुनकर उपासना ने मैसेज टाइप किया
आपको पहचानना है कैसे भी पहचानिए ।
यह मैसेज धर्मवीर ने जोर से पढ़ा ताकि सोमनाथ भी सुन सकें ।
दोनों ने अपने हाथ को कमर पर से आगे की तरफ करते हुए नाभि में उंगली डालकर घुमाने लगे ।
ऐसा करने से उपासना और पूजा मस्ती से भर गयीं ।
फिर भी नहीं पहचान पाए तब सोमनाथ ने पूछा - क्या हम सूंघकर देख सकते हैं क्या पता ऐसे पहचान ले।
उपासना ने लिखा - कि आप बार-बार मत पूछिए, आपको पहचानना है अब जैसे आप अपनी बहू और बेटी को पहचान सकते हो वैसे पहचानिए।
यह मैसेज धर्मवीर ने सोमनाथ जी को पढ़कर सुनाया।
सोमनाथ जी बोले ठीक है अब हम तुमसे नहीं पूछेंगे जैसे भी पहचानना है पहचानेंगे ।
धर्मवीर बोला कि चलो दोनों को सूंघकर देखते हैं क्या पता महक से पता चल जाए ।
धर्मवीर और सोमनाथ जी ने उपासना और पूजा की बाजू को अपनी नाक से सूंघने लगे लेकिन दोनों में से एक ही जैसी महक आ रही थी । इसी बहाने से सोमनाथ और धर्मवीर ने अपने होठों से उनकी बाहों को चूम लिया ।
जैसे ही उन्होंने चूमा पूजा और उपासना मस्ताने लगी ।
श्री सोमनाथ जी ने पीछे खड़े होकर उपासना की कंधों को सूंघा और साथ ही साथ दोनों कंधों पर हाथ रख कर सहलाने लगे ।
लेकिन दोनों को पहचान नहीं पाए ।
फिर धर्मवीर ने कहा कि सोमनाथ जी से कहा कि इनसे पूछो कि क्या हम किसी भी अंग को छू सकते हैं।
ऐसा सुनकर सोमनाथ जी ने कहा- समधीजी अभी तो बेटी ने बताया है मैसेज करके कि बार-बार मत पूछो ।आप दोबारा पूछोगे तो नाराज हो जाएगी ।अब तो जैसे भी पहचानना है पहचानना तो पड़ेगा ही । इसमें पूछना क्या वैसे भी बेटी ने कह दिया है कि कैसे भी पहचानो पर पहचानो ।
यही सुनना चाहता था धर्मवीर ।
धर्मवीर ने अपना हाथ कमर से नीचे करते हुए पूजा के कूल्हों पर रख दिया ।
सोमनाथ ने धर्मवीर को ऐसा करते देखा तो उसने भी उपासना के चूतड़ों पर अपने हाथ रख दिया ।
अपने चौड़े चौड़े मतवाले नितंबों पर उनके हाथ पाकर दोनों की चूत पानी छोड़ने लगी ।
धर्मवीर पूजा के चूतड़ों को सहलाता हुआ बोला- सोमनाथ जी यह तो पता नहीं कि यह पिछवाड़ा बहु का है या पूजा का लेकिन जिसका भी है बड़ा ही गद्देदार है।
सोमनाथ - समधीजी जी यहां पर भी ऐसा ही है मेरे तो हाथों में ये कूल्हे आ ही नहीं रहे।
दोनों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई उपासना और पूजा लेकिन मजबूरी थी कि कुछ बोल भी नहीं सकती थी और चुप खड़ी रही ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड को खूब देर मसला लेकिन पहचान नहीं पाए ।
दोनों के हाथ पूजा और उपासना की जांघों पर आ गए।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी मुझे तो यह उपासना की जांघे लगती हैं देखो तो कितनी भारी और गदरायी हुई है।
सोमनाथ - समधी जी और अगर यही बात मैं बोलूं तो देखो जरा ये जांघे भी इतनी मोटी और गदरायी हुई है ।
धर्मवीर ने अपने हाथ जांघो से ऊपर करते हुए पूजा के सीने पर पहाड़ की तरह तने हुए चूचों पर जब हाथ रखा तो पूजा के मुंह से sssssssshhhhhiiiii की आवाज निकली लेकिन यह आवाज तो सबकी एक ही जैसी होती है ।
इस वजह से धर्मवीर पहचान नहीं पाया ।
वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन सोमनाथ भी नहीं पहचान पाया और दोनों घोड़ियां सिसकारी भर उठीं।
धर्मवीर ने कहा कि एक आईडिया है सोमनाथ जी उनके मुंह से आवाज निकलवाने का कि इनको थप्पड़ मारा जाए।
फिर यह चिल्लाएगी और हम पहचान लेंगे ।
सोमनाथ कहने लगा नहीं समधीजी जी हम अपनी बेटियों के साथ मारपीट नहीं कर सकते ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला मैं कौन सा गाल पर मारने के लिए बोल रहा हूं इनके पिछवाड़े पर मार कर देख लेते हैं ।
ऐसी बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से मरी जा रही थी लेकिन उन्हें मजा भी आ रहा था ।
सोमनाथ ने कहा कि हां यह ठीक रहेगा, पहले मैं ही मार कर देखता हूं और सोमनाथ ने उपासना की भारी भरकम गांड वपर एक चपत लगाई ।
नितंबों पर थप्पड़ लगते हैं हैं उपासना के मुंह से आउच निकलते निकलते रह गया क्योंकि उसने अपने दांतो से होठों को भींच लिया था ।
वह बस sssssssshhhhhiiiii की आवाज ही निकाल पाई ।
फिर धर्मवीर ने अपने ढाई किलो के हाथ से पूजा के चूतड़ों पर थप्पड़ मारा लेकिन वह भी sssssssshhhhhiiiii कर पाई ।
जब दोनों के कूल्हों पर थप्पड़ लगे तो दोनों की गांड हिलने लगी धर्मवीर और सोमनाथ ने दोबारा से थप्पड़ मारा लेकिन दोनों के मुंह से sssssssshhhhhiiiii ही निकल पाती। और उनके चूतड़ थप्पड़ खा कर कुछ देर तक हिलते रहते।
लगातार आठ दस थप्पड़ उनकी गांड पर जमाने के बाद दोनों अलग हो गए ।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी यह तो आज पक्का इरादा करके आई हैं कि चाहे हम कुछ भी कर ले लेकिन ये बोलेंगीं नहीं तो कैसे पहचाने ।
सोमनाथ जी - समधी जी यह तो आपने ठीक कहा क्योंकि जितने थप्पड़ हमने उनके पिछवाड़े पर लगाए हैं इतने में तो ये चिल्ला पड़ती लेकिन दोनों घोड़ियों को देखो तो बस सिसकारी भरती हैं ।
अपने बारे में ऐसा सुनकर उपासना पूजा शर्म से दोहरी होती जा रही थी , लेकिन उनको अब मजा भी आने लगा था और इसी मजे के लिए वह अपने मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी ।
श्री धर्मवीर और सोमनाथ जी ने पूजा और उपासना को गोद में उठाया और लंबे चौड़े बड़े बैड पर पटक दिया ।
धर्मवीर बोला कि अब तुम दोनों बेड पर उल्टी लेट कर दिखाओ ।
यह सुनते ही उपासना और पूजा बेड पर उल्टी लेट गई अब तो उनकी मोटे चूतड़ों वाली गांड ऊपर की तरफ उभरकर आ गई ।
यह देख कर सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो ऐसी भी पहचान नहीं हो पा रही देखो तो दोनों का पिछवाड़ा बराबर उठा हुआ है ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला कि हमें पहचानना है सोमनाथ जी और हम हारना नहीं चाहते।
सोमनाथ और धर्मवीर उल्टी लेटी दोनों घोड़ियों के कंधों को सूंघने लगे और सूंघते सूंघते कमर तक आ गए लेकिन फिर भी नहीं पहचान पाए । फिर दोनों ने उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा और दोनों के चूतड़ों को पूरा खोल दिया और खुली हुई गांड में अपना मुंह घुसा दिया ।
इसकी उम्मीद पूजा और उपासना को नहीं थी जैसे ही अपने चूतड़ों में दोनों का मुंह घुसा होना महसूस हुआ दोनों ने अपने हाथ की मुट्ठियों में बेड की चादर को भींच लिया और sssssssshhhhhiiiii करने लगी ।
दोनों की चूत पानी बहाने लगी कुछ देर तक उनकी गांड में मुँह घुसा कर सूंघने के बाद भी पता नहीं चला फिर दोनों ने उनकी गांड पर चार चार थप्पड़ लगाए और उन्हें सीधी लेटने को बोला ।
यह सुनते ही दोनों सीधी लेट गई बैड पर ।
लेटी हुई दोनों की मोटी मोटी जांघे और फैल गई चूत का उभार साफ दिख रहा था और दोनों की सांसें बहुत तेज गति से चल रही थी ।
सांसे तेज चलने के कारण दोनों के चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे।
फिर धर्मवीर और सोमनाथ उनके गले को सूंघने लगे लेकिन दोनों की पहचान नहीं हो पा रही थी तब सोमनाथ ने कहा कि अब तो लगता है हम पहचान ही नहीं पाएंगे ।
यह सुनकर धर्मवीर ने कहा कि आप चिंता ना करो मैं कोई रास्ता निकालता हूं ऐसा कहकर धर्मवीर ने कहा कि तुम दोनों अपनी टांग मोड़ कर अपने सीने से लगा लो।
यह सुनकर दोनों ने अपनी टांगों को अपनी छाती से लगा लिया पूजा और उपासना इतनी मस्ता गई थी कि वह कुछ भी करने के लिए तैयार थी और उन्हें इस खेल में अलग ही आनंद मिल रहा था ।
जितना हो सकता था दोनों ने उतना अपने घुटनों को मोड़कर छाती से लगा लिया ।
इस अंदाज में उनकी गांड ने फेल कर पूरा आकार ले लिया और मोटी मोटी जांघे एक जगह मिली होने के कारण सोमनाथ और धर्मवीर के लिए कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने चूतड़ों के नीचे हाथ रखा और हल्का सा ऊपर उठा कर अपना मुंह उनकी जांघों के बीच में चूत वाले हिस्से पर रख दिया।
उपासना और पूजा की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि चूतों से बहता पानी उनकी ड्रेस को गीला कर रहा था । और उस पानी को सोमनाथ और धर्मवीर चाटने लगे ।
धर्मवीर बोला सोमनाथ जी मुझे तो लगता है की उपासना और पूजा दोनों ने गीली ड्रेस पहन ली है।
सोमनाथ बोला- समधीजी मुझे भी यही लगता है देखिए तो यह भी पानी छोड़ रही है ।
दोनों की चूतों से उनके मूत की हल्की-हल्की महक सोमनाथ और धर्मवीर के नथुनों में आ रही थी ।
धर्मवीर बोला मैं तो ऐसे पहचान नहीं पा रहा हूं।
सोमनाथ - मेरे पास एक आईडिया है तुम दोनों बेड पर घोड़ी बन जाओ ।
यह सुनकर पूजा और उपासना घोड़ी बन गई ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड पर तीन चार थप्पड़ लगाए और अपने हाथ से चूतों को सहलाने लगे।
चूत पर हाथ लगते हैं दोनों मस्ती से भर उठी। दोनों की चूतों को खूब सहलाने के बाद सोमनाथ ना दोनों चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली घुसा दी । जिससे उनकी ड्रैस में एक छेद हो गया ।
और उसी छेद में अपनी दो उंगली घुसाकर सोमनाथ ने उपासना के ड्रेस को फाड़ दिया ।
कपड़े को फटते ही दोनों चूतड़ आजाद होकर बाहर आ गए।
वैसा ही धर्मवीर ने किया और जैसे ही धर्मवीर में पूजा की ड्रेस फाड़ी तो उसकी झांटों से भरी हुई चूत उसके सामने आ गई । चूत पर इतने घने बाल पहली बार देख रहा था धर्मवीर। ।
यह देखकर धर्मवीर समझ चुका था कि यह पूजा ही है क्योंकि उपासना को तो पहली रात ही चोदा था उसने लेकिन उसने बताया नहीं ।
और उस झांटों से भरी चूत पर अपना हाथ रख दिया।
वैसा ही सोमनाथ ने किया फिर दोनों ने अपना मुंह उनकी चूत के पास लाकर अपनी नाक को उनकी चूत पर रखा और एक गहरी सांस ली जैसे ही सांस लेकर सूंघा तो उपासना और पूजा सहन ना कर सकीं और झड़ गई ।
झड़ते ही उपासना के दिमाग मे पता नही क्या आया उसने फुर्ती से बैड पर सीधी होकर सोमनाथ की छाती में लात मारी जिससे सोमनाथ उसका सगा बाप बैड से नीचे जा गिरा ।
ये देखकर धर्मवीर तुरंत हट गया पूजा की चूत से और मुह और आंखे फाड़कर उपासना के इस रूप को देखने लगा । बिल्कुल चंडी का रूप लग रही थी उपासना ।
उपासना ने अपने मुह पर से पर्दा हटाकर कपड़ा फेंक दिया और पूजा का मुह भी बेपर्दा कर दिया ।
उपासना लगभग चीखती हुई - ये कौन सा खेल और कौन सी सजा है जिसमे एक सगा बाप अपनी बेटी की टांगो के बीच अपना मुह तक घुसा बैठा ।
उपासना चिल्लाते हुए बोलने लगी - मैं मजबूर थी कल रात अपने ससुर के साथ सोने के लिए इनके वंश की वजह से । लेकिन ये कैसा ढोंग है कि आज एक सगा बाप अपनी मान मर्यादा भूल गया । ये तक भूल गया कि मैं उसकी बेटी हूं ।
मुझे शर्म आती है सोमनाथ तुझे अपना बाप कहते हुए ।
ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ पकड़कर लगभग पूजा को खींचती हुई अपने साथ कमरे से निकल गयी ।
सोमनाथ की आंखों के सामने अंधेरा छा गया उसे समझ नही आया कि हुआ क्या । बिल्कुल मौन होकर फर्श पर पड़ गया सोमनाथ ।
धर्मवीर अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर यह सब क्या था जो आंधी की तरह आया और तूफान की तरह सबकुछ उजाड़कर चला गया ।
खैर दोस्तों मेरे प्रिय पाठकों आप तो धर्मवीर को अच्छी तरह से जानते हो कि वो कितना बिंदास और चालाक इंसान है सो अपने स्वभाव अनुसार धर्मवीर ने इतना ही कहा - मार गयी बहन-की-लौड़ी खड़े लंड पर लात ।
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मेरे प्यारे दोस्तों आगे की कहानी next update में ।
Comments करके हौसला जरूर देना और कहानी के बारे में अपनी अपनी राय जरूर देना । पूरे 3 घंटे की मेहनत लगी है इस update को लिखने में ।
आपका अपना प्यारा सा दोस्त - रचित ।
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मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में है आपका ये दोस्त तो आज की update एक शायरी के साथ शुरू करते है ।
कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।
कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।
हम दिल से गये दिल हमसे गया, ये बात कहां तक आ पहुंची।
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इस बार सोमनाथ जी जीत गए उन्होंने उपासना की तरफ देखते हुए कहा कि इस बार मैं चाहता हूं की उपासना धर्मवीर जी को सवारी कराए ।
ऐसा सुनते ही उपासना शर्म से लाल होते हुए बोली ।
उपासना - पापा जी भला मैं कैसे सवारी करा सकती हूं ।
सोमनाथ जी ने कहा - तुमने ही तो कहा था कि तुम हारने वाली घोड़ी नहीं हो। तो बेटी अब धर्मवीर जी को अपने ऊपर बिठा कर थोड़ी दूर उन्हें घुमाओ।
ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से दोहरी हो गई ।
उपासना ने बेड से उतरते हुए कहा कि जब हारी हूं तो सजा तो माननी ही पड़ेगी और ऐसा कहकर वह नीचे फर्श पर घोड़ी बन गई ।
उसके घोड़ी बनते ही उसके चौड़े चौड़े नितंब ऊपर को उठ गए ।
यह देख कर सोमनाथ और धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया।
धर्मवीर जी ने कहा - सोमनाथ जी आप भी नाजुक सी बहू को कैसी सजा दे रहे हैं ।
इस पर उपासना ने पलटवार करते हुए कहा - पापा जी इस तरह बोल कर आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं ।आप चिंता ना करिए मैं आपका वजन आराम से झेल सकती हूं ।
मौके का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- हां बहू यह तो तुम्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि तुम आराम से झेल सकती हो।
यह सुनकर उपासना नजरें झुका कर शर्म से नीचे फर्श की तरफ देखने लगी ।
धर्मवीर उपासना की ऊपर बैठा जैसे ही उपासना चलने को हुई तो उसके दोनों चूतड़ ऊपर नीचे होने लगे ।
इतनी कामुक औरत को घोड़ी बना देखकर सोमनाथ जी अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रहे थे ।
कुछ दूर चलने पर धर्मवीर ने गिरने का बहाना करते हुए अपने दोनों हाथ पीछे उपासना के कूल्हों पर रख दिए।
इतनी चौड़ी गांड पर हाथ रख कर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया ।
अब सजा पूरी हो चुकी थी दोबारा पत्ते बांटे गए और इस बार पूजा जीत गई।
जैसा कि पूजा और उपासना को भलीभांति पता था कि यह कोई गेम नहीं बल्कि एक जोरदार ताबड़तोड़ चुदाई की आधारशिला रखी जा रही है और इसी को समझते हुए पूजा ने अपने पापा सोमनाथ को सजा दी ।
पूजा - पापा जी आप दीदी को गोद में उठाकर नीचे पटक दीजिए।
यह सुनकर उपासना बोली कैसी बहन है अपनी ही बहन को पटकवाना चाहती है । मेरी तो कमर ही टूट जाएगी ।
पूजा - ठीक है तो बेड पर पटक सकते हैं ।
यह सुनकर सोमनाथ जी खड़े हुए और उपासना भी खड़ी हो गई ।
सोमनाथ जी ने अपना एक हाथ उपासना की भारी भारी जागो जागो पर रखा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और उसको गोद में उठा लिया।
इस दृश्य को देखकर कोई नहीं कह सकता था एक बाप ने अपनी बेटी को गोद में उठा रखा है , बल्कि इस दृश्य को देखकर यही कहा जा सकता था की एक चोदने लायक चुदासी औरत को एक तगड़े तंदुरुस्त ने मर्द ने अपनी बाहों में उठा रखा है ।
सोमनाथ जी ने उपासना को बैड पर पटका।
बैड के मोटे मोटे गद्दे पर जब उपासना गिरी तो हल्की सी उछलकर दोबारा से उसकी गांड गद्दों में धस गई ।
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दोबारा पत्ते बांटे गए इस बार धर्मवीर जी ही जीते ।
धर्मवीर हंसते हुए कहने लगा कि अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे । मैं सोच रहा हूं कि इनको क्या सजा दूं तो सोमनाथ जी कहने लगे कि इनसे पोछा लगवा लिया जाए ।
धर्मवीर जी बोले - अपनी बेटियों की हम इतनी भी बेइज्जती नहीं कर सकते ।
सोचते सोचते धर्मवीर जी बोले कि तुम दोनों की यह सजा है कि तुम यह कपड़े बदलकर स्कूल ड्रेस पहनो ।
यह सुनकर उपासना बोली पापा जी हमारी तो यहां स्कूल ड्रेस है ही नहीं।
धर्मवीर जी बोले मेरी शालीनी बेटी की कोई ड्रेस होगी चेक करो ।
उपासना बोली कि उसकी ड्रेस हमें कैसे फिट आ सकती है, वह तो हमसे छोटी है ।
यह सुनकर सोमनाथ जी बोले की सजा तो सजा है माननी तो पड़ेगी, वह सजा ही क्या जिसमें परेशानी ना हो।
ऐसा सुनकर उपासना ठुनकते हुए और शालिनी की ड्रेस चेक करने लगी । लेकिन उसे कोई भी ड्रैस नहीं मिली।
फिर उपासना बोली कि शालिनी दीदी की तो इसमें स्कूल की कोई ड्रेस नहीं है ।
धर्मवीर जी भी उठकर उपासना के साथ शालिनी के स्कूल की ड्रेस ढूंढने लगे तभी उन्हें शालिनी के सूट और सलवार दिखाई पड़े जो कि कि शालिनी के दसवीं क्लास के थे ।
धर्मवीर जी ने वह कपड़े निकाले और उपासना की तरफ बढ़ाते हुए कहा - कि यह लो ।
यह कपड़े देखकर उपासना हैरानी से अपनी आंखें फैलाती हुई बोली कि यह सूट तो किसी भी कीमत पर नहीं आने वाला क्योंकि यह शालिनी के दसवीं क्लास की ड्रेस है।
इस पर सोमनाथ जी बोले चलो इस सजा में तुम्हें थोड़ी ढील दी जा सकती है ऊपर सूट की जगह तुम शालनी का ही ही कोई टॉप पहन सकते हो , लेकिन सलवार यही पहननी पड़ेगी ।
उपासना बोली कि वह तो ठीक है लेकिन यह तो एक ही ड्रेस है पूजा फिर कैसे बदलेगी ।
यह सुनकर धर्मवीर जी बोले बोले तुम दोनों एक एक करके यह ड्रेस पहन सकती हो ।
ऐसा सुनकर उपासना ने पूजा की तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि पहले तुम पहनोगी या मैं ।
उस वाइट कलर की सलवार को और ब्लैक कलर का एक टॉप लेकर उपासना दूसरे रूम में चली गई ।
जैसे ही वह शीशे के सामने खड़ी होकर उस ड्रेस को पहनने लगी तो उसे हैरानी हुई क्योंकि वह सलवार उसकी जांघों पर फस गई थी ।
उपासना ने जैसे तैसे करके उस सलवार को अपनी चूतड़ों पर चढ़ाया अब तो नाड़ा बांधने की कोई जरूरत ही नहीं बची थी ,क्योंकि वह सलवार उसकी भारी-भरकम गांड पर चिपक गई थी ।
उसके ऊपर उसने टॉप पहना जिसमें उसके चूचे टॉप को फाड़ने को तैयार थे। अपने आप को शीशे में देखकर शर्मा के सोचने लगी यह दोनों ठरकी पता नहीं क्या करवा कर मानेंगे ।
धीरे धीरे चलती हुई वह रूम में आई ।
धर्मवीर और सोमनाथ उपासना को इस रूप में देखकर अपनी आंखें झपकाना ही भूल गए ।
उसके भारी-भरकम चूतड़ हिलते हुए साफ देखे जा सकते थे ।
सोमनाथ - बेटी तुम तो वास्तव में अप्सरा लगती हो ।
उपासना - क्यों मजाक कर रहे हो पापाजी मैं अब मोटी हो गयी हूं ।
सोमनाथ - इसे मोटी होना नही गदराना बोलते है बेटी । ये तो तुम्हारी चढ़ती जवानी है जिसे तुम मोटा होना बोल रही हो ।
शर्म के कारण उपासना के पास बोलने को कोई शब्द नही थे । वह जल्दी जल्दी में इतना ही बोल पाई ।
उपासना - अब पूजा की बारी है और कमरे में चेंज करके आगयी । और पूजा पहनने के लिए चली गयी ।
जब पूजा ने वह ड्रैस पहनी तो उसे भी उतनी ही टाइट आयी क्योंकि उपासना की गांड फैली हुई थी तो पूजा के नितम्ब उठे हुए थे ।
उसकी भी गांड को संभाल पाने में वह सलवार असमर्थ थी।
पूजा रूम में आई उसे देखकर भी सोमनाथ और धर्मवीर के मुह से लार बहने लगी ।
धर्मवीर - देखा उपासना हमारी पूजा बेटी भी तुमसे काम नही है ।
उपासना - पापाजी मैं तो शादी के बाद ऐसी दिखती हूं लेकिन पूजा की तो शादी भी नही हुई है फिर ये कैसे ???
इस सवाल पर सोमनाथ और पूजा दोनों निरुत्तर हो गए ।
धर्मवीर जी ने मोर्चा संभाला यही मौका था उपासना को अपने बाप सोमनाथ के सामने थोड़ा खुलकर बोलने के लिए बेशर्म बनाने के लिए।
धर्मवीर अनजान बनते हुए - मैं कुछ समझा नही उपासना बहु ।
उपासना - शर्माते हुए - पूजा कैसे गदरा गयी अभी से मेरा ये मतलब था इसका पिछवाड़ा तो देखो ।
पूजा अपने बारे में ऐसे अश्लील शब्दो को सुनकर पानी पानी हो गयी ।
सोमनाथ - उपासना ये तो तुम ठीक कह रही हो पूजा का पिछवाड़ा तो बिल्कुल औरतों जैसा हो गया है ।
पूजा - पापाजी मैं जा रही हूं ऐसा कहकर पूजा कमरे से निकल गयी ।
उन दोनों को देखकर यकीन हो गया था सोमनाथ को उसकी बेटी बिस्तर में पूरा मजा देगी।
खेल चलता रहा अब इस खेल को उपासना जल्द ही खत्म करना चाहती थी तो आने वाली बाजी में वह जीत गई।
उपासना सोचने लगी सोमनाथ जी बोले बेटी क्या सोच रही हो ।
उपासना - मैं सोच रही हूं कि आपको अपनी दोनों बेटियों में क्या अंतर लगता है ।
सोमनाथ जी ने कहा कि मेरी दोनों बेटियां करोड़ों में एक है।
मैं लाखों में भी अपनी दोनों बेटियों को पहचान सकता हूं।
यह सुनकर उपासना कहने लगी कि यदि नहीं पहचाना गया तो ।
सोमनाथ जी बोले यदि नहीं पहचाना गया तो जो सजा तुम दो मुझे मंजूर होगी ।
उपासना कहने लगी कि आप की यही सजा है कि आप अपनी दोनों बेटियों को आज पहचान कर दिखाओगे।
हम दोनों बहने एक जैसे कपड़े पहनेंगे और तुम ही नहीं मेरे ससुर जी के लिए भी यही सजा है ।
तुम दोनों हमें पहचान कर दिखाना ऐसा कहकर खेल खत्म हुआ और दोनों नीचे अपने कमरे में आ गई ।
पूजा कहने लगी दीदी यह क्या अब नया नाटक किया आपने मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा ।
उपासना - अब तो मजा ही आएगा हम दोनों एक जैसे कपड़े पहनेंगी और अपना चेहरा ढक लेंगी और फिर उन दोनों को पहचानना होगा , देखते हैं कैसे पहचानते हैं।
पहचाने या ना पहचाने लेकिन यह तो पक्का है कि हमारी चूतों को आज जरूर भर देंगे ।
पूजा शर्मा गयी फिर दोनों ने स्नान किया और कमरे में आकर सोचने लगी कि क्या पहना जाए।
पूजा ने कहा कि दीदी हम अरबी लोगों की ड्रेस पहन लेते हैं। वही ड्रेस ऐसी ऐसी है जिसमें हमें पहचान नहीं पाएंगे।
उपासना कहने लगी ऐसी तो कोई ड्रेस नहीं है घर में । चलो देखती हूं तभी उसे एक ड्रेस मिली जो राकेश ने उसे दिलाई थी। एक साथ दो पीस खरीदे थे उपासना ने उस ड्रैस के ।
ड्रैस फुल थी लेकिन साइड में पतली पतली डोरियां थी जिनमें से साफ-साफ दिखाई पड़ता था । वह बस बीच में ही ढक कर रखती थी बाकी साइड से जांघे बिल्कुल नंगी ही लगती थी ।
दोनों ने होंठो पर डार्क red लिक्विड मैट लिपस्टिक लगाई , आंखों पर काजल और eyeliner किया , बालों का जूड़ा बनाकर सर पर रख लिया । दोनों ने सेम मैकप किया ।
दोनों ने ड्रैस पहन ली उस ड्रेस में उनकी गांड भी पूरी तरीके से नहीं कवर हो पा रही थी। साइड में से उनकी गदरायी जांघो को साफ देखा जा सकता था ।
उसे पहनने के बाद उन्होंने अपने मुंह पर एक ब्लैक कलर का दुपट्टे जैसा कपड़ा बांध लिया और दोनों ने एक दूसरे को देखा ।
फिर उपासना पूजा से कहने लगी यह ड्रेस पहन तो ली है लेकिन अब आगे देखो होता है क्या ?
पूजा मुस्कुराते हुए कहने लगी - मैं समझ गई दीदी यह उतारी नहीं जाएगी बल्कि फाड़ दी जाएगी।
उपासना कहने लगी बड़ी समझदार हो गई है मेरी बहन तो।
पूजा बोली आपने ही समझदार बनाया है ।
उपासना - बोल तो ऐसे रही है जैसे अपनी चूत किसी के सामने ना फैलाई हो और बात भी सही है असली लंड तो तुझे आज मिलेंगे ।
यह सुनकर पूजा शर्माकर उपासना के कंधे पर मुक्का मारते हुए बोली कि दीदी आप भी ना हद करती हो ।
दोनों रंडियों तैयार हो चुकी थी उपासना ने धर्मवीर को फोन किया ।
उपासना - hello ।
धर्मवीर - हां बहु बोलो ।
उपासना - dinner तैयार हैं पापाजी । आप दोनों आजाओ खाना खाने के लिए।
धर्मवीर - ओके बहु आरहे हैं हम दोनों बस 5 मिनट में।
उपासना - पर व- वो पापाजी ।
धर्मवीर - हां बहु बोलो क्या बात है , रुक क्यों गयीं ।
उपासना को समझ नहीं आरहा था कि कैसे वो अपने ससुर से कहे कि उसकी बहु तैयार हो चुकी है फटी हुई चूत को और ज्यादा फड़वाने के लिए ।
उपासना - पापाजी वो पनिशमेंट जो थी आप दोनों के लिए तो हम दोनों ने एक जैसे कपड़े पहन लिए है ।
धर्मवीर - ओह अच्छा हां तो क्या बात है पहचान लेंगे हम तुमको ।
उपासना ने फोन रख दिया और दोनों बहनें किचन में खड़ी होकर वेट करने लगीं ।
करीब 5 मिनट बाद ही उन दोनों के आने की आवाज आई ।
धर्मवीर और सोमनाथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए । धर्मवीर ने आवाज लगाई बहु खाना ले आओ ।
उपासना और पूजा अपने हाथ में एक एक थाली लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ आने लगी ।
उनके इस रूप को देखकर दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ ।
काले कपड़े से ढका हुआ उनका चेहरा और इतनी हॉट सेक्सी कपड़े पहने हुए अपनी बहू और उसकी बहन को देखकर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया लेकिन अचंभे वाली बात यह थी कि दोनों एक ही जैसी लग रही थी । दोनों ने आकर थालियों को टेबल पर रखा और बाकी का खाना लेने के लिए मुड़कर जाने लगी ।
जैसे ही उनका पिछवाड़ा धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ हुआ उनका कलेजा मुंह को आ गया क्योंकि दोनों कूल्हों का मटकना और साइड में से दोनों की मोटी और गदरायी नंगी जांघे नजर आ रही थी ।
बाकी का बचा हुआ खाना लेकर दोनों साइड में खड़ी हो गई।
धर्मवीर कहने लगा तुम भी बैठो खाना साथ में खाओ।
इस पर उपासना ने अपना मोबाइल निकाला और मैसेज टाइप करने लगी उसने मैसेज में लिखा -
कि ये उपासना का मोबाइल है और ये मोबाइल जरूरी नही है कि उपासना के पास ही हो , हो सकता है पूजा के पास हो या हो सकता है उपासना के पास हो , और हम खाना खा चुके हैं , और हम दोनों चुप ही रहेंगे बोलेंगे नहीं यदि बोलेंगे तो आप पहचान लोगे । आप खाना खा लीजिए उसके बाद पहचान कर बताइए कौन सी आपकी बहू है और कौन सी आपकी बेटी ।
यह मैसेज धर्मवीर ने पढ़ा तो उसके जेहन में एक प्यारी सी लहर दौड़ गई उसने वह मैसेज पढ़कर सोमनाथ जी को सुनाया और दोनों अपना खाना खाने लगे ।
जब वह खाना खा रहे थे तो पूजा और उपासना वहीं पर चहलकदमी करने लगी जब वह चलती तो दोनों के चूतड़ों का मटकना तिरछी नजरों से देख ही लेते सोमनाथ और धर्मवीर ।
दोनों खाना खा चुके थे अब पूजा और उपासना ने अपने हाथ की उंगलियों से इशारा किया कि हमारे पीछे आजाओ।
धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना की पीछे पीछे चलने लगे । दोनों ही बिल्कुल एक जैसी लग रही थीं चारों चलकर हॉल में आ गए ।
उपासना ने फिर मैसेज टाइप किया की पहचान कीजिये अब ।
धर्मवीर ने बड़ी गौर से दोनों को देखा लेकिन उनकी आंखें ही दिखाई दे रही थी । सोमनाथ जी ने भी देखा लेकिन नहीं पहचान पाए ।
धर्मवीर जी बोले सोमनाथ जी आप पहचानिए कि आपकी कौन सी बेटी छोटी है कौन सी बड़ी ।
सोमनाथ - समधीजी मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं क्योंकि एक जैसे कपड़े दोनों ने पहने है ।दोनों की कमर भी बिल्कुल एक जैसी ही है ।
धर्मवीर कहने लगाओ की कमर ही नहीं मुझे तो सारी की सारी एक जैसी ही लग रही है ।
दोनों चलकर उनके पीछे खड़े हो गए फिर सोमनाथ जी बोले समधी जी मुझे तो दोनों का पिछवाड़ा भी एक जैसा ही लग रहा है ।
उपासना और पूजा खड़ी खड़ी शर्मा रही थी लेकिन मुंह ढका होने की वजह से वह ज्यादा परेशान नहीं थी ।
धर्मवीर कहने लगा ऐसे तो नहीं पहचाने जाएंगी ।
फिर धर्मवीर ने पूछा - क्या हम तुम्हें छू कर देख सकते हैं, शायद छूकर पहचान लें।
उपासना ने मोबाइल से मैसेज किया कि आप हमें छू सकते हो ।
धर्मवीर ने उपासना की कमर पर हाथ रखा उपासना सिहर उठी । वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन पता नहीं चल पा रहा था नाही धर्मवीर को और ना ही सोमनाथ को कि उनका हाथ उपासना की कमर पर है यह पूजा की ।
धर्मवीर ने सोमनाथ जी से कहा - सोमनाथ जी आप यहां आइए ।
सोमनाथ उपासना के पीछे धर्मवीर के साथ खड़ा हो गया। और धर्मवीर वहां से पूजा की पीछे खड़ा हो गया और दोनों ने उनकी कमर पर सहलाना शुरू कर दिया
जब कुछ देर हो गई तब सोमनाथ जी ने कहा कि ऐसे तो नहीं पता चल रहा है कौन सी पूजा है और कौन सी उपासना।
सोमनाथ जी ने - पूछा कि क्या हम और कहीं भी छू कर देख सकते हैं ?
यह सुनकर उपासना ने मैसेज टाइप किया
आपको पहचानना है कैसे भी पहचानिए ।
यह मैसेज धर्मवीर ने जोर से पढ़ा ताकि सोमनाथ भी सुन सकें ।
दोनों ने अपने हाथ को कमर पर से आगे की तरफ करते हुए नाभि में उंगली डालकर घुमाने लगे ।
ऐसा करने से उपासना और पूजा मस्ती से भर गयीं ।
फिर भी नहीं पहचान पाए तब सोमनाथ ने पूछा - क्या हम सूंघकर देख सकते हैं क्या पता ऐसे पहचान ले।
उपासना ने लिखा - कि आप बार-बार मत पूछिए, आपको पहचानना है अब जैसे आप अपनी बहू और बेटी को पहचान सकते हो वैसे पहचानिए।
यह मैसेज धर्मवीर ने सोमनाथ जी को पढ़कर सुनाया।
सोमनाथ जी बोले ठीक है अब हम तुमसे नहीं पूछेंगे जैसे भी पहचानना है पहचानेंगे ।
धर्मवीर बोला कि चलो दोनों को सूंघकर देखते हैं क्या पता महक से पता चल जाए ।
धर्मवीर और सोमनाथ जी ने उपासना और पूजा की बाजू को अपनी नाक से सूंघने लगे लेकिन दोनों में से एक ही जैसी महक आ रही थी । इसी बहाने से सोमनाथ और धर्मवीर ने अपने होठों से उनकी बाहों को चूम लिया ।
जैसे ही उन्होंने चूमा पूजा और उपासना मस्ताने लगी ।
श्री सोमनाथ जी ने पीछे खड़े होकर उपासना की कंधों को सूंघा और साथ ही साथ दोनों कंधों पर हाथ रख कर सहलाने लगे ।
लेकिन दोनों को पहचान नहीं पाए ।
फिर धर्मवीर ने कहा कि सोमनाथ जी से कहा कि इनसे पूछो कि क्या हम किसी भी अंग को छू सकते हैं।
ऐसा सुनकर सोमनाथ जी ने कहा- समधीजी अभी तो बेटी ने बताया है मैसेज करके कि बार-बार मत पूछो ।आप दोबारा पूछोगे तो नाराज हो जाएगी ।अब तो जैसे भी पहचानना है पहचानना तो पड़ेगा ही । इसमें पूछना क्या वैसे भी बेटी ने कह दिया है कि कैसे भी पहचानो पर पहचानो ।
यही सुनना चाहता था धर्मवीर ।
धर्मवीर ने अपना हाथ कमर से नीचे करते हुए पूजा के कूल्हों पर रख दिया ।
सोमनाथ ने धर्मवीर को ऐसा करते देखा तो उसने भी उपासना के चूतड़ों पर अपने हाथ रख दिया ।
अपने चौड़े चौड़े मतवाले नितंबों पर उनके हाथ पाकर दोनों की चूत पानी छोड़ने लगी ।
धर्मवीर पूजा के चूतड़ों को सहलाता हुआ बोला- सोमनाथ जी यह तो पता नहीं कि यह पिछवाड़ा बहु का है या पूजा का लेकिन जिसका भी है बड़ा ही गद्देदार है।
सोमनाथ - समधीजी जी यहां पर भी ऐसा ही है मेरे तो हाथों में ये कूल्हे आ ही नहीं रहे।
दोनों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई उपासना और पूजा लेकिन मजबूरी थी कि कुछ बोल भी नहीं सकती थी और चुप खड़ी रही ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड को खूब देर मसला लेकिन पहचान नहीं पाए ।
दोनों के हाथ पूजा और उपासना की जांघों पर आ गए।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी मुझे तो यह उपासना की जांघे लगती हैं देखो तो कितनी भारी और गदरायी हुई है।
सोमनाथ - समधी जी और अगर यही बात मैं बोलूं तो देखो जरा ये जांघे भी इतनी मोटी और गदरायी हुई है ।
धर्मवीर ने अपने हाथ जांघो से ऊपर करते हुए पूजा के सीने पर पहाड़ की तरह तने हुए चूचों पर जब हाथ रखा तो पूजा के मुंह से sssssssshhhhhiiiii की आवाज निकली लेकिन यह आवाज तो सबकी एक ही जैसी होती है ।
इस वजह से धर्मवीर पहचान नहीं पाया ।
वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन सोमनाथ भी नहीं पहचान पाया और दोनों घोड़ियां सिसकारी भर उठीं।
धर्मवीर ने कहा कि एक आईडिया है सोमनाथ जी उनके मुंह से आवाज निकलवाने का कि इनको थप्पड़ मारा जाए।
फिर यह चिल्लाएगी और हम पहचान लेंगे ।
सोमनाथ कहने लगा नहीं समधीजी जी हम अपनी बेटियों के साथ मारपीट नहीं कर सकते ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला मैं कौन सा गाल पर मारने के लिए बोल रहा हूं इनके पिछवाड़े पर मार कर देख लेते हैं ।
ऐसी बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से मरी जा रही थी लेकिन उन्हें मजा भी आ रहा था ।
सोमनाथ ने कहा कि हां यह ठीक रहेगा, पहले मैं ही मार कर देखता हूं और सोमनाथ ने उपासना की भारी भरकम गांड वपर एक चपत लगाई ।
नितंबों पर थप्पड़ लगते हैं हैं उपासना के मुंह से आउच निकलते निकलते रह गया क्योंकि उसने अपने दांतो से होठों को भींच लिया था ।
वह बस sssssssshhhhhiiiii की आवाज ही निकाल पाई ।
फिर धर्मवीर ने अपने ढाई किलो के हाथ से पूजा के चूतड़ों पर थप्पड़ मारा लेकिन वह भी sssssssshhhhhiiiii कर पाई ।
जब दोनों के कूल्हों पर थप्पड़ लगे तो दोनों की गांड हिलने लगी धर्मवीर और सोमनाथ ने दोबारा से थप्पड़ मारा लेकिन दोनों के मुंह से sssssssshhhhhiiiii ही निकल पाती। और उनके चूतड़ थप्पड़ खा कर कुछ देर तक हिलते रहते।
लगातार आठ दस थप्पड़ उनकी गांड पर जमाने के बाद दोनों अलग हो गए ।
धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी यह तो आज पक्का इरादा करके आई हैं कि चाहे हम कुछ भी कर ले लेकिन ये बोलेंगीं नहीं तो कैसे पहचाने ।
सोमनाथ जी - समधी जी यह तो आपने ठीक कहा क्योंकि जितने थप्पड़ हमने उनके पिछवाड़े पर लगाए हैं इतने में तो ये चिल्ला पड़ती लेकिन दोनों घोड़ियों को देखो तो बस सिसकारी भरती हैं ।
अपने बारे में ऐसा सुनकर उपासना पूजा शर्म से दोहरी होती जा रही थी , लेकिन उनको अब मजा भी आने लगा था और इसी मजे के लिए वह अपने मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी ।
श्री धर्मवीर और सोमनाथ जी ने पूजा और उपासना को गोद में उठाया और लंबे चौड़े बड़े बैड पर पटक दिया ।
धर्मवीर बोला कि अब तुम दोनों बेड पर उल्टी लेट कर दिखाओ ।
यह सुनते ही उपासना और पूजा बेड पर उल्टी लेट गई अब तो उनकी मोटे चूतड़ों वाली गांड ऊपर की तरफ उभरकर आ गई ।
यह देख कर सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो ऐसी भी पहचान नहीं हो पा रही देखो तो दोनों का पिछवाड़ा बराबर उठा हुआ है ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला कि हमें पहचानना है सोमनाथ जी और हम हारना नहीं चाहते।
सोमनाथ और धर्मवीर उल्टी लेटी दोनों घोड़ियों के कंधों को सूंघने लगे और सूंघते सूंघते कमर तक आ गए लेकिन फिर भी नहीं पहचान पाए । फिर दोनों ने उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा और दोनों के चूतड़ों को पूरा खोल दिया और खुली हुई गांड में अपना मुंह घुसा दिया ।
इसकी उम्मीद पूजा और उपासना को नहीं थी जैसे ही अपने चूतड़ों में दोनों का मुंह घुसा होना महसूस हुआ दोनों ने अपने हाथ की मुट्ठियों में बेड की चादर को भींच लिया और sssssssshhhhhiiiii करने लगी ।
दोनों की चूत पानी बहाने लगी कुछ देर तक उनकी गांड में मुँह घुसा कर सूंघने के बाद भी पता नहीं चला फिर दोनों ने उनकी गांड पर चार चार थप्पड़ लगाए और उन्हें सीधी लेटने को बोला ।
यह सुनते ही दोनों सीधी लेट गई बैड पर ।
लेटी हुई दोनों की मोटी मोटी जांघे और फैल गई चूत का उभार साफ दिख रहा था और दोनों की सांसें बहुत तेज गति से चल रही थी ।
सांसे तेज चलने के कारण दोनों के चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे।
फिर धर्मवीर और सोमनाथ उनके गले को सूंघने लगे लेकिन दोनों की पहचान नहीं हो पा रही थी तब सोमनाथ ने कहा कि अब तो लगता है हम पहचान ही नहीं पाएंगे ।
यह सुनकर धर्मवीर ने कहा कि आप चिंता ना करो मैं कोई रास्ता निकालता हूं ऐसा कहकर धर्मवीर ने कहा कि तुम दोनों अपनी टांग मोड़ कर अपने सीने से लगा लो।
यह सुनकर दोनों ने अपनी टांगों को अपनी छाती से लगा लिया पूजा और उपासना इतनी मस्ता गई थी कि वह कुछ भी करने के लिए तैयार थी और उन्हें इस खेल में अलग ही आनंद मिल रहा था ।
जितना हो सकता था दोनों ने उतना अपने घुटनों को मोड़कर छाती से लगा लिया ।
इस अंदाज में उनकी गांड ने फेल कर पूरा आकार ले लिया और मोटी मोटी जांघे एक जगह मिली होने के कारण सोमनाथ और धर्मवीर के लिए कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने चूतड़ों के नीचे हाथ रखा और हल्का सा ऊपर उठा कर अपना मुंह उनकी जांघों के बीच में चूत वाले हिस्से पर रख दिया।
उपासना और पूजा की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि चूतों से बहता पानी उनकी ड्रेस को गीला कर रहा था । और उस पानी को सोमनाथ और धर्मवीर चाटने लगे ।
धर्मवीर बोला सोमनाथ जी मुझे तो लगता है की उपासना और पूजा दोनों ने गीली ड्रेस पहन ली है।
सोमनाथ बोला- समधीजी मुझे भी यही लगता है देखिए तो यह भी पानी छोड़ रही है ।
दोनों की चूतों से उनके मूत की हल्की-हल्की महक सोमनाथ और धर्मवीर के नथुनों में आ रही थी ।
धर्मवीर बोला मैं तो ऐसे पहचान नहीं पा रहा हूं।
सोमनाथ - मेरे पास एक आईडिया है तुम दोनों बेड पर घोड़ी बन जाओ ।
यह सुनकर पूजा और उपासना घोड़ी बन गई ।
धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड पर तीन चार थप्पड़ लगाए और अपने हाथ से चूतों को सहलाने लगे।
चूत पर हाथ लगते हैं दोनों मस्ती से भर उठी। दोनों की चूतों को खूब सहलाने के बाद सोमनाथ ना दोनों चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली घुसा दी । जिससे उनकी ड्रैस में एक छेद हो गया ।
और उसी छेद में अपनी दो उंगली घुसाकर सोमनाथ ने उपासना के ड्रेस को फाड़ दिया ।
कपड़े को फटते ही दोनों चूतड़ आजाद होकर बाहर आ गए।
वैसा ही धर्मवीर ने किया और जैसे ही धर्मवीर में पूजा की ड्रेस फाड़ी तो उसकी झांटों से भरी हुई चूत उसके सामने आ गई । चूत पर इतने घने बाल पहली बार देख रहा था धर्मवीर। ।
यह देखकर धर्मवीर समझ चुका था कि यह पूजा ही है क्योंकि उपासना को तो पहली रात ही चोदा था उसने लेकिन उसने बताया नहीं ।
और उस झांटों से भरी चूत पर अपना हाथ रख दिया।
वैसा ही सोमनाथ ने किया फिर दोनों ने अपना मुंह उनकी चूत के पास लाकर अपनी नाक को उनकी चूत पर रखा और एक गहरी सांस ली जैसे ही सांस लेकर सूंघा तो उपासना और पूजा सहन ना कर सकीं और झड़ गई ।
झड़ते ही उपासना के दिमाग मे पता नही क्या आया उसने फुर्ती से बैड पर सीधी होकर सोमनाथ की छाती में लात मारी जिससे सोमनाथ उसका सगा बाप बैड से नीचे जा गिरा ।
ये देखकर धर्मवीर तुरंत हट गया पूजा की चूत से और मुह और आंखे फाड़कर उपासना के इस रूप को देखने लगा । बिल्कुल चंडी का रूप लग रही थी उपासना ।
उपासना ने अपने मुह पर से पर्दा हटाकर कपड़ा फेंक दिया और पूजा का मुह भी बेपर्दा कर दिया ।
उपासना लगभग चीखती हुई - ये कौन सा खेल और कौन सी सजा है जिसमे एक सगा बाप अपनी बेटी की टांगो के बीच अपना मुह तक घुसा बैठा ।
उपासना चिल्लाते हुए बोलने लगी - मैं मजबूर थी कल रात अपने ससुर के साथ सोने के लिए इनके वंश की वजह से । लेकिन ये कैसा ढोंग है कि आज एक सगा बाप अपनी मान मर्यादा भूल गया । ये तक भूल गया कि मैं उसकी बेटी हूं ।
मुझे शर्म आती है सोमनाथ तुझे अपना बाप कहते हुए ।
ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ पकड़कर लगभग पूजा को खींचती हुई अपने साथ कमरे से निकल गयी ।
सोमनाथ की आंखों के सामने अंधेरा छा गया उसे समझ नही आया कि हुआ क्या । बिल्कुल मौन होकर फर्श पर पड़ गया सोमनाथ ।
धर्मवीर अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर यह सब क्या था जो आंधी की तरह आया और तूफान की तरह सबकुछ उजाड़कर चला गया ।
खैर दोस्तों मेरे प्रिय पाठकों आप तो धर्मवीर को अच्छी तरह से जानते हो कि वो कितना बिंदास और चालाक इंसान है सो अपने स्वभाव अनुसार धर्मवीर ने इतना ही कहा - मार गयी बहन-की-लौड़ी खड़े लंड पर लात ।
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मेरे प्यारे दोस्तों आगे की कहानी next update में ।
Comments करके हौसला जरूर देना और कहानी के बारे में अपनी अपनी राय जरूर देना । पूरे 3 घंटे की मेहनत लगी है इस update को लिखने में ।
आपका अपना प्यारा सा दोस्त - रचित ।
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